DISTRICT WISE NEWS

अंबेडकरनगर अमरोहा अमेठी अलीगढ़ आगरा इटावा इलाहाबाद उन्नाव एटा औरैया कन्नौज कानपुर कानपुर देहात कानपुर नगर कासगंज कुशीनगर कौशांबी कौशाम्बी गाजियाबाद गाजीपुर गोंडा गोण्डा गोरखपुर गौतमबुद्ध नगर गौतमबुद्धनगर चंदौली चन्दौली चित्रकूट जालौन जौनपुर ज्योतिबा फुले नगर झाँसी झांसी देवरिया पीलीभीत फतेहपुर फर्रुखाबाद फिरोजाबाद फैजाबाद बदायूं बरेली बलरामपुर बलिया बस्ती बहराइच बागपत बाँदा बांदा बाराबंकी बिजनौर बुलंदशहर बुलन्दशहर भदोही मऊ मथुरा महराजगंज महोबा मिर्जापुर मीरजापुर मुजफ्फरनगर मुरादाबाद मेरठ मैनपुरी रामपुर रायबरेली लखनऊ लख़नऊ लखीमपुर खीरी ललितपुर वाराणसी शामली शाहजहाँपुर श्रावस्ती संतकबीरनगर संभल सहारनपुर सिद्धार्थनगर सीतापुर सुलतानपुर सुल्तानपुर सोनभद्र हमीरपुर हरदोई हाथरस हापुड़

Sunday, July 31, 2022

JNVST Admission 2022 : नवोदय विद्यालय में खाली सीटें भरने को रजिस्ट्रेशन लिंक एक्टिव, करें आवेदन

JNVST Admission 2022 : नवोदय विद्यालय में खाली सीटें भरने को रजिस्ट्रेशन लिंक एक्टिव

JNVST Class 11  Admission 2022 : जवाहर नवोदय विद्यालय ने जेएनवीएसटी कक्षा 11 में एडमिशन  के लिए रजिस्ट्रेशन फॉर्म जारी कर दिया  है। जेएनवीएससी 11वीं में आवेदन को इच्छुक अभ्यर्थी नवोदय विद्यालय की वेबसाइट navodaya.gov.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन  कर सकते हैं। छात्र ध्यान रखें कि आवेदन की लास्ट डेट 18 अगस्त 2022 है।


नवोदय विद्यालय ने यह रजिस्ट्रेशन फॉर्म 10वीं की परीक्षा पास करने वाले सीबीएसई व अन्य स्टेट बोर्डों  के छात्रों के लिए जारी किया है।  

नवोदय विद्यालय के आधिकारिक नोटिफिकेशन के अनुसार, यह एडमिशन 11वीं कक्षा में रिक्त सीटों पर दिया जाएगा। एडमिशन का आधार किसी भी मान्यता प्राप्त बोर्ड  की 10वीं परीक्षा में प्राप्तांक होंगे। आपको बता दें कि नवोदय विद्यालय में प्रवेश पाने वाले छात्रों की कक्षा 9 से 12वीं  तक की शिक्षा मुफ्त है। छात्रों किताबें, आवास यूनिफॉर्म आदि  के लिए सिर्फ 600  रुपए प्रतिमाह विद्यालय विकास निधि के तौर पर लिए जाते हैं।

छात्रों की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी होने के  बाद नवोदय विद्यालय की ओर से जिलेवार मेरिट लिस्ट जारी  की जाएगी। इसके साथ राज्य स्तरीय मेरिट लिस्ट भी तैयार की जाएगी। इसी मेरिट में स्थान पाने वाले  छात्रों  को 11वीं  में  एडमिशन दिया जाएगा।।

माध्यमिक स्कूलों में रखे जाएंगे योग प्रशिक्षक, 6860 राजकीय और सहायता प्राप्त विद्यालयों में होगी नियुक्ति

माध्यमिक स्कूलों में रखे जाएंगे योग प्रशिक्षक, 6860 राजकीय और सहायता प्राप्त विद्यालयों में होगी नियुक्ति
 
प्रयागराज : शासन के निर्देश पर माध्यमिक शिक्षा विभाग के अफसरों ने 2332 राजकीय और 4528 सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में योग शिक्षक रखने का प्रस्ताव भेजा है। 


प्रस्ताव में दो तरह से शिक्षक रखने की बात कही गई है। एक तो पहले से कार्यरत शिक्षकों को प्रशिक्षण दिलाते हुए जिम्मेदारी देने की बात है। दूसरा विकल्प संविदा पर फ्रेश युवाओं को मौका देने की बात है। आयुष मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुसार अर्हता पूरी करने वाले योग्य अभ्यर्थियों को रखा जा सकता है। योग शिक्षकों को प्रति क्लास 400 रुपये या प्रतिमाह अधिकतम 12 हजार रुपये मानदेय देने का प्रस्ताव है।

Saturday, July 30, 2022

अभिभावकों ने घर के काम में लगा डाला बच्चों की यूनिफॉर्म का पैसा

अभिभावकों ने घर के काम में लगा डाला बच्चों की यूनिफॉर्म का पैसा 


प्रयागराज । बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूलों में पढ़ रहे कक्षा एक से आठ तक के तकरीबन ढाई लाख बच्चों के यूनिफॉर्म के लिए मिले रुपये अभिभावकों ने घर के काम में लगा दिए। पूरा सत्र बीतने के बावजूद बच्चे घर के कपड़ों में ही स्कूल आ रहे हैं।


 ऐसे समय में जब राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. शुचिता चतुर्वेदी ने सभी डीएम को पत्र लिखकर विद्यालय समय में छात्र-छात्राओं को यूनिफॉर्म में सार्वनजिक स्थानों पार्क, मॉल व रेस्टोरेंट आदि में प्रवेश प्रतिबंधित करने को कहा है। 


जिन बच्चों के अभिभावकों ने यूनिफॉर्म खरीदी ही नहीं है, उन पर नियम लागू होना संभव नहीं है। बेसिक शिक्षा विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले सत्र में छात्र-छात्राओं को यूनिफॉर्म मिलना था। पिछले साल सितंबर व अक्टूबर में डीबीटी के माध्यम से  बच्चों के अभिभावकों के खाते में दो सेट यूनिफॉर्म, बैग, जूता, मोजा, स्वेटर आदि के लिए रुपये भेजे थे। स्कूलों में उपस्थित बच्चों पर नजर दौड़ाएं तो मुश्किल से 50 प्रतिशत बच्चे ही यूनिफॉर्म में दिखेंगे।

मेधावियों को कक्षावार मिलेगी छात्रवृत्ति, आवेदन शुरू, करें आवेदन

मेधावियों को कक्षावार मिलेगी छात्रवृत्ति, आवेदन शुरू

प्री-मैट्रिक वर्ग में छात्रवृत्ति के लिए 30 सितंबर तक किए जा सकेंगे आवदेन 


■ नेशनल स्कालरशिप पोर्टल - वेबसाइट http://scholarship.gov.in पर जाकर कर सकेंगे आवेदन

■  प्रदेश भर के 4,64,513 बीड़ी श्रमिकों के बच्चों की न्यूनतम छात्रवृत्ति हुई एक हजार, छात्र-छात्राओं को समान राशि




लखनऊ: बीड़ी श्रमिकों के ऐसे मेधावी बच्चे जिन्हें शिक्षा में आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ता है, को वर्ग प्रथम से लेकर व्यावसायिक शिक्षा के लिए केंद्र सरकार द्वारा दी जाने वाली छात्रवृत्ति अब बढ़ाकर दी जाएगी। इससे प्रदेश भर में श्रम कल्याण संगठन, लखनऊ परिक्षेत्र के अधीन रजिस्टर्ड कुल 464513 बीड़ी श्रमिकों और उनके आश्रितों को इसका फायदा मिलेगा।

डीटीबी सचिव रवि रंजन के आदेशों के अनुसार प्री-मैट्रिक वर्ग में छात्रवृत्ति के लिए 30 सितंबर तक आवेदन किए जा सकेंगे। आवेदन के प्रथम चरण की जांच 16 अक्टूबर तक होगी तो वहीं दूसरे चरण की जांच 31 अक्टूबर तक होगी। इसी प्रकार पोस्ट मैट्रिक वर्ग में छात्रवृत्ति के लिए 31 अक्टूबर तक आवेदन किए जा सकेंगे। आवेदनों के प्रथम चरण की जांच 15 नवंबर तक होगी, वहीं दूसरे चरण की जांच 30 नवंबर तक होगी। नए निर्देश के मुताबिक पहली से चौथी क्लास के ऐसे छात्र - छात्राओं को 250 रुपये की जगह अब 1000 रुपये मिलेंगे। 5वीं से 8वीं तक के छात्रों को 940 रुपये व छात्राओं को 500 रुपये छात्रवृत्ति मिलती थी जिसे अब समान रूप से 1000 रुपये कर दिया गया है। 9वीं कक्षा के छात्रों को 1140 व छात्राओं को 700 छात्रवृत्ति मिलती थी, जिसे बढ़ाकर समान रूप से 2000 कर दिया गया है। 10वीं के छात्रों को 1840 और छात्राओं को 1400 छात्रवृत्ति मिलती थी, जिसे बढ़ाकर समान रूप से 2000 रुपये और कक्षा 11वीं व 12वीं के विद्यार्थियों को 3000 छात्रवृत्ति मिलेगी।

डीएलएड सेमेस्टर परीक्षा का परिणाम अगले सप्ताह तक

डीएलएड सेमेस्टर परीक्षा का परिणाम अगले सप्ताह तक 


प्रयागराज। डीएलएड की सेमेस्टर परीक्षा का परिणाम अगस्त के पहले सप्ताह में प्रस्तावित है।


2021 बैच के प्रथम सेमेस्टर के लिए तकरीबन सवा लाख प्रशिक्षु पंजीकृत हैं। 25 अप्रैल से शुरू होकर मई के दूसरे सप्ताह तक आयोजित सेमेस्टर परीक्षा में द्वितीय, तृतीय व चतुर्थ सेमेस्टर के बैक पेपर में तकरीबन 25 से 30 हजार प्रशिक्षु शामिल हुए थे। 


सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी अनिल भूषण चतुर्वेदी के अनुसार परिणाम तैयार करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है।

हाईकोर्ट पहुंची 6 वर्ष से छोटे बच्चों को अनिवार्य शिक्षा देने की मांग, नर्सरी विद्यालय में नियुक्ति की भी मांग

हाईकोर्ट पहुंची 6 वर्ष से छोटे बच्चों को अनिवार्य शिक्षा देने की मांग, नर्सरी विद्यालय में नियुक्ति की भी मांग 


Nursery Teacher Candidates Demand: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने छह वर्ष से कम आयु के बच्चों को अनिवार्य एवं निःशुल्क शिक्षा देने की मांग में दाखिल याचिका पर केंद्र व राज्य सरकार और बेसिक शिक्षा परिषद को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कोर्ट ने सभी को जवाब के लिए छह सप्ताह का समय दिया है।


यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक वर्मा ने ऊषा गुप्ता व अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर दिया है। याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा उन्नीकृष्णन मामले में दिए गए निर्देशों व राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत राज्य सरकार को निर्देश दिया जाए कि प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में प्री नर्सरी की शिक्षा भी देने की व्यवस्था करे। 


इसमें छह वर्ष से कम आयु के बच्चों को निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा दिए जाने की व्यवस्था करने की मांग की गई है। याचियों का कहना है कि उनके पास नर्सरी टीचर एजुकेशन ट्रेनिंग सर्टिफिकेट है इसलिए उन्हें नर्सरी विद्यालय में नियुक्ति दी जाए और विद्यालयों के सहायक अध्यापकों के समान वेतनमान दिया जाए। उच्च न्यायालय इस मामले में छह सप्ताह के बाद सुनवाई करेगा।

प्रदेश के 746 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों का मामला, अफसरों की जिद में फंसी शिक्षकों की नियुक्ति

प्रदेश के 746 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों का मामला, अफसरों की जिद में फंसी शिक्षकों की नियुक्ति

प्रयागराज : अफसरों की जिद में प्रदेश के 746 कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति फंस गई है। संगत-असंगत विषय को आधार बनाते हुए बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों ने 14 जुलाई 2020 को सैकड़ों संविदा शिक्षकों को बाहर करने का आदेश जारी किया था।


अफसरों का तर्क था कि कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में एक विषय की एक से अधिक शिक्षिकाएं होने के साथ ही जो विषय नहीं है उस पद पर शिक्षक नियुक्त कर लिए गए थे। इसके अलावा मुख्य विषयों जैसे गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, भाषा (अंग्रेजी) आदि में अंशकालिक शिक्षक और पार्ट टाइम विषयों के लिए पूर्णकालिक शिक्षक नियुक्त हैं।


इस आदेश के खिलाफ प्रभावित शिक्षकों ने हाईकोर्ट में याचिकाएं कर दी। सुनवाई के बाद कोर्ट ने 21 दिसंबर 2021 को 14 जुलाई 2020 के आदेश को निरस्त कर दिया था। इसके खिलाफ अफसरों ने स्पेशल अपील की जो 18 अप्रैल को खारिज हो गई। इसके बावजूद अब तक न तो संगत-असंगत विषय का मामला सुलझा और न ही प्रयागराज समेत अन्य जिलों में रिक्त पदों को भरने की कार्रवाई नहीं हो पा रही है।


जिले में 56 शिक्षिकाओं की नियुक्ति नहीं हो पा रही

कस्तूरबा विद्यालयों में भर्ती को लेकर कानूनी लड़ाई के कारण अकेले प्रयागराज में 56 शिक्षिकाओं की नियुक्ति नहीं हो सकी है। जिले में संचालित 20 कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में 36 पूर्णकालिक शिक्षिका और 20 अंशकालिक शिक्षकों/शिक्षिकाओं की भर्ती के लिए पिछले साल 15 जुलाई तक ऑफलाइन आवेदन मांगे गए थे। इसके अलावा लेखाकार के दो, मुख्य रसोइयां के दो, सहायक रसोइयां के छह और चौकीदार के दो पदों का चयन होना था लेकिन आवेदकों को अब तक नियुक्ति का इंतजार है।

हर ब्लॉक में खोले जाएंगे कस्तूरबा विद्यालय : बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री(स्वतंत्र प्रभार)

हर ब्लॉक में खोले जाएंगे कस्तूरबा विद्यालय : बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री(स्वतंत्र प्रभार)

 
लखनऊ : कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) में कार्यरत वार्डन के लिए एक दिवस अभिमुखीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।


साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में शुक्रवार को कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतन्त्र प्रभार) संदीप सिंह मौजूद रहे। संदीप सिंह ने कहा कि राज्य सरकार बालिकाओं की शिक्षा के सपनों को साकार करने के लिये कटिबद्ध है। केजीबीवी इस संकल्प को पूरा करने की महत्वपूर्ण इकाई है।

बेसिक शिक्षा मंत्री ने कहा कि उच्चीकरण के बाद 377 केजीबीवी में अतिरिक्त 100 बालिकाओं के पठन-पाठन एवं आवासीय व्यवस्था के लिए एकेडमिक ब्लॉक एवं बालिका छात्रावास का निर्माण कराया जा रहा है। जिसमें 20000 बालिकायें लाभान्वित हो सकेंगी।

उन्होंने कहा कि बालिकाओं की शिक्षा की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। वहीं आयोजन में जानकारी दी गई कि कस्तूरबा गांधी विद्यालय में पढ़ने वाली छात्रों को डिजीटल माध्यम से गणित सिखायी जाएगी। जिससे छात्राओं के लिए गणित को समझना सहज होगा।

बैंकों के लॉकर रूम में रखे जाएंगे यूपी बोर्ड के पेपर, 2023 की परीक्षा को नकल विहीन बनाने की तैयारी शुरु

बैंकों के लॉकर रूम में रखे जाएंगे यूपी बोर्ड के पेपर, 2023 की परीक्षा को नकल विहीन बनाने की तैयारी शुरु

लखनऊ : यूपी बोर्ड के इंटरमीडिएट व हाई स्कूल 2023 की परीक्षा को नकल विहीन बनाने की तैयारी शुरू हो गई है। इस बार प्रश्न पत्रों को बैंकों के लॉकर रूम में रखने की तैयारी है। इसके लिए यूपी बोर्ड ने सभी जिलो को पत्र लिखकर बैंकों का ब्यौरा इकट्ठा करने के निर्देश दिए हैं।



यूपी बोर्ड ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को निर्देश दिए हैं कि परीक्षा केन्द्रों के विकास खण्ड में स्थापित राष्ट्रीयकृत बैंकों में उपलब्ध बैंक लॉकर रूम की सूचना उपलब्ध कराई जाए। स्कूलों के निकट के बैंकों की सूचना दी जानी है। इसके साथ ही परीक्षा केन्द्र से बैंक की दूरी कितनी है और स्कूल से ब्लॉक कितनी दूर है ताकि इस पर निर्णय लिया जा सके। अभी तक यूपी बोर्ड के प्रश्नपत्र परीक्षा केन्द्रों पर अलमारी में रखे जाते है जहां 24 घण्टे सीसीटीवी और पुलिस की निगरानी होती है। लेकिन बलिया में पेपरलीक मामले के बाद इस बार सरकार सतर्क है। पिछले वर्ष बलिया में अंग्रेजी का पेपर लीक होने के बाद दो दर्जन जिलों में परीक्षा स्थगित कर दी गई थी। इससे भी 2020 में बस्ती 10वीं का सामाजिक विज्ञान और 12वीं का अर्थशास्त्रत्त् का पेपर लीक, मऊ में फिजिक्स, कौशाम्बी में इंटरमीडिएट का अंग्रेजी, 2018 - चंदौली और महराजगंज में 12वीं का फिजिक्स के दोनों पेपर लीक हुआ था। ज्यादातर पर्चे स्कूल स्तर पर ही लीक हुए थे। इसमें कर्मचारियों की संलिप्तता पाई गई। इसलिए प्रश्नपत्रों की सुरक्षा के लिए अब बैंक लॉकरों की उपलब्धता को देखा जा रहा है।


Friday, July 29, 2022

बाबुओं के तबादलों में गड़बड़ी पर कर्मचारी नेताओं से बात करेगा शिक्षा विभाग

बाबुओं के तबादलों में गड़बड़ी पर कर्मचारी नेताओं से बात करेगा शिक्षा विभाग


लखनऊ। तबादलों में गड़बड़ी को लेकर चल रहे विरोध के बीच बेसिक शिक्षा विभाग ने कर्मचारी नेताओं को वार्ता के लिए बुलाया है। प्रयागराज स्थित अपर शिक्षा निदेशक (बेसिक) कार्यालय में दो अगस्त को दोनों पक्षों में वार्ता होगी।


इस संबंध में यूपी एजुकेशनल मिनिस्टीरियल ऑफीसर्स एसोसिएशन को पत्र जारी किया गया है। इसमें संगठन की ओर से बेसिक शिक्षा निदेशालय में दिए गए धरने के दौरान तबादलों में हुई गड़बड़ियों समेत उठाए गए अन्य मुद्दों पर चर्चा की बात कही गई है। एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विवेक यादव व महामंत्री राजेश चंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि दो अगस्त को वार्ता के लिए बुलाया गया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि वार्ता में ठोस परिणाम निकलेगा


शिक्षा विभाग में ट्रान्सफर किए गए 1045 में से 700 लिपिकों ने अब तक कार्यभार संभाला


लखनऊ। शिक्षा विभाग में लिपिकों के तबादले का विवाद जल्द ही सुलझाया जाएगा।

महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने बताया कि लगभग 700 लिपिकों ने ज्वाइन कर लिया है। तबादलों को लेकर दिए गए प्रत्यावेदनों की जांच की जा रही है। विभाग ने 1045 लिपिकों के तबादले किए थे। उन्होंने कहा कि जो भी विसंगतियां हैं उन्हें दूर किया जा रहा है।


शिक्षा विभाग के बाबुओं की तबादला जांच कमेटी सवालों में घिरी,  गड़बड़ी के आरोपियों को ही मिला जांच का जिम्मा


लखनऊ। बेसिक व माध्यमिक शिक्षा के बाबुओं के तबादलों में हुई गड़बड़ी की जांच के लिए बनी कमेटी खुद सवालों के घेरे में है। कारण, तीन सदस्यीय इस कमेटी में ऐसे लोग हैं जो खुद पहले तबादला सूची तैयार कराने में शामिल थे। सवाल उठ रहा है कि जिस टीम ने तबादलों में गड़बड़ी की, उसी के सदस्य को कमेटी में क्यों शामिल किया गया?


जांच कमेटी का गठन अपर शिक्षा निदेशक (बेसिक) प्रयागराज ने किया है। यहीं से प्रदेश भर के बेसिक व माध्यमिक के करीब एक हजार बाबुओं का संयुक्त तबादला किया गया था। अब गड़बड़ियां सुधारने के लिए जो कमेटी बनी है, उसमें राजेंद्र प्रताप, उप शिक्षा निदेशक (अर्थ), दिनेश सिंह, उप शिक्षा निदेशक (विज्ञान) और नंदलाल सिंह, सहायक शिक्षा निदेशक (सेवा-2) शामिल हैं। 


यूपी एजूकेशनल मिनिस्ट्रीयल ऑफिसर्स एसोसिएशन का आरोप है कि राजेंद्र प्रताप व नंदलाल गड़बड़ निकली तबादला सूची तैयार कराने में शामिल थे। ऐसे में उनसे सुधार की उम्मीद कैसे की जा सकती है? एसोसिएशन के महामंत्री राजेश श्रीवास्तव का आरोप है कि इसी के चलते जांच धीमी चल रही है। उन्होंने दोनों को तत्काल कमेटी से हटाने की मांग की है।


जो अधिकारी हैं वही तो जांच करेंगे

अपर शिक्षा निदेशक (बेसिक) प्रयागराज अनिल भूषण चतुर्वेदी ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया। कहा कि जब हमारे यहां तीन ही अधिकारी हैं तो वही तो हर काम देखेंगे। इनमें भी एक नए हैं। कहा कि उन्होंने तबादले होने के बाद कार्यभार संभाला है और खुद निगरानी कर रहे हैं। ऐसे में गड़बड़ी का प्रश्न ही नहीं उठता। अंतिम परीक्षण वह खुद करेंगे त्रुटियां बहुत ज्यादा नहीं, उन्हें दो तीन दिन में दुरुस्त कर लिया जाएगा। यही नहीं उनका आरोप है कि गड़बड़ियों को लेकर जो हल्ला मचा है, उनके बारे में उन्होंने पहले सूचनाएं मांगी थीं। उस समय मंडल व जिलों से बाबुओं ने ही सही सूचनाएं नहीं दी। शासन की नीति के अनुसार प्रत्येक मामले की जांच हो रही है।


गड़बड़ियों के विरोध में प्रदर्शन 

समूह ग के कर्मचारियों के तबादलों में हुई गड़बड़ियों के विरोध में कर्मचारियों ने बृहस्पतिवार को बेसिक शिक्षा निदेशालय के बाहर धरना-प्रदर्शन किया। यूपी एजुकेशनल मिनिस्टीरियल ऑफिसर्स एसोसिएशन के बैनर तले राजधानी में करीब चार घंटे तक चले प्रदर्शन के बाद महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने मौके पर पहुंचकर मांगों का तीन दिन में निस्तारण कराने का आश्वासन दिया। इसके बाद एसोसिएशन ने एक सप्ताह के लिए आंदोलन स्थगित करने की घोषणा की।

'शिक्षकों की कैशलेस इलाज की सुविधा छलावा' - शिक्षक संगठनों ने स्वास्थ्य बीमा योजना पर उठाए सवाल, राज्यकर्मियों की तरह सुविधा देने की मांग

'शिक्षकों की कैशलेस इलाज की सुविधा छलावा' - शिक्षक संगठनों ने स्वास्थ्य बीमा योजना पर उठाए सवाल, राज्यकर्मियों की तरह सुविधा देने की मांग



लखनऊ। परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों के लिए शुरू की जा रही कैशलेस इलाज की बीमा योजना से शिक्षक संगठन खुश नहीं हैं। शिक्षक संगठनों ने इसे छलावा बताया है।


विशिष्ट बीटीसी शिक्षक बेसिक एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संतोष तिवारी ने कहा कि योजना में शिक्षकों से ही प्रीमियम लेने की व्यवस्था है। प्रीमियम राशि बाजार में उपलब्ध अन्य हेल्थ इंश्योरेंस प्लान से महंगी है। उन्होंने कहा कि सरकार कैशलेस इलाज की सुविधा देने के नाम पर शिक्षकों के साथ छल कर रही है।


संगठन की कार्यकारी अध्यक्ष शालिनी मिश्र और कोषाध्यक्ष दिलीप चौहान ने योजना पर पुनर्विचार की मांग करते हुए राज्य कर्मचारियों की भांति सुविधा देने की मांग की। उधर, उप्र दूरस्थ प‍ बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने भी बीमा योजना में सुधार की मांग की।


उन्होंने शिक्षकों के तबादले व समायोजन की नीति पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि तबादला व समायोजन में एक वर्ष की परिवीक्षा अवधि पूरी करने वाले उन शिक्षकों को भी शामिल करना चाहिए जिनके माता-पिता, पत्नी या बच्चे गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं।

उच्च शिक्षा : पाठ्यक्रम-संस्थानों की अलग मान्यता पर चल रहा मंथन

उच्च शिक्षा : पाठ्यक्रम-संस्थानों की अलग मान्यता पर चल रहा मंथन

नई दिल्ली : उच्च शिक्षा में पाठ्यक्रम और संस्थानों की अलग-अलग मान्यता देने की व्यवस्था खत्म करने के प्रस्ताव पर मंथन चल रहा है। साथ ही मान्यता के लिए अंतरराष्ट्रीय मान्यता पद्धति बाइनरी सिस्टम यानी अलग-अलग ग्रेडिंग की बजाय केवल दो तरह की व्यवस्था (हां या न) लागू करने पर भी विचार किया जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत यह व्यवस्थाएं समयबद्ध तरीके से लागू करने का प्रयास है।


राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (एनबीए) और राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (एनएएसी) को मिलाकर एक राष्ट्रीय प्रत्यायन एवं मूल्यांकन एजेंसी बनाने के प्रस्ताव पर अमल के बाद मान्यता से लेकर संस्थानों के मूल्यांकन तक की व्यवस्था में बड़े परिवर्तन होंगे। यह इसलिए भी जरूरी है, ताकि एक-दूसरे के दायरे के उल्लंघन से बचा जा सके व मूल्यांकन की प्रक्रिया बाधित न हो। उधर, राष्ट्रीय प्रत्यायन व मूल्यांकन परिषद अपनी वर्तमान मान्यता प्रणाली खत्म करने के लिए लगभग तैयार है, जिसके तहत वह एक कॉलेज या विश्वविद्यालय को समग्र रूप से एक अंक और संबंधित ग्रेड देता है।


कई प्रस्तावों पर मशक्कत

एक अधिकारी ने कहा, सम्मिलित प्रयास किए जा रहे हैं कि भारत की मान्यता प्रणाली अब प्रवेश चाहने वाले छात्रों को एक सामान्य कॉलेज या विश्वविद्यालय के बारे में पूरी सही जानकारी उपलब्ध करा सके और जटिलताएं कम हों। यह भी प्रावधान होगा कि किसी विशेष परिसर में एक विशिष्ट विभाग या पाठ्यक्रम कितना अच्छा है। संस्थान मान्यता प्राप्त है या नहीं, की व्यवस्था के साथ कोर्स या विभाग से जुड़ी मान्यताओं को वैकल्पिक बनाने सहित कई प्रस्ताव पर मशक्कत चल रही है।

●पंकज कुमार पाण्डेय

Thursday, July 28, 2022

70 प्रतिशत कोर्स के साथ होगी यूपी बोर्ड एवं सीबीएसई बोर्ड परीक्षा

70 प्रतिशत कोर्स के साथ होगी यूपी बोर्ड एवं सीबीएसई बोर्ड परीक्षा

प्रयागराज :  यूपी बोर्ड ने लगातार तीसरे साल कक्षा नौ से 12 तक एक करोड़ से अधिक छात्र-छात्राओं को 70 प्रतिशत पाठ्यक्रम पढ़ाने का निर्णय लिया है। बोर्ड ने अपनी वेबसाइट पर 2022-23 सत्र के लिए जो पाठ्यक्रम अपलोड किया है उसमें सभी विषयों में 30 प्रतिशत की कटौती बरकरार रखी है। विशेषज्ञों की मानें तो कोरोना के चलते दो साल नियमित पढ़ाई न होने के कारण छात्र-छात्राएं मानसिक रूप से दबाव में हैं।


इस साल बोर्ड परीक्षा के बाद प्रायोगिक परीक्षा और मूल्यांकन के कारण भी तकरीबन दो महीने स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित रही। दो साल बाद स्कूलों में लौटे बच्चों को अच्छा माहौल देने और उनके समग्र विकास के उद्देश्य से इस साल भी 70 प्रतिशत पाठ्यक्रम ही रखा गया है। यूपी बोर्ड इस साल से 9वीं और 10वीं की लिखित परीक्षा नए पैटर्न पर कराने जा रहा है। पहली बार सत्र में पांच मासिक परीक्षाएं होंगी। इनमें तीन बहुविकल्पीय और दो परीक्षा वर्णनात्मक प्रश्नों के आधार पर होंगी।


सीबीएसई ने भी की 30 प्रतिशत की कटौती

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने पिछले दो सालों की तरह 70 प्रतिशत कटौती बरकरार रखी है। प्रयागराज क्षेत्रीय कार्यालय की क्षेत्रीय अधिकारी श्वेता अरोड़ा के मुताबिक पिछले साल का क पाठ्यक्रम ही 2022-23 में लागू रहेगा। काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल एग्जामिनेश (सीआईएससीई) ने हिन्दी और अंग्रेजी आदि कुछ विषयों के कोर्स में कटौती की है।


सीबीएसई : हिन्दी और अंग्रेजी में कटौती

सीबीएसई (केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड) ने पिछले दो सालों की तरह 70 प्रतिशत कटौती बरकरार रखी है। प्रयागराज क्षेत्रीय कार्यालय की क्षेत्रीय अधिकारी श्वेता अरोड़ा के मुताबिक पिछले साल का पाठ्यक्रम ही 2022-23 में लागू रहेगा। सीआईएससीई ने हिन्दी और अंग्रेजी आदि कुछ विषयों के कोर्स में कटौती की है।

यूपी बोर्ड ने इस सत्र में भी 70 प्रतिशत कोर्स ही रखा है। विद्यार्थियों को मानसिक दबाव से उबारने और उनके समग्र विकास के लिए कोर्स कटौती बरकरार रखने का निर्णय स्वागत योग्य कदम है। नीलम मिश्रा, प्रधानाचार्या राजकीय बालिका इंटर कॉलेज,प्रयागराज

निदेशक बेसिक शिक्षा को अवमानना नोटिस, आदेश का पालन नहीं करने पर तलब कर आरोप होगा तय

निदेशक बेसिक शिक्षा को अवमानना नोटिस, आदेश का पालन नहीं करने पर तलब कर आरोप होगा तय


प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अवमानना के एक मामले में निदेशक बेसिक शिक्षा सर्वेंदु विक्रम बहादुर सिंह को नोटिस जारी किया है लेकिन उन्हें आदेश का पालन करने के लिए एक माह का अतिरिक्त समय भी दिया है। कोर्ट ने कहा है कि आदेश की अवहेलना करने पर अवमानना का केस बनता है। आदेश का पालन नहीं करने पर उन्हें तलब कर आरोप तय किया जाएगा। 



यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने अंजू सिंह की अवमानना याचिका पर अधिवक्ता अखिलेश यादव को सुनकर दिया है। अधिवक्ता के अनुसार याची को अधिक क्वालिटी प्वाइंट अंक प्राप्त करने के बावजूद मांगे गए जिले अलीगढ़ में नियुक्ति नहीं दी गई। उसे कासगंज भेज दिया गया जबकि कम अंक वाले अभ्यर्थियों को अलीगढ़ जिला आवंटित किया गया है। इस पर कोर्ट ने निदेशक बेसिक शिक्षा का आदेश रद्द कर दिया और अलीगढ़ आवंटित कर तीन सप्ताह में नियुक्ति का निर्देश दिया।इस आदेश की अवहेलना करने पर यह याचिका की गई है।

Wednesday, July 27, 2022

बदले कटआफ से चयनित शिक्षकों को नियुक्ति की उम्मीद, भटक रहे हैं 69000 भर्ती में 6800 चयनित

बदले कटआफ से चयनित शिक्षकों को नियुक्ति की उम्मीद, भटक रहे हैं 69000 भर्ती में 6800 चयनित 



बेसिक शिक्षा की 69,000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण की गड़बड़ी के कारण चयन से वंचित 6800 शिक्षकों के नियुक्ति की गुत्थी सुलझ नहीं पा रही है।अभ्यर्थी प्रयागराज आने वाले प्रदेश सरकार के हर मंत्री को ज्ञापन देकर नियुक्ति दिलाए जाने की मांग करते हैं। नियुक्ति पाने के लिए संघर्ष कर रहे चयनित लक्ष्मीकांत यादव ने बताया कि आरक्षण में गड़बड़ी के कारण 6,800 अभ्यर्थी चयन सूची से बाहर हो गए थे।


अभ्यर्थियों ने मुद्दा उठाया तो मुख्यमंत्री की पहल पर पांच जनवरी 2022 को आरक्षित वर्ग के 6,800 अभ्यर्थियों की नई चयन सूची जारी की गई, लेकिन नियुक्ति अभी नहीं मिली है। जब 69,000 भर्ती का परिणाम जारी किया गया था तो अनारक्षित वर्ग में 67.11, ओबीसी वर्ग में 66.73 तथा एससी वर्ग में 61.05 कटआफ निर्धारित किया गया था।


इस पर प्रश्न उठने पर 6,800 शिक्षकों की चयन सूची जारी की गई। इधर बेसिक शिक्षा परिषद ने पिछले दिनों शिक्षकों की मांग पर कोट के आदेश के बाद एनओसी दिए जाने के लिए सभी बीएसए को निर्देश के साथ जो कटआफ जारी किए उसमें अनारक्षित 69.07, ओबीसी 65.53 तथा एससी 59.55 तय की गई है। इस तरह श्रेणीवार कटआफ में अंतर है। लक्ष्मीकांत, राजकुमार, अनु पटेल आदि अनारक्षित में कटआफ अधिक व आरक्षित वर्ग में कम किए जाने को अपनी विजय के रूप में देख रहे हैं। ये अभ्यर्थी नियुक्ति के लिए डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक से मिलने के बाद पिछले दिनों कैबिनेट मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह से मिलकर नियुक्ति दिलाए जाने की मांग रखी।

यूपी बोर्ड : प्राइवेट छात्रों के पंजीकरण केंद्र होंगे राजकीय स्कूल

यूपी बोर्ड : प्राइवेट छात्रों के पंजीकरण केंद्र होंगे राजकीय स्कूल

लखनऊ : यूपी बोर्ड में व्यक्तिगत (प्राइवेट) परीक्षार्थियों के लिए इस बार भी केवल राजकीय विद्यालय अग्रसारण केन्द्र बनेंगे और एक केन्द्र अधिकतम 1000 आवेदन अग्रसारित कर सकेगा। बाहरी राज्यों के केवल वहीं विद्यार्थी आवेदन कर सकेंगे जो दो वर्षों से यूपी में रह रहे हों। हालांकि फेल परीक्षार्थियों या कश्मीरी विस्थापितों पर यह नियम लागू नहीं होगा।


यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की यूपी बोर्ड 2023 की परीक्षाओं में शामिल होने वाले व्यक्तिगत परक्षार्थियों के लिए आवेदन पत्रों की उपलब्धता, पंजीकरण, अग्रसारण केन्द्र निर्धारण की नीति जारी कर दी गई है। माध्यमिक शिक्षा परिषद की सभापति सरिता तिवारी ने मंगलवार को आदेश जारी कर दिया। कक्षा 10 व 12 में व्यक्तिगत परीक्षार्थियों का पंजीकरण ऑनलाइन होगा। जिन स्कूलों में नकल, अनियमितताओं की शिकायत हो, उन्हें पंजीकरण केंद्र नहीं बनाया जाएगा। जो स्कूल इंटरमीडिएट का पत्राचार पंजीकरण केन्द्र बने हों, उन्हें सामान्य व्यक्तिगत परीक्षार्थियों का अग्रसारण केन्द्र न बनाएं।

प्रदेश के बाहर के अभ्यर्थियों या अन्य बोर्डों के विद्यार्थियों के पंजीकरण केवल जिला मुख्यालय के स्कूलों में हो सकेगा। जिला मुख्यालय पर बालक और बालिकाओं के लिए अलग-अलग पंजीकरण केन्द्र बनाए जाएं लेकिन ग्रामीण अंचलों में मिश्रित केन्द्र बनाए जा सकते हैं।

69000 शिक्षक भर्ती : आवेदन भरने में गलती को हाईकोर्ट ने मानवीय भूल मानने से किया इनकार, याचिकाएं खारिज

69000 शिक्षक भर्ती : आवेदन भरने में गलती को हाईकोर्ट ने मानवीय भूल मानने से किया इनकार, याचिकाएं खारिज


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती मामले में ऑनलाइन आवेदन भरने में मानवीय भूल सुधार करने की अनुमति देने की मांग को लेकर दाखिल 17 याचिकाओं पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि चेतावनी दिए जाने के बावजूद व्यक्तिगत व शैक्षिक जानकारी भरने में लापरवाही बरती गई। जिसे सामान्य मानवीय भूल नहीं कहा जा सकता। कोर्ट ने याचिकाएं खारिज कर दी है।



यह आदेश न्यायमूर्ति जे जे मुनीर ने रूखसार खान सहित 17 याचिकाओं की एक साथ सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट ने अलेक्जेंडर पोप के कथन का भी जिक्र किया जिसमें कहा गया है कि मानव की गलती भगवान माफ करते हैं। परीक्षा नियामक प्राधिकारी प्रयागराज की तरफ से जारी भर्ती में चेतावनी के साथ आवेदक को घोषणा करनी होती है। लिखित परीक्षा के सफल अभ्यर्थियों को काउंसिलिंग के लिए बुलाया गया और चयन किया गया।


याचियों का कहना था कि ऑनलाइन आवेदन भरने में मानवीय भूल हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने मानवीय भूल सुधार का मौका देने का आदेश दिया है। सरकार की तरफ से विज्ञापन शर्तों व पद की गरिमा का हवाला दिया और कहा कि आवेदन भरने में व्यापक गलती को मानवीय भूल नहीं कहा सकते। कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है।

प्राविधिक शिक्षा बोर्ड के सचिव व निदेशक हटाए गए, फॉर्मेसी कॉलेजों को अनापत्ति प्रमाणपत्र देने में अनियमितता का आरोप

प्राविधिक शिक्षा बोर्ड के सचिव व निदेशक हटाए गए, फॉर्मेसी कॉलेजों को अनापत्ति प्रमाणपत्र देने में अनियमितता का आरोप


प्राविधिक शिक्षा निदेशक मनोज कुमार व प्राविधिक शिक्षा परिषद के सचिव सुनील कुमार सोनकर को उनके पद से हटा दिया गया है। यह कार्रवाई प्राविधिक शिक्षा मंत्री आशीष पटेल के निर्देश पर की गई है। मंत्री ने बताया कि दोनों पर फॉर्मेसी कॉलेजों को अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) देने में अनियमितता बरतने का आरोप है। शुरुआती जांच में आरोपों की पुष्टि हुई है। इसकी जांच आगे भी होगी।


प्राविधिक शिक्षा मंत्री ने बताया कि वर्तमान सत्र में फॉर्मेसी कॉलेजों को उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार तय मानकों के आधार पर दाखिले की अनुमति दी जानी थी। समय कम होने से कॉलेजों से शपथ पत्र लेकर सशर्त एनओसी देने के निर्देश दिए गए थे। इसके बावजूद इन अधिकारियों ने कुछ कॉलेजों को बिना शपथ पत्र लिए एनओसी दे दी। ये गड़बड़ी क्यों हुई और किन कॉलेजों की एनओसी गलत ढंग से दी गई? इसमें दोनों अधिकारियों की क्या मंशा थी? यह जांच का विषय है।


इस पर उन्होंने प्रक्रिया पूरी होने के बाद जानकारी देने की बात कही। प्रमुख सचिव सुभाष चंद्र शर्मा ने बताया कि मनोज कुमार को निदेशक, शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान कानपुर स्थानांतरित किया गया है और सुनील सोनकर को प्राविधिक शिक्षा निदेशालय कानपुर से संबद्ध किया गया है। फिलहाल दोनों पदों पर अभी नई तैनाती नहीं की गई है

राजकीय माध्यमिक शिक्षकों की समायोजन प्रक्रिया पर उठे सवाल

राजकीय माध्यमिक शिक्षकों की समायोजन प्रक्रिया पर उठे सवाल



लखनऊ। राजकीय इंटर कॉलेजों में अतिरिक्त शिक्षकों के समायोजन की चल रही प्रक्रिया में विभाग वर्ष 1976 की व्यवस्था को अपना रहा है। उस समय 60 बच्चों पर एक शिक्षक की तैनाती की व्यवस्था थी, लेकिन आरटीई में 35 बच्चों पर एक शिक्षक रखने की व्यवस्था है। ऐसे में शिक्षक संगठन ने सवाल उठाया है कि छात्र- शिक्षक अनुपात कैसे तय होगा ?


राजकीय शिक्षक संघ की अध्यक्ष छाया शुक्ला बताती हैं कि विभाग खाली पद भरने की बजाय शिक्षकों को इधर-उधर कर रहा है। समायोजन से पहले यह घोषित किया जाना चाहिए कि अतिरिक्त शिक्षकों को कैसे चिह्नित किया जाए। वर्ष 1976 के बाद से कई बदलाव हुए हैं। उन बदलाओं का समायोजन में पालन कैसे होगा? यह स्पष्ट नहीं है। उन्होंने कहा कि कुछ विद्यालय ऐसे हैं जहां कुछ विषयों में बच्चों की संख्या एक शिक्षक के अनुपात लायक भी नहीं। वहीं कुछ जगह किसी विषय में छात्र ज्यादा व शिक्षक कम हैं। अगर बच्चे कम होने पर किसी विषय से शिक्षक हटाए जाएंगे तो क्या उस विषय की पढ़ाई भी बंद कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि यह स्थितियां स्पष्ट होनी चाहिए।



सभी मानकों को देखने के बाद संख्या तय होगी


अपर शिक्षा निदेशक केके गुप्ता का कहना है कि समायोजन 1976 के शासनादेश के अनुसार किया जा रहा है। सिर्फ छात्र संख्या को ही क्यों आधार बनाया जा रहा है, विषयों को पढ़ाने से भी तो शिक्षकों की संख्या तय हो सकती है। उन्होंने कहा कि प्रवक्ता को रोजाना पांच व एलटी ग्रेड शिक्षक को छह पीरियड पढ़ाने की व्यवस्था है। इन सभी मानकों को देखने के बाद अतिरिक्त शिक्षकों की संख्या तय होगी।


यूपी मदरसा बोर्ड की वार्षिक परीक्षा में लड़कों से आगे निकलीं लड़कियां, जानिए कौन हैं टॉपर

यूपी मदरसा बोर्ड की वार्षिक परीक्षा में लड़कों से आगे निकलीं लड़कियां, जानिए कौन हैं टॉपर

UP Madarsa Board Result 2022: उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद की वर्ष 2022 की वार्षिक परीक्षा का परिणाम मंगलवार को घोषित किया गया। राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह ने इंदिरा भवन स्थित अल्पसंख्यक कल्याण निदेशालय के सभागार में यह परीक्षाफल जारी किया। इस अवसर पर अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी, अल्पसंख्यक कल्याण निदेशक सी.इन्दुमति, उ.प्र.मदरसा शिक्षा परिषद के चेयरमैन डा.इफ्तेखार अहमद जावेद, रजिस्ट्रार जगमोहन सिंह, उ.प्र.राज्य अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन अशफाक सैफी आदि मौजूद थे। इस बार की परीक्षा में विभिन्न पाठ्यक्रमों में कुल 1,14, 247 परीक्षार्थियों का परीक्षाफल घोषित किया गया, जिसमें 45,147 छात्र और 48,009 छात्राएं यानि कुल 93,156 परीक्षार्थी पास हुए। 21091 परीक्षार्थी सफल नहीं हो सके।


अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ने उत्तीर्ण हुए सभी छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की और कहा कि सभी विद्यार्थी आगे पढ़ाई निरन्तर जारी रखते हुए उच्च शिक्षा ग्रहण करें एवं बेहतर परिणाम हासिल करते हुए परिवार, माता-पिता, शिक्षकों, प्रदेश एवं देश का नाम रोशन करें।

ये हैं टॉपर:
सेकेण्डरी परीक्षा में बदायूं के अरमान खान 93.17 प्रतिशत, कन्नौज के मो. असलम 92.83 प्रतिशत तथा औरैया के अहकाम अली ने 92.17 प्रतिशत अंक प्राप्त किया।

सीनियर सेकेण्डरी परीक्षा में कानपुर नगर के मो. तसलीम ने 95.4 प्रतिशत, जेबा ने 94.8 प्रतिशत तथा कन्नौज के मो. मुजाहिद खान ने 94 प्रतिशत अंक प्राप्त किये।

कामिल परीक्षा में मुरादाबाद की अरशी अरशद ने 85.44 प्रतिशत, कन्नौज की अशफा खातून ने 85.06 प्रतिशत तथा मुरादाबाद की उमी हनी सदफ ने 84.69 प्रतिशत अंक प्राप्त किया।

फाजिल परीक्षा में औरैया के मो. असलम ने 87.50 प्रतिशत, गाजीपुर की बुश्रा ने 87 प्रतिशत तथा मुरादाबाद की आफिया नाज ने 86.50 प्रतिशत अंक प्राप्त किये।


परीक्षाएं और उनके परिणाम:
1.सेकेण्डरी में 91508 परीक्षार्थी पंजीकृत थे, जिसमें 57642 परीक्षार्थियों ने परीक्षा दी, जिसमें 42125 पास हुए और 15517 अनुत्तीर्ण हुए। परीक्षा में 20472 छात्र और 21653 छात्राएं सफल हुईं। सफलता का प्रतिशत 73.08 रहा।

2.सीनियर सेकेण्डरी परीक्षा में पंजीकृत छात्र 25921 थे, जिसमें 19050 ने परीक्षा दी। 16923 परीक्षार्थी उत्तीर्ण हुए तथा 2127 अनुत्तीर्ण हुए। 8000 छात्र और 8923 छात्राएं उत्तीर्ण हुए। सफलता का प्रतिशत 88.83 रहा।

3.कामिल की परीक्षा में 33548 परीक्षार्थी पंजीकृत थे, जिसमें 27678 ने परीक्षा दी। 24737 विद्यार्थी पास हुए जिसमें 12003 छात्र तथा 12734 छात्राएं थीं। अनुत्तीर्ण परीक्षार्थियों की संख्या 2941 रही। सफलता का प्रतिशत 89.37 रहा।

4.फाजिल की परीक्षा में 11398 विद्यार्थी पंजीकृत थे, जिसमें 9877 विद्यार्थियों ने परीक्षा दी। 9371 परीक्षार्थी उत्तीर्ण हुए तथा 506 परीक्षार्थी अनुत्तीर्ण हुए। परीक्षा में 4672 छात्र तथा 4699 छात्रायें उत्तीर्ण हुई। सफलता का प्रतिशत 94.88 रहा।

Tuesday, July 26, 2022

शिक्षा विभाग के बाबुओं के तबादलों में गड़बड़ी पर मांगा जवाब, स्थानांतरित कर्मियों को कार्यभार ग्रहण करने के दिए निर्देश

शिक्षा विभाग के बाबुओं के तबादलों में गड़बड़ी पर मांगा जवाब, स्थानांतरित कर्मियों को कार्यभार ग्रहण करने के दिए निर्देश


लखनऊ। महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने बेसिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग में समूह ग के संयुक्त तबादलों की त्रुटियों पर अपर बेसिक शिक्षा निदेशक से स्पष्टीकरण तलब किया है। उन्होंने पूर्व में दिए निर्देशों के अनुसार गड़बड़ियां जल्द दूर करने और कर्मचारियों को कार्यभार ग्रहण करने के निर्देश दिए हैं।


महानिदेशक ने कहा है कि त्रुटियां दूर कराई जा रही हैं, लेकिन इस वजह से कर्मचारियों को कार्यभार ग्रहण करने में देरी की छूट नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा कि जिन कर्मचारियों ने स्थानांतरण के बाद भी पद नहीं छोड़ा है, उनका वेतन रोका जाएगा। उधर, वेतन रोकने की कार्रवाई के आदेश पर यूपी एजुकेशनल मिनिस्टीरियल ऑफिसर एसोसिएशन के अध्यक्ष विवेक यादव व महामंत्री राजेश चंद्र श्रीवास्तव ने आपत्ति जताई है। 


उन्होंने सोमवार को इस संबंध में महानिदेशक को पत्र भेजकर कार्यमुक्त और कार्यभार ग्रहण करने वाले कर्मचारियों की विभाग की ओर से भेजी गई सूची का सत्यापन कराने की मांग की है। इसमें उन्होंने कहा है कि कर्मचारियों को परेशान करने के बजाय नियम विरुद्ध तबादले करने के दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि मांग नहीं मानी गई तो संगठन 28 जुलाई को प्रदेश स्तरीय आंदोलन करेगा।

मानव संपदा में त्रुटिरहित डाटा एंट्री के लिए दिनांक 30 जुलाई को यू-ट्यूब कार्यशाला का होगा आयोजन।

मानव संपदा में त्रुटिरहित डाटा एंट्री के लिए दिनांक 30 जुलाई को यू-ट्यूब कार्यशाला का होगा आयोजन।



मानव संपदा में त्रुटिरहित डाटा एंट्री के लिए बेसिक शिक्षा परिषद् के अधीन विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक एवम कर्मचारियों को प्रतिभाग कराने के सम्बन्ध में दिनांक 30 जुलाई 2022 को शाम 5:00 pm यू-ट्यूब कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है |
इसके सन्दर्भ के लिए उपरोक्त पत्र को भी अटैच किया गया है |





जुड़ने का लिंक : 


बेसिक शिक्षकों के स्थानांतरण, पदोन्नति सहित अन्य न्यायोचित लम्बित समस्याओं को निस्तारित करने हेतु पत्र लिखकर प्राथमिक शिक्षक संघ ने की मांग

बेसिक शिक्षकों के स्थानांतरण, पदोन्नति सहित अन्य न्यायोचित लम्बित समस्याओं को निस्तारित करने हेतु पत्र लिखकर प्राथमिक शिक्षक संघ ने की मांग









परिषदीय विद्यालयों के निरीक्षण के जरिए शिक्षकों का मानसिक उत्पीड़न रोके जाने की प्राथमिक शिक्षक संघ पत्र ने की मांग

परिषदीय विद्यालयों के निरीक्षण के जरिए शिक्षकों का मानसिक उत्पीड़न रोके जाने की प्राथमिक शिक्षक संघ पत्र ने की मांग



राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत सरप्लस शिक्षक /शिक्षिकाओं का समायोजन अन्य विद्यालयों में किए जाने के संबंध में

राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत सरप्लस शिक्षक /शिक्षिकाओं का समायोजन अन्य विद्यालयों में किए जाने के संबंध में



चाइल्ड केयर लीव की स्वीकृति के नाम पर घूस मांग रहा बाबू सस्पेंड, जानिए पूरा मामला

चाइल्ड केयर लीव की स्वीकृति के नाम पर घूस मांग रहा बाबू  सस्पेंड, जानिए पूरा मामला



अयोध्या में सोमवार को एक कार्यालय सहायक को सस्पेंड कर दिया गया है। वह एक टीचर से चाइल्ड केयर लीव देने के लिए 6 हजार रुपए घूस मांग रहा था। मामला हैरिंग्टनगंज के प्राथमिक विद्यालय भीटारी का है।



बेसिक शिक्षा अधिकारी यानी BSA संतोष कुमार राय ने इस मामले की जांच की। उन्होंने कार्यालय सहायक दीपक कुमार को नियमित रूप से दफ्तर में हाजिर होने को कहा है।


दीप्ति सिंह प्राथमिक विद्यालय भीटारी में असिस्टेंट टीचर हैं। उन्होंने खंड कार्यालय हैरिंग्टनगंज को छुट्टी के लिए एप्लीकेशन दी थी। इस पर वहां के कार्यालय सहायक दीपक कुमार ने उनसे 6 हजार रुपए घूस की मांग की। टीचर ने इसकी शिकायत BSA से की। इसके बाद BSA ने मामले की जांच कराई।


आरोप सिद्ध होने पर की गई कार्रवाई
BSA ने बताया कि जांच में आरोप सही पाया गया। इसके आधार पर अनुशासनहीनता के आरोप में कार्यालय सहायक को सस्पेंड कर दिया। साथ ही मुख्यालय के खंड शिक्षा अधिकारी रामचंद्र मौर्य को पूरी जांच कर 15 दिनों में रिपोर्ट देने के निर्देश दिए। कार्यालय सहायक को नियमित BSA ऑफिस आकर हाजिरी लगानी होगी।



छापामार पद्धति से निरीक्षण के नाम पर आतंकित और प्रताड़ित किये जाने के विरोध में राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने महानिदेशक को लिखा पत्र

छापामार पद्धति से निरीक्षण के नाम पर आतंकित और प्रताड़ित किये जाने के विरोध में राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने महानिदेशक को लिखा पत्र 


Monday, July 25, 2022

मदरसा बोर्ड की मुंशी मौलवी, आलिम, कामिल और फाजिल की परीक्षाओं का रिजल्ट 26 जुलाई को

मदरसा बोर्ड की मुंशी मौलवी, आलिम, कामिल और फाजिल की परीक्षाओं का रिजल्ट 26 जुलाई को



लखनऊ। मदरसा बोर्ड की मुंशी मौलवी, आलिम, कामिल और फाजिल की परीक्षाओं का रिजल्ट 26 जुलाई को जारी होगा। अल्पसंख्यक कल्याण एवं हज मंत्री धर्मपाल सिंह परिणाम की घोषणा करेंगे।


प्रदेश में एक लाख बीस हजार विद्यार्थियों ने 523 केंद्रों पर सेकेंडरी (मुंशी - मौलवी), सीनियर सेकेंडरी (आलिम), कामिल और फाजिल की परीक्षा दी थी। बोर्ड के चेयरमैन डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने बताया कि कापियों के मूल्यांकन के बाद नंबरों की फीडिंग कर ली गई है। 


उन्होंने बताया कि अल्पसंख्यक कल्याण एवं हज मंत्री धर्मपाल सिंह 26 जुलाई को दोपहर 3 बजे इंदिरा भवन स्थित अल्पसंख्यक कल्याण सभागार में रिजल्ट की घोषणा करेंगे। इस मौके पर बोर्ड के सदस्यों के अलावा रजिस्ट्रार जगमोहन सिंह समेत अन्य अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहेंगे। संवाद

कर्मचारियों की तरह बेसिक शिक्षकों ने भी मांगी नि:शुल्क इलाज की सुविधा, प्रीमियम आधारित सुविधा शुरू करने की तैयारी को बताया भेदभाव पूर्ण

बेसिक शिक्षकों ने भी राज्यकर्मियों की तरह मांगा फ्री इलाज

कर्मचारियों की तरह बेसिक शिक्षकों ने भी मांगी नि:शुल्क इलाज की सुविधा

प्रीमियम आधारित सुविधा शुरू करने की तैयारी को बताया भेदभाव पूर्ण 


लखनऊ। परिषदीय व राजकीय माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों ने सरकार से राज्य कर्मचारियों की भांति कैशलेस इलाज की सुविधा देने की मांग की है। इस संबंध में शिक्षक संगठनों ने आवाज उठाई है।


दरअसल, बेसिक शिक्षा विभाग भी शिक्षकों को कैशलेस इलाज की सुविधा देने की तैयारी कर रहा है, लेकिन यह सुविधा बीमा आधारित होगी। यानी उसका प्रीमियम शिक्षकों से ही वसूला जाएगा। शिक्षक संगठन इसे अनुचित बता रहे हैं। शिक्षक सवाल उठा रहे हैं कि सरकार जब राज्य कर्मचारियों को कैशलेस इलाज की सुविधा दे रही है तो शिक्षकों के साथ क्यों भेदभाव कर रही है। 

वे कहते हैं कि विभाग प्रीमियम आधारित जो सुविधा देने जा रहा है, उसमें शिक्षकों का क्या फायदा? शिक्षकों का प्रश्न है कि सरकार जब कोई लाभ देने की बात होती है तो  शिक्षकों को राज्य कर्मचारी नहीं मानती। लेकिन जब कोई काम कराना हो तो राज्य कर्मचारी की भांति नियम लागू हो जाते हैं। यह दोहरा व्यवहार बंद होना चाहिए। 


यह है प्रस्तावित योजना

बेसिक शिक्षा विभाग शिक्षकों व शिक्षामित्रों को कैशलेस चिकित्सा सुव धा देने के लिए ई निविदा प्रकाशित की है। इसमें तीन, पांच, सात व दस लाख रुपये की बीमा दरें मांगी गई हैं। प्रीमियम तय होते ही योजना लागू करने की तैयारी है।



लखनऊ। परिषदीय व राजकीय माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों ने सरकार से राज्य कर्मचारियों की भांति कैशलेस इलाज की सुविधा देने की मांग की है।


 इस संबंध में शिक्षक संगठनों ने आवाज उठाई है। दरअसल, बेसिक शिक्षा विभाग भी शिक्षकों को कैशलेस इलाज की सुविधा देने की तैयारी कर रहा है, लेकिन यह सुविधा बीमा आधारित होगी।

पॉलीटेक्निक में दाखिले के लिए काउंसिलिंग की तैयारी शुरू

पॉलीटेक्निक में दाखिले के लिए काउंसिलिंग की तैयारी शुरू

संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद को है सीट इंडेक्स मिलने का इंतजार


लखनऊ। यूपी बोर्ड और सीबीएसई की परीक्षा परिणाम जारी होने के बाद प्रदेश के पॉलीटेक्निक संस्थानों में दाखिले के लिए काउंसिलिंग प्रक्रिया शुरू करने तैयारी की जा रही है। काउंसिलिंग कराने वाले संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद को सीट इंडेक्स का इंतजार है। सीट इंडेक्स प्राविधिक शिक्षा परिषद को मुहैया कराना है। संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद ने काउंसलिंग का प्रस्ताव तैयार कर रखा है।


संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद के कार्यकारी सचिव राम रतन ने बताया कि एआईसीटीई ने 31 जुलाई तक का समय दिया है। इसके बाद काउंसिलिंग शुरू कर सकते हैं। पर प्राविधिक शिक्षा परिषद की तरफ से सीट इंडेक्स 31 जुलाई के बाद ही मिलेगा। ऐसे में 15 अगस्त के बाद काउंसिलिंग प्रारंभ करने का प्रस्ताव तैयार किया है। 


उन्होंने बताया कि जैसे ही सीट इंडेक्स मिलेगी, उसके कुछ दिन बाद काउंसिलिंग शुरू कर दी जाएगी। आमतौर पर हर पॉलीटेक्निक प्रवेश परीक्षा का परिणाम जारी होने के दूसरे दिन से ही काउंसिलिंग के लिए पंजीकरण प्रक्रिया शुरू होती थी लेकिन बोर्ड परीक्षा परिणाम आने में देरी की वजह से काउंसिलिंग की प्रक्रिया को बढ़ा दिया गया है। गत 18 जुलाई को प्रवेश परीक्षा का परिणाम जारी किया गया था।


इंजीनियरिंग और फार्मेसी में भी सीट से कम अभ्यर्थी

पॉलीटेक्निक के इंजीनियरिंग व फार्मेसी डिप्लोमा में दाखिले के लिए सबसे ज्यादा अभ्यर्थी आवेदन करते हैं। इंजीनियरिंग के लिए हाईस्कूल उत्तीर्ण तो फार्मेसी के इंटर उत्तीर्ण होना चाहिए। इन दोनों प्रमुख पाठ्यक्रमों में भी सीट के सापेक्ष कम अभ्यर्थी अहं हुए हैं। सत्र 2022-23 के लिए सीट इंडेक्स नहीं आई है लेकिन गत वर्ष के सीटों की तुलना में इस बार अभ्यर्थी काफी कम हैं। जबकि अभी सीटों में और इजाफा भी होना है। इंजीनियरिंग डिप्लोमा में 1,40,563 सीटें हैं, वहीं अर्ह अभ्यर्थियों की संख्या 1,14,056 है। इसी तरह फार्मेसी में 56,878 सीटें हैं और अर्ह अभ्यर्थियों की संख्या 37,741 है।

तबादले के बाद भी जमे बाबुओं का वेतन रोकने का आदेश पर कर्मचारी नाराज, त्रुटियां दूर किए बगैर कार्रवाई करना उचित नहीं

तबादले के बाद भी जमे बाबुओं का वेतन रोकने का आदेश 
पर कर्मचारी नाराज, त्रुटियां दूर किए बगैर कार्रवाई करना उचित नहीं

पूछा, पद रिक्त न होने के कारण कार्यमुक्त हो रहे कर्मचारी कहां जाएं


लखनऊ। बेसिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग में समूह ग के तबादलों को लेकर कर्मचारियों व शासन के बीच तकरार लगातार बनी हुई है। महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने आदेश के बावजूद कार्यमुक्त या कार्यभार ग्रहण करने का प्रत्यावेदन न देने वालों को शासन के आदेशों की अवहेलना का दोषी मानते हुए अग्रिम आदेश तक वेतन रोकने के आदेश दे दिए हैं। वहीं तबादलों की गड़बड़ियां गिना रहे कर्मचारियों का कहना है कि त्रुटियां दूर किए बगैर ऐसी कार्रवाई उचित नहीं। उन्होंने सवाल किया है कि वह कर्मचारी क्या करें जो आदेश के बाद कार्यमुक्त तो हो चुके हैं, लेकिन उन्हें जगह न होने का हवाला देकर कार्यभार ग्रहण नहीं कराया जा रहा?


वेतन रोकने संबंधी आदेश में महानिदेशक विजय किरन आनंद ने यह भी कहा है कि उनकी अनुमति के बगैर किसी का वेतन कतई जारी न किया जाए। यदि किसी दोषी कर्मचारी का वेतन जारी होता है तो संबंधित कार्यालयाध्यक्ष, आहरण वितरण अधिकारी के विरुद्ध वैधानिक कार्यवाही की जाएगी। यही नहीं उन्होंने 19 जुलाई को की गई समीक्षा की स्थिति पर लिखा है कि स्थानांतरित 907 कर्मचारियों में 146 ही कार्यमुक्त हुए लेकिन 131 ने ही कार्यभार ग्रहण किया था। उन्होंने इसी स्थिति पर असंतोषजनक बताते हुए अब तक सीट न छोड़ने वालों पर कार्रवाई के आदेश दिए हैं।

उधर, यूपी एजूकेशनल मिनिस्टीरियल ऑफिसर एसोसिएशन के महामंत्री राजेश चंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि महानिदेशक कार्यालय को पद छोड़ने व कार्यभार ग्रहण करने सूचना सही नहीं दी गई। उनके अनुसार इस समय अधिकांश वही कर्मचारी कार्यभार ग्रहण नहीं कर पाए हैं, जिन्हें पद रिक्त न होने के कारण कार्यभार ग्रहण नहीं कराया जा रहा। संगठन ने विभाग के स्तर से हुई त्रुटियां सुधारे बगैर कार्रवाई किए जाने को गलत बताया है।

विरोध : शिक्षामित्रों ने काली पट्टी बांधकर किया शिक्षण कार्य

विरोध : शिक्षामित्रों ने काली पट्टी बांधकर किया शिक्षण कार्य


लखनऊ। पूरे प्रदेश में शिक्षामित्रों ने सोमवार को बांह पर काली पट्टी बांधकर शिक्षण कार्य किया। समायोजन रद्द होने के पांच साल पूरे होने पर शिक्षामित्रों ने विरोध स्वरूप इस दिन को बरसी के तौर पर मनाया। 

उप्र दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने बताया कि आर्थिक तंगी से जान गंवाने वाले शिक्षामित्र साथियों को श्रद्धांजलि भी अर्पित की गई। यही नहीं प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री व बेसिक शिक्षा मंत्री को ट्वीट कर शिक्षामित्रों का भविष्य सुरक्षित करने की मांग उठाई। साथ ही चेतावनी दी कि अनदेखी हुई तो शिक्षामित्र फिर आंदोलन करेंगे।



समायोजन निरस्त होने के 5 साल पूरे होने पर शिक्षामित्र मनाएंगे काला दिवस, पीड़ा बताने को लेंगे सोशल मीडिया का सहारा 


लखनऊ। समायोजन निरस्त होने के पांच वर्ष पूरे होने पर परिषदीय स्कूलों में तैनात शिक्षामित्र सोमवार को काला दिवस मनाएंगे। उत्तर प्रदेश दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ ने इस मौके पर शिक्षा मित्रों से सोशल मीडिया के जरिए प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को अपनी पीड़ा बताने का आह्वान किया है।


संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने बताया कि प्रस्तावित कार्यक्रम के तहत सोमवार को सभी शिक्षामित्र समायोजन निरस्त होने से अवसाद में आकर जान गंवाने वाले साथियों को श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे। उन्होंने कहा कि 25 जुलाई 2017 को समायोजन निरस्त किया गया था। इसके बाद से शिक्षामित्रों के लिए सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए। अवसाद ग्रस्त होकर दो हजार से अधिक शिक्षा मित्रों की जान चली गई। सरकार ने शिक्षामित्रों को पांच साल से मात्र 10 हजार रुपये मानदेय पर जीवन जीने

के लिए छोड़ दिया है, जबकि महंगाई चरम पर है। केंद्र व राज्य कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 34% बढ़ा दिया गया है। वहीं शिक्षामित्रों के लिए कोई आदेश जारी नहीं किया जा रहा। संगठन ने मांग की है कि सरकार अन्य राज्यों की भांति प्रदेश में भी नई नियमावली बनाकर शिक्षामित्रों के भविष्य को सुरक्षित करे।


अब केवल एक नियामक के अधीन होगी उच्च शिक्षा, भारतीय उच्च शिक्षा आयोग के गठन के प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया गया

अब केवल एक नियामक के अधीन होगी उच्च शिक्षा, भारतीय उच्च शिक्षा आयोग के गठन के प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया गया 


नई दिल्लीः अलग- अलग नियामकों के बीच बिखरी उच्च शिक्षा अब एक नियामक (रेगुलेटर) के दायरे में होगी। शिक्षा मंत्रालय ने लंबे मंथन के बाद भारतीय उच्च शिक्षा आयोग के गठन के प्रस्ताव को अंतिम रूप दे दिया है। माना जा रहा है कि इस प्रस्ताव को जल्द ही कैबिनेट के सामने रखा जाएगा। कैबिनेट की बैठक बुधवार को भी है। इसकी मंजूरी के बाद इससे जुड़े विधेयक को संसद में पेश किया जाएगा। हालांकि इसके दायरे से कानून और मेडिकल की पढ़ाई को अलग रखा गया है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अभी करीब 14 नियामक काम कर रहे हैं।

उच्च शिक्षा को एक नियामक के दायरे में लाने की यह जरूरत तब महसूस हुई, जब उच्च शिक्षण संस्थानों को स्वायत्तता देने की पहल तेज हुई। इस बीच एक संस्थान में अलग-अलग कोर्सों के लिए अलग-अलग नियामकों के हस्तक्षेप से इस काम में बाधा खड़ी होने लगी थी। इसके बाद इस दिशा में पहल तेज हुई है। बाद में नई राष्ट्रीय



उच्च शिक्षा आयोग का गठन साल के आखिर तक, नए अधिकार मिलेंगे


देश में उच्च शिक्षा आयोग का प्रस्ताव जल्द मूर्त रूप ले सकता है। आयोग पर काम कर रहे नियामक संस्थानों ने काफी हद तक काम पूरा कर लिया है। साथ ही अन्य सुधार भी इस वर्ष के अंत तक पूरे हो जाएंगे। अधिकारियों ने बताया कि नए प्रस्तावित आयोग का मसौदा तैयार कर लिया गया है। इस साल के अंत तक इसके गठन की भी तैयारी है।


अखिल भारतीय शिक्षा समागम के बाद शिक्षा मंत्रालय ने उच्च शिक्षा से जुड़े सभी अटके प्रस्तावों को लेकर तेजी दिखाई है। इनमें सबसे अहम भारतीय उच्च शिक्षा आयोग का गठन है जो मौजूदा नियामक संस्थानों की जगह लेगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सभी प्रस्तावों को जल्द पूरा करने को कहा है ताकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रारूप पर आगे बढ़ने में मदद मिले। उच्च शिक्षा से जुड़े बदलावों में डिजिटल यूनिवर्सिटी का गठन और नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एनआरएफ) के गठन एवं देश में विदेशी विश्वविद्यालयों के कैंपस खोलने के भी प्रस्ताव शामिल हैं।


पहली बार 2018 में भारतीय उच्च शिक्षा परिषद (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम का निरसन) विधेयक पर आगे बढ़ने की मुहिम शुरू हुई थी। उस समय एचईसीआई मसौदा बिल को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका। अधिकारियों के मुताबिक, एचईसीआई को लेकर नए सिरे से प्रयास शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के आने के बाद तेज हुए हैं। नया आयोग बनने के बाद शिक्षा जगत में आमूल परिवर्तन की संभावना जताई जा रही है।



काम का मौका

आयोग को संस्थानों द्वारा शैक्षणिक प्रदर्शन का मूल्यांकन, संस्थानों के परामर्श, शिक्षकों के प्रशिक्षण, शैक्षिक प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देने आदि पर विशेष ध्यान देने के साथ शैक्षणिक मानकों में सुधार करने का काम सौंपा जाएगा।


नए अधिकार मिलेंगे

संस्थानों को खोलने और बंद करने के लिए मानक, संस्थानों को अधिक स्वायत्तता प्रदान करने के साथ, किसी भी कानून (राज्य कानून सहित) के तहत शुरू किए गए विश्वविद्यालय के बावजूद संस्थागत स्तर पर महत्वपूर्ण नेतृत्व पदों पर नियुक्तियों के लिए मानक निर्धारित किए जाएंगे।

Sunday, July 24, 2022

छापामार शैली में शिक्षकों का वेतन काटने पर MLC ने जताई आपत्ति, बीएसए के विरुद्ध कार्यवाही हेतु मंत्री को लिखा पत्र

किन्ही कारणों से देर हो जाना,  अनुपस्थित होना नहीं

छापामार शैली में शिक्षकों का वेतन काटने पर MLC ने जताई आपत्ति, बीएसए के विरुद्ध कार्यवाही हेतु मंत्री को लिखा पत्र

एमएलसी मानवेंद्र सिंह ने की बीएसए पर कार्रवाई की मांग


अलीगढ़ : अनुपस्थित शिक्षकों का वेतन काटने पर एमएलसी डा. मानवेंद्र सिंह ने आपत्ति जताई है। उन्होंने बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह को पत्र लिखकर बीएसए के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की है। पत्र की प्रतिलिपि अपर मुख्य सचिव, बेसिक शिक्षा व महानिदेशक स्कूल शिक्षा को भी भेजी गई है।


एमएलसी ने पत्र में लिखा है कि महानिदेशक स्कूल शिक्षा व राज्य परियोजना ने 18 जुलाई को आदेश जारी कर कहा था कि प्रतिदिन सुबह छह बजे बीएसए समस्त अधिकारियों को कार्यालय पर बुलाकर विद्यालयों में छापामारी कराएं। अनुपस्थित शिक्षकों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए। बीएसए ने 18 जुलाई को टीम गठित कर विद्यालयों में छापामारी कराई और 24 शिक्षकों का एक दिन का वेतन काटने के निर्देश दिए. जो नैसर्गिक न्याय के विरुद्ध है। किसी शिक्षक को पहले कारण बताओ नोटिस दिया जाना चाहिए। ऐसा न कर ने बीएसए वेतन काटने का आदेश जारी कर दिया।


देर से आना अनुपस्थित होना नहीं

एमएलसी ने कहा है कि स्कूल में देर से आना अनुपस्थित होना नहीं है। दोनों में अंतर है। किसी कारण से शिक्षक को स्कूल आने में देर हो जाए तो अनुपस्थित नहीं मान सकते। बीएसए ने ऐसा ही मानकर कार्रवाई की है, जो गलत है। आदेश में स्पष्टता होनी चाहिए। एमएलसी ने बताया कि इस संबंध में बेसिक शिक्षा मंत्री व अपर मुख्य सचिव से वार्ता भी हुई है।


राष्ट्रीय पुरस्कार चयन प्रक्रिया में ढिलाई, शासन नाराज, सिर्फ 18 जिलों की चयन समिति ने भेजा अधूरा ब्योरा

राष्ट्रीय पुरस्कार चयन प्रक्रिया में ढिलाई, शासन नाराज, सिर्फ 18 जिलों की चयन समिति ने भेजा अधूरा ब्योरा


लखनऊ। जिलों से राष्ट्रीय अध्यापक पुरस्कार के लिए आए आवेदनों में शिक्षकों के चयन की प्रक्रिया में ढिलाई बरती जा रही है। स्थिति यह है कि 18 जिलों से ही नाम चयनित करके ऑनलाइन आगे बढ़ाए गए हैं, लेकिन उन शिक्षकों व प्रधानाचायों की एलआईयू से सत्यापन कराकर रिपोर्ट पोर्टल पर अपलोड नहीं की गई है।


प्रदेश के अन्य जिलों ने तो अपने यहां हुए आवेदनों में से योग्य शिक्षकों का चयन ही नहीं किया। इस पर शासन ने नाराजगी जताई है और जल्द प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए हैं। जिला स्तर पर शिक्षकों के चयन के लिए बनी समिति में जिलाधिकारी द्वारा नामित एक शिक्षाविद व राजकीय इंटर कॉलेज (बालक/बालिका) के वरिष्ठतम प्रधानाचार्य को सदस्य बनाया गया है। समिति शिक्षकों द्वारा किए गए आवेदन का परीक्षण कर उसे आगे बढ़ाएगी। चयनित शिक्षकों पर कहीं कोई आरोप तो नहीं? इसका सत्यापन स्थानीय अभिसूचना इकाई (एलआईयू) से कराने व उसकी रिपोर्ट भी जिलों से आने की व्यवस्था है। 


इस क्रम में अलीगढ़, अमरोहा, बागपत, बलरामपुर, बांदा, चित्रकूट, गाजियाबाद, गोंडा, हरदोई, लखीमपुर खीरी ललितपुर, मेरठ, मिर्जापुर, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर संत कबीरनगर, सिद्धार्थनगर व सोनभद्र से ही जिला समिति ने नाम आगे बढ़ाए हैं। पर इनकी एलआईयू रिपोर्ट अपलोड होनी बाकी है। बाकी जिलों की समिति से आवेदनों का मूल्यांकन कर नाम अग्रसारित होने हैं। 


इस ढिलाई पर जिला विद्यालय निरीक्षकों को माध्यमिक शिक्षा निदेशक की ओर से निर्देश जारी किए गए हैं कि जल्द रिपोर्ट भेजें। ढिलाई पर निरीक्षकों के जम्मेदार होने की बात कही गई है। जिले स्तर से आए नामों का परीक्षण राज्य समिति करेगी और उन्हें केंद्र को भेजेगी। वहां निर्धारित प्रक्रिया के तहत अंतिम चयन होगा और शिक्षक दिवस पर उन्हें पुरस्कृत किया जाएगा।

कर्मचारी संगठन ने बेसिक शिक्षा मंत्री को सौंपी तबादलों में गड़बड़ी की सूची, सुधार न होने पर आंदोलन की दी चेतावनी

कर्मचारी संगठन ने बेसिक शिक्षा मंत्री को सौंपी तबादलों में गड़बड़ी की सूची,  सुधार न होने पर आंदोलन की दी चेतावनी

यूपी एजुकेशनल मिनिस्टीरियल ऑफिसर एसोसिएशन ने बताई त्रुटियां



लखनऊ। बेसिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग के समूह ग के संयुक्त तबादलों की गड़बड़ियों का मामला शनिवार को बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तक पहुंच गया है। यूपी एजुकेशनल मिनिस्टीरियल ऑफिसर एसोसिएशन ने 236 कर्मचारियों के तबादलों में हुई गड़बड़ियों की सूची मंत्री को सौंपी है। एसोसिएशन का दावा है कि मंत्री ने मामले में अपर शिक्षा निदेशक बेसिक को प्रकरणों का तत्काल निस्तारण करने के निर्देश दिए हैं।


संगठन के प्रांतीय उपाध्यक्ष राकेश कुमार त्रिपाठी व महामंत्री राजेश चंद्र श्रीवास्तव के नेतृत्व में गए प्रतिनिधिमंडल ने मंत्री को बताया कि गलत तबादलों का अब तक संशोधन नहीं किया गया है। नए तैनाती स्थल पर कार्यभार ग्रहण नहीं करने वाले कर्मचारियों का वेतन रोकने की चेतावनी पर भी संगठन ने आपत्ति जताई। कहा, जब तक विसंगतियां दूर न हों, तब तक कार्यभार से मुक्त करने पर रोक लगाई जाए। साथ ही गड़बड़ी करने वालों पर कार्रवाई की भी मांग की। 


पदाधिकारियों ने कहा कि अगर समस्याओं का निदान नहीं हुआ और कर्मचारियों को प्रताड़ित किया गया तो संगठन आंदोलन करेगा। महामंत्री ने कहा कि गड़बड़ियां दुरुस्त न हुई तो 28 जुलाई को बेसिक शिक्षा निदेशालय पर धरना दिया जाएगा।

Saturday, July 23, 2022

बिना किताब भविष्य गढ़ने को मजबूर हैं नौनिहाल, शिक्षण सत्र को चार माह होने वाले, नौनिहालों को नहीं मिली पुस्तकें

15 जिलों के परिषदीय विद्यालयों में किताबों की आपूर्ति अब तक शुरू नहीं



 लखनऊ : प्राथमिक विद्यालयों का कायाकल्प कराने के साथ वहां पठन-पाठन कराने पर बेसिक शिक्षा विभाग का विशेष जोर है। शैक्षिक सत्र शुरू हुए करीब चार माह होने को है। अब तक सभी जिलों में किताबों की आपूर्ति शुरू नहीं हो सकी है।

15 से अधिक जिले ऐसे हैं जहां आपूर्ति शुरू नहीं हुई है। अन्य जिलों मैं भी छिटपुट यानी कुछ कक्षाओं की ही किताबें पहुंची हैं। बेसिक शिक्षा विभाग के विद्यालयों में एक करोड़ 90 लाख से अधिक छात्र छात्राओं का प्रवेश हो चुका है।


बिना किताब भविष्य गढ़ने को मजबूर हैं नौनिहालशिक्षण सत्र को चार माह होने वाले, नौनिहालों को नहीं मिली पुस्तकें

बेसिक स्कूलों के बच्चों का कैसे होगा भविष्य निर्माण? 


पीठ पर टंगे बस्ते, अंदर चंद कापियां, पेंसिल व कुछ पुरानी किताबों के सहारे बेसिक स्कूलों में बच्चों के भविष्य को गढ़ने की कोशिशें हो रही हैं। ऐसी एक नहीं बल्कि लगभग बेसिक स्कूलों की तस्वीरें हैं। जहां पढ़ने वाले  नौनिहाल किताबों का इंतजार कर रहे हैं। यह हाल तब है, जब कांवेंट की तर्ज पर बेसिक स्कूलों के छात्रों को भी सुविधाएं देकर शिक्षा मुहैय्या कराने का दावा हो रहा है।


योगी सरकार बेसिक स्कूलों की स्थिति सुधारने के साथ ही शिक्षा व्यवस्था पर भी फोकस कर रही है। हिन्दी के साथ अंग्रेजी माध्यम से भी हर न्याय पंचायत में स्कूल संचालित हो रहे हैं। बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए मिड डे मील भोजन, जूता लिए जरूरी किताबों का अभाव, अवकाश के बाद 16 जून से बेसिक मोजा बैग के लिए खातों में 1200 ₹ की व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर रहा है। स्कूलों में पढ़ाई शुरू हो चुकी है, लेकिन 1200₹ रुपये की दर से आर्थिक मदद दे रही सरकार के शासन में एक अप्रैल से नए शिक्षण सत्र शुरू होने के बाद अभी तक बच्चों को किताबें मयस्सर नहीं है। इन सबके बावजूद ज्ञानार्जन का आगाज हो चुका है। 


किताबों के अभाव से गृहकार्य बाधित

 सरकारी व्यवस्था की ही देन है कि अभी तक किताबें नहीं उपलब्ध हो पाई है। शिक्षकों का कहना है कि किताबें न होने से बच्चों का गृह कार्य नहीं हो पा रहा है। साथ ही स्वाध्यन में भी ठप है। किताबें आने पर पढ़ाई और बेहतर होगी।

माध्यमिक शिक्षा परिषद : रिपोर्ट कार्ड में दिखेगा छात्रों का 360 डिग्री मूल्यांकन

माध्यमिक शिक्षा परिषद : रिपोर्ट कार्ड में दिखेगा छात्रों का 360 डिग्री मूल्यांकन



प्रयागराज :  राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत यूपी बोर्ड छात्र-छात्राओं के रिपोर्ट कार्ड और स्कूल डायरी में बड़ा बदलाव करने जा रहा है। अब रिपोर्ट कार्ड में बच्चों का 360 डिग्री मूल्यांकन दिखाई पड़ेगा। सचिव दिब्यकांत शुक्ल ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को शुक्रवार को पत्र जारी करते हुए नए अंकपत्र (रिपोर्ट कार्ड) और छात्र दैनन्दिनी (स्कूल डायरी) के प्रारूप से प्रधानाचार्यों को अवगत कराने को कहा है। इस शैक्षिक सत्र 2022-23 से कक्षा नौ में नया रिपोर्ट कार्ड और स्कूल डायरी लागू होगी और आगामी कक्षाओं में चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।


सचिव के अनुसार सभी विद्यार्थियों के स्कूल आधारित आकलन के आधार पर तैयार होने वाले और अभिभावकों को दिए जाने वाले प्रगति कार्ड को पूरी तरह से नया स्वरूप दिया जाएगा। 360 डिग्री बहुआयामी कार्ड में प्रत्येक विद्यार्थी के संज्ञानात्मक, भावनात्मक विकास का बारीकी से किए गए विश्लेषण का विवरण विद्यार्थी की विशिष्टताओं समेत दिया जाएगा। इसमें प्रोजेक्ट कार्य, क्विज, रोल प्ले, समूह कार्य आदि शिक्षक मूल्यांकन सहित शामिल होगा। यह समग्र प्रगति कार्ड घर और स्कूल के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी बनेगा और यह माता-पिता-शिक्षक बैठकों के साथ-साथ अपने बच्चों की समग्र शिक्षा और विकास में माता-पिता को सक्रिय रूप से शामिल करने के लिए होगा।

दूर होंगी शिक्षा विभाग में तबादलों की विसंगतियां, पद न छोड़ने वालों का कटेगा वेतन, महानिदेशक स्कूल शिक्षा का फरमान

दूर होंगी शिक्षा विभाग में तबादलों की विसंगतियां, पद न छोड़ने वालों का कटेगा वेतन, महानिदेशक स्कूल शिक्षा का फरमान

भविष्य में समूह ग के तबादले भी ऑनलाइन प्रक्रिया से होंगे 


लखनऊ। बेसिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग के समूह ग कार्मिकों के तबादलों में हुई गड़बड़ियां दूर की जाएंगी। इस संबंध में महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने अपर शिक्षा निदेशक बेसिक को निर्देश दिए हैं। साथ ही तबादले के बावजूद पद न छोड़ने वाले बाबुओं के वेतन काटने के आदेश भी दिए हैं। ऐसे बाबुओं को दो दिन में अपने तैनाती स्थल पर पदभार ग्रहण करने के लिए कहा गया है।


महानिदेशक ने ये आदेश तबादलों में गड़बड़ी की शिकायतों व कर्मचारियों की आपत्तियों को देखते हुए दिए हैं। अमर उजाला ने भी शुक्रवार के अंक में इस मुद्दे को उठाया था। महानिदेशक ने बताया कि इस बार करीब एक हजार तबादले हुए हैं। इन मैनुअल तबादलों में अगर कहीं गड़बड़ी हुई तो उसे जरूर दूर किया जाएगा। वहीं दूसरी तरफ यह भी पता चला है कि करीब 250 कर्मचारी ऐसे हैं, जिन्होंने तबादले के बाद भी पद नहीं छोड़ा है । इससे अव्यवस्था की स्थिति है। इस पर महानिदेशक ने कहा कि गलत दबाव नहीं चलेगा। जिनको जहां तैनाती दी गई है वहां जाना पड़ेगा। साथ ही बताया कि भविष्य में समूह ग के तबादले भी ऑनलाइन प्रक्रिया से कराए जाएंगे।

प्रदेश में तय फीस से अधिक शुल्क वसूली की होगी जांच, जिला विद्यालय निरीक्षक जिला स्तर पर टीमें गठित कराकर कराएंगे जांच

प्रदेश में तय फीस से अधिक शुल्क वसूली की होगी जांच, जिला विद्यालय निरीक्षक जिला स्तर पर टीमें गठित कराकर कराएंगे जांच

लखनऊ : फर्रुखाबाद में तयशुदा फीस से ज्यादा वसूलने के बाद अब पूरे प्रदेश के सभी एडेड माध्यमिक स्कूलों की जांच होगी। सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों से जिला स्तर पर टीमें गठित कराकर तयशुदा फीस से अधिक शुल्क वसूलने की जांच की जाएगी। ये जांच गोपनीय तरीके से की जाएगी।


अपर मुख्य सचिव आराधना शुक्ला ने इस संबंध में निर्देश जारी कर दिया है। 28 जुलाई तक प्रदेश भर की जांच रिपोर्ट तलब की गई है। प्रदेश में 5483 एडेड स्कूल हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर कैबिनेट मंत्रियों को सरकारी योजनाओं का हाल लेने के लिए जिलों में भेजा गया था। उन्हें यह देखना था कि सरकार की योजनाएं प्रदेश के आखिरी आदमी तक पहुंच रही है। इस दौरान तय फीस से ज्यादा शुल्क लेने के मामले भी सामने आए हैं। फर्रुखाबाद में मंत्री से एडेड माध्यमिक विद्यालय में छात्र-छात्राओं से अधिक शुल्क या मनमाने तरीके से शुल्क वसूलने की शिकायत हुई है। आराधना शुक्ला ने निर्देश दिए हैं कि प्रदेश भर में सभी माध्यमिक कालेजों की गोपनीय जांच की जाए ताकि सच सामने आए।