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Sunday, November 10, 2019

बाराबंकी : फर्जी मार्कशीट लगाने वाले पिता-पुत्र को जेल, एसटीएफ का खुलासा : गलत तरीके से बने थे परिषदीय शिक्षक

पिता 1997 और पुत्र 2010 से कर रहे थे सरकारी नौकरी• पूछताछ में सरगना समेत 10 अन्य नामों का खुलासा• एनबीटी, बाराबंकीः एसटीएफ ने हैदरगढ़ तहसील के प्राइमरी स्कूल गेरावां व पूरे चौबे में बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षक के पद पर नौकरी कर रहे पिता-पुत्र को रविवार को जेल भेजा है। इनको कोर्ट के समक्ष पेश किया गया। जहां से दोनों को 14 दिन की न्यायिक अभिरक्षा में भेजने के आदेश दिया है। इन शिक्षकों पर आरोप है कि इन लोगों ने दूसरे के शैक्षिक अभिलेखों का प्रयोग कर नौकरी पाई और लंबे समय तक वेतन लेते रहे। पूछताछ में इन लोगों ने गैंग के गोरखपुर के सरगना का भी खुलासा किया है। साथ ही फर्जी अभिलेख से नौकरी कर रहे 10 अन्य शिक्षकों के नाम भी बताए हैं। कोतवाली पुलिस ने मामले में सरकारी धन के गबन, फर्जी अभिलेख तैयार कर झांसा देने आदि की धारा में मुकदमा दर्ज किया है।
निलंबन के बाद से चल
रहे थे फरार
एसटीएफ के इंस्पेक्टर विजेंद्र शर्मा ने बताया कि कुछ दिन पहले जय कृष्ण दुबे नाम के  एक शख्स ने कार्यालय में आकर बताया कि उसके शैक्षिक अभिलेखों का प्रयोगकर गोरखपुर निवासी एक शख्स बाराबंकी के हैदरगढ़ तहसील के प्राइमरी स्कूल गेरावां में शिक्षक पद पर नौकरी कर रहा है। इस पर बाराबंकी के बीएसए वीपी सिंह से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि संदेह पर इस शख्स के शैक्षिक अभिलेख मांगे गए थे, इस पर वह शिक्षक ड्यूटी से फरार हो गया है। इस कारण उसको नवंबर 2018 में निलंबित किया जा चुका है।
यह भी पता चला कि प्राइमरी स्कूल पूरे चौबे में तैनात शिक्षक रविशंकर त्रिपाठी भी इसी तरह से एक जुलाई 2017 से फरार है। वह भी निलंबित है। इस आधार पर शनिवार रात बाराबंकी के आवास विकास कॉलोनी में छापा मारकर दोनों को हिरासत में लिया गया। यह दोनों पिता-पुत्र निकले। कथित जयकृष्ण दुबे की तलाशी में उसके पास से गिरिजेश पुत्र रामप्रसाद त्रिपाठी निवासी विकासनगर लखनऊ के पते का पैन कार्ड मिला। उसके बेटे आदिशक्ति पुत्र गिरिजेश त्रिपाठी निवासी गोपालपुर गोरखपुर लिखा वोटर आईडी मिला। जबकि उसने अपना नाम पूछताछ में रविशंकर पुत्र बलराम त्रिपाठी बताया था।
साढ़े तीन लाख में तैयार कराए फर्जी अभिलेख
पूछताछ में गिरिजेश उर्फ जयकृष्ण ने बताया कि वर्ष 1997 में उसके संपर्क में खजनी गोरखपुर के मनोज गुप्ता आए। उन्होंने फर्जी अभिलेख तैयार करने के बदले उससे साढ़े तीन लाख रुपये लिए। उसका आवेदन बेसिक शिक्षा विभाग में वर्ष 1997 में कराया। इस पर उसको वर्ष 1997 में बलरामपुर में नौकरी मिली मिली थी। इसके बाद उसने अपना तबादला महाराजगंज में करा लिया। फिर वर्ष 2016 में बाराबंकी के लिए तबादला करा लिया। इसी तरह उसके बेटे आदिशक्ति  को मनोज गुप्ता ने वर्ष 2010 में बाराबंकी में शिक्षक पद पर रविशंकर त्रिपाठी के नाम से नौकरी दिलाई। वर्ष 2015 में यह ड्यूटी से गायब हो गया लेकिन पर फिर वर्ष 2017 में पदभार संभाल लिया। फरारी माह का उसका अवकाश स्वीकृत कर दिया गया।
बीएसए बोले- विभाग में चल रही थी कार्रवाई
बीएसए वीपी सिंह ने बताया कि पकड़े गए जयकृष्ण उर्फ गिरिजेश त्रिपाठी ने आंबेडकरनगर के निवासी जयकृष्ण के शैक्षिक अभिलेखों का प्रयोग किया था। वास्तविक जयकृष्ण गोंडा के नवाबगंज ब्लॉक में शिक्षक हैं। उसके अभिलेख डुप्लिकेट तैयार किए गए थे। वेतन के लिए फर्जी आधार व पैनकार्ड तैयार कराए गए। जयकृष्ण को जब निलंबित किया गया तो उसने हाई कोर्ट में शरण ली।
कोर्ट ने जांच के आदेश दिए तो दो बीईओ की कमिटी ने भी शैक्षिक अभिलेखों पर संदेह जताया तो अगस्त 2019 में निलंबन अवधि का भत्ता भुगतान रोक दिया गया। इधर, विभाग ने नवनीता, सुरेंद्र व वेदप्रकाश को पहले से बर्खास्तगी की नोटिस दे रखी है।
गैंग लीडर सहित 10 अब भी नौकरी मे
पूछताछ में सामने आया कि फर्जीवाड़े का गैंग लीडर मनोज गुप्ता व उसका साथी ओंकार पांडेय उर्फ कमलेंद्र फर्जी अभिलेख से बलरामपुर व महाराजगंज में शिक्षक पद पर नौकरी कर रहे हैं। इसी तरह महाराजगंज में अनुपम दूबे, सुभाष पांडेय, गोरखपुर में गुजेश्वर पांडेय, दुर्गावती तिवारी नौकरी कर रही हैं। इसी तरह से बाराबंकी के हैदरगढ़ ब्लॉक में आशुतोष सिंह, वेदप्रकाश सिंह, सुरेंद्र नाथ व मसौली ब्लॉक में नवनीता यादव नौकरी कर रही हैं।
एसटीएफ ने छापेमारी कर पिता-पुत्र को गिरफ्तार किया

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