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Tuesday, August 22, 2119

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    Tuesday, March 21, 2023

    लम्बित समस्याओं / मांगों को लेकर जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ ने दिया ज्ञापन

    लम्बित समस्याओं / मांगों को लेकर जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ ने दिया ज्ञापन


    बिना पदोन्नत हुए एक ही पद पर 22 वर्ष की सेवा पूर्ण करने वाले सभी परिषदीय शिक्षकों को 20% की सीमा समाप्त करते हुए प्रोन्नत वेतनमान दिए जाने हेतु जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ ने उठाई मांग

    बिना पदोन्नत हुए एक ही पद पर 22 वर्ष की सेवा पूर्ण करने वाले सभी परिषदीय शिक्षकों को 20% की सीमा समाप्त करते हुए प्रोन्नत वेतनमान दिए जाने हेतु जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ ने उठाई मांग


    NCTE के द्वारा 23 अगस्त 2010 को जारी व्यवस्था / अधिसूचना के अनुक्रम में पदोन्नति प्रक्रिया सम्पन्न किए जाने हेतु जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ का पत्र

    NCTE के द्वारा 23 अगस्त 2010 को जारी व्यवस्था / अधिसूचना  के अनुक्रम में पदोन्नति प्रक्रिया सम्पन्न किए जाने हेतु जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ का पत्र

    वर्ष 2020 में विभाग ने जारी किए थे राज्य स्तरीय 'सरस्वती पुरस्कार' और 'शिक्षक श्री पुरस्कार, नहीं बांटे घोषित पुरस्कार –फंस गया सेवा विस्तार

    वर्ष 2020 में विभाग ने जारी किए थे राज्य स्तरीय 'सरस्वती पुरस्कार' और 'शिक्षक श्री पुरस्कार, नहीं बांटे घोषित पुरस्कार –फंस गया सेवा विस्तार


    लखनऊ। शिक्षक दिवस पर उच्च शिक्षा विभाग की तरफ से दिए जाने वाले राज्य स्तरीय 'सरस्वती पुरस्कार' और 'शिक्षक श्री पुरस्कार' से जुड़ा एक नया विवाद सामने आ गया है। पुरस्कार घोषित कर दिए जाने के बाद भी बांटे न जाने के कारण उन शिक्षकों को सेवा विस्तार भी नहीं मिल पा रहा है, जिन्हें इस पुरस्कार के लिए चुना गया था।


     मेरठ के एक एसोसिएट प्रोफेसर सेवा विस्तार की मांग करते-करते सेवानिवृत्त भी हो गए। यह पुरस्कार प्राप्त होने पर दो. वर्ष का सेवा विस्तार भी मिलता है। उच्च शिक्षा विभाग के विशेष सचिव योगेन्द्र त्रिपाठी ने 12 अक्तूबर 2020 को निदेशक उच्च शिक्षा को पत्र भेज कर दोनों श्रेणी के पुरस्कारों के लिए चयनित शिक्षकों की सूची भेजी थी। साथ ही पुरस्कार राशि के रूप में 25 लाख रुपये जारी किए जाने की जानकारी भी दी थी। इसमें कहा गया था कि निकट भविष्य में पुरस्कार वितरण किए जाने की तिथि निर्धारित की जाएगी। 


    यह अलग बात है कि पुरस्कार वितरण की तिथि अभी तक तय नहीं हो पाई। माध्यमिक शिक्षा ने हाल ही में अध्यापक पुरस्कारों की घोषणा की है। इसमें कुछ ऐसे शिक्षक भी हैं, जो पुरस्कार प्राप्त होने से दो वर्ष का सेवा विस्तार पाएंगे। वे आगामी 31 मार्च को ही सेवानिवृत्त होने वाले थे।


    इनको मिलना था पुरस्कार

    उच्च शिक्षा विभाग ने वर्ष 2020 के तीन सरस्वती पुरस्कारों के लिए लखनऊ विवि की प्रो. पूनम टंडन, प्रतापगढ़ के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सिकंदर लाल व प्रयागराज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शीतला प्रसाद वर्मा को चुना था। छह शिक्षक श्री पुरस्कारों के लिए मेरठ विवि के डॉ. राकेश कुमार गुप्ता, लखनऊ विवि के डॉ. राजेश कुमार शुक्ला, पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर की प्रो. वंदना राय, हेमवंती नंदन बहुगुणा महाविद्यालय नैनी प्रयागराज के डॉ. राजेश कुमार पांडेय, फिरोज गांधी पीजी कॉलेज रायबरेली की डॉ. शीला श्रीवास्तव और एसबीडी कॉलेज धामपुर बिजनौर की डॉ. रेनू चौहान को चुना गया था। सरस्वती पुरस्कार के साथ तीन लाख और शिक्षक श्री पुरस्कार के साथ डेढ़ लाख रुपये की राशि भी दी जाती है।

    मुरादाबाद: कस्तूरबा विद्यालयों में संविदा पर शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक पदों पर भर्ती हेतु विज्ञप्ति जारी, देखें

    मुरादाबाद: कस्तूरबा विद्यालयों में संविदा पर शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक पदों पर भर्ती हेतु विज्ञप्ति जारी, देखें



    Monday, March 20, 2023

    एडेड अल्पसंख्यक स्कूलों में 30 फीसदी पद रिक्त, 2017 के बाद नहीं हुई शिक्षक भर्ती, शिक्षा निदेशालय ने भेजी रिपोर्ट

    एडेड अल्पसंख्यक स्कूलों में 30 फीसदी पद रिक्त, 2017 के बाद नहीं हुई शिक्षक भर्ती, शिक्षा निदेशालय ने भेजी रिपोर्ट



    ■ 300 से अधिक स्कूलों में प्रधानाचार्य और शिक्षकों के 7795 पद हैं

    ■ 5483 पदों पर कार्यरत प्रधानाचार्य शिक्षक, 2312 पद खाली


    प्रयागराज । प्रदेश सरकार से सहायता प्राप्त (एडेड) अल्पसंख्यक विद्यालयों में शिक्षकों और प्रधानाचार्यों के 30 प्रतिशत पद खाली हैं। मुस्लिम, ईसाई, जैन, बंगाली आदि अल्पसंख्यक समाज की ओर से प्रदेश में संचालित 300 से अधिक एडेड हाईस्कूल व इंटर कॉलेजों में प्रधानाचार्य व शिक्षकों के कुल 7795 पद स्वीकृत हैं। शिक्षा निदेशालय की ओर से शासन को भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार इनमें से 5483 पदों पर प्रधानाचार्य व शिक्षक कार्यरत हैं जबकि 2312 (29.66 या 30 प्रतिशत) पद खाली हैं।


    2017 में प्रदेश में नई सरकार बनने के बाद इन संस्थाओं में भर्ती पर रोक लगा दी गई थी। उसके बाद से भर्ती न होने के कारण स्थितियां बिगड़ती जा रही हैं। सरकार ने इन कॉलेजों में शिक्षकों की नियुक्ति लिए गाइडलाइन तय की थी। शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा के लिए शासन स्तर पर पिछले साल अगस्त में एजेंसी चयन की प्रक्रिया चल रही थी। जिसके आधार पर मेरिट में शीर्ष पांच अभ्यर्थियों का पैनल बनाने के बाद चयनित अभ्यर्थियों में से ही अल्पसंख्यक संस्थाओं को नियुक्ति देनी थी लेकिन आठ महीने से अधिक बीतने के बावजूद कुछ नहीं हुआ।


    2017 से पहले इन कॉलेजों के प्रबंधक माध्यमिक शिक्षा विभाग के अफसरों से अनुमति लेकर अपने स्तर से सीधे शिक्षकों की नियुक्ति करते थे। अल्पसंख्यक संस्था होने के कारण शिक्षकों के रिक्त पदों का ब्योरा उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड को नहीं भेजा जाता। 


    कर्मचारियों की भी कमी

    इन संस्थानों में प्रधान लिपिक के 201 पदों में से 42, सहायक लिपिक के 653 में से 221 व परिचारक के 3285 में से 1299 पद खाली हैं।

    दाखिला रद्द कराने वाले छात्रों की फीस लौटाने के लिए विश्वविद्यालयों से UGC को 30 करोड़ रुपये मिले

    दाखिला रद्द कराने वाले छात्रों की फीस लौटाने के लिए विश्वविद्यालयों से UGC को 30 करोड़ रुपये मिले 


    College Fee Refund : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को दिल्ली विश्वविद्यालय से करीब 17 करोड़ रुपये सहित देशभर के विश्वविद्यालयों से लगभग 30 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं जिसका इस्तेमाल 2022-23 अकादमिक सत्र के दौरान दाखिला रद्द कराने या विश्वविद्यालय बदलने वाले छात्रों की फीस वापस करने के लिए किया जाएगा।


     यूजीसी अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने 'पीटीआई-भाषा' के साथ एक साक्षात्कार में यह आंकड़ा साझा किया और कहा कि प्राप्त धनराशि 14,443 छात्रों को वितरित की जाएगी। कुमार ने कहा, ''बड़ी संख्या में छात्र आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि से आते हैं। उन्हें बेहतर विश्वविद्यालय में दाखिला लेने की आजादी होनी चाहिए लेकिन जब तक उन्हें पहले के विश्वविद्यालय से फीस वापस नहीं मिल जाती तब तक वह ऐसा नहीं कर पाते होंगे।'' 


    उन्होंने कहा, ''हमें छात्रों से बड़ी संख्या में शिकायतें मिलीं और उसके आधार पर हमने विश्वविद्यालयों से बात की तथा यह सुनिश्चित किया कि फीस वापस की जाए। जाहिर तौर पर कई ऐसे विश्वविद्यालय हैं जो विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के दिशानिर्देशों के मुताबिक खुद ही फीस वापस कर देते हैं लेकिन कई विश्वविद्यालयों के मामले में हमें हस्तक्षेप करना पड़ता है और अत: 12.14 करोड़ रुपये 832 छात्रों को वापस किए गए जिन्होंने केंद्रीय, राज्य, निजी या डीम्ड विश्वविद्यालयों में दाखिले लिए थे।'' 


    यूजीसी ने पहले कहा था कि 31 अक्टूबर 2022 तक दाखिला रद्द कराने या अन्य विश्वविद्यालयों में प्रवेश लेने वाले छात्रों की पूरी फीस वापस की जाए। इस तिथि के बाद 31 दिसंबर 2022 तक संस्थानों से कहा गया कि वे फीस में से 1,000 रुपये से ज्यादा की राशि नहीं काट सकते। 


    कुमार ने कहा, ''यूजीसी ने संस्थानों द्वारा इन दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने के संबंध में शिकायतों तथा छात्रों एवं अभिभावकों द्वारा अदालतों में दायर मामलों को गंभीरता से लिया है। यूजीसी ने दोहराया है कि दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन किया जाए और इनका उल्लंघन करने वाले संस्थान को दंडात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।'' 


    यूजीसी प्रमुख ने यह भी कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) ने अन्य विश्वविद्यालयों के लिए एक मिसाल कायम की है कि छात्रों की ऐसी शिकायतों से कैसे निपटा जाए और फीस लौटायी जाए। उन्होंने कहा, ''डीयू ने 13,611 छात्रों की फीस लौटायी है जो कि 16.95 करोड़ रुपये है। अत: यूजीसी को 14,443 छात्रों के 29.10 करोड़ रुपये मिले हैं।'' 

    CBSE स्कूलों में आगामी सत्र से लागू होगी राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा, निर्देश जारी

    CBSE स्कूलों में आगामी सत्र से लागू होगी राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा, निर्देश जारी 



    केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE ) से संबद्ध स्कूलों में आगामी शैक्षणिक सत्र 2023-24 से फाउंडेशन स्टेज के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रुपरेखा (नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क फॉर फाउंडेशन स्टेज-NCFFS) लागू होगी। सीबीएसई ने स्कूलों को इसे लागू करने के निर्देश दिए हैं। फ्रेमवर्क को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सिफारिशों के आधार पर राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने विकसित किया है।


    सीबीएसई ने मूलभूत शिक्षा प्रदान करने वाले स्कूलों निर्देशित किया है कि फ्रेमवर्क में प्रदान किए पाठ्यक्रम, मूल्यांकन व अन्य सिफारिशों का पालन करें। इस संबंध में सीबीएसई से जुड़े स्कूलों को एक सर्कुलर जारी किया है। सीबीएसई के अनुसार बोर्ड ने नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क फॉर फाउंडेशन स्टेज को अपनाया है।


    अधिसूचना में कहा गया है कि सीबीएसई ने NCFFS को अपनाया है। सभी सीबीएसई स्कूलों में इस शैक्षणिक वर्ष में नर्सरी से दूसरी कक्षा तक पांच वर्षीय शिक्षा की नई संरचना शुरू की जाएगी, जिसका उद्देश्य 3-8 वर्ष के आयु वर्ग के छात्रों को मूलभूत स्तर पर शिक्षा प्रदान करना है।


    अधिसूचना के मुताबिक, एनसीएफ-एफएस में कई उदाहरण और चित्र शामिल हैं, जो इसे लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे संक्षेप में अवधारणाओं को स्पष्ट करने, सीखने को सुदृढ़ करने और अभ्यास करने वाले शिक्षकों के लिए नए विचारों को अधिक आसान बनाने में मदद करते हैं। असंख्य उदाहरणों को शामिल किया गया है ताकि बच्चों में समझ को विकसित किया जा सके, जुड़ाव को बढ़ावा दिया जा सके और विस्तृत तरीके से अवधारणाओं को दिन-प्रतिदिन के शिक्षण में लागू किया जा सके।

    पिछले 9 सालों में करीब 50000 बढ़ीं MBBS की सीटें, देखिए अपने राज्य के अच्छे मेडिकल कॉलेजों की सूची

    पिछले 9 सालों में करीब 50000 बढ़ीं MBBS की सीटें, देखिए अपने राज्य के अच्छे मेडिकल कॉलेजों की सूची


    NEET UG, NEET PG Seats and Medical Colleges in India: केंद्र सरकार ने हाल ही में संसद में बताया है कि पिछले 9 वर्षों में एमबीबीएस सीटों करीब 50000 बढ़कर 101043 हो गई हैं। सरकार ने बताया कि एमबीबीएस की कुल सीटों में 52778 सीटें सरकारी मेडिकल कॉलेजों में और 48265 सीटें प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में हैं। 


    इससे यह भी साफ संदेश मिलता है कि देश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या भी पहले की तुलना में काफी बढ़ोतरी हुई है। चाहे ये प्राइवेट मेडिकल कॉलेज हों या सरकारी मेडिकल कॉलेज। जो छात्र नीट यूजी, नीट पीजी की तैयारी कर संबंधित मेडिकल कोर्सों में दाखिला लेना चाहते हैं उन्हें यह भी ध्यान रखना होगा कि यदि उन्हें सरकारी मेडिकल कॉजेज में सीट नहीं मिलती तो प्राइवेट मेडिकल कॉलेज भी एक विकल्प हो सकता है। ऐसे में वे अपने राज्य या जहां से एमबीबीएस या एमडी की पढ़ाई करना चाहते हों वहां के प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों के बारे में भी जानकारी हासिल कर सकते हैं। आगे अपने इलाके के उम्मा मेडिकल कॉलेहों की सूची देख सकते हैं।


    Statewise Top Medical College in India List:

    दिल्ली:

    1. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS)
    2. जिगर और पित्त विज्ञान संस्थान
    3. मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज
    4. वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज और सफदरजंग अस्पताल
    5. लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज
    6. जामिया हमदर्द
    7. यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज

    उत्तर प्रदेश:

    1. संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान
    2. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय
    3. किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी
    4. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय
    5. कानपुर मेडिकल कॉलेज
    6. झांसी मेडिकल कॉलेज
    7. आगरा मेडिकल कॉलेज
    8. प्रयागराज मेडिकल कॉलेज
    9. ऐम्स रायबरेली
    10. ऐम्स गोरखपुर

    उत्तर प्रदेश चिकित्सा शिक्षा विभाग ने कुछ दिन पहले राज्य में 13 नए मेडिकल कॉलेज शुरू होने की जानकारी दी है। यूपी में अभी 45 मेडिकल कॉलेज हैं और 14 और मेडिकल कॉलेजों का निर्माण हो रहा है।

    बिहार:

    1. पटना मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल
    2. दरभंगा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिपटल
    3. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, भागलपुर
    4. श्री नारायण मेडिकल कॉलेज इंस्टीट्यूट एंड हॉस्पिटल, महावीर नगर भेरदरी
    5. कटिहार मेडिकल कॉलेज
    6. माता गुजरी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज, किशनगंज
    7. मधुबनी मेडिकल कॉलेज
    8. श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज मुजफ्फरपुर
    9. वर्धमान महावीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, नालंदा

    मध्यप्रदेश:

    1. ऐम्स भोपाल
    2. महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज, इंदौर
    3. नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज जबलपुर
    4. गजरा राजा मेडिकल कॉलेज ग्वालियर

    राजस्थान:

    1. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान जोधपुर
    2. सवाई मान सिंह मेडिकल कॉलेज

    हरयाणा:

    1. महर्षि मार्कण्डेश्वर मेडिकल कॉलेज

    तमिलनाडु:

    1. क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज
    2. अमृता विश्व विद्यापीठम
    3. श्री रामचंद्र उच्च शिक्षा और अनुसंधान संस्थान
    4. मद्रास मेडिकल कॉलेज और गवर्नमेंट जनरल हॉस्पिटल, चेन्नई
    5. एस.आर.एम. विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान
    6. सविता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड टेक्निकल साइंसेज
    7. पीएसजी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च
    8. अन्नामलाई विश्वविद्यालय
    9. तिरुनेलवेली मेडिकल कॉलेज, तिरुनेलवेली
    10. चेट्टीनाड अस्पताल और अनुसंधान संस्थान

    कर्नाटक:

    1. कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज, मणिपाल
    2. सेंट जॉन्स मेडिकल कॉलेज
    3. कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज, मैंगलोर
    4. जेएसएस मेडिकल कॉलेज, मैसूर
    5. एम एस रमैया मेडिकल कॉलेज
    6. के.एस. हेगड़े मेडिकल अकादमी
    7. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज
    8. श्री बी.एम.पाटिल मेडिकल कॉलेज, अस्पताल और अनुसंधान केंद्र

    Sunday, March 19, 2023

    एडेड जूनियर हाईस्कूल शिक्षक भर्ती के लिए तीसरे दिन भी जारी रहा धरना

    एडेड जूनियर हाईस्कूल शिक्षक भर्ती के लिए तीसरे दिन भी जारी रहा धरना



    प्रयागराज । प्रदेश के सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूल में सहायक अध्यापक पदों पर भर्ती के लिए परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय पर चल रहा प्रदर्शन तीसरे दिन भी जारी रहा। इस दौरान अभ्यर्थियों ने नियामक से हाईकोर्ट में पैरवी की मांग की।


    अभ्यर्थियों का कहना है कि प्रदेश के 3049 एडेड जूनियर हाईस्कूलों में प्रधानाध्यापकों के 390 और सहायता अध्यापकों के 1504 यानी कुल 1894 पदों पर भर्ती के लिए 17 अक्टूबर 2021 लिखित परीक्षा आयोजित हुई थी। इसके बाद 15 नवंबर 2021 को परीक्षा का परिणाम भी घोषित हुआ। 


    हाईकोर्ट के आदेश पर छह सितंबर 2022 को संशोधित परिणाम जारी हुआ। सात महीने बीत जाने के बाद भी प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ रही। 

    अब छात्र किसी भी कॉलेज में जाकर खेल मैदान या प्रयोगशाला का कर सकेंगे प्रयोग, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत शिक्षण संस्थानों को संसाधन साझा करने होंगे

    अब छात्र किसी भी कॉलेज में जाकर खेल मैदान या प्रयोगशाला का कर सकेंगे प्रयोग, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत शिक्षण संस्थानों को संसाधन साझा करने होंगे


    शिक्षक अन्य कॉलेज के छात्रों की ऑनलाइन, वीडियो के माध्यम से पढ़ाई और ट्रेनिंग में करेंगे मदद



    नई दिल्ली। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय और आईआईटी दिल्ली की तर्ज पर अब देश के किसी भी विश्वविद्यालय और कॉलेज के छात्र किसी भी अन्य कॉलेज की प्रयोगशाला, पुस्तकालय, शोध से लेकर खेल मैदान का प्रयोग कर सकेंगे। 


    राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विश्वविद्यालय और कॉलेजों को दूसरे कॉलेजों के साथ संसाधन साझा करने की योजना तैयार की है। स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी के छात्र इस योजना के तहत सुबह आठ बजे से शाम आठ बजे तक दूसरे कॉलेज की लाइब्रेरी में जाकर पढ़ाई, शोध से लेकर खेल सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे।


    यूजीसी चेयरमैन प्रोफेसर एम जगदीश कुमार ने बताया कि एक शहर या कस्बे के विश्वविद्यालय और कॉलेज आपसी सहमति से अपने आसपास के कॉलेजों के छात्रों को विज्ञान व कंप्यूटर की प्रयोगशाला, स्टेडियम, शोध, पुस्तकालय, ई-पुस्तकालय, सेमिनार भवन, साहित्यिक चोरी (एंटी-प्लाजिरि सवियर) जांचने का उपकरण, कक्षा भवन (क्लासरूम) समेत अन्य संसाधन का प्रयोग करने की अनुमति दे सकते हैं।


    इसके लिए यूजीसी ने राज्यों और विश्वविद्यालयों को केंद्रीय विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षण संस्थानों के संसाधनों का ज्यादा प्रयोग किए जाने को लेकर विशेष गाइडलाइन भी तैयार की है। इसके तहत विश्वविद्यालय या कॉलेज अन्य कॉलेजों के साथ समझौता करके एक-दूसरे के छात्रों को इन सुविधाओं का लाभ उठाने की अनमति दे सकते हैं। दरअसल, विश्वविद्यालय और कॉलेजों को संसाधनों और उनके रख-रखाव के लिए सारा पैसा यूजीसी की ओर से दिया जाता है।



    शिक्षण संस्थान दूसरे संस्थान की कर सकता है मदद

    एक शिक्षण संस्थान मेजबान (गेस्ट) बनकर दूसरे मेहमान (गेस्ट) संस्थान से अपने संसाधन साझा कर सकता है। इस तरह गेस्ट संस्थान के छात्रों को दूसरी यूनिवर्सिटी का पुस्तकालय में पढ़ने का मौका मिलेगा। शोध छात्र वहाँ की प्रयोगशालाओं में जाकर शोध कर सकेंगे। इसके अलावा ई-लर्निंग मटीरियल, कंप्यूटर प्रयोगशाला उपकरण का भी प्रयोग कर सकेंगे।

    20 फीसदी तक महंगी हो गईं NCERT की किताबें

    20 फीसदी तक महंगी हो गईं NCERT की किताबें


    गाजियाबाद। अप्रैल से शुरू होने वाले स्कूलों के नए शैक्षणिक सत्र में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की किताबें खरीदने के लिए जेब ढीली करनी होगी। एनसीईआरटी के नए सिलेबस की किताबों में 20 फीसदी तक इजाफा हुआ है। 


    दूसरी ओर निजी प्रकाशकों की किताबें तो 50 फीसदी तक महंगी हो गई हैं। ऐसे में ऐसे स्कूल जहां निजी प्रकाशकों की किताबें संचालित होती हैं, तो अभिभावकों की जेब कटना तय है। 



    कॉमर्स का सिलेबस सबसे ज्यादा महंगा : 
    मॉडल टाउन स्थित जगदंबा बुक स्टोर के संचालक राजकुमार ने बताया कि एनसीईआरटी किताबों के नए स्टॉक में 10 से 20 फीसदी तक ही वृद्धि हुई है। लेकिन निजी प्रकाशकों की किताबें 40 से 50 फीसदी तक महंगी हो गई हैं। 

    एनसीईआरटी में 12वीं कॉमर्स (वाणिज्य) विषय का सिलेबस के दाम अधिक हैं। एनसीईआरटी में पहली से पांचवीं और छठवीं से आठवीं तक की पुस्तकों के दाम में 10 प्रतिशत तक ही बढ़ोतरी हुई है।


    माध्यमिक शिक्षा : विश्वविद्यालयों की तरह स्कूलों का भी होगा मूल्यांकन, इसके लिए राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण की होगी स्थापना, शिक्षा विभाग ने शासन को भेजा प्रस्ताव

    माध्यमिक शिक्षा : विश्वविद्यालयों की तरह स्कूलों का भी होगा मूल्यांकन, इसके लिए राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण की होगी स्थापना, शिक्षा विभाग ने शासन को भेजा प्रस्ताव


    प्रयागराज : विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों की तरह अब माध्यमिक स्कूलों का भी मूल्यांकन होगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण स्थापित करने के लिए माध्यमिक शिक्षा विभाग ने शासन को प्रस्ताव भेजा है। शैक्षणिक, खेलकूद और संसाधन आदि बिन्दुओं के आधार पर स्कूलों का हर पांच साल पर मूल्यांकन किया जाएगा।


    इससे स्कूलों की कार्यक्षमता में सुधार होगा जिसका सीधा लाभ उसमें पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को मिलेगा। राजकीय, सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के साथ ही वित्तविहीन स्कूलों का भी मूल्यांकन किया जाएगा। यूपी बोर्ड के सचिव स्कूलों को मूल्यांकन के आधार पर प्रमाणपत्र जारी करेंगे। यूपी बोर्ड ने मान्यता की नई शर्तों में हर पांच साल पर नवीनीकरण की बात कही है।


    1299 विद्यालयों में लगेगी स्मार्ट क्लास
     प्रदेश के 1299 राजकीय विद्यालय के दो दो कमरों में स्मार्ट क्लास की स्थापना की जाएगी। प्रत्येक विद्यालय के लिए 38.97 लाख का बजट प्रस्तावित है। इससे 7,14,450 छात्र छात्राओं को डिजिटल तकनीक से जोड़ने में मदद मिलेगी।


    दो फीसदी संस्थाओं का हुआ नैक मूल्यांकन

    प्रयागराज। उच्च शिक्षण संस्थानों के नैक से मूल्यांकन को लेकर सरकार का खासा जोर है। वर्तमान में प्रदेश की कुल 1926 उच्च शिक्षण संस्थाओं में से मात्र 104 (1.31 प्रतिशत) ने ही नैक से मूल्यांकन कराया है। प्रदेश के 169 शिक्षण संस्थान ऐसे हैं जिन्होंने पुनर्मूल्यांकन नहीं कराया। उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने प्रदेश के अर्ह उच्च शिक्षण संस्थानों को सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर मूल्यांकन कराने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए विश्वविद्यालयों या नैक मूल्यांकित संस्थानों को मेंटर या नोडल बनाने के निर्देश दिए हैं।

    CBSE ने दी स्कूलों को चेतावनी, नया सत्र 01 अप्रैल से पहले न हो शुरू

    CBSE ने दी स्कूलों को चेतावनी, नया सत्र 01 अप्रैल से पहले न हो शुरू


    नई दिल्ली :  स्कूलोें में समय पूर्व शुरू किया जा रहा शिक्षण सत्र छात्रों में चिंता और तनाव बढ़ा सकता है। ऐसे में कम समय सीमा में पूरे वर्ष के पाठ्यक्रम को पूरा करने के लिए शैक्षणिक सत्र कुछ जल्दी शुरू करने से स्कूलों को बचना चाहिए।



    केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने स्कूलों को शैक्षणिक सत्र एक अप्रैल से पहले शुरू करने पर चेतावनी दी है। यह चेतावनी कई 10वीं,12वीं के स्कूलों द्वारा शैक्षणिक सत्र शुरू करने के बाद दी गई है।


    सीबीएसई सचिव अनुराग त्रिपाठी ने आदेश में कहा कि यह गौर किया गया है कि कुछ स्कूलों ने अपना शैक्षणिक जल्दी शुरू कर दिया है।


    बोर्ड ने कहा कि शैक्षणिक सत्र को पहले से शुरू करने से छात्रों को पढ़ाई से इतर गतिविधियों के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलता, जैसे कि कौशल सीखना, नैतिक शिक्षा, स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा, कार्य शिक्षा और सामुदायिक सेवा। ये सभी गतिविधियां शिक्षा जितनी ही महत्वपूर्ण हैं। इसलिए प्रधानाचार्यों और संस्थानों के प्रमुखों को निर्देश दिया गया है कि समय से पहले शैक्षणिक सत्र शुरू न किया जाए।



    छात्रों में तनाव बढ़ा रहा समय पूर्व शिक्षण सत्र, फैसले के समर्थन में स्कूल संगठन

    नेशनल प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन अध्यक्ष डा.सुधा आचार्य ने बताया कि यह निर्देश जरूरी था। कई स्कूल पिछली कक्षाओं को समाप्त करने के साथ ही नई कक्षाओं की पढ़ाई शुरू कर देते हैं।

    अभिभावक बोले, हर राज्य में लागू हो समान व्यवस्थाऑल इंडिया पैरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक अग्रवाल ने कहा कि सीबीएसई की इस पहल का स्वागत है। इसका हर राज्य में समान रूप से पालन होना चाहिए। पढ़ाई और परीक्षा से लगातार संबद्ध रहने वाले छात्रों के लिए सुकून आवश्यक है।

    Saturday, March 18, 2023

    पदोन्नति के लिए वर्षों के इंतजार के बाद वरिष्ठता सूची में खामियों की भरमार, आपत्ति दर्ज कराने के लिए शिक्षक बैठे हैं तैयार

    पदोन्नति के लिए वर्षों का इंतजार के बाद वरिष्ठता सूची में खामियों की भरमार

    बेसिक शिक्षकों की वरिष्ठता सूची में मानकों की अनदेखी, कई जगह चयन गुणांक व नियुक्ति तिथि के अनुसार नहीं बनी सूची



    लखनऊ। ये उदाहरण तो सिर्फ बानगी हैं। वर्षों के इंतजार के बाद परिषदीय शिक्षकों की शुरू की गई वरिष्ठता निर्धारण प्रक्रिया में खामियों की भरमार है। हालत यह है कि जिलों में जारी अनंतिम वरिष्ठता सूची में तय नियमों का ही पालन नहीं हुआ है।


    अलग अलग जिलों में अलग अलग मानकों पर सूची तैयार किए जाने से पदोन्नति को लेकर खासा संदेह पैदा हो गया है। कुछ जिलों में सूची से शिक्षकों के नाम ही गायब हैं, तो कई जगह एक ही नाम कई बार हैं।  विसंगतियों से शिक्षकों में रोष है। क्योंकि वरिष्ठता सूची के आधार पर ही शिक्षकों की पदोन्नति प्रक्रिया पूरी होनी है।


    विभाग ने वरिष्ठता सूची की ऐसी ही कमियों पर आपत्ति लेने की तिथि बार बार बढ़ाई है, लेकिन शिक्षकों की समस्याएं कम नहीं हो रही हैं।  इस पूरी कवायद को लेकर शिक्षक संगठनों ने आशंका जताई है कि कहीं इस बार की कवायद खामियों की भेंट न चढ़ जाए।



    कई जिलों में अब तक सूची ही नहीं अपलोड हुई

    कई जिलों में अपलोड की गई वरिष्ठता सूची में खामियां हैं तो कई जनपदों में सूची ही नहीं अपलोड हुई है। इस वजह से सचिव बेसिक शिक्षा परिषद प्रताप सिंह बघेल की ओर से सूची अपलोड करने की तिथि बार बार बढ़ाई गई है। 


     सूची को लेकर अगर कोई भी आपत्ति है तो शिक्षक उसे ऑनलाइन दर्ज कराएं। संबंधित बीएसए की ओर से गुणदोष के आधार पर आपत्तियों का निस्तारण किया जाएगा। वरिष्ठता के मूलभूत नियमों का पूरी तरह से पालन सुनिश्चित कराया जाएगा। - विजय किरन आनंद, महानिदेशक, स्कूल शिक्षा

    01 अप्रैल से खुलेंगे 85 नए राजकीय माध्यमिक स्कूल, शिक्षकों के 1315 पद बढ़ेंगे

    01 अप्रैल से खुलेंगे 85 नए राजकीय माध्यमिक स्कूल, शिक्षकों के 1315 पद बढ़ेंगे

    ● पद सृजन होने तक दूसरे स्कूलों के शिक्षकों को करेंगे संबद्ध


    एक अप्रैल से शुरू हो रहे शैक्षणिक सत्र 2023-24 में 85 नए राजकीय स्कूल खुलेंगे। इन स्कूलों में शिक्षकों के पद सृजित करने के लिए अपर निदेशक राजकीय केके गुप्ता ने शासन को प्रस्ताव भेजा है। 


    मुख्यमंत्री की घोषणा के अंतर्गत 53 राजकीय इंटर कॉलेज, एक पंडित दीन दयाल मॉडल इंटर कॉलेज, प्रधानमंत्री जनविकास कार्यक्रम योजना के तहत निर्मित 18 राजकीय इंटर कॉलेज और 13 राजकीय हाईस्कूल खोले जा रहे हैं। जब तक शिक्षकों की भर्ती नहीं होती तब तक दूसरे स्कूलों से शिक्षकों को संबद्ध करके कक्षाएं संचालित की जाएंगी।


    शिक्षा निदेशक महेन्द्र देव ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को राजकीय हाईस्कूल में दो सहायक अध्यापक व एक शिक्षणेत्तर कर्मचारी, जबकि इंटर कॉलेजों में दो प्रवक्ता, दो सहायक अध्यापक व एक शिक्षणेत्तर कर्मचारी को संबद्ध करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही परिषदीय, सहायता प्राप्त व अन्य विद्यालयों और अभिभावकों से संपर्क कर इन स्कूलों में बच्चों के प्रवेश सुनिश्चित कराने को कहा है।


    पीलीभीत में खुलेंगे सर्वाधिक छह स्कूल नए सत्र से पीलीभीत में सर्वाधिक छह राजकीय स्कूल खुलेंगे। संतकबीर नगर में पांच, बदायूं में चार, गाजियाबाद, बलिया, देवरिया, रायबरेली, लखीमपुर खीरी व रामपुर में तीन-तीन स्कूल खोले जाएंगे। प्रयागराज व प्रतापगढ़ में एक-एक स्कूल खुलेंगे।


    शिक्षकों के कुल 1315 पद बढ़ेंगे

    इन 85 स्कूलों में शिक्षकों के कुल 1315 पद सृजित होंगे। 13 हाईस्कूलों में सात सहायक अध्यापक (एलटी ग्रेड) के हिसाब से 91 जबकि 72 इंटर कॉलेजों में दस प्रवक्ता और सात सहायक अध्यापक यानि कुल 17 शिक्षकों के हिसाब से 1224 कुल 1315 पद सृजित होंगे। वर्तमान में 22 से अधिक राजकीय विद्यालयों में प्रवक्ता के 9463 व सहायक अध्यापक के 19300 पद सृजित हैं।

    Friday, March 17, 2023

    14 शिक्षकों को मिलेगा राज्य अध्यापक पुरस्कार, माध्यमिक शिक्षा विभाग ने जारी की शिक्षकों की सूची

    14 शिक्षकों को मिलेगा राज्य अध्यापक पुरस्कार


    • माध्यमिक शिक्षा विभाग ने जारी की शिक्षकों की सूची

    • इन शिक्षकों की सेवानिवत्ति आयु तीन वर्ष वढाई जाएगी


    लखनऊ : राज्य अध्यापक पुरस्कार की गुरुवार को माध्यमिक शिक्षा विभाग ने घोषणा कर दी। इस बार 14 सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों को यह पुरस्कार दिया जाएगा। माध्यमिक स्कूलों में नव प्रयोग के माध्यम से पाठ पढ़ाने और बेहतर परिणाम देने वाले इन शिक्षकों का चयन राज्य स्तरीय समिति द्वारा किया गया है। साक्षात्कार व प्रस्तुतीकरण के माध्यम से इन्हें चयनित किया गया है। 


    फिलहाल राज्य अध्यापक पुरस्कार पाने वाले शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की आयु तीन वर्ष बढ़ेगी। अब यह 62 वर्ष की बजाए 65 वर्ष की आयु पूरी कर रिटायर होंगे। यह पुरस्कार वर्ष 2022 के हैं। नियमों बदलाव के कारण पांच सितंबर 2022 को शिक्षक दिवस पर इनका वितरण नहीं हुआ था अब आगे किया जाएगा।


    माध्यमिक शिक्षा विभाग के विशेष सचिव एसपी सिंह की ओर से पत्र जारी कर जिन शिक्षकों के नाम की घोषणा की गई है उनमें गोरखपुर के महात्मा गांधी इंटर कालेज के प्रधानाचार्य ओम प्रकाश सिंह शामिल, मेरठ के इस्माइल गर्ल्स इंटर कालेज की प्रधानाचार्य डा. मृदुला शर्मा, अयोध्या के सुभाष इंटर कालेज के मानविकी के शिक्षक विनोद कुमार तिवारी, एटा के एमजीएम इंटर कालेज के मानविकी के शिक्षक श्याम बिहारी, सहारनपुर के बीएनडी इंटर कालेज के  मानविकी के शिक्षक सुशील कुमार त्यागी, रामपुर के जैन इंटर कालेज के भाषा के शिक्षक मुनीश चंद्र शर्मा, आगरा के श्री रतन मुनि जैन इंटर कालेज के भाषा के शिक्षक प्रह्लाद, मुजफ्फरनगर के जवाहर लाल नेहरू स्मृति इंटर कालेज के भाषा के शिक्षक चंद्र मोहन शर्मा, सुलतानपुर के केश कुमारी राजकीय इंटर कालेज की संगीत की अध्यापिका डा. बबिता जैन और इसी विद्यालय के विज्ञान के शिक्षक शैलेन्द्र चतुर्वेदी, बरेली के गवर्नमेंट इंटर कालेज के शारीरिक शिक्षा के शिक्षक नईम अहमद, वाराणसी के बंगाली टोला इंटर कालेज के संगीत के शिक्षक डा. जितेन्द्र मिश्रा, गाजियाबाद के गवर्नमेंट बालिका इंटर कालेज की विज्ञान की अध्यापिका रेनू त्रिपाठी व कासगंज के पंडित दीन दयाल उपाध्याय गवर्नमेंट माडल इंटर कालेज के विज्ञान के शिक्षक मदन चंद्र राजपूत शामिल हैं।


    विभिन्न विषयों के शिक्षकों को एक समान अवसर देने के लिए इस बार नियमों में बदलाव किया गया और मानविकी, भाषा, शारीरिक शिक्षा व विज्ञान विषयों के अध्यापकों को पुरस्कार पाने का मौका दिया गया है।


    प्रदेश के 12 शिक्षकों व प्राचार्यों को राज्य अध्यापक पुरस्कार, सुलतानपुर के दो समेत 11 जिलों के शिक्षक पुरस्कार पाने वालों में शामिल

    लखनऊ : शासन के माध्यमिक शिक्षा विभाग ने राजकीय एवं सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के 12 शिक्षकों व प्रधानाचार्यों को राज्य अध्यापक पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की है। विशेष सचिव एसपी सिंह के गुरुवार को इस संबंध में शासनादेश जारी किया। पुरस्कार पाने वालों में गोरखपुर, मेरठ, अयोध्या, एटा, सहारनपुर, रामपुर, आगरा, मुजफ्फरनगर, सुलतानपुर, वाराणसी, बरेली, गाजियाबाद और कासगंज के अध्यापक हैं।

    इसमें गोरखपुर के महात्मा गांधी इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य ओम प्रकाश सिंह, इस्माइल गर्ल्स नेशनल इंटर कॉलेज मेरठ की प्रधानाचार्य डॉ. मृदुला शर्मा, अयोध्या के सुभाष इंटर कॉलेज सरैयां के मानविकी की अध्यापक विनोद कुमार तिवारी, एटा के एमजीएम इंटर कॉलेज जलेसर के मानविकी के अध्यापक श्याम बिहारी, सहारनपुर के बीएनडी इंटर कॉलेज जरोदा पांडा के मानविकी के अध्यापक सुशील कुमार त्यागी, रामपुर के जैन इंटर कॉलेज के भाषा के अध्यापक मुनीश चंद्र शर्मा, आगरा के श्री रतन मुनि जैन इंटर कॉलेज के भाषा के अध्यापक प्रहलाद, मुजफ्फरनगर के जवाहर लाल नेहरू स्मृति इंटर कॉलेज रवापुरी सथेरी के भाषा के अध्यापक चंद्र मोहन शर्मा, सुलतानपुर के केश कुमारी राजकीय बालिका इंटर कॉलेज की संगीत की अध्यापक डॉ. बबीता जैन, वाराणसी के बंगाली टोला इंटर कॉलेज के संगीत के अध्यापक डॉ. जितेन्द्र मिश्रा, बरेली के गवर्मेंट इंटर कॉलेज के शारीरिक शिक्षा के अध्यापक नईम अहमद, सुलतानपुर के केश कुमारी राजकीय बालिका इंटर कॉलेज के विज्ञान के अध्यापक शैलेन्द्र चतुर्वेदी, गाजियाबाद के गवर्मेंट बालिका इंटर कॉलेज विजयनगर की विज्ञान की अध्यापक रेनू त्रिपाठी तथा कासगंज के पंडित दीन दयाल उपाध्याय गवर्मेंट मॉडल इंटर कॉलेज अमनपुर के विज्ञान के अध्यापक मदन चंद्र राजपूत का नाम शामिल है।

    यह पुरस्कार प्राप्त करने वाले शिक्षकों को नियमानुसार सेवा विस्तार एत्तं अन्य सुविधाएं मिलेंगी। सुलतानपुर के केश कुमारी राजकीय बालिका इंटर कॉलेज के दो शिक्षकों को यह पुरस्कार प्राप्त हुआ है।

    इनमें डॉ. बबीता जैन माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड से चयनित होकर एक वर्ष के लिए प्रधानाचार्य पद पर भी अपनी सेवाएं दे चुकी हैं।

    69000 शिक्षक भर्ती के मामले में प्रभावित जाएंगे डबल बेंच, हाईकोर्ट ने दिया है चयन सूची रद कर रिव्यू का आदेश

    69000 शिक्षक भर्ती के मामले में प्रभावित जाएंगे डबल बेंच

    हाई कोर्ट ने दिया है चयन सूची रद कर रिव्यू का आदेश, 

    पीड़ितों ने शिकायती पत्र में लगाया 19000 सीटों पर गड़बड़ी का आरोप


    प्रयागराजः बेसिक शिक्षा की 69000 सहायक शिक्षक भर्ती मामले में चयन सूची को गलत मानते हुए दोबारा रिव्यू करने के लखनऊ हाई कोर्ट की सिंगल बेंच के आदेश के बाद मामला और उलझ गया है। इस भर्ती में आरक्षित वर्ग में बाद में चयनित 6800 अभ्यर्थियों की सूची खारिज करने के बाद इन अभ्यर्थियों ने लखनऊ में विरोध शुरू कर दिया है। 


    इधर, पिछड़ा दलित संयुक्त मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कश्यप एवं संरक्षक भास्कर सिंह यादव ने कहा है कि वह लखनऊ हाईकोर्ट के सिंगल बेंच के फैसले के विरुद्ध हाई कोर्ट की डबल बेंच में विशेष अपील जल्द दाखिल करेंगे।


    आरक्षण पीड़ित ओबीसी तथा एससी वर्ग के अभ्यर्थियों ने गुरुवार को राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री को पत्र एवं ई-मेल के माध्यम से बताया है कि इस शिक्षक भर्ती में 19000 से अधिक सीटों पर आरक्षण की गड़बड़ी हुई है। तीन साल की लड़ाई के बाद भी उन्हें न्याय नहीं मिल पाया है। 


    इस भर्ती में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत की जगह 3.80 प्रतिशत तथा एससी वर्ग को 21 प्रतिशत की जगह 16.2 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। इसे बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 तथा आरक्षण नियमावली 1994 का उल्लंघन बताया है। 


    संयुक्त मोर्चा के प्रदेश मीडिया प्रभारी राजेश चौधरी का कहना है कि ओबीसी एवं एससी वर्ग के अभ्यर्थियों की ओवरलैपिंग गलत ढंग से कराई गई है, जिससे उन्हें पदों का नुकसान हुआ है। मांग की है कि उनके साथ न्याय किया जाए। इधर, कोर्ट के आदेश के बाद सरकार के रिव्यू में कुछ और बड़ा उलटफेर भी हो सकता है।

    एक अप्रैल से चलेगा संचारी रोग नियंत्रण को लेकर महाअभियान

    एक अप्रैल से चलेगा संचारी रोग नियंत्रण को लेकर महाअभियान



    इंसेफेलाइटिस, डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया और कालाजार जैसी संक्रामक बीमारियों के खिलाफ प्रदेश के सभी 75 जिलों में यह अभियान चलाया जाएगा। साथ ही सरकार दस्तक अभियान के माध्यम से संक्रामक और जल जनित बीमारियों पर वार करेगी। स्वास्थ्य विभाग के नेतृत्व में चलाए जाने वाले दोनों अभियानों को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। 


    12 विभागों के समन्वय से चलाए जाने वाले इन अभियानों को लेकर कार्य योजना बना ली गई है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में एक साथ चलाए जाने वाले इस अभियान के तहत विभिन्न तरह की गतिविधियां संचालित की जाएंगी।


    सरकार से मिली जानकारी के अनुसार संचारी रोग नियंत्रण अभियान के तहत ग्रामीण तथा नगरीय क्षेत्रों में साफ सफाई एवं जलभराव निस्तारण की व्यवस्था पर ध्यान दिया जाएगा। विद्यालयों में रोगों से बचाव तथा रोकथाम हेतु जागरूकता से संबंधित गतिविधियां अयोजित की जाएंगी। 


    साथ ही मच्छर, चूहे, छछूंदर इत्यादि पर नियंत्रण को लेकर गतिविधियां संचालित होंगी। इसके अलावा पशु बाड़ों एवं सूकर बाड़ों को आबादी से दूर स्थापित करना तथा साफ सफाई की व्यवस्था को लेकर लोगों को जागरूक किया जाएगा।


    दस्तक अभियान के तहत मेडिकल टीमें घर-घर जाकर संक्रामक रोगों से ग्रसित मरीजों की पहचान करेंगी। इस टीम में आशा वर्कर के साथ-साथ स्वास्थ्यकर्मी भी शामिल रहेंगे। टीम की मदद से रोगियों को चिन्हित कर उन्हें दवा दी जाएगी और जरूरी होने पर अस्पताल में भर्ती कराया जाएगा। 


    दस्तक अभियान के दौरान कुपोषित बच्चों की जानकारी भी इकठ्ठा की जाएगी। इसके अलावा टीबी के लक्षण वाले मरीजों को खोजकर उनकी जांच कराई जाएगी। हाई रिस्क क्षेत्रों व दस्तक अभियान के दौरान घर-घर टीमों के के सर्वेक्षण के आधार पर चिन्हित क्षेत्रों में फॉगिंग की जाएगी।


    मुख्यमंत्री योगी द्वारा किए गए विशेष प्रयासों के कारण प्रदेश में जापानी इंसेफ्लाइटिस (जेई) व एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (एईएस) पर प्रभावी ढंग से काबू किया गया है। ऐसे में वायरस व बैक्टीरिया जनित बीमारियों से बचाव के लिए अभियान समय-समय पर चलाया जा रहा है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, बेसिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, उच्च शिक्षा ग्राम्य विकास, पंचायतीराज, कृषि एवं सिंचाई और पशुपालन विभाग सहित अन्य विभागों के साथ मिलकर हर वर्ष यह अभियान चलाया जाता है।

    वर्ष 2023 की यूपी बोर्ड हाई स्कूल/इंटरमीडिएट परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन हेतु नियुक्त किए गए प्रधान परीक्षकों/परीक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के संबंध में

    वर्ष 2023 की यूपी बोर्ड हाई स्कूल/इंटरमीडिएट परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन हेतु नियुक्त किए गए प्रधान परीक्षकों/परीक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के संबंध में


    69000 शिक्षक भर्ती मामला : यूपी सरकार शिक्षक चयन सूची रिव्यू करने की तैयारी में

    69000 शिक्षक भर्ती मामला : यूपी सरकार शिक्षक चयन सूची रिव्यू करने की तैयारी में


     लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ की ओर से 69000 शिक्षक भर्ती की चयन सूची को रिव्यू करने के दिए गए आदेश के बाद सरकार ने इस पर तेजी से मंथन शुरू कर दिया है। सरकार हाईकोर्ट के निर्देश के अनुसार आरक्षण प्रक्रिया के अनुसार सूची को रिव्यू करने की तैयारी में है। हालांकि अगर सूची रिव्यू करके दोबारा जारी किया जाता है तो आरक्षित और अनारक्षित दोनों वर्ग के अभ्यर्थी प्रभावित हो सकते हैं। 


    हाईकोर्ट की ओर से याचिकाओं की सुनवाई के बाद सोमवार को जारी आदेश का मंगलवार को अधिकारियों ने मंथन किया। शासन के आला अधिकारियों ने भी इस पर बेसिक शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों से जानकारी मांगी। अधिकारियों ने हाईकोर्ट के आदेश को विधि विशेषज्ञों के साथ पूरा पढ़ा और इसके विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। जानकारी के अनुसार सरकार पहले सूची को रिव्यू करेगी।






    रिव्यू करने के बाद आने वाले निष्कर्ष के आधार पर ही आगे का निर्णय लेगी। प्रथम दृष्टया जो निकल कर सामने आया है, उसके अनुसार सूची रिव्यू करने का असर 50-50 दोनों वर्ग के अभ्यर्थियों पर पड़ेगा। प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा दीपक कुमार ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश का अध्ययन किया जा रहा है। हाईकोर्ट के निर्देशानुसार सूची को रिव्यू करेंगे। 

    Thursday, March 16, 2023

    चंद रुपये की खातिर परिषदीय बच्चे भूले पढ़ाई, स्कूल वक्त में कर रहे आलू खोदाई, बच्चों को तलाश रहे शिक्षक

    चंद रुपये की खातिर परिषदीय बच्चे भूले पढ़ाई, स्कूल वक्त में कर रहे आलू खोदाई, बच्चों को तलाश रहे शिक्षक


    आलू खोदाई ने बच्चों की पढ़ाई को चौपट करना शुरू दिया है। सरकारी स्कूलों के तमाम बच्चे स्कूल के वक्त में खेतों में जाकर आलू की खोदाई कर रहे हैं तो सस्ते मजूदर के रूप में किसान नाबालिगों को प्राथमिकता भी दे रहे हैं।

    चंद रुपये की खातिर छात्रों ने सरकारी स्कूलों में जाना छोड़ दिया है। स्कूल के वक्त में छात्र खेतों में आलू की खोदाई और बिनाई कर रहे हैं। जबकि शिक्षा विभाग लगातार स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति बढ़ाने पर जोर दे रहा है तो 20 मार्च से परिषदीय स्कूलों में वार्षिक परीक्षाएं शुरू होने वाली हैं। 


    यूपी के कई जिले आलू उत्पादन के लिए मशहूर है। इस बार आलू की बंपर पैदावार हुई है। आलू के उचित भाव नहीं मिलने से किसान पहले से ही पेरशान हैं। अब आलू खोदाई ने बच्चों की पढ़ाई को चौपट करना शुरू दिया है। 


    आर्थिक रूप से कमजोर परिवार चंद रुपये की खातिर अपने बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने से नहीं चूक रहे हैं। सरकारी स्कूलों के तमाम बच्चे स्कूल के वक्त में खेतों में जाकर आलू की खोदाई कर रहे हैं तो सस्ते मजूदर के रूप में किसान नाबालिगों को प्राथमिकता भी दे रहे हैं। खेतों में खोदे गए आलू को एकत्रित करने के लिए ज्याद श्रमिकों की आवश्यकता छात्रों से ही पूरी की जा रही है। छात्रों को स्कूलों में रोकने वाले या पढ़ाई के प्रति प्रेरित करने वाले अधिकारी भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। 


    प्रारंभिक जानकारी में पता चला है कि बच्चे खेतों में काम करने की वजह से स्कूल नहीं आ रहे हैं।  छात्र रुपयों के लिए खेतों में काम कर रहे हैं तो यह बेहद चिंताजनक है।  बच्चे खेतों में अपने माता-पिता का हाथ बंटा रहे हैं तो उन्हें समझाये जाने की बात जिम्मेदार कह रहे हैं।  शिक्षकों को घर-घर जाकर अभिभावकों से संपर्क कर बच्चों को स्कूल भेजने के लिए कहा गया है।


    करीब 40 फीसदी बच्चे गैरहाजिर 
    बेसिक शिक्षा विभाग के अनुसार परिषदीय इन दिनों स्कूलों में करीब 35 से 40 फीसदी बच्चे गैरहाजिर चल रहे हैं। इनमें स्कूलों नहीं आने में बड़ी तादात छात्राओं की है। जब इनके बारे में जानकारी की गई तो पता चला कि ये बच्चे आलू की खोदाई में लगे हुए हैं। इसमें किसानों के बच्चे भी शामिल हैं।


    200 से 250 रुपये में मजदूरी
    आलू खोदाई बौर बिनाई के लिए किसानों को जहां वयस्क मजूदर 300 से 400 रुपये दिहाड़ी पर मिलते हैं, वहीं स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे मात्र 200 से 250 रुपये में दिनभर खेतों में काम करने को तैयार हो जाते हैं। बड़े फर्म स्वामी बच्चों को ट्रैक्टर-ट्रॉली से खेत पर ले जाते हैं। ये बच्चे सुबह आठ बजे से शाम छह बजे तक खेत में काम करते हैं।


    घर-घर बच्चों को तलाश रहे शिक्षक
    परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा चार से कक्षा आठवीं तक के कुछ छात्र मजदूरी पर खेतों में आलू बीन रहे हैं या फिर अपने परिवार के लोगों का सहयोग करने में लगे हैं। शिक्षकों ने बताया कि वह गांव में बच्चों को स्कूल लाने के लिए घर-घर जा रहे हैं, लेकिन उनके अभिभावक ही बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे। अभिभावक कहते हैं कि बच्चा खेत में आलू बीनने के लिए गया है। आप यहां क्यों आए हैं? 

    NEET : विदेश से MBBS करना होगा टेढ़ी खीर, भारत में पढ़ाया जा रहा कोर्स भी पढ़ना होगा जरूरी

    NEET : विदेश से MBBS करना होगा टेढ़ी खीर, भारत में पढ़ाया जा रहा कोर्स भी पढ़ना होगा जरूरी



    NEET : विदेश से MBBS करना होगा बेहद टेढ़ी खीर, भारतीय एमबीबीएस कोर्स के विषय बाहर भी पढ़े होना जरूरीभारतीय मेडिकल छात्रों का विदेश से एमबीबीएस की डिग्री लेना आसान नहीं होगा। अब यह अनिवार्य है कि जो विषय भारत में एमबीबीएस में पढ़ाए जा रहे हैं, वहीं विषय देश से बाहर की पढ़ाई में भी जरूरी होने चाहिए।


    भारतीय मेडिकल छात्रों का विदेश से एमबीबीएस की डिग्री लेना और अपने मुल्क आकर डॉक्टरी करना आसान नहीं होगा। नेशनल मेडिकल कमिशन ने अब यह अनिवार्य कर दिया गया है कि जो विषय भारत में एमबीबीएस में पढ़ाए जा रहे हैं, वहीं विषय देश से बाहर की पढ़ाई में भी जरूरी होने चाहिए। एनएमसी ने इसके लिए विषयों की एक सूची जारी की है। साथ ही डिग्री की अवधि 54 महीने और उसके बाद उसी संस्थान में एक साल की इंटर्नशिप भी अनिवार्य कर दी है।


    इसके अलावा जो छात्र विदेशों से मेडिकल डिग्री लेकर आ रहे हैं, उन्हें पहले संबंधित देश में मेडिकल लाइसेंस हासिल करना होगा या फिर यह साबित करना होगा कि उनकी डिग्री उस देश में चिकित्सा के लिए पूर्णतया मान्य है, जहां से उन्होंने शिक्षा हासिल की है। केंद्र सरकार विदेशों से मेडिकल की पढ़ाई को गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए कई कड़े कदम उठा रही है, जिसमें एक यह भी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, कई नए कदम उठाए गए हैं, जो अब क्रियान्वित हो रहे हैं। अगले कुछ साल में डिग्री लेकर वापस लौटने वाले छात्रों को इनसे होकर गुजरना होगा। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) इनकी जांच करेगा।



    संबंधित देश की संस्था में पंजीकरण जरूरी 

    स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, इनमें सबसे महत्वपूर्ण है कि छात्र को साबित करना होगा कि उसकी डिग्री उस देश में डॉक्टर के रूप में कार्य करने के लिए मान्य है। इसके लिए उसे देश की नियामक संस्था के समक्ष पंजीकरण कराना होगा, जिसका दस्तावेज उसे एनएमसी के समक्ष पेश करना होगा। हालांकि, किसी अन्य तरीके से भी उसे यह साबित करने का विकल्प होगा।


    दरअसल, भारत सरकार को सूचना मिली है कि कई देशों में कई ऐसी डिग्री दी जाती है, जो खुद वहां चिकित्सा के लिए मान्य नहीं होती है या सीमित चिकित्सकीय कार्य के लिए मान्य होती है।

    सरकार के छह साल पूरे होने पर शिक्षामित्रों को योगी सरकार से रिटर्न गिफ्ट की उम्मीद

    सरकार के छह साल पूरे होने पर शिक्षामित्रों को योगी सरकार से रिटर्न गिफ्ट की उम्मीद

    शिक्षामित्रों को योगी सरकार से बेहतर भविष्य की आस

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    लखनऊ। प्रदेश सरकार का 25 मार्च को छह साल का कार्यकाल पूरा हो रहा है। ऐसे में प्रदेश के कार्यरत लगभग 1.40 लाख शिक्षामित्रों को सरकार से सुनहरे भविष्य की आस है।


    उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ ने मांग की है कि सरकार इस अवसर पर उन्हें भी बेहतर भविष्य का तोहफा दे। प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षामित्र 2001 से कार्यरत हैं। जो काम तो सामान्य शिक्षकों की भांति करते हैं, लेकिन उन्हें बेहतर मानदेय व प्रोत्साहन नहीं मिलता है। 


    25 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षामित्रों का समायोजन निरस्त करने के बाद से उनको मात्र 10,000 प्रति माह मानदेय मिल रहा है। इस मानदेय से वह इस महंगाई में अपने परिवार का भरण पोषण करने में भी सक्षम नहीं हैं। 


    संघ के प्रदेश मंत्री कौशल कुमार सिंह ने कहा कि आर्थिक तंगी के कारण उन्हें कई अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। काफी शिक्षामित्र अवसाद में हैं। संघ मुख्यमंत्री से मांग करता है कि शिक्षामित्रों की समास्याओं का जल्द निराकरण करें, जिससे वह भी सम्मानजनक जीवन व्यतीत कर सकें। 



    राजस्थान सरकार की तर्ज पर शिक्षामित्रों का निकालें हल,  मानदेय बढ़ाने के लिए सीएम को भेजा पत्र


    लखनऊ। शिक्षामित्रों ने राजस्थान सरकार की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी संविदा कर्मियों के मानदेय में वृद्धि का मुद्दा उठाया है। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ ने इस संबंध में मुख्यमंत्री को पत्र भेजा है। 


    संघ के पदाधिकारियों ने बताया है कि राजस्थान सरकार ने नौ वर्ष तक काम करने वाले सभी संविदा कर्मियों का मानदेय 29,600 करने की घोषणा की है। इसी तरह 18 वर्ष की संविदा अवधि पूरा करने वाले कर्मियों का मानदेय 51,600 रुपये करने की घोषणा की गई है। उत्तर प्रदेश में भी इस तरह की व्यवस्था जा सकती है। 


    संघ के प्रदेश मंत्री कौशल कुमार सिंह ने कहा है कि 10 हजार रुपये मानदेय में शिक्षामित्रों का घर कैसे चल रहा है, इस पर ध्यान देना जरूरी है। महंगाई के कारण परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल हो रहा है। जबकि शिक्षामित्र, सामान्य शिक्षकों की तरह निपुण लक्ष्य प्राप्त करने समेत सभी काम में 100 फीसदी सहभागिता निभाते हैं। शिक्षण कार्य में भी पूरा योगदान दे रहे हैं। ऐसे में शिक्षामित्रों की समस्याओं का जल्द समाधान किया जाना चाहिए। 

    उच्च शिक्षा निदेशालय में प्रकरणों के निस्तारण में लापरवाही पर शासन खफा, तय किया प्रकरणों के निस्तारण का उत्तरदायित्व

    उच्च शिक्षा निदेशालय में प्रकरणों के निस्तारण में लापरवाही पर शासन खफा,  तय किया प्रकरणों के निस्तारण का उत्तरदायित्व



    लखनऊ। उच्च शिक्षा निदेशालय स्तर से निस्तारित किए जाने वाले प्रकरणों में लापरवाही और लेटलतीफी सामने आई है। इस पर शासन ने नाराजगी व्यक्त करते हुए पेंशन, जीपीएफ, वेतन निर्धारण, मृतक आश्रित, अनुमोदन, वेतन भुगतान, चिकित्सा प्रतिपूर्ति, अनापत्ति प्रमाण पत्र, अवकाश स्वीकृति के लिए संबंधित अधिकारियों-कर्मचारियों का उत्तरदायित्व तय कर दिया है।


    शासन के संज्ञान में आया है कि निदेशालय स्तर पर इस सभी प्रकरणों के निस्तारण में काफी देरी होती है। साथ ही इनसे संबंधित निर्णयों व निस्तारण में पारदर्शिता व सही न्याय भी नहीं मिलता है। प्रकरण के निस्तारण के बाद इसकी सूचना संबंधित को नहीं मिलती है। इसकी वजह से न्यायालय में भी कई वाद चले जाते हैं।


    इन्हीं सब प्रकरणों को देखते हुए यह निर्देश दिया गया है कि इसके निस्तारण के बाद उसकी एक प्रति विभाग की वेबसाइट पर उसी दिन अपलोड की जाए। साथ ही संबंधित कॉलेज व क्षेत्रीय कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट पर भी भेजी जाए। कुछ प्रकरणों के निस्तारण के लिए अधिकतम दो सप्ताह की समय सीमा निर्धारित की गई है। प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा डॉ. सुधीर एम बोबडे ने निदेशक उच्च शिक्षा, प्रयागराज को निर्देश दिया है कि इनका कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराया जाए। उन्होंने यह भी कहा है कि उक्त निर्देशों के अनुपालन के निरीक्षण का दायित्व संबंधित सहायक / संयुक्त निदेशक का होगा।



    शासन ने तय की उच्च शिक्षा निदेशालय की जवाबदेही


    लखनऊ : प्रयागराज स्थित उच्च शिक्षा निदेशालय के स्तर से निस्तारित होने वाले मामलों में अत्यधिक विलंब की शिकायतों को देखते हुए शासन ने कार्यप्रणाली में बदलाव करने का निर्देश दिया है।

    प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा सुधीर एम. बोबड़े ने इस संबंध में निदेशक उच्च शिक्षा को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है निदेशालय स्तर से प्रकरणों के निस्तारण में अत्यधिक विलंब होने की शिकायतें मिल रही हैं। इसके साथ ही प्रकरण में निर्णय या निस्तारण की सूचना भी संबंधित व्यक्तियों को नहीं प्राप्त होती है। इस कार्यप्रणाली से न्यायालय में अनेक मुकदमे भी दाखिल हो रहे हैं। 


    प्रमुख सचिव ने कहा है कि संबंधित पटल सहायक द्वारा प्रकरण पर आनलाइन कंप्यूटर क्रमांक दर्ज होने के बाद ही अधिकारी के सामने प्रस्तुत किया जाए। यह क्रमांक अंकित किए बिना किसी प्रकरण को निस्तारित न करें।

    Wednesday, March 15, 2023

    वर्ष 2023 की यूपी बोर्ड परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन कार्य को शुचितापूर्ण ढंग से सम्पादित कराये जाने के सम्बन्ध में

    यूपी बोर्ड : कंट्रोल रूम से होगी कॉपियां जांचने की निगरानी


    लखनऊ, यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटर की 18 मार्च से जांची जाने वाली कापियों की निगरानी कंट्रोल रूम से होगी। मूल्यांकन केंद्रों की वेबकास्टिंग की जाएगी। मूल्यांकन के दौरान स्टेटिक मजिस्ट्रेट केंद्र पर रहेंगे। हर केन्द्र पर पुलिस बल तैनात होगा। मूल्यांकन केंद्र के 100 मीटर दायरे में धारा 144 लागू रहेगी। परीक्षकों को परिचय पत्र के साथ ही केंद्र में प्रवेश मिलेगा। परीक्षक कमरे में मोबाइल नहीं ले जा सकेंगे। यह दिशा निर्देश प्रमुख सचिव दीपक कुमार ने जारी किये हैं।

    मूल्यांकन में लगे कार्मिकों की प्रतिदिन उपस्थिति दर्ज होगी। वहीं 15 दिनों में पारिश्रमिक भुगतान की पत्रावली पूरी कर ली जाएगी। यूपीएमएसपी की वेबसाइट पर परीक्षकों व उप प्रधान परीक्षकों की सूची अपलोड कर दी गई है।



    वर्ष 2023 की यूपी बोर्ड परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन कार्य को शुचितापूर्ण ढंग से सम्पादित कराये जाने के सम्बन्ध में


    NEET : MBBS दाखिले की काउंसलिंग में छात्रों को एक ही बार में चुनना होगा मेडिकल कॉलेज

    NEET : MBBS दाखिले की काउंसलिंग में छात्रों को एक ही बार में चुनना होगा मेडिकल कॉलेज


    NEET : MBBS दाखिले की काउंसलिंग में छात्रों को एक ही बार में चुनना होगा मेडिकल कॉलेजराष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने स्नातक चिकित्सा शिक्षा नियमों (जीएमईआर) में बदलाव का मसौदा तैयार किया है। 


    राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने स्नातक चिकित्सा शिक्षा नियमों (जीएमईआर) में बदलाव का मसौदा तैयार किया है। इसके तहत एमबीबीएस में प्रवेश के लिए होने वाली काउंसलिंग में छात्रों को पसंदीदा कॉलेज चुनने की अनुमति सिर्फ पहले राउंड में होगी। समझा जाता है कि इस बदलाव के पीछे ज्यादा से ज्यादा सीटों को तीन दौर की ऑनलाइन काउंसलिंग के दौरान भरना सुनिश्चित करना है। 


    मसौदे पर विभिन्न पक्षों की राय मांगी गई है। पिछले साल तीन दौर की ऑनलाइन काउंसलिंग के बाद भी एमबीबीएस की 4299, बीडीएस की 1280 और बीएससी नर्सिंग की 352 सीटें खाली रह गई थीं। इसमें राउंड-1, राउंड-2 और माप-अप राउंड शामिल हैं। इसके बाद चौथा स्ट्रे राउंड किया जाता, जो ऑनलाइन नहीं होता। इसके बाद की प्रक्रिया में गड़बड़ी की शिकायतें मिलती रही हैं।


    अंग्रेजी की अनिवार्यता कायम
    मध्य प्रदेश समेत कई राज्य हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई को बढ़ावा दे रहे हैं लेकिन इस मसौदे में नीट यूजी में शामिल होने को 12वीं में अंग्रेजी विषय की अनिवार्यता कायम है।


    स्थानांतरण विशेष परिस्थिति में
    विशेष परिस्थितियों में पहले वर्ष में कोई छात्र सरकारी कॉलेज से सरकारी और गैर सरकारी कॉलेज से गैर सरकारी कॉलेज में ही अपना स्थानांतरण करा सकेगा।


    नीट में समान अंक पर
    नए मसौदे में कहा गया है कि जब एक से अधिक उम्मीदवारों का स्कोर एक समान हो तो उसके लिए मैकेनिज्म बनाया गया है। इसके तहत जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान और भौतिक विज्ञान के क्रम में सर्वाधिक अंकों को आधार बनाया जाएगा। इस पर भी निर्णय न होने पर कंप्यूटर ड्रॉ होगा।

    NEET 2023: उत्तर प्रदेश में MBBS की 1300 नई सीटें और 13 मेडिकल कॉलेज बढ़े, इसी सत्र 2023-24 से मिलेगा प्रवेश



    NEET UG 2023 MBBS Admission : चिकित्सा शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश ने नीट 2023 के जरिए एमबीबीएस में एडमिशन की एडमिशन की तैयारी कर रहे छात्रों को खुशखबरी दी है। राज्य के चिकित्सा शिक्षा विभाग ने राज्य सरकार के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की 1,300 सीटें बढ़ाने का ऐलान किया है। इसी के साथ ही राज्य में 13 और नए मेडिकल कॉलेज भी इसी सत्र 2023-24 से शुरू हो जाएंगे।


    राज्य में एमबीबीएस सीटें बढ़ाने का ऐलान करते हुए चिकित्सा शिक्षा विभाग ने कहा है कि सरकार के इस कदम से राज्य के चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में अमूल चूल परिवर्तन होगा। ये 13 नए मेडिकल कॉलेज सत्र 2023-24 से शुरू हो रहे हैं।


    विभाग ने ट्वीट किया, " चिकित्सा शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश में बड़ा बदलाव लाते हुए राज्य के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की 1300 सीटें बढ़ाई गई हैं। 13 नए मेडिकल कॉलेज नए सत्र 2023-24 से शुरू होंगे। इससे राज्य के चिकित्सा क्षेत्र में सुधार होगा। मेडिकल एजुकेशन और करियर के लिए नई उड़ान मिलेगी।


    • राज्य में एमबीबीएस की 1300 सीटें बढ़ने के बाद अब कुल सीटें 3828 से बढ़कर 5128 पहुंच गई है।
    • 13 नए कॉलेजों में प्रिंसिपलों की तैनाती की जा चुकी है।
    • राज्य को अब बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं मिलेंगी।
    • उत्तर प्रदेश में अभी तक कुल 35 मेडिकल कॉलेज थे जिनकी संख्या बढ़कर अब 48 हो जाएगी।


    एमबीबीएस में एडमिशन मिलने वाले माौजूदा नियम के अनुसार, राज्य सरकार के मेडिकल कॉलेजों की 85 फीसदी सीटों पर राज्य कोटा से एडमिशन होता है जबकि 15 फीसदी सीटों पर नीट यूजी से काउंसिलिंग के जरिए एडमिशन दिया जाता है।


    आपको बता दें कि देशभर में एमबीबीएस की करीब 100388 सीटें हैं जिनमें आधे से ज्यादा सीटें सरकारी मेडिकल कॉलेजों में हैं।

    राजकीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को मिली प्रोन्नति, 227 शिक्षक हेडमास्टर बने , चार हो चुके रिटायर

    राजकीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को मिली प्रोन्नति, 227 शिक्षक हेडमास्टर बने , चार हो चुके रिटायर


    प्रयागराज : सूबे के अलग-अलग जनपदों में राजकीय हाईस्कूलों और इंटर कॉलेजों में कार्यरत 227 शिक्षक-शिक्षकाओं को प्रोन्नति देकर प्रधानाध्यापक बनाया गया है। मजे की बात यह है कि इनमें से तीन शिक्षिकाएं और एक शिक्षक पिछले साल 31 मार्च को ही रिटायर हो चुके हैं।


    इस आशय का आदेश शिक्षा निदेशक माध्यमिक डॉ. महेंद्र देव ने मंगलवार को जारी कर दिया है। साथ ही निर्देश दिया है कि समस्त पदोन्नति प्राप्त शिक्षक-शिक्षिकाएं अपने वर्तमान पद से कार्यमुक्त होकर पदोन्नत पद पर अविलंब प्रभार ग्रहण करें। पदोन्नति स्वीकार न करने की दशा में अपनी असहमति की सूचना मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक के माध्यम से उपलब्ध कराएं। शिक्षकों को उत्तर प्रदेश शैक्षिक अध्यापन (अधीनस्थ राजपत्रित) सेवा नियमावली के अधीन गठित समिति द्वारा चयनित प्रवक्ता वेतनक्रम में प्रोन्नत किया गया है। इसमें पुरुष वर्ग में 84 शिक्षकों को प्रधानाध्यापक के पद पर प्रोन्नति मिली है। इसमें प्रयागराज के एक भी शिक्षकों को प्रोन्नति नहीं मिली है। वहीं, महिला वर्ग में 143 को प्रोन्नत किया गया है। इसमें प्रयागराज की पांच महिलाएं शामिल हैं।


    संघ प्रदेश अध्यक्ष भी प्रमोट हुईं रिटायरमेंट के बाद उत्तर प्रदेश राजकीय शिक्षक संघ पांडे गुट की प्रदेश अध्यक्ष छाया शुक्ला का भी प्रधानाध्यापक पद पर मंगलवार को प्रमोशन हुआ है। वह पिछले साल 31 मार्च को ही रिटायर हो गई हैं। पांडे गुट के रामेश्वर पांडे ने बताया कि पदोन्नति की डीपीसी पिछले साल 21 मई को ही हो गई थी, लेकिन आदेश जारी होने में 10 महीने का समय लग गया। डीपीसी में पुरुष वर्ग के अंतर्गत 108 एलटी और 131 प्रवक्ता के प्रमोशन को हरी झंडी मिली थी, लेकिन 84 का ही पदस्थापन हो सका है। इनमें एलटी के 29 और प्रवक्ता के 65 शिक्षक शामिल हैं।

    69 हजार शिक्षक भर्ती अभ्यर्थियों ने निदेशालय घेरा, स्कूल महानिदेशक से अभ्यर्थियों की वार्ता फेल

    6800 अभ्यर्थियों ने मांगा नियुक्ति पत्र

    बेसिक शिक्षा निदेशालय पर किया प्रदर्शन, महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने की वार्ता


    लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती मामले में बृहस्पतिवार को लगातार दूसरे दिन 6800 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों ने प्रदर्शन किया। बेसिक शिक्षा निदेशालय पर प्रदर्शन कर छात्रों ने प्रदेश सरकार से नियुक्ति पत्र मांगा। साथ ही यह भी मांग की कि सरकार डबल बेंच में जाए, ताकि उनका भविष्य सुरक्षित हो सके।

    प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि सरकार ने मामले में ठीक से पैरवी नहीं की जिसकी वजह से यह सूची रद्द कर दी गई।

    कई घंटे प्रदर्शन के बाद महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने अभ्यर्थियों से वार्ता की। उन्होंने कहा कि अभ्यर्थी अगर कोई और तथ्य देना चाहते हैं तो विभाग को दें। विभाग हाईकोर्ट के आदेश का अध्ययन कर रहा है। आगे शासन के निर्देश पर अभ्यर्थियों के हित में सकारात्मक कदम ही उठाया जाएगा। 


    69 हजार शिक्षक भर्ती अभ्यर्थियों ने निदेशालय घेरा, स्कूल महानिदेशक से अभ्यर्थियों की वार्ता फेल

    🆕 Update 
    69000 शिक्षक अभ्यर्थियों ने गुरुवार को बेसिक शिक्षा निदेशालय का घेराव कर नारेबाजी और प्रदर्शन किया। बुधवार को भी दिखा था अभ्यर्थियों का आक्रोश। 

    ● अधिकारियों ने बुलायी पुलिस और पीएसी

    स्कूल महानिदेशक से अभ्यर्थियों की वार्ता फेल


    लखनऊ । 69 हजार शिक्षक भर्ती की चयन सूची में शामिल अभ्यर्थियों ने नियुक्ति की मांग को लेकर गुरूवार को निशातगंज स्थित निदेशालय में प्रदर्शन कर विरोध दर्ज कराया। शासन और विभागीय अधिकारियों के ढुलमुल रवैये से खफा प्रदर्शन कर रहे करीब 200 अभ्यर्थी अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे गए। 

    अभ्यर्थियों के बढ़ते आक्रोश को देखते हुए अधिकारियों ने पुलिस और पीएसी बुला ली। अभ्यर्थियों ने स्कूल महानिदेशक विजय किरण आनंद से वार्ता की लेकिन कोई हल नहीं निकला।

    इन अभ्यर्थियों ने बुधवार को बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह के आवास का घेराव कर प्रदर्शन किया था। पुलिस द्वारा जबरन उठाने पर यह अभ्यर्थी इको गार्डन पर दिन भर धरना देते रहे लेकिन कोई अधिकारी वार्ता के लिए नहीं पहुंचा।

     इससे नाराज अभ्यर्थी गुरूवार की सुबह करीब 10 बजे शिक्षा निदेशालय और राज्य शैक्षिक अनुसंधान परिषद (एससीईआरटी) पर पहुंचकर प्रदर्शन शुरू कर दिया। अमरेन्द्र पटेल ने बताया कि स्कूल महानिदेशक से हुई वार्ता में उन्होंने अभ्यर्थियों से कहा कि उन्हें अभी तक हाईकोर्ट का आदेश नहीं पढ़ा है। अभ्यर्थियों से भर्ती से जुड़ी विसंगतियों का पूरा ब्योरा मांगा है।


    यह सभी देखने के बाद आगे की कार्रवाई तय होगी। महानिदेशक से हुई वार्ता में कुछ सकारात्मक जवान न मिलने से नाराज अभ्यर्थी बाहर बाहर धरने पर बैठे गए। अभ्यर्थियों का कहना है कि वह धरना जारी रखेंगे जब तक कि उनकी मांगें न मानी जाएं।


    शिक्षक भर्ती में आरक्षण की मांग को लेकर घेरा निदेशालय


     लखनऊ : यूपी में परिषदीय स्कूलों में 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में 6,800 ओबीसी अभ्यर्थियों की सूची रद करने के हाई कोर्ट के सिंगल बेंच के निर्णय के बाद अभ्यर्थियों ने दूसरे दिन गुरुवार को भी प्रदर्शन जारी रखा। राजधानी में बेसिक शिक्षा निदेशालय का घेराव किया और मांग की कि सरकार इस निर्णय के खिलाफ डबल बेंच के समक्ष अपील करे।


    अभ्यर्थियों ने कहा कि बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लचर पैरवी के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है और उन्हें बेवजह परेशान किया जा रहा है। 69 हजार शिक्षक भर्ती वर्ष 2018 में शुरू हुई थी। आरक्षण में विसंगतियों को लेकर अभ्यर्थियों ने प्रदर्शन किया और एक वर्ष से अधिक समय तक चले मामले में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने 29 अप्रैल 2021 को आदेश दिया कि विसंगितयां हुई हैं और इसे ठीक किया जाए। इसके बाद 6,800 ओबीसी अभ्यर्थियों की सूची पांच जनवरी 2022 को जारी की गई। नियुक्ति पत्र विधानसभा चुनावों के चलते आचार संहिता लगने के कारण नहीं बंट सके। अब हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने इस सूची को रद करने का आदेश दिया है। ऐसे में सरकार को इसके विरुद्ध डबल बेंच के समक्ष अपील करनी चाहिए। फिलहाल अभ्यर्थियों ने महानिदेशक, स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद को ज्ञापन सौंपा।



    69 हजार शिक्षक भर्ती विवाद में बोले शिक्षा मंत्री - कोर्ट के आदेश का होगा पालन, किसी अभ्यर्थी के साथ न हो अन्याय इसका रखा जाएगा ध्यान 

    लखनऊ: 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले को लेकर बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि आरक्षण संबंधी जो सुझाव कोर्ट ने दिया है उसको हम पालन करेंगे। जिससे किसी भी अभ्यर्थी के साथ अन्याय न हो इसका पूरा ध्यान रखा जाएगा।


    शिक्षक भर्ती अभ्यर्थियों का मंत्री आवास पर प्रदर्शन, 69 हजार शिक्षक भर्ती अभ्यर्थियों की पुलिस से नोकझोंक, नारेबाजी

     
    ● अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में अच्छे से पैरवी करने की अपील की

    ● कई अभ्यर्थी भाजपा कार्यालय पहुंच गए, बाहर की नारेबाजी


    लखनऊ : 69 हजार शिक्षक भर्ती की चयन सूची में शामिल अभ्यर्थियों ने नियुक्ति की मांग को लेकर बुधवार को बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह के आवास का घेराव किया। प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि शासन ने कोर्ट में ठीक से पैरवी नहीं की। जिसकी वजह से कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।

    मंत्री से मिलने की जिद पर अड़े अभ्यर्थियों के उग्र एवं जिम्मेदारों के खिलाफ नारेबाजी शुरू करते ही पुलिस हरकत में आयी। अभ्यर्थियों की पुलिस से तीखी नोकझोंक हुई। पुलिस हलका बल प्रयोग कर इन्हें जबरन पुलिस गाड़ी में बैठाकर आलमबाग के इको गार्डन में ले जाकर छोड़ा। नाराज अभ्यर्थी यहां धरने पर बैठ गए। कुछ लोग भाजपा मुख्यालय पहुंच गए। गेट बंद होने के कारण बाहर नारेबाजी करने लगे।

    बुधवार सुबह करीब 10 बजे 69 हजार शिक्षक भर्ती में नियुक्ति की मांग कर रहे करीब 200 चयनित अभ्यर्थी मंत्री आवास के बाहर जुटे। भारी संख्या में महिलाएं भी थीं। करीब दो घंटे चले प्रदर्शन में नियुक्ति की मांग कर रहे अभ्यर्थियों ने कहा कि सरकार हाईकोर्ट में सही से पैरवी करे ताकि न्याय मिल सके। आरक्षित वर्ग में चयनित अभ्यर्थियों को जारी कटऑफ में 65 फीसदी से ज्यादा अंक के बावजूद सामान्य श्रेणी में शामिल नहीं किया।



    69 हजार शिक्षक भर्ती मामले पर अभ्यर्थियों का बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह के आवास पर और बीजेपी कार्यालय पर प्रदर्शन, नेता विपक्ष ने साधा सरकार पर निशाना

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     लखनऊ 

    🔴 69000 शिक्षक अभ्यर्थियों का विरोध प्रदर्शन 

    🔴 बीजेपी कार्यालय के बाहर पहुंचकर किया प्रदर्शन

    🔴 सुबह शिक्षा मंत्री के घर का किया था घेराव

    🔴 शिक्षा मंत्री संदीप सिंह के आवास पर प्रदर्शन

    🔴 बड़ी संख्या में चयनित अभ्यर्थियों का प्रदर्शन

    🔴 मौके पर पहुंची पुलिस ने अभ्यर्थियों को हटाया

    🔴 प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों को इको गार्डन भेजा गया.


    लखनऊ- 69 हजार शिक्षक भर्ती अभ्यर्थियों ने शिक्षा मंत्री संदीप सिंह के आवास पर प्रदर्शन किया है. बुधवार सुबह मंत्री भारी संख्या में संदीप सिंह के आवास पर बड़ी संख्या में चयनित अभ्यर्थियों ने प्रदर्शन शुरु किया. शासन के खिलाफ नारेबाजी कर रहे इन अभ्यर्थियों को पुलिस ने गाड़ी में बैठाकर इको गार्डन भेज दिया है.


    सोमवार को हाईकोर्ट ने 69 हजार शिक्षक भर्ती की चयन सूची को रद्द कर दिया था. कोर्ट ने इसके साथ ही भर्ती परीक्षा के क्रम में आरक्षित वर्ग के अतिरिक्त 6800 अभ्यर्थियों की 5 जनवरी 2022 को जारी हुई चयन सूची को भी खारिज कर दिया.


    इसी विषय को लेकर अभ्यर्थी लगातार सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. सपा प्रमुख ने ट्वीट कर सरकार पर निशाना साधा था. अखिलेश ने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि कोर्ट का फैसला सरकार की ढीली पैरवी का नतीजा है. 

    इसके बाद अभ्यर्थियों ने बीजेपी कार्यालय पर जाकर प्रर्दशन शुरू कर दिया।



    69000 शिक्षक भर्ती पर 6800 की सूची को रद्द करने के फैसले को लेकर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी शिक्षा मंत्री के आवास का करेंगे घेराव


    प्रयागराज | 69000 शिक्षक भर्ती मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच की तरफ से दिए गए फैसले का आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने विरोध किया है। कहा कि कोर्ट का फैसला आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के गले नहीं उतर रहा है। उनका कहना है की हाई कोर्ट का फैसला बेसिक शिक्षा नियमावली के विरुद्ध है और भर्ती प्रक्रिया को पूर्ण करने की बजाय उलझा दिया है। ऐसा सरकार की कमजोर पैरवी के कारण हुआ। 


    मंगलवार को दलित पिछड़ा आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने कहा कि कोर्ट में सरकार की तरफ से कमजोर पैरवी की गई। इसके कारण सरकार के द्वारा जारी 6800 चयनित अभ्यर्थियों की सूची रद्द कर दी गई और पूरी भर्ती प्रक्रिया को फिर से रिव्यू करने का आदेश दिया है।


    अमरेंद्र पटेल ने कहा कि यदि सरकार मजबूत पैरवी करती तो आज पिछड़े वंचित समाज के अभ्यर्थियों को न्याय मिला होता। साथ ही सभी 6800 चयनित शिक्षक बनकर अपने स्कूलों में होते । पटेल ने बताया कि अपनी मांग को लेकर वह अपने इस आंदोलन को और तेज करेंगे साथ ही शिक्षा मंत्री आवास का घेराव भी करेंगे। 


    कहा कि सरकार अपनी मंशा स्पष्ट करें कि वह दलित, पिछड़े, वंचित वर्ग के संवैधानिक आरक्षण को देते हुए अभ्यर्थियों को न्याय देना चाहती है या नहीं। अमरेंद्र ने कहा कि हम शिक्षा मंत्री और सरकार के अधिकारियों पर दबाव बनाएंगे कि वह मामले को डबल बेंच में ले जाकर आरक्षण की नियमावली का सही पालन कराएं।


    गौरतलब है कि बेसिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश द्वारा 69000 शिक्षक भर्ती का आयोजन किया गया था, जिसमें आरक्षण की विसंगतियों के कारण आरक्षित वर्ग के कई अभ्यर्थी चयन पाने से वंचित रह गए थे। 

    Tuesday, March 14, 2023

    CBSE : सीबीएसई 10वीं 12वीं की मार्कशीट पर मार्क्स के साथ ग्रेड भी मिलेगा, जानिए और क्या-क्या दिखेंगे बदलाव

    CBSE : सीबीएसई 10वीं 12वीं की मार्कशीट पर मार्क्स के साथ ग्रेड भी मिलेगा, जानिए और  क्या-क्या दिखेंगे बदलाव


    CBSE : सीबीएसई 10वीं 12वीं की मार्कशीट पर मार्क्स के साथ ग्रेड भी मिलेगा, जानें और क्या-क्या दिखेंगे बदलावसीबीएसई से जारी होने वाले दसवीं और 12वीं के अंक पत्र पर इस बार मार्क्स (अंक) के साथ-साथ ग्रेड भी दिया जाएगा। बोर्ड सूत्रों के अनुसार, अंक पत्र पर सभी मुख्य विषयों के अंक के साथ विषय वार ग्रेडिंग रहेगी

    केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से जारी होने वाले दसवीं और 12वीं के अंक पत्र पर इस बार मार्क्स (अंक) के साथ-साथ ग्रेड भी दिया जाएगा। बोर्ड सूत्रों के अनुसार, अंक पत्र पर सभी मुख्य विषयों के अंक के साथ विषय वार ग्रेडिंग रहेगी। अभी तक बोर्ड से विषय वार अंक तो दिये जाते थे, लेकिन ग्रेडिंग कुल अंक की ही मिलती थी। लेकिन इस बार से विषयवार ग्रेडिंग रहेगी। इससे छात्रों को पता चलेगा कि संबंधित विषय में उन्हें क्या ग्रेड प्राप्त हुआ है।


     इसकी जानकारी सीबीएसई की ओर से स्कूलों को दी गई है। बोर्ड के अनुसार, अब 11वीं कक्षा में नामांकन और स्नातक में नामांकन के लिए विभिन्न स्कूल और विवि द्वारा ग्रेडिंग को देखा जा रहा है। इससे कई बार छात्रों को परेशानी होती है। ऐसे में अंक पत्र पर अंक के साथ ग्रेड होने से आगे की कक्षा में नामांकन लेने में सुविधा होगी। बता दें कि बोर्ड ने इस बार दसवीं और 12वीं के सिलेबस में भी बदलाव किया है। इसका असर भी इस बार के परिणाम पर हो सकता है।


    प्रमुख पांच में व्यावसायिक (कौशल) विषय भी शामिल

    सीबीएसई के दसवीं और 12वीं के अंकपत्र में पहली बार वोकेशनल (स्किल) विषय को शामिल किया जाएगा। अभी तक वोकेशनल को अतिरिक्त विषय के तौर पर शामिल किया जाता था। लेकिन इस बार मुख्य विषय में भी शामिल रहेगा। वहीं वैसे छात्र जिन्होंने अतिरिक्त विषय में मुख्य तीन विषय से अधिक अंक प्राप्त किया होगा, उनके अतिरिक्त विषय मुख्य विषय के तौर पर शामिल होगा। ऐेसे में अगर कोई छात्र अतिरिक्त विषय के तौर पर स्किल विषय लिए होंगे तो उस विषय का मुख्य विषय के तौर पर अंक जुड़ेगा। इसके अलावा जिन छात्रों ने स्किल विषय को मुख्य तीन विषय में लिया होगा, उनके अंक भी प्रमुख पांच में रहेगा।


    जिन विषयों की परीक्षा हो जा रही है, उसका मूल्यांकन तीसरे दिन शुरू हो रहा है। इससे 15 अप्रैल तक मूल्यांकन समाप्त करने का लक्ष्य है। 12वीं बोर्ड की परीक्षा चार अप्रैल को समाप्त होगी। इसके दस से 15 दिनों में मूल्यांकन समाप्त हो जायेगा। मई के दूसरे या तीसरे सप्ताह में परिणाम जारी हो सकता है।

    इग्नू में प्रवेश की तिथि 20 मार्च तक बढ़ी

    इग्नू में प्रवेश की तिथि 20 मार्च तक बढ़ी


    प्रयागराज । इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय में स्नातक, स्नातकोत्तर, पीजी डिप्लोमा एवं डिप्लोमा कार्यक्रम में नवीन प्रवेश की अंतिम तिथि 20 मार्च तक बढ़ा दी गई है।  पुनः प्रवेश की तिथि भी 20 मार्च तक बढ़ा दी गई है, जबकि सर्टिफिकेट एवं सेमेस्टर आधारित प्रोग्राम में प्रवेश की तिथि सिर्फ 14 मार्च तक बढ़ाई गई है। 


    इग्नू प्रवेश 2023 - इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) इग्नू 2023 जनवरी प्रवेश चक्र के लिए प्रमाणपत्र/सेमेस्टर आधारित कार्यक्रमों के लिए आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 14 मार्च 2023 है जबकि इग्नू 2023 पंजीकरण की अंतिम तिथि विलंब शुल्क 200 रुपये के साथ 20 मार्च कर दी गई है। 


    इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) जनवरी 2023 सत्र के लिए एडमिशन की अंतिम तारीख 10 मार्च से बढाकर 20 मार्च 2023 कर दी गई है। इससे पहले जनवरी 2023 सत्र के लिए पुन: पंजीकरण की अंतिम तिथि विलंब शुल्क के बिना 10 मार्च कर दी गई थी। जनवरी सत्र के लिए इग्नू 2023 प्रवेश 28 दिसंबर, 2022 को आधिकारिक वेबसाइट पर ऑनलाइन मोड में शुरू किया गया। आवेदक इग्नू प्रवेश 2023 के लिए इग्नू के प्रवेश पोर्टल ignou.ac.in पर जाकर इससे जुड़ी औपचारिकताओं को पूरा कर सकते हैं। इग्नू प्रवेश 2023 के इच्छुक उम्मीदवार समय सीमा से पहले अपनी इग्नू पंजीकरण प्रक्रिया 2023 पूरी कर सकेंगे।


    इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) ने जून टर्म एंड एग्जामिनेशन (टीईई) 2023 की डेट शीट में संशोधन किया है। संभावित कार्यक्रम के अनुसार, इग्नू जून टीईई 2023 परीक्षा फॉर्म 1 मार्च को जारी किया जाएगा। इग्नू टीईई जून 2023 परीक्षा संभावित रूप 1 जून से 6 जुलाई, 2023 तक आयोजित की जाएगी।


    इग्नू रीरजिस्ट्रेशन की तारीख 20 फरवरी से बढ़ा कर 28 फ़रवरी कर दी गई है।

    इग्नू जून टीईई 2022 डेटशीट आउट; परीक्षा 23 जनवरी से
    इग्नू ने बीएड, पीएचडी और बीएससी प्रोग्राम के लिए प्रवेश परीक्षा 2023 के लिए हॉल टिकट जारी कर दिया है। हॉल टिकट डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें

    इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) में जनवरी 2023 सत्र में पुन: पंजीकरण करने के लिए यहाँ क्लिक करें ।