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Tuesday, August 22, 2119

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    Friday, June 2, 2023

    कई चयनित शैक्षणिक संस्थानों ने इस साल इंटीग्रेटेड B.Ed कोर्स शुरू करने में जताई असमर्थता, लगभग दर्जन भर संस्थाओं ने NCTE से मांगा और वक्त

    कई चयनित शैक्षणिक संस्थानों ने इस साल इंटीग्रेटेड B.Ed कोर्स शुरू करने में जताई असमर्थता, लगभग दर्जन भर संस्थाओं ने NCTE से मांगा और वक्त


    एनसीटीई ने फिलहाल नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत प्रस्तावित इंटीग्रेटेड टीचर एजुकेशन प्रोग्राम (आइटीईपी) के तहत चार वर्षीय बीए-बीएड बीएससी-बीएड और बीकाम-बीएड कोर्स शुरू करने का प्रस्ताव किया है। इस दौरान पहले चरण के लिए 57 शैक्षणिक संस्थानों का चयन किया गया है।


    नई दिल्ली। चार वर्षीय इंटीग्रेटेड बीएड कोर्स फिलहाल इसी शैक्षणिक सत्र से शुरू हो जाएगा। यह बात अलग है कि देश भर के जितने शैक्षणिक संस्थानों को इसके शुरुआती चरण के लिए चयनित किया गया था, उनमें से दर्जनभर से ज्यादा शैक्षणिक संस्थानों ने इस साल से इसे शुरू कर पाने में अब असमर्थता जताई है। इन संस्थानों ने राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) से इससे जुड़ी तैयारियों के लिए और समय मांगा है। साथ ही इसे अब अगले शैक्षणिक सत्र से शुरू करने के लिए कहा है।


    चार वर्षीय कोर्स शुरू करने का प्रस्ताव
    एनसीटीई ने फिलहाल नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत प्रस्तावित इंटीग्रेटेड टीचर एजुकेशन प्रोग्राम (आइटीईपी) के तहत चार वर्षीय बीए-बीएड, बीएससी-बीएड और बीकाम-बीएड कोर्स शुरू करने का प्रस्ताव किया है। इस दौरान पहले चरण के लिए 57 शैक्षणिक संस्थानों का चयन किया गया है। इनमें आइआइटी, एनआइटी सहित देशभर के शीर्ष सरकारी शैक्षणिक संस्थान शामिल है।


    57 शैक्षणिक संस्थान हुए चयनित
    वैसे तो इसके लिए देश के करीब एक हजार संस्थानों ने आवेदन किए थे, लेकिन एनसीटीई ने शैक्षणिक सत्र 2023-24 के लिए सिर्फ 57 शैक्षणिक संस्थानों को ही चयनित किया। सूत्रों के मुताबिक एनसीटीई ने इन कोर्सों को शुरू करने के लिए जो मानक तय किए है, उसकी तैयारी फिलहाल शैक्षणिक संस्थानों के लिए मुश्किल है। खासकर ऐसे संस्थान जहां पहले से शिक्षकों से जुड़े कोर्स संचालित नहीं हो रहे थे। ऐसे में उनके लिए आनन-फानन में पढ़ाने वाले शिक्षकों आदि की नियुक्ति कर पाना मुश्किल है।


    जल्द तैयार होगा नया पाठ्यक्रम
    इस बीच एनसीटीई ने इस कोर्स को शुरू करने को लेकर अपनी तैयारी तेज कर दी है। हाल ही में चयनित संस्थानों को लिखे एक पत्र में एनसीटीई ने साफ किया है कि मई अंत तक इसका नया पाठ्यक्रम तैयार हो जाएगा। जो तैयार होते ही तुरंत सभी संस्थानों के साथ साझा किया जाएगा। इसके साथ ही इनमें दाखिले के लिए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को लिखा जा चुका है। जो सीयूईटी के खत्म होने के बाद इसके लिए रजिस्ट्रेशन शुरू करेगा।


    कंप्यूटर आधारित होगी परीक्षा
    इन कोर्स में दाखिले से जुड़ी परीक्षा कंप्यूटर आधारित होगी। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत वर्ष 2030 से स्कूलों में चार वर्षीय बीएड कोर्स करने वाले शिक्षकों की ही नियुक्ति होगी। गुणवत्तापूर्ण शिक्षकों को तैयार करने से जुड़ी अहम पहल के चलते इन कोर्सों को शुरू करने अनुमति सिर्फ सरकारी संस्थानों को ही दी जा रही है।

    एमबीबीएस फाइनल की एक परीक्षा 'नेक्स्ट' इसी वर्ष से देशभर में होगी लागू

    एमबीबीएस फाइनल की एक परीक्षा 'नेक्स्ट' इसी वर्ष से देशभर में होगी लागू


     मेडिकल कालेजों को एनएमसी की एकेडमिक सेल ने लिखा पत्र

    परीक्षा की तिथि तय किए जाने के लिए मांगी गई एमबीबीएस अंतिम वर्ष के बैच की स्थिति


    चिकित्सा शिक्षा में एकरूपता लाने और उसे गुणवत्तापरक बनाने के लिए नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने बड़ा निर्णय लिया है। अब देश भर में एमबीबीएस अंतिम वर्ष (फाइनल) की एक ही परीक्षा होगी। नई व्यवस्था इसी वर्ष दिसंबर से लागू होगी। एनएमसी की एकेडमिक सेल ने 26 मई को पत्र लिखकर देशभर के मेडिकल कालेजों, चिकित्सा विश्वविद्यालयों से एमबीबीएस अंतिम वर्ष की स्थिति की जानकारी मांगी है। जुलाई में होने वाली एनएमसी की बैठक में नेशनल एग्जिट एग्जामिनेशन (नेक्स्ट) यानी राष्ट्रीय निकास परीक्षा की तिथि को अंतिम रूप  देकर अधिसूचना जारी की जाएगी।


    एनएमसी ने सितंबर 2020 में मेडिकल स्नातकों के लिए एक सामान्य निकास परीक्षा का मसौदा राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम 2019 तैयार किया था। संसद से इसे पारित कराने के बाद दिसंबर 2022 में आमजन से आपत्ति और सुझाव मांगे गए थे। सुझावों पर मंथन के बाद अब इसे लागू करने का निर्णय लिया गया है।


    दिसंबर में नेक्स्ट कराया जाएगा, जो दो चरणों में होगा। नेक्स्ट-वन में थ्योरी और नेक्स्ट-टू में क्लीनिकल प्रैक्टिकल और मौखिक परीक्षा होगी। दोनों परीक्षाओं के अंकों के आधार पर ही मेरिट तैयार की जाएगी।


    नेक्स्ट की मेरिट के आधार पर पीजी में प्रवेश नेक्स्ट उत्तीर्ण करने वाले छात्र-छात्राओं की मेरिट तैयार होगी।  उसके आधार पर ही उन्हें देश भर के मेडिकल कालेजों, चिकित्सा विश्वविद्यालय और संस्थानों में पोस्ट ग्रेजुएट (पीजी) यानी एमडी / एमएस में प्रवेश दिया जाएगा। इसकी मेरिट लिस्ट के आधार पर पीजी के विभागों में उन्हें सीटों का आवंटन किया जाएगा।


    नेक्स्ट उतीर्ण करने पर ही एनएमसी पंजीकरण, विदेश से एमबीबीएस वालों के लिए भी जरूरी: नेक्स्ट में विद्यार्थी निर्धारित अंकों के साथ उत्तीर्ण होंगे, तभी उनका एनएमसी में पंजीकरण हो पाएगा। वहीं, विदेश से एमबीबीएस या मेडिकल की पढ़ाई करने वाले अगर देश में निजी प्रैक्टिस के लिए पंजीकरण कराना चाहते हैं तो उन्हें भी नेक्स्ट देना जरूरी होगा।


    नेक्स्ट के लिए एकेडमिक सेल से पत्र आया है, जिसमें एमबीबीएस अंतिम वर्ष के कोर्स की स्थिति की जानकारी मांगी गई है। एनएमसी की जुलाई में होने वाली बैठक में परीक्षा की तिथि तय होगी। डा. मनीष सिंह, नोडल अफसर, एनएमसी, जीएसवीएम मेडिकल कालेज

    72825 भर्ती शिक्षकों के प्रशिक्षण मानदेय के मामले को एक-दूसरे पर टरका रहे जिम्मेदार

    72825 भर्ती शिक्षकों के प्रशिक्षण मानदेय के मामले को एक-दूसरे पर टरका रहे जिम्मेदार 


    लखनऊ। परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों ने आरोप लगाया है कि छोटी-छोटी समस्याओं के लिए अधिकारी भटकाते रहते हैं। 72 हजार शिक्षक भर्ती में नियुक्त हुए शिक्षकों का कहना है कि उनकी ट्रेनिंग छह माह से बढ़ाकर दस माह कर दी गई थी। शासन ने छह माह का मानदेय तो दे दिया, लेकिन चार माह के मानदेय के लिए उन्हें दौड़ाया जा रहा है।


     इन शिक्षकों का कहना है कि अधिकारी मामले का निस्तारण करने के बजाय इसे एक-दूसरे पर डाल रहे हैं। इन शिक्षकों ने बताया कि जनसुनवाई पोर्टल पर कई बार समस्या दर्ज कराई गई, लेकिन अब तक समस्या का समाधान नहीं हुआ। 



    वहीं, बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव प्रताप सिंह बघेल का कहना है कि ट्रेनिंग के समय का मानदेय देने की व्यवस्था एससीईआरटी की है। ऐसे में यह प्रकरण एससीईआरटी को भेजा गया है। बेसिक शिक्षा परिषद में शिक्षक के रूप में नियुक्ति के बाद के मामले आते हैं। 

    यूपी में बगैर मान्यता के नहीं चल सकेंगे अब माध्यमिक स्कूल

    यूपी में बगैर मान्यता के नहीं चल सकेंगे अब माध्यमिक स्कूल


    प्रयागराज : प्रदेश में अब बगैर मान्यता के माध्यमिक स्कूल संचालित नहीं हो सकेंगे। बोर्ड ने सभी जिलों के डीआईओएस को सूची तैयार करने का निर्देश दिया है। साथ ही सूची बोर्ड को भेजने के लिए कहा है।


    यूपी बोर्ड के सचिव दिब्यकांत शुक्ल ने जिलों को निर्देश भेजकर बिना मान्यता के संचालित हो रहे स्कूलों की सूची तैयार करने का निर्देश दिया था। जिससे ऐसे स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके, लेकिन बड़ी समस्या स्कूलों में गर्मियों की छुट्टी पड़ जाने से हो गई है। 


    डीआईओएस के अनुसार स्कूलों में अवकाश होने के कारण ऐसे स्कूलों को चिह्नित करना मुश्किल हो गया है। स्कूल बंद होने से उनकी मान्यता से संबंधित कागजात की जांच नहीं हो पा रही है। माध्यमिक शिक्षा परिषद को ऐसे स्कूलों की सूची बनाकर भेजना फिलहाल संभव नहीं हो पा रहा है। इस बारे में बोर्ड अधिकारियों को भी सूचना भेजी जा रही है। जुलाई में स्कूल खुलने के बाद ही ऐसे स्कूलों का सत्यापन हो सकेगा।

    जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ ने प्रतिकर अवकाश समाप्त किए जाने के प्रस्ताव पर उठाए सवाल, लिखा शासन को पत्र

    जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ ने प्रतिकर अवकाश समाप्त किए जाने के प्रस्ताव पर उठाए सवाल, लिखा शासन को पत्र 


    DGSE द्वारा दिए गए ज्ञापनों, अनुस्मारको पर समय सीमा के अंदर कोई कार्यवाही न करने तथा संगठन को अनौपचारिक रूप से अवगत न करने के कारण RSM आगबबूला, की चरणबद्ध आंदोलन की घोषणा

    DGSE द्वारा दिए गए ज्ञापनों, अनुस्मारको पर समय सीमा के अंदर कोई कार्यवाही न करने तथा संगठन को अनौपचारिक रूप से अवगत न करने के कारण RSM आगबबूला, की चरणबद्ध आंदोलन की घोषणा।






    राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश ( प्राथमिक संवर्ग ) द्वारा किए जाने वाले आंदोलन की उद्घोषणा के संबंध में



    RSM उत्तर प्रदेश ( प्राथमिक संवर्ग) द्वारा समय-समय पर दिए गए ज्ञापनों /अनुस्मारकों के निराकरण हेतु अनुरोध

    NCERT ने कक्षा 10 की किताबों से हटा दिया पीरियोडिक टेबल और जानिए क्या दिया तर्क?

    NCERT  ने कक्षा 10 की किताबों से हटा दिया पीरियोडिक टेबल और जानिए क्या दिया तर्क?


    NCERT Periodic Table News : एनसीईआरटी ने कक्षा 10 की किताबों से पीरियोडिक टेबल और डेमोक्रेसी से जुड़े चैप्टर हटा दिया है। परिषद ने इसके पीछे छात्रों पर से बोझ हटाने का तर्क दिया है।


    • NCERT की कक्षा 10 की किताब से पीरियोडिक टेबल हटाया गया
    • नई किताबों में डेमोक्रेसी वाला चैप्टर को भी डिलीट किया गया
    • NCERT ने इसे हटाने के पीछे छात्रों पर पड़ने वाले बोझ का हवाला दिया है


    नई दिल्ली: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान परिषद (NCERT) के 10वीं कक्षा से पीरियोडिक टेबल (Periodic Table) हटाने के फैसले पर बवाल मचा हुआ है। NCERT ने टेक्स्टबुक से पूरा चैप्टर ही हटा दिया है। इसे हटाने के पीछे परिषद ने छात्रों पर से बोझ हटाने का तर्क दिया है। गौरतलब है कि इसी साल परिषद ने विज्ञान की किताब से थियरी ऑफ इवोल्यूशन हटा दिया था। इस मसले पर काफी बवाल भी मचा था।


    गौरतलब है कि इस साल के शुरू में NCERT ने थियरी ऑफ इवोल्यूशन चैप्टर को कक्षा 10 से हटा दिया था। अभी NCERT की जारी नए किताबों से कुछ चैप्टर को हटाने की जानकारी मिली। इसमें पीरियोडिक टेबल वाला चैप्टर भी है। विज्ञान की किताब से इन्वॉयरमेंटल सस्टेनबलिटी और सोर्स ऑफ एनर्जी। इसके अलावा डेमोक्रेसी पर शामिल चैप्टर को भी कक्षा 10 की पुस्तकों से हटा दिया गया है।


    NCERT ने इन चैप्टर को हटाने को जरूरी बताते हुए कहा इससे छात्रों पर बोझ नहीं पड़ेगा। परिषद ने कहा कि डिफकल्टी लेवल, एक ही चीज अलग-अलग चैप्टर में होना और मौजूदा परिस्थिति में अप्रासंगिक विषय वस्तु के कारण भी यह फैसला किया गया है।


    हालांकि छात्र इन चैप्टर को आगे पढ़ सकते हैं लेकिन इसके लिए उन्हें कक्षा 11 और कक्षा 12 में इस विषयों को चुनना होगा। गौरतलब है कि इसी साल NCERT ने विज्ञान की किताब से थियरी ऑफ इवोल्यूशन को हटाने के लेकर लोगों के निशाने पर आया था। करीब 1800 वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों ने इस मुद्दे पर खुला पत्र लिखा था।


    केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री सुभाष सरकार ने कहा कि कोविड के कारण कोर्स को तार्किक बनाया जा रहा है और बच्चों पर से बोझ को कम किया जा रहा है। अगर बच्चे डार्विन का सिद्धांत पढ़ना चाहते हैं तो वो वेबसाइट पर जाकर इसे पढ़ सकते हैं। कक्षा 12 में पहले से ही डार्विन का सिद्धांत किताब में है। इसलिए ऐसे झूठे प्रोपेगैंडा नहीं फैलाया जाना चाहिए।



    10वीं से पीरियोडिक टेबल व लोकतंत्र पर अध्याय हटाया

    एनसीईआरटी का फैसला –विद्यार्थियों पर पढ़ाई का बोझ कम करने के लिए किया बदलाव


    नई दिल्ली। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने कक्षा 10 की नई किताबों से पीरियोडिक टेबल (आवर्त सारिणी) पर पूरा अध्याय, लोकतंत्र और विविधता पर पूरा अध्याय, लोकतंत्र की चुनौतियों पर पूरा अध्याय और राजनीतिक दलों पर पूरा पेज हटा दिया है। एनसीईआरटी का कहना है कि कोविड- 19 महामारी को देखते हुए छात्रों पर पढ़ाई का बोझ कम करने के लिए फैसला किया गया है। |


    विज्ञान की किताब से हटाए गए विषयों में पर्यावरणीय स्थिरता और ऊर्जा के स्रोत का अध्याय भी है। एनसीईआरटी ने इन अध्यायों को हटाने को जरूरी बताते हुए कहा, इससे छात्रों पर बोझ नहीं पड़ेगा। हालांकि, छात्र इन अध्यायों को आगे पढ़ सकते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें कक्षा 11 और कक्षा 12 में इन विषयों को चुनना होगा। इससे पहले, एनसीईआरटी ने 12वीं में श्री आनंदपुर साहिब प्रस्ताव को कथित तौर पर खालिस्तान की मांग से जोड़ने वाले अंश को हटा दिया था। 


    Thursday, June 1, 2023

    नाम बदलने के मामले में सुप्रीम कोर्ट जाएगा यूपी बोर्ड, तीन साल बाद नाम और जन्मतिथि बदलने का नहीं है बोर्ड एक्ट में कोई प्रावधान

    नाम बदलने के मामले में सुप्रीम कोर्ट जाएगा यूपी बोर्ड,  तीन साल बाद नाम और जन्मतिथि बदलने का नहीं है बोर्ड एक्ट में कोई प्रावधान

    2023 परीक्षा परिणाम में दो फीसदी ही संशोधन के मामले आए सामने

    🆕 Update 
    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट की तरफ से एक व्यक्ति का नाम बदलकर हाईस्कूल और इंटरमीडिएट का नया सर्टिफिकेट जारी करने के आदेश के खिलाफ यूपी बोर्ड सुप्रीम कोर्ट जाएगा। इसके लिए बोर्ड के अधिकारी अधिवक्ताओं से कानूनी सलाह ले रहे हैं। बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि बोर्ड के एक्ट में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। ऐसे में बोर्ड आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करेगा।

    यूपी बोर्ड के एक्ट में दर्ज प्रावधान के मुताबिक बोर्ड परीक्षा का परिणाम जारी होने के तीन साल के अंदर किसी भी परीक्षार्थी का नाम और जन्मतिथि परिवर्तित की जा सकती है।

    इसके लिए जरूरी है कि परीक्षार्थी सही और आवश्यक कागजात के साथ बोर्ड में नाम या जन्मतिथि बदलने के लिए आवेदन करें। बोर्ड दस्तावेजों की जांच करने के बाद परिवर्तन करता है। इसके लिए पिछली कक्षा की टीसी समेत कागजात आवेदन के साथ जमा करने पड़ते हैं।

    हाईकोर्ट के आदेश को लेकर बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि बोर्ड के एक्ट में इस प्रकार का कोई प्रावधान नहीं है। ऐसे में बोर्ड हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगा। एक्ट इसलिए बनाया गया है कि कोई भी इसका दुरुपयोग नहीं कर सके।





    नाम चुनना नागरिक का मूल अधिकार, बदलाव की अनुमति न देना मनमानी, हाईकोर्ट ने माध्यमिक शिक्षा परिषद के आदेश को रद्द करते हुए परिवर्तित नाम से प्रमाण पत्र जारी करने का आदेश दिया

    प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि धर्म या जाति के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को अपना नाम चुनने या बदलने का मौलिक अधिकार है। यह अधिकार संविधान के अनुच्छेद 19(1) ए, अनुच्छेद 21 व अनुच्छेद 14 के अंतर्गत सभी नागरिकों को प्राप्त है। इसे प्रतिबंधित करने का नियम मनमाना और संविधान के विपरीत है।


     कोर्ट ने माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव के आदेश को रद्द करते हुए. परिवर्तित नाम से हाई स्कूल व इंटर के प्रमाण पत्र जारी करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने भारत सरकार के गृह सूचिव व प्रदेश के मुख्य सचिव को भी लीगल फ्रेम वर्क तैयार करने का आदेश दिया है। 


    न्यायमूर्ति अजय भनोट ने एमडी समीर राव की याचिका को स्वीकार करते हुए इंटरमीडिएट रेग्यूलेशन 40 को अनुच्छेद-25 के विपरीत करार दिया है। यह नाम बदलने की समय सीमा व शर्तें थोपती है। कोर्ट ने सचिव माध्यमिक शिक्षा परिषद के 24 दिसंबर 2020 को जारी आदेश को रद्द कर दिया है। 

    गणित और जंतु विज्ञान में पहली बार शोध का मौका, मुविवि में पीएचडी के लिए करें आवेदन, ऑनलाइन आवेदन व शुल्क जमा करने की तिथि 25 जून

    गणित और जंतु विज्ञान में पहली बार शोध का मौका

     
    ● मुविवि में पीएचडी के लिए करें आवेदन

    ● ऑनलाइन आवेदन व शुल्क जमा करने की तिथि 25 जून

    प्रयागराज : उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के सत्र 2023-24 के लिए रेगुलर मोड में पीएचडी प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन गुरुवार से शुरू हो रहा है। विश्वविद्यालय पहली बार गणित एवं जंतु विज्ञान में पीएचडी शुरू कर रहा है। पीएचडी प्रवेश परीक्षा से संबंधित सभी जानकारी विश्वविद्यालय की वेबसाइट ६६६. ४स्र्र१३४. ूं. ल्ल पर उपलब्ध है। पीएचडी प्रवेश समिति के समन्वयक प्रो. पीके पांडेय ने बताया कि ऑनलाइन आवेदन एवं शुल्क जमा करने की अंतिम तिथि 25 जून है तथा विलंब शुल्क सहित आवेदन तीन जुलाई तक स्वीकार किए जाएंगे।


    ऑनलाइन आवेदन में त्रुटि सुधार के लिए चार से नौ जुलाई तक का समय दिया जाएगा। परीक्षा के लिए प्रवेश पत्र 18 जुलाई तक जारी कर दिए जाएंगे। प्रवेश परीक्षा की तिथि 25 जुलाई प्रस्तावित है। विश्वविद्यालय ने 15 विषयों में उपलब्ध 59 सीटों पर प्रवेश के लिए प्रक्रिया प्रारंभ की है। मीडिया प्रभारी डॉ. प्रभात चंद्र मिश्र ने बताया कि कुलपति प्रो. सीमा सिंह ने पीएचडी प्रवेश परीक्षा के लिए प्रो. पीके पांडेय को समन्वयक, प्रो. जेपी यादव को सह समन्वयक, डॉ. दिनेश सिंह एवं डॉ. सतीश चन्द्र जैसल को सदस्य तथा डीपी सिंह, परीक्षा नियंत्रक को सदस्य सचिव नामित करते हुए समिति गठित की है।

    इन विषयों में प्रवेश के लिए करें आवेदन

    विश्वविद्यालय ने कंप्यूटर साइंस, न्यूट्रिशन फूड एंड डायटेटिक्स, पत्रकारिता एवं जनसंचार, मध्ययुगीन एवं आधुनिक इतिहास, राजनीति विज्ञान, वाणिज्य, व्यवसाय प्रशासन एवं व्यवसाय प्रबंधन, शिक्षा शास्त्रत्त्, संस्कृत एवं प्राकृत भाषा, सांख्यिकी, हिंदी और आधुनिक भारतीय भाषाएं, भूगोल, प्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्व, गणित एवं जंतु विज्ञान विषयों में पीएचडी के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। प्रत्येक विषय में सीट का विवरण वेबसाइट पर देखा जा सकता है।

    छात्रवृत्ति घोटाले में लिप्त पाए गए 58 शिक्षण संस्थान हुए ब्लैक लिस्ट

    छात्रवृत्ति घोटाले में लिप्त पाए गए 58 शिक्षण संस्थान हुए ब्लैक लिस्ट 


    लखनऊ : मथुरा जिले में छात्रवृत्ति घोटाले में लिप्त पाए गए 58 शिक्षण संस्थानों को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है। साथ ही इन सभी संस्थानों से हड़पी गई छात्रवृत्ति और फीस भरपाई की राशि की वसूली भी की जाएगी।


    यह जानकारी समाज कल्याण राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार असीम अरुण ने दी है। उन्होंने कहा है कि ज़ीरो टॉलरन्स नीति पर सरकार कार्य कर रही है। घोटाले के आरोपी संस्थान और विभागीय अधिकारियों के ़िखला़फ सख़्त ़कानूनी कार्रवाई की जाएगी। जाँच टीम द्वारा गहन परीक्षण के बाद मथुरा में मु़कदमा दर्ज कराया गया है।

    घोटाले के दोषी पाए गए इन संस्थानों के प्रबंधन को समाज कल्याण निदेशक की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा सुनवाई का अवसर प्रदान किया गया। शिक्षण संस्थानों ने अपना लिखित उत्तर प्रस्तुत करते हुए विभिन्न सुनवाइयों की तिथि पर उपस्थित होकर अपनी बातें रखीं। दरअसल मथुरा में निजी आईटीआई शिक्षण संस्थानों में छात्र-छात्राओं की छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति घोटाले की शिकायत मिली थी।

    प्राप्त होने पर निदेशालय स्तर से गठित जांच समिति द्वारा स्थलीय एवं आनलाइन डाटा के आधार पर जाँच की गई।

    जांच टीम ने शिक्षण संस्थानों द्वारा छात्रवृत्ति के मास्टर डाटाबेस में भरे गए डाटा को लिया गया एवं नैशनल काउन्सिल फार वोकेशनल ट्रेनिंग, नई दिल्ली में जाकर मास्टर डाटा में दर्ज सभी 195 शिक्षण संस्थानों के मान्यता की प्रतियां प्राप्त की गई और सभी संस्थानों को पाठ्यक्रम के अनुसार स्वीकृत सीटों का भी परीक्षण किया गया।

    निदेशालय की समिति ने डुप्लीकेट छात्रों के साथ-साथ परीक्षा में न बैठने वाले छात्रों व स्वीकृत सीटों से अधिक संख्या में छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति धनराशि को अनियमित, कपटपूर्ण तरीके से धनराशि हड़पने का आंकलन करने के लिए डाटा का परीक्षण किया। जिसमें गम्भीर वित्तीय अनियमितता एवं धनराशि का गबन होना पाया गया। जांच समिति ने डुप्लीकेट छात्रों, परीक्षा में न बैठने वाले छात्रों, स्वीकृत सीट से अधिक संख्या में छात्रों तथा मान्यता विहीन शिक्षण संस्थानों को चिन्हित करते हुए गहन विवेचना / परीक्षण के बाद 22.99 करोड़ रुपये की धनराशि के घोटाले को उजागर किया था।

    छात्रवृत्ति घोटाले में प्रथम दृष्टया दोषी पाये 71 निजी आईटीआई शिक्षण संस्थानों तथा विभाग के उत्तरदायी जिला समाज कल्याण अधिकारियों / कर्मचारियों को निलम्बित कर इनके विरूद्ध जीरो टालरेन्स की नीति के तहत सदर थाना मथुरा में एफआईआर दर्ज कराई गई है। वर्तमान में छात्रवृत्ति घोटाले की जांच आर्थिक अपराध शाखा कानपुर नगर द्वारा की जा रही है।

    मथुरा के ही 13 अन्य शिक्षण संस्थानों ने निदेशालय के कूटरचित अभिलेख तैयार कर उच्च न्यायालय में अनुचित लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से रिट याचिका योजित की गई थी। जांच में यह सभी 13 शिक्षण संस्थान दोषी पाए गए हैं। इसलिए इनके विरूद्ध एफआईआर दर्ज कराई गई है।

    सख्त फैसला : आठ राज्यों के 40 मेडिकल कॉलेजों की मान्यता खत्म, 150 कालेज रडार पर, कई कॉलेज विधायकों-मंत्रियों के

    सख्त फैसला : आठ राज्यों के 40 मेडिकल कॉलेजों की मान्यता खत्म, 150 कालेज रडार पर, कई कॉलेज विधायकों-मंत्रियों के



    नई दिल्ली। खामियां मिलने पर आठ राज्यों के 40 मेडिकल कॉलेजों की मान्यता रद्द की गई है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की सिफारिश पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह सख्त फैसला लिया है। इनमें कई कॉलेज मंत्री व विधायकों के भी हैं। इन कॉलेज प्रबंधकों को लिखे पत्र में कहा गया है कि 2023-24 के लिए एमबीबीएस में प्रवेश पर तत्काल रोक लगाई जाए। 


    स्वास्थ्य मंत्रालय ने जिन मेडिकल कॉलेजों की मान्यता रद्द की है, उनकी सूची को सार्वजनिक नहीं किया है, लेकिन सूत्रों से जानकारी है कि अभी एक और सूची हैं, जिनमें सात राज्यों के 100 मेडिकल कॉलेज शामिल हैं। इनमें निरीक्षण के दौरान खामियां मिली हैं। 


    कई कॉलेजों ने अपने कर्मचारियों की संख्या छिपाने के लिए बायोमीट्रिक हाजिरी सिस्टम भी नहीं लगाया है। अब तक जिन 40 मेडिकल कॉलेजों की मान्यता रद्द भी की जा चुकी है वो सभी गुजरात, असम, पुडुचेरी, तमिलनाडु, पंजाब, आंध्र प्रदेश, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल के हैं। अभी अन्य मेडिकल कॉलेजों की भी जांच की जा रही है, अगर जांच के दौरान ये कॉलेज भी मानक पर खड़े नहीं उतरे तो इनकी मान्यता भी रद्द की जा सकती है। 


    अधिकारियों ने बताया कि जिन कॉलेजों की अभी तक मान्यता रद्द हुई है उनके पास अपील करने का विकल्प है। अपील के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग और स्वास्थ्य मंत्रालय दोनों विकल्प उपलब्ध हैं।


    2014 के बाद से एमबीबीएस सीटों में 94 फीसदी की बढ़ोतरी

    देश में एमबीबीएस की सीटों में 94 फीसदी की वृद्धि हुई है। वर्ष 2014 के पहले की 51,348 सीटों से बढ़कर अब 99,763 हो गई हैं। पीजी सीट में 107 फीसदी की वृद्धि हुई है, जो वर्ष 2014 से पहले की 31,185 सीट से बढ़कर अब 64,559 हो गई है




    40 मेडिकल कॉलेजों की मान्यता खत्म, कुल 150 कॉलेज रडार पर

    जिन कॉलेजों की अभी तक मान्यता रद्द हुई है उनके पास अपील करने का विकल्प है. वो चाहें तो मान्यता रद्द होने से अगले 30 दिनों के भीतर नेशनल मेडिकल कमीशन में पहली अपील कर सकते हैं. जबकि ये कॉलेज दूसरी अपील केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के पास कर सकते हैं.
    नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने देश के  40 मेडिकल कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी है. जबकि ऐसे ही करीब 150 मेडिकल कॉलेजों की अभी भी रडार पर हैं. सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार जिन मेडिकल कॉलेजों की मान्यता रद्द की गई है उनमें जांच के दौरान कई तरह की कमियां पाई गईं थी. नेशनल मेडिकल कमीशन के यूजी बोर्ड को इन मेडिकल कॉलेजों में जांच के दौरान कमी मिली थी. इसके बाद ही इनकी मान्यता रद्द करने का फैसला लिया गया है. 

    इन राज्यों के मेडिकल कॉलेज की रद्द हुई मान्यता

    अब तक जिन 40 मेडिकल कॉलेजों की मान्यता रद्द भी की जा चुकी है वो सभी गुजरात, असम, पुद्दुचेरी, तमिलनाडु, पंजाब, आंध्र प्रदेश, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल के हैं. अभी अन्य मेडिकल कॉलेजों की भी जांच की जा रही है, अगर जांच के दौरान ये कॉलेज भी मानक पर खड़े नहीं उतरे तो इनकी मान्यता भी रद्द की जा सकती है. 


    बॉयोमेट्रिक अटेंडेंस जैसी अन्य खामिया मिली थीं

    नेशनल मेडिकल कमीशन ने इन कॉलेजों में कैमरा, बॉयोमेट्रिक अटेंडेंस, फैकल्टी आदिम जैसी अहम चीजों की कमी पाए जाने पर यह कदम उठाया है. बता दें इन कॉलेजों में बीते महीने भर के दौरान की गई जांच के दौरान ये कमियां पाई गईं हैं. हालांकि, जिन कॉलेजों की अभी तक मान्यता रद्द हुई है उनके पास अपील करने का विकल्प है.


    कॉलेज के पास अपील करने का अधिकार

    वो चाहें तो मान्यता रद्द होने से अगले 30 दिनों के भीतर नेशलन मेडिकल कमीशन में पहली अपील कर सकते हैं. जबकि ये कॉलेज दूसरी अपील केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के पास कर सकते हैं. बता दें कि नेशनल मेडिकल कमीशन और मंत्रालय को कॉलेजों की तरफ से मिले अपील को दो महीने के भीतर ही निपटाना होता है. 


    बेटियों को सरकारी तो बेटों को पढ़ाते हैं अंग्रेजी स्कूल में, अध्ययन में हुआ खुलासा

    बेटियों को सरकारी तो बेटों को पढ़ाते हैं अंग्रेजी स्कूल में, अध्ययन में हुआ खुलासा


    अध्ययन में बेटियों की शिक्षा पर खर्च न करने की सामाजिक कुरीति के बावजूद यह सकारात्मक पहलू भी सामने आया कि तमाम दिक्कतों के बाद भी 10वीं और 12वीं कक्षा में बेटियां उपस्थिति से लेकर पढ़ाई व परिणाम में बेटों से बहुत आगे हैं। 


    विस्तार देश की बेटियों के हर मोर्चे पर परचम लहराने के बावजूद आज भी समाज में दोयम दर्जा बरकरार है। ज्यादातर लोग बेटियों को सरकारी स्कूल में पढ़ाते हैं। वहीं, बेटों के लिए उनकी पसंद अंग्रेजी स्कूल हैं। यह खुलासा केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के सभी 60 बोर्ड के वर्ष 2022 के नतीजों के अध्ययन में हुआ है। इसमें सभी सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों को शामिल किया गया था।



    अध्ययन में बेटियों की शिक्षा पर खर्च न करने की सामाजिक कुरीति के बावजूद यह सकारात्मक पहलू भी सामने आया कि तमाम दिक्कतों के बाद भी 10वीं और 12वीं कक्षा में बेटियां उपस्थिति से लेकर पढ़ाई व परिणाम में बेटों से बहुत आगे हैं। अध्ययन में पता चला है कि सरकारी स्कूलों में 10वीं कक्षा में एक फीसदी छात्राें की तुलना में बेटियों की संख्या 1.02 फीसदी है। जबकि, रिजल्ट में लड़कों का प्रदर्शन 76.2 फीसदी है, तो बेटियों का 80 फीसदी। 


    सहायताप्राप्त स्कूलों में एक फीसदी लड़कों की तुलना में बेटियों की संख्या 0.89 फीसदी है। वहीं, अंग्रेजी निजी स्कूलों में एक फीसदी लड़कों की तुलना में बेटियों की संख्या 0.87 फीसदी और परीक्षा में शामिल होने का आंकड़ा 0.88 फीसदी है। इसके बावजूद रिजल्ट में लड़कों का पास प्रतिशत 82.1 रहा, तो बेटियों का प्रदर्शन 86.1 फीसदी है।


    12वीं कक्षा में बेटियों से अधिक भेदभाव
    अध्ययन में 12वीं कक्षा में भेदभाव अधिक दिखा। सरकारी स्कूलों में एक फीसदी लड़कों की तुलना में बेटियों की संख्या 1.07 फीसदी है। जबकि रिजल्ट में लड़कों का 81.8 फीसदी तो बेटियों का प्रदर्शन 87.2 फीसदी है। वहीं, निजी अंग्रेजी स्कूलों में रिजल्ट में लड़कों का 83.5% तो बेटियों का प्रदर्शन 90.1% है।


    बेटियों की पहली पसंद कला संकाय
    11वीं से स्नातक तक बेटियों की पहली पसंद कला संकाय है। जहां 35 फीसदी लड़के आर्ट्स की पढ़ाई करते हैं, उसके मुकाबले बेटियों का आंकड़ा 46 फीसदी है। 46 फीसदी लड़के विज्ञान लेते हैं तो 38 फीसदी बेटियां। वहीं, 15 फीसदी लड़के व 14 फीसदी लड़कियां वाणिज्य विषयों की पढ़ाई करना चाहती हैं।


    एससी वर्ग में 52.5 फीसदी बेटियां कला संकाय में लेती हैं दाखिला
    देश में अनुसूचित जाति वर्ग में 52.5 फीसदी बेटियां और 43.8 फीसदी बेटे कला संकाय में दाखिला लेते हैं। वहीं अनुसूचित जनजाति वर्ग में 55.6 फीसदी लड़के और 58.9 फीसदी लड़कियां कला संकाय की पढ़ाई करती हैं। साइंस स्ट्रीम में एसटी वर्ग के लड़कों का आंकड़ा 40.6 फीसदी तो लड़कियों का आंकड़ा महज 33 फीसदी है। जबकि एसटी वर्ग में लड़कों का यही आंकड़ा 31 फीसदी तो लड़कियों का 29 फीसदी है।


     केंद्र सरकार के स्कूल शिक्षा सचिव संजय कुमार ने बताया कि इसी के तहत शिक्षा मंत्रालय ने केंद्र और राज्यों के 60 नियमित व ओपन स्कूल बोर्ड की वर्ष 2022 के रिजल्ट का अध्ययन किया है। इसका मकसद स्कूली शिक्षा की कमियों में सुधार लाना है। हालांकि बेटों और बेटियों की शिक्षा में भेदभाव को पूरी तरह नहीं माना जा सकता है।

    Wednesday, May 31, 2023

    सारथी बनकर NEP को समझाएंगे, UGC ने शुरू की मुहिम, हर विश्वविद्यालय से अधिकतम तीन प्रतिभाशाली छात्र बनेंगे ब्रांड एंबेसडर

    सारथी बनकर NEP को समझाएंगे, UGC ने शुरू की मुहिम, हर विश्वविद्यालय से अधिकतम तीन प्रतिभाशाली छात्र बनेंगे ब्रांड एंबेसडर
     


    भारतीय शिक्षा तंत्र के महत्वपूर्ण बदलावों में शुमार राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में विद्यार्थी अब ब्रांड एंबेसडर बनकर नए विद्यार्थियों को इस नीति को समझाएंगे. इसके लिए यूजीसी ने एनईपी सारथी मुहिम शुरू की है. देशभर में कुल तीन सौ विद्यार्थियों को एनईपी सारथी चुनते हुए इसके दायरे को और विस्तृत किया जाएगा.


    छात्र-छात्राओं से मिले फीडबैक से एनईपी में सुधार होगा. सारथी का अर्थ है-स्टूडेंट एंबेसडर फॉर एकेडमिक रिफॉर्म्स इन ट्रांसफोर्मिंग हायर एजुकेशन इन इंडिया. एनईपी देशभर के अधिकांश विश्वविद्यालयों में लागू हो चुकी है, लेकिन अभी तक छात्र, शिक्षक एवं संस्थान तीनों में विभिन्न बिंदुओं पर भ्रम की स्थिति है.



    ऐसे बनेंगे NEP सारथी

    ● यूजीसी इसके लिए कुलपति, निदशेकों से नामांकन मांगेगी.

    ● प्रत्येक विवि अधिकतम तीन छात्रों को कर सकती है नामित.

    ● 300 एनईपी सारथी चुने जाएंगे देशभर के विश्वविद्यालय से.

    ● एनईपी सारथियों को यूजीसी देगी प्रशिक्षण.

    ● उच्च शिक्षा में विभिन्न कक्षाओं के छात्र होंगे अर्ह.

    ● शैक्षिक-गैर-शैक्षिक गतिविधियों में प्रतिभाशाली विद्यार्थी होंगे यह.

    ● चयनित एनईपी सारथी को हाइब्रिड मोड में ट्रेनिंग भी.
    एनईपी सारथी का यह काम

    ● एंबेसडर के रूप में एनईपी-2020 का प्रचार करेंगे.

    ● एनईपी-2020 को लेकर जागरूकता लाएंगे.

    ● एनईपी-2020 की सूचनाओं को प्रसारित करेंगे.

    ● एनईपी-2020 की पहल को सोशल मीडिया पर प्रमोट करेंगे.

    ● छात्र-छात्राओं से एनईपी को लेकर फीडबैक लेंगे.

    ● विद्यार्थियों को गाइड करते हुए एनईपी के लाभ बताएंगे.
    छात्रों को यह फायदा

    ● यूजीसी एनईपी सारथी को मान्यता देते हुए सर्टिफिकेट देगा.

    ● यूजीसी के सोशल मीडिया हैंडल पर एनईपी सारथी को पहचान मिलेगी.

    ● यूजीसी द्वारा होने वाले कार्यक्रम में सहभागिता.

    ● यूजीसी न्यूजलेटर में आर्टिकल प्रकाशित कराने का मौका.
    चुनौती मूल्यांकन का परिणाम जारी





    NEP लागू करने में ‘सारथी’ बनेंगे छात्र, नई शिक्षा नीति के प्रति साथी छात्रों को प्रोत्साहित करेंगे


    नई दिल्ली : नई शिक्षा नीति के तहत बदलाव को विश्वविद्यालयों में सहज तरीके से लागू करने में छात्र ‘सारथी’ की भूमिका निभाएंगे। ये छात्र नई शिक्षा नीति के प्रति साथी छात्रों को प्रोत्साहित करेंगे और इनसे बदलाव के ‘फीडबैक’ भी लिए जाएंगे।


    विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष जगदीश कुमार ने कहा कि आयोग, नई शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत परिवर्तनकारी प्रक्रिया में केंद्रीय भूमिका निभाने वाले छात्रों की भूमिका पहचानता है। वे शिक्षा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।


    उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा को बदलने के लिए सभी प्रमुख हितधारकों, कुलपतियों, निदेशकों, विश्वविद्यालयों, संस्थानों और कॉलेजों के प्रधानाचार्यों, संकाय सदस्यों, कर्मचारियों और सबसे महत्वपूर्ण छात्रों की सामूहिक भागीदारी और प्रतिबद्धता की आवश्यकता है।


    अध्यक्ष ने बताया कि एनईपी 2020 में उल्लिखित उच्च शिक्षा प्रणाली में विभिन्न सुधारों के बारे में छात्रों की भागीदारी बढ़ाने और जागरूकता पैदा करने के लक्ष्य के साथ, यूजीसी नई पहल सारथी (स्टूडेंट एम्बेसडर फॉर एकेडमिक रिफॉर्म इन ट्रांसफॉर्मिंग हायर एजुकेशन इन इंडिया) की घोषणा कर रहा है। उन्होंने कहा कि एनईपी सारथी भारत में उच्च शिक्षा को बदलने में राजदूत की भूमिका निभाएंगे।



    300 एनईपी सारथी का होगा चयन
    एनईपी सारथी की संख्या 300 होगी। नामांकन के आधार पर यूजीसी 300 एनईपी सारथी का चयन करेगा। जो छात्र वर्तमान में विभिन्न स्तरों पर उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, वे इस पहल में भाग ले सकेंगे।


    विद्यार्थियों की सहभागिता बढ़ाएंगे
    यूजीसी प्रमुख ने कहा कि इसका उद्देश्य ऐसे वातावरण को बढ़ावा देना है, जहां छात्र सार्थक रूप से बदलाव से जुड़ सकें और एनईपी 2020 के प्रावधानों का प्रभावी उपयोग करने के लिए छात्रों को सक्रिय प्रतिभागियों के रूप में एक साथ लाया जा सके।


    तीन को करेंगे नामांकित
    इस पहल के तहत यूजीसी उच्च शिक्षण संस्थानों के कुलपतियों, निदेशकों, प्रधानाचार्यों और शिक्षाविदों से अनुरोध करेगा कि वे अपने संस्थानों से तीन छात्रों को नामांकित करें। किसी भी पाठ्यक्रम के छात्र को एनईपी सारथी के रूप में नामांकित किया जा सकेगा।

    हर जिले में कैंप लगाकर यूपी बोर्ड के विद्यार्थियों की समस्याओं का होगा समाधान, नहीं लगाने होंगे बोर्ड कार्यालयों के चक्कर

    हर जिले में कैंप लगाकर यूपी बोर्ड के विद्यार्थियों की समस्याओं का होगा समाधान, नहीं लगाने होंगे बोर्ड कार्यालयों के चक्कर


    माध्यमिक शिक्षा परिषद के विद्यार्थियों को अब अपनी समस्याओं (Problems of UP Board students) के लिए परेशान न होना पड़े. इसके लिए पहली बार माध्यमिक शिक्षा परिषद ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को जारी किए निर्देश


    लखनऊ: माध्यमिक शिक्षा परिषद के विद्यार्थियों को अब अपनी समस्याओं के निस्तारण के लिए प्रयागराज स्थित निदेशालय के चक्कर नहीं लगाने होंगे. बल्कि उनकी समस्याओं का निस्तारण उनके जिले स्तर पर ही किया जाएगा. इसके लिए 12 जून से 30 जून तक सभी जिलों में कैंप लगाने के आदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद सचिव दिब्यकांत शुक्ला ने सभी जिलों के जिला विद्यालय निरीक्षकों जारी किए हैं. इन कैंप के माध्यम से यूपी बोर्ड परीक्षा के बाद जिन विद्यार्थियों के मार्कशीट में नाम, माता पिता के नाम, जन्मतिथि आदि त्रुटियों के निस्तारण समय से हो सकेगा.


    वहीं संबंधित प्रपत्रों, अभिलेखों का भी समाधान हो सकेगा. यूपी बोर्ड का मानना है कि विलम्ब से समस्याओं का निस्तारण होने से परिषद की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह तो लगता ही है. साथ ही परिषद की छवि धूमिल होने के साथ-साथ विद्यार्थियों व अभिभावकों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. वर्तमान में सभी क्षेत्रीय कार्यालयों में इस प्रकार कुल लगभग 40 हजार से अधिक प्रकरण लंबित हैं, जिनका निस्तारण किया जाना है.


    क्षेत्रीय कार्यालयों के चक्कर लगाने से बचेंगे विद्यार्थी: सचिव दिव्य कांत शुक्ला ने बताया कि विद्यार्थियों की समस्या के तत्काल निस्तारण के उद्देश्य से पहली बार यह प्रयास माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से किया जा रहा है. इसके लिए महानिदेशक स्कूल शिक्षा उत्तर प्रदेश की और से परिषद के सभी क्षेत्रीय कार्यालयों के अपर सचिव, समस्त जिला विद्यालय निरीक्षकों एवं समस्त जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिये गये हैं.


    जनपद स्तर पर लगाये जाने वाले कैम्प की तिथियों का निर्धारण परिषद के सम्बन्धित क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा विज्ञप्तियों के माध्यम किया जायेगा. इस प्रयास से एक ओर जहां विद्यार्थियों की समस्याओं का तत्काल निस्तारण होगा. वहीं दूसरी ओर उन्हें इसके लिये बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालयों के अनावश्यक चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे. उनकी समस्या का निस्तारण उनके जनपद में ही हो जायेगा.


    क्षेत्रीय कार्यालयों की ये होगी जिम्मेदारी

    • क्षेत्रीय कार्यालय स्तर पर लम्बित प्रकरणों की जनपदवार, विद्यालयवार सूची तैयार करायी जायेगी

    • प्रकरण के निस्तारण के लिए अभिलेखों का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जायेगा

    • क्षेत्रीय कार्यालय स्तर पर जनपदवार उपसचिव, सहायक सचिव, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, प्रशासनिक अधिकारियों की टीमें गठित की जायेंगी, जो जनपदों में जाकर प्रकरणों का निस्तारण करायेंगी.


    डीआईओएस प्रकरण भी निपटाने की जिम्मेदारी: माध्यमिक शिक्षा परिषद सचिव दिब्यकांत शुक्ला ने बताया कि जनपद स्तर पर प्रकरणों का निस्तारण सम्बन्धित जनपदीय अधिकारी, विद्यालय के प्रधानाचार्य, प्रधानाध्यापक से वांछित अभिलेख प्राप्त कर तत्काल प्रकरण का निस्तारण क्षेत्रीय कार्यालय स्तर पर कर सम्बन्धित विद्यालय को इस निर्देश के साथ संशोधित अंकपत्र, प्रमाणपत्र उपलब्ध कराने की कार्यवाही सुनिश्चित करने को आदेश दिए गये हैं. अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करते हुए सभी समस्याओं का समाधान करने के आदेश दिए गये हैं.


    जिला विद्यालय निरीक्षक प्रकरणों के निस्तारण के लिए तिथि, समय एवं स्थान का निर्धारण करेंगे. इसमें सभी जिला विद्यालय निरीक्षक, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अपने जिलों के सम्बन्धित विद्यालयों के प्रधानाचार्य, प्रधानाध्यापक के साथ प्रकरणों से सम्बन्धित परीक्षार्थियों के वांछित विद्यालयीय अभिलेखों सहित जिला विद्यालय निरीक्षकों द्वारा निर्दिष्ट तिथि, समय एवं स्थान पर उपस्थित होना सुनिश्चित करेंगे.




    अंकपत्र की त्रुटियां ठीक करने छात्रों के पास जाएगा यूपी बोर्ड

    40 हजार से ज्यादा लंबित मामले निपटाने को प्रयोग

    12 से 30 जून के मध्य जिला स्तर पर लगाए जाएंगे कैंप


    प्रयागराज : वर्ष 2023 की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा एवं परिणाम में कीर्तिमान रचने के बाद यूपी बोर्ड ने अब अंकपत्रों और प्रमाणपत्रों की त्रुटियां ठीक कराने की दिशा में बड़ा और नया कदम उठाया है। इसके लिए विद्यार्थी अब यूपी बोर्ड नहीं आएंगे, बल्कि यूपी बोर्ड उनके जिले में जाएगा। जिले के किसी विद्यालय में कैंप आयोजित किए जाने के लिए स्थान की व्यवस्था डीआइओएस करेंगे, जिसमें बीएसए के साथ संबंधित दिए हैं। विद्यार्थी के विद्यालय के प्रधानाचार्य व प्रधानाध्यापक भी उपलब्ध रहेंगे। प्रथम चरण में यह कैंप 12 से 30 जून के मध्य आयोजित करने के निर्देश यूपी बोर्ड सचिव दिव्यकांत शुक्ल ने दिए हैं।


    उन्होंने बताया है कि बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालयों में परीक्षार्थियों के नाम, माता-पिता के नाम, जन्मतिथि आदि त्रुटियों के निस्तारण में वांछित प्रपत्रों/ अभिलेखों के अभाव में करीब 40 हजार प्रकरण लंबित हैं। इसके लिए विद्यार्थियों व उनके अभिभावकों को दूर जिले से क्षेत्रीय कार्यालय तक आने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। ऐसे में इन मामलों के त्वरित निस्तारण के उद्देश्य से विद्यार्थी हित में पहली बार जनपद स्तर पर कैंप लगाने के निर्देश महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने सभी क्षेत्रीय कार्यालयों के अपर सचिव, सभी डीआइओएस एवं बीएसए को दिए हैं।


    जिला स्तर पर लगने वाले कैंप की तिथियों व समय का निर्धारण क्षेत्रीय कार्यालय करेंगे। लंबित प्रकरणों की जनपदवार/विद्यालयवार सूची क्षेत्रीय कार्यालय स्तर पर तैयार कराई जा रही है। निस्तारण में लगने वाले वांछित अभिलेखों की जानकारी सूची में रहेगी, ताकि उसकी व्यवस्था डीआइओएस व बीएसए विद्यालयों के माध्यम से कैंप से पहले करा सकें। क्षेत्रीय कार्यालय से जनपदवार उपसचिव/सहायक सचिव/ वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी/ प्रशासनिक अधिकारियों की टीमें गठित की जाएंगी, कैंप में जाकर प्रकरण निस्तारित कराएंगी।




    यूपी बोर्ड : मार्कशीट में त्रुटियों के सुधार के लिए 12 जून से लगेगा कैंप


    यूपी बोर्ड का परिणाम जारी होने के बाद मार्कशीट में जन्मतिथि, नाम, माता-पिता के नाम आदि की त्रुटियों में सुधार कराने के लिए विद्यार्थी और अभिभावक बोर्ड के चक्कर लगाते रहते हैं। इसको देखते हुए बोर्ड ने पहली बार जिलों में कैंप लगाकर इस प्रकार की त्रुटियों का त्वरित निस्तारण करने का निर्णय लिया है।





    माध्यमिक शिक्षा परिषद की तरफ से सभी पांचों क्षेत्रीय कार्यालयों को इस संबंध में निर्देश जारी किया गया है। इसमें क्षेत्रीय कार्यालय के अधिकारियों के साथ ही डीआईओएस और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को भी इस कार्य में लगाया जाएगा। महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद की तरफ से भी निर्देश जारी किया गया है। 12 जून से 30 जून तक जिलों में कैंप लगाकर इस प्रकार की त्रुटियों के निस्तारण का निर्देश दिया गया है।

    401 बीफार्मा संस्थानों की खंगाली जाएगी कुंडली, उत्तर प्रदेश शासन ने संस्थानों के भौतिक सत्यापन के दिए निर्देश

    401 बीफार्मा संस्थानों की खंगाली जाएगी कुंडली, उत्तर प्रदेश शासन ने संस्थानों के भौतिक सत्यापन के दिए निर्देश



    उत्तर प्रदेश शासन ने एकेटीयू से संबद्ध संस्थानों के भौतिक सत्यापन के निर्देश दिए हैं। इस दायरे में सत्र 2022-23 व उससे पहले शुरू हुए संस्थान जांच के दायरे में आएंगे।

    उत्तर प्रदेश में बीफार्मा-डीफार्मा संस्थानों की संबद्धता को लेकर चल रही उठापटक खत्म नहीं हो रही है। शासन ने प्रदेश के 401 बीफार्मा संस्थानों का भौतिक सत्यापन कराने का निर्णय लिया है। यह जांच जिलाधिकारी के माध्यम से प्रशासनिक अधिकारियों से कराई जाएगी। इसके बाद इस पर आगे की कार्यवाही की जाएगी। इससे प्रदेश भर के फार्मा संस्थानों में हड़कंप मचा हुआ है।



    शासन ने सत्र 2022-23 व उससे पहले स्थापित व डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) से संबद्ध बीफार्मा संस्थानों का भौतिक सत्यापन कराने के निर्देश दिए हैं। इन संस्थानों की शैक्षिण गुणवत्ता सुनिश्चित करने व संस्थानों के निर्धारित मानक के अनुरूप संचालन के लिए भौतिक निरीक्षण कराने का निर्णय लिया गया है। प्राविधिक शिक्षा विभाग के विशेष सचिव अन्नावि दिनेश कुमार ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को इसके लिए पत्र भेजा है।


    उन्होंने कहा है कि शैक्षिक सत्र 2022-23 व उसके पहले स्थापित बीफार्मा संस्थानों का भौतिक सत्यापन कराया जाना है। उन्होंने इन 401 कॉलेजों का नाम, पता, मोबाइल नंबर के साथ सूची सभी डीएम को भेजी है। इन संस्थानों की शैक्षणिक गुणवत्ता समेत, एनओसी की पूरी जांच कर रिपोर्ट देने को कहा है। विशेष सचिव ने कहा है कि शासन ने इन संस्थानों को प्रतिबंधों के साथ अनापत्ति (एनओसी) दी थी कि यदि संस्थानों के प्रपत्रों, स्थलीय जांच में पाए गए तथ्यों व अभिलेखों में समानता नहीं मिलती तो उन पर कठोर कार्यवाही की जाएगी।


    ये होंगे एनओसी जांच के प्रमुख बिंदु
    पाठ्यक्रम का नाम, पाठ्यक्रम के लिए सीट, आवेदक संस्था का नाम, आवेदक संस्था की संचालक सोसायटी/ट्रस्ट/संगठन का नाम, संचालक संस्था के पंजीकरण की स्थिति, भूमि से संबंधित विवरण व मालिकाना हक, भवन की उपलब्धता, भूकंप रोधी होने की स्थिति, बिल्डिंग प्लान, क्लास की संख्या, कैंपस की क्षमता, अग्निशमन यंत्र, संस्थान की आर्थिक स्थिति/क्षमता, संस्थान कैंपस व कक्षों में पूर्व से ही संचालित अन्य पाठ्यक्रम, संस्था तक यातायात की सुविधा, बाउंड्रीवाल की स्थिति, सीसीटीवी कैमरों की उपलब्धता, विद्युत, पेयजल, शौचालय, रैंप, छात्राओं व दिव्यांगजनों के लिए सुविधा, एनओसी पत्र का सत्यापन।


    तीन सदस्यीय जांच समिति
    संबंधित जिले का एसडीएम/तहसीलदार (जिलाधिकारी की ओर से नामित) समिति का अध्यक्ष होगा। वहीं प्राविधिक शिक्षा विभाग के प्रधानाचार्य पॉलीटेक्निक व डीआईओएस/ बीएसए (जिलाधिकारी की ओर से नामित) इसके सदस्य होंगे। जो निर्धारित प्रारूप पर जांचकर अपनी आख्या शासन को भेजेंगे।


    पूर्व में दो सत्रों की कराई है जांच
    शासन ने इससे पहले सत्र 2022-23 में बीफार्मा व डीफार्मा संस्थानों को दी गई संबद्धता व सत्र 2023-24 के लिए दी गई एनओसी की जांच कराई थी। यह जांच सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से कराई गई थी। जानकारी के अनुसार जांच में कमियां मिलने पर 400 से अधिक डीफार्मा संस्थानों की एनओसी निरस्त करने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं बीफार्मा संस्थानों को लेकर अभी तक कार्यवाही नहीं की गई है। ऐसे में माना जा रहा है कि इस जांच के बाद कार्यवाही की जाएगी।

    सभी शिक्षा बोर्ड में एक समान परीक्षा और मूल्यांकन की तैयारी, मंथन जारी

    सभी शिक्षा बोर्ड में एक समान परीक्षा और मूल्यांकन की तैयारी, मंथन जारी


    नई दिल्ली। केंद्र सरकार, केंद्र और विभिन्न राज्यों के अलग-अलग शिक्षा बोर्ड के मूल्यांकन की प्रक्रिया में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत समरूपता लाने के लिए सामान्य मूल्यांकन प्रणाली को स्थापित करना चाहता है। इस संबंध में सहमति बनने की स्थिति में देश के सभी स्कूली शिक्षा बोर्ड परीक्षा और आकलन का एक जैसा फॉर्मूला अपना सकते हैं। इस समय देश में 60 बोर्ड हैं। आठ राज्यों में सेकंडरी और सीनियर सेकेंडरी के लिए अलग-अलग बोर्ड हैं।

    स्कूल शिक्षा सचिव ने मंगलवार को बताया देश के सभी स्कूली शिक्षा बोर्डों के बीच एकरूपता लाने के लिए गठित परख एजेंसी की अगुवाई में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षा अधिकारियों के साथ इस मुद्दे पर मंथन जारी है।



    अब सभी 60 स्कूल बोर्ड के लिए एक समान सिस्टम बनेगा, परीक्षा पद्धति और बोर्ड में समानता लाने की तैयारी कर रही केंद्र सरकार


    नई दिल्ली। देशभर के छात्रों और अभिभावकों के लिए बड़ी राहत की खबर है सभी 60 शिक्षा बोर्ड के लिए सरकार यूनिफार्म सिस्टम लाने की तैयारी कर रही है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की सिफारिशों के तहत देश के सभी बोर्ड की परीक्षा प्रक्रिया, मूल्यांकन, पाठ्यक्रम और सभी बोर्ड को एक समानता देने की योजना है।


    राज्यों की सहमति बन जाती है तो फिर देश के सभी बोर्ड के नाम बेशक अलग होंगे, पर उनका कामकाज एक समान होगा। छात्रों को सबसे अधिक लाभ होगा। शिक्षा मंत्रालय, परख (राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र और राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के साथ पिछले दिनों मूल्यांकन पर पहली राष्ट्रीय स्तर की बैठक स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार की अध्यक्षता में संपन्न हुई है।



    परीक्षाएं व मूल्यांकन समान होने से छात्रों को मिलेगा लाभ

    सभी स्कूल बोर्ड की एक समानता होनी जरूरी है। वर्तमान में देशभर में लगभग 60 स्कूल परीक्षा बोर्ड हैं, जो विभिन्न राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में काम कर रहे हैं। हालांकि अलग-अलग परीक्षा और मूल्यांकन पद्धति होने से छात्रों को परेशानी होती है। इसलिए एक एकीकृत ढांचा स्थापित करना जरूरी है। यह विभिन्न बोर्ड या क्षेत्रों के बीच छात्रों के लिए एक समान व्यवस्था बनाएगा। इसमें पाठ्यक्रम मानकों को संरेखित करना, ग्रेडिंग सिस्टम, और मूल्यांकन के तरीकों में बदलाव की जरूरत है, ताकि विश्वसनीयता, प्रमाणपत्रों की मान्यता और बोडों में प्राप्त ग्रेड को बढ़ाया जा सके। -संजय कुमार, सचिव, स्कूल शिक्षा सचिव, भारत सरकार



    एक यूनिफार्म सिस्टम पर राज्यों से मांगी राय

    परख को एनसीईआरटी के तहत संगठन के रूप में स्थापित किया गया है। यह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्कूल बोर्डों को एक साझा मंच पर लाने का काम करेगा। पहली बैठक में शिक्षा मंत्रालय और परख द्वारा देश भर में स्कूल मूल्यांकन, परीक्षा पद्धतियों और बोडों की समानता विषय पर बात हुई। इसमें सभी राज्यों से उनके 60 स्कूल बोर्ड को एक यूनिफार्म सिस्टम पर लाने पर उनकी राय मांगी गयी है। 

    अभी सभी बोर्ड की अलग- अलग परीक्षा और मूल्यांकन पद्धति होने से छात्रों को नुकसान होता है। कुछ का रिजल्ट बेहतरीन होता है तो कुछ बोर्ड के छात्रों के अंक अधिक आने के बाद भी उनको प्राथमिकता नहीं मिल पाती है। बैठक में शिक्षा मंत्रालय, सीबीएसई, एनसीईआरटी, एनआईओएस, एनसीवीईटी और एनसीटीई के अलावा राज्य शिक्षा सचिव, राज्य परियोजना निदेशक स्कूल, एससीईआरटी समेत देशभर के प्रदेश परीक्षा बोर्ड के अधिकारी शामिल हुए थे।



    देशभर के सभी शिक्षा बोर्ड की 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं एक साथ कराने पर मंथन 


    प्रयागराज। देशभर के शिक्षा बोर्ड की 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं एकसाथ कराने पर मंथन हो रहा है। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) नई दिल्ली में पिछले दिनों देश के विभिन्न बोर्ड के अधिकारियों की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हुई। इसका सबसे अधिक फायदा 12वीं के बच्चों को होगा। इस फैसले से उन्हें उच्च शिक्षा में प्रवेश के समय होने वाली परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।




    दरअसल इंजीनियरिंग संस्थानों में प्रवेश के लिए जेईई-मेन्स और जेईई-एडवांस जबकि मेडिकल में दाखिले के लिए नीट भी एकसाथ होता है। पिछले साल से सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट अंडरग्रेजुएट (सीयूईटी यूजी) कराने लगी है। 


    जबकि विभिन्न बोर्ड की परीक्षाएं अलग-अलग होने से किसी का परिणाम जल्द तो किसी का देरी में आता है। ऐसे में जिन बोर्ड का परिणाम देर में आता है उनके 12वीं के बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए प्रवेश के समय कठिनाई होती है।


    यह देखते हुए राष्ट्रीय स्तर पर सभी बोर्ड के लिए परीक्षा कराने और परिणाम घोषित करने के लिए समयसीमा तय करने पर विचार हो रहा है। ताकि निर्धारित समय में 12वीं तक के रिजल्ट जारी हो जाएं और बच्चों को आगे दाखिले में कठिनाई का सामना न करना पड़े। हालांकि एनसीईआरटी दिल्ली में हुई बैठक में कम बोर्ड के प्रतिनिधियों के पहुंचने के कारण अभी इस पर कोई ठोस पहल नहीं हो सकी है। लेकिन आने वाले दिनों में फिर से इस पर बैठक बुलाने पर सहमति बनी है।


    शीर्ष अधिकारियों ने की यूपी बोर्ड की तारीफ

    एनसीईआरटी नई दिल्ली में बैठक के दौरान यूपी बोर्ड की तारीफ हुई। देश में परीक्षार्थियों की 10वीं-12वीं की परीक्षा समय से कराने और परिणाम देने पर शीर्ष अधिकारियों ने यूपी बोर्ड के सचिव दिब्यकांत शुक्ल समेत पूरी टीम की सराहना की।

    महिलाओं को शिक्षा के अधिकार और मां बनने के अधिकार में से किसी एक को चुनने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता –हाईकोर्ट

    महिलाओं को शिक्षा के अधिकार और मां बनने के अधिकार में से किसी एक को चुनने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता –हाईकोर्ट


    नई दिल्ली। उच्च न्यायालय ने कहा है कि महिलाओं को शिक्षा के अधिकार और प्रजनन स्वायत्तता यानी मां बनने के अधिकार में से किसी एक को चुनने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। न्यायालय ने दो वर्षीय मास्टर ऑफ एजुकेशन (एमईडी) की पढ़ाई कर रही महिला को राहत देते हुए यह टिप्पणी की।


     इसके साथ ही, न्यायालय ने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें याचिकाकर्ता महिला को एमईडी पाठ्यक्रम की कक्षा में उपस्थिति में छूट देने के लिए मातृत्व अवकाश का लाभ देने से इनकार कर दिया गया था।


    जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने विश्वविद्यालय के प्रबंधन के 28 फरवरी, 2023 के आदेश को रद्द करते हुए, याचिकाकर्ता महिल को 59 दिन की मातृत्व अवकाश का लाभ देने को कहा है। इस आदेश के जरिए कक्षा में कम उपस्थिति को पूरा करने के लिए विश्वविद्यालय के डीन ने महिला को मातृत्व अवकाश का लाभ देने से इनकार कर दिया था। 


    न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि नागरिकों को शिक्षा के अधिकार और प्रजनन स्वायत्तता के अधिकार के बीच चयन करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा मातृत्व अवकाश का लाभ दिए जाने से इनकार के बाद महिला ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी। महिला की ओर से अधिवक्ता भवांशू शर्मा ने यूजीसी को स्नातक और परास्नातक पाठ्यक्रमों में पढ़ाई करने वाली महिलाओं को मातृत्व अवकाश के लिए समुचित नीति का आदेश देने की मांग की थी।



    संविधान ने एक की परिकल्पना की है, जहां नागरिक अपने अधिकारों का प्रयोग कर सकते हैं और के समाज के साथ-साथ राज्य भी उनके अधिकारों की अभिव्यक्ति की अनुमति देगा। - हाईकोर्ट, (फैसले में की टिप्पणी)


    59 दिन की छुट्टी का आदेश

    उच्च न्यायालय ने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय को निर्देश दिया है कि वह याचिकाकर्ता महिला को 59 दिन मातृत्व अवकाश का लाभ दे। साथ ही कहा है कि यदि 59 दिन की मातृत्व अवकाश के लाभ देने के बाद कक्षा में उनकी उपस्थिति 80 फीसदी पूरी होती है तो उन्हें परीक्षा में शामिल होने दिया जाए।


    पढ़ो या बच्चे पैदा करो, बाध्य नहीं कर सकते

    दिल्ली हाईकोर्ट ने एमएड की छात्रा को मातृत्व अवकाश का लाभ देने के साथ ही परीक्षा में भी बैठने की अनुमति देने का आदेश दिया


    नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि महिलाओं को पढ़ने या बच्चे पैदा करने में से कोई एक विकल्प चुनने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। इस अहम टिप्पणी के साथ ही कोर्ट ने एमएड की एक छात्रा को मातृत्व अवकाश का लाभ देने और आवश्यक उपस्थिति पूरी होने पर परीक्षा में बैठने की अनुमति देने का निर्देश भी दिया। 


    जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने हाल ही में एमएड छात्रा की याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि संविधान ने एक समतावादी समाज की परिकल्पना की है, जिसमें नागरिक अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर सकते हैं। समाज के साथ-साथ राज्य भी उन्हें इसकी अनुमति देता है। कोर्ट ने आगे कहा कि सांविधानिक व्यवस्था के मुताबिक किसी को शिक्षा के अधिकार और प्रजनन स्वायत्तता के अधिकार के बीच किसी एक का चयन करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।


    मातृत्व अवकाश का लाभ देने से इन्कार : कक्षा में आवश्यक रूप से उपस्थिति मानक पूरा करने को आधार बनाकर प्रबंधन ने याचिकाकर्ता को मातृत्व अवकाश का लाभ देने से इन्कार कर दिया था। इसके बाद याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।


    यूनिवर्सिटी प्रबंधन का फैसला रद्द

    हाईकोर्ट ने यूनिवर्सिटी प्रबंधन का फरवरी, 2023 का फैसला रद्द करते हुए कहा कि वह याचिकाकर्ता को 59 दिन के मातृत्व अवकाश का लाभ देने पर पुनर्विचार करे। साथ ही, निर्देश दिया कि अगर इसके बाद कक्षा में आवश्यक 80 प्रतिशत उपस्थिति का मानक पूरा होता है तो उसे परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाए।


    यह है मामला
    महिला याचिकाकर्ता ने दिसंबर, 2021 में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में दो साल के एमएड  कोर्स के लिए दाखिला लिया था। उन्होंने मातृत्व अवकाश के लिए यूनिवर्सिटी डीन और कुलपति के पास आवेदन किया था। इसे 28 फरवरी को खारिज कर दिया गया।

    Tuesday, May 30, 2023

    DGSE की अध्यक्षता में दिनांक 07 जून को आयोजित मासिक समीक्षा बैठक के सम्बन्ध में सूचना प्रेषित किये जाने विषयक वित्त नियंत्रक (माध्यमिक) का पत्र।

    DGSE की अध्यक्षता में दिनांक 07 जून को आयोजित मासिक समीक्षा बैठक के सम्बन्ध में सूचना प्रेषित किये जाने विषयक वित्त नियंत्रक (माध्यमिक) का पत्र।



    BEd Admit Card : छह जून से डाउनलोड किए जा सकेंगे बीएड के प्रवेश पत्र

    BEd Admit Card : छह जून से डाउनलोड किए जा सकेंगे बीएड के प्रवेश पत्र



    झांसी। बुंदेलखंड विवि ने 15 जून को होने वाली बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा की तैयारियां तेज कर दी हैं। प्रदेशभर में 1108 केंद्रों पर परीक्षा होगी। वहीं छह जून से प्रवेश पत्र डाउनलोड किए जा सकेंगे।


    बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा 2023 के लिए इस बार कुल 4,72,882 आवेदन आए थे। प्रयागराज में 108 केंद्रों पर बीएड की प्रवेश परीक्षा होगी। झांसी में प्रवेश परीक्षा के लिए 13 परीक्षा केंद्र निर्धारित हुए हैं। 


    एक परीक्षा केंद्र पर 200 से 500 परीक्षार्थी परीक्षा देंगे। प्रवेश परीक्षा के लिए छह जून से प्रवेश पत्र जारी कर दिए जाएंगे। परीक्षार्थी ऑनलाइन बीयू की वेबसाइट www.bujhansi.ac.in से प्रवेश पत्र से डाउनलोड कर सकते हैं।

    Monday, May 29, 2023

    देश में सबसे अभागे यूपी के शिक्षामित्र, छह साल से दस हजार रुपये मानदेय पर कर रहे गुजारा, अन्य कई राज्यों में ज्यादा मिल रहा मानदेय

    छह साल से शिक्षामित्रों के मानदेय में नहीं हुई बढ़ोत्तरी 

    देश में सबसे अभागे यूपी के शिक्षामित्र, छह साल से दस हजार रुपये मानदेय पर कर रहे गुजारा, अन्य कई राज्यों में ज्यादा मिल रहा मानदेय



    प्रयागराज । बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में दो दशक से अधिक समय से बच्चों को पढ़ा रहे उत्तर प्रदेश के एक लाख से अधिक शिक्षामित्र पूरे देश में सबसे अभागे हैं। सर्व शिक्षा अभियान के तहत दो दशक पहले पूरे देश में तकरीबन 7.5 लाख संविदा शिक्षक (शिक्षामित्र ) रखे गए थे। 


    इस दौरान कई राज्यों में ये संविदा शिक्षक पूर्ण शिक्षक बन गए हैं तो तमाम राज्यों में इनका मानदेय बढ़ गया है, लेकिन यूपी के शिक्षामित्र साल में 11 महीने दस हजार रुपये मानदेय पर बच्चों का भविष्य संवारने में लगे हैं। पिछले तकरीबन छह साल में इनके मानदेय में भी कोई वृद्धि नहीं हुई है।


    महाराष्ट्र में बस्तीशाला शिक्षक, हिमाचल में पैट (प्राइमरी असिस्टेंट टीचर) और मध्यप्रदेश में शिक्षाकर्मी के रूप में नियमित शिक्षक बना दिया गया है। बिहार में 2006 में ही समायोजित कर दिया गया था और फिलहाल इन्हें 35 से 48 हजार रुपये तक मानदेय मिल रहा है। वर्तमान में राजस्थान में नौ और 18 साल की सेवा पूरी कर चुके शिक्षा अनुदेशकों को क्रमशः 29600 व 51000 मासिक पारिश्रमिक जबकि हरियाणा में गेस्ट टीचर के पद पर कार्यरत संविदा शिक्षकों को 34580 रुपये मिल रहे हैं। पंजाब में 11 हजार मानदेय मिल रहा है और 10 वर्षों का अनुभव रखने वाले अस्थाई शिक्षकों को नियमित करने प्रक्रिया चल रही है। 


    उत्तराखंड में शिक्षामित्रों को 20 हजार तो पश्चिम बंगाल में 15 हजार मानदेय दिया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई 2017 को 1.37 लाख शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापक पद पर समायोजन को निरस्त कर दिया था। उसके बाद शिक्षामित्रों ने 12 माह का मानदेय देने, सेवाकाल 62 वर्ष करने, मानदेय बढ़ाने, निःशुल्क चिकित्सा सुविधा आदि मांगों को लेकर आंदोलन किया था। जिसके बाद प्रदेश सरकार ने अगस्त 2017 में मानदेय 3500 रुपये से बढ़ाकर 10 हजार कर दिया था।


    एमडीएम की परिवर्तन लागत भी 32 प्रतिशत तक बढ़ी

    पिछले छह साल में केंद्र सरकार ने आठवीं तक के स्कूलों में निःशुल्क बंटने वाले | मिड-डे-मील की परिवर्तन लागत (कन्वर्जन कास्ट) में 32 फीसदी तक की वृद्धि कर दी है। प्राथमिक विद्यालय के एक बच्चे पर 5.45 जबकि उच्च प्राथमिक में 8.17 रुपये परिवर्तन लागत के लिए मिल रहे हैं। लेकिन शिक्षामित्रों का मानदेय नहीं बढ़ा। 2017 में सीएम योगी ने उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा की अध्यक्षता में शिक्षामित्रों की समस्याओं के समाधान के लिए हाईपावर कमेटी गठित की थी। लेकिन कमेटी की रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं हो सकी है।



    जुलाई 2017 में शिक्षामित्रों का समायोजन निरस्त होने के बाद दस हजार मानदेय निर्धारित किया गया था, परंतु छ: वर्ष से कोई वृद्धि नहीं हुई है। शिक्षामित्र आखिर कब तक शिक्षक के बराबर कार्य करने के बाद भी दस हजार मानदेय में ही जीवन यापन करेंगे। - कौशल कुमार सिंह, प्रदेश मंत्री, प्राथमिक शिक्षामित्र संघ



    फैक्ट फाइल

    ■ 26 मई 1999 को यूपी में शिक्षामित्र योजना लागू हुई।

    ■ अक्तूबर 2005 में मानदेय 2250 रुपये से बढ़कर 2400 हुआ।

    ■ 15 जून 2007 को मानदेय 2400 रुपये से बढ़कर 3000 हुआ।

    ■ 11 जुलाई 2011 को शिक्षामित्रों के दो वर्षीय प्रशिक्षण का आदेश । 

    ■ 23 जुलाई 2012 को कैबिनेट ने समायोजन का निर्णय लिया।

    ■ 19 जून 2014 को प्रथम बैच में 60442 शिक्षामित्रों का समायोजन।

    ■ 8 अप्रैल 2015 को 77075 शिक्षामित्रों का समायोजन किया गया। 

    ■ 6 जुलाई 2015 को सुप्रीम कोर्ट ने समायोजन पर रोक लगाई।

    ■ 12 सितंबर 2015 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समायोजन निरस्त किया।

    ■ 7 दिसंबर 2015 को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई।

    ■ 25 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने समायोजन को गैरकानूनी ठहराया। 

    ■ अगस्त 2017 में मानदेय 3500 से बढ़कर 10 हजार रुपये किया गया।

    Top-10 University of India : ये हैं भारत की टॉप-10 यूनिवर्सिटी, CUET के अभ्यर्थियों के लिए जरूरी जानकारी

    Top-10 University of India : ये हैं भारत की टॉप-10 यूनिवर्सिटी, CUET के अभ्यर्थियों के लिए जरूरी जानकारी 



    इस वक्त देशभर की सेंट्रल यूनिवर्सिटीज में प्रवेश के लिए कॉमन यूनिवर्सिटी एडमिशन एंट्रेस टेस्ट (CUET) आयोजित किए जा रहे हैं। परीक्षा के बाद रिजल्ट जारी किया जाएगा। जिसके बाद छात्रों को एडमिशन दिया जाएगा। ऐसे में अभ्यर्थी देश की टॉप-10 यूनिवर्सिटीज के बार में जरूर जान लें, ताकि एडमिशन के दौरान गतलियां न हों...


    ​JUN, नई दिल्ली
    सीयूईटी एंट्रेंस क्लियर करने के बाद छात्र जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में प्रवेश ले सकते हैं। यह यूनिवर्सिटी भारत की नंबर-1 यूनिवर्सिटी है। फीस आदि की जानकारी ऑफिशियल वेबसाइट पर चेक किया ज सकता है।


    ​बीएचयू​, बनारस
    छात्र बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) से भी ग्रेजुएशन कर सकते हैं। NIRF 2022 की रैंकिंग में इस यूनिवर्सिटी को दूसरा स्थान प्राप्त है। यह यूनिवर्सिटी वाराणसी में स्थित है। इसको मदन मोहन मालवीय ने बनवाया था।


    ​AMU​ अलीगढ़
    अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़ उत्तर प्रदेश में स्थित है। यह केंद्रीय विश्वविद्यालय है, जिसे मूल रूप से सर सैयद अहमद खान द्वारा 1875 में मुहम्मडन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज के रूप में स्थापित किया गया था। मुहम्मडन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज 1920 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बन गया। ऐसे में छात्र इस यूनिवर्सिटी में भी एडमिशन ले सकते हैं।


    ​हैदराबाद विवि​
    इसका स्थान 5वां है। ऐसे में सीयूईटी के बाद छात्र इस यूनिवर्सिटी में भी एडमिशन ले सकते हैं। यहां पर यूजी के कई कोर्स संचालित किए जाते हैं। यह यूनिवर्सिटी हैदराबाद में स्थित है।


    ​दिल्ली यूनिवर्सिटी​
    छात्र सीयूईटी क्लियर करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी में भी प्रवेश ले सकते हैं। इससे पहले डीयू के सभी कॉलेजों में 12वीं के अंकों के आधार पर एडमिशन दिया जाता था। लेकिन अब सीयूईटी के जरिए प्रवेश दिया जाएगा।


    ​जामिया मिलिया इस्लामिया
    जामिया मिलिया इस्लामिया ने 1920 में अलीगढ़ में अपने संस्थापक सदस्यों - शैखुल हिंद मौलाना महमूद हसन, मौलाना मुहम्मद अली जौहर, जेनाब हकीम अजमल खान, डॉ मुख्तार अहमद अंसारी, जेनाब अब्दुल मजीद ख्वाजा, और के दृढ़ संकल्प के साथ एक मामूली शुरुआत की। बाद में इसे केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिला है। इसका स्थान चौथा है। ऐसे में छात्र इस यूनिवर्सिटी में भी प्रवेश ले सकते हैं।


    ​सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ पंजाब
    सीयूईटी क्लियर कर चुके छात्र, सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ पंजाब में भी एडमिशन ले सकते हैं। यह यूनिवर्सिटी भी टॉप-10 यूनिवर्सिटी में शामिल है। यहां पर अच्छे प्रोफेसर्स द्वारा शिक्षा दी जाती है।


    ​सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान
    अजमेर के एनएच-8 पर स्थित इस यूनिवर्सिटी में भी छात्र प्रवेश ले सकते हैं। इस यूनिवर्सिटी का उद्देश्य छात्रों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान करना है। अधिक जानकारी ऑफिशियल वेबसाइट पर चेक किया जा सकता है।


    ​विश्वभारती यूनिवर्सिटी​
    यह यूनिवर्सिटी केरल में स्थित है। सीयूईटी क्लियर करने के बाद छात्र इस यूनिवर्सिटी में भी प्रवेश ले सकते हैं। इसका कैम्पस कई वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।


    ​EFLU​, हैदराबाद 
    अंग्रेजी और विदेशी भाषा विश्वविद्यालय EFLU के रूप में जाना जाता है । यह यूनिवर्सिटी हैदराबाद में स्थित है। यह भारत में स्थित अंग्रेजी और विदेशी भाषाओं के लिए एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है ।यह एकमात्र ऐसा विश्वविद्यालय है जो दक्षिण एशिया में भाषाओं को समर्पित है । ऐसे में छात्र यहां पर सीयूईटी क्लियर करने बाद प्रवेश के बारे में सोच सकते हैं। अधिक जानकारी ऑफिशियल वेबसाइट पर चेक किया जा सकता है।


    राजकीय और परिषदीय विद्यालयों में खुलेंगे उत्तर प्रदेश राज्य मुक्त विद्यालय परिषद प्रयागराज के अध्ययन केंद्र

    राजकीय और परिषदीय विद्यालयों में खुलेंगे उत्तर प्रदेश राज्य मुक्त विद्यालय परिषद प्रयागराज के अध्ययन केंद्र 


    जो छात्र किन्हीं कारणोंवश शिक्षा की मुख्य धारा से दूर हो चुके हैं उन छात्रों के लिए अच्छी खबर है। उत्तर प्रदेश राज्य मुक्त विद्यालय परिषद, प्रयागराज की ओर से राजकीय, परिषदीय, सहायता प्राप्त, मान्यता प्राप्त विद्यालयों में अपने अध्ययन केंद्र स्थापित किए जाने की योजना बनायी गयी है।


     इसमें शिक्षा से दूर हो चुके छात्र मुक्त विद्यालय की तर्ज पर शिक्षा ग्रहण कर सकेंगे। परिषद के सचिव की ओर से डीआईओएस को इसको लेकर निर्देश भी जारी किए गए हैं। शहर के ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी सैकड़ो की तादाद में बच्चे शिक्षा की मुख्य धारा से दूर हैं। परिषदीय शिक्षा को मजबूत बनाने के लिए बेशक महत्वपूर्ण कदम उठाये जा रहे हैं मगर ऐसे बच्चों की कमंीं नही है जो कि अल्प समय में ही शिक्षा से दूर हो जाते हैं। 


    ऐसे बच्चों को शिक्षा से जोड़ने को शिक्षा मंत्रालय की ओर से पहल की गयी है जिससे कि पढ़ाई से दूरी बनाने वाले छात्र छात्राओं को इसका लाभ मिल सके। राज्य मुक्त विद्यालय परिषद की ओर से दूरस्थ शिक्षा में उच्चतर माध्यमिक स्तर तक के सभी कार्यक्रमों के क्रियान्वयन को योजना बनायी गयी है। इसमें किसी भी स्तर से कोई भी छात्र, छात्रा शिक्षा से वंचित न रहे । 


    इसी के अंतर्गत सभी विद्यालयों में उत्तर प्रदेश राज्य मुक्त विद्यालय परिषद प्रयागराज का अध्ययन केंद्र स्थापित किया जाना है। शिक्षा से विमुख हो चुके छात्र छात्राओं को अध्ययन केंद्र के माध्यम से शिक्षित कर समाज की मुख्य धारा से जोड़ा जा सके। 


     राजकीय, परिषदीय, सहायता प्राप्त एवं मान्यता प्राप्त विद्यालयों सहित अन्य केंद्रों में परिषद का अध्ययन केंद्र स्थापित किया जायेगा। बताया जा रहा है कि परिषद के सचिव राकेश कुमार का पत्र मिला है। पत्र के आधार पर अग्रिम कार्रवाई क ी जा रही है।

    UP Madarsa Board Exam: अगले साल से मदरसों में नहीं होंगी बोर्ड परीक्षाएं, सरकारी इंटरमीडिएट कालेजों में परीक्षा केन्द्र बनाने पर हो रहा विचार

    UP Madarsa Board Exam: अगले साल से मदरसों में नहीं होंगी बोर्ड परीक्षाएं, सरकारी इंटरमीडिएट कालेजों में परीक्षा केन्द्र बनाने पर हो रहा विचार 


    UP Madarsa Board Exam 2023: उत्तर प्रदेश में मदरसा बोर्ड एग्जाम को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है. कहा जा रहा है कि अगले साल मदरसा बोर्ड के एग्जाम मदरसों में नहीं लिए जाएंगे. इसके लिए इंटरमीडिएट कालेज का इंतेजाम किया जाएगा. 


    Madarsa Board Exam 2023: उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड मदरसों के बजाय इंटरमीडिएट कॉलेजों को एग्जाम सेंटर के तौर पर इस्तेमाल करने पर गौर कर रहा है. अफसरों ने कहा कि इस संबंध में आखिरी फैसला जुलाई में होने वाली बोर्ड की मीटिंग में लिया जाएगा. मदरसा बोर्ड के सदस्य कमर अली और परीक्षा नियंत्रण कक्ष (लखनऊ में स्थापित) के इंचार्ज ने न्यूज एजेंसी को बताया,"अगले सेशन से, बोर्ड मदरसों के बजाय सरकारी इंटरमीडिएट कॉलेजों को एग्जाम सेंटर बनाने पर गौर कर रहा है. इस संबंध में आखिरी फैसला जुलाई में होने वाली बोर्ड की मीटिंग में लिया जाएगा."


    उन्होंने कहा कि अब तक मदरसा बोर्ड के एग्जाम मदरसों में ही होते थे. "हालांकि, यह देखा गया कि इंटरनेट कनेक्टिविटी और अन्य व्यावहारिक मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. इसके अलावा, मदरसों के प्रिंसिपल और मैनेजरों ने संसाधन की कमी का हवाला देते हुए जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने की कोशिश की. इंटरमीडिएट के कॉलेज एग्जाम नहीं होने का रास्ता नहीं अपना सकते." इससे नकल मुक्त परीक्षा कराने के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मकसद की भी पूर्ति होगी.


    अली ने कहा कि अगले साल से जिले के सभी एग्जाम सेंटर्स को अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों की निगरानी वाले कंट्रोल रूम से जोड़ा जाएगा. ये कंट्रोल रूम मदरसा बोर्ड के कंट्रोल रूम से जुड़े होंगे और किसी तरह की गड़बड़ी होने पर अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को जवाबदेह ठहराया जाएगा.


    उन्होंने कहा, "इस वक्त 539 एग्जाम सेंटर हैं जहां मदरसा बोर्ड के एग्जाम होते हैं. एक ही वक्त में सभी सेंटर्स पर एग्जाम की निगरानी मुमकिन नहीं है और अगले साल से इसे मंडलवार आयोजित किया जाएगा. इससे विसंगतियों की आसानी से पहचान करने में मदद मिलेगी."


    उन्होंने कहा कि लखनऊ, कन्नौज, अलीगढ़, आजमगढ़, मऊ और अंबेडकर नगर में हुई परीक्षाओं के दौरान कुछ कमियां पाई गईं, क्योंकि परीक्षार्थियों के बैठने की व्यवस्था नहीं थी और ड्यूटी पर तैनात लोग कथित तौर पर ड्यूटी से गायब थे. राज्य में 16,531 मदरसे उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड के साथ पंजीकृत हैं. इनमें से 558 सरकारी सहायता प्राप्त हैं.