बेसिक शिक्षा विभाग की कारगुजारी आए दिन सामने आती रहती हैं। अब एक नया मामला सामने आया है। दरअसल, विभाग ने बीते मार्च में संपन्न हुई परीक्षाएं 11 विषय की कराई हैं और परिणाम पत्र में नौ विषय दर्शाकर अपने काम की इतिश्री कर दी। इस तरह के प्रमाण पत्र जब क्षेत्र में बच्चों को वितरित किए गए तो चर्चा का विषय बन गए। अभिभावक बेसिक शिक्षा विभाग पर सवाल उठा रहे हैं।
बीते मार्च माह में बेसिक शिक्षा विभाग ने परिषदीय स्कूलों में कुल 11 विषयों की परीक्षा संपन्न कराई थी। 31 मार्च को परीक्षाफल वितरित करके विभाग ने नया सत्र शुरू कर दिया। कुछ अभिभावकों ने अपने बच्चों का प्रमाण पत्र देखा तो वह चकित रह गए। प्रमाण पत्र में मात्र नौ विषयों के नंबर अंकित किए गए हैं, जबकि विद्यार्थियों ने परीक्षा कुल 11 विषयों की दी है। इसमें से विज्ञान और खेल एवं व्यायाम विषय गायब कर दिए गए। कुछ अभिभावकों ने बताया कि बेसिक शिक्षा विभाग की यह कारगुजारी पहली बार नहीं हुई है। बीते 2016-17 के सत्र में भी खेल एवं स्वास्थ्य विषय गायब कर दिया गया था।
ऐसे हुआ खुलासा
ऊंचागांव क्षेत्र के कुछ अभिभावकों कक्षा आठ पास कर चुके अपने बच्चों को अन्य स्कूल में प्रवेश दिलाने गए। प्रमाण पत्र से विज्ञान विषय गायब देख संबंधित विद्यालय ने प्रवेश लेने से इन्कार कर दिया। बात फैली तो चर्चा का विषय बन गई। इसके बाद क्षेत्र के कई लोग खंड शिक्षा अधिकारी ऊंचागांव से मिलने पहुंचे, लेकिन वह कार्यालय में नहीं मिली। कार्यालय से पता चला कि उन पर स्याना ब्लाक का अतिरिक्त चार्ज होने के कारण सप्ताह में एक या दो बार ही आती हैं। बेसिक शिक्षा विभाग की इस लापरवाही का खामियाजा विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है। प्रमाण पत्रों को फर्जी बताकर कक्षा आठ पास करके आए विद्यार्थियों को अन्य स्कूल प्रवेश नहीं दे रहे हैं।
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