वर्ष 2007 से कोर्ट के आदेश का हवाला देकर करता रहा गुमराह
आइटी पीजी कॉलेज बीएड कोर्स में गलत ढंग से दाखिला लेने का दोषी करार दिया गया है। गुरुवार को लखनऊ विश्वविद्यालय (लविवि) के प्रति कुलपति प्रो. यूएन द्विवेदी की अध्यक्षता में गठित की गई जांच कमेटी के सामने कॉलेज की मैनेजर डॉ. ईएस चॉल्र्स व अन्य शिक्षक साक्ष्यों के साथ पेश हुए। संबंधित साक्ष्यों व तथ्यों की पड़ताल करने के बाद जांच कमेटी ने आइटी कॉलेज को बीएड में नियम विरुद्ध दाखिला लेने का दोषी करार दिया। जांच कमेटी ने माना कि इस कॉलेज ने न सिर्फ लविवि के साथ बल्कि विद्यार्थियों के साथ भी धोखाधड़ी की है। अल्पसंख्यक कॉलेज होने के कारण यह बीएड की 60 में से 30 सीटों पर डायरेक्ट एडमिशन व 30 सीटों पर बीएड की राज्य संयुक्त प्रवेश परीक्षा की काउंसिलिंग से दाखिला लेने का पात्र था, मगर इसने सभी सीटों पर खुद दाखिला लिया। दाखिले की प्रक्रिया का अनुमोदन भी लविवि से नहीं लिया।
लविवि के कुलपति प्रो. एसपी सिंह आइटी कॉलेज प्रकरण को पूरी गंभीरता से ले रहे हैं। कमेटी की रिपोर्ट में धोखाधड़ी करना साबित हुआ है। क्योंकि यह वर्ष 2007 से कोर्ट के एक आदेश का हवाला देकर दाखिला ले रहा था। लविवि के रजिस्ट्रार प्रो. राजकुमार सिंह कहते हैं कि यह आदेश सिर्फ एक वर्ष के लिए ही मान्य था और सीधे लविवि से इसका कोई लेना-देना नहीं था। क्योंकि अंत तक कॉलेज से उसकी तरफ से दाखिल रिट मांगी जाती रही और वह नहीं दे पाया। इस पूरे प्रकरण से यह साबित होता है कि कॉलेज लविवि को भी अंधेरे में रखे हुए था। शुक्रवार को जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी। लविवि प्रशासन इस प्रकरण में धोखाधड़ी की रिपोर्ट भी दर्ज करवाएगा।
कल से परीक्षाएं, विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर : बीएड की सेमेस्टर परीक्षाएं 23 दिसंबर से शुरू हो रही हैं। आइटी पीजी कॉलेज में बीएड में गलत ढंग से दाखिले हुए हैं। सभी सीटों पर खुद दाखिला लेने की वजह से अब इन विद्यार्थियों को दूसरे संस्थानों में समायोजित भी नहीं किया जा सकता। क्योंकि बाकी सभी संस्थानों में दाखिले राज्य संयुक्त प्रवेश परीक्षा के माध्यम से हुए हैं। ऐसे में लविवि इन्हें प्रोविजनल दाखिला देकर सिर्फ परीक्षाएं ही करवाएगा। बाकी लीगल ओपिनियन लेकर आगे भविष्य पर अंतिम निर्णय लेगा।
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