यूपी के सरकारी स्कूल अब पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल पर भी चलेंगे। इसका मतलब है कि सरकार स्कूलों की बिल्डिंग (इंफ्रास्ट्रक्चर) देगी और संचालन प्राइवेट संस्थाओं व निजी व्यक्तियों को दिया जाएगा। इस संबंध में तथा अन्य महत्वपूर्ण प्रकरणों में नीति निर्धारण एवं क्रियान्वयन में सहायता करने के लिए विभाग में एक विशेष कार्याधिकारी /सलाहकार का पद सृजित किया जा सकता है।
माध्यमिक शिक्षा निदेशक विनय कुमार पांडेय ने पिछले दिनों अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक, उप शिक्षा निदेशक शिविर और सहायक शिक्षा निदेशक खेल को पत्र लिखकर पीपीपी मॉडल के संबंध तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी नई व्यवस्था लागू करने में रुचि ली है।
पहले भी हो चुकी पीपीपी : मॉडल अपनाने की कोशिश
इससे पहले भी पीपीपी मॉडल पर स्कूल चलाने की कोशिश हो चुकी है। लेकिन यह व्यवस्था अपनाने से पहले ही फेल हो गई थी। ग्रामीण क्षेत्र के छात्र-छात्राओं को गुणवत्तापरक शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से केंद्र सरकार की पहल पर प्रदेश के 680 ब्लॉकों में विभिन्न चरणों में स्कूल खोले जाने थे। 2010-11 में 148 और 2012-13 में 45 स्कूल स्वीकृत किए गए। इनमें से 191 स्कूल बनकर तैयार भी हो गए। लेकिन बाद में केंद्र सरकार ने योजना डी-लिंक कर दी। इसके बाद इन तैयार स्कूलों को जुलाई 2015 से पीपीपी मॉडल के तहत चलाने की कोशिश हुई लेकिन कोई स्कूल इस तर्ज पर शुरू नहीं किया जा सका।
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