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Monday, January 31, 2022

आखिरकार 69000 प्राथमिक शिक्षक भर्ती के पदों को लेकर फंसा चयन

आखिरकार 69000 प्राथमिक शिक्षक भर्ती के पदों को लेकर फंसा चयन



लखनऊ : आखिरकार प्राथमिक विद्यालयों की 69000 शिक्षक भर्ती के 6800 अभ्यर्थियों का चयन फंस गया है। बेसिक शिक्षा विभाग लंबे समय से प्रतियोगियों की ये मांग खारिज कर रहा था कि 69000 भर्ती की लिखित परीक्षा में सफल होने वालों को 68500 शिक्षक भर्ती के रिक्त पदों पर नियुक्ति दी जाए। प्रकरण तूल पकड़ने पर विभाग ने उसी दिशा में कदम बढ़ाया, जिसे वह नियमानुसार गलत ठहरा रहा था। 



अब कोर्ट ने भी स्पष्ट कर दिया है कि तय पदों से अधिक पर भर्ती नहीं कर सकते, ऐसे में पांच जनवरी को जारी अनंतिम चयन सूची के अभ्यर्थियों की नियुक्ति लटक गई है। असल में, 69000 शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाले अभ्यर्थियों की संख्या एक लाख, 46 हजार रही है। उनमें से करीब 68 हजार से अधिक को नियुक्ति मिल चुकी है। इससे अधिक अभ्यर्थी नौकरी पाने के लिए छह माह से मांग कर रहे थे कि उन्हें 68 हजार, 500 शिक्षक भर्ती के रिक्त पदों पर नियुक्ति दी जाए। उनका तर्क था कि शीर्ष कोर्ट ने शिक्षामित्रों का समायोजन रद करने के बाद 1.37 लाख पदों पर चयन का आदेश दिया था। 


दोनों भर्तियों के पद शिक्षामित्रों से ही खाली हुए हैं। विभाग ने पहले इसे ये कहकर दरकिनार किया कि दोनों की अर्हता, उत्तीर्ण प्रतिशत, दावेदारों की संख्या आदि में अंतर है इसलिए यह करना संभव नहीं है। दिसंबर माह में मामला तूल पकड़ने पर विभाग ने चयन में विसंगति होना स्वीकार किया और पांच जनवरी को 6800 आरक्षित अभ्यर्थियों की अनंतिम चयन सूची जारी कर दी। तैयारी थी कि अब 68 हजार, 500 भर्ती के रिक्त पदों पर नव चयनित 6,800 को तैनाती दी जाए साथ ही शेष रिक्त पदों पर नया विज्ञापन निकाला जाएगा। 


ज्ञात हो कि बेसिक शिक्षा मंत्री डा. सतीश द्विवेदी ने कहा था कि जिनका चयन विसंगति की वजह से नहीं हो सका उन अभ्यर्थियों को नियुक्ति देंगे और 17000 पदों पर नई भर्ती निकालेंगे।

आचार संहिता में फंसा परिषदीय छात्रों का अनाज, प्राधिकार पत्र पर सीएम की फोटो लगी होने के चलते उहापोह

आचार संहिता में फंसा परिषदीय छात्रों का अनाज, प्राधिकार पत्र पर सीएम की फोटो लगी होने के चलते उहापोह


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हमीरपुर :  चुनाव आचार संहिता के चलते परिषदीय स्कूलों के छात्रों का अनाज गोदाम में डंप है। प्राधिकार पत्र पर सीएम की फोटो लगी होने के चलते विभाग इन्हें बंटवाने से घबरा रहा है। 94 दिनों का अनाज डंप होने से बच्चों को एमडीएम मिलने में परेशानी हो सकती है।


परिषदीय, अनुदानित स्कूलों में कक्षा एक से आठ तक पढ़ने वाले छात्रों को एमडीएम दिया जाता है। शैक्षिक सत्र 2021-22 में कोरोना संक्रमण फैलने के चलते 24 मार्च से 31 अगस्त 2021 तक सभी परिषदीय विद्यालय बंद कर दिए गए थे। इससे छात्र छात्राओं को दोपहर का भोजन नहीं मिल सका।


23 सितंबर को सरकार के विशेष सचिव आरबी सिंह ने विद्यालय बंद रहने की अवधि का 94 दिन का खाद्यान्न वितरित करने का आदेश दिया था। जिसमें प्राइमरी स्तर के प्रति छात्र को नौ किलो 400 ग्राम व जूनियर स्तर के प्रति छात्र को 13 किलो 500 ग्राम अनाज दिया जाना है।


दिसंबर के अंत में प्राधिकार पत्र छपने का बजट मिला था, लेकिन प्राधिकार पत्र का प्रारूप पहले वाला होने के कारण उसमें मुख्यमंत्री की फोटो लगी है। इधर आचार संहिता लागू है। जिसके चलते किस प्रकार प्राधिकार पत्रों का वितरण कराया जाए। इस संबंध में उच्चाधिकारियों से विचार-विमर्श कर निर्णय लिया जाएगा। - राकेश कुमार श्रीवास्तव, बीएसए

क्या इस बार भी प्रमोट किए जाएंगे परिषदीय स्कूलों के छात्र?

क्या इस बार भी प्रमोट किए जाएंगे परिषदीय स्कूलों के छात्र?



कोरोना संक्रमण के कारण एक बार फिर से कक्षा एक से आठवीं तक के बच्चों की वार्षिक परीक्षा पर संकट दिख रहा है। स्कूल अभी छह फरवरी तक बंद हैं। वहीं, दूसरी ओर दस फरवरी से विधानसभा का चुनाव शुरू हो रहा है। ऐसे में कक्षा एक से आठवीं तक की परीक्षा कब होगी, इसे लेकर संशय बरकरार है।


पिछले दो वर्षों से कक्षा एक से आठ तक के छात्र-छात्राओं को प्रमोट किया जा रहा है। परिषदीय विद्यालय में नवंबर के अंतिम सप्ताह में छमाही परीक्षा कराई जाती है। लेकिन, कोरोना के केस बढ़ने के कारण परीक्षा नहीं हो सकी है। विधानसभा चुनाव के नतीजे 10 मार्च को आएंगे। उसके बाद वार्षिक परीक्षा का समय होगा। लेकिन, अभी परीक्षा के संबंध में कोई आदेश न मिलने के कारण असमंजस का माहौल बना हुआ है।


ऐसे में सवाल उठता है कि क्या पिछले दो सालों की तरह इस बार भी अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया जाएगा। जिसको लेकर अभिभावकों की भी चिंता बढ़ी हुई है।

पहल : देश भर के सरकारी स्कूलों में भी अब ‘प्ले स्कूल’ जैसी पढ़ाई

पहल : देश भर के सरकारी स्कूलों में भी अब ‘प्ले स्कूल’ जैसी पढ़ाई



नई दिल्ली: बच्चों की शुरूआती शिक्षा के लिए ‘प्ले स्कूल’ की संकल्पना अब शहरों से गांव तक पहुंचने जा रहीं है। नई शिक्षा नीति 2020 के तहत सरकार शैक्षणिक सत्र 2022-23 से ‘विद्या प्रवेश कार्यक्रम’ देश के सभी स्कूलों में शुरू हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले वर्ष शिक्षा से जुड़े सुधार कार्यक्रम के तहत इसकी संकल्पलना रखी थी।


 शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक ‘ विद्या प्रवेश कार्यक्रम’ के तहत पहली कक्षा में प्रवेश से पहले बच्चों को तीन महीने का एक खास कोर्स करवाया जाएगा। इसमें उन्हें खेलते हुए पहली कक्षा से पहले जरूरी अक्षर और संख्या ज्ञान दिया जाएगा। इसका मकसद है, ‘शिक्षा की शुरुआत से ही नींव को मजबूत करना। ताकि समाज में सभी समान रूप से आगे बढ़ सकें।’


सभी राज्यों को कार्यक्रम भेजा
विद्या प्रवेश कार्यक्रम का प्रारूप सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को भेज दिया गया है, ताकि इसे समय से अपनाया जा सके। यह शैक्षणिक सत्र 2022-23 से देश के सभी स्कूलों में शुरू हो रहा है। राज्य इसे अपनी जरूरत के हिसाब से लागू करेंगे।


एनसीईआरटी ने तैयार किया प्रारूप
नई शिक्षा नीति के सुझावों पर राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) द्वारा बच्चों के लिए तीन माह का स्कूल तैयारी प्रारूप ‘विद्या प्रवेश’ तैयार किया है। इस पाठ्यक्रम में बच्चों के लिए अक्षर, रंग, आकार और संख्या सीखने के लिए रोचक गतिविधियां हैं। यह कार्यक्रम बाल वाटिका के सीखने के परिणामों पर आधारित होगा।


इसमें स्वास्थ्य कल्याण, भाषा साक्षरता, गणितीय सोच और पर्यावरण जागरूकता से संबंधित मूलभूत दक्षताओं को विकसित करने के लिए बच्चों तक समान गुणवत्ता पहुंच सुनिश्चित करना है। ‘विद्या प्रवेश कार्यक्रम’ के प्रारूप के अनुसार, इसमें तीन महीनों का खेल आधारित कार्यक्रम रखा गया है जो प्रतिदिन चार घंटे का होगा। यह विकासात्मक गतिविधियों एवं स्थानीय खेल सामग्रियों के उपयोग के साथ अनुभव आधारित शिक्षा को बढ़ावा देता है।

Sunday, January 30, 2022

नई शिक्षा नीति 2020: अब तकनीकी कॉलेजों के छात्रों को डिग्री से पहले सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में इंटर्नशिप

नई शिक्षा नीति 2020: अब तकनीकी कॉलेजों के छात्रों को डिग्री से पहले सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में इंटर्नशिप


छात्रों को डिग्री से पहले दूसरे से तीसरे वर्ष ही इन पीएसयू में स्टाइपंड संग इंटर्नशिप का मौका मिलेगा। खास बात यह है कि अब छात्रों को घर बैठे देशभर के राज्यों और शहरों में इंटर्नशिप और रोजगार की जानकारी मिल सकेगी।

देश के सभी इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, आर्किटेक्चर, फार्मेसी कॉलेजों के छात्रों को अब सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग) में भी इंटर्नशिप का मौका मिलेगा। केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति 2020 के तहत इंटर्नशिप और कैंपस प्लेसमेंट पॉलिसी में बदलाव करके पीएसयू को भी शामिल किया है। इससे पहले विद्यार्थियों के पास मल्टीनेशनल कंपनी में ही इंटर्नशिप का विकल्प होता था।



छात्रों को डिग्री से पहले दूसरे से तीसरे वर्ष ही इन पीएसयू में स्टाइपंड संग इंटर्नशिप का मौका मिलेगा। खास बात यह है कि अब छात्रों को घर बैठे देशभर के राज्यों और शहरों में इंटर्नशिप और रोजगार की जानकारी मिल सकेगी। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने तकनीकी कॉलेजों के छात्रों को स्नातक प्रोग्राम की पढ़ाई पूरी होने से पहले बाकायदा रोजगार से जुड़ी ट्रेनिंग देने की योजना तैयार की है।


विभिन्न पीएसयू और सरकारी विभागों के साथ काम करने की तैयारी हुई है। समझौते के तहत सरकार से जुड़े विभाग व कंपनियों को सीधे जानकारी देनी होगी। इसके लिए एआईसीटीई ने पोर्टल भी तैयार किया है। सभी कॉलेजों को अपनी वेबसाइट पर इस पोर्टल का लिंक व जानकारी देनी अनिवार्य है ताकि छात्रों व शिक्षकों को भी पता लग सके। यहां पर खादी इंडिया, सिसको, माइक्रोसॉफ्ट इंडिया, सोशल जस्टिस इंपावरमेंट नशा मुक्त भारत अभियान, टयूलिप, एनसीडीसी, एयरोस्पेस,अर्बन वाटर इंफ्रास्ट्रक्चर, स्मार्ट सिटी, एनएचएआई, कॉरपोरेट आदि शामिल हैं।

तीन साल में एक करोड़ इंटरर्नशिप का लक्ष्य
एआईसीटीई के चेयरमैन प्रो. अनिल डी सहस्रबुद्धे के मुताबिक, इंटर्नशिप योजना के माध्यम से छात्रों को किताबी ज्ञान के साथ-साथ कौशल विकास में दक्ष करना है। योजना का मकसद तकनीकी कॉलेजों के छात्रों को डिग्री लेने के साथ भविष्य की जरूरतों के आधार पर तैयार करना है। किताबी ज्ञान से वे विषयों को तो समझ लेते हैं पर इंटर्नशिप में उन्हें प्रैक्टिकल नॉलेज मिलेगा। अगले तीन साल यानी 2025 तक एक करोड़ युवाओं को इंटर्नशिप से जोड़ना है। किताबी ज्ञान के साथ-साथ उनमें रोजगार से जोड़ने के लिए इंटर्नशिप के माध्यम से उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा।

क्षेत्र के आधार पर मिलेगा विकल्प
एआईसीटीई ने पोर्टल पर इंटर्नशिप से लेकर प्लेसमेंट की जानकारी उपलब्ध करवाई गई है। यहां 28 राज्य और आठ केंद्र  शासित प्रदेशों की नाम सहित सूची अपलोड की गई है। जैसे  यूपी, उत्तराखंड, चंडीगढ़, दिल्ली,हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, गोवा,  राजस्थान आदि। राज्य में शहरों और केंद्र शासित प्रदेश में एरिया के आधार पर इंटर्नशिप का विकल्प मिलेगा। छात्र अपनी पसंद के आधार पर जब राज्य, शहर का विकल्प चुनेगा तो उसके सामने क्षेत्र से लेकर वेतन, समय अवधि की भी जानकारी मिल जाएगी।

बड़ी चालाकी से अफसरों ने नई पेंशन को बताया बेहतर, शासन के दावे पर कर्मचारी उठा रहे सवाल

कर्मचारी संगठन फिर हुए मुखर - पुरानी पेंशन को बताया सबसे बेहतर,  NPS के नाम पर  गुमराह न करें शासन के अधिकारी

फिर गर्म हो उठा पुरानी और नई पेंशन का मुद्दा, सरकार की सफाई के बाद सोशल मीडिया पर चर्चा, पुरानी पेंशन की खूबियां गिना रहे शिक्षक-कर्मचारी

बड़ी चालाकी से अफसरों ने नई पेंशन को बताया बेहतर, शासन के दावे पर कर्मचारी उठा रहे सवाल


लखनऊ। सेवानिवृत्त कर्मचारी एवं पेंशनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अमरनाथ यादव ने मुख्य सचिव के ने स्तर से नई पेंशन को पुरानी पेंशन से बेहतर बताए जाने पर सवाल उठाया है। उन्होंने नई पेंशन की खामियां गिनाते हुए पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग की है। यादव ने कहा है कि शासन के अधिकारियों ने नई पेंशन प्रणाली को बेहतर बताकर जिस चालाकी का परिचय दिया है, कर्मचारी उनके झांसे में आने वाला नहीं है।


उन्होंने कहा कि एनपीएस पेंशन न होकर स्वनिवेशित धन वापसी योजना है। एनपीएस में मिलने वाली वार्षिकी का न मूल वेतन से कोई संबंध है और न ही मूल्य सूचकांक से। इससे नए सिस्टम में कोई महंगाई राहत नहीं मिलेगी। मृत्युपर्यंत सिर्फ फिक्स राशि मिलेगी। वेतन आयोग की रिपोर्ट आने पर हर वेतनमान में न्यूनतम पेंशन और पेंशन निर्धारण की व्यवस्था रहती है, जो नई पेंशन प्रणाली में नहीं है। पेंशनर/पारिवारिक पेंशनर की आयु 80 वर्ष होने पर पेंशन 20 प्रतिशत बढ़ाई जाती है जो 100 वर्ष होने पर दोगुनी हो जाती है।


उन्होंने बताया कि जीपीएफ नियमावली 1985, नई व्यवस्था में नहीं है। टियर-2 खाता खोलने की व्यवस्था है, किंतु अव्यावहारिक है। प्रदेश में एक भी टियर-2 खाता खोले जाने की जानकारी नहीं है। अधिकतर फंड मैनेजर के मुख्यालय मुंबई में हैं। कोई केस फं स गया तो क्लीयर कराने में पसीने छूट जाएंगे। 


महामंत्री ओपी त्रिपाठी का कहना है कि पेंशनर इन्हीं वजहों से पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने पीएम मोदी से आग्रह किया है कि वे पुरानी पेंशन को बहाल करने का एलान कर चुनाव के दौरान कर्मचारियों के बीच इसका श्रेय लें। संगठन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष बीएल कुशवाहा ने कहा एनपीएस टोटल रिस्क है।


विधानसभा चुनाव के बीच पुरानी बनाम नई पेंशन का मुद्दा फिर गरमा गया है। विभिन्न कर्मचारी संगठनों की पेंशन से संबंधित शिकायतों के मद्देनजर मुख्य सचिव ने कार्मिक एवं वित्त विभाग के अफसरों के साथ शुक्रवार को समीक्षा बैठक के सफाई दी है। इसे लेकर व्हाट्सएप ग्रुपों और फेसबुक आदि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शिक्षक और कर्मचारी मुखर हो गए हैं। राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के पक्ष में किसी भी तरह के तर्क सुनने को कर्मचारी तैयार नहीं है।


सेवानिवृत्त शिक्षक एवं पूर्व जिला पूर्व समन्वयक एपी मिश्र ने एक ग्रुप पर लिखा कि पुरानी पेंशन के अंतर्गत यदि पेंशन 17, 250 है तो कर्मचारी को मूल पेंशन 28,750 पर समय-समय पर अनुमन्य महंगाई राहत जोड़कर मिलेगी। यानि वर्ममान में अनुमन्य 31 प्रतिशत महंगाई भत्ता 8912 जोड़कर कुल 26163 रुपये बनते हैं लेकिन एनपीएस में 19,569 पेंशन ही मिलेगी। ओपीएस लगातार बढ़ता है जबकि एनपीएस पर महंगाई राहत नहीं मिलेगी। इसलिए एनपीएस नुकसानदेह है। 


एक शिक्षक अनुराग पांडेय ने लिखा कि ह्यपुरानी और नई पेंशन की तुलना वे कर रहे हैं जो स्वयं पुरानी पेंशन का लाभ ले रहे हैं। नई पेंशन यदि इतनी अच्छी है तो 2005 के पहले वाले अधिकारी-कर्मचारी पुरानी पेंशन क्यों ले रहे हैं।

 एक अन्य शिक्षक अनूप पांडेय ने पोस्ट किया कि रिवर्स कर देना चाहिए। न्यू पेंशन स्कीम नेताओं को और पुरानी पेंशन स्कीम कर्मचारियों को मिलनी चाहिए। आखिर जब न्यू पेंशन स्कीम इतनी ही अच्छी है तो इसके बेमिसाल फायदों से हमारे नेता ही क्यों वंचित रहें? पंकज सिंह ने लिखा कि जब एनपीएस में अधिक मिल रहा है परन्तु कर्मचारी उसे लेना नहीं चाह रहे हैं। वो जीपीएफ कम प्राप्त कर खुश हैं तो सरकार क्यों नहीं कर्मचारियों को कम देकर खुश रखे



लखनऊ : यूपी में पुरानी पेंशन योजना और राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) को लेकर शासन व कर्मचारियों के बीच रस्साकशी तेज हो गई है। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र द्वारा एनपीएस को ही बेहतर बताए जाने के बाद कर्मचारी संगठन लामबंद हो गए हैं। वह पुरानी पेंशन योजना को ही बेहतर बता रहे हैं।


आल टीचर्स एम्प्लाइज वेलफेयर एसोसिएशन (अटेवा) के अध्यक्ष विजय कुमार बंधु का कहना है कि एनपीएस में यह भी विकल्प है कि अगर कोई चाहे तो पुरानी पेंशन योजना छोड़कर इसे चुन सकता है। प्रदेश में अब तक अप्रैल वर्ष 2005 के पहले नियुक्त हुए एक भी अधिकारी व कर्मचारी ने इसे नहीं चुना। 



अगर यह इतनी अच्छी है तो सेवानिवृत्त होने के करीब जो भी आइएएस अधिकारी हैं वह पुरानी पेंशन योजना छोड़कर एनपीएस चुन लें। उन्होंने कहा कि इसमें सब कुछ शेयर मार्केट पर निर्भर करता है और यह जोखिम भरा काम है। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरि किशोर तिवारी कहते हैं कि शेयर मार्केट में जिन कंपनियों में पैसा लगाया गया है, उसमें से एक कंपनी सात बार डिफाल्टर घोषित की जा चुकी है। फिर एनपीएस में 10 प्रतिशत धन सरकारी कर्मचारी अपने वेतन से देता है और 14 प्रतिशत धन सरकार देती है। सरकार अपना हिस्सा समय पर नहीं जमा करती।

हर विश्वविद्यालय को तैयार करना होगा खुद के विकास का रोडमैप

हर विश्वविद्यालय को तैयार करना होगा खुद के विकास का रोडमैप


🔵 बुनियादी ढांचे व शैक्षणिक विकास तक के निर्धारित करने होंगे लक्ष्य
🔵 इंस्टीट्यूशनल डेवलपमेंट प्लान का ड्राफ्ट यूजीसी ने तैयार किया


नई दिल्ली: विश्वस्तरीय मानकों को हासिल करने की मुहिम के तहत विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों को अब अपने विकास का खाका खुद ही तैयार करना होगा। उन्हें अगले 25 वर्षो की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इस योजना पर पांच वर्षो के भीतर अमल भी सुनिश्चित करना होगा। संस्थानों को अपने बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने सहित शैक्षणिक विकास के नए लक्ष्य निर्धारित करने होंगे। इसमें छात्रों के शैक्षणिक विकास में योगदान, स्नातक करने वाले छात्रों की संख्या और संस्थान की साख को बेहतर बनाने के कदम आदि शामिल होंगे।


विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिशों के अमल में यह कदम उठाया है। इसे लेकर इंस्टीट्यूशनल डेवलपमेंट प्लान नामक ड्राफ्ट भी तैयार किया गया है। इसमें बताया गया है कि संस्थान कैसे अपने लक्ष्य और बुनियादी ढांचे को बेहतर बना सकते हैं। यूजीसी ने अपने ड्राफ्ट को अंतिम रूप देन से पहले सभी उच्च शिक्षण संस्थानों से सुझाव मांगे हैं, जिसकी अंतिम तारीख 11 फरवरी है। 


माना जा रहा है कि इसके बाद यूजीसी इसे अंतिम रूप दे देगी। फिलहाल ज्यादातर उच्च शिक्षण संस्थानों के पास खुद के विकास का कोई रोडमैप नहीं है। ऐसे में उनका विकास भटकाव भरा रहता है। यूजीसी ने आइडीपी में संस्थानों के बुनियादी ढांचे का एक मानक तय किया है, जो छात्रों की संख्या पर आधारित है।

CBSE प्रबंधकों ने स्कूल न खोलने पर आरपार की लड़ाई का किया एलान

CBSE निजी स्कूलों को जल्द खोलने की मांग न मानने पर करेंगे आंदोलन, चुनाव में भी करेंगे असहयोग

CBSE प्रबंधकों ने स्कूल न खोलने पर आरपार की लड़ाई का किया एलान


लखनऊ: सीबीएसई स्कूल मैनेजर एसोसिएशन उप्र की ओर से शनिवार को आनलाइन बैठक हुई। बैठक में प्रदेश के सभी सीबीएसई स्कूल प्रबंधक शामिल हुए। एसो. के अध्यक्ष श्याम पचौरी ने मुख्य एजेंडे के तहत बंद पड़े विद्यालयों को तत्काल प्रभाव से खोले जाने के मुद्दे पर चर्चा की।


इस दौरान सभी स्कूल प्रबंधकों ने निर्णय लिया कि अगर सरकार द्वारा जल्द ही स्कूलों को नहीं खोला गया तो स्कूल संचालक प्रदेश व्यापी आंदोलन करने को मजबूर होंगे। प्रबंधकों ने कहा कि चुनाव में अपने स्कूली वाहन, पोलिंग बूथ व चुनाव कर्मचारियों को ठहरने के लिए स्कूल नहीं मुहैया कराए जाएंगे। इतना ही नहीं आनलाइन कक्षाएं भी तत्काल प्रभाव से बंद कर दी जाएगी।



लखनऊ : सीबीएसई स्कूल मैनेजर्स एसोसिएशन की शनिवार को ऑनलाइन हुई बैठक में बंद विद्यालयों को तत्काल प्रभाव से खोलने की मांग की गई।


बैठक में शामिल प्रदेशभर के सीबीएसई स्कूल प्रबंधकों ने चर्चा के बाद यह निर्णय लिया कि जल्द सरकार द्वारा स्कूलों को खोलने का निर्णय नहीं लिया गया तो वे प्रदेशव्यापी आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।एसोसिएशन के अध्यक्ष श्याम पचौरी ने कहा कि इतना ही नहीं स्कूल प्रबंधन अपने स्कूलों की बस, पोलिंग बूथ व चुनाव कर्मचारियों को ठहरने के लिए स्कूल नहीं देंगे।


साथ ही ऑनलाइन क्लास भी तत्काल प्रभाव से बंद कर देंगे। उन्होंने बताया कि मंगलवार को पूरे प्रदेश के स्कूल प्रबंधक अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी से मिलकर ज्ञापन देंगे और स्कूलों की समस्या से अवगत कराएंगे। इसके बाद भी सकारात्मक निर्णय नहीं हुआ तो वे पूरे प्रदेश में धरना-प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने कहा कि कोविड के कारण सिर्फ स्कूल-कॉलेज ही बंद किए गए हैं।


जबकि कोचिंग, बाजार, मॉल सभी कुछ खुला हुआ है। अन्य प्रदेशों में विद्यालय खोल दिए गए हैं लेकिन सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही नहीं खोले जा रहे हैं। जबकि इससे विद्यार्थियों की पढ़ाई का भी नुकसान हो रहा है।बैठक में मुरलीधर यादव, पुष्प रंजन अग्रवाल, एमपी सिंह, अमित कुमार, शिवमूर्ति मिश्रा, आरसी सेंगर, बृजराज सिंह, राकेश गर्ग, बीडी सिंह आदि उपस्थित थे।

GIC : शिक्षकों के रिक्त पदों पर जल्द अधियाचन भेजने के निर्देश

GIC : शिक्षकों के रिक्त पदों पर जल्द अधियाचन भेजने के निर्देश


शिक्षा निदेशक माध्यमिक ने अपर शिक्षा निदेशक राजकीय को लिखा पत्र

दस दिन के भीतर अपर शिक्षा निदेशक राजकीय को आयोग में भेजना है अधियाचन



प्रयागराज। राजकीय कॉलेजों में शिक्षकों के रिक्त पदों पर भर्ती प्रक्रिया जल्द ही रफ्तार पकड़ सकती है। शिक्षा निदेशक माध्यमिक ने अपर शिक्षा निदेशक राजकीय को पत्र लिखकर दस दिनों के भीतर शिक्षकों के रिक्त पदों पर अधियाचन आयोग को भेजें। साथ ही विभिन्न विषयों के रिक्त प्रवक्ता पदों पर डीपीसी कराने का निर्देश दिया है।


गौरतलब है कि सूबे के राजकीय विद्यालयों में सहायक अध्यापक एलटी (पुरुष) से प्रवक्ता विभिन्न विषयों हिंदी, समाजशास्त्र, तर्कशास्त्र, अर्थशास्त्र, वाणिज्य, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान के लगभग 1031 पदों पर डीपीसी कराने हेतु निर्देश दिया है। साथ ही प्रवक्ता पुरुष संवर्ग एवं महिला संवर्ग से अधीनस्थ राजपत्रित के पद पर भी अतिशीघ्र डीपीसी कराने का निर्देश दिया है।



 शिक्षा निदेशक माध्यमिक विनय कुमार पांडेय ने 15 दिन के भीतर समस्त अभिलेखों को तैयार कर आयोग को भेजना सुनिश्चित करें। साथ ही यह भी निर्देश दिया है कि लोक सेवा आयोग से डीपीसी कराने के लिए तिथि निर्धारित करें। इसके अलावा सीधी भर्ती के सहायक अध्यापक एवं प्रवक्ता पदों पर जिन पर पूर्व में अधियाचन भेजा जा चुका है। इस संबंध में लोक सेवा आयोग से संपर्क कर चयन की कार्रवाई कराना सुनिश्चित करें। साथ ही जिन रिक्त पदों पर अभी तक अधियाचन नहीं भेजा गया है, उन समस्त रिक्त पदों का अधियाचन 10 दिन के भीतर लोक सेवा आयोग को भेजना सुनिश्चित करें।

Saturday, January 29, 2022

बिहार : गुरु जी को मिला नया काम, अब बताएंगे शराबियों और शराब माफियाओं के नाम

बिहार  : गुरु जी को मिला नया काम, अब बताएंगे शराबियों और शराब माफियाओं के नाम

बिहार में अब शिक्षक करेंगे पियक्कड़ों की पहचान, मद्य निषेध विभाग को देंगे शराब तस्करों की खबर, नीतीश सरकार ने सौंपा नया काम



शराब माफियाओं के सामने बुरी तरह फेल हो चुके पुलिस तंत्र के बाद अब बिहार सरकार की तरफ से शिक्षक तंत्र पर दांंव खेला गया है। बिहार के सभी शिक्षकों को ये जिम्‍मेदारी सौंपी गई है कि वो शराब माफियाओं और शराबियों की सूचनाएं दें। ये देखना महत्‍वपूर्ण होगा कि सरकार का ये दांव माफियाओं को पटखनी देता है।


बिहार के सरकारी स्कूलों के गुरुजी अब शराब पीने व बेचने वालों पर नजर रखेंगे। उनकी पहचान करेंगे। पहचान होते ही इसकी सूचना मद्य निषेध विभाग को देंगे। साथ ही, नशापान नहीं करने को लेकर लोगों को जागरूक भी करेंगे। शिक्षा विभाग ने शुक्रवार को पहली से लेकर 12वीं तक के स्कूलों के सभी गुरुजी तथा स्कूल प्रधानों को यह नया टास्क सौंपा है। 


विदित हो कि प्रदेश में शराबबंदी व पूर्ण नशाबंदी लागू करने में शिक्षा विभाग ने महती आरंभिक भूमिका निभाई थी। यही विभाग शराबबंदी को लेकर राज्यभर में चले जागरूकता अभियान का नोडल था, साथ ही शिक्षा विभाग के ही संयोजकत्व में मानव शृंखला का विश्व रेकार्ड बना था। अब एक बार फिर शराबबंदी को सफल बनाने को लेकर शिक्षा विभाग सजग हुआ है। 


शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने शुक्रवार को सभी क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक (आरडीडीई), सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) तथा सभी जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (डीपीओ) को नशामुक्ति अभियान को सफल बनाने का निर्देश दिया है। उन्होंने जिलों को इस बाबत भेजे पत्र में कहा है कि ऐसी सूचना मिल रही है कि अभी भी कुछ लोग चोरी-छिपे शराब का सेवन कर रहे हैं। इसका दुष्परिणाम शराब पीने वाले तथा उनके परिवार पर पड़ रहा है। ऐसे में इसे रोकना अति आवश्यक है। इस संबंध में प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों में विद्यालय शिक्षा समितियों की बैठक बुलाकर नशामुक्ति के संदर्भ में आवश्यक जानकारी दी जाय। 

UPTET : कोर्ट पहुंचेंगे यूपीटीईटी की उत्तरमाला के तीन उत्तर

UPTET : कोर्ट पहुंचेंगे यूपीटीईटी की उत्तरमाला के तीन उत्तर


⚫ 2017 की यूपीटीईटी में हाई कोर्ट ने सही माने थे इन्हीं प्रश्नों के दो उत्तर 

⚫ पीएनपी से आपत्ति निस्तारण के बाद स्पष्ट होगी अन्य उत्तरों पर स्थिति


प्रयागराज : उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपीटीईटी)-2021 की उत्तरमाला उत्तर प्रदेश परीक्षा नियामक प्राधिकारी (पीएनपी) की ओर से जारी कर दी गई है। इसमें वर्ष 2017 की यूपीटीईटी में भी पूछे गए उन तीन प्रश्नों में एक उत्तर को सही बताया गया है, जिसमें हाई कोर्ट ने अभ्यर्थियों से सहमत होकर दो उत्तरों को सही मानकर समान अंक देने के आदेश दिए थे। इसके अलावा अन्य उत्तरों को लेकर स्थिति आपत्ति निस्तारण के बाद स्पष्ट हो सकेगी।


उत्तरमाला पर अभ्यर्थियों से आनलाइन आपत्ति एक फरवरी तक मांगी गई है। वर्ष 2017 की यूपीटीईटी में 14 प्रश्नों पर पीएनपी की उत्तरमाला से असहमत होकर अभ्यर्थियों ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी। मामला डबल बेंच तक गया था, जिसमें तीन प्रश्नों के दो उत्तर सही माने गए थे, बाकी उत्तरों पर कोई बदलाव नहीं किया गया था। यह विवादित प्रश्न वर्ष 2021 की यूपीटीईटी के प्रश्नपत्र में भी आए। 


बाल विकास एवं शिक्षण विधि विषय में- ‘निम्न में किसका नाम सुजनन शास्त्र के पिता से जुड़ा हुआ है’। इसमें हाई कोर्ट ने ‘गाल्टन’ और ‘क्रो एंड क्रो’ दोनों उत्तरों को सही माना था। इसी तरह एक और प्रश्न ‘घास भूमि क्षेत्र के परितंत्र के खाद्य श्रृंखला के सबसे उच्च स्तर का उपभोक्ता होता है’। इसमें पीएनपी ने ‘मांसाहारी’ को सही माना है, जबकि हाई कोर्ट ने 2017 में इस प्रश्न में ‘मांसाहारी’ के साथ ‘जीवाणु’ को भी सही मानते हुए दोनों उत्तरों पर समान अंक देने का आदेश दिया था। 


इसी तरह एक अन्य प्रश्न ‘आंख की किरकिरी होने का अर्थ है’, प्रश्न पर हाई कोर्ट के आदेश पर ‘अप्रिय लगना’ और ‘कष्टदायी’ होना को सही उत्तर माना गया था। कौशांबी में सहायक अध्यापक अनिल कुमार पांडेय का कहना है कि 2017 की यूपीटीईटी में कोर्ट जा चुके इन प्रश्नों को 2021 की परीक्षा से हटाकर कोर्ट की संभावना को रोका जा सकता था या कम किया जा सकता था। अब क्वालीफाइंग अंक से एक अंक कम पाने वाले अभ्यर्थी विवादित तीनों प्रश्नों के दूसरे सही उत्तर को लेकर कोर्ट का रुख अपनाएंगे, क्योंकि यह अंक उन्हें परीक्षा में सफल होने का मार्ग प्रशस्त करेंगे।

पड़ताल! बोर्ड परीक्षा सिर पर, सरकारी स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई चौपट

पड़ताल! बोर्ड परीक्षा सिर पर, सरकारी स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई चौपट

उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनावों के तुरंत बाद कभी भी यूपी बोर्ड वर्ष 2022 की परीक्षाओं की तिथियों की घोषणा हो जाएगी। वहीं कोविड 19 के बढ़ते मामलों को देखते हुए पहले ही स्कूल कॉलेज 30 जनवरी तक बंद किए जा चुके हैं। ऑनलाइन पढ़ाई के आदेश जरूर हैं लेकिन लखनऊ के राजकीय और एडेड विद्यालयों में पढ़ने वाले गरीब छात्र-छात्राएं ऑनलाइन पढ़ाई से पूरी तरह दूर हैं। सबसे ज्यादा मुश्किल कक्षा 10 और 12 के छात्रों की हैं। जिनकों संभवत: मार्च से बोर्ड परीक्षाओं में शामिल होना है। अधिकांश एडेड विद्यालयों में हालात ऐसे ही हैं। चार से पांच फीसदी बच्चे भी ऑनलाइन कक्षाओं से नहीं जुड़ पा रहे हैं।


व्हॉट्सएप ग्रुप बनाए पर छात्रों को पता नहीं
शहर के एक या दो राजकीय कॉलेज को छोड़ दिया जाए तो सभी अन्य व्हॉट्सएप ग्रुप से भेजे जाने वाली सामग्री को ऑनलाइन पढ़ाई मानते हैं। कॉलेज बच्चों द्वारा रजिस्ट्रेशन के समय दिए गए नम्बरों को ग्रुप में जोड़ लेते हैं और ग्रुप में पढ़ाई होने लगती है। कितने बच्चे जुड़े, कितनों ने होमवर्क किया, कितने अनुपस्थित रहे ये किसी को पता नहीं चल पाता है। अधिकांश बच्चों को खुद इन व्हॉट्सएप ग्रुप या इनमें हो रही ऑनलाइन पढ़ाई के बारे में कोई जानकारी नहीं है।

माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय मंत्री और प्रवक्ता डा. आरपी मिश्रा ने कहा कि ग्रामीण अंचल में रहने वाले तमाम बच्चों के पास फोन नहीं है। रजिस्ट्रेशन के समय किसी जानने वाले का नम्बर दे दिया जाता है। स्कूल वाले रिकार्ड में दर्ज नम्बर को ही ग्रुप में जोड़ते हैं। उस नम्बर पर छात्र होता ही नहीं है तो कैसी पढ़ाई। इसके अलावा अगर बच्चे का सही नम्बर भी है तो उसके पास स्मार्ट फोन नहीं है या इंटरनेट कनेक्शन नहीं है। इसलिए ऑनलाइन पढ़ाई का परिणाम राजकीय और एडेड कॉलेज में शून्य रहता है। दो साल से कोविड है अब तक शासन को इन समस्याओं पर काम करना चाहिए था।

ऑनलाइन कक्षा से बच्चों को जोड़ना मुश्किल
अग्रसेन इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य साकेत सौरभ बंधु ने कहा कि ये सच है कि बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई से जोड़ना मुश्किल काम है। बड़ी संख्या में बच्चे गरीब घरों से हैं। किसी के पास स्मार्ट फोन तो किसी के पास इंटरनेट की समस्या है। निश्चित रूप से इसका असर पढ़ाई पर पड़ रहा है। व्हॉट्सएप ग्रुप के अलावा गूगल मीट से भी कोशिश की गई लाइव क्लास लेने की लेकिन उसमें 40 बच्चों की कक्षा में चार बच्चे ही जुड़ पा रहे हैं।

ऑनलाइन पढ़ाई बस विकल्प
भारती बालिका इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्य रीता टण्डन ने कहा कि ऑफलाइन पढ़ाई की बराबरी ऑनलाइन पढ़ाई से नहीं की जा सकती है। ऑनलाइन कक्षाओं में बहुत मेहनत के बाद 35 से 40 प्रतिशत छात्राएं ही जुड़ पाती हैं जबकि बोर्ड परीक्षा सिर पर है। बीच में जब स्कूल खुले तो दोगुनी मेहनत के साथ पाठ्यक्रम पूरा कराने का प्रयास किया गया। अब दोबारा कोविड की वजह से ऑनलाइन कक्षाओं का आदेश है लेकिन ऑफलाइन जैसी पढ़ाई अभी ऑनलाइन क्लास में नहीं पाती है। ये समस्या सभी स्कूलों में हैं। सरकारी स्कूलों में गरीब घरों से आने वाले बच्चे पढ़ते हैं। जिनके पास संसाधन की कमी होती है।

Friday, January 28, 2022

UP Board Date Sheet 2022 : यूपी बोर्ड परीक्षा का टाइम टेबल नई सरकार बनने के बाद होगा जारी, जानें कब आएगी डेटशीट

UP Board Date Sheet 2022 : यूपी बोर्ड परीक्षा का टाइम टेबल नई सरकार बनने के बाद होगा जारी, जानें कब आएगी डेटशीट

UP Board Date Sheet 2022 : यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटर परीक्षा की समय सारिणी ( UPMSP UP Board 10th 12th Time Table 2022 ) प्रदेश में नई सरकार बनने के बाद ही जारी होगी। बोर्ड ने 14 अगस्त को जारी अपने शैक्षणिक कैलेंडर में मार्च अंत से 10वीं-12वीं की परीक्षाएं प्रस्तावित की थी। लेकिन परीक्षा की समय सारिणी पर कोई निर्णय होने से पहले विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी हो गई। अब नई सरकार के गठन के बाद ही समय सारिणी ( UP Board Exam 2022 dates ) पर मुहर लगेगी। 10 मार्च को मतगणना के बाद एक सप्ताह में सरकार के गठन की उम्मीद और उसके बाद यानि मार्च के तीसरे सप्ताह में समय सारिणी फाइनल होने की उम्मीद जताई जा रही है।


आठ महीने पहले दे दी थी 2020 की समय सारिणी
वर्ष 2020 की 10वीं-12वीं परीक्षा के लिए समय सारिणी सरकार ने आठ महीने पहले एक जुलाई 2019 को ही जारी कर दी थी। उस समय तर्क दिया गया था कि समय सारिणी जल्द जारी करने से बच्चों को तैयारी का भरपूर समय मिलेगा और नकल पर रोक लगेगी। इसी प्रकार 2019 की समय सारिणी उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने छह महीने पहले 10 सितंबर 2018 को घोषित की थी। पिछले साल कोरोना के कारण तीन बार समय सारिणी जारी करने के बावजूद परीक्षा नहीं कराई जा सकी थी।

एक नजर आंकड़ों पर
- 28 हजार से अधिक स्कूलों के बच्चे देंगे बोर्ड परीक्षा
- 27,83,742 छात्र-छात्राएं हाईस्कूल परीक्षा के लिए हैं पंजीकृत
- 23,91,841 विद्यार्थी इंटरमीडिएट परीक्षा में होंगे सम्मिलित

स्कूल - कालेज सहित दूसरे शैक्षणिक संस्थानों को फिर से खोलने की तैयारी, शिक्षा मंत्रालय ने राज्यों के साथ शुरू की चर्चा, अन्तिम निर्णय होगा राज्यों के हाथ

स्कूल - कालेज सहित दूसरे शैक्षणिक संस्थानों को फिर से खोलने की तैयारी, शिक्षा मंत्रालय ने राज्यों के साथ शुरू की चर्चा, अन्तिम निर्णय होगा राज्यों के हाथ


कोरोना के डर से बंद पड़े देश भर के स्कूल कालेज सहित दूसरे शैक्षणिक संस्थानों को संक्रमण की रफ्तार के थमते ही फिर से खोलने की तैयारी शुरु हो गई है। हालांकि इन्हें कब से खोला जाना है इसका फैसला राज्यों को ही करना है।


नई दिल्ली । कोरोना के डर से बंद पड़े देश भर के स्कूल, कालेज सहित दूसरे शैक्षणिक संस्थानों को संक्रमण की रफ्तार के थमते ही फिर से खोलने की तैयारी शुरु हो गई है। हालांकि इन्हें कब से खोला जाना है, इसका फैसला राज्यों को ही करना है। लेकिन इससे पहले छात्रों की सुरक्षा को लेकर केंद्र सरकार की ओर से कुछ जरुरी दिशा-निर्देश दिए जा सकते है। फिलहाल इसकी तैयारी शुरु हो गई है। इसी कड़ी में तमिलनाडु सरकार ने एक फरवरी से कक्षा एक से 12 तक के छात्रों के लिए शारीरिक कक्षाएं फिर से खोलने की घोषणा की है।


केंद्र ने बच्चों के वैक्सीनेशन की मांगी जानकारी

सभी राज्यों से 15 साल से ज्यादा उम्र वाले छात्रों के वैक्सीनेशन की जानकारी मांगी गई है। वैसे भी कोरोना संक्रमण की रफ्तार के धीमी पड़ने के साथ जिस तरह से सभी राज्यों में बाजार और दूकानें खुल गई है, ऐसे में स्कूलों और दूसरे शैक्षणिक संस्थानों को भी खोलने की भारी दबाव है। खासकर जो बच्चे दसवीं व बारहवीं में है, उनके अभिभावकों की ओर से स्कूलों को खोलने की मांग लगातार की जा रही है। हालांकि इसके बाद भी ज्यादातर राज्य स्कूलों को खोलने को लेकर हिचक रहे है।



स्कूलों में दसवीं और बारहवीं के छात्रों को बुलाया जा सकता है पहले

शिक्षा मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक कई राज्यों ने तो इसे लेकर संपर्क भी साधा है। साथ ही कोरोना की पिछली लहरों की तर्ज पर इस बार स्कूलों सहित दूसरे शैक्षणिक संस्थानों को जैसे कोचिंग आदि को खोलने को लेकर भी दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की है। जिसके बाद ही मंत्रालय ने इस दिशा में काम शुरू किया है। फिलहाल जो संकेत मिल रहे है, उनमें अभी सिर्फ नौवीं से बारहवीं तक के बच्चों को स्कूल बुलाया जाएगा। बाकी बच्चों को अगले कुछ महीने और स्थिति को देख कर निर्णय लिया जाएगा। वहीं कोचिंग संस्थानों को भी सीमित संख्या के साथ खोलने की अनुमति होगी।



केंद्र सरकार इसे लेकर जारी कर सकती है जरुरी दिशा-निर्देश भी

शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक आने वाले दिनों में वैसे भी बोर्ड सहित जेईई मेंस व नीट जैसी परीक्षाएं है। जिसके लिए स्कूलों को खोलना ही होगा। इससे पहले दसवीं और बारहवीं की प्रायोगिक परीक्षाएं भी होनी है। जिसमें छात्रों को बुलाना जरुरी होगा। इस बीच स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़े विशेषज्ञों ने भी सलाह दी है कि स्कूलों व शैक्षणिक संस्थानों को खोलने में कोई खतरा नहीं है।


 विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना संक्रमितों में स्कूली बच्चों की आयु वर्ग वालों की संख्या काफी कम है। गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण के डर से स्कूल-कालेजों के बंद होने से बच्चों की पढ़ाई आनलाइन कराई जा रही है, लेकिन क्लास रूम जैसी पढ़ाई से वंचित है। अधिकांश बच्चे इस आनलाइन पढ़ाई में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पा रहे है।

Thursday, January 27, 2022

बीएड में प्रवेश न पाने वाले 37 हजार अभ्यर्थियों को वापस होगा शुल्क

बीएड में प्रवेश न पाने वाले 37 हजार अभ्यर्थियों को वापस होगा शुल्क


लखनऊ : संयुक्त बीएड प्रवेश परीक्षा 2021-23 में शामिल होने के बाद भी सीट न पाने वाले करीब 37 हजार अभ्यर्थियों के लिए राहत भरी खबर है। काउंसलिंग कराने के बाद भी जिन अभ्यर्थियों को सीटें नहीं आवंटित हुई थीं, जल्द ही उनका शुल्क खाते में वापस कर दिया जाएगा। लखनऊ विश्वविद्यालय ने एक फरवरी से शुल्क भेजने की तैयारी की है।


इस बार लखनऊ विश्वविद्यालय ने संयुक्त बीएड प्रवेश परीक्षा आयोजित की थी। दाखिले के लिए दो महीने तीन दिन तक चली काउंसलिंग की प्रक्रिया 20 नवंबर को समाप्त हुई थी। राज्य समन्वयक प्रो. अमिता बाजपेयी ने बताया कि प्रदेश के करीब पांच हजार अभ्यर्थी ऐसे हैं, जिन्होंने सीधी काउंसलिंग में प्रतिभाग कर 51,250 रुपये शुल्क जमा कर दिया था, लेकिन कोई सीट आवंटित नहीं हो पाई। इसके अलावा करीब 32 हजार अभ्यर्थी ऐसे भी हैं, जिन्होंने पहली और पूल काउंसलिंग में शामिल होने के लिए पांच हजार रुपये एडवांस में जमा किए थे। इन्हें भी सीट नहीं मिल पाई। इन सभी के शुल्क वापसी की प्रक्रिया एक फरवरी से शुरू करने की तैयारी है। अभ्यर्थियों की सूची तैयार कर ली गई है। धनराशि काउंसलिंग के समय भरे गए बैंक खाते में वापस भेजी जाएगी। सबसे पहले 51,250 रुपये वाले अभ्यर्थियों का रिफंड वापस किया जाएगा। प्रवेश न पाने वाले ये अभ्यर्थी दो महीने से अपना जमा शुल्क वापसी का इंतजार कर रहे हैं।



बीएड प्रवेश से वंचित 37 हज़ार अभ्यर्थियों को बड़ी राहत, जमा शुल्क जल्द होगा वापस, बीएड कॉलेजों को भी शुल्क भेजना हुआ शुरू


संयुक्त बीएड प्रवेश परीक्षा 2021-23 में शामिल हो चुके 37 हजार अभ्यर्थियों के लिए राहत भरी खबर हैं। काउंसलिंग कराने के बाद भी जिन अभ्यर्थियों को सीटें नहीं आवंटित हुईं थीं, जल्द ही उनका शुल्क वापस खाते में वापस कर दिया जाएगा।लखनऊ विश्वविद्यालय ने एक फरवरी से शुल्क भेजने की तैयारी की है।


इस बार लखनऊ विश्वविद्यालय ने संयुक्त बीएड प्रवेश परीक्षा आयोजित की थी। दाखिले के लिए दो महीने तीन दिन तक चली काउंसलिंग की प्रक्रिया 20 नवंबर को समाप्त हुई थी। राज्य समन्वयक प्रो. अमिता बाजपेयी ने बताया कि प्रदेश भर के करीब पांच हजार अभ्यर्थी ऐसे हैं, जिन्होंने सीधी काउंसिलिंग में प्रतिभाग कर 51,250 रुपये शुल्क जमा कर दिया था। लेकिन कोई सीट आवंटित नहीं हो पाई। इसके अलावा करीब 32 हजार अभ्यर्थी ऐसे भी हैं, जिन्होंने पहली और पूल काउंसलिंग में शामिल होने के लिए पांच हजार रुपये एडवांस में जमा किए थे। इन सभी के शुल्क वापसी की प्रक्रिया एक फरवरी से शुरू करने की तैयारी है। अभ्यर्थियों की सूची तैयार कर ली गई हैं।


काउंसलिंग के समय दिए गए खाते में जाएगा पैसा: उन्होंने बताया कि यह धनराशि अभ्यर्थी की ओर से काउंसलिंग के समय भरे गए विवरण के मुताबिक बैंक खाते में वापस भेजी जाएगी। सबसे पहले 51,250 रुपये वाले अभ्यर्थियों का रिफंड वापस किया जाएगा। गौरतलब है कि प्रवेश न पाने वाले ये अभ्यर्थी दो महीने से अपना जमा शुल्क वापस का इंतजार कर रहे हैं।


2,32,757 सीटों पर हुए थे प्रवेश: संयुक्त बीएड प्रवेश परीक्षा में इस साल 5,91,305 अभ्यर्थी पंजीकृत हुए थे। इनमें से 5,33,457 अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हुए। 5,32,207 को प्रवेश के लिए अर्ह घोषित किया गया। हालांकि पिछले साल सिर्फ 3,57,701 अभ्यर्थियों ने ही परीक्षा दी थी। इस सत्र में 2,32,757 सीटों पर प्रवेश हुए थे।


प्रवेश शुल्क कालेजों को भेजना शुरू: लखनऊ विश्वविद्यालय ने बीएड पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने वाले अभ्यर्थियों का जमा शुल्क कालेजों में भेजना शुरू कर दिया है। राज्य समन्वयक के मुताबिक अब तक सात विश्वविद्यालयों से संबंद्व बीएड महाविद्यालयों को पैसा भेजा जा चुका है। बाकी कालेजों की फीस भी जल्द ही उनके खाते में पहुंच जाएगी।

Wednesday, January 26, 2022

शिक्षा जगत के मुद्दे चुनावी चर्चा से बाहर, बहु प्रचारित नई शिक्षा नीति पर भी नहीं हो पा रही चर्चा

शिक्षा जगत के मुद्दे चुनावी चर्चा से बाहर, बहु प्रचारित नई शिक्षा नीति पर भी नहीं हो पा रही चर्चा


कोराना संक्रमण के दौर में होने जा रहे प्रदेश विधानसभा के चुनाव शिक्षा जगत के मुद्दे अभी तक चर्चा में जगह नहीं बना पाए हैं। चुनावी रैलियों व जनसभाओं पर रोक के कारण वर्चुअल माध्यम पर निर्भरता भी शिक्षा के मुद्दे पर ध्यानाकर्षण नहीं कर पा रही। यहां तक कि बहु प्रचारित नई शिक्षा नीति पर भी कोई मुद्दा नहीं बन पा रही है।


राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि चुनावी बिगुल बजने से पहले प्रदेश में आम आदमी पार्टी की दस्तक के साथ एक बार प्रदेश की प्राथमिक शिक्षा मुद्दा बनती नजर आई थी, लेकिन चुनावी सरगर्मी बढ़ने के बाद उस पर चर्चा भी नहीं हो पा रही है। 


दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली और यूपी के सरकारी स्कूलों की तुलनात्मक स्थिति पर बहस छेड़कर इसे चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश की थी। कुछ दिनों तक भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच वार-पलटवार का दौर भी चला, लेकिन अब मुद्दा चुनावी परिदृश्य से ओझल है। 


इसी तरह सत्तारूढ़ भाजपा ने नई शिक्षा नीति को ‘गेम चेंजर’ के तौर पर प्रचारित किया और यूपी को उसे लागू करने वाले पहला राज्य बताकर खुद को सबसे आगे दिखाने की कोशिश की, लेकिन अब चुनाव के समय इसकी भी कोई चर्चा नहीं हो रही है।


पूर्व कुलपति एवं राजनीति विज्ञानी प्रो. रजनीकांत पांडेय कहते हैं कि शिक्षा समाज को व्यापक रूप से प्रभावित करती है। राजनीतिक दलों को शिक्षा क्षेत्र में सुधारों की कार्ययोजना के साथ चुनाव में उतरना चाहिए। इन विषयों के चुनावी मुद्दा बनने से समाज का भला होगा।


लखनऊ विश्वविद्यालय संबद्ध महाविद्यालय शिक्षक संघ (लुआक्टा) के अध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार पांडेय कहते हैं कि शिक्षा जगत के मुद्दों की यह अनदेखी दु:खद है। जब नई शिक्षा नीति लागू की गई थी तब भी इसमें राजनीतिक दलों ने कोई रुचि नहीं दिखाई थी। यह विषय शिक्षकों के बीच ही बहस का मुद्दा बनकर रह गया था

विद्यालयों को उत्कृष्ट बनाने पर ध्यान देने के निर्देश, अन्य राज्यों के मॉडल का अध्ययन कर यूपी में भी लागू करने का करें प्रयास - मुख्य सचिव, उ0प्र0

विद्यालयों को उत्कृष्ट बनाने पर ध्यान देने के निर्देश, अन्य राज्यों के मॉडल का अध्ययन कर यूपी में भी लागू करने का करें प्रयास - मुख्य सचिव, उ0प्र0



लखनऊ। मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा ने बेसिक और माध्यमिक विद्यालयों को उत्कृष्ट बनाने पर ध्यान देने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि विद्यालयों की व्यवस्था में गुणात्मक परिवर्तन कर शिक्षा के स्तर को सुधारा जा सकता है। वे मंगलवार को लोकभवन में बेसिक, माध्यमिक व उच्च शिक्षा विभागों के साथ कौशल विकास विभाग की समीक्षा कर रहे थे। 


उन्होंने कहा कि जहां भी बदलाव की जरूरत है, वहां बदलाव कर व्यवस्था को बेहतर बनाया जाए। इसके लिए अन्य राज्यों के मॉडल का अध्ययन कर उसे यूपी में भी लागू किया जाना चाहिए। केंद्रीय योजनाओं का क्रियान्वयन मिशन मोड पर कराया जाए ताकि उनके बेहतर परिणाम मिल सके उन्होंने जन शिकायतों का समय से निस्तारण और कार्मिकों का समय से प्रमोशन देने के भी निर्देश दिए। साथ ही गवर्नेस में सुधार कर जनता को गुणवत्तापरक सेवाएं उपलब्ध कराने कहा।

Tuesday, January 25, 2022

हाईकोर्ट का निर्णय : अंतिम परिणाम के दो साल बाद आपत्ति का अधिकार नहीं, याचिका खारिज

हाईकोर्ट का निर्णय : अंतिम परिणाम के दो साल बाद आपत्ति का अधिकार नहीं, याचिका खारिज

 

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2018 की सहायक अध्यापक भर्ती की उत्तर पुस्तिका के पुनर्मूल्यांकन के बाद मिले अंक पर आपत्ति न कर दो वर्ष बाद दाखिल याचिका पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि 2018 में ही पुनरीक्षित अंतिम परिणाम घोषित किया गया। याची ने उस समय कोई आपत्ति नहीं की। अंतिम रूप से घोषित परिणाम पर बाद में आपत्ति करने का अधिकार नहीं है। यह आदेश न्यायमूर्ति आरआर अग्रवाल ने वंदना गुप्ता की याचिका को खारिज करते हुए दिया है।


याची ने सहायक अध्यापक भर्ती 2018 का परिणाम घोषित होने के बाद पुनर्मूल्यांकन की अर्जी दी और स्कैन कॉपी मांगी। याची को 61 अंक मिले थे। 17 फरवरी 2019 को जारी पुनर्मूल्यांकन परिणाम में याची के अंक बढ़कर 66 हो गए। सामान्य पिछड़े वर्ग अभ्यर्थी का कटऑफ अंक 67 है। याची एक अंक से पीछे रह गई तो उसने दो प्रश्नों 44 व 52 के उत्तर पर आपत्ति की। कहा कि उसके उत्तर सही हैं। जबकि सी सीरीज की मॉडल उत्तरकुंजी पांच जून 2018 को जारी कर दी गई थी। पुनरीक्षित परिणाम 18 जून 2018 को जारी किया गया था। उस समय कोई आपत्ति नहीं की। सरकार की ओर से कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि न्यायालय उत्तरपुस्तिका की जांच नहीं कर सकता क्योंकि वह विशेषज्ञ नहीं होता।


साथ ही याची को पुनर्मूल्यांकन परिणाम के बाद ही आपत्ति करनी चाहिए थी। उसने दो साल बाद आपत्ति जताई है और कौशलेश मिश्र केस में मुद्दा तय हो चुका है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने मामले में हस्तक्षेप से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी।

12 वां राष्ट्रीय मतदाता दिवस आज मनाएगा देश, दिलायी जाएगी ये शपथ

12 वां राष्ट्रीय मतदाता दिवस आज मनाएगा देश, दिलायी जाएगी ये शपथ



बारहवां राष्ट्रीय मतदाता दिवस मंगलवार 25 जनवरी को मनाया जाएगा। केन्द्रीय चुनाव आयोग के अनुसार संपूर्ण देश में ‘चुनाव को समावेशी, सुगम और सहभागी बनाना विषय की मूल भावना को लेकर मनाया जाएगा।


इस अवसर पर मतदाताओं को स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण मतदान हेतु अपने मताधिकार का प्रयोग करने की शपथ दिलायी जाएगी। लखनऊ में मुख्य आयोजन इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान, में किया जायेगा। मुख्य निर्वाचन अधिकारी अजय कुमार शुक्ला ने प्रदेश भर के स्कूल/कॉलेजों में निबंध और वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित होंगी।




बजट 2022 : ऑनलाइन शिक्षा के लिए अलग फंड और नीतिगत व्यवस्था का ऐलान संभव, शिक्षा तकनीक के क्षेत्र को राहत के आसार

बजट 2022 : ऑनलाइन शिक्षा के लिए अलग फंड और नीतिगत व्यवस्था का ऐलान संभव, शिक्षा तकनीक के क्षेत्र को राहत के आसार


नई दिल्ली : कोरोना महामारी के बाद देश में ऑनलाइन शिक्षा का न सिर्फ विस्तार हुआ है बल्कि आज की तारीख में ये एक जरूरत बन चुकी है। ऐसे में इस बात की पुरजोर उम्मीद है कि अगले महीने पेश किए जाने वाले बजट में केंद्र सरकार इस क्षेत्र के लिए टैक्स राहत के साथ साथ दूसरी सुविधाओं पर भी जोर दे सकती है।


सूत्रों के मुताबिक सरकार बजट में न सिर्फ एक अलग फंड बल्कि इस सेक्टर के लिए नीतिगत व्यवस्था का भी ऐलान कर सकती है। यही नहीं ऑन लाइन एजुकेशन को रेग्युलेट करने के लिए एक अलग बॉडी के गठन के भी सरकार को सुझाव दिए गए हैं।


अलग फंड का इस्तेमाल शिक्षा के क्षेत्र में तकनीक को अपग्रेड करने के लिए किया जा सकता है। सरकार की कोशिश होगी कि लोगों को सभी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों तक शिक्षा की पहुंच किफायती और समान रूप हो। ऐसे में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और क्लाउड टेक्नोलॉजी से पढ़ाई पर जोर रहेगा।


वीडियो असिस्टेंड कोर्स के लिए मदद संभव : स्वयं पोर्टल की तर्ज पर वीडियो असिस्टेंड कोर्सेज के विकास के लिए भी फंड दिया जा सकता है जिससे छात्रों को पढ़ाई करना और सर्टिफिकेट हासिल करना सस्ती दरों पर उपलब्ध हो सके। इससे देश के छोटे शहरों, कस्बों और गांवों में रहने वाले लोगों को फायदा होगा। सरकार इन कोर्स को क्षेत्रीय भाषाओं में तैयार करने का विकल्प भी मुहैया कराने पर विचार कर रही है जिससे देश के हर हिस्से के लोग अपनी भाषा में शिक्षा ले सकें।


छात्रों को मिल सकते हैं सस्ते टैब: मामले से जुड़े अधिकारी के मुताबिक सरकार देश में ग्रामीण इलाकों में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी दूर करने के खास उपायों पर भी जोर देगी।


बजट में निर्यात को बढ़ावा देने वाले उपायों की आस

निर्यातकों ने सरकार से अगले सप्ताह पेश होने वाले बजट में निर्यात संवर्द्धन की दिशा में जरूरी कदम उठाने का अनुरोध करते हुए कहा है कि कई उत्पादों पर सीमा शुल्क हटाने की भी जरूरत है। भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो) ने बजट से अपनी अपेक्षाओं का जिक्र करते हुए कहा है कि देश से बाहर जाने वाली खेप की संख्या बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए जाने चाहिए। इसके साथ ही उसने प्लास्टिक से बने उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाने की भी जरूरत बताई है। बजट में लॉजिस्टिक से जुड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए मदद की आस है।


स्टार्टअप को मिल सकती है कर छूट

केंद्र सरकार की मंशा देश में स्टार्टअप को बढ़ावा देने की है। ऐसे में इस क्षेत्र में काम कर रहे स्टार्टअप को छोटे संस्थानों को लंबी अवधि में टैक्स राहत देने के उपायों की भी उम्मीद है। उल्लेखनीय है कि देश में मौजूदा समय में 60 हजार से अधिक स्टार्टअप हैं। इनमें कई शिक्षा जगत में सक्रिय हैं। सरकार ने पिछले छह वर्षों में स्टार्टअप को बढ़ावा देने की कई तरह की पहल की है।

Answer Key : 27 जनवरी को जारी होगी UPTET आधिकारिक उत्तरमाला, ऐसे कर सकेंगे चेक

 Answer Key : 27 जनवरी को  जारी होगी UPTET आधिकारिक उत्तरमाला,  ऐसे कर सकेंगे चेक


UPTET Answer Key 2022 : उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपीटीईटी) की आंसर-की आज  (27 जनवरी) आधिकारिक वेबसाइट updeled.gov.in पर जारी होगी। परीक्षा नियामक प्राधिकारी की ओर से आंसर-की जारी किए जाने के बाद अभ्यर्थियों को इस पर आपत्ति दर्ज कराने का मौका भी दिया जाएगा। अभ्यर्थियों से एक फरवरी तक ऑनलाइन आपत्तियां ली जाएंगी। यूपीटीईटी परीक्षा रविवार को प्रदेश के सभी 75 जिलों में शांतिपूर्वक संपन्न कराई गई थी। 


18.22 लाख अभ्यर्थियों को इंतजार

कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच संक्रमण का खौफ दरकिनार कर 18.22 लाख से अधिक अभ्यर्थी अपना कॅरियर संवारने के लिए परीक्षा देने पहुंचे थे।


सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी अनिल भूषण चतुर्वेदी के अनुसार, रविवार सुबह 10 से 12:30 बजे की पहली पाली में प्राथमिक स्तर के लिए 2532 केंद्रों पर आयोजित परीक्षा में पंजीकृत 12,91,627 अभ्यर्थियों में से 10,73,302 (83.09) उपस्थित हुए। उच्च प्राथमिक स्तर के लिए 2:30 से 5 बजे की दूसरी पाली में 1733 केंद्रों पर पंजीकृत 8,73,552 अभ्यर्थियों में से 7,48,810 (85.72) उपस्थित हुए। दोनों पालियों में पंजीकृत कुल 21,65,179 अभ्यर्थियों में से 18,22,112 (84.15) परीक्षा में शामिल हुए। कुल 3,43,067 अभ्यर्थी अनुपस्थित रहे।


यूपीटीईटी 2021 में अधिकांश प्रश्न पिछले सालों 2016, 2017 व 2018 की परीक्षा से थे। अभ्यर्थियों का दावा है कि 150 में से लगभग 130 प्रश्न रिपीट हुए। जैसे हिंदी, अंग्रेजी, गणित और पर्यावरण के अधिकांश प्रश्न 2017 के पेपर से जबकि बाल विकास के प्रश्न 2016 के पेपर से पूछे गए थे। 



UPTET : शिक्षक पात्रता परीक्षा की आधिकारिक उत्तर कुंजी 27 जनवरी को होगी जारी 


उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा 2021 रविवार को सकुशल संपन्न हो गई। प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तर की परीक्षा में 18 लाख से अधिक अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हुए। गौरतलब है कि इससे पहले 28 नवंबर को यह परीक्षा प्रस्तावित थी लेकिन पेपर आउट होने के चलते परीक्षा निरस्त करनी पड़ी थी।


उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा की उत्तरकुंजी 27 जनवरी को सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी की वेबसाइट पर जारी हो जाएगी। एक फरवरी तक उत्तरकुंजी पर ऑनलाइन आपत्तियां ली जाएंगी। 23 फरवरी को विषय विशेषज्ञ की समिति की रिपोर्ट के आधार पर अंतिम उत्तरमाला वेबसाइट पर जारी हो जाएगी। परीक्षा नियामक प्राधिकारी की ओर से 25 फरवरी को परिणाम जारी किया जाएगा। 


उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा 2021 रविवार को सकुशल संपन्न हो गई। प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तर की परीक्षा में 18 लाख से अधिक अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हुए। गौरतलब है कि इससे पहले 28 नवंबर को यह परीक्षा प्रस्तावित थी लेकिन पेपर आउट होने के चलते परीक्षा निरस्त करनी पड़ी थी। इसके बाद यह परीक्षा 23 जनवरी को सकुशल संपन्न हुई।


परीक्षा नियामक प्राधिकारी की ओर से लिखित परीक्षा की उत्तरमाला बृहस्पतिवार को वेबसाइट पर अपलोड हो जाएगी। इसके बाद परीक्षा नियामक प्राधिकारी अभ्यर्थियों से जारी उत्तरमाला पर एक फरवरी तक ऑनलाइन आपत्तियां लेगा। इसके बाद प्राप्त आपत्तियों पर विषय विशेषज्ञ की समिति गठित करके 21 फरवरी तक आपत्तियों का निराकरण कर लिया जाएगा। 23 फरवरी को संशोधित उत्तर माला जारी होगी। इसके बाद 25 फरवरी को शिक्षक पात्रता परीक्षा का परिणाम जारी होगा।

यूपी बोर्ड ने जारी की 40 जिलों के केंद्रों की सूची

यूपी बोर्ड ने जारी की 40 जिलों के केंद्रों की सूची


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मार्च अंत में प्रस्तावित हाईस्कूल और इंटर परीक्षा 2022 के लिए केंद्र निर्धारण के क्रम में यूपी बोर्ड ने मंगलवार को तकरीबन 40 जिलों की अनंतिम सूची वेबसाइट पर अपलोड कर दी। बचे हुए 35 जिलों की सूची भी एक-दो दिन में अपलोड होने की उम्मीद है।


जिलों को 13 जनवरी तक आपत्तियों का निस्तारण करते हुए केंद्रों की सूची वेबसाइट पर उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। लेकिन कुछ जिलों में आपत्तियों के निस्तारण में देरी होने के कारण सभी जिलों के केंद्रों की सूची अपलोड नहीं की जा सकी है। इन केंद्रों के संबंध में किसी स्कूल के छात्र, अभिभावक, प्रधानाचार्य या प्रबंधक को आपत्ति है तो वे अपने प्रत्यावेदन जिला विद्यालय निरीक्षक से प्रतिहस्ताक्षरित कराकर ईमेल आईडी upmspexamcentre@gmail.com पर दो फरवरी तक भेज सकते हैं।


बोर्ड स्तर पर गठित समिति इन आपत्तियों का निस्तारण कर 10 फरवरी तक अंतिम सूची जारी होगी।





UPMSP : यूपी बोर्ड 2022 परीक्षा के केंद्रों की 10 फरवरी को जारी होगी सूची 

माध्यमिक शिक्षा परिषद ने केंद्र निर्धारण की अंतिम तिथि बढ़ा दी है। दस फरवरी को केेंद्रों की अंतिम सूची जारी होगा। 25 जनवरी यानी मंगलवार को जनपदीय समिति की ओर से अनुमोदित केंद्रों की सूची परिषद की वेबसाइट पर अपलोड हो जाएगी।


उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद यूपी बोर्ड परीक्षा 2022 की तैयारियों में तेजी से जुटा हुआ है। परीक्षा केंद्रों के निर्धारण की प्रक्रिया चल रही है। 10 फरवरी को परिषद आपत्तियों का निरस्तारण का केंद्रों की अंतिम सूची जारी कर देगा। पहले यह तिथि 24 जनवरी निर्धारित थी। 

माध्यमिक शिक्षा परिषद ने केंद्र निर्धारण की अंतिम तिथि बढ़ा दी है। दस फरवरी को केेंद्रों की अंतिम सूची जारी होगा। 25 जनवरी यानी मंगलवार को जनपदीय समिति की ओर से अनुमोदित केंद्रों की सूची परिषद की वेबसाइट पर अपलोड हो जाएगी।

इसके बाद दो फरवरी तक जनपदीय समिति की ओर से ऑनलाइन निर्धारित केंद्रों की सूची पर छात्र, प्रधानाचार्य, अभिभावक की ओर से आपत्तियां ली जाएंगी। इसके बाद भी किसी प्रबंधक, छात्र, अभिभावक को आपत्ति है तो वह जिला विद्यालय निरीक्षक से प्रतिहस्ताक्षरित कराकर परिषद को ईमेल किया जा सकता है।

दो फरवरी तक वह आपत्ति ईमेल कर सकते हैं। परिषद की ईमेल आईडी पर जिला समिति की ओर से ऑनलाइन निर्धारित केंद्रों पर आई आपत्तियों का निस्तारण कर दस फरवरी को परीक्षा केंद्रों की अंतिम सूची जारी कर दी जाएगी।

Monday, January 24, 2022

नए सैनिक स्कूलों को लेकर 13 राज्यों का ठंडा रुख : रक्षा मंत्रालय, मान्यता के लिए 230 स्कूलों ने किया आवेदन, ‘एक स्कूल - एक खेल’ नीति होगी लागू

नए सैनिक स्कूलों को लेकर 13 राज्यों का ठंडा रुख : रक्षा मंत्रालय,  मान्यता के लिए 230 स्कूलों ने किया आवेदन, ‘एक स्कूल - एक खेल’ नीति होगी लागू



सैनिक स्कूल संबद्धता को लेकर चल रही योजना को लेकर रक्षा मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि इस योजना के लिए 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्कूलों की प्रतिक्रिया कमजोर रही है और इस मामले में एक सक्रिय अभियान चलाने की जरूरत है।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि ये 13 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश- गोवा, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, नयी दिल्ली, अंडमान और निकोबार, चंडीगढ़, लक्षद्वीप, पुडुचेरी, लद्दाख और जम्मू कश्मीर हैं।


बयान के अनुसार, ‘‘यह देखा गया है कि गोवा, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, नयी दिल्ली, अंडमान और निकोबार, चंडीगढ़, लक्षद्वीप, पुडुचेरी, लद्दाख और जम्मू और कश्मीर से निजी या गैर सरकारी संगठनों द्वारा संचालित अथवा सरकारी स्कूलों की भागीदारी कम रही है, जबकि इन राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों के लिए अपने क्षेत्र में सैनिक स्कूल स्थापित करने का एक सुनहरा अवसर है।’’


केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बीते साल अक्तूबर में राज्यों, गैर-सरकारी संगठनों और निजी संस्थानों की साझेदारी से सैनिक स्कूल सोसाइटी के तहत 100 मान्यता प्राप्त सैनिक स्कूलों की स्थापना से जुड़े प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। 


230 स्कूलों ने भेजे आवेदन
एक आधिकारिक बयान के मुताबिक ये मान्यता प्राप्त स्कूल एक विशेष संस्थान के रूप में काम करेंगे और रक्षा मंत्रालय के मौजूदा सैनिक स्कूलों से काफी अलग होंगे। बयान में कहा गया है कि विभिन्न राज्यों के लगभग 230 स्कूलों ने खुद को सैनिक स्कूल सोसाइटी से संबद्ध करने के लिए अपने आवेदन भेजे हैं।


एक बार जब स्कूल अपने आवेदन फॉर्म जमा कर देते हैं, तो उनका मूल्यांकन जिला स्तर पर एक स्कूल मूल्यांकन समिति द्वारा किया जाएगा और जनवरी के अंतिम सप्ताह तक रिपोर्ट सैनिक स्कूल सोसाइटी को सौंप दी जाएगी। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, सैनिक स्कूल सोसाइटी से मान्यता प्राप्त करने वाले स्कूल अगले अकादमिक सत्र (अप्रैल 2022) से सैनिक स्कूलों के पाठ्यक्रम और गतिविधियों का पालन करना शुरू कर देंगे। यह पाठ्यक्रम कक्षा छह और उससे ऊपर के छात्रों पर लागू होगा।


बयान में कहा गया है कि स्कूल प्रबंधन से जुड़े अन्य पहलू, मसलन शिक्षकों का प्रशिक्षण और खेल व पाठ्येत्तर गतिविधियों के क्रियान्वयन पर मान्यता प्राप्त स्कूलों को अलग से निर्देश जारी किया जाएगा।रक्षा मंत्रालय ने कहा कि नए सैनिक स्कूलों पर ‘एक स्कूल, एक खेल’ नीति भी लागू होगी, ताकि वे संबंधित राज्य के लिए चिन्हित कम से कम एक खेल विधा पर ध्यान केंद्रित कर सकें।


नए स्कूलों पर ‘एक स्कूल, एक खेल’ नीति भी लागू होगी
बयान में कहा गया है कि स्कूल प्रबंधन से जुड़े अन्य पहलू, मसलन शिक्षकों का प्रशिक्षण और खेल व पाठ्येत्तर गतिविधियों के क्रियान्वयन पर मान्यता प्राप्त स्कूलों को अलग से निर्देश जारी किया जाएगा। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि नए सैनिक स्कूलों पर ‘एक स्कूल, एक खेल’ नीति भी लागू होगी, ताकि वे संबंधित राज्य के लिए चिन्हित कम से कम एक खेल विधा पर ध्यान केंद्रित कर सकें।

समायोजन के दौरान पूर्व में शिक्षक के रुप में की गई पुरानी सेवा जोड़ने को हाईकोर्ट पहुंचे शिक्षामित्र

समायोजन के दौरान पूर्व में शिक्षक के रुप में की गई पुरानी सेवा जोड़ने को हाईकोर्ट पहुंचे शिक्षामित्र



परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 68500, 69000 समेत अन्य शिक्षक भर्तियों में सहायक अध्यापक पद पर चयनित शिक्षामित्रों ने समायोजन के दौरान पूर्व में शिक्षक के रूप में की गई सेवा को वर्तमान सेवा से जोड़ने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। यदि ऐसा होता है तो इन शिक्षामित्रों को वरिष्ठता, पेंशन चयन वेतनमान आदि में लाभ होगा।


याची बलिया के ललित मोहन सिंह ने बताया कि विभिन्न शिक्षक भर्तियों में चयनित हुए सैकड़ों सहायक अध्यापक पहले शिक्षामित्र थे। पिछली सरकार में 19 जून 2014 से शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापक पद पर प्राथमिक स्कूलों में समायोजन की प्रक्रिया शुरू हुई।



 हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई 2017 को 1.37 लाख शिक्षामित्रों का समायोजन निरस्त कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रदेश सरकार ने रिक्त सीटों पर भर्तियां शुरू की जिनमें सैकड़ों शिक्षामित्र फिर से सहायक अध्यापक बन गए। इनमें से कई सहायक अध्यापक पूर्व में समायोजन के समय ही अध्यापक बनने की पूरी योग्यता (बीए, बीटीसी व टीईटी) रखते थे।



 शिक्षा मित्र से सहायक अध्यापक बने ऐसे शिक्षकों ने समायोजित सहायक अध्यापक के रूप में की गई अपनी सेवा को नई सेवा से जोड़ने और अन्य सभी लाभ देने की गुहार लगाई है। शुक्रवार को याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने प्रदेश सरकार से चार सप्ताह के अंदर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया। अगली सुनवाई मार्च के तीसरे सप्ताह में होगी।

गजब : UPTET उच्च प्राथमिक स्तर का पूरा पेपर हू-ब-हू 2017 की परीक्षा जैसा

गजब : UPTET उच्च प्राथमिक स्तर का पूरा पेपर हू-ब-हू 2017 की परीक्षा जैसा


UPTET: रविवार को दो पालियों में हुई उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपी-टीईटी) में 2017 के सवालों की पुनरावृत्ति केवल कुछ प्रश्नों तक सीमित नहीं है। जूनियर स्तर पर सभी सवाल 2017 से पेपर से आए हैं। इन सवालों की मूल भाषा समान है, लेकिन उत्तर के क्रमांक बदले हुए हैं। परीक्षा में 2017 से जो सवाल 2021 के पेपर में रिपीट हुए हैं, उसमें पांच-पांच सवालों का पैटर्न है। प्राइमरी स्तर पर भी सवाल रिपीट हुए हैं, लेकिन जूनियर के सापेक्ष इनकी संख्या कम है। सोमवार को 2017 और 2021 टीईटी की मूल बुकलेट के सवाल मिलान करते ही छात्रों के पैरों तले जमीन खिसक गई। सभी सवालों के पुराने पेपर से आने का असर रिजल्ट पर पड़ सकता है। इस बार ना केवल औसत प्राप्तांक बढ़ने की उम्मीद है बल्कि उत्तीर्ण प्रतिशत में भी बढ़ोतरी होगी।


जूनियर में इस तरह आए पुराने सवाल

जूनियर स्तर पर 2017 और 2021 (रविवार-2022 को हुआ पेपर) में दोनों की बुकलेट सीरीज ‘सी’ से सवालों का मिलान किया गया। चाइल्ड डवलपमेंट पैडॉगॉगी सेक्शन में रविवार को आया प्रश्न संख्या एक 2017 में 24 वें नंबर पर है। प्रश्न दो, तीन, चार और पांच 2017 की बुकलेट में 25-28 तक क्रमवार हैं। रविवार के पेपर में प्रश्न समान है, लेकिन उत्तर के विकल्प के क्रम बदले हुए हैं। 2021 के पेपर में प्रश्न छह से 10 तक 2017 की बुकलेट में 14-18 नंबर पर हैं। सभी सेक्शन में पांच-पांच प्रश्नों को ग्रुप को आगे-पीछे किया गया है। दोनों बुकलेट के प्रश्न मिलाने पर हिन्दी, अंग्रेजी, गणित-साइंस और सामाजिक विज्ञान में सभी प्रश्न 2017 से मिल रहे हैं। यानी 2017 का पेपर सौ फीसदी रविवार को जूनियर में रिपीट हुआ।


प्राइमरी स्तर पर इतने सवाल पुराने
कक्षा एक से पांचवीं तक प्राइमरी स्तर के टीईटी में चाइल्ड डवलपमेंट पैडॉगॉगी सेक्शन में 15, हिन्दी में 23, अंग्रेजी में आठ, संस्कृत में 18, गणित में 16 और पर्यावरण अध्ययन में 17 सवाल 2017 के पेपर से हैं। प्रत्येक सेक्शन में कुल सवालों की संख्या 30 होती है। ऐसे में प्राइमरी स्तर के पेपर में भी 60 फीसदी से ऊपर सवाल 2017 के पेपर से आए हैं।


पेपर मिलाकर देखा तो होश उड़ गए
प्राइमरी एवं जूनियर स्तर के दोनों पेपर देने वाले रजत शर्मा को रविवार को 2017 के सवाल रिपीट होने पर यकीन नहीं हुआ, लेकिन सोमवार को जब दोनों बुकलेट सामने रखी तो दावे सही निकले। रजत के अनुसार जूनियर टीईटी में तो लगभग सारे सवाल 2017 के पेपर से आए हैं। इनमें केवल उत्तर क्रमांक बदला हुआ है। प्राइमरी में पुराने सवालों की संख्या थोड़ी कम है, लेकिन सवाल 2017 से ही आए हैं। साक्षी शर्मा के मुताबिक जूनियर में पूरा पेपर 2017 से था।


सोशल मीडिया पर कसे जा रहे तंज
जूनियर में सौ फीसदी पेपर रिपीट होने पर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी हुई है। रियल हिमांशु राणा के फेसबुक पेज पर पोस्ट है ‘रावण कितना भी बुरा आदमी था, लेकिन तीर कॉपी-पेस्ट करके नहीं चलाता था। प्राथमिक 67%, उच्च प्राथमिक 100% कट-पेस्ट 2017 से। दूसरी पोस्ट है। यूपी टेट-2017 जूनियर 150 के साथ प्रथम पायदान पर। पैराग्राफ भी ना छोड़ें। पेपर 2022 का रहा है, लेकिन शब्द 2017 के हैं। नीली की जगह काली स्याही प्रयुक्त की है बस।



UPTET : 2017 के प्रश्नपत्र से रिपीट हुए अधिकांश प्रश्न


प्रयागराज : यह महज संयोग है या कुछ और, लेकिन प्रश्न उठ रहे हैं कि यूपीटीईटी-2021 के प्रश्नपत्र में अधिकांश प्रश्न वर्ष 2017 की यूपीटीईटी से रिपीट हुए हैं। ऐसा किसी एक विषय के प्रश्नों में नहीं, बल्कि कई में हुआ है। इस स्थिति पर शिक्षक ने हैरानी जताई है। कहा है कि हिंदी विषय में अपठित गद्यांश भी रिपीट हुआ है। 



प्राथमिक स्तर की यूपीटीईटी-2021 में 150 प्रश्न पूछे गए। इसमें पांच विषय से जुड़े प्रश्न शामिल हैं। बाल विकास में शिक्षण विधि के 30 प्रश्न हैं। इसी तरह भाषा प्रथम में हिंदी में 30, भाषा द्वितीय में अंग्रेजी या संस्कृत अथवा उर्दू में क्रमश: 30-30 प्रश्न, गणित और पर्यावरण अध्ययन में 30-30 प्रश्न हैं। इसी तरह वर्ष 2017 की परीक्षा में भी प्रश्नपत्र तैयार किए गए थे। कौशांबी के टेवां स्थित एक विद्यालय के सहायक अध्यापक अनिल कुमार पाण्डेय ने प्रश्नपत्र सेट किए जाने पर सवाल उठाए हैं। दावा किया है कि शिक्षण विधि, हिंदी, संस्कृत, गणित और पर्यावरण अध्ययन में पूछे गए


अधिकांश प्रश्न वर्ष 2017 से हूबहू लिए गए हैं। उदाहरण के लिए हिंदी विषय में 2021 की परीक्षा में 31 नंबर पर प्रश्न है- घुमक्कड़ शब्द में कौन सा प्रत्यय है? 32 नंबर पर प्रश्न है- महावीर स्वामी का जन्म कहां हुआ था? 33 नंबर पर प्रश्न है स्वच्छंद में कौन सी संधि है। वर्ष 2017 की यूपीटीईटी में भी यही प्रश्न थे, लेकिन प्रश्नों का क्रम 56,57,58 था। 20 से ज्यादा प्रश्न दोनों वर्षों के प्रश्नपत्रोंें में हैं। 


शिक्षक ने अन्य विषयों में ऐसा होने का दावा किया है। युवा मंच ने वर्ष 2017 के प्रश्नपत्र से प्रश्न रिपीट होने का आरोप लगाया है। मुख्यमंत्री को ट्वीट कर कहा है कि प्रश्नों को दोहराकर कोचिंग संस्थानों को लाभ पहुंचाने की कोशिश है। मंच अध्यक्ष अनिल सिंह ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। युवा मंच संयोजक राजेश सचान ने कोरोना गाइड लाइन न करने का आरोप लगाया है।


प्रश्नपत्र रिपीट होने के मामले में पीएनपी सचिव अनिल भूषण चतुर्वेदी का कहना है कि परीक्षाओं में सवाल घुमा फिराकर पूछे ही जाते हैं। पूर्व में जो प्रश्न परीक्षा में आए होते हैं, वह बाद की परीक्षा के प्रश्नों में शामिल किए जाते हैं, जो सबके लिए समान होते हैं। उन्होंने आरोपों को गलत बताया है।


प्रयागराज : उप्र शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपीटीईटी-2021) में गणित के प्रश्नों ने अभ्यर्थियों को खूब छकाया। औसत, बारंबारता व त्रिकोणमिति के प्रश्नों ने अधिक समय लिया। कई अभ्यर्थी इन प्रश्नों में उलझने की वजह से अन्य प्रश्नों को हल करने में पर्याप्त समय नहीं दे सके। अंग्रेजी व्याकरण में भी कई अभ्यर्थी परेशान हुए। एंटानिम और सिनानिम वाले प्रश्नों को अभ्यर्थी ने आसानी से हल किया लेकिन, पैराग्राफ पढ़कर उत्तर देने वाले प्रश्नों ने अधिक समय लिया।


 अभ्यर्थियों ने बताया कि इस बार का प्रश्नपत्र बहुत आसान था, उन्होंने पिछले तीन साल के प्रश्नपत्र तैयार कर रखे थे। 2016, 2017 व 2018 में पूछे गए प्रश्नों का दोहराव इस बार खूब हुआ। खासकर पर्यावरण संबंधी प्रश्न 2017 के टेट से लिए गए।

कोरोना और पेपर लीक के कारण पटरी से उतरी शिक्षक पात्रता परीक्षा, दो साल बाद कराई जा सकी परीक्षा, सरकार की उम्मीद पर खरे उतरे अनिल भूषण

कोरोना और पेपर लीक के कारण पटरी से उतरी शिक्षक पात्रता परीक्षा, दो साल बाद कराई जा सकी परीक्षा,  सरकार की उम्मीद पर खरे उतरे अनिल भूषण


कोरोना और पेपर लीक के कारण उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपीटीईटी) पटरी से उतर गई। रविवार को दो साल के बाद परीक्षा कराई जा सकी। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की गाइडलाइन के अनुसार टीईटी साल में दो बार होनी चाहिए। एनसीटीई ने इस संबंध में बेसिक शिक्षा विभाग को पत्र भी लिखा था।


लेकिन परीक्षा का आयोजन नियमित तौर पर नहीं हो सका। पहले तो कोरोना के कारण 2020 का टीईटी नहीं हो सका। उसके बाद 2021 की परीक्षा कोरोना की दूसरी लहर के कारण टालनी पड़ी। विधानसभा चुनाव करीब देख सरकार के दबाव में 28 नवंबर की तारीख तय की गई लेकिन पेपर लीक के कारण परीक्षा नहीं हो सकी।


यूपी में जुलाई 2011 में नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) लागू होने के बाद प्रदेश में पहली बार 13 नवंबर 2011 को यूपी बोर्ड ने टीईटी कराया था। परीक्षा की शुचिता पर सवाल उठने के कारण 2012 में परीक्षा नहीं कराई जा सकी। 2013 में परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय एलनगंज को टीईटी कराने की जिम्मेदारी मिली और तब से हर साल परीक्षा हो रही थी।



सरकार की उम्मीद पर खरे उतरे अनिल भूषण

यूपीटीईटी के सकुशल आयोजन के साथ ही सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी अनिल भूषण चतुर्वेदी ने भी सरकार की उम्मीदों पर खुद को साबित किया। 28 नवंबर को पेपर लीक होने और उसके बाद पूर्व सचिव संजय उपाध्याय की गिरफ्तारी के बाद कोई अधिकारी सचिव का कार्यभार ग्रहण नहीं करना चाहता था। सरकार ने पूर्व सचिव अनिल भूषण को भेजा था। इससे पहले सितंबर 2018 में 68500 भर्ती में गड़बड़ी में तत्कालीन सचिव सुत्ता सिंह के निलंबन के बाद भी अनिल भूषण को सचिव बनाया गया था।

UPTET Exam : कोरोना का खौफ दरकिनार, 18.22 लाख ने दी परीक्षा, जनिए कैसा रहा यूपीटीईटी का प्रश्नपत्र

UPTET Exam : कोरोना का खौफ दरकिनार, 18.22 लाख ने दी परीक्षा, जनिए कैसा रहा यूपीटीईटी का प्रश्नपत्र


उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपीटीईटी) 2021 रविवार को प्रदेश के सभी 75 जिलों में शांतिपूर्वक संपन्न हुई। कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच संक्रमण का खौफ दरकिनार कर 18 लाख से अधिक अभ्यर्थी अपना कॅरियर संवारने के लिए परीक्षा देने पहुंचे। प्रश्नपत्र की उत्तरमाला 27 फरवरी को वेबसाइट पर जारी होगी और अभ्यर्थियों से एक फरवरी तक ऑनलाइन आपत्तियां ली जाएंगी।


सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी अनिल भूषण चतुर्वेदी के अनुसार, रविवार सुबह 10 से 12:30 बजे की पहली पाली में प्राथमिक स्तर के लिए 2532 केंद्रों पर आयोजित परीक्षा में पंजीकृत 12,91,627 अभ्यर्थियों में से 10,73,302 (83.09) उपस्थित हुए। उच्च प्राथमिक स्तर के लिए 2:30 से 5 बजे की दूसरी पाली में 1733 केंद्रों पर पंजीकृत 8,73,552 अभ्यर्थियों में से 7,48,810 (85.72) उपस्थित हुए। दोनों पालियों में पंजीकृत कुल 21,65,179 अभ्यर्थियों में से 18,22,112 (84.15) परीक्षा में शामिल हुए। कुल 3,43,067 अभ्यर्थी अनुपस्थित रहे। 28 नवंबर को पेपर लीक के कारण परीक्षा निरस्त होने से परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय से लेकर शासन तक के अफसरों की सांसें अटकी थी। सुबह 10 बजे जब सभी 2532 केंद्रों पर सकुशल पेपर खुलकर परीक्षा शुरू हो गई तब जाकर अफसरों ने राहत की सांस ली।


परीक्षा नियामक की ओर से भी पल-पल की खबर शासन को भेजी जाती रही। परीक्षा सकुशल संपन्न कराने के लिए 1,62,511 कक्ष निरीक्षक, 8530 पर्यवेक्षक, 1423 सचल दल लगाए गए थे। सहयोग के लिए 5814 तृतीय व 14059 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की सहायता ली गई।


3.43 लाख अनुपस्थित, हजारों गेट से लौटाए गए

दोनों पालियों में 3.43 लाख अभ्यर्थी अनुपस्थित रहे। हालांकि हकीकत में हजारों की संख्या में अभ्यर्थी परीक्षा केंद्रों के गेट से लौटा दिए गए। राधा रमण इंटर कॉलेज दारागंज, विवेकानंद पब्लिक स्कूल धूमनगंज आदि पर पहुंचे दर्जनों अभ्यर्थियों का आरोप था कि उनके पास वांछित अभिलेखों की मूल और फोटोकॉपी होने के बावजूद प्रवेश नहीं दिया गया। जो लोग बाहर से आए थे उन्हें परीक्षा केंद्र पर पहुंचने में पांच मिनट की देर होने पर भी बाहर कर दिया गया। ऐसी शिकायत अन्य जिलों में भी सुनने को मिली।


पेपर लीक के फर्जी पोस्ट वायरल, एफआईआर

रविवार सुबह 10 बजे परीक्षा शुरू होने से पहले कई जिलों में अराजकतत्वों ने सोशल मीडिया पर पेपर लीक होने के पोस्ट वायरल किए। इसका संज्ञान लेते हुए वायरल पेपर का मिलान असली प्रश्नपत्रों से करने पर वायरल पोस्ट पूरी तरह से गलत और भ्रामक साबित हुए। सचिव अनिल भूषण चतुर्वेदी के अनुसार इस संबंध में दोषियों के खिलाफ एफआईआर कर पुलिस कार्रवाई कर रही है।


अधिकांश प्रश्न पिछले साल के पूछे गए

रविवार को आयोजित यूपीटीईटी 2021 में अधिकांश प्रश्न पिछले सालों 2016, 2017 व 2018 की परीक्षा से थे। अभ्यर्थियों का दावा है कि 150 में से लगभग 130 प्रश्न रिपीट हुए। जैसे हिंदी, अंग्रेजी, गणित और पर्यावरण के अधिकांश प्रश्न 2017 के पेपर से जबकि बाल विकास के प्रश्न 2016 के पेपर से पूछे गए थे। पब्लिक इंटर कॉलेज मनौरी पर परीक्षा देकर निकले प्रभात तिवारी ने बताया कि अधिकांश प्रश्न पिछली परीक्षाओं के थे। सीएवी इंटर कॉलेज केंद्र पर परीक्षा देने पहुंची दीप्ति योगेश्वर व शिक्षा निकेतन नैनी के केंद्र पर पेपर दे रही सुमन पटेल के अनुसार 28 नवंबर को आयोजित परीक्षा का पेपर सरल था। इस बार कठिन प्रश्न थे। ज्ञान भारती इंटर कॉलेज काजीपुर रोड नैनी पर पेपर देने पहुंचे पंकज पांडेय ने बताया कि पेपर तो अच्छा था, मगर कोरोना के सारे नियमों की धज्जियां उड़ गई। बहुत सारे छात्रों की परीक्षा देरी से पहुंचने के कारण छूट गई।

यूपी टीईटी के आठ अभ्यर्थी और साल्वर गिरोह के सदस्यों समेत 89 गिरफ्तार, एसटीएफ को कई की तलाश

यूपी टीईटी के आठ अभ्यर्थी और साल्वर गिरोह के सदस्यों समेत 89 गिरफ्तार, एसटीएफ को कई की तलाश

UPTET 2021 Exam यूपी टीईटी में एसटीएफ व जिला पुलिस ने कई स्तर पर गड़बड़ी करने वालों को पकड़ने में कामयाबी हासिल की है। इनमें 17 जिलों में 27 मुकदमे दर्ज कराकर आरोपितों के विरुद्ध विधिक कार्रवाई सुनिश्चित कराई जा रही है।



यूपी टीईटी के आठ अभ्यर्थी और साल्वर गिरोह के सदस्यों समेत 89 गिरफ्तार, एसटीएफ को कई की तलाशपुलिस ने टीईटी में सेंध लगाने का प्रयास कर रहे आठ अभ्यर्थियों समेत 89 आरोपितों को गिरफ्तार किया है।

लखनऊ : उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपीटीईटी) 2021 के दौरान रविवार को कई जिलों में गड़बड़ी करने वालों पर पुलिस की कड़ी नजर थी। पुलिस ने टीईटी परीक्षा में सेंध लगाने का प्रयास कर रहे आठ अभ्यर्थियों समेत अब तक 89 आरोपितों को गिरफ्तार किया है। इनमें साल्वर गिरोह के 80 सक्रिय सदस्य भी शामिल हैं। गोंडा में पेपर लीक होने की अफवाह फैलाने वाला एक आरोपित भी पकड़ा गया है। एसटीएफ व पुलिस कई आरोपितों की अभी तलाश कर रही है।

एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार ने बताया कि रविवार को संपन्न हुई टीईटी परीक्षा को लेकर स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) को सक्रिय किया गया था। एसटीएफ व जिला पुलिस ने कई स्तर पर गड़बड़ी करने वालों को पकड़ने में कामयाबी हासिल की है। इनमें 17 जिलों में 27 मुकदमे दर्ज कराकर आरोपितों के विरुद्ध विधिक कार्रवाई सुनिश्चित कराई जा रही है। अब तक पुलिस ने कुल 89 आरोपितों को गिरफ्तार किया है।

गिरफ्तार आरोपितों से पूछताछ में सामने आये तथ्यों के आधार पर अन्य आरोपितों की तलाश कराई जा रही है। एसटीएफ व पुलिस ने मुरादाबाद, प्रयागराज, जौनपुर, मेरठ, गोंडा, अमेठी, कन्नौज, प्रतापगढ़, मथुरा, मऊ, सुलतानपुर, बलिया, संत रविदासनगर, फीरोजाबाद, गाजीपुर, अंबेडकरनगर व आजमगढ़ मेें मुकदमे दर्ज कराये हैं। सभी मुकदमों की गहनता से जांच के निर्देश दिये गये हैं।

उल्लेखनीय है कि पूर्व में यूपी टीईटी परीक्षा का पेपर लीक हो गया था। जिसके बाद परीक्षा की सुरक्षा-व्यवस्था को लेकर बड़े सवाल उठे थे। इस बार परीक्षा के दौरान साल्वर गिरोह पर एसटीएफ की कड़ी नजर थी। अलग-अलग साल्वर गिरोह के कई फरार सदस्यों की भी तलाश की जा रही है।


टीईटी : सॉल्वर गिरोह के 47 सदस्य गिरफ्तार

सख्ती का असर

● सॉल्वर गैंग ने प्रयागराज, मेरठ, मुरादाबाद में थी की थी सेंधमारी

● क्राइम ब्रांच ने नकल कराने वाले तीन लेखपाल भी दबोचे

आजमगढ़, मथुरा, फिरोजाबाद, मऊ और मेरठ में टीईटी में नकल कराने वाले सॉल्वर गैंग के सरगना समेत 47 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है।

आजमगढ़ में पुलिस ने गिरोह के सरगना सहित 22 लोगों को गिरफ्तार किया है। इसमें संलिप्त आठ लोग अभी भी फरार हैं। वहीं ब्रज में टीईटी परीक्षा में सेंधमारी कर रहे सॉल्वर गैंग के चार मास्टरमाइंडों समेत 18 सदस्यों को दबोचा गया है। इसमें मथुरा में 10 और फिरोजाबाद के शिकोहाबाद में आठ सदस्य धरे गए हैं। इनके कब्जे से लाखों रुपये, मोबाइल, बैग और प्रवेश पत्र बरामद हुए हैं। उधर मऊ में दूसरे के नाम पर परीक्षा दे रहे दो मुन्ना भाइयों और परीक्षा दिलाने वाले दो परीक्षार्थियों समेत कुल चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। इसके अलावा मेरठ में एक सॉल्वर गैंग के तीन सदस्यों की धरपकड़ की गई।

आजमगढ़ में गिरफ्तार लोगों में सात स्कूलों के प्रबंधक व बाबू के साथ ही जिला विद्यालय निरीक्षक का एक बाबू भी शामिल है। गैंग का सरगना रामपुर जनपद का निवासी है। इनके पास से कुल 51 लाख 20 हजार रुपये, दो लग्जरी वाहन, डायरी बरामद हुई है।

फर्जी दस्तावेज के आधार पर दे रहे थे परीक्षा : मऊ में फर्जी दस्तावेज के आधार पर दूसरे के नाम पर परीक्षा दे रहे दो मुन्ना भाइयों समेत परीक्षा दिलाने वाले दो परीक्षार्थियों समेत कुल चार आरोपियों को पुलिस टीम ने गिरफ्तार कर लिया। मुकदमा दर्ज कर चारों आरोपितों को जेल भेज दिया गया।

फिरोजाबाद: मोबाइल, प्रमाण पत्र और नकदी बरामद

पुलिस ने टीईटी में सॉल्वर गैंग के 8 सदस्यों को विभिन्न स्थानों से गिरफ्तार कर सॉल्वर गैंग का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने पकड़े गए सदस्यों से मोबाइल, प्रमाणपत्र, नकदी बरामद की है।

मेरठ : सॉल्वर प्रतियोगी परीक्षाओं में कर रहे सेंधमारी

मेरठ में एक सॉल्वर गैंग के तीन सदस्यों की धरपकड़ की गई। यूपी टीईटी परीक्षा के दौरान नोएडा एसटीएफ ने रविवार को तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया। आरोपियों के खिलाफ नौचंदी थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया।


यूपीटीईटी : सेंध लगा रहे सरगना समेत 28 सॉल्वर गिरफ्तार

शिक्षक पात्रता परीक्षा में इतनी सख्ती के बाद भी सॉल्वर गैंग की सक्रियता बनी रही। रविवार को प्रतापगढ़ में इलेक्ट्रानिक डिवाइस से नकल करते हुए तो प्रयागराज में दूसरे की जगह परीक्षा देते हुए दो युवक पकड़े गए। वहीं क्राइम ब्रांच ने खुल्दाबाद में तीन लेखपाल, आठ सॉल्वर समेत 13 लोगों को गिरफ्तार किया है। वाराणसी मेरठ व मुरादाबाद में भी सॉल्वर गैंग के सरगना समेत 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया।


प्रतापगढ़ में साकेत पीजी कॉलेज में परीक्षा दे रहे अमरजीत वर्मा को कान में लगे इलेक्ट्रानिक डिवाइस के साथ कक्ष निरीक्षक अनीता यादव ने पकड़ लिया। वह अपने साथी विवेक की जगह परीक्षा दे रहा था। इसी तरह एसटीएफ ने औद्योगिक क्षेत्र नैनी के शिव बालक सिंह इंटर कॉलेज में सॉल्वर विजय बहादुर सरोज को गिरफ्तार किया। वह दूसरे की जगह पर परीक्षा दे रहा था। वहीं क्राइम ब्रांच ने खुल्दाबाद में गोरखपुर और प्रयागराज में तैनात तीन लेखपाल, बिहार व झारखंड के आठ सॉल्वर समेत 13 लोगों को गिरफ्तार किया है।

दूसरे की जगह परीक्षा देते गाजीपुर में पांच, जौनपुर में तीन, बलिया, भदोही और आजमगढ़ में एक-एक की गिरफ्तारी की गई है। मुरादाबाद में बरेली एसटीएफ टीम के सदस्यों ने सॉल्वर गैंग के सरगना को गिरफ्तार किया। एसटीएफ का दावा है कि आधा दर्जन से अधिक स्कूलों में साल्वर गैंग के सदस्यों को बैठाया जाना था। इसके लिए बाकायदा प्रति व्यक्ति दो लाख रुपए वसूल भी किए गए थे। मेरठ में भी गिरफ्तारी की गई है।

Sunday, January 23, 2022

सरकारी कर्मियों को कब मिलेगी 'बुढ़ापे की लाठी', 17 साल से अपने हक की आवाज उठा रहे कर्मचारी, कर्मियों को नहीं रास आई नवीन पेंशन योजना

सरकारी कर्मियों को कब मिलेगी 'बुढ़ापे की लाठी',  17 साल से अपने हक की आवाज उठा रहे कर्मचारी, कर्मियों को नहीं रास आई नवीन पेंशन योजना


🔴 तीन बाधाएं
■ पुरानी पेंशन अब तक केन्द्र, राज्य सरकार की प्राथमिकता में नहीं
■ पुरानी पेंशन के लिए सरकारों ने नहीं की कोई पहल
■ ओपीएस के स्थान पर एनपीएस को तरजीह दे रही सरकार


🔵 तीन परेशानियां
■ एनपीएस में रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली पेंशन निश्चित नहीं
■ पुरानी पेंशन की तरह आखिरी वेतन का कम से कम आधे की गारंटी नहीं
■ शेयर बाजार पर आधारित पेंशन स्कीम को लेकर संशय की स्थिति


⚫ सहूलियत
■ ओपीएस से रिटायरमेंट के बाद आखिरी वेतन की आधी धनराशि पेंशन के रूप में मिलेगी। 
■ मानसिक तौर पर अफसर, शिक्षक व कर्मचारी होंगे सुदृढ़ बुढ़ापे में परिजनों व बच्चों पर नहीं रहना पड़ेगा आश्रित ।



 केन्द्र के बाद यूपी सरकार ने एक अप्रैल 2005 के बाद नियुक्त शिक्षकों, कर्मचारियों एवं अधिकारियों की पुरानी पेंशन खत्म कर दी। अपेक्षित संख्या में कर्मियों व शिक्षकों को नवीन पेंशन रास नहीं आई तो पुरानी पेंशन के लिए संघर्ष छेड़ दिया गया है।


पिछले 17 साल से अटेवा संगठन ने मोर्चा संभाला और धरना प्रदर्शनों के जरिए सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाई। अब तक इस मुद्दे पर सफलता नहीं मिली है लेकिन पुरानी पेंशन की जंग लड़ रहे संगठनों व कर्मियों ने आखिरी सांस तक संघर्ष करने का दम भरा है। अटेवा को उम्मीद है कि पुरानी पेंशन के लिए छिड़ी जंग को देखते .हुए राजनीतिक दल इस मुद्दे को अपने संकल्प एवं घोषणा पत्र में बाद भी इन शिक्षकों व कर्मियों के शरीक करेंगे। 


गेंद अब सियासी मैदान में है।  पुरानी पेंशन के लिए कर्मचारियो , शिक्षकों और  अधिकारियों के संगठनों ने दबाव बनाना शुरू कर दिया है। 



2016 में शिक्षक की हुई आंदोलन में मौत

पुरानी पेंशन के लिए अटेवा समेत दूसरे संगठनों ने दिल्ली एवं लखनऊ में धरना एवं प्रदर्शन आयोजित किए। धरनों में हजारों की तादाद में शिक्षक एवं कर्मचारी पहुंचे। दिसंबर 2016 में प्रदर्शन के दौरान लाठीचार्ज में शिक्षक रामाशीष सिंह बुरी तरह घायल हो गए जिनकी बाद में मौत हो गई।

चुनावों में घटी सामाजिक और कर्मचारी संगठनों की अहमियत, पहले सत्ता पक्ष और विपक्ष ऐसे संगठनों की करते थे मनुहार

चुनावों में घटी सामाजिक और कर्मचारी संगठनों की अहमियत,  पहले सत्ता पक्ष और विपक्ष ऐसे संगठनों की करते थे मनुहार


बदला रुख

 अब राजनीतिक दलों के अपने प्रकोष्ठ भी मोर्चा संभाल रहे


लखनऊ  :  चुनाव दर चुनाव सामाजिक एवं जातीय संगठनों की अहमियत कम होती जा रही है। इस बार के विधानसभा चुनाव में भी राजनीतिक दलों में सामाजिक व जातीय संगठनों को साधने के लिए कोई बड़ी कोशिश होती नहीं दिख रही है।


राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पहले कर्मचारियों, व्यापारियों, शिक्षकों, किसानों, अधिवक्ताओं और कतिपय जातियों के बड़े संगठनों की चुनाव में अहमियत बढ़ जाती थी। सत्तारूढ़ दल भी चुनाव से पहले इन्हें खुश करने का प्रयास करता था। सरकार शिक्षकों-कर्मचारियों के संगठनों की कुछ माग पूरी करके उन्हें साथ खड़ा करने की कोशिश करती थी तो विपक्ष भी उन्हें पक्ष में लाने की पूरी कोशिश करता था। किसानों व व्यापारियों के संगठन भी कुछ बड़ी घोषणाएं करा लेते थे। अब राजनीतिक दलों के अपने प्रकोष्ठ ही मोर्चा संभाल रहे हैं।


उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (चंदेल गुट) के प्रदेश मंत्री डॉ. महेन्द्र नाथ राय कहते हैं कि जाति व धर्म के प्रभावी होने से शिक्षकों व कर्मचारियों के संगठन कमजोर हुए हैं। राजनीतिक दल इसका फायदा उठा रहे हैं।

आखिरकार शिक्षामित्रों का नहीं बढ़ सका मानदेय

आखिरकार शिक्षामित्रों का नहीं बढ़ सका मानदेय


लखनऊ : बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में कार्यरत डेढ़ लाख से अधिक शिक्षामित्रों का मानदेय आखिरकार नहीं बढ़ सका है।  शिक्षा निदेशक बेसिक डा. सवेंद्र विक्रम बहादुर सिंह की ओर से जिलों को मानदेय का बजट जारी हुआ है, इससे शिक्षामित्रों में नाराजगी है।


असल में, अनुपूरक बजट पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में एलान किया था कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में गांवों में कार्य करने वालों का सरकार मानदेय बढ़ाएगी । इसमें उन्होंने शिक्षामित्रों का भी नाम लिया था, उसके बाद से शिक्षामित्र मानदेय बढ़ने की उम्मीद लगाए थे। ज्ञात हो कि उन्हें इस समय 10 हजार रुपये प्रतिमाह भुगतान मिल रहा है, चर्चा थी कि शिक्षामित्रों का मानदेय दो हजार रुपये प्रतिमाह बढ़ सकता है।