बिजनौर : 1व्यवस्था और विकास की पहली सीढ़ी कही जाने वाली ग्राम पंचायतों की कमान थामे बैठे कई ग्राम प्रधानों की हालत काला अक्षर भैंस बराबर है। इससे निपटने के लिए निरक्षर ग्राम प्रधानों को साक्षर करने की कवायद शुरू की गई है। अब इन्हें प्राथमिक विद्यालयों में छोटे बच्चों के साथ टाट पट्टी पर बैठकर शिक्षा ग्रहण करनी होगी। दो माह में साक्षर बनाने का लक्ष्य है। जनपद में 28 ग्राम प्रधान निरक्षर हैं जबकि 422 पांचवीं कक्षा तक या उससे कम पढ़े हैं। 1केंद्र एवं प्रदेश की सरकारें ग्राम पंचायतों को मजबूत बनाने के लिए नए-नए कदम उठा रही हैं। ग्राम पंचायतों को राज्य वित्त एवं 14वें वित्त से भारी-भरकम बजट दिया जाता है, लेकिन ग्राम प्रधानों के निरक्षर होने के कारण योजनाएं परवान नहीं चढ़ पाती हैं। खासतौर से महिला ग्राम प्रधानों के पति, बेटे या अन्य संबंधी बैठकों में पंचायतों का प्रतिनिधित्व करते हैं। पंचायतों के कार्यों का संचालन भी खुद ही करते हैं। इस स्थिति से निपटने और ग्राम प्रधानों को सशक्त बनाने के लिए अनपढ़ प्रधानों को साक्षर करने की योजना बनाई गई है। सीडीओ डा. इंद्रमणि त्रिपाठी बताते हैं कि ग्राम प्रधानों के साक्षर नहीं होने से योजनाओं के संचालन में दिक्कत आती है। इससे निपटने के लिए ग्राम प्रधानों को साक्षर किया जाएगा। निरक्षर और कम पढ़े ग्राम प्रधानों की सूची तैयार की गई है। 22 ग्राम 28 ग्राम प्रधान निरक्षर हैं और 428 पांचवीं कक्षा या उससे कम ही पढ़े हैं। इन सभी को साक्षर किया जाएगा। गांव में संचालित प्राथमिक विद्यालय के हेडमास्टर को यह जिम्मेदारी दी जाएगी। ग्राम प्रधान स्कूल में बच्चों के साथ बैठकर पढ़ेंगे। दो माह में सभी निरक्षर प्रधानों को साक्षर करना है। उन्होंने बताया कि ग्राम प्रधान यदि पढ़ने में आनाकानी करेंगे तो फिर कड़े कदम उठाने को मजबूर होना होगा। संबंधित प्रधान की पंचायत को मिलने वाले बजट पर भी सख्ती की जा सकती है। 11निरक्षर ग्राम प्रधानों को साक्षर करने की योजना तैयार की है। गांव के प्राथमिक विद्यालयों में ही ग्राम प्रधान शिक्षा ग्रहण करेंगे। दो माह में उन्हें साक्षर करना है। 1डा. इंद्रमणि त्रिपाठी, सीडीओ
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