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Sunday, March 31, 2024

NVS : नवोदय विद्यालय कक्षा 6 और कक्षा 9 की प्रवेश परीक्षा रिजल्ट जारी, देखें एक क्लिक में रिजल्ट और एडमिशन के लिए जानिए ये जरूरी बात

NVS : नवोदय विद्यालय कक्षा 6 और कक्षा 9 की प्रवेश परीक्षा रिजल्ट जारी, देखें एक क्लिक में रिजल्ट और एडमिशन के लिए जानिए ये जरूरी बात

NVS Entrance Exam Result 2024: नवोदय विद्यालय समिति द्वारा कक्षा 6 और 9 की प्रवेश परीक्षा का परिणाम रविवार को जारी कर दिया गया। जो भी छात्र इस प्रवेश परीक्षा में शामिल हुए थे वे नवोदय विद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर रिजल्ट देख सकते हैं।

जो छात्र कक्षा 6 और कक्षा 9 की प्रवेश परीक्षा में शामिल हुए थे, वे https://navodaya.gov.in/ पर जाकर परिणाम देख सकते हैं। हालांकि, रिजल्ट जारी होने के बाद से ही वेबसाइट पर भारी लोड होने के कारण वेब पेज नहीं खुल रहा है। कुछ लोगों को इंटरनेट स्पीड कम होने पर भी रिजल्ट देखने में दिक्कत आ रही है।

वेबसाइट पर जाने के बाद आपको सबसे पहले लिंक पर कक्षा 6 के प्रवेश परक्षा का रिजल्ट दिखाई देगा। वहीं उसके नीचे दूसरे लिंक पर कक्षा 9 के परीक्षा का रिजल्ट दिखाई देगा। आप जिस भी कक्षा का रिजल्द देखना चाहते हैं। उस लिंक पर क्लिक कर आगे बढ़ें।


इसके बाद आपको रिजल्ट का वेब पेज दिखाई देगा। जिसमें आपको एडमिट कार्ड पर लिखा रोल नंबर दर्ज करना होगा। छात्र को इसके ठीक नीचे वाले बॉक्स में अपनी जन्मतिथि दर्ज करनी होगी। इसके बाद नीचे चेक रिजल्ट बटन पर क्लिक करते ही आपका रिजल्ट सामने आ जाएगा।

ऊपर दिए गए इन आसान चरणों का उपयोग करके छात्र प्रवेश परीक्षा का परिणाम आसानी से देख सकते हैं। इस दौरान आपको अपना रोल नंबर और जन्मतिथि दर्ज करते समय सावधानी बरतनी होगी। अगर आप गलत नंबर डालेंगे तो आपको अपना रिजल्ट नहीं दिखेगा।


प्रवेश के लिए इन दस्तावेजों को रखें तैयार
जिन छात्रों ने कक्षा 6 और कक्षा 9 की प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण की है, उन्हें सीट सत्यापन और पुष्टि के लिए निवास प्रमाण पत्र, जन्म प्रमाण पत्र, एनवीएस, जाति प्रमाण पत्र, विकलांगता के मामले में विकलांगता प्रमाण पत्र आदि की आवश्यकता होगी।

Bihar Education News: एक अप्रैल से बेरोजगार हो जाएंगे हजारों अतिथि शिक्षक? बिहार के शिक्षा विभाग के फैसले से मचा हड़कंप

Bihar Education News: एक अप्रैल से बेरोजगार हो जाएंगे हजारों अतिथि शिक्षक? बिहार के शिक्षा विभाग के फैसले से मचा हड़कंप


शिक्षा विभाग के आदेश से हजारों अतिथि शिक्षकों को रोजगार की चिंता सताने लगी है. 31 मार्च को अतिथि शिक्षकों की सेवा का उच्च माध्यमिक स्कूलों में आखिरी दिन है.


Bihar Guest Teacher Service Ends: बिहार के सरकारी स्कूलों को अब अतिथि शिक्षकों की जरूरत नहीं है. शिक्षा विभाग ने उच्च माध्यमिक स्कूलों में कार्यरत हजारों शिक्षकों को नौकरी से हटाने का फरमान सुनाया है. 31 मार्च 2024 के बाद 4257 अतिथि शिक्षक उच्च माध्यमिक स्कूलों से बाहर हो जायेंगे. माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को आदेश जारी किया है.


शनिवार को जारी पत्र में कहा गया है कि 1 अप्रैल से अतिथि शिक्षकों की सेवा किसी भी परिस्थिति में नहीं ली जाये. जिला शिक्षा पदाधिकारियों को अतिथि शिक्षकों के सेवा में नहीं होने का प्रमाण पत्र भी शिक्षा विभाग को उपलब्ध कराना होगा.


सरकारी स्कूलों को अब नहीं है अतिथि शिक्षकों की जरूरत

बता दें कि अतिथि शिक्षक 6 वर्षों से राज्य के विभिन्न उच्च माध्यमिक स्कूलों में सेवा दे रहे थे. शिक्षा विभाग के फैसले से अतिथि शिक्षक बेरोजगार हो जायेंगे. अब नए सिरे से नौकरी की तलाश में दर दर की ठोकरें खानी होंगी. शिक्षा विभाग का पत्र सामने आने के बाद अतिथि शिक्षकों में हड़कंप मचा हुआ.


चिंता की लकीरें माथे पर साफ दिखाई दे रही हैं. 6 साल पहले शिक्षा विभाग ने स्कूलों में निर्धारित पारिश्रमिक पर अतिथि शिक्षकों की सेवा लेने का फैसला लिया था.


शिक्षा विक्षाग के एक फैसले ने पल भर में किया बेरोजगार

अब अतिथि शिक्षकों की सेवा को मात्र एक दिन बचा है. 31 मार्च के बाद उच्च माध्यमिक स्कूलों में अतिथि शिक्षक बच्चों को नहीं पढ़ा सकेंगे. हाल के दिनों में बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन की तरफ से बड़े पैमाने पर शिक्षकों की बहाली हुयी है

कक्षा 9वीं-10वीं के लिए 37847 और कक्षा 11वीं-12वीं के लिए 56891 उच्च माध्यमिक स्कूलों में कुल 94738 शिक्षकों की नियुक्ति कर योगदान करा दिया गया है. शिक्षा विभाग की दलील है कि इसलिए अब अतिथि शिक्षकों की जरूरत नहीं है. 




परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को मिले रिपोर्ट कार्ड, एक अप्रैल से शुरू होगा नया सत्र

परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को मिले रिपोर्ट कार्ड, एक अप्रैल से शुरू होगा नया सत्र

 शिक्षकों को ज्यादा से ज्यादा नामांकन करवाने के दिए गए निर्देश


सूबे के परिषदीय विद्यालयों व मान्यता प्राप्त विद्यालयों में शनिवार को अंक पत्र वितरण समारोह का आयोजन किया गया। इस दौरान अच्छे अंक पाने वाले बच्चों को शिक्षकों ने पुरस्कृत भी किया। अंक पत्र पाकर बच्चों के चेहरे खिले नजर आए। 


कई स्कूलों में विभाग समय से रिपोर्टकार्ड नहीं पहुंचा पाया, जिसके कारण अगले एक दो दिनों में बच्चों को रिपोर्ट कार्ड मिल सकेंगे। 

कम संख्या वाले स्कूलों के बच्चों को अंक पत्र वितरित कर दिए गए हैं। ज्यादा छात्र संख्या वाले स्कूलों में शेष रह गए बच्चों को सोमवार को रिजल्ट वितरित किया जाएगा। वहीं, नया सत्र एक अप्रैल से शुरू होगा। शिक्षकों को ज्यादा से ज्यादा नामांकन करवाने के निर्देश दिए गए हैं।

शिक्षक आंदोलन और बहिष्कार के बावजूद यूपी बोर्ड ने कॉपियों के मूल्यांकन का बनाया रिकॉर्ड, 12 दिन में कॉपियां जांचीं, एक महीने के अंदर आएगा परिणाम

शिक्षक आंदोलन और बहिष्कार के बावजूद यूपी बोर्ड ने कॉपियों के मूल्यांकन का बनाया रिकॉर्ड, 12 दिन में कॉपियां जांचीं, एक महीने के अंदर आएगा परिणाम


शिक्षक आंदोलन और बहिष्कार के बावजूद यूपी बोर्ड ने हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट परीक्षा 2024 की 2.85 करोड़ कॉपियों का मूल्यांकन रिकॉर्ड 12 दिन में पूरा कर लिया। इसी के साथ पूरी मशीनरी 55 लाख से अधिक छात्र-छात्राओं का परिणाम तैयार करने में जुट गई है।


उम्मीद की जा रही है कि एक महीने के अंदर अप्रैल अंत तक 10वीं-12वीं का परिणाम घोषित हो जाएगा। सूत्रों के अनुसार 259 केंद्रों पर उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन पूरा होने के बाद परीक्षार्थियों के प्राप्तांक फीडिंग का काम तेज कर दिया गया है। रोल नंबर के अनुसार प्राप्तांक अंकपत्र पर चढ़ाने के बाद उनकी क्रास चेकिंग की जाएगी।


जिन परीक्षार्थियों के अंक नहीं चढ़े होंगे उनके संबंधित जिले से रिपोर्ट लेकर नंबर चढ़ाया जाएगा। उसके बाद अंतिम रूप से सभी परीक्षार्थियों के परिणाम की जांच होगी ताकि किसी का परिणाम अधूरा न रह जाए। 2023 की बोर्ड परीक्षा में भी किसी परीक्षार्थी का परिणाम अपूर्ण नहीं था।


गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, नकलविहीन परीक्षा और शुचितापूर्ण मूल्यांकन माध्यमिक शिक्षा परिषद के मार्गदर्शक सिद्धान्त रहे हैं। बोर्ड मुख्यालय में पहली बार स्थापित कमांड एंड कंट्रोल रूम से सभी 259 मूल्यांकन केन्द्रों की निगरानी के परिणामस्वरूप रिकॉर्ड 12 कार्यदिवसों में ही इस बार मूल्यांकन कार्य पूरा कर लिया गया है। –दिब्यकान्त शुक्ल, सचिव यूपी बोर्ड


1,47,097 परीक्षकों ने जांचीं कॉपियां

इस वर्ष स्टेटिक मजिस्ट्रेट की नियुक्ति भी कारगर रही। कॉपियों को रैंडम तरीके ही वितरित किया गया। इस बार हाईस्कूल की परीक्षा में 29,47,311 और इंटरमीडिएट में 25,77, 997 परीक्षार्थी पंजीकृत थे। ऐसे में कुल 55,25,308 छात्र-छात्राओं ने परीक्षा दी थी। हाईस्कूल की 1.76 करोड़ उत्तर पुस्तिकाओं के लिए 94,802 परीक्षक और इंटरमीडिएट की 1.25 करोड़ उत्तर पुस्तिकाओं के लिए 52, 295 परीक्षक मूल्यांकन के लिए तैनात किए गए थे। इस तरह कुल 3.01 करोड़ उत्तर पुस्तिकाओं को जांचने के लिए 1,47,097 परीक्षकों को लगाया गया था।


प्रयागराज। यूपी बोर्ड ने इस बार शिक्षकों के कार्य बहिष्कार की चुनौती के बीच 12 दिन के भीतर उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन पूरा कराकर कीर्तिमान रच दिया है। तय समय से एक दिन पहले ही 3.01 करोड़ कॉपियों का मूल्यांकन कराने का बोर्ड ने रिकॉर्ड बनाया है।

अब समय से परिणाम घोषित करने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। इस बार 15 अप्रैल तक हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाओं के रिजल्ट घोषित किए जाने की उम्मीद है। इस बार उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के लिए तय की गई 31 मार्च की सीमा से पहले ही बोर्ड ने लक्ष्य हासिल कर लिया है। बीते वर्षों में निर्धारित अवधि के बाद भी मूल्यांकन होता रहा है।

व्यावसायिक विषयों की कॉपियों को जांचने के लिए समय से परीक्षक भी नहीं मिलते थे, लेकिन इस बार बोर्ड ने परीक्षकों को नियुक्त करने में पहले से सजगता बरती। इस बार 12 दिन में ही नकल विहीन परीक्षा करा कर बोर्ड पहले ही इतिहास रच चुका है। हालांकि, आगरा के एक केंद्र पर समय से पहले प्रश्नपत्र व्हाट्सएप ग्रुप पर वायरल होने की एक शिकायत के अलावा किसी भी केंद्र से प्रश्नपत्र की रांग ओपनिंग की शिकायत नहीं मिली। इस बार मूल्यांकन 16 मार्च को शुरू हुआ था। 

इस बीच उत्तर पुस्तिकाएं पहुंचाते समय वाराणसी के शिक्षक की गोली मारकर हत्या किए जाने के विरोध में शिक्षकों ने कार्य बहिष्कार शुरू कर दिया। इससे दो दिन तक मूल्यांकन प्रभावित रहा।  बोर्ड सचिव दिव्यकांत शुक्ला ने पूरा श्रेय परीक्षकों को दिया है।


Saturday, March 30, 2024

इतनी जल्दी कैसे तैयार होगा स्कूलों का परीक्षाफल? परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों के सामने बड़ी चुनौती

इतनी जल्दी कैसे तैयार होगा स्कूलों का परीक्षाफल?  परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों के सामने बड़ी चुनौती


30 मार्च 2024
सूबे में परिषदीय विद्यालयों की वार्षिक परीक्षाएं समाप्त हो गई हैं। 30 मार्च तक वार्षिक परीक्षा का परिणाम घोषित किया जाना है। एक अप्रैल से नया सत्र शुरू हो रहा है। परिणाम तैयार करने के लिए शिक्षकों को अब सिर्फ एक दिन का समय मिल रहा है। ऐसे में शिक्षकों के लिए परीक्षा का परिणाम तैयार करना बहुत कठिन है।

यही नहीं शिक्षकों को नंबर कैसे देना है, कोई स्पष्ट विभागीय दिशा-निर्देश न मिलने के कारण शिक्षक असमंजस में हैं।  इन विद्यालयों में 20 मार्च से वार्षिक परीक्षाएं शुरू हुई थीं, जो 27 मार्च को समाप्त हो गईं। इस हिसाब से परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों के पास परीक्षाफल तैयार करने के लिए सिर्फ एक दिन शेष बचा है। उसमें भी तमाम बाधाएं सामने आ रही हैं।

विभागीय भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि एक अप्रैल से नया सत्र शुरू हो रहा है। इसके पहले ही बच्चों को अंकपत्र वितरित करना है। 31 मार्च को रविवार का अवकाश है। इस वजह से शिक्षकों के पास सिर्फ शनिवार का समय है। इस एक दिन में परीक्षाफल तैयार कर बच्चों को कैसे उपलब्ध कराया जा सकेगा, ये एक बड़ी चुनौती है।



तीन दिन में तैयार करना होगा रिपोर्ट कार्ड, परिषदीय स्कूलों का एक अप्रैल से नया सत्र

27 मार्च को आयोजित की जाएगी परिषदीय स्कूलों में आखिरी परीक्षा

27 मार्च 2024
परिषदीय स्कूलों का नया सत्र एक अप्रैल से शुरू हो रहा है। परीक्षा परिणाम इसी दिन छात्रों को देना है। अवकाश के साथ ही लगातार परीक्षा चल रही है। ऐसे में तय समय पर परीक्षा फल वितरित करना किसी चुनौती से कम नहीं है।

 27 मार्च का आखिरी परीक्षा होगी। इसके बाद 31 मार्च तक परीक्षा परिणाम घोषित होंगे। एक अप्रैल से नया सत्र शुरू हो रहा है। पहले दिन स्कूल के परीक्षा परिणाम जारी होने के साथ ही नई किताबें भी विद्यार्थियों को दी जाएगी।  लगातार परीक्षाओं के बीच परीक्षा परिणाम जारी करना कठिन है। लेकिन प्रयास है कि समय से उसे जारी कर दिया जाए। 

27 मार्च को आखिरी परीक्षा है। इसके बाद 28 मार्च का ही समय शेष है। 29 मार्च को गुड फ्राइडे व 31 मार्च को रविवार है। छुट्टियों के बीच मूल्यांकन कार्य पूरा करना चुनौती है लेकिन किसी तरह इसे पूरा किया जाएगा। 


बेसिक शिक्षा: छुट्टियों के बीच मूल्यांकन कार्य पूरा करना बना चुनौती

आने वाली 27 मार्च को परिषदीय विद्यालयों में परीक्षा संपन्न हो जाएगी। इसके तुरंत बाद परीक्षाओं का मूल्यांकन करते हुए परिणाम घोषित किए जाने के निर्देश हैं। 29 मार्च को गुड फ्राइडे का अवकाश है। 31 मार्च को रविवार है। ऐसे में छुट्टियों के बीच मूल्यांकन कार्य पूरा करना चुनौती बना।


केवल तीन दिन में तैयार करना होगा परिषदीय स्कूलों का परीक्षाफल, एक अप्रैल से नया सत्र


लखनऊ । परिषदीय विद्यालयों की 31 मार्च को वार्षिक परीक्षा परिणाम घोषित किया जाना है। इसे तैयार करने के लिए शिक्षकों को तीन दिन का समय मिल रहा है।

एक अप्रैल से परिषदीय विद्यालयों में नया सत्र शुरू होना है। ऐसे में शिक्षकों के लिए परीक्षा के साथ-साथ परिणाम तैयार करना बहुत कठिन हो गया है।


परिषदीय विद्यालय में कक्षा एक - से आठ तक के छात्र-छात्राओ की वार्षिक परीक्षा चल रही है। कक्षा एक की मौखिक परीक्षा होनी है। वहीं कक्षा छह से आठ तक - सभी विषयों की लिखित परीक्षा हो रही है।

शिक्षकों परीक्षा के साथ कापियों की जांच करनी पड़ रही है। होली के कारण 24 से 26 तक स्कूल में अवकाश रहेगा। 29 मार्च को गुड फ्राइडे का अवकाश है और 31 मार्च को रविवार है। 

बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन अब सात मई तक चार से 10 जून के बीच होगी परीक्षा, 10 जुलाई से काउंसिलिंग की तैयारी, शासन के पास भेजा प्रस्ताव

बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन अब सात मई तक चार से 10 जून के बीच होगी परीक्षा, 10 जुलाई से काउंसिलिंग की तैयारी, शासन के पास भेजा प्रस्ताव

30 मार्च 2024
मेरठ। लोकसभा चुनाव की वजह से बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा के कार्यक्रम में बदलाव होने जा रहा है। शासन को भेजी योजना के तहत प्रवेश परीक्षा के रजिस्ट्रेशन सात मई तक होंगे। चार से 10 जून के बीच प्रदेशभर में परीक्षा कराई जाएगी। 10 जुलाई से काउंसिलिंग होगी। अगस्त के मध्य पढ़ाई शुरू होगी।

शासन के निर्देशानुसार बुंदेलखंड विवि झांसी शिक्षा सत्र 2024-25 में भी बीएड की संयुक्त प्रवेश परीक्षा करवा रहा है। पूर्व में घोषित परीक्षा कार्यक्रम के अनुसार 10 फरवरी से ऑनलाइन गं जस्ट्रेशन शुरू हुए, जो 31 मार्च तने थे। एक से सात अप्रैल तक वंचित विद्यार्थी लेट फीस के साथ पंजीकरण करा सकते थे। 24 अप्रैल से प्रदेशभर में परीक्षा होनी थी, जिसका परिणाम मई में आना था। लोकसभा चुनाव का कार्यक्रम घोषित होने की वजह से बुंदेलखंड विवि ने परीक्षा कार्यक्रम बदलने की योजना बनाई, जिसको लेकर शुक्रवार को बैठक हुई।

कुलसचिव विनय कुमार ने बताया कि लोकसभा चुनाव की वजह से बीएड संयुक्त प्रवेश  परीक्षा का नया कार्यक्रम बनाकर स्वीकृति के लिए शासन को भेज दिया है। शासन को भेजे कार्यक्रम के अनुसार सात मई तक रजिस्ट्रेशन कराए जाएंगे और चार से 10 जून के बीच में परीक्षा होगी।



बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा : पंजीकरण परीक्षाओं की तिथियां फिर तय होंगी, लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बदलेगा कार्यक्रम

बुंदेलखंड विवि की आज होगी बैठक

29 मार्च 2024
मेरठ। बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा के पंजीकरण की तिथि 10 अप्रैल तक बढ़ने जा रही है। 20 से 24 अप्रैल तक प्रस्तावित संयुक्त प्रवेश परीक्षा भी स्थगित होगी। इसका फैसला और नई तिथियों का निर्धारण 29 मार्च को बुंदेलखंड विवि झांसी के कुलसचिव के निर्देशन में होने वाली बैठक में होगा।


बुंदेलखंड विवि ने शिक्षा सत्र 2023-24 में बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा कराई थी। शासन ने शिक्षा सत्र 2024-25 की प्रवेश परीक्षा कराने की जिम्मेदारी भी बुंदेलखंड विवि को सौंपी है। इसके तहत विवि ने 10 फरवरी से ऑनलाइन पंजीकरण शुरू किए और अंतिम तिथि 31 मार्च निर्धारित की गई। लेट फीस के साथ एक से सात अप्रैल तक पंजीकरण किया जाना है। विवि प्रशासन ने तय किया है कि प्रवेश परीक्षा प्रदेश के 15-15 जिलों में 20 से 24 अप्रैल तक कराई जाएगी।


अब लोकसभा चुनाव की वजह से बुंदेलखंड विवि द्वारा 20 से 24 अप्रैल तक संयुक्त प्रवेश परीक्षा कराना संभव नहीं है। ऐसे में बुंदेलखंड विवि पंजीकरण की तिथि बढ़ाने और परीक्षाओं की तिथियां स्थगित करने जा रहा है। विवि के रजिस्ट्रार विनय कुमार ने बताया 20 से 24 अप्रैल तक प्रदेश के 15-15 जिलों में संयुक्त प्रवेश परीक्षा होना प्रस्तावित है।


पहले से कम हुआ बीएड का रुझान

युवाओं में बीएड को लेकर रुचि कम हो गई है। इस वजह से बीएड की संयुक्त प्रवेश परीक्षा के लिए प्रदेशभर से करीब 1.80 लाख युवाओं ने ही पंजीकरण कराया है। जानकार बताते हैं शिक्षा सत्र 23-24 की परीक्षा में करीब 4.75 लाख अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हुए। इस बीच सुप्रीम कोर्ट की ओर से प्राथमिक शिक्षक की अर्हता में बीएड खत्म करने का फैसला आ गया। इसका परिणाम यह रहा कि काउंसिलिंग में सफल अभ्यर्थी भी नहीं आए और तमाम कॉलेजों की सीटें खाली रहीं। बुंदेलखंड विवि के कुलसचिव विनय कुमार ने माना कि प्राइमरी स्कूलों के शिक्षकों की अर्हता से बीएड खत्म होने की वजह से युवाओं की रुचि कम हुई है।

Friday, March 29, 2024

शैक्षणिक सत्र समाप्त, बेटियों की फीस माफी न बटुकों को मिली छात्रवृत्ति

शैक्षणिक सत्र समाप्त, बेटियों की फीस माफी न बटुकों को मिली छात्रवृत्ति


● 2023-24 शैक्षिक सत्र भी बीता, विद्यार्थियों को नहीं मिला लाभ

● निजी स्कूलों में पढ़ रही दो में से एक बहन की फीस माफी नहीं

● सीएम ने तीन साल पहले अफसरों को दिए थे माफी के निर्देश

● संस्कृत विद्यालयों के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति भी नहीं मिली


प्रयागराज :  2023-24 शैक्षणिक सत्र समाप्त होने के बावजूद न तो बेटियों की फीस माफी हुई और न ही संस्कृत पढ़ने वाले विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति ही मिल सकी है। अफसरों की लापरवाही के कारण लाखों जरूरतमंद विद्यार्थियों तक उनका हक नहीं पहुंच पाया है। 


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दो अक्तूबर 2021 (गांधी जयंती) को निजी स्कूलों से अपील की थी कि यदि उनकी संस्था में दो बहनें एक साथ पढ़ रही हों तो एक की फीस माफ हो। मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी अगर निजी स्कूल ऐसा नहीं करते हैं तो संबंधित विभाग एक छात्रा की फीस का प्रबंध करे। 


विधानसभा चुनाव 2022 में सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री घोषणा प्रकोष्ठ के प्रमुख सचिव संजय प्रसाद ने शिक्षा विभाग के अफसरों से प्रस्ताव मांगा था। लेकिन अब तक यह तय नहीं हो सका है कितनी फीस वापसी होगी। दो बहनों में से बड़ी कक्षा की फीस माफ होगी या छोटी की। प्राथमिक से उच्च शिक्षा तक में निजी संस्थाओं की फीस अलग-अलग है।


ऐसे में फीस वापसी का मानक क्या हो। आय सीमा पर भी अंतिम निर्णय नहीं हो सका है। इसके अलावा पूरा सत्र बीतने के बावजूद प्रदेश में संचालित राजकीय, अशासकीय सहायता प्राप्त एवं स्ववित्तपोषित संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों व महाविद्यालयों के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति नहीं मिल सकी।


सरकार ने तकरीबन 1.38 लाख विद्यार्थियों को ऑनलाइन छात्रवृत्ति देने के लिए फरवरी 2023 में प्रस्तुत बजट में 10 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था। लेकिन छात्रवृत्ति नहीं मिल सकी है।


संस्कृत विद्यालयों एवं महाविद्यालयों के विद्यार्थियों को 2023-24 सत्र की छात्रवृत्ति नहीं मिल सकी है। इस प्रकार की योजनाओं का लाभ समय से मिले तो अधिक उपयोगी हो। - आचार्य राजेश मिश्र धीर, संरक्षक अध्यक्ष वॉयस ऑफ टीचर्स

सेवा संबंधी मामलो में निजी स्कूल के ख़िलाफ़ रिट याचिका पोषणीय नहीं – हाईकोर्ट

सेवा संबंधी मामलो में निजी स्कूल के ख़िलाफ़ रिट याचिका पोषणीय नहीं – हाईकोर्ट 

सेवा मामले में रिट दाखिल नहीं कर सकते निजी संस्थान के कर्मचारी, निजी कॉलेज के शिक्षक की बर्खास्तगी के खिलाफ याचिका खारिज

हाईकोर्ट ने कहा- संविदा पर निजी सेवा लोक कार्यों में नहीं मानी जाएगी


लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने एक अहम फैसले में कहा कि किसी निजी संस्थान के कर्मचारी सेवा मामले में हाईकोर्ट में रिट याचिका दाखिल नहीं कर सकते, जब तक इसके लिए कानूनी प्रावधान न हों। हो सकता है कि कोई शिक्षण संस्थान लोक कार्य कर रहा हो लेकिन सेवा का करार निजी प्रकृति का होने के नाते वह लोक कार्य नहीं माना जाएगा। ऐसे निजी संविदा कर्मी की सेवा मामले में दाखिल याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।

इस महत्वपूर्ण विधिक व्यवस्था के साथ न्यायमूर्ति मनीष माथुर की एकल पीठ ने अंबेडकरनगर के डीएवी कॉलेज और डीएवी पब्लिक स्कूल के शिक्षक सूर्य प्रकाश मिश्र को बर्खास्त करने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी।


याची को पिछले साल सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। उसने इस आदेश को चुनौती देते हुए कोर्ट से इसे रद्द करने का आग्रह किया था। साथ ही देयों का भुगतान करने के निर्देश देने की भी गुजारिश की थी। याची का कहना था कि वह शिक्षण का कार्य करता है, जो लोक कार्य में आएगा। ऐसे में उसकी याचिका सुनवाई योग्य है।

सरकारी वकील ऋषभ त्रिपाठी ने याचिका का विरोध किया। कहा कि डीएवी कॉलेज व डीएवी पब्लिक स्कूल निजी संस्थान हैं। ऐसे में वहां से सेवा से हटाने के आदेश को संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत रिट याचिका दाखिल कर चुनौती नहीं दी जा सकती। अपने तर्क के समर्थन में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के सेंट मैरी एजुकेशन सोसाइटी के मामले में दिए गए फैसले का हवाला भी दिया।

कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला याची के मामले में लागू है, जिसमें याची ने कॉलेज के साथ हुए सेवा के करार को अमल में लाने के लिए याचिका दाखिल की। ऐसे में संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत दाखिल यह याचिका सुनवाई के लिए ग्रहण करने योग्य नहीं है। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट के याचिका खारिज कर दी।

Thursday, March 28, 2024

CBSE : 9वीं से 12वीं कक्षा तक के लिए सीबीएसई ने जारी किया सिलेबस, ये है डाउनलोड करने का आसान तरीका

CBSE : 9वीं से 12वीं कक्षा तक के लिए सीबीएसई ने जारी किया सिलेबस, ये है डाउनलोड करने का आसान तरीका


केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने शैक्षणिक वर्ष 2024-25 के लिए 9वीं से 12वीं तक की कक्षाओं के लिए पाठ्यक्रम आधिकारिक वेबसाइट पर रिलीज किया है। इन कक्षाओं के स्टूडेंट्स को सलाह दी जाती है कि वे पोर्टल पर जाकर सिलेबस को डाउनलोड कर लें। छात्र-छात्राओं को सलाह दी जाती है कि वे प्रिंटआउट लेकर भविष्य के लिए रख लें।




CBSE Board: 9वीं से 12वीं कक्षा तक के लिए सीबीएसई ने जारी किया सिलेबस, ये है डाउनलोड करने का आसान तरीका
CBSE Board: 9वीं से 12वीं कक्षा तक के लिए सीबीएसई ने जारी किया सिलेबस,ये है डाउनलोड का आसान तरीका


🔴 ऑफिशियल वेबसाइट cbseacademic.nic.in पर चेक करें सूचना

🔴 जल्द जारी होगा 10वीं, 12वीं कक्षा के लिए पाठ्यक्रम

🔴 कैंडिडेट्स पोर्टल पर जाकर इसे कर पाएंगे डाउनलोड



नई दिल्ली। सीबीएसई बोर्ड ने नौंवी से बारहवीं तक की कक्षाओं के लिए सिलेबस जारी कर दिया है। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने शैक्षणिक वर्ष 2024-25 के लिए सीनियर सेकेंडरी और सेकेंडरी कक्षाओं का पाठ्यक्रम ऑफिशियल वेबसाइट https://cbseacademic.nic.in/index.html पर रिलीज किया है। 


इन कक्षाओं के स्टूडेंट्स को सलाह दी जाती है कि वे पोर्टल पर जाकर इसे डाउनलोड कर सकते हैं। छात्र-छात्राओं की सहूलियत के लिए नीचे आसान स्टेप्स दिए गए हैं, जिनको फॉलो करके स्टूडेंट्स आसानी से अपनी सिलेबस डाउनलोड कर सकते हैं।

शिक्षक संगठनों के विरोध के बावजूद डिजिटल हाज़िरी के मामले में सीतापुर प्रदेश में नंबर वन

शिक्षक संगठनों के विरोध के बावजूद डिजिटल हाज़िरी के मामले में सीतापुर प्रदेश में नंबर वन

 41.8 फीसदी शिक्षक नौनिहालों की लगा रहे ऑनलाइन हाजिरी


सीतापुर। परिषदीय विद्यालयों में टैबलेट से नौनिहालों की हाजिरी लगाने में जहां विरोध चल रहा है, वहीं सीतापुर के शिक्षक इस सिस्टम का बेहतर तरीके से फॉलोअप कर रहे हैं। टैबलेट के माध्यम से रोजाना 41.18 फीसदी शिक्षक नौनिहालों की हाजिरी लगा रहे हैं। शासन स्तर पर हुई समीक्षा में सीतापुर नंबर वन आया है।


परिषदीय ऑनलाइन हाजिरी के विद्यालयों मामले में अपना जिला को टैबलेट प्रदेश में बना नंबर वन वितरित कर दिए गए हैं। इनके माध्यम से ही शिक्षक व नौनिहालों की हाजिरी रोजाना लगाई जानी है। कुछ शिक्षक संगठन इसका विरोध भी कर रहे हैं। 


 सीतापुर में 3527 विद्यालय हैं। इसमें 5,54,808 बच्चे पंजीकृत हैं, जिसमें 2,28,454 नौनिहालों की रोजाना ऑनलाइन हाजिरी लग रही है। जिले में हाजिरी लगाने का यह प्रतिशत 41.18 फीसदी है। जबकि दूसरे नंबर पर हरदोई व तीसरे नंबर पर मैनपुरी जिला है।


एमडीएम भी इस आधार पर बन रहा : नौनिहालों की ऑनलाइन हाजिरी लगाई जा रही है। इस हाजिरी के आधार पर ही नौनिहालों का भोजन पकाया जा रहा है। भोजन करते हुए उनकी फोटो भी अपलोड हो रही है। इससे एमडीएम में भी अब गड़बड़ी की आशंका समाप्त हो रही है।


बेहतर हो रही है हाजिरी : बीएसए अखिलेश प्रताप सिंह ने बताया कि जिले में ऑनलाइन हाजिरी लगाने को लेकर शिक्षक काफी संजीदा हैं। वह बेहतर तरीके से इसका पालन कर रहे हैं। 

सीबीएसई ने बदल दिया कक्षा 3 और 6 का पाठ्यक्रम, पुरानी किताबें हुई बेकार

सीबीएसई ने बदल दिया कक्षा 3 और 6 का पाठ्यक्रम, पुरानी किताबें हुई बेकार

एक ही कक्षा में पढ़ने के लिए दो बार खरीदनी पड़ेंगी किताबें


लखनऊ । केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद (सीबीएसई) के लखनऊ में संचालित अधिकांश विद्यालयों में नया सत्र 2024-25 शुरू हो चुका है। सत्र शुरू होने के बाद बोर्ड ने सर्कुलर भेज कक्षा तीन और छह के लिए एनसीईआरटी द्वारा तैयार नए पाठ्यक्रम को लागू करने के निर्देश दे दिए हैं। सभी अभिभावक नए सत्र के लिए किताबें पहले से खरीद चुके हैं अब एनसीईआरटी का नया पाठ्यक्रम लागू होता है तो अभिभावकों की जेब पर बोझ पड़ना तय है।


30 मार्च को वेबसाइट पर अपलोड होगा पाठ्यक्रम

एनसीईआरटी की ओर से कक्षा तीन और छह के लिए तैयार नया पाठ्‌यक्रम 30 मार्च को वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जाएगा। जिसके बाद पुस्तकें बाजार में आएंगी। ऑनलाइन कोर्स देखने के बाद बच्चों द्वारा खरीदी गई पुस्तकों और नए कोर्स का मिलान किया जाएगा कि नए कोर्स में क्या चैप्टर है और यो चैप्टर उन किताबों में है या नहीं जो बच्चों के पास है। इसके बाद आगे का निर्णय होगा।



CBSE : कक्षा 3 और 6 की आएंगी नई NCERT बुक्स, अन्य सभी कक्षाओं में पुरानी किताबों के आधार पर ही होंगी अगले साल की परीक्षा


केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने नई किताबों को लेकर एक बड़ा अपडेट जारी कर दिया है। CBSE बोर्ड मुताबिक शैक्षणिक सत्र 2024-25 में कक्षा तीन और छह की किताबें नई आएंगी। अन्य कक्षाओं की किताबों में कोई बदलाव नहीं होगा। पहली और दूसरी कक्षा की पाठ्यपुस्तकें पिछले साल ही बदल चुकी हैं।

इसके साथ ही सीबीएसई ने स्पष्ट किया कि मार्च, 2025 में होने वाली बोर्ड परीक्षाओं की पाठ्यचर्या में भी कोई परिवर्तन नहीं होगा। इस मामले में सीबीएसई के निदेशक (अकादमिक) जोसेफ एम्मनुल ने बताया कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने एक पत्र के माध्यम से सीबीएसई को सूचित किया है।

अपने दिशानिर्देशों को लेकर NCERT को सूचित किया गया है कि कक्षा तीन और छह के लिए नए पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकें तैयार हो रही हैं और जल्द ही जारी की जाएंगी।


CBSE ने दी यह सलाह
उन्होंने कहा कि स्कूलों को सलाह दी जाती है कि वे वर्ष 2023 तक एनसीईआरटी द्वारा प्रकाशित पाठ्यपुस्तकों के स्थान पर कक्षा तीन और छह के लिए इन नए पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकों का पालन करें। इसके अतिरिक्त, कक्षा छह के लिए एक ब्रिज कोर्स और कक्षा तीन के लिए संक्षिप्त दिशानिर्देश एनसीईआरटी द्वारा विकसित किए जा रहे हैं। राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचा-विद्यालय शिक्षा (एनसीएफ-एसई) 2023 के अनुरूप नई शैक्षणिक प्रथाओं और अध्ययन के क्षेत्रों में विद्यार्थियों के लिए एक निर्बाध संक्रमण की सुविधा प्रदान करना।

एनसीईआरटी (NCERT) से प्राप्त होने के बाद ये संसाधन सभी स्कूलों में आनलाइन प्रसारित किए जाएंगे। बोर्ड स्कूल प्रमुखों और शिक्षकों के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम भी आयोजित करेगा ताकि उन्हें एनईपी-2020 में परिकल्पित नए शिक्षण सीखने के दृष्टिकोण से परिचित कराया जा सके।

बोर्ड नौवीं से बारहवीं कक्षा के लिए वार्षिक पाठ्यक्रम प्रदान करता है जिसमें शैक्षणिक सामग्री, सीखने के परिणामों के साथ परीक्षाओं के लिए पाठ्यक्रम, शैक्षणिक अभ्यास और मूल्यांकन दिशानिर्देश शामिल हैं।

Wednesday, March 27, 2024

शिक्षक धर्मेंद्र की पत्नी को मूल वेतन के बराबर मिलेगी पेंशन, शासन ने असाधारण पेंशन की स्वीकृत, कॉपी ले जाने में शिक्षकों की ड्यूटी भी न लगाने के निर्देश

शिक्षक धर्मेंद्र की पत्नी को मूल वेतन के बराबर मिलेगी पेंशन, शासन ने असाधारण पेंशन की स्वीकृत, कॉपी ले जाने में शिक्षकों की ड्यूटी भी न लगाने के निर्देश

 शिक्षकों की मांग मानी


लखनऊ। वाराणसी के शिक्षक धर्मेंद्र कुमार की मुजफ्फरनगर में हत्या के बाद शिक्षकों की मांग पर शासन ने इस मामले में असाधारण पेंशन स्वीकृत कर दी है। अब धर्मेंद्र कुमार की पत्नी को उनके मूल वेतन के बराबर पेंशन (कार्यकाल पूरा होने तक) दी जाएगी। इसके बाद उन्हें सामान्य पेंशन दी जाएगी। वहीं माध्यमिक शिक्षा परिषद ने कॉपियों के बंडल को क्षेत्रीय कार्यालयों को भेजने में शिक्षकों की ड्यूटी न लगाने का भी निर्देश जारी कर दिया है।


वर्ष 2024 की परीक्षाओं की मूल्यांकित उत्तर-पुस्तिकाओं के प्रेषण के सम्बंध में 👇



शिक्षक धर्मेंद्र कुमार की हत्या के बाद माध्यमिक के शिक्षकों ने मूल्यांकन का बहिष्कार कर दिया था। इसके बाद शासन ने त्वरित कार्यवाही करते हुए 25 लाख का मुआवजा स्वीकृत किया था। इसके बाद भी शिक्षकों की नाराजगी कम नहीं हो रही थी। शनिवार से उन्होंने दोबारा मूल्यांकन का बहिष्कार कर दिया था। वह धर्मेंद्र कुमार के परिवार को दो करोड़ का मुआवजा, शिक्षकों से गैर शैक्षणिक काम न लिए जाने व धर्मेंद्र कुमार की पत्नी को पेंशन के रूप में पूरा वेतन दिए जाने की मांग कर रहे हैं।


इसी क्रम में माध्यमिक शिक्षा विभाग के विशेष सचिव आलोक कुमार ने असाधारण पेंशन स्वीकृत किए जाने की स्वीकृत दी। माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव ने बताया कि इसके तहत धर्मेंद्र की पत्नी को मूल वेतन के बराबर पेंशन दी जाएगी। वहीं माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव दिव्यकांत शुक्ला ने सभी डीआईओएस को पत्र भेजकर कहा है कि मूल्यांकन केंद्र से मूल्यांकन के बाद कॉपियों के बंडल को क्षेत्रीय कार्यालयों में भेजने के लिए शिक्षकों की ड्यूटी न लगाई जाए।


इसके लिए सिर्फ शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की ही ड्यूटी लगाई जाए। शिक्षकों की दो प्रमुख मांगे पूरी होने के बाद माना जा रहा है कि शिक्षकों का मूल्यांकन बहिष्कार बुधवार को समाप्त हो जाएगा। राजकीय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर पांडेय ने कहा कि इस बारे में निर्णय बुधवार को सभी शिक्षक संघ प्रतिनिधियों की बैठक में लिया जाएगा। शिक्षक संघों के मूल्यांकन बहिष्कार जारी रखने के निर्णय के बीच माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव ने शिक्षकों से मूल्यांकन में सहयोग की अपील जारी की है। 

Tuesday, March 26, 2024

UGC Universities List: ऑनलाइन और डिस्टेंस लर्निंग कोर्स करा रहे विश्वविद्यालयों की सूची जारी, यहां से डाउनलोड करें

UGC Universities List: ऑनलाइन और डिस्टेंस लर्निंग कोर्स करा रहे विश्वविद्यालयों की सूची जारी, यहां से डाउनलोड करें



UGC Universities List: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने ऑनलाइन, ओपन और डिस्टेंस लर्निंग कोर्स कराने वाले हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन्स (HEIs) व विश्वविद्यालयों की सूची जारी की है। यूजीसी के ऑफिशियल नोटिफिकेशन के अनुसार, यूजीसी ने 80 विश्वविद्यालयों को मान्यता दी है तो कई प्रकार के डिस्टेंस लर्निंग कार्यक्रम चलाते हैं।


यूजीसी की ओर से जारी इस सूची में आचार्य नागार्जुन विश्वविद्यालय, गुंटूर ( आंध्र प्रदेश), डिब्रुगढ़ विश्वविद्यालय, असम, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ और दिल्ली स्थिति जामिया मिल्लिया इस्लामिया (दिल्ली) शामिल है। एचईआई की लिस्ट यूजीसी डिस्टेंस एजुकेशन ब्यूरो (DEB) की वेबसाइट https://deb.ugc.ac.in/search/course पर उपलब्ध है।



यूजीसी के नोटिस के अनुसार, विश्वविद्यालयों की ओर से चलाए जा रहे इन ऑनलाइन और ओडीएल कार्यक्रमों में आवेदन की अंतिम तिथि 31 मार्च 2024 है। वहीं पोर्टल पर छात्रों का डेटा जमा कराने की अंतिम तिथि 15 अप्रैल 2024 है।


खास बात है कि स्पष्ट किया है इन कोर्सों के लिए ऑनलाइन आवेदन संबंधित हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूशन्स के लिए आमंत्रित किए गए थे। ये आवेदन यूजीसी के ओडीएल रेगुलेशन 2020 के 3(A), रेगुलेशन 3 (B)(b) के तहत आवेदन आमंत्रित किए गए थे। इस संबंध में यूजीसी ने समय-समय पर कार्यक्रमों की मान्यता के लिए नियमों में संशोधन किया है।


यूजीसी ने कहा है कि हायर एजुकेशन संस्थानों ने अपने यहां चलाए जा रहे ओपन व डिस्टेंस लर्निंग व ऑनलाइन कोर्सों के बारे में लिखित में एफिडेविट दिया है। यदि संस्थानों की ओर दी गई जानकारी किसी प्रकार से गलत निकलती है या तथ्य छिपाने की बात सामने आती है इसके लिए स्वयं संस्थान की जिम्मेदार होंगे। 

Monday, March 25, 2024

सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में मृतक आश्रित कोटे के तहत नियुक्ति में पेच, बदलेगा नियम

सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में मृतक आश्रित कोटे के तहत नियुक्ति में पेच,  बदलेगा नियम


प्रयागराज । सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में मृतक आश्रित कोटे के तहत कला विषय के सहायक अध्यापक की नियुक्ति को लेकर पेच फंस गया है। इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम 1921 के अनुसार प्राविधिक कला के साथ यूपी बोर्ड की इंटरमीडिएट परीक्षा पास होना अनिवार्य है। ऐसे में यदि कोई आश्रित सीबीएसई या अन्य बोर्ड से 12वीं पास हो एवं इंटर एकल विषय ड्राइंग टेक्निकल हो तो उसके समायोजन में अड़चन है।


इस पर माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष पूर्व एमएलसी सुरेश कुमार त्रिपाठी ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव को छह मार्च को पत्र लिखकर स्थिति स्पष्ट करने का अनुरोध किया था। माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने यूपी बोर्ड के सचिव दिब्यकांत शुक्ल से नियमावली में संशोधन का प्रस्ताव मांग लिया है।


बेसिक में नियुक्ति में देरी: बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों-कर्मचारियों के मृतक आश्रितों की नियुक्ति प्रक्रिया तो ऑनलाइन हो चुकी है लेकिन अफसरों की लापरवाही के कारण मामलों के निस्तारण में देरी हो रही है। पिछले दिनों समीक्षा में 109 प्रकरण लंबित मिलने पर महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने 12 मार्च को सभी बीएसए को पत्र लिखकर चेताया है।


ऑनलाइन होगी नियुक्ति

प्रदेश के 4512 सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में मृतक आश्रितों की नियुक्ति प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को 11 मार्च को पत्र लिखा है कि मृतक आश्रित की नियुक्ति संबंधी ऑनलाइन आवेदन की व्यवस्था के लिए मानव संपदा पोर्टल पर कार्य एनआईसी के स्तर से किया जा रहा है। तब तक नियुक्ति संबंधी कार्यवाही अग्रिम आदेशों तक ऑफलाइन करना सुनिश्चित करें।

Sunday, March 24, 2024

बेसिक शिक्षा निदेशक को अवमानना मामले में हाईकोर्ट ने किया तलब

बेसिक शिक्षा निदेशक को अवमानना मामले में हाईकोर्ट ने किया तलब 


बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल को आदेश का अनुपालन नहीं होने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तलब किया है. सुभाषचंद्र की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश कोर्ट ने दिया है.


प्रयागराज:इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति के मामले में आदेश का अनुपालन नहीं होने पर बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल को तलब किया है. यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार पाठक ने सुभाषचंद्र की अवमानना याचिका पर उसके अधिवक्ता कमल कुमार केसरवानी को सुनकर दिया है.


याची सुभाषचंद्र वर्ष 2011 में मृतक आश्रित कोटे में सहायक अध्यापक पद पर नियुक्त हुआ था. लेकिन टीईटी प्रमाणपत्र न होने के कारण सुभाष चंद्र की नियुक्ति वर्ष 2012 में समाप्त कर दी गई. इसके विरुद्ध याचिका दाखिल की गई, जिसे एकलपीठ ने खारिज कर दिया .लेकिन यह आदेश दिया कि तृतीय/चतुर्थ श्रेणी के पद पर याची की नियुक्ति के संदर्भ में विचार किया जाए. 


एकल पीठ के आदेश के विरुद्ध याची ने विशेष अपील की, जो खारिज हो गई. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की लेकिन किया वह भी खारिज हो गई. इसके बाद याची ने एकल पीठ के आदेश के क्रम तृतीय/चतुर्थ श्रेणी के पद पर नियुक्ति के लिए प्रत्यावेदन दिया. इस पर कोई विचार नहीं किया गया तो याची ने पुनः याचिका दाखिल की.


हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि याची के प्रत्यावेदन पर 2012 में पारित आदेश के क्रम में तृतीय/चतुर्थ श्रेणी के पद पर नियुक्ति पर विचार किया जाए. इसके बाद सचिव बेसिक शिक्षा ने याची का प्रत्यावेदन इस आधार पर निरस्त कर दिया कि उसने आवेदन प्रारूप में नहीं दिया. याची ने फिर सचिव बेसिक शिक्षा के आदेश को चुनौती दी. कोर्ट ने पुनः याची के पक्ष में आदेश दिया और सचिव बेसिक शिक्षा का आदेश निरस्त कर दिया. साथ ही सचिव बेसिक शिक्षा को पुनः नियुक्ति पर विचार के लिए आदेश दिया. 


आदेश का अनुपालन न होने पर अवमानना याचिका दाखिल की तो सचिव प्रताप सिंह बघेल ने पुनः उसी आधार पर आदेश किया, जिसे कोर्ट ने निरस्त किया था. हाईकोर्ट ने इसे गंभीरता से लिया एवं प्रताप सिंह बघेल को तलब कर लिया, जो वर्तमान में बेसिक शिक्षा निदेशक के पद पर हैं.

मदरसा शिक्षा अधिनियम असंवैधानिक घोषित करने के बाद शुरू हुई तैयारी, कानूनी राय ले रहे मदरसा संचालक

मदरसा शिक्षा अधिनियम असंवैधानिक घोषित करने के बाद शुरू हुई तैयारी, कानूनी राय ले रहे मदरसा संचालक

बोले, मदरसा संचालक 2004 के एक्ट के पहले ही सभी मदरसे हुए पंजीकृत

क्या है फैसला

कोर्ट ने अपने फैसले में मदरसा शिक्षा अधिनियम 2004 को संविधान के अनुच्छेद 13 समानता का अधिकार व अनुच्छेद 21 जीवन व 21 ए शिक्षा के मौलिक अधिकार के खिलाफ माना है। इसे लेकर अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में दिनभर चर्चा चलती रही। अफसरों ने माना कि समानता के अधिकार के तहत धार्मिक शिक्षा पर सरकार अनुदान नहीं दे सकती, वहीं अनुच्छेद 21 बहुत बड़ा है। लेकिन इसमें शिक्षा जुड़ा है जो निःशुल्क शिक्षा पर है।


प्रयागराज । मदरसा शिक्षा अधिनियम 2004 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने असंवैधानिक घोषित कर दिया है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद मदरसा संचालकों ने इसे लेकर अपने स्तर पर तैयारी शुरू की है। मदरसा संचालकों का कहना है कि मदरसों के बच्चों को स्थानांतरित करने की बात पर समस्या है। इसे लेकर वकीलों से कानूनी राय ली जा रही है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने शुक्रवार को एक अहम फैसले में मदरसा शिक्षा अधिनियम 2004 को असंवैधानिक घोषित कर दिया। कोर्ट के फैसले के बाद अब इस पर अपनी तैयारी शुरू हुई है। ऑल इंडिया टीचर्स एसोसिएशन मदारिस अरबिया के संगठन मंत्री जुनैद अहमद का कहना है कि कोर्ट का आदेश सबसे ऊपर है। अब इस फैसले पर वह वकीलों से कानूनी राय लेंगे। जिसके बाद तय होगा कि स्थिति क्या बनेगी। 

कोर्ट ने जिस अधिनियम की बात कही है यहां पंजीकृत सभी मदरसे 2004 से पहले के हैं। वहीं आदेश में वेतन और अनुदान पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है। ऐसे में लगता है कि शिक्षकों के वेतन पर तो कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने बताया कि मदरसा शिक्षकों को वेतन 1921 की शिक्षक संहिता के अनुसार मिलता है। मदरसा बोर्ड या शिक्षा संहिता से इसका कोई सरोकार नहीं है। हां बच्चों को स्कूलों में शिफ्ट करने की बात जरूर है। वहीं फूलपुर के जामिया अरबिया तालिमुल इस्लाम के प्रबंधक अनीस अहमद का कहना है कि विद्यार्थियों, शिक्षकों व इन्फ्रास्ट्रक्चर के भविष्य को लेकर चिंता है। बोर्ड को सुप्रीम कोर्ट में जाना चाहिए। मदरसा नाफे उल उलूम अंजना सैदाबाद के निजाम सरवर का कहना है कि इस फैसले पर कानूनी राय ली जा रही है। मेजा के मदरसा अरबिया तालेमुल कुरान के हाफिज अशफाक अहमद का कहना है कि शासन और कोर्ट का जो फैसला होगा, उस पर काम करेंगे।



हाईकोर्ट के फ़ैसले के बाद मदरसा बोर्ड सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की करेगा सिफारिश

हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड प्रदेश सरकार से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की सिफारिश करेगा। बोर्ड के चेयरमैन डा.इफ्तेखार अहमद जावेद ने हाईकोर्ट के इस फैसले पर कहा कि दरअसल सरकार के मदरसा एक्ट को चुनौती दी गई है। हाईकोर्ट के इस फैसले से आश्चर्य हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि अदालत को समझाने में हमसे कहीं ना कहीं चूक हुई है।


हाईकोर्ट ने वर्ष 2004 के मदरसा एक्ट को अंसवैधानिक बताया है इसलिए सरकार सुप्रीम कोर्ट जा सकती है और उसे जाना भी चाहिए। इसके लिए यूपी मदरसा बोर्ड जल्द ही हाईकोर्ट के पूरे आदेश की समीक्षा कर अपनी सिफारिश प्रदेश सरकार को भेजेगा। उन्होंने कहा कि मदरसा बोर्ड को गठन प्राच्य भाषाओं के पठन-पाठन के लिए किया गया जिस तरह से संस्कृत विद्यालयों में संस्कृत के पठन पाठन में वेद व पुराण आदि की शिक्षा दी जाती है, उसी तरह मदरसों में अरबी फारसी जैसी प्राच्य भाषाओं में कुरआन व इस्लाम की शिक्षा दी जाती है। चेयरमैन ने तर्क दिया कि सरकारी ग्रांट मदरसों में धार्मिक शिक्षा के लिए नहीं मिलती बल्कि प्राच्य भाषाओं अरबी फारसी और संस्कृत विद्यालयों को संस्कृत के प्रोत्साहन के लिए मिलती है।



हाईकोर्ट के फैसले खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगा टीचर्स एसोसिएशन

मदरसा शिक्षा बोर्ड कानून को असांविधानिक घोषित करने के फैसले को बताया आशा के विपरीत, कहा- शिक्षकों का क्या होगा, इस पर कोई दिशा-निर्देश नहीं


लखनऊ। यूपी मदरसा शिक्षा बोर्ड कानून को असांविधानिक घोषित किए जाने के हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ टीचर्स एसोसिएशन मदारिस अरेबिया सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगा। एसोसिएशन के महासचिव दीवान साहब दीवान साहब जमां खान ने बताया कि हाईकोर्ट का फैसला आशा के विपरीत है।

उन्होंने बताया कि संविधान के अनुच्छेद 29 और 30 में अल्पसंख्यकों को संस्थान खोलने और अनुदान देने में भेदभाव न करने के प्रावधान पर भी ध्यान नहीं दिया। जबकि अधिवक्ता ने तर्क दिया कि मदरसा बोर्ड अधिनियम को रद्द करने के साथ छात्रों को प्राथमिक व इंटर कॉलेजों में स्थानांतरित करने और स्कूलों की कमी होने पर नए स्कूल खोलने का निर्देश देने से मदरसे स्वतः बंद हो जाएंगे। शिक्षकों का क्या होगा, इस पर कोई दिशा-निर्देश नहीं है।


मदरसों को भाषा संरक्षण के लिए मिलता है अनुदान
मदरसा बोर्ड के चेयरमैन डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने कहा कि सरकार ने अरबी, फारसी, संस्कृत जैसी भाषाओं को जिंदा रखने के लिए एक्ट बनाया था। इसके तहत अरबी, फारसी और संस्कृत बोर्ड बनाए गए। सरकार मदरसों को धार्मिक शिक्षा के लिए अनुदान नहीं देती है, बल्कि भाषाओं के संरक्षण के लिए ग्रांट मिलता है। अरबी भाषा में कुरान पढ़ाया जाता है तो संस्कृत भाषा में वेद और पुराण पढ़ाए जाते हैं। उन्होंने हाईकोर्ट के फैसले के बाद सरकार का जो भी निर्णय होगा हम उसी के मुताबिक आगे काम करेंगे।

कानून बनाकर मदरसा बोर्ड को जिंदा करे सरकार : ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि देश की आजादी की लड़ाई में मदरसों का अहम रोल रहा है। उन्होंने कोर्ट के निर्णय पर अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि मेरी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गुजारिश है कि ऐसा कानून बनाएं, जिससे मदरसा बोर्ड दोबारा जिंदा किया जा सके।

हर धर्म की बुनियाद ही सेक्युलरिज्म है
आसिफी मस्जिद के इमाम ए जुमा मौलाना सैयद कल्बे जवाद नकवी ने कहा कि हाईकोर्ट ने मजहबी तालीम को सेक्युलरिज्म के खिलाफ बताया है। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में मजहबी तालीम दी जाती है। सरकार का कोई मजहब नहीं होता है. लिहाजा सरकार उनकी निगरानी करती है और उनको सहुलियतें देती है। हमारे देश में भी संस्कृत स्कूलों में मजहब की तालीम दी जाती है। मजहबी तालीम देना सेक्युलरिज्म के खिलाफ नहीं हो सकता है, क्योंकि हर धर्म की बुनियाद सेक्युलरिज्म ही है।

एक्ट की कमी को करें दूर 
इदारा शरईया फिरंगी महली के अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती अबुल इरफान मियां फिरंगी महली सरकार ने कहा कि मदरसों में निचले स्तर के गरीब बच्चों की मुफ्त शिक्षा दी जाती है। अगर मदरसा एक्ट में कोई कमी है तो उसे दूर किया जा सकता है


अगर मदरसे बंद हुए तो हजारों शिक्षकों-कर्मचारियों की रोजी-रोटी पर आएगा संकट, हाईकोर्ट के फैसले से शिक्षकों व कर्मियों के नौकरी पर लटकी तलवार




लखनऊ । उप्र मदरसा शिक्षा बोर्ड कानून को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद अगर अनुदानित मदरसे बंद कर दिए जाते हैं तो कार्यरत करीब 10,200 शिक्षक व शिक्षणेतर कर्मचारियों की रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो जाएगा।

वर्तमान में मदरसा शिक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त तहतानिया कक्षा 1 से 5, फौकानिया कक्षा 5 से 8 और आलिया व उच्च आलिया स्तर यानि हाई स्कूल या इससे ऊपर के लगभग 16,460 मदरसे हैं। इनमें सरकार से अनुदानित कुल 560 मदरसे हैं। इन मदरसों में मुंशी-मौलवी हाई स्कूल समकक्ष, आलिम इंटर समकक्ष, कामिल स्नातक और फाजिल परास्नातक के समकक्ष पढ़ाई होती है।

मदरसों को संचालित करने के लिए वर्ष 2004 में बने मदरसा एक्ट को हाईकोर्ट ने असांविधानिक करार दिया है। इसके बाद मदरसों में पढ़ाने वाले शिक्षकों व कर्मचारियों की नौकरी पर तलवार लटक गई है।



मदरसों के 13 लाख विद्यार्थियों के भविष्य पर छाया अंधेरा : मदरसा शिक्षा परिषद की रजिस्ट्रार डॉ. प्रियंका अवस्थी ने बताया कि मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त 16,460 मदरसों में 13 लाख 83 हजार 107 विद्यार्थी शिक्षा पा रहे हैं। वहीं, इनमें शामिल 560 अनुदानित मदरसों में एक लाख 92 हजार 317 विद्यार्थी शिक्षा हासिल कर रहे हैं। हाईकोर्ट के आदेश के बाद मदरसों के शिक्षा पा रहे इन 13 लाख से अधिक विद्यार्थियों का भविष्य पर अंधेरा छा गया है।


उत्तर प्रदेश में सरकारी सहायत प्राप्त मदरसों पर लगेगा ताला, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम को असांविधानिक ठहराया

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सरकारी सहायता प्राप्त 560 से अधिक मदरसों पर ताला लगेगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने एक अहम फैसले में उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम, 2004 को असांविधानिक करार दिया। अदालत ने कहा, यह कानून धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के खिलाफ भी है, जो संविधान के मूल ढांचे का अंग है। कोर्ट ने राज्य सरकार को योजना बनाकर इन मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों को बुनियादी शिक्षा व्यवस्था में समायोजित करने का निर्देश दिया।

हाईकोर्ट का यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब राज्य सरकार के निर्देश पर एसआईटी राज्य में अवैध मदरसों की जांच कर रही है। मदरसों को विदेश से मिलने वाली आर्थिक मदद की जांच के लिए पिछले साल अक्तूबर में विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया था। इसकी जांच में अब तक 13 हजार से अधिक मदरसे अवैध पाए गए हैं, जिन्हें बंद करने की तैयारी चल रही है।

जस्टिस विवेक चौधरी व जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने अंशुमान सिंह राठौड़ की रिट याचिका पर फैसला सुनाते हुए इस कानून को अधिकार से परे (अल्ट्रावायर्स) भी बताया। राठौड़ ने मदरसा बोर्ड की सांविधानिकता को चुनौती देते हुए मदरसों का प्रबंधन केंद्र व राज्य सरकार के स्तर पर अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की ओर से किए जाने के औचित्य पर सवाल उठाए थे।


राज्य सरकार का विरोध
याचिका का विरोध करते हुए राज्य सरकार ने कोर्ट में कहा, इसमें कोई संदेह नहीं है कि बोर्ड धार्मिक शिक्षा दे रहा है, पर राज्य सरकार को ऐसी शिक्षा देने का सॉविधानिक अधिकार है। धार्मिक शिक्षा और निर्देश देना, वर्जित या अवैध नहीं है। ऐसे धार्मिक शिक्षा के लिए अलग से बोर्ड जरूरी है, जिसमें उसी धर्म के लोग हों।


अध्ययन के बाद निर्णय
यूपी मदरसा शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन इफ्तिखार अहमद जावेद ने कहा कि फैसले का अध्ययन करने के बाद अगले कदम पर फैसला होगा। 20 साल बाद कानून को असांविधानिक करार दिया गया है। इसमें कहीं चूक हुई है। हमारे वकील कोर्ट के समक्ष मामले को सही तरीके से नहीं रख सके। उन्होंने कहा, मदरसे बंद होंगे, तो कई शिक्षक बेरोजगार हो जाएंगे।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा, आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देनी चाहिए।

प्रदेश के सभी मूल्यांकन केंद्रों पर शिक्षकों ने किया कार्य बहिष्कार, पांच सूत्रीय मांगों के पूरा होने तक जारी रहेगा आंदोलन, शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री पर लगाया उपेक्षा का आरोप

प्रदेश के सभी मूल्यांकन केंद्रों पर शिक्षकों ने किया कार्य बहिष्कार, पांच सूत्रीय मांगों के पूरा होने तक जारी रहेगा आंदोलन, शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री पर लगाया उपेक्षा का आरोप


प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के सभी माध्यमिक शिक्षक संगठनों व राजकीय शिक्षक संगठनों के आह्वान पर शनिवार को प्रदेश के सभी 259 मूल्यांकन केंद्रों पर शिक्षकों ने मूल्यांकन कार्य का बहिष्कार किया था। शिक्षक स्व. धर्मेंद्र कुमार को न्याय दिलाने के लिए संगठन की ओर से पांच सूत्रीय मांगे भी रखी गई थीं।


 संगठन के पदाधिकारियों ने कहा कि जब तक उनकी पांच सूत्रीय मांगों को नहीं माना जाएगा, तब तक मूल्यांकन का बहिष्कार जारी रहेगा। इसके लिए प्रदेश के सभी शिक्षक एकमत हैं। दूसरी ओर, डीआईओएस पीएन सिंह ने कहा कि प्रयागराज के नौ मूल्यांकन केंद्रों में से पांच केंद्रों पर शत-प्रतिशत कॉपियों का मूल्यांकन हुआ है। रविवार को भी मूल्यांकन कार्य होगा।


शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री पर लगाया उपेक्षा का आरोप

शिक्षक नेताओं ने कहा कि प्रदेश सरकार का व्यवहार शिक्षकों के प्रति उपेक्षापूर्ण है। इतनी दुखद घटना होने के बाद भी प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा मंत्री व मुख्यमंत्री ने संवेदना के दो शब्द तक नहीं कहे। शिक्षक समाज मर्माहत है। आगामी कार्य दिवसों में जब तक मांगें पूरी नहीं होंगी, कार्य बहिष्कार जारी रहेगा। राजकीय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर पांडे, प्रदेश महामंत्री डॉ. रविभूषण, उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ ठकुराई गुट के प्रदेश महामंत्री लालमणि द्विवेदी, उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ एकजुट के प्रदेश संरक्षक डॉ. हरिप्रकाश यादव, प्रदेश उपाध्यक्ष उपेंद्र वर्मा, मंडलीय मंत्री अनुज पांडेय समेत सभी संगठनों के जिला कार्यकारिणी सदस्यों ने मूल्यांकन केंद्रों का दौरा किया और कार्य बहिष्कार को सफल बनाया।



आज से प्रदेश भर में शिक्षक करेंगे यूपी बोर्ड परीक्षा मूल्यांकन का बहिष्कार, मृत शिक्षक के परिवार की सहायता के लिए की गई मांगों पर शासन का कोई जवाब नहीं आया

23 मार्च 2024
प्रयागराज। आज से यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का बहिष्कार किया जाएगा। प्रदेश भर के शिक्षक संगठनों ने कॉपी जांचने में लगे शिक्षकों से यह अपील की है। मृतक शिक्षक के परिवार की सहायता के लिए की गई मांगों पर निर्धारित समय में शासन की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है। शिक्षक संगठनों का कहना है कि मामले में सरकार की उदासीनता दुर्भाग्यपूर्ण है।


राजकीय इंटर कॉलेज प्रयागराज में शुक्रवार को शिक्षक संगठनों की बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि जब तक शासन मांगें नहीं मानता, तब तक मूल्यांकन का बहिष्कार जारी रहेगा। आश्रित परिवार के लिए शिक्षक संगठनों की तरफ से कई मांगे की गई थीं। इसमें दो करोड़ रुपये की विशेष आर्थिक सहायता, मृतक शिक्षक की पत्नी को पेंशन के रूप में शिक्षक की शेष सेवा का पूरा वेतन, राजकीय हाईस्कूल महगांव, वाराणसी का नाम मृतक शिक्षक के नाम पर किए जाने व उत्तर पुस्तिकाओं को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के कार्य से शिक्षकों को मुक्त करने की मांग शामिल थी।

17 मार्च की रात वाराणसी से मुजफ्फरनगर कॉपियां ले जा रहे शिक्षक की उसी के साथ सुरक्षा में लगे सिपाही ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद प्रदेश भर में शिक्षकों ने 18 मार्च को मूल्यांकन का बहिष्कार किया था। आश्रित परिवार की मदद के लिए मांगों के साथ मूल्यांकन फिर से शुरू हो गया था। सरकार को मांगें मानने के लिए शुक्रवार तक का समय दिया गया था। समय सीमा बीत जाने के बाद भी शासन की तरफ से कोई जवाब न आने पर मूल्यांकन के बहिष्कार का फैसला लिया गया है।


उप्र माध्यमिक शिक्षक संगठन (ठकुराई गुट) के प्रदेश महामंत्री लाल मणि द्विवेदी ने कहा कि शिक्षकों के प्रति सरकार का रवैया संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है। परिवार को दिए गए 25 लाख रुपये पर्याप्त नहीं हैं। इस मामले पर प्रदेश के मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री की तरफ से कोई बयान नहीं आया है।


यूपी बोर्ड की 72.35 प्रतिशत कॉपियों का मूल्यांकन पूरा

प्रदेश भर में हाईस्कूल और इंटर की उत्तर पुस्तिकाओं का 72.35 प्रतिशत मूल्यांकन पूरा हो चुका है। कुल 259 मूल्यांकन केंद्रों पर अब तक 2,17,05,770 कॉपियां जांची जा चुकी है। प्रदेश में कुल 3.01 करोड़ कॉपियों का मूल्यांकन किया जाना है।


यह शिक्षकों और शासन के बीच का मामला है। मुझे मामले की प्रगति के बारे में कोई जानकारी नहीं है। शुक्रवार तक मूल्यांकन सामान्य रूप से चला है। –दिव्यकांत शुक्ल, सचिव, यूपी बोर्ड

Saturday, March 23, 2024

पॉलिटेक्निक सेमेस्टर परीक्षा परिणाम में महज 35 फीसदी हुए पास

पॉलिटेक्निक सेमेस्टर परीक्षा परिणाम में महज 35 फीसदी हुए पास


लखनऊ। प्राविधिक शिक्षा परिषद ने शुक्रवार को पॉलिटेक्निक की सेमेस्टर परीक्षा परिणाम जारी किया। विषय सेमेस्टर की परीक्षा में महज 35 फीसदी विद्यार्थी पास हुए। 


विभाग के सचिव अजीत कुमार मिश्र ने बताया कि विषम सेमेस्टर और बैक परीक्षा में 143919 परीक्षार्थी पंजीकृत थे, जिसमें 136534 परीक्षार्थी सम्मिलित हुए। परीक्षा में महज 35.62 फीसदी विद्यार्थी पास हुए। इसी तरह विशेष बैक पेपर परीक्षा के लिए कुल 30043 पंजीकृत परीक्षार्थियों में से 29989 परीक्षार्थी शामिल हुए। इनमें भी महज 35.42 फीसदी परीक्षा परिणाम रहा।


सचिव ने बताया कि राजधानी सहित प्रदेश के 156 परीक्षा केंद्रों पर 16 जनवरी से 14 फरवरी तक पॉलिटेक्निक की सेमेस्टर परीक्षा आयोजित हुई थी। परीक्षा का परिणाम परिषद की वेबसाइट पर अपडेट की गई है। संस्थान व छात्र- छात्राएं वेबसाइट से रिजल्ट डाउनलोड कर सकते हैं। 

माध्यमिक विद्यालयों में नए सत्र से शुरू होंगी वर्चुअल कक्षाएं

माध्यमिक विद्यालयों में नए सत्र से शुरू होंगी वर्चुअल कक्षाएं


लखनऊ। माध्यमिक विद्यालयों में वर्चुअल कक्षाएं शुरू होगी। विषयवार शिक्षक न होने की स्थिति विद्यार्थियों को वर्चुअल माध्यम से पढ़ाई जाएंगी। माध्यमिक शिक्षा परिषद नए शैक्षिक सत्र से शुरू करने की तैयारी में है। विभाग के अनुसार कई विद्यालयों में विषयवार शिक्षकों की कमी जानकारी मिलती रहती है। दरअसल, शिक्षकों के स्थानांतरण के बाद विद्यार्थियों को अन्य शिक्षक से पढ़ने में असमर्थता होती है। ऐसी परिस्थिति में विद्यार्थियों को मुख्य विषय को पढ़ने का अवसर मिलेगा।


संयुक्त शिक्षा निदेशक डॉ. आशुतोष दुबे ने बताया कि लखनऊ में राज्य स्तरीय मास्टर ट्रेनर प्रशिक्षण कार्यक्रम हुआ। इसमें शिक्षकों ने सुझाव दिया कि कई विद्यालयों में अंग्रेजी, गणित, विज्ञान व अन्य मुख्य विषय के शिक्षक बेहतरीन हैं और विद्यार्थी इन शिक्षकों से पढ़ना चाहते हैं। शिक्षकों के सुझाव पर माध्यमिक विद्यालयों में वर्चुअल कक्षाएं शुरू करने की तैयारी है। ताकि अन्य विद्यालय के विद्यार्थियों को इसका लाभ मिल सके। वहीं, परिषद से जुड़े विद्यालयों में पढ़ाई के स्वरूप में भी बदलाव होगा। नई शिक्षा नीति के तहत राष्ट्रीय पाठ्यचर्या में हुए बदलाव को नए सत्र से लागू करने की योजना है।

CBSE : नए शैक्षणिक सत्र (2024-25) के लिए नौवीं से बारहवीं (सैकेंडरी व सीनियर सेकेंडरी) कक्षाओं के लिए पाठ्यक्रम जारी, करें डॉउनलोड

CBSE : नए शैक्षणिक सत्र (2024-25) के लिए नौवीं से बारहवीं (सैकेंडरी व सीनियर सेकेंडरी) कक्षाओं के लिए पाठ्यक्रम जारी, करें  डॉउनलोड 



नई दिल्ली। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने स्कूलों में नए शैक्षणिक सत्र (2024-25) के लिए नौवीं से बारहवीं (सैकेंडरी व सीनियर सेकेंडरी) कक्षाओं के लिए पाठ्यक्रम जारी कर दिया है। 


एक अप्रैल से शुरू होने वाले सत्र से स्कूलों को इसी पाठ्यक्रम के 2024-25 शैक्षणिक सत्र में स्कूलों में इसी के आधार पर होगी पढ़ाई आधार पर पढ़ाई करानी है। मूल्यांकन भी इसके आधार पर ही होगा। वहीं तीसरी से छठी कक्षा के पाठ्यक्रम व किताबों में बदलाव होने जा रहा है। लिहाजा इन कक्षाओं का पाठ्यक्रम व किताबें बाद में जारी की जाएंगी। 


सीबीएसई प्रत्येक वर्ष सत्र की शुरूआत से पहले ही पाठ्यक्रम को जारी करता है। ताकि सत्र शुरूआत से पहले ही शिक्षकों को पता हो कि क्या पढ़ाना है और छात्रों को पता चल सके कि किस तरह के बदलाव पाठ्यक्रम में हुए हैं। वहीं एनसीईआरटी ने तीसरी से छठी कक्षा के पाठ्यक्रम के संशोधन के संबंध में सीबीएसई को एक पत्र लिखकर सूचित किया है। 


पत्र में कहा गया है कि तीसरी से छठी कक्षा के नए पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकें तैयार करने का काम जारी है। इसे जल्द ही जारी किया जाएगा। ऐसे में स्कूलों को सलाह दी गई है कि वे वर्ष 2023 तक एनसीईआरटी द्वारा प्रकाशित पाठ्यपुस्तकों के स्थान पर इन कक्षाओं के लिए नए पाठ्यपुस्तकों व पाठ्यक्रम को ही पढ़ाएं।

मांग : लोकसभा चुनाव में बेसिक शिक्षकों की ड्यूटी सभी विभागों के समान अनुपात में लगाई जाए

मांग : लोकसभा चुनाव में बेसिक शिक्षकों की ड्यूटी सभी विभागों के समान अनुपात में लगाई जाए


लखनऊ। प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन (पीएसपीएसए) ने लोकसभा चुनाव में परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों की ड्यूटी सभी विभागों के समान अनुपात में लगाने की मांग की है। संगठन की ओर से केंद्रीय निर्वाचन आयोग को पत्र भेजकर मतदान सामग्री जमा करने के समय होने वाली अव्यवस्था पर भी रोक लगाने के लिए व्यवस्था करने को कहा है।


एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने कहा कि पिछले कई चुनाव में प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों की ड्यूटी अधिक संख्या में लगाई गई है। एक महीने से परिषदीय शिक्षक बोर्ड परीक्षा करा रहे थे। अब उनकी ड्यूटी चुनाव में लगाई जाएगी, जिससे विद्यालयों में पठन-पाठन और प्रभावित होगा। इसलिए चुनाव में शिक्षकों की ड्यूटी सभी विभागों के समान अनुपात में लगाई जाए। 

UP के मदरसों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, यूपी मदरसा बोर्ड एक्ट 2004 को किया रद्द, यूपी बोर्ड के तहत पढ़ेंगे अब मदरसे के छात्र, हाईकोर्ट ने योगी सरकार को दिए निर्देश

यूपी मदरसा एजुकेशन एक्ट 'असंवैधानिक', हाईकोर्ट ने बताया वहां पढ़ने वाले छात्रों का क्या करना है? देखें कोर्ट ऑर्डर 


यूपी बोर्ड के तहत पढ़ेंगे अब मदरसे के छात्र, हाईकोर्ट ने एजुकेशन एक्ट को असंवैधानिक बता कर योगी सरकार को दिए निर्देश


देखें कार्यकारी आदेश का हिस्सा  👇

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मदरसा एजुकेशन एक्ट को असंवैधानिक घोषित कर दिया है। साथ ही योगी सरकार को दिए निर्देश है कि यूपी बोर्ड के तरह मदरसे के छात्रों को समायोजित किया जाए।

यूपी से एक बड़ी खबर सामने आ रही है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने यूपी बोर्ड आफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 को असंवैधानिक करार दिया है। कोर्ट ने कहा यह एक्ट धर्म निरपेक्षता के सिद्धांत के खिलाफ है। साथ ही कोर्ट ने यूपी सरकार को निर्देश दिया कि मदरसे में पढ़ने वाले छात्रों को यूपी बोर्ड के तहत बुनियादी शिक्षा व्यवस्था में शामिल किया जाए। जानकारी दे दें कि अंशुमान सिंह राठौड़ ने इस संबंध में एक याचिका दायर की थी। 

मदरसा एक्ट धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आगे कहा कि हम मानते हैं कि मदरसा अधिनियम, 2004, धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन है, जो भारत के संविधान की मूल संरचना का एक हिस्सा है, साथ ही अनुच्छेद 14, 21 और 21-ए और भारत के संविधान और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम, 1956 की धारा 22 का उल्लंघन है। ऐसे में मदरसा एक्ट, 2004 को असंवैधानिक घोषित किया जाता है।


यूपी बोर्ड के तहत मदरसा छात्रों को करें समायोजित
हाईकोर्ट के जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी ने कहा कि यूपी राज्य में बड़ी संख्या में मदरसे और मदरसे के छात्र हैं, इसलिए राज्य सरकार को निर्देश दिया जाता है कि वह इन मदरसा छात्रों को प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के तहत मान्यता प्राप्त नियमित स्कूलों और हाई स्कूल और इंटरमीडिएट शिक्षा बोर्ड के तहत मान्यता प्राप्त स्कूलों में समायोजित करने के लिए तुरंत कदम उठाए। 

साथ ही राज्य सरकार यह भी सुनिश्चित करे कि आवश्यकता के अनुसार पर्याप्त संख्या में अतिरिक्त सीटें बनाई जाएं और यदि आवश्यक हो तो पर्याप्त संख्या में नए स्कूल स्थापित किए जाएं। कोशिश करें कि 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चे राज्य की मान्यता प्राप्त संस्थानों में एडमिशन के बिना न रहें।

योगी सरकार से की अपील
वहीं, उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड पर हाईकोर्ट के फैसले पर ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के जनरल सेक्रेटरी शिया धर्मगुरु हज़रत मौलाना यासूब अब्बास का बयान जारी कर कहा कि योगी सरकार से अपील की क़ानून बनाकर मदरसा बोर्ड को ज़िंदा करें।



UP के मदरसों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, यूपी मदरसा बोर्ड एक्ट 2004 को किया रद्द

हाल ही में अंशुमान सिंह राठौर समेत कई लोगों ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 को चुनौती दी थी।

उत्तर प्रदेश बोर्ड ऑफ मदरसा से जुडी इस वक़्त की सबसे बड़ी खबर सामने आ रही है। खबर है कि शनिवार यानी 22 मार्च को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 को रद्द करते हुए असंवैधानिक करार दिया है। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि यह एक्ट धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन करने वाला है। इसके साथ ही अदालत ने यूपी सरकार को इस वक़्त मदरसों में पढ़ रहे छात्रों की शिक्षा के लिए योजना बनाने का निर्देश देते हुए छात्रों को बुनियादी शिक्षा व्यवस्था में समायोजित करने का आदेश भी दिया है।


दरअसल, हाल ही में इस मामले पर अंशुमान सिंह राठौर समेत कई लोगों ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 और उनकी शक्तियों को चुनौती दी थी। इन याचिकाकर्ताओं के तरफ से दायर की गई याचिका में मदरसों के मैनेजमेंट को लेकर भारत सरकार, राज्य सरकार और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा आपत्ति जताई है। आज इसी मामले की सुनवाई के बाद जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की डिवीजन बेंच ने यह आदेश सुनाया है।


क्या है यूपी बोर्ड मदरसा एक्ट 2004 कानून
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पारित यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 कानून राज्य में मदरसों की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए बनाया गया था. जिसके तहत, मदरसों को बोर्ड से मान्यता प्राप्त करने के लिए कुछ न्यूनतम मानकों को पूरा करना की आवश्यकता थी। यह कानून बोर्ड मदरसों को पाठ्यक्रम, शिक्षण सामग्री, और शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए भी दिशा निर्देश प्रदान करता था।

ऐसे में अब इलाहाबाद हाईकोर्ट डबल बेंच के इस फैसले के बाद सभी अनुदानित मदरसों की फंडिंग यानी सरकार की तरफ से मिलने वाली सहायता राशि बंद हो जाएगी और अनुदानित मदरसे भी खत्म हो जाएंगे। गौरतलब है कि हाल ही में हुए जांच में खुलासा हुआ था कि सरकार के तरफ से दिए गए फंडिंग से मदरसों में धार्मिक शिक्षा दी जा रही थी। साथ ही इन मदरसों को विदेशी फंडिंग मिलने की भी कई शिकायतें प्राप्त हुई थी। कोर्ट ने इसे धर्मनिरपेक्षता के बुनियादी सिद्धांतों के विपरीत करार दिया है। 

Friday, March 22, 2024

परिषदीय विद्यालयों में 26 मार्च को भी होली की छुट्टी की मांग

परिषदीय विद्यालयों में 26 मार्च को भी होली की छुट्टी की मांग

लखनऊ। होली पर्व को देखते हुए परिषदीय विद्यालयों में तीन दिन की छुट्टी की मांग कई शिक्षक संघों ने की है।  हर साल बेसिक विद्यालयों में तीन दिन का अवकाश होता रहा है। इससे प्रदेश के दूर जिलों में शिक्षक अपने घर जाकर त्योहार मनाते हैं। इस बार केवल दो दिन 24 व 25 मार्च को ही अवकाश दिया गया है। इससे शिक्षकों को दिक्कत होगी। होली पर 26 मार्च को भी अवकाश घोषित किया जाए।



परिषदीय विद्यालयों में 26 मार्च को भी होली की छुट्टी की जूनियर शिक्षक संघ ने भी की मांग


परिषदीय विद्यालयों में 26 मार्च को भी होली की छुट्टी की प्राथमिक शिक्षक संघ ने भी की मांग





बेसिक शिक्षा परिषद से 26 मार्च 2024 को भी होली पर्व का अवकाश घोषित करने के की जूनियर शिक्षक संघ ने की मांग


हाईकोर्ट में याचिकाओं के निस्तारण के बाद सभी पदों पर रुकी हुई पदोन्नति प्रक्रिया को पुनः शुरू करने की मांग

हाईकोर्ट में याचिकाओं के निस्तारण के बाद सभी पदों पर रुकी हुई पदोन्नति प्रक्रिया को पुनः शुरू करने की मांग


Thursday, March 21, 2024

परिषदीय प्राइमरी और जूनियर विद्यालयों की परीक्षाएं शुरू, रिपोर्ट कार्ड के लिए जारी हो चुका है बजट

परिषदीय प्राइमरी और जूनियर विद्यालयों की परीक्षाएं शुरू, रिपोर्ट कार्ड के लिए जारी हो चुका है बजट


लखनऊ । बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से संचालित प्राइमरी और जूनियर विद्यालयों में वार्षिक परीक्षायें बुधवार को शुरू हो गई। परीक्षा सुबह साढ़े 9 बजे से पहली पाली की परीक्षा शुरू हुई। पहली पाली की परीक्षा 11:45 बजे तक हुई वही, दूसरी पाली में दोपहर 12:15 से 2:45 बजे तक छात्रों ने परीक्षा दी। 


राजधानी सहित प्रदेश भर में शुरू हुई परीक्षा में 1.92 करोड़ बच्चे शामिल हो रहे हैं।  27 मार्च तक चलने वाली परीक्षा के बीच 24 से 26 तक होली का अवकाश भी पड़ेगा। इसके बाद 27 को मौखिक व खेल और क्राफ्ट जैसे विषयों की परीक्षा आयोजित की जायेगी।


बच्चों के रिपोर्ट कार्ड के लिए बजट जारी
 स्कूल शिक्षा महानिदेशक व राज्य परियोजना निदेशालय की ओर से सभी प्राथमिक व जूनियर विद्यालयों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण रिपोर्ट कार्ड उपलब्ध करवाने के लिए बजट जारी कर दिया गया है। इस बारे में सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियो को महानिदेशक की ओर से पत्र भी जारी किया गया है। जारी पत्र के मुताबिक 339.04056 लाख की धनराशि जारी की गई है।



परिषदीय विद्यालयों के पेपरों में मिलीं कई कमियां, 31 मार्च रविवार को प्रगति पत्र वितरित करने के निर्देश

लखनऊ। प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में शैक्षिक सत्र 2023- 24 में कक्षा एक से आठ की वार्षिक परीक्षाएं बुधवार से शुरू हुई। पहले दिन ही पेपर में कमियां मिली और कुछ जगह पर सीधे 50 नंबर का पेपर बना दिया गया। जबकि लिखित परीक्षा 35 और मौखिक परीक्षा 15 नंबर की होनी थी। वहीं बेसिक शिक्षा परिषद ने 31 मार्च को परिणाम वितरित करने के निर्देश दिए। जबकि 31 को रविवार है।

प्रदेश में 20 से 27 मार्च तक कक्षा एक से आठ की वार्षिक
 परीक्षाएं कराने के निर्देश दिए थे। हालांकि काफी कम समय में परीक्षाएं आयोजित करने को लेकर शिक्षक परेशान थे। वहीं पहले दिन ही परीक्षा में काफी कमियां देखने को मिली। शिक्षकों ने बताया कि कुछ जिलों में लिखित परीक्षा का पेपर कक्षा चार-पांच में 35 नंबर का होना था लेकिन उसे भी पूरे 50 नंबर का बना दिया गया था। इसी तरह कक्षा दो-तीन में यह 25 नंबर का होना था लेकिन इसे भी 50 नंबर का बनाया गया था। इसे लेकर काफी ऊहापोह रहा।



लखनऊ। परिषदीय विद्यालय की वार्षिक परीक्षाएं बुधवार से शुरु हुईं। विभाग की ओर से कॉपियों की व्यवस्था न करने पर शिक्षकों ने आपस में चंदा कर खुद से कॉपियां खरीदी। कई विद्यालयों में तो बच्चे अपने घर से कॉपियां लेकर आए और परीक्षा दी। बेसिक शिक्षा विभाग के अनुसार, कंपोजिट ग्रांट के पैसे से ही कॉपियां खरीदने की व्यवस्था है, जबकि विभाग ने सभी विद्यालयों में प्रश्नपत्र मुहैया करा दिए हैं। उधर शिक्षकों ने बताया कि पिछले तीन साल से परीक्षा कराने के लिए किसी तरह का बजट ही जारी नहीं किया गया। कंपोजिट ग्रांट में इतने कम पैसे होते हैं कि स्कूल के कार्य ही नहीं पूरे हो पाते हैं। 

सिद्धार्थनगर में बीएसए-बीईओ व दो बाबुओं पर मुकदमा दर्ज, फर्जी तरीके से स्कूलों की मान्यता दिलाने, फर्जी नियुक्ति कर वेतन भुगतान करने और कर्मचारियों को संरक्षण देने का आरोप

सिद्धार्थनगर में बीएसए-बीईओ व दो बाबुओं पर मुकदमा दर्ज, फर्जी तरीके से स्कूलों की मान्यता दिलाने, फर्जी नियुक्ति कर वेतन भुगतान करने और कर्मचारियों को संरक्षण देने का आरोप

सिद्धार्थनगर : BSA और BEO समेत चार लोगों पर धोखाधड़ी और साजिश रचने के आरोप में मुकदमा दर्ज, जानिए क्या है मामला


सिद्धार्थनगर। सिद्धार्थनगर जिले में फर्जी तरीके से स्कूलों को मान्यता दिलाने तथा कुछ अन्य आरोपों के सिलसिले में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी और खण्ड शिक्षा अधिकारी समेत शिक्षा विभाग के चार कर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। 


पुलिस अधीक्षक प्राची सिंह ने बताया कि संतकबीरनगर जिले के बेलवनिया गांव के विनोद प्रताप सिंह की शिकायत की पुलिस के विशेष कार्यबल (एसटीएफ) ने जांच की थी तथा जांच में आरोपों की पुष्टि होने पर सदर कोतवाली क्षेत्र में बेसिक शिक्षा अधिकारी देवेन्द्र कुमार पांडेय, खण्ड शिक्षा अधिकारी कुंवर विक्रम पांडेय, बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में तैनात लिपिक शिव सागर चौबे और मुकुल मिश्रा के खिलाफ रविवार शाम मुकदमा दर्ज किया गया। 

उन्होंने बताया कि इन अभियुक्तों पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी हस्ताक्षर कर कई स्कूलों को मान्यता दी है, फर्जी उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति की है, गलत तरीके से वेतन निकाला है और उर्दू शिक्षक भर्ती की पत्रावलियों को कार्यालय से गायब किया है। 

सिंह ने बताया कि इस सिलसिले में रविवार शाम सदर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कर जांच की जा रही है। सूत्रों ने बताया कि संतकबीरनगर जिले के बेलवनिया गांव के विनोद प्रताप सिंह द्वारा लगाए गए आरोपों की एसटीएफ द्वारा जांच में पुष्टि होने पर यह मुकदमा पंजीकृत किया गया है। 

सूत्रों ने दर्ज रिपोर्ट के हवाले से बताया कि सिद्धार्थनगर जिले के तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी राम सिंह ने 10 फरवरी 2021 और 30 नवंबर 2021 को जिलाधिकारी और बेसिक शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों को पत्र लिखकर अपने फर्जी हस्ताक्षर करके कुछ विद्यालयों को मान्यता दिलाये जाने और फर्जी तरीके से उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति कर वेतन भुगतान किये जाने का आरोप लगाते हुए उसकी जांच की मांग की थी। 

विनोद प्रताप सिंह के अनुसार जब उन्हें इस कथित जालसाजी की जानकारी हुई तो उन्होंने भी उच्च अधिकारियों से इस प्रकरण की जांच की मांग की। उनके मुताबिक जब कोई निष्कर्ष नहीं निकला तो उन्होंने मौजूदा बेसिक शिक्षा अधिकारी देवेंद्र कुमार पांडे की इस मामले में भूमिका को संदिग्ध मानते हुए मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत की। 

विनोद प्रताप सिंह ने बताया कि उन्होंने साथ ही, देवेंद्र कुमार पांडे द्वारा पूर्व जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राम सिंह के पत्र पर जांच करने के बजाय संदेहास्पद भूमिका वाले दोनों लिपिकों को संरक्षण दिये जाने और जालसाजों के साथ मिलकर पत्रावलियों को गायब करने की आशंका व्यक्त करते हुए पुलिस के विशेष कार्यबल के अपर पुलिस महानिदेशक अमिताभ यश से भी इसकी शिकायत की थी। सूत्रों के मुताबिक एसटीएफ ने इस मामले की जांच की और वादी विनोद प्रताप सिंह द्वारा लगाए गए आरोपों को सही पाया। 


विभिन्न आरोपों के चलते BSA व अन्य के खिलाफ FIR दर्ज

NMOPS: पुरानी पेंशन के लिए जोर पकड़ेगा VOTE 4 OPS अभियान

NMOPS: पुरानी पेंशन के लिए जोर पकड़ेगा VOTE 4 OPS अभियान


लखनऊ। नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) ने लोकसभा चुनाव-2024 में राजनीतिक दलों से पुरानी पेंशन बहाली और निजीकरण की समाप्ति को घोषणा पत्र में शामिल करने की मांग की है। साथ ही पूरे देश में वोट फॉर ओपीएस का अभियान और तेज करने की बात कही है। 


संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बन्धु ने इसके लिए देश के प्रमुख राजनीतिक दलों को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि एनएमओपीएस और अटेवा की ओर से चलाए जा रहे आंदोलन के कारण ही राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, हिमाचल प्रदेश में शिक्षकों- कर्मचारियों को पुरानी पेंशन मिली है। लोकसभा चुनावों में पुरानी पेंशन की बहाली व निजीकरण की समाप्ति एक अहम मुद्दा होगा। 

Tuesday, March 19, 2024

यूपी बोर्ड की कॉपियां लेकर पहुंचे शिक्षक की मुजफ्फरनगर में हत्या के विरोध में किया शिक्षकों का कार्य बहिष्कार, कई केंद्रों पर शिक्षकों ने नहीं जांचीं कॉपियां

यूपी बोर्ड की कॉपियां लेकर पहुंचे शिक्षक की मुजफ्फरनगर में हत्या के विरोध में किया शिक्षकों का कार्य बहिष्कार, कई केंद्रों पर शिक्षकों ने नहीं जांचीं कॉपियां


प्रयागराज । यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट कॉपियां वाराणसी से लेकर मुजफ्फरनगर पहुंचे राजकीय हाईस्कूल महंगाव वाराणसी के शिक्षक धर्मेन्द्र कुमार की हत्या के विरोध में सोमवार को 13 जिलों के 34 केंद्रों पर शिक्षकों ने कॉपियां नहीं जांची। यूपी बोर्ड की ओर से सभी 75 जिलों में निर्धारित 259 मूल्यांकन केंद्रों में से 225 में सोमवार को कुल 29,32,990 कॉपियां जांची गई।

तीन दिन में 67,31,957 उत्तरपुस्तिकाएं जांची जा चुकी हैं। सोमवार को प्रयागराज के सात, मुजफ्फरनगर के पांच, वाराणसी के चार, लखनऊ, चंदौली व सिद्धार्थनगर के तीन-तीन, सोनभद्र व बहराइच के दो-दो, गोरखपुर, संभल, कन्नौज, जालौन व अमेठी के एक-एक केंद्र पर मूल्यांकन कार्य स्थगित रहा।

■ धर्मेन्द्र कुमार की मौत पर जीआईसी में गरजे शिक्षक, सभा कर दी श्रद्धांजलि

■ जीआईसी में शिक्षकों ने की सभा, केंद्रों पर जमकर की नारेबाजी

■ मृतक के आश्रित को एक करोड़ मुआवजा के साथ जांच की उठाई मांग

हत्या के विरोध में कार्य बहिष्कार करते हुए शिक्षकों ने राजकीय इंटर कॉलेज में प्रदर्शन किया और सभा कर श्रद्धांजलि दी। सभा में शिक्षक नेताओं ने मृतक के आश्रित को एक करोड़ मुआवजा, पत्नी आश्रित को सेवानिवृत्ति तक पूर्ण वेतन और हत्याकांड की जांच व तत्काल न्याय की मांग उठाई। 

माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष पूर्व एमएलसी सुरेश कुमार त्रिपाठी, ठकुराई गुट के प्रदेश महामंत्री लालमणि द्विवेदी, राजकीय शिक्षक संघ के रामेश्वर पांडे, रवि भूषण, अनुज कुमार पांडे, राम प्रकाश पांडे, जगदीश प्रसाद, रविंद्र कुमार त्रिपाठी, कौशलेश प्रसाद त्रिपाठी, उमेश कुमार द्विवेदी, डॉ. विक्रमजीत यादव, डॉ. चन्द्र मणि, सुधीर कुमार मिश्र आदि ने मूल्यांकन केंद्रों पर पहुंचकर मूल्यांकन बंद करवाया और शोक सभा की।

 प्रदर्शन करने वालों में अरुण यादव, मौजूद अहमद, ओपी यादव, जुबेर अहमद, राकेश पांडेय, अभय उपाध्याय, डीडी ओझा, राकेश निर्मल, राजकुंवर, रवि त्रिपाठी, डॉ. देवी शरण त्रिपाठी, डॉ. सुनील कुमार शुक्ल, विनोद कुमार सिंह, मोहन चौधरी, अंजनी कुमार सिंह, शांति भूषण, योगेश कुमार मिश्रा, आदि शामिल रहे। माध्यमिक शिक्षक संघ एकजुट के प्रदेश उपाध्यक्ष उपेन्द्र वर्मा, प्रदेश संरक्षक डॉ. हरिप्रकाश यादव, देवराज सिंह, लक्ष्मी नारायण, यशवंत यादव, मो. जावेद, मिथलेश मौर्य, सुरेंद्र प्रताप, तीर्थराज पटेल, मंत्री सुरेश पासी व अशोक कनौजिया ने भी प्रदर्शन किया।


शिक्षक की सिपाही द्वारा गोलियां बरसाकर हत्या किये जाने के मामले में विभाग हुआ गंभीर, परिवार के लिए आर्थिक सहायता के लिए शासन को भेजी रिपोर्ट 

मुजफ्फरनगर। जनपद में वाराणसी से यूपी बोर्ड की उत्तर पुस्तिका लेकर आये शिक्षक धर्मेन्द्र कुमार सिंह की सिपाही चन्द्रप्रकाश द्वारा सरकारी कार्बाइन से गोयिलां बरसाकर हत्या किये जाने के मामले में शासन भी गंभीर है तो शिक्षा जगत में शोक का वातावरण बना हुआ है। 

उत्तर प्रदेश के शिक्षा निदेशक माध्यमिक डाॅ. महेन्द्र देव द्वारा जनपद से डीआईओएस डाॅ. धर्मेन्द्र शर्मा की भेजी गई रिपोर्ट पर त्वरित कार्यवाही करते हुए शासन से पीड़ित परिवार के लिए आर्थिक सहायता मांगी है। 

सोमवार को शिक्षक धर्मेन्द्र सिंह का कत्ल होने के बाद मूल्यांकन केन्द्र चौ. छोटूराम इंटर काॅलेज के बाहर सरकूलर रोड को जाम कर धरना देने वाले शिक्षकों के बीच कई नेता भी पहुंचें। 

वहीं दूसरी ओर डीआईओएस डाॅ. धर्मेन्द्र शर्मा द्वारा भेजी गई रिपोर्ट के आधार पर उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा विभाग के निदेशक डाॅ. महेन्द्र देव ने भी शिक्षक की हत्या पर संवेदना व्यक्त करने के साथ ही शासन को परिवार के लिए आर्थिक सहायता अविलम्ब घोषित करने की मांग करते हुए रिपोर्ट भेज दी है। 


शराब के नशे में बार-बार मांग रहा था तंबाकू, विरोध करने पर सिपाही ने सरकारी कार्बाइन से अधाधुंध गोलियां बरसाकर ले ली शिक्षक की जान


यूपी बोर्ड की कॉपियां लेकर एक टीम बनारस से मुजफ्फरनगर आई थी। गाड़ी में किसी बात को लेकर सिपाही और शिक्षक के बीच बहस शुरू हो गई। विवाद इतना ज्‍यादा बढ़ गया कि सिपाही ने टीचर पर कई राउंड फायरिंग कर दी जिससे उसकी मौत हो गई।


मुजफ्फरनगर: यूपी के मुजफ्फरनगर से बड़ी वारदात सामने आई है। रविवार देर रात यहां मामूली सी बात पर एक पुलिसकर्मी ने स्‍कूल टीचर पर गोलियां बरसा दीं। टीचर की मौके पर ही मौत हो गई। बताया जा रहा है कि वाराणसी से एक पुलिस टीम यूपी बोर्ड की कॉपियां लेकर मुजफ्फरनगर आई थी। इसी दौरान गाड़ी में किसी बात को लेकर बहस होने लगी। 

देखते ही देखते हेड कॉन्‍स्‍टेबल ने शिक्षक पर कार्बाइन से कई राउंड फायरिंग कर दी। यह घटना सिविल लाइन थाना क्षेत्र के एसडी इंटर कॉलेज के पास हुआ। गोलाबारी के बाद पूरे इलाके में हड़कंप मच गया। पुलिस ने आरोपी पुलिसकर्मी को हिरासत में ले लिया, जबकि शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया।

पुलिस के अनुसार, यूपी बोर्ड उत्तर पुस्तिकाओं को मूल्यांकन के लिए एक ट्रक में भरकर वाराणसी से लाया गया था। ट्रक में सवार शिक्षक और उनकी सुरक्षा में चल रहे पुलिसकर्मी के बीच किसी बात को लेकर हुए विवाद के बाद फायरिंग हुई। पुलिसकर्मी की सरकारी रायफल की गोली लगने से शिक्षक की मौत हो गई। शिक्षक मूल रूप से जनपद चंदौली का बताया जा रहा है।

14 मार्च को बनारस से चली थी टीम
एसपी सिटी सत्यनारायण प्रजापत ने बताया कि मुख्य आरक्षी चन्द्रप्रकाश ने अध्यापक धर्मेन्द्र कुमार को गोली मार दी। वाराणसी से यूपी बोर्ड हाईस्कूल परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाएं लेकर अध्यापक धर्मेन्द्र कुमार और संतोष कुमार एक पुलिस टीम के साथ 14 मार्च को चले थे। प्रयागराज, शहाजहांपुर, पीलीभीत, मुरादाबाद, बिजनौर में कॉपियां उतारकर ये लोग देर रात में मुजफ्फरनगर पहुंचे थे। एसडी इंटर कॉलेज का दरवाजा बंद होने के कारण गाड़ी में ही विश्राम कर रहे थे। गाड़ी में आगे ड्राइवर के साथ सब इंस्पेक्टर नागेंद्र चौहान और अध्यापक संतोष कुमार थे। पीछे मुख्य आरक्षी चन्द्रप्रकाश, अध्यापक धर्मेन्द्र कुमार और दोनों चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी थे।

किसी को आराम नहीं करने दे रहा था मुख्‍य आरक्षी
पुलिस ने बताया कि अभी तक ये जानकारी मिली है कि मुख्य आरक्षी चन्द्रप्रकाश शराब के नशे में था और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों से बार-बार तंबाकू मांग रहा था और किसी को आराम नहीं करने दे रहा था। जब अध्यापक धर्मेन्द्र कुमार ने इस पर आपत्ति की तो चन्द्रप्रकाश ने उन पर सरकारी कार्बाइन से फायरिंग कर दी। गोली लगने से अध्यापक धर्मेन्द्र गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्‍हें अस्‍पताल में भर्ती कराया गया जहां डॉक्‍टरों ने मृत घोषित कर दिया।



Muzaffarnagar: तंबाकू देने से किया इनकार तो सिपाही ने टीचर को गोलियों से भूना, सरकारी कार्बाइन से किए कई राउंड फायर

Muzaffarnagar News: हत्यारोपी सिपाही शराब के नशे में था और वह रात के समय टीचर से तंबाकू की मांग कर रहा था. तंबाकू ना देने पर आरोपी सिपाही ने इस घटना को अंजाम दे डाला. गोलियों की आवाज से मौके पर हड़कंप मच गया.

यूपी के मुजफ्फरनगर में एक सिपाही ने टीचर की गोली मारकर हत्या कर दी. सिपाही ने सरकारी कार्बाइन से टीचर को गोली मारी. घटना के वक्त सिपाही और टीचर एक ही वाहन में सवार थे. वे यूपी बोर्ड हाई स्कूल परीक्षा की कॉपी लेकर वाराणसी से मुजफ्फरनगर आए थे. तभी वाहन में दोनों के बीच विवाद हो गया, जिसके चलते सिपाही ने ये खौफनाक कदम उठा डाला. 

जानकारी के मुताबिक, देर रात वाराणसी से यूपी बोर्ड हाई स्कूल परीक्षा की कॉपी लेकर मुजफ्फरनगर पहुंची टीम में शामिल एक पुलिस ने मामूली बात पर साथ बैठे एक टीचर को गोलियों से भून डाला. घटना की सूचना पर पहुंची पुलिस ने घायल टीचर को उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया, जहां डॉक्टर द्वारा उसे मृत घोषित कर दिया गया. 

फिलहाल, पुलिस ने मृतक टीचर के शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया है, साथ ही टीम में शामिल सभी लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया है. घटना के बाद मृतक के परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है. 

बताया जा रहा है कि हत्यारोपी सिपाही शराब के नशे में था और वह रात के समय टीचर से तंबाकू की मांग कर रहा था. तंबाकू ना देने पर आरोपी सिपाही ने इस घटना को अंजाम दे डाला. गोलियों की आवाज से मौके पर हड़कंप मच गया.

दरअसल, 14 मार्च को वाराणसी से एक टीम यूपी बोर्ड हाई स्कूल परीक्षा की कॉपी लेकर अन्य जनपदों में स्थित कॉलेज में जमा करने के लिए निकली थी. जिसमें टीचर धर्मेंद्र कुमार, संतोष कुमार और पुलिस टीम में उप निरीक्षक नागेंद्र चौहान मुख्य आरक्षी चंद्र प्रकाश के साथ दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी जितेंद्र मौर्य व कृष्ण प्रताप शामिल थे. 

यह टीम प्रयागराज, शाहजहांपुर, पीलीभीत, मुरादाबाद और बिजनौर में कॉपियां उतारकर रविवार की देर रात मुजफ्फरनगर के सिविल लाइन थाना क्षेत्र स्थित एसडी इंटर कॉलेज पर पहुंची थी. लेकिन कॉलेज के गेट बंद होने के चलते टीम रात के समय गाड़ी में ही आराम कर रही थी. 

बताया गया कि इसी दौरान टीम में शामिल कॉन्स्टेबल चंद्रप्रकाश द्वारा टीचर धर्मेंद्र कुमार से तंबाकू की मांग की गई, जिस पर तंबाकू ना देने के चलते शराब के नशे में चूर चंद्रप्रकाश ने अपनी कार्बाइन से टीचर धर्मेंद्र पर फायरिंग कर दी. जिसमें कई गोलियां लगने से टीचर धर्मेंद्र गंभीर रूप से घायल हो गए. 

घटना की सूचना पर पहुंची स्थानीय पुलिस ने घायल टीचर को उपचार के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया, जहां डॉक्टरों ने उपचार के दौरान टीचर को मृत घोषित कर दिया. जिसके बाद पुलिस ने जहां टीचर के शव का पंचनामा भर पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया तो वहीं टीम में शामिल सभी लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया है. 


पुलिस ने क्या बताया? 

इस घटना की अधिक जानकारी देते हुए एसपी सिटी सत्यनारायण प्रजापति ने बताया कि दिनांक 17/18 मार्च 2024 की रात्रि में लगभग 1:45 पर थाना सिविल लाइन को सूचना प्राप्त हुई की एसडी इंटर कॉलेज के सामने एक धर्मेंद्र नामक युवक को गोली लगी है. इस सूचना पर थाना पुलिस द्वारा तुरंत मौके पर पहुंचकर जब जानकारी की गई तो यह प्रकाश में आया कि वाराणसी से यूपी हाईस्कूल की कॉपी जमा कराने के लिए एक टीम जनपद वाराणसी से दिनांक 14 मार्च को चली थी. जिसमें दो अध्यापक, दो चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी एवं सुरक्षा गार्ड में एक सब इंस्पेक्टर और एक हेड कांस्टेबल तैनात थे. इसके अलावा ड्राइवर और कंडक्टर भी थे. 

यह लोग अलग-अलग जनपदों में कॉपियां वितरित करते हुए देर शाम जनपद मुजफ्फरनगर पहुंचे थे, जहां एसडी इंटर कॉलेज में इनको कॉपी जमा करनी थी लेकिन गेट बंद होने की वजह से यह सभी लोग अपनी गाड़ी बाहर खड़ी करके विश्राम कर रहे थे. इसमें शामिल एक हेड कॉन्स्टेबल चंद्र प्रकाश द्वारा धर्मेंद्र नामक व्यक्ति को परेशान किया जा रहा था. कॉन्स्टेबल बार-बार उनसे तंबाकू भी मांग रहा था. धर्मेंद्र ने जब इस बात पर आपत्ति जाहिर की तो चंद्रप्रकाश के द्वारा अपनी कार्बाइन से फायर कर दिया गया. जिसमें धर्मेंद्र को कई राउंड गोलियां लगी हैं.