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Tuesday, August 22, 2119

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    Tuesday, March 19, 2024

    सिद्धार्थनगर : BSA और BEO समेत चार लोगों पर धोखाधड़ी और साजिश रचने के आरोप में मुकदमा दर्ज, जानिए क्या है मामला

    सिद्धार्थनगर : BSA और BEO समेत चार लोगों पर धोखाधड़ी और साजिश रचने के आरोप में मुकदमा दर्ज, जानिए क्या है मामला


    सिद्धार्थनगर। सिद्धार्थनगर जिले में फर्जी तरीके से स्कूलों को मान्यता दिलाने तथा कुछ अन्य आरोपों के सिलसिले में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी और खण्ड शिक्षा अधिकारी समेत शिक्षा विभाग के चार कर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। 


    पुलिस अधीक्षक प्राची सिंह ने बताया कि संतकबीरनगर जिले के बेलवनिया गांव के विनोद प्रताप सिंह की शिकायत की पुलिस के विशेष कार्यबल (एसटीएफ) ने जांच की थी तथा जांच में आरोपों की पुष्टि होने पर सदर कोतवाली क्षेत्र में बेसिक शिक्षा अधिकारी देवेन्द्र कुमार पांडेय, खण्ड शिक्षा अधिकारी कुंवर विक्रम पांडेय, बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में तैनात लिपिक शिव सागर चौबे और मुकुल मिश्रा के खिलाफ रविवार शाम मुकदमा दर्ज किया गया। 

    उन्होंने बताया कि इन अभियुक्तों पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी हस्ताक्षर कर कई स्कूलों को मान्यता दी है, फर्जी उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति की है, गलत तरीके से वेतन निकाला है और उर्दू शिक्षक भर्ती की पत्रावलियों को कार्यालय से गायब किया है। 

    सिंह ने बताया कि इस सिलसिले में रविवार शाम सदर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कर जांच की जा रही है। सूत्रों ने बताया कि संतकबीरनगर जिले के बेलवनिया गांव के विनोद प्रताप सिंह द्वारा लगाए गए आरोपों की एसटीएफ द्वारा जांच में पुष्टि होने पर यह मुकदमा पंजीकृत किया गया है। 

    सूत्रों ने दर्ज रिपोर्ट के हवाले से बताया कि सिद्धार्थनगर जिले के तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी राम सिंह ने 10 फरवरी 2021 और 30 नवंबर 2021 को जिलाधिकारी और बेसिक शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों को पत्र लिखकर अपने फर्जी हस्ताक्षर करके कुछ विद्यालयों को मान्यता दिलाये जाने और फर्जी तरीके से उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति कर वेतन भुगतान किये जाने का आरोप लगाते हुए उसकी जांच की मांग की थी। 

    विनोद प्रताप सिंह के अनुसार जब उन्हें इस कथित जालसाजी की जानकारी हुई तो उन्होंने भी उच्च अधिकारियों से इस प्रकरण की जांच की मांग की। उनके मुताबिक जब कोई निष्कर्ष नहीं निकला तो उन्होंने मौजूदा बेसिक शिक्षा अधिकारी देवेंद्र कुमार पांडे की इस मामले में भूमिका को संदिग्ध मानते हुए मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत की। 

    विनोद प्रताप सिंह ने बताया कि उन्होंने साथ ही, देवेंद्र कुमार पांडे द्वारा पूर्व जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राम सिंह के पत्र पर जांच करने के बजाय संदेहास्पद भूमिका वाले दोनों लिपिकों को संरक्षण दिये जाने और जालसाजों के साथ मिलकर पत्रावलियों को गायब करने की आशंका व्यक्त करते हुए पुलिस के विशेष कार्यबल के अपर पुलिस महानिदेशक अमिताभ यश से भी इसकी शिकायत की थी। सूत्रों के मुताबिक एसटीएफ ने इस मामले की जांच की और वादी विनोद प्रताप सिंह द्वारा लगाए गए आरोपों को सही पाया। 

    यूपी बोर्ड की कॉपियां लेकर पहुंचे शिक्षक की मुजफ्फरनगर में हत्या के विरोध में किया शिक्षकों का कार्य बहिष्कार, कई केंद्रों पर शिक्षकों ने नहीं जांचीं कॉपियां

    यूपी बोर्ड की कॉपियां लेकर पहुंचे शिक्षक की मुजफ्फरनगर में हत्या के विरोध में किया शिक्षकों का कार्य बहिष्कार, कई केंद्रों पर शिक्षकों ने नहीं जांचीं कॉपियां


    प्रयागराज । यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट कॉपियां वाराणसी से लेकर मुजफ्फरनगर पहुंचे राजकीय हाईस्कूल महंगाव वाराणसी के शिक्षक धर्मेन्द्र कुमार की हत्या के विरोध में सोमवार को 13 जिलों के 34 केंद्रों पर शिक्षकों ने कॉपियां नहीं जांची। यूपी बोर्ड की ओर से सभी 75 जिलों में निर्धारित 259 मूल्यांकन केंद्रों में से 225 में सोमवार को कुल 29,32,990 कॉपियां जांची गई।

    तीन दिन में 67,31,957 उत्तरपुस्तिकाएं जांची जा चुकी हैं। सोमवार को प्रयागराज के सात, मुजफ्फरनगर के पांच, वाराणसी के चार, लखनऊ, चंदौली व सिद्धार्थनगर के तीन-तीन, सोनभद्र व बहराइच के दो-दो, गोरखपुर, संभल, कन्नौज, जालौन व अमेठी के एक-एक केंद्र पर मूल्यांकन कार्य स्थगित रहा।

    ■ धर्मेन्द्र कुमार की मौत पर जीआईसी में गरजे शिक्षक, सभा कर दी श्रद्धांजलि

    ■ जीआईसी में शिक्षकों ने की सभा, केंद्रों पर जमकर की नारेबाजी

    ■ मृतक के आश्रित को एक करोड़ मुआवजा के साथ जांच की उठाई मांग

    हत्या के विरोध में कार्य बहिष्कार करते हुए शिक्षकों ने राजकीय इंटर कॉलेज में प्रदर्शन किया और सभा कर श्रद्धांजलि दी। सभा में शिक्षक नेताओं ने मृतक के आश्रित को एक करोड़ मुआवजा, पत्नी आश्रित को सेवानिवृत्ति तक पूर्ण वेतन और हत्याकांड की जांच व तत्काल न्याय की मांग उठाई। 

    माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष पूर्व एमएलसी सुरेश कुमार त्रिपाठी, ठकुराई गुट के प्रदेश महामंत्री लालमणि द्विवेदी, राजकीय शिक्षक संघ के रामेश्वर पांडे, रवि भूषण, अनुज कुमार पांडे, राम प्रकाश पांडे, जगदीश प्रसाद, रविंद्र कुमार त्रिपाठी, कौशलेश प्रसाद त्रिपाठी, उमेश कुमार द्विवेदी, डॉ. विक्रमजीत यादव, डॉ. चन्द्र मणि, सुधीर कुमार मिश्र आदि ने मूल्यांकन केंद्रों पर पहुंचकर मूल्यांकन बंद करवाया और शोक सभा की।

     प्रदर्शन करने वालों में अरुण यादव, मौजूद अहमद, ओपी यादव, जुबेर अहमद, राकेश पांडेय, अभय उपाध्याय, डीडी ओझा, राकेश निर्मल, राजकुंवर, रवि त्रिपाठी, डॉ. देवी शरण त्रिपाठी, डॉ. सुनील कुमार शुक्ल, विनोद कुमार सिंह, मोहन चौधरी, अंजनी कुमार सिंह, शांति भूषण, योगेश कुमार मिश्रा, आदि शामिल रहे। माध्यमिक शिक्षक संघ एकजुट के प्रदेश उपाध्यक्ष उपेन्द्र वर्मा, प्रदेश संरक्षक डॉ. हरिप्रकाश यादव, देवराज सिंह, लक्ष्मी नारायण, यशवंत यादव, मो. जावेद, मिथलेश मौर्य, सुरेंद्र प्रताप, तीर्थराज पटेल, मंत्री सुरेश पासी व अशोक कनौजिया ने भी प्रदर्शन किया।


    शिक्षक की सिपाही द्वारा गोलियां बरसाकर हत्या किये जाने के मामले में विभाग हुआ गंभीर, परिवार के लिए आर्थिक सहायता के लिए शासन को भेजी रिपोर्ट 

    मुजफ्फरनगर। जनपद में वाराणसी से यूपी बोर्ड की उत्तर पुस्तिका लेकर आये शिक्षक धर्मेन्द्र कुमार सिंह की सिपाही चन्द्रप्रकाश द्वारा सरकारी कार्बाइन से गोयिलां बरसाकर हत्या किये जाने के मामले में शासन भी गंभीर है तो शिक्षा जगत में शोक का वातावरण बना हुआ है। 

    उत्तर प्रदेश के शिक्षा निदेशक माध्यमिक डाॅ. महेन्द्र देव द्वारा जनपद से डीआईओएस डाॅ. धर्मेन्द्र शर्मा की भेजी गई रिपोर्ट पर त्वरित कार्यवाही करते हुए शासन से पीड़ित परिवार के लिए आर्थिक सहायता मांगी है। 

    सोमवार को शिक्षक धर्मेन्द्र सिंह का कत्ल होने के बाद मूल्यांकन केन्द्र चौ. छोटूराम इंटर काॅलेज के बाहर सरकूलर रोड को जाम कर धरना देने वाले शिक्षकों के बीच कई नेता भी पहुंचें। 

    वहीं दूसरी ओर डीआईओएस डाॅ. धर्मेन्द्र शर्मा द्वारा भेजी गई रिपोर्ट के आधार पर उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा विभाग के निदेशक डाॅ. महेन्द्र देव ने भी शिक्षक की हत्या पर संवेदना व्यक्त करने के साथ ही शासन को परिवार के लिए आर्थिक सहायता अविलम्ब घोषित करने की मांग करते हुए रिपोर्ट भेज दी है। 


    शराब के नशे में बार-बार मांग रहा था तंबाकू, विरोध करने पर सिपाही ने सरकारी कार्बाइन से अधाधुंध गोलियां बरसाकर ले ली शिक्षक की जान


    यूपी बोर्ड की कॉपियां लेकर एक टीम बनारस से मुजफ्फरनगर आई थी। गाड़ी में किसी बात को लेकर सिपाही और शिक्षक के बीच बहस शुरू हो गई। विवाद इतना ज्‍यादा बढ़ गया कि सिपाही ने टीचर पर कई राउंड फायरिंग कर दी जिससे उसकी मौत हो गई।


    मुजफ्फरनगर: यूपी के मुजफ्फरनगर से बड़ी वारदात सामने आई है। रविवार देर रात यहां मामूली सी बात पर एक पुलिसकर्मी ने स्‍कूल टीचर पर गोलियां बरसा दीं। टीचर की मौके पर ही मौत हो गई। बताया जा रहा है कि वाराणसी से एक पुलिस टीम यूपी बोर्ड की कॉपियां लेकर मुजफ्फरनगर आई थी। इसी दौरान गाड़ी में किसी बात को लेकर बहस होने लगी। 

    देखते ही देखते हेड कॉन्‍स्‍टेबल ने शिक्षक पर कार्बाइन से कई राउंड फायरिंग कर दी। यह घटना सिविल लाइन थाना क्षेत्र के एसडी इंटर कॉलेज के पास हुआ। गोलाबारी के बाद पूरे इलाके में हड़कंप मच गया। पुलिस ने आरोपी पुलिसकर्मी को हिरासत में ले लिया, जबकि शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया।

    पुलिस के अनुसार, यूपी बोर्ड उत्तर पुस्तिकाओं को मूल्यांकन के लिए एक ट्रक में भरकर वाराणसी से लाया गया था। ट्रक में सवार शिक्षक और उनकी सुरक्षा में चल रहे पुलिसकर्मी के बीच किसी बात को लेकर हुए विवाद के बाद फायरिंग हुई। पुलिसकर्मी की सरकारी रायफल की गोली लगने से शिक्षक की मौत हो गई। शिक्षक मूल रूप से जनपद चंदौली का बताया जा रहा है।

    14 मार्च को बनारस से चली थी टीम
    एसपी सिटी सत्यनारायण प्रजापत ने बताया कि मुख्य आरक्षी चन्द्रप्रकाश ने अध्यापक धर्मेन्द्र कुमार को गोली मार दी। वाराणसी से यूपी बोर्ड हाईस्कूल परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाएं लेकर अध्यापक धर्मेन्द्र कुमार और संतोष कुमार एक पुलिस टीम के साथ 14 मार्च को चले थे। प्रयागराज, शहाजहांपुर, पीलीभीत, मुरादाबाद, बिजनौर में कॉपियां उतारकर ये लोग देर रात में मुजफ्फरनगर पहुंचे थे। एसडी इंटर कॉलेज का दरवाजा बंद होने के कारण गाड़ी में ही विश्राम कर रहे थे। गाड़ी में आगे ड्राइवर के साथ सब इंस्पेक्टर नागेंद्र चौहान और अध्यापक संतोष कुमार थे। पीछे मुख्य आरक्षी चन्द्रप्रकाश, अध्यापक धर्मेन्द्र कुमार और दोनों चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी थे।

    किसी को आराम नहीं करने दे रहा था मुख्‍य आरक्षी
    पुलिस ने बताया कि अभी तक ये जानकारी मिली है कि मुख्य आरक्षी चन्द्रप्रकाश शराब के नशे में था और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों से बार-बार तंबाकू मांग रहा था और किसी को आराम नहीं करने दे रहा था। जब अध्यापक धर्मेन्द्र कुमार ने इस पर आपत्ति की तो चन्द्रप्रकाश ने उन पर सरकारी कार्बाइन से फायरिंग कर दी। गोली लगने से अध्यापक धर्मेन्द्र गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्‍हें अस्‍पताल में भर्ती कराया गया जहां डॉक्‍टरों ने मृत घोषित कर दिया।



    Muzaffarnagar: तंबाकू देने से किया इनकार तो सिपाही ने टीचर को गोलियों से भूना, सरकारी कार्बाइन से किए कई राउंड फायर

    Muzaffarnagar News: हत्यारोपी सिपाही शराब के नशे में था और वह रात के समय टीचर से तंबाकू की मांग कर रहा था. तंबाकू ना देने पर आरोपी सिपाही ने इस घटना को अंजाम दे डाला. गोलियों की आवाज से मौके पर हड़कंप मच गया.

    यूपी के मुजफ्फरनगर में एक सिपाही ने टीचर की गोली मारकर हत्या कर दी. सिपाही ने सरकारी कार्बाइन से टीचर को गोली मारी. घटना के वक्त सिपाही और टीचर एक ही वाहन में सवार थे. वे यूपी बोर्ड हाई स्कूल परीक्षा की कॉपी लेकर वाराणसी से मुजफ्फरनगर आए थे. तभी वाहन में दोनों के बीच विवाद हो गया, जिसके चलते सिपाही ने ये खौफनाक कदम उठा डाला. 

    जानकारी के मुताबिक, देर रात वाराणसी से यूपी बोर्ड हाई स्कूल परीक्षा की कॉपी लेकर मुजफ्फरनगर पहुंची टीम में शामिल एक पुलिस ने मामूली बात पर साथ बैठे एक टीचर को गोलियों से भून डाला. घटना की सूचना पर पहुंची पुलिस ने घायल टीचर को उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया, जहां डॉक्टर द्वारा उसे मृत घोषित कर दिया गया. 

    फिलहाल, पुलिस ने मृतक टीचर के शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया है, साथ ही टीम में शामिल सभी लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया है. घटना के बाद मृतक के परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है. 

    बताया जा रहा है कि हत्यारोपी सिपाही शराब के नशे में था और वह रात के समय टीचर से तंबाकू की मांग कर रहा था. तंबाकू ना देने पर आरोपी सिपाही ने इस घटना को अंजाम दे डाला. गोलियों की आवाज से मौके पर हड़कंप मच गया.

    दरअसल, 14 मार्च को वाराणसी से एक टीम यूपी बोर्ड हाई स्कूल परीक्षा की कॉपी लेकर अन्य जनपदों में स्थित कॉलेज में जमा करने के लिए निकली थी. जिसमें टीचर धर्मेंद्र कुमार, संतोष कुमार और पुलिस टीम में उप निरीक्षक नागेंद्र चौहान मुख्य आरक्षी चंद्र प्रकाश के साथ दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी जितेंद्र मौर्य व कृष्ण प्रताप शामिल थे. 

    यह टीम प्रयागराज, शाहजहांपुर, पीलीभीत, मुरादाबाद और बिजनौर में कॉपियां उतारकर रविवार की देर रात मुजफ्फरनगर के सिविल लाइन थाना क्षेत्र स्थित एसडी इंटर कॉलेज पर पहुंची थी. लेकिन कॉलेज के गेट बंद होने के चलते टीम रात के समय गाड़ी में ही आराम कर रही थी. 

    बताया गया कि इसी दौरान टीम में शामिल कॉन्स्टेबल चंद्रप्रकाश द्वारा टीचर धर्मेंद्र कुमार से तंबाकू की मांग की गई, जिस पर तंबाकू ना देने के चलते शराब के नशे में चूर चंद्रप्रकाश ने अपनी कार्बाइन से टीचर धर्मेंद्र पर फायरिंग कर दी. जिसमें कई गोलियां लगने से टीचर धर्मेंद्र गंभीर रूप से घायल हो गए. 

    घटना की सूचना पर पहुंची स्थानीय पुलिस ने घायल टीचर को उपचार के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया, जहां डॉक्टरों ने उपचार के दौरान टीचर को मृत घोषित कर दिया. जिसके बाद पुलिस ने जहां टीचर के शव का पंचनामा भर पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया तो वहीं टीम में शामिल सभी लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया है. 


    पुलिस ने क्या बताया? 

    इस घटना की अधिक जानकारी देते हुए एसपी सिटी सत्यनारायण प्रजापति ने बताया कि दिनांक 17/18 मार्च 2024 की रात्रि में लगभग 1:45 पर थाना सिविल लाइन को सूचना प्राप्त हुई की एसडी इंटर कॉलेज के सामने एक धर्मेंद्र नामक युवक को गोली लगी है. इस सूचना पर थाना पुलिस द्वारा तुरंत मौके पर पहुंचकर जब जानकारी की गई तो यह प्रकाश में आया कि वाराणसी से यूपी हाईस्कूल की कॉपी जमा कराने के लिए एक टीम जनपद वाराणसी से दिनांक 14 मार्च को चली थी. जिसमें दो अध्यापक, दो चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी एवं सुरक्षा गार्ड में एक सब इंस्पेक्टर और एक हेड कांस्टेबल तैनात थे. इसके अलावा ड्राइवर और कंडक्टर भी थे. 

    यह लोग अलग-अलग जनपदों में कॉपियां वितरित करते हुए देर शाम जनपद मुजफ्फरनगर पहुंचे थे, जहां एसडी इंटर कॉलेज में इनको कॉपी जमा करनी थी लेकिन गेट बंद होने की वजह से यह सभी लोग अपनी गाड़ी बाहर खड़ी करके विश्राम कर रहे थे. इसमें शामिल एक हेड कॉन्स्टेबल चंद्र प्रकाश द्वारा धर्मेंद्र नामक व्यक्ति को परेशान किया जा रहा था. कॉन्स्टेबल बार-बार उनसे तंबाकू भी मांग रहा था. धर्मेंद्र ने जब इस बात पर आपत्ति जाहिर की तो चंद्रप्रकाश के द्वारा अपनी कार्बाइन से फायर कर दिया गया. जिसमें धर्मेंद्र को कई राउंड गोलियां लगी हैं.  

    Monday, March 18, 2024

    शराब के नशे में बार-बार मांग रहा था तंबाकू, विरोध करने पर सिपाही ने सरकारी कार्बाइन से अधाधुंध गोलियां बरसाकर ले ली शिक्षक की जान

    शराब के नशे में बार-बार मांग रहा था तंबाकू, विरोध करने पर सिपाही ने सरकारी कार्बाइन से अधाधुंध गोलियां बरसाकर ले ली शिक्षक की जान


    यूपी बोर्ड की कॉपियां लेकर एक टीम बनारस से मुजफ्फरनगर आई थी। गाड़ी में किसी बात को लेकर सिपाही और शिक्षक के बीच बहस शुरू हो गई। विवाद इतना ज्‍यादा बढ़ गया कि सिपाही ने टीचर पर कई राउंड फायरिंग कर दी जिससे उसकी मौत हो गई।


    मुजफ्फरनगर: यूपी के मुजफ्फरनगर से बड़ी वारदात सामने आई है। रविवार देर रात यहां मामूली सी बात पर एक पुलिसकर्मी ने स्‍कूल टीचर पर गोलियां बरसा दीं। टीचर की मौके पर ही मौत हो गई। बताया जा रहा है कि वाराणसी से एक पुलिस टीम यूपी बोर्ड की कॉपियां लेकर मुजफ्फरनगर आई थी। इसी दौरान गाड़ी में किसी बात को लेकर बहस होने लगी। 

    देखते ही देखते हेड कॉन्‍स्‍टेबल ने शिक्षक पर कार्बाइन से कई राउंड फायरिंग कर दी। यह घटना सिविल लाइन थाना क्षेत्र के एसडी इंटर कॉलेज के पास हुआ। गोलाबारी के बाद पूरे इलाके में हड़कंप मच गया। पुलिस ने आरोपी पुलिसकर्मी को हिरासत में ले लिया, जबकि शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया।

    पुलिस के अनुसार, यूपी बोर्ड उत्तर पुस्तिकाओं को मूल्यांकन के लिए एक ट्रक में भरकर वाराणसी से लाया गया था। ट्रक में सवार शिक्षक और उनकी सुरक्षा में चल रहे पुलिसकर्मी के बीच किसी बात को लेकर हुए विवाद के बाद फायरिंग हुई। पुलिसकर्मी की सरकारी रायफल की गोली लगने से शिक्षक की मौत हो गई। शिक्षक मूल रूप से जनपद चंदौली का बताया जा रहा है।

    14 मार्च को बनारस से चली थी टीम
    एसपी सिटी सत्यनारायण प्रजापत ने बताया कि मुख्य आरक्षी चन्द्रप्रकाश ने अध्यापक धर्मेन्द्र कुमार को गोली मार दी। वाराणसी से यूपी बोर्ड हाईस्कूल परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाएं लेकर अध्यापक धर्मेन्द्र कुमार और संतोष कुमार एक पुलिस टीम के साथ 14 मार्च को चले थे। प्रयागराज, शहाजहांपुर, पीलीभीत, मुरादाबाद, बिजनौर में कॉपियां उतारकर ये लोग देर रात में मुजफ्फरनगर पहुंचे थे। एसडी इंटर कॉलेज का दरवाजा बंद होने के कारण गाड़ी में ही विश्राम कर रहे थे। गाड़ी में आगे ड्राइवर के साथ सब इंस्पेक्टर नागेंद्र चौहान और अध्यापक संतोष कुमार थे। पीछे मुख्य आरक्षी चन्द्रप्रकाश, अध्यापक धर्मेन्द्र कुमार और दोनों चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी थे।

    किसी को आराम नहीं करने दे रहा था मुख्‍य आरक्षी
    पुलिस ने बताया कि अभी तक ये जानकारी मिली है कि मुख्य आरक्षी चन्द्रप्रकाश शराब के नशे में था और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों से बार-बार तंबाकू मांग रहा था और किसी को आराम नहीं करने दे रहा था। जब अध्यापक धर्मेन्द्र कुमार ने इस पर आपत्ति की तो चन्द्रप्रकाश ने उन पर सरकारी कार्बाइन से फायरिंग कर दी। गोली लगने से अध्यापक धर्मेन्द्र गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्‍हें अस्‍पताल में भर्ती कराया गया जहां डॉक्‍टरों ने मृत घोषित कर दिया।



    Muzaffarnagar: तंबाकू देने से किया इनकार तो सिपाही ने टीचर को गोलियों से भूना, सरकारी कार्बाइन से किए कई राउंड फायर

    Muzaffarnagar News: हत्यारोपी सिपाही शराब के नशे में था और वह रात के समय टीचर से तंबाकू की मांग कर रहा था. तंबाकू ना देने पर आरोपी सिपाही ने इस घटना को अंजाम दे डाला. गोलियों की आवाज से मौके पर हड़कंप मच गया.

    यूपी के मुजफ्फरनगर में एक सिपाही ने टीचर की गोली मारकर हत्या कर दी. सिपाही ने सरकारी कार्बाइन से टीचर को गोली मारी. घटना के वक्त सिपाही और टीचर एक ही वाहन में सवार थे. वे यूपी बोर्ड हाई स्कूल परीक्षा की कॉपी लेकर वाराणसी से मुजफ्फरनगर आए थे. तभी वाहन में दोनों के बीच विवाद हो गया, जिसके चलते सिपाही ने ये खौफनाक कदम उठा डाला. 

    जानकारी के मुताबिक, देर रात वाराणसी से यूपी बोर्ड हाई स्कूल परीक्षा की कॉपी लेकर मुजफ्फरनगर पहुंची टीम में शामिल एक पुलिस ने मामूली बात पर साथ बैठे एक टीचर को गोलियों से भून डाला. घटना की सूचना पर पहुंची पुलिस ने घायल टीचर को उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया, जहां डॉक्टर द्वारा उसे मृत घोषित कर दिया गया. 

    फिलहाल, पुलिस ने मृतक टीचर के शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया है, साथ ही टीम में शामिल सभी लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया है. घटना के बाद मृतक के परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है. 

    बताया जा रहा है कि हत्यारोपी सिपाही शराब के नशे में था और वह रात के समय टीचर से तंबाकू की मांग कर रहा था. तंबाकू ना देने पर आरोपी सिपाही ने इस घटना को अंजाम दे डाला. गोलियों की आवाज से मौके पर हड़कंप मच गया.

    दरअसल, 14 मार्च को वाराणसी से एक टीम यूपी बोर्ड हाई स्कूल परीक्षा की कॉपी लेकर अन्य जनपदों में स्थित कॉलेज में जमा करने के लिए निकली थी. जिसमें टीचर धर्मेंद्र कुमार, संतोष कुमार और पुलिस टीम में उप निरीक्षक नागेंद्र चौहान मुख्य आरक्षी चंद्र प्रकाश के साथ दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी जितेंद्र मौर्य व कृष्ण प्रताप शामिल थे. 

    यह टीम प्रयागराज, शाहजहांपुर, पीलीभीत, मुरादाबाद और बिजनौर में कॉपियां उतारकर रविवार की देर रात मुजफ्फरनगर के सिविल लाइन थाना क्षेत्र स्थित एसडी इंटर कॉलेज पर पहुंची थी. लेकिन कॉलेज के गेट बंद होने के चलते टीम रात के समय गाड़ी में ही आराम कर रही थी. 

    बताया गया कि इसी दौरान टीम में शामिल कॉन्स्टेबल चंद्रप्रकाश द्वारा टीचर धर्मेंद्र कुमार से तंबाकू की मांग की गई, जिस पर तंबाकू ना देने के चलते शराब के नशे में चूर चंद्रप्रकाश ने अपनी कार्बाइन से टीचर धर्मेंद्र पर फायरिंग कर दी. जिसमें कई गोलियां लगने से टीचर धर्मेंद्र गंभीर रूप से घायल हो गए. 

    घटना की सूचना पर पहुंची स्थानीय पुलिस ने घायल टीचर को उपचार के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया, जहां डॉक्टरों ने उपचार के दौरान टीचर को मृत घोषित कर दिया. जिसके बाद पुलिस ने जहां टीचर के शव का पंचनामा भर पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया तो वहीं टीम में शामिल सभी लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया है. 


    पुलिस ने क्या बताया? 

    इस घटना की अधिक जानकारी देते हुए एसपी सिटी सत्यनारायण प्रजापति ने बताया कि दिनांक 17/18 मार्च 2024 की रात्रि में लगभग 1:45 पर थाना सिविल लाइन को सूचना प्राप्त हुई की एसडी इंटर कॉलेज के सामने एक धर्मेंद्र नामक युवक को गोली लगी है. इस सूचना पर थाना पुलिस द्वारा तुरंत मौके पर पहुंचकर जब जानकारी की गई तो यह प्रकाश में आया कि वाराणसी से यूपी हाईस्कूल की कॉपी जमा कराने के लिए एक टीम जनपद वाराणसी से दिनांक 14 मार्च को चली थी. जिसमें दो अध्यापक, दो चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी एवं सुरक्षा गार्ड में एक सब इंस्पेक्टर और एक हेड कांस्टेबल तैनात थे. इसके अलावा ड्राइवर और कंडक्टर भी थे. 

    यह लोग अलग-अलग जनपदों में कॉपियां वितरित करते हुए देर शाम जनपद मुजफ्फरनगर पहुंचे थे, जहां एसडी इंटर कॉलेज में इनको कॉपी जमा करनी थी लेकिन गेट बंद होने की वजह से यह सभी लोग अपनी गाड़ी बाहर खड़ी करके विश्राम कर रहे थे. इसमें शामिल एक हेड कॉन्स्टेबल चंद्र प्रकाश द्वारा धर्मेंद्र नामक व्यक्ति को परेशान किया जा रहा था. कॉन्स्टेबल बार-बार उनसे तंबाकू भी मांग रहा था. धर्मेंद्र ने जब इस बात पर आपत्ति जाहिर की तो चंद्रप्रकाश के द्वारा अपनी कार्बाइन से फायर कर दिया गया. जिसमें धर्मेंद्र को कई राउंड गोलियां लगी हैं.  

    नई श‍िक्षा नीति का असर : स्‍कूलों में अब नहीं बनेगा रिपोर्ट कार्ड, होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड से झलकेगी बच्‍चे की पर्सनैलिटी

    नई श‍िक्षा नीति का असर : स्‍कूलों में अब नहीं बनेगा रिपोर्ट कार्ड, होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड से झलकेगी बच्‍चे की पर्सनैलिटी


    एक क्लास की पढ़ाई पूरी करने के बाद आता है रिजल्ट. मम्मी-पापा से लेकर फ्रेंड्स तक सभी रिजल्ट के तौर मिलने वाले रिपोर्ट कार्ड देखना चाहते हैं. किस विषय में कितने नंबर आए, क्लास में क्या पोजिशन आई जैसे सवालों का जवाब इसी से मिलता है. लेकिर नई श‍िक्षा नीति में इस पुरानी धारणा को तोड़ने की संस्तुति की गई है. ताकि बच्चों के बीच नंबर्स को लेकर कोई भेदभाव न पनपे. आने वाले सालों में बच्चों को रिपोर्ट कार्ड की जगह स्कूल हॉलिस्ट‍िक प्रोग्रेस कार्ड देंगे. जानिए- ये क्या है. 




    बदलेगा रिपोर्ट कार्ड का पैटर्न 

    अब सिर्फ एग्जाम में मिले ग्रेड और विषयों में मिले नंबरों के आधार पर रिपोर्ट कार्ड नहीं बनाए जाएंगे. नये बदलाव के तहत स्कूल में बच्चे को पढ़ाने वाले टीचर्स, सहपाठी और यहां तक कि पेरेंट्स का फीडबैक भी रिपोर्ट कार्ड में शामिल किया जाएगा. यह कहलाएगा HPC जिसका फुल फॉर्म है हॉलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड. 


    बता दें कि बीते तीन सालों से नेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) की बॉडी PARAKH के अंतर्गत विशेषज्ञों की टीम नए पैटर्न के रिपोर्ट कार्ड तैयार करने पर काम रही है. इसके तहत पहली से 8वीं कक्षा तक के लिए रिपोर्ट कार्ड का नया पैटर्न तैयार कर लिया गया है. वहीं, 9 से 12 तक के स्टूडेंट्स के लिए नये रिपोर्ट कार्ड बनाए जा रहे हैं. 


    HPC में क्या होगा नया 

    नए हॉलिस्टिक रिपोर्ट कार्ड को नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क फॉर स्कूल एजुकेशन (NCFSE) की संस्तुत‍ि के अनुसार तैयार किया जा रहा है. इस रिजल्ट में नबंरों की जगह लर्निंग पर फोकस किया गया है. बच्चे ने कितने सवाल हल करके कितने नंबर पाए से ज्यादा इस बात पर जोर रहेगा कि बच्चे ने पूरे साल कितना सीखा. इससे न सिर्फ स्टूडेंट्स का एकेडमिक रिकॉर्ड रखने में मदद मिलेगी बल्कि स्टूडेंट्स खुद भी रिपोर्ट कार्ड मेकिंग प्रोसेस का हिस्सा बन सकेंगे. 


    एक्टिविटी बेस्ड टेस्ट से परखी जाएगी स्किल

    स्कूल में स‍िखाई जाने वाली स्किल्स का एक्टिविटी बेस्ड टेस्ट लिया जाएगा और हर स्टूडेंट को एक्टिविटी को परखा जाएगा. उन्हें नंबर देने के लिए ये एक्ट‍िविटी इस्तेमाल होगी. 

    मुझे कुछ नया सीखने का मौका मिला

    मैं अपनी क्रिएटिविटी व्यक्त कर पाया

    मैंने दूसरों की मदद की


    एक्टिविटी पूरी हो जाने के बाद स्टूडेंट को खुद इनमें से किसी भी एक ऑप्शन को टिक करना होगा. इसके अलावा कोई स्टूडेंट चाहे तो किसी और तरीके से भी खुद को रिमार्क दे सकता है. इसके लिए मुझे अपना किया काम पसंद आया, मैंने अपने टीचर के इंस्ट्रक्शन अच्छी तरह फॉलो किए जैसे वाक्यों के आगे हां, नहीं, पता नहीं जैसे रिमार्क भी दे सकते हैं. 


    एक्टिविटी पूरी होने के बाद स्टूडेंट्स एक दूसरे को भी फीडबैक दे सकेंगे. इसे एक्टिविटी समझ में आई, मेरे क्लासमेट या टीचर ने एक्टिविटी में मेरी मदद की, एक्टिविटी जीतने में मैंने मदद की जैसे इंडिकेटर से खुद को ग्रेड कर सकेंगे. 


    स्टूडेंट्स को मिलेगा एम्बिशन कार्ड
    इस हॉलिस्टिक रिपोर्ट कार्ड के साथ स्टूडेंट्स को एक एम्बिशन कार्ड भी दिया जाएगा. इस कार्ड में स्टूडेंट्स अपने साल भर के गोल सेट करेंगे और इन गोल को पूरा करने के लिए जरूरी आदतें या स्किल्स की लिस्ट भी बनाएंगे. इसके अलावा क्लास 6 से 8 तक के बच्चों को खुद अपने पर्सनल और प्रोफेशनल गोल सेट करने का मौका भी मिलेगा. 
     

    16 राज्यों के CBSE स्कूलों में बनेगा HPC

    PARAKH CEO इंद्राणी भादुड़ी ने इस बारे में स्पष्ट किया है कि मार्च 2023 में कुछ स्कूलों के साथ पायलट टेस्ट किया गया. अब स्कूलों को हमनें HPC रिपोर्ट कार्ड को अपनाने के निर्देश दिए हैं. स्कूल चाहें तो अपने हिसाब से इसमें जरूरी बदलाव भी कर सकते हैं. अब 15-16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्कूलों और CBSE स्कूलों में HPC लागू हो चुका है और जल्द ही सभी स्कूलों में इसी पैटर्न के साथ रिपोर्ट कार्ड तैयार किए जाएंगे. 

    निजी नर्सिंग कॉलेजों के विद्यार्थियों को मिलेगा सरकारी अस्पतालों में प्रशिक्षण, बीएससी नर्सिंग और एएनएम कोर्स वाले विद्यार्थियों को दो-दो माह का दिया जाएगा प्रशिक्षण

    निजी नर्सिंग कॉलेजों के विद्यार्थियों को मिलेगा सरकारी अस्पतालों में प्रशिक्षण

    बीएससी नर्सिंग और एएनएम कोर्स वाले विद्यार्थियों को दो-दो माह का दिया जाएगा प्रशिक्षण


    लखनऊ। प्रदेश के निजी नर्सिंग कॉलेजों में बीएससी नर्सिंग और सहायक नर्सेज एंड मिडवाइफ (एएनएम) कोर्स करने वाले विद्यार्थियों को सरकारी अस्पतालों में प्रशिक्षण मिलेगा। वे जिला अस्पताल के साथ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी प्रशिक्षण ले सकेंगे। इससे जहां अस्पतालों को मैन पावर मिलेगा, वहीं छात्रों को बेहत्तर प्रशिक्षण मिल सकेगा। इस संबंध में चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण कल्याण विभाग के महानिदेशक प्रशिक्षण डॉ. नरेंद्र अग्रवाल ने आदेश जारी कर दिया है।


    प्रदेश में एएनएम पाठ्यक्रम के लए 150 बेड और बीएससी के लिए 100 बेड का अस्पताल अथवा संबद्ध अस्पताल होना अनिवार्य है। यह कोर्स करने वाले छात्र-छात्राओं के क्लीनिकल प्रशिक्षण के लिए इंडियन नर्सिंग काउंसिल ने तीन बेड पर एक छात्र की संख्यानुपात निर्धारित किया है। नर्सिंग कॉलेजों से संबद्ध तमाम अस्पतालों में पर्याप्त मरीज नहीं मिल पाते हैं। ऐसे में कोर्स करने वाले छात्रों को क्लीनिकल प्रशिक्षण नहीं मिल पाता है। 


    इस समस्या को देखते हुए उत्तर प्रदेश स्टेट मेडिकल फैकल्टी ने चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण महानिदेशक (प्रशिक्षण) को पत्र लिखा। इसमें बीएससी नर्सिंग और एएनएम को जिला अस्पताल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में क्लीनिकल प्रशिक्षण दिलाने की बात कही। इस पर महानिदेशक ने आदेश जारी कर दिया है।


    एक बैच को दो माह

    निजी नर्सिंग कॉलेज आसपास के सरकारी अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक से संपर्क करेंगे। दो-दो माह के प्रशिक्षण के लिए विद्यार्थियों को अस्पताल भेजेंगे। एक वैच के आने के बाद फिर दूसरे बैच को भेजा जा सकेगा।


    बढ़ेगी प्रशिक्षण की गुणवत्ता

    नर्सिंग और एनएनएम के छात्रों को सरकारी अस्पताल में प्रशिक्षण देने की अनुमति मिलने से शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ेगी। अस्पतालों की रीति- नीति से छात्र वाकिफ हो सकेंगे और बेहतर कार्य संस्कृति भी सीखेंगे। - डॉ. धनंजय सिंह, सदस्य नर्सिंग कार्ड

    उत्तर प्रदेश स्टेट मेडिकल फैकल्टी की ओर से निजी क्षेत्र के नर्सिंग कॉलेजों में अध्ययनरत छात्रों को सरकारी अस्पताल में व्यावहारिक प्रशिक्षण की मांग की गई थी, जिसकी अनुमति दे दी गई है। - डॉ. नरेंद्र अग्रवाल, महानिदेशक (प्रशिक्षण) चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग



    बेसिक शिक्षक प्रशिक्षण पर, वार्षिक परीक्षाएं 20 मार्च से

    बेसिक शिक्षक प्रशिक्षण पर, वार्षिक परीक्षाएं 20 मार्च से 


    लखनऊ । प्राइमरी स्कूलों के शिक्षकों के प्रशिक्षण में व्यस्त होने से कक्षा एक से आठ तक के बच्चों की वार्षिक परीक्षाओं पर संकट गहरा गया है। परिषदीय स्कूलों में 20 मार्च से परीक्षाएं होनी हैं। परीक्षा के समय शिक्षकों के पांच तरह के प्रशिक्षण चल रहे हैं। 


     शिक्षकों लगा दिया हेल्थ एण्ड वेलनेस प्रशिक्षण : मोहनलालगंज ब्लॉक में जूनियर स्कूलों के 120 शिक्षकों का चार दिवसीय आयुष्मान भारत के तहत स्कूल हेल्थ एंड वेलनेस का प्रशिक्षण लगा दिया है। इनका प्रशिक्षण 19 से 22 मार्च के बीच सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र (सीएचसी) में होगा। इससे इन स्कूलों में 20 मार्च से शुरू हो रही वार्षिक परीक्षाओं को कराने में अड़चन आएगी। बीकेटी में सातचें चरण के निपुण भारत शिक्षक संदर्शिका का चार दिवसीय प्रशिक्षण चल रहा है। बीआरएसी, एनपीआरसी व डायट में प्रशिक्षण चल रहे हैं।


    बजट खपाने को लगा दिये प्रशिक्षणः मार्च के आखिर तक बजट खपाने के लिए अधिकारिगों ने शिक्षकों के लगातार है कि मार्च में प्रशिक्षण पूरा न कराने पर बजट वापस चला जाएगा। 


    ये चल रहे प्रशिक्षण

    ■ निपुण भारत शिक्षक संदर्शिका

    ■शारदा प्रशिक्षण

    ■ समेकित शिक्षा (मूक बधिर बच्चे)

    ■ विज्ञान का प्रशिक्षण

    ■ हेल्थ एण्ड वेलनेस प्रशिक्षण


    'परीक्षा में आएगी दिक्कत'

    प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने कहा 20 मार्च से वार्षिक परीक्षाएं शुरू होनी हैं। 19 मार्च से चार दिवसीय हेल्थ एंड वेलनेस प्रशिक्षण में एक स्कूल के दो-दो शिक्षकों का प्रशिक्षण लगा दिया है। 120 शिक्षकों के प्रशिक्षण की सूची सीएचसी चिकित्सा अधीक्षक की ओर से जारी की गई है। ऐसे में स्कूल में बचे एक-एक शिक्षकों से परीक्षाएं कराने में दिक्कतें आएंगी।


    परीक्षाओं का समय लगाए जाने की जानकारी नहीं हैं। यदि प्रशिक्षण लगा है तो इसे आगे बढ़ाया जाएगा। –राम प्रवेश, बीएसए -


    Sunday, March 17, 2024

    बैंक खातों में जाएगा वित्तविहीन विद्यालयों के शिक्षकों का वेतन, 25 हजार माध्यमिक स्कूलों के लाखों शिक्षकों का रुकेगा शोषण

    बैंक खातों में जाएगा वित्तविहीन विद्यालयों के शिक्षकों का वेतन25 हजार माध्यमिक स्कूलों के लाखों शिक्षकों का रुकेगा शोषण

    अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक ने जारी किए दिशा-निर्देश


    लखनऊ। प्रदेश के लगभग 25 हजार वित्तविहीन मान्यता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के लाखों शिक्षकों का शोषण रोकने के लिए बड़ी पहल की गई है। इसके तहत इन कॉलेजों को अपने यहां तैनात शिक्षकों का वेतन सीधे उनके बैंक खातों में या चेक के माध्यम से देना होगा। इससे कॉलेजों की सच्चाई भी सामने आएगी क्योंकि अभी तक वे शिक्षकों को आधा-अधूरा व मनमाना पैसा ही देते थे।


    वित्तविहीन विद्यालयों में शिक्षकों को कहीं पांच तो कहीं आठ हजार रुपये वेतन दिया जा रहा है, जबकि उन्हें न्यूनतम 15 हजार रुपये वेतन व अन्य सुविधाएं मिलनी चाहिए। यह मामला कई बार शासन के संज्ञान में लाया गया। शिक्षक संघ भी काफी समय से मांग कर रहे थे कि शिक्षकों का वेतन बैंक खाते में भेजा जाए, क्योंकि काफी कम वेतन पर उनसे पूरा काम लिया जाता है। उन्हें छुट्टी आदि मिलने में काफी दिक्कत आती है।


    शासन ने इस बाबत पूर्व में आदेश जारी किया था, लेकिन उसका पालन नहीं हो रहा था। इसी क्रम में अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक सुरेंद्र कुमार तिवारी ने सभी मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक, मंडलीय उपशिक्षा निदेशक, डीआईओएस और वित्त व लेखाधिकारी को निर्देश दिया है कि ऐसे विद्यालयों में वेतन व अन्य भुगतान बैंक खाते में या चेक से किया जाए। ऐसा न करने पर उनकी मान्यता को लेकर सख्ती की जाएगी।


    ■ अपर शिक्षा निदेशक ने यह भी निर्देश दिया है कि अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों व कर्मचारियों को फॉर्म 16 निशुल्क दिया जाए। जानकारी के अनुसार कई कॉलेज इसके लिए भी शिक्षकों-कर्मचारियों से शुल्क लेते हैं। शुल्क न देने पर उन्हें फॉर्म नहीं दिया जाता है।

    बैंक खातों में जाएगा वित्तविहीन विद्यालयों के शिक्षकों का वेतन, 25 हजार माध्यमिक स्कूलों के लाखों शिक्षकों का रुकेगा शोषण

    बैंक खातों में जाएगा वित्तविहीन विद्यालयों के शिक्षकों का वेतन25 हजार माध्यमिक स्कूलों के लाखों शिक्षकों का रुकेगा शोषण

    अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक ने जारी किए दिशा-निर्देश


    लखनऊ। प्रदेश के लगभग 25 हजार वित्तविहीन मान्यता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के लाखों शिक्षकों का शोषण रोकने के लिए बड़ी पहल की गई है। इसके तहत इन कॉलेजों को अपने यहां तैनात शिक्षकों का वेतन सीधे उनके बैंक खातों में या चेक के माध्यम से देना होगा। इससे कॉलेजों की सच्चाई भी सामने आएगी क्योंकि अभी तक वे शिक्षकों को आधा-अधूरा व मनमाना पैसा ही देते थे।


    वित्तविहीन विद्यालयों में शिक्षकों को कहीं पांच तो कहीं आठ हजार रुपये वेतन दिया जा रहा है, जबकि उन्हें न्यूनतम 15 हजार रुपये वेतन व अन्य सुविधाएं मिलनी चाहिए। यह मामला कई बार शासन के संज्ञान में लाया गया। शिक्षक संघ भी काफी समय से मांग कर रहे थे कि शिक्षकों का वेतन बैंक खाते में भेजा जाए, क्योंकि काफी कम वेतन पर उनसे पूरा काम लिया जाता है। उन्हें छुट्टी आदि मिलने में काफी दिक्कत आती है।


    शासन ने इस बाबत पूर्व में आदेश जारी किया था, लेकिन उसका पालन नहीं हो रहा था। इसी क्रम में अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक सुरेंद्र कुमार तिवारी ने सभी मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक, मंडलीय उपशिक्षा निदेशक, डीआईओएस और वित्त व लेखाधिकारी को निर्देश दिया है कि ऐसे विद्यालयों में वेतन व अन्य भुगतान बैंक खाते में या चेक से किया जाए। ऐसा न करने पर उनकी मान्यता को लेकर सख्ती की जाएगी।


    ■ अपर शिक्षा निदेशक ने यह भी निर्देश दिया है कि अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों व कर्मचारियों को फॉर्म 16 निशुल्क दिया जाए। जानकारी के अनुसार कई कॉलेज इसके लिए भी शिक्षकों-कर्मचारियों से शुल्क लेते हैं। शुल्क न देने पर उन्हें फॉर्म नहीं दिया जाता है।

    Saturday, March 16, 2024

    शिक्षामित्रों के मानदेय में बढ़ोतरी की संभावनाएं बढ़ी, समस्याओं के लिए गठित समिति ने मानदेय 15 हजार रुपये तक करने की सहमति दी

    शिक्षामित्रों के मानदेय में बढ़ोतरी की संभावनाएं बढ़ी, समस्याओं के लिए गठित समिति ने मानदेय 15 हजार रुपये तक करने की सहमति दी

    उच्चस्तरीय समिति ने डेढ़ गुना तक बढ़ोतरी पर जताई सहमति, कोर्ट ने भी दिए थे निर्देश


    लखनऊ : चुनावी माहौल में प्रदेश के शिक्षामित्रों को जल्द बढ़े मानदेय का तोहफा मिल सकता है। सरकार इनका मानदेय लगभग डेढ़ गुना तक करने की तैयारी कर रही है। शिक्षमित्रों की समस्याओं के लिए गठित समिति ने भी मानदेय 15 हजार रुपये तक करने की सहमति दे दी है। जल्द विभाग इस बाबत शासन को प्रस्ताव भेजेगा।

    शिक्षामित्रों का मानदेय अभी 10 हजार रुपये है। आखिरी बार उनका मानदेय 2017 में बढ़ाया गया था। यह बढ़ोतरी बतौर शिक्षक उनका समायोजन निरस्त होने के बाद की गई थी। अब काफी समय से शिक्षामित्र मानदेय बढ़ाने की मांग कर रहे है। इस संबंध में वे हाई कोर्ट भी गए थे। 


    हाई कोर्ट ने 12 जनवरी को अपने एक आदेश में कहा था कि मानदेय कम है। सरकार तीन महीने के अंदर इनको सम्मानजनक मानदेय देने पर विचार करे। इसके लिए उच्चस्तरीय समिति भी गठित की जाए।

    कोर्ट के आदेश से पहले 13 दिसंबर को ही सरकार शिक्षामित्रों की समस्याओं को लेकर वेसिक शिक्षा निदेशक की श्री। इसमें एससीईआरटी निदेशक, वित्त नियंत्रक एमडीएम प्राधिकरण और परीक्षा नियामक प्राधिकारी को शामिल किया गया था। यह समिति ही शिक्षामित्रों के साथ बैठक कर रही है। समिति ने इस मानदेय वढ़ाने पर सहमति जताई है। मानदेय में 5000 रुपये तक की बढ़ोतरी की जा सकती है। इस संबंध में उच्च स्तर पर वार्ता भी हुई है।


    1.42 लाख शिक्षामित्रों को होगा लाभ 
    इससे पहले 2017 में जव बढ़ोतरी की गई थी, तव शिक्षामित्रों की संख्या लगभग 1.73 लाख थी। इनमें से काफी शिक्षा मित्र अलग-अलग भर्ती परीक्षा पास करके शिक्षक वन गए। लगभग 1.42 लाख शिक्षामित्र अव भी वचे हैं। इनको मानदेय वढ़ोतरी का लाभ मिलेगा।


    कैसे बनी सहमति ?

    प्रदेश में शिक्षामित्रों की संख्या अब भी काफी ज्यादा है। कई स्कूल तो शिक्षामित्रों के सहारे ही है। छह साल से उनका मानदेय नहीं बढ़ाया गया। वे लगातार मांग कर रहे हैं। सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता भी उनकी पैरवी करते रहे हैं। इस दौरान हाई कोर्ट ने भी मानदेय बढ़ोतरी पर विचार करने के निर्देश दिए। इस तरह सरकार पर लगातार दबाव बन रहा है। इस बीच लोकसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दबाव भी है। ऐसे में मानदेय बढ़ोतरी से दबाव को कम किया जा सकेगा। साथ ही श्रेय भी हासिल हो सकता है।

    बेसिक शिक्षकों की समस्याओं पर समाधान की मांग को लेकर DGSE से मिला जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ का प्रतिनिधि मंडल, देखें पत्र

    बेसिक शिक्षकों की समस्याओं पर समाधान की मांग को लेकर DGSE से मिला जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ का प्रतिनिधि मंडल, देखें पत्र 


    बेसिक शिक्षकों के एनपीएस खाते में नियुक्ति तिथि से नियोक्ता अंशदान (राज्यांश) की क्षतिपूर्ति किए जाने की मांग के सम्बन्ध में

    प्रयागराज: विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन उत्तर प्रदेश द्वारा एनपीएस से आच्छादित बेसिक शिक्षकों के एनपीएस खाते में नियुक्ति तिथि से नियोक्ता अंशदान (राज्यांश) की क्षतिपूर्ति किए जाने की मांग के सम्बन्ध में 


    Friday, March 15, 2024

    हाईस्कूल एवं इण्टरमीडिएट परीक्षा-2024 की उत्तर-पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के सम्बंध में महत्वपूर्ण निर्देश जारी


    सीसीटीवी के पहरे में यूपी बोर्ड में उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन कल से


    प्रयागराज : हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट परीक्षा की उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन 16 मार्च से शुरू हो रहा है, जो 31 मार्च तक चलेगा। इस अवधि में कुल 3.01 करोड़ उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन किया जाएगा, जिसके लिए प्रदेश भर में 260 मूल्यांकन केंद्र बनाए गए हैं। मूल्यांकन केंद्रों की निगरानी सीसीटीवी से की जाएगी।

    यूपी बोर्ड सचिव दिब्यकांत शुक्ल ने कहा है कि जिस तरह परीक्षा केंद्रों की कमांड कंट्रोल रूम से आनलाइन निगरानी कराई गई, उसी तरह मूल्यांकन केंद्रों की भी मानीटरिंग की जाएगी। इसके लिए तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। मामले पर माध्यमिक शिक्षा निदेशक डा. महेंद्र देव ने जिला विद्यालय निरीक्षकों को पत्र भेजकर कहा है कि उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन का कार्य अत्यंत गोपनीय एवं संवेदनशील प्रकृति का है, इसलिए कड़ी निगरानी कराई जाए। 

    साथ ही मूल्यांकन केंद्रों को जनपदीय/राज्यस्तरीय तथा यूपी बोर्ड मुख्यालय प्रयागराज सहित मेरठ, बरेली, गोरखपुर, प्रयागराज एवं वाराणसी क्षेत्रीय कार्यालय के कमांड कंट्रोल रूम से आनलाइन निगरानी के लिए लिंक करा लिया जाए। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि मूल्यांकन केंद्रों में मूल्यांकन से संबंधित अध्यापकों/कार्मिकों के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति का प्रवेश न होने पाए।


    हाईस्कूल एवं इण्टरमीडिएट परीक्षा-2024 की उत्तर-पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के सम्बंध में महत्वपूर्ण निर्देश जारी 


    लंबी सेवाओं की आड़ में अवैध नियुक्ति को वैधानिक मान्यता नहीं दी जा सकती – हाईकोर्ट , 30 वर्ष पुरानी सेवा की नियुक्ति निरस्त करने पर बलिया के शिक्षक को नहीं मिली हाईकोर्ट से राहत

    लंबी सेवाओं की आड़ में अवैध नियुक्ति को वैधानिक मान्यता नहीं दी जा सकती – हाईकोर्ट 

    30 वर्ष पुरानी सेवा की नियुक्ति निरस्त करने पर बलिया के शिक्षक को नहीं मिली हाईकोर्ट से राहत


    प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक निर्णय में कहा है कि लंबी सेवाओं की आड़ में किसी अवैध नियुक्ति को वैधानिक मान्यता नहीं दी जा सकती है। इसी के साथ कोर्ट ने 30 वर्ष पहले नियुक्त अध्यापक की सेवा समाप्ति को वैध माना है। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने बलिया के श्री चिंतामणि बाबा जूनियर हाईस्कूल में सहायक अध्यापक रहे दिनेश कुमार सिंह की याचिका को खारिज करते हुए दिया है।


    एसटीएफ ने प्रदेशभर में हुई गोपनीय जांच में याची की अवैध बीएड डिग्री चिह्नित की थी। बीएसए की जांच के बाद नियोक्ता ने अध्यापक की 30 वर्ष पुरानी नियुक्ति को निरस्त कर दिया था। याची को 1991 में राष्ट्रीय पत्राचार संस्थान कानपुर से जारी शिक्षा अलंकार डिग्री के आधार पर नियुक्त किया गया था।


     याची के अधिवक्ता ने कोर्ट से तीन दशक लंबे अध्यापन कार्य का हवाला देते हुए राहत की मांग की। वहीं राज्य सरकार के वकील ने हाईकोर्ट के विनोद कुमार उपाध्याय केस का हवाला दिया, जिसमें शिक्षा अलंकार उपाधि को अवैध घोषित करते हुए प्रदेश भर से उक्त डिग्री के आधार पर नियुक्त शिक्षकों को बर्खास्त करने के निर्देश दिए गए हैं।


    कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सूर्य प्रकाश पांडेय बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के मामले में शिक्षा अलंकार डिग्री के आधार पर की गई 22 वर्ष पहले की नियुक्ति का निरस्तीकरण वैध माना है।

    डिजिटल उपस्थिति में सीतापुर लगातार अव्वल, महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने टैबलेट से शत प्रतिशत हाजिरी लगवाने के दिए निर्देश

    देखें टॉप 5 और पिछड़े 5 जिलों के नाम, डिजिटल उपस्थिति में सीतापुर लगातार अव्वल, महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने टैबलेट से शत प्रतिशत हाजिरी लगवाने के दिए निर्देश

    ● 1.33 लाख स्कूलों में एक से आठ तक के 167 करोड़ बच्चे

    दस प्रतिशत से भी कम बच्चों की टैबलेट से उपस्थिति लग रही 


    प्रयागराज : परिषदीय प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और कंपोजिट विद्यालयों में टैबलेट से बच्चों की उपस्थिति के विरोध के बीच डिजिटल हाजिरी लगाने में सीतापुर के शिक्षक सबसे अव्वल हैं तो वहीं प्रयागराज को चौथा स्थान मिला है। तमाम प्रयासों के बावजूद 1,33,035 परिषदीय स्कूलों में पंजीकृत कक्षा एक से आठ तक के 1,67,84,645 छात्र-छात्राओं में से 12,76,248 की भी ऑनलाइन हाजिरी नहीं हो पा रही है। यानि दस प्रतिशत से भी कम बच्चों की टैबलेट से उपस्थिति लग रही है।

    महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने सभी जिलों के बेसिक शिक्षाधिकारियों को सात मार्च की ऑनलाइन रिपोर्ट भेजकर टैबलेट से शत-प्रतिशत हाजिरी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। एकमात्र सीतापुर जिले को छोड़कर किसी अन्य जिलों में 30 प्रतिशत बच्चों की भी ऑनलाइन हाजिरी नहीं लग रही है। 

    सीतापुर में 5,54,808 बच्चों में से 2,28,454 या 41.18 प्रतिशत बच्चों की टैबलेट के माध्यम से उपस्थिति लगाई गई। ऑनलाइन हाजिरी में राजधानी लखनऊ के शिक्षक 46वें स्थान पर हैं तो वहीं वाराणसी के 20वें, आगरा 49वें, मेरठ 51वें, कानपुर नगर 53वें, कानपुर देहात 55वें, गोरखपुर 68वें और गाजियाबाद के शिक्षक 61वें स्थान पर हैं।


    टॉप फाइव जिले
    सीतापुर 
    हरदोई 
    मैनपुरी 
    प्रयागराज 

    सबसे पिछड़े जिले
    महराजगंज 
    बदायूं 
    बांदा 
    बहराइच 
    फतेहपुर 




    मूल्याकंन पारिश्रमिक में 33 फीसदी बढ़ोतरी पर बनी सहमति, सिटीजन चार्टर तैयार करने के लिए 11 सदस्यीय कमेटी बनी

    मूल्याकंन पारिश्रमिक में 33 फीसदी बढ़ोतरी पर बनी सहमति, सिटीजन चार्टर तैयार करने के लिए 11 सदस्यीय कमेटी बनी


    15 मार्च 2024
    प्रयागराज : शिक्षा निदेशक माध्यमिक डॉ. महेन्द्र देव एवं उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ (एकजुट) के प्रतिनिधिमंडल के बीच कई बिंदुओं पर डेढ़ घंटे गुरुवार को चर्चा हुई। कुछ बिंदुओं पर तत्काल आदेश जारी करने की सहमति बनी। मूल्यांकन पारिश्रमिक में 33 की वृद्धि, वित्तविहीन शिक्षकों का वेतन भुगतान उनके बैंक खाते में करने एवं फार्म -16 सभी को निशुल्क उपलब्ध कराया जाए।

    इस दौरान सिटीजन चार्टर तैयार करने के लिए 11 सदस्यीय कमेटी अपर शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में बना दी गयी है जो 15 अप्रैल तक सिटीजन चार्टर का प्रारूप तैयार कर उपलब्ध कराएगी। इस दौरान रिक्त प्रधानाचार्य पदों पर भर्ती के सम्बंध में शिक्षा निदेशक ने कहा कि आयोग के गठन की कार्यवाही गतिमान है। आयोग गठित होते ही रिक्त पदों का विवरण उपलब्ध कराते हुए भर्ती प्रक्रिया सम्पन्न होगी। 

    प्रतिनिधि मंडल में जिसमें प्रदेश अध्यक्ष सोहन लाल वर्मा, प्रांतीय संरक्षक डॉ. हरि प्रकाश यादव, प्रांतीय उपाध्यक्ष उपेन्द्र वर्मा, प्रदेश प्रवक्ता श्रवण कुशवाहा, प्रदेश सोसल मीडिया प्रभारी प्रमोद पाल, जिला मंत्री लखनऊ मनोज कुमार, संयुक्त मंत्री लखनऊ संगीता, जिला मंत्री प्रयागराज देवराज सिंह आदि शामिल रहे।


    अफसरों ने बताया कि कुछ मुद्दों पर शासन को प्रस्ताव भेजा गया है, जिस पर शीघ्र अनुमति मिलने की संभवाना है जैसे कि सेवा सुरक्षा, पदोन्नति, ऑनलाइन स्थानांतरण, एक अप्रैल 2005 के पूर्व के विज्ञापन पर नियुक्त शिक्षकों को पुरानी पेंशन दिया जाना शामिल है। इसके अलावा सिटीजन चार्टर तैयार करने के लिए 11 सदस्यीय कमेटी अपर शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में बना दी गई। यह कमेटी 15 अप्रैल तक सिटीजन चार्टर का प्रारूप तैयार कर उपलब्ध कराएगी।

    इस दौरान रिक्त प्रधानाचार्य पदों पर भर्ती के संबंध में शिक्षा निदेशक ने आग्रह किया गया। बताया गया कि इसके लिए आयोग के गठन की कार्यवाही चल रही है। आयोग गठित होते ही रिक्त पदों का विवरण उपलब्ध कराते हुए भर्ती प्रक्रिया पूरी करा ली जाएगी। यह आयोग निर्धारित करेगा कि भर्ती परीक्षा के माध्यम से होगी या मेरिट और साक्षात्कार से।

    समायोजन के मुद्दे पर एकजुट ने दो आपत्ति दर्ज कराई। प्रथम यह कि समायोजित शिक्षक की वरिष्ठता निर्धारित किया जाए और दूसरा जिन विद्यालयों में छात्र संख्या शिक्षकों के अनुपात में अधिक है, वहां शिक्षकों की तैनाती हो।



    शर्तें नहीं मानीं तो बोर्ड कॉपी नहीं जांचेंगे, हजारों शिक्षकों ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक कार्यालय को घेरा

    14 मार्च 2024
    उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (एकजुट) के बैनर तले बुधवार को करीब डेढ़ हजार शिक्षकों ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक कार्यालय का घेराव एवं प्रदर्शन किया। सुबह 10 बजे से देर शाम तक करीब नौ घंटे धरना चला। अफसरों के ढुलमुल रैवये से नाराज शिक्षक सड़क पर आ गए और लंबित मांगों के जल्द निस्तारण को लेकर नारेबाजी की। शिक्षक विधानभवन की ओर बढ़ने लगे लेकिन उनको बीच में रोक दिया गया। वहीं माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव ने गुरुवार को वार्ता के लिए समय दिया है।


    शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सोहन लाल वर्मा ने चेतावनी दी कि शासन अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों की खत्म की गई सेवा सुरक्षा शर्तों की जल्द बहाल करे। अन्यथा शिक्षक 16 मार्च से शुरू हो रही यूपी बोर्ड परीक्षाओं की कापियों के मूल्यांकन का बहिष्कार करेंगे।

    शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सोहन लाल वर्मा ने कहा कि चयन बोर्ड अधिनियम 1982 को रद्द करके उसके तहत मिलने वाली धारा 21 की सुरक्षा को शासन ने खत्म कर दिया। आठ माह से पूरे प्रदेश में पदोन्नति बंद है। कार्यवाहक प्रधानाचार्यों को मिलने वाले प्रधानाचार्य ग्रेड को खत्म कर दिया गया है। जानकारी के अनुसार बता दें कि केन्द्र सरकार एक अप्रैल 2005 के पूर्व के विज्ञापन पर नियुक्ति पाये कार्मिकों को पुरानी पेंशन दे चुकी है, लेकिन प्रदेश सरकार उस निर्णय को लागू नहीं कर रही है।

    इस मौके पर प्रदेशीय कोषाधक्ष बिजेन्द्र वर्मा ने कहा कि न्यू पेंशन स्कीम में शिक्षकों के वेतन से कटौती प्रतिमाह हो रही लेकिन सरकारी अंशदान का ग्रांट समय से न मिलने के कारण शिक्षकों के प्रान खाते में कटौती की राशि समय से नहीं भेजी रही है। इस मौके पर प्रदेशीय मंत्री संदीप शुक्ला, उपाध्यक्ष उपेन्द्र वर्मा, संतराम बौद्ध, पवन कुमार यादव, माइनुद्दीन अंसारी,तीर्थराज पटेल, पुरुषोत्तम वर्मा समेत करीब डेढ़ हजार शिक्षकों ने विरोध दर्ज कराया।

    उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (एकजुट) ने बुधवार को धरना प्रदर्शन किया। शिक्षक विधान भवन की ओर भी बढ़े लेकिन रास्ते में रोक दिया गया।


    तीनों बोर्ड के मूल्यांकन पारिश्रमिक में भी अंतर
    सीबीएसई और यूपी बोर्ड की कापियों का मूल्यांकन करने वाले शिक्षकों के पारिश्रमिक में तिगुने से अधिक का अंतर है। शिक्षकों में नाराजगी है। शिक्षकों का आरोप है सीबीएसई के परीक्षकों के मुकाबले इन्हें कम पारिश्रमिक दिया जाता है। माध्यमिक शिक्षक संघ (एकजुट) के प्रदेश अध्यक्ष सोहनलाल वर्मा ने बताया कि संगठन की ओर से कई साल से मूल्यांकन का पारिश्रमिक बढ़ाने की मांग हो रही है। 16 मार्च से यूपी बोर्ड परीक्षाओं के हाईस्कूल और इंटरमीडएट की कॉपियों का मूल्यांकन शुरू होना है। 

    सीबीएसई शिक्षकों को प्रति कापी मूल्यांकन का 40 रुपये देता है। इन्हें प्रत्येक दिन जलपान के लिए 100 रुपये देता है। जबकि यूपी बोर्ड हाईस्कूल की प्रति उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन के एवज में 11 रुपये व इंटर में 13 रुपये प्रति उत्तर पुस्तिका भुगतान करता है। वहीं जलपान के लिए रोज का महज 20 रुपये मिलता है। इस 20 रुपये में लंच छोड़िये इसमें दो चाय भी पी पाना मुश्किल होता है।



    वार्ता बेनतीजा होने के बाद 13 मार्च को लखनऊ में निदेशक कार्यालय पर धरना देंगे माध्यमिक शिक्षक


    प्रयागराज। हितों की रक्षा के लिए शिक्षक बुधवार को लखनऊ में माध्यमिक शिक्षा निदेशक कार्यालय के समक्ष धरना देंगे। विभिन्न मुद्दों पर निदेशक के साथ शिक्षक संघ के प्रतिनिधि मंडल की वार्ता बेनतीजा होने के बाद धरना का एलान किया गया है।


     उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ (एकजुट) के प्रदेश अध्यक्ष सोहनलाल वर्मा के आह्वान पर धरना - प्रदर्शन का निर्णय लिया गया। इस मौके पर डॉ. हरिप्रकाश यादव, प्रदेश प्रवक्ता श्रवण कुमार कुशवाहा, सुरेंद्र प्रताप सिंह मौजूद रहे। 

    Thursday, March 14, 2024

    शिक्षकों में भय का वातावरण बनाकर तथा अपमानित करके डिजिटाइजेशन व्यवस्था को जबरन लागू किये जाने के विरोध में राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने किया धरना प्रदर्शन

    शिक्षकों में भय का वातावरण बनाकर तथा अपमानित करके डिजिटाइजेशन व्यवस्था को जबरन लागू किये जाने के विरोध में राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने किया धरना प्रदर्शन


    ⚫ शिक्षकों की प्रमुख समस्याओं के समाधान के उपरांत लागू हो ऑनलाइन व्यवस्था

    ⚫ विभागीय अधिकारियों द्वारा  शिक्षकों पर दमनपूर्वक कार्यवाही को नहीं किया जायेगा बर्दाश्त

    लखनऊ  ।  14 मार्च 2024

    शिक्षकों की प्रमुख समस्याओं का समाधान किये बिना विभागीय अधिकारियों द्वारा जिस प्रकार सम्पूर्णं प्रदेश के शिक्षकों में भय का वातावरण बनाकर तथा उन्हें अपमानित करके डिजिटाइजेशन व्यवस्था को जबरन लागू किये जाने का कार्य किया जा रहा है इससे शिक्षकों में व्यापक आक्रोश है। 


    अधिकारियों की इस हठधर्मिता के विरुद्ध राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश के प्रदेशीय नेतृत्व द्वारा संगठन की प्रांतीय कार्यकारिणी, मण्डलीय पदाधिकारियों तथा लखनऊ मण्डल के प्रमुख जनपदीय पदाधिकारियों के साथ महानिदेशक स्कूल शिक्षा एवं राज्य परियोजना निदेशक कार्यालय, समग्र शिक्षा, विद्या भवन, निशातगंज, लखनऊ में सांकेतिक धरना प्रदर्शन किया व ज्ञापन सौंप वार्ता की।


     प्रदेश अध्यक्ष अजीत सिंह ने कहा कि संगठन ने अपने ज्ञापन दिनांक 20 नवंबर 2023 के माध्यम से डिजिटाइजेशन से जुड़ी मौलिक समस्याओं के निस्तारण के पश्चात ही लागू किये जाने की मांग की थी। किन्तु आपके कार्यालय द्वारा उक्त मांग पत्र पर अब तक कोई विचार नहीं किया गया, अपितु विभागीय अधिकारियों द्वारा डिजिटाइजेशन व्यवस्था को जबरन लागू करने हेतु अध्यापकों का वेतन रोकने एवं विभागीय कार्यवाही का आदेश निर्गत कर रहे हैं, जिससे यह परिलक्षित होता है कि आपके संरक्षण में विभागीय अधिकारी दमन पूर्वक डिजिटाइजेशन व्यवस्था लागू करना चाहते हैं जिसका राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उ०प्र० घोर विरोध करता है।


    संगठन अपने विभागीय व सामाजिक दायित्वों के प्रति सजग रहकर छात्र हित व शिक्षा हित में आपके इस अव्यवहारिक आदेश को लागू किए जाने से पूर्व डिजिटाइजेशन से जुड़ी समस्याओं का समाधान किये जाने की मांग करता है। 


    प्रदेशीय संयुक्त महामंत्री संतोष मौर्य ने कहा कि विभाग द्वारा प्रदत्त टैबलेट्स के सुचारू संचालन हेतु विभागीय सिम कार्ड (सीयूजी नम्बर) एवं डाटा पैक की सुविधा उपलब्ध कराया जाए। शिक्षकों को भी आकस्मिक अवकाश में हाफ डे लीव का विकल्प प्रदान किया जाये।


    प्रदेशीय संगठन मंत्री शिवशंकर सिंह ने कहा कि किसी आकस्मिक घटना अथवा आपदा की स्थिति में शिक्षकों के महीने में पांच दिन विलंब से पहुंचने पर छूट दी जाए।


    प्रदेशीय कार्यकारी अध्यक्ष मातादीन द्विवेदी ने कहा कि बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों को भी राज्य कर्मचारियों की भांति 30 ई.एल. प्रदान किया जाये यदि ईo एलo प्रदान करने में कोई विधिक समस्या है तो महाविद्यालयों के शिक्षकों की भांति बेसिक शिक्षा में भी प्रिविलेज अवकाश प्रदान किया जाये तथा अवकाश के दिनों में कार्य करने पर प्रतिकर अवकाश का विकल्प मानव सम्पदा पोर्टल पर प्रदान किया जाये।


    प्रदेशीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष विश्वनाथ सिंह ने कहा कि पंजिकाओ का डिजिटाइजेशन सर्वर की उपलब्धता के अधीन है, एक ही समय मे अधिक लोड से  सर्वर क्रैश होने पर वैकल्पिक व्यवस्था का स्पष्ट दिशा निर्देश जारी किया जाए।


    महानिदेशक ने समस्याओं को गंभीरतापूर्वक सुनकर यथासंभव निराकरण का आश्वासन दिया है। इस अवसर पर प्रदेश उपाध्यक्ष रामप्रताप सिंह, प्रदेश मंत्री कामतानाथ सिंह, सुनील कुमार रावत, डॉ. श्वेता, संयुक्त मंत्री आदित्य कुमार शुक्ल, ऑडिटर संजय शर्मा, मीडिया प्रभारी बृजेश श्रीवास्तव, प्रवक्ता वीरेन्द्र मिश्रा, मंडल अध्यक्षगण सुरेश चंद्र सिंह, अखिलेश कुमार मिश्रा 'वत्स', अशोक सिंह, डॉ अरविंद निषाद, बजरंग बहादुर सिंह, सत्येंद्र सिंह, शांति भूषण वर्मा, महेश मिश्रा, मंडल महामंत्रीगण अनिल वर्मा, पंकज त्रिपाठी, जे पी गुप्ता, नरेंद्र प्रकाश मिश्रा, चंद्रदीप सिंह, वीरेंद्र सिंह, रवेंद्र गंगवार, इलयास मंसूरी, अदीप सिंह, प्रियंका शुक्ला, पूनम त्यागी, अनिल तोमर, अशोक राय, दुष्यंत रघुवंशी, कृष्णमोहन गुप्ता, संजीव रावत, मधुकर सिंह, अभिषेक पुरवार आदि पदाधिकारी मौजूद रहे।

    बेसिक शिक्षा : सिर पर परीक्षाएं और विभाग प्रशिक्षण में ही है व्यस्त

    बेसिक शिक्षा : सिर पर परीक्षाएं और विभाग प्रशिक्षण में ही है व्यस्त


    परिषदीय स्कूलों की वार्षिक परीक्षाएं सिर पर हैं लेकिन विभाग परीक्षाओं की तैयारी के बजाए लंबित सेवारत प्रशिक्षण कार्यक्रमों को ही पूरा करने में जुटा है। प्रशिक्षण में शिक्षकों के व्यस्त रहने के कारण स्कूली बच्चों की परीक्षा पूर्व तैयारी भी प्रभावित हुई हैं।


    परिषदीय स्कूलों में 16 मार्च से 21 मार्च के मध्य वार्षिक परीक्षाएं आयोजित होंगी। इस बार वार्षिक परीक्षाओं की अवधि ढाई घंटे होगी। प्रश्नपत्रों में अति लघु उत्तरीय, बहुविकल्पीय, लघु उत्तरीय एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न सम्मिलित होंगे। कक्षा एक की परीक्षा मौखिक एवं कक्षा दो से पांच तक की परीक्षाएं मौखिक एवं लिखित होंगी। जबकि कक्षा छह से आठ में लिखित परीक्षाएं आयोजित होंगी। वार्षिक परीक्षा 50 अंकों की होगी।


    दो पालियों में होने वाली गृह परीक्षाओं की प्रथम पाली सुबह 9.15 से 11.45 एवं द्वितीय पाली दोपहर 12.15 से 2.45 तक आयोजित होगी। कक्षा एक से चार एवं कक्षा छह व सात की उत्तरपुस्तिकाएं विद्यालय स्तर पर, कक्षा पांच की संकुल केन्द्र में अन्य विद्यालयों के शिक्षकों द्वारा तथा कक्षा 8 की उत्तपुस्तिकाएं बीआरसी में जांची जाएंगी। किसी भी छात्र की कक्षोन्नति नहीं रोकी जाएगी।


    सूत्रों के अनुसार, बेसिक शिक्षा विभाग ने पिछले वर्ष से शिक्षकों के लिए विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए थे। इनमें से कई कार्यक्रम अभी भी अधूरे हैं। परीक्षाएं नजदीक आने के बावजूद विभाग ने शिक्षकों को इन कार्यक्रमों को पूरा करने का निर्देश दिया है।

    इस वजह से शिक्षकों को स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के बजाय प्रशिक्षण में भाग लेने के लिए जाना पड़ रहा है। इसका सीधा असर छात्रों की परीक्षा पूर्व तैयारी पर पड़ रहा है।


    छात्रों की चिंता:
    छात्रों का कहना है कि परीक्षाएं नजदीक आ रही हैं, लेकिन शिक्षकों ने अभी तक उन्हें पूरी तरह से तैयार नहीं किया है। वे परीक्षा को लेकर चिंतित हैं।


    शिक्षकों की मजबूरी:
    शिक्षकों का कहना है कि वे भी चाहते हैं कि वे बच्चों को पढ़ाएं और उनकी परीक्षा पूर्व तैयारी करवाएं। लेकिन विभाग के निर्देशों का पालन करना उनकी मजबूरी है।


    विभाग का पक्ष:
    बेसिक शिक्षा विभाग का कहना है कि शिक्षकों का प्रशिक्षण भी महत्वपूर्ण है। विभाग का प्रयास है कि परीक्षाएं भी समय से हों और शिक्षकों का प्रशिक्षण भी पूरा हो जाए।


    क्या है समाधान:
    विभाग को इस मामले पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और शिक्षकों को परीक्षाओं की तैयारी पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। विभाग शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बाद के लिए भी रख सकता है।

    वित्तविहीन माध्यमिक विद्यालयों में भी अब NCC की यूनिट होगी

    वित्तविहीन माध्यमिक विद्यालयों में भी अब NCC की यूनिट होगी


    लखनऊ। प्रदेश में युवाओं को अनुशासित व सशक्त बनाने के उद्देश्य से कॉलेजों में एनसीसी यूनिट की स्थापना में तेजी लाई जा रही है। इसी के तहत जिन राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में एनसीसी नहीं है, वहां एनसीसी यूनिट स्थापित की जाएगी। साथ ही प्रदेश के वित्त विहीन माध्यमिक विद्यालयों में भी एनसीसी यूनिट की स्थापना की जाएगी। इसके लिए विस्तृत प्रस्ताव सभी मंडलों से मांगा गया है।


    माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव ने कहा है कि सहारनपुर, बरेली व आगरा मंडल को छोड़कर अन्य 15 मंडलों से इसके बारे में पूरी जानकारी नहीं मिली है। कुछ मंडल से सिर्फ एक-एक जिले की जानकारी भेजी गई है। 



    लखनऊ। प्रदेश के जिन राजकीय माध्यमिक विद्यालयों और वित्त विहीन माध्यमिक विद्यालयों में एनसीसी नहीं है, वहां एनसीसी यूनिट स्थापित की जाएंगी। इसके लिए विस्तृत प्रस्ताव सभी मंडलों से मांगा गया है। इन विद्यालयों को अगले पांच साल में पांच साल में एनसीसी से युक्त करने का लक्ष्य किया गया है। ताकि इसके प्रशिक्षण के माध्यम से युवाओं को ज्यादा से ज्यादा अनुशासित किया जाएगा और उन्हें सेना आदि में जाने के लिए तैयार भी किया जाएगा।


    माध्यमिक शिक्षा विभाग ने सभी मंडलों से मांगा प्रस्ताव 

    माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव ने कहा है कि सहारनपुर, बरेली व आगरा मंडल को छोड़कर अन्य 15 मंडलों से इसके बारे में पूरी जानकारी नहीं मिली है। कुछ मंडल से सिर्फ एक-एक जिले की जानकारी भेजी गई है। उन्होंने सभी संबंधित मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों से ऐसे कॉलेजों की जानकारी और इस पर होने वाले वार्षिक व्यय की जानकारी मांगी है। 


    वहीं वित्तविहीन विद्यालयों में भी स्ववित्तपोषण योजना के तहत एनसीसी शुरू की जाएगी। उन्हें अपने संसाधनों से एनसीसी कार्यक्रम चलाने की सहमति दी जाएगी। उन्होंने ऐसे कॉलेज प्रबंधकों से सहमति लेकर विस्तृत विवरण उपलब्ध कराने को कहा है। ताकि नए सत्र से यहां पर एनसीसी की शुरुआत की जा सके।

    यूपी: कई साल बाद उच्च शिक्षा में 54 लाख से अधिक दाखिले, प्रदेश के 38 विश्वविद्यालयों, 7925 महाविद्यालयों की रिपोर्ट

    यूपी: कई साल बाद उच्च शिक्षा में 54 लाख से अधिक दाखिले, प्रदेश के 38 विश्वविद्यालयों, 7925 महाविद्यालयों की रिपोर्ट


    ■ 2017–18 शैक्षिक सत्र में 5574638 युवाओं ने लिया था प्रवेश

    ■ 2023–24 में 5476441  विद्यार्थियों ने पकड़ी उच्च शिक्षा की राह

    ■ लंबे अंतराल के बाद परंपरागत पाठ्यक्रमों में प्रवेश का रिकॉर्ड

    ■ 2022-23 की तुलना में 2023-24 में दस लाख से अधिक छात्र



    प्रयागराज । राज्य विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में वर्तमान शैक्षणिक सत्र में सात साल बाद रिकॉर्ड दाखिले हुए। 2023-24 सत्र में 54,76,441 छात्र-छात्राओं ने परंपरागत पाठ्यक्रमों में प्रवेश लिया है जो कि 2017-18 सत्र के बाद सर्वाधिक है।

    शिक्षा निदेशालय स्थित उच्च शिक्षा विभाग की ओर से तैयार और शासन को भेजी गई वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार कुल 62 विश्वविद्यालयों और 7925 महाविद्यालयों में 54 लाख से अधिक युवाओं ने प्रवेश लिया है। खास बात यह है कि पिछले साल की तुलना में पंजीकरण में दस लाख से अधिक का इजाफा देखने को मिला है। 


    पिछले सत्र में 44, 18,809 युवाओं ने प्रवेश लिया था। यही नहीं इस सत्र में उच्च शिक्षा में प्रवेश लेने वाली कुल विद्यार्थियों में छात्राओं की संख्या छात्रों से अधिक है। वर्तमान सत्र में 26,68,971 छात्रों ने प्रवेश लिया तो वहीं 28,07,470 छात्राओं ने उच्च शिक्षा की राह पकड़ी। इस वृद्धि को उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) में वृद्धि के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। 2030 तक इसे 50 प्रतिशत करने का लक्ष्य है जो कि 2021-22 में 28.4 फीसदी था।


    उच्च शिक्षा में नामांकन बढ़ाने का हम प्रयास कर रहे हैं। 2023-24 GG सत्र में हुए दाखिले उत्साहजनक है। – डीपी शाही, उच्च शिक्षा निदेशक


    सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए निर्देशों के अनुरूप स्कूलों में सुरक्षा उपाय न करने पर हाईकोर्ट सख्त

    सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए निर्देशों के अनुरूप स्कूलों में सुरक्षा उपाय न करने पर हाईकोर्ट सख्त


    लखनऊ । हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए निर्देशों के अनुरूप स्कूलों में सुरक्षा उपाय न करने पर सख्त रुख अपनाया है। न्यायालय ने मुख्य सचिव द्वारा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को पिछले छह माह में भेजी गई रिपोर्ट तलब की है।


    उच्च न्यायालय ने टिप्पणी करते हुए कहा कि शीर्ष अदालत के दिशा निर्देशों को जमीनी स्तर पर न तो लागू किया गया और न ही पांच साल से अधिक समय से बच्चों को स्कूलों में सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराने के लिए कोई कार्रवाई की गई। यह आदेश न्यायमूर्ति आलोक माथुर और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने गोमती रिवर बैंक रेजीडेंट्स की ओर से वर्ष 2020 में दाखिल की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।


    याचिका में शहर के आवासीय क्षेत्रों में चल रहे स्कूलों का मुद्दा खास तौर पर उठाया गया है। याचिका पर पूर्व में हुई सुनवाइयों के दौरान न्यायालय ने पाया कि सुप्रीम कोर्ट ने अविनाश मेहरोत्रा मामले में 14 अगस्त 2017 को बच्चों की सुरक्षा और स्कूलों में सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराने को लेकर कुछ दिशानिर्देश जारी किए थे। जिसके तहत डीआईओएस को नोडल अधिकारी नियुक्त करने की बात कही गई थी व उसके कार्यों की निगरानी राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन करने को कहा था। प्रमुख जिलाधिकारी को बनाया था। दोनों के कार्यों की निगरानी की जिम्मेदारी मुख्य सचिव को सौंपी थी।


    कोर्ट ने असंतुष्टि जताई

    सुप्रीम कोर्ट के उक्त दिशा निर्देश के क्रम में राज्य सरकार की ओर से विभिन्न विभागों के बीच हुए पत्राचार की जानकारी न्यायालय को दी गई। इस पर कोर्ट ने असंतुष्टि जाहिर करते हुए, उपरोक्त टिप्पणी की। न्यायालय ने कहा कि शीर्ष अदालत के आदेश के अनुपालन में मुख्य सचिव को तिमाही रिपोर्ट भी राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन को भेजनी थी, उम्मीद करते हैं कि रिपोर्ट भेजी गई होगी।

    Wednesday, March 13, 2024

    परिषदीय विद्यालयों में 26 मार्च को भी होली की छुट्टी की मांग

    परिषदीय विद्यालयों में 26 मार्च को भी होली की छुट्टी की मांग


    लखनऊ। होली पर्व को देखते हुए परिषदीय विद्यालयों में तीन दिन की छुट्टी की मांग उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ ने की है। संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव को इसके लिए पत्र लिखा है। कहा है कि हर साल बेसिक विद्यालयों में तीन दिन का अवकाश होता रहा है। इससे प्रदेश के दूर जिलों में शिक्षक अपने घर जाकर त्योहार मनाते हैं। इस बार केवल दो दिन 24 व 25 मार्च को ही अवकाश दिया गया है। इससे शिक्षकों को दिक्कत होगी। होली पर 26 मार्च को भी अवकाश घोषित किया जाए।



    बेसिक शिक्षा परिषद से 26 मार्च 2024 को भी होली पर्व का अवकाश घोषित करने के की जूनियर शिक्षक संघ ने की मांग


    राज्य स्तरीय विज्ञान प्रदर्शनी में पुरस्कृत छात्रों के नवाचार का कराया जाएगा पेटेंट

    राज्य स्तरीय विज्ञान प्रदर्शनी में पुरस्कृत छात्रों के नवाचार का कराया जाएगा पेटेंट

    राज्य परियोजना निदेशालय की नई पहल, 26 जिलों को भेजा पत्र

    लखनऊ। प्रदेश में नवाचार व स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए अब माध्यमिक शिक्षा के स्तर पर भी प्रक्रिया तेज कर दी गई है। राज्य स्तरीय विज्ञान प्रदर्शनी में पुरस्कृत नवाचारों का जिला प्रशासन के सहयोग से पेटेंट कराया जाएगा।


    प्रदेश में कक्षा नौ से 12 के विद्यार्थियों की ओर से तैयार किए गए नवाचार आधारित मॉडल का विज्ञान प्रदर्शनी में प्रदर्शन किया जाता है। विद्यालय स्तर पर चयनित मॉडल का जिला, जिला में सर्वश्रेष्ठ एक-एक मॉडल का मंडल स्तर पर प्रदर्शित किया जाता है। इसमें से जूनियर व सीनियर वर्ग के एक-एक सर्वश्रेष्ठ मॉडल राज्य स्तरीय विज्ञान प्रदर्शनी में जनवरी में लखनऊ में प्रस्तुत किया गया। 


    राज्य परियोजना निदेशालय ने इस प्रदर्शनी में प्रस्तुत नए मॉडल को आगे बढ़ाने व मूल विचार का पेटेंट कराने के लिए संबंधित 26 जिलाधिकारियों को पत्र भेजा है। राज्य परियोजना निदेशक कंचन वर्मा ने कहा है कि जिन मॉडल की उपयोगिता व आगे बढ़ाने की संभावना है, उनके मूल विचारों को पेटेंट कराने की प्रक्रिया की जाए।


    बता दें कि अभी तक आम तौर पर स्नातक स्तर या उससे ऊपर के विद्यार्थियों के ही नवाचारों को पेटेंट कराने की प्रक्रिया पूरी की जाती है। इसमें संबंधित संस्थान भी सहयोग करते हैं। राज्य परियोजना निदेशालय की ओर से यह पहली बार है कि इंटर स्तर के विद्यार्थियों को भी नवाचार के तरफ प्रेरित करने के लिए यह प्रयास शुरू किया जा रहा है।

    तीन महीने में डायट प्रवक्ताओं की अंतिम वरिष्ठता सूची जारी करे सरकार : हाईकोर्ट

    तीन महीने में डायट प्रवक्ताओं की अंतिम वरिष्ठता सूची जारी करे सरकार : हाईकोर्ट


    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डायट प्रवक्ताओं अनंतिम को राहत देते हुए उनकी अंतिम वरिष्ठता सूची तीन माह में जारी करने का आदेश दिया है। यह सूची पर 15 जून 2022 को मांगी गई थी आपत्ति आदेश न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने जितेंद्र कुमार व 14 अन्य की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है।


    याचियों की ओर से कहा गया कि वह डायट में बतौर प्रवक्ता तैनात हैं। विभाग की ओर से प्रवक्ताओं की अनंतिम वरिष्ठता सूची जारी करते हुए आपत्तियां मांगी गईं थीं। आपत्ति 15 जून 2022 में मांगी गई थी। प्रवक्ताओं की ओर से आपत्तियां दे दी गई लेकिन विभाग की ओर से अंतिम वरिष्ठता सूची नहीं जारी की गई।


    इस पर प्रवक्ताओं ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। प्रवक्ताओं की ओर से कहा गया कि वरिष्ठता सूची जारी करने के लिए सरकार से गुहार लगाई थी लेकिन उस पर कोई सुनवाई नहीं की गई। सूची अभी तक जारी नहीं की गई। इस पर कोर्ट ने तीन महीने में वरिष्ठता सूची जारी करने का आदेश पारित किया है।

    एक होगा निदेशालय और कालेज के लिपिकों का कैडर, चार सदस्यीय कमेटी गठित

    उच्च शिक्षा में समूह 'ग' के लिपिकों का होगा एक संवर्ग, गठित समिति की हुई पहली बैठक 

    12 मार्च
    प्रयागराज। उच्च शिक्षा में समूह 'ग' के लिपिकों का संवर्ग एक किए जाने की तैयारी है। इसके लिए गठित समिति की मंगलवार को शासन स्तर पर हुई पहली बैठक में इस व्यवस्था को लागू करने से पहले इसके तकनीकी पहलुओं पर विचार करने का निर्णय लिया गया। अगर यह व्यवस्था लागू हो जाती है तो इससे उच्च शिक्षा में अंतरविभागीय स्थानांतरण किए जा सकेंगे। इससे भ्रष्टाचार के मामलों में भी कमी आएगी। अक्सर यह आरोप लगते हैं कि कर्मचारी एक ही जगह वर्षों से तैनात हैं और भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। अगर नियमित अंतराल पर उनके स्थानांतरण किए जाते रहें तो इस तरह के आरोप लगने भी कम हो जाएंगे। 



    02 मार्च 
    एक होगा निदेशालय और कालेज के लिपिकों का कैडर
     चार सदस्यीय कमेटी गठित 

    • कैडर एक करने के लिए कई वार हुई थी मांग

    • मंत्री की बैठक में भी उठाया गया था मामला


    प्रयागराज : उच्च शिक्षा निदेशालय, राजकीय डिग्री कालेजों, पब्लिक लाइब्रेरी और क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी कार्यालय में तैनात समूह ग के लिपिकों का कैडर एक किया जाएगा। लंबे समय से इसकी मांग की जा रही थी। मंत्री की बैठक में भी यह मुद्ध उठाया गया था। अब कैडर एक करने के लिए शासन ने चार सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया है। इस कमेटी की रिपोर्ट प्रस्तुत होने के बाद शासन से निर्णय किया जाएगा।


    उच्च शिक्षा निदेशालय में लिपिकों की नियुक्ति के बाद उनका स्थानांतरण नहीं होता है। एक ही स्थल पर पूरी नौकरी बीत जाती है, इसलिए वे मनमानी भी करते हैं। हाल ही में इनकी पदोन्नति का प्रकरण भी चर्चा में है। 


    निदेशालय और कालेजों के लिए एक साथ ही लिपिकों की भर्ती हुई थी। निदेशालय के लिपिकों को साढ़े तीन वर्ष में पदोन्नति मिल गई जबकि कालेज वालों को पांच वर्ष में भी नहीं मिली। इसलिए महाविद्यालय शिक्षणेत्तर कर्मचारी परिषद के अध्यक्ष सत्येंद्र कुमार सोलंकी ने पदोन्नति में पक्षपात का आरोप भी लगाया था।


     संगठन की ओर से 13 मार्च 2023 को उच्च शिक्षा मंत्री की बैठक में कैडर करने का मुद्दा उठाया गया था। मांग थी कि लिपिकों का कैडर एक होगा तो स्थानांतरण हो सकेगा और उनकी मनमानी कम होगी। शासन ने इनकी मांग पर उच्च शिक्षा के विशेष सचिव गिरिजेश कुमार त्यागी की अध्यक्षता में चार सदस्यीय कमेटी गठित कर दी है। 


    इस कमेटी में उच्च शिक्षा के संयुक्त निदेशक डा. केसी वर्मा, सहायक निदेशक शैलेंद्र तिवारी और दमयंती राज आनंद राजकीय पीजी कालेज बिसौली बदायूं के प्राचार्य डा. प्रमोद कुमार वाष्र्णेय को सदस्य बनाया है। अनुसचिव संजय कुमार द्विवेदी ने इसका कार्यालय ज्ञाप जारी किया है। कमेटी को 15 दिन में उच्च शिक्षा अनुभाव पांच में रिपोर्ट को उपलब्ध कराना होगा।

    69000 शिक्षक भर्ती अभ्यर्थियों ने अब अपना दल कार्यालय घेरा

    69000 शिक्षक भर्ती अभ्यर्थियों ने अब अपना दल कार्यालय घेरा

    लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती अभ्यर्थियों ने मंगलवार को अपना दल कार्यालय का घेराव किया। 6800 सूची के चयनितों को नियुक्ति देने के लिए अभ्यर्थियों ने धरना-प्रदर्शन किया। इस दौरान उनकी केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल से फोन पर वार्ता कराई गई। उन्होंने आश्वासन दिया कि केंद्रीय नेतृत्व से वार्ता कर उनकी नियुक्ति के लिए प्रयास किया जा रहा है, जल्द ही सकारात्मक निर्णय आएगा। प्रदर्शन में अमरेंद्र पटेल, धनंजय गुप्ता समेत कई शामिल थे। 

            प्रतीकात्मक चित्र 


    मांगों को लेकर 69000 शिक्षक भर्ती अभ्यर्थियों का घेराव कार्यक्रम जारी, अब उपमुख्यमंत्री मौर्य व कैबिनेट मंत्री राजभर के आवास घेरे


    लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती अभ्यर्थियों ने सोमवार को उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य व कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर के आवास का घेराव किया। अभ्यर्थियों ने सूची के चयनितों को नियुक्ति देने और इस मामले में कोर्ट में ठीक से पैरवी करने की मांग की।

     अभ्यर्थियों ने बताया कि उपमुख्यमंत्री के आवास पर नारेबाजी से रोकने पर उनकी पुलिस से नोकझोंक और झड़प हुई। पुलिस ने अभ्यर्थियों को जबर्दस्ती वहां से उठाया तो कई को चोटें भी आईं। 

    धनंजय गुप्ता व अमरेंद्र पटेल ने बताया कि ओम प्रकाश राजभर ने जल्द मुख्यमंत्री से मिलकर वार्ता का आश्वासन दिया है।



    69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों का विरोध प्रदर्शन लगातार जारी, सीएम आवास के घेराव का प्रयास

    लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों का विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है। रविवार को बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने मुख्यमंत्री आवास के घेराव का प्रयास किया। पुलिस ने अभ्यर्थियों को गोल्फ क्लब सीएम आवास जा रहे अभ्यर्थियों को  चौराहे पर रोक लिया, इस पर अभ्यर्थी वहीं सड़क पर धरने में बैठ गए। धरने को लेकर अभ्यर्थियों और पुलिस के बीच नोकझोंक-झड़प हुई। 

    अभ्यर्थियों का कहना था कि इसमें कुछ महिला, पुरुष अभ्यर्थियों को चोट भी आई। बाद में पुलिस प्रशासन ने हल्का बल प्रयोग कर सभी को बस से वापिस इको गार्डन भेज दिया। वहीं, अभ्यर्थियों के दूसरे गुट ने मंत्री ओमप्रकाश राजभर के आवास का भी घेराव किया। 

    आंदोलन का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने कहा की लखनऊ हाईकोर्ट में 69000 शिक्षक भर्ती मामले की सुनवाई चल रही है। इस संबंध में बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह और विभाग के अधिकारियों ने बैठक में जो वादे किए थे उसके मुताबिक कोर्ट में पक्ष नहीं रख रहे हैं। अभ्यर्थी चाहते हैं कि उनकी मुलाकात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से करई जाए। ताकि हम उनको सच्चाई बता सकें।

    वहीं धनंजय गुप्ता ने कहा की मुख्यमंत्री के ही आदेश से हुई जाँच के बाद 6800 आरक्षित वर्ग की चयन सूची आई थी। अभ्यर्थियों को उम्मीद हैं की मुख्यमंत्री से मुलाकात होने और उनके निर्देश से ही पूरे मामले का सही निस्तारण होगा। शासन प्रशासन जल्द अभ्यर्थियों की मुख्यमंत्री से मुलाकात करवाएं।


    नियुक्ति के लिए 69000 शिक्षक भर्ती अभ्यर्थियों ने घेरा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का आवास

    लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती अभ्यर्थियों का आंदोलन जारी है। शनिवार को अभ्यर्थियों ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के आवास का घेराव किया। प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों ने 6800 सूची के अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने की मांग उठाई है। 

    अभ्यर्थियों का नेतृत्व कर रहे धनंजय गुप्ता ने कहा कि न तो सरकार उन्हें नौकरी दे रही है न ही न्यायालय में इस मामले की पैरवी कर रही है। इससे वे सब आंदोलन के लिए मजबूर हुए हैं। एक-एक कर सभी प्रमुख मंत्री, उपमुख्यमंत्री, भाजपा व गठबंधन के नेताओं के यहां गुहार लगा चुके हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। ऐसे में सड़क पर उतरने के अलावा कोई और रास्ता नहीं है। उन्होंने जल्द से जल्द इस मामले में सकारात्मक निर्णय लेने की मांग की।


    दूसरे धड़े ने पीएम, सीएम, गृहमंत्री को लिखा पत्र

     अभ्यर्थियों का एक धड़ा अलग आंदोलन कर रहा है। पिछड़ा दलित संयुक्त मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कश्यप व प्रदेश संरक्षक भास्कर सिंह के आह्वान पर अभ्यर्थियों ने न्याय के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र, बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह आदि को पत्र लिखा है। पत्र में याचिकाकर्ता सभी 1719 अभ्यार्थियों को लाभ देने की मांग की गई है। 


    69000 शिक्षक भर्ती : अभ्यर्थियों ने घेरा डिप्टी सीएम का आवास, चुनाव नजदीक देख अभ्यर्थियों ने आंदोलन किया तेज 

    लखनऊ। लोकसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही 69,000 शिक्षक भर्ती अभ्यर्थियों ने अपना आंदोलन तेज कर दिया है। शुक्रवार को सुबह नौ बजे अभ्यर्थियों ने उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के आवास का घेराव किया। इस दौरान उपमुख्यमंत्री के आवास पर नहीं थे, जिससे अभ्यर्थियों की उनसे मुलाकात नहीं हो पाई।


    अभ्यर्थियों का नेतृत्व कर रहे विजय यादव ने कहा कि सरकार कोर्ट में इस मामले में ठीक से पैरवी नहीं कर रही है। 6,800 की सूची के अभ्यर्थियों को नियुक्ति नहीं दी जा रही है। इस सूची को आए दो साल से अधिक समय हो गया लेकिन आज तक नियुक्ति नहीं मिल सकी है। सरकार मामले में जल्द से जल्द निर्णय ले क्योंकि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लग जाएगी।

    वहीं, उपमुख्यमंत्री के प्रतिनिधि ने अभ्यर्थियों का ज्ञापन लेते हुए आचार संहिता लगने से पहले सकारात्मक निर्णय का आश्वासन दिया। हालांकि अभ्यर्थी इसके बाद भी धरना नहीं समाप्त कर रहे थे। बाद में पुलिस उन्हें बस से ईको गार्डन ले गई।



    69000 शिक्षक भर्ती अभ्यर्थियों ने सरकार पर हाईकोर्ट में लचर पैरवी करने का आरोप लगाते हुए घेरा बेसिक शिक्षा मंत्री का आवास


    लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों ने बृहस्पतिवार को फिर से बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह के आवास का घेराव कर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी 6800 सूची के अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने और हाईकोर्ट में इस मामले के निस्तारण के लिए ठोस पैरवी करने की मांग कर रहे थे।


    सुबह लगभग 11 बजे काफी संख्या में प्रदर्शनकारी अभ्यर्थी 'मैं भी हूं मोदी जी का परिवार, 6800 चयनित शिक्षकों को नियुक्ति दो' लिखी तख्तियां लेकर पहुंचे थे। अभ्यर्थी काफी देर तक धरने पर बैठे रहे, लेकिन मंत्री आवास में मंत्री नहीं थे। धरना दे रहे अभ्यर्थियों ने सरकार पर हाईकोर्ट में लचर पैरवी करने का आरोप लगाया। 


    अभ्यर्थियों का नेतृत्व कर रहे विजय यादव ने कहा कि पूर्व में भी बेसिक शिक्षा मंत्री ने सभी अधिकारियों के साथ हुई वार्ता में जल्द सकारात्मक कार्यवाही का आश्वासन दिया था। किंतु इसके बाद भी कुछ नहीं हुआ। धरने के दौरान पुलिस ने सभी को बस से ईको गार्डन पहुंचा दिया।