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Tuesday, August 22, 2119

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    Sunday, October 6, 2024

    हाईकोर्ट का बीएसए को निर्देश: सहायक अध्यापक नियुक्ति से पहले बतौर शिक्षामित्र के रूप में की गई सेवा भी जोड़ने पर करें विचार

    हाईकोर्ट का बीएसए को निर्देश: सहायक अध्यापक नियुक्ति से पहले बतौर शिक्षामित्र के रूप में की गई सेवा भी जोड़ने पर करें विचार 


    प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सिद्धार्थनगर जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) को सहायक अध्यापक नियुक्ति से पहले की गई सेवा को वरिष्ठता निर्धारण में शामिल करने की मांग पर विचार करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव ने 48 सहायक अध्यापकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है। याचिकाकर्ताओं ने सहायक अध्यापक बनने से पहले शिक्षामित्र के रूप में की गई सेवा को वरिष्ठता निर्धारण में जोड़ने की मांग की थी।


    याचिकाकर्ताओं में रामराज चौधरी और 47 अन्य जूनियर बेसिक स्कूलों के सहायक अध्यापक शामिल हैं, जिन्होंने यह याचिका दायर की थी। उन्होंने तर्क दिया कि शिक्षामित्र के रूप में उनके द्वारा दी गई सेवा को नियुक्ति के समय वरिष्ठता सूची में शामिल नहीं किया गया, जिससे उन्हें वरिष्ठता के लाभ से वंचित किया गया है। याचिका में कहा गया कि सहायक अध्यापक बनने से पहले उनकी की गई सेवा का मूल्यांकन किया जाना चाहिए और इसे उनकी वरिष्ठता में जोड़ा जाना चाहिए।

    कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि बेसिक शिक्षा अधिकारी को नियमानुसार इस मांग पर विचार करना चाहिए और इसे सुलझाने के लिए अगले दो माह के भीतर निर्णय लेना होगा। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले में नियमों और प्रावधानों के अनुसार कार्यवाही की जानी चाहिए।

    यह निर्णय 48 सहायक अध्यापकों के लिए महत्वपूर्ण है, जो अपनी सेवा अवधि को वरिष्ठता में जोड़ने की उम्मीद कर रहे हैं। अगर बेसिक शिक्षा अधिकारी सहायक अध्यापक बनने से पहले की सेवा को वरिष्ठता निर्धारण में शामिल करने के पक्ष में निर्णय लेते हैं, तो इसका असर इन शिक्षकों की पदोन्नति और वेतनमान और पुरानी पेंशन पर भी पड़ सकता है।

    स्कूलों में सुरक्षा उपायों का मुआयना कराए सरकार : हाईकोर्ट, राज्य सरकार ने स्कूलों और विद्यार्थियों की सुरक्षा की कार्ययोजना बनाकर पेश की

    स्कूलों में सुरक्षा उपायों का मुआयना कराए सरकार : हाईकोर्ट, राज्य सरकार ने स्कूलों और विद्यार्थियों की सुरक्षा की कार्ययोजना बनाकर पेश की

    कोर्ट ने पहले के आदेश में प्रदेश के स्कूलों की सेफ्टी ऑडिट रिपोर्ट की थी तलब

    लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सुरक्षा मानकों व संबंधित नियम-कानूनों का उल्लंघन कर चल रहे स्कूलों और विद्यार्थियों की सुरक्षा मामले का सख्त संज्ञान लिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि स्कूलों में सुरक्षा उपायों का गंभीरता से मुआयना कराए। हालांकि विद्यार्थियों की सुरक्षा से जुड़े इस मामले की सुनवाई के समय राज्य सरकार ने पहले के आदेश के तहत कार्ययोजना पेश की।


     न्यायमूर्ति आलोक माथुर और न्यायमूर्ति वृजराज सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश गोमती रिवर बैंक रेजिडेंटस की ओर से वर्ष 2020 में दाखिल जनहित याचिका पर दिया। इसमें शहर के आवासीय क्षेत्रों में मानकों के उल्लंघन कर चल रहे स्कूलों का मुद्दा उठाया गया है। ऐसे 16 स्कूलों की लगाई गई सूची में जापलिंग रोड स्थित सीएमएस स्कूल समेत अन्य स्कूलों के नाम हैं। इस मामले में पहले कोर्ट ने प्रदेश के स्कूलों की सेफ्टी ऑडिट रिपोर्ट तलब की थी। साथ ही जानकारी देने के लिए प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी को तलब किया था। 


    कोर्ट के आदेश के तहत बीते पांच सितंबर को माध्यमिक शिक्षा सचिव वेदपाल मिश्र कोर्ट में पेश हुए। साथ ही कोर्ट के आदेश के अनुपालन के संबंध में अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा दीपक कुमार और संयुक्त पुलिस आयुक्त कानून-व्यवस्था अमित वर्मा के हलफनामे भी पेश किए गए।


    सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया था कि संबंधित अधिकारी सुप्रीम कोर्ट द्वारा अविनाश मेहरोत्रा के मामले में दिए गए सुरक्षा संबंधी दिशा-निर्देशों को लागू करने के लिए नीति बनाने की प्रक्रिया में हैं। इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वर्ष 2021 के नए दिशा- निर्देशों के तहत सुरक्षा संबंधी कार्ययोजना बनाकर एक अक्तूबर तक पेश करे।


    मामले में नियुक्त न्यायमित्र

    अधिवक्ता ने अर्जी दाखिल कर कोर्ट को बताया था कि हाल ही में बाराबंकी के जहांगीराबाद स्थित अवध चिल्ड्रेन एकेडमी नामक निजी स्कूल की एक मंजिल ढहने से 15-20 बच्चों को चोट आई थी। इस घटना की छपी खबरें भी फोटो के साथ पेश की। कोर्ट ने इसे दिशा-निर्देशों का टेस्ट केस मानकर संबंधित अधिकारियों को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया था।


    लखनऊ में बच्चों को स्कूल से लाने ले जाने के मामले में आदेश न मानने वालों की रिपोर्ट तलब

    हाईकोर्ट ने इसी मामले में लखनऊ में बच्चों को स्कूल से लाने ले जाने के पहले दिए आदेश का उल्लंघन करने वाले स्कूलों की सूची संबंधित प्राधिकारी से मांगी है। कहा, ऐसे स्कूलों के प्राधिकारियों से कोर्ट के इस आदेश का पालन करने की कोशिश और बातचीत जारी रखी जाए। कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई पर छह नवंबर को संबंधित प्राधिकारी को रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया। पहले कोर्ट ने इस मामले में डीसीपी यातायात को एक अक्तूबर को तलब किया था। इसके तहत संयुक्त पुलिस आयुक्त अमित वर्मा ने जवाबी हलफनामा दाखिल कर कोर्ट को बताया था कि शहर के कुछ स्कूलों ने पांचवीं कक्षा तक के बच्चों को वैन से स्कूल लाने और ले जाने की व्यवस्था कर ली है। वहीं, कुछ स्कूल अभी ऐसा नहीं कर पा रहे हैं। इस पर कोर्ट ने कहा था कि निर्देशों का पालन न करने बालों की जानकारी दें, जिससे कोर्ट आदेश दे सके।

    समाज कल्याण के स्कूलों में यूनिफॉर्म न देने के मामले में एक माह में फैसला ले विभाग – हाईकोर्ट

    समाज कल्याण के स्कूलों में यूनिफॉर्म न देने के मामले में एक माह में फैसला ले विभाग – हाईकोर्ट 


    लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने प्रदेश के बेसिक स्कूलों की तरह समाज कल्याण विभाग से संचालित स्कूलों में विद्यार्थियों को यूनिफॉर्म न देने के मामले में महीने भर में निर्णय लेकर जानकारी पेश करने का आदेश दिया है। 


    कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर नवंबर के पहले हफ्ते में होने वाली सुनवाई पर हलफनामा दाखिल न हुआ तो बेसिक शिक्षा और समाज कल्याण विभागों के प्रमुख सचिवों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से कोर्ट में पेश होना होगा। इससे पहले सरकारी वकील ने दोनों प्रमुख सचिवों का जवाबी हलफनामा दाखिल कर कोर्ट को बताया कि मामले में निर्णय लेने में महीने भर का समय लगेगा।


     न्यायमूर्ति राजन रॉय और ओम प्रकाश शुक्ल की खंडपीठ ने यह आदेश यूपी अनुसूचित जाति प्राथमिक विद्यालय शिक्षक सहायक समिति लखनऊ के महासचिव द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर दिया। 

    माध्यमिक शिक्षकों की कार्यालयों से सबद्धता होगी खत्म

    माध्यमिक शिक्षकों की कार्यालयों से सबद्धता होगी खत्म


    लखनऊ। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों के शिक्षकों का डीआईओएस व अन्य कार्यालयों से संबद्धता तत्काल समाप्त करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही उनके मूल विद्यालय से वेतन जारी करने पर भी कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। 


    विभाग ने कहा है कि इस बारे में कोई शासनादेश भी नहीं है। इससे विद्यालय का काम भी प्रभावित हो रहा है। अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक सुरेंद्र कुमार तिवारी ने सभी डीआईओएस व वित्त एवं लेखाधिकारी को निर्देश दिए हैं कि अपने जिले के एडेड विद्यालयों के शिक्षकों की संबद्धता तत्काल निरस्त कर उन्हें मूल विद्यालय भेजा जाए। 


    यदि इस तरह की शिकायत आती है तो इसके लिए डीआईओएस व मूल विद्यालय से वेतन जारी करने पर वित्त एवं लेखाधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी। 

    प्रदेश में जल्द खुलेंगे 16 राजकीय संस्कृत विद्यालय, पांच में छात्रावास की सुविधा भी उपलब्ध होगी

     प्रदेश में जल्द खुलेंगे 16 राजकीय संस्कृत विद्यालय, पांच में छात्रावास की सुविधा भी उपलब्ध होगी


    लखनऊ : प्रदेश में जल्द 16 राजकीय संस्कृत विद्यालय स्थापित किए जाएंगे। इनमें से पांच विद्यालयों में छात्रों के लिए छात्रावास की सुविधा भी उपलब्ध होगी। संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए विद्यालयों की संख्या में बढ़ोतरी की जा रही है। इन विद्यालयों के निर्माण में कुल 117 करोड़ रुपये खर्च होंगे। निर्माण कार्य के लिए 17 करोड़ की पहली किस्त जारी कर दी गई है। 


    प्रदेश में अभी सिर्फ दो राजकीय संस्कृत स्कूल ही हैं। जिन जिलों में यह विद्यालय बनाए जा रहे हैं, उनमें वाराणसी, रायबरेली, बिजनौर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, शामली, जालौन, अमेठी, मुरादाबाद, एटा, हरदोई, अयोध्या, सीतापुर, चित्रकूट, प्रयागराज, और मथुरा शामिल हैं। इनमें से जिन पांच राजकीय संस्कृत विद्यालयों में 100 बेड का छात्रावास बनाया जाएगा उनमें अयोध्या, सीतापुर, चित्रकूट, प्रयागराज और मथुरा शामिल हैं। 


    विद्यार्थियों को बेहतर ढंग से देववाणी का ज्ञान देने के लिए यह पहल की जा रही है। स्कूली शिक्षा महानिदेशालय की ओर से सभी जिलों के जिला विद्यालय निरीक्षकों को निर्देश दिए गए हैं कि तय समय- सीमा के भीतर गुणवत्तापूर्ण ढंग से इन विद्यालयों का निर्माण किया जाए। समय-समय पर निर्माण कार्य का निरीक्षण कर रिपोर्ट महानिदेशालय को भेजी जाए। 


    कार्यदायी संस्था अगर किसी भी तरह की गड़बड़ी करती पाई जाए तो तत्काल उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए। अभी प्रदेश में 1,164 संस्कृत विद्यालय हैं। इनमें राजकीय संस्कृत स्कूल, अशासकीय सहायताप्राप्त विद्यालय व वित्तविहीन स्कूल शामिल हैं। यहां प्रथमा (कक्षा आठ) से लेकर उत्तर मध्यमा द्वितीय (इंटरमीडिएट) तक की शिक्षा दी जा रही है। ऐसे में इन विद्यालयों के खुलने से छात्रों को काफी लाभ होगा।

    स्कूल के बाद कौन सा कॅरिअर अपनाएं, बताएगी NCERT यूनिसेफ के सहयोग से कॅरिअर गाइडेंस बुक तैयार की

    स्कूल के बाद कौन सा कॅरिअर अपनाएं, बताएगी NCERT यूनिसेफ के सहयोग से कॅरिअर गाइडेंस बुक तैयार की 

    बुक में 21 डोमेन में 500 कॅरिअर कार्ड और छात्रवृत्ति व ऋण संबंधी जानकारी भी मिलेगी


    नई दिल्ली। देशभर के स्कूली छात्रों को 10वीं और 12वीं के बाद कॅरिअर की जानकारी लेने के लिए काउंसलर के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अब स्कूली छात्रों को यह जानकारी राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) से मिलेगी। एनसीईआरटी ने इसके लिए कॅरिअर गाइडेंस बुक तैयार की है। इसमें यूनिसेफ ने सहयोग किया है।


    कॅरिअर मार्गदर्शन सामग्री के दो खंड विकसित किए गए हैं। जिसमें 21 डोमेन में 500 कॅरिअर कार्ड से जानकारी मिलेगी। इस तरह से एक ही पुस्तक में छात्रों के कॅरिअर से जुड़े सभी सवालों के जवाब मिल जाएंगे।


    सीबीएसई ने इस बाबत स्कूलों को जानकारी भेजी गई है। बोर्ड ने स्कूलों को कहा है कि वह कॅरिअर मार्गदर्शन पुस्तक छात्रों के उपयोग के लिए उपलब्ध कराएं। इस पुस्तक में साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, गणित (स्टैम) नॉन स्टैम, स्किल और अन्य कॅरिअर की जानकारी दी गई है। इस पुस्तक के माध्यम से छात्रों को यह पता चल सकता है कि बारहवीं के बाद कौन सा कोर्स या ट्रेनिंग छात्रों को करनी चाहिए जिससे कि उन्हें भविष्य में रोजगार मिल सके।


    सीबीएसई के अनुसार राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पढ़ाई के साथ-साथ स्कूलों में परामर्श को भी महत्व देती है। एनसीईआरटी की ओर से तैयार इस सामग्री में कोर्स की योग्यता, पाठ्यक्रम शुल्क, छात्रवृत्ति व ऋण की संभावनाओं, पाठ्यक्रम प्रदान करने वाले संस्थानों (सरकारी, निजी, ऑनलाइन पाठ्यक्रम विकल्प) के बारे में भी बताया गया है। इसके अलावा छात्रों को यह भी पता चल सकता है कि वह किस कोर्स को करने के बाद प्रति माह या प्रति वर्ष कितनी आय अर्जित कर सकते हैं।


    इससे यह लाभ होगा कि छात्रों को जिन प्रश्नों के सवाल काउंसलरों से नहीं मिलेंगे उन्हें छात्र इस सामग्री के माध्यम से प्राप्त कर सकेंगे। साथ ही 12वीं के बाद सरकारी नौकरी के कौन से विकल्प हैं, इसकी भी जानकारी मिलेगी।

    महानवमी अवकाश को लेकर RSM का ज्ञापन, 11 अक्टूबर को अवकाश घोषित करने की मांग

    महानवमी अवकाश को लेकर RSM का ज्ञापन, 11 अक्टूबर को अवकाश घोषित करने की मांग

    06 अक्टूबर 2024
    प्रयागराज: उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव को एक ज्ञापन प्रेषित कर प्रदेश के शिक्षकों ने 11 अक्टूबर 2024, दिन शुक्रवार को महानवमी का अवकाश घोषित करने की मांग की है। इस संबंध में प्रदेश अध्यक्ष अजीत सिंह और प्रदेश महामंत्री भगवती सिंह के नेतृत्व में शिक्षकों ने ज्ञापन सौंपा। 

    ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि इस वर्ष की अवकाश तालिका में महानवमी का अवकाश 12 अक्टूबर 2024 को दर्ज है, जबकि महाष्टमी और महानवमी 11 अक्टूबर 2024 को पड़ रही है। इसके चलते शिक्षकों ने अवकाश तालिका में बदलाव कर 11 अक्टूबर को अवकाश घोषित करने का अनुरोध किया है। ज्ञापन में बताया गया है कि महाष्टमी और महानवमी के अवसर पर प्रदेश के अधिकांश शिक्षक और छात्र अपने घरों में कन्या पूजन और भोज के कार्यक्रमों में भाग लेते हैं, जिससे उनकी उपस्थिति प्रभावित हो सकती है। 

    पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी महानवमी पर अवकाश की मांग रखते हुए शिक्षकों ने परिषद से अवकाश की तिथि में सुधार करने की अपील की है। संगठन ने इस मांग पर शीघ्र निर्णय लेने की अपेक्षा जताई है, ताकि शिक्षक और छात्र दोनों ही त्योहार को सुचारू रूप से मना सकें। ज्ञापन के अंत में संगठन ने सचिव से अनुरोध किया है कि इस तिथि को ध्यान में रखते हुए 11 अक्टूबर को अवकाश घोषित कर शिक्षकों और विद्यार्थियों को राहत प्रदान की जाए।






    परिषदीय विद्यालयों में हो महाअष्टमी-नवमी की छुट्टी, PSPSA की मांग

    04 अक्टूबर 2024
    लखनऊ। प्राथमिक प्रशिक्षित शिक्षक स्नातक एसोसिएशन ने सीएम योगी को पत्र भेजकर परिषदीय विद्यालयों में महाअष्टमी व नवमी पर छुट्टी घोषित करने की मांग की है। 

    एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय सिंह ने कहा है कि नवरात्रि बड़ा धार्मिक अनुष्ठान है। हर घर में हवन-पूजन व कन्या भोज होता है। परिषद की अवकाश तालिका में महानवमी का अवकाश विजय दशमी के दिन 12 अक्तूबर को किया गया है जबकि महाअष्टमी 10 अक्तूबर व महानवमी 11 अक्तूबर को है। ऐसे में 10 व 11 अक्तूबर को भी छुट्टी की जाए ताकि शिक्षक भी महाष्टमी व महानवमी का पर्व मना सके। 


    Saturday, October 5, 2024

    मरने से पहले हर पत्र पर लिखा- मेरी मौत की जिम्मेदार बीएसए होंगी, आरोपित शिक्षक दंपति संग बीएसए की बढ़ी मुश्किले, प्रतिकूल प्रविष्टि के बाद वेतन वृद्धि रुकने से शिक्षक थे तनाव में

    मरने से पहले हर पत्र पर लिखा- मेरी मौत की जिम्मेदार बीएसए होंगी, आरोपित शिक्षक दंपति संग बीएसए की बढ़ी मुश्किले, प्रतिकूल प्रविष्टि के बाद वेतन वृद्धि रुकने से शिक्षक थे तनाव में 

    पढ़ने के बाद जांच टीम भी आ गई सकते में, जांच टीम अभी इस प्रकरण को लेकर कुछ भी बताने को तैयार नहीं है


    अमरोहा। स्कूल कक्ष में प्रधानाध्यापक की आत्महत्या की वजहों से परदा उठने लगा है। इसी के साथ आरोपित शिक्षक दंपति संग बीएसए की मुश्किलें भी बढ़ गई हैं। उत्पीड़न से त्रस्त प्रधानाध्यापक ने बीएसए को तीन-चार पत्र लिखे थे। उन्हाेंने उसके पत्रों का संज्ञान नहीं लिया। इन पत्रों की छायाप्रति पर आत्महत्या से पहले प्रधानाध्यापक ने पेन से लिखा था- मेरी मौत की जिम्मेदार बीएसए होंगी।


    बीएसए को भेजे गए थे पत्र 
    जिलाधिकारी निधि गुप्ता की ओर से गठित चार सदस्यीय टीम ने सुल्तानठेर संविलियन विद्यालय में मंगलवार को प्रधानाध्यापक संजीव की आत्महत्या के प्रकरण की जांच शुरू कर दी है। गुरुवार को प्रधानाध्यापक का कमरा खोला गया तो कई सनसनीखेज राज बाहर आ गए। स्कूल की अलमारी में संजीव चार-पांच पत्रों की छायाप्रति मिली है। ये पत्र बीएसए को भेजे गए थे।

    डीएम निधि गुप्ता वत्स ने मामले की जांच के लिए एडीएम न्यायिक माया शंकर यादव के नेतृत्व में चार सदस्यीय टीम बनाई थी। बृहस्पतिवार को टीम ने स्कूल पहुंचकर जरूरी पत्र व अन्य दस्तावेज कब्जे में लिए थे। वहीं, संजीव के घर जाकर परिजनों से भी वार्ता की थी।

     प्रधानाध्यापक संजीव के बेटे अनुज ने बताया कि दिसंबर-2023 में विद्यालय में तैनात शिक्षिका नीशू ने गले में सांप डालकर वीडियो बनाई थी। मामले में शिक्षिका निलंबित करने के साथ उनके पिता को प्रतिकूल प्रविष्टि जारी कर दी थी। जिसके बाद उनकी वेतन वृद्धि रुक गई थी। बताया कि उसके बाद से लगातार चार से पांच बार वह पत्र भेजकर बीएसए से वेतन वृद्धि लागू करने की मांग कर चुके थे , लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई थी। जिसे लेकर वह तनाव में थे। वहीं, बताया जा रहा है कि जांच के दौरान टीम के समक्ष यह बात भी सामने आई है।

    बृहस्पतिवार को जांच टीम ने स्कूल से जरूरी दस्तावेज कब्जे में लिए गए। वहीं, स्टाफ के बयान भी दर्ज किए गए। पूछताछ में यह भी सामने आया है कि वह प्रतिकूल प्रविष्टि के बाद से तनाव में थे। परिजनों ने भी वेतन वृद्धि रुकने की बात बताई है। इसे तथ्य पर भी जांच कराई जा रही है। 18 पन्नों के रजिस्टर को लेकर भी जांच की जा रही है। - माया शंकर यादव, एडीएम




    18 पेज खोलेंगे प्रधानाध्यापक के उत्पीड़न का चिट्ठा, पुलिस की जांच के साथ चार सदस्यीय कमेटी भी करेगी जांच 

    02 अक्टूबर 2024
    गजरौला । प्रधानाध्यापक संजीव कुमार के उत्पीड़न का चि‌ट्ठा रजिस्टर में कैद 18 पेज खोलेंगे। इसके लिए डीएम ने चार सदस्य कमेटी गठित की है। इस रजिस्टर का जिक्र संजीव कुमार ने घटनास्थल से मिले दो पेज के सुसाइड नोट में किया है।

    गजरौला क्षेत्र के सुल्तानठेर स्थित कंपोजिट विद्यालय के प्रधानाध्यापक संजीव कुमार ने मंगलवार सुबह अपने ही कक्ष में फंदे पर लटक कर जान दे दी। घटनास्थल पर दो पेज का सुसाइड नोट मिला है। जिसमें रजिस्टर में 18 पेज का सुसाइड नोट भी लिखा होने का दावा किया है। इसमें लिखा है कि पूरी दास्तान सुसाइड रजिस्टर में लिखी है, जो 18 पेज का है। पुलिस ने इस रजिस्टर को भी कब्जे में ले लिया है। 

    उधर, डीएम निधि गुप्ता ने एडीएम न्यायिक मायाशंकर की अध्यक्षता में चार सदस्य कमेटी गठित की है। जिसमें डीआईओएस विष्णु प्रताप सिंह, सीडीओ अश्वनी कुमार मिश्रा और एएसपी राजीव कुमार सिंह को सदस्य बनाया गया है। ये टीम प्रधानाध्यापक संजीव कुमार की मौत की जांच करेगी। जबकि, पुलिस की जांच अलग चल रही है। चर्चा है कि रजिस्टर में कैद सुसाइड नोट ही शिक्षक संजीव कुमार की आत्महत्या के पीछे का राज खुलेगी। अब जांच कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार है

    घटनास्थल पर नहीं पहुंचीं बीएसए, शिक्षक दंपती भी गायब
    कंपोजिट विद्यालय में प्रधानाध्यापक संजीव कुमार की मौत की जानकारी मिलने के बाद बीएसए घटनास्थल पर नहीं पहुंचीं। क्योंकि सुसाइड नोट में उनका नाम शामिल है। जबकि, सहायक अध्यापक राघवेंद्र सिंह व सरिता सिंह स्कूल तो आए थे, लेकिन जब उन्हें सुसाइड नोट में उनके नाम होने की बात सामने आई तो दोनों ही वहां से भाग निकले। इसके बाद से दोनों लापता हैं। हालांकि बीएससी के निर्देश पर ऑफिस के कर्मचारी मौके पर पहुंचे थे। उन्होंने पूरे मामले की जानकारी ली।


    सफाई की वीडियो वायरल होने के बाद से तनाव में थे संजीव
    गजरौला। सुल्तानठेर के परिषदीय विद्यालय में बारिश के पानी के साथ कीचड़ जमा हो गया था। इससे बच्चों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। 23 सितंबर की सुबह विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाओं और छात्र-छात्राओं ने स्कूल में सफाई अभियान चलाया। फावड़े और खुरपे से कीचड़ को साफ किया। स्कूल में सफाई का प्रदर्शन करते हुए सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल किया। सामने आया था कि यह वीडियो राघवेंद्र सिंह ने वायरल किया था। मामला चर्चाओं में आने के बाद प्रधानाध्यापक भी जांच के घेरे में आ गए थे। इस मामले में बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष अतुलेश भारद्वाज और खंड शिक्षा अधिकारी आरती गुप्ता ने विद्यालय को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा था। परिजनों के मुताबिक वह इस बात से भी तनाव में चल रहे थे।


    कंपोजिट विद्यालय के प्रधानाध्यापक बनने से असंतुष्ट था राघवेंद्र
    गजरौला। प्रधानाध्यापक की आत्महत्या के बाद से कुछ कुछ साथी शिक्षक सवालों के कटघरे में खड़े हो गए हैं। जबकि, सहायक राघवेंद्र द्वारा उनसे रंजिश रखने की बात सामने आ रही है। प्रधानाध्यापक के बेटे ने भी राघवेंद्र पर उनसे रंजिश रखने और साजिश करने के आरोप लगाए। बेटे अनुज ने बताया कि पापा 2015 में जूनियर विद्यालय के प्रधानाध्यापक बने थे। गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में राघवेंद्र सिंह प्रधानाध्यापक था।

    2019 में दोनों विद्यालयों का विलय कर कंपोजिट विद्यालय बनाया गया था। जिसका प्रधानाध्यापक मेरे पापा को बनाया गया था। तभी से राघवेंद्र नाराज था और वह पापा से विवाद करता रहता था। राघवेंद्र के बीएसए मोनिका सिंह से अच्छे संबंध है। इसलिए वह पापा पर दबाव बनाता था। उत्पीड़न से परेशान होकर पापा ट्रांसफर के लिए कई बार लेटर लिख चुके थे। लेकिन, कोई सुनवाई नहीं हुई।


    01 अक्टूबर 2024
    18 पेज का सुसाइड नोट लिखकर हेडमास्टर ने स्कूल में लगा ली फांसी, बीएसए और दो शिक्षकों को बताया जिम्मेदार, एफआईआर दर्ज 

    आरोपी शिक्षकों और बीएसए के खिलाफ एफआईआर दर्ज


    अमरोहाः उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में एक जूनियर हाईस्कूल में प्रधानाचार्य संजीव कुमार (50) ने मंगलवार सुबह स्कूल के क्लास रूम में फंदे पर लटककर आत्महत्या कर ली। पुलिस को मौके से 18 पेज का सुसाइड नोट मिला है, जिसमें बेसिक शिक्षा अधिकारी और स्कूल के 2 टीचरों (पति-पत्नी) को आत्महत्या के लिए जिम्मेदार ठहराया है।


    पुलिस को जांच में पता चला है कि मंगलवार सुबह संजीव कुमार स्कूल जल्दी आ गए थे। उन्होंने दफ्तर में फांसी लगाई। इसका पता सुबह 9 बजे बाकी शिक्षकों के स्कूल पहुंचने पर लगा। सूचना पर पुलिस और प्रशासनिक अफसर मौके पर पहुंचे। फरेंसिक टीम से कमरे की जांच कराई गई। पुलिस ने कमरे को सील कर दिया है। पुलिस के मुताबिक संजीव कुमार अमरोहा के गजरौला इलाके के सुल्तान ठेर गांव में आदर्श जूनियर हाईस्कूल में प्रधानाचार्य थे। मूल रूप से बछरायूं इलाके के जमानाबाद गांव के निवासी थे।


    मौके से मिले सुसाइड नोट में संजीव कुमार ने लिखा है कि मैं राघवेंद्र सिंह, सरिता सिंह और बेसिक शिक्षा अधिकारी मैडम से दुखी होकर आत्महत्या कर रहा हूं। राघवेंद्र और सरिता (पति-पत्नी) गाली-गलौज करते हैं। उनकी यातनाओं से तो मरना अच्छा है। मैं इनकी दबंगई 2 अप्रैल 2019 से झेल रहा हूं। मैं इनकी जांच CBI से करवाना चाहता हूं। आगे लिखा है कि मेरी सभी अधिकारियों से हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि जांचकर्ता मुरादाबाद मंडल का न हो क्योंकि इनकी दबंगई पूरे मंडल में चलती है। प्रताड़ना की सारी दास्तान सुसाइड रजिस्टर में लिखी है, जो 18 पेज का है।

    नोट में आगे लिखा है कि जब तक डीएम साहिबा और बीएसए मैडम न आएं तब तक मेरी बॉडी को छूना नहीं। मेरे पास स्कूल का कोई सामान नहीं है। दोनों टैबलेट नई वाली सेफ में रखे हैं। परिमा शर्मा को स्कूल का इंचार्ज बनाना है। वही, सबसे सीनियर टीचर हैं।


    बेटे का आरोप- स्कूल टीचर पिता को प्रताड़ित कर रहे थे
    संजीव के बेटे अनुज सिंह का कहना है कि स्कूल के पति-पत्नी शिक्षक पिता को प्रताड़ित करते थे। हर रोज उनसे लड़ाई करते थे। मंगलवार सुबह 7 बजे पिताजी घर से 7 बजे निकले थे। पिता ने वॉट्सऐप पर मुझे मैसेज भी भेजा था, लेकिन मेरे देखने से पहले डिलीट कर दिया था। वह सोमवार रात से कुछ परेशान दिख रहे थे। पूछने पर भी कुछ नहीं बताया था। थाना पुलिस का कहना है कि जांच कर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

    प्राइमरी के प्रधानाध्यापक को बना दिया जूनियर का सहायक, बेसिक शिक्षा परिषद के निर्देश के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचे शिक्षक, 14 नवम्बर को अगली सुनवाई

    प्राइमरी के प्रधानाध्यापक को बना दिया जूनियर का सहायक, बेसिक शिक्षा परिषद के निर्देश के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचे शिक्षक, 14 नवम्बर को अगली सुनवाई


    ■ परिषदीय शिक्षकों के पदोन्नति मामले में हुई अवमानना याचिका

    ■ प्राथमिक के प्रधानाध्यापक को माना उच्च प्राथमिक का सहायक


    प्रयागराज । परिषदीय विद्यालय के शिक्षकों के पदोन्नति में कानूनी दांवपेच कम होने का नाम नहीं ले रहा। बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव सुरेन्द्र कुमार तिवारी की ओर से 21 मई को जारी आदेश में सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया है कि प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय के संविलियन के बाद कंपोजिट विद्यालय बनने की दशा में प्राथमिक के प्रधानाध्यापक को उच्च प्राथमिक विद्यालय का सहायक अध्यापक मान लिया जाए। इस पर कुछ शिक्षकों ने आपत्ति की है। मेरठ के शिक्षक हिमांशु राणा ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में अवमानना याचिका दायर की है।

    इस मामले में एक अक्तूबर को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अधिकारियों से जवाब मांगते हुए 14 नवंबर की अगली तारीख लगा दी है। हिमांशु का कहना है कि 29 जनवरी 2024 को हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की गाइडलाइन के अनुसार शिक्षकों की पदोन्नति की जा सकती है। जबकि सचिव का 21 मई के निर्देश हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ है। 

    एनसीटीई की नियमावली कहती है कि एक से दूसरे स्तर पर जाने के लिए दूसरे स्तर के लिए आवश्यक न्यूनतम अर्हता होना चाहिए। इस मामले में प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक को यदि उच्च प्राथमिक स्कूल का सहायक अध्यापक बनाया जा रहा है तो उसे जूनियर स्तर की शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास होना चाहिए। दुर्भाग्यवश इसे नजरअंदज करते हुए अधिकारियों ने प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक को सब्जेक्ट मैपिंग के नाम पर उच्च प्राथमिक का सहायक अध्यापक बना दिया, जो कि गलत है। कानूनी अड़चन के कारण ही परिषदीय शिक्षकों की पदोन्नति आठ साल से नहीं हो पाई है।

    यूपी के सभी स्कूलों-शिक्षा संस्थाओं में परखे जाएंगे सुरक्षा के इंतजाम, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद सर्कुलर जारी

    यूपी के सभी स्कूलों-शिक्षा संस्थाओं में परखे जाएंगे सुरक्षा के इंतजाम, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद सर्कुलर जारी 

    ■ प्राइमरी स्कूलों से लेकर मदरसा भी शामिल

    ■ मौके पर जाकर संस्थानों की इमारतों के अलावा अन्य सुरक्षा व्यवस्था देखेंगे अफसर


    लखनऊ। प्रदेश के स्कूलों, मदरसों और कालेजों में पढ़ने वाले छात्र-छात्रों का जीवन सुरक्षित है या नहीं? उनके किसी आपदा का शिकार होने की आशंका तो नहीं है। वे कानून-व्यवस्था के नजरिये से सुरक्षित हैं अथवा नहीं। इसके मद्देनजर प्रदेश के सभी स्कूलों, मदरसों और उच्चशिक्षा संस्थानों की मौके पर जाकर जांच की जाएगी। इसके लिए सरकार ने स्कूलों में सुरक्षा जांच का विशेष अभियान चलाने का फैसला किया है।

    इसके तहत प्रदेश के सभी सरकारी, सहायता प्राप्त और निजी स्कूलों व मदरसों के भवनों की नेशनल बिल्डिंग कोड-2005 के मानकों के आधार पर जांच की जाएंगी।


    सभी प्रमुख सचिवों को जारी किए निर्देशः इस संबंध में शासन ने बेसिक माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा सहित समाज कल्याण तथा अल्पसंख्यक कल्याण के प्रमुख सचिवों के अलावा प्रदेश सभी डीएम एवं जिला आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण के अध्यक्षों समेत स्कूल शिक्षा महानिदेशक एवं विभिन्न शिक्षा निदेशकों को निर्देश जारी किया है। 

    स्कूलों या अन्य शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की परोक्ष एवं अपरोक्ष सुरक्षा को लेकर केन्द्र सरकार की ओर से आपदा प्रबन्धन ने 2016 में स्कूल सुरक्षा नीति जारी की थी।


    जिम्मेदारों को किया गया सचेत

    सभी जिम्मेदार अधिकारियों को चेतावनी दी गई है कि अगर उनके निरीक्षण व जांच के बाद किसी भी शिक्षण संस्थान में मानवीय त्रुटियों के कारण किसी प्रकार का हादसा होता है तो संबंधित जिला विद्यालय निरीक्षक व बेसिक शिक्षा अधिकारी से लेकर निजी व स्ववित्त पोषित संस्थानों के प्रबन्धक को जिम्मेदार माना जाएगा।


    इन बिन्दुओं की होगी जांच

    ■ नेशनल बिल्डिंग कोड 12005 के तहत स्कूलों के भवन की स्थिति कैसी है?
    ■ स्कूल भवन कहीं जर्जर और क्षतिग्रस्त तो नहीं है?
    ■ स्कूलों में लगे अग्निशमन संबंधी उपकरण प्रणाली की क्या स्थिति है?
    ■ स्कूलों के चारों ओर पर्याप्त ऊंचाई के सुरक्षा बाउन्ड्रीवाल है या नहीं?
    ■ सीढ़ियां और परिसर में आवागमन के लिए सुरक्षित और सुगम रास्ते हैं या नहीं?
    ■ स्कूलों में लगे बिजली उपकरण सुरक्षित हैं या नहीं?
    ■ कहीं बिजली के खुले तार तो नहीं लकट रहे? या हाइटेनशन अथवा लोटेनशन तार तो भवन या परिसर के ऊपर से गुजर रही है?
    ■ स्कूलों के फर्नीचर, प्रयोगशाला और उनमें रखे रसायन सुरक्षित है या नहीं?
    ■ खेल के मैदान खेल के लिए सुरक्षित है या नहीं?
    ■ कानून-व्यवस्था की दृष्टि से शिक्षण संस्थानों में सुरक्षित माहौल है या नहीं?
    ■ स्कूलों के अन्दर-बाहर बच्चों के सुव्यवस्थित यातयात के लिए वैन ड्राइवर एवं एम्बुलेन्स का आवागम सुगम है या नहीं?
    ■ प्राथमिक उपचार के साजो सामान उपलब्ध है या नहीं?

    डीएलएड की वर्तमान सीटें ही भरना मुश्किल, फिर भी 105 नए कॉलेजों को मान्यता देने की तैयारी

    डीएलएड की वर्तमान सीटें ही भरना मुश्किल, फिर भी 105 नए कॉलेजों को मान्यता देने की तैयारी


    प्रयागराज। डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन (डीएलएड) की मान्यता के लिए 105 विद्यालयों ने आवेदन किया है। परीक्षा नियामक प्राधिकारी (पीएनपी) के सचिव ने विद्यालयों के मानकों की जांच करके फाइल शासन को भेज दी है। शासन से स्वीकृति के बाद इन विद्यालयों में डीएलएड की पढ़ाई शुरू हो सकेगी।

    दो वर्षीय डीएलएड की पढ़ाई 67 जिला प्रशिक्षण संस्थानों (डायट) में होती है। इसके अलावा करीब 2900 निजी प्रशिक्षण केंद्र हैं। सभी केंद्रों पर 2.28 लाख सीटें हैं।

    पिछले पांच वर्ष से शिक्षक भर्ती नहीं आई, इसलिए युवाओं का इस कोर्स के प्रति रुझान कम हुआ है। हर वर्ष हजारों सीटें खाली रह जाती हैं, फिर भी डीएलएड कोर्स की मान्यता के लिए इस वर्ष 105 आवेदन आए थे। 



    प्रयागराज। डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन (डीएलएड) के दो वर्षीय पाठ्यक्रम की सभी सीटें भरना इस साल भी चुनौती बनी हुई है। प्रदेश में सरकारी और निजी संस्थानों में कुल 2.28 लाख सीटें हैं, लेकिन अब तक केवल एक लाख आवेदन ही प्राप्त हुए हैं। 9 अक्टूबर तक आवेदन की अंतिम तिथि है, जिसके बाद आवेदन तिथि बढ़ने की संभावना कम है। इससे स्पष्ट है कि इस बार भी बड़ी संख्या में सीटें खाली रह सकती हैं।

    इसके बावजूद इस साल 105 नए विद्यालयों ने डीएलएड की मान्यता के लिए आवेदन किया है। परीक्षा नियामक प्राधिकारी (पीएनपी) के सचिव ने इन विद्यालयों की जांच करके फाइल शासन को भेज दी है। शासन से स्वीकृति मिलने के बाद इन विद्यालयों में डीएलएड की पढ़ाई शुरू हो सकेगी। 

    वर्तमान में 67 जिला प्रशिक्षण संस्थानों (डायट) और करीब 2900 निजी प्रशिक्षण केंद्रों में डीएलएड की पढ़ाई होती है। इन सभी केंद्रों पर 2.28 लाख सीटें हैं, लेकिन पिछले पांच वर्षों से शिक्षक भर्ती नहीं आने के कारण युवाओं का इस कोर्स के प्रति रुझान कम हो गया है। हर साल हजारों सीटें खाली रह जाती हैं, फिर भी इस वर्ष 105 नए कॉलेजों ने डीएलएड की मान्यता के लिए आवेदन किया है। 

    इस स्थिति ने सवाल खड़ा किया है कि जब मौजूदा सीटें ही पूरी नहीं भर रही हैं, तो नए कॉलेजों की मान्यता कितनी प्रभावी होगी?

    69000 भर्ती केस की घोषित हुई सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की नई तारीख, दोनों पक्षों की निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकीं

    69000 भर्ती केस की घोषित हुई सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की नई तारीख, दोनों पक्षों की निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकीं

    05 अक्टूबर 2024
    69000 शिक्षक भर्ती की सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई अब 15 अक्तूबर को होगी। पिछली तारीख 23 सितंबर को सुनवाई नहीं हो पाई थी, जिससे अभ्यर्थियों का इंतजार और बढ़ गया है। 

    69000 शिक्षक भर्ती मामले में, इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने हाल ही में सभी पुरानी सूचियों को रद्द कर दिया और आरक्षण नियमों के अनुसार नई सूची बनाने का निर्देश दिया। इसके बाद, आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी, जो लगभग चार साल से आरक्षण में गड़बड़ी का आरोप लगा रहे थे, ने आदेश को तुरंत लागू कराने के लिए प्रदर्शन किया।

    इस दौरान, चयनित अभ्यर्थी सुप्रीम कोर्ट गए, जहां मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। 23 सितंबर को सुनवाई होनी थी, लेकिन नहीं हो पाई, और अब दशहरे के बाद 15 अक्तूबर को सुनवाई निर्धारित है। आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी इससे निराश हैं।

    अमरेंद्र पटेल, जो इन अभ्यर्थियों का नेतृत्व कर रहे हैं, ने कहा कि एक नई रिट पर सुनवाई होनी है। वे वरिष्ठ अधिवक्ताओं के माध्यम से अपनी रिट पर भी सुनवाई की अपील करेंगे, क्योंकि वे पहले से ही चार साल से इंतजार कर रहे हैं। यह मामला लंबा खिंच रहा है, और उन्होंने प्रदेश सरकार से जल्द से जल्द नियुक्ति देने और मामले का पटाक्षेप करने की मांग की है।



    69000 शिक्षक भर्ती की सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई अब 15 अक्तूबर को

    27 सितम्बर 2024
    69000 शिक्षक भर्ती की सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई अब 15 अक्तूबर को होगी। पिछली तिथि 23 सितंबर को इस मामले की सुनवाई नहीं हो सकी थी। ऐसे में अभ्यर्थियों का इंतजार अब लंबा होता जा रहा है। 69000 शिक्षक भर्ती में चल रहे मामले में पिछले दिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने पुरानी सभी सूची रद्द करते हुए नए सिरे से आरक्षण के नियमों के अनुसार सूची बनाने के निर्देश दिए थे। इसके तुरंत बाद लगभग चार साल से इस भर्ती में आरक्षण में गड़बड़ी का आरोप लगा रहे आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने इस आदेश को तुरंत लागू कराने के लिए धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया था।

    इस बीच चयनित अभ्यर्थी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट चले गए। जहां मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली बेंच इस मामले में एक सुनवाई कर चुकी है। इसके बाद सभी पक्षों को लिखित सूचना देने के साथ ही 23 सितंबर को सुनवाई होनी थी किंतु नहीं हो सकी। अब दशहरे के बाद 15 अक्तूबर को इस मामले की सुनवाई होनी है। आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी इससे निराश हैं।

    इनका नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने बताया कि इससे जुड़ी एक नई रिट पर सुनवाई प्रस्तावित है। हम प्रयास करेंगे कि इसमें वरिष्ठ अधिवक्ताओं के माध्यम से अपनी रिट पर भी सुनवाई की अपील करेंगे। क्योंकि हम पहले से ही चार साल से इंतजार कर रहे हैं। यह मामला और खिंचता जा रहा है। प्रदेश सरकार जल्द से जल्द हमें नियुक्ति देकर इस मामले का पटाक्षेप करे।



    सुप्रीम कोर्ट में नहीं हो सकी 69000 शिक्षक भर्ती मामले की सुनवाई, जानिए क्यों? 

    24 सितम्बर 2024
    लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती के मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी। इससे दोनों पक्ष के अभ्यर्थियों को निराशा हुई। अब दोनों पक्षों की निगाह अगली तिथि पर टिकी है। इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने 13 अगस्त को पूर्व की चयन सूची रद्द करते हुए तीन महीने में नई चयन सूची आरक्षण के नियमों - के तहत तैयार करने का निर्देश दिया था। इसे लेकर चयनित अभ्यर्थी सुप्रीम कोर्ट गए थे। इस मामले में 9 सितंबर को - सुनवाई हुई थी और 23 सितंबर को फिर सुनवाई होनी थी। 

    अभ्यर्थियों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा के न बैठने से सुनवाई नहीं हो सकी है। सुप्रीम कोर्ट में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की पैरवी कर रहे विजय यादव व  अमरेंद्र पटेल ने बताया कि सुनवाई न होने से निराश हैं। क्योंकि 4 वर्षों से हम न्याय की गुहार लगा रहे हैं। उन्होंने मांग की कि सरकार इस मामले में सॉलिसिटर जनरल को भेजकर सुप्रीम कोर्ट से इस मामले की जल्द सुनवाई करने व मामले के निस्तारण की अपील करे। ताकि अभ्यर्थियों का भविष्य सुरक्षित किया जा सके। 



    69000 शिक्षक भर्ती मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आजइलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच के फैसले पर होनी है सुनवाई

    23 सितम्बर 2024
    लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच के 69000 शिक्षक भर्ती को लेकर दिए गए निर्णय को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार 23 सितंबर को फिर सुनवाई होगी। 9 सितंबर को मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में हाईकोर्ट के आदेश पर फिलहाल रोक लगाई थी। साथ ही सभी पक्ष को नोटिस जारी करते हुए अपना पक्ष रखने को कहा था।

    69000 शिक्षक भर्ती को लेकर काफी समय से युवा आंदोलन कर रहे हैं। साथ ही कोर्ट में भी इसकी लड़ाई लड़ रहे हैं। इसी क्रम में इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने इस मामले में पुरानी सभी सूची निरस्त करते हुए आरक्षण के नियमों के अनुसार नई सूची बनाने का निर्देश दिया था। इसके बाद आरक्षित और चयनित दोनों अभ्यर्थियों ने धरना, प्रदर्शन किया था।

    वहीं चयनित अभ्यर्थी इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट गए थे। दूसरी तरफ आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने भी इस मामले में कैविएट दाखिल किया था। इसी पर 9 सितंबर को सुनवाई हुई थी। साथ ही अगली तिथि 23 सितंबर तय की गई थी। वहीं दोनों वर्ग के अभ्यर्थी भी सुनवाई को लेकर तैयारी में लगे थे। अभ्यर्थियों के अनुसार सोमवार को होने वाली सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश के उपस्थित होने की कम संभावना है। 



    69000 शिक्षक भर्ती : सुप्रीम कोर्ट में मजबूत पैरवी के लिए जुटे आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी, 23 सितम्बर के बाद शुरू होगा कोर्ट में सुनवाई का दौर

    वरिष्ठ अधिवक्ताओं को केस की पैरवी में उतारने का प्रयास

    23 सितंबर को होगी इस मामले की अगली सुनवाई

    16 सितम्बर 2024
    लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती में सुनवाई की अगली तिथि 23 सितंबर लगी है। ऐसे में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी अब आंदोलन से ज्यादा सुप्रीम कोर्ट में मामले की सशक्त पैरवी की तैयारी में लग गए हैं। अभ्यर्थी अपने केस की पैरवी के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को उतारने की तैयारी में हैं। इसके लिए भी वह अभियान चला रहे है।

    इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच के आदेश के अनुपालन के लिए आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के साथ ही कई कैबिनेट मंत्रियों के आवास का घेराव कर नियुक्ति देने की मांग कर चुके हैं। इसी बीच अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए और इस पर सुनवाई के बाद 23 सितंबर तक स्टे लगा दिया गया है।

    अब इस मामले की सुनवाई की तिथि करीब आने के साथ ही आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी सुप्रीम कोर्ट में मजबूत पैरवी की तैयारी में लग गए हैं। यही वजह है कि फिलहाल घेराव आदि के आंदोलन का कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है। आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने कहा कि काफी समय से चल रही लड़ाई में अब जाकर हमारे पक्ष में निर्णय आया है।

    ऐसे में इसमें किसी तरह की कमी न रह जाए इसलिए हम सुप्रीम कोर्ट में बेहतर पैरवी की तैयारी में लगे हैं। हम वरिष्ठ से वरिष्ठ वकील अपने पक्ष में पैरवी के लिए खड़ा करेंगे। इसके लिए कई वरिष्ठ अधिवक्ताओं से वार्ता भी हो गई है। इसके लिए सभी आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी मिलकर अपने स्तर से तैयारी कर रहे हैं। 23 सितंबर की सुनवाई के बाद हम आगे की रणनीति तय करेंगे।

    Friday, October 4, 2024

    डीएलएड/ बीटीसी परीक्षा में अभ्यर्थियों को असफल विषयों में एक और मौका मिलेगा

    डीएलएड/ बीटीसी परीक्षा में अभ्यर्थियों को असफल विषयों में एक और मौका मिलेगा


    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डीएलएड/बीटीसी परीक्षा में असफल विषयों में अभ्यर्थियों को एक और अवसर देने के मामले में राज्य सरकार की अपील को विचारार्थ स्वीकार कर लिया। लेकिन, किसी भी प्रकार का स्थगन देने से इन्कार कर दिया।


    मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली एवं न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने यह आदेश अधिवक्ता जाह्नवी सिंह व कौन्तेय सिंह को सुनकर दिया।


    अधिवक्ताओं ने कोर्ट को बताया कि एकल पीठ ने आदेश में कहा था कि याचिका में शामिल सभी छात्रों को उनके डीएलएड/बीटीसी परीक्षा में असफल विषयों के लिए एक और अवसर दिया जाए। इसके बाद भी राज्य सरकार ने एकल पीठ के आदेश का पालन नहीं किया और अब तक परीक्षा कराने की कोई पहल नहीं की।

    इस मामले में अवमानना याचिका भी लंबित है। सरकार के इस रवैये से छात्रों को अपने भविष्य को लेकर अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह आदेश केवल उन छात्रों पर लागू होगा, जो इस मुकदमे का हिस्सा हैं। 

    Thursday, October 3, 2024

    जवाहर नवोदय विद्यालय में कक्षा 9वीं और 11वीं में प्रवेश प्रक्रिया शुरू, देखें जारी विज्ञप्ति

    जवाहर नवोदय विद्यालय में कक्षा 9वीं और 11वीं में प्रवेश प्रक्रिया शुरू, देखें जारी विज्ञप्ति 


    नवोदय विद्यालय समिति या एनवीएस ने शैक्षणिक वर्ष 2025-26 के लिए अपनी कक्षा 9वीं और 11वीं की रिक्त सीटों पर प्रवेश के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। बता दें कि 27 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों में फैले 653 कार्यात्मक जवाहर नवोदय विद्यालयों में नवोदय प्रवेश किया जाएगा ।


    जवाहर नवोदय विद्यालय प्रवेश 2025-26: आवेदन कैसे करें

    ऑनलाइन आवेदन 01.10.2024 से जमा किए जा रहे हैं। कक्षा 9वीं प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 30.10.2024 है।


    नवोदय प्रवेश 2025: चयन प्रक्रिया
    कक्षा 9वीं में प्रवेश के लिए चयन परीक्षा शनिवार को 08.02.2025 को संबंधित जिले के जवाहर नवोदय विद्यालय या एनवीएस द्वारा आवंटित केंद्र में आयोजित की जाएगी।

    चयन परीक्षा में चयन के लिए उम्मीदवार को सभी संबंधित प्रमाण पत्र जैसे- जन्म प्रमाण पत्र, अंक पत्र के साथ 8वीं कक्षा का उत्तीर्ण प्रमाण पत्र, एससी/एसटी प्रमाण पत्र(यदि कोई है) आदि जमा किया जाएगा। जन्म तिथि - 01.05.2010 से 30.07.2012 (दोनों तिथियां शामिल हैं)



    JNVST 2025 Admission: जवाहर नवोदय विद्यालय कक्षा 9 और 11 में एडमिशन के लिए cbseitms.nic.in पर रजिस्ट्रेशन शुरू, 30 अक्टूबर तक मौका


    JNVST 2025 Admission: नवोदय विद्यालय में कक्षा नौवीं और ग्यारहवीं एडमिशन लेने के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू हो गयी है। रजिस्ट्रेशन करने के लिए cbseitms.nic.in पर जाना होगा।


    JNV Class 9th and 11th admission 2025: नवोदय विद्यालय समिति (NVS) ने कक्षा नौवीं और ग्यारहवीं लेटरल एंट्री सिलेक्शन टेस्ट 2025 के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू कर दी है। इच्छुक और योग्य कैंडिडेट कक्षा नौवीं और ग्यारहवीं JNVST एडमिशन 2025 के लिए रजिस्ट्रेशन ऑफिशियल वेबसाइट cbseitms.nic.in पर जाकर कर सकते हैं। ऑफिशियल नोटिफिकेशन के अनुसार, JNVST एडमिशन 2025 के लिए रजिस्ट्रेशन करने की आखिरी तारीख 30 अक्टूबर 2024 है।


    कक्षा नौवीं और ग्यारहवीं के लिए JNVST एडमिशन 2025 के लिए सिलेक्शन टेस्ट का आयोजन 8 फरवरी 2024 को किया जाएगा। परीक्षा का समय 11 बजे से 1:30 बजे तक होगा। कक्षा नौवीं और ग्यारहवीं रजिस्ट्रेशन करते समय कैंडिडेट को कुछ जरूरी डॉक्यूमेंट जैसे वैलिड फोटो आईडी, फोटोग्राफ, सिग्नेचर, अभिभावक के सिग्नेचर और अकैडमिक मार्कशीट आदि अपलोड करने होंगे।





    JNVST कक्षा नौवीं और ग्यारहवीं परीक्षा पैटर्न-
    जेएनवीएसटी प्रवेश 2025 कक्षा 9 और 11 चयन परीक्षा के लिए परीक्षा पैटर्न जारी कर दिया गया है। एनवीएस प्रवेश परीक्षा 2025 की अवधि दो घंटे तीस मिनट की होगी, जिसमें दिव्यांग छात्रों को अतिरिक्त 50 मिनट दिए जाएंगे। परीक्षा में 100 वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्न होंगे।

    जेएनवीएसटी प्रवेश 2025 कक्षा 9 चयन परीक्षा के लिए परीक्षा पैटर्न में कुल 100 अंकों के लिए अंग्रेजी (15 प्रश्न), हिंदी (15 प्रश्न), गणित (35 प्रश्न) और सामान्य विज्ञान (35 प्रश्न) जैसे विषय शामिल हैं।

    इसी तरह, जेएनवीएसटी प्रवेश 2025 कक्षा 11 चयन परीक्षा के लिए पैटर्न में मानसिक क्षमता (मेंटल एबिलिटी), अंग्रेजी, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और गणित शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक में 20 प्रश्न और 20 अंक शामिल हैं, जिसमें कुल परीक्षा दो घंटे तीस मिनट तक चलती है।


    Wednesday, October 2, 2024

    सालाना दस हजार छात्रवृत्ति के लिए करें आवेदन

    सालाना दस हजार छात्रवृत्ति के लिए करें आवेदन


    प्रयागराज में यूपी बोर्ड 2024 इंटरमीडिएट परीक्षा में सफल 11460 मेधावियों को केंद्र सरकार से सालाना 10,000 रुपये की छात्रवृत्ति मिलेगी। इसके लिए आवेदन शिक्षा मंत्रालय के पोर्टल पर किए जा रहे हैं।


    प्रयागराज। यूपी बोर्ड की 2024 इंटरमीडिएट परीक्षा में सफल 11460 मेधावियों को केंद्र सरकार की ओर से स्नातक स्तर पर सालाना दस हजार रुपये की छात्रवृत्ति मिलेगी। इसके लिए शिक्षा मंत्रालय के पोर्टल www.scholarships.gov.in पर आवेदन लिए जा रहे हैं। विज्ञान, वाणिज्य व कला वर्ग में क्रमश: 3:2:1 अनुपात में छात्र-छात्राओं को वजीफा मिलेगा। 


    शर्त यह है कि ऐसे अभ्यर्थियों की सालाना पारिवारिक आय आठ लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। ऐसे मेधावी छात्र-छात्राएं जो किसी भी उच्च शिक्षण संस्थान के नियमित पाठ्यक्रम में प्रवेश लेते हैं, वे यह छात्रवृत्ति पाने के योग्य होंगे। सभी छात्र-छात्राओं को अपना आधार नंबर अपने राष्ट्रीयकृत बैंक खाता संख्या से लिंक कराना अनिवार्य है।

    दस करोड़ से देंगे संस्कृत के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति, प्रतिमाह इतना मिलेगा वजीफा

    दस करोड़ से देंगे संस्कृत के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति, प्रतिमाह इतना मिलेगा वजीफा


    प्रयागराज । प्रदेश के 403 सहायता प्राप्त संस्कृत महाविद्यालय और 570 माध्यमिक संस्कृत विद्यालयों में अध्ययनरत कक्षा छह से परास्नातक के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति के लिए प्रदेश सरकार ने दस करोड़ रुपये का बजट जारी किया है। आय सीमा की बाध्यता भी समाप्त कर दी गई है। पहले उन्हीं छात्रों को छात्रवृत्ति मिलती थी जिनकी पारिवारिक आय सालाना 50 हजार से कम थी।


    शासन के विशेष सचिव आलोक कुमार की ओर से 23 सितंबर को बजट जारी किया गया है। छात्रवृत्ति के लिए छात्र-छात्राओं ने 30 सितंबर तक संस्था के प्रधानाचार्य को ऑफलाइन आवेदन दिया है। प्राचार्य एवं प्रधानाचार्य एक से तीन अक्तूबर के बीच आवेदन पत्रों की जांच करते हुए जिला विद्यालय निरीक्षक को भेजेंगे। डीआईओएस के स्तर से चार से छह अक्तूबर तक आवेदन पत्रों की जांच की जाएगी। लाभार्थी के खाते में छात्रवृत्ति की धनराशि ट्रांसफर करने की अंतिम तिथि 12 अक्तूबर है।


    प्रतिमाह इतना वजीफा

    प्रथमा कक्षा छह व सात : 50 रुपये, 
    प्रथमा कक्षा आठः 75 रुपये, 
    पूर्व मध्यमा कक्षा नौ व दसः 100 रुपये, 
    उत्तर मध्यमा कक्षा 11 व 12: 150 रुपये, 
    शास्त्री स्नातकः 200 रुपये व 
    आचार्य परास्नातकः 250 रुपये

    पिछड़े जिलों में निजी विवि खोलने पर मिलेगी छूट, कैबिनेट ने यूपी उच्च शिक्षा प्रोत्साहन नीति 2024 को दी हरी झंडी

    पिछड़े जिलों में निजी विवि खोलने पर मिलेगी छूट, कैबिनेट ने यूपी उच्च शिक्षा प्रोत्साहन नीति 2024 को दी हरी झंडी


    लखनऊ। प्रदेश में असेवित व आकांक्षी (पिछड़े) जिलों में निजी विश्वविद्यालयों को आकर्षित करने के लिए सरकार ने स्टांप ड्यूटी में 50 फीसदी तक और विदेशी विश्वविद्यालयों को कैंपस खोलने पर स्टांप ड्यूटी में 100 फीसदी तक की छूट देगी। कैबिनेट ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा प्रोत्साहन नीति 2024 को हरी झंडी दे दी है।


    उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने बताया कि प्रदेश में 40 असेवित जिलों व पांच आकांक्षी जिलों में कोई विवि नहीं है। अगर यहां निजी विवि खुलते हैं तो उन्हें विभिन्न प्रकार की छूट दी जाएगी।


    विदेशी विवि को स्टांप ड्यूटी में मिलेगी 100% छूट

    इसके तहत 50 करोड़ रुपये तक के निवेश पर स्टांप ड्यूटी में 50 फीसदी, 51 से 150 करोड़ के निवेश पर 30% और 151 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश पर 20 फीसदी छूट दी जाएगी। वहीं इनको कैपिटल सब्सिडी में भी क्रमशः 15, 16 व 17% की छूट दी जाएगी। इस तरह प्रदेश में कहीं भी विदेशी विवि या उसका कैंपस खोलने पर कुल निवेश का 20 फीसदी और 100 फीसदी स्टांप ड्यूटी में छूट दी जाएगी। 

    नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) में शीर्ष 50 रैंक पाने वाले विश्वविद्यालयों को भी प्रदेश में कहीं भी कैंपस खोलने के लिए कुल निवेश का 20 फीसदी और 100 फीसदी स्टांप ड्यूटी में छूट दी जाएगी। मंत्री ने कहा कि इस नीति से उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात में वृद्धि होगी। वहीं, युवाओं के लिए बेहतर शिक्षा के अवसर भी बढ़ेंगे।


    केडी विवि मथुरा को आशय पत्र जारी करने की सहमति

    लखनऊ। निजी विश्वविद्यालयों को आकर्षित करने के क्रम में मथुरा में केडी विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए आशय पत्र जारी करने को प्रदेश कैबिनेट ने सहमति दे दी है। यह विवि मथुरा के अकबरपुर, छाता में 50.54 एकड़ भूमि पर बनेगा। अब इसके निर्माण से जुड़ी प्रक्रिया को गति मिलेगी। 


    मेरठ में विद्या विवि को संचालन अधिकार पत्र जारी

     लखनऊ। कैबिनेट ने मेरठ में निजी क्षेत्र के अंतर्गत विद्या विवि को संचालन अधिकार पत्र जारी करने पर सहमति दे दी है। यह विश्वविद्यालय बनकर तैयार है। अब यहां पर प्रवेश व पढ़ाई की प्रक्रिया शुरू होगी। 

    आयु का निर्धारण जन्म प्रमाण पत्र से होता है, मेडिकल रिपोर्ट से नहीं : हाईकोर्ट

    आयु का निर्धारण जन्म प्रमाण पत्र से होता है, मेडिकल रिपोर्ट से नहीं : हाईकोर्ट

    संत कबीर नगर की साक्षी को नवोदय विद्यालय में प्रवेश देने का दिया आदेश


    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि आयु का निर्धारण जन्म प्रमाण पत्र से होता है न कि मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर। मेडिकल रिपोर्ट में निर्धारित आयु के आधार पर स्कूल में प्रवेश देने से इन्कार नहीं किया जा सकता।

    यह टिप्पणी मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने संत कबीर नगर की छात्रा साक्षी की विशेष अपील स्वीकार करते हुए की। कोर्ट ने याची को दो हफ्ते में नवोदय विद्यालय में कक्षा आठ में प्रवेश देने का आदेश दिया है। 


    याची साक्षी ने शैक्षणिक सत्र 2022-23 के लिए जवाहर नवोदय विद्यालय जगदीशपुर गौरा संत कबीर नगर में कक्षा छह में प्रवेश के लिए आवेदन किया था। आयु प्रमाण पत्र के तौर पर उसने जन्म प्रमाण पत्र, आधार कार्ड और टीकाकरण रिकॉर्ड दाखिल किया। इसमें उसकी जन्मतिथि 25 जनवरी 2011 दर्ज है। प्रवेश परीक्षा में वह सफल हुई।

    इसके बाद प्रधानाचार्य को शक हुआ कि साक्षी की उम्र निर्धारित सीमा से ज्यादा है। इसके लिए उन्होंने मुख्य चिकित्साधिकारी के जरिये आयु निर्धारण की जांच कराई। जांच रिपोर्ट में उसकी आयु 15 वर्ष निकली, जो निर्धारित सीमा से ज्यादा थी। इस आधार पर प्रधानाचार्य ने उसे प्रवेश देने से इन्कार कर दिया। इसके खिलाफ याची ने हाईकोर्ट की एकल पीठ में याचिका दाखिल की, जो खरीज कर दी गई।

     इसके बाद याची ने एकल पीठ के आदेश के खिलाफ विशेष अपील दाखिल की, जिसकी सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने एकल पीठ के आदेश को रद्द कर दिया। कोर्ट ने अपील स्वीकार करते हुए कहा कि चिकित्सा मूल्यांकन केवल एक अनुमान था। अपीलार्थी की आयु का निर्णायक प्रमाण नहीं था। एकल पीठ ने याची की याचिका को उसके जन्म दस्तावेजों की वैधता पर विचार किए बिना खारिज कर दिया।

    Tuesday, October 1, 2024

    परिषदीय-माध्यमिक विद्यालयों में आज से बदल जाएगा समय

    परिषदीय-माध्यमिक विद्यालयों में आज से बदल जाएगा समय

    परिषदीय विद्यालयों में सुबह 9 से दोपहर 3 बजे तक होगी पढ़ाई

    माध्यमिक विद्यालय सुबह 9.30 बजे से दोपहर 3:30 तक चलेंगे


    लखनऊ। प्रदेश के परिषदीय व माध्यमिक विद्यालयों में मंगलवार से पठन-पाठन के समय में बदलाव होगा। मंगलवार एक अक्तूबर से परिषदीय विद्यालयों में सुबह नौ से दोपहर तीन बजे तक पढ़ाई होगी। वहीं मौसमी बीमारियों डेंगू-मलेरिया को देखते हुए बच्चों को फुल आस्तीन के कपड़े पहनने के निर्देश दिए गए हैं।

    बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से जारी शैक्षिक कैलेंडर के अनुसार एक अप्रैल से 30 सितंबर तक विद्यालय सुबह आठ से दोपहर दो बजे तक और एक अक्तूबर से 31 मार्च तक सुबह नौ से दोपहर तीन बजे तक चलेंगे। इसी क्रम में यह बदलाव हो रहा है। हालांकि बरसात के बाद सोमवार को मौसम खुलने से दिन भर काफी उमस रही।

    माध्यमिक विद्यालय सुबह 9.30 बजे से चलेंगे

    बेसिक के साथ ही एक अक्तूबर से माध्यमिक विद्यालयों का समय भी बदलेगा। मंगलवार से माध्यमिक विद्यालय सुबह 9.30 से दोपहर 3.30 बजे तक चलेंगे। जबकि वर्तमान में यह 7.30 से 1.30 बजे तक चल रहे हैं। सुबह 15 मिनट प्रार्थना सभा होगी। इसके बाद 9.45 से 40-40 मिनट के चार पीरियड पढ़ाई होगी। इसके बाद 25 मिनट का लंच, फिर चार पीरियड पढ़ाई होगी।

    यूपी डीएलएडः हाईकोर्ट के फैसले से 12वीं पास को मौका तो भर सकेंगी सीटें

    यूपी डीएलएडः हाईकोर्ट के फैसले से 12वीं पास को मौका तो भर सकेंगी सीटें


    ■ पिछले साल डीएलएड की 70,100 सीटें खाली रह गई थीं

    ■ शिक्षक भर्ती नहीं आने के कारण कम हुआ पाठ्यक्रम में रुझान

    प्रयागराज । हाईकोर्ट के आदेश पर यदि डीएलएड में प्रवेश की न्यूनतम अर्हता इंटर पास होती है तो सभी सीटें भरने की उम्मीद बढ़ जाएगी। छह साल से कोई शिक्षक भर्ती नहीं आने के कारण डीएलएड पाठ्यक्रम के प्रति रुझान कम हुआ है। यही कारण है कि पिछले साल बीएड अभ्यर्थियों को प्राथमिक शिक्षक भर्ती में अनर्ह करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद उत्तर प्रदेश में डीएलएड की 70,100 सीटें खाली रह गई थीं। जबकि डीएलएड पाठ्यक्रम चला रहे कॉलेज के प्रबंधकों को सीटें फुल होने की उम्मीद थी।


    पिछले साल प्रदेश के 67 जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) की 10600 व 2974 निजी कॉलेजों की 2,22,750 सीटें मिलाकर कुल 2,33,350 सीटों पर प्रवेश के लिए 3,36,187 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। इनमें से 1,63,250 अभ्यर्थियों ने ही प्रवेश लिया था। यही कारण है कि इस साल दूसरे राज्य के अभ्यर्थियों को भी प्रवेश में मौका दिया गया है ताकि सीटें खाली न रह जाएं। डीएलएड प्रशिक्षण वर्ष 2024-25 सत्र के लिए 18 सितंबर से ऑनलाइन आवेदन शुरू हुए हैं और अभ्यर्थी नौ अक्तूबर तक फॉर्म भर सकते हैं।

    माध्यमिक शिक्षा विभाग में पारदर्शिता और स्वच्छ कार्य संस्कृति के लिए DGSE के सख्त निर्देश जारी, कार्यालयों में सीसीटीवी और बायोमेट्रिक हुई अनिवार्य

    माध्यमिक शिक्षा के मंडलीय और जिलास्तरीय दफ्तरों में भी अब होगी बायोमीट्रिक हाजिरी, देखें आदेश 

    लखनऊ। परिषदीय विद्यालयों में  शिक्षकों के कड़े विरोध के बाद अब माध्यमिक शिक्षा के मंडल व जिला स्तर के दफ्तरों में कर्मचारियों की बायोमीट्रिक हाजिरी लागू करने के निर्देश दिए गए हैं। कार्यालय से बाहर आने-जाने वाले कर्मचारियों व बाहर से आने वाले लोगों के नाम भी एक रजिस्टर में दर्ज किए जाएं। 

    महानिदेशक स्कूल शिक्षा की ओर से मंडल व जिला स्तरीय कार्यालयों में पारदर्शी कार्य संस्कृति को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसमें कहा गया है कि मंडल व जिला स्तरीय कार्यालयों में सभी कर्मचारियों की बायोमीट्रिक उपस्थिति दर्ज की जाए। अधिकारियों-कर्मचारियों के कार्यालय कक्ष व अन्य महत्वपूर्ण स्थलों पर सीसीटीवी कैमरा अनिवार्य रूप से लगाया जाए।


    माध्यमिक शिक्षा विभाग में पारदर्शिता और स्वच्छ कार्य संस्कृति के लिए DGSE के सख्त निर्देश जारी, कार्यालयों में सीसीटीवी और बायोमेट्रिक हुई अनिवार्य

    लखनऊ, 28 सितंबर 2024
    प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा विभाग में पारदर्शी और स्वच्छ कार्य संस्कृति स्थापित करने के लिए सरकार ने कड़े कदम उठाने के निर्देश जारी किए हैं। महानिदेशक, स्कूल शिक्षा, कंचन वर्मा द्वारा जारी इस पत्र में मंडल और जनपद स्तर के कार्यालयों में स्वच्छ और प्रभावी कार्य प्रणाली सुनिश्चित करने के लिए सख्त दिशानिर्देश दिए गए हैं। इन निर्देशों का उद्देश्य जनसामान्य, शिक्षकों और कर्मचारियों को समयबद्ध और पारदर्शी सेवाएं प्रदान करना है।

    शासन के आदेश के तहत सभी कार्यालयों में सीसीटीवी कैमरे अनिवार्य रूप से लगाए जाएंगे, और उनकी रिकॉर्डिंग को नियमित रूप से सुरक्षित रखा जाएगा। यह कदम भ्रष्टाचार और कार्यालयों में अनुशासनहीनता पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से उठाया गया है। इसके साथ ही, कार्यालय में काम करने वाले सभी कर्मचारियों की बायोमैट्रिक उपस्थिति अनिवार्य की गई है, ताकि कर्मचारियों की नियमितता और अनुशासन सुनिश्चित हो सके।

    आदेश में यह भी कहा गया है कि कार्यालय में संदिग्ध व्यक्तियों और अवैधानिक गतिविधियों पर सख्त निगरानी रखी जाए। आगंतुक पंजिका और गमनागमन पंजिका की व्यवस्था को भी अनिवार्य किया गया है, जिससे कार्यालय में अनावश्यक आवाजाही पर नियंत्रण हो सके। 

    महानिदेशक ने स्पष्ट किया है कि सरकारी कार्यों का समयबद्ध निस्तारण किया जाए, ताकि जनसामान्य, शिक्षक, और कर्मचारियों को किसी प्रकार की असुविधा न हो। कार्यालय में आने वाले जन प्रतिनिधियों और आगंतुकों की समस्याओं को विनम्रता से सुनने और नियमों के अनुसार उनका समाधान करने के निर्देश दिए गए हैं।

    इस आदेश का सबसे अहम पहलू यह है कि कार्यदिवस के दौरान शिक्षकों और कर्मचारियों के मण्डलीय या जनपदीय कार्यालयों में अनावश्यक रूप से घूमने पर रोक लगाई गई है, ताकि विद्यालयों में पठन-पाठन कार्य बाधित न हो। कार्यालयों में अनावश्यक बाहरी व्यक्तियों के आने पर भी सख्त प्रतिबंध लगाया गया है।




    क्या इन निर्देशों से आएगी कार्य संस्कृति में सुधार?

    शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार और अनुशासनहीनता पर लगाम लगाने के इस प्रयास को सकारात्मक पहल के रूप में देखा जा रहा है। लेकिन सवाल उठता है कि क्या इन सख्त निर्देशों से कार्य संस्कृति में वास्तविक सुधार होगा या यह सिर्फ औपचारिकता बनकर रह जाएगा? 

    सरकार की यह पहल जनसामान्य को बेहतर और पारदर्शी सेवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से की गई है। अब देखना यह है कि इन सख्त निर्देशों का वास्तविक प्रभाव कार्यालयों में कब और कैसे दिखाई देता है।

    40 हजार नियुक्तियों की नहीं होगी जांच, माध्यमिक शिक्षा विभाग ने विरोध के बाद लिया यू–टर्न

    40 हजार नियुक्तियों की नहीं होगी जांच, माध्यमिक शिक्षा विभाग ने विरोध के बाद लिया यू–टर्न

    एक व्यक्ति के आरोप पर पूरे प्रदेश से मांग ली थी सूचनाएं

    शिक्षा निदेशालय के पत्र से शिक्षकों में हड़कंप की स्थिति


    प्रयागराज । प्रदेश के 4512 सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में 40 हजार से अधिक शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्तियों की जांच नहीं होगी। उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान लखनऊ के पुलिस अधीक्षक ने एक अगस्त को माध्यमिक शिक्षा निदेशक को भेजे पत्र में भर्ती के संबंध में अभिलेख उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था।


    जिसके बाद उप शिक्षा निदेशक रामचेत ने सभी मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों और जिला विद्यालय निरीक्षकों को 28 अगस्त को पत्र लिखकर दस जुलाई 1981 से 2020 के बीच प्रबंध समिति की ओर से संचालित सभी सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों की सूची उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। 


    इसके अलावा शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्तियों के संबंध में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड अधिनियम-1982 की प्रमाणित प्रति, नियुक्त सभी अध्यापकों और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की सूची और नियुक्ति संबंधित मूल पत्रावली आदि उपलब्ध कराने को कहा था। यह पत्र जारी होने के बाद से ही जांच अवधि में नियुक्त शिक्षकों और कर्मचारियों में हड़कंप मचा था। 


    अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक सुरेन्द्र कुमार तिवारी का कहना है कि सभी 40 हजार से अधिक कर्मचारियों की जांच नहीं होगी। जिसके खिलाफ शिकायत होगी उसी की जांच कराई जाएगी। माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कुमार त्रिपाठी ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव से भी पिछले दिनों मुलाकात की थी।


    90 प्रतिशत अध्यापक चयन बोर्ड से चयनित

    प्रदेश के एडेड माध्यमिक विद्यालयों में 10 जुलाई 1981 से 2020 के बीच नियुक्त अध्यापकों और कर्मचारियों में से अब तक एक चौथाई से अधिक अध्यापक और कर्मचारी सेवानिवृत हो चुके हैं। इनमें से कई अध्यापक व कर्मचारी दिवंगत भी हो गए हैं। वर्तमान में कार्यरत 90 प्रतिशत अध्यापक चयन बोर्ड से चयनित हैं। ऐसे में सभी शिक्षकों की जांच औचित्यहीन है।


    Monday, September 30, 2024

    प्रोजेक्ट प्रवीण अंर्तगत प्रशिक्षण के जरिये एक लाख छात्र-छात्राएं बनेंगे दक्ष

    प्रोजेक्ट प्रवीण अंर्तगत प्रशिक्षण के जरिये एक लाख छात्र-छात्राएं बनेंगे दक्ष,  चयनित माध्यमिक विद्यालयों में चलेगा अभियान

    कक्षा 9 से 12 के छात्रों को प्रतिदिन 90 मिनट का देंगे कौशल प्रशिक्षण


    लखनऊ। छात्रों के कौशल विकास को निखारने और युवाओं को भविष्य के लिए तैयार करने के लिए प्रोजेक्ट प्रवीण के तहत इस साल एक लाख विद्यार्थियों को प्रशिक्षण देने का लक्ष्य तय किया गया है। सत्र 2024-25 में इसका विस्तार करते हुए इसे प्रदेशभर के चयनित माध्यमिक विद्यालयों में लागू किया जाएगा। मकसद है युवाओं का कौशल विकास कर उन्हें रोजगार के लिए तैयार करना।

    व्यावसायिक शिक्षा, कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कपिल देव अग्रवाल ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की संकल्पना के अनुरूप कौशल प्रशिक्षण को औपचारिक शिक्षा से जोड़ने के लिए प्रोजेक्ट प्रवीण की शुरुआत की गई है। इसके अंतर्गत राजकीय माध्यमिक विद्यालयों के छात्रों व कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों की छात्राओं को नियमित पढ़ाई के साथ निशुल्क कौशल प्रशिक्षण दिया जा रहा है।


    अब तक 63 हजार को किया प्रशिक्षित

    उन्होंने बताया कि अब तक 315 राजकीय विद्यालयों के 63 हजार से अधिक छात्र-छात्राओं को कौशल प्रशिक्षण दिया गया है। इसके अंतर्गत कक्षा 9 से 12 के विद्यार्थियों को प्रतिदिन 90 मिनट का कौशल प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसका उद्देश्य विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर बनाना है। माध्यमिक शिक्षा विभाग के सहयोग से प्रदेश के विभिन्न जिलों के चयनित विद्यालयों में यह कार्यक्रम चलाया जाएगा। इसके लिए सभी जिलों के समन्वयकों को दिशा-निर्देश दिए गए हैं। जिन सेक्टरों में रोजगार की अधिक संभावनाएं हैं और विद्यार्थियों की रुचि है, उन्हें प्राथमिकता दी जाए। मंत्री ने बताया कि योजना में अधिक से अधिक बालिकाओं को जोड़ने के लिए बालिका विद्यालयों का चयन प्राथमिकता पर किया जाएगा।

    अक्तूबर से 'मिशन शक्ति' के पांचवें चरण के तहत 10 लाख बालिकाओं को आत्मरक्षा और जीवन कौशल का देंगे प्रशिक्षण, विद्यालयों में नियमित चलेंगी यह गतिविधियां

    अक्तूबर से 'मिशन शक्ति' के पांचवें चरण के तहत 10 लाख बालिकाओं को आत्मरक्षा और जीवन कौशल का देंगे प्रशिक्षण, विद्यालयों में नियमित चलेंगी यह गतिविधियां


    36,772 बालिकाओं को वितरित किए जाएंगे सेनेटरी पैड

    विद्यालयों में करियर काउंसलिंग सत्र का आयोजन भी होगा


    लखनऊ। महिलाओं और बालिकाओं की सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन के लिए प्रदेश सरकार अक्तूबर से 'मिशन शक्ति' के पांचवें चरण की शुरुआत करेगी। मई 2025 तक चलने वाले इस चरण में जागरूकता अभियान और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।


    इस दौरान 10 लाख बालिकाओं को आत्मरक्षा और जीवन कौशल का प्रशिक्षण मिलेगा। जिससे वे आत्मनिर्भर और सशक्त बन सके। इसके तहत नवंबर में विद्यालयों में विशेष शिविर का आयोजन होगा।

    पीएमश्री योजना के तहत चयनित 167 विद्यालयों में में करियर काउंसलिंग के सत्र भी चलेंगे। ताकि बेटियां अपने करियर को लेकर सजग हो। इसी क्रम में विद्यालयों में बालिकाओं को सेनेटरी पैड वितरित्त करेंगे। इसी तरह नवरात्रि में 3 से 10 अक्तूबर तक विद्यालयों में विभिन्न कार्यक्रम बालिकाओं में आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए किए जाएंगे।

     प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों के नेतृत्व में बाल अधिकार, घरेलू हिंस्य, यौन शोषण, छेड़छाड़ और गुड-टच, बैड टच जैसे मुद्दों पर बेटियों को जागरूक किया जाएगा। इसके साथ ही रैलियों और रोचक गतिविधियों के माध्यम से हेल्पलाइन नंबर और बाल विवाह के खतरों की जानकारी भी दी जाएगी। 

    पीएमश्री योजना के तहत चयनित 167 विद्यालयों में मीना मेला और करियर काउंसलिंग सत्र आयोजित किए जाएंगे। ताकि बालिका शिक्षा के प्रति जागरूकता फैलाई जाएगी। बालिकाओं को माहवारी स्वच्छता और जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरुक किया जाएगा।


    विद्यालयों में नियमित चलेंगी यह गतिविधियां

    बालिका शिक्षा के प्रति जागरूकता के लिए सेमिनार व जागरूकता कार्यक्रम

    बाल संसद और बाल सभा का आयोजन होगा, इसमें लड़के लड़कियों को बराबर जिम्मेदारी दी जाएंगी।

    उच्य प्राथमिक विद्यालयों में नियमित रूप से माहवारी स्वच्छता पर चर्चा होगी।

    शिक्षक अभिभावक संघ की बैठक में विधिक साक्षरता, पॉक्सो एक्ट और बाल विवाह जैसे मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाई जाएगी।

    बालिका दिवस और महिला दिवस पर वाद-विवाद प्रतियोगिता, रैली, प्रभात फेरी और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

    केजीबीवी की बालिकाओं को खेलकूद, स्काउट गाइड और एनसीसी का प्रशिक्षण दिया जाएगा।


    कानूनी अधिकारों से होंगी परिचित

    अप्रैल-मई 2025 में बच्चों को उनके कानूनी अधिकारों, जैसे शिक्षा का अधिकार, पॉक्सो एक्ट, बाल विवाह और घरेलू हिंसा से संबंधित कानूनों के बारे में जागरूक किया जाएगा।

    Sunday, September 29, 2024

    स्कूल स्तर पर ही अच्छे फुटबॉलर बनेंगे छात्र, उत्तर प्रदेश में फुटबॉल को बढ़ावा देने के लिए सरकार की अहम पहल

    स्कूल स्तर पर ही अच्छे फुटबॉलर बनेंगे छात्र, उत्तर प्रदेश में फुटबॉल को बढ़ावा देने के लिए सरकार की अहम पहल


    लखनऊ: उत्तर प्रदेश में फुटबॉल को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने अहम पहल की है। अब स्कूली स्तर पर ही छात्रों को अच्छे फुटबॉलर और कोच बनाने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए प्रदेश सरकार ने सुपर स्पोर्ट्स इंटरनेशनल के प्रमुख फुटबॉल कोचिंग प्लेटफार्म 'सुपरकोच' के साथ साझेदारी की है। इस पहल के तहत ‘द गेम चेंजर प्रोजेक्ट’ के माध्यम से प्रदेश में फुटबॉल के विकास का व्यापक कार्यक्रम शुरू किया जाएगा।


    प्रोजेक्ट के तहत पहले चरण में प्राथमिक स्कूलों के फिजिकल एजुकेशन (पीई) शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी, झांसी और मेरठ जैसे पांच जिलों में यह प्रक्रिया पूरी की गई है। अगले चरणों में जमीनी स्तर पर खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करने और क्षेत्रीय फुटबॉल लीग के आयोजन की योजना है।


    इस प्रोजेक्ट का सबसे बड़ा उद्देश्य प्रदेश के 1.35 करोड़ प्राथमिक स्कूलों के बच्चों को फुटबॉल की ओर आकर्षित करना और उन्हें यूरोपीय फुटबॉल अकादमियों की तर्ज पर प्रशिक्षित करना है। 


    स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष दीपक कुमार ने बताया कि यह साझेदारी न केवल खेल प्रतिभा को विकसित करेगी, बल्कि शारीरिक शिक्षा को भी मजबूत बनाएगी। इस प्रोजेक्ट के सफल क्रियान्वयन से उत्तर प्रदेश फुटबॉल का एक बड़ा केंद्र बन सकता है।



    स्कूल स्तर पर ही अच्छे फुटबॉलर बनेंगे छात्र, द गेम चेंजर प्रोजेक्ट के तहत फुटबॉल के विकास पर होगा काम

    प्रमुख फुटबॉल कोचिंग प्लेटफॉर्म सुपरकोच के साथ हुआ समझौता


    लखनऊ। प्रदेश में अब स्कूली स्तर पर ही छात्रों को अच्छा फुटबॉलर बनाया जाएगा। न सिर्फ खिलाड़ी विद्यालय स्तर पर ही कोच भी तैयार किए जाएंगे। इसके लिए प्रदेश सरकार ने प्रमुख फुटबॉल कोचिंग प्लेटफॉर्म सुपरकोच के साथ समझौता किया है। जो द गेम चेंजर प्रोजेक्ट के तहत प्रदेश में जमीनी स्तर पर फुटबॉल विकास कार्यक्रम शुरू करेगा।

    सुपर स्पोर्ट्स इंटरनेशनल द्वारा विकसित इस प्लेटफॉर्म के तहत परिषदीय स्कूलों में फुटबॉल के क्षेत्र में प्रतिभा की पहचान करना, कोच और खिलाड़ियों के विकास पर ध्यान केंद्रित करना है। इसके माध्यम से प्रदेश को फुटबॉल का सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने का प्रयास किया जाएगा। इसके लिए परिषदीय विद्यालय एक प्रशिक्षण केंद्र के रूप में काम करेंगे। जहां खिलाड़ियों को यूरोपीय अकादमियों की तरह प्रशिक्षित किया जाएगा।


    स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और माध्यमिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने कहा कि सुपरकोच के साथ यह साझेदारी स्कूलों में खेल और शारीरिक शिक्षा को बढ़ावा देगी। 


    इस तरह होगा चरणबद्ध काम

    पहले चरण में सुपरकोच एप से प्राथमिक स्कूलों में फिजिकल एजुकेशन (पीई) के शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया गया है। सुपरकोच टीम ने पांच जिलों लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी, झांसी, मेरठ को कवर किया है। दूसरे चरण में योग्य कॅरिअर कोच पीई शिक्षकों के साथ मिलकर जमीनी स्तर पर फुटबॉल प्रशिक्षण को बेहतर बनाएंगे। तीसरे में वरिष्ठ खिलाड़ियों की पहचान की जाएगी, उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा। इन्हें प्रारंभिक कोच के रूप में भर्ती किया जाएगा। चौथे में क्षेत्रीय स्तर पर फुटबॉल लीग और टूर्नामेंट आयोजित किए जाएंगे। इनमें सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों की राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए खोज की जाएगी, ताकि उन्हें बेहतर अवसर मिल सके।



    प्राथमिक विद्यालयों के 1.35 करोड़ बच्चे खेलेंगे फुटबाल

    प्राथमिक विद्यालयों के 1.35 करोड़ बच्चों की फुटबाल खेलने की प्रतिभा को निखारा जाएगा। प्रदेश सरकार इन बच्चों को फुटबाल खेलना सिखाएगी। स्कूली स्तर पर फुटबाल को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने सुपर स्पोर्ट्स इंटरनेशनल की प्रमुख फुटबाल कोचिंग प्लेटफार्म सुपरकोच के साथ साझेदारी की है। द गेम चेंजर प्रोजेक्ट के तहत प्राथमिक स्कूलों में फुटबाल प्रतिभा की पहचान की जाएगी।

    सुपरकोच के सहयोग से प्राथमिक स्कूलों में फुटबाल प्रशिक्षण केंद्र विकसित किया जाएगा। यहां बच्चों को यूरोपीय अकाडमी में सफल साबित हुए तरीकों का उपयोग करके प्रशिक्षित किया जाएगा।

    इस प्रोजेक्ट के तहत शारीरिक शिक्षा के शिक्षकों को सुपरकोच एप का उपयोग करने का प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि राज्य भर में फुटबाल प्रशिक्षण के लिए एक मानकीकृत और संगठित दृष्टिकोण सुनिश्चित किया जा सके। स्कूल गेम्स फेडरेशन आफ इंडिया के अध्यक्ष और अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने कहा कि सुपरकोच के साथ यह साझेदारी फुटबाल प्रतिभा को विकसित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

    26 साल से बकाया वेतन पाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे बेसिक शिक्षक को मिला इंसाफ, मय ब्याज मिलेंगे सवा करोड़ रुपये

    अधिकारियों पर उठ रहे सवाल! जब 2002 में ही कोर्ट ने वेतन भुगतान का आदेश दिया था, तो इसे 2023 तक क्यों टाला गया? 

    26 साल तक कानूनी लड़ाई लड़ने वाले बेसिक शिक्षक को अंततः हाईकोर्ट से मिला इंसाफ


    बेसिक शिक्षा विभाग की लेटलतीफी और गैरजिम्मेदाराना रवैए ने एक शिक्षक को 26 साल तक कानूनी लड़ाई लड़ने पर मजबूर कर दिया। यह मामला केवल एक व्यक्ति के अधिकारों का हनन नहीं है, बल्कि यह सरकारी व्यवस्था की संवेदनहीनता और अधिकारियों की उदासीनता का एक ज्वलंत उदाहरण है।

    लक्ष्मण प्रसाद कुशवाहा, जो मृतक आश्रित कोटे में 1994 से बिना वेतन के सेवा दे रहे थे, को 88 लाख रुपये ब्याज सहित सवा करोड़ रुपये का भुगतान करने का आदेश हाईकोर्ट ने दिया है। सवाल यह है कि जब 2002 में ही कोर्ट ने वेतन भुगतान का आदेश दिया था, तो इसे 2023 तक क्यों टाला गया? क्या यह अधिकारियों की जिम्मेदारी नहीं थी कि वे समय पर न्यायालय के आदेश का पालन करें?



    26 साल से बकाया वेतन पाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे बेसिक शिक्षक को मिला इंसाफ, मय ब्याज मिलेंगे सवा करोड़ रुपये

    अधिकारियों की लेटलतीफी से शिक्षक को 88 लाख ब्याज अदा करेगी सरकार

    30 सितम्बर तक भुगतान नहीं करने पर बेसिक शिक्षा निदेशक पर निर्मित होगा अवमानना का आरोप


    प्रयागराज। इलाहावाद हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षा निदेशक को 26 साल से बकाया वेतन पाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे शिक्षक का भुगतान एक हफ्ते में करने का निर्देश दिया है। ऐसा करने से विफल रहने पर 30 सितंबर को अदालत में अवमानना की कार्यवाही के लिए हाजिर रहने का आदेश दिया है।

    हैरान कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों की लेटलतीफी की वजह से सरकार को ब्याज के रूप में 88 लाख रुपये भुगतान करना पड़ेगा। यह आदेश न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय की अदालत ने बलिया के जूनियर हाईस्कूल के शिक्षक लक्ष्मण प्रसाद कुशवाहा की ओर से दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।


    याची की नियुक्ति मृतक आश्रित कोटे में दो जुलाई 1994 से जूनियर हाईस्कूल बलिया में हुई थी। तब से यह बिना वेतन के पढ़ा रहा था। हाईकोर्ट ने 22 अप्रैल, 2002 को याचिका मंजूर करके बीएसए को नियमित वेतन भुगतान का निर्देश दिया। साथ ही नौ प्रतिशत ब्याज के साथ बकाये वेतन का भुगतान तीन माह में करने का निर्देश दिया था। लेकिन, तत्कालीन बीएसए ने आदेश का पालन नहीं किया।


    याची ने एक अन्य याचिका 2009 में भी दाखिल की। उस पर भी मय व्याज बकाये वेतन का भुगतान करने का आदेश हुआ। इसके बावजूद भुगतान नहीं हुआ। मजबूर शिक्षक ने 2009 में अवमानना याचिका दाखिल की, जो 14 साल बाद आज भी लंबित है। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने शिक्षा विभाग से जवाबी हलफनामा मांगा था। आदेश के अनुपालन में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, बलिया और बेसिक शिक्षा विभाग वित्त नियंत्रक व्यक्तिगत हलफनामे दाखिल कर बताया कि रिट कोर्ट के आदेश के अनुपालन के संदर्भ में बेसिक शिक्षा निदेशक को याची के बकाये 1,25,92,090/-रुपये स्वीकृत करने के लिए पत्र लिखा गया है। इसमें वेतन का बकाया और बकाया राशि पर ब्याज भी शामिल है।


    कोर्ट ने पाया कि निदेशक की स्वीकृति का अभाव में एक तरफ 14 साल से याची कानूनी लड़ाई लड़ रहा है। दूसरी ओर याची को मिलने वाली धनराशि का ब्याज 88 लाख रुपये से ऊपर जा चुका है। कोर्ट ने हैरानी जताई कि अधिकारियों की लापरवाही के कारण सरकार याची को 88 लाख रुपये का भुगतान करेगी। यह भुगतान देश के करदाताओं के रुपयों से होगा। 


    कोर्ट ने बेसिक शिक्षा निदेशक को 30 सितंबर तक याची का पूरा बकाया व्याज सहित भुगतान कर हलफनामा दाखिल करने निर्देश दिया है। अनुपालन न करने पर निर्धारित तारीख पर अवमानना का आरोप निर्मित कराने के लिए अदालत के हाजिर रहने का आदेश दिया है।

    मुरादाबाद के इंटर कॉलेजों में शिक्षकों की कमी, परिषदीय शिक्षक देंगे सहारा, शिक्षा विभाग का ‘अनोखे’ प्रयोग बना चर्चा की वजह

    मुरादाबाद के इंटर कॉलेजों में शिक्षकों की कमी, परिषदीय शिक्षक देंगे सहारा,  शिक्षा विभाग का ‘अनोखे’ प्रयोग बना चर्चा की वजह


    मुरादाबाद: राजकीय इंटर कॉलेजों में शिक्षकों की भारी कमी को देखते हुए प्रशासन ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए परिषदीय शिक्षकों को भी इंटर कॉलेजों में पढ़ाने के लिए नियुक्त किया है। इस योजना के तहत, प्राथमिक और जूनियर हाईस्कूलों के शिक्षकों को अस्थायी तौर पर राजकीय स्कूलों में पढ़ाने के लिए लगाया गया है। 


    शिक्षकों की कमी से जूझ रहे स्कूलों को राहत  

    जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ. अरुण कुमार दुबे ने बताया कि जिलाधिकारी के निर्देशानुसार 23 सितंबर को जारी आदेश में राजकीय स्कूलों की शैक्षिक गुणवत्ता सुधारने के उद्देश्य से यह निर्णय लिया गया है। इस आदेश में जिले के 25 राजकीय स्कूलों में कुल 52 परिषदीय शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है, ताकि शैक्षिक सत्र के अंत तक छात्रों को उचित शिक्षा मिल सके और पाठ्यक्रम समय पर पूरा किया जा सके। 


    एकल शिक्षिका की ड्यूटी पर उठे सवाल

    हालांकि, कुछ मामलों में इस आदेश की आलोचना भी हो रही है। उदाहरण के तौर पर, कन्या जूनियर हाईस्कूल कुंदनपुर की एकमात्र शिक्षिका प्रशांत कुमारी को राजकीय कन्या इंटर कॉलेज लाइनपार में हिंदी पढ़ाने के लिए भेजा गया है, जबकि उनके मूल स्कूल में कक्षा 6 से 8 तक के 150 छात्र हैं। यह कदम शिक्षकों की मौजूदा कमी को और गहरा सकता है, जिससे छोटे स्कूलों के संचालन पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।


    प्राथमिक शिक्षा पर हो सकता है असर

    उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के महानगर अध्यक्ष राकेश कौशिक ने इस कदम की निंदा करते हुए कहा, "यदि प्राथमिक शिक्षक जीआईसी में पढ़ाने जाएंगे, तो 'निपुण भारत' के लक्ष्य को कैसे हासिल किया जाएगा?" उनका मानना है कि शिक्षकों की कमी के कारण पहले से ही स्कूलों का संचालन शिक्षामित्रों पर निर्भर है। ऐसे में शिक्षकों की नई ड्यूटी व्यवस्था से प्राथमिक शिक्षा प्रणाली पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।


    विकल्पों की तलाश जारी

    हालांकि, महानिदेशक स्कूल शिक्षा के मुताबिक, किसी भी शिक्षक को उनके मूल स्कूल से बाहर अन्य स्कूल या कार्यालय में नहीं लगाया जाएगा। लेकिन, शिक्षकों की कमी से निपटने के लिए यह अस्थायी व्यवस्था की गई है। शिक्षा विभाग उम्मीद कर रहा है कि यह कदम शैक्षिक गुणवत्ता को बनाए रखने में सहायक साबित होगा, जब तक कि रिक्त पदों पर स्थायी भर्ती नहीं हो जाती। 


    शिक्षा प्रणाली पर दीर्घकालिक प्रभाव

    अब देखना होगा कि यह अस्थायी समाधान कितना प्रभावी सिद्ध होता है और क्या यह कदम शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार ला पाता है। साथ ही, इस निर्णय से छोटे स्कूलों और प्राथमिक शिक्षा पर क्या प्रभाव पड़ता है, यह भी एक महत्वपूर्ण सवाल बना हुआ है।