इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि यूपी स्ववित्त पोषित स्कूल (फीस रेग्यूलेशन) एक्ट 2018 के दायरे में अल्पसंख्यक संस्थाएं भी आएंगी। कोर्ट ने कहा कि इन संस्थाओं को इस मामले में अनुच्छेद 30(1) में हासिल विशेषाधिकार लागू नहीं होगा।.
यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर एवं न्यायमूर्ति एसएस शमशेरी की खंडपीठ ने डायोसिस अफ़ वाराणसी एजूकेशन सोसायटी व नौ अन्य की याचिकाओं को खारिज करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा कि रेग्युलेशन का उद्देश्य शैक्षिक संस्थाओं में मनमानी फीस वृद्धि और शिक्षा के व्यवसायीकरण को रोकना है। सरकार को अल्पसंख्यक संस्थाओं के दैनिक कार्य में हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है लेकिन फीस वृद्धि के संबंध में लगाए गए प्रतिबंध पूरी तरह सही हैं। याचिकाओं में यूपी स्ववित्त पोषित स्कूल (फीस रेग्यूलेशन) एक्ट 2018 को चुनौती दी गई थी। कहा गया था कि अल्पसंख्यक संस्थाओं को संविधान के अनुच्छेद 30(1) के तहत संरक्षण प्राप्त है इसलिए वे इस एक्ट के दायरे में नहीं आएंगी। ऐसे में सरकार को अल्पसंख्यक संस्थाओं के कार्य में हस्तक्षेप और वहां फीस निर्धारित करने का अधिकार नहीं है।
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