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Tuesday, August 22, 2119

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    Saturday, July 19, 2025

    शून्य नामांकन वाले 335 स्कूल होंगे बंद, यूपी बोर्ड ने तैयार की डिफाल्टर स्कूलों की सूची, मान्यता होगी समाप्त

    शून्य नामांकन वाले 335 स्कूल होंगे बंद, यूपी बोर्ड ने तैयार की डिफाल्टर स्कूलों की सूची, मान्यता होगी समाप्त

    प्रयागराज । यूपी बोर्ड से संबद्ध 335 स्कूलों की मान्यता छिनेगी। बोर्ड की ओर से ऐसे स्कूलों की सूची तैयार की गई है जहां लगातार तीन साल से नामांकन शून्य है। इन स्कूलों ने मान्यता तो ली, लेकिन न तो विद्यार्थियों का प्रवेश हो रहा है और न ही इनके बच्चे हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा में शामिल हो रहे हैं।

    अब इन स्कूलों को नोटिस जारी करके शून्य नामांकन का कारण पूछा जाएगा और ठोस कारण न होने पर मान्यता समिति में विचार के कारण मान्यता प्रत्याहरण की कार्रवाई की जाएगी। 2026 की बोर्ड परीक्षा से पहले मान्यता प्रत्याहरण की कार्रवाई पूरी होने की उम्मीद है। 


    बोर्ड सचिव भगवती सिंह का कहना है कि लगातार शून्य नामांकन वाले स्कूलों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। इससे पहले दिसंबर 2022 में पूर्व सचिव दिब्यकांत शुक्ल ने 178 ऐसे स्कूलों की सूची तैयार की थी। स्कूलों को नोटिस जारी करने के बाद मान्यता वापस ली गई थी।


    नकल में फंसे स्कूलों पर भी हो सकती है कार्रवाई

    उन स्कूलों की मान्यता प्रत्याहरण की कार्रवाई भी हो सकती है जहां 10वीं 12वीं की बोर्ड परीक्षा के दौरान सामूहिक नकल पकड़ी गई थी। उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) अधिनियम 2024 के तहत सख्त कार्रवाई का प्रावधान किया गया है। यह अधिनियम लागू होने के बाद 2025 में पहली बोर्ड परीक्षा हुई है।

    स्कूल मर्जर के खिलाफ अब बच्चे पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

    स्कूल मर्जर के खिलाफ अब बच्चे पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

    18 जुलाई 2025
    प्रयागराज । परिषदीय स्कूलों के विलय के विरोध में अब पीलीभीत के बच्चों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका हुई है। कल्याणपुर गांव राठ पीलीभीत की दस वर्षीय छात्रा सेन्सी देवी, चांदपुर गांव राठ पीलीभीत की नौ वर्षीय कोमल और इसी गांव की सात वर्षीय मिली देवी ने अपने अभिभावकों के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।

     याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता की दलील है कि बच्चों के मौलिक एवं संवैधानिक शिक्षा के अधिकार को बिना संसदीय स्वीकृति के बाधित नहीं किया जा सकता। यही नहीं सरकार के इस कदम को मनमाना भी बताया है। गौरतलब है कि इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका हो चुकी है।




    सुप्रीम कोर्ट पहुंचा स्कूलों के मर्जर का मामला, यूपी में हजारों स्कूल बंद करने के फैसले को जनहित याचिका के जरिए चुनौती

    15 जुलाई 2025
    उत्तर प्रदेश में हजारों सरकारी स्कूलों को बंद करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई. याचिका में कहा गया कि सरकार के इस कदम से राज्य में 3 लाख 50 हज़ार से ज़्यादा छात्रों को निजी स्कूलों में दाखिला लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.


    उत्तर प्रदेश में 5 हजार सरकारी स्कूलों को बंद करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई. याचिका में कहा गया कि सरकार के इस कदम से राज्य में 3 लाख 50 हज़ार से ज़्यादा छात्रों को निजी स्कूलों में दाखिला लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की.सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई का भरोसा देते हुए कहा कि हालांकि यह सरकार का नीतिगत मामला है. याचिकाकर्ता के वकील प्रदीप यादव ने कोर्ट से इस संवेदनशील मामले पर शीघ्र सुनवाई करने का आग्रह किया.


    सुप्रीम कोर्ट में जल्द सुनवाई की मांग
    उत्तर प्रदेश में 70 से कम छात्र संख्या वाले 5 हजार सरकारी प्राथमिक स्कूलों को बंद करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई. याचिका में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के निर्णय को चुनौती दी गई है. याचिका में कहा गया कि सरकार के इस कदम से राज्य में 3 लाख 50 हज़ार से ज़्यादा छात्रों को निजी स्कूलों में दाखिला लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की. सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई का भरोसा देते हुए कहा कि हालांकि यह सरकार का नीतिगत मामला है. याचिकाकर्ता के वकील  प्रदीप यादव ने कोर्ट से इस संवेदनशील मामले पर शीघ्र सुनवाई करने का आग्रह किया.


    5,000 स्कूलों के मर्जर के फैसले को मिली थी हरी झंडी
    पिछले हफ्ते सोमवार सात जुलाई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को राहत देते हुए 5,000 स्कूलों के मर्जर के फैसले को हरी झंडी दिखा दी थी. कोर्ट ने सरकार के 16 जून 2025 के शासनादेश की अधिसूचना के खिलाफ सीतापुर और पीलीभीत के 51 छात्रों की याचिका खारिज कर दी. अधिसूचना के मुताबिक राज्य के दूरदराज में स्थित जिन सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में 70 या इससे कम छात्र हों उनका आसपास के अन्य विद्यालयों में विलय कर दिया गया.

    32 और विद्यालयों को मिली यूपी बोर्ड की मान्यता

    32 और विद्यालयों को मिली यूपी बोर्ड की मान्यता

    मान्यता समिति ने कुल 41 विद्यालयों के लिए शासन को भेजा था प्रस्ताव

    कुछ विद्यालयों में अतिरिक्त वर्ग एवं विषय की शासन ने प्रदान की मान्यता

    18 जुलाई 2025
     प्रयागराज : प्रदेश के 32 और वित्तविहीन माध्यमिक विद्यालयों को उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) की मान्यता प्रदान की गई है। इसमें से कुछ विद्यालयों को अतिरिक्त वर्ग एवं विषय की मान्यता दी गई है। यूपी बोर्ड सचिव भगवती सिंह ने मान्यता समिति की ओर से कुल 41 विद्यालयों के लिए प्रस्ताव भेजा था, जिसमें से नौ का मान्यता नहीं मिली है। यह मान्यता परीक्षा वर्ष 2027 के लिए प्रदान की गई है। ऐसे में इन विद्यालयों में छात्र-छात्राओं के पंजीकरण का कार्य भी आरंभ हो गया है। इसके पूर्व 25 जून को प्रदेश के 87 वित्तविहीन विद्यालयों को मान्यता प्रदान की गई थी।

    नवीन, अतिरिक्त वर्ग/विषय की मान्यता के लिए राज्यपाल ने अनुमोदन प्रदान किया है। इस संबंध में माध्यमिक शिक्षा निदेशक तथा यूपी बोर्ड सचिव को शासन के विशेष सचिव कृष्ण कुमार गुप्ता ने पत्र भेजा है। जिन्हें मान्यता मिली है उसमें क्षेत्रीय कार्यालय वाराणसी के चार विद्यालय, क्षेत्रीय कार्यालय मेरठ के 10 विद्यालय, क्षेत्रीय कार्यालय गोरखपुर के दो तथा क्षेत्रीय कार्यालय प्रयागराज के 16 विद्यालय हैं। बरेली क्षेत्रीय कार्यालय के कोई विद्यालय इसमें नहीं है। 

    कुछ को हाईस्कूल की नवीन तो कुछ को इंटर मानविकी एवं वैज्ञानिक वर्ग, कुछ को इंटर वैज्ञानिक वर्ग (अतिरिक्त) में प्रवेश लेने की अनुमति प्रदान की गई है। इनमें प्रवेश लेने वाले परीक्षार्थी यूपी बोर्ड की वर्ष 2027 की परीक्षा में सम्मिलित हो सकेंगे। यह भी बताया गया है कि यदि मान्यता के लिए निर्धारित मानकों के विपरीत कोई तथ्य प्रकाश में आता है तो मानकों की पूर्ति संबंधी आख्या देने वाले जनपदीय एवं मंडलीय अधिकारी व कार्मिक सहित संबंधित क्षेत्रीय कार्यालयों के क्षेत्रीय सचिव, पटल सहायक, मान्यता समिति के सदस्य एवं माध्यमिक शिक्षा निदेशक उत्तरदायी होंगे। मानक में भिन्नता/कमी पाए जाने पर मान्यता वापस लेने की कार्यवाही की जाएगी।



    87 माध्यमिक विद्यालयों को मिली यूपी बोर्ड से मान्यता, 17 में कमियां

    29 मान्यता क्षेत्रीय कार्यालय वाराणसी के विद्यालयों को मिली

    17 स्कूलों को सशर्त मान्यता दी गई

    माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से वर्ष 2027 के लिए राज्य के विभिन्न क्षेत्रों के विद्यालयों को मान्यता देने की प्रक्रिया जारी है। इसी क्रम में बरेली, मेरठ और प्रयागराज क्षेत्र के विद्यालयों के प्रस्तावों पर विचार कर आंशिक स्वीकृति प्रदान की गई है। प्रयागराज क्षेत्रीय कार्यालय के 15, मेरठ और बरेली के एक-एक विद्यालयों को सशर्त मान्यता प्रदान की गई है। विभाग ने यह स्पष्ट किया है कि अंतिम मान्यता विद्यालयों की ओर से निर्धारित शर्तों की पूर्ति के बाद ही दी जाएगी।

    02 जुलाई 2025
    प्रयागराज। प्रदेश के 87 माध्यमिक विद्यालयों को मान्यता मिल गई है, जबकि न कारण 17 रह सबसे अधिक माध्यमिक विद्यालय क्षेत्रीय कार्यालय वाराणसी के 29 और मेरठ के 27 विद्यालयों को मान्यता मिली।

    कुछ विद्यालयों को सीधे हाईस्कूल (6-10) तो कुछ को इंटर तक की मान्यता दी गई है। 87 माध्यमिक विद्यालयों में से क्षेत्रीय कार्यालय बरेली के 11, क्षेत्रीय कार्यालय गोरखपुर के पांच और क्षेत्रीय कार्यालय प्रयागराज के 15 को मान्यता प्राप्त दी गई।

    क्षेत्रीय कार्यालय वाराणसी के नौ विद्यालयों को सीधे हाईस्कूल और इंटर की मान्यता मिली है। वहीं, क्षेत्रीय कार्यालय बरेली के 11 विद्यालयों में से कुल सात को, क्षेत्रीय कार्यालय मेरठ के 27 में से नौ को और क्षेत्रीय कार्यालय प्रयागराज के 15 में से पांच विद्यालयों को सीधे हाईस्कूल व इंटर की मान्यता मिली है। वहीं, प्रदेश के पांचों क्षेत्रीय कार्यालयों के 17 विद्यालयों को मानक पूरे न होने के कारण मान्यता नहीं दी गई। इनमें से सबसे अधिक मामले क्षेत्रीय कार्यालय प्रयागराज के कुल 15 विद्यालय हैं। वहीं, क्षेत्रीय कार्यालय बरेली और मेरठ के एक-एक विद्यालय को मानक पूरे न होने के कारण मान्यता नहीं मिल सकी।

    प्रयागराज के एक भी माध्यमिक विद्यालय को नहीं मिली मान्यता : मंगलवार को विशेष सचिव शासन कृष्ण कुमार गुप्ता की ओर से जारी सूचना के अनुसार प्रयागराज के एक भी माध्यमिक विद्यालय को मान्यता नहीं मिली।



    यूपी बोर्ड ने 30 जून तक बढ़ाई मान्यता के लिए आवेदन तिथि

    प्रयागराज। यूपी बोर्ड ने नए स्कूलों, विषयों आदि की मान्यता के लिए अंतिम तिथि 30 जून तक बढ़ा दी है। अब अंतिम तिथि तक विलंब शुल्क के साथ आवेदन किए जा सकेंगे। मान्यता के लिए ऑनलाइन आवेदन किए जाने से संबंधित पोर्टल पर तकनीकी समस्या के कारण संशोधित समय सारिणी जारी की गई है। 

    बोर्ड के सचिव भगवती सिंह की ओर से जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार 2025-26 सत्र के लिए मान्यता की समय सारिणी में संशोधन किया गया है। पहले एक अप्रैल से 15 मई तक बिना विलंब शुल्क और 30 मई तक विलंब शुल्क के साथ आवेदन लिए जाते थे। 

    संशोधित समय सारिणी के अनुसार इस साल एक अप्रैल से 15 जून तक बिना विलंब शुल्क और 30 जून तक विलंब शुल्क के साथ आवेदन स्वीकार होंगे। संशोधित समय सारिणी के अनुसार 15 जून तक प्राप्त आवेदन पत्रों की सूची 30 जून तक और 30 जून तक प्राप्त आवेदन पत्रों की सूची विलंब शुल्क के साथ 10 जुलाई तक उपलब्ध करानी होगी। 


    Friday, July 18, 2025

    Academic Resource Person (ARP) : देखें एआरपी चयन हेतु दूसरे चरण में निकली विज्ञप्ति

    Academic Resource Person (ARP) : देखें एआरपी चयन हेतु दूसरे चरण में निकली विज्ञप्ति

    (सभी जनपदों से निकलने वाली दूसरे चरण की ARP भर्ती विज्ञप्तियां इसी पोस्ट में अपडेट की जाएंगी।)




    अम्बेडकरनगर 

    बाराबंकी 
    अयोध्या 


    बलरामपुर

    महोबा 

    औरैया 

    अम्बेडकरनगर 

    चित्रकूट 

    जालौन 

    जौनपुर 

    गोरखपुर 

    फतेहपुर

    सीतापुर
    प्रयागराज 
    लखनऊ 

    न्यायालय से स्थगन आदेश हटने के बाद अब GIC के सहायक अध्यापक (एलटी) से प्रवक्ता के रिक्त पदों पर पदोन्नति का रास्ता साफ

    न्यायालय से स्थगन आदेश हटने के बाद अब GIC के सहायक अध्यापक (एलटी) से प्रवक्ता के रिक्त पदों पर पदोन्नति का रास्ता साफ

    प्रवक्ता पद पर पदोन्नति प्रक्रिया आरंभ होने से दूर होगी पात्र शिक्षकों की नाराजगी

    एडी राजकीय ने 2001 से 2019 तक की अनंतिम ज्येष्ठता सूची में मांगीं आपत्तियां


    प्रयागराज : न्यायालय से स्थगन आदेश हट जाने के बाद अब जीआइसी के सहायक अध्यापक (एलटी) से प्रवक्ता के रिक्त पदों पर पदोन्नति का रास्ता साफ हो गया है। प्रवक्ता के 10 विषयों में पिछले 15 वर्ष से पदोन्नति नहीं हुई है। इसके अलावा जिन नौ विषयों में करीब तीन वर्ष पूर्व 994 शिक्षकों को पदोन्नति मिली थी, उसमें से अधिकांश ने सेवा कम रह जाने तथा पदस्थापन दूर हो जाने के कारण कार्यभार ग्रहण नहीं किया। ऐसे में यह पद भी रिक्त रह गए। 

    अब अपर शिक्षा निदेशक (एडी) राजकीय अजय कुमार द्विवेदी द्वारा पुरुष शाखा के एलटी की वर्ष 2001 से 2019 तक की प्रसारित अनंतिम ज्येष्ठता सूची में नई आपत्तियां मांगे जाने पर शिक्षकों को पदोन्नति मिलने की उम्मीद जगी है। शिक्षकों ने मांग की है कि पदोन्नति कोटे के रिक्त सभी पढ़ेंों पर जल्द पदोन्नति प्रक्रिया पूरी की जाए।

    प्रवक्ता पद पर पदोन्नति 2009 में सभी विषयों के लिए हुई थी। उसके बाद 2022 में पदोन्नति प्रक्रिया शुरू तो हुई, लेकिन 10 विषयों के 1,031 शिक्षकों को पदोन्नति नहीं मिल सकी। इन शिक्षकों के साथ-साथ सीधी भर्ती के प्रवक्ता के रिक्त अन्य पदों पर भी पदोन्नति दिए जाने की मांग राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय महामंत्री डा. रविभूषण ने अपर निदेशक से की है। 


    इधर, अपर निदेशक ने सभी जेडी एवं डीआइओएस को भेजे पत्र में कहा है कि 16 जून, 2022 द्वारा निर्गत अनंतिम ज्येष्ठता सूची में सम्मिलित शिक्षकों के विवरण के संबंध में प्राप्त प्रत्यावेदनों के आधार पर शुद्ध कर ज्येष्ठता सूची में संशोधन किया गया, लेकिन ज्येष्ठता सूची प्रसारित नहीं की जा सकी। इस बीच मामला न्यायालय पहुंच गया। याचिका में पारित 24 अप्रैल, 2025 के न्यायालय के आदेश के अनुपालन में अंतिम ज्येष्ठता सूची प्रसारित की जानी है। ऐसे में मंडल/जनपद में कार्यरत एलटी पुरुष संवर्ग के ज्येष्ठता प्रकरण में कोई नई आपत्ति होने पर प्रत्यावेदन लेकर संशोधन से संबंधित अभिलेख संस्तुति सहित पंजीकृत डाक/विशेष वाहक से 30 जुलाई तक निदेशालय में उपलब्ध कराने के निर्देश जेडी डीआइओएस को दिए गए हैं। 

    राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष रामेश्वर प्रसाद पाण्डेय ने कहा है कि अधिकारियों की ढिलाई के कारण ज्येष्ठता नियमित निर्धारित नहीं होने से शिक्षकों को पदलाभ का नुकसान है। उन्होंने प्रतिवर्ष ज्येष्ठता सूची प्रसारित किए जाने की मांग की है, ताकि नियमित पदोन्नति मिल सके।


    यूपी बोर्ड: अग्रिम पंजीकरण में बदलाव, 10 रुपये रखकर 40 रुपये कोषागार में जमा करेंगे अब विद्यालय

    यूपी बोर्ड: अग्रिम पंजीकरण में बदलाव, 10 रुपये रखकर 40 रुपये कोषागार में जमा करेंगे अब विद्यालय


    प्रयागराजउत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) ने कक्षा नौ और 11 के छात्र-छात्राओं के अग्रिम पंजीकरण शुल्क की पुरानी व्यवस्था को फिर से लागू कर दिया है। अब प्रत्येक छात्र से लिए गए 50 रुपये पंजीकरण शुल्क में से 10 रुपये विद्यालय अपने खाते में जमा करेंगे, जबकि शेष 40 रुपये कोषागार में जमा कराए जाएंगे। यह व्यवस्था वर्ष 2018 से पहले लागू थी, जिसे अब शासन की मंजूरी के बाद पुनः बहाल किया गया है।

    वर्ष 2018 में इस प्रक्रिया में बदलाव करते हुए सभी 50 रुपये सीधे कोषागार में जमा कराने का आदेश दिया गया था। इसके बाद विद्यालयों को प्रति छात्र 10 रुपये की धनराशि वापस लेने के लिए यूपी बोर्ड सचिव से पंजीकृत विद्यार्थियों की संख्या के अनुसार मांग करनी पड़ती थी। यह व्यवस्था विद्यालयों के लिए जटिल और समय लेने वाली साबित हो रही थी। 

    विद्यालयों की इस कठिनाई को ध्यान में रखते हुए यूपी बोर्ड सचिव भगवती सिंह ने शासन को प्रस्ताव भेजा था कि पूर्व की व्यवस्था को बहाल किया जाए, जिसमें विद्यालय सीधे ही 10 रुपये प्रति छात्र अपने खाते में रख सकें। शासन से इस प्रस्ताव को स्वीकृति मिलने के बाद बोर्ड सचिव ने सभी संयुक्त शिक्षा निदेशकों (जेडी) और जिला विद्यालय निरीक्षकों (डीआईओएस) को नया आदेश जारी कर दिया है।

    नए आदेश के अनुसार, पंजीकरण शुल्क की 10 रुपये प्रति छात्र की धनराशि विद्यालय के खाते में जमा कराई जाएगी, जिसे विद्यालय प्रमुख (प्रधानाचार्य) आकस्मिक व्यय, गुणवत्ता संवर्धन और अन्य शैक्षिक कार्यों पर खर्च कर सकेंगे। शेष 40 रुपये कोषागार में जमा कराए जाएंगे। बोर्ड सचिव का कहना है कि पहले की प्रक्रिया में विद्यालयों को दो बार गणना करनी पड़ती थी और मांगपत्र भेजकर धनराशि वापस लेनी होती थी, जो प्रशासनिक दृष्टिकोण से जटिल थी। 

    अब यह प्रक्रिया सरल, तर्कसंगत और समयबद्ध होगी। नया आदेश शैक्षिक सत्र 2025-26 से लागू होगा और इसी सत्र में प्रवेश ले रहे छात्र-छात्राओं के पंजीकरण शुल्क इसी व्यवस्था के तहत जमा कराए जाएंगे। उप्र प्रधानाचार्य परिषद के अध्यक्ष सुशील कुमार सिंह ने कहा कि यह आदेश विद्यालयों के लिए कुछ हद तक राहत जरूर देगा, लेकिन विद्यालयों की आर्थिक स्थिति को देखते हुए यह हिस्सा 25-25 रुपये यानी आधा-आधा किया जाना चाहिए।


    Thursday, July 17, 2025

    राजकीय इंटर कालेजों में प्रयोगशालाएं ही नहीं , 2006 स्कूलों में ICT लैब नहीं

    राजकीय इंटर कालेजों में प्रयोगशालाएं ही नहीं , 2006 स्कूलों में ICT लैब नहीं
     
    1172 इंटर कॉलेजों में से 493 में नहीं है जीव विज्ञान की प्रयोगशाला


    प्रयागराज। कुल 2841 माध्यमिक और इंटर कॉलेजों में से 2006 स्कूलों में आईसीटी लैब नहीं हैं जबकि 2087 स्कूलों में स्मार्ट क्लासरूम नहीं हैं। इन सुविधाओं को उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार से अनुरोध किया गया कि वे इन सुविधाओं की उपलब्धता की कमी का आकलन करें। इनके लिए भी पूरक प्रस्ताव दे सकते हैं।


    प्रयागराज । प्रदेश के सैकड़ों राजकीय इंटर कॉलेजों में प्रयोगशालाएं ही नहीं है। इस कारण छात्र-छात्राओं के व्यावहारिक ज्ञान में बाधा आ रही है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय में समग्र शिक्षा अभियान 2025-26 के लिए नौ अप्रैल को आयोजित प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड (पीएबी) की बैठक में भौतिक, रसायन और जीव विज्ञान की प्रयोगशालाओं की कमी पर चिंता व्यक्त की गई।

    रिपोर्ट के अनुसार, यूपी के 1172 राजकीय इंटर कॉलेजों में से 457 स्कूलों में भौतिकी, 453 में रसायन विज्ञान जबकि 493 स्कूलों में जीव विज्ञान की प्रयोगशाला नहीं है। शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के सचिव ने स्कूलों में प्रयोगशालाओं के महत्व को रेखांकित किया। राज्य सरकार से अनुरोध किया गया कि प्रयोगशालाओं की उपलब्धता की कमी को दूर करें। प्रयोगशालाओं के लिए पूरक प्रस्ताव भी मांगा गया है।

    न जांच कमेटी बनाई गई न कार्रवाई की, संतकबीरनगर बीएसए कार्यालय में अनियमितता में एडी बेसिक की निष्क्रियता पर हाईकोर्ट नाराज

    न जांच कमेटी बनाई गई न कार्रवाई की, संतकबीरनगर बीएसए कार्यालय में अनियमितता में एडी बेसिक की निष्क्रियता पर हाईकोर्ट नाराज

    कोर्ट ने कहा- आदेश को हो पालन अन्यथा 25 अगस्त को हाजिर हों अपर मुख्य सचिव


    प्रयागराजइलाहाबाद हाई कोर्ट ने संत कबीरनगर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय की कार्यप्रणाली एवं अपर शिक्षा निदेशक (बेसिक) मृदुल आनंद के खिलाफ नियुक्ति में धांधली के मामले की जांच के लिए कमेटी गठन में विलंब पर नाराजगी जताई है। न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान की एकलपीठ ने नंदू प्रसाद की याचिका की सुनवाई की। कोर्ट की नाराजगी इस बात पर है कि 25 मई 2023 के निर्देश का पालन अब तक नहीं हुआ। अपर मुख्य सचिव (बेसिक शिक्षा) को सुनवाई की अगली तिथि 25 अगस्त को उपस्थित होने का आदेश दिया गया है।


    नंदू प्रसाद व मालती गुप्ता की नियुक्ति को लेकर विवाद है। कोर्ट के रिकार्ड मंगाने पर पता चला था कि मैनेजर रिटर्न में नंदू प्रसाद और अनीस अहमद खान के नाम के बीच बिना क्रमांक मालती गुप्ता का नाम है। इस पर तत्कालीन बीएसए मृदुल आनंद के हस्ताक्षर हैं। नियुक्ति में घपला की आशंका पर कमेटी गठन का आदेश हुआ था। कोर्ट ने पिछली सुनवाई के समय संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी की अध्यक्षता में कमेटी गठित करने का निर्देश दिया था। कहा था कि बस्ती मंडल का कोई अधिकारी कमेटी में न रखा जाय। कमेटी जांच रिपोर्ट पेश करे। जरूरी हो तो विजिलेंस जांच कराए। इस आदेश को सरकार को भेजा ही नहीं गया, न तो कमेटी बनाई गई न कार्रवाई की गई।


    बेसिक शिक्षा निदेशक पिछले दो साल तक आदेश पर निष्क्रिय बने रहे। दो साल बाद केस की सुनवाई के समय जब कोर्ट ने जांच रिपोर्ट के बारे में पूछा तो सरकारी वकील ने आदेश पालन के लिए एक महीने का समय मांगा। जानकारी दी कि 14 जुलाई 2025 को अपर मुख्य सचिव (बेसिक) को पत्र लिखा गया है। कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए बेसिक शिक्षा निदेशक से आदेश का अनुपालन कराने में हुई देरी पर व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है।


    Oil Board Display CBSE Schools मोटापे के खिलाफ CBSE का मोर्चा- स्कूलों में लगेंगे ऑयल बोर्ड, बच्चे चलें पैदल-चढ़ें सीढ़ियां

    Oil Board Display CBSE Schools
     मोटापे के खिलाफ CBSE का मोर्चा- स्कूलों में लगेंगे ऑयल बोर्ड, बच्चे चलें पैदल-चढ़ें सीढ़ियां


    बच्चों में बढ़ती मोटापे की समस्या को देखते हुए सीबीएसई अलर्ट मोड पर है. इसको लेकर अब सीबीएसई ने स्कूलों में ऑयल बोर्ड लगाने का निर्देश दिया है. इससे पहले पीएम मोदी की अपील के बाद स्कूलों में शुगर बोर्ड लगाए जा रहे हैं.


    केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) स्कूलों में अब ‘ऑयल बोर्ड’ भी लगेंगे. इसके साथ ही सीबीएसई स्कूलों में बच्चों के बीच हेल्दी लाइफ स्टाइल को भी बढ़ावा दिया जाएगा. 


    सीबीएसई ने इस संबंध में सभी सबद्ध स्कूलों के लिए सर्कुलर जारी किया है, जिसमें स्कूल प्रमुखों और प्रिंंसिपलों के लिए दिशा- निर्देश जारी किए हैं. इससे पहले सीबीएसई स्कूलों में शुगर बोर्ड लगाने की पहल की गई थी. आइए जानते हैं कि सीबीएसई स्कूलों में ऑयल बोर्ड लगाने का फैसला क्यों लिया गया है? स्कूलों में लगाए जाने वाले ऑयल बोर्ड में बच्चाें को क्या निर्देश दिए जाएंगे?


    बच्चों को खाद्य तेलों की मात्रा के बारे में बताया जाएगा
    सीबीएसई स्कूलों में ऑयल बोर्ड लगाने का मुख्य मकसद बच्चों को खाद्य तेलों के उपयोग की मात्रा के बारे में जागरूक करना है. असल मेंसीबीएसई ने इस संबंध का फैसला स्कूली बच्चों में बढ़ती मोटापे की समस्या को देखकर लिया है. इस संबंध में सीबीएसई ने संबद्ध स्कूलों के प्रिंसिपल के लिए निर्देश जारी किए हैं, जिसमें कहा गया है कि स्कूल कॉमन एरिया में डिजिटल समेत अन्य पोस्टर वाले बोर्ड लगाएं, जिसमें खाद्य तेलों के अधिक उपभोग से होने वाले नुकसान के बारे में बताया जाए.



    सभी सरकारी दस्तावेजों पर हेल्दी लाइफ का संदेश
    सीबीएसई ने संबद्ध स्कूलों के प्रिंसिपलों को निर्देशित किया है कि वह सभी सरकारी दस्तावेजों, नोटपेड, लेटरहेड समेत अन्य दस्तावेजों में हेल्दी लाइफ स्टाइल से जुड़ा संदेश प्रिंट कराएं. इससे मोटापे के खिलाफ लड़ाई में मदद मिलेगी.


    बच्चाें को सीढ़ियां चढ़ने के लिए कहा जाएगा
    सीबीएसई ने अपने निर्देश में कहा है कि स्कूलों को चाहिए कि वह बच्चों को सीढ़ियां चढ़ने, पैदल चलने के लिए प्रेरित करें. तो वहीं स्कूली बच्चों के बीच स्वस्थ भोजन और व्यायाम को बढ़ावा देने, जंक फूड कम करने और पौष्टिक खाद्य पदार्थों को बढ़ावा देने का निर्देश सीबीएसई ने दिया है.


    शुगर बोर्ड लगा चुके हैं स्कूल
    पीएम मोदी इससे पहले अपने कार्यक्रम ‘मन की बात’ में मोटापे का जिक्र कर चुके हैं, जिसमें उन्होंने बच्चों में बढ़ती मोटोपे की समस्या का जिक्र करते हुए स्कूलों में शुगर बोर्ड लगाने का निर्देश दिया था. इस पर अमल करते हुए सीबीएसई स्कूलों में इन दिनों शुगर बोर्ड लगाएं जा रहे हैं, जिसमें चीनी के उपयोग के बारे में बताया जा रहा है.


    2050 तक 44.90 करोड़ मोटापे से ग्रसित
    सीबीएसई ने स्कूलों में ऑयल और शुगर बोर्ड लगाने के लिए बच्चों में बढ़ते मोटापे का हवाला दिया है. इसके लिए सीबीएसई ने नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) -5 2019-20 और लेंसट जीबीडी 2021 की रिपोर्ट का जिक्र किया है. NFHS में कहा गया है कि देश में मोटापा बढ़ रहा है और पांच लोगों में से एक मोटापे से ग्रसित है. वहीं लेंसट की रिपोर्ट, जो साल 2025 में प्रकाशित हुई है, उसमें कहा गया है कि साल 2021 में भारत में 18 करोड़ लोग मोटापे से ग्रसित थे. इसी अनुपात में साल 2050 तक भारत 44.90 करोड़ लोग मोटापे से ग्रसित होंगे.

    निःशुल्क पाठ्य पुस्तकों और गणित/ विज्ञान किट के वितरण में लापरवाही पर आगरा के खण्ड शिक्षा अधिकारी निलंबित

    निःशुल्क पाठ्य पुस्तकों और गणित/ विज्ञान किट के वितरण में लापरवाही पर आगरा के खण्ड शिक्षा अधिकारी निलंबित

     

    शिक्षामित्र से शिक्षक बने याचियों की पुरानी पेंशन पर सचिव फैसला लें या पेश हों: हाईकोर्ट

    शिक्षामित्र से शिक्षक बने याचियों की पुरानी पेंशन पर सचिव फैसला लें या पेश हों: हाईकोर्ट 


    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षामित्र से शिक्षक बने याचियों की पुरानी पेंशन की मांग को लेकर सख्त रुख अपनाया है। बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव को चेतावनी दी है कि चार सितंबर तक याचिका में पारित आदेश के मुताबिक फैसला न लेने पर उन्हें कोर्ट में पेश होना होगा। यह आदेश न्यायमूर्ति नीरज तिवारी की अदालत ने रमेश चंद्र व 36 अन्य की ओर से दाखिल अवमानना याचिका पर दिया है।


    याचियों का दावा है कि प्रदेश की तत्कालीन सरकार ने वर्ष 2000 में शिक्षामित्र योजना शुरू की थी। इसके तहत विभिन्न प्राथमिक विद्यालयों में करीब पौने दो लाख युवाओं की तैनाती की गई। इनमें से हजारों शिक्षामित्र विभिन्न भर्तियों के माध्यम से प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक बन गए। वहीं, जो अप्रैल 2005 से पहले नियुक्त हुए और वर्तमान में शिक्षक हैं, उन्हें पुरानी पेंशन का हकदार माना जाना चाहिए।


    याचियों ने इस मांग के साथ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। नवंबर 2024 में कोर्ट ने याचियों के दावों पर बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव को तीन महीने में फैसला लेने का आदेश दिया था, लेकिन याचियों का प्रत्यावेदन अब तक निस्तारित नहीं किया गया। इसके खिलाफ याचियों ने अवमानन याचिका दाखिल किया है। 

    Wednesday, July 16, 2025

    आगरा बीएसए का खेल, पहले निलंबन, दो दिन में ही बहाल और लीजिए मनचाहा स्कूल

    आगरा बीएसए का खेल, पहले निलंबन, दो दिन में ही बहाल और लीजिए मनचाहा स्कूल


    नियमावली का उल्लंघन


    बेसिक शिक्षा विभाग की अपील नियमावली 1999 क्या कहती है

    निलंबन के बाद जांच पूरी होने तक शिक्षकों को बीआरसी या अन्य विद्यालय से अटैच करना चाहिए, न कि तुरंत बहाली हो।

    स्कूल बंद होने के दौरान जांच नहीं हो सकती, और बीईओ बिना बीएसए के अनुमोदन के आरोप पत्र तैयार नहीं कर सकता।

    निलंबन से पहले और बाद में साक्ष्यों के आधार पर पारदर्शी जांच होनी चाहिए।

    मनचाही तैनाती देने को पहले निलंबन कर देते है फिर पास वाले एचआरए ब्लाकों में तैनात किया जाता है।

    को जिले के भीतर तबादलों पर शासन की रोक के बावजूद, निलंबन बहाली की आड़ में शिक्षकों लाभ पहुंचाया जा रहा है।



    आगराः मुख्यमंत्री योगी आदित्नाथ चाहते हैं कि सरकारी स्कूलों में बेहतरीन पढ़ाई हो इसलिए शिक्षकों के बहुत सीमित स्थानांतरण कर रहे हैं। यहां जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) जितेंद्र कुमार गोंड ने उनकी मंशा को तार-तार कर दिया। स्थानांतरण का ऐसा रास्ता तलाशा कि सांप भी मरे और लाठी भी न टूटे। शिक्षकों को मनचाही तैनाती देने के लिए पहले निलंबन किया, फिर दो से आठ दिन बाद बहाली। इसके साथ ही कर दी मुराद पूरी यानि मनचाहे नजदीकी शहरी स्थान पर तैनाती। इसमें शिक्षकों का एक लाभ और दिया गया उन्हें नान-एचआरए (हाउस रेंट अलाउंस) ब्लाक से मुक्ति प्रदान कर दी।

    जिले के बाह, जगनेर, पिनाहट और फतेहाबाद ब्लाक ऐसे हैं जहां शहर के शिक्षक नहीं जाना चाहते परंतु वहां स्कूलों की स्थिति देखते हुए सरकार स्थानांतरण नहीं कर रही। ऐसे में नया रास्ता खोज लिया गया। बीएसए को वाह के जूनियर हाईस्कूल सुसार कंपोजिट के प्रभारी और स्कूल न आने वाले प्रधानाध्यापक बुद्धि प्रकाश को मनचाही तैनाती देनी थी। ऐसे में उन्हें अनुपस्थिति, मिड-डे मील में लापरवाही, कंपोजिट ग्रांट के दुरुपयोग और पदीय दायित्वों की अनदेखी के आरोप में तीन जून 2025 को निलंवित किया गया। सिर्फ दो दिन में न जाने कैसे जांच पूरी हो गई और 5 जून 2025 को उन्हें नान-एचआरए ब्लाक वाह से एचआरए ब्लाक बरौली अहोर के जूनियर हाईस्कूल बुढ़ेरा में बहाल कर दिया। यहां उनको मनचाहा स्कूल मिला और वेतन बढ़ गया।


    जगनेर राजस्थान सीमा का मुश्किल रास्ते वाला ब्लाक है। यहां गढ़ी करीमपुर की प्रभारी प्रधानाध्यापक रजनी देवी अक्सर स्कूल नहीं पहुंचती थीं। ऐसे में छात्रों के भविष्य से खिलवाड़, अनुपस्थिति और मिड-डे मील न बनवाने जैसे आरोपों में ही तीन जून को ही निलंबित किया गया। इनके लिए 15 जून 2025 की सुबह रोशनी भरी हुई। उन्हें बहाली के साथ नान-एचआरए ब्लाक जगनेर से एचआरए ब्लाक खंदैली के नगला महाराम में तैनाती मिल गई। खंदौली वह ब्लाक है, जहां तैनाती के लिए शिक्षक डेढ़ लाख रुपये तक की रिश्वत देने को तैयार रहते हैं।

    याह के प्राथमिक विद्यालय रानीपुरा के प्रभारी प्रधानाध्यापक अमित पाल को 17 मई 2024 को निलंवित किया गया। उन्हें जगनेर के धनसेरा भोजपुर में बहाल किया गया। इसके अलावा चार अन्य शिक्षकों में अनीता बघेल, राजेश कुमार और मंजीत सिंह को 20-22 जून 2024 के बीच मुश्किल वाले विद्यालयों से निलंबित किया गया। बीएसए ने सिर्फ छह दिन बाद 28 जून 2024 तक सवेतन बहाल कर दिया। कुछ को एचआरए ब्लाकों में तैनाती दी गई, जो नियमों का उल्लंघन है। हालांकि, मामला जोर पकड़ने लगा तो तीन जुलाई 2024 को कुछ बहालियां निरस्त की गईं, लेकिन तब तक शिक्षकों को नियम-विरुद्ध तैनाती का लाभ मिल चुका था।


    बीएसए की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल

    बीएसए जितेंद्र कुमार गोड की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। 28 जून 2024 को दो मामलों में निलंबित शिक्षकों को ब्लाक रिसोर्स सेंटर (बीआरसी) में अटैच किया गया और स्कूल बंद होने के दौरान जांच की गई। सवाल उठता है कि बंद स्कूलों में जांच और आरोप पत्र कैसे तैयार किए गए? ब्लाक शिक्षा अधिकारी (बीईओ) ने बीएसए के अनुमोदन के बिना कार्रवाई की, जो नियमों के खिलाफ है। बाह के सहायक अध्यापक अजय कुमार ने बीएसए से बुद्धि प्रकाश की तैनाती पर आपत्ति उठाई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक (बेसिक) ऐश्वर्या लक्ष्मी ने अब शिकायत मिलने के बाद बीएसए से जवाब तलब किया है


    भाजपा ही बोली, वीएसए ने चार करोड़ रुपये वसूले
    भाजपा महानगर के पूर्व महामंत्री डा. यादवेंद्र शर्मा ने बीएसए जितेंद्र कुमार गौड़ पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए है। उन्होंने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर बीएसए के खिलाफ शिकायत पर जांच की मांग की है। बताया कि बीएसए ने अपने निजी सहायक अभिलाष के साथ मिलकर निलंबन और बहाली कर 100-115 शिक्षकों से चार-चार लाख रुपये लिए है। आरोप है कि बीएसए ने शासनादेशों और उच्च न्यायालय के निर्देशों की अवहेलना कर, लखनऊ के एनआइसी में तैनात कंप्यूटर आपरेटर की मदद से पोर्टल पर छेड़छाड़ की और शिक्षकों का मनचाहे स्कूलों में तबादला किया।


    मेरे ऊपर लगाए गए आरोप निराधार है, निलंबन-बहाली की प्रक्रिया पूरी तरह आनलाइन है। पोर्टल के माध्यम से ही प्रक्रिया पूरी की गई है। - जितेंद्र कुमार गोंड, वीएसए

    बीएसए की ओर से किए गए निलंबन बहाली का मामला गंभीर है, इसकी शिकायतें मुझे मिली है। बीएसए से जवाब मांगा जा रहा है। उन्होंने अभी तक दिया नहीं है। ऐश्वर्या लक्ष्मी मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक


    बीएड प्रवेश हेतु काउंसिलिंग 20 अगस्त के बाद

    बीएड प्रवेश हेतु काउंसिलिंग 20 अगस्त के बाद


    झांसी। प्रदेश के महाविद्यालयों में बीएड प्रवेश काउंसिलिंग 20 अगस्त से पहले शुरू होने की उम्मीद नहीं है। इसकी वजह कुछ शिक्षण संस्थानों में यूजी-पीजी परीक्षाएं चलना है, जो जुलाई के अंत तक संपन्न होंगी।

    बीयू ने बीएड की संयुक्त प्रवेश परीक्षा कराकर जून में परिणाम जारी किया। कुलपति ने लखनऊ में 10 जुलाई से प्रवेश की ऑनलाइन काउंसिलिंग शुरू कराने की घोषणा की। बीयू के कुलसचिव राजबहादुर ने प्रदेश के सभी विवि के कुलसचिव व परीक्षा नियंत्रकों से पांच जुलाई तक परिणाम जारी करने को कहा, मगर अधिकांश विवि ने हाथ खड़े कर दिए। किसी ने 20 जुलाई तो किसी ने 30 जुलाई तक परिणाम जारी करने की उम्मीद जताई। इसकी वजह सम सेमेस्टर की परीक्षा देरी से शुरू होना बताया। 



    बीएड की प्रवेश काउंसलिंग स्नातक के रिजल्ट के फेर में फंस गई, 17 जून को प्रवेश परीक्षा का परिणाम आया था

    ● स्नातक तृतीय वर्ष के परिणाम में लेटलतीफी


    लखनऊ । बीएड की संयुक्त प्रवेश परीक्षा का परिणाम जारी हुए करीब महीने भर बीत चुके हैं लेकिन काउंसलिंग शुरू नहीं हो पाई है। विश्वविद्यालयों में स्नातक तृतीय वर्ष का परिणाम जारी नहीं हो पाया है। ऐसे में प्रवेश काउंसलिंग शुरू नहीं हो पा रही है। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में तो अभी परीक्षाएं ही चल रही हैं।

    30 जून तक स्नातक अंतिम वर्ष का परिणाम के निर्देश हैं 15 अगस्त से पहले काउंसलिंग मुश्किल है। बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा का आयोजन बुंदेलखंड विवि, झांसी ने किया था और 17 जून को परिणाम जारी किया था। अंबेडकर विवि आगरा, शाहू जी महाराज विवि कानपुर सहित तमाम के स्नातक परीक्षा के परिणाम जारी नहीं हुए हैं। प्रदेश शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. मौलीन्दु मिश्रा कहते हैं कि शिक्षा विभाग के शैक्षिक कैलेंडर का पालन नहीं होता।



    बीएड में दाखिले की काउंसिलिंग 10 जुलाई से शुरू होने की उम्मीद नहीं, जानिए क्यों? 


    झांसी। बीएड में दाखिले की काउंसिलिंग 10 जुलाई से शुरू होने की उम्मीद नहीं है। इसकी वजह अधिकांश विवि यूजी-पीजी फाइनल वर्ष के रिजल्ट 5 जुलाई तो दूर, 15 जुलाई तक घोषित करने की स्थिति में नहीं हैं। बुधवार तक सूचना के आधार पर बीयू प्रशासन ने प्रदेश के प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा को हकीकत से अवगत करा दिया है। बीयू ने संयुक्त प्रवेश परीक्षा कराकर लखनऊ में परिणाम जारी किया था। तय हुआ कि 10 जुलाई को प्रवेश के लिए ऑनलाइन काउंसलिंग शुरू कराई जाएगी। 




    रिकॉर्ड 16 दिन में बीएड प्रवेश परीक्षा परिणाम घोषित, 3.04 लाख अभ्यर्थी सफल, काउंसिलिंग 10 जुलाई से

    17 जून 2025

    🔴 बीएड रिजल्ट देखने के लिए यहां जाएं 


    17 जून 2025
    लखनऊ। संयुक्त बीएड प्रवेश परीक्षा 2025 के टॉप 10 में पूर्वांचल का दबदबा रहा। मंगलवार को घोषित परीक्षा परिणाम में पहले चार स्थानों पर पूर्वांचल के छात्र रहे। मिर्जापुर के सूरज कुमार पटेल ने शीर्ष स्थान प्राप्त किया। भदोही की शीबा परवीन दूसरे व जौनपुर की शिवांगी यादव तीसरे स्थान पर रहीं। मऊ के प्रद्युम्न सिंह यादव चौथे स्थान पर रहे।

    डॉ. राम मनोहर लोहिया लॉ विश्वविद्यालय में प्रवेश परीक्षा परिणाम की घोषणा उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय व उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी ने संयुक्त रूप से की। उन्होंने बताया कि बुंदेलखंड विवि, झांसी की ओर से बीएड प्रवेश परीक्षा का आयोजन एक जून को दो पालियों में किया गया। 69 जिलों में 751 परीक्षा केंद्र बनाए गए। पंजीकृत 344546 में से 305439 (89 फीसदी) अभ्यर्थी शामिल हुए। 304980 सफल अभ्यर्थी प्रवेश काउंसिलिंग के लिए योग्य पाए गए।


    मिर्जापुर के सूरज अव्वल, भदोही की शीबा दूसरे व जौनपुर की शिवांगी तीसरे स्थान पर

    काउंसिलिंग 10 जुलाई से

    बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी के कुलपति प्रो. मुकेश पांडेय ने बताया कि बीएड कॉलेजों में प्रवेश के लिए काउंसिलिंग 10 जुलाई से प्रस्तावित है। हालांकि, इसके लिए राज्य विश्वविद्यालय में स्नातक कोर्स का परिणाम आना जरूरी है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में स्थापित इंटीग्रेटेड कमांड कंट्रोल सिस्टम से पूरे प्रदेश में परीक्षा की निगरानी की गई।

    रिकॉर्ड 16 दिन में परिणाम घोषित

    उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने कहा कि बीएड प्रवेश परीक्षा में आधुनिक तकनीक जैसे फेस रिग्निशन उपस्थिति और एआई आधारित निगरानी का प्रयोग किया गया। परीक्षा की हर प्रक्रिया सुरक्षित, पारदर्शी और शुचितापूर्ण ढंग से संपन्न हुई। तकनीकी के बेहतर प्रयोग से रिकॉर्ड 16 दिन में प्रवेश परीक्षा परिणाम घोषित किया गया है।


    बीएड में आसानी से मिलेगा प्रवेश, 79% का दाखिला तय

    लखनऊ। बीएड की संयुक्त प्रवेश परीक्षा में सफल घोषित किए गए 304980 अभ्यर्थियों को आसानी से प्रवेश मिलेगा। 240000 सीटें हैं और प्रत्येक सीट पर 1.02 छात्रों के बीच मुकाबला है। वहीं 79% तय है। विद्यार्थियों का प्रवेश बिल्कुल तय अभ्यर्थियों के बीच मुख्य मुकाबला राजकीय डिग्री कॉलेजों व अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) डिग्री कॉलेजों की आठ हजार सीटों पर होगा। यहां अच्छी रैंक वाले ही प्रवेश पा सकेंगे। खराब रैंक होने पर उन्हें प्राइवेट बीएड कॉलेज में ही प्रवेश लेना होगा।

    बीएड की संयुक्त प्रवेश परीक्षा में शामिल होने को वर्ष 2024-25 में 223000 अभ्यर्थियों ने आवेदन फॉर्म भरा था। बीते वर्ष करीब 240000 सीटें  बीएड की सीटों में से करीब एक लाख सीटें खाली रह गईं थी। फिलहाल, इसबार थोड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है लेकिन दाखिले की उतनी मारा-मारी नहीं रहेगी। क्योंकि अभी बीएड के नए सेल्फ फाइनेंस कॉलेज जुड़ सकते हैं।



    बीएड प्रवेश परीक्षा का परिणाम  तैयार, 17 जून को किया जाएगा घोषित

    15 जून 2025
    झांसी : उत्तर प्रदेश संयुक्त बीएड प्रवेश परीक्षा का परिणाम तैयार हो गया है। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मुकेश पाण्डेय 16 जून को कोर कमेटी की बैठक में परीक्षा परिणाम की समीक्षा करेंगे।


    कुलपति 17 जून को अपराह्न एक बजे परीक्षाफल घोषित करेंगे। इस दौरान उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय भी उपस्थित रहेंगे। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के संयोजन में लगातार तीसरी बार राज्य बीएड प्रवेश परीक्षा कराई गई है। 


    राज्य समन्वयक प्रो. एसपी सिंह ने बताया कि बीएड प्रवेश परीक्षा का परिणाम तैयार कर संबंधित एजेंसी को दे दिया गया है, जिसे वेबसाइट पर अपलोड किया जा रहा है।

    माध्यमिक शिक्षा परिषद्, उत्तर प्रदेश द्वारा मान्यता प्राप्त विद्यालयों में अध्ययनरत कक्षा-9 एवं 11 के छात्र/छात्राओं का अग्रिम पंजीकरण हेतु सार्वजनिक विज्ञप्ति जारी

    यूपी बोर्ड परीक्षा-2026 के लिए पांच अगस्त तक पंजीकरण, एक से 10 सितंबर तक आवेदन की त्रुटियों में होगा सुधार



    यूपी बोर्ड के स्कूलों में पांच अगस्त तक होंगे दाखिले, बोर्ड के सचिव ने कक्षा नौ और 11 में दाखिले के लिए जारी किए दिशा-निर्देश


    प्रयागराज। यूपी बोर्ड के स्कूलों में 9वीं और 11वीं में प्रवेश की अंतिम तिथि 11 अगस्त निर्धारित की गई है, जबकि हाईस्कूल की कंपार्टमेंट परीक्षा व स्क्रूटनी में उत्तीर्ण विद्यार्थी 11वीं में 20 अगस्त तक प्रवेश ले सकेंगे। बोर्ड के सचिव भगवती ने बोर्ड से जुड़े तकरीबन 28 हजार स्कूलों में प्रवेश के लिए बुधवार को दिशा-निर्देश जारी किए।

    सचिव के अनुसार, 9वीं और 11वीं में 50 रुपये प्रति छात्र की दर से अग्ग्रिम पंजीकरण शुल्क चालान के माध्यम से कोषागार में 25 अगस्त तक एकमुश्त जमा किया जाएगा। पंजीकरण शुल्क के साथ छात्र-छात्राओं के शैक्षिक विवरणों को बोर्ड की वेबसाइट पर अपलोड करने की अंतिम तिथि भी 25 अगस्त निर्धारित की गई है।

    प्रधानाचार्यों को 26 अगस्त से पांच सितंबर तक वेबसाइट पर अपलोड छात्र-छात्राओं के विवरणों की चेकलिस्ट प्राप्त कर उनके विवरणों (नाम, माता/पिता का नाम, जन्मतिथि, जेंडर, विषय, फोटो आदि) की जांच पूरी कर लेनी है।

    इस अवधि वेबसाइट पर किसी भी प्रकार का अपडेशन प्रतिबंधित रहेगा। जांच के बाद यदि किसी प्रकार का संशोधन जरूरी है तो उसे प्रधानाचार्य छह से 20 सितंबर तक वेबसाइट पर सकेंगे।

    हालांकि, इस अवधि में किसी नए छात्र का विवरण अपलोड नहीं किया जाएगा। पंजीकृत अभ्यर्थियों की फोटोयुक्त नामावली एवं कोषपत्र की एक प्रति बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालयों को भेजने के लिए जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में 30 सितंबर तक जमा करनी होगी।



    माध्यमिक शिक्षा परिषद्, उत्तर प्रदेश द्वारा मान्यता प्राप्त विद्यालयों में अध्ययनरत कक्षा-9 एवं 11 के छात्र/छात्राओं का अग्रिम पंजीकरण हेतु सार्वजनिक विज्ञप्ति जारी 


    मदरसों में हो सुधार, लेकिन मूल शिक्षा का स्वरूप रहे बरकरार, अल्पसंख्यक कल्याण निदेशक के साथ बैठक में मदरसा शिक्षाविदों ने दिए अहम सुझाव

    मदरसों में हो सुधार, लेकिन मूल शिक्षा का स्वरूप रहे बरकरार, अल्पसंख्यक कल्याण निदेशक के साथ बैठक में मदरसा शिक्षाविदों ने दिए अहम सुझाव


    लखनऊ। मदरसा शिक्षा से जुड़े शिक्षाविदों ने कहा कि सुधार के नाम पर मदरसों की मूल शिक्षा स्वरूप से। छेड़छाड़ न की जाए, वह बरकरार रहे। उन्होंने मदरसों की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए मंगलवार को इंदिरा भवन में हुई बैठक में अल्पसंख्यक कल्याण निदेशक अंकित अग्रवाल के सामने कई सुझाव दिए।

    मदरसा शिक्षा में सुधार के लिए शासन स्तर पर अल्पसंख्यक कल्याण निदेशक की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई है। यह मदरसों के शिक्षकों की योग्यता का पुर्निर्धारण करने और नई शिक्षा नीति के मुताबिक पाठ्यक्रम में सुधार व बदलाव के लिए सुझाव ले रही है। 

    बैठक में टीचर्स एसोसिएशन मदारिसे अरबिया के महामंत्री हाजी दीवान साहेब जमां ने बताया कि मदरसा विनियमावली 2016 में दंड के खिलाफ अपील की व्यवस्था नहीं है। रजिस्ट्रार व शिक्षकों के कर्तव्य और अधिकार भी स्पष्ट नहीं हैं। इसे स्पष्ट की जाए।

    मदरसा इरम मॉडल स्कूल के प्रबंधक ख्वाजा सैयद फैजी यूनुस ने कहा कि सीबीएसई की तर्ज पर विविध विषयों के विकल्प खुले रखने और शिक्षकों की योग्यता के पुर्निर्धारण में बीटीसी व बीएड को शामिल करने का सुझाव दिया। 

    कई शिक्षाविद ने कामिल व फाजिल की डिग्री अमान्य होने से 37 हजार विद्यार्थियों की परीक्षा ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती विश्वविद्यालय से कराने का सुझाव दिया। 




    मदरसों की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए शिक्षक, प्रबंधक देंगे सुझाव, शिक्षकों की योग्यता के पुर्निर्धारण और पाठ्यक्रम में बदलाव पर होगा विचार-विमर्श

    अल्पसंख्यक कल्याण निदेशक की अध्यक्षता में आज होगी बैठक

    15 जुलाई 2025
    लखनऊ। मदरसों की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए शासन स्तर पर गठित कमेटी ने मंगलवार को मदरसों के शिक्षक, प्रबंधक और पूर्व शिक्षकों से सुझाव लेने के लिए बैठक बुलाई है। बैठक में शिक्षकों की योग्यता के पुनर्निर्धारण और पाठ्यक्रम में बदलाव और सुधार पर विचार विमर्श होगा।

    मदरसा बोर्ड की कामिल और फाजिल की डिग्री की यूजीसी से मान्यता न होने पर सुप्रीम कोर्ट ने इन डिग्रियों को असांविधानिक घोषित कर दिया था। इसके बाद मदरसा शिक्षा में सुधार के लिए शासन स्तर पर अल्पसंख्यक कल्याण निदेशक की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई थी।


    कमेटी मदरसों के शिक्षकों की योग्यता का पुनर्निर्धारण करने और नई शिक्षा नीति के मुताबिक पाठ्यक्रम में सुधार व बदलाव को लेकर अपनी रिपोर्ट तैयार कर रही है। ऐसे में शिक्षा व्यवस्था में सुधार को लेकर विचार विमर्श करने के लिए अल्पसंख्यक कल्याण निदेशक की अध्यक्षता में मंगलवार को बैठक बुलाई गई है।

    मदरसा बोर्ड के रजिस्ट्रार आरपी सिंह की ओर से मदरसा इरम मॉडल स्कूल के प्रबंधक ख्वाजा फैजी यूनुस, टीचर्स एसोसिएशन मदारिसे अरबिया के महामंत्री दीवान साहेब जमा, वहीदुल्ला खान सईदी सहित 23 शिक्षकों, प्रबंधकों और संगठन के लोगों को पत्र भेज कर आमंत्रित किया गया है।


    सेवानिवृत्त शिक्षकों को बैठक में बुलाए जाने का विरोध

    बैठक में पूर्व शिक्षकों को आमंत्रित किए जाने पर मदरसा शिक्षक मोहम्मद हसन रजा, नूरुल हसन अजहरी, अंजुम कादरी आदि ने विशेष सचिव अल्पसंख्यक कल्याण को पत्र भेजकर आपत्ति जताई। उनका कहना है कि अनुदानित मदरसों में करीब 10 हजार शिक्षकों के कार्यरत होने के बावजूद सेवानिवृत्त शिक्षकों को बुलाया जाना मुख्यमंत्री के विचारों और शिक्षकों के मौलिक अधिकारों के खिलाफ है।

    कक्षा 9 और 11 में पंजीकरण को 'पेन' की अनिवार्यता समाप्त, हजारों विद्यार्थियों, स्कूल संचालकों को बड़ी राहत

    कक्षा 9 और 11 में पंजीकरण को 'पेन' की अनिवार्यता समाप्त, हजारों विद्यार्थियों, स्कूल संचालकों को बड़ी राहत

    अब यूपी बोर्ड किया वैकल्पिक बोर्ड ने पेन को

    16 जुलाई 2025
    प्रयागराज । यूपी बोर्ड ने कक्षा नौ और 11 में पंजीकरण के दौरान विद्यार्थियों के लिए परमानेंट एजुकेशन नंबर (पेन) को अब वैकल्पिक कर दिया है। पहले पेन अनिवार्य था, जिससे बड़ी संख्या में विद्यार्थियों का पंजीकरण अटक रहा था। इसके बाद मंगलवार को यूपी बोर्ड नेपेन की अनिवार्यता पर बड़ा निर्णय लिया। जिससे हजारों छात्र-छात्राओं को बड़ी राहत मिली है।

    विदित हो कि यूपी बोर्ड ने इस वर्ष पहली बार 9वीं और 11वीं में ऑनलाइन अग्रिम पंजीकरण के लिए पेन को अनिवार्य किया था। इस व्यवस्था का उद्देश्य विद्यार्थियों की पहचान सुनिश्चित करना और शैक्षणिक रिकॉर्ड को ट्रैक करना था, जबकि एसआर (स्कॉलर रजिस्टर) की मांग फर्जी पंजीकरण पर रोक लगाने के लिए की गई थी। हालांकि इस नई व्यवस्था से हजारों छात्र-छात्राएं और स्कूल संचालक परेशान हो गए थे क्योंकि लगभग 50 प्रतिशत विद्यार्थियों के पास पेन नहीं था। 

    परिषदीय और राजकीय विद्यालयों के छात्रों के पेन तो उपलब्ध हैं, लेकिन अधिकतर निजी स्कूलों के विद्यार्थियों के पास यह उपलब्ध नहीं है। इस कारण पंजीकरण बाधित होने की आशंका थी। यूपी बोर्ड के अपर सचिव (प्रशासन) सत्येन्द्र सिंह ने बताया कि विद्यार्थियों के हितों को ध्यान में रखते हुए पंजीकरण प्रक्रिया में पेन को अब वैकल्पिक कर दिया गया है।




    यूपी बोर्ड ने नियमों में किया बदलाव, परमानेंट एजुकेशन नंबर (PEN) के बगैर अब नहीं होगा पंजीकरण,  कक्षा 9 और 11 में पंजीकरण हेतु 'पेन' अनिवार्य

    50 प्रतिशत से अधिक बच्चों के पास नहीं पेन, स्कूल परेशान 

    हर साल 50 लाख से अधिक बच्चे लेते हैं 9वीं-11 वीं में प्रवेश

    15 जुलाई 2025
    प्रयागराज। यूपी बोर्ड ने कक्षा नौ और 11 के पंजीकरण में पहली बार परमानेंट एजुकेशन नंबर (पेन) को अनिवार्य कर दिया है। बोर्ड से जुड़े 28 हजार से अधिक स्कूलों में कक्षा नौ और 11 में प्रवेश लेने वाले छात्र-छात्राओं के ऑनलाइन अग्रिम पंजीकरण के लिए पहली बार छात्र-छात्रा की विद्यालय पंजीकरण संख्या (एसआर या स्कॉलर रजिस्टर) की फोटो लगाना भी अनिवार्य कर दिया गया है। पेन अनिवार्य करने का उद्देश्य विद्यार्थियों की पहचान को बनाए रखने और शैक्षणिक रिकॉर्ड को ट्रैक करना है। वहीं एसआर मांगने से पंजीकरण में फर्जीवाड़े को रोकने में मदद मिलेगी।


    हालांकि इस नई व्यवस्था से हजारों अभिभावक और स्कूल संचालक परेशान हैं, क्योंकि कक्षा नौ और 11 में प्रवेश लेने वाले तकरीबन 50 प्रतिशत छात्र-छात्राओं के पास पेन नहीं है। परिषदीय और राजकीय स्कूलों के बच्चों के पेन तो उपलब्ध हैं, लेकिन निजी स्कूलों में अधिकांश के पास नहीं है। अब उन्हें लग रहा है कि पेन न होने के कारण कहीं उनकी आगे की पढ़ाई बाधित न हो जाए। यूपी बोर्ड के अपर सचिव प्रशासन सत्येन्द्र सिंह के अनुसार छात्रों के शैक्षणिक रिकॉर्ड को ट्रैक करने के लिए पेन मांगा गया है।


    उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व एमएलसी  सुरेश कुमार त्रिपाठी का कहना है कि पेन अनिवार्य करना उचित नहीं है क्योंकि सभी बच्चों के पास यह उपलब्ध नहीं है। बता दें कि कक्षा नौ और 11 का पंजीकरण दो जुलाई से चालू है और प्रवेश की समयसीमा पांच अगस्त तक गौरतलब है कि दो साल पहले बोर्ड ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा के पंजीकरण के लिए आधार अनिवार्य कर दिया था। हालांकि बाद में छात्रहित में उसे अपना फैसला वापस लेते हुए आधार को वैकल्पिक करना पड़ा था। यूपी बोर्ड के स्कूलों में हर साल कक्षा नौ और 11 में 50 लाख से अधिक छात्र छात्राएं प्रवेश लेते हैं।

    Tuesday, July 15, 2025

    बेसिक शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में सीएम योगी ने दिया निर्देश, 50 से अधिक छात्र संख्या वाले विद्यालयों का नहीं होगा मर्जर

    बेसिक शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में सीएम योगी ने दिया निर्देश, 50 से अधिक छात्र संख्या वाले विद्यालयों का नहीं होगा मर्जर 

    लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को बेसिक शिक्षा विभाग की बैठक में शिक्षकों के खाली पदों पर जल्द नियुक्ति की आवश्यकता को रेखांकित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सभी विद्यालयों में शिक्षक-छात्र अनुपात आदर्श स्थिति में होना चाहिए। खाली पदों के सापेक्ष अधियाचन तत्काल भेजा जाए और नियुक्ति प्रक्रिया समय से पूरी हो।

    मुख्यमंत्री ने विद्यालयों की पेयरिंग व्यवस्था को दूरगामी और व्यापक दृष्टिकोण से लागू करने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि यह प्रणाली छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों तीनों के हित में है। इससे न केवल संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता में भी सुधार हो सकेगा। उन्होंने जिन विद्यालयों में 50 से अधिक छात्र पढ़ रहे हैं, उन्हें स्वतंत्र विद्यालय के रूप में चलाने का निर्देश दिया।

    उन्होंने पेयरिंग के बाद खाली हुए विद्यालय भवनों में बाल वाटिकाएं, प्री-प्राइमरी स्कूल चालाने को कहा। कहा- इन भवनों में आंगनबाड़ी केंद्रों को स्थानांतरित किया जाए ताकि शिशु शिक्षा का आधार सुदृढ़ हो। इसमें किसी प्रकार की शिथिलता न बरती जाए।

    मुख्यमंत्री ने कहा कि 06 से 14 साल का एक भी बच्चा विद्यालय से वंचित नहीं रहना चाहिए। विद्यालय प्रबंध समिति (प्रधानाध्यापक व ग्राम प्रधान) इसे सुनिश्चित कराएं। स्कूल चलो अभियान को प्रभावी ढंग से लागू करें। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि जिन विद्यालयों में आधारभूत संरचना की कमी है, वहां अविलंब संसाधनों की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए


    अभिभावकों के खाते म जल्द करें डीबीटी

    मुख्यमंत्री ने परिषदीय विद्यालयों में पढ़ रहे हर बच्चों के अभिभावक के खाते में यूनिफॉर्म, जूता-मोजा, स्टेशनरी व पाठ्य सामग्री के लिए 1200 रुपये की सहायता राशि डीबीटी से जल्द भेजने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि यह कार्य पारदर्शिता और समयबद्धता के साथ किया जाए ताकि लाभार्थियों को समय पर मदद मिल सके।




    अभिभावक-छात्र-शिक्षक, तीनों के हित में है स्कूलों की पेयरिंग', सीएम योगी ने बेसिक शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में किया दावा 

    लखनऊ । सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि बेसिक स्कूलों की पेयरिंग छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों तीनों के हित में है। इससे न केवल संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता में भी सुधार सुनिश्चित किया जा सकेगा। इसे दूरगामी दृष्टिकोण से लागू करने की जरूरत है। जिन स्कूलों में 50 से अधिक स्टूडेंट अध्ययनरत हैं, उन्हें स्वतंत्र रूप में संचालित करें, जिससे प्रशासनिक सुविधा, जवाबदेही और शैक्षणिक निगरानी प्रभावी ढंग से हो सके।


    योगी ने सोमवार को बेसिक शिक्षा विभाग की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि पेयरिंग व्यवस्था के कारण खाली हुए स्कूल भवनों में बाल वाटिकाएं/प्री-प्राइमरी स्कूल संचालित किए जाएं। इन भवनों में आंगनबाड़ी केंद्रों को स्थानांतरित किया जाए ताकि शिशु शिक्षा का आधार सुदृढ़ हो। यह प्रक्रिया तय समय-सीमा के भीतर पूरी की जाए और इस काम में किसी तरह की शिथिलता न बरती जाए।


    'स्कूल जाने से कोई बच्चा न छूटे' सीएम ने कहा कि 6 से 14 साल की उम्र का एक भी बच्चा स्कूल से वंचित नहीं रहना चाहिए। विद्यालय प्रबंध समिति (प्रधानाध्यापक व ग्राम प्रधान) इसे सुनिश्चित करवाए। हर स्टूडेंट के अभिभावक के बैंक खाते में यूनिफॉर्म, जूता-मोजा, स्टेशनरी एवं पाठ्य सामग्री के लिए 1,200 रुपये की सहायता राशि को डीबीटी के जरिए जल्द ट्रांसफर किया जाए। जिन स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है, वहां इसे बिना देरी के पूरा करवाएं। 


    खाली पदो पर तत्काल भेजे अधियाचन योगी ने शिक्षकों के रिक्त पदों पर शीघ्र नियुक्ति की जरूरत को रेखांकित करते हुए कहा कि सभी स्कूलों में शिक्षक-छात्र अनुपात आदर्श स्थिति में होना चाहिए। रिक्तियों के सापेक्ष अधियाचन तत्काल भेजा जाए और नियुक्ति प्रक्रिया समयबद्ध ढंग से पूरी की जाए।

    अभिभावक-छात्र-शिक्षक, तीनों के हित में है स्कूलों की पेयरिंग', सीएम योगी ने बेसिक शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में किया दावा

    अभिभावक-छात्र-शिक्षक, तीनों के हित में है स्कूलों की पेयरिंग', सीएम योगी ने बेसिक शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में किया दावा 


    लखनऊ । सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि बेसिक स्कूलों की पेयरिंग छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों तीनों के हित में है। इससे न केवल संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता में भी सुधार सुनिश्चित किया जा सकेगा। इसे दूरगामी दृष्टिकोण से लागू करने की जरूरत है। जिन स्कूलों में 50 से अधिक स्टूडेंट अध्ययनरत हैं, उन्हें स्वतंत्र रूप में संचालित करें, जिससे प्रशासनिक सुविधा, जवाबदेही और शैक्षणिक निगरानी प्रभावी ढंग से हो सके।


    योगी ने सोमवार को बेसिक शिक्षा विभाग की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि पेयरिंग व्यवस्था के कारण खाली हुए स्कूल भवनों में बाल वाटिकाएं/प्री-प्राइमरी स्कूल संचालित किए जाएं। इन भवनों में आंगनबाड़ी केंद्रों को स्थानांतरित किया जाए ताकि शिशु शिक्षा का आधार सुदृढ़ हो। यह प्रक्रिया तय समय-सीमा के भीतर पूरी की जाए और इस काम में किसी तरह की शिथिलता न बरती जाए।


    'स्कूल जाने से कोई बच्चा न छूटे' सीएम ने कहा कि 6 से 14 साल की उम्र का एक भी बच्चा स्कूल से वंचित नहीं रहना चाहिए। विद्यालय प्रबंध समिति (प्रधानाध्यापक व ग्राम प्रधान) इसे सुनिश्चित करवाए। हर स्टूडेंट के अभिभावक के बैंक खाते में यूनिफॉर्म, जूता-मोजा, स्टेशनरी एवं पाठ्य सामग्री के लिए 1,200 रुपये की सहायता राशि को डीबीटी के जरिए जल्द ट्रांसफर किया जाए। जिन स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है, वहां इसे बिना देरी के पूरा करवाएं। 


    खाली पदो पर तत्काल भेजे अधियाचन योगी ने शिक्षकों के रिक्त पदों पर शीघ्र नियुक्ति की जरूरत को रेखांकित करते हुए कहा कि सभी स्कूलों में शिक्षक-छात्र अनुपात आदर्श स्थिति में होना चाहिए। रिक्तियों के सापेक्ष अधियाचन तत्काल भेजा जाए और नियुक्ति प्रक्रिया समयबद्ध ढंग से पूरी की जाए।

    Monday, July 14, 2025

    राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में मनमाने तबादले पर हाईकोर्ट पहुंचे शिक्षक, एडेड कॉलेजों के तबादले पर भी हुई याचिका

    राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में मनमाने तबादले पर हाईकोर्ट पहुंचे शिक्षक, एडेड कॉलेजों के तबादले पर भी हुई याचिका


    प्रयागराज । राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में तबादले की आड़ में हुई मनमानी को लेकर विवाद बढ़ गया है। मनमानी के खिलाफ सोनभद्र, चित्रकूट और चंदौली आदि के शिक्षकों ने हाईकोर्ट में याचिकाएं कर दी हैं। रामकेश और 14 अन्य की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि अफसरों ने बिना किसी ठोस आधार के उनके स्थानान्तरण के ऑनलाइन आवेदन निरस्त कर दिए। आकांक्षी जिले के कुछ शिक्षकों का तबादला कर दिया गया जबकि अधिकांश के आवेदन भेदभावपूर्ण तरीके से निरस्त कर दिए गए।


    इस मामले में सरकार के वकील ने जवाब दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय मांग लिया है। इस केस की सुनवाई अब एक अगस्त को होगी।



    एडेड कॉलेजों के तबादले पर भी हुई याचिका: सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों और प्रधानाचार्यों के ऑनलाइन तबादले को लेकर भी हाईकोर्ट में याचिका हुई है। अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालय प्रबंधक सभा की ओर से दाखिल याचिका पर 15 जुलाई को हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है। प्रबंधकों का कहना है कि माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने स्कूलों के प्रधानाचार्यों से रिक्त पदों की सूचना मंगाकर ट्रांसफर कर दिया। जबकि रिक्त पदों की सूचना भेजने का अधिकार प्रबंध समिति को है।

    कम नामांकन वाले परिषदीय विद्यालयों के विलय के खिलाफ एक्स पर ट्रेंड हुआ 'मधुशाला नहीं पाठशाला दो'

    कम नामांकन वाले परिषदीय विद्यालयों के विलय के खिलाफ एक्स पर ट्रेंड हुआ 'मधुशाला नहीं पाठशाला दो'

    13 जुलाई 2025
     लखनऊ: प्रदेश में कम नामांकन वाले परिषदीय विद्यालयों के विलय के खिलाफ रविवार को इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर 'मधुशाला नहीं पाठशाला दो' हैशटैग के साथ डिजिटल आंदोलन चला। शिक्षकों, शिक्षामित्रों, डीएलएड प्रशिक्षुओं और अभिभावकों ने इसमें हिस्सा लिया, जिससे यह ट्रेंड देश में नंबर-एक पर पहुंच गया।

     अभियान में लोगों ने वीडियो और तस्वीरों के माध्यम से अपनी पीड़ा साझा की। रसोइयों के आंसू, बच्चों की शिक्षण व्यवस्था और महिलाओं की भावनात्मक अपीलों ने आंदोलन को बल दिया। पोस्ट में स्कूलों की संख्या घटाने के निर्णय, शिक्षकों की कमी और बुनियादी सुविधाओं के अभाव पर सवाल उठाए गए।





    एक्स पर दिनभर ट्रेंड करता रहा जस्टिस फॉर स्कूल चिल्ड्रेन, वर्तमान संग भावी शिक्षकों ने स्कूलों के विलय के खिलाफ चलाया अभियान

    सात लाख से अधिक हुए पोस्ट, इससे जुड़े फोटो-वीडियो भी शेयर किए

    7 जुलाई 2025
    लखनऊ। प्रदेश में कम नामांकन वाले परिषदीय स्कूलों के विलय (पेयरिंग) को लेकर विरोध व्यापक रूप ले रहा है। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के आह्वान पर रविवार को वर्तमान और भावी शिक्षकों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जस्टिस फॉर स्कूल चिल्ड्रेन अभियान चलाया।


    ये दोपहर से देर शाम तक ट्रेंड करता रहा। इसमें सात लाख से अधिक पोस्ट करके शिक्षकों व युवाओं ने स्कूलों का विलय न करने की अपील की। इसके साथ ही अलग अलग हैंडल से इससे जुड़े फोटो व बच्चों के वीडियो शेयर करते हुए स्कूलों के विलय के नुकसान बताए। साथ ही बच्चों ने भावुक अपील भी की। 

    स्कूल बंद होने से काफी रसोइयों की सेवा समाप्त होगी। साथ ही भविष्य में शिक्षक बनने की उम्मीद में तैयारी कर रहे बीटीसी, बीएलएड अभ्यर्थियों को भी झटका लगेगा।

    शिक्षकों की मांग है कि कोई भी विद्यालय बंद न हो। हर क्लास में एक शिक्षक व हर विद्यालय में एक प्रधानाध्यापक जरूर नियुक्त हो। इस निर्णय के विरोध में प्राथमिक शिक्षक संघ आठ जुलाई को बीएसए कार्यालय में धरने की तैयारी कर रहा है। 

    उच्च प्राथमिक स्कूलों में विषय देखे बगैर किए स्थानांतरण, बेसिक शिक्षा में फेल हुई ऑनलाइन स्थानांतरण व्यवस्था पर शिक्षकों ने अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखा

    उच्च प्राथमिक स्कूलों में विषय देखे बगैर किए स्थानांतरण, बेसिक शिक्षा में फेल हुई ऑनलाइन स्थानांतरण व्यवस्था पर शिक्षकों ने अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखा कहा, मानकों का पालन नहीं किया गया

    13 जुलाई 2025
    प्रयागराज ।  बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और कंपोजिट विद्यालयों में अंतःजनपदीय स्थानान्तरण और समायोजन को लेकर आपत्ति होने लगी है। खास तौर से उच्च प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों का विषय देखे बगैर तबादला कर दिया गया है। इस पर शिक्षकों ने अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार को पत्र लिखकर आपत्ति जताई है।

    आरटीई 2009 के मानकों के अनुसार प्राथमिक स्तर पर 0-60 छात्र संख्या पर कम से कम दो स्थायी शिक्षक होना अनिवार्य है तथा उच्च प्राथमिक स्तर पर 100 छात्र संख्या तक विषयवार कम से कम तीन शिक्षक होने चाहिए। इनमें एक शिक्षक गणित एवं विज्ञान, एक शिक्षक भाषा और एक शिक्षक सामाजिक विषय का होना अनिवार्य है। 

     तबादले में मानकों का पालन नहीं किया गया। 100 छात्रसंख्या तक वाले स्कूलों को एकल (केवल एक शिक्षक की तैनाती) कर दिया गया। उच्च प्राथमिक स्तर पर न तो विषयवार रिक्तियां और न ही विषयवार सरप्लस शिक्षकों की सूची प्रदर्शित की गई। उच्च प्राथमिक स्तर पर कई विद्यालय गणित/विज्ञान, सामाजिक विषय और भाषा शिक्षक विहिन हो गए।






    प्राइमरी के प्रधानाध्यापकों के जूनियर में तबादले पर मची रार, पदोन्नति की लड़ाई लड़ रहे शिक्षक विभाग के इस आदेश के खिलाफ उतरे

    7 जुलाई 2025
    प्रयागराज । बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों का स्थानांतरण उच्च प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक के पद पर करने को लेकर रार मची है। पदोन्नति में शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की अनिवार्यता को लेकर लड़ाई लड़ रहे शिक्षकों का कहना है कि बेसिक शिक्षा परिषद के अधिकारियों ने विभागीय नियमों व हाईकोर्ट के आदेशों की अनदेखी कर मनमाने तरीके से ट्रांसफर किया है।


    हाईकोर्ट ने अपने कई आदेशों में निर्देश दिए हैं कि प्राथमिक विद्यालय से उच्च प्राथमिक विद्यालय में शिक्षकों की पदोन्नति या स्थानांतरण करते समय राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की 23 अगस्त 2010, 29 जुलाई 2011 व 12 नवम्बर 2014 की अधिसूचनाओं को ध्यान में रखा जाए। 


    अधिसूचनाओं के अनुसार प्राथमिक से उच्च प्राथमिक विद्यालय में पदोन्नति या स्थानांतरण के लिए बीएड व बीटीसी के साथ कक्षा छह से आठ स्तर का टीईटी पास होना अनिवार्य है। जबकि शिक्षकों के स्थानांतरण के लिए 23 मई 2025 को जारी शासनादेश में भी एनसीटीई के प्रावधानों का पालन करने का जिक्र तो था लेकिन 30 जून को जारी स्थानांतरण सूची में अधिसूचना की पूरी तरह अनदेखी की गई है।


    हजारों शिक्षकों का हुआ नियम विरुद्ध तबादला

    शिकायतकर्ता बलिया के ललित मोहन सिंह के अनुसार 30 जून को जारी सूची में प्रदेशभर के हजारों शिक्षकों का नियम विरुद्ध तबादला हुआ है। प्रयागराज में ही प्राथमिक विद्यालय भटकर बहादुरपुर ब्लॉक के प्रधानाध्यापक जय प्रकाश पांडेय का तबादला कंपोजिट स्कूल जलालपुर सैदाबाद हुआ है। इसी प्रकार बहादुरपुर के ही प्राथमिक विद्यालय छतनाग के प्रधानाध्यापक शौकल हुसैन का स्थानांतरण कंपोजिट विद्यालय तेंदुई बहादुरपुर में हुआ है।


    मद्रास हाईकोर्ट रद्द कर चुका है प्रमोशन

    ऐसे ही एक मामले में तमिलनाडु सरकार की ओर से बिना टीईटी पास शिक्षकों को उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पदोन्नत किए जाने की प्रक्रिया को मद्रास उच्च न्यायालय रद्द कर चुका है। कोर्ट ने कहा है कि कक्षा छह से आठ के लिए उच्च प्राथमिक स्तर का टीईटी उत्तीर्ण होना अनिवार्य है। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक नहीं लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा है।

    पुरानी पेंशन बहाली के लिए होगा देशव्यापी आंदोलन, एक अगस्त को देशभर में रोष मार्च पांच सितंबर को सामूहिक उपवास, 25 नवंबर को दिल्ली में रैली

    पुरानी पेंशन बहाली के लिए होगा देशव्यापी आंदोलन, एक अगस्त को देशभर में रोष मार्च पांच सितंबर को सामूहिक उपवास, 25 नवंबर को दिल्ली में रैली

    NMOPS की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने की घोषणा


    लखनऊ। नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) ने पुरानी पेंशन बहाली के लिए फिर व्यापक आंदोलन की घोषणा की है। संगठन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की रविवार को हुई ऑनलाइन बैठक में पुरानी पेंशन बहाली आंदोलन पर चर्चा की गई। इसके बाद आंदोलन का विस्तृत प्रस्ताव पास किया गया।


    संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने कहा कि सरकार लगातार सरकारी संस्थाओं का निजीकरण कर रही है। सरकारी स्कूलों को बंद किया जा रहा है। इससे शिक्षक-कर्मचारियों में निराशा है। इसे देखते हुए शिक्षकों कर्मचारियों ने व्यापक आंदोलन की घोषणा की है। इस क्रम में एक अगस्त को पूरे देश में सभी जिला मुख्यालयों पर पुरानी पेंशन बहाली के लिए रोष मार्च निकाला जाएगा। इसके बाद 5 सितंबर शिक्षक दिवस पर सभी शिक्षक व कर्मचारी सामूहिक उपवास करेंगे।

    उन्होंने बताया कि 1 अक्तूबर को सोशल मीडिया एक्स पर अभियान चलाया जाएगा। इसके बाद 25 नवंबर को दिल्ली में रैली होगी। राष्ट्रीय महासचिव स्थित प्रज्ञा ने सरकार से निजीकरण समाप्त करने की मांग की। राष्ट्रीय सचिव डॉ. नीरज त्रिपाठी ने कहा कि सरकार स्कूलों का मर्जर कर बच्चों को शिक्षा से वंचित कर रही है। संगठन इसका हर स्तर पर विरोध करेगा। बैठक में राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. राजेश कुमार, शांताराम तेजा, वरुण पांडेय, अमरीक सिंह, प्रेमसागर, परमानंद डहरिया शामिल हुए। 

    Sunday, July 13, 2025

    अन्य राज्यों से सीखेंगे उत्कृष्ट विधाएं, स्कूलों का चेहराबदलने के नाम पर विभिन्न राज्यों में शैक्षणिक भ्रमण पर जाएंगे 200 शिक्षाधिकारी

    अन्य राज्यों से सीखेंगे उत्कृष्ट विधाएं, स्कूलों का चेहरा
    बदलने के नाम पर विभिन्न राज्यों में शैक्षणिक भ्रमण पर जाएंगे 200 शिक्षाधिकारी

    गुणवत्तापरक शिक्षा के लिए माध्यमिक शिक्षा विभाग की पहल

    लखनऊः प्रदेश के सरकारी माध्यमिक विद्यालयों की तस्वीर बदलने के लिए राज्य सरकार ने एक अनोखी पहल की है। इसके तहत प्रदेश के 200 शिक्षा अधिकारियों की टीम देश के अलग-अलग राज्यों में जाकर वहां के सरकारी स्कूलों में अपनाई गई उत्कृष्ट विधाओं (बेस्ट प्रैक्टिसेज) का अध्ययन करेगी। इस शैक्षणिक भ्रमण का मकसद उन नवाचारों को समझना और उन्हें यूपी के स्कूलों में लागू करना है, जिससे शिक्षा अधिक व्यावसायिक, रोजगारपरक, आधुनिक और छात्र-केंद्रित बन सके।


    समग्र शिक्षा अभियान के तहत शुरू हो रही इस योजना में जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआइओएस) से लेकर शिक्षा निदेशक स्तर तक के अधिकारी शामिल होंगे। जुलाई से शुरू हो रहे इस दौरे में राज्यों में अधिकारियों की टीम बनाकर भेजी जाएंगी। वहां वे कक्षा नौ से 12 तक की शिक्षा व्यवस्था, नवाचारों, पाठ्यचर्या, शिक्षण पद्धति और बुनियादी ढांचे का बारीकी से अध्ययन करेंगे। अध्ययन के बाद अधिकारियों को रिपोर्ट तैयार कर प्रदेश सरकार को सौंपनी होगी, जिसके आधार पर उन उत्कृष्ट शैक्षिक विधाओं को यूपी के स्कूलों में लागू किया जाएगा।


    विभागीय अधिकारियों के अनुसार, देश के कई राज्यों में पहले ही माध्यमिक शिक्षा को नई दिशा देने वाले प्रयोग किए जा चुके हैं। उदाहरण के लिए, दिल्ली के स्कूलों में हैप्पीनेस करिकुलम चलाया जा रहा है, जिसमें ध्यान, योग और जीवन कौशल आधारित शिक्षण शामिल है। केरल में डिजिटल क्लासरूम और मुफ्त वाई फाई जैसी सुविधाएं हैं और शिक्षकों को नियमित प्रशिक्षण दिया जाता है। 


    हरियाणा में बेटियों की शिक्षा को प्राथमिकता दी जाती है, तो तमिलनाडु में तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा को मजबूती दी गई है। महाराष्ट्र ने डिजिटल लर्निंग और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को स्कूल शिक्षा में शामिल किया है। वहीं राजस्थान ग्रामीण क्षेत्रों में छात्राओं की गुणवत्तापरक शिक्षा पर जोर दे रहा है। पंजाब की स्मार्ट स्कूल नीति और डिजिटल संसाधनों की उपलब्धता भी देशभर में सराही जा रही है। 


    उत्तर प्रदेश के लिए यह पहल बेहद अहम साबित हो सकती है। यदि अन्य राज्यों में शिक्षा व्यवस्था का अध्ययन और प्रदेश में उसका क्रियान्वयन सही तरीके से हुआ, तो यह योजना प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में उल्लेखनीय बदलाव ला सकती है।

    बीच में छोड़ और शुरू कर सकेंगे उच्च शिक्षा, UGC ने सिफारिश के अमल को लेकर तैयार किए गए दिशा-निर्देशों का जारी किया है मसौदा

    बीच में छोड़ और शुरू कर सकेंगे उच्च शिक्षा, UGC ने सिफारिश के अमल को लेकर तैयार किए गए दिशा-निर्देशों का जारी किया है मसौदा

    किसी भी कोर्स में न्यूनतम एक वर्ष की पढ़ाई करना होगा अनिवार्य, फिर मिलेगा प्रमाणपत्र


    नई दिल्ली: उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले छात्र अब अपनी पढ़ाई को बीच में कभी भी छोड़ और शुरू कर सकेंगे। हालांकि, इसके लिए उन्हें कम से कम एक वर्ष की पढ़ाई पूरी करनी होगी। इस दौरान उन्हें स्नातक पाठ्यक्रमों में एक वर्ष की पढ़ाई पर सर्टिफिकेट दिया जाएगा जबकि दो वर्ष की पढ़ाई पर डिप्लोमा, तीन वर्ष की पढ़ाई पूरा करने पर डिग्री और चार वर्ष की पढ़ाई पूरा करने पर आनर्स की डिग्री मिलेगी। इतना ही नहीं, छात्र अपनी बीच में छोड़ी गई पढ़ाई को आजीवन कभी भी पूरा कर सकेंगे। पूर्व में की गई उनकी पढ़ाई के क्रेडिट अंक उनके एकेडमिक बैंक आफ क्रेडिट (एबीसी) में जमा रहेंगे।


    विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में उच्च शिक्षा को लचीला बनाने को लेकर की गई इस अहम सिफारिश के अमल को लेकर तैयार किए गए दिशा-निर्देशों का मसौदा जारी किया है। इसके साथ ही उच्च शिक्षण संस्थानों से 30 जुलाई तक सुझाव देने को कहा है। यूजीसी ने इस दौरान सभी उच्च शिक्षण संस्थानों से स्नातक और परास्नातक पाठ्यक्रमों का एक समान क्रेडिट फ्रेमवर्क तैयार करने कहा है, ताकि किसी संस्थान से पढ़ाई करके निकले छात्र को दूसरे संस्थान में दाखिला लेने में किसी तरह की दिक्कत न पैदा हो। 


    यही नहीं, आयोग ने एक समान क्रेडिट फ्रेमवर्क और लर्निंग आउटकम के आधार पर उच्च शिक्षण संस्थानों का एक कलस्टर भी तैयार करने का सुझाव दिया है, ताकि बीच में पढ़ाई छोड़ने के बाद छात्रों को उन संस्थानों में आसानी से दाखिला मिल सके। यह व्यवस्था आनलाइन डिग्री कोर्सों पर लागू नहीं होगी।


    गौरतलब है कि एनईपी में उच्च शिक्षा को लचीला बनाने से जुड़ी इस अहम सिफारिश के अमल के लिए यूजीसी ने यह तेजी ऐसे समय दिखाई है, जब एनईपी के अमल को पांच साल पूरा होने जा रहा है। देश में एनईपी को 29 जुलाई 2020 को लागू किया गया है।


    विश्वविद्यालयों में क्रेडिट वैधता की समय सीमा अलग-अलग

    यूजीसी ने पढ़ाई को कभी भी छोड़ने और शुरू करने के अमल को लेकर जारी मसौदे में साफ कहा है कि छोड़ी गई पढ़ाई को छात्र आजीवन कभी भी शुरू कर सकते है। बशर्ते उनके क्रेडिट की वैधता बरकरार हो। सभी विश्वविद्यालयों ने क्रेडिट की वैधता की अलग-अलग समय सीमा तय कर रखी है। वैसे औसतन यह पांच से दस वर्ष की है। बावजूद इसके यूजीसी ने कहा है कि कोई छात्र अपनी छूटी पढ़ाई को पूरा करना चाहता है तो वह क्रेडिट वैधता खत्म होने के बाद भी अपनी पूर्व पढ़ाई की मान्यता के लिए आवेदन कर सकता है। उनके खत्म हो चुके क्रेडिट का फिर से मूल्यांकन होगा।