
Tuesday, May 21, 2019
Monday, March 11, 2019
Friday, February 8, 2019
Tuesday, September 25, 2018
Wednesday, December 13, 2017

सुप्रीम कोर्ट में किरकिरी के बाद चयन बोर्ड परीक्षा परिणाम को शासन से लेगा अनुमति, टीजीटी 2009 तीसरी बार मूल्यांकन का परिणाम देने का मामला
इलाहाबाद : माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र की कार्यशैली की शीर्ष कोर्ट में किरकिरी होने के बाद भी 2009 का परीक्षा परिणाम घोषित करने में बोर्ड का गठन बाधा बना है। बोर्ड सचिव नीना श्रीवास्तव जल्द ही इस मामले को शासन से अवगत कराएंगी। प्रकरण सुप्रीम कोर्ट से जुड़ा है इसलिए अनुमति मिलने की पूरी उम्मीद है उसके बाद परिणाम जारी होगा।
प्रदेश के अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाचार्य, प्रवक्ता व स्नातक शिक्षक यानी टीजीटी का चयन माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र करता आ रहा है। टीजीटी 2009 के परीक्षा परिणाम पर विवाद होने पर तीन बार उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन हो चुका है। इसके आठ साल बीतने के बाद भी प्रकरण फाइनल न होने पर पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है। कोर्ट ने तीसरे मूल्यांकन का परिणाम दो सप्ताह में घोषित करने को कहा है साथ ही पहले से नौकरी कर रहे व तीसरे परिणाम में असफल होने वाले अभ्यर्थियों को न हटाने का भी निर्देश दिया है। इस आदेश से चयन बोर्ड में उहापोह है।
असल में प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होने के बाद सरकार ने माध्यमिक व उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग का विलय करने का निर्देश दिया था। इसी को ध्यान में रखकर चयन बोर्ड अध्यक्ष हीरालाल गुप्त व सभी सदस्यों ने एक-एक करके त्यागपत्र दे दिया। उनका इस्तीफा शासन ने स्वीकार भी कर लिया है। अब चयन बोर्ड में नए अध्यक्ष व सदस्यों के लिए आवेदन मांगे गए हैं। हालांकि आवेदन की प्रक्रिया बीते 11 दिसंबर को पूरी हो चुकी है। इसके बाद ही बोर्ड का गठन होगा।
शीर्ष कोर्ट का आदेश मानने में बोर्ड का गठन न होना सबसे बड़ी बाधा है। लेकिन, प्रकरण शीर्ष कोर्ट से जुड़ा होने के कारण चयन बोर्ड सचिव जल्द ही शासन को इस संबंध में पत्र लिखने जा रही हैं। उनका कहना है कि शासन की अनुमति मिलने पर ही रिजल्ट घोषित होगा। संभव है कि परिणाम पहले घोषित हो और बाद में चयन बोर्ड गठित होने पर उसमें यह प्रस्ताव पास करा लिया जाएगा। यह सब प्रक्रिया अब शासन के निर्देश पर ही लंबित है। साथ ही तीसरे परिणाम को घोषित करने की मांग कर रहे अभ्यर्थी अब गदगद हैं।
Saturday, November 25, 2017

विवि अनुदान आयोग (UGC) ने चार डीम्ड यूनिवर्सिटीज द्वारा दूरस्थ शिक्षा के जरिये प्रदान की गईं इंजीनियरिंग की डिग्रियों को किया निलंबित, सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के तहत कार्यवाई
इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट की डिग्रियां यूजीसी से निलंबित
ये हैं चार यूनिवर्सिटीज 11. जेआरएन राजस्थान विद्यापीठ, राजस्थान12. इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज इन एजुकेशन, राजस्थान13. इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट, उत्तर प्रदेश14. विनायक मिशन रिसर्च फाउंडेशन, तमिलनाडु
तीन अन्य डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटीज की भी हुईं इंजीनियरिंग की डिग्रियां सस्पेंड
दूरस्थ शिक्षा से शैक्षिक सत्र 2001-2005 के लिए प्रदान की थीं ये डिग्रियां
नई दिल्ली : विवि अनुदान आयोग (यूजीसी) ने चार डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटीज द्वारा दूरस्थ शिक्षा के जरिये शैक्षिक सत्र 2001-2005 के दौरान प्रदान की गईं इंजीनियरिंग की डिग्रियों को निलंबित कर दिया है। यूजीसी ने यह कदम इसी महीने सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के तहत उठाया है।
देश की सर्वोच्च अदालत ने सभी डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटीज पर 2018-19 से नियामक प्राधिकरण की मंजूरी के बिना किसी भी दूरस्थ शिक्षा पाठ्यक्रम को जारी रखने पर रोक लगा दी थी। साथ ही चार डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटीज को पिछली तारीखों से मंजूरी प्रदान किए जाने की सीबीआइ से जांच कराने का आदेश भी दिया था।
यूजीसी के सचिव पीके ठाकुर ने बताया, ‘एआइसीटीई के नियम सभी डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटीज पर लागू होते हैं और बिना एआइसीटीई की मंजूरी के उक्त चारों यूनिवर्सिटीज द्वारा तकनीकी शिक्षा के नए पाठ्यक्रमों को शुरू करना न्यायसंगत नहीं था। परिणामस्वरूप संबंधित डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटीज द्वारा प्रदान की गईं इंजीनियरिंग की सभी डिग्रियां निलंबित रहेंगी।’
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी आदेश दिया था कि जिन विद्यार्थियों की डिग्रियां निलंबित की गई हैं उनके लिए एआइसीटीई 15 जनवरी, 2018 तक परीक्षाओं का आयोजन करे। साथ ही किसी भी विद्यार्थी को इन परीक्षाओं को उत्तीर्ण करने के लिए दो से ज्यादा मौके न दिए जाएं।
एएमयू में अलग-अलग चल रहे शिया सुन्नी के विभाग हों बंद
नई दिल्ली: अलीगढ़ मुस्लिम विवि (एएमयू) में शिया-सुन्नी के लिए चल रहे अलग-अलग विभागों पर यूजीसी ने इन्हें एक साथ चलाने की सिफारिश की है।
Saturday, November 4, 2017

शिक्षा के बाजारीकरण से मेरिट पर असर: सुप्रीम कोर्ट, शिक्षा की विश्वसनीयता और बेहतरीन मेरिट पर हो रहा असर
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एजुकेशन के व्यवसायीकरण से एजुकेशन प्रभावित हो रही है। एजुकेशन की विश्वसनीयता और बेहतरीन मेरिट पर असर हो रहा है। डीम्ड यूनिवर्सिटी के बिना इजाजत के दूरस्थ शिक्षा चलाए जाने के मामले में दिए फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की। यूजीसी की कार्य पद्धति पर भी सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया।
जस्टिस एके गोयल की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि मौजूदा मामले को देखने से साफ है कि डीम्ड यूनिवर्सिटी के रेग्युलेशन में कमी उजागर हुई है। यूजीसी इस मामले को निपटने में पूरी तरह से फेल रही है। स्टडी सेंटर की सुविधाओं और अन्य बातों को कभी चेक नहीं किया गया और न ही सही तरह से मामले को परखा गया। इसी कारण मौजूदा मामले में 4 डीम्ड यूनिवर्सिटी में सीधे 2001 से 2005 के बीच के सेशन की तमाम दूरस्थ शिक्षा वाली इंजीनियनरिंग डिग्री को सस्पेंड करना पड़ा और 2005 के बाद की डिग्री को कैंसल किया गया।
पहला मामला तब उठा जब एक इंजीनियर को उड़ीसा लिफ्ट इरिगेशन कॉरपोरेशन लिमिटेड ने इंजीनियरिंग डिग्री के आधार पर प्रोमोशन देने से मना कर दिया था। डिपार्टमेंट ने कहा कि जेआरएन राजस्थान की डिग्री दूरस्थ शिक्षा के जरिए है। ये मान्या नहीं है। तब उक्त इंजीनियर ने उड़ीसा हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उड़ीसा हाई कोर्ट ने इंजीनियर के फेवर में फैसला दिया। दूसरा मामला पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के सामने आया था। तब हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा गया कि जेआरएन और कुछ अन्य डीम्ड यूनिवर्सिटी द्वारा जारी डिग्री अवैध है। हाई कोर्ट ने डिग्री को अवैध करार दिया। इसके बाद दोनों हाई कोर्ट का मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने आया। सुप्रीम कोर्ट ने उड़ीसा हाई कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया, जबकि पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है।
★ रेग्युलेशन मैकेनिज्म की जरूरत
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में डीम्ड यूनिवर्सिटी की अथॉरिटी ने नियमों को ताख पर रखा और एआईसीटीई को बाहर रखा। ऐसे में जरूरी है कि इन चीजों को देखने के लिए एक उचित मैकेनिज्म हो। भविष्य में डीम्ड यूनिवर्सिटी द्वारा जारी की जाने वाली डिग्री जो दूरस्थ शिक्षा के जरिए दी जाती हो, उस पर नजर रखने के लिए रेग्युलेशन मैकेनिज्म होना जरूरी है।
★ तीन सदस्यीय कमिटी रोडमैप बताए
अदालत ने कहा कि ऐसे में भारत सरकार को निर्देश दिया जाता है कि वह शिक्षा, छानबीन, प्रशासनिक और कानूनी जगह के लोगों की तीन सदस्यीय कमिटी बनाएं इसके लिए एक महीने का वक्त दिया गया है। इसके बाद कमिटी एक रोड मैप सुझाए कि कैसे डीम्ड यूनिवर्सिटी का रेग्युलेशन किया जाए। ये सुझाव छह महीने में दिया जाए और फिर सरकार उस सुझाव पर अपनी रिपोर्ट कोर्ट के सामने 31 अगस्त 2018 तक पेश करे। अदालत ने अगली सुनवाई 11 सितंबर 2018 तय की है।
Sunday, October 15, 2017

एक प्रश्न का पुनर्मूल्यांकन न होने पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की अनसुनी पर पहले हाईकोर्ट और अब शीर्ष कोर्ट में इसकी सुनवाई चल रही
इलाहाबाद : अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों की शिक्षक भर्ती में एक प्रश्न का पुनमरूल्यांकन न हो पाने का प्रकरण मुकाम पर पहुंचने को है। माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की अनसुनी पर पहले हाईकोर्ट और अब शीर्ष कोर्ट में इसकी सुनवाई चल रही है। सुप्रीम कोर्ट ने दो साल में दोबारा मूल्यांकन न होने पर सख्त नाराजगी है और प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा सचिव व माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र की सचिव को एक नवंबर को तलब किया है।
प्रदेश के अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों में स्नातक शिक्षक, प्रवक्ता व प्रधानाचार्य का चयन माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र करता है। चयन बोर्ड ने पिछले वर्षो में 2009 स्नातक शिक्षक सामाजिक विज्ञान का परिणाम जारी किया। इसमें इतिहास व नागरिक शास्त्र के सात प्रश्नों के गलत मूल्यांकन हुआ। अभ्यर्थियों ने चयन बोर्ड को प्रत्यावेदन सौंपा, लेकिन उनकी अनसुनी हुई। अभ्यर्थी इस मामले को लेकर हाईकोर्ट पहुंचे। हाईकोर्ट ने रंजीत कुमार व अन्य के प्रकरण की सुनवाई करते हुए सात प्रश्नों का पुनमरूल्यांकन करके रिजल्ट जारी करने का आदेश दिया। इस पर चयन बोर्ड ने दोबारा मूल्यांकन करके नए सिरे से परिणाम जारी किया, लेकिन नागरिक शास्त्र के एक प्रश्न का उत्तर नहीं बदला गया। इससे नाखुश अभ्यर्थी रामशरण वर्मा व चार अन्य ने हाईकोर्ट में फिर याचिका दायर की। सुनवाई के दौरान ही हाईकोर्ट ने रिव्यू के तहत दो नवंबर 2015 को एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर फाइनल रिजल्ट घोषित करने का आदेश दिया।
प्रभावित अभ्यर्थी हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ शीर्ष कोर्ट पहुंचे हैं। न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर व न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की खंडपीठ ने दो साल में एक प्रश्न का पुनमरूल्यांकन न हो पाने पर नाराजगी जताई है।
Thursday, June 22, 2017
Monday, May 1, 2017

शिक्षामित्र समायोजन एवं 72825 शिक्षक भर्ती की सुनवाई दिनांक 27 अप्रैल 2017 में कोर्ट का आर्डर हुआ साईट पर अपलोड, मुख्य कार्यकारी अंश यहाँ देखें
O R D E R
Heard learned counsel for the parties.
Hearing concluded and Judgment reserved in
C.A.NO.4347-4375/2014
C.A. NO. 4376 OF 2014
SLP(C)....../2014 (CC NO. 10408)
SLP(C)NO.11671/2014
SLP(C)NO. 11673/2014
W.P.(C)NO. 135/2015
W.P.(C)NO. 89/2015
SLP(C)NO. 62/2014
SLP(C) 1672/2014
SLP(C)NO. 1674/2014,
CONT.PET(C)NO. 199/2015 IN C.A.NO. 4347-4375/2014,
CONT.PET(C)NO. 399/2015 IN C.A.NO. 4347-4375/2014,
CONT.PET.(C)NO. 262/2016 IN C.A.NO. 4347-4375/2014,
CONT.PET(C) NO.265/2016 IN C.A.NO. 4347-4375/2014,
CONT.PET.(C)NO.264/2016 IN C.A.NO. 4347-4375/2014,
CONT.PET.(C)NO.263/2016 IN C.A.NO. 4347-4375/2014,
CONT.PET.(C)NO.266/2016 IN C.A.NO. 4347-4375/2014,
CONT.PET.(C)NO.192/2016 IN C.A.NO. 4347-4375/2014,
CONT.PET.(C)NO.191/2016 IN C.A.NO. 4347-4375/2014,
CONT.PET.(C)NO.189/2016 IN C.A.NO. 4347-4375/2014,
CONT.PET.(C)NO.190/2016 IN C.A.NO. 4347-4375/2014
CONT.PET.(C)NO.287/2016 IN C.A.NO. 4347-4375/2014
CONT.PET.(C)NO.286/2016 IN C.A.NO. 4347-4375/2014,
CONT.PET.(C)NO.285/2016 IN C.A.NO. 4347-4375/2014,
CONT.PET.(C)NO.290/2016 IN C.A.NO. 4347-4375/2014
CONT.PET.(C)NO.452/2016 IN C.A.NO. 4347-4375/2014
CONT.PET.(C)NO.454/2016 IN IN C.A.NO. 4347-4375/2014
CONT.PET.(C)NO.538/2016 IN IN C.A.NO. 4347-4375/2014
CONT.PET.(C)NO.537/2016 IN C.A.NO. 4347-4375/2014
CONT.PET.(C)NO.752/2016 IN IN C.A.NO. 4347-4375/2014
CONT.PET.(C)NO.776/2016 IN IN C.A.NO. 4347-4375/2014
CONT.PET.(C)NO.780/2016 IN IN C.A.NO. 4347-4375/2014
CONT.PET.(C)NO.607/2017 IN IN C.A.NO. 4347-4375/2014
CONT.PET.(C)NO.626/2017 IN IN C.A.NO. 4347-4375/2014
CONT.PET.(C)NO.627/2017 IN IN C.A.NO. 4347-4375/2014
CONT.PET.(C)NO.652/2017 IN IN C.A.NO. 4347-4375/2014
CONT.PET.(C)NO.651/2017 IN IN C.A.NO. 4347-4375/2014.
Rest of the matters be listed on 2nd May, 2017.
Registry is directed to place the order portion only
of the record of proceedings (without party names and
appearances), in the paper books, as they are bulky,
subject to the orders of Hon'ble the Chief Justice of
India.
[MADHU BALA] [VEENA KHERA]
COURT MASTER COURT MASTER
Friday, April 28, 2017

महराजगंज : टीईटी संघर्ष मोर्चा के सदस्यों ने सुप्रीमकोर्ट में 72825 शिक्षक भर्ती के पक्ष में वर्तमान सरकार की पैरवी पर जताई खुशी, सुरक्षित फैसले से स्वयं के पक्ष में आश्वस्त होकर शिक्षकों ने बांटी मिठाइयां
Wednesday, April 26, 2017

शिक्षामित्र समायोजन एवं अन्य शिक्षक भर्ती पर सुनवाई हेतु आज 26 अप्रैल को कोर्ट 11 में आइटम नंबर 33 पर लिस्ट हुआ केस, सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी फाइनल लिस्ट यहाँ देखें
Saturday, January 14, 2017
Wednesday, July 27, 2016
शिक्षामित्र समायोजन और 72825 के मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने बिना बहस के दी फिर नई तारीख, 24 अगस्त को सजेगा फिर कोर्ट में अखाडा
- आज कोई भी बहस नहीं हुई।
- अन्तरिम आदेशों की मांग कोर्ट ने ठुकराई
- मामले के अंतिम निबटारे की कही बात
- जस्टिस नरीमन के मामले से अलग होने की खबर
- कोर्ट का कड़ा रुख : मामले में चिट्ठियां लिखने से नहीं बनेगी बात
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश के शिक्षा मित्रों की याचिका पर जस्टिस रोहिंग्टन नरीमन ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है क्योंकि वे केस में पैरवी कर चुके हैं। मामले की सुनवाई अब 24 अगस्त को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने एक बार साफ किया कि अब किसी को अंतरिम राहत नहीं दी जाएगी और केस में अंतिम बहस होगी।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में चिट्ठियां लिखने से बात नहीं बनेगी। हमें इस मामले में हिंदी और अंग्रेजी में बहुत चिट्ठियां आ रही हैं। लेकिन हमने इन चिट्ठियों के लिए WPB यानी वेस्ट पेपर बास्केट का इंतजाम किया है।
मा0 सुप्रीम कोर्ट द्वारा किसी प्रकार के अन्तरिम आदेश दिये जाने की मांग को ठुकराते हुये सीधे अंतिम आदेश देने की बात कहते हुये शिक्षामित्र समायोजन और 72825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती के सभी मामलों की अगली डेट : 24 अगस्त 2016 निर्धारित की गई। जस्टिस रोहिंग्टन नरीमन ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है क्योंकि वे केस में पैरवी कर चुके हैं।
Monday, February 8, 2016
Monday, January 25, 2016
Saturday, December 19, 2015
Wednesday, December 9, 2015
Tuesday, December 8, 2015

महराजगंज : सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद झूम उठे शिक्षामित्र
महराजगंज : कानूनी दावपेंच के बीच सोमवार को प्राथमिक विद्यालयों पर समायोजित हो चुके शिक्षामित्रों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अब वह अगले आदेश तक सहायक अध्यापक बने रहेंगे। इससे जिले के करीब 1975 शिक्षामित्रों को राहत मिली है। शिक्षामित्रों को अब आगे की राह आसानी नजर आ रही है। उन्हें उम्मीद है कि कोर्ट का अंतिम निर्णय भी उनके पक्ष में आएगा।