
Friday, February 15, 2019
Thursday, November 22, 2018
Monday, October 15, 2018
Tuesday, May 15, 2018
Monday, March 19, 2018
Thursday, March 15, 2018

फतेहपुर : 17 मार्च जो आगरा में आयोजित होने वाले अरविन्दो सोसाइटी कृत नवाचार हेतु आयोजित सम्मान समारोह में प्रतिभाग हेतु नामित/ चयनित शिक्षकों को कार्यमुक्त करने के संबंध में आदेश
फतेहपुर : आगरा में आयोजित होने वाले अरविन्दो सोसाइटी कृत नवाचार हेतु आयोजित सम्मान समारोह में प्रतिभाग हेतु नामित/ चयनित शिक्षकों को कार्यमुक्त करने के संबंध में आदेश (सूची लिंक सहित)
★ सूची में अपना नाम देखने के लिए यहां क्लिक करें:
■ 17 मार्च 2018 को जनपद आगरा में ZIIEI अंतर्गत आयोजन/प्रदर्शनी के सम्बंध में शिक्षा निदेशक (बेसिक) का आदेश जारी, प्रदेश के 140 से अधिक प्रतिभागी विद्यालयों के शिक्षकों की सूची सह आदेश देखें।
Friday, March 9, 2018
Sunday, February 25, 2018

बेसिक की पढ़ाई सुधारने के लिए डायट प्रवक्ता ने बनाया अनूठा फार्मूला, खेल-खेल में गढ़ रहे ज्ञान
टीचर आए, कोर्स पूरा कराने की हड़बड़ाहट में रटे रटाए पाठ पढ़ाए और शैक्षिक सत्र पूरा..। किसी से छिपा नहीं है। उच्च से लेकर बेसिक शिक्षा इसी भागमभाग की शिकार है। नतीजा, जिस ज्ञान को लेने बच्चे स्कूल जाते हैं, वही उनमें गायब है। इस दिक्कत को दूर करने के प्रयास तमाम स्तर से हो रहे हैं लेकिन, सरकारी सिस्टम सिर्फ बयानों तक सिमटकर रह जाता है। खैर, इन सब के बीच पढ़ाई के बेपटरी फामरूले में सुधार का एक प्रयास बरेली की डायट प्रवक्ता डॉ. शिवानी यादव ने ईजाद किया है। शिक्षक केंद्रित व्यवस्था बदलकर उन्होंने छात्रों को ज्यादा जिम्मेदार बनाया है। शिक्षकों की भूमिका महज सुगमकर्ता (फैसिलेटर) तक सीमित है। जिले के करीब 30 स्कूलों में यह प्रयोग काफी सफल साबित हुआ है। 1शिवानी का फामरूला : डॉ. शिवानी मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर, इंटरनेट, ऑडियो, वीडियो का प्रयोग ज्यादा से ज्यादा पढ़ाने में करती हैं। खेल-खेल में शिक्षा पर जोर है। छात्रों को ज्यादा से ज्यादा प्रोजेक्ट वर्क दिया जाता ताकि उनमें पढ़ने की आदत विकसित हो। वे खुद तैयारी करके उस विषय को समझकर जुड़ें। इस से उन्हें रटने की जरूरत नहीं होती। दिमाग में पूरा चैप्टर बैठ जाता है। 1ऐसे शुरू हुई पहल : जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) की प्रवक्ता डॉ. शिवानी यादव ने वर्ष 2012 से पठन-पाठन बदलने पर काम शुरू किया। उन्होंने महसूस किया कि काबिल शिक्षक ही आज छात्रों को बेहतर ढंग से तैयार कर सकते हैं। असल में पढ़ाई में का ढर्रा बदलना होगा। यही सोचकर उन्होंने 2012 से 2017 तक के बीच ट्रेनिंग लेने शिक्षकों के बैच का एक गूगल ग्रुप बनाया। उसमें एक हजार प्रशिक्षु शिक्षकों के पढ़ाने के तरीके में बदलाव किया। इस ग्रुप के जरिए प्रशिक्षु को मैसेज भेजकर, उसमें शिक्षण के तरीकों पर विमर्श करके सुधार किया गया। शिक्षकों के पढ़ाने के ऑडियो, वीडियो, इंटरनेट, मोबाइल, लैपटॉप, प्रोजेक्टर के जरिए रचनात्मक प्रयोग करके शिक्षा को रोचक बनाया। बाद में इन शिक्षकों को जिले के 30 स्कूलों में नई तकनीक का प्रयोग करने के लिए भेजा गया। ट्रेंड शिक्षक पढ़ाने के दौरान बच्चों का वीडियो शूट करते हैं, जिसे बाद में शिक्षक ग्रुप में भेजा जाता है। अच्छी प्रक्रिया होने पर अन्य शिक्षक भी अपनाते हैं
Tuesday, February 13, 2018
Saturday, February 3, 2018
Wednesday, January 31, 2018
Friday, December 29, 2017

एक ‘दीवार’ जिस पर छोटे बच्चे लिखते हैं बड़ी बात, उत्तराखंड, यूपी सहित हिमाचल, पश्चिम बंगाल और राजस्थान में "दीवार पत्रिका" के जरिये जन-सरोकारों और देश-दुनिया के विभिन्न मुद्दों पर बेबाकी से लिख रहे हैं बच्चे
■ अब उत्तराखंड सहित हिमाचल, पश्चिम बंगाल और राजस्थान में भी निकल रही इसी तरह की पत्रिका
हल्द्वानी : परिवर्तन के लिए नजरिया चाहिए और अगर यह परिवर्तन शिक्षा के क्षेत्र में करना हो तो फिर सोच पूरी तरह व्यावहारिक होनी चाहिये। शिक्षा पर हर साल करोड़ों रुपये का बजट होने के बावजूद उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या लगातार घट रही है। प्राथमिक विद्यालय तेजी से बंद हो रहे हैं। इसके पीछे एक अहम कारण है शिक्षा का व्यावहारिक न होना। शिक्षा का व्यावहारिक स्वरूप कैसा हो, इस बड़े सवाल का छोटा सा लेकिन सटीक जवाब देती है ‘दीवार’।
बच्चों को किताबी ज्ञान तक सीमित न रखकर उनकी रचनात्मकता को और प्रोत्साहन देना भी बहुत जरूरी है। इसी सोच के साथ करीब 12 साल पहले पिथौरागढ़ जिले के एक प्राथमिक विद्यालय में दीवार पत्रिका की शुरुआत की गई। मकसद यही था कि बच्चों की सोच को रचनात्मक दी जाए, ताकि शिक्षा के प्रति उनका रुझान बढ़े। शुरुआत बेहतर थी, नजरिया अलग था और कामयाबी भी उम्मीद से बढ़कर मिली। आज उत्तराखंड के लगभग एक हजार स्कूलों से यह पत्रिका निकल रही है। बच्चे विभिन्न मुद्दों पर लिखते हैं, चित्र बनाते हैं और जब इस पत्रिका में उनकी रचना का प्रकाशन होता है तो आत्मविश्वास बढ़ता जाता है। किसी विद्यालय में यह पत्रिका पाक्षिक है तो किसी में मासिक। सोशल मीडिया के माध्यम से हुए प्रचार के बाद इस तरह की पत्रिका को विद्यालयों में निकालने की शुरुआत हिमाचल, राजस्थान और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों ने भी की है।
■ कुछ ऐसी है दीवार : दीवार पत्रिका चार्ट पेपर पर तैयार होने वाली ऐसी गतिविधि है, जिसमें बच्चों द्वारा तैयार की गई पेंटिंग्स, काटरून, कविता, लेख, कहानी, समाचार आदि हर को स्थान दिया जाता है। देश-दुनिया के बड़े मुद्दों व जनहित से जुड़ी समस्याओं पर भी बच्चों का फोकस रहता है। इसके लिए उन्हें प्रोत्साहित किया जाता है। विषय वस्तु के संकलन, संपादन का जिम्मा भी बच्चों पर ही होता है। उनका मार्गदर्शन करने के लिए विद्यालयों में संपादक मंडल गठित हैं। हर बच्चा चार्ट पर अपनी रचना उकेरता है और उसके बाद सभी चार्ट आपस में जोड़कर पत्रिका में परिवर्तित कर दिए जाते हैं। बड़ी बात यह है कि यह पत्रिका बच्चों के लिए अतिरिक्त क्रियाकलाप न होकर पाठ्यसामग्री बन रही है।चार्ट पेपर पर बच्चे अपनी रचनाओं को उकेरेते हैं और इन्हें स्कूल की दीवार पर एक साथ जोड़ देते हैं।
■ इस तरह हुई शुरुआत : पिथौरागढ़ जिले की गंगोलीहाट तहसील के अंतर्गत प्राथमिक विद्यालय कुंजनपुर में कार्यरत शिक्षक महेश पुनेठा ने वर्ष 2000 में सहभागी क्रियाकलाप के उद्देश्य से दीवार पत्रिका शुरू की थी। इसमें बहुत अधिक खर्च नहीं है। आज उत्तराखंड के एक हजार से अधिक सरकारी स्कूलों ने दीवार मॉडल को अपनाया है। इसके अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं। जीआइसी देवलथल में पत्रिका के संपादक मंडल में शामिल बच्चे पिछले साल इंटरमीडिएट में फस्र्ट डिवीजन पास हुए। एक बच्चे ने हाईस्कूल परीक्षा में सामाजिक विज्ञान में 99 अंक हासिल किए। महेश पुनेठा बताते हैं कि अन्य स्कूलों से भी इस तरह का रिजल्ट मिल रहा है।
Wednesday, December 13, 2017
Friday, December 8, 2017

शिक्षकों ने लगाई शून्य निवेश नवाचार पर प्रदर्शनी, 150 से ज्यादा नवाचारों का किया गया प्रदर्शन
इलाहाबाद : शून्य निवेश नवाचार कार्यक्रम पर आधारित प्रदर्शनी गुरुवार को राजकीय इंटर कालेज में आयोजित की गई। इसमें प्राथमिक शिक्षा में नए प्रयोग विशेषकर पठन पाठन के क्षेत्र में बिना किसी खर्च के प्रयोग करने पर चर्चा की गई। इसमें प्रत्येक विकास खंड के दस शिक्षकों को नवाचार प्रदर्शन के लिए आमंत्रित किया। इसमें 150 नवाचार को प्रदर्शित किया गया।
कार्यकम का उद्घाटन मंडलायुक्त आशीष गोयल ने किया। उन्होंने शिक्षा के गुणात्मकता व प्रसार का उल्लेख किया। अरविंद सोसाइटी के ऑपरेशन हेड मयंक अग्रवाल ने कहा कि सोसाइटी शिक्षकों को मंच एवं सम्मान देने के लिए इस प्रकार के प्रयोग करती रहती है। इस अवसर पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर का वीडियो संदेश सुनाया गया।
केंद्रीय मंत्री ने अपने संदेश में ऐसे शिक्षकों की सराहना की जिन्होंने वित्त रूप से शून्य परंतु बौद्धिक लागत के नवाचारों से नई पीढ़ी को अवगत कराने लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी संजय कुशवाहा, मिड डे मील समन्वयक राजीव त्रिपाठी सहित प्राथमिक शिक्षा से जुड़े शिक्षक, अधिकारी एवं कर्मचारी मौजूद रहे।
Tuesday, December 5, 2017
Saturday, November 18, 2017
Monday, October 9, 2017
Monday, August 21, 2017

इनोवेशन करने वाले प्राइमरी और जूनियर स्कूल के शिक्षक होंगे सम्मानित
लखनऊ : बेसिक शिक्षा विभाग के प्राइमरी व जूनियर स्कूलों के शिक्षकों की तरफ से किए गए इनोवेशन को डायट की वेबसाइट अपलोड किया जाएगा। डायट प्राचार्य पवन कुमार सचान ने बताया कि इनोवेशन करने वाले शिक्षकों को सम्मानित किया जाएगा।
जिले के सभी ब्लॉकों में ऐसे जितने भी शिक्षक है उनके कार्यों साहित ब्योरा मांगा गया है। शिक्षा विभाग के प्राइमरी और जूनियर स्कूल शहर के आठ ब्लॉक और नगर क्षेत्र के 4 जोन में विभाजित हैं। इसमें कुल 1840 स्कूल हैं जिसमें पढ़ाने वाले शिक्षकों की संख्या 5700 है। इन्हीं में उन शिक्षकों का चयन किया जाएगा जो पढ़ाई इनोवेशन कर रहे हैं। इसका जिम्मा ब्लॉक और जोन के एबीएसए को सौंपा गया है।
Tuesday, March 7, 2017

लखीमपुर खीरी / बरेली : शैक्षिक नवाचार के लिए बीईओ को मिला नेशनल अवार्ड, निघासन ब्लॉक में उत्कृष्ट कार्यों के लिए किया गया सम्मानित
खीरी। निघासन ब्लाक में पूर्व में तैनात रहे खंड शिक्षा अधिकारी संजय शुक्ला को शैक्षिक प्रशासन में नवाचार हेतु नेशनल अवार्ड दिया गया है। नई दिल्ली में आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला में उन्हें यह अवार्ड प्रदान किया गया। श्री शुक्ला इस समय बरेली जनपद में तैनात हैं। निघासन ब्लाक में पूर्व में तैनात रहे खंड शिक्षा अधिकारी संजय शुक्ला ने यहां अपनी तैनाती के दौरान शैक्षिक नवाचारों को जोर-शोर से लागू करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका थी। उनकी सोंच थी कि उपलब्ध शैक्षिक संसाधनों का प्रयोग कर स्कूलों में ऐसा वातावरण सृजित किया जाए जिससे शिक्षा के प्रति बच्चों की रूचि बढ़े और उनके भीतर छिपी प्रतिभा को बाहर लाया जा सके। इसमें वह काफी हद तक सफल भी रहे।
श्री शुक्ला के नवाचार के प्रयोगों से न केवल स्कूलों में बच्चों का ठहराव बढ़ा बल्कि उनमें पढ़ने लिखने के प्रति रूचि भी पैदा हुई। अभिभावक भी खंड शिक्षा अधिकारी की इस पहल से काफी प्रभावित हुए। इसके साथ-साथ श्री शुक्ला ने स्कूलों की साज सज्जा पर भी काफी फोकस किया। इसी का यह नतीजा रहा कि ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय जसनगर को राज्य स्तरीय पुरस्कार मिला और एक लाख इक्कीस हजार रुपए की प्रोत्साहन धनराशि भी मिली। साथ ही खंड शिक्षा अधिकारी और इस स्कूल के शिक्षकों को लखनऊ में सम्मानित भी किया गया।
लेकिन उनके कार्यों का असली सम्मान तो तब हुआ जब हाल ही में उन्हें राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन विश्वविद्यालय नई दिल्ली द्वारा उन्हें इन शैक्षिक नवाचारों के लिए नेशनल अवार्ड देने की घोषणा की गई। जिला और ब्लाक शिक्षा अधिकारियों के प्रवासी भारतीय केंद्र सभागार नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय सम्मलेन में उन्हें यह अवार्ड प्रदान किया गया। इस सम्मलेन में तमाम विदेशी शिक्षाविदों ने भी भाग लिया। उनकी इस उपलब्धि पर शिक्षकों ने उन्हें बधाई दी है।