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Tuesday, January 31, 2023

उच्च प्राथमिक व माध्यमिक स्कूलों में होगा किशोर स्वास्थ्य क्लब, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की ओर से फर्स्ट एड बाक्स उपलब्ध कराए जाएंगे

उच्च प्राथमिक व माध्यमिक स्कूलों में होगा किशोर स्वास्थ्य क्लब, 

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM), उत्तर प्रदेश की ओर से फर्स्ट एड बाक्स उपलब्ध कराए जाएंगे


लखनऊ : उच्च प्राथमिक व माध्यमिक स्कूलों में जल्द किशोर स्वास्थ्य क्लब का गठन किया जाएगा। 10 वर्ष से लेकर 19 वर्ष की आयु के इन विद्यार्थियों को मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ्य बनाने के लिए यह पहल की जा रही है। पहले चरण में सभी स्कूलों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ( एनएचएम), उत्तर प्रदेश की ओर से फर्स्ट एड बाक्स उपलब्ध कराए जाएंगे।


एनएचएम उप्र की मिशन निदेशक अपर्णा यू की ओर से किशोर स्वास्थ्य क्लब गठित करने के निर्देश जारी किए गए हैं। क्लब में कम्युनिटी हेल्थ आफिसर को मुख्य संरक्षक बनाया जाएगा। प्रधानाचार्य क्लब के संरक्षक होंगे, एक पुरुष व एक महिला अध्यापक को हेल्थ ब्रिगेडियर व हर कक्षा में एक छात्र व एक छात्रा को हेल्थ कैप्टन बनाया जाएगा।


 राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस), नेहरू युवा केंद्र, स्काउट व गाइड के छात्र - छात्राओं को भी हेल्थ कैप्टन बनाया जाएगा। फिर हेल्थ ब्रिगेडियर द्वारा हर सप्ताह क्लब के माध्यम से स्वास्थ्य सत्रों का आयोजन करेंगे। सदस्यों को विभिन्न प्रतियोगिताओं के माध्यम से स्वस्थ जीवनशैली के बारे में जानकारी दी जाएगी।


विद्यालयों में बनेंगे किशोर क्लब

लखनऊ। प्रदेश के उच्च प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों में किशोर स्वास्थ्य क्लब बनाए जाएंगे। इसके जरिए किशोरों की विभिन्न समस्याओं का समाधान किया जाएगा। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की ओर से चलने वाले किशोर क्लब के लिए संबंधित कॉलेज के अध्यापकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। फिर ये स्कूल के कुछ छात्रों को वालंटियर के रूप में प्रशिक्षण देंगे। किशोरों को जागरूक करते हुए लैंगिक समानता और जीवन कौशल पर सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित किया जाएगा।

आज से भेजे जाएंगे यूपी बोर्ड परीक्षा के प्रवेश पत्र, बोर्ड की ओर से ऑनलाइन प्रवेश पत्र डाउनलोड करने की भी व्यवस्था

आज से भेजे जाएंगे यूपी बोर्ड परीक्षा के प्रवेश पत्र, बोर्ड की ओर से ऑनलाइन प्रवेश पत्र डाउनलोड करने की भी व्यवस्था


प्रयागराज। यूपी बोर्ड परीक्षा की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी है। बोर्ड की ओर से परीक्षा में शामिल होने वाले विद्यार्थियों के प्रवेश पत्र भेजने का सिलसिला मंगलवार से आरंभ होगा। प्रवेश पत्रों को एक सप्ताह के भीतर सभी जिलों में भेजने की तैयारी है। इसके बाद परीक्षार्थी अपने विद्यालय से प्रवेश पत्र प्राप्त कर सकेंगे।


बोर्ड परीक्षाएं 16 फरवरी से शुरू होनी हैं। ऐसे में सिर्फ सत्रह दिन शेष रहने से बोर्ड की ओर से परीक्षा को लेकर तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक सभी जिलों में तीन से चार दिन के भीतर प्रवेश पत्र भेज दिए जाएंगे। 


प्रवेशपत्र लेने में किसी भी प्रकार की असुविधा होने पर परीक्षार्थी बोर्ड की ओर से जारी टोलफ्री नंबर पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं। इसके साथ ही बोर्ड की ओर से ऑनलाइन प्रवेश पत्र डाउनलोड करने की व्यवस्था भी की गई है।


 बोर्ड सचिव दिव्यकांत शुक्ला के मुताबिक तीन दिन बाद परीक्षार्थी बोर्ड की वेबसाइट पर जाकर वहां से ऑनलाइन प्रवेश पत्र डाउनलोड कर सकते हैं। इसकी तैयारियां पूरी की जा रही हैं। बोर्ड परीक्षा की शुचिता बनाए रखने और नकल पर नकेल कसने के लिए जिलों के डीआईओएस को लगातार निर्देश जारी किए जा रहे है।

कॉपी और स्टेशनरी 50 फीसदी तक हुई महंगी, अभिभावक परेशान, नए सत्र में जेब पर पड़ेगा अधिक भार, दोगुने हुए दाम

कॉपी और स्टेशनरी 50 फीसदी तक हुई महंगी, अभिभावक परेशान, नए सत्र में जेब पर पड़ेगा अधिक भार, दोगुने हुए दाम


लखनऊ  । कोरोना के बाद इस नए शैक्षिक सत्र 2023-24 में पढ़ाई काफी महंगी हो जाएगी। स्कूल के कोर्स की किताबों के बाद अब कॉपी, पेंसिल, रबड़, पेन से लेकर अन्य स्टेशनरी तक 40 से 45 फीसदी तक महंगे हैं। इससे अभिभावकों की जेब पर बच्चों की पढ़ाई को लेकर काफी अधिक भार पड़ेगा।


 जीएसटी की अलग-अलग स्लैब दरों से दाम में इजाफा हुआ है। अमीनाबाद की थोक मंडी अभी से गुलजार हो गई है। यहां से प्रदेश भरमें स्टेशनरी और पुस्तकों की आपूर्ति होती है। बड़े कारोबारियों का कहना है कि पिछले दो-तीन साल तक ऑनलाइन शिक्षा से व्यापार ठप सा था। इस बार रौनक है। दूसरे शहरों से दुकानदार खरीदारी के लिए पहुंच रहे हैं।


स्कूलों में प्रकाशकों की पुस्तकें मनमाने रेट पर मिलने के साथ दाम बढ़ गए हैं। किताबों पर एनईपी का स्टिकर लगाकर कंटेंट बदल दिया है। ब्रांडेड से लोकल कॉपियां महंगी हो गई हैं।


 आम तौर से एक शैक्षिक सत्र में कागज, इंक से लेकर सभी उत्पाद 70 से 100 फीसदी तक महंगे हो गए। सीएनजी, डीजल के दाम बढ़ने से भाड़ा अधिक हो गया है। दो साल कोरोना में नुकसान के कारण पूंजी घट गई है। स्कूली बस्ता 40 फीसदी तक महंगा है। -जितेंद्र सिंह चौहान, अध्यक्ष स्टेशनरी निर्माता विक्रेता एसोसिएशन


कच्चा माल की दर और लागत बढ़ी है। बड़े उद्योगपतियों ने अनियंत्रित तरीके से बढ़ोतरी की है। उत्पादों पर कर भी अलग-अलग है। इससेे भी दरों में इजाफा हुआ है। कुछ आइटम में तो रेट दोगुना हो गए। कुछ पांच या 10 के पैक में रिटेल में मिलती थी। वह बंद हो गए। -विशाल गौड़, महामंत्री स्टेशनरी विक्रेता एवं निर्माता एसोसिएशन

साल में दस दिन बैग से छुट्टी, CISCE proposes at least 10 bagless days a year from classes VI to VIII, किताबों के अलावा छात्रों के कौशल विकास पर भी जोर देने की कवायद

CISCE स्कूलों में साल में दस दिन बैग से छुट्टी

CISCE proposes at least 10 bagless days a year from classes VI to VIII


• शैक्षिक सत्र 2023-24 में कक्षा छह से आठ तक के लिए होगी व्यवस्था 
• किताबों के अलावा छात्रों के कौशल विकास पर भी जोर देने की कवायद

The Council for the Indian School Certificate Examinations on Friday issued a guideline to schools on bagless days that it proposes to introduce in middle school soon. Initially, at least 10 bagless days or 60 hours a year are being earmarked for students of classes VI to VIII.


The council says the bagless days will help children experience joyful learning with fun. According to the CISCE chief executive and secretary Gerry Arathoon, it is a step towards exposing students to vocational crafts and connecting them with skill-based activities so that it addresses the limitations of bookish knowledge by integrating its application in real-life situations.


राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत काउंसिल फार द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (सीआइएससीई) शैक्षिक सत्र 2023-24 से कक्षा छह से आठ तक के बच्चों के लिए बैगलेस व्यवस्था लागू करने जा रही है। उन्हें साल में दस दिन स्कूल में बैग नहीं ले जाना पड़ेगा। काउंसिल ने स्कूलों को गाइडलाइन भेज दी है।


नई व्यवस्था लागू करने के पीछे काउंसिल का उद्देश्य बच्चों को तनावमुक्त पठन-पाठन का माहौल  देना है। कक्षा छह से आठ तक के विद्यार्थियों को स्कूल की समय सारिणी के तहत कम से कम 10 बैगलेस दिन या 60 घंटे प्रति वर्ष निर्धारित किए गए हैं। 


बैगलेस वाले दिन विद्यार्थियों को विशिष्ट विषयों जैसे काष्ठकला, कृषि, विद्युत कार्य बागवानी, स्थानीय कला का प्रशिक्षण दिया जाएगा। काउंसिल ने स्कूलों को स्थानीय समस्याओं पर विद्यार्थियों द्वारा सर्वेक्षण और साक्षात्कार की व्यवस्था करने के लिए भी कहा है। विद्यार्थी समस्याओं के बारे में संबंधित ब्योरा और जानकारी एकत्र कर प्रश्न तैयार करेंगे और बात करेंगे, ताकि समस्याओं का अनुभव प्राप्त कर समाधान खोज सकें।



सीआइएससीई ने नई शिक्षा नीति के तहत साल में दसदिन बैगलेस व्यवस्था लागू करने का निर्देश दिया है। इस दिन स्कूल के आसपास औद्योगिक या कौशल विकास से संबंधित जिस भी तरह की गतिविधिमिलेगी, उसमें बच्चों का प्रशिक्षण सुनिश्चित किया जाएगा । इससे उनके अंदर पढ़ाई के साथ-साथ व्यवासायिक क्षमता विकसित होगी।

डीएलएड (बीटीसी) स्क्रूटनी के 20370 आवेदन में 175 हुए पास, परिणाम जारी

डीएलएड (बीटीसी) स्क्रूटनी के 20370 आवेदन में 175 हुए पास, परिणाम जारी





प्रयागराज। परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय ने डीएलएड (बीटीसी) के परीक्षा वर्ष 2022 की स्क्रूटनी (अंकानुसंधान) का परिणाम जारी कर दिया है।


बीटीसी 2015, डीएलएड 2017, 2018, 2019 व 2021 के विभिन्न सेमेस्टर के कुल 20370 प्रशिक्षुओं ने स्क्रूटनी के लिए आवेदन किया था। इनमें से 18677 के परिणाम में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। 


केंद्रों से उत्तरपुस्तिका नहीं मिलने के कारण 21 प्रशिक्षुओं के परिणाम घोषित नहीं हो सके जबकि 1672 प्रशिक्षुओं के प्राप्तांक में परिवर्तन हुआ है। इनमें से मात्र 175 पास हुए हैं।

जन सूचना अधिकार के तहत मांगी गईं सूचनाएं न देने पर बीएसए समेत छह बीईओ पर 25-25 हजार जुर्माना, जानिए कहां का है मामला?

जन सूचना अधिकार के तहत मांगी गईं सूचनाएं न देने पर बीएसए समेत छह बीईओ पर 25-25 हजार जुर्माना, जानिए कहां का है मामला? 


उन्नाव। जन सूचना अधिकार के तहत मांगी गईं सूचनाएं न देने पर राज्य सूचना आयुक्त ने बीएसए सहित छह बीईओ पर 25-25 हजार रुपये जुर्माना लगाया है। जुर्माने की कटौती उनके वेतन से की जाएगी।


सफीपुर कस्बा निवासी अरशद अली ने जन सूचना अधिकार के तहत साल 2019 में अलग-अलग तिथियों में परिषदीय स्कूल में उर्दू शिक्षकों की तैनाती, पंजीकृत उर्दू के छात्र और उन स्कूलों में किताबों की स्थिति की जानकारी बीएसए सहित छह बीईओ से मांगी थी।


नियमानुसार 30 दिन के अंदर सूचना दे देनी चाहिए थी। जब सूचना नहीं मिली तो अरशद ने राज्य सूचना आयोग लखनऊ में शिकायत की। वहां से फिर बीएसए और खंड शिक्षाधिकारियों को नोटिस भेजकर आयोग में उपस्थित होने के निर्देश दिए गए थे।


आयोग के समक्ष देरी से सूचना देने का कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं कर पाए। इस पर राज्य सूचना आयुक्त हर्षवर्धन शाही ने सभी पर 25-25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। सूचना न देने वालों में बीएसए के साथ पूर्व बीईओ असोहा सुषमा सेंगर, सिकंदरपुर सरोसी आशीष चौहान, बांगरमऊ राजेश कटियार, हिलौली बीईओ अशोक सिंह, बीघापुर की नसरीन फारुकी और बीईओ हसनगंज शामिल हैं।


सूचना मांगने वाले अरशद अली ने बताया कि स्कूलों में उर्दू शिक्षक की तैनाती के बाद भी किताबें नहीं मंगवाई जा रही थीं। इसलिए सूचना नहीं दी गई। बीएसए संजय कुमार तिवारी ने बताया कि मामला पुराना है। राज्य सूचना आयोग ने जुर्माने की रकम वेतन से काटने का आदेश दिया है।

Monday, January 30, 2023

UGC : विश्वविद्यालय के प्रत्येक छात्र को अब पांच अनपढ़ लोगों को पढ़ाना होगा जरूरी, मिलेगा क्रेडिट , नए शैक्षणिक सत्र से ही विश्वविद्यालयों में शुरू होगा नया साक्षरता अभियान, UGC ने जारी की गाइडलाइन

UGC : विश्वविद्यालय के प्रत्येक छात्र को अब पांच अनपढ़ लोगों को पढ़ाना होगा जरूरी, मिलेगा क्रेडिट

नए शैक्षणिक सत्र से ही विश्वविद्यालयों में शुरू होगा नया साक्षरता अभियान, UGC ने जारी की गाइडलाइन


पाठ्यक्रम से जुड़े प्रोजेक्ट वर्क या एसाइनमेंट का यह होगा हिस्सा इसके बाद ही छात्रों को मिलेगी डिग्री मौजूदा समय में देश की साक्षरता दर करीब 78 प्रतिशत है।


नई दिल्ली। वर्ष 2047 तक देश को विकसित राष्ट्र बनाने का सपना अभी भले ही दूर की कौड़ी जैसा लग रहा है, लेकिन केंद्र सरकार इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ चुकी है। खासकर शत- प्रतिशत साक्षरता के लक्ष्य को हासिल करने को लेकर बड़ी पहल की है। इसके लिए एक नया साक्षरता अभियान भी तैयार किया है। जिसमें विश्वविद्यालयों व उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले प्रत्येक छात्रों के लिए हर साल कम से कम पांच अनपढ़ लोगों को अब पढ़ाना जरूरी होगा। इसके लिए उन्हें क्रेडिट स्कोर भी मिलेगा, जो उनके कोर्स में जुडेगा।


नई साक्षरता स्कीम को लागू करने के निर्देश
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने फिलहाल नए शैक्षणिक सत्र से ही सभी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों से नई साक्षरता स्कीम को लागू करने के निर्देश दिए है। साथ ही इसके लिए एक विस्तृत गाइड लाइन भी जारी की है। जिसमें प्रत्येक कोर्स के प्रोजेक्ट वर्क और एसाइनमेंट को इससे जोड़ने के लिए कहा है। इनमें ग्रेजुएट व पोस्ट ग्रेजुएट दोनों ही तरह के कोर्स शामिल होंगे।


इस स्कीम के तहत एक अनपढ़ को पढ़ाने पर पांच क्रेडिट स्कोर मिलेगा। लेकिन यह तभी मिलेगा जब सीखने वाले को साक्षर होने का प्रमाण पत्र मिल जाएगा। इसके लिए प्रत्येक विश्वविद्यालय में और राज्य सरकार की ओर से कुछ सेंटर खोले जाएंगे।


यूजीसी के मुताबिक इस पहल से साक्षरता की मुहिम काफी तेज हो सकेगी। मौजूदा समय में देश मे साक्षरता की दर करीब 78 प्रतिशत है। जबकि इसे लेकर शुरू कि गए नए अभियान में इसे शत-प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा गया है। इस बीच यूजीसी ने विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों से अनपढ़ लोगों को पढ़ाने के लिए छात्रों को विशेष प्रशिक्षण भी देने का सुझाव दिया है।


ताकि इस अभियान पर बेहतर तरीके से अमल हो सके। जानकारों की मानें तो इस पहल के पीछे छात्रों को पढ़ाई के साथ कुछ जिम्मेदारी भी देना है। इससे समाज से जुड़ने का भी उन्हें एक बेहतर मौका मिलेगा। गौरतलब है कि मौजूदा समय में देश में एक हजार से ज्यादा विश्वविद्यालय और करीब 45 हजार कालेज है।

यूपी बोर्ड परीक्षा : हर पन्ने पर लिखना होगा अपना रोल नंबर

यूपी बोर्ड परीक्षा : हर पन्ने पर लिखना होगा अपना रोल नंबर


देखें 
🔴 यूपी बोर्ड परीक्षा कक्ष निरीक्षण गाइडलाइन: 

16 फरवरी से शुरू हो रही यूपी बोर्ड की परीक्षा में छात्र-छात्राओं को उत्तरपुस्तिका के प्रत्येक पन्ने पर अपनी हैंडराइटिंग में कॉपी का क्रमांक और अपना अनुक्रमांक (रोल नंबर) लिखना होगा। 


यूपी बोर्ड के सचिव दिब्यकांत शुक्ल की ओर से 25 जनवरी को सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को कक्ष निरीक्षकों की तैनाती के संबंध में निर्देश जारी किए गए हैं। बोर्ड ने कॉपी बदलने की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए तीन साल पहले यह तरीका निकाला था।



 तब से हर साल छात्र-छात्राओं के लिए कॉपी के हर पन्ने पर रोल नंबर लिखने के निर्देश हैं। परीक्षा के दौरान यदि किसी परीक्षार्थी की तबीयत खराब होती है तो कक्ष निरीक्षक तत्काल केन्द्र व्यवस्थापक को सूचित करेंगे तथा सम्बन्धित परीक्षार्थी को प्राथमिक उपचार के लिए नजदीक के अस्पताल भेजवाने में सहयोग करेंगे।


 परीक्षा समाप्ति के बाद परीक्षा कक्ष में उपस्थित सभी परीक्षार्थियों की उत्तरपुस्तिकाएं जमा कराने के बाद ही उन्हें बाहर निकलने की अनुमति दी जाए। कोई भी परीक्षार्थी अपनी उत्तरपुस्तिका परीक्षा केन्द्र के बाहर ले जाने अथवा फाड़ने जैसा कृत्य न करने पाए।

जानिए ⁉️ शिक्षा को लेकर क्या हैं आपके अधिकार?

जानिए ⁉️ शिक्षा को लेकर क्या हैं आपके अधिकार? 


दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह शिक्षा को गरीबी से लड़ने का सबसे बड़ा हथियार बताया। कोर्ट ने 14 वर्ष की दुष्कर्म पीड़िता नाबालिग को गर्भपात की अनुमति देते हुए विधिक सेवा प्राधिकरण से वंचित वर्गों को शिक्षा के अधिकारों के बारे में जागरूकता अभियान चलाने को कहा है। कानून में शिक्षा के अधिकारों के बारे में जानिए।


2009 में शिक्षा मौलिक अधिकार बनी

केंद्र ने 2002 में संविधान में 86वें संशोधन के जरिये अनुच्छेद 21ए को शामिल कर शिक्षा को मौलिक अधिकार घोषित किया। इसे अमलीजामा पहनाने के लिए केंद्र ने पहली अप्रैल, 2010 से शिक्षा के अधिकार अधिनियम को देशभर में लागू किया। इससे पहले, शिक्षा संवैधानिक अधिकार था।


दाखिला देना सरकार की जिम्मेदारी

आरटीई अधिनियम के तहत बच्चे को पड़ोस के स्कूल में दाखिला पाने का भी हक है। आरटीई की धारा 8 और 9 के तहत यह प्रावधान है कि सरकार बच्चे को खोजकर लाए और दाखिला दिलाए। इसमें कहा गया है कि सरकार सुनिश्चित करे कि कोई बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे।


निजी स्कूलों में पढ़ने का हक

छह से 14 साल तक के कम आय वर्ग और वंचित समूह के बच्चों को निजी और विशेष स्कूलों में 25 फीसदी सीटों पर मुफ्त शिक्षा पाने का हक है।


हर स्कूल में हों एक विशेष शिक्षक

केंद्र सरकार ने पिछले साल सितंबर में आरटीई में संशोधन करते हुए सभी स्कूलों में चाहे वह सरकारी हो या निजी, कम से कम एक विशेष शिक्षक की नियुक्ति को अनिवार्य कर दिया है। इस हिसाब से देश में 15 लाख विशेष शिक्षकों की जरूरत होगी।


मुफ्त शिक्षा पाने का हक

1. आरटीई अधिनियम की धारा-3 में बच्चों को निशुल्क शिक्षा पाने का अधिकार है।

2. शिक्षा पाने की राह में बच्चों को आने वाली हर बाधा को दूर भी सरकार करेगी।

3. किताब, कॉपी, वर्दी, फीस, यहां तक कि दिव्यांग बच्चे को पढ़ने के लिए विशेष उपकरण आदि का प्रबंध भी सरकार को करना होगा।


आरटीई कानून.....

आरटीई कानून को लागू हुए 13 वर्ष बीत गए, लेकिन अब तक यह कानून प्रभावी तरीके से लागू नहीं हो सका है। स्कूलों में शिक्षकों कमी है। बच्चों के लिए स्वच्छ पेयजल, मध्याह्न भोजन पकाने के लिए रसोई आदि की अभी समस्या है। सरकार के साथ ही समाज को लीगल एड क्लीनिक के तहत कानून को प्रभावी तौर पर लागू कराने के लिए आगे आना चाहिए। - अशोक अग्रवाल, अधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट एवं शिक्षा के अधिकार कार्यकर्ता

शिक्षा मंत्रालय ने उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण (AISHE) 2020-2021 जारी किया

शिक्षा मंत्रालय ने उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण (एआईएसएचई) 2020-2021 जारी किया


उच्च शिक्षा में नामांकन बढ़कर 4.14 करोड़ हुआ, पहली बार चार करोड़ के आंकड़े के पार; 2019-20 से 7.5 प्रतिशत और 2014-15 से 21 प्रतिशत की बढ़त

छात्राओं का नामांकन दो करोड़ तक पहुंचा, 2019-20 से 13 लाख की वृद्धि

वर्ष 2014-15 की तुलना में 2020-21 में अनुसूचित जाति के छात्रों के नामांकन में 28 प्रतिशत और अनुसूचित जाति की छात्राओं के नामांकन में 38 प्रतिशत की महत्वपूर्ण वृद्धि

वर्ष 2014-15 की तुलना में 2020-21 में अनुसूचित जनजाति के छात्रों के नामांकन में 47 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति की छात्राओं के नामांकन में 63.4 प्रतिशत की वृद्धि

2014-15 से अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों के नामांकन में 32 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा वर्ग की छात्राओं के नामांकन में 39 प्रतिशत की महत्वपूर्ण बढ़ोतरी

2014-15 से पूर्वोत्तर क्षेत्र में 2020-21 में छात्रों के नामांकन में 29 प्रतिशत और छात्राओं के नामांकन में 34 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि

सभी सामाजिक समूहों के लिए पिछले वर्ष की तुलना में सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) में सुधार

2019-20 से 2020-21 में दूरस्थ शिक्षा में नामांकन सात प्रतिशत बढ़ा

2019-20 के क्रमागत रूप से 2020-21 में 70 विश्वविद्यालय और 1,453 कॉलेज बढ़े

2017 में लैंगिक समानता सूचकांक (जीपीआई) 01 था, जो 2020-21 में 1.05 हो गया

2019-20 की तुलना में फैकल्टी/शिक्षकों की कुल संख्या में 47,914 की बढ़ोतरी



उच्च शिक्षा में पहली बार चार करोड़ से अधिक छात्रों ने दाखिला लिया, लड़कियों के प्रवेश का प्रतिशत भी बढ़ा

अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण की रिपोर्ट से हुआ खुलासा 


देश में पहली बार उच्च शिक्षा में चार करोड़ से अधिक छात्रों ने दाखिला लिया। अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण की रविवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2020-21 में 4.14 करोड़ छात्रों ने उच्च शिक्षा में प्रवेश लिया। यह वर्ष 2019-20 से 7.5 और 2014-15 से 21 की वृद्धि है। लड़कियों में दाखिले का प्रतिशत 34 फीसदी बढ़ा है।


महिला नामांकन बढ़ा
उच्च शिक्षा में महिला नामांकन दो करोड़ तक पहुंच गया। इसमें वर्ष 2019-20 से 13 लाख की वृद्धि हुई है। वर्ष 2014-15 की तुलना में 2020-21 में अनुसूचित जाति के छात्रों के नामांकन में 28 और अनुसूचित जाति की महिला छात्रों के नामांकन में 38 की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। जबकि 2014-15 की तुलना में 2020-21 में एसटी छात्रों के नामांकन में 47 और महिला एसटी छात्रों के नामांकन में 63.4 की वृद्धि हुई है। वर्ष 2014-15 से ओबीसी छात्र नामांकन में 32 और महिला ओबीसी छात्रों में 39 की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। वर्ष 2014-15 से 2020-21 में पूर्वोत्तर क्षेत्र में छात्र नामांकन में 29 और महिला छात्र नामांकन में 34 की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। सभी सामाजिक समूहों के लिए पिछले वर्ष की तुलना में सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) में सुधार हुआ है


दूरस्थ शिक्षा में भी बढ़ोत्तरी, विश्वविद्यालय की संख्या भी बढ़ी 
वर्ष 2019-20 से 2020-21 में दूरस्थ शिक्षा में नामांकन 7% बढ़ा है। वर्ष 2019-20 की तुलना में 2020-21 में विश्वविद्यालयों की संख्या में 70, कॉलेजों की संख्या में 1,453 की वृद्धि हुई है।


फैकल्टी की संख्या बढ़ी लैंगिक समानता सूचकांक (जीपीआई) 2017-18 में 1 से बढ़कर 2020-21 में 1.05 हो गया है। वर्ष 2019-20 से संकाय/शिक्षकों की कुल संख्या में 47,914 की वृद्धि हुई है।


● नामांकित छात्रों की संख्या के मामले में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और राजस्थान शीर्ष 6 राज्य हैं।


● दूरस्थ शिक्षा में नामांकन 45.71 लाख (20.9 लाख महिला के साथ) है, 2019-20 से लगभग 7 और 2014-15 से 20 की वृद्धि हुई है।


● एआईएसएचई 2020-21 में प्रतिक्रिया के अनुसार, कुल छात्रों में से लगभग 79.06 स्नातक स्तर के पाठ्यक्रमों में नामांकित हैं और 11.5 स्नातकोत्तर स्तर के पाठ्यक्रमों में नामांकित हैं।


● स्नातक स्तर पर विषयों में नामांकन कला (33.5) में सबसे अधिक है, इसके बाद विज्ञान (15.5), वाणिज्य (13.9) और इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी (11.9) का स्थान है।


● स्नातकोत्तर स्तर पर धाराओं में, अधिकतम छात्र सामाजिक विज्ञान (20.56) में नामांकित हैं, विज्ञान (14.83) का स्थान है।


● कुल नामांकन में से, 55.5 लाख छात्र साइंस स्ट्रीम में नामांकित हैं, जिसमें महिला छात्रों (29.5 लाख) की संख्या पुरुष छात्रों (26 लाख) से अधिक है।


● सरकारी विश्वविद्यालयों (कुल का 59) का नामांकन में 73.1 योगदान है। सरकारी कॉलेज (कुल का 21.4) नामांकन के 34.5 में योगदान करते हैं।


● 2014-15 से 2020-21 के दौरान राष्ट्रीय महत्व के संस्थान में नामांकन में 61 की वृद्धि हुई है।


लड़कियों के प्रवेश का प्रतिशत भी बढ़ा

● वर्ष 2020-21 में 4.14 करोड़ ने उच्च शिक्षा में प्रवेश लिया


● 2019-20 से 7.5 और 2014-15 से 21 की वृद्धि


● लड़कियों का प्रतिशत 34 फीसदी बढ़ा


● महिला नामांकन दो करोड़ तक पहुंचा, 2019-20 से 13 लाख की वृद्धि

Sunday, January 29, 2023

ऑनलाइन एजुकेशन और डिस्टेंस लर्निंग क्यों बन रहे आज के युवाओं की बड़ी पंसद? जानें यहां विस्तार से

ऑनलाइन एजुकेशन और डिस्टेंस लर्निंग क्यों बन रहे आज के युवाओं की बड़ी पंसद? जानें यहां विस्तार से 


ऑनलाइन एजुकेशन और डिस्टेंस लर्निंग क्यों बन रहे युवाओं की पंसद? जानें यहां डिस्टेंस लर्निंग आजकल देश की युवाओं के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रहा है। इससे युवाओं को काफी सुविधा मिलती है, इससे वो नौकरी के साथ-साथ अपनी पढ़ाई भी जारी रख पाते हैं।


देश में कुछ ऐसे युवा है जो स्कूलिंग पूरा तो कर लेते हैं पर किन्हीं वजहों से वे आगे की पढ़ाई पूरी नही कर पाते। जिसके बाद वे नौकरी वगैरह करने लगते हैं पर मन में आगे नहीं पढ़ने का मलाल होता है जिसकी वजह से वे आगे की पढ़ाई के बारे में विचार करते हैं। देश में आज कल युवा पढ़ाई के साथ-साथ नौकरी करने पर ज्यादा जोर दे रहे हैं। रेगुलर पढ़ाई के साथ यह संभव नहीं हो पाता है। ऐसे में उनकी मदद करता है ऑनलाइन एजुकेशन और डिस्टेंस लर्निंग। ये आजकल युवाओं के बीच काफी पॉपुलर हो रहा है। इससे युवाओं को डिग्री भी मिल जाती है और पढ़ाई भी नहीं छोड़नी पड़ती है। ऑनलाइन एजुकेशन और डिस्टेंस लर्निंग ने लाखों युवाओं को आगे पढ़ने का मौका दिया है। इससे युवाओं के करियर में ग्रोथ हो रहा है। साथ ही वो अपना आगे पढ़ने का सपना भी पूरा कर पा रहे हैं।


ऑनलाइन एजुकेशन और डिस्टेंस एजुकेशन में छात्र कंप्यूटर और इंटरनेट के माध्यम से कहीं से भी अपने मनचाहे कोर्स कर सकते हैं। डिस्टेंस एजुकेशन के लिए इनरोलमेंट करने वालों में एक बड़ा हिस्सा नौकरीपेशा आबादी का है।


ज्यादा भागना-दौड़ना नहीं पड़ता 
जैसा कि हम जानते हैं, डिस्टेंस एजुकेशन ऑनलाइन आधारित होती है, जिससे छात्र घरों में बैठकर आराम से पढ़ाई कर सकते हैं। ज्यादातर इंस्टीट्यूट जो डिस्टेंस एजुकेशन प्रोग्राम कराते हैं, वे छात्रों को स्टडी मटेरियल या ऑनलाइन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लेक्चर और ट्यूटोरियल उपलब्ध करा देते हैं।


युवाओं को होती है सुविधा
ऑनलाइन एजुकेशन और डिस्टेंस लर्निंग को कहीं से भी हासिल किया जा सकता है। डिस्टेंस लर्निंग के जरिए स्टूडेंट्स किसी भी यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेकर पढ़ाई जारी रख सकते हैं। उन्हें बार-बार यूनिवर्सिटी या कॉलेज जाने की जरूरत नहीं होती है। वहीं, ऑनलाइन एजुकेशन को कहीं से भी हासिल किया जा सकता है। साथी इसे छात्र अपने शेड्यूल के हिसाब से पढ़ सकता है। वह अगर चाहे तो एक दिन में ज्यादा से ज्यादा सिलेबस कवर कर सकता है। साथ ही वह इस दौरान अपने परिवार को समय भी दे सकता है।


इससे पढ़ाई में आती है कम लागत
रेगुलर पढ़ाई के दौरान छात्र को कई बार काफी मोटी फीस देनी पड़ती है। जबकि डिस्टेंस लर्निंग और ऑनलाइन एजुकेशन में अक्सर फीस कम होती है। इसके अलावा, कॉलेज या एजुकेशनल इंस्टीट्यूट आने-जाने का खर्चा भी बच जाता है। ऐसे में डिस्टेंस एजुकेशन या ऑनलाइन एजुकेशन कम खर्चीला होता है।


मिलते हैं कई सारे ऑप्शन
कॉलेज या यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करने के दौरान कुछ लिमिटेड सब्जेक्ट में ही पढ़ाई की जा सकती है, जबकि ऑनलाइन एजुकेशन या डिस्टेंस एजुकेशन के जरिए छात्र कई तरह की स्किल्स सीख सकते हैं। उनके पास कई तरह के कोर्स करने का मौका होता है।

सीतापुर : ARP ने सौंपा सामूहिक इस्तीफा, गलत रिपोर्टिंग का लगाया आरोप, डायट प्राचार्य व बीएसए को दिया पत्र, जानिए पूरा मामला

सीतापुर : ARP ने सौंपा सामूहिक इस्तीफा, गलत रिपोर्टिंग का लगाया आरोप, डायट प्राचार्य व बीएसए को दिया पत्र, जानिए पूरा मामला



सीतापुर। बेसिक शिक्षा विभाग में तैनात एकेडमिक रिर्सोस पर्सन (एआरपी) ने सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया है। बीएसए पर गलत रिपोर्टिंग के आधार पर कार्रवाई करने का आरोप लगाते हुए कार्यमुक्त करने की बात कही है। इसका पत्र वायरल होते ही बेसिक शिक्षा विभाग में खलबली मच गई। अफसर जवाब देने से कतराते रहे।


एआरपी ने डायट प्राचार्य व बीएसए को सामूहिक इस्तीफा दिया है। जिसके जरिए कहा कि हम लोगों को नियमित रूप से विद्यालयों का पर्यवेक्षण करके शिक्षक माड्यूल विद्यालयों में लागू कराना है। जिससे प्रत्येक नौनिहाल को गुणवत्तापरक शिक्षा मिल सके। इसके लिए हम लोग लगातार प्रयास कर रहे है।


अगर कोई शिक्षक किसी ट्रेनिंग में गए है या अवकाश पर है फिर भी उनको अनुपस्थित दिखाकर बीएसए की तरफ से स्पष्टीकरण मांगा जा रहा है। हम लोग भी शिक्षक है। इससे शिक्षकों में हमारे प्रति गलत भावना उत्पन्न हो रही है। इस तरह की कार्रवाई बिना कोई सही जांच कराए ही कर देने से शिक्षक समुदाय आहत है। इसलिए हम लोग नैतिकता के आधार पर अपने एआरपी के दायित्व से सामूहिक रूप से इस्तीफा देते हैं। इस सामूहिक इस्तीफे पर 60 एआरपी ने हस्ताक्षर कर सहमति जताई है।



देखेंगे मामला

 लखनऊ में हूं। आधा घंटे पहले ही फोन पर पत्र आया है। सोमवार को सभी एआरपी को बुलाकर बैठक की जाएगी। उसके बाद पूरे मामले को देखा जाएगा। - अजीत कुमार, बीएसए

त्यागपत्र जैसी कोई बात नहीं है। वह एआरपी का रोष था जो वायरल हो गया। बीएसए की ओर से आ खंडन पत्र जारी होगा।
- मनोज अहिरवार, डायट प्राचार्य


यूपी बोर्ड : कक्ष निरीक्षकों पर नकल रोकने की जिम्मेदारी, परीक्षा केन्द्रों पर बाहर से आएंगे 50 फीसदी कक्ष निरीक्षक

यूपी बोर्ड : कक्ष निरीक्षकों पर नकल रोकने की जिम्मेदारी, परीक्षा केन्द्रों पर  बाहर से आएंगे 50 फीसदी कक्ष निरीक्षक 


देखें 
🔴 यूपी बोर्ड परीक्षा कक्ष निरीक्षण गाइडलाइन: 


लखनऊ : पूर्व की भांति इस बार भी राज्य सरकार ने प्रदेश में बोर्ड परीक्षाओं में नकल पर पूरी तरह से नकेल कसने की तैयारी कर ली दी है। फरवरी में शुरू हो रही आगामी बोर्ड परीक्षाओं को भी नकलविहीन कराने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने माध्यमिक शिक्षा परिषद को हर जरूरी कदम उठाने को कहा है। इसी क्रम में माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से परीक्षाओं के दौरान कक्ष निरीक्षकों के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। इनमें कक्ष निरीक्षकों के चयन से लेकर उनके द्वारा किए जाने वाले कार्यों और उत्तरदायित्वों का पूरा लेखा-जोखा दिया गया है।


साथ ही, जिस दिन जिस विषय की परीक्षा होगी, उस सत्र में उस विषय के अध्यापक की ड्यूटी कक्ष निरीक्षक के रूप में नहीं लगाई जाएगी। यही नहीं, पुरुष कक्ष निरीक्षक द्वारा किसी भी बालिका परीक्षार्थी की तलाशी नहीं ली जाएगी और छात्रों की तरह कक्ष निरीक्षक भी परीक्षा के दौरान मोबाइल, कैलकुलेटर या ऐसे किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का उपयोग नहीं कर सकेंगे।


प्रत्येक कक्ष में होंगे दो कक्ष निरीक्षक

माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव दिव्यकांत शुक्ल के अनुसार प्रत्येक कक्ष में दो कक्ष निरीक्षक लगाए जाएंगे एवं पांच कक्षों के बीच एक अवमोचक की व्यवस्था रखी जाएगी। यदि एक कक्ष में 40 से ज्यादा छात्र परीक्षा दे रहे होंगे तो वहां तीन कक्ष निरीक्षक भी नियुक्त किए जा सकेंगे।


कक्ष निरीक्षकों की तैनाती के कड़े नियम बने

परीक्षा केंद्र पर 50 प्रतिशत कक्ष निरीक्षक बाहरी रखे जाएंगे। इसी तरह ऐसे कक्ष निरीक्षक जिनके परिचित और रिश्तेदार जिस परीक्षा केंद्र पर परीक्षा दे रहे हैं वो उस केंद्र पर कक्ष निरीक्षण कार्य के लिए पात्र नहीं होंगे। परीक्षा केंद्रों से संबंधित विद्यालय के ऐसे अध्यापकों की सूची संबंधित प्राधानाचार्य या केंद्र व्यवस्थापक द्वारा तैयार कर जिला विद्यालय निरीक्षक को भेजी जाएगी।


प्रश्नपत्रों की गोपनीयता का रखना होगा ध्यान

कक्ष निरीक्षकों को उनके कार्यों की भी जिम्मेदारी दी गई है। इसके अनुसार प्रश्नपत्रों की गोपनीयता व सुरक्षा का पूरा ध्यान देना होगा। साथ ही यह भी देखना होगा कि परीक्षार्थी किसी भी नकल सामग्री, मोबाइल फोन, कैलकुलेटर या ऐसे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस लेकर परीक्षा कक्ष में प्रवेश ना कर पाएं। कक्ष निरीक्षक सुनिश्चित करेंगे कि परीक्षार्थियों को लाभ पहुंचाने वाली कोई सामग्री न हो।

Saturday, January 28, 2023

CM योगी ने किया प्रदेश के पहले विद्या समीक्षा केंद्र का उद्घाटन, डैश बोर्ड से पूरे प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था एक नजर में दिखेगी

CM योगी ने किया प्रदेश के पहले विद्या समीक्षा केंद्र का उद्घाटन, डैश बोर्ड से पूरे प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था एक नजर में दिखेगी


क्लिक करके जाने विद्या समीक्षा केंद्र के बारे में विस्तार से


मुख्यमंत्री द्वारा मध्याह्न भोजन प्राधिकरण कार्यालय में व्यवस्थित शिक्षा के क्षेत्र में विद्या समीक्षा केन्द्र का उद्घाटन किया गया. यह 18 स्क्रीन वाला 60-सीटर कॉल सेंटर है, जिसके माध्यम से कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग करके डैशबोर्ड प्रदर्शित किया जाता है। इसके अंतर्गत मध्याह्न भोजन मॉड्यूल, कायाकल्प मॉड्यूल, प्रेरणा गुणवत्ता मॉड्यूल, निरीक्षण मॉड्यूल, कुशल मूल्यांकन परीक्षण मॉड्यूल, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय मॉड्यूल और गतिविधि मॉड्यूल संचालित हैं।



सरल ऐप के माध्यम से सभी छात्रों के लिए एक त्रैमासिक कौशल मूल्यांकन परीक्षा आयोजित की जाएगी और कुशल मूल्यांकन परीक्षण से प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद सभी छात्रों और अभिभावकों को रिपोर्ट कार्ड भेजे जाएंगे।


सैंपल और स्पॉट असेसमेंट से प्राप्त डेटा का अध्ययन निपुण लक्ष्य ऐप पर डायट ट्रेनी और मेंटर द्वारा किया जाएगा। विद्या समीक्षा केंद्र में छात्र चैटबॉट और शिक्षक चैटबॉट के डेटा का भी विश्लेषण किया जाएगा।

डीआईओएस बताएं कि उन पर अवमानना के कितने केस: हाईकोर्ट, पूछा क्यों न इन मुकदमों का खर्च उनके वेतन से वसूल किया जाए?

डीआईओएस बताएं कि उन पर अवमानना के कितने केस: हाईकोर्ट

डीआईओएस और लेखा अधिकारी को अगली सुनवाई पर तलब किया

पूछा, क्यों न इन मुकदमों पर आने वाला खर्च उनके वेतन से वसूल किया जाए


प्रयागराज ।  इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला विद्यालय निरीक्षक प्रयागराज से पूछा है कि उनके खिलाफ अवमानना के कितने मामले लंबित हैं और क्यों न इन मुकदमों पर आने वाला खर्च उनके वेतन से वसूल किया जाए। अवमानना मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने डीआईओएस और लेखा अधिकारी को अगली सुनवाई पर तलब करते हुए उनसे इस बाबत स्पष्टीकरण को लिए कहा है।


यह आदेश न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल ने राजेश दास की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट ने 14 अक्टूबर 2022 को डीआईओएस से याची को बकाया भुगतान के संबंध में जानकारी मांगी थी। इस संबंध में सुनवाई के दौरान मुख्य स्थाई अधिवक्ता जेएन मौर्य ने कोर्ट को बताया कि याची को अब तक कोई भुगतान नहीं किया गया है। 


इस पर कोर्ट ने डीआईओएस प्रयागराज और उनके कार्यालय के लेखा अधिकारी को तलब करते हुए उनसे कहा है कि हलफनामा दाखिल कर बताएं उनके खिलाफ अवमानना के कितने मामले लंबित हैं और क्यों न इन मुकदमों पर आने वाला खर्च उनके वेतन से वसूल किया जाए।

गैजेट के न बनें गुलाम, परीक्षा पे चर्चा में प्रधानमंत्री ने छात्रों से कहा, सफलता सिर्फ मेहनत के बल पर ही संभव

गैजेट के न बनें गुलाम, परीक्षा पे चर्चा में प्रधानमंत्री ने छात्रों से कहा, सफलता सिर्फ मेहनत के बल पर ही संभव


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छात्रों को सुझाव दिया है कि वे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट के गुलाम न बनें। अपनी क्षमता पर विश्वास रखें और लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करें। छात्र अपनी मेहनत और बुद्धिमानी से गैजेट को भी पीछे छोड़ सकते हैं। तनावमुक्त रहकर कड़ी मेहनत से सफलता की बुलंदियों को हासिल किया जा सकता है।


प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम के छठे संस्करण के दौरान छात्रों से संवाद किया। इस दौरान विभिन्न राज्यों से छात्र, शिक्षक और अभिभावक भी ऑनलाइन इस कार्यक्रम में शामिल हुए।


मोदी ने परीक्षाओं में अनुचित प्रथाओं के इस्तेमाल के खिलाफ दृढ़ता से बात की और छात्रों को परीक्षा के तनाव से बचने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि भारत में लोग 24 घंटे में से औसतन छह घंटे स्क्रीन पर बिताते हैं। यह चिंता का विषय है। गैजेट पर इतना समय बिताना अपनी ऊर्जा को व्यर्थ में बर्बाद करना है। मोदी ने छात्रों से कहा कि वे गैजेट के अत्यधिक उपयोग से बचें और अपना ज्यादातर समय करियर निर्माण में लगाएं।


डिजिटल उपवास करें 
प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस तरह से धार्मिक उपवास करते हैं, वैसे ही छात्रों को सप्ताह में एक दिन डिजिटल उपवास करना चाहिए। उस दिन किसी गैजेट का इस्तेमाल नहीं करना है। गैजेट से ज्यादा स्मार्ट आप हो सकते हैं। जब आप स्मार्ट तरीके से गैजेट्स का इस्तेमाल करना शुरू करेंगे तो आपको बेहतर परिणाम मिलेंगे।


शॉर्टकट न अपनाएं 
मोदी ने कहा कि छात्रों को कभी भी शॉर्टकट नहीं अपनाना चाहिए। नकल से एक या दो परीक्षाओं में मदद मिल सकती है, लेकिन लंबे समय तक सफलता सिर्फ मेहनत के बल पर ही हासिल की जा सकती है। छात्रों को समय-समय पर खुद पर पड़ने वाले दबाव का विश्लेषण करना चाहिए कि कहीं वे अपनी क्षमता को कम तो नहीं आंक रहे हैं।


ये सवाल आउट ऑफ सिलेबस
सिक्किम की छात्रा अष्टमी ने मोदी से पूछा, जब विपक्ष, मीडिया आपकी आलोचना करता है तो इनका सामना कैसे करते हैं। इस पर पीएम ने कहा कि ये सवाल आउट ऑफ सिलेबस है। उन्होंने कहा कि आलोचना लोकतंत्र में शुद्धिकरण की तरह है। आलोचना से बहुत कुछ सीखने को मिलता है।



परीक्षा पे चर्चा: पीएम मोदी से हुए इन 12 सवालों के जरिए समझे पूरा सार

भारत सरकार 27 जनवरी, 2023 को परीक्षा पे चर्चा 2023 आयोजित की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तालकटोरा इंडोर स्टेडियम में छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के साथ बातचीत की। पीएम पीएम मोदी ने परीक्षा पे चर्चा 2023 कार्यक्रम में छात्रों व शिक्षकों के कई सवालों के जवाब दिए। प्रधानमंत्री मोदी ने परीक्षा पे चर्चा पर बात करते हुए कहा कि मुझे बच्चे अपनी समस्या बताते हैं। अपनी व्यक्तिगत पीड़ा भी बताते हैं। यह मेरे लिए यह सौभाग्य की बात है। मुझे जानकारी होती है कि युवा पीढ़ी क्या चाहती है। युवाओं को सरकार से क्या उम्मीदें हैं। पीएम मोदी ने कहा कि मैंने अपने सिस्टम से कहा कि इन सभी सवालों को संभालकर रखें ताकि आने वाले 10-15 साल बाद इन पर एनालिसिस किया जा सके। क्योंकि पीढ़ी बदलती जाती है।



सवाल 1- एक शिक्षिका ने पीएम मोदी से पूछा- समाज में छात्र कैसा बर्ताव करें?
पीएम मोदी ने कहा, "बच्चों को समाज के भिन्न-भिन्न पहलुओं को जानने का मौका देना चाहिए। उसे ऐसा करना चाहिए और उसे वैसा नहीं करना चाहिए। उसे बंधनों में मत बांधिए। अगर कोई फरमान निकाले कि पतंगों को यूनीफॉर्म पहनाएं तो उड़ेगी क्या। इसका कोई लॉजिक नहीं है। बच्चों को बाहर निकलने देना चाहिए। बच्चों को अपने दायरे में बंद मत करें। लेकिन हमारा ध्यान रहना चाहिए कि कहीं उसकी आदतें तो खराब नहीं हो रही है। बच्चे के स्वभाव का ध्यान रखना चाहिए। हमें समाज के विस्तार की ओर ले जाना चाहिए। उसे जीवन की भिन्न-भिन्न चीजों से जुड़ने देना चाहिए। लोगों से बात करने देना चाहिए। "



सवाल 2 – शिक्षिका ने पीएम मोदी से पूछा- कक्षा में पढ़ाई के लिए विद्यार्थियों को कैसे आकर्षित करें?
इस सवाल पर पीएम मोदी बोले- "आजकल प्रश्न आता है कि शिक्षक अपने में खोए रहते हैं। पुराने समय में शिक्षक जो तैयारी करके आते हैं और वह भूल जाते हैं तो वह छात्रों से छिपाना चाहते हैं। वह चाहते हैं कि छात्र उसे पकड़ें नहीं। अब टीचर सेलेब्स मोबाइल में लेकर आता है। कई बार मोबाइल से सेलेब्स हट जाता है। विद्यार्थियों के साथ जितना अपनापन बनाएंगे। विद्यार्थी आपके ज्ञान की कसौटी नहीं चाहता है। अगर विद्यार्थी सवाल पूछता है तो उसकी जिज्ञासा है। उसकी जिज्ञासा को शिक्षक प्रमोट करें। उसे चुप न करें। अगर शिक्षक को सवाल का जवाब नहीं आता है तो उससे कहिए कि आपने बहुत अच्छा सवाल पूछा है। मैं आपको जल्दबाजी में जवाब नहीं देना चाहता। कल बैठते हैं। घर जाकर शिक्षक तैयारी करे। दूसरे दिन उसे उसकी जिज्ञासा को शांत करें। आज भी छात्र अपने शिक्षक की बात को बहुत मूल्यवान समझता है। इसलिए बात बताने से पहले समय लें।"



सवाल 3: क्या आप जानते हैं कि दुनिया की सबसे पुरानी भाषा कौन-सी है? जानें यहां-
भारत विविधताओं से भरा देश है। हम गर्व से कह सकते हैं कि हमारे पास हजारों भाषाएं हैं। हमें अपनी इस समृद्धि पर गर्व होना चाहिए। कोई विदेशी व्यक्ति हमें मिल जाए और उसे पता चल जाए कि हम भारत से हैं और उसे थोड़ा बहुत पता हो तो वह नमस्ते बोलेगा। पीएम मोदी ने आगे कहा कि अक्सर लोग कहते हैं कि मन करता है कि तबला सीखूं। इससे हमारे अंदर विधा बढ़ती है। अगर हम समय लगाकार आसपास के देशों की भाषाएं सीख जाते हैं तो इसमें बुराई नहीं है। कभी-कभी मुझे दुख होता है कि कहीं कोई देश में अच्छा स्मारक हो और कोई कहे कि यह दो हजार साल पुराना है तो हमें गर्व होता है। फिर यह विचार नहीं आता है कि यह किस कोने में है। हम सोचते हैं कि हमारे पूर्वजों को कितना ज्ञान होगा। दुनिया की सबसे पुरातन भाषा जिस देश के पास हो तो उसे गर्व होना ही चाहिए। सीना तानकर कहना चाहिए कि हमारे पास पुरानी भाषा है। तमिल भाषा दुनिया की सबसे पुरानी भाषा है। इतनी बड़ी अमानत देश के पास है। इतना बड़ा गौरव के पास है।



सवाल 4 : छात्रों ने पीएम मोदी से पूछा कि मेहनत करने के बाद भी नहीं मिलता है मनचाहा परिणाम तो क्या करें? 
इस सवाल पर पीएम मोदी ने कहा परीक्षा देने के बाद जब छात्र आते हैं तो घर पर बोलते हैं कि 90 प्रतिशत पक्का है। परिणाम अच्छा है। छात्रों की बात को घर वाले मान भी लेते हैं। जब रिजल्ट आता है 40-42 प्रतिशत तो मन उखड़ जाता है। इसलिए सच्चाई से मुकाबला करने की आदत नहीं छोड़नी चाहिए। हमें सच्चाई को स्वीकार करना चाहिए। अगर पहले से ही आप सच बोल देंगे तो घर में तनाव नहीं होगा। तनाव का कारण आपके दोस्त हैं। क्योंकि दिमाग में रहता है कि वो ऐसा करते है तो मैं भी वैसा ही करुंगा। हम दिन रात प्रतिस्पर्धा में जीते हैं। हम अपने लिए जिएं। हमें अपने भीतर के सामर्थ्य पर बल देना चाहिए। अगर हम ऐसा करते हैं तो तनाव कम होता है। जिस दिन हम मान लेते हैं कि अगर यह परीक्षा गई तो जिंदगी गई। एक स्टेशन से कोई रुकता नहीं है। एक परीक्षा जीवन का अंत नहीं होना चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि अगर आप परिणाम से निपटने के लिए तैयार रहते हैं तो जिंदगी की किसी भी स्थिति को काट सकते हैं। 


सवाल 5: सोशल मीडिया से ध्यान हटाकर पढ़ाई पर कैसे फोकस करें?
इस सवाल के जवाब पर पीएम मोदी ने कहा कि सबसे पहले निर्णय यह करना है कि आप स्मार्ट हैं या गैजेट स्मार्ट है। कभी-कभी लगता है कि आप अपने से भी ज्यादा गैजेट को समार्ट मान लेते हैं और गलती यही से शुरू होती है। आप विश्वास करिए। ईश्वर से आपको बहुत शक्ति दी है। आप स्मार्ट हैं। गैजेट आपसे ज्यादा स्मार्ट नहीं हो सकता है। आप जितने स्मार्ट होंगे उतना ही स्मार्ट तरीके से गैजेट का इस्तेमाल कर पाएंगे। दूसरा यह देश का चिंता का विषय भी है। भारत में औसतन छह घंटे लोग स्क्रीन पर लगाते हैं। जो इसका बिजनेस करते हैं उनके लिए खुशी की बात है। जब मोबाइल पर टॉक टाइम होता था उस समय औसतन समय 20 मिनट जाते थे। इस समय रील में जाते हैं तो बाहर नहीं निकलते हैं। पीएम मोदी ने कहा कि गैजेट हमें गुलाम बना देता था हम उसके गुलाम बनकर जी नहीं सकते हैं। इसलिए हमें सचेत रहना चाहिए कि कहीं मैं इसका गुलाम तो नहीं हूं। आपने मेरे हाथ में बहुत कम ही मोबाइल फोन देखा होगा। मैं एक्टिव रहता हूं लेकिन उसके लिए मैंने समय तय किया है। इसलिए हमें खुद से कोशिश करनी चाहिए कि हम गैजेट के गुलाम न बनें।


सवाल 6: आलोचना व आरोप में क्या अंतर है? समझें पीएम मोदी से 
पीएम मोदी ने कहा कि आलोचना करने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है। अध्ययन करना पड़ता है। भूतकाल देखना पड़ता है, भविष्य देखना पड़ता है। आजकल शार्टकट का जमाना है। इसलिए आजकल लोग आरोप लगाते हैं। आलोचना और आरोप के बीच बहुत बड़ी खाई है। आरोप को आचोलना नहीं समझना चाहिए। हालांकि आलोचना को लाइट नहीं लेना चाहिए। 


सवाल 7: टोका-टोकी से बाहर निकलें अभिभावक
पीएम मोदी ने कहा कि छात्र ध्यान रखें कि टोका-टोकी आलोचना नहीं है। लेकिन मैं अभिभावकों से आग्रह करुंगा कि वह टोका-टोकी से बाहर निकलें। 


सवाल 8- लोगों की आलोचनाओं का कैसे करें सामना?
इस सवाल के जवाब पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा छात्र परीक्षा देते हैं और घर आकर अभिभावकों, दोस्तों या शिक्षकों के पास बैठते हैं। अगर किसी सवाल का जवाब नहीं आया तो पहला जवाब आता है कि आउट ऑफ सेलेबस था। ठीक इसी तरह यह भी आउट ऑफ सेलेबस है। प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि मैं सिद्धांत मानता हूं कि समृद्ध लोकतंत्र के लिए आलोचना जरूरी है। उन्होंने आगे कहा कि आजकल कुछ कंपनियां अपने सामान को सामने रखती हैं और कहती हैं कि उनके प्रोक्डट में कमियां बताए और इनाम मिलेगा। कई बार जरूरी होता है कि आचोलना करने वाला कौन है। अगर आपका प्रिय दोस्त आपकी आलोचना करता है तो आपका अलग रिएक्शन करता है। वहीं एक दूसरा दोस्त जिसकी बातें आपको पसंद नहीं आती हैं वह आलोचना करेगा तो आपका दूसरा रिएक्शन करेगा। 


सवाल 9- स्मार्ट वर्क और हार्ड वर्क का अंतर समझाने के लिए पीएम मोदी ने सुनाई ये कहानी
इस सवाल के जवाब में पीएम मोदी ने कहा कौवे की एक पुरानी कहानी सुनाई। उन्होंने कहा कि आप सभी ने प्‍यासे कौवे की कहानी सुनी होगी, जिसमें कौवा मटके में कम पानी होने पर कंकड डालें, जिससे पानी ऊपर आ जाता है और फिर वह पानी पी पाता है।  क्‍या ये उसका हार्डवर्क था या स्‍मार्टवर्क? कुछ लोग हार्डली स्‍मार्टवर्क करते हैं जबकि कुछ लोक स्‍मार्टली हार्डवर्क करते हैं।  कौवे से हमें यही सीखना है। पीएम मोदी ने कहा कि कुछ लोग होते हैं जो हार्डवर्क ही करते रहते हैं। कुछ लोग होते हैं जिनके जीवन में हार्डवर्क का नामो निशान नहीं होता है। कुछ लोग होते हैं जो मुश्किल से हार्डवर्क करते हैं और कुछ लोग मुश्किल से स्मार्ट वर्क करते हैं। कौवे ने सिखाया है कि कैसे हार्डवर्क को स्मार्टली करना है।

पीएम मोदी ने आगे कहा कि एक बार मेरी जिप्सी खराब हो गई थी। हम हार्डवर्क करके उसे ठीक करना चाहते थे लेकिन ठीक नहीं हुई। फिर एक मैकेनिक ने उसे मुश्किल से दो मिनट में ठीक कर दिया। मैकेनिक ने गाड़ी ठीक करने के दो सौ रुपए मांगे। पीएम मोदी ने आगे कहा कि मैंने उससे कहा कि दो मिनट के दो सौ, तब मैकेनिक ने कहा कि सर ये दो मिनट के नहीं पिछले 50 साल के अनुभव के दौ सौ रुपए हैं। उन्होंने कहा कि इसका अर्थ है कि हार्डवर्क के साथ स्मार्टवर्क भी जरूरी है।


सवाल 10 : छात्र ने पूछा- परीक्षा में अनुचित साधनों से कैसे बचें?
छात्रों के सवाल पर पीएम मोदी ने कहा कि लोग पहले भी चोरी या नकल करते थे लेकिन छुप छुपकर करते थे। लेकिन अब गर्व से कहते हैं कि सुपरवाइजर को बेवकूफ बना दिया। यह जो बदलाव आया है वह खतरनाक है। दूसरा अनुभव यह है जो स्कूल या ट्यूशन चलाते हैं अभिभावक। वह टीचर भी सोचते हैं कि मेरा छात्र आगे निकल जाए इसलिए नकल को बढ़ावा देते हैं। वहीं कुछ छात्र नकल करने के तरीके खोजने में बहुत क्रिएटिव होते हैं। पीएम मोदी ने आगे, "मुझे कभी कभी लगता है कि अगर चोरी करने वाले अपने टैलेंट को सीखने में लगाता तो अच्छा कर पाता। किसी को उसे गाइड करना चाहिए था। अब जिंदगी बहुत बदल चुकी है। आज आपको हर जगह परीक्षा देनी होती है। नकल से जिंदगी से नहीं बनती है हो सकता है कि नकल से परीक्षा में नंबर तो ले आए। एक-आधे एग्जाम में नकल से पास भी हो जाओ लेकिन आगे जाकर ऐसे छात्र जिंदगी में फंसे रहेंगे। जो छात्र कड़ी मेहनत करते हैं उनकी मेहनत उनकी जिंदगी में रंग लाएगी।"



सवाल 11 : पीएम मोदी बोले- टाइम मैनेंजमेंट पर ध्यान दें
 पीएम मोदी से परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम में एक छात्रा ने पूछा कि परीक्षा के दौरान पढ़ाई कहां से शुरू करें? वहीं एक अन्य छात्रा ने पूछा कि वह अपने कार्यों को कहां से शुरू करें। वह अपने सभी कार्यों को समय पर कैसे पूरा करें? जवाब में पीएम मोदी ने कहा कि काम का ढेर क्यों हो जाता है क्योंकि समय पर आपने काम किया नहीं। काम करना शुरू करें। कागज पर एक सप्ताह नोट करें कि आप अपना समय किस चीज को कितना देते हैं। इससे आपको ध्यान में आएगा कि जो आपको सबसे ज्यादा पसंद है उसी में आप सबसे ज्यादा ध्यान लगाते हैं। पीएम मोदी ने कहा कि जो विषय आपको कम पसंद हैं उन्हें भी समय देना शुरू करें। ऐसा करने से आपको आराम मिलेगा। आराम से अपने काम को बांटे। किस विषय को कितना टाइम देना है, उसको वर्गीकृत करें। इससे लाभ होगा


सवाल 12
मदुरई से अश्विनी ने पूछा सवाल- मदुरई से अश्विनी ने प्रधानमंत्री मोदी से पूछा कि घर वालों के प्रेशर को कैसे हैंडल किया जाए जो परीक्षा परिणाम के उम्मीदों से जुड़ा होता है।  
पीएम मोदी ने कहा कि परिवार की अपेक्षाएं होना स्वाभाविक है। लेकिन परिवार के लोग सोशल स्टेटस के चलते मार्क कर रहे हैं तो यह चिंता का विषय है। माता-पिता को सामाजिक दवाब में दवाब ट्रांसफर नहीं करना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि बच्चों को फोकस बनाकर रखना चाहिए। अगर बच्चे फोकस बनाकर रखेंगे तो इस समस्याओं को पार कर लेंगे। कैसे क्रिकेट  के मैदान में खिलाड़ी का उत्साह वर्धन करते हैं, बार-बार चौके छक्के लगाने के लिए कहते हैं, लेकिन क्या खिलाड़ी लगा पाता है, नही ना, वह अपने खेल पर फोकस करता है।  अपने हिसाब से खेलता है और अपने ऊपर दवाब को हावी नहीं होने देता। इसलिए जरूरी है कि आप अपनी पढ़ाई पर फोकस करें।


इस वर्ष पीपीसी 2023 के लिए लगभग 38 लाख छात्रों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। शिक्षा मंत्री के अनुसार, 20 लाख प्रश्न प्राप्त हुए हैं और एनसीईआरटी ने फैमिली प्रेशर, कैसे फिट और हेल्दी रहें, करियर सेलेकिशन, स्ट्रेस मैनेजमेंट समेत कई अन्य विषयों को चुना है।

शिक्षा मंत्रालय के बयान के अनुसार, इस साल 'परीक्षा पे चर्चा' के लिये 38.80 लाख हिस्सेदारों ने पंजीकरण कराया है, जिसमें 31.24 लाख छात्र, 5.60 लाख शिक्षक और 1.95 लाख अभिभावक शामिल हैं।


कहां देखें परीक्षा पे चर्चा?

❤️  नीचे दिए गए सीधे लिंक के माध्यम से परीक्षा पर चर्चा को लाइव देख सकते हैं।

Friday, January 27, 2023

UP : उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए बढ़े कदम, 'पहले-यूपी' परियोजना के तहत हुआ CRISP से समझौता

UP : उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए बढ़े कदम, 'पहले-यूपी' परियोजना के तहत हुआ CRISP से समझौता



लखनऊ: उच्च शिक्षा में गुणवत्ता सुधार के लिए 'पहले-यूपी' परियोजना के तहत सीआरआइएसपी (सेंटर फार रिसर्च एंड इंडस्ट्रयिल स्टाफ परफारमेंस) संस्था व उच्च शिक्षा विभाग के बीच एमओयू हुआ है। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र की उपस्थिति में तीन वर्ष के समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए गए। इस परियोजना पर कोई वित्तीय व्यय-भार नहीं है।


परियोजना का उद्देश्य- महाविद्यालयों की रैंकिंग में सुधार करना
बता दें परियोजना का मुख्य उद्देश्य उच्च शिक्षण संस्थाओं की 100 महाविद्यालयों की रैंकिंग में सुधार करना है। इसके तहत 25 महाविद्यालयों को राष्ट्रीय स्तर पर टाप 200 महाविद्यालयों में स्थान दिलाने का लक्ष्य है। 1000 महाविद्यालयों में नवाचार परिषद (इनोवेशन काउंसिल) प्रारंभ की जाएगी।


 इसके अलावा उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत 25 प्रतिशत महाविद्यालयों का नैक प्रत्यायन कराया जाएगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के प्रमुख लक्ष्यों का क्रियान्वयन कराया जाएगा। सीआरआइएसपी संस्था की ओर से ये लोग रहे उपस्थित
इस अवसर पर सीआरआइएसपी संस्था की ओर से सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी आर सुब्रह्मण्यम व सीताराम जनार्दन कुंटे, राष्ट्रीय ला कालेज जबलपुर के वाइस चांसलर प्रो. बलराज चौहान तथा प्रमुख सचिव, उच्च शिक्षा डा. सुधीर एम. बोबड़े, विशेष सचिव उच्च शिक्षा गिरिजेश कुमार त्यागी, डीजी उपक्रम लखनऊ विश्वविद्यालय डा. पूनम टंडन समेत अन्य लोग मौजूद रहे।

Thursday, January 26, 2023

यू.पी. बोर्ड परीक्षा 2023 की कक्ष निरीक्षक ड्यूटी संबंधी गाइडलाइन जारी, परिषदीय शिक्षकों को सबसे अंत में ड्यूटी दिए जाने का निर्देश

यू.पी. बोर्ड परीक्षा 2023 की कक्ष निरीक्षक ड्यूटी संबंधी गाइडलाइन जारी, परिषदीय शिक्षकों को सबसे अंत में ड्यूटी दिए जाने का निर्देश।










चयन को चुनौती देने के मामले में हाईकोर्ट का फैसला सुरक्षित, इंटर कॉलेजों में में प्रधानाचार्यों के चयन का मामला

चयन को चुनौती देने के मामले में हाईकोर्ट का फैसला सुरक्षित, इंटर कॉलेजों में में प्रधानाचार्यों के चयन का मामला


लखनऊ। प्रदेश के इंटर कॉलेजों में चयनित प्रधानाचार्यों के मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने फैसला सुरक्षित कर पैनल आधारित नियुक्ति पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने डॉ. अमित कुमार पांडेय की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। 


इसमें याची की तरफ से 2022 में नए तरीके से प्रधानाचार्यों का चयन करने का आग्रह किया गया था। याची के अधिवक्ता शरद पाठक का कहना था कि 2013 में प्रधानाचार्यों के चयन का विज्ञापन जारी हुआ था, जबकि चयन 2022 में किया गया। 


नौ साल में बहुत से लोग सेवानिवृत्त हो गए जबकि कई निर्धारित आयुसीमा पार कर गए। इससे इनकी वरिष्ठता व पात्रता बदल गई। इसके बावजूद 2022 में प्रधानाचार्यों के चयन को बनाया गया पैनल कानून की मंशा के अनुसार नहीं है। ऐसे में 2022 में नया चयन किया जाना चाहिए।


निजी स्कूल में दो बहनों के पढ़ने पर एक की फीस भरेगी यूपी सरकार, मुख्यमंत्री योगी की घोषणा पर अमल की तैयारी, अगले वित्त वर्ष के लिए होगा बजट प्रावधान

निजी स्कूल में दो बहनों के पढ़ने पर एक की फीस भरेगी यूपी सरकार

मुख्यमंत्री योगी की घोषणा पर अमल की तैयारी, अगले वित्त वर्ष के लिए होगा बजट प्रावधान


लखनऊ। निजी स्कूलों में दो बहनों के पढ़ने पर एक की फीस राज्य सरकार भरेगी। इसके लिए अगले वित्त वर्ष के बजट में प्रावधान किया जा रहा है। इससे प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में पढ़ने वाली लाखों छात्राएं लाभांवित होंगी।


शासन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस घोषणा को लागू करने की तैयारी कर ली है। कुछ समय पहले योगी ने कहा था कि अगर किसी स्कूल में दो सगी बहनें पढ़ती हैं, तो एक की फीस माफ करने के लिए उस स्कूल के प्रबंधन से अनुरोध किया जाए। अगर प्रबंधन के स्तर से ऐसा नहीं हो पाता है तो उनमें से एक बहन की फीस की भरपाई राज्य सरकार करेगी।


 इस प्रस्ताव को अगले साल के बजट में शामिल करने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने प्रस्ताव भेज दिया है। शासन के सूत्रों के मुताबिक, इसके लिए एक करोड़ रुपये के टोकन राशि की व्यवस्था की जाएगी। जैसे- जैसे मांग बढ़ेगी, वैसे-वैसे और राशि विभाग को दी जाएगी। टोकन राशि दिए जाने से वित्तीय नियमों के मद्देनजर मद (हेड) खुल जाएगा। इससे आवश्यकता के अनुसार बजट आवंटन में कोई दिक्कत नहीं आएगी। 

अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को समय से ACP की सुविधा प्रदान किए जाने के सम्बन्ध में

अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को समय से ACP की सुविधा प्रदान किए जाने के सम्बन्ध में


Wednesday, January 25, 2023

डिजिटल लर्निंग को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा निदेशालय में बनेगा स्टूडियो

डिजिटल लर्निंग को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा निदेशालय में बनेगा स्टूडियो



प्रयागराज। उच्च शिक्षा में डिजिटल लर्निंग को बढ़ावा देने के लिए उच्च शिक्षा निदेशालय में 97.30 लाख की लागत से ई-कन्टेंट रिकॉर्डिंग स्टूडियो का निर्माण होगा। स्टूडियो निर्माण के लिए भूमि पूजन एवं शिलान्यास उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. अमित भारद्वाज ने मंगलवार को किया। 


स्टूडियो निर्माण की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश डेवलपमेंट सिस्टम कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीडेस्को) लखनऊ को दी गई है। यूपीडेस्को के तकनीकी विशेषज्ञों बीपी सिंह एवं आशीष अवस्थी ने बताया कि ई-कन्टेंट रिकॉर्डिंग स्टूडियो के निर्माण से उच्च शिक्षा निदेशालय को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, वर्चुअल बैठक समेत कई सुविधाएं प्राप्त होंगी।

शिक्षामित्रों और अनुदेशकों का 15 दिनों की छुट्टियों का कटेगा मानदेय, शीतकालीन अवकाश के चलते कटौती सहित मानदेय बजट जारी

शिक्षामित्रों और अनुदेशकों का 15 दिनों की छुट्टियों का कटेगा मानदेय, शीतकालीन अवकाश के चलते कटौती सहित मानदेय बजट जारी


🔴  देखें जारी मानदेय बजट आदेश 👇



लखनऊ : परिषदीय स्कूलों में तैनात शिक्षामित्रों और अंशकालिक अनुदेशकों का 15 दिनों की छुट्टियों का मानदेय काटा जाएगा। बीते दिनों परिषदीय स्कूलों में शीतकालीन अवकाश था और इसके चलते यह मानदेय कटौती किए जाने के आदेश दिए गए हैं। जनवरी का जो मानदेय उन्हें फरवरी में मिलेगा वह कटौती के साथ दिया जाएगा।

हर विद्यालय को स्मार्ट क्लास और टैबलेट की मिलेगी सुविधा, राज्यमंत्री बोले–प्राइमरी स्कूलों में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की दी जाएगी जानकारी

हर विद्यालय को स्मार्ट क्लास और टैबलेट की मिलेगी सुविधा

राज्यमंत्री बोले- प्राइमरी स्कूलों में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की दी जाएगी जानकारी


लखनऊ। बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह ने कहा है कि बदलते दौर में शिक्षा का स्तर तेजी से बढ़ा है। शिक्षा के माध्यम तेजी से बदले हैं। ऐसे में नवाचारों की बहुत जरूरत है। हर विद्यालय में स्मार्ट क्लास और टैबलेट की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। इसकी शुरुआत भी हो गई है, कई जगह स्मार्ट क्लास बन गई हैं।


राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) की ओर से मंगलवार को आयोजित विद्यालयी शिक्षा में गुणवत्ता संवर्धन हेतु नवाचार विषयक कार्यशाला को वे संबोधित कर रहे थे।


 इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में जुटे प्रदेश भर के डायट प्राचार्यों, इंटर कॉलेज के प्राचार्यों व शिक्षकों से उन्होंने कहा कि अभी तक बच्चा सिर्फ विद्यालय में सीखता समझता था। अब दौर बदल रहा है, विद्यार्थियों के पास स्मार्टफोन हैं, तकनीक है। ऐसे में शिक्षक उनको सही दिशा दें। प्राइमरी स्कूलों में भी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की भी जानकारी दी जाएगी, जो आज की जरूरत है। नई शिक्षा नीति में शिक्षकों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। कार्यशाला में संयुक्त निदेशक डॉ. पवन सचान, उप शिक्षा निदेशक डॉ. आशुतोष दुबे, डायट प्राचार्य, शिक्षक, खंड शिक्षा अधिकारी, राजकीय इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य उपस्थित रहे।


पांच डायट बन रहे सेंटर ऑफ एक्सीलेंस

एससीईआरटी निदेशक डॉ. अंजना गोयल ने बताया कि प्रदेश के पांच डायट को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित किया जा रहा है। बनारस, गोरखपुर, मेरठ, अलीगढ़, झांसी डायट में काम तेजी से चल रहा है। डायट में शैक्षिक नवाचारों को बढ़ावा देने के लिए डायट स्तर पर फरवरी में शैक्षिक नवाचार महोत्सव का आयोजन किया जाएगा।

 मुख्य वक्ता आईआईएम अहमदाबाद के प्रो. कथन शुक्ला ने बताया कि उनके यहां एक स्कूल की शिक्षिका ने छात्रों के लिए पोर्टेबल लाइब्रेरी की सुविधा शुरू की थी। जिसमें वह एल्युमिनियम के बॉक्स में छात्रों को एक सप्ताह के लिए किताबें देती और फिर वापस लेकर दूसरे छात्रों को देती थी। इससे एक भी किताब फटी नहीं और जिन बच्चों के पास किताबें नहीं थीं, उन्हें भी अच्छी किताबें पढ़ने के लिए मिली। उन्होंने पढ़ाई के लिए ऐसे ही छोटे-छोटे नवाचारों को प्रभावी बताया।

मदरसा बोर्ड परीक्षा फार्म भरने की तिथि बढ़ी

मदरसा बोर्ड परीक्षा फार्म भरने की तिथि बढ़ी

लखनऊ : प्रदेश के मान्यता प्राप्त व अनुदानित मदरसों की वार्षिक परीक्षा के लिए फार्म भरने की अंतिम तिथि अब सात फरवरी कर दी गई है। अभी तक यह फार्म भरने की अंतिम तिथि 28 जनवरी तय थी।


उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन डा. इफ्तिखार अहमद जावेद बताया कि परीक्षा शुल्क जमा करने की अंतिम तिथि अब 4 फरवरी कर दी गयी है।

चयनितों के काम में न दें दखल, उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग को असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए चयनित अभ्यर्थियों को पूर्व की तरह काम करने देने का हाईकोर्ट ने दिया निर्देश

चयनितों के काम में न दें दखल, उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग को प्रदेश के विभिन्न डिग्री कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए चयनित अभ्यर्थियों को पूर्व की तरह काम करने देने का हाईकोर्ट ने दिया निर्देश

प्रयागराज :  इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग को प्रदेश के विभिन्न डिग्री कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए चयनित अभ्यर्थियों को पूर्व की तरह काम करने देने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि उनके काम में किसी प्रकार की बाधा न पहुंचाई जाए।


यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्र एवं न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने हेमलता सैनी सहित कई अन्य की अपील पर सुनवाई करते हुए दिया है। इन अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल कर यह आशंका जताई है कि असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती का परिणाम पुनरीक्षित होने के बाद उनकी नियुक्तियां प्रभावित हो सकती हैं । इन चयनित अभ्यर्थियों का यह भी कहना है कि परिणाम संशोधित करते समय न तो उन्हें पक्षकार बनाया गया और न ही उनका पक्ष सुना गया। इन अभ्यर्थियों का कहना है कि वे असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती में चयनित होकर नियुक्ति पा चुके हैं। इसके बाद उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग द्वारा स्वयं ही यह कहते हुए परिणाम संशोधित कर दिया गया कि कुछ अभ्यर्थियों की ओएमआर शीट जांचने में गलती हुई है और उन्हें कई प्रश्नों के अंक नहीं मिले हैं । दूसरी ओर ओएमआर शीट में गलतियों को लेकर कई अभ्यर्थियों ने याचिका दाखिल की थी। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने आयोग को परिणाम संशोधित करने की अनुमति दे दी।

अपील करने वाले अभ्यर्थियों का कहना है कि हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में उन्हें पक्षकार नहीं बनाया गया। एकल पीठ ने अपने फैसले में यह नहीं कहा है कि पूर्व में घोषित परिणाम दोषपूर्ण है।

10वीं और 12वीं के परीक्षार्थियों के लिए बोर्ड ने जारी किए टिप्स, यूपी बोर्ड के विशेषज्ञों ने पहली बार प्रमुख विषयों पर दिए सुझाव, होगी सहूलियत

10वीं और 12वीं के परीक्षार्थियों के लिए बोर्ड ने जारी किए टिप्स, यूपी बोर्ड के विशेषज्ञों ने पहली बार प्रमुख विषयों पर दिए सुझाव, होगी सहूलियत





प्रयागराज : 16 फरवरी से शुरू हो रही यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा के लिए पहली बार बोर्ड के विशेषज्ञों ने प्रमुख विषयों पर टिप्स दिए हैं। इससे परीक्षार्थियों को सहूलियत होगी।


सचिव दिब्यकांत शुक्ल के अनुसार परीक्षार्थी पूर्ण सकारात्मकता के साथ बोर्ड परीक्षा की तैयारी करते हुए परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकें, इसके लिए बोर्ड की ओर से हाईस्कूल स्तर पर हिन्दी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान तथा इंटर स्तर पर हिन्दी, अंग्रेजी, गणित, रसायन विज्ञान एवं जीव विज्ञान विषयों की तैयारी के लिए सुझाव तैयार किए गए हैं। परीक्षा में अच्छे अंक हासिल करने के लिए ये टिप्स बोर्ड की वेबसाइट www. upmsp. edu. in पर उपलब्ध हैं। 2023 की इंटरमीडिएट परीक्षा के लिए 2750913 और हाईस्कूल 3116485 छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं।

सामाजिक विज्ञान

वर्णनात्मक भाग में लघु एवं विस्तृत उत्तरीय प्रश्नों का उत्तर लिखते समय प्रश्न की प्रकृति एवं आवश्यकतानुसार फ्लो चार्ट का भी प्रयोग करें। उत्तर लिखते समय यथासंभव नामांकित चित्रों, रेखाचित्रों एवं आंकड़ों का प्रयोग अवश्य करें। इससे आपके उत्तर अधिक प्रभावी होंगे।

अंग्रेजी

पैसेज को सावधानीपूर्वक दो बार पढ़ें। प्रश्नों के उत्तर किताबी भाषा में न देकर अपने शब्दों में लिखें। प्रार्थना पत्र और पत्र सही फॉर्मेट में होने चाहिए। प्रमुख बिन्दुओं को बॉक्स में लिख सकते हैं।

हिन्दी

निर्धारित काव्य का अध्ययन करते समय काव्य सौंदर्य के तत्वों (रस, छंद, अलंकार) को रेखांकित करें और परिभाषा एवं उदाहरण का अभ्यास करें। गद्य में लेखकों की रचनाओं को पढ़ते समय प्रत्येक अध्याय के मूल भाव को समझें तथा सारांश, उद्देश्य एवं भाषा शैली को अपने शब्दों में लिखने का अभ्यास करें। लेखक एवं कवि का जीवन परिचय लिखते समय फ्लो चार्ट का प्रयोग करें। उत्तर लिखते समय व्याकरण के नियमों एवं चिराम चिह्नों जैसे अल्पविराम, पूर्णविराम आदि का सावधानीपूर्वक पालन करें।

गणित

अध्यायवार सूत्रों की सूची बनाकर अपने स्टडी रूम में चिपका लें और कंठस्थ कर लें। ज्यामिति में रचना से संबंधित प्रश्नों का उत्तर देते समय हमेशा नुकीली पेंसिल का प्रयोग करें। प्रश्नों को हल करते समय आवश्यक सभी चरण जरूर लिखें। आवश्यक चित्रों एवं ग्राफ का प्रयोग अवश्य करें। रफ कार्य करने के बाद काट दें।

विज्ञान

रसायन विज्ञान के समीकरणों को लिखकर संतुलित करने का अभ्यास करें। समीकरण में ताप, दाब उत्प्रेरक वर्धक आदि का उल्लेख अवश्य करें। भौतिक विज्ञान के सूत्रों की सूची बनाएं तथा आंकिक प्रश्नों को हल करने का अभ्यास करें। जीव विज्ञान में वर्गीकरण से संबंधित अध्यायों को चार्ट के माध्यम से याद करें।

बोर्ड परीक्षा : तैयारी के लिए सुझाव अपलोड

लखनऊ : यूपी माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा पहली बार हाईस्कूल स्तर पर हिन्दी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान तथा इण्टरमीडिएट स्तर पर हिन्दी, अंग्रेजी, गणित, रसायन विज्ञान एवं जीव विज्ञान विषयों की तैयारी के लिए महत्वपूर्ण सुझाव तैयार किये गए हैं। इन्हें माध्यमिक शिक्षा परिषद की वेबसाइट upmsp.edu.in पर अपलोड किया गया है।

Tuesday, January 24, 2023

बेसिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में भी शामिल होंगे मोटे अनाज, मंशा डिमांड बढ़ाने की

बेसिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में भी शामिल होंगे मोटे अनाज, मंशा डिमांड बढ़ाने की

योगी सरकार की मंशा: हर आम एवं खास की थाल तक पहुंचे मोटे अनाज


Uttar Pradesh: बच्चे अपने इन परंपरागत अनाजों एवं इनकी खूबियों के बाबत जानें, इसके लिए मिलेट्स को प्राइमरी स्कूलों के पाठ्यक्रमों में शामिल किया जाएगा। वास्तव में सरकार की मंशा अलग अलग प्रयासों से समग्र रूप में मिलेट्स की डिमांड बढ़ाने की है। और, बढ़ी मांग को पूरा करने के लिए उत्पाद के रूप में गुणवत्तापूर्ण माल की भी जरूरत होगी।


लखनऊ। अंतरराष्ट्रीय मिलेट ईयर-2023 में मोटे अनाज (बाजरा, ज्वार, सावां, कोदो, रागी आदि) किसी न किसी रूप में हर आम एवं खास की थाली का हिस्सा बनें, यह यूपी सरकार की मंशा है। इसके लिए मिलेट्स द्वारा तैयार किए जाने वाले प्रसंस्कृत (प्रोसेस्ड) उत्पादों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। ये उत्पाद नाश्ते, लंच, ब्रंच या डिनर के लिए स्पेसिफिक हंगर (किसी खास तरह के खाद्य पदार्थ की मांग) बनें। इसके लिए प्रसंस्कृत उत्पादों को स्थानीय लोगों की उम्र एवं स्वाद के पसंद के अनुरूप होना होगा। 

बेसिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में भी शामिल होंगे मिलेट्स, मंशा डिमांड बढ़ाने की

बच्चे अपने इन परंपरागत अनाजों एवं इनकी खूबियों के बाबत जानें, इसके लिए मिलेट्स को प्राइमरी स्कूलों के पाठ्यक्रमों में शामिल किया जाएगा। वास्तव में सरकार की मंशा अलग अलग प्रयासों से समग्र रूप में मिलेट्स की डिमांड बढ़ाने की है। और, बढ़ी मांग को पूरा करने के लिए उत्पाद के रूप में गुणवत्तापूर्ण माल की भी जरूरत होगी। इसके लिए एफपीओ (फार्मर्स प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन) के जरिए रकबा एवं उत्पादन बढ़ाने का भी काम होगा। साथ ही ये बीज का भी उत्पादन करेंगे। प्रगतिशील किसानों को प्रदर्शन के लिए बीज के निःशुल्क और खेती के इच्छुक किसानों को केंद्र एवं प्रदेश सरकार की संस्थाएं राष्ट्रीय बीज निगम, उत्तर प्रदेश बीज विकास निगम आदि के जरिए अनुदानित बीज दिया जाएगा। 

जी-20 के मेहमानों की थाल की शोभा बढ़ाएंगे मिलेट्स के लजीज पकवान

उत्तर प्रदेश में फरवरी 2023 से लेकर अगस्त के अंत के दौरान जी-20 की करीब दर्जन भर बैठकें होनी है। इसमें से आधा दर्जन बैठकें महादेव की काशी, तीन ताजनगरी आगरा, बाकी लखनऊ एवं ग्रेटर नोएडा में होंगी। इनमें आने वाले मेहमानों को भी मिलेट्स के लजीज व्यंजन परोसे जाएंगे। यह एक तरह से इनकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रांडिंग भी होगी। सरकार यह भी सुनिश्चित करेगी कि इन अनाजों का न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद भी हो। इसी तरह हर विभाग में समय समय पर होने वाले राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय कार्यक्रम में मिलेटस के उत्पाद की ब्रांडिंग करेंगे। यह नाश्ते, भोजन के रूप में हो सकता है। गिफ्ट हैंपर के रूप में भी।


मोटे अनाज को लोकप्रिय बनाने की अन्य योजनाएं

– मिड-डे मील, बाल पुष्टाहार, पीडीएस कार्यक्रम में मिलेट्स के विभिन्न उत्पाद सम्मिलित होंगे।

– स्वयं सहायता समूहों को मिलेट्स के उत्पाद तैयार करने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।

-एनआरएलएम द्वारा चयनित आंगनबाड़ी एवं पोषित आहार में मिलेट्स भी शामिल होंगे



स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल होगी मोटे अनाज की जानकारी

आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों को दिए जाएंगे मोटे अनाज से बने पुष्टाहार

उचित मूल्य की दुकानों पर भी बांटा जाएगा मोटा अनाज


लखनऊ। प्रदेश में मोटे अनाज के उत्पादन व उपयोग को बढ़ावा देने के लिए संबंधित जानकारी को बेसिक शिक्षा परिषद और माध्यमिक शिक्षा विभाग के स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल किए जाएंगे। आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को भी मोटे अनाज से बने पुष्टाहार दिए जाएंगे।


दरअसल, राज्य सरकार ने हर स्तर पर मोटे अनाज (मिलेट्स) के तहत ज्वार, बाजरा, सांवा, कोदो, काकुन, रागी, कुटकी, चेना, कुट्टू और चौलाई के उत्पादन और उपयोग को बढ़ावा देने के लिए योजना बनाई है मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र की पहल पर बनाई गई योजना में अधिकांश विभागों की भूमिका भी तय की गई है।


योजना के तहत मोटे अनाज की विभिन्न फसलों, उनके उत्पाद और पोषण के महत्व को स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। इसके लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाएगा। खाद्य एवं रसद विभाग को मोटे अनाज को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने और उसके भंडारण की व्यवस्था की जिम्मेदारी दी गई है। वहीं उचित मूल्य की दुकानों पर वितरित होने वाले राशन में मोटे अनाज को करने की योजना है।


विकास खंड और गांवों में खोले जाएंगे स्टोर

ग्राम्य विकास विभाग विकास खंड और गांवों में अन्य सार्वजनिक स्थलों पर मोटे अनाज के आउटलेट और दुकानें स्थापित करेगा। महिला स्वयं सहायता समूह के जरिये भी मोटे अनाज के उत्पाद तैयार कराए जाएंगे। इस समूह की ओर से आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए तैयार किए जा रहे पुष्टाहार भी मोटे अनाज से बनाए जाएंगे।


बीज निगम उपलब्ध कराएगा प्रमाणिक बीज

मोटे अनाज के बीज उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी बीज विकास निगम को सौंपी गई है। खेतों में फील्ड डे का आयोजन किया जाएगा। कृषक उत्पादन संगठनों के जरिये मोटे अनाज के बीज उत्पादन के लिए सीड मनी उपलब्ध कराई जाएगी। मिलेट्स प्रसंस्करण की स्थापना के लिए कृषि विश्वविद्यालय को शत प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा।


किसानों के प्रशिक्षण टूल तैयार किए जाएंगे रहमान खेड़ा स्थित राज्य कृषि प्रबंधन संस्थान के जरिये मोटे अनाज की उन्नत खेती और किसानों के प्रशिक्षण के लिए टूल तैयार किए जाएंगे। कृषक उत्पादन संगठनों के सदस्यों का प्रशिक्षण भी कराया जाएगा। कृषि विवि मोटे अनाज की उन्नत खेती का प्रदर्शन कर कृषकों को प्रशिक्षित करेंगे। बीज का उत्पादन करेंगे।


मोटे अनाज की खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित होगी

उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग मोटे अनाज की खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित करेगा। कृषि विपणन विभाग मोटे अनाज के उत्पादों के आउटलेट और स्टोर स्थापित करेगा। वहीं, मंडियों में विक्रय स्थल का आवंटन किया जाएगा।

प्रमुख उत्पादक क्षेत्र : मोटे अनाज में यहां ज्वार और बाजरा की पैदावार होती है। बाजरा आगरा, बदायूं, अलीगढ़, फिरोजाबाद, संभल, हाथरस, एटा, मथुरा, कासगंज और इटावा की फसल है। वहीं, ज्वार बांदा, चित्रकूट, हमीरपुर, कानपुर देहात, कानपुर नगर, फतेहपुर, कौशांबी, रायबरेली, जालौन, सोनभद्र और जौनपुर की प्रमुख फसल है।


स्कूलों में बंटेगा मोटे अनाज से बना मिड-डे मील, सरकारी बैठकों और कार्यक्रमों में भी मोटे अनाज से बने खाद्य पदार्थ परोसे जाएंगे


लखनऊ। प्रदेश में मोटे अनाज (मिलेट्स) के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सरकार उनकी ब्रांडिंग और मार्केटिंग कराएगी। सरकारी स्कूलों के मिड-डे मील में मोटे अनाज से बनने वाले खाद्य पदार्थों को शामिल किया जाएगा। सभी होटल और रेस्तरां के मेन्यू में भी मोटे अनाज के खाद्य पदार्थ को शामिल कराया जाएगा। सरकारी बैठकों और कार्यक्रमों में भी मोटे अनाज से बने खाद्य पदार्थ ही परोसे जाएंगे।


प्रदेश में मोटे अनाज के उत्पादन एवं उपयोग पर शनिवार को लोक भवन में आयोजित बैठक में मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा ने कहा कि प्रदेश में मोटे अनाज के रूप में ज्वार, बाजरा, सावां, कोदो, काकुन, रागी, कुटकी, चना, कुट्टू, चौलाई की पैदावार होती है। मोटे अनाज की खेती में सिंचाई के लिए पानी की कम जरूरत होती है। इसके लिए खाली पड़े असिंचित क्षेत्र को भी चिह्नित किया जाए।


उन्होंने सामान्य बीज एवं निःशुल्क बीज मिनी किट वितरित करने के निर्देश दिए।   साथ ही शेफ प्रतियोगिता आयोजित करने का भी सुझाव दिया। उधर, जी-20 से संबंधित सभी आयोजनों व ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में मिलेट्स की ब्रांडिंग व मार्केटिंग कराई जाएगी। आगरा, लखनऊ, वाराणसी और नोएडा में होने वाली बैठकों में आने वाले विदेशी मेहमानों को मोटे अनाज से बने व्यंजन परोसने की तैयारी है। सचिवालय स्थित कैंटीन व आकांक्षा मसाला मठरी केंद्र को मिलेट्स उत्पाद एवं उससे तैयार होने वाले पकवान उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।

Monday, January 23, 2023

'ऑपरेशन कायाकल्प' से बदल रही प्रदेश के विद्यालयों की तस्वीर, देखें जारी विज्ञापन और दावे

'ऑपरेशन कायाकल्प' से बदल रही प्रदेश के विद्यालयों की तस्वीर, देखें जारी विज्ञापन और दावे


🔴 परिषदीय विद्यालयों में अध्ययनरत छात्रों को स्वच्छ एवं बेहतर शैक्षणिक परिवेश उपलब्ध।

🔴 'ऑपरेशन कायाकल्प' के फलस्वरूप छात्र नामांकन में अभूतपूर्व वृद्धि। अंतर्विभागीय समन्वय के साथ विभिन्न निधियों द्वारा वित्त पोषण।

🔴 19 पैरामीटर पर अवस्थापना सुविधाओं यथा बालक-बालिकाओं के लिए पृथक शौचालय, मल्टीपल हैंडवॉशिंग यूनिट, रसोईघर का सुदृढ़ीकरण, कक्षाओं के फर्श का टाइलीकरण, स्वच्छ पेयजल, विद्युतीकरण आदि में अभूतपूर्व वृद्धि।

🔴 नई शिक्षा नीति-2020 के अन्तर्गत बच्चों को डिजिटल लर्निंग द्वारा गुणवत्तापरक शिक्षा के लिए स्मार्ट क्लास की स्थापना।

🔴 बाल मैत्रिक एवं दिव्यांग सुलभ संरचनाओं के विकास हेतु हितधारकों का क्षमता संवर्द्धन के साथ-साथ तकनीकी मैन्युअल का वितरण।


❗हर बच्चे को शिक्षा दिलवाएंगे, उत्तर प्रदेश को निपुण बनाएंगे❗

बेसिक शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश