जागरण संवाददाता, मुरादाबाद : अल्पसंख्यकों में शिक्षा का स्तर सुधारने व समाज को मुख्य धारा से जोड़ने की शुरू हो गई है। राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद ‘एनसीआईटी’ ने भी अल्पसंख्यक आबादी में स्कूल खोलने एवं उनकी संस्कृति को पाठयक्रम में उचित स्थान देने की सिफारिश की है। प्रधानमंत्री जन विकास योजना के तहत भी अल्पसंख्यक बाहुल्य गांवों में बालिकाओं की शिक्षा व स्वास्थ्य के लिए स्कूल, कालेज व स्वास्थ्य केंद्र व उप केंद्र खोलने की हिदायत दी गई है।
एनसीआईटी की सिफारिश: एनसीआईटी ने अल्पसंख्यकों की संस्कृति को पाठयक्रम में उचित स्थान देने की सिफारिश की है, ताकि उनके साथ होने वाले भेदभाव व समस्याओं का समाधान हो सके। एनसीआईटी ने स्कूलों में अल्पसंख्यकों से जुड़े पर्व मनाने का भी सुझाव दिया है। साथ ही शिक्षकों को प्रशिक्षण देने की भी सिफारिश की है। माना है कि अल्पसंख्यक बच्चों को स्कूल एवं कक्षा में अलग माहौल होने के कारण भेदभाव से गुजरना पड़ता है।
सौ करोड़ रुपये के प्रस्ताव: चालू वित्तीय वर्ष में प्रधानमंत्री जन विकास योजना के तहत सौ करोड़ रुपये के प्रस्ताव भेजने का मंसूबा तैयार किया गया है। विभागों से भी प्रस्ताव मांगे गए हैं। प्रधानों से ग्राम समाज की भूमि मुहैया कराने को कहा गया है ताकि प्रस्तावित भूमि पर निर्माण कार्य कराया जा सके।पीएमजेवीवाई के तहत कमोबेश सौ करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजने का मंसूबा है। प्रधान अगर जमीन देने चाहेंगे तो उसे स्वीकार किया जाएगा। प्राथमिकता के आधार पर निर्माण कराया जाएगा। अंजना सिरोही , जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारीप्रधानमंत्री जन विकास योजना
शासन ने अल्पसंख्यक बाहुल्य गांवों के विकास के लिए चलाई जा रहीं मल्टी सेक्टोरल योजना ‘एमएसडीपी’ को बंद कर दिया है। इन गांवों के विकास के लिए नए प्रस्ताव नई योजना के नाम से भेजे जाएंगे। बीते एक दशक में कमोबेश सौ करोड़ रुपये अल्पसंख्यक बाहुल्य गांवों में स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र, आंगनबाड़ी केंद्र, आईटीआई, पेयजल आदि पर खर्च किए जा चुके हैं।
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