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Sunday, January 21, 2018

मौजूदा समय में आइआइटी में 35 फीसद से ज्यादा पद खाली, आइआइटी जैसे संस्थानों को नहीं मिल रहे शिक्षक

आइआइटी जैसे संस्थानों को खोजने के बाद भी अच्छे शिक्षक (फैकल्टी) नहीं मिल पा रहे हैं। आइआइटी मद्रास के डायरेक्टर डॉ. भास्कर रामामूर्ति ने इन हालात पर चिंता जताते हुए कहा कि खाली पदों को भरना उनके लिए चुनौतीपूर्ण है। हालांकि वह इससे निपटने की कोशिश में जुटे हुए हैं। देश-विदेश की पत्र-पत्रिकाओं में लगातार विज्ञापन के जरिये अच्छे शिक्षकों की तलाश करने के कुछ सकारात्मक नतीजे भी मिले हैं। इसी वजह से सालाना सिर्फ 15 से 20 अच्छी फैकल्टी मिल पा रही हैं।

आइआइटी मद्रास के डायेक्टर डॉ. रामामूर्ति ने ‘जागरण’ से चर्चा करते हुए बताया कि फैकल्टी की कमी के मामले में आइआइटी मद्रास जैसी स्थिति कमोबेश दूसरे आइआइटी की भी है। समस्या के सवाल पर उनका कहना था कि उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद कम छात्र ही ऐसे होते हैं, जो फैकल्टी के रूप में अपना कैरियर शुरू करना चाहते हैं। यहां से निकलने वाले अधिकतर छात्र विदेश चले जाते हैं।

उनका कहना था कि सरकार की तरफ से भी खाली पदों को जल्द से जल्द भरने का दबाव है, लेकिन मूल समस्या अच्छी फैकल्टी के न मिलने की है।

गौरतलब है कि दिल्ली, मद्रास, खड़गपुर सहित देश भर के सभी 23 आइआइटी में मौजूदा समय में फैकल्टी के 35 फीसद से ज्यादा पद खाली पड़े हैं। इनमें सबसे खराब स्थिति आइआइटी खड़गपुर की है, जहां करीब 69 फीसद पद खाली है। वहीं आइआइटी दिल्ली में 29 फीसद, बाम्बे में 27 फीसद, कानपुर में 37 फीसद, मद्रास में 30 फीसद, रुड़की में 58 फीसद फैकल्टी के पद खाली हैं।1‘ज्ञान’ योजना से मिल रही मदद: आइआइटी सहित देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में फैकल्टी की कमी को पूरा करने के लिए सरकार ने ज्ञान (ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर एकेडेमिक नेटवर्क) योजना शुरू की है।
इसके तहत देश-विदेश में बड़े-बड़े संस्थानों की क्लास आयोजित की जाती है। यह क्लास ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह की होती हैं। इस योजना के तहत दुनिया भर के सभी विश्वस्तरीय संस्थानों को भी जोड़ा गया है। योजना के तहत विदेशी विश्वविद्यालयों की फैकल्टी को बुलाकर क्लास भी आयोजित कराई जाती है।’

आइआइटी मद्रास के डायरेक्टर डॉ. रामामूर्ति ने इन हालात पर जताई चिंता

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