अमरकांत सिंह,
बीएसए
सवाल ये हैं
आपके लिखित निर्देश के बाद भी निजी स्कूल दाखिला नहीं दे रहे। क्या कार्रवाई हो रही है/
स्कूलों को नोटिस दिया जा रहा है। 15 दिन के अंदर पक्ष रखने को कहा गया है।
कितने स्कूलों को नोटिस दिया जा चुका है। क्या उन्होंने दाखिला लिया/
नोटिस देने के बाद भी स्कूलों को कुछ समय दिया गया है अपना पक्ष रखने को।
अभी तक कितनों ने नोटिस का जवाब या दाखिला दिया/
एक सप्ताह में छह स्कूलों को नोटिस दिया गया है। जागरण पब्लिक और एमाकुलेंट में भी नोटिस पहुंच जाएगा।
नोटिस के बाद भी जवाब नहीं आया तो क्या करेंगे/
सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड में परेशानी है। ऐसे में इनके बोर्ड को स्कूल की मान्यता कैंसल करने को कहा जाएगा।
इन स्कूलों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवा शासन को क्यों नहीं सूचित करते/
इस बारे में बात की जाएगी। एक सप्ताह के भीतर शासन को भी रिपोर्ट भेज दी जाएगी।
केस
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केस
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आरटीई के तहत सूची में नाम आने के बाद गोमतीनगर स्थित एक निजी स्कूल में बहन का ऐडमिशन करवाने पहुंचे दिव्यांग को दो घंटे गेट के बाहर खड़ा रखा गया। दिव्यांग विजय के अनुसार, बहन लक्ष्मी गौतम का नाम आरटीई सूची में आने के बाद बीएसए कार्यालय से पत्र भी मिला था। वहीं, प्रबंधक ने बीएसए कार्यालय से कोई पत्र मिलने से इनकार किया है।
चिनहट प्रथम वॉर्ड निवासी शैलेंद्र यादव ने अपने बेटे शेर सिंह के दाखिले के लिए आरटीई के तहत आवेदन किया। पहली बार उन्हें दूसरे वॉर्ड का स्कूल अलॉट कर दिया गया। दोबारा आवेदन पर जागरण पब्लिक स्कूल मिला, लेकिन वहां गए तो स्कूल ने लिस्ट न होने की बात कहकर लौटा दिया। तीसरी बार बीएसए कार्यालय से लिस्ट और दाखिले के आदेश की कॉपी लेकर गए, लेकिन स्कूल ने फिर लौटा दिया।
मुफ्त दाखिला तो दूर दाखिल तक नहीं होने देते निजी स्कूल
6000
महज मुफ्त दाखिले हो सके हैं
12000
मुफ्त दाखिले होने हैं लखनऊ में
आरटीई का शहर में हाल
स्कूल प्रबंधकों की मनमानी
सरकारी पत्र ले जाने पर भी लौटाए जा रहे अभिभावक• एनबीटी संवाददाता, लखनऊ : शिक्षा के अधिकार (आरटीई) के तहत सरकारी पत्र जारी होने के बाद भी निजी स्कूल मुफ्त दाखिला तो दूर बच्चों और उनके अभिभावकों को कैम्पस में दाखिल तक नहीं होने दे रहे। मुफ्त दाखिले के लिए स्कूल पहुंचने वाले लोगों को कभी वॉर्ड गलत होने के बहाने परेशान किया जाता है तो कभी लिस्ट न होने के बहाने।
कई मामलों में बीएसए ने खुद स्कूलों को पत्र लिखकर दाखिले के निर्देश दिए, लेकिन स्कूल प्रबंधकों को इन पत्रों पर भी ध्यान नहीं देते। स्कूल से लौटाए गए अभिभावक बीएसए से इसकी शिकायत भी कर चुके हैं। इसके बावजूद निजी स्कूलों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही। इस पर सामाजिक कार्यकर्ता विजय गुप्ता ने बीएसए पर निजी स्कूलों के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया है।
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