Friday, September 30, 2022
Thursday, September 29, 2022
बच्चों को बेहतर ढंग से शिक्षा प्रदान की जाये इसका विशेष ध्यान रखा जाए, वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए बोले बेसिक शिक्षा मंत्री
Wednesday, September 28, 2022
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निपुण लक्ष्य एप जांचेगा बच्चे अब तक कितना हुए दक्ष?
निपुण लक्ष्य एप जांचेगा बच्चे अब तक कितना हुए दक्ष?
परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में बाल वाटिका और कक्षा एक से तीन तक के दो से ढाई लाख पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को अलग तरीके से भाषा एवं संख्या ज्ञान ही नहीं कराया जा रहा, बल्कि बच्चों को साथ-साथ परीक्षा भी देते रहना होगा।
बेसिक शिक्षा विभाग इसके लिए तकनीक का सहारा ले रहा है। निपुण लक्ष्य एप के माध्यम से जांचा जाएगा कि बच्चे अब तक कितने दक्ष हुए हैं। और किस क्षेत्र में शिक्षक एवं अभिभावकों को अभी मेहनत करने की जरूरत है।
बेसिक शिक्षा विभाग में दीक्षा ऐप, रीड एलांग एप पहले से संचालित हैं। कोरोना महामारी के विकट दौर में परिषदीय विद्यालयों में दो वर्ष तक पढ़ाई प्रभावित हुई थी। बच्चों के स्कूल न जाने का असर उनके मानसिक विकास पर भी पड़ा है। केंद्र सरकार ने विद्यालय खुलते ही निपुण भारत मिशन शुरू किया जिसके लक्ष्य को वर्ष 2026-27 तक प्राप्त करना है। वहीं प्रदेश सरकार ने वर्ष 2025-26 तक ही प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है।
इसमें कक्षा एक से तीन तक में पढ़ने वाले बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा में पहले की तरह जोड़ा जाना है। बेसिक शिक्षा विभाग की तरफ से इसके लिए विस्तृत तैयारियां कर पठन-पाठन के लिए संदर्शिका, निपुण लक्ष्य तैयार करके शिक्षकों को अलग से प्रशिक्षित किया जा रहा है। सभी बच्चे पढ़ाई करें और रोज स्कूल आएं इस पर विशेष जोर दिया जा रहा है।
पढ़ाई के पुराने ढर्रे को पीछे छोड़कर रोचक एवं खेल-खेल के अंदाज में हिंदी भाषा एवं गणितीय दक्षताओं में उन्हें निपुण बनाया जा रहा है। निपुण लक्ष्य में अंकित दक्षताओं के आंकलन के लिए विभाग ने निपुण लक्ष्य एप तैयार किया है। कक्षाओं में इसका आफलाइन उपयोग किया जा सकता है। इस एप को रीडिंग एलांग एप के माध्यम से जोड़ा गया है। एप में विषय विशेषज्ञों की ओर से बच्चों के उपयोग में आने वाले प्रश्न तैयार कर अपलोड किए गए हैं।
वैसे तो इस एप का उपयोग कर डायट मेंटर, स्टेट रिसोर्स ग्रुप (एसआरजी) एवं अकादमिक रिसोर्स पर्सन (एआरपी) स्कूलों में जाकर परीक्षण करेंगे। इसमें तय समय में 75 प्रतिशत अंकों एवं भाषा का ज्ञान होने पर ही बच्चे निपुण माने जाएंगे। इसके अलावा शिक्षक एवं अभिभावक भी इसके माध्यम से जान सकेंगे कि उनके बच्चों का सीखने का स्तर क्या है। इसमें आसानी यह होगी कि अभिभावक बच्चों को निपुण बनने के लिए प्रेरित करते रहेंगे। निपुण भारत मिशन के अंतर्गत बच्चों में भाषा एवं गणितीय दक्षता एवं लीडरशिप विकास पर विशेष बल दिया जा रहा है।
बीआरसी पर चल रहे चार दिवसीय प्रशिक्षण
प्राथमिक शिक्षकों की क्षमता वृद्धि के लिए दीक्षा ऐप के माध्यम से आनलाइन एवं जिले के प्रत्येक ब्लॉक संसाधन केंद्र पर आफलाइन चार दिवसीय प्रशिक्षण दिया जा रहा है। आनलाइन प्रशिक्षण में प्रत्येक सप्ताह दो अकादमिक तथा एक लीडरशिप कोर्स प्रदेश स्तर से अध्यापकों के व्हाट्सएप ग्रुप पर भेजा जा रहा है।
निपुण लक्ष्य ऐप से यह लाभ होगा कि बच्चों के आंकलन के बाद शिक्षक उन बच्चों पर विशेष फोकस कर सकेंगे जो वांछित दक्षता हासिल नहीं कर पा रहे हैं। ये एप सभी बच्चों की पढ़ाई में सहायक बनेगा। परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को अलग तरीके से भाषा एवं संख्या ज्ञान ही नहीं कराया जा रहा, बल्कि बच्चों को साथ-साथ परीक्षा भी देते रहना होगा। बेसिक शिक्षा विभाग इसके लिए तकनीक का सहारा ले रहा है। निपुण लक्ष्य एप के माध्यम से जांचा जाएगा कि बच्चे अब तक कितने दक्ष हुए हैं।
Tuesday, September 27, 2022
UGC : डिग्री कालेज में छात्रों को पढ़ाएंगे लाइब्रेरियन, पुस्तकालयाध्यक्ष का पदनाम भी बदलकर प्रवक्ता लाइब्रेरी किया जाएगा
UGC : डिग्री कालेज में छात्रों को पढ़ाएंगे लाइब्रेरियन, पुस्तकालयाध्यक्ष का पदनाम भी बदलकर प्रवक्ता लाइब्रेरी किया जाएगा
राजकीय डिग्री कॉलेजों में लाइब्रेरियन अब छात्र-छात्राओं की कक्षाएं भी लेंगे। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से निर्धारित न्यूनतम शैक्षिक अर्हता को सेवा नियमावली में शामिल करने के लिए शासन स्तर पर काम चल रहा है। पुस्तकालयाध्यक्ष का पदनाम भी बदलकर प्रवक्ता लाइब्रेरी किया जाएगा।
इस बीच संयुक्त शिक्षा निदेशक (उच्च शिक्षा) डॉ. केसी वर्मा ने सभी राजकीय स्नातक और स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राचार्यों को 23 सितंबर को पत्र लिखकर पूर्व से कार्यरत एक सप्ताह में ऐसे प्रवक्ता लाइब्रेरी की सूचना मांगी हैं जो यूजीसी से निर्धारित न्यूनतम अर्हता धारित करते हैं।
प्रदेश के 170 राजकीय डिग्री कॉलेजों में पुस्तकालयाध्यक्ष के तकरीबन 110 पद खाली हैं। वर्तमान में लगभग 36 कॉलेजों में ही लाइब्रेरियन कार्यरत हैं। दो दर्जन के आसपास कॉलेजों में पद सृजन ही नहीं हो सका है। लेकिन वर्ष 2005 और 2008 के बाद से आयोग ने भर्ती नहीं निकाली है।
एडेड कॉलेजों में भी 200 से अधिक पद खालीप्रदेश के 321 सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में पुस्तकालयाध्यक्ष के 200 से अधिक पद खाली हैं। पहले प्रबंधक अपने स्तर से लाइब्रेरियन की भर्ती कर लिया करते थे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर लाइब्रेरियन को पहली जनवरी 1986 से यूजीसी की ओर से निर्धारित वेतनमान दिया जा रहा है।
चूंकि यूजीसी का वेतनमान पाने वाले पदों पर प्रबंधन नियुक्ति नहीं कर सकता है इसलिए सरकार ने 13 मई 2009 को इन कॉलेजों में लाइब्रेरियन की नियुक्ति पर रोक लगा दी थी। उसके बाद नवंबर 2012 में कैबिनेट बैठक में उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग को नियुक्ति की जिम्मेदारी दी गई थी। लेकिन उसके बाद से नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी।
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