
Saturday, December 26, 2020
Wednesday, July 29, 2020

चित्रकूट मण्डल : चार फीसदी पर अटकी राशन और कन्वर्जन कास्ट की योजना, छह लाख में से 24 हजार बालकों को ही मिल पाया लाभ
बांदा : लॉकडाउन के दौरान बंद परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को घर बैठे राशन व पैसा देने की योजना चित्रकूट धाम मंडल में परवान नहीं चढ़ पाई। महज चार फीसदी बच्चों को ही योजना का लाभ मिला है। चारों जनपदों में छह लाख बच्चों में सिर्फ 24 हजार बच्चों को ही पैसा और राशन मिला है। अधिकारी बजट का अभाव बता रहे हैं।
प्रदेश सरकार ने लॉकडाउन के दौरान 24 मार्च से 26 जून तक बंद रहे परिषदीय स्कूलों के पहली कक्षा से 8वीं तक के बच्चों को सर्व शिक्षा अभियान के तहत 76 दिन के मिड-डे मील का राशन और कन्वर्जन कास्ट का पैसा देने के निर्देश दिए थे। चित्रकूट धाम मंडल के चारों जनपदों में 9,684 विद्यालय हैं। इनमें 6,03,880 बच्चे पंजीकृत हैं। स्कूल बंद रहने के दौरान मिड-डे मील के राशन और कन्वर्जन कास्ट का लाभ सिर्फ 24,603 बच्चों को मिल पाया है। यह मात्र चार फीसदी है। 5,79,277 बच्चे राशन व पैसा पाने से वंचित हैं। परिषदीय व प्राइमरी स्कूल के प्रत्येक बच्चे को 76 दिन का राशन कुल 7 किलो 600 ग्राम और कन्वर्जन कास्ट प्रति बालक 4.14 रुपये की दर से तथा जूनियर में 11 किलो 400 ग्राम राशन और कन्वर्जन कास्ट प्रति बालक 5.66 रुपये की दर से दी जानी है। राशन कोटे की दुकान से मिलेगा। कन्वर्जन कास्ट का पैसा खाते में भेजा जाएगा।
लॉकडाउन में स्कूलों के बंद रहने की अवधि के मिड-डे मील के लिए शासन ने फिलहाल कुल 40 फीसदी बजट दिया है। यह खर्च किया जा चुका है। शेष बजट के लिए शासन को पत्र भेजकर अनुरोध किया गया है।
गंगा सिंह राजपूत, अपर निदेशक (बेसिक शिक्षा) चित्रकूट धाम मंडल, बांदा
Monday, January 6, 2020
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Wednesday, August 14, 2019
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Tuesday, January 8, 2019
Friday, November 2, 2018

चित्रकूट : भोजन स्कूल में, प्यास बुझाने तालाब जाते बच्चे, सालों से विद्यालय में पेयजल संकट, पांच वर्ष से शिक्षा विभाग सिर्फ चिट्ठी लिखने तक सीमित
भोजन स्कूल में, प्यास बुझाने तालाब जाते बच्चे
प्राथमिक विद्यालय गहोई पुरवा में सालों से पेयजल संकट , पांच वर्ष से शिक्षा विभाग सिर्फ चिट्ठी लिखने तक सीमित
अव्यवस्था
संवाद सहयोगी मानिकपुर (चित्रकूट) :जिले की मानिकपुर तहसील का पाठा इलाका अर्से से पेयजल संकट से जूझ रहा है। यहां एक परिषदीय स्कूल के दर्जनों नौनिहाल व शिक्षक भी इससे बेहाल हैं। क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय गहोई पुरवा में मिड डे मील स्कूल परिसर में करने के बाद प्यास बुझाने व बर्तन साफ करने के लिए बच्चों को कुछ दूर स्थित तालाब जाना पड़ता है। हैरत की बात यह है कि पांच साल से व्यवस्था देखने वाले जिम्मेदार सिर्फ चिट्ठी लिखने तक सीमित हैं। बीएसए ने बताया कि मामला संज्ञान में है। डीएम से अनुरोध करने पर जल निगम को हैंडपंप लगाने निर्देश दिए गए हैं।
मानिकपुर ब्लाक के ग्राम पंचायत चरदहा में गहोई पुरवा में तकरीबन छह साल पहले प्राथमिक विद्यालय भवन निर्माण के साथ पढ़ाई शुरू हुई थी। यहां पर शुरुआत से पेयजल का संकट था। साल दर साल बीतते गए लेकिन अब तक हालात नहीं बदले हैं। ग्रामीणों के मुताबिक विद्यालय में मिड डे मील बनाने के लिए एक किमी दूर से रसोइया पानी लाते हैं।
बच्चे अपने लिए पानी की व्यवस्था खुद करते हैं। रोजाना घरों से बोतल में पानी लेकर जाते हैं। किसी वजह से भूलने पर स्कूल के पास स्थित तालाब एक मात्र सहारा है। तकरीबन 50 बच्चे स्कूल में पंजीकृत हैं। यह प्रतिदिन भोजन करने के बाद पानी पीने, हाथ धोने व बर्तन साफ करने को तालाब जाते हैं। विद्यालय प्रधानाचार्य रणमति सिंह ने बताया कि ग्राम प्रधान समेत विभागीय अफसरों को कई बार जानकारी दी गई पर हल नहीं निकला। बीएसए प्रकाश सिंह ने बताया कि एक माह पहले जिलाधिकारी को जानकारी देकर समाधान कराने का अनुरोध किया था। जल निगम को हैंडपंप लगाने के लिए निर्देश जारी हो चुके हैं। जल्द हैंडपंप लगते ही व्यवस्था दुरुस्त हो जाएगी।
हो सकता बड़ा हादसा: बरसात में तालाब में पानी बढ़ जाता है। किनारे पर फिसल होने से किसी दिन पानी पीने या बर्तन धोते समय बच्चे तालाब में गिर सकते हैं। इससे बड़े हादसे को लेकर इन्कार नहीं किया जा सकता है। गांव के प्रधान और विभागीय अधिकारियों की अनदेखी बरकरार रही तो किसी दिन समस्या तय है। बच्चों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।तालाब में पानी पीने व बर्तन धोने पहुंचे प्राथमिक विद्यालय के बच्चे