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Wednesday, March 7, 2018

बोर्ड परीक्षा : अब रिजल्ट छोड़ेगा परीक्षार्थियों का साथ, हाईस्कूल-इंटर के सफलता प्रतिशत में गिरावट के संकेत

इलाहाबाद : यूपी बोर्ड में परीक्षा छोड़ने का रिकॉर्ड चंद दिनों में नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगा। रिजल्ट भी रिकॉर्ड बनाने की ओर है। उसमें तमाम परीक्षार्थियों का साथ छूटना तय माना जा रहा है। इस बार जिस तरह विभिन्न संसाधनों का प्रयोग और सख्ती के बीच परीक्षाएं हुई हैं। उससे परीक्षा परिणाम अर्श से फर्श पर होगा। हाईस्कूल व इंटर दोनों के सफलता प्रतिशत में बड़ी गिरावट होने के पूरे आसार हैं।

माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटर परीक्षा 2018 सिर्फ इम्तिहान के लिए ही नहीं बल्कि परीक्षा परिणाम के लिए भी याद की जाएगी। नकल के भरोसे रहने वाले परीक्षार्थियों में पूरे समय भगदड़ मची रही। अगले सप्ताह परीक्षाएं खत्म हो रही हैं। अब परिणाम भी इतिहास रचने की ओर है। वजह यह है कि परीक्षाएं जिस तरह से सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में हुई और अंदर व बाहर नकल पर नकेल कसी रही उससे रिजल्ट में बड़ी गिरावट होना तय है।

पिछले वर्षो में हाईस्कूल में 2013 व 2014 में परीक्षा परिणाम 86 व 2016 में 87 फीसद को पार कर गया था, जबकि इंटर का परीक्षा परिणाम 2013 व 2014 में शिखर पर रहा है। पिछले डेढ़ दशक के रिजल्ट की ऊंची उड़ान पर विराम लगने के संकेत हैं।

■ सीसीटीवी की निगरानी में मूल्यांकन : यूपी बोर्ड प्रशासन उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में कराएगा। साथ ही पहली बार परीक्षकों को अलग से प्रशिक्षण भी दिया जाएगा कि वह किस तरह से कापियां जांचे। वहीं, मंडलीय अफसर मूल्यांकन केंद्रों का औचक निरीक्षण करते रहेंगे। मूल्यांकन कार्य 15 मार्च से ही शुरू कराने की तैयारी है।प्रदेश सरकार ने नकल पर अंकुश लगाकर शीर्ष कोर्ट के निर्णय का सम्मान किया है। 4 नवंबर, 2008 को एक फैसले में न्यायाधीश अल्तमस कबीर व जस्टिस मार्कण्डेय काटजू की खंडपीठ ने कहा था कि नकल करने वालों को कठोरता से दंडित करने की जरूरत है, क्योंकि इससे देश की प्रगति और अकादमिक स्तर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

रंगे हाथों पकड़े जाने के बाद गलती मान लेने पर दोषी छात्रों को माफ करने की प्रवृत्ति को भी न्यायाधीशों ने ‘अनुचित सहानुभूति’ की संज्ञा दी थी और टिप्पणी दी थी कि ‘यदि देश को आगे बढ़ना है, तो हमें उच्च शैक्षणिक स्तर स्थापित करना होगा, और यह तभी संभव है, जब परीक्षाओं में कदाचार पर कठोरता से रोक लगायी जाए।

■ परीक्षा परिणाम इस बार अर्श से फर्श पर आने के आसार
■ हाईस्कूल-इंटर के सफलता प्रतिशत में गिरावट के संकेत

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