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Monday, July 9, 2018

प्रतापगढ़ : शिक्षकों की तलाश तक बंद रहेंगे अंग्रेजी मॉडल स्कूलों के कपाट

जागरण प्रतापगढ़ : प्राइमरी स्कूलों को कान्वेंट की तर्ज पर आगे बढ़ाने की सरकार की मंशा को इस जिले में तगड़ा झटका लगा है। दो दर्जन ऐसे मॉडल स्कूल हैं, जहां के लिए 350 शिक्षकों की नियुक्ति होनी थी और अभी तक एक भी शिक्षक की तलाश पूरी नहीं हो पायी है। ऐसे में इन मॉडल स्कूलों के कपाट बंद रहेंगे और यहां के बच्चों की शिक्षा के कोरम की औपचारिकता भी पूरी नहीं हो पाएगी। बेसिक शिक्षा विभाग ने जिले के 132 प्राइमरी स्कूलों को कान्वेंट की तर्ज पर अंग्रेजी माध्यम से इसी सत्र से संचालित करने के लिए चयनित किया था। इन विद्यालयों में 640 शिक्षकों की जरूरत थी। इनमें से 290 शिक्षक ही अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाने के लिए आवेदन किए थे। इन सभी की नियुक्ति कर दी गई है। इनसे 107 स्कूलों को तो संचालित कर दिया गया है, लेकिन 25 स्कूल ऐसे हैं, जिनका संचालन अभी तक नहीं हो सका है।

बेसिक शिक्षा विभाग ने वर्ष 2015 में जिले के दो विद्यालयों प्राइमरी स्कूलों राजगढ़ व प्राइमरी स्कूल डोमीपुर भुआलपुर को मॉडल प्राइमरी स्कूल बनाकर अंग्रेजी माध्यम से बच्चों को शिक्षा देने की शुरुआत की। इन विद्यालयों के खुल जाने से आसपास के नर्सरी स्कूल जहां बंद हो गए वहीं इन स्कूलों में बच्चों की संख्या भी निरंतर बढ़ती गई। अब इन विद्यालयों में प्रोजेक्टर से पढ़ाई कराई जा रही है तो बच्चों व शिक्षकों की उपस्थिति टच मशीन से हो रही है। इसके अच्छे परिणाम मिलने पर इस साल से जिले के सभी ब्लाकों में आठ-आठ स्कूलों को चिह्नित कर उनमें अंग्रेजी माध्यम से चलाने का निर्णय लिया। जिले के कुल 132 स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई का निर्णय लेते हुए शिक्षकों की तैनाती के लिए प्रक्रिया शुरू की गई। अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाने के लिए कुल 290 शिक्षकों ने आवेदन किया। इन सभी का टेस्ट लेकर अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में नियुक्त कर दिया गया। इन शिक्षकों से 107 स्कूलों को तो संचालित कर दिया गया लेकिन अभी भी 25 ऐसे विद्यालय हैं, जिन्हें संचालित नहीं किया जा सका। अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को ठीक ढंग से संचालित करने के लिए 350 शिक्षकों की आवश्यकता है। जुलाई माह का पहला सप्ताह बीतने के बाद भी इन स्कूलों में न तो शिक्षकों की नियुक्ति हुई और न ही संचालन शुरू हो सका, जबकि अभिभावक इन विद्यालयों में बच्चों का प्रवेश कराने में अत्यधिक रुचि दिखा रहे हैं। खास बात यह है कि अभी तक मॉडल प्राइमरी स्कूलों में एक भी पाठ्यपुस्तकों का वितरण नहीं हो सका।

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