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Tuesday, August 22, 2119

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    Saturday, July 27, 2024

    साल भर के भीतर ही गड़बड़ाने लगे टैबलेट, बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों के डिजिटलीकरण के लिए प्रदेश भर में दिए गए थे टैबलेट

    साल भर के भीतर ही गड़बड़ाने लगे टैबलेट, बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों के डिजिटलीकरण के लिए प्रदेश भर में दिए गए थे टैबलेट


    टैबलेट्स में इस तरह की आ रहीं समस्याएं

    ■ कनेक्टिविटी काफी कम होना।
    ■ बैटरी बैकअप कम होने से बिजली नहीं आने पर जल्द बन्द हो जाता है टैबलेट।
    ■ 4जी सिम से ही संचालित होने से ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में संचालन काफी मुश्किल।
    ■ रोजाना अपडेट करने की समस्या।
    ■ जरूरत के हिसाब से काफी कम मेमोरी।


    लखनऊ। परिषदीय विद्यालयों को डिजिटल करने के लिए दिए गए टैबलेट को साल भर पूरे नहीं हुए परन्तु अब वे दिक्कतें देने लग गए हैं। आलम यह है कि टैबलेट के संचालन में शिक्षकों को पसीने छूट रहे हैं। दूरदराज ही नहीं ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में टैबलेट पर काम करना काफी कठिन हो रहा है।

    परिषदीय विद्यालयों में दैनिक कामकाज के लिए रखे गए 12 रजिस्टरों को पूरी तरह से डिजिटल करने के लिए सरकार ने सभी विद्यालयों को ये टैबलेट दिए हैं। विद्यालयों में इन पर काम शुरू भी हो गया है लेकिन बीते अप्रैल में मिले टैबलेट को चलाने की समस्याएं आने लगी हैं। टैबलेट के लिए सरकार ने 2023 में ही टेंडर किया था और पिछले वर्ष ही इसकी आपूर्ति हुई है, लिहाजा उस हिसाब से शिक्षकों द्वारा इसे पुराना वर्जन कहा जा रहा है। 

    जानकारों के अनुसार स्कूल शिक्षा महानिदेशालय को रोज दो से ढ़ाई सौ शिकायतें टैबलेट के संचालन को लेकर मिल रही हैं। कुछ शिकायतें तो वीडियो काल से दुरुस्त किये जा रहे हैं लेकिन जहां गम्भीर समस्याएं रहती हैं, वहां महानिदेशालय से तकनीकी टीम जाकर गड़बड़ियों को दुरुस्त कर रही है या फिर टैबलेट बदले जा रहे हैं।


    क्या कहते हैं जिम्मेदार
    जिलों से टैबलेट को लेकर जो शिकायतें मिल रही हैं, उनमें ज्यादातर उसे काफी दिनों से रखे रह जाने या काम नहीं लिये जाने की वजह से हैं। जहां से शिकायतें आती हैं वहां वेंडर जाकर उसे ठीक भी कर रहा है। जहां बदलने की जरूरत है उसे बदल भी रहे हैं। जल्द ही समस्याओं को दूर कर लिया जाएगा। - कंचन वर्मा, महानिदेशक, स्कूल शिक्षा, उत्तर प्रदेश



    सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए उपलब्ध कराए गए कई टैबलेट बने बेसिक शिक्षकों के लिए सिरदर्द 

    🔴 प्राइमरी स्कूलों के टैबलेट खराब, 5G सिम सपोर्ट नहीं

    🔴 टैबलेट नहीं चलने से आनलाइन किए जाने वाले कार्यों में समस्या

    🔴 बैटरी या और दिक्कत पर बनवाने जाना पड़ेगा सर्विस सेंट


    प्रयागराज : बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में आनलाइन उपस्थिति, सेल्फी, 12 तरह के रजिस्टर सहित अन्य सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए उपलब्ध कराए गए कई टैबलेट सिरदर्द बन गए हैं। कुछ जिलों में टैबलेट की बैटरी खराब हो जाने से वे चालू नहीं हो रहे हैं। जो चालू हैं उनकी स्पीड मोबाइल फोन से भी काफी कम है। 5जी के दौर में 3जी 4जी सिम के सपोर्ट से चलने वाले इन टैबलेट में नेटवर्क की समस्या है। खराब होने पर इन्हें बनवाने के लिए सर्विस सेंटर की जो सूची जारी की गई है, उनके दूर होने से वहां आना-जाना संकट भरा है। कुछ जिलों में सर्विस सेंटर ही नहीं हैं।


    परिषदीय स्कूलों में उपस्थिति पंजिका, एमडीएम पंजिका, स्टाक पंजिका, बैठक पंजिका, निश्शुल्क सामग्री वितरण पंजिका, पत्र व्यवहार पंजिका, बाल गणना पंजिका, पुस्तकालय पंजिका, छात्र विवरण, खेलकूद पंजिका, आय व्यय एवं चेक इश्यू पंजिका सहित कई कार्यों की जानकारी दी जानी है। इसके लिए प्रत्येक विद्यालय को दो-दो टैबलेट, सिम और रिचार्ज करने के लिए धनराशि उपलब्ध कराई गई है। टैबलेट खरीदने के लिए 2018-19 में टेंडर हुआ था।


    अब दौर 5जी का है। ऐसे में 5जी सिम पांच साल पुराने वर्जन के टैबलेट में सपोर्ट न करने से कई जिलों में संकट है। लखीमपुर खीरी और अन्य जिलों के ग्रामीण क्षेत्र में नेटवर्क की समस्या से शिक्षक परेशान हैं। टैबलेट में शिकायतें आने के बाद महानिदेशालय स्कूल शिक्षा की ओर सौ से ज्यादा सर्विस सेंटर की सूची जारी की गई है, जहां संपर्क करके उसे ठीक कराने के निर्देश दिए गए थे। 


    कई शिक्षकों ने बताया कि कुछ जिलों में सर्विस सेंटर ही नहीं है। ऐसे में उन्हें दूसरे जिले के सर्विस सेंटर पर जाना पड़ेगा। इसके अलावा एक दिन टैबलेट देने जाएं। न बनने पर दूसरे दिन या किसी अन्य दिन लेने जाएं तो हाजिरी का क्या होगा। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र से 60-70 किमी चलकर जिला मुख्यालय जाने आने या दूसरे जिले में जाने-आने का व्यय व अन्य खर्च कहां से करेंगे। इस तरह कई समस्याओं के चलते शिक्षकों में नाराजगी है।


    समस्या पर विद्या समीक्षा केंद्र से करें संपर्क

    महानिदेशक, स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने बताया कि डिजिटल रजिस्टर या फिर टैबलेट के उपयोग में आ रही समस्याओं के समाधान के लिए शिक्षक राज्य स्तर पर बनाए गए विद्या समीक्षा केंद्र से संपर्क कर अपनी समस्याओं का समाधान करा सकते हैं। विद्या समीक्षा केंद्र का फोन नंबर 05223538777 है। सभी जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों व खंड शिक्षा अधिकारियों को इसके लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। सर्विस सेंटर की सूची भी जिलों को दी जा चुकी है। शिक्षकों को टैबलेट के उपयोग करने से जुड़ी जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए जानकारी उपलब्ध कराई गई है। फिर भी कोई कठिनाई हो तो विद्या समीक्षा केंद्र से संपर्क कर सकते हैं।

    'न्याय पंचायत स्तर पर 12वीं तक वर्ल्ड क्लास स्कूल' बनाने का दावा, हर गांव में स्कूल की पद्धति को हटाकर होगा यूपी में नया प्रयोग

    'न्याय पंचायत स्तर पर 12वीं तक वर्ल्ड क्लास स्कूल' बनाने का दावा,  हर गांव में स्कूल की पद्धति को हटाकर होगा यूपी में नया प्रयोग

    मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने बताई योजना


    लखनऊ : हर जिले में न्याय पंचायत के अंतर्गत 10 से 12 गांव आते हैं। प्रदेश सरकार ने न्याय पंचायतों के स्तर पर वर्ल्ड क्लास स्कूल बनाने की योजना तैयार की है। बारहवीं तक वनने वाले स्कूलों में ट्रांसपोर्ट की भी सुविधा होगी। 


    वर्तमान में हर गांव में एक स्कूल तो है, लेकिन उनकी स्थितियों में सुधार नहीं हो रहा है। इसी के चलते न्याय पंचायत स्तर पर बेहतर स्कूलों की योजना तैयार की जा रही है। यह बात मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने गुरुवार को द इकॉनमिक टाइम्स, प्लानिंग डिपार्टमेंट और उदैती फाउंडेशन की तरफ से आयोजित सेमिनार में कही।

    गोमतीनगर स्थित होटल में आयोजित सेमिनार 'फॉस्टरिंग वीमन इन्क्लूसिव ग्रोथ इन यूपी' में महिलाओं के सशक्तीकरण पर भी चर्चा हुई। प्लानिंग डिपार्टमेंट के प्रमुख सचिव आलोक कुमार, सीएम के सलाहकार अवनीश अवस्थी, ट्रेनिंग ऐंड इंप्लॉयमेंट की निदेशक नेहा प्रकाश, लेवर डिपार्टमेंट के प्रमुख सचिव अनिल कुमार, उदैती फाउंडेशन की सीईओ पूजा शर्मा गोयल समेत विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारी और विशेषज्ञ मौजूद रहे।



    UP govt for schools at nyaya panchayat levels to push eduCM Initiated Process In 18 Divisions

    Lucknow: Chief secretary Manoj Kumar Singh on Thursday said UP govt's ini- tiative to establish schools on 10 hectares of land in each nyaya panchayat will impro- ve education standards.

    Singh said UP has about 1.38 lakh primary schools, seven lakh teachers and two crore stu dents. Currently, each school comprises 2-3 rooms, 4-5 teachers and 200 students, offe- ring limited scope for improvement. By merging all the primary schools within each nyaya panchayat, more than 100 teachers and 2,000 stu- dents will come together on a single campus.

    "These schools will be established at every block and nyaya panchayat level across the state to provide quality education to children. The education department will have a transport division and a catering division to facilitate the commute and diet of students to these schools,' headded. 

    He said that the CM has already initiated this process in 18 divisions, aiming to educate 2,000 children per school. "The primary goal of this initiative is to enhance the educational stan- dards for children and im prove the state's human de velopment index," he added..

    पहले तबादले का इंतजार, अब वेतन का; अंतरजनपदीय म्यूचुअल ट्रांसफर पर आए शिक्षकों की आईडी अभी नहीं हुई ट्रांसफर

    पहले तबादले का इंतजार, अब वेतन का; अंतरजनपदीय म्यूचुअल ट्रांसफर पर आए शिक्षकों की आईडी अभी नहीं हुई ट्रांसफर


    लखनऊ । डेढ़ साल के इंतजार के बाद अंतरजनपदीय म्यूचुअल तबादले तो हो गए लेकिन अब शिक्षक अपने वेतन के लिए परेशान हैं। तबालों को एक महीना हो गया लेकिन जिस जिले से आए थे, वहां से उनकी आईडी मानव सम्पदा पोर्टल पर ट्रांसफर नहीं हुई है। वे अपनी अटेंडेंस लगा रहे हैं लेकिन ब्लॉक स्तर से वह लॉक नहीं हो रही। ऐसे में उनको इस महीने का वेतन मिलना मुश्किल होगा।


    डेढ़ साल चली प्रक्रिया के बाद 19 जून को शिक्षकों के अंतरजनपदीय म्यूचुअल तबादलों की लिस्ट जारी हुई थी। इसमें प्रदेश के करीब 2700 शिक्षकों का तबादला हुआ था। उन्होंने नए जिले में आवंटित ब्लॉक के स्कूल में जॉइन भी कर लिया। इसके बाद जहां से उनका तबादला हुआ है, वहां से उनका लास्ट पे सर्टिफिकेट (LPC) जारी होना था। कुछ जिलों ने LPC जारी कर दिया लेकिन कई जिले ऐसे हैं, जिन्होंने अब तक जारी नहीं किया। उसी आधार पर शिक्षकों का आगे का वेतन नए जिले में लगेगा। 


    जहां LPC जारी हो गया है, वहां अभी आईडी ट्रांसफर नहीं हुई है। इस आईडी से ही शिक्षकों को अपनी अटेंडेंस लॉक करनी होती है। उसके बाद स्कूल के हेड टीचर को सभी शिक्षकों की अटेंडेंस लॉक का ब्योरा सबमिट करना होगा। अटेंडेंस स्कूल स्तर से लॉक करने के बावजूद ज्यादातर जिलों में ब्लॉक स्तर से अटेंडेस लॉक नहीं हो रही। इसकी वजह आईडी ट्रांसफर न होना है।


    वेतन आदेश भी जारी नहीं

    बाराबंकी से माल ब्लॉक में ट्रांसफर होकर आए शिक्षक निर्भय सिंह ने बताया कि उन्होंने भी अपनी अब तक की अटेंडेंस लॉक की है, लेकिन ब्लॉक स्तर से लॉक नहीं हो रही। ऐसी ही समस्या कई और शिक्षकों की भी है। आईडी ट्रांसफर होने के बाद ही बीएसए वेतन के आदेश जारी करेंगे। अभी तक एक-दो जिलों को छोड़कर बाकी ने वेतन आदेश जारी नहीं किए हैं। इस बारे में प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक असोसिएशन के अध्यक्ष विनय कुमार सिंह कहते हैं कि जब पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन है तो इसमें वक्त लगना ही नहीं चाहिए। शिक्षकों से अधिकारी हर काम समय पर चाहते हैं लेकिन खुद शिक्षकों के काम लटकाए रहते हैं।


    इतनी बड़ी प्रक्रिया में कुछ वक्त लगता है। कुछ तकनीकी दिक्कतों की वजह से ऐसा हो सकता है। जल्द दुरुस्त करवाया जाएगा। कोशिश होगी किसी का वेतन न रुके। - सुरेंद्र तिवारी, सचिव बेसिक शिक्षा परिषद

    Friday, July 26, 2024

    कोर्स अधूरा तो चलेगी परिषदीय स्कूलों में एक्स्ट्रा क्लास, हर दिन 30 मिनट का रेमेडियल (उपचारात्मक) क्लास चलाने का भी निर्देश

    कोर्स अधूरा तो चलेगी परिषदीय स्कूलों में एक्स्ट्रा क्लास, हर दिन 30 मिनट का रेमेडियल (उपचारात्मक) क्लास चलाने का भी निर्देश




    परिषदीय स्कूलों में बच्चों को शैक्षणिक रूप से प्रतिस्पर्धा में सक्षम बनाने के लिए इस साल कोर्स को समय से पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। हर स्कूल में इसके लिए ‘एक्स्ट्रा क्लासेज’ की व्यवस्था दी गई है। साथ ही स्कूल के दौरान ही हर दिन 30 मिनट का रेमेडियल (उपचारात्मक) क्लास चलाने का भी निर्देश है। खेलकूद और अन्य गतिविधियों के साथ ही पढ़ाई का रुटीन तय किया गया है।


    बेसिक स्कूलों के सत्र 2024-25 के लिए जारी शैक्षणिक कैलेंडर में हर दिन प्रार्थना सभा और ध्यान सत्र के बाद कक्षाएं शुरू करने के निर्देश हैं। एक पीरिएड यानी कालांश 40 मिनट का रखा जाएगा। भोजनावकाश के पहले और बाद में इन कालांश को बराबर रखा जाएगा। शैक्षणिक कैलेंडर में हर महीने के पाठ्यक्रम को तय करने के साथ ही तय समय में इनके पूरा न होने पर एक्स्ट्रा क्लास चलाने के निर्देश दिए गए हैं। पढ़ाई के दौरान और छुट्टी के दिनों में भी अतिरिक्त कक्षाएं चलाकर छूटा हुआ कोर्स पूरा कराया जाएगा। हर दिन 30 मिनट की एक रेमेडियल कक्षा चलाने के निर्देश दिया है।

    सात सूत्री जायज मांगों को लेकर शिक्षामित्रों ने मनाया काला दिवस

    सात सूत्री जायज मांगों को लेकर शिक्षामित्रों ने मनाया काला दिवस


    प्रयागराज । परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षामित्रों ने अपनी सात सूत्री जायज मांगों को लेकर काला दिवस मनाया। इसके साथ ही समस्याओं के निस्तारण के लिए सभी जनपदों में जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा। हर जिले में मृत शिक्षामित्रों को श्रद्धांजलि दी गई।


    शिक्षामित्रों ने कहा कि विगत 24 साल से काम कर रहे हैं। इस महंगाई के दौर में शिक्षामित्रों को मात्र दस हजार रुपये 11 महीने का ही मानदेय मिल रहा है। जिससे शिक्षामित्रों के परिवार का पालन घोषण नहीं हो पा रहा है। 


    मांग की कि नई शिक्षा नीति में शिक्षामित्रों को स्थाई करते हुए नियमित वेतनमान दिया जाए। महिला शिक्षामित्रों को ससुराल के विद्यालय में समायोजित, शिक्षामित्रों को ईपीएफ योजना में शामिल करते हुए लाभान्वित किया जाए।




    सोशल मीडिया पर मानदेय बढ़ोत्तरी की अफ़वाहों के  बीच शिक्षामित्रों का 25 जुलाई को काला दिवस मनाने का एलान

    23 जुलाई 2024
    लखनऊ। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के नेतृत्व में सभी जिलों में शिक्षामित्र 25 जुलाई को काला दिवस मनाएंगे। वर्ष 2017 में इसी दिन शिक्षामित्रों का समायोजन निरस्त किया गया था। तबसे शिक्षामित्र आर्थिक व मानसिक रूप से परेशान हैं। 


    संघ के प्रदेश मंत्री कौशल कुमार सिंह ने कहा कि अब तक कई शिक्षामित्रों का निधन हो चुका है। इसमें कुछ बीमार होने पर अपना इलाज भी नहीं करा सके थे। 25 जुलाई को हर जिले में मृत शिक्षामित्रों को श्रद्धांजलि दी जाएगी। साथ ही डीएम के माध्यम से शिक्षामित्रों के मानदेय बढ़ाने व अन्य समस्याओं के संदर्भ में मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी भेजेंगे। 



     सोशल मीडिया पर रही मानदेय बढ़ने की चर्चा 
    लखनऊ। शिक्षामित्र राजधानी में आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। इस बीच रविवार से ही शिक्षामित्रों व अनुदेशकों के मानदेय बढ़ने की चर्चा सोशल मीडिया पर चलती रही। कुछ शिक्षक संगठनों ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा कि शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने का प्रस्ताव परियोजना कार्यालय से स्वीकृत कर आगे बढ़ा दिया गया है। वित्त विभाग की सहमति के बाद इसे आगे बढ़ाया जाएगा। जबकि बेसिक शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. एमकेएस सुंदरम ने इस चर्चा को गलत बताया। 

    Thursday, July 25, 2024

    यूपी बीएड की काउंसलिंग पांच अगस्त से शुरु होने की संभावना, शासन से स्वीकृति मिलने का इंतजार

    यूपी बीएड की काउंसलिंग पांच अगस्त से होने की संभावना, शासन से स्वीकृति मिलने का इंतजार

    कुलपति ने काउंसलिंग का कार्यक्रम स्वीकृति के लिए शासन को भेजा


    झांसी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय ने बीएड की काउंसलिंग कराने की तैयारी शुरू कर दी है। कुलपति ने काउंसलिंग का पूरा कार्यक्रम स्वीकृति के लिए शासन को भेज दिया है। पहली काउंसलिंग पांच अगस्त से शुरू हो सकती है।


    शिक्षा सत्र 2024-25 की राज्य स्तरीय संयुक्त बीएड प्रवेश परीक्षा बुंदेलखंड विश्वविद्यालय ने कराई थी। परीक्षा में 2,23, 384 विद्यार्थियों ने आवेदन किया था। 51 जिलों में 470 केंद्रों पर परीक्षा कराई गई थी। विवि ने समय से पहले यानी 25 जून को परीक्षा परिणाम जारी कर दिया था, जिसमें 1,93,062 अभ्यर्थियों को रैंक दी। अब विवि काउंसलिंग कराने की तैयारी में जुट गया है। 


    सूत्रों का कहना है अगस्त के पहले सप्ताह में प्रदेशभर के बीएड कॉलेजों में काउंसलिंग शुरू कराने की तैयारी लगभग पूरी है। गाइड लाइन तैयार कर ली गई है। शासन से स्वीकृति मिलते ही कार्यक्रम जारी कर दिया जाएगा।


    पहले चरण की काउंसलिंग पांच से 22 अगस्त तक, दूसरे चरण की काउंसलिंग 24 से 31 अगस्त तक होगी। इसके बाद एक से छह सितंबर तक पूल काउंसलिंग कराई जाएगी। पूल काउंसलिंग खत्म होने के बाद कॉलेज सीधे एडमिशन लेंगे।

    डिजिटल अटेंडेंस : बेसिक शिक्षकों का निदेशालय घेराव स्थगित, कमेटी की रिपोर्ट आने तक नहीं देंगे ऑनलाइन हाजिरी और प्रार्थना सभा की सेल्फी

    डिजिटल अटेंडेंस : बेसिक शिक्षकों का निदेशालय घेराव स्थगित, कमेटी की रिपोर्ट आने तक नहीं देंगे ऑनलाइन हाजिरी और प्रार्थना सभा की सेल्फी


    लखनऊ । Digital Attendance:यूपी के बेसिक शिक्षकों ने 29 जुलाई को होने वाले निदेशालय घेराव कार्यक्रम को स्थगित कर दिया है। कमेटी ने फैसला लिया है कमेटी गठन और रिपोर्ट आने तक शिक्षक डिजिटल अटेंडेंस नहीं देंगे। 


    प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों के डिजिटल अटेंडेंस समेत अन्य मांगों को लेकर 29 जुलाई को निदेशालय घेराव का निर्णय फिलहाल स्थगित कर दिया गया है। शिक्षकों ने इस मामले में जल्द कमेटी के गठन और उसकी रिपोर्ट देने की मांग की है। साथ ही रिपोर्ट न आने तक डिजिटल अटेंडेंस न लगाने न ही प्रार्थना सभा की सेल्फी भेजने का पूर्व का निर्णय बरकरार रहेगा।


    प्रदेश में आठ जुलाई से परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों के डिजिटल अटेंडेंस लगाने का निर्देश जारी हुआ था। इसे लेकर शिक्षकों ने पूरे प्रदेश में धरना, विरोध-प्रदर्शन किया था। साथ ही शिक्षक, शिक्षा मित्र, अनुदेशक, कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा का गठन किया था। इस बीच कुछ शिक्षक संगठनों की मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह व संयुक्त मोर्चा की महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा के साथ बैठक हुई थी।


    इसमें डिजिटल अटेंडेंस को स्थगित करने, एक कमेटी के गठन और शिक्षकों की अन्य मांगों पर सकारात्मक निर्णय लेने की बात कही गई थी। हालांकि संयुक्त मोर्चा 29 जुलाई को निदेशालय घेराव पर अड़ा हुआ था। इस क्रम में हाल में हुई बैठक में यह तय किया गया कि महानिदेशक द्वारा बैठक की कार्यवाही मोबाइल मैसेज के माध्यम से उपलब्ध कराई गई है। सभी घटक संगठनों के प्रतिनिधि इससे सहमत हैं।


    महानिदेशक ने बताया है कि समिति जल्द गठित होगी। इसमें शिक्षक संगठनों के प्रतिनिधि भी होंगे। अन्य समस्या समाधान का भी भरोसा दिया गया है। संयुक्त मोर्चा के सह संयोजक अनिल यादव ने बताया कि इसे देखते हुए 29 जुलाई का निदेशालय घेराव का कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है। साथ ही यह भी निर्णय लिया गया कि शिक्षक न तो डिजिटल अटेंडेंस देंगे, न ही प्रार्थना सभा की सेल्फी भेजेंगे।



    साथियों!

    मुख्य सचिव महोदय उत्तर प्रदेश शासन के निर्देश के क्रम में महानिदेशक महोदया द्वारा शिक्षक,शिक्षा मित्र,अनुदेशक,कर्मचारी,संयुक्त संघर्ष मोर्चा के संयोजक मण्डल के साथ 17 जुलाई 2024 को बैठक हुई।बैठक में बिंदुवार चर्चा हुई।तमाम बिंदुओं पर सहमति भी हुई।जिसकी सूचना 17 जुलाई को ही आप सबको दी जा चुकी है।महानिदेशक महोदया द्वारा बैठक की कार्यवाही मोबाइल मैसेज के माध्यम से उपलब्ध कराई गई है।वार्ता सौहार्द पूर्ण रही थी।और सभी घटक संगठनों के प्रतिनिधि वार्ता से सहमत हुए।महानिदेशक महोदया द्वारा अवगत कराया गया कि आन लाइन उपस्थिति तथा अन्य मांगों के सम्बंध में एक समिति गठित करने का निर्णय लिया गया है।जिसमें शिक्षक संगठनों के प्रतिनिधि भी होंगे।वार्ता के माध्यम से यह भी अवगत कराया गया है। कि मुख्य सचिव महोदय द्वारा समस्या समाधान का भरोसा दिया गया है।सन्युक्त मोर्चे का मानना है कि किसी भी समस्या का समाधान बातचीत का रास्ता होता है।सन्युक्त मोर्चे द्वारा आन लाइन उपस्थिति के सम्बंध अपनाई जा रही प्रक्रिया के विरोध में स्थगित/निरस्त करने के सम्बंध में 29 जुलाई का कार्यक्रम घोषित किया गया था।अब वह आदेश स्थगित हो चुका है।और समिति गठन की प्रक्रिया गतिमान है।ऐसी स्थिति में सन्युक्त मोर्चे के संयोजक मण्डल का यह निर्णय है कि समिति का अंतिम निर्णय आने तक 29 जुलाई 2024 का घोषित कार्यक्रम स्थगित कर दिया जाए।तथा यह भी निर्णय लिया गया कि आन लाइन उपस्थिति की तरह ही प्रार्थना सभा की सेल्फी एवं डिजिटलाइजेशन की प्रक्रिया भी आन लाइन से ही सम्बन्धित है।इस लिए अन्य माँगों के साथ साथ उपरोक्त प्रक्रिया भी समिति के अंतिम निर्णय के अधीन रहे।तब तक प्रदेश का शिक्षक ऐसी किसी भी प्रक्रिया को प्रेरणा ऐप के माध्यम से नहीं करेगा। और उसका वहिष्कार रहेगा।क्योंकि प्रेरणा ऐप किसी भी स्थिति में सुरक्षित ऐप नहीं है।जनपदों में सन्युक्त मोर्चा उक्त प्रक्रिया का प्रतिकार जारी रखेगा।सहमति के आधार पर मुख्य *सचिव महोदय द्वारा गठित होने वाली समिति के अंतिम निर्णय आने तक* 29 जुलाई 2024 को होने वाला महानिदेशक महोदय के कार्यालय पर सन्युक्त मोर्चे का प्रस्तावित धरना स्थगित किया जाता है।
     
                        संयोजक मण्डल
    शिक्षक,शिक्षा मित्र,अनुदेशक,कर्मचारी सन्युक्त संघर्ष मोर्चा उत्तर प्रदेश

    Wednesday, July 24, 2024

    शिक्षकों के अवकाश मामले में अवमानना याचिका पर मांगा जवाब, 12 अगस्त को अगली सुनवाई

    शिक्षकों के अवकाश मामले में अवमानना याचिका पर मांगा जवाब, 12 अगस्त को अगली सुनवाई 


     

    बेसिक शिक्षकों की समस्याओं के निदान के लिए गठित होने वाली कमेटी में शिक्षक संघ के प्रतिनिधियों और सम्मानित शिक्षकों को सम्मिलित किए जाने हेतु बीजेपी एमएलसी ने मुख्य सचिव को लिखा पत्र

    बेसिक शिक्षकों की समस्याओं के निदान के लिए गठित होने वाली कमेटी में शिक्षक संघ के प्रतिनिधियों और सम्मानित शिक्षकों को सम्मिलित किए जाने हेतु बीजेपी एमएलसी ने मुख्य सचिव को लिखा पत्र 


    'यूपी सरकार की छवि शिक्षक और कर्मचारी विरोधी बन गई है', बीजेपी MLC ने लिखा सीएम योगी को पत्र

    'यूपी सरकार की छवि शिक्षक और कर्मचारी विरोधी बन गई है', बीजेपी MLC ने लिखा सीएम योगी को पत्र


    देवेंद्र प्रताप सिंह ने लिखा, 'कोरोना काल में जब खून के रिश्ते भी बेमानी हो गए थे. ऐसे संकट काल में चुनावी दायित्व का निर्वहन करने में 1621 शिक्षक अकाल मृत्यु के शिकार हुए थे. लेकिन उनका लोकतंत्र के लिए दिया गया बलिदान भुला दिया गया.


    उत्तर प्रदेश के एक और नेता ने राज्य सरकार की नीतियों पर नाराजगी जताई है. गोरखपुर-फैजाबाद स्नातक सीट से बीजेपी के MLC देवेंद्र प्रताप सिंह ने सीएम योगी को पत्र लिखकर कई सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने लिखा, 'आपके प्रदेश के सुशासन और कानून व्यवस्था की हर जगह सराहना होती है, यहां तक कि राष्ट्र के बाहर भी आपके मॉडल की चर्चा होती है. अचानक फिर ऐसा क्या हुआ कि प्रदेश की जनता सरकार से नाराज हो गई? 


    कई कारण एक साथ मिल जाने से 2024 का परिणाम खराब रहा. जनमानस में सरकार की छवि शिक्षक और कर्मचारी विरोधी बन गई है, इसके लिए जिम्मेदार नौकरशाह हैं. उनके लिए गए फैसलों से जन आक्रोश भड़क उठा है, नौकरशाहों द्वारा लिए गए निर्णय सरकार के लिए अभिशाप बन गए हैं.


    शिक्षकों का बलिदान भुला दिया गया'

    देवेंद्र प्रताप सिंह ने लिखा, 'कोरोना काल में जब खून के रिश्ते भी बेमानी हो गए थे. ऐसे संकट काल में चुनावी दायित्व का निर्वहन करने में 1621 शिक्षक अकाल मृत्यु के शिकार हुए थे. लेकिन उनका लोकतंत्र के लिए दिया गया बलिदान भुला दिया गया. भारत को पोलियो में विश्व रिकॉर्ड दिलाने वाले शिक्षकों को डिजिटल हाजिरी के नाम पर अपमानित और प्रताड़ित किया जा रहा है. शिक्षकों से शिक्षण कार्य के अतिरिक्त 30 कार्य ऑफलाइन लिए जाते हैं परंतु हाजरी ऑनलाइन क्यों?'


    पत्र में उन्होंने पूछा कि क्या शिक्षकों को गैर शैक्षिक कार्यों के लिए कोई अतिरिक्त सुविधा दी जाती है? क्या शिक्षक इंसान ना होकर मशीन बन गए हैं? विचारणीय प्रश्न यह है कि डिजिटल हाजिरी अन्य विभागों में क्यों नहीं?


    देवेंद्र प्रताप सिंह ने सीएम योगी को सलाह देते हुए आगे लिखा ....महानिदेशक शिक्षा कार्यालय में पिछले दिनों 85 कर्मचारी अनुपस्थित पाए गए थे,क्या उन्होंने अपने कार्यालय में डिजिटल हाजिरी लागू किया? उन्होंने कहा कि नौकरशाहों की साजिश से आपको बचना होगा.


    डिजिटल हाजिरी के फैसले को वापस लेने की दी सलाह

    MLC ने अपने पत्र के आखिरी में लिखा, 'बढ़ते हुए जन आक्रोश को रोकने के लिए डिजिटल हाजिरी के निर्णय को वापस लेना होगा. पुरानी पेंशन देने पर विचार करने की जरूरत है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतिम आदेश में कहा कि तदर्थ शिक्षकों की लंबी सेवा को देखते हुए हम इन्हें बाहर करने की मंशा नहीं रखते. सुप्रीम कोर्ट की इस भावना का आदर करते हुए तदर्थ शिक्षकों को रिक्त पदों पर भरना चाहिए.' 


    प्रदेश के 5350 परिषदीय स्कूलों में एक भी नया प्रवेश नहीं, प्रवेश की उम्र सीमा तय करने का दुष्प्रभाव

    प्रदेश के 5350 परिषदीय स्कूलों में एक भी नया प्रवेश नहीं, प्रवेश की उम्र सीमा तय करने का दुष्प्रभाव 

    कक्षा एक में शून्य प्रवेश वाले 3894, छह में शून्य प्रवेश वाले 1456 विद्यालय


    • 87267 परिषदीय प्राथमिक स्कूल प्रदेश में है।
    • 46331 उच्च प्राथमिक विद्यालय
    • 133598 कुल वेसिक स्कूल प्रदेश में है।

    • प्राथमिक स्तर के वित्तपोषित विद्यालय प्रदेश में 551
    • जूनियर स्तर के वित्त पोषित स्कूलों की संख्या 7682
    • कुल वित्तपोषित स्कूल प्रदेश में 8233

    • राजकीय स्कूल 608, इनमें प्राथमिक स्तर के 21 व उच्च प्राथमिक 587
    • प्रदेश में मिड डे मील योजना वाले मदरसा 550, इनमें प्राथमिक स्तर के 67 व उच्च प्राथमिक स्तर के 483
    • प्रदेश में 78 विशेष विद्यालय जिनमें श्रमिक बच्चे पढ़ाते हैं



    प्रयागराज ।  बेसिक शिक्षा विभाग  परिषदीय स्कूलों में पठन-पाठन के ण स्तर को सुधारने और आधारभूत हो व्यवस्था को बेहतर बनाने को प्रयासरत नों है। लक्ष्य है कि स्कूलों में पंजीयन बढ़े। पूर्व प्रत्येक विद्यालय में पिछले सत्र की तुलना में न्यूनतम 10 प्रतिशत अधिक ल पंजीयन का लक्ष्य दिया गया। इसके नत्र बावजूद 50 जिलों के 5,350 स्कूलों बालें में एक भी नया प्रवेश नहीं हुआ। इसमें कबे कक्षा एक से संबंधित 3,894 विद्यालय बाज और कक्षा छह से संबंधित बिना प्रवेश ही वाले 1,456 स्कूल हैं।


    प्रयागराज में 125 परिषदीय स्कूल  ऐसे हैं, जहां कक्षा एक में एक भी मन प्रवेश नहीं हुआ जबकि 12 वित्तपोषित के स्कूल शून्य नामांकन वाले हैं। कक्षा  छह में बेसिक शिक्षा विभाग के 16 और वित्तपोषित स्कूल 78 अर्थात कुल 97 जूनियर स्कूलों में एक भी नया पंजीयन नहीं हुआ। शून्य नामांकन वाली सूची में प्रदेश में सं. शीर्ष स्थान पर शाहजहांपुर है। यहां सबसे अधिक 464 ऐसे विद्यालय हैं, नौ जिनमें कक्षा एक में कोई प्रवेश नहीं हुआ। 


    आगरा में 443, मैनपुरी में 432, बदायूं में 277, अलीगढ़ में 272, बरेली में 253, एटा में 236, मथुरा में 192, कासगंज में 135, फतेहपुर में 126, मेरठ में 118, हाथरस में 117, पीलीभीत 92, प्रतापगढ़ 84, सहारनपुर 82, मुजफ्फरनगर 81, फिरोजाबाद के 75 स्कूलों में एक भी प्रवेश नहीं हुआ। कक्षा छह में नए सत्र में शून्य पंजीयन वाली सूची में शीर्ष पर एटा है। यहां 100 विद्यालयों में एक भी नया प्रवेश नहीं हुआ। 


    शाहजहांपुर में 99, अलीगढ़ में 87, बुलंदशहर व मथुरा में 86, आगरा में 78, मेरठ में 77, प्रतापगढ़ में 72, बदायूं में 70, मुजफ्फरनगर, बरेली, कासगंज, सहारनपुर, मैनपुरी, फतेहपुर, बागपत में क्रमशः 69, 67, 62, 55, 51, 50, 44 स्कूलों में कक्षा छह में कोई नया प्रवेश नहीं हुआ। इस बात की जानकारी प्रेरणा पोर्टल के आंकड़ों से हो रही है।


    इस स्थिति को स्कूल शिक्षा दी महानिदेशक कंचन वर्मा ने  असंतोषजनक बताते हुए संबंधित जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगने के लिए कहा है। अब इन स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को विभाग नोटिस भेजकर स्पष्टीकरण मांग रहा है। 


    पुरानी पेंशन हेतु विकल्प के लिए दिनांक 28 जून 2024 के दायरे में आ रहे NPS से आच्छादित अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयो के शिक्षक और कार्मिकों की सूचना उपलब्ध कराने के सम्बंध में आदेश जारी

    पुरानी पेंशन हेतु विकल्प के लिए दिनांक 28 जून 2024 के दायरे में आ रहे NPS से आच्छादित अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयो के शिक्षक और कार्मिकों की सूचना उपलब्ध कराने के सम्बंध में आदेश जारी

    सड़क सुरक्षा सम्बन्धी जागरूकता लाये जाने हेतु जनपद स्तर पर स्कूल / कालेजों में कार्यरत शिक्षकों को मास्टर ट्रेनर के रूप में नामित किये जाने के संबंध में

    सड़क सुरक्षा सम्बन्धी जागरूकता लाये जाने हेतु जनपद स्तर पर स्कूल / कालेजों में कार्यरत शिक्षकों को मास्टर ट्रेनर के रूप में नामित किये जाने के संबंध में 

     माध्यमिक शिक्षा विभाग के अन्तर्गत विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों में से प्रति जनपद 04 शिक्षकों का होगा चुनाव 




    स्कूली शिक्षा का बजट 19.56 और उच्च शिक्षा का 8 फीसदी बढ़ा

    स्कूली शिक्षा का बजट 19.56 और उच्च शिक्षा का 8 फीसदी बढ़ा

    आईआईटी के बजट में 841 करोड़ की बढ़ोतरी

    समग्र शिक्षा में 4,500 करोड़ ज्यादा मिले

    यूजीसी के लिए भी नौ फीसदी ज्यादा आवंटन

    पीएम पोषण में 2,467 करोड़ और पीएम श्री योजना में 3,250 करोड़ की बढ़ोतरी


    यूजीसी का बजट पिछले वित्तीय वर्ष के 17,473 करोड़ रुपये की तुलना में बढ़कर 19,024 करोड़ रुपये हो गया है। यूजीसी चेयरमैन प्रोफेसर एम जगदीश कुमार के अनुसार, इसमें नौ फीसदी की वृद्धि की गई है। उन्होंने बताया कि उच्च शिक्षा के कुल बजट में करीब आठ फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। 

    आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के तीन नए केंद्र बनाने के लिए 255 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। स्कूली शिक्षा के बजट में इस बार 19.56 फीसदी और बढ़ोतरी हुई है। स्कूली शिक्षा के लिए वर्ष 2023-24 की तुलना में इस वर्ष 12,024 करोड़ रुपये अधिक मिले हैं। स्कूली शिक्षा को 73,498 करोड़ रुपये और उच्च शिक्षा के लिए 47,619 करोड़ रुपये आवंटित हुए हैं।


    आईआईटी के बजट में 841 करोड़, डीम्ड यूनिवर्सिटी में 96 करोड़, एनआईटी को 219.40 करोड़, आईआईएसईआर को 78 करोड़, आईआईएससी को 63.37 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है। वहीं, इंस्टीट्यूट ऑफ ऐमिनेंस के बजट में 300 करोड़, राष्ट्रीय प्रशिक्षुता प्रशिक्षण योजना में 600 करोड़, मल्टी डिस्मिलनरी एजुकेशन एंड रिसर्च इंप्रूवमेंट इन टेक्निकल एजुकेशन के लिए 100 फीसदी बढ़ोतरी के साथ 200 करोड़ रुपये मिले हैं।


    • पिछले साल की तुलना में समग्र शिक्षा में 4,500 करोड़, पीएम पोषण में 2,467 करोड़, पीएम श्री योजना में 3,250 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है।

    केंद्रीय विद्यालय को 802 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी के साथ 9,302 करोड़ और नवोदय विद्यालय समिति को 330 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी के साथ 5.800 करोड़ रुपये मिले हैं।

    • आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के तीन नए सेंटर बनाने के लिए 255 करोड़ रुपये का प्रावधान।

    • राष्ट्रीय डिजिटल यूनिवर्सिटी के लिए पहली बार 100 करोड़ रुपये का हुआ आवंटन।

    • नेशनल इंस्टीटयूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क के लिए 5 करोड़ आवंटित।

    शिक्षकों के समायोजन आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती, अदालत ने 29 जुलाई तक मांगा जवाब

    शिक्षकों के समायोजन आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती, अदालत ने 29 जुलाई तक मांगा जवाब


    लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने प्राथमिक शिक्षकों के समायोजन पर होने वाले तबादले के आदेश पर राज्य सरकार से 29 जुलाई तक जवाब मांगा है। कोर्ट ने मंगलवार को अंतरिम आदेश दिया कि याची शिक्षकों के तबादले कोर्ट के अग्रिम आदेश के अधीन होंगें।

    न्यायमूर्ति मनीष माथुर ने यह आदेश उच्च प्राथमिक स्कूल की सहायक शिक्षक आकांक्षा चौधरी समेत 43 शिक्षकों की याचिका पर दिया। याचिका में राज्य सरकार की ओर से बीती 26 जून को जारी आदेश को चुनौती दी गई है। 


    याचियों के वरिष्ठ अधिवक्ता एचजीएस परिहार व मीनाक्षी परिहार ने कहा कि सरकार का यह आदेश यूपी बेसिक शिक्षकों की सेवा नियमावली 1981 के खिलाफ है। याचिका में सरकार के इस आदेश के तहत बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव की ओर से बीती 28 जून को शिक्षकों के समायोजन व तबादला के संबंध में जारी सर्कुलर को भी मनमाना बताते हुए चुनौती दी गई है। 


    याचियों के अधिवक्ता ने सरकार के आदेश और सर्कुलर को रद्द करने का आग्रह किया है। साथ ही समायोजन के नाम पर शिक्षकों की शिफ्टिंग पर रोक लगाने की गुजारिश की। याचिका में आरटीई अधिनियम के नियमों के उल्लंघन के आरोप भी लगाए गए हैं। 


    Tuesday, July 23, 2024

    शासन ने गंभीर भ्रष्टाचार के आरोपों में बीईओ को किया निलंबित

    शासन ने गंभीर भ्रष्टाचार के आरोपों में बीईओ को किया निलंबित


    हरदोई। शासन ने गंभीर भ्रष्टाचार के आरोपों में संडीला के तत्कालीन खंड शिक्षा अधिकारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। उन्हें मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक अयोध्या के कार्यालय से संबद्ध किया गया है। निलंबित बीईओ इन दिनों बाराबंकी में तैनात हैं। संडीला के बीआईओ के पद पर तैनात रहे दीपेश कुमार को लेकर गंभीर गोपनीय शिकायत बीएसए को मिली थी। उन्होंने इस मामले में गोपनीय जांच कराई तो पता चला कि बीईओ दीपेश कुमार ऑफलाइन निरीक्षण  के जरिए शिक्षकों से धन उगाही करते हैं।

    ब्लाक संसाधन केंद्र संडीला के लिपिक और कार्यालय सहायकों के माध्यम से अध्यापकों से कंपोजिट ग्रांट, निर्माण कार्यों, स्पोर्ट ग्रांट आदि में रुपये की मांग करते हैं। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता प्रभावी होने के बाद भी दीपेश कुमार ने बड़ी संख्या में अनुदेशकों, शिक्षामित्र और शिक्षकों को संबद्ध कर दिया।

    आचार संहिता की उलझन के साथ ही निर्वाचन संबंधी कार्यों में भी दीपेश कुमार ने लापरवाही की। आईजीआरएस के प्रकरणों का भी निस्तारण नहीं किया । इसके चलते अपर शिक्षा निदेशक बेसिक कामता रामपाल ने दीपेश कुमार को निलंबित कर दिया है। दीपेश कुमार का हाल ही में जनपद से तबादला हो गया था। इन दिनों वह बाराबंकी जनपद के पूरे ढलई ब्लॉक के खंड शिक्षा अधिकारी के पद पर तैनात थे।


    डिजिटल अटेंडेंस : एक सप्ताह बाद भी नहीं हुआ कमेटी का गठन और न जारी हुआ बैठक का कार्यवृत्त, विभागीय अधिकारियों ने साधी चुप्पी, 29 जुलाई से घेराव की तैयारी में शिक्षक

    डिजिटल अटेंडेंस : एक सप्ताह बाद भी नहीं हुआ कमेटी का गठन और न जारी हुआ बैठक का कार्यवृत्त, विभागीय अधिकारियों ने साधी चुप्पी, 29 जुलाई से घेराव की तैयारी में शिक्षक


    लखनऊ । Digital Attendance: यूपी के प्राइमरी स्कूलों में डिजिटल अटेंडेंस फिलहाल स्थगित तो कर दी गई थी लेकिन तय हुआ था कि इसको लेकर एक कमेटी बनाई जाएगी। एक सप्ताह के बाद इसका गठन नहीं हो सका है। 


    परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों की डिजिटल अटेंडेंस स्थगित कर दी गई है। बीते मंगलवार को मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह के साथ हुई वार्ता में तय हुआ था कि इसके लिए विशेषज्ञों की एक कमेटी बनाई जाएगी, लेकिन एक सप्ताह बाद भी कमेटी का गठन नहीं हुआ है। इससे शिक्षक परेशान हैं। शिक्षक संगठन फिर से 29 जुलाई को प्रदर्शन की तैयारी में जुट गए हैं।


    बेसिक शिक्षा विभाग ने परिषदीय विद्यालयों में आठ जुलाई से शिक्षकों की डिजिटल अटेंडेंस का निर्देश जारी किया था। शिक्षकों के भारी विरोध व सीएम योगी आदित्यनाथ के हस्तक्षेप के बाद मुख्य सचिव ने पिछले मंगलवार को शिक्षक संगठनों के साथ बैठक की थी। इसमें डिजिटल अटेंडेंस को स्थगित करने व शिक्षकों की समस्याओं के समाधान के लिए कमेटी बनाने की बात कही गई थी।


    इसके अगले दिन महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा के साथ शिक्षक संगठनों की बैठक में भी कई मांगों पर सहमति बनी थी, लेकिन अब तक इस बैठक का कार्यवृत्त नहीं जारी किया गया है। विभागीय अधिकारी इस पर कुछ बताने को भी तैयार नहीं हैं। इससे शिक्षकों का इंतजार लंबा होता जा रहा है।


    एस-फोर की बैठक 26 को
    परिषदीय विद्यालयों में डिजिटल अटेंडेंस को लेकर चल रहे विरोध व अन्य मांगों को लेकर आंदोलन की रणनीति तय करने के लिए संयुक्त संघर्ष संचालन समिति (एफ-फोर) की बैठक 26 जुलाई को बुलाई गई है। संगठन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने बताया कि प्रदेश अध्यक्ष अजय सिंह के निर्देश पर राजधानी में होने वाली बैठक में आगे के आंदोलन पर निर्णय होगा।

    गाजीपुर में 12 हजार रुपये रिश्वत लेते बेसिक शिक्षा विभाग का लेखाकार गिरफ्तार

    गाजीपुर में 12 हजार रुपये रिश्वत लेते बेसिक शिक्षा विभाग का लेखाकार गिरफ्तार 


    गाजीपुर ।बेसिक शिक्षा विभाग के लेखाकार को विजिलेंस वाराणसी की टीम ने सोमवार को विकास भवन स्थित वित्त एवं लेखाधिकारी कार्यालय से 12 हजार रुपये घूस लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया। लेखाकार मृतक आश्रित के पद पर ज्वाइनिंग के बाद सैलरी जारी करने के नाम पर 12 हजार रुपये रिश्वत मांग रहा था। 


    गिरफ्तारी के बाद विकास भवन के कर्मचारियों में हड़कंप मच गया। उन्होंने कर्मचारी की गिरफ्तारी के विरोध में प्रदर्शन किया और जिलाधिकारी को संबोधित ज्ञापन एसडीएम न्यायिक चंद्रशेखर को सौंपा। 


    जानकारी के अनुसार शादियाबाद थाना क्षेत्र के खतीबपुर निवासी सुरेश सिंह की पत्नी प्राथमिक विद्यालय डिहवां लखमनपुर क्षेत्र मनिहारी में प्रधानाध्यापिका के पद पर नियुक्त थी जिनकी मृत्यु हो गयी है। उनकी जगह पर मृतक आश्रित के रूप में सुरेश सिंह की कम्पोजिट विद्यालय डिहवां लखमनपुर क्षेत्र मनिहारी में दस जनवरी 2024 को परिचारक के पद पर ज्वाइनिंग हुई। लेकिन उनका वेतन अब तक निर्गत नहीं किया जा रहा था। 


    शिकायतकर्ता का कहना था कि वेतन जारी करने के नाम पर वित्त एवं लेखाधिकारी (बेसिक शिक्षा विभाग) के लेखाकार अजमत अकरम 12 हजार रुपये की मांग कर रहे थे। इसकी लिखित शिकायत सुरेश सिंह ने एसपी विजिलेंस वाराणसी से की। प्रारंभिक जांच में आरोप सही पाया गया जिसके बाद विजिलेन्स वाराणसी की ट्रैप टीम ने लेखाकार अजमत अकरम को घूस लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। उसके खिलाफ उप्र सतर्कता अधिष्ठान, सेक्टर वाराणसी में सुसंगत धाराओं में अभियोग पंजीकृत कराया गया। 


    इस कार्रवाई के बाद विकास भवन के कर्मचारियों में हड़कंप मच गया। कर्मचारियों ने इसका विरोध किया। कर्मचारियों का कहना था कि टीम ने मौके से कोई रुपया बरामद नहीं किया है। उन्होंने इसके विरोध में एसडीएम न्यायिक व तहसीलदार सदर को ज्ञापन सौंपा।

    Monday, July 22, 2024

    यूपी बोर्ड से मान्यता की कतार में 394 स्कूल, 30 नवंबर तक मान्यता के सभी प्रकरणों का होगा निस्तारण

    यूपी बोर्ड से मान्यता की कतार में 394 स्कूल, 30 नवंबर तक मान्यता के सभी प्रकरणों का होगा निस्तारण 


    ■ 27871 स्कूलों को वर्तमान में यूपी बोर्ड से मिली है मान्यता

    ■ आवेदनों पर शासन से मंजूरी मिलने पर 2025- 26 सत्र से देंगे मान्यता

    ■ प्रदेश में 20936 वित्तविहीन, चार हजार से अधिक एडेड कॉलेज


    प्रयागराज । प्रदेश के 394 स्कूल प्रबंधकों ने यूपी बोर्ड से मान्यता मांगी है। पहले बोर्ड ने 31 मई तक आवेदन मांगे थे, लेकिन बाद में 30 जून तक का मौका दिया था। अब जिला विद्यालय निरीक्षक आवेदन पत्रों पर अपनी निरीक्षण आख्या बोर्ड के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालयों को ऑनलाइन और हार्ड कॉपी में 20 अगस्त तक भेजेंगे।

    बोर्ड के स्तर से 30 नवंबर तक मान्यता के सभी प्रकरणों का निस्तारण कराया जाएगा। इसके लिए बोर्ड में क्षेत्रीय कार्यालयवार प्राप्त आवेदनों पर विचार-विमर्श के बाद संस्तुति शासन को भेजी जाएगी और शासन से ऑनलाइन मान्यता आदेश जारी होंगे। स्कूलों को 2025-26 शैक्षिक सत्र से मान्यता दी जाएगी। 


    बदली नियमावली के अनुसार, हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के लिए मान्यता सबसे पहले तीन वर्ष के लिए दी जाएगी और उसके बाद मान्यता शर्तों के अनुपालन और विद्यालय संचालन के लिए लिए आवश्यक व्यवस्थाओं की समुचित उपलब्धता मिलने पर पांच वर्ष के लिए नवीनीकरण किया जाएगा। वर्तमान में यूपी बोर्ड से 27,871 स्कूलों को मान्यता मिली है। इनमें 20,936 स्कूल वित्तविहीन हैं। 


    हाईस्कूल की मान्यता के लिए 158 आवेदनः 2025-26 शैक्षणिक सत्र से मान्यता के लिए आवेदन करने वाली 394 संस्थाओं में 158 हाईस्कूल के लिए हैं। यानि इन स्कूलों में पहली बार यूपी बोर्ड के पाठ्यक्रम पर पढ़ाई शुरूहोगी। इसके अलावा 236 स्कूलों

    ने इंटरमीडिएट स्तर पर अतिरिक्त विषय या वर्ग की मान्यता के लिए आवेदन किया है। सर्वाधिक आवेदन वाराणसी क्षेत्रीय कार्यालय से मिले हैं।

    सरकारी सहायता प्राप्त निजी विद्यालयों के कर्मचारी भी पेंशन के हकदार : हाईकोर्ट

    सरकारी सहायता प्राप्त निजी विद्यालयों के कर्मचारी भी पेंशन के हकदार : हाईकोर्ट

    कोर्ट ने कहा- अंशदान जमा करने की समयसीमा बताए बिना पेंशन से वंचित करना गलत



    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि 1964 की पेंशन नियमावली के दायरे में आने वाले राजकीय वित्तीय सहायता प्राप्त निजी विद्यालयों के कर्मचारी भी पेंशन पाने के हकदार हैं। अंशदान जमा करने को बताई गई समय सीमा की जानकारी दिए बिना कर्मचारी को पेंशन योजना से वंचित नहीं किया जा सकता।


    यह फैसला न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की एकल पीठ ने मैनपुरी के एक जूनियर हाईस्कूल से सेवानिवृत लिपिक धामी लाल शाक्य याचिका स्वीकार करते हुए सुनाया है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) मैनपुरी ने याची को पेंशन योजना का लाभ देने से यह कहते हुए इन्कार कर दिया कि 1997 से पहले विद्यालय स्व वित्तपोषित था। इस दौरान वर्ष 1982 से 1997 तक याची का प्रबंधकीय अंशदान भी जमा नहीं है।


    याची ने बीएसए के आदेश के खिलाफ हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। याची के अधिवक्ता राम कृष्ण यादव में दलील दी कि मैनपुरी स्थित मन्नी लाल पांडेय शिक्षा निकेतन जूनियर हाईस्कूल मार्च 1997 से सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालय है। याची की नियुक्ति 1972 में लिपिक के पद पर हुई थी। अक्टूबर 1982 में इनकी सेवाएं स्थायी हो गई। 


    इसके बाद 20 मार्च 1997 में विद्यालय की सरकारी सहायता प्राप्त होने के बाद याची का प्रबंधकीय अंशदान 1998 से 2001 यानी सेवानिवृति तक काटा गया था। लेकिन 1982 से 1997 तक तक प्रबंधकीय अंशदान जमा नहीं हुआ। नतीजतन, सेवानिवृति के बाद बीएसए ने उन्हें पेंशन लाभ से वंचित कर दिया। जबकि, याची अंशदान अदा करने को तैयार है। 


    सरकार ने 5 फरवरी 2017 को जारी शासनादेश के जरिये अंशदान जमा करने की समय सीमा भी बढ़ाई है। लेकिन याची को बढ़ाई गई समय सीमा की जानकारी नहीं मुहैया कराई गई। कोर्ट ने बुद्धिराम के मामले में स्थापित विधि व्यवस्था का हवाला देते हुए याचिका स्वीकार कर ली। कहा कि पेंशन योजना का लाभ पाने के हकदार वह सभी लोग हैं जो 1964 की पेंशन नियमावली दायरे में आते हैं। चूंकि, याची की 2017 में अंशदान जमा करने की बढ़ाई गई समय सीमा की जानकारी नहीं दी गई, लिहाजा उसे अंशदान जमा किए जाने की मोहलत दिया जाना जरूरी है।

    अब सभी डिजिटल रजिस्टर पर काम नहीं करेंगे शिक्षक, बैठक का कार्यवृत्त जारी न होने और प्रार्थना सभा की सेल्फी मांगने पर भड़का संयुक्त मोर्चा

    अब सभी डिजिटल रजिस्टर पर काम नहीं करेंगे शिक्षक, बैठक का कार्यवृत्त जारी न होने और प्रार्थना सभा की सेल्फी मांगने पर भड़का संयुक्त मोर्चा


    लखनऊ : परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों की आनलाइन उपस्थिति की व्यवस्था पर रोक लगाए जाने के बाद अब अध्यापक अन्य 11 डिजिटल रजिस्टर का बहिष्कार करने पर अड़ गए हैं। बीते दिनों प्रार्थना सभा की सेल्फी मांगने के आदेश के विरोध में वह अब किसी भी डिजिटल रजिस्टर पर काम नहीं करेंगे। अगर उनकी मांगें पूरी न हुईं तो वह 29 जुलाई को स्कूली शिक्षा महानिदेशालय का घेराव भी करेंगे।

    शिक्षक, शिक्षामित्र, अनुदेशक- कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के प्रदेश सचिव दिलीप चौहान का कहना है कि दोहरा मापदंड अपनाया जा रहा है और हम इसका खुलकर विरोध करेंगे। प्रार्थना सभा की फोटो भेजना शिक्षकों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करता है। 

    अभी तक बीते दिनों महानिदेशक, स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा के साथ हुई बैठक का कार्यवृत्त भी नहीं जारी किया गया। ऐसे में अभी आंदोलन जारी रहेगा। शिक्षक किसी भी कीमत पर झुकने वाले नहीं हैं। कहा कि संपूर्ण डिजिटाइजेशन को निरस्त किया जाए और शिक्षकों से सिर्फ पढ़ाई का कार्य ही कराया जाए तो बेहतर होगा।



    डिजिटल अटेंडेंस ही नहीं, किसी भी रजिस्टर को नहीं करेंगे ऑनलाइन,  बेसिक शिक्षकों के संयुक्त मोर्चे की घोषणा, प्रार्थना सभा की भी नहीं भेजेंगे सेल्फी

    समझौते का लिखित कार्यवृत्त जारी नहीं होने पर 29 जुलाई को निदेशालय का घेराव 


    लखनऊ। प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में डिजिटल अटेंडेंस को लेकर शुरू हुआ विरोध अभी समाप्त होता नहीं दिख रहा है। शासन के डिजिटल अटेंडेंस के निर्णय को अगले आदेश तक स्थगित करने के बाद भी शिक्षकों की नाराजगी नहीं कम हुई। शिक्षक, शिक्षामित्र, अनुदेशक, कर्मचारी संयुक्त मोर्चा की शनिवार को हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि वह विद्यालय के किसी भी रजिस्टर को ऑनलाइन नहीं अपडेट करेंगे। विभाग डिजिटलाइजेशन के आदेश को वापस ले।


    बैठक में शिक्षक नेताओं ने कहा कि मुख्य सचिव के साथ हुई बैठक के बाद डिजिटल अटेंडेंस को तो स्थगित कर दिया गया। वहीं महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने यह आदेश दिया है कि प्रार्थना सभा में शिक्षक, बच्चों के साथ खुद की सेल्फी भेजें। यह निजता का उलंघन है। जब डिजिटल उपस्थिति को अगले आदेश तक स्थगित कर दिया गया है तो दूसरी तरफ शिक्षकों से सेल्फी मांगना न्यायोचित नही है।


    संयुक्त मोर्चा के प्रदेश संयोजक व प्रदेश अध्यक्ष प्राथमिक शिक्षक संघ सुशील पांडेय, जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष योगेश त्यागी, प्रदेश अध्यक्ष विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन संतोष तिवारी ने संयुक्त रूप से बताया कि इस तुगलकी फरमान के विरोध में प्रदेश के शिक्षक पूर्व की भांति काली पट्टी बांधकर शिक्षण कार्य करेंगे। वह डिजिटाइजेशन संबंधी किसी भी रजिस्टर को ऑनलाइन नहीं करेगा। साथ ही प्रार्थना सभा की कोई सेल्फी कहीं भी नहीं भेजेगा।


    संयुक्त मोर्चा के प्रदेश सचिव दिलीप चौहान ने बताया कि इस दोहरे आदेश से शिक्षक नाराज है। जल्द महानिदेशक के साथ हुई बैठक का लिखित कार्यवृत्त नहीं जारी होता है तो संयुक्त मोर्चा पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत 29 जुलाई को महानिदेशक कार्यालय पर धरना-प्रदर्शन करने पर विवश होगा। बैठक में अटेवा के प्रदेश अध्यक्ष विजय बंधु, विवेकानंद, शिक्षामित्र संघ के प्रदेश महामंत्री सुशील यादव, विक्रम सिंह, तेजस्वी शुक्ला आदि उपस्थित थे।

    समायोजन का टाइम टेबल जारी करके भूल गया बेसिक शिक्षा विभाग

    समायोजन का टाइम टेबल जारी करके भूल गया बेसिक शिक्षा विभाग


    लखनऊ : बेसिक शिक्षा विभाग ने शिक्षकों के जिले के अंदर तबादलों/समायोजन का आदेश जारी किया। टाइम टेबल भी जारी किया। इस टाइम टेबल के अनुसार दो जुलाई से तबादला प्रक्रिया शुरू होनी थी और 19 जुलाई तक तबादले पूरे होने थे। अब तक रिलीविंग और नई तैनाती भी हो जानी थी, लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग टाइम टेबल जारी करके सब भूल गया। अभी तक न तो खाली पदों वाले स्कूलों की लिस्ट जारी हुई और न आवेदन मांगे गए।


    बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव सुरेंद्र तिवारी की ओर से जिलों के अंदर तबादलों के आदेश जारी किए गए थे। उसमें टाइम टेबल के साथ तबादला प्रक्रिया का पूरा ब्योरा दिया गया था। आदेश के अनुसार सबसे पहले ऐसे स्कूल चिह्नित करने थे, जिनमें शिक्षकों की जरूरत है। सरप्लस शिक्षकों वाले स्कूल भी चिह्नित करने थे। इनकी लिस्ट जारी करके आवेदन मांगे जाने थे। जहां शिक्षकों की जरूरत है, ऐसे 25 स्कूलों का विकल्प शिक्षकों को भरने के लिए कहा गया था। 


    आवेदन आने के बाद जिलास्तरीय समिति को समायोजित शिक्षकों की लिस्ट जारी करनी थी। यह सब काम 19 जुलाई तक पूरा हो जाना था, शिक्षक तब से इंतजार कर रहे हैं। इस आदेश के बाद कोई दूसरा आदेश भी नहीं आया। यह भी नहीं बताया गया कि क्या दिक्कत है या फिर तारीख बढ़ाई जानी है।



    'शिक्षकों से हर काम समय पर चाहते हैं अफसर'

    प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक असोसिएशन के अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने कहा कि म्यूचुअल तबादले डेढ़ साल तक लटके रहे। अब जिले के अंदर समायोजन और तबादले के आदेश करके प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ाई। प्राथमिक शिक्षक संघ लखनऊ के जिलाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह ने बताया कि लेटलतीफी की वजह से बहुत से काम भी प्रभावित होते है। नगर क्षेत्र में तो शिक्षक ही नहीं है। वहां तबादले और समायोजन को लेकर कोई बात ही नहीं हो रही। उस पर भी ध्यान देना चाहिए।


    सभी जिलों से ब्योरा मंगवाया गया था। उसमें कुछ तकनीकी खामियां थीं। उच्च स्तर पर वार्ता करके इन खामियों को दूर किया जाएगा। जल्द प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी। - सुरेंद्र तिवारी, सचिव, बेसिक शिक्षा परिषद

    Sunday, July 21, 2024

    परिषदीय विद्यालयों में उमस भरी गर्मी से बच्चे हो रहे परेशान, समय परिवर्तन की मांग, प्रतिदिन कई बच्चों के गर्मी के कारण बीमार होने की मिल रहीं खबरें

    परिषदीय विद्यालयों में उमस भरी गर्मी से बच्चे हो रहे परेशान, समय परिवर्तन की मांग

    प्रतिदिन कई बच्चों के गर्मी के कारण बीमार होने की मिल रहीं खबरें


    लखनऊ : उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित परिषदीय विद्यालयों में बीते कई दिनों से उमसभरी गर्मी के कारण हालात बेहद खराब हो चुके हैं। स्कूली बच्चों को सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। विद्युत आपूर्ति की कमी और बुनियादी सुविधाओं के अभाव में स्थिति और भी गंभीर हो गई है।

    (प्रतीकात्मक चित्र)


    गर्मी से बेहाल बच्चों की स्थिति ऐसी हो गई है कि विद्यालयों में कूलर और पंखों की अनुपलब्धता के कारण उन्हें राहत नहीं मिल पा रही है। प्रतिदिन कई बच्चे गर्मी के कारण गश खाकर गिर रहे हैं और बेहोशी की हालत में पहुंच रहे हैं। विद्यालयों में आवश्यक सुविधाओं की कमी और प्रचंड गर्मी के कारण बच्चों का स्कूल जाना मुश्किल हो गया है।


    शिक्षकों और शिक्षक संगठनों ने इस विकट स्थिति को देखते हुए परिषदीय विद्यालयों के समय में परिवर्तन की मांग उठाई है। उनका कहना है कि मौजूदा समय में बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है और इससे शिक्षा पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। शिक्षक संगठनों ने मांग की है कि स्कूल के समय को सुबह जल्दी किया जाए, ताकि बच्चे कम से कम गर्मी में पढ़ाई कर सकें।


    अभिभावकों की भी चिंता बढ़ गई है और वे भी चाहते हैं कि जल्द से जल्द इस पर कार्रवाई हो। बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के मद्देनजर यह जरूरी है कि प्रशासन जल्द ही ठोस कदम उठाए और परिषदीय विद्यालयों के समय में परिवर्तन करे। इससे बच्चों की शिक्षा प्रभावित नहीं होगी और उनकी सेहत भी सुरक्षित रहेगी।

    बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री के गांव में तैनात शिक्षकों की संबद्धता खत्म करने पर बीईओ पर प्रतिकूल प्रविष्टि की गिरी गाज

    बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री के गांव में तैनात शिक्षकों की संबद्धता खत्म करने पर बीईओ पर प्रतिकूल प्रविष्टि की गिरी गाज

    विभाग ने वापस लिया आदेश, मढ़ौली प्राथमिक विद्यालय में ही बने रहेंगे दोनों शिक्षक


    20 जुलाई 2024
    अलीगढ़। बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह के गांव मढ़ौली के प्राथमिक विद्यालय में तैनात दो शिक्षकों समेत 13 की संबद्धता खत्म करने वाले बीईओ को प्रतिकूल प्रविष्टि जारी कर दी गई है।


    बीईओ द्वारा इन सभी शिक्षकों को उनकी मूल तैनाती वाले स्कूल में जाने के आदेश कर दिए गए थे। जिससे मढ़ौली का प्राथमिक विद्यालय शिक्षक विहीन हो जाता। अमर उजाला में खबर प्रकाशित होने के बाद जब हल्ला मचा तो महकमे ने तत्काल संबद्धता खत्म करने वाला आदेश वापस ले लिया। अब यह दोनों शिक्षक इसी स्कूल में बने रहेंगे।

    अमर उजाला ने 20 जुलाई के अंक में शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह का गांव प्राथमिक विद्यालय हो जाएगा शिक्षकविहीन शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। इसके बाद शिक्षकों के संबद्धीकरण खत्म करने का जो आदेश जारी किया गया था, उसे महकमे ने वापस ले लिया है। 

    सहायक अध्यापक हरीश चंद्र और वीर सिंह अब इसी विद्यालय में पढ़ाते रहेंगे। दरअसल 18 जुलाई को बीईओ अवधेश कुमार सोनकर ने अतरौली ब्लाक क्षेत्र के 13 शिक्षकों के संबद्धीकरण निरस्त करने के आदेश दिए थे। इस संबंध में बीएसए ने बताया कि बीईओ ने मनमाने ढंग से संबद्धता खत्म करने का आदेश जारी किया था।

    इस आदेश के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं दी गई। अपने स्तर से फैसला लेने वाले बीईओ को कारण बताओ नोटिस दिया गया है और प्रतिकूल प्रविष्टि भी दी गई है। वहीं, बीएसए डॉ. राकेश कुमार सिंह ने गांव मढ़ौली में स्थित प्राथमिक विद्यालय का निरीक्षण किया और व्यवस्थाएं देखीं।





    शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह के गांव का प्राइमरी स्कूल हो जाएगा शिक्षक विहीन

    अलीगढ़ के मढ़ौली के स्कूल से संबद्ध शिक्षकों की संबद्धता हुई खत्म

    19 जुलाई 2024
    अलीगढ़। बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह के गांव मढ़ौली में स्थित प्राइमरी स्कूल शिक्षक विहीन हो जाएगा। इस गांव में बच्चों को पढ़ाने के लिए दो शिक्षक संबद्ध किए गए थे। जिनकी संबद्धता दो दिन पहले खत्म हो गई और उन्हें उनकी मूल तैनाती वाले स्कूल में ज्वाइन करने का आदेश मिल गया है। लेकिन यहां अभी किसी की तैनाती नहीं की गई है। जबकि इस विद्यालय में 55 बच्चे पंजीकृत हैं।


    दरअसल, अतरौली के खंड शिक्षाधिकारी अवधेश कुमार सोनकर (बीईओ) ने अतरौली के विद्यालयों में संबद्धीकरण निरस्त करने के आदेश दिए हैं। इसके बाद 13 शिक्षकों को मूल विद्यालय में लौटना होगा। इनमें वह भी विद्यालय शामिल है, जो बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह के पैतृक गांव में है, जहां सहायक अध्यापक हरीश चंद्र और सहायक अध्यापक वीर सिंह संबद्ध थे। दोनों शिक्षक की संबद्धता खत्म कर दी गई है। बीएसए डॉ. राकेश कुमार सिंह ने बताया कि संबद्धता के बारे में आकलन करेंगे।

    जूनियर शिक्षक संघ के अतरौली के ब्लॉक मंत्री रामदेव शर्मा ने बताया कि शिक्षकों की संबद्धता खत्म होने से मढ़ौली विद्यालय में शिक्षक नहीं रह जाएंगे। इस स्कूल के कक्षा एक में 6, दो में 6, तीन में 12, चार में 17 और पांच में 14 बच्चे पंजीकृत हैं। 

    पहले बाबुओं की संपत्ति की हो जांच, फिर करें शिक्षकों से मांगे संपत्ति का हिसाब

    पहले बाबुओं की संपत्ति की हो जांच, फिर करें शिक्षकों से मांगे संपत्ति का हिसाब

    बेसिक शिक्षा विभाग ने 31 जुलाई तक अधिकारियों, शिक्षकों व कर्मचारियों से मांगा ब्योरा


    आगरा। परिषदीय स्कूलों में ऑनलाइन हाजिरी बेशक कुछ समय के लिए स्थगित कर दी गई हो। लेकिन शिक्षकों के लिए हर दिन नई परेशानी खड़ी हो रही है। शासन के आदेश पर बेसिक शिक्षा विभाग ने मानव संपदा पोर्टल पर अधिकारियों, शिक्षकों व कर्मचारियों से अपनी संपत्ति का ब्योरा 31 जुलाई तक देने को कहा है। शिक्षक संगठनों ने शुक्रवार को इस पर रोष व्यक्त किया।

    ऑनलाइन हाजिरी से फिलहाल राहत मिल गई है, पर 11 अन्य रजिस्टर को डिजिटल करने से लेकर प्रार्थना सभा में देरी से आने वाले कार्रवाई करने की तैयारी चल रही है। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ जिलाध्यक्ष तिलक पाल चाहर ने बताया कि शिक्षकों की आज तक एक भी पैसे की हेराफेरी की शिकायत नहीं आई है। अक्सर अधिकारी और बाबू रिश्वत लेते पकड़े जाते हैं। इसलिए पहले उनसे डिटेल ली जाए।


    शिक्षकों की संपत्तियों का ब्योरा मांगने पर आपत्ति

    लखनऊ। राजकीय शिक्षक संघ ने महानिदेशक स्कूल शिक्षा को पत्र भेजकर शिक्षकों से उनकी चल-अचल संपत्ति का ब्योरा मांगने पर आपत्ति जताई है। 


    उन्होंने कहा है कि राजकीय शिक्षकों को एसीपी की सुविधा नहीं दी जाती है। जबकि राज्य कर्मचारियों को यह लाभ दिया जाता है। महानिदेशक यह स्पष्ट करें कि राजकीय शिक्षक राज्य कर्मचारी की श्रेणी में आते हैं या नहीं? 


    शिक्षा विभाग के प्रदेश स्तरीय, मंडल व जिला अधिकारियों व उनके कार्यालय में कार्यरत कर्मचारियों की चल-अचल संपत्ति का ब्योरा भी मानव संपदा पोर्टल पर अपलोड कराने का कष्ट करें।

    बेसिक शिक्षा से कलरव और किसलय की हुई विदाई, अब सारंगी और मृदंगम से बच्चे करेगें पढ़ाई

    बेसिक शिक्षा से कलरव और किसलय की हुई विदाई, अब सारंगी और मृदंगम से बच्चे करेगें पढ़ाई


    लखनऊ। परिषदीय विद्यालयों में पहली और दूसरी कक्षा की किताबें बदल गई है। कक्षा एक में पढ़ाई जाने वाली किताब कलरव और दूसरी कक्षा से किसलय को हटा दिया गया है। अब दोनों कक्षाओं के विद्यार्थियों को सारंगी, आनंदमय गणित, सारंगी और मृदंगम नामक किताबें पढ़ाई जाएंगी। 


    करीब दो महीने विलंब से एनसीईआरटी की पुस्तकें आ गई हैं, जिनका वितरण अब सूबे के स्कूलों में कराया जा रहा है। तीसरी से आठवीं तक की ज्यादातर किताबें पहले ही आ चुकी थीं। अब पहली और दूसरी कक्षा की किताबें आई हैं, जिनका वितरण शुरू करा दिया गया है।


    इस सत्र से कक्षा एक और दो के विद्यार्थी एनसीईआरटी की किताबों से पढ़ाई करेंगे। अभी तक कक्षा एक में कलरव और कक्षा दो में किसलय नामक पुस्तक चलती थी। इनमें हिंदी, संस्कृत, गणित, उर्दू सभी विषय समाहित रहते। अब हिंदी, अंग्रेजी और गणित की कुल तीन किताबें होगी।


    हिंदी की पुस्तक का नाम सारंगी है। हिंदी के लिए सारंगी-1, गणित के लिए आनंदमय गणित-1 और अंग्रेजी के लिए मृदंगम-1 और उर्दू के लिए शहनाई नामक पुस्तक भेजी गई है। कक्षा दो के पाठ्यक्रम में भी बदलाव किया गया है। इसके तहत कक्षा दो में हिंदी की पाठ्यपुस्तक किसलय के स्थान पर बच्चे सारंगी-2 पढ़ेंगे। गणित में गिनतारा के स्थान पर आनंदमय गणित 2 व अंग्रेजी विषय में मृदंगम-2 पुस्तक पढ़ेंगे। वहीं नई पुस्तकों के साथ बच्चों के लिए विशेष रूप से अभ्यास पुस्तिका (वर्क बुक) भी तैयार की गई है। 

    मदरसा छात्रों को स्कूलों में शिफ्ट करने का आदेश गैरकानूनी, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड व अन्य संगठनों ने जताई नाराजगी

    मदरसा छात्रों को स्कूलों में शिफ्ट करने का आदेश गैरकानूनी, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड व अन्य संगठनों ने जताई नाराजगी

    कहा, फैसले के खिलाफ अपनाएंगे लोकतांत्रिक रास्ता


    लखनऊ। मदरसों के बच्चों को सरकारी स्कूलों में शिफ्ट करने के आदेश को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, ऑल इंडिया जमीयत उलमा-ए-हिंद सहित अन्य मुस्लिम संगठनों ने गैर कानूनी और मदरसों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश बताया है। संगठनों ने संयुक्त बयान में कहा कि अल्पसंख्यक विरोधी इस आदेश को बदलवाने के लिए कानूनी और लोकतांत्रिक रास्ते अपनाए जाएंगे।


    ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. कासिम रसूल इलियास ने कहा कि यूपी, मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में दीनी मदरसों की पहचान खत्म करने, उन्हें बंद करने की कोशिशों की बोर्ड निंदा करता है। संगठनों ने संयुक्त बयान में कहा कि सरकार का आदेश नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स के विपरीत है। 


    उन्होंने कहा कि अरबी मदरसे करोड़ों बच्चों को खाने और रहने की सहूलियत के साथ उन्हें मुफ्त शिक्षा देते हैं और मुस्लिम समाज को शिक्षित करने की कोशिश कर रहे हैं। कहा, मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों ने भी देश की आजादी ही नहीं, विकास में भी अहम भूमिका अदा कर रहे हैं। मुख्य सचिव का आदेश एकतरफा है जिससे लाखों बच्चों का नुकसान होगा। सभी ने शासन से फैसला वापस लेने की मांग की है।


    ये है मामला

    प्रदेश के मुख्य सचिव की ओर से अधिकारियों को मदरसा बोर्ड से गैर मान्यता प्राप्त 8449 मदरसों के छात्रों को सरकारी स्कूलों में शिफ्ट करने का निर्देश दिया गया है। इन मदरसों में दारुल उलूम देवबंद, दारुल उलूम नदवतुल उलमा, मजाहिरुल-उलूम सहारनपुर, जामिया सलफिया, बनारस, जामिया अशरफिया, मुबारकपुर, मदरसतुल इसलाह, सरायमीर, जामिया अल-फलाह, बिलरियागंज जैसे सदियों पुराने और बड़े मदरसे भी शामिल हैं। 

    संगठनों का कहना है कि इस आदेश के बाद जिला प्रशासन ने मदरसों में पढ़ रहे गैर मुस्लिम छात्रों को सरकारी स्कूलों में शिफ्ट कर दिया है अब मुस्लिम छात्रों पर भी दबाव बनाया जा रहा है। यह निजी अधिकारों का उल्लंघन है। मध्य प्रदेश सरकार तो मदरसों के बच्चों को सरस्वती वंदना पढ़ने पर भी मजबूर कर रही है। कहा, संविधान ने अल्पसंख्यकों को अपनी शिक्षण संस्थाएं कायम करने और उनको चलाने का मौलिक अधिकार दिया है।

    Saturday, July 20, 2024

    बेसिक शिक्षकों के पारस्परिक स्थानांतरण के शासनादेश को चुनौती

    बेसिक शिक्षकों के पारस्परिक स्थानांतरण के शासनादेश को चुनौती


    प्रयागराज । बेसिक शिक्षा परिषद में कार्यरत अध्यापकों के पारस्परिक (म्युचुअल) अंतर्जनपदीय स्थानांतरण को लेकर जारी 2 फरवरी 2023 और 19 जून 2024 के शासनादेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। कहा गया है कि यह यूपी बेसिक एजुकेशन (अध्यापक ) (नियुक्ति) नियमावली 2008 के प्रावधानों के विपरीत है।


    रचना राय, रुचि मिश्रा, रवि प्रकाश सहित दर्जनों सहायक अध्यापकों की याचिका पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति प्रकाश पड़िया ने इस मामले में बेसिक शिक्षा परिषद और राज्य सरकार को दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। 


    याचियों के अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी का कहना था कि गैर जनपदों से परस्पर सहमति (म्युचुअल) के आधार पर स्थानांतरित होने वाले अध्यापकों को इस शासनादेश में उन्हीं विद्यालयों में नियुक्ति देने का निर्देश है जहां उनके पेयर अध्यापक नियुक्त थे।