
Tuesday, December 24, 2019
Sunday, December 22, 2019
Friday, November 15, 2019
Sunday, November 3, 2019
Saturday, September 21, 2019
Friday, August 2, 2019
Thursday, May 2, 2019
Tuesday, June 5, 2018
Thursday, May 24, 2018
Tuesday, May 8, 2018
Saturday, May 5, 2018
Monday, April 2, 2018
Tuesday, March 27, 2018

हापुड़ : गांव ककराना का परिषदीय विद्यालय या कान्वेंट स्कूल, स्कूल का बदल दिया पूरा स्वरूप
बच्चों को मिलने वाली हर सुविधा से सुसज्जित है, निजी स्कूल हतप्रभ
अक्सर परिषदीय विद्यालयों की दुर्दशा व अध्यापकों की कार्य शैली को लेकर लोगों में आक्रोश रहता है। वहीं गांव ककराना में एक ऐसा स्कूल भी है जिसे देखकर ग्रामीणों को गर्व और उनके बच्चों को अच्छा भविष्य मिलने की उम्मीद बंधती दिखाई देती है। यह सभी की मेहनत व लगन से संभव हुआ है। आज यह स्कूल कान्वेंट को मात दे रहा है।
यहां पर एक ही परिसर के अंदर मौजूद प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों का सुंदर व सजा भवन नए सत्र में बच्चों को दाखिले के लिए आकर्षित कर रहा है। स्टाफ ने भी कान्वेंट स्कूलों को मात देने की तैयारी करते हुए उन्हीं के तरीके से रंग बिरंगे पोस्टर गांव की गालियों में चस्पा करके बच्चों को दाखिले के लिए लुभाना शुरू कर दिया है। यह देखकर जहां ग्रामीण हतप्रभ हैं वहीं निजी स्कूलों के होश उड़े नजर आ रहे हैं। मुख्य विकास अधिकारी दीपा रंजन व ग्राम प्रधान दिनेश राणा के सहयोग से विद्यालय भवन को पूरी तरह से चकाचक कर दिया गया है। इसके साथ ही प्राथमिक विद्यालय के प्रधान अध्यापक रामकिशोर सिंह, उच्च प्राथमिक विद्यालय के कार्यवाहक प्रधान अध्यापक कृष्ण कुमार व शिक्षा मित्र अमरपाल सिंह सिसौदिया ने योजना बनाकर इस बार कान्वेंट स्कूलों के मात देने की योजना बनाई है। नि:शुल्क पुस्तकें, ड्रेस, बैग, जूते, मोजे, पौष्टिक भोजन, बिजली के पंखे, हवादार कमरों में फर्नीचर पर बैठने की व्यवस्था, प्रोजेक्टर द्वारा शिक्षण, प्रयोगशाला, पुस्तकालय, खेल का मैदान, उपकरण, कम्प्यूटर शिक्षा, अंग्रेजी शिक्षा, योगा शिक्षा, स्वास्थ्य परीक्षण आदि सुविधाओं का दावा करते हुए अध्यापक टीम बनाकर गांव की हर गली हर मोहल्ले व घर में जाकर अभिभावकों की कांउसलिंग कर रहे हैं। वर्तमान में अब तक इन विद्यालयों में 170 के करीब छात्र छात्रएं हैं। लेकिन इस बार अध्यापकों ने लक्ष्य तय किया हुआ है कि वे नए सत्र में यह संख्या तीन गुना से अधिक करेंगे। उन्होंने दावा किया है कि वे हर प्रकार से निजी विद्यालयों की अपेक्षा बेहतर शिक्षा व सुविधाएं देंगे।
गांव ककराना का विद्यालय ’ जागरण-विद्यालय में हर वह सुविधा है जो निजी विद्यालय देने का दावा करते हैं और देते नहीं है। बल्कि उनसे भी सब कुछ बेहतर है। सरकारी स्कूल के प्रति मानसिकता बदलनी है। जिससे लूट से भी बचा जा सकेगा। इसके लिए आकर्षक पहचान पत्र उपलब्ध कराए गए हैं।
राम किशोर सिंह, प्रधानाध्यापक।विद्यालय को देखकर ही लगता है कि इससे बेहतर विद्यालय गांव में नहीं हो सकता है। सभी आधुनिक सुविधाएं इन विद्यालयों में दी जा रही हैं। निजी विद्यालयों के सामने एक बेहतरीन विकल्प मौजूद है। दिनेश राणा, ग्राम प्रधान, ककराना।
Tuesday, February 20, 2018

हापुड़ : आखिर कैसे होगा अंग्रेजी स्कूलों में पठन-पाठन, अधिकारियों के लगातार दौरों और निरीक्षणों का खौफ
बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों को अंग्रेजी मीडियम करने की मुहिम तो शासन और प्रशासन द्वारा शुरू कर दी गई है, लेकिन इन विद्यालयों में पढ़ाने के लिए बेहद कम शिक्षक तैयार नजर आ रहे हैं। अधिकारियों के लगातार दौरों और निरीक्षणों के खौफ से शिक्षक इन विद्यालयों से दूर ही रहना पसंद कर रहे हैं। ऐसे में गुणवत्तापरक शिक्षा की उम्मीद इन विद्यालयों से करना अभी जल्दबाजी होगी।
यह सभी को पता है कि अगर जिले में कोई परिषदीय स्कूल या मॉडल स्कूल में जरा सा भी सुधार नजर आता है तो अधिकारियों और राजनेताओं का दौरा इन्हीं विद्यालयों की ओर कूच करने लगता है। इससे एक तरफ जहां शिक्षकों में अधिकारियों और राजनेताओं के निरीक्षण से खौफ पैदा होता है और उनका ध्यान शिक्षण से ज्यादा विद्यालयों की देखरेख और सजावट की ओर लग जाता है वही दूसरी ओर बच्चों की पढ़ाई भी काफी हद तक प्रभावित होती है। अब शासन ने प्रत्येक ब्लाक के पचास परिषदीय विद्यालयों को अंग्रेजी मीडियम के विद्यालय में तब्दील करने का फैसला किया है। कवायद शुरू हो गई है और विद्यालयों को चिह्न्ति किया जा रहा है। इन विद्यालयों में अंग्रेजी पढ़ाने के लिए परिषदीय शिक्षकों में से ही अंग्रेजी विषय के शिक्षकों का चयन किया जाएगा। इसके लिए बाकायदा परीक्षा का आयोजन किया जाएगा। चयनित होने वाले शिक्षकों को अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में पढ़ाने के लिए नियुक्त किया जाएगा। समस्या यह है कि इन विद्यालयों में पढ़ाने से शिक्षक बच रहे हैं। आए दिन अधिकारियों के होने वाले निरीक्षण और उनके रौब से बचने के लिए शिक्षक इन विद्यालयों में पढ़ाने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में अधिकांश शिक्षक अपने मूल विद्यालय में ही नियुक्त रहकर शिक्षण करना चाहते हैं।
-फिलहाल तो अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों के लिए परिषदीय विद्यालयों का चयन किया जा रहा है। अनेक शिक्षक अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में पढ़ाने के लिए उत्सुक हैं। आवेदन आने के बाद स्थिति साफ हो सकेगी।

हापुड़ : सेवानिवृत्ति तक अर्जित अवकाश जुड़ने से शिक्षकों में खुशी की लहर, अर्जित अवकाश अधिक होने पर आपात स्थिति में कर सकेंगे इस्तेमाल
राज्य कर्मचारियों का अर्जित अवकाश सेवानिवृत्ति तक जुड़ सकेगा। इस आदेश से शिक्षकों में खुशी है। अब तक तीन सौ अर्जित अवकाश होने पर अर्जित अवकाश नहीं जोड़े जाते थे। सरकारी कर्मचारियों को हर साल 30 दिन (एक जनवरी को 15 दिन व एक जुलाई को 15 दिन) का अर्जित अवकाश मिलता है। यदि कर्मचारी अवकाश नहीं लेते तो वह जुड़ता जाता है। लेकिन 300 दिन होने के बाद यह अवकाश जुड़ता नहीं।1300 दिन के बाद यदि कर्मचारी अवकाश नहीं लेते तो लैप्स हो जाता है। इससे नाराज दो कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उनका कहना था कि 300 दिन अर्जिति अवकाश होने के बाद लैप्स करना अवैधानिक है। इस पर हाईकोर्ट ने 300 दिन से अधिक अर्जित अवकाश होने के बावजूद उसे सेवानिवृत्ति तक जोड़ने का आदेश सुनाया है। पांच अक्तूबर के आदेश से कर्मचारी खुश है।
अध्यापकों को मिलता है तीस दिन का अवकाश
>तीन सौ दिन होने के बाद नहीं जोड़ा जाता था- अर्जित अवकाश विभागीय अधिकारियों द्वारा सभी संबंधित आम शिक्षकों को यदि सहजता से प्रदान किया जाए तो तो इस आदेश की 100 प्रतिशत सार्थकता सिद्ध हो पाएगी। शिक्षक भी निर्धारित कार्यावधि के अतिरिक्त कार्य करने में रुचि लेंगे। -अनुज शर्मा, पूर्व ब्लाक अध्यक्ष प्राथमिक शिक्षा संघ, हापुड़