विशेषज्ञ आठ दिन तक मंथन करने के बाद तय करेंगे सिलेबसफर्जी परीक्षार्थियों की जांच में अटके प्रवेशपत्र
आखिरकार यूपी बोर्ड में वैदिक गणित को फिर से अपनाने की प्रक्रिया सोमवार से शुरू हो गई है। ‘दैनिक जागरण’ ने अक्टूबर माह में ही खबर दी थी कि ‘25 वर्ष बाद फिर से यूपी बोर्ड में होगी वैदिक गणित की पढ़ाई’। नए शैक्षिक सत्र में कक्षा नौ से बारह तक इसे लागू किया जाएगा। इसके लिए अलग से बुकलेट तैयार होनी है, विशेषज्ञ अब आठ दिन तक इसी पर मंथन करेंगे।
माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड वैदिक गणित को दूसरी बार अपनाने जा रहा है। इसके पहले 1992 में कल्याण सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में बोर्ड के पाठ्यक्रम में इसे जोड़ा गया। बाद की सरकारों ने इस पर चुप्पी साध ली। ऐसे में 25 वर्ष बाद फिर पाठ्यक्रम पर नए सिरे से विचार हो रहा है। वैदिक गणित को अपनाने की अहम वजह यह है कि छात्र-छात्रओं को गणित के सवाल अन्य विषयों की अपेक्षा कठिन लगते हैं लेकिन, स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ ने वैदिक गणित के ऐसे सूत्र तैयार किए हैं जिनका प्रयोग करके बिना पहाड़ा पढ़े ही सवाल हल हो जाता है। वैदिक गणित की सात विधियों का प्रयोग करके जोड़, घटाना, गुणा और भाग आसानी से हल किया जा सकता है। इस विधा का भरपूर लाभ प्रतियोगी परीक्षाओं में उठाया जा सकता है। ज्ञात हो कि यूपी बोर्ड में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम नए शैक्षिक सत्र से लागू करने की वजह भी प्रतियोगी परीक्षाएं ही हैं। सरकार का मानना है कि अधिकांश परीक्षाओं में जो सवाल पूछे जाते हैं, वह एनसीईआरटी पाठ्यक्रम के होते हैं, तब क्यों न पढ़ाई के साथ ही प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी भी होती रहे।
बोर्ड सचिव नीना श्रीवास्तव ने बताया कि सोमवार से मुख्यालय पर वैदिक गणित अपनाने की कार्यशाला शुरू हो गई है। पहले दिन करीब आठ से दस विशेषज्ञ इसमें पहुंचे आगे यह संख्या और बढ़ेगी। कार्यशाला लगातार आठ दिन चलेगी। उन्होंने बताया कि कक्षा छह से आठ तक में भी इसे लागू किया जाना है, ऐसे में बोर्ड कक्षा नौ से लेकर बारह तक का पाठ्यक्रम तैयार कराएगा। इस विषय की किताब बुकलेट की तरह होगी। नए सत्र में नए पाठ्यक्रम में यह विषय अहम होगा
No comments:
Write comments