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Friday, March 31, 2023

कमीशन का खेल : हर स्कूल की किताबों के अलग-अलग हैं तय दुकानदार, उन्हीं से खरीदना है अभिभावकों की मजबूरी, महंगाई की मार अलग से

कमीशन का खेल : हर स्कूल की किताबों के अलग-अलग हैं तय दुकानदार, उन्हीं से खरीदना है अभिभावकों की मजबूरी, महंगाई की मार अलग से



प्रयागराज। नए सत्र की शुरुआत में महज दो दिन बाकी हैं, लेकिन अभिभावकों की चिंता बढ़ने लगी है। इसके पीछे बड़ा कारण है कि बच्चों की किताबों और स्टेशनरी के बढ़े हुए दाम पिछले सालों के मुकाबले इस बार किताबों के सेट और स्टेशनरी में करीब 24 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो गई है, जबकि अभी स्कूल ड्रेस, फीस आदि बाकी है। ऐसे में बच्चों की किताबें लेने दुकान पहुंच रहे अभिभावकों के चेहरों पर अप्रैल माह में बढ़े हुए खर्च को लेकर शिकन साफ देखी जा सकती है।


शहर के निजी स्कूलों ने खुद तो किताब, स्टेशनरी, स्कूल यूनिफार्म आदि बेचना भले ही बंद कर दिया है, लेकिन उन्होंने शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में दुकानों को तय कर रखा है। किताबों के सेट के नाम पर किताबों के साथ ही रिफरेंस बुक, कापियां, किताबों पर चढ़ाने वाली जिल्द, वर्कबुक आदि को एक साथ हजारों रुपये में बेचा जाता है।


किसी भी एक विषय की एक किताब दुकानों पर मिलना लगभग नामुमकिन होता है। ऐसे में अभिभावकों को मजबूरी में बच्चों के लिए पूरे सेट की किताबों को लेना मजबूरी हो जाती है। किताबों की कुछ दुकानों पर छूट के नाम पर किताबों पर चढ़ने वाली जिल्द दे देते हैं। यह हाल शहर के लगभग सभी निजी स्कूलों का है। इसमें बड़ा खेल कमीशन बाजी का होता है।


स्टेशनरी और अलग-अलग कक्षाओं की किताबों के सेट के अलावा भी दुकानदारों के यहां लगी सूची में अलग-अलग किताबों और प्रैक्टिस बुक की लिस्ट भी कक्षावार शामिल की गई है। इसमें प्री राइटिंग बुक, हिंदी प्रवेश ईवीएस डब्ल्यूबी, इंग्लिश डब्ल्यूवी, लिटिल आर्ट, एक्टिविटी, जीओ क्रिएटिव, वैल्यूम, मेंटल मैथ, कंप्रिनसन, गणित, भूगोल समेत अन्य किताबों को शामिल किया गया है। सेट के अलावा इन किताबों को लेना अभिभावकों की मजबूरी है।


दसवीं से महंगी कक्षा छह से नौवीं तक की किताबें

प्रयागराज। निजी स्कूलों की किताबों के दामों में खास बात है कि इसमें दसवीं से ज्यादा महंगी कक्षा छह से नौवीं तक की किताबें हैं। विभिन्न स्कूलों की किताबों के सेट दसवीं का लगभग 6450 रुपये के आस-पास है। वहीं कक्षा छह की किताबों की कीमत 8670, सातवीं का 8670, आठवीं 8780 और नौवीं की 8260 रुपये के करीब है। कुछ स्कूलों में किताबों के पूरे सेट की कीमत पिछले साल के मुकाबले दो हजार रुपये तक की बढ़ोतरी इस बार देखने को मिल रही है। हिंदी माध्यम के निजी स्कूलों में कक्षा एक से पांचवीं तक की किताबों की कीमत 1700 रुपये से लेकर 2300 रुपये तक है।

सत्र के पहले दिन ही कक्षा 3 से 8 तक के बच्चों को सभी विषयों की किताबें देने की तैयारी, एक व दो की किताबें भी जल्द पहुंचेंगी

सत्र के पहले दिन ही कक्षा 3 से 8 तक के बच्चों को सभी विषयों की किताबें देने की तैयारी, एक व दो की किताबें भी जल्द पहुंचेंगी 


लखनऊ। एक अप्रैल से स्कूलों में नया सत्र शुरू हो रहा है। इस सत्र में पहली बार पहले ही दिन बच्चों को सभी विषयों की किताबें मिल जाएंगी। इससे पठन-पाठन सुचारु रूप से संचालन करने में शिक्षकों और विद्यार्थियों को आसानी होगी। विभाग ने पूरी तैयारी कर ली है।


पूर्व में नया सत्र शुरू होने के महीनों बाद तक किताबों का वितरण होता रहता था। इससे शुरुआत के महीनों में पठन-पाठन व्यवस्था पटरी पर नहीं आ पाती थी। लेकिन इस बार बेसिक शिक्षा विभाग ने किताबों की आपूर्ति से जुड़ी प्रक्रिया काफी पहले शुरू कर दी। इसका असर रहा कि इस बार सत्र शुरू होने से पहले ही कक्षा तीन से आठ तक की 95 फीसदी किताबें स्कूलों में पहुंच चुकी हैं। 


विभाग के अनुसार प्रदेश में लगभग 11 करोड़ किताबों की आपूर्ति की जा चुकी है। इस बार एक-एक विषय की किताबें नहीं, बल्कि पहले दिन ही सभी विषय की किताबों का बंच बच्चों को दिया   जाएगा। विभाग ने पहले दिन ही किताब वितरण के निर्देश दिए हैं। हाल में योगी सरकार के एक साल पूरे होने पर श्रावस्ती, इटावा, हापुड़ आदि जिलों में जनप्रतिनिधियों व अफसरों ने बच्चों को पाठ्य पुस्तक का वितरण कर भी दिया है। 



लगभग सभी स्कूलों तक कक्षा तीन से आठ की 11 करोड़ किताबें पहुंच गई हैं। सभी बीएसए को पहले दिन इनका वितरण कराने के लिए निर्देश दिए गए हैं। इसमें जनप्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाएगा। अप्रैल मध्य तक कक्षा एक व दो की भी किताबें पहुंचाने की प्रक्रिया चल रही है। - विजय किरन आनंद, - महानिदेशक, स्कूल शिक्षा

बेसिक शिक्षा : समय से नहीं दे सकेंगे बच्चों को रिपोर्ट कार्ड, लेट-लतीफी की वजह से अंकपत्र का नहीं हो सका मुद्रण, अन्तिम समय में आए निर्देशों ने बढ़ाया काम

बेसिक शिक्षा : समय से नहीं दे सकेंगे बच्चों को रिपोर्ट कार्ड,  लेट-लतीफी की वजह से अंकपत्र का नहीं हो सका मुद्रण, अन्तिम समय में आए निर्देशों ने बढ़ाया काम


 प्रदेश के एक लाख 33 हजार प्राइमरी व उच्च माध्यमिक स्कूलों में 31 मार्च को वितरित होने हैं अंकपत्र


प्रदेश के निजी शिक्षण संस्थानों के साथ कदमताल करने की कोशिश में जुटे शिक्षा विभाग में लेट- लतीफी की बीमारी दूर नहीं हो पा रही है। आलम यह है कि प्रदेश के एक करोड़ 90 लाख बच्चे 31 मार्च को सिर्फ इसलिए कागज पर अंकपत्र नोट करेंगे, क्योंकि बजट जारी होने में देरी होने की वजह से बच्चों को दिए जाने वाले अंकपत्र का मुद्रण नहीं हो सका है। फजीहत से बचने के लिए अब शिक्षा विभाग के अधिकारी शिक्षकों पर कंप्यूटर से प्रिंट आउट निकलवाकर बच्चों को देने का दबाव बना रहे हैं।


प्रदेश के एक लाख 33 हजार प्राइमरी और उच्च माध्यमिक स्कूलों में 31 मार्च को अंकपत्र वितरित किए जाने हैं। अंकपत्रों के मुद्रण के लिए 25 मार्च को शिक्षा विभाग ने पत्र जारी किया है, जो 27 मार्च तक जिला मुख्यालयों में अफसरों तक पहुंचा है। इससे ज्यादातर जिलों में अभी तक अंकपत्र मुद्रित नहीं हो सके हैं। जिन जिलों में मुद्रण के लिए गए भी हैं, वहां मुद्रित होने के बाद उन्हें तैयार करने के लिए पर्याप्त समय नहीं है। 


ऐसे में अब प्रत्येक जिले के परिषदीय स्कूलों में बच्चों को 31 मार्च को कागज पर ही अंक नोट करने पड़ेंगे। शिक्षकों ने बताया कि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है, गत वर्ष भी बजट देरी से जारी होने की वजह से बच्चों को कागज पर अंक नोट कराए गए थे। शिक्षकों ने बताया कि गत वर्ष इसे लेकर अभिभावकों ने कड़ी आपत्ति दर्ज़ कराई थी।


पांचवीं और आठवीं के बच्चों को होगी ज्यादा परेशानी

अंकपत्र समय पर नहीं मिलने से सबसे ज्यादा परेशानी पांचवीं और आठवीं के बच्चों को होती है। इससे नए स्कूल में प्रवेश लेने की उनकी योजना प्रभावित होती है। कई बार बच्चे अपने मनचाहें स्कूल में प्रवेश तक नहीं ले पाते हैं।


जिलों में कंटीन्जेसी फंड उपलब्ध होता है, जिससे अंकपत्र छपवाए जा सकते हैं। सामान्य तौर पर अंकपत्र छपवाने के बाद ही शिक्षकों को उस पर हुए खर्च की प्रतिपूर्ति की जाती है। प्रश्न-पत्र, अंकपत्र छपवाने के लिए इस वर्ष के बजट में 40 करोड़ रुपये का प्राविधान था । हम इस धनराशि को आहरित कर रहे हैं। यदि 31 मार्च को किसी बच्चे को अंकपत्र नहीं मिल पाता है, तो उसे अगले एक हफ्ते में उपलब्ध कराया जाएगा। आठवीं तक के बच्चे अगली कक्षा में प्रमोट हो जाते हैं। इस मामले में यदि कहीं लापरवाही हुई है, तो इसे दिखवाएंगे।– विजय किरन आनंद, महानिदेशक स्कूल शिक्षा |

PFMS पोर्टल : लटका भुगतान, पंजीकृत वेंडर को किया भुगतान, खाते में नहीं पहुंची रकम, तकनीक नई पड़ी भारी

पीएफएमएस पोर्टल :  लटका भुगतान, पंजीकृत वेंडर को किया भुगतान, खाते में नहीं पहुंची रकम, तकनीक नई पड़ी भारी


लखनऊ। परिषदीय स्कूलों के शिक्षक विकास कार्य कराने के बाद पीएफएमएस पोर्टल (सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली) से भुगतान नहीं कर पा रहे हैं। बेसिक शिक्षकों ने बताया कि पीएफएमएस पोर्टल से भुगतान करने के लिए उन्हें सही से प्रशिक्षित ही नहीं किया गया। ऊपर से मार्च अंत में लगातार भेजी गई धनराशि, कंपोजिट ग्रांट, एसीआर, चहक और टीएलएम  आदि मदों में आए पैसे को 31 मार्च से पूर्व खर्च करने का दबाव भी है। बताते हैं बैंकिंग क्षेत्र पर भी मार्च का डिजिटल दबाव भी समस्या को और भयावह बना रहा है।


पीएफएमएस पोर्टल के माध्यम से पंजीकृत वेंडर के बैंक खाते में ही विकास कार्य के सापेक्ष धनराशि ट्रांसफर करनी होती है। यह प्रक्रिया काफी जटिल है। पीएफएमएस के लिए पहले पोर्टल से पीपीए प्रपत्र जनरेट कर डाउनलोड करना होगा। इस पर प्रबंध समिति यानी एसएमसी के अध्यक्ष व सचिव के हस्ताक्षर होंगे। फिर यह भुगतान के लिए बैंक में जाएगा। पीपीए जनरेट होने के बाद भी कई स्कूलों का भुगतान लटक रहा है। वहीं, कई स्कूल सर्वर धीमा होने से पीपीए जनरेट भी नहीं कर पा रहे हैं। यदि 31 मार्च से पहले ट्रांजेक्शन सफल नहीं हुआ तो पैसा लैप्स होने का खतरा है। ऐसे में उन शिक्षकों को अधिक दिक्कत होगी जिन्होंने अपने निजी संबंधों पर एडवांस में काम करवा लिया है और पीएफएमएस से भुगतान लटक गया है। हालांकि जिम्मेदारों का कहना है कि जिन शिक्षकों ने सही ढंग से पीपीए जनरेट कर लिया है, उनका पैसा लैप्स नहीं होगा।


काम भी अटका, भुगतान भी लटका

कई शिक्षकों ने बताया कि पीएफएमएस पोर्टल से भुगतान का प्रयास किया तो बैंक खाते से पैसे कट गए लेकिन वेंडर के खाते में नहीं पहुंचे। लेखाधिकारी कार्यालय में कोई इस बारे में सही जानकारी नहीं दे पा रहा है। ऐसे में काम व भुगतान दोनों लटक गए हैं। प्रशिक्षण के अभाव में कुछ समझ नहीं आ रहा है।


जिम्मेदार तुरंत लें सटीक निर्णय

बैंक द्वारा पैसा वेंडरों के खाते में नहीं जाने के स्थान पर वापस हो रहा है। शिक्षकों को डर है कि कहीं ये पैसा महीने के अंत में लैप्स न हो जाए।  इस पर निर्णय लिया जाना अति आवश्यक है। - विनय कुमार सिंह, प्रांतीय अध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन

21.66 लाख विद्यार्थियों के खातों में भेजी गई छात्रवृत्ति, रह गए छात्रों के लिए 15 अप्रैल से 15 जून के बीच पुनः खोला जाएगा पोर्टल

21.66 लाख विद्यार्थियों के खातों में भेजी गई छात्रवृत्ति, रह गए छात्रों के लिए 15 अप्रैल से 15 जून के बीच पुनः खोला जाएगा पोर्टल


लखनऊ। समाज कल्याण विभाग की ओर से पूर्व दशम व दशमोत्तर छात्रवृत्ति योजना के तहत 21.66 लाख विद्यार्थियों के खाते में छात्रवृत्ति भेज दी गई है। 


वित्तीय वर्ष 2022-23 में एससी व सामान्य वर्ग के 21,66,298 विद्यार्थियों को 1316 करोड़ की राशि भेजी गई है। इसके तहत पूर्व दशम छात्रवृत्ति में 5,58,705 विद्यार्थियों के लिए 88.18 करोड़ और दशमोत्तर छात्रवृत्ति में 16,07,593 विद्यार्थियों के लिए 1227.89 करोड़ की राशि जारी की गई है। 


विभाग के अनुसार सभी लाभार्थियों को उनके आधार आधारित खातों में धनराशि भेजी जा रही है। वहीं अनुसूचित जाति एवं जनजाति के विभाग में छात्रवृत्ति के लिए आवेदन करने वाले कुछ विद्यार्थियों के आवेदन शिक्षण संस्थान की ओर से अग्रसारित नहीं किए जा सके थे। तकनीकी कारण से भी कुछ छात्रों को छात्रवृत्ति नहीं भेजी जा सकी। इनके लिए विभाग 15 अप्रैल से 15 जून के बीच फिर पोर्टल खोलेगा। ताकि पात्र छात्र - छात्राओं को छात्रवृत्ति दी जा सके। 


समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने कहा, सभी पात्र छात्र-छात्राओं के खातों में छात्रवृत्ति भेजी जा रही है। कुछ विद्यार्थियों के आवेदन शिक्षण संस्थान के स्तर से अग्रसारित न किए जाने या अन्य तकनीकी कारणों से व्यवधान हुआ है, उनके लिए 15 अप्रैल से 15 जून के बीच पोर्टल खोला जाएगा। 

प्रदेश के सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में नियुक्त तदर्थ शिक्षकों के विनियमितीकरण की जांच के सम्बन्ध में।

प्रदेश के सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में नियुक्त तदर्थ शिक्षकों के विनियमितीकरण की जांच के सम्बन्ध में।


Thursday, March 30, 2023

शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्यों में लगाना अब नहीं होगा आसान, पीएम-श्री स्कूलों से होगी शुरुआत, सभी राज्यों से यह गारंटी लेने में जुटा है शिक्षा मंत्रालय

शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्यों में लगाना अब नहीं होगा आसान, पीएम-श्री स्कूलों से होगी शुरुआत, सभी राज्यों से यह गारंटी लेने में जुटा है शिक्षा मंत्रालय 

शिक्षा मंत्रालय की यह पहल यदि रंग लाई तो शिक्षकों से अब पढ़ाने के अतिरिक्त दूसरा कोई काम नहीं लिया जा सकेगा। फिलहाल इसे लेकर चिंतित मंत्रालय इन दिनों नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत सभी राज्यों से यह गारंटी लेने में जुटा है।


नई दिल्ली। स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने में जुटे शिक्षा मंत्रालय की यह पहल यदि रंग लाई तो शिक्षकों से अब पढ़ाने के अतिरिक्त दूसरा कोई काम नहीं लिया जा सकेगा। फिलहाल स्कूलों में शिक्षकों के पास पढ़ाई के अतिरिक्त इन दिनों प्राथमिकता का जो काम है, वह बच्चों को समय पर मिड-डे मील मुहैया कराने का है।


एक शिक्षक के भरोसे चल रहे देश में ढाई लाख स्कूल

ऐसे में उनका हर दिन फोकस उसे ही तैयार कराने और बच्चों को खिलाने पर रहता है। फिलहाल इसे लेकर चिंतित मंत्रालय इन दिनों नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत सभी राज्यों से यह गारंटी लेने में जुटा है, जिनमें शिक्षकों को किसी भी गैर-शैक्षणिक कार्य में न लगाया जाए। स्कूली शिक्षा की यह स्थिति देश के करीब डेढ़ लाख स्कूलों में और भी चिंताजनक है, जो सिर्फ एक ही शिक्षक के भरोसे चल रहे है। ऐसे में वह पढ़ाई कराए या फिर मिड-डे मील तैयार करवाएं।


सभी राज्यों से स्कूलों के चयन की प्रक्रिया अंतिम चरणों में

 मंत्रालय ने यह पहल उस समय तेज की है, जब नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत वह प्रत्येक ब्लॉक के दो स्कूलों को पीएम- श्री स्कीम के तहत अपग्रेड करने जा रही है। इसके लिए सभी राज्यों से स्कूलों के चयन की प्रक्रिया अंतिम चरणों में है। हालांकि इस स्कीम का लाभ सिर्फ उन्हीं राज्यों को मिलेगा,जो अपने यहां पूरी तरह से नीति के अमल की गारंटी देंगे।


राज्यों को इसे लेकर शिक्षा मंत्रालय के साथ एक अनुबंध भी करना है। फिलहाल अब तक दिल्ली, बिहार व झारखंड सहित सात राज्यों को छोड़कर सभी राज्यों के साथ इसे लेकर अनुबंध कर लिया है। खास बात यह है कि राज्यों में पीएम श्री स्कूलों को खोलने के पीछे भी मंत्रालय का जो मकसद है, उसमें एक ऐसा मॉडल स्कूल तैयार करना है, जो कि स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता पर पूरी तरह से खरा उतर सके।


शिक्षकों को गैर- शैक्षणिक कार्यों से दूर रखे जाने की होगी कोशिश

इसके शिक्षकों की बड़ी भूमिका है। ऐसे में मंत्रालय यह सुनिश्चित करने में जुटा है, कि शिक्षकों को पढ़ाई के अतिरिक्त किसी काम में न लगाया जाए। नीति में भी शिक्षकों को मिड-डे मील सहित दूसरे सभी गैर-शैक्षणिक कार्यों से अलग रखने की सिफारिश की गई है।


बावजूद इसके शिक्षकों को अभी मिड-डे मील के साथ वोटर लिस्ट के पुनरीक्षण, जनगणना सहित राज्यों की ओर से चलाए जाने वाले किसी भी प्रमुख कार्यक्रम में लगा दिया जाता है। शिक्षकों की सेवा शर्तें राज्यों के अधीन होने से वह इसे मानने के लिए बाध्य भी रहते है।

राम नवमी के सार्वजनिक अवकाश पर मूल्यांकन केन्द्रों पर वर्ष 2023 की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन कार्य स्थगित रखने के संबंध में।

राम नवमी के सार्वजनिक अवकाश पर मूल्यांकन केन्द्रों पर वर्ष 2023 की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन कार्य स्थगित रखने के संबंध में।


यूपी बोर्ड के कई राजकीय स्कूलों में शिक्षकों के पद हैं रिक्त, शिक्षकों का समायोजन आदेश कर भूले अफसर, ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की पढ़ाई प्रभावित

यूपी बोर्ड के कई राजकीय स्कूलों में शिक्षकों के पद हैं रिक्त, शिक्षकों का समायोजन आदेश कर भूले अफसर

● राजकीय विद्यालयों में शिक्षकों के 10322 पद खाली
● ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की पढ़ाई प्रभावित


प्रयागराज : एक अप्रैल से नया शैक्षणिक सत्र 2023-24 शुरू होने जा रहा है, लेकिन यूपी बोर्ड से जुड़े राजकीय स्कूलों में शिक्षकों की कमी बनी हुई है। इस कमी को दूर करने के लिए शासन के विशेष सचिव शंभु कुमार ने 22 जुलाई 2022 को सरप्लस शिक्षकों के समायोजन का आदेश जारी किया था, लेकिन सात महीने से अधिक का समय बीतने के बावजूद समायोजन नहीं किया जा सका।


इसका सबसे अधिक नुकसान ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को हो रहा है। क्योंकि ऊपर तक पहुंच रखने वाले शिक्षकों ने तो शहरी क्षेत्र के स्कूलों में जुगाड़ से तैनाती पा ली है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं। कई स्कूल ऐसे हैं जहां सालों से शिक्षकों की तैनाती नहीं हो सकी है। यह स्थिति तब है जब राजकीय स्कूलों में प्रवक्ता और सहायक अध्यापकों के 10322 पद खाली हैं।


शंकरगढ़ के जीजीआईसी में 22 में से दस पद खाली

राजकीय बालिका इंटर कॉलेज शंकरगढ़ में शिक्षकों के 22 पदों में से दस खाली हैं। इंटर में गणित, भौतिक, रसायन व जीव विज्ञान के प्रवक्ता नहीं हैं तो हाईस्कूल में गणित व विज्ञान विषय के लिए शिक्षकों के दो-दो पद स्वीकृत हैं लेकिन एक भी शिक्षक नहीं है। वहीं राजकीय हाईस्कूल सोनवे डांडी में सहायक अध्यापकों के स्वीकृत सात में आधे से अधिक यानी चार पद खाली हैं।


यहां दो-दो पदों के सापेक्ष तीन-तीन शिक्षक

राजकीय इंटर कॉलेज प्रयागराज में 96 शिक्षक कार्यरत हैं। इनमें चार ऐसे प्रवक्ता हैं जिनके विषय कॉलेज में पढ़ाए ही नहीं जाते। वहीं संगीत और शारीरिक शिक्षा के लिए स्वीकृत सहायक अध्यापक (एलटी ग्रेड) के दो-दो पदों के सापेक्ष तीन-तीन शिक्षक तैनात हैं।

1.96 अरब से संवारेंगे 450 राजकीय विद्यालय, प्रोजेक्ट अलंकार के तहत जर्जर स्कूलों में होंगे बड़े काम

1.96 अरब से संवारेंगे 450 राजकीय विद्यालय, प्रोजेक्ट अलंकार के तहत जर्जर स्कूलों में होंगे बड़े काम


प्रदेश के 450 राजकीय हाईस्कूल और इंटर कॉलेजों में 1.96 अरब रुपये से जीर्णोद्धार का काम होगा। माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव ने प्रोजक्ट अलंकार के तहत स्वीकृत 1.96 अरब रुपये में से 98.31 करोड़ रुपये की पहली किश्त 24 मार्च को जारी कर दी है। जिला विद्यालय निरीक्षकों को निर्देशित किया है कि प्रस्तावित कार्य के सापेक्ष 50 प्रतिशत राशि का आवंटन नामित कार्यदायी संस्थाओं को तत्काल करते हुए जीर्णोद्धार कार्य शुरू कराएं।


साथ ही कहा है कि अगले दो महीने में आवंटित धनराशि के सापेक्ष कार्य पूरा कराते हुए शेष धनराशि की मांग समय से की जाए। जनपदी कमेटी की ओर से गठित टास्क फोर्स समय-समय पर जीर्णोद्धार कार्य का निगरानी करते हुए फोटोग्राफ उपलब्ध कराएगी। धनराशि लैप्स होने पर संबंधित जिले के डीआईओएस पूरी तरह से जिम्मेदार होंगे।


स्कूलों में ये काम होने हैं 
प्रयोगशाला, मल्टीपरपज हाल, पुस्तकालय कक्ष, स्वच्छ पाइप पेयजल की सुविधा, अतिरिक्त कक्षा कक्ष का निर्माण, बालक-बालिकाओं के लिए अलग-अलग शौचालय, खेल का मैदान, बैंडमिंटन व वॉलीबाल कोर्ट, ओपेन जिम।



प्रयागराज के सात स्कूलों में बढ़ाई जाएंगी सुविधाएं


कानपुर देहात के सर्वाधिक नौ स्कूलों को जीर्णोद्धार के लिए बजट आवंटित हुआ है। इसके अलावा प्रयागराज, आगरा, फिरोजाबाद, लखनऊ, वाराणसी, प्रतापगढ़, हाथरस, एटा, बलिया, अयोध्या, अम्बेडकरनगर, अमेठी, बाराबंकी, सुल्तानपुर, बस्ती, सिद्धार्थनगर, संत कबीरनगर, गोंडा, बहराइच, बलरामपुर, गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज, झांसी, ललितपुर, जालौन, मीरजापुर, सोनभद्र, मुरादाबाद, रामपुर, अमरोहा, बिजनौर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, शामली, चित्रकूट, बांदा, हमीरपुर, सीतापुर, हरदोई, रायबरेली, उन्नाव, लखीमपुर खीरी, मेरठ, गौतमबुद्धनगर, बुलंदशहर, हापुड़, फर्रुखाबाद, बरेली, शाहजहांपुर, पीलीभीत, जौनपुर, गाजीपुर व चंदौली के सात-सात स्कूलों में बड़े काम होंगे। 

अलीगढ़, महोबा व कासगंज के छह-छह, मथुरा, बागपत, गाजियाबाद, कन्नौज व आजमगढ़ के पांच-पांच, श्रावस्ती के चार, संभल के तीन, जबकि भदोही, बदायूं व मैनपुरी के दो-दो स्कूलों में अवस्थापना सुविधाएं बढ़ेंगी।

NMMSE : राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति योजना परीक्षा 2023 में सम्मिलित प्रदेशभर के 1.40 लाख छात्र-छात्राओं को साढ़े चार महीने से रिजल्ट का इंतजार

NMMSE : राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति योजना परीक्षा 2023 में सम्मिलित प्रदेशभर के  1.40 लाख छात्र-छात्राओं को साढ़े चार महीने से रिजल्ट का इंतजार


प्रयागराज : राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति योजना परीक्षा 2023 में सम्मिलित प्रदेशभर के 1.40 लाख छात्र-छात्राओं को साढ़े चार महीने से अपने परिणाम का इंतजार है। परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय की ओर से राजकीय, एडेड और परिषदीय स्कूलों में आठवीं में अध्ययनरत विद्यार्थियों के लिए 13 नवंबर को प्रदेश के 377 केंद्रों पर परीक्षा कराई गई थी। दिसंबर अंत तक परिणाम घोषित होने की उम्मीद थी, लेकिन आज तक रिजल्ट जारी नहीं हो सका है।


सूत्रों के अनुसार परीक्षा आईसीआर (इंटेलिजेंट कैरेक्टर रिकग्निशन) उत्तरपुस्तिका पर होने के कारण परिणाम तैयार होने में समय लग रहा है। सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी अनिल भूषण चतुर्वेदी का कहना है कि परिणाम तैयार कर उसकी जांच के लिए मनोविज्ञानशाला को भेजा गया है। वहीं, मनोविज्ञानशाला की निदेशक उषा चन्द्रा का कहना है कि परिणाम की जांच चल रही है। अंतिम परिणाम में थोड़ा समय लगेगा।


15143 विद्यार्थियों को 12वीं कक्षा तक मिलेगा वजीफा

शिक्षा मंत्रालय की ओर से यूपी के 15143 मेधावियों को कक्षा नौ से 12 तक प्रतिमाह एक हजार रुपये की छात्रवृत्ति दी जाती है। छात्रवृत्ति के लिए इस साल रिकॉर्ड 1,67,545 छात्र-छात्राओं ने आवेदन किया था जिनमें से लगभग 1.40 लाख परीक्षा में शामिल हुए। पिछले साल 38,837 बच्चों ने वजीफे के लिए फॉर्म भरा था, जिनमें से मात्र 6456 को ही छात्रवृत्ति मिल सकी थी।

Wednesday, March 29, 2023

यूपी बोर्ड: छूटे परीक्षार्थियों की प्रयोगात्मक परीक्षाएं पांच व छह अप्रैल को

यूपी बोर्ड: छूटे परीक्षार्थियों की प्रयोगात्मक परीक्षाएं पांच व छह अप्रैल को



प्रयागराज । छूटे परीक्षार्थियों के लिए प्रयोगात्मक परीक्षाओं की तिथियां यूपी बोर्ड ने घोषित कर दी हैं। पांच और छह अप्रैल को प्रयोगात्मक परीक्षा का आयोजन होगा। यह परीक्षा सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में परिषद के क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा नियुक्त परीक्षकों द्वारा कराई जाएंगी।


किसी विद्यालय के सभी परीक्षार्थियों की छूटी हुई परीक्षा उनके ही विद्यालय में तथा एकल रूप से छूटे परीक्षार्थियों की परीक्षा क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा जनपद मुख्यालय स्तर पर निर्धारित किए गए केंद्र पर होगी। इस बारे में छूटे परीक्षार्थियों को अपने पंजीकृत विद्यालय या डीआईओएस कार्यालय से संपर्क करना होगा। वहीं से परीक्षार्थियों को तिथि और केंद्र की जानकारी मिलेगी। इसके बाद प्रयोगात्मक परीक्षा के लिए कोई अन्य अवसर नहीं दिया जाएगा।


188 केंद्रों पर कापियों का मूल्यांकन पूरा: यूपी बोर्ड परीक्षा की कापियों का मूल्यांकन कार्य 28 मार्च तक पूरा करने के लिए बोर्ड सचिव दिव्यकांत शुक्ल ने कहा था, लेकिन प्रदेश के 258 मूल्यांकन केंद्रों में से सिर्फ 188 पर ही कापियों के जांचने का कार्य पूरा हो सका। मंगलवार तक प्रदेश में 2,89, 97623 कापियां परीक्षकों द्वारा जांची जा चुकी हैं। प्रदेश के 42 जिलों प्रतापगढ़, प्रयागराज, फतेहपुर, सुल्तानपुर, बाराबंक, अम्बेडकर नगर, अमेठी, बलरामपुर, संत कबीर नगर, आजमगढ़, बलिया, जौनपुर, गाजीपुर, वाराणसी, भदोही आदि में मूल्यांकन कार्य समाप्त हो चुका है।

Sonbhadra News : शिक्षक नहीं पढ़ेंगे रामायण, जारी पत्र वायरल होने के बाद बीएसए साहब ने लिया यू टर्न, निभाएंगे सहयोगी की भूमिका

Sonbhadra News : शिक्षक नहीं पढ़ेंगे रामायण,  जारी पत्र वायरल होने के बाद बीएसए साहब ने लिया यू टर्न, निभाएंगे सहयोगी की भूमिका


Sonbhadra News:  जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी हरिवंश कुमार की तरफ से सभी खंड शिक्षाधिकारियों को निर्देशित किए जाने का एक पत्र वायरल हुआ। उसमें निर्देशित किया गया था कि अपने-अपने क्षेत्र के प्रमुख मंदिरों में अष्टमी और नवमी को, तीन-तीन योग्य शिक्षकों के माध्यम से अखंड रामायण पाठ कराना सुनिश्चित करें।


Sonbhadra News: 30 मार्च को रामनवमी के पर्व को देखते हुए अष्टमी और नवमी पर जिले के परिषदीय शिक्षकों को रामायण पढ़ने के लिए ड्यूटी लगाने को लेकर जारी किए गए निर्देश के मामले में, ऐन वक्त पर बेसिक शिक्षा महकमे ने यू टर्न ले लिया है। पत्र वॉयरल होने के बाद और शिक्षक नेताओं के एतराज के बाद अब निर्णय लिया गया है कि शासन के आए निर्देश के क्रम में, अन्य विभागों की तरह, बेसिक शिक्षा महकमे के भी शिक्षक, पाठ करते नजर आने की बजाय, अब सिर्फ सहयोगी की भूमिका में नजर आएंगे। 


बताते चलें कि मंगलवार की सुबह जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी हरिवंश कुमार की तरफ से सभी खंड शिक्षाधिकारियों को निर्देशित किए जाने का एक पत्र वायरल हुआ। उसमें निर्देशित किया गया था कि अपने-अपने क्षेत्र के प्रमुख मंदिरों में अष्टमी और नवमी को, तीन-तीन योग्य शिक्षकों के माध्यम से अखंड रामायण पाठ कराना सुनिश्चित करें। इस मामले में बीएसए हरिवंश कुमार से फोन पर जानकारी चाही गई तो उन्होंने पत्र को सही बताया लेकिन पत्र वायरल होने के साथ ही, जहां लोगों की तरफ से तरह-तरह के कमेंट आने शुरू हो गए। वहीं शिक्षक नेताओं की तरफ से भी एतराज की स्थिति को देखते हुए, शाम आते-आते महकमे की तरफ से यू-टर्न ले लिया गया।


जाने क्या कहा बीएसए ने
बीएसए का कहना था कि फिलहाल शिक्षकों से पाठ नहीं कराने का निर्णय लिया गया है। वहीं प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष योगेश पांडेय ने बताया कि इसको लेकर उन्होंने बीएसए से वार्ता की थी। उनके द्वारा लिपिकीय त्रुटि से ऐसा पत्र जारी होने की जानकारी दी। शिक्षकों को सिर्फ सहयोगी की जिम्मेदारी निभानी है। वहीं महिला शिक्षक संघ की जिलाध्यक्ष शीतल दहलान का कहना था कि शिक्षकों से शिक्षक का ही कार्य लिया जाए तो बेहतर है। फिलहाल उन्हें भी शिक्षकों को अष्टमी और नवमी को मंदिरों में होने वाले रामायण में सिर्फ सहयोगी की भूमिका निभाए जाने के निर्देश की जानकारी है। 


देखें : अखंड रामायण का पाठ कराने हेतु शिक्षकों को नियुक्त करने सम्बंधित BSA का आदेश 

Tuesday, March 28, 2023

प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा के खिलाफ गैर जमानती वारंट, बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों के अवमानना मामले पर हाईकोर्ट खफा

प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा के खिलाफ गैर जमानती वारंट, बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों के अवमानना मामले पर हाईकोर्ट खफा 



लखनऊ इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने अवमानना के एक मामले में बेसिक शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव दीपक कुमार के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने का आदेश दिया है। अगली सुनवाई 10 अप्रैल की तय की गई है। यह आदेश न्यायमूर्ति इरशाद अली की एकल पीठ ने मान्यता प्राप्त टीचर्स एसोसिएशन व अन्य की याचिका पर दिया। उन्होंने 10 अप्रैल को सुनवाई के दौरान विभागीय सचिव प्रताप सिंह बघेल और तत्कालीन निदेशक शुभा सिंह को भी कोर्ट में हाजिर रहने के निर्देश दिए हैं। 


याचियों की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि रिट कोर्ट के 14 फरवरी 2013 और 30 जुलाई 2014 के आदेशों का अनुपालन प्रमुख सचिव, सचिव व तत्कालीन निदेशक नहीं कर रहे हैं। कोर्ट ने कुछ याचियों को बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित प्राइमरी स्कूलों में बतौर सहायक शिक्षक समायोजित करने पर विचार करने के लिए निर्देशित किया था। वहीं, सरकारी वकील ने अवमानना याचिका का विरोध करते हुए कोर्ट को बताया कि याचीगण नियुक्ति पाने की निर्धारित अर्हता पूरी नहीं करते हैं।


बीती एक फरवरी 2023 को कोर्ट ने दोनों पक्षों की वहस सुनने के बाद नाराजगी जताते हुए कहा था कि रिट कोर्ट के आदेश को न मानकर विभागीय अधिकारी न्याय प्रशासन में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं। सोमवार को अधिकारियों को इन आरोपों पर जवाब देने के लिए कोर्ट में हाजिर होना था।


इसके बावजूद उन्होंने निजी कारणों से हाजिर होने में असमर्थता जताते हुए सरकारी वकील के जरिए प्रार्थना पत्र दाखिल कर दिया। कोर्ट ने प्रार्थनापत्र खारिज करते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रमुख सचिव स्तर का अधिकारी न्यायालय के आदेश को गंभीरता से नहीं ले रहा है, इस कृत्य को स्वीकार नहीं किया जा सकता।

परिषदीय स्कूलों की तरह अब इंटर कॉलेजों में भी प्रवेश उत्सव, माध्यमिक विद्यालयों में भी चलेगा अभियान

सरकारी इंटर कॉलेजों में भी स्कूल चलो अभियान



 सरकारी इंटर कॉलेजों में वर्ष प्रति वर्ष छात्रों की संख्या घटती जा रही है। कई ऐसे विद्यालय जहां छात्र-छात्राओं को प्रवेश मिलना उनके लिए गौरव की बात होती थी। वहां अब सन्नाटा पसारा नजर आता है। इसका मुख्य कारण निजी विद्यालयों द्वारा प्रचार प्रसार व संसाधनों की तुलना में सरकारी विद्यालयों से अधिक मजबूत होना माना जा रहा है। ऐसे में अब राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में भी स्कूल चलो अभियान की शुरुआत करते हुए छात्र-छात्राओं को यहां प्रवेश लेने के लिए जागरूक किया जाएगा। जिससे इन विद्यालयों में पुरानी रौनक वापस लाई जा सके।


राजकीय इंटर कॉलेज, राजकीय बालिका इंटर कॉलेज,  समेत अन्य राजकीय व वित्तीय सहायता प्राप्त विद्यालयों में कुछ वर्ष पूर्व तक छात्र- छात्राएं प्रवेश लेने के लिए आतुर रहते थे। यहां तक कि प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण न कर पाने पर माननीयों की सिफारिशें करवाने में भी पीछे नहीं हटते थे। 


विद्यालयों में छात्र संख्या कभी हजारों का आंकड़ा पार कर जाती थी तो अब यह हाल है कि कक्षाओं में छात्र- छात्राओं की संख्या दहाई का आंकड़ा भी पार नहीं कर पा रही। इस वजह से अब यहां भी स्कूल चलो अभियान का शुभारंभ किया जाएगा।


बताते चले  कि स्कूल चलो अभियान के संबंध में चार अप्रैल को शासन की ओर से बैठक का आयोजन किया गया है। बैठक में मिले दिशा निर्देशों के तहत अभियान का संचालन किया जाएगा।



परिषदीय स्कूलों की तरह अब इंटर कॉलेजों में भी प्रवेश उत्सव, माध्यमिक विद्यालयों में भी चलेगा अभियान


परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों की तरह ही इस वर्ष हाईस्कूल और इंटरमीडिएट स्कूलों में प्रवेश उत्सव मनाया जाएगा। इसके लिए माध्यमिक शिक्षा विभाग में कार्ययोजना तैयार की जा रही है। परिषदीय स्कूलों में स्कूल चलो अभियान की सफलता को देखते हुए माध्यमिक स्कूलों में अभियान चलाने का फैसला लिया गया है।


एक अप्रैल से प्रारंभ होने वाले नए शिक्षासत्र में हाईस्कूल और इंटर कॉलेजों के शिक्षक गांव-गांव जाकर अभिभावकों से संपर्क करके बच्चों का दाखिला स्कूलों में कराएंगे। विभाग का मानना है कि निजी स्कूलों के संचालक अभिभावकों  को गुमराह करके स्कूलों में नाम लिखा लेते हैं। जबकि सरकारी और सहायता प्राप्त कॉलेजों में बच्चों का टोटा बना रहता है। 


लेकिन इस वर्ष समस्या को दूर करने के लिए नई पहल की जा रही है। जिस प्रकार परिषदीय विद्यालयों में स्कूल चलो अभियान की सफलता मिली उसी प्रकार माध्यमिक में भी सफलता मिलने की उम्मीद है।

NCERT की पाठ्यपुस्तकों में नई शिक्षा नीति के अनुरूप संशोधन, नयी पाठ्यपुस्तकों को 2024-25 शैक्षणिक सत्र से स्कूलों में पेश किए जाने की संभावना

NCERT की पाठ्यपुस्तकों में नई शिक्षा नीति के अनुरूप संशोधन, नयी पाठ्यपुस्तकों को 2024-25 शैक्षणिक सत्र से स्कूलों में पेश किए जाने की संभावना


नयी दिल्ली, 27 मार्च : नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के अनुसार संशोधित एनसीईआरटी की नयी पाठ्यपुस्तकों को 2024-25 शैक्षणिक सत्र से स्कूलों में पेश किए जाने की संभावना है। शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।


राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की पाठ्यपुस्तकों को राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एनसीएफ) के अनुसार तैयार किया जाएगा।

शिक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘नयी पाठ्यपुस्तकों को 2024-25 शैक्षणिक सत्र से पेश किए जाने की संभावना है। यह एक लंबा काम है, लेकिन हम इसके लिए लक्ष्य बना रहे हैं। पाठ्यपुस्तकों को नयी एनसीएफ के अनुसार संशोधित किया जाएगा, जिस पर काम पहले से ही चल रहा है।’

उन्होंने कहा, ‘चूंकि कोविड-19 ने हमें सिखाया है कि डिजिटल शिक्षा की मांग है, सभी नयी पाठ्य पुस्तकों को एक साथ डिजिटल रूप से उपलब्ध कराया जाएगा ताकि कोई भी उन्हें डाउनलोड कर सके।’

यह उल्लेख करते हुए कि पाठ्य पुस्तकों में ‘ठहराव’ नहीं होना चाहिए, अधिकारी ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए एक संस्थागत ढांचा विकसित किया जाएगा कि पाठ्यपुस्तकों को नियमित आधार पर अद्यतन किया जाए।

स्कूलों को 15% फीस लौटाने का आदेश, निजी स्कूलों का फीस वापसी से साफ इंकार

स्कूलों को 15% फीस लौटाने का आदेश, निजी स्कूलों का फीस वापसी से साफ इंकार 


लखनऊ : उच्च न्यायालय के निर्णय के बाद  सरकार के आदेश के बाद  डीआईओएस ने सभी बोर्ड के स्कूलों के प्रबंधन व प्रधानाचार्यों को आदेश दिये हैं कि वे सत्र 2020-21 में कोरोना के दौरान ली गई फीस का 15 फीसदी अगली कक्षा में समायोजित करें। जो बच्चे पास होकर स्कूल छोड़ दिये हैं, उनकी फीस अभिभावकों को लौटाएं। डीआईओएस ने फीस वापसी के सम्बंध में पूर्व में दिये गए इलाहाबाद हाईकोर्ट व डीएम के आदेश का स्कूलों से पालन सुनिश्चित कराने के निर्देश दिये हैं।


यदि फीस समायोजित करने या लौटाने में स्कूल आनाकानी करते हैं। तो अभिभावक इन स्कूलों की शिकायत डीएम की अध्यक्षता में बनी जिला शुल्क नियामक समिति से करें। समिति इन स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करेगी। डीआईओएस राकेश कुमार पाण्डेय ने हाईकोर्ट के आदेश का हवाला 24 मार्च को स्कूलों को भेजे पत्र में कहा कि छह जनवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट के कोरोना कॉल के चलते सत्र 2020-21 में वसूली गई फीस में 15 प्रतिशत फीस अभिभावकों को लौटाने के आदेश का हवाला दिया है। कोर्ट ने कहा था कि जो बच्चे स्कूल में पढ़ रहे हैं, उनकी वापसी वाली फीस को स्कूल अगली कक्षा में समायोजित करने के आदेश दिये थे।


निजी स्कूल तैयार नहीं 
यदि किसी स्कूल व व्यक्ति को जिला शुल्क नियामक समिति के निर्णय से संतुष्ट नहीं है। वह मण्डलीय स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय अपीलीय प्राधिकरण के समक्ष अपील कर सकता है। इसका निस्तारण मण्डलीय प्राधिकरण करेगा। हालांकि यह फीस लौटाने के मुद्दे पर लखनऊ के निजी स्कूल तैयार नहीं है। स्कूलों के प्रबंधकों ने साफ कह दिया है कि वह पहले ही 15 फीसदी से अधिक फीस में रियायत दे चुके हैं। स्कूल प्रबंधकों का कहना है कि अब इससे अतिरिक्त रियायत नहीं दी जा सकती है।

69 हजार भर्ती में चयनित 6800 अभ्यर्थियों का प्रदर्शन, सीएम योगी से बात कर हल निकालने और मिला डबल बेंच में प्रभावी पैरवी का आश्वासन

69 हजार भर्ती में चयनित 6800 अभ्यर्थियों का प्रदर्शन, मिला  डबल बेंच में प्रभावी पैरवी का मिला आश्वासन


लखनऊ। 69 हजार शिक्षक भर्ती में चयनित 6800 आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने सोमवार को बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार संदीप सिंह का आवास घेरकर प्रदर्शन किया। अभ्यर्थी नारेबाजी करते हुए प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात मुख्यमंत्री से कराने और न्यायालय की डबल बेंच में इसकी प्रभावी पैरवी करने की मांग पर अड़े रहे। इस दौरान पुलिस बल से उनकी नोंकझोंक भी हुई। प्रदर्शन के दौरान बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री ने अभ्यर्थियों के पांच सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल से मुलाकात की। उन्होंने समस्याओं को सुना और डबल बेंच में प्रभावी पैरवी का आश्वासन दिया। इसके बाद अभ्यर्थी इको गार्डन लाए गए। जहां देर शाम तक वह प्रदर्शन करते रहे। 


69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों का जोरदार प्रदर्शन, सीएम योगी से बात कर हल निकालने का मिला आश्वासन 


लखनऊ। 69 हजार शिक्षक भर्ती की चयन सूची में शामिल सैकड़ों अभ्यर्थी नियुक्ति की मांग को लेकर सोमवार को दोबारा से बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह के आवास पर लखनऊ में सोमवार को प्रदर्शन किया। मंत्री से मिलने की जिद पर अड़े अभ्यर्थियों के नारेबाजी शुरू करते ही पुलिस हरकत में आयी। अभ्यर्थियों की पुलिस से तीखी नोकझोंक हुई। करीब साढ़े तीन घंटे बाद मंत्री ने अभ्यर्थियों के पांच सदस्यीय दल को वार्ता के बुलाया। मंत्री ने अभ्यर्थियों को भरोसा दिलाया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्थनाथ से बात कर हल निकालेंगे। मंत्री द्वारा 20 दिन का समय मांगे जाने पर अभ्यर्थियों ने धरना-प्रदर्शन स्थगित कर दिया।


सोमवार सुबह करीब 10 बजे 69 हजार शिक्षक भर्ती में नियुक्ति की मांग कर रहे करीब दो हजार अभ्यर्थी मंत्री आवास के बाहर जुट गए। अभ्यर्थियों में भारी संख्या में महिलाएं भी थीं। नारेबाजी करते हुए अभ्यर्थियों ने धरने पर प्रदर्शन शुरू कर दिया। अभ्यर्थियों को उग्र होता देख दोपहर डेढ़ बजे मंत्री ने पांच अभ्यर्थी अमरेन्द्र पटेल, राजबहादुर यादव, रमा देवी और अन्नू पटेल को बुलाकार वार्ता की।

Monday, March 27, 2023

क्या विद्यालयों व डिग्री कॉलेजों में अनिवार्य होगी NCC ट्रेनिंग? सरकार ने दिया यह जवाब



क्या विद्यालयों व डिग्री कॉलेजों में अनिवार्य होगा एनसीसी प्रशिक्षण ? सरकार से संसद में बताया केंद्र सरकार ने सोमवार को बताया कि देश भर के विद्यालयों और महाविद्यालयों में राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) प्रशिक्षण अनिवार्य बनाने के संबंध में उसके पास कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। 


केंद्र सरकार ने सोमवार को बताया कि देश भर के विद्यालयों और महाविद्यालयों में राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) प्रशिक्षण अनिवार्य बनाने के संबंध में उसके पास कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। 


राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में रक्षा राज्यमंत्री अजट भट्ट ने यह जानकारी दी। उनसे पूछा गया था कि क्या सरकार तमिलनाडु सहित देश भर के विद्यालयों और महाविद्यालयों में एनसीसी प्रशिक्षण को अनिवार्य बनाने पर विचार कर रही है। इसके जवाब में भट्ट ने कहा, ''ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।'' 


 भट्ट ने कहा कि एनसीसी के तीन विंग अर्थात सेना, नौसेना और वायुसेना कैडेटों को एनसीसी पाठ्यक्रम के अनुसार विंग विशिष्ट प्रशिक्षण प्रदान कराते हैं। उन्होंने कहा, ''प्रशिक्षण प्रदान कराने के लिए संबंधित सेना मुख्यालयों से स्थाई अनुदेशक स्टाफ तैनात किए जाते हैं। इसके अलावा स्कूलों और कॉलेजों के संबंधित एनसीसी अधिकारियों को आगे और प्रशिक्षण देने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है।''

सिद्धार्थनगर : कस्तूरबा विद्यालयों में शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक पदों पर नियुक्ति हेतु विज्ञप्ति जारी

सिद्धार्थनगर : कस्तूरबा विद्यालयों में शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक पदों पर नियुक्ति हेतु विज्ञप्ति जारी

लखीमपुर खीरी : कस्तूरबा स्कूल में 37 छात्राएं मिलीं कोरोना से संक्रमित

लखीमपुर खीरी : कस्तूरबा स्कूल में 37 छात्राएं मिलीं कोरोना से संक्रमित


लखीमपुर खीरी  । खीरी जिले रविवार को एक ही दिन में 39 कोरोना संक्रमित मिले हैं। इसमें कस्तूरबा स्कूल मितौली की 37 छात्राओं, एक शिक्षक सहित बेहजम के गांव अमघट का एक युवक शामिल है। जिले में छह दिन में 42 केस सामने आए है। इसमें दो संक्रमित ठीक भी हो चुके हैं । 


कस्तूरबा स्कूल में कोरोना केस मिलने पर एडीशनल सीएमओ ने वहां का दौरा किया। सभी संक्रमित छात्राओं को स्कूल हॉस्टल में रखा गया है। सीएमओ डॉ. संतोष गुप्ता ने बताया कि मितौली ब्लाक के कस्तूरबा स्कूल में तीन दिन पहले एक छात्रा कोरोना संक्रमित मिली थी। इसके बाद यहां से 92 सैंपल जांच को भेजे गए। 


रविवार को जांच में इस स्कूल की 37 छात्राओं व एक टीचर कोरोना संक्रमित मिले। सूचना पर एसीएमओ डॉ. अनिल गुप्ता ने मितौली स्कूल का दौरा किया और वहां गाइडलाइन बताई गई। एसीएमओ डॉ. अनिल गुप्ता ने बताया कि संक्रमित मिलीं तीन छात्राओं में ही जुकाम, बुखार के लक्षण मिले हैं । अन्य में किसी तरह के कोई लक्षण नहीं हैं। सभी को कोविड किट दी गई है और जीनोम स्क्रीनिंग को सैम्पल भेजा गया है।


BEO भर्ती के दो साल बाद तीन को मिली नई नियुक्ति

BEO भर्ती के दो साल बाद तीन को मिली नई नियुक्ति


प्रयागराज  | खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) भर्ती 2019 का अंतिम परिणाम घोषित होने के दो साल बाद तीन अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी गई है। अभिलेख सत्यापन के दौरान तीन अभ्यर्थियों का चयन निरस्त होने के बाद उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने संबंधित श्रेणी के वरीयता क्रम से तीन अभ्यर्थियों प्रवेश कुमार बाजपेयी, विमल प्रकाश श्रीवास्तव और पूरन सिंह का चयन किया है।


आयोग की ओर से 16 फरवरी को उपलब्ध कराई गई संस्तुति के आधार पर अपर शिक्षा निदेशक बेसिक अनिल भूषण चतुर्वेदी ने 23 मार्च को तीनों अभ्यर्थियों को क्रमशः महोबा, उन्नाव व बरेली में तैनाती दी है। 


आयोग ने 13 दिसंबर 2019 को बीईओ के 309 पदों पर विज्ञापन जारी किया था। इसका परिणाम 30 जनवरी 2021 को घोषित किया गया। आठ से 10 फरवरी 2021 तक अभिलेख सत्यापन में इस भर्ती में टॉप करने वाले ललौली रोड थाना बिंदकी रोड, फतेहपुर निवासी प्रणव का चयन निरस्त कर दिया गया था। डीएलएड पास प्रणव ने प्रमाणपत्र में हेरफेर कर उसे बीएड का प्रमाणपत्र बनाकर प्रस्तुत कर दिया था। 


इसी प्रकार अनुसूचित जनजाति वर्ग के जीतेन्द्र कुमार गोंड का जाति प्रमाणपत्र सत्यापन के बाद अनुसूचित जनजाति का न होने के कारण अभ्यर्थन नवंबर 2022 में निरस्त कर दिया गया था।


BEO : तीन नवचयनित खण्ड शिक्षा अधिकारियों का हुआ पदस्थापन, देखें आदेश 


Sunday, March 26, 2023

एरियर के लिए दफ्तरों के चक्कर लगाने से मिलेगी मुक्ति, मानव सम्पदा पोर्टल पर वेतन के बाद एरियर प्रक्रिया भी हुई ऑनलाइन, जल्द होगी शुरुआत

एरियर के लिए दफ्तरों के चक्कर लगाने से मिलेगी मुक्ति, मानव सम्पदा पोर्टल पर वेतन के बाद एरियर प्रक्रिया भी हुई ऑनलाइन, जल्द होगी शुरुआत 

अब मानव सम्पदा पर सभी कार्मिक एरियर हेतु ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे।  


इसके लिए सबसे पहले अपनी मानव सम्पदा आई डी के जरिए लॉगिन करके General में सबसे अंत में online Request में जाकर रिपोर्टिंग ऑफिसर में अपने BEO का मानव संपदा कोड भर कर और जिस प्रकार का एरियर हो उसको ड्रॉप डाउन मेन्यू में चुन कर  अपलोड डॉक्यूमेंट में आवेदन पत्र, आदेश पत्र और जो भी जरूरी अभिलेख आवशयक हों,  उनकी pdf फाइल बनाकर अपलोड करें। 


2023-24 सत्र से CBSE स्कूलों में लागू होगा SQAA कार्यक्रम

CBSE ने स्कूल क्वालिटी असेसमेंट एंड एंश्योरेंस फ्रेमवर्क जारी किया, 

2023-24 सत्र से CBSE स्कूलों में लागू होगा SQAA कार्यक्रम



नई दिल्ली। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने स्कूल संबद्धता, अपग्रेडेशन के लिए स्कूल क्वालिटी असेसमेंट एंड एंश्योरेंस (एसक्यूएए) फ्रेमवर्क जारी किया है। आगामी शैक्षणिक सत्र 2023-24 से बोर्ड ने इसे अपने सभी संबद्ध स्कूलों के लिए लागू करने का फैसला किया है। इसके तहत स्कूलों को हर साल अपना स्व-मूल्यांकन - करना होगा। इसे स्कूलों के लिए - अनिवार्य बनाया गया है। यदि कोई स्कूल नई संबद्धता भी चाहता है तो उसके लिए यह जरूरी होगा।


Central Board of Secondary Education (CBSE) on Friday released School Quality Assessment and Assurance (SQAA) Framework to catalyse transformational change in its affiliated schools. The Board has decided to implement SQAA for all its affiliated schools from the Session 2023- 2024 while applying for fresh affiliation/switch over/upgradation/extension of schools. 


सीबीएसई के अनुसार सभी संबद्ध स्कूलों को हर साल एक अप्रैल से 31 दिसंबर के बीच एसक्यूएए पोर्टल पर स्व-मूल्यांकन करना होगा। स्कूल द्वारा एसक्यूएए पोर्टल पर प्रस्तुत स्व- मूल्यांकन एक वर्ष की अवधि के लिए मान्य होगा। 


बोर्ड का सरस पोर्टल पर सत्र 2024-25 के लिए संबद्धता, स्विच ओवर, अपग्रेडेशन - विस्तार के लिए स्कूलों के आवेदन स्वीकार करेगा। स्कूलों को एसक्यूएए पोर्टल पर स्व-मूल्यांकन पूरा करना होगा और फिर समय सीमा समाप्त होने से पहले इसे सरल पोर्टल पर आवेदन जमा करना होगा। 

Saturday, March 25, 2023

यूपी बोर्ड की प्रायोगिक परीक्षा में छूटे परीक्षार्थियों को मिलेगा एक और मौका

यूपी बोर्ड की प्रायोगिक परीक्षा में छूटे परीक्षार्थियों को मिलेगा एक और मौका


प्रयागराज : इंटरमीडिएट की प्रायोगिक परीक्षा से वंचित परीक्षार्थियों को यूपी बोर्ड एक और मौका देगा। इसके लिए सचिव दिव्यकांत शुक्ल ने सभी पांच क्षेत्रीय कार्यालयों के अपर सचिवों को छूटे परीक्षार्थियों की सूची तैयार कराने के निर्देश दिए हैं।


 कहा है कि जिला विद्यालय निरीक्षक के माध्यम से ऐसे परीक्षार्थियों की सूची एक सप्ताह के भीतर मंगा ली जाए, ताकि तिथि निर्धारित कर परीक्षा संपन्न कराई जा सके। उन्होंने कहा कि प्रायोगिक परीक्षा छूटने के कारण किसी परीक्षार्थी का एक वर्ष खराब नहीं होना चाहिए, इसलिए एक अवसर और प्रदान करने का निर्णय लिया गया है।

निजी कॉलेजों और एडेड के स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों की होगी जांच, उच्च शिक्षा निदेशक ने बनाई विविवार कमेटी

निजी कॉलेजों और एडेड के स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों की होगी जांच, उच्च शिक्षा निदेशक ने बनाई विविवार कमेटी


लखनऊ। प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों के अंतर्गत चल रहे स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों व एडेड कॉलेजों के स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों की जांच होगी। उच्च शिक्षा निदेशक प्रयागराज ने इसके लिए विश्वविद्यालय वार विस्तृत कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी को जल्द अपनी रिपोर्ट देनी होगी।


यह कमेटी निजी कॉलेजों के प्राचार्य व शिक्षकों का विश्वविद्यालय से अनुमोदन, स्टाफ की उपस्थिति, स्टाफ का वेतन भुगतान, प्रबंधन तंत्र के विश्वविद्यालय से अनुमोदन, क्लास, प्रयोगशाला, इंफ्रास्ट्रक्चर, छात्रों से मिलने वाली फीस, विद्यार्थियों की उपस्थिति, सुचिता की जांच, विभिन्न पाठ्यक्रमों की विश्वविद्यालय से संबद्धता के प्रपत्रों व अभिलेख की जांच करेगी।


प्रत्येक विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों की जांच के लिए पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। शिक्षा निदेशक प्रो. ब्रह्मदेव ने कहा है कि किसी भी कॉलेज में जांच के लिए तीन सदस्य का होना अनिवार्य है। कमेटी संबंधित विश्वविद्यालय के अंतर्गत निजी कॉलेज व एडेड कॉलेजों में चल रहे स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों से संबंधित प्रपत्रों व अभिलेखों की जांच कर अपनी रिपोर्ट देगी। 


16 सदस्य टीम गठित : 7372 निजी कॉलेजों की जांच का दिया आदेश

प्रयागराज । उच्च शिक्षा निदेशक प्रो. ब्रह्मदेव ने 16 राज्य विश्वविद्यालयों से संबद्ध प्रदेशभर के 7372 स्व-वित्तपोषित महाविद्यायों की जांच के लिए 16 कमेटियां गठित की हैं। पांच-पांच सदस्यीय कमेटी निजी महाविद्यालयों की नौ बिन्दुओं पर जांच करते हुए अपनी रिपोर्ट देंगी। 24 मार्च को जारी आदेश में साफ किया है कि किसी भी महाविद्यालय में जांच के लिए समिति के तीन सदस्यों का होना अनिवार्य होगा।


समिति प्राचार्य, प्राध्यापकों, प्रबंधतंत्र का विश्वविद्यालय से अनुमोदन, स्टाफ की उपस्थित व वेतन भुगतान रजिस्टर, कक्षा भवन, व्यवस्थित प्रयोगशाला एवं महाविद्यालय का इन्फ्रास्ट्रक्चर, छात्रों से प्राप्त होने वाली फीस, छात्र-छात्राओं की उपस्थिति व परीक्षा की स्थिति/शुचिता के साथ विभिन्न पाठ्यक्रमों के विश्वविद्यालय से संबद्धता की जांच करेगी।


 जिन विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों की जांच होनी है उनमें डॉ. भीमराव अम्बेडकर विवि आगरा, छत्रपति शाहूजी महाराज विवि कानपुर, वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विवि जौनपुर, प्रो. राजेन्द्र सिंह (रज्जू भय्या) विवि प्रयागराज, लखनऊ विवि, राजा महेन्द्र प्रताप विवि अलीगढ़, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी, बुंदेलखंड विवि झांसी, डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विवि फैजाबाद, चौधरी चरण सिंह विवि मेरठ, मां. शाकुंभरी विवि सहारनपुर, जननायक विवि बलिया, महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड विवि बरेली, गोरखपुर विवि, महाराजा सुहेलदेव विवि आजमगढ़ और सिद्धार्थ विवि सिद्धार्थनगर शामिल हैं।


प्रतीक्षालय का शिलान्यास

प्रयागराज। शिक्षा निदेशालय में प्रतीक्षालय व प्रसाधन कक्ष का शिलान्यास शुक्रवार को विधायक हर्षवर्धन बाजपेई ने किया। उन्होंने अपनी विधायक निधि से लगभग 20.27 लाख रुपये से इस कार्य को मंजूरी दी है। इस अवसर पर माध्यमिक एवं बेसिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव, उच्च शिक्षा निदेशक प्रो. ब्रम्हादेव, जितेन्द्र कुमार चतुर्वेदी, उपाध्यक्ष दीपक श्रीवास्तव आदि उपस्थित रहे।

Friday, March 24, 2023

आश्रम पद्धति विद्यालयों में भी अब टैबलेट और कंप्यूटर लैब

आश्रम पद्धति विद्यालयों में भी अब टैबलेट और कंप्यूटर लैब


लखनऊ। समाज कल्याण विभाग की ओर से सामाजिक व आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए संचालित आश्रम पद्धति विद्यालयों में टैबलेट व कंप्यूटर लैब की सुविधा शुरू की गई है। इससे कमजोर वर्ग के बच्चों को भी तकनीक आधारित आधुनिक शिक्षा मिल सकेगी।


दरअसल, विभाग छात्र-छात्राओं को शिक्षा के साथ रोजगारपरक प्रशिक्षण देने के लिए सभी जिलों में अनुसूचित छात्रावासों को प्रतिभा केंद्र के रूप में विकसित कर रहा है। बुनियादी व्यवस्थाओं के साथ इन छात्रावासों को उद्यमिता विकास कार्यक्रमों से भी जोड़ा जाएगा। 


समाज कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण ने बताया कि एक साल में सात नए आश्रम पद्धति स्कूल स्वीकृत हुए हैं। वर्तमान में 15 का निर्माण चल रहा है। उन्होंने बताया कि योजनाओं में पारदर्शिता के लिए तकनीक का पूरा प्रयोग किया जा रहा है। वृद्धावस्था पेंशन योजना में आधार लिंक होने के बाद सात लाख बुजुर्ग बढ़े हैं। कई निष्क्रिय खाते बंद भी हुए हैं।

उच्च शिक्षा निदेशालय में शिकायतों का अब निस्तारण आनलाइन

उच्च शिक्षा निदेशालय में शिकायतों का अब निस्तारण आनलाइन


प्रयागराज : उच्च शिक्षा निदेशालय में अब शिकायतों का निस्तारण आनलाइन होगा। हर फाइल में कंप्यूटर क्रमांक अंकित करना अनिवार्य होगा। यह प्रक्रिया निदेशालय में लागू कर दी गई है। शिकायतों का सप्ताह में एक दिन उच्च शिक्षा निदेशक स्तर से समीक्षा होगी। सभी प्रकरण अधिकतम दो सप्ताह में निस्तारित होंगे। इससे मामलों का निस्तारण समय से होगा। 


उच्च शिक्षा निदेशालय में प्रदेश भर के राजकीय और एडेड महाविद्यालयों के शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक कर्मियों के प्रकरणों को निस्तारित किया जाता है। अब तक सभी प्रकरण आफलाइन आते थे। निदेशालय में महाविद्यालयों के कर्मियों और शिक्षकों के पेंशन, जीपीएफ आदि के मामले लंबित हैं। इनके निस्तारण में तेजी लाने के लिए व्यवस्था आनलाइन की गई है।


 निदेशालय में प्राप्त होने वाले प्रकरण को अनुभागों में तैनात निजी सचिव या स्टैनो उसे कंप्यूटर में फीड करेंगे। ऐसे ही महाविद्यालयों और क्षेत्रीय कार्यालयों में प्राप्त होने वाले प्रकरण में भी कंप्यूटर क्रमांक अंकित किया जाएगा। उसके बाद वह फाइल आगे बढ़ेगी। प्रत्येक शुक्रवार को निदेशालय में इसकी समीक्षा होगी। उच्च शिक्षा निदेशक प्रोफेसर ब्रह्मदेव बोले कि इससे पारदर्शिता आएगी। को। प्रकरण निस्तारण की जानकारी निदेशालय की वेबसाइट uphed.gov.in पर उपलब्ध कराई जाएगी।

परिषदीय बच्चों की परीक्षाओं में लापरवाही का आलम, पेपर में छपाई की गलतियों से लेकर कम संख्या में पेपर आने की हर जिले से आ रही सूचना

परिषदीय बच्चों की परीक्षाओं में लापरवाही का आलम, पेपर में छपाई की गलतियों से लेकर कम संख्या में पेपर आने की हर जिले से आ रही सूचना 


लखनऊ। परिषदीय परीक्षाओं में लगातार प्रश्न पत्र में गलत और अधूरे सवालों ने बच्चों के साथ बेसिक शिक्षकों को भी उलझा रखा है। हर प्रश्नपत्र में सवाल गलत और अधूरे पूछे गए। इससे बेसिक शिक्षकों में खासी नाराजगी है। प्रश्न पत्र बनाने व छापने के बाद  बिना जांच के स्कूलों को दिए जाने से यह हालात उपजे हैं। प्राइमरी और जूनियर परीक्षा के प्रश्न पत्रों में लगातार गलतियां निकल रही हैं। 


दूसरी तरफ कम संख्या में पेपर स्कूलों में पहुंचने से भी बेसिक शिक्षकों का काम बढ़ गया है, कई जगहों पर तो शिक्षकों को बोर्ड में पेपर को भी लिखने की सूचनाएं मिली हैं। प्राइवेट प्रिंटर्स की लापरवाही बच्चो पर भारी पड़ रही है। 


इन सब मामलों में शिक्षकों द्वारा की गई शिकायतों को भी कोई सुनने वाला कोई नहीं है। सभी जिम्मेदारों ने न इसका संज्ञान लिया और न ही कोई निर्णय दिया है। कुलमिलाकर पिछले सालों की कमियों को दूर करने के बजाय एक और साल उन्हीं गलतियों के जरिए पूरा हुआ। शिक्षको के अनुसार परिषदीय बच्चों के भविष्य को लेकर यह रवैया बहुत निराशाजनक है।

बेसिक शिक्षकों के 51 हजार पद भरने के लिए शुरू हुआ आंदोलन, मांगों को लेकर बेसिक शिक्षा निदेशालय का किया घेराव

बेसिक शिक्षकों के 51 हजार पद भरने के लिए शुरू हुआ आंदोलन, मांगों को लेकर बेसिक शिक्षा निदेशालय का किया घेराव।

➡️ नई शिक्षक भर्ती को लेकर SCERT पर प्रदर्शन

➡️ पिछले पांच सालों से भर्ती ना होने पर नाराज

➡️ नई प्राथमिक शिक्षक भर्ती ना आने से नाराज़

➡️ प्रदेशभर से आए अभ्यर्थियों ने घेरा SCERT कार्यालय

➡️ प्रदेश सरकार से नाराज़ हैं शिक्षक अभ्यर्थी


लखनऊ। डीएलएड टीईटी, सीटेट पास युवाओं ने बेसिक शिक्षा विभाग में प्राथमिक शिक्षकों के 51 हजार से अधिक खाली पदों पर भर्ती शुरू करने की मांग को लेकर बृहस्पतिवार को बेसिक शिक्षा निदेशालय का घेराव किया युवाओं ने ऐसा न करने पर आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी।


प्रदर्शन कर रहे युवाओं ने बताया कि उन्होंने 2017 में डीएलएड किया। इसके बाद टीईटी और सीटेट भी पास किया। किंतु पांच साल से वह भर्ती के इंतजार में हैं। प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामे में और हाल ही में विधानसभा में भी बताया कि प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों के 51 हजार से अधिक पद खाली हैं। 

2018 में आखिरी बार 69000 पदों पर शिक्षक भर्ती हुई थी। इसके बाद हर साल काफी शिक्षक सेवानिवृत्त भी हो रहे हैं। लेकिन, अभी तक किसी भर्ती का विज्ञापन जारी नहीं हुआ। 


काफी देर प्रदर्शन के बाद महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने युवाओं से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि अभी शासन की ओर से नई भर्ती के लिए कोई आदेश नहीं है। इससे छात्रों में नाराजगी बढ़ गई और उन्होंने नारेबाजी तेज कर दी। इसके बाद पुलिस प्रदर्शनकारियों को बसों में भरकर ईको गार्डेन ले गई। 



प्राथमिक शिक्षक भर्ती का विज्ञापन जारी करने की मांग लेकर शिक्षा निदेशालय पर प्रदर्शन करते युवक

Thursday, March 23, 2023

भ्रष्टाचार की जांच मामले में BEO संघ ने प्रक्रिया को किया कटघरे में खड़ा, ऐसी जांचें बीएसए से लेकर अन्य शिक्षा कार्यालय के अफसरों के न कराने पर भी उठाया सवाल

भ्रष्टाचार की जांच मामले में BEO संघ ने प्रक्रिया को किया कटघरे में खड़ा, ऐसी जांचें बीएसए से लेकर अन्य शिक्षा कार्यालय के अफसरों के न कराने पर भी उठाया सवाल


प्रयागराज  : भ्रष्टाचार के आरोपी 25 खंड शिक्षाधिकारियों के समर्थन में उत्तर प्रदेशीय विद्यालय निरीक्षक संघ ने स्कूल शिक्षा महानिदेशक विजय किरन आनंद के सामने मोर्चेबंदी के लिए कमर कसी है। संघ ने स्कूल शिक्षा महानिदेशक समेत बेसिक शिक्षा मंत्री, मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री, प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा, निदेशक बेसिक शिक्षा को पत्र लिखकर पूरी जांच प्रक्रिया को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है। 


संघ ने आरोप लगाया है कि टेलीफोनिक फीडबैक के आधार पर जांच में आरोप की पुष्टि बिना सुनवाई का मौका दिए एकतरफा कार्रवाई है। यह नैसर्गिक न्याय और विधिक प्रक्रिया का भी उलंघन है। निरीक्षक संघ ने ऐसी जांचें बीएसए, उप शिक्षा निदेशक बेसिक, सचिव बेसिक शिक्षा, राज्य परियोजना कार्यालय के अफसरों का न कराने पर भी सवाल उठाया है। साथ ही नवरात्र के पहले दिन लखनऊ में खंड शिक्षाधिकारियों की बैठक संघ ने बुलाई थी।


विद्यालय निरीक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रमेन्द्र कुमार शुक्ल और महामंत्री वीरेंद्र कुमार कनौजिया ने स्कूल शिक्षा महानिदेशक को संबोधित तीन पेज के पत्र को मीडिया को भी जारी किया है।
इसमें लिखा है कि मात्र टेलीफोन कॉल किसी के विरुद्ध कार्रवाई का कोई ठोस विधिक आधार नहीं है। खंड शिक्षा अधिकारियों के मामले में टेलीफोनिक फीडबैक लेकर कार्रवाई किए जाने के पूर्व कोई ठोस नीति नहीं बनाई गई है। सरकारी सेवकों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही किए जाने के संबंध में सरकारी सेवक अनुशासन एवं अपील नियमावली-1999 में निर्धारित प्रक्रिया का उल्लंघन किया गया है।


सरकार की सरकारी सेवकों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के संबंध में उनके विरुद्ध प्राप्त शिकायती पत्र को शपथ पत्र के रूप में प्रस्तुत करने की स्थिति में ही संज्ञान में लिए जाने की कार्मिक विभाग के स्पष्ट शासनादेशों और उच्च न्यायालय के निर्देशों का भी उल्लंघन किया गया है।


शिक्षकों से फीडबैक लेने के संबंध में यह भी नहीं देखा गया कि ऐसे शिक्षकों से फीडबैक ना लिया जाए जिनके खिलाफ किसी भी स्तर पर विभागीय कार्यवाही चल रही हो या लंबित हो। किन शिक्षकों से फीडबैक लिया जाना है, इसे भी तय नहीं किया गया है।


फीडबैक केवल खंड शिक्षा अधिकारियों के संबंध में लिए गए हैं। बेसिक शिक्षा अधिकारी समेत अन्य विभागीय उच्चाधिकारियों के संबंध में उनके अधीनस्थों से कोई भी फीडबैक नहीं लिया गया है। संघ ने यह सवाल भी उठाया है कि शिक्षा निदेशालय बेसिक एवं राज्य परियोजना कार्यालयों द्वारा संचालित योजनाओं एवं परियोजनाओं के संबंध में विद्यालय स्तर पर पड़ने वाले प्रभाव के संबंध में भी शिक्षकों से कोई भी फीडबैक नहीं लिया गया है।


प्रदेश अध्यक्ष प्रमेन्द्र कमार शुक्ला ने मांग की है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति के तहत शीर्ष स्तर से लेकर धरातल तक सभी स्तरों पर कार्मिक विभाग की नीतियों के तहत कार्रवाई किए जाने की प्रणाली विकसित की जाए। साथ ही 30 वर्षों की सेवा के उपरांत बिना पदोन्नति के सेवानिवृत्त हो रहे खंड शिक्षा अधिकारियों की वेतन विसंगतियों और पदोन्नति से जुड़ी समस्याओं का भी निराकरण किया जाए, जिससे वह और ज्यादा अच्छी तरह कार्य कर सकें।


उधर, कुछ शिक्षक संगठनों के पदाधिकारियों का दावा है निरीक्षक संघ ने जिन मुद्दों को उठाया है ऐसी ही समस्याओं पर वह शिक्षकों के खिलाफ बिना नियमों को ताक पर रखकर कार्रवाई करते रहे हैं। उन्हें भी ऐसे मामलों में शिकायतकर्ता से शपथ पत्र लेने के बाद ही कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए।




केवल फोन पर लिए फीडबैक के आधार पर कार्रवाई की तैयारी पर BEO संघ ने जताई नाराजगी

बात नहीं सुनी गई तो पूरे प्रदेश के बीईओ देंगे धरना और करेगें प्रदर्शन


लखनऊ। शासन की ओर से मात्र फोन के आधार पर खंड शिक्षा अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी पर उप्र विद्यालय निरीक्षक संघ ने नाराजगी जताई है। इंदिरा नगर स्थित आरएलबी स्कूल में बुधवार को हुई बैठक में 25 खंड शिक्षा अधिकारियों ( बीईओ) के खिलाफ की गई जांच पर आपत्ति जताते हुए महानिदेशक स्कूल शिक्षा को ज्ञापन भेजा। साथ ही चेतावनी दी कि अगर उनकी बात को नहीं सुना गया तो पूरे प्रदेश के बीईओ धरना-प्रदर्शन के लिए मजबूर होंगे।


बैठक में संघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रमेंद्र शुक्ला ने कहा कि किसी भी अधिकारी के खिलाफ जांच का आधार सिर्फ फोन नहीं हो सकता है। शिक्षकों से सिर्फ फोन पर फीडबैक लिया गया है, विभाग की तरफ से न तो कोई ठोस आधार लिया गया और न ही सेवा नियमावली का ध्यान रखा गया। यह नियमों के भी खिलाफ है। 


प्रदेश महामंत्री वीरेंद्र कनौजिया ने कहा कि शिक्षकों से फीडबैक लेने से पहले यह तय नहीं किया गया कि किन शिक्षकों से फीडबैक लिया जाए। फीडबैक मात्र बीईओ संवर्ग के बारे में ही प्राप्त किया गया है। 

समय पूर्व मूल्यांकन होने से अप्रैल में आ सकता यूपी बोर्ड का परीक्षा परिणाम

समय पूर्व मूल्यांकन होने से अप्रैल में आ सकता यूपी बोर्ड का परीक्षा परिणाम

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प्रयागराज : यूपी बोर्ड ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा - 2023 की 3.19 करोड़ उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन के लिए 15 दिन निर्धारित किए हैं, लेकिन छह दिन में ही यानी गुरुवार को ही आधी से ज्यादा उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन कर लिया गया। अब तक 1,67,20,732 उत्तरपुस्तिकाएं जांची जा चुकी हैं, जबकि मूल्यांकन पूरा करने की अंतिम तिथि एक अप्रैल है। 


इस तरह 18 मार्च से शुरू हुआ मूल्यांकन तय समय से पहले पूरा हो जाएगा। उधर, हाईस्कूल की ओएमआर शीट पर कराई गई हर विषय की 20 अंकों की परीक्षा का मूल्यांकन परीक्षा के दौरान ही शुरू करा दिया गया था। ऐसे में अप्रैल माह में परिणाम घोषित किया जा सकता है। पिछले वर्ष हाईस्कूल और इंटरमीडिएट का परिणाम 18 जून को घोषित किया गया था । हालांकि वर्ष 2022 में हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा वर्ष 2023 की अपेक्षा विलंब से हुई थी, जो कि 12 अप्रैल को संपन्न हुई थी।


वर्ष 2023 की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा क्रमशः तीन और चार मार्च को संपन्न हुई। यूपी बोर्ड ने 18 मार्च से उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन शुरू करा दिया। यूपी बोर्ड सचिव दिव्यकांत शुक्ल एवं सभी पांच क्षेत्रीय कार्यालयों के अपर सचिव नियमित जिला विद्यालय निरीक्षकों के साथ वर्चुअल मीटिंग कर मूल्यांकन की समीक्षा कर रहे हैं। 


प्रयागराज क्षेत्रीय कार्यालय की अपर सचिव विभा मिश्रा ने उन विषयों की उत्तरपुस्तिकाओं के परीक्षक निर्धारित प्रपत्र से नियुक्त कर मूल्यांकन पूर्ण कराने के निर्देश वर्चुअल मीटिंग में दिए हैं, जिन विषयों बोर्ड से परीक्षक कम लगे हैं। ऐसे परीक्षक मूल्यांकन केंद्रों के उप नियंत्रक जिला विद्यालय निरीक्षक की संस्तुति से केमुहा- 9 प्रपत्र भर कर नियुक्त करते हैं। 


प्रयागराज परिक्षेत्र में 56.08 प्रतिशत मूल्यांकन पूरा किया जा चुका है। बोर्ड सचिव दिव्यकांत शुक्ल ने बताया कि गुरुवार तक प्रदेश भर में 1.67 करोड़ से अधिक उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन किया जा चुका है।




यूपी बोर्ड : पांच दिन में जांची सवा करोड़ से अधिक कॉपी, समय से पहले मूल्यांकन पूरा होने की उम्मीद


प्रयागराज । यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट कॉपियों के मूल्यांकन के पांचवें दिन बुधवार तक सवा करोड़ से अधिक कॉपियां जांची जा चुकी हैं। जिस गति से मूल्यांकन कार्य चल रहा है, उसमें समय से पहले मूल्यांकन पूरा होने की उम्मीद है। मूल्यांकन कार्य एक अप्रैल तक चलना है और अभी दो करोड़ कापियां जांची जानी बाकी हैं। यूपी बोर्ड के सचिव दिब्यकांत शुक्ल का कहना है कि अभी मूल्यांकन के लिए नौ दिन और शेष हैं। बोर्ड का प्रयास है कि कॉपियों का मूल्यांकन निर्धारित अवधि के भीतर हर हाल में हो जाए। बोर्ड के अफसर इस दिशा में सतत प्रयत्नशील हैं।


सचिव का दावा है कि इस बार का प्रशिक्षण मॉड्यूल कारगर रहा। प्रशिक्षण की वजह से कॉपी जांचने में परीक्षकों को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं आ रही है। बोर्ड ने कॉपियों के मूल्यांकन के लिए प्रदेशभर में 1,43,933 परीक्षकों की तैनाती की है। इसके अतिरिक्त रिजर्व परीक्षक भी रखे गए हैं। मूल्यांकन केंद्रों पर पहली बार नियुक्त स्टेटिक मजिस्ट्रेट भी दिनभर रहकर उपप्रधान परीक्षकों को रैंडम तरीके से कॉपियों का बंडल वितरित कर रहे हैं। बोर्ड के अधिकारियों ने निर्धारित समय के पहले कॉपियों के मूल्यांकन की उम्मीद जताई है



केंद्रों पर शिक्षकों की तलाशी पर जताई आपत्ति

यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की कॉपियों के मूल्यांकन केंद्रों पर पुलिसकर्मियों तथा चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों द्वारा शिक्षकों की तलाशी लिए जाने पर उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व विधायक सुरेश कुमार त्रिपाठी ने आपत्ति की है। बोर्ड सचिव दिब्यकांत शुक्ल को पत्र लिखकर पूर्व विधायक ने इस प्रकार के कृत्य तत्काल बंद करने की मांग की है। उन्होंने लिखा है कि शिक्षक जिस पर राष्ट्र निर्माण का दायित्व है उसको संदिग्ध माना जा रहा है। छात्रों की तरह शिक्षकों की तलाशी अत्यंत निंदनीय और अपमानजनक कार्य है। इसे तत्काल बंद किया जाए अन्यथा की स्थिति में संघ को आंदोलन करने पर बाध्य होना पड़ेगा।

कक्षा 6 से परास्नातक तक के संस्कृत छात्रों को सवा अरब से देंगे छात्रवृत्ति, माध्यमिक शिक्षा विभाग ने शासन को भेजा प्रस्ताव

कक्षा 6 से परास्नातक तक के संस्कृत छात्रों को सवा अरब से देंगे छात्रवृत्ति, माध्यमिक शिक्षा विभाग ने शासन को भेजा प्रस्ताव



प्रयागराज । प्रदेश में संचालित राजकीय, अशासकीय सहायता प्राप्त एवं स्ववित्तपोषित संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों व महाविद्यालयों में पढ़ाई कर रहे सभी छात्र - छात्राओं को 1.31 अरब के बजट से छात्रवृत्ति देने की तैयारी है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव की ओर से शासन को कक्षा छह से लेकर स्नातकोत्तर स्तर तक के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति देने के संबंध में प्रस्ताव भेजा गया है। 


सूत्रों के अनुसार छात्रवृत्ति के लिए शासन की ओर से प्रस्ताव मांगा गया था इसलिए जल्द ही इसे मंजूरी मिलने की उम्मीद है। खास बात है कि छात्रवृत्ति संस्कृत पाठी विद्यार्थियों की मेधा के अनुरूप दी जाएगी। 


उदाहरण के तौर पर प्रथमा (कक्षा 6 से 8 तक) में 33 से 45 प्रतिशत अंक पाने वाले विद्यार्थियों को प्रतिमाह 300 रुपये, 45 से 60 प्रतिशत पाने वालों को 325 रुपये जबकि 60 फीसदी या अधिक पाने वालों को 350 रुपये छात्रवृत्ति दी जाएगी। वहीं शास्त्री (स्नातक) व आचार्य (स्नातकोत्तर) में 60 प्रतिशत से अधिक अंक पाने वालों को ही छात्रवृत्ति देने का प्रस्ताव है। 


छात्रावास में रहने वाले प्रथमा से उत्तर मध्यमा तक के छात्रों को 1800 रुपये प्रतिमाह जबकि शास्त्री, आचार्य व शिक्षाशास्त्री के विद्यार्थियों को तीन हजार रुपये प्रतिमाह मिलेंगे।


अभी 50 से 120 रुपये प्रतिमाह देते हैं छात्रवृत्ति

वर्तमान में संस्कृत पढ़ने वाले छात्र- छात्राओं को मात्र 50 से 120 रुपये प्रतिमाह छात्रवृत्ति मिलती है। शासन की मंशा के अनुरूप छात्र-छात्राओं को संस्कृत अध्ययन के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से छात्रवृत्ति में वृद्धि का प्रस्ताव है। पहले प्रदेशभर में पूर्व मध्यमा के 125, उत्तर मध्यमा के 90, शास्त्री के 48 व आचार्य के मात्र 25 विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति दी जाती थी। अब सभी छात्र-छात्राओं को वजीफा मिलेगा।


Wednesday, March 22, 2023

अब 11वीं कक्षा की परीक्षा में भी बहुविकल्पीय सवाल, माध्यमिक शिक्षा विभाग ने शुरू की नए सत्र की तैयारी

अब 11वीं कक्षा की परीक्षा में भी बहुविकल्पीय सवाल, माध्यमिक शिक्षा विभाग ने शुरू की नए सत्र की तैयारी


लखनऊ : माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से नए सत्र 2023-24 को लेकर तैयारी शुरू कर दी गई है। नीकों व दसवीं कक्षा में बहुविकल्पीय सवाल शामिल करने के बाद अब नए सत्र से 11वीं की परीक्षा में भी बहुविकल्पीय सवाल शामिल करने की तैयारी है। विभाग की ओर से नए सत्र की कार्ययोजना सभी मंडल व जिला स्तरीय अधिकारियों से साझा कर सुझाव मांगे गए हैं।



इसके अनुसार नए सत्र में 11वीं की लिखित परीक्षा प्रश्नपत्र के नए प्रारूप के आधार पर होगी। इसमें 1 / 3 सवाल बहुविकल्पीय व 2/3 सवाल वर्णनात्मक होंगे। यानी लगभग 20 सवाल ओएमआर शीट पर देने होंगे। बाकी सवाल वर्णनात्मक होंगे। इसे लेकर संबंधित अधिकारियों से सुझाव मांगे गए हैं। विभाग की ओर से वर्तमान सत्र 2022-23 में नौवीं और दसवीं की परीक्षा में भी इसे शामिल किया गया है। इससे 11वीं के विद्यार्थी को इसमें दिक्कत नहीं होगी।


निदेशक माध्यमिक शिक्षा महेंद्र देव की ओर से जारी नए साल के शैक्षिक कैलेंडर में कक्षा 12 की प्री- बोर्ड प्रयोगात्मक परीक्षाएं जनवरी 2024 के दूसरे सप्ताह, कक्षा 10 व 12वीं की प्री-बोर्ड लिखित परीक्षा जनवरी 2024 के तीसरे सप्ताह में, कक्षा 9 व 11वीं की वार्षिक परीक्षाएं जनवरी तीसरे सप्ताह में प्रस्तावित की गई हैं। वहीं बोर्ड की प्रयोगात्मक परीक्षाएं 16 से 31 जनवरी 2024 और बोर्ड परीक्षाओं का आयोजन फरवरी 2024 में प्रस्तावित किया गया है । इस पर सभी से सुझाव मांगे गए हैं। इसके अनुसार अंतिम एकेडमिक कैलेंडर जारी किया जाएगा।

यूपी बोर्ड : न किताबें बदलेंगी और न पाठ्यक्रम

यूपी बोर्ड : न किताबें बदलेंगी और न पाठ्यक्रम


लखनऊ : यूपी बोर्ड के नए माध्यमिक शिक्षा परिषद् (उ.प्र.) शैक्षणिक सत्र में एनसीईआरटी का आंशिक संशोधित पाठ्यक्रम ही पढ़ाया जाएगा। अधिकतर पुस्तकें पहले से ही बाजार में हैं, जो अभी नहीं हैं वह भी बोर्ड द्वारा समय से उपलब्ध करा दी जाएंगी। यूपी बोर्ड का सत्र अप्रैल से शुरू हो रहा है।


यूपी बोर्ड में 2018 से एनसीआरटी का पाठ्यक्रम पढ़ाया जा रहा है लेकिल कोविड के समय नौवीं से 12वीं कक्षा के पाठ्यक्रम में 30 प्रतिशत की कटौती की गई थी। कोविड के बाद अब सामान्य स्थिति है इसलिए बोर्ड ने नए शैक्षणिक सत्र 2023-24 से संपूर्ण पाठ्यक्रम बहाल करने का निर्णय लिया है। 


बोर्ड के सचिव दिव्यकांत शुक्ल ने बताया कि एनसीईआरटी ने कुछ टापिक हटाते और कुछ जोड़ते हुए आंशिक संशोधन के साथ पाठ्यक्रम तैयार किया है। एनसीईआरटी के आंशिक संशोधन के बाद जारी पाठ्यक्रम ही यूपी बोर्ड में भी पढ़ाया जाएगा 


महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने स्पष्ट किया कि कोविड काल में जिस 30 प्रतिशत पाठ्यक्रम को निलंबित किया था वह पहले भी किताबों का हिस्सा था। उसे पढ़ाई व परीक्षा से हटाया गया था, किताबों में वह मौजूद था।



यूपी बोर्ड नए सत्र से लागू होगा शत-प्रतिशत पाठ्यक्रम

यूपी बोर्ड : 30 प्रतिशत कटौती खत्म, नए सत्र से पढ़ना होगा पूरा पाठ्यक्रम, कोरोना महामारी के कारण दो वर्ष पहले घटाया गया था पाठ्यक्रम, खबर पढ़ें नीचे।

प्रयागराज : यूपी बोर्ड ने मूल्यांकन कार्य के साथ ही नए सत्र 2023-24 में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की तैयारी शुरू कर दी है। नए सत्र में पाठ्यक्रम में 30 फीसदी की कटौती समाप्त कर दी जाएगी। स्कूलों में बच्चों को अब पूरा पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा। कोविड की वजह से पिछले दो वर्ष पाठ्यक्रम में कटौती की गई थी। यूपी बोर्ड के सचिव दिब्यकांत शुक्ल ने बताया कि एक अप्रैल से शुरू होने जा रहे नए सत्र से कक्षा 9 से 12 तक के सभी विषयों में संपूर्ण पाठ्यक्रम लागू किया जाएगा।


बोर्ड इस प्रयास में है कि 2022-23 सत्र की हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट परीक्षा की कॉपियों के मूल्यांकन के बाद जल्द से जल्द परीक्षा परिणाम घोषित कर स्कूलों में शैक्षणिक माहौल कायम कर दे। पिछले दो वर्षों के दौरान कोविड-19 की वजह से विद्यालयों में नियमित पठन-पाठन बाधित रहा था। इस कारण पाठ्यक्रम समिति ने छात्रों के हित को ध्यान में रखते हुए तीस फीसदी पाठ्यक्रम को समाप्त करने की संस्तुति की थी। अब वर्तमान में परिस्थितियां सामान्य होने के कारण नए सत्र से शत-प्रतिशत पाठ्यक्रम लागू किया जाएगा। आगामी सत्र में सभी स्कूलों में सभी विषयों में संपूर्ण पाठ्यक्रम के आधार पर पठन-पाठन होगा। सचिव दिब्यकांत शुक्ल ने कहा कि माध्यमिक स्कूल दो वर्षों के बाद अब नियमित दिनचर्या में आ गए हैं। ऐसे में अब कटौती का कोई औचित्य नहीं रह गया है।


सर्वांगीण विकास के लिए शैक्षणिक गतिविधि भी जरूरी

यूपी बोर्ड ने पठन-पाठन के साथ बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षणेत्तर गतिविधि पर ध्यान देने पर भी बल दिया है। सचिव ने सभी शिक्षाधिकारियों से कहा है कि बच्चों के संपूर्ण विकास में केवल शैक्षिक प्रगति ही नहीं बल्कि शिक्षणेत्तर गतिविधियों में उनका प्रतिभाग करना नितांत आवश्यक है। अत नए सत्र में बच्चों का मानसिक, शारीरिक एवं भावनात्मक विकास भी सुनिश्चित कराएं।

अब तक 92,60,512 कॉपियां जांची गईं

यूपी बोर्ड का मूल्यांकन कार्य प्रदेश के 258 केंद्र पर तेजी से जारी है। चार दिन के भीतर 92,60,512 कॉपियां जांची जा चुकी हैं। उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का लक्ष्य एक अप्रैल तक रखा गया है।


यूपी बोर्ड : 30 प्रतिशत कटौती खत्म, नए सत्र से पढ़ना होगा पूरा पाठ्यक्रम, कोरोना महामारी के कारण दो वर्ष पहले घटाया गया था पाठ्यक्रम


प्रयागराज : यूपी बोर्ड ने वर्ष 2023 की परीक्षा की उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन के साथ ही नए सत्र 2023-24 में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की तैयारी भी शुरू की है। पाठ्यक्रम में हुई 30 प्रतिशत की कटौती नए सत्र में समाप्त होगी। स्कूलों में कक्षा 9-12 तक के सभी विषयों में संपूर्ण पाठ्यक्रम विद्यार्थियों को पढ़ाया जाएगा। कोविड-19 से दो वर्षों से पाठ्यक्रम में कटौती की गई थी। नया सत्र एक अप्रैल से शुरू होगा ।

बोर्ड इस प्रयास में है कि मूल्यांकन के बाद परीक्षा परिणाम घोषित कर स्कूलों में शैक्षणिक माहौल बनाया जा सके।  कोविड-19 की वजह से विद्यालयों में नियमित पठन-पाठन बाधित रहा था। अब वर्तमान में परिस्थितियां सामान्य होने के कारण नए सत्र से शतप्रतिशत पाठ्यक्रम लागू होगा। यूपी बोर्ड सचिव दिव्यकांत शुक्ल बोले कि माध्यमिक स्कूल दो वर्षों के बाद अब नियमित दिनचर्या में आ गए हैं। अब कटौती नहीं होगी।


सर्वांगीण विकास के लिए शैक्षणिक गतिविधि भी जरूरी

यूपी बोर्ड ने पठन-पाठन के साथ बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षणेतर गतिविधि पर ध्यान देने पर बल दिया है। यूपी बोर्ड सचिव ने सभी शिक्षाधिकारियों से कहा है कि बच्चों के संपूर्ण विकास में केवल शैक्षिक प्रगति ही नहीं, बल्कि शिक्षणेतर गतिविधियों में उनका प्रतिभाग नितांत आवश्यक है। अतः नए सत्र में बच्चों का मानसिक, शारीरिक एवं भावनात्मक विकास भी सुनिश्चित कराएं।

Tuesday, March 21, 2023

लम्बित समस्याओं / मांगों को लेकर जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ ने दिया ज्ञापन

लम्बित समस्याओं / मांगों को लेकर जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ ने दिया ज्ञापन


बिना पदोन्नत हुए एक ही पद पर 22 वर्ष की सेवा पूर्ण करने वाले सभी परिषदीय शिक्षकों को 20% की सीमा समाप्त करते हुए प्रोन्नत वेतनमान दिए जाने हेतु जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ ने उठाई मांग

बिना पदोन्नत हुए एक ही पद पर 22 वर्ष की सेवा पूर्ण करने वाले सभी परिषदीय शिक्षकों को 20% की सीमा समाप्त करते हुए प्रोन्नत वेतनमान दिए जाने हेतु जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ ने उठाई मांग


NCTE के द्वारा 23 अगस्त 2010 को जारी व्यवस्था / अधिसूचना के अनुक्रम में पदोन्नति प्रक्रिया सम्पन्न किए जाने हेतु जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ का पत्र

NCTE के द्वारा 23 अगस्त 2010 को जारी व्यवस्था / अधिसूचना  के अनुक्रम में पदोन्नति प्रक्रिया सम्पन्न किए जाने हेतु जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ का पत्र

वर्ष 2020 में विभाग ने जारी किए थे राज्य स्तरीय 'सरस्वती पुरस्कार' और 'शिक्षक श्री पुरस्कार, नहीं बांटे घोषित पुरस्कार –फंस गया सेवा विस्तार

वर्ष 2020 में विभाग ने जारी किए थे राज्य स्तरीय 'सरस्वती पुरस्कार' और 'शिक्षक श्री पुरस्कार, नहीं बांटे घोषित पुरस्कार –फंस गया सेवा विस्तार


लखनऊ। शिक्षक दिवस पर उच्च शिक्षा विभाग की तरफ से दिए जाने वाले राज्य स्तरीय 'सरस्वती पुरस्कार' और 'शिक्षक श्री पुरस्कार' से जुड़ा एक नया विवाद सामने आ गया है। पुरस्कार घोषित कर दिए जाने के बाद भी बांटे न जाने के कारण उन शिक्षकों को सेवा विस्तार भी नहीं मिल पा रहा है, जिन्हें इस पुरस्कार के लिए चुना गया था।


 मेरठ के एक एसोसिएट प्रोफेसर सेवा विस्तार की मांग करते-करते सेवानिवृत्त भी हो गए। यह पुरस्कार प्राप्त होने पर दो. वर्ष का सेवा विस्तार भी मिलता है। उच्च शिक्षा विभाग के विशेष सचिव योगेन्द्र त्रिपाठी ने 12 अक्तूबर 2020 को निदेशक उच्च शिक्षा को पत्र भेज कर दोनों श्रेणी के पुरस्कारों के लिए चयनित शिक्षकों की सूची भेजी थी। साथ ही पुरस्कार राशि के रूप में 25 लाख रुपये जारी किए जाने की जानकारी भी दी थी। इसमें कहा गया था कि निकट भविष्य में पुरस्कार वितरण किए जाने की तिथि निर्धारित की जाएगी। 


यह अलग बात है कि पुरस्कार वितरण की तिथि अभी तक तय नहीं हो पाई। माध्यमिक शिक्षा ने हाल ही में अध्यापक पुरस्कारों की घोषणा की है। इसमें कुछ ऐसे शिक्षक भी हैं, जो पुरस्कार प्राप्त होने से दो वर्ष का सेवा विस्तार पाएंगे। वे आगामी 31 मार्च को ही सेवानिवृत्त होने वाले थे।


इनको मिलना था पुरस्कार

उच्च शिक्षा विभाग ने वर्ष 2020 के तीन सरस्वती पुरस्कारों के लिए लखनऊ विवि की प्रो. पूनम टंडन, प्रतापगढ़ के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सिकंदर लाल व प्रयागराज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शीतला प्रसाद वर्मा को चुना था। छह शिक्षक श्री पुरस्कारों के लिए मेरठ विवि के डॉ. राकेश कुमार गुप्ता, लखनऊ विवि के डॉ. राजेश कुमार शुक्ला, पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर की प्रो. वंदना राय, हेमवंती नंदन बहुगुणा महाविद्यालय नैनी प्रयागराज के डॉ. राजेश कुमार पांडेय, फिरोज गांधी पीजी कॉलेज रायबरेली की डॉ. शीला श्रीवास्तव और एसबीडी कॉलेज धामपुर बिजनौर की डॉ. रेनू चौहान को चुना गया था। सरस्वती पुरस्कार के साथ तीन लाख और शिक्षक श्री पुरस्कार के साथ डेढ़ लाख रुपये की राशि भी दी जाती है।