अभिभावक कल्याण संघ ने कहा-अध्यादेश केवल झुनझुना पिछले कई वर्षो से स्कूलों की मनमानी फीस के खिलाफ मोर्चा लेने वाले अभिभावक कल्याण संघ के अध्यक्ष प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि यह अध्यादेश केवल लोकसभा चुनाव को देखते हुए झुनझुना भर है। इस अध्यादेश में स्कूलों की फीस कितनी होगी इसे तय करने का कोई सिस्टम नहीं है। उनका सुझाव है कि जिस प्रकार प्राइवेट इंजीनियरिंग व मेडिकल कॉलेजों की कमाई व खर्चे को देखकर सरकार फीस तय करती है, उसी प्रकार स्कूलों में भी सरकार को फीस निर्धारण करना चाहिए। अभी हर कॉलेज फीस निर्धारण में अपनी मनमानी करते हैं। अभिभावक कल्याण संघ 10 साल से इसी मसले की लड़ाई लड़ रहा है और आगे भी लड़ता रहेगा। अभिभावक संघ इस अध्यादेश से खुश नहीं है।
फीस तय की तो इंस्पेक्टर राज हो जाएगा कायम: शासन माध्यमिक शिक्षा विभाग की सचिव संध्या तिवारी कहती हैं कि यह अध्यादेश स्कूल में पढ़ रहे पुराने छात्रों की एकाएक बढ़ने वाली मनमानी फीस पर अंकुश लगाएगा। उनके अनुसार अध्यादेश के जरिये हम किसी निजी स्कूल की फीस तय करने नहीं जा रहे हैं। 35 हजार स्कूलों का फीस निर्धारण संभव भी नहीं है। यह करते हैं तो इससे इंस्पेक्टर राज कायम हो जायेगा। नए एडमिशन में कितनी फीस स्कूल लेंगे यह भी उन्हें ही तय करना है। इसमें सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं रहेगा। अभिभावक जब एडमिशन कराने जाते हैं तो वह अपनी क्षमता के अनुसार स्कूल का चयन करते हैं। फीस निर्धारण अध्यादेशमूल्य सूचकांक से जोड़ी फीस वृद्धिसरकार ने पुराने छात्रों की फीस वृद्धि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जोड़ दी है। यह बढ़ोतरी विगत वर्ष में स्कूल के खर्चो के आधार पर की जाएगी लेकिन, यह बढ़ोतरी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में पांच प्रतिशत जोड़ से अधिक नहीं होगी। यानी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक यदि दो रहता है तो उसमें पांच प्रतिशत और जोड़कर कुल सात फीसद बढ़ोतरी की जा सकेगी।कमेटी करेगी विवादों की सुनवाईसंध्या तिवारी ने बताया कि मंडल स्तर पर मंडलायुक्त की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई जाएगी। यह कमेटी फीस के विवादों की सुनवाई करेगी। हालांकि इसमें शिकायत करने से पहले अभिभावकों को स्कूल के प्रिंसिपल से शिकायत करनी होगी। यदि 15 दिन में स्कूल समस्या का हल नहीं करते हैं तो मंडल स्तर पर कमेटी में शिकायत की जा सकेगी।
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