सरकार इसे बड़े रूप में देख रही है। इस पहल से विश्वविद्यालयों से पढ़कर निकलने वाला प्रत्येक छात्र उपभोक्ता जागरूकता का एक सिपाही होगा, जो प्रत्येक घर में तैनात होगा। इस दौरान वह खुद के साथ अपने परिवारों को भी उपभोक्ता अधिकारों के प्रति जागरूक बना सकेगा।
यूजीसी ने स्नातक पाठ्यक्रम में शामिल करने का दिया निर्देश, उपभोक्ता मामलों के मंत्रलय की पहल पर उठाया जा रहा कदम
इस समय जागरूकता के अभाव में आगे नहीं आते हैं उपभोक्ता इस समय उपभोक्ता जागरूकता के अभाव में बहुत कम लोग ठगे जाने की शिकायतें कर रहे हैं। 1’लेकिन, जैसे-जैसे उपभोक्ताओं की जागरूकता बढ़ रही है, शिकायतों का भी ग्राफ बढ़ रहा है। 1’ सरकार का मानना है कि जब लोग अधिकारों को लेकर जागरूक हो जाएंगे, तो ऐसी घटनाओं में खुद ही कमी आ जाएगी। 1
अरविंद पांडेय, नई दिल्ली1बढ़ते बाजारवाद के साथ ठगी की घटनाएं भी बढ़ी है। लेकिन, आने वाले दिनों में ऐसी घटनाएं किसी के साथ नहीं हो, इसकी तैयारी में सरकार जुट गई है। उपभोक्ता कानून को सख्ती से लागू करने के साथ इसके प्रति लोगों को जागरूक बनाने की दिशा में एक नया कदम उठाया जा रहा है। इसके तहत भावी पीढ़ी में उपभोक्ता अधिकारों के बीज अब पढ़ाई के दौरान ही डाले जाएंगे। सब कुछ ठीक रहा, तो आने वाले शैक्षणिक सत्र से विश्वविद्यालयों में उपभोक्ता जागरूकता को लेकर पढ़ाई शुरू हो जाएगी। 1उपभोक्ता अधिकारों को लेकर शुरू की गई इस पहल के तहत विश्वविद्यालयों में इसे स्नातक स्तर पर पढ़ाया जाएगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इसका एक पाठ्यक्रम भी तैयार कराया है। इसे हाल ही में सभी विश्वविद्यालयों को लागू करने का निर्देश भेजा गया है। हालांकि, यूजीसी ने विश्वविद्यालयों को इस बात की पूरी स्वतंत्रता दी है कि वह पाठ्यक्रम को किस रूप में लागू करना चाहता है। 1विश्वविद्यालयों में इसे पढ़ाए जाने की यह पहल उपभोक्ता मामलों के मंत्रलय की मांग के बाद शुरू की गई है। मंत्रलय ने कुछ महीने पहले मानव संसाधन विकास मंत्रलय को पत्र लिखकर इसे स्नातक पाठ्यक्रमों में शामिल करने की मांग की थी। बाद में इस प्रस्ताव को यूजीसी को भेज दिया गया था। उपभोक्ता मामलों के मंत्रलय की कोशिश है कि वह इस पहल के जरिये आने वाली पीढ़ी को उपभोक्ता कानूनों को लेकर पहले से जागरूक कर देगा। इससे उनके साथ धोखाधड़ी करना मुश्किल होगा।
No comments:
Write comments