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Tuesday, August 28, 2018

फतेहपुर : कुव्यवस्था ने बिगाड़ा बच्चों की थाली का स्वाद, आधा सैकड़ा स्कूलों में चूल्हे पर बनता भोजन

कळ्व्यवस्था ने बिगाड़ा बच्चों की थाली का स्वाद

जागरण संवाददाता, फतेहपुर : मध्याह्न भोजन (एमडीएम) की योजना शासन ने लागू करके कक्षा 8 तक पढ़ने वाले छात्र-छात्रओं को पौष्टिक भोजन परोसे जाने का निर्णय लिया था। योजना क्रियान्वित भी है लेकिन निगरानी के लिए नियुक्त अधिकारियों की व्यस्तता के चलते इसकी मानीटरिंग का काम नहीं हो पा रहा है। स्कूलों में गर्मागर्म भोजन गुणवत्ता और मानक के विपरीत है या फिर फिट है इसकी तहकीकात करने की महज औपचारिकता निभाई जा रही है।

बेसिक और माध्यमिक शिक्षा, मदरसों में कक्षा 8 तक में पढ़ने वालों को मध्यावकाश में एमडीएम परोसा जाता है। शुरुआती दिनों में एमडीएम में जब बुधवार को दूध बांटने की बात आई तो खाद्य विभाग को सैंपल भरने की जिम्मेदारी दी गई। इस काम में विभाग ने शुरुआत में तेजी दिखाई लेकिन अब जांच का काम ठंडे बस्ते में चला गया है। स्कूलों में सैंपल भरने के लिए खाद्य विभाग के अधिकारी दिखाई नहीं दे रहे हैं। इसी तरह भोजन की गुणवत्ता को निरीक्षण करने वाले अधिकारी चख कर जांचते हैं। कभी यह नहीं जांच पाते हैं कि सब्जी में कितना खाद्य सामग्री डाली गई है। तैयार भोजन में मानक की जांच करने का दूसरा कोई साधन अधिकारियों के पास नहीं है। प्रतिदिन की मानीटरिंग न होने के चलते खाना न बनने पर भी आन लाइन फर्जी सूचना दे दी जाती है।

आधा सैकड़ा स्कूलों में चूल्हे पर बनता भोजन : शासन ने भले की पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए लकड़ी के चूल्हे को पूरी तरह से प्रतिबंधित बना रखा है। जिसके लिए विद्यालयों को गैस कनेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं। विद्यालयों को मिले कनेक्शन पर चोरों ने निगाह टिका दी है। आए दिन विद्यालयों से सिलेंडर-भट्टी आदि चोरी हो रहे हैं। बीते समय की बात करें तो करीब 60 विद्यालय ऐसे हैं जहां पर चोरी के बाद चूल्हे पर खाना बनवाया जा रहा है।

प्रोटीन-कैलोरी से भरा है एमडीएम : एमडीएम में बच्चे का भोजन प्रोटीन और कैलोरी का पर्याप्त सम्मिश्रण है। जिस तरह से मानक को ध्यान में रखकर एमडीएम तैयार किया गया है। उसमें प्राथमिक स्तर पर गेहूं चावल की मात्र 100 ग्राम है तो इसमें 450 कैलोरी और 12 ग्राम प्रोटीन की मात्र प्रत्येक बच्चे के अंदर जाती है। इसी तरह उच्च प्राथमिक स्तर में आनाज की मात्र 150 ग्राम, 700 कैलोरी और 20 ग्राम प्रोटीन प्रति बच्चे को दिए जाने की योजना है।प्राथमिक स्तर पर 4.13 रुपये तथा उच्च प्राथमिक स्तर पर 6.18 रुपये का भुगतान दिया जाता है।

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