DISTRICT WISE NEWS

अंबेडकरनगर अमरोहा अमेठी अलीगढ़ आगरा इटावा इलाहाबाद उन्नाव एटा औरैया कन्नौज कानपुर कानपुर देहात कानपुर नगर कासगंज कुशीनगर कौशांबी कौशाम्बी गाजियाबाद गाजीपुर गोंडा गोण्डा गोरखपुर गौतमबुद्ध नगर गौतमबुद्धनगर चंदौली चन्दौली चित्रकूट जालौन जौनपुर ज्योतिबा फुले नगर झाँसी झांसी देवरिया पीलीभीत फतेहपुर फर्रुखाबाद फिरोजाबाद फैजाबाद बदायूं बरेली बलरामपुर बलिया बस्ती बहराइच बागपत बाँदा बांदा बाराबंकी बिजनौर बुलंदशहर बुलन्दशहर भदोही मऊ मथुरा महराजगंज महोबा मिर्जापुर मीरजापुर मुजफ्फरनगर मुरादाबाद मेरठ मैनपुरी रामपुर रायबरेली लखनऊ लख़नऊ लखीमपुर खीरी ललितपुर वाराणसी शामली शाहजहाँपुर श्रावस्ती संतकबीरनगर संभल सहारनपुर सिद्धार्थनगर सीतापुर सुलतानपुर सुल्तानपुर सोनभद्र हमीरपुर हरदोई हाथरस हापुड़

Friday, July 6, 2018

सुल्तानपुर : नहीं पहुंची पाठ्य पुस्तकें, बच्चे अदल-बदल कर पढ़ रहे किताब

संवादसूत्र, सुलतानपुर : सरकारी बेसिक स्कूलों को सीबीएसइ की तर्ज पर निजी स्कूलों के मुकाबिल बनाने की चल रही मुहिम को लालफीताशाही पलीता लगा रही है। सत्र शुरू हुआ अप्रैल में। डेढ़ माह पढ़ाई हुई, फिर गर्मी की छुट्टी हो गई। अब जब स्कूल खुले तब भी बच्चों के लिए निश्शुल्क पाठ्य पुस्तकों की व्यवस्था नहीं हो सकी है। अदला-बदली कर किसी तरह नौनिहाल पढ़ाई कर रहे हैं।

जिले में परिषदीय विद्यालयों की तादाद है 1735, जबकि छठीं से आठवीं कक्षा तक उच्च प्राथमिक विद्यालयों की संख्या 612 है। इनमें 2 लाख 21 हजार 129 विद्यार्थी अध्ययन हैं। सर्वशिक्षा अभियान के अंतर्गत शत-प्रतिशत बच्चों को साक्षर बनाने के लिए तमाम योजनाएं संचालित हैं। इन्हीं में से एक है निश्शुल्क पाठ्य पुस्तक वितरण। जिसके अंतर्गत महकमा आठवीं कक्षा तक के सभी बच्चों को मुफ्त किताबें मुहैया कराता है। लेकिन सत्र शुरू हुए करीब दो माह बीतने को हैं, अभी तक शासन पाठ्य पुस्तक नहीं मुहैया करा पाया है। जिसके चलते बच्चे अदल-बदलकर किताबें पढ़ने को मजबूर हैं। किताबें न होने से बड़े पैमाने पर कठिनाइयां भी पेश आ रही हैं। शिक्षकों को अपने-अपने विद्यालयों में पुरानी किताबें एकत्र करनी पड़ रही हैं। जिससे येन-केन-प्रकारेण बस औपचारिकता ही निभाई जा रही हैं। वहीं बेसिक शिक्षा अधिकारी केके सिंह कहते हैं कि निश्शुल्क पाठ्य पुस्तकों का क्रय आदेश जारी किया जा चुका है। आपूर्ति होते ही पुस्तकों का वितरण का सिलसिला शुरू हो जाएगा। विभाग ने पहले ह इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था कर रखी है। पुरानी पुस्तकें जमा करा ली गई थीं। जिनसे काम चल रहा है। उल्लेखनीय है कि पिछले सत्र मे भी स्कूल खुलने के बाद भी बच्चों को किताबें नहीं मिल सकी थीं।

नगर के राजकीय इंटर कॉलेज में व्यवस्था की बदहाली का गवाह है, डेढ़ माह से धराशायी विशालकाय वटवृक्ष। विद्यालय में आठवीं कक्षा तक के बच्चों के लिए मिड-डे-मील योजना संचालित की जाती हैं। जिस प्रांगण और हॉल में रसोई है और नौनिहालों के भोजन का इंतजाम है उसके रास्ते में जड़ से उखड़ा यह वट वृक्ष पड़ा हुआ है। विद्यालय के जिम्मेदार इसे हटवा भी नहीं पाए। और तो और गंदगीयुक्त जर्जर भवन के हालात भी हकीकत बयां करने के लिए काफी हैं। जिस जगह बच्चे भोजन करते हैं, उसके हालात स्वच्छता अभियान को आइना दिखा रहे हैं।

No comments:
Write comments