बिलारी के प्राइमरी स्कूल, ग्राम मकरन में 124 बच्चे हैं और शिक्षक एक है। जबकि मानक एक शिक्षक पर 35 बच्चों का है। इस हिसाब से चार शिक्षक होने चाहिए। इस स्कूल में हेड मास्टर अशोक कुमार शारीरिक रूप से दिव्यांग हैं। इनके ऊपर मिड-डे मील बनवाने, सूचनाएं भेजने और पढ़ाने की जिम्मेदारी है। उनका कहना है कि 2017 में चार शिक्षक थे लेकिन अब वह अकेले रह गए हैं।
नगर क्षेत्र में नवाबपुरा स्थित कन्या प्राइमरी स्कूल में 77 बच्चे हैं। इस स्कूल में अकेले हेड मास्टर विमल किशोर पिछले ढाई साल से हैं। नगर के स्कूलों में मानक से ज्यादा शिक्षकों की भरमार है लेकिन इस स्कूल में एक ही शिक्षक है। हेड मास्टर का कहना है कि इस बारे में कई बार विभाग को बता चुके हैं।
बिलारी के हाथीपुर बुद्दीन स्थित प्राइमरी स्कूल में 50 बच्चे हैं। इस स्कूल में एक शिक्षामित्र हैं। नए सत्र में तीन शिक्षक थे लेकिन यू डायस पर जो सूचना शासन को भेजी है उसमें एक शिक्षक है। शिक्षामित्र सोनी सिंह कहती हैं कि शिक्षा मित्र समेत दो शिक्षक और थे।
डिलारी के बहादुरगंज स्थित प्राइमरी स्कूल में 50 बच्चे हैं, इसमें भी एक सहायक अध्यापक है। हेड मास्टर न होने से इनको ही पढ़ाने से लेकर सभी काम देखने पड़ते हैं। सहायक अध्यापक सुशील कुमार कहते हैं कि जुलाई से स्कूल खुलेंगे तो अकेले बच्चों की पढ़ाई व सूचनाएं देने के काम में दिक्कत आएगी।1नगर क्षेत्र का गांधी पार्क स्थित प्राइमरी स्कूल भी एकल शिक्षक के भरोसे चल रहा है। इस स्कूल में एबीआरसी का कार्यालय भी है। बच्चों की संख्या करीब 40 है। हालांकि मानक से पांच ही बच्चे अधिक हैं लेकिन दो शिक्षकों की जरूरत यहां भी है। हेड मास्टर सुशीला देवी ने इस विषय में कुछ भी कहने से इन्कार कर दिया।
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