DISTRICT WISE NEWS

अंबेडकरनगर अमरोहा अमेठी अलीगढ़ आगरा इटावा इलाहाबाद उन्नाव एटा औरैया कन्नौज कानपुर कानपुर देहात कानपुर नगर कासगंज कुशीनगर कौशांबी कौशाम्बी गाजियाबाद गाजीपुर गोंडा गोण्डा गोरखपुर गौतमबुद्ध नगर गौतमबुद्धनगर चंदौली चन्दौली चित्रकूट जालौन जौनपुर ज्योतिबा फुले नगर झाँसी झांसी देवरिया पीलीभीत फतेहपुर फर्रुखाबाद फिरोजाबाद फैजाबाद बदायूं बरेली बलरामपुर बलिया बस्ती बहराइच बागपत बाँदा बांदा बाराबंकी बिजनौर बुलंदशहर बुलन्दशहर भदोही मऊ मथुरा महराजगंज महोबा मिर्जापुर मीरजापुर मुजफ्फरनगर मुरादाबाद मेरठ मैनपुरी रामपुर रायबरेली लखनऊ लख़नऊ लखीमपुर खीरी ललितपुर वाराणसी शामली शाहजहाँपुर श्रावस्ती संतकबीरनगर संभल सहारनपुर सिद्धार्थनगर सीतापुर सुलतानपुर सुल्तानपुर सोनभद्र हमीरपुर हरदोई हाथरस हापुड़

Tuesday, August 22, 2119

अब तक की सभी खबरें एक साथ एक जगह : प्राइमरी का मास्टर ● इन के साथ सभी जनपद स्तरीय अपडेट्स पढ़ें


 📢 प्राइमरी का मास्टर PKM
      अधिकृत WhatsApp चैनल


व्हाट्सप के जरिये जुड़ने के लिए क्लिक करें।
  • प्राइमरी का मास्टर ● कॉम www.primarykamaster.com उत्तर प्रदेश
  • प्राइमरी का मास्टर करंट न्यूज़ टुडे
  • प्राइमरी का मास्टर करंट न्यूज़ इन हिंदी 
  • प्राइमरी का मास्टर कॉम
  • प्राइमरी का मास्टर लेटेस्ट न्यूज़ २०१८
  • प्राइमरी का मास्टर शिक्षा मित्र लेटेस्ट न्यूज़
  • प्राइमरी का मास्टर खबरें faizabad, uttar pradesh
  • प्राइमरी का मास्टर ● कॉम www.primarykamaster.com fatehpur, uttar pradesh
  • प्राइमरी का मास्टर ट्रांसफर
  • प्राइमरी का मास्टर करंट न्यूज़ इन हिंदी
  • प्राइमरी का मास्टर शिक्षा मित्र लेटेस्ट न्यूज़
  • प्राइमरी का मास्टर लेटेस्ट न्यूज़ २०१८
  • प्राइमरी का मास्टर ● कॉम www.primarykamaster.com उत्तर प्रदेश
  • प्राइमरी का मास्टर ट्रांसफर 2019
  • प्राइमरी का मास्टर अवकाश तालिका 2019
  • प्राइमरी का मास्टर शिक्षा मित्र लेटेस्ट न्यूज़ इन हिंदी लैंग्वेज
  • primary ka master 69000 
  • primary ka master district news 
  • primary ka master transfer 
  • primary ka master app 
  • primary ka master holiday list 2019 
  • primary ka master allahabad 
  • primary ka master 17140 
  • primary ka master latest news 2018 
  • primary ka master 69000 
  • news.primarykamaster.com 2019 
  • news.primarykamaster.com 2020   
  • primary ka master district news 
  • primary ka master transfer 
  • primary ka master app 
  • primary ka master holiday list 2019 
  • primary ka master allahabad 
  • primary ka master 17140 
  • primary ka master transfer news 2019 
  • primary ka master app 
  • primary ka master transfer news 2018-19 
  • primary ka master todays latest news regarding 69000 
  • primary ka master allahabad 
  • primary ka master mutual transfer 
  • up primary teacher transfer latest news 
  • primary teacher ka transfer



स्क्रॉल करते जाएं और पढ़ते जाएं सभी खबरें एक ही जगह। जिस खबर को आप पूरा पढ़ना चाहें उसे क्लिक करके पढ़ सकते हैं।

    Sunday, November 10, 2024

    यूपी बोर्ड की वेबसाइट पर अपलोड होंगे अर्द्ध वार्षिक परीक्षा के अंक

    यूपी बोर्ड की वेबसाइट पर अपलोड होंगे अर्द्ध वार्षिक परीक्षा के अंक

    प्रयागराज। कक्षा नौ और 11 में होने वाली अर्द्ध वार्षिक परीक्षाओं के अंक अब यूपी बोर्ड की वेबसाइट पर अपलोड किए जाएंगे। पहली बार ऐसी व्यवस्था बनाई गई है। इसके लिए यूपी बोर्ड ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों से विवरण मांगा है। शनिवार को बोर्ड के अपर सचिव प्रशासन सरदार सिंह ने इस संबंध में पत्र जारी कर दिया है। 



    इसकी सूचना निर्धारित प्रारूप पर देने को कहा गया है। उन्होंने बताया कि सत्र के शुरुआत में ही महीने वार पढ़ाई के लिए पाठ्यक्रम निर्धारित कर दिया गया था। उसके अनुसार सितंबर के अंतिम सप्ताह में अर्द्ध वार्षिक परीक्षा की प्रयोगात्मक परीक्षाएं होगी। उसके बाद अक्तूबर के दूसरे सप्ताह में लिखित परीक्षा करानी थी। इसके अनुसार पढ़ाई और परीक्षा होने से पाठ्यक्रम निर्धारित अवधि में पूरा हो जाएगा। सभी डीआईओएस को यह सूचना सप्ताह भर में देनी होगी। 

    बोर्ड परीक्षा ड्यूटी के पारिश्रमिक दरों में वृद्धि का शासनादेश जारी, देखें

    यूपी बोर्ड परीक्षा हेतु पुनरीक्षित पारिश्रमिक दरें 2025 से ही होंगी लागू, स्पष्टीकरण जारी 

    10 नवंबर 2024
    लखनऊ। प्रदेश में माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से आयोजित की जाने वाली हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षाओं के लिए पारिश्रमिक दरों में पिछले महीने शासन ने वृद्धि की है। इसे लेकर शनिवार को जारी स्पष्टीकरण में शासन ने कहा है कि यह दरें वित्तीय वर्ष 2025-26 नहीं बल्कि साल 2025 से ही प्रभावी होंगी।

    माध्यमिक शिक्षा विभाग के विशेष सचिव आलोक कुमार की ओर से 29 अक्तूबर को पारिश्रमिक दरों में वृद्धि का आदेश जारी किया गया था। इसमें कहा गया था कि यह पुनरीक्षित दरें वित्तीय वर्ष 2025-26 से लागू होंगी। जबकि प्रदेश में बोर्ड परीक्षाएं अब फरवरी-मार्च में ही आयोजित होती हैं। ऐसे में यह परीक्षा 2024-25 में ही होंगी। इसे देखते हुए माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से शासन से पत्राचार किया गया था। इसी क्रम में शनिवार को संशोधित आदेश जारी किया गया है। 



    यूपी बोर्ड परीक्षा की कापी जांचने में अब अधिक पारिश्रमिक मिलेगा,  शिक्षकों और कर्मचारियों का पांच साल बाद बढ़ा मेहनताना

    30 अक्टूबर 2024
    लखनऊ: यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा में ड्यूटी करने वाले शिक्षकों व शिक्षणेतर कर्मचारियों को पहले से अधिक पारिश्रमिक दिया जाएगा। हाईस्कूल की एक कापी जांचने पर शिक्षकों को अभी तक 11. रुपये दिए जाते थे, अब उन्हें 14 रुपये मिलेंगे। वहीं इंटरमीडिएट की एक कापी जांचने पर 13 रुपये की जगह 15 रुपये दिए जाएंगे। वर्ष 2019 के बाद यह बढ़ोतरी की गई है। अगले वर्ष फरवरी या मार्च में होने वाली इस परीक्षा में कुल 54.38 लाख विद्यार्थी शामिल होंगे।

    विशेष सचिव, माध्यमिक शिक्षा आलोक कुमार की ओर से जारी आदेश के अनुसार कक्ष निरीक्षक की ड्यूटी करने पर शिक्षकों को अभी प्रतिदिन 96 रुपये मिलते थे और अब इन्हें 100 रुपये प्रतिदिन दिए जाएंगे। परीक्षा केंद्र संबंधित व्यय के लिए केंद्र व्यवस्थापक को 80 रुपये प्रति पाली की जगह 100 रुपये दिए जाएंगे। यानी दो पालियों में 200 रुपये मिलेंगे। यहीं नहीं, परीक्षा केंद्र व्यय अभी तक तीन रुपये 50 पैसे प्रति छात्र था, जिसे बढ़ाकर चार रुपये 50 पैसे प्रति छात्र कर दिया गया है। अतिरिक्त केंद्र व्यवस्थापक को अभी तक 53 रुपये प्रति पाली या 106 रुपये प्रतिदिन मिलते थे, अब 60 रुपये प्रति पाली या 120 रुपये प्रतिदिन दिए जाएंगे। 

    चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को 26 रुपये 50 पैसे की जगह 30 रुपये प्रति पाली, संकलन केंद्र के मुख्य नियंत्रक को 67 रुपये प्रतिदिन और पूरी परीक्षा के दौरान अधिकतम 1,596 रुपये की जगह अब 75 रुपये प्रतिदिन व अधिकतम 1,789 रुपये दिए जाएंगे। इसी प्रकार उप नियंत्रक को 53 रुपये प्रतिदिन व अधिकतम 1,264 रुपये की जगह 60 रुपये प्रतिदिन व अधिकतम 1,441 रुपये, सह उप नियंत्रक को 48 रुपये प्रतिदिन व अधिकतम 1,330 रुपये की जगह 55 रुपये व अधिकतम 1,520 रुपये, तृतीय श्रेणी कर्मचारी को 30 रुपये प्रतिदिन व अधिकतम 698 रुपये की जगह 50 रुपये व अधिकतम 1,349 रुपये वृद्धि की गई।



    पांच साल बाद शासन ने यूपी बोर्ड परीक्षा से जुड़ी विभिन्न व्यवस्थाओं का व्यय व पारिश्रमिक बढ़ाया, देखें अब कितना मिलेगा? 

    हाईस्कूल की कॉपियां जांचने का पारिश्रमिक तीन और इंटर का दो रुपये प्रति कॉपी बढ़ा

    लखनऊ। माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से आयोजित की जाने वाली बोर्ड परीक्षा से जुड़ी व्यवस्थाओं व मूल्यांकन के पारिश्रमिक में वृद्धि की गई है। शासन ने पांच साल बाद पारिश्रमिक की दरों में वृद्धि की है। शिक्षकों को अब हाईस्कूल की कॉपियां जांचने के लिए प्रति कॉपी 11 की जगह 14 रुपये और इंटर की कॉपियां जांचनें के लिए 13 की जगह 15 रुपये दिए जाएंगे।


    शासन की ओर से पुनरीक्षित की गई दरों के अनुसार प्रयोगात्मक परीक्षा के लिए आठ रुपये प्रतिछात्र की जगह 10 रुपये, कक्ष निरीक्षक को प्रति पाली 96 की जगह 100 रुपये, कक्ष नियंत्रक के लिए 60 रुपये प्रतिदिनि की जगह 75 रुपये और परीक्षा केंद्र संबंधी व्यय के लिए केंद्र व्यवस्थापक को 80 रुपये प्रति पाली की जगह 100 रुपये दिए जाएंगे। इसी तरह अतिरिक्त केंद्र व्यवस्थापक को 53 रुपये प्रति पाली की जगह 60 रुपये, लिपिक को 33 रुपये प्रति पाली की जगह 40 रुपये दिए जाएंगे।

    माध्यमिक शिक्षा विभाग के विशेष सचिव आलोक कुमार के अनुसार तृतीय श्रेणी कर्मचारी को प्रतिदिन 30 रुपये से बढ़ाकर 40 रुपये, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को 14 रुपये प्रतिदिन से बढ़ाकर 20 रुपये, जलपान व्यय 20 रुपये प्रतिदिन से बढ़ाकर 25 रुपये प्रतिदिन, कक्ष नियंत्रक का व्यय 60 रुपये प्रतिदिन से बढ़ाकर 75 रुपये प्रतिदिन, स्थानीय परीक्षकों का वाहन व्यय 27 रुपये प्रतिदिन से बढ़ाकर 35 रुपये प्रतिदिन, महिला सवारी भाड़ा प्रति पाली 30 से बढ़ाकर 35 रुपये किया गया है।


    अब एक सेट प्रश्नपत्र बनाने पर 2500 रुपये मिलेंगे

    विशेष सचिव ने बताया कि प्रश्नपत्र बनाने के लिए 2394 रुपये एक सेट के स्थान पर 2500 रुपये, उत्तर पुस्तिका व्यवस्था के लिए 7 रुपये प्रति हजार से बढ़ाकर 8 रुपये प्रति हजार, समीक्षा-मूल्यांकन के लिए 400 की जगह 500 रुपये प्रति व्यक्ति व मूल्यांकन परीक्षकों की निर्धारित पारिश्रमिक सीमा को 20 हजार से बढ़ाकर 25 हजार कर दिया गया है। बोर्ड परीक्षा से जुड़े लगभग तीन-चार लाख कर्मचारियों को बढ़े हुए पारिश्रमिक का लाभ मिलेगा। पुनरीक्षित दरें सत्र 2025-26 से प्रभावी होंगी।


    बोर्ड परीक्षा ड्यूटी के पारिश्रमिक दरों में वृद्धि का शासनादेश जारी, dekhen 


    देश की शीर्ष 10 PhD थीसिस को मिलेगा एक्सीलेंस सम्मान, UGC का ऐलान

    देश की शीर्ष 10 PhD थीसिस को मिलेगा एक्सीलेंस सम्मान, UGC का ऐलान 

    चिकित्सा, कृषि, इंजीनियरिंग, समाज विज्ञान, भारतीय भाषा और मैनेजमेंट के शोधार्थियों को होगा लाभ


    नई दिल्ली। भारतीय विश्वविद्यालयों में शोध को बढ़ावा देने के लिए 2025 से हर साल 10 पीएचडी थीसिस को एक्सीलेंस सम्मान मिलेगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने 'पीएचडी एक्सीलेंस सम्मान' के लिए इससे जुड़े पोर्टल को एक जनवरी से खोलने का फैसला लिया है।

    यूजीसी ने सभी राज्यों और विश्वविद्यालयों को पोर्टल और योजना का मसौदा भेज दिया है। इसमें मेडिकल, एग्रीकल्चर, इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, सोशल साइंस, भाषा, कॉमर्स और मैनेजमेंट के शोधार्थियों को सीधे लाभ मिलेगा।


    यूजीसी अध्यक्ष प्रोफेसर एम जगदेश कुमार ने बताया की देश में पीएचडी के के दौरान शोध को बढ़ावा देने के लिए शोधार्थियों को सम्मानित करने का फैसला लिया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत 'पीएचडी उत्कृष्टता प्रशस्ति पत्र देने का मसौदा तैयार हुआ है।

    इसमें चिकित्सा, कृषि, इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, समाज विज्ञान, इंडियन लैंग्वेज, कॉमर्स, मैनेजमेंट में प्रति स्ट्रीम दो बेहतरीन थीसिस को चुना जाएगा। चयन के लिए पोर्टल के माध्यम से नामांकन करना होगा।


    दो स्तर पर चयन

    यूजीसी ने दी स्तरीय चयन प्रक्रिया बनाई है। इसमें विश्वविद्यालय स्तर पर एक स्क्रीनिंग समिति और यूजीसी स्तर पर एक अंतिम चयन समिति शामिल है। मूल्यांकन में मौलिकता, ज्ञान में योगदान, शोथ पद्धति, स्पष्टता, प्रभाव और बेसिस की समध प्रस्तुति पर विचार किया जाएगा। इसमें केंद्रीय विश्वविद्यालय, स्टेट व डोम्ड-टू-वी यूनिवर्सिटी और निजी विश्वविद्यालय भी भाग ले सकते हैं। इसमें राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (नैक) से मान्यताप्राप्त और पूजीसी अधिनियम की धारा 2 (एफ) के तहत मान्यताप्राप्त विश्वविद्यालय ही भाग ले सकते हैं।


    पीएचडी में 10 फीसदी की दर से बढ़ रहे दाखिले

    यूजीसी के अनुसार पीएचडी शोध में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। वर्ष 2010-11 में 77,798 दाखिले हुए थे। वर्ष 2017-18 में यह आंकड़ा 161,412 पहुंच गया। इसमें प्रतिवर्ष 10 फीसदी की वृद्धि हो रही है। सबसे अधिक 30 फीसदी साइंस स्ट्रीम में पीएचडी दाखिले होते हैं। इसके बाद इंजीनियरिंग व टेक्नोलॉजी में 26 फीसदी, सोशल साइंस में 12 फीसदी, इंडियन लैंग्वेज व मैनेजमेंट में छह-छह फीसदी, कृषि विज्ञान में चार, चिकित्सा क्षेत्र, एजुकेशन में पांच-पांच फीसदी शेोधार्थी प्रवेश ले रहे हैं।

    विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर बनाएगी प्रदेश के उच्च प्राथमिक, कंपोजिट और पीएम श्री विद्यालयों को कौशल केंद्र के रूप में विकसित करने की पहल, बोलीं डीजी कंचन वर्मा

    विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर बनाएगी प्रदेश के उच्च प्राथमिक, कंपोजिट और पीएम श्री विद्यालयों को  कौशल केंद्र के रूप में विकसित करने की पहल, बोलीं डीजी कंचन वर्मा


    लखनऊ। प्रदेश के उच्च प्राथमिक, कंपोजिट और पीएम श्री विद्यालयों को  कौशल केंद्र के रूप में विकसित करने की प्रक्रिया शुरू हुई है। इसमें पायलट प्रोजेक्ट के लिए चयनित 2402 शिक्षकों राजधानी में प्रशिक्षण दिया गया। शनिवार को समापन कार्यक्रम में महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने शिक्षकों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि सरकार की यह पहल विद्यार्थियों के भविष्य को विद्यालयों को कौशल केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए शिक्षकों का प्रशिक्षण आत्मनिर्भर बनाने में सहायक होगी। 


    यह प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को एक नई दिशा देगी। इसमें शिक्षकों को 'लर्निंग बाई डूइंग' के सिद्धांत पर प्रशिक्षण दिया गया है। ताकि वह इसे करके बेहतर तरीके से समझ सकते हैं। आगे वह विद्यालयों में भी इस प्रयोग को उपयोगी बनाएंगे। 


    वहीं परिवहन विभाग के अपर मुख्य सचिव वेंकटेश्वर लू ने कहा कि स्थानीय स्तर पर इस तरह की तकनीकी से बच्चों के कौशल विकास की जरूरत है। इससे उनके अंदर आत्मविश्वास बढ़ेगा। 


    वरिष्ठ विशेषज्ञ माधवजी तिवारी ने बताया कि प्रशिक्षण में 1772 उच्च प्राथमिक व कंपोजिट, 570 पीएम श्री विद्यालय और 60 पायलट प्रोजेक्ट से चयनित विज्ञान और गणित के शिक्षक शामिल हैं। कार्यक्रम में अपर निदेशक बीडी चौधरी, डॉ. फैजान इनाम, रंजीत सिंह आदि उपस्थित थे।

    19 सालों से विभागीय उपेक्षा का दंश का सामना कर रहे विशेष शिक्षकों ने धरना देकर मांगा विनियमितीकरण

    19 सालों से विभागीय उपेक्षा का दंश का सामना कर रहे विशेष शिक्षकों ने धरना देकर मांगा विनियमितीकरण 

    बीएन सिंह प्रतिमा के समक्ष एकत्र हुए शिक्षकों ने उपेक्षा का लगाया आरोप

    कहा, के सभी मानकों पूरी करने के बावजूद 19 सालों से विभागीय उपेक्षा का दंश

    वेतनवृद्धि, चिकित्सीय सुविधाएं पदोन्नति, पीएफ, बीमा जैसी सुविधाओं से अलग रखा गया


    लखनऊ। दिव्यांग बच्यों को शिक्षित और प्रशिक्षित करने वाले विशेष शिक्षकों ने शनिवार को धरना देकर विनियमित करने की मांग की। उन्होंने अन्य कर्मचारियों को मिलने वाली सभी सुविधाओं से वंचित रखने का आरोप लगाया।


    केडी सिंह बाबू स्टेडियम के बगल में स्थित कर्मचारी नेता स्व. बीएन सिंह प्रतिमा के समक्ष उत्तर प्रदेश विशेष शिक्षक एसोसिएशन के बैनर तले एकत्र हुए विशेष शिक्षकों ने विभागीय उपेक्षा का आरोप लगाया। संगठन के अध्यक्ष अनुज कुमार शुक्ला ने कहा कि समग्र शिक्षा अभियान के तहत दिव्यांग बच्चों की शिक्षा एवं पुर्नवास सेवाओं के लिए विशेष शिक्षकों नियुक्ति पहली बार वर्ष 2005 में की गई थी।


    उन्होंने कहा कि विशेष शिक्षक शैक्षिक एवं व्यावसायिक योग्यता के सभी मानकों पूरी करने के बावजूद 19 सालों से विभागीय उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि विशेष शिक्षकों को वेतनवृद्धि, चिकित्सीय सुविधाएं, पदोन्नति, पीएफ की व्यवस्था, बीमा आदि जैसी सुविधाओं से अलग रखा गया है।


     उन्होंने सरकार से विनियमित कर पूर्ण बेतनमान सहित सभी शासकीय लाभ प्रदान करने की मांग की। उन्होंने कहा कि विनियमितीकरण की कार्यवाही पूरी होने तक बचपन डे केयर सेंटर्स में कार्यरत विशेष शिक्षकों की तर्ज पर रिजवी समिति की संस्तुति के अनुरूप वेतनमान स्वीकृत करने की मांग की।


     इस मौके पर राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री शिवबरन सिंह यादव, अयक्ष्क्ष एनडी द्विवेदी आदि कर्मचारी संगठनों के नेता मौजूद रहे।

    आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को स्थायी कर्मियों के समान माना जाए : हाईकोर्ट

    आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को स्थायी कर्मियों के समान माना जाए : हाईकोर्ट

    गुजरात हाई कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को दिया निर्देश कहा-दोनों में बड़ा भेदभाव

    फैसले से देश भर में लाखों आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को होगा लाभ


    अहमदाबाद : गुजरात हाई कोर्ट ने राज्य और केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वे आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के साथ नियमित रूप से चयनित स्थायी सिविल कर्मचारियों के समान व्यवहार करें। हाई कोर्ट के इस फैसले से देश भर में लाखों आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को लाभ होगा।


    जस्टिस निखिल एस केरियल ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों के मामले में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और आंगनबाड़ी सहायिकाओं के बीच भेदभाव अधिक है। इसे देखते हुए राज्य और केंद्र सरकार को सरकारी सेवा में उक्त दोनों पदों को समाहित करने के लिए संयुक्त रूप से नीति बनानी चाहिए। 


    अदालत ने कहा कि इसके साथ ही उन्हें नियमितीकरण का लाभ भी प्रदान किया जाए। अदालत ने 1983 और 2010 के बीच केंद्र की एकीकृत बाल विकास सेवा (आइसीडीएस) योजना के तहत नियुक्त आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व आंगनबाड़ी सहायिकाओं द्वारा दायर याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया। 


    आइडीसीएस योजना में छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों के साथ-साथ गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए आंगनबाड़ी केंद्र बनाने की परिकल्पना की गई थी, जिन्हें आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और आंगनबाड़ी सहायिकाओं संचालित किया जाता है। द्वारा याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि 10 साल से अधिक समय तक और दिन में छह घंटे से अधिक काम करने के बावजूद उन्हें मामूली राशि दी जा रही। उन्होंने अपने वाजिब अधिकार के लिए अदालत से निर्देश जारी करने का अनुरोध किया था। 


    याचिकाकर्ताओं ने कहा कि उन्हें एक नियमित प्रक्रिया के माध्यम से भर्ती किया गया था, लेकिन उन्हें एक योजना माना के तहत काम करने वाला गया, न कि सरकारी कर्मचारी। अदालत ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और आंगनबाड़ी सहायिकाओं को क्रमशः 10 हजार रुपये और पांच हजार रुपये के मासिक मानदेय से यह स्पष्ट है कि राज्य सरकार सिविल पदों पर काम करने वाले कर्मचारियों की तुलना में भेदभाव कर रही है। अदालत ने राज्य और केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि स्थायी सिविल कर्मचारियों के समान व्यवहार के हकदार होंगे।

    अगले वर्ष से कक्षा तीन के परिषदीय छात्र भी पढ़ेंगे NCERT की किताबें

    अगले वर्ष से कक्षा तीन के परिषदीय छात्र भी पढ़ेंगे NCERT की किताबें


    लखनऊ : परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में कक्षा तीन में पढ़ने वाले करीब 39 लाख विद्यार्थियों को अगले सत्र से राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की किताबें पाठ्यक्रम में पढ़ाई जाएंगी।


    अभी कक्षा एक और कक्षा दो के विद्यार्थियों को एनसीईआरटी की किताबें पढ़ाई जा रही हैं। इसका शैक्षिक सत्र 2025-26 से विस्तार किया जाएगा और इसे कक्षा तीन में भी लागू किया जाएगा। अभी इन विद्यार्थियों को राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) द्वारा तैयार पाठ्यक्रम और किताबें पढ़ाई जा रही हैं।


     बेसिक शिक्षा विभाग ने सत्र 2025-26 से कक्षा तीन में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू करने और एनसीईआरटी की पुस्तकें छपवाने के निर्देश दिए हैं।

    डीएलएड में 12वीं पास को प्रवेश के विरुद्ध अपील की अनुमति शासन से मिली

    डीएलएड में 12वीं पास को प्रवेश के विरुद्ध अपील की अनुमति शासन से मिली


    प्रयागराज : डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन (डीएलएड) में 12वीं पास अभ्यर्थियों को भी प्रवेश देने के हाई कोर्ट के आदेश के कारण - स्नातक योग्यता के आधार पर लिए गए आवेदन के क्रम में काउंसिलिंग  अटकी हुई है। उत्तर प्रदेश परीक्षा नियामक प्राधिकारी (पीएनपी) की  ओर से स्नातक योग्यता के आधार  पर 22 अक्टूबर तक आवेदन लिए, जिसमें 2,78,783 अभ्यर्थियों ने फाइनल प्रिंटआउट लेकर आवेदन -प्रक्रिया पूर्ण की है।


     हाई कोर्ट के आदेश के विरुद्ध अपील में जाने के लिए उत्तर प्रदेश परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव अनिल भूषण चतुर्वेदी ने शासन से अनुमति मांगी  थी, जो कि मिल गई है। अपील में जाने पर स्थगन आदेश मिलने पर  काउंसिलिंग की समयसारिणी जारी की जाएगी। डीएलएड प्रशिक्षण देने वाले जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) परिसर में डिप्लोमा इन एजुकेशन (डीएड) पाठ्यक्रम चलाया जा रहा है। 


    यह पाठ्यक्रम भारतीय पुनर्वास परिषद चलाता है, जिसमें सिर्फ दिव्यांग छात्र-छात्राओं को 12वीं पास योग्यता के आधार पर प्रवेश दिया जाता है। इसे राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने मान्य नहीं किया है। इसके विपरीत डीएलएड में स्नातक योग्यता के आधार पर प्रवेश की प्रक्रिया अपनाई जाती है। इसी आधार पर पीएनपी की ओर से अपील दाखिल की जाएगी। 


    हाई कोर्ट के आदेश को अपील में डबल बेंच से स्थगन आदेश मिलने के बाद पीएनपी डीएलएड में प्रवेश के लिए स्नातक योग्यता के आधार पर लिए गए आवेदन के क्रम में काउंसिलिंग कार्यक्रम जारी करेगा। इस तरह प्रदेश की कुल 2,31,300 सीटों के सापेक्ष प्रवेश की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।

    Saturday, November 9, 2024

    आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति परीक्षा का प्रवेश पत्र जारी, 10 नवंबर को परीक्षा, प्रदेशभर में 378 केंद्र बनाए गए

    राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति परीक्षा के अभ्यर्थियों के लिए निर्देश


    1. परीक्षार्थी परीक्षा आरंभ होने से आधा घंटा पूर्व ( प्रातः 9.30 के पूर्व) परीक्षा केंद्र पर उपस्थित होकर आवंटित अनुक्रमांक वाला स्थान अवश्य ग्रहण कर लें।

    2. कैलकुलेटर, गणितीय टेबल अथवा अन्य किसी प्रकार का रेडीरेकनर परीक्षा कक्ष में लेकर ना जायें।

    3. परीक्षा एक सत्र में दो भागों में आयोजित होगी :-

    (i) प्रथम भाग सामान्य मानसिक योग्यता परीक्षण जिसमें 90 बहुविकल्पीय प्रश्न होंगे।

    (ii) द्वितीय भाग शैक्षिक अभिरुचि परीक्षण, जिनमें 90 बहुविकल्पीय प्रश्न (35 विज्ञान, 35 सामाजिक विज्ञान, और 20 गणित) होंगे।

    4. प्रथम भाग के लिए 90 मिनट का समय निर्धारित है, (शारीरिक रूप से चुनौती ग्रस्त अभ्यर्थियों के लिए 120 मिनट का समय) तथा द्वितीय भाग के लिए 90 मिनट (शारीरिक रूप से चुनौती ग्रस्त अभ्यर्थियों के लिए 120 मिनट) का समय निर्धारित है।

    5. प्रत्येक प्रश्न के लिए 1 (एक) अंक निर्धारित है, ऋणात्मक अंकन नहीं है।

    6. प्रवेश पत्र में दिए गए अनुक्रमांक को उत्तर पत्रक पर निर्धारित स्थान पर लिखना होगा।

    7. उत्तर पत्र अथवा प्रश्न पत्र पुस्तिका में किसी भी भाग पर अपना नाम नहीं लिखना होगा।

    8. उत्तर देने के लिए केवल नीली या काली बॉलपेन का प्रयोग करें। उत्तरों को प्रश्न पत्र में अंकित निर्देशानुसार ही अंकित करना होगा।

    9. सभी अभ्यर्थियों को निर्देशित किया जाता है कि परीक्षा केंद्र पर अपने प्रवेश पत्र के साथ अपना एक पहचान पत्र जैसे आधार कार्ड/विद्यालय द्वारा निर्गत पहचान पत्र को ले जाना अनिवार्य है।



    आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति परीक्षा का प्रवेश पत्र जारी, 10 नवंबर को परीक्षा, प्रदेशभर में 378 केंद्र बनाए गए


    प्रयागराज। राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति परीक्षा का प्रवेश पत्र जारी कर दिया गया है। वेबसाइट http://entdata.co.in पर प्रवेश पत्र डाउनलोड किया जा सकता है। परीक्षा 10 नवंबर को होगी। इसके लिए प्रदेशभर में 378 केंद्र बनाए गए हैं। प्रयागराज में इसके 10 केंद्र हैं।


    पांच अगस्त से 28 सितंबर तक इसके ऑनलाइन आवेदन लिए गए थे। आठवीं में पढ़ाई करने वाले आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के प्रदेशभर से 1,57,013 मेधावियों ने आवेदन किया है। अगले रविवार को इसकी परीक्षा होगी।


    तीन घंटे की परीक्षा सुबह 10 से एक बजे तक होगी। इसमें सामान्य ज्ञान, गणित और सामाजिक विज्ञान के प्रश्न पूछे जाएंगे। इस बार परीक्षा में ओएमआर शीट पर उत्तर देने होंगे। परीक्षा नियामक प्राधिकारी (पीएनपी) की ओर से यह परीक्षा कराई जाएगी। इसमें सफल होने वाले प्रदेशभर के 15,143 बच्चे को छात्रवृत्ति दी जाएगी। यह छात्रवृत्ति उन्हें नौवीं से 12वीं तक हर महीने एक हजार रुपये मिलेगी।



    UP NMMS Scholarship 2025: UP NMMS स्कॉलरशिप का एडमिट कार्ड जारी, ऐसे करें डाउनलोड; इस दिन होगी परीक्षा


    UP NMMS Scholarship 2025: यूपी एनएमएमएस छात्रवृति के लिए होने वाली परीक्षा का एडमिट कार्ड जारी कर दिया गया है। उम्मीदवार नीचे बताए तरीके से अपना एडमिट कार्ड डाउनलोड कर सकते हैं।


    UP NMMS Scholarship 2025: उत्तर प्रदेश नेशनल मीन्स-कम-मेरिट स्कॉलरशिप एडमिट कार्ड 2025 आज, यानी 01 नवंबर को ऑनलाइन जारी कर दिया गया है। स्कॉलरशिप परीक्षा के लिए उपस्थित होने वाले छात्र आधिकारिक वेबसाइट - entdata.co.in के माध्यम से नीचे बताए स्टेप्स को फॉलो करके अपना एडमिट कार्ड डाउनलोड कर सकते हैं।


    इनकी मदद से डाउनलोड होगा एडमिट कार्ड
    शेड्यूल के अनुसार, एनएमएमएस छात्रवृत्ति परीक्षा 10 नवंबर, 2024 को आयोजित होने वाली है। छात्र एडमिट कार्ड डाउनलोड करने के लिए अपने लॉगिन विवरण जैसे पंजीकरण आईडी और मोबाइल नंबर का उपयोग कर सकते हैं।


    इतनी मिलेगी छात्रवृति
    चयनित छात्रों को कक्षा 9 से 12 तक की पढ़ाई के दौरान प्रति वर्ष 12,000 रुपये की छात्रवृत्ति मिलेगी। जो छात्र सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त, स्थानीय निकाय परिषद स्कूल में कक्षा 8 में पढ़ रहे हैं, वे छात्रवृत्ति योजना के लिए पात्र होंगे। साथ ही छात्रों की पारिवारिक आय 3,50,000 रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए।

    जिन छात्रों ने शैक्षणिक वर्ष 2022-23 में न्यूनतम 55% कुल अंकों के साथ कक्षा 7 उत्तीर्ण की है, वे छात्रवृत्ति के लिए पात्र हैं। जबकि एससी, एसटी छात्रों को न्यूनतम उत्तीर्ण अंक मानदंड में 5% की छूट मिलेगी।

    पेपर का प्रकार
    एनएमएमएस परीक्षा में दो खंड होंगे। पहला - मानसिक योग्यता परीक्षण (एमएटी) और दूसरा - स्कोलास्टिक एप्टीट्यूड टेस्ट (एसएटी)। प्रत्येक में 90 बहुविकल्पीय प्रश्न होंगे। प्रत्येक पेपर 90 मिनट की अवधि का होगा। विकलांग बच्चों को नियमानुसार अतिरिक्त समय दिया जाता है। परीक्षा में गलत उत्तरों के लिए कोई नकारात्मक अंकन नहीं है।


    ऐसे डाउनलोड करें एडमिट कार्ड

    आधिकारिक वेबसाइट - entdata.co.in पर जाएं।

    होमपेज पर उपलब्ध “एनएमएमएस यूपी छात्रवृत्ति एडमिट कार्ड डाउनलोड” लिंक पर क्लिक करें।

    आवेदन संख्या और फोन नंबर जैसे विवरण दर्ज करें

    "सबमिट" बटन पर क्लिक करें

    आगे के संदर्भ के लिए डाउनलोड करें और प्रिंटआउट लें।


    अन्यथा सीधे इस लिंक पर जाकर डिटेल भरकर प्रवेश पत्र डाउनलोड करें। 

    अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के छात्रों के लिए पूर्वदशम और दशमोत्तर छात्रवृत्ति योजनाओं की समय सारिणी का दूसरा चरण शुरू, 15 जनवरी तक कर सकते हैं आवेदन

    अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के छात्रों के लिए पूर्वदशम और दशमोत्तर छात्रवृत्ति योजनाओं की समय सारिणी का दूसरा चरण शुरू, 15 जनवरी तक कर सकते हैं आवेदन


    लखनऊ। अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के छात्रों के लिए पूर्वदशम और दशमोत्तर छात्रवृत्ति योजनाओं की समय सारिणी का दूसरा चरण शुरू कर दिया गया है। पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण राज्यमंत्री नरेंद्र कश्यप ने बताया कि राज्य में कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों और अन्य उच्च कक्षाओं के लिए छात्रवृत्ति योजनाओं का द्वितीय चरण जारी कर दिया गया है।


     द्वितीय चरण की समय सारिणी के अनुसार 31 दिसंबर तक सभी शिक्षण संस्थानों को मास्टर डाटा में सम्मिलित किया जाएगा। इसके बाद 5 जनवरी तक विश्वविद्यालय व संबद्धता एजेंसियों और जिला विद्यालय निरीक्षकों द्वारा फीस का सत्यापन पूरा किया जाएगा। 


    इस योजना के तहत कक्षा 9-10 के छात्रों के लिए पूर्वदशम छात्रवृत्ति और कक्षा 11-12 के छात्रों के लिए दशमोत्तर छात्रवृत्ति के आवेदन 15 जनवरी तक किए जा सकते हैं। इसके बाद 18 जनवरी तक शिक्षण संस्थानों को छात्रों के आवेदन सत्यापित करने और आगे बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। 

    सुप्रीम कोर्ट ने तय किए अल्पसंख्यक संस्थान के मानक, AMU पर नई पीठ करेगी फैसला

    सुप्रीम कोर्ट ने तय किए अल्पसंख्यक संस्थान के मानक, AMU पर नई पीठ करेगी फैसला

    सात जजों की संविधान पीठ ने नौ माह बाद दिया निर्णय,  एएमयू का मामला अब भी लंबित

    • एएमयू को अल्पसंख्यक संस्थान न मानने के अजीज बाशा मामले में दिए फैसले को किया खारिज 

    • 4:3 से निर्णय, जस्टिस दीपांकर दत्ता ने घोषित किया, एएमयू अत्पसंख्यक संस्थान नहीं है


    नई दिल्लीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के अल्पसंख्यक दर्जे पर नौ महीने से सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुरक्षित था। नौ महीने बाद शुक्रवार को आए फैसले में भी यह मामला लटका रह गया है। अब तीन सदस्यीय नई पीठ एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे पर सुनवाई करके फैसला देगी। सुप्रीम कोर्ट की सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने शुक्रवार को चार-तीन के बहुमत से दिए फैसले में किसी संस्थान को अल्प संख्यक संस्थान माने जाने के आधार और मानक तय कर दिए, लेकिन कोर्ट ने एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे पर कोई व्यवस्था नहीं दी। कहा कि एएमयू का मामला नियमित पीठ के सामने जाएगा, जो इस फैसले में दी गई व्यवस्था के आधार पर तय करेगी कि एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान है कि नहीं। कोर्ट ने बहुमत से दिए फैसले में एएमयू को अल्पसंख्यक संस्थान नहीं मानने वाले 1967 के अजीज बाशा मामले में दिए फैसले को खारिज कर दिया है।


    एएमयू के लिए यह राहत की खबर है, क्योंकि उसके अल्पसंख्यक दर्जे में यही फैसला बड़ी बाधा थी। अब एएमयू को नियमित पीठ के समक्ष साबित करना होगा कि संविधान पीठ द्वारा तय मानकों के मुताबिक वह अल्पसंख्यक संस्थान है। पांच जजों की पीठ ने अजीज बाशा मामले में दिए फैसले में कहा था कि एएमयू को अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना जा सकता, क्योंकि इसकी स्थापना केंद्रीय कानून के जरिये हुई है। इतने वर्षों से यही फैसला एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे की राह का रोड़ा बना हुआ था। इसी - आधार पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एएमयू को अल्पसंख्यक दर्जा देने के लिए किए गए कानून संशोधन को रद कर दिया था।


    संविधान पीठ के फैसले के मुताबिक प्रधान न्यायाधीश एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे के मामले पर सुनवाई के लिए नियमित पीठ का गठन करेंगे। नई पीठ तीन न्यायाधीशों की हो सकती है। वह पीठ तय करेगी कि एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान है कि नहीं। इसके साथ ही नियमित पीठ इलाहाबाद हाई कोर्ट के मलय शुक्ला मामले में दिए गए फैसले के खिलाफ दाखिल अपील पर भी सुनवाई करेगी। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा था कि एएमयू को अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना जाएगा। एएमयू ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट में पहले से भी मामला लंबित था, जिसमें अजीज बाशा फैसले को पुनर्विचार के लिए सात जजों को भेजा गया था। 


    12 फरवरी, 2019 को तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल अपीलों पर सुनवाई करते हुए यह मामला सात जजों की पीठ को विचार के लिए भेज दिया था। शुक्रवार को सीजेआइ डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात जजों की संविधान पीठ ने चार तीन के बहुमत से उपरोक्त फैसला दिया। कुल चार फैसले दिए गए, जिसमें जस्टिस चंद्रचूड़ ने स्वयं और जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस जेबी पार्टीवाला व जस्टिस मनोज मिश्रा की ओर से बहुमत का फैसला दिया। जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता व जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने असहमति जताने वाले अलग से फैसले दिए हैं। सातों जजों में सिर्फ जस्टिस दीपांकर ने स्पष्ट रूप से घोषित किया है कि एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है और उसका अल्पसंख्यक संस्थान का दावा खारिज होता है।


    सुप्रीम कोर्ट ने विशेष रूप से अल्पसंख्यकों को संविधान में अपनी पसंद के शिक्षण संस्थान स्थापित करने और संचालित करने का अधिकार देने वाले अनुच्छेद 30 की व्याख्या की है। अनुच्छेद 30 कहता है कि अल्पसंख्यक चाहें वे भाषाई अल्पसंख्यक हों या धार्मिक, उन्हें पसंद का शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और चलाने का अधिकार है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा है कि संविधान का अनुच्छेद 30 (1) भेदभाव के विरुद्ध प्रविधान व विशेष अधिकार देने वाले प्रविधान दोनों तरह से वर्गीकृत किया जा सकता है। कोई कानून या कार्रवाई जो धार्मिक व भाषाई अल्पसंख्यकों के शिक्षण संस्थान स्थापित करने या उनका प्रशासन करने के साथ भेदभाव करता है, वह अनुच्छेद 30 (1) के खिलाफ है। अगर किसी धार्मिक या भाषाई अल्पसंख्यक द्वारा स्थापित शैक्षणिक संस्थान को प्रशासन में ज्यादा स्वायत्ता की गारंटी दी गई है तो यह प्रविधान में विशेष अधिकार के तौर पर पढ़ा जाएगा।


    जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अल्पसंख्यकों को साबित करना होगा कि उन्होंने अनुच्छेद 30 (1) के उद्देश्य से समुदाय के लिए अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान स्थापित किया है। फैसले में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 30 (1) के तहत मिला अधिकार संविधान लागू होने के पहले स्थापित किए गए विश्वविद्यालयों पर लागू होगा। 



    इन मानकों के आधार पर तय होगा अल्पसंख्यक दर्जा

    • संस्थान स्थापित करने का विचार उद्देश्य व कार्यान्यवयन देखा जाएगा वह संतुष्ट करने वाला होना चाहिए

    • अल्पसंख्यक संस्थान की स्थापना का विचार हर हाल में अल्पसंख्यक समुदाय के व्यक्ति या समूह की ओर से आना चाहिए

    • शैक्षणिक संस्थान प्रभावी तौर पर अल्पसंख्यक समुदाय के लाभ के लिए ही होना चाहिए

    • अल्पसंख्यक संस्थान स्थापित करने के विचार के कार्यान्वयन के लिए अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों द्वारा कदम उठाया गया हो

    • शैक्षणिक संस्थान का प्रशासनिक ढांचा अल्पसंख्यक चरित्र का होना चाहिए

    • इसकी स्थापना अल्पसंख्यक समुदायों के हितों की रक्षा और प्रोत्साहन के लिए होनी चाहिए

    सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 2009 में दिए गए दिशा-निर्देशों के बावजूद स्कूलों में 14 वर्षों से सुरक्षा मानकों का निरीक्षण नहीं होने पर हाईकोर्ट खफा

    सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 2009 में दिए गए दिशा-निर्देशों के बावजूद स्कूलों में 14 वर्षों से सुरक्षा मानकों का निरीक्षण नहीं होने पर हाईकोर्ट खफा


    लखनऊ । स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर चल रहे एक मामले की सुनवाई के दौरान, हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पाया है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 2009 में दिए गए दिशा-निर्देशों के बावजूद प्रदेश में स्कूलों का पिछले 14 वर्षों से निरीक्षण नहीं किया गया है। न्यायालय ने इस पर अप्रसन्नता जाहिर करते हुए, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के पिछले दो वर्षों के 'मिनट्स ऑफ मीटिंग्स' को तलब कर लिया है। 


    न्यायालय ने कहा कि यदि हम पाते हैं कि आपदा प्राधिकरण ने शीर्ष अदालत के आदेश के बावजूद, इस सम्बंध में कुछ भी नहीं किया है तो यथोचित आदेश पारित किया जाएगा। मामले की अगली सुनवायी 11 नवंबर को होगी।


    यह आदेश न्यायमूर्ति आलोक माथुर व न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने गोमती रिवर बैंक रेजीडेंट्स की ओर से वर्ष 2020 में दाखिल की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया है।


    उक्त याचिका में शहर के आवासीय क्षेत्रों में चल रहे स्कूलों का मुद्दा खास तौर पर उठाया गया है। सुनवायी के दौरान न्यायालय ने अविनाश मेहरोत्रा मामले में शीर्ष अदालत द्वारा वर्ष 2009 में दिए गए दिशानिर्देशों को लागू करने पर जोर दिया है। पिछली सुनवाई में पारित आदेश के अनुपालन में राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि प्रदेश में कुल लगभग 1.41 लाख स्कूल हैं, जिनका निरीक्षण करने में लगभग आठ माह का समय लग जाएगा।


    सिर्फ तीन स्कूलों ने दी पिक-ड्रॉप की सुविधा

    इसी मामले की पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने हजरतगंज व राजभवन के पास के स्कूलों को कक्षा 5 तक के बच्चों को स्कूल परिसर में ही पिक- ड्रॉप की सुविधा देने का आदेश दिया था। इस बार उपस्थित रहे, डीसीपी यातायात प्रबल प्रताप सिंह ने कोर्ट को बताया कि तीन स्कूलों ने इस आदेश का पालन किया है। इस पर न्यायालय ने मामले में न्यायमित्र नियुक्त अधिवक्ता जेएन माथुर को बाकी के स्कूल प्रबंधन से बात करने का जिम्मा दिया है।

    नवोदय विद्यालयों में कक्षा 9वीं और 11वीं में प्रवेश के लिए आवेदन की अंतिम तिथि फिर बढ़ी

    नवोदय विद्यालयों में कक्षा 9वीं और 11वीं में प्रवेश के लिए आवेदन की अंतिम तिथि फिर बढ़ी 


    नई दिल्ली, 8 नवम्बर, 2024: नवोदय विद्यालय समिति (NVS), जो शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्था है, ने शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए जवाहर नवोदय विद्यालयों में कक्षा 9वीं और 11वीं में रिक्त सीटों पर प्रवेश हेतु आवेदन की अंतिम तिथि बढ़ाकर 19 नवम्बर, 2024 कर दी है। इच्छुक अभ्यर्थी इस बढ़ी हुई समय सीमा के भीतर नि:शुल्क आवेदन कर सकते हैं।

    प्रवेश परीक्षा के माध्यम से सीटों का चयन किया जाएगा। कक्षा 9वीं में आवेदन करने के लिए अभ्यर्थी https://cbseitms.nic.in/2024/nvsix/ और कक्षा 11वीं के लिए https://cbseitms.nic.in/2024/nvsxi 11/ पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। 

    इसके अलावा, आवेदन की अंतिम तिथि के बाद अभ्यर्थियों को दो दिनों का सुधार अवसर भी प्रदान किया जाएगा। इस अवधि में उम्मीदवार अपने आवेदन पत्र में लिंग, श्रेणी (सामान्य/OBC/SC/ST), क्षेत्र (ग्रामीण/शहरी), दिव्यांगता और परीक्षा के माध्यम से संबंधित सूचनाओं में संशोधन कर सकेंगे।

    नवोदय विद्यालय समिति द्वारा उठाया गया यह कदम छात्रों को अतिरिक्त समय और सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया है, ताकि अधिक से अधिक योग्य छात्र इस अवसर का लाभ उठा सकें।


    JNVST : नवोदय विद्यालय 9वीं 11वीं की खाली सीटों पर एडमिशन की अंतिम तिथि बढ़ी

    JNVST Admission 2025: नवोदय विद्यालय में लेट्रल एंट्री के तहत कक्षा 9वीं और 11वीं की खाली सीटों पर दाखिले के लिए आवेदन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि बढ़ा दी है। अब 9 नवंबर 2024 तक आवेदन किया जा सकता है।

    02 नवंबर 2024
    JNVST Admission 2025: नवोदय विद्यालय समिति (एनवीएस) ने जवाहर नवोदय विद्यालय में कक्षा 9वीं और 11वीं की खाली सीटों पर दाखिले के लिए आवेदन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि बढ़ा दी है। अब 9 नवंबर 2024 तक आवेदन किया जा सकता है। पहले आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 30 अक्टूबर 2024 थी। 9वीं में दाखिले के आवेदन के लिए https://cbseitms.nic.in/2024/nvsix पर और 11वीं के लिए https://cbseitms.nic.in/2024/nvsxi_11/ पर जाना होगा।

    नवोदय विद्यालय 9वीं 11वीं में लेट्रल एंट्री दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा अगले साल 8 फरवरी को आयोजित की जाएगी। नवोदय विद्यालय में कक्षा नौवीं और ग्यारहवीं की यह लैटरल एंट्री चयन परीक्षा 2025 होगी।

    योग्यता
    नौवीं कक्षा के लिए अभ्यर्थी का जन्म 01 मई 2010 से 31 जुलाई 2012 के बीच होना चाहिए. अभ्यर्थी सत्र 2024-25 में कक्षा आठवीं में अध्ययनरत भी होना चाहिए। इसी तरह 11वीं कक्षा में प्रवेश के लिए अभ्यर्थी का जन्म 01 जून 2008 से 31 जुलाई 2010 के बीच होना चाहिए। यहां भी अभ्यर्थी सत्र 2024-25 में कक्षा 10वीं में अध्ययनरत होना चाहिए।

    नवोदय विद्यालय चयन परीक्षा पैटर्न भी घोषित हो गया है। परीक्षा की अवधि ढाई घंटे होगी। दिव्यांग (विभिन्न रूप से सक्षम) छात्रों को अतिरिक्त 50 मिनट का समय दिया जाएगा। परीक्षा में 100 वस्तुनिष्ठ प्रश्न होंगे। परीक्षा में मेंटल एबिलिटी, इंग्लिश, साइंस, सोशल साइंस और मैथमेटिक्स से प्रश्न आएंगे। सभी सेक्शन से 20-20 प्रश्न होंगे। हर सवाल एक अंक का होगा।




    आधिकारिक वेबसाइट वर्तमान में रखरखाव के अधीन होने के कारण कक्षा 9 एवं 11 में प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन हेतु NVS ने नए लिंक जारी किए


    नई दिल्ली, 17 अक्टूबर 2024 – शिक्षा मंत्रालय (स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग) के अधीनस्थ नवोदय विद्यालय समिति (NVS) ने कक्षा 9 और 11 में पार्श्व प्रवेश चयन परीक्षा 2025 (LEST) के माध्यम से प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की है। 

    नवोदय विद्यालय समिति की आधिकारिक वेबसाइट वर्तमान में रखरखाव के अधीन होने के कारण, इच्छुक उम्मीदवारों को आवेदन करने में कठिनाई हो रही थी। इसे ध्यान में रखते हुए एनवीएस ने नए लिंक जारी किए हैं, जिनके माध्यम से छात्र बिना किसी शुल्क के आवेदन कर सकते हैं।


    कक्षा 9 एवं 11 के लिए आवेदन लिंक

    🔴 कक्षा 9 LEST 2025 के लिए

    🔴 कक्षा 11 LEST 2025 के लिए 


    महत्वपूर्ण जानकारी 
    नवोदय विद्यालय समिति ने यह कदम छात्रों की सुविधा के लिए उठाया है, ताकि उन्हें आवेदन करने में कोई कठिनाई न हो। पार्श्व प्रवेश के माध्यम से कक्षा 9 और 11 में चयन परीक्षा आयोजित की जाती है, जिसका उद्देश्य मेधावी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है। 

    इस परीक्षा में सफल छात्रों को देशभर के नवोदय विद्यालयों में प्रवेश मिलेगा, जहाँ उन्हें निःशुल्क आवासीय शिक्षा की सुविधा दी जाती है। नवोदय विद्यालय समिति के स्कूलों में पढ़ाई का स्तर उच्च है और यहां प्रवेश पाना विद्यार्थियों के लिए एक स्वर्णिम अवसर माना जाता है।


    समिति का निर्देश
    समिति ने सभी उम्मीदवारों से अनुरोध किया है कि वे दिए गए लिंक का उपयोग कर समय पर अपने आवेदन जमा करें, ताकि किसी प्रकार की असुविधा से बचा जा सके। आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि और परीक्षा की तिथि जल्द ही समिति की आधिकारिक वेबसाइट पर अपडेट की जाएगी।

    अतः, इच्छुक छात्र और उनके अभिभावक तुरंत आवेदन प्रक्रिया को पूरा करने के लिए नवोदय विद्यालय समिति द्वारा जारी किए गए लिंक का उपयोग करें।




    नवोदय विद्यालय में 9वीं और 11वीं की प्रवेश के लिए आवेदन शुरू, 30 अक्तूबर आवेदन की अंतिम तिथि

    जवाहर नवोदय विद्यालय में शैक्षिक सत्र 2025-26 में नौवीं और 11वीं में प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन शुरू हो गए हैं। 30 अक्तूबर तक आवेदन की अंतिम तिथि है। प्रवेश परीक्षा आठ फरवरी 2025 में होगी। इसके लिए आवेदन लिए जा रहे हैं। इच्छुक छात्र-छात्राओं के अभिभावक एनवीएस की आधिकारिक वेबसाइट https://navodaya.gov.in पर जाकर सात अक्तूबर तक ऑनलाइन आवेदन कर फॉर्म भर सकते हैं। उन्होंने बताया कि छठवीं की प्रवेश परीक्षा के लिए सात अक्तूबर तक अंतिम तिथि तय की गई थी। 




    नवोदय में कक्षा नौ व 11 में प्रवेश के लिए पंजीकरण शुरू

    30 अक्तूबर तक होगा पंजीकरण, फरवरी 2025 में हो सकती है परीक्षा

    जवाहर नवोदय विद्यालय में कक्षा नौ और 11 में भी मेधावी अब प्रवेश ले सकेंगें। इसके लिए पंजीकरण शुरू हो गया है। पंजीकरण की प्रक्रिया 30 अक्तूबर तक चलेगी। परीक्षा फरवरी 2025 में कराई जाएगी।

    पंजीकरण के समय वैलिड फोटो आईडी, फोटोग्राफ, सिग्नेचर, अभिभावक के दस्तखत और एकेडमिक मार्कशीट आदि अपलोड करने होंगे। प्रवेश परीक्षा का पैटर्न भी जारी कर दिया गया है।

    परीक्षा की अवधि दो घंटे 30 मिनट की होगी। दिव्यांग छात्रों को अतिरिक्त 50 मिनट दिए जाएंगे। परीक्षा में 100 वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्न होंगे।

    कक्षा नौ की चयन परीक्षा में कुल 100 अंकों के लिए अंग्रेजी के 15 प्रश्न, हिंदी के 15, गणित के 35 और सामान्य विज्ञान के 35 प्रश्न हैं। जबकि कक्षा 11 की चयन परीक्षा के लिए पैटर्न में मानसिक क्षमता, अंग्रेजी, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और गणित शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक में 20 प्रश्न व 20 अंक शामिल हैं।



    जवाहर नवोदय विद्यालय में कक्षा 9वीं और 11वीं में प्रवेश प्रक्रिया शुरू, देखें जारी विज्ञप्ति 


    नवोदय विद्यालय समिति या एनवीएस ने शैक्षणिक वर्ष 2025-26 के लिए अपनी कक्षा 9वीं और 11वीं की रिक्त सीटों पर प्रवेश के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। बता दें कि 27 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों में फैले 653 कार्यात्मक जवाहर नवोदय विद्यालयों में नवोदय प्रवेश किया जाएगा ।


    जवाहर नवोदय विद्यालय प्रवेश 2025-26: आवेदन कैसे करें

    ऑनलाइन आवेदन 01.10.2024 से जमा किए जा रहे हैं। कक्षा 9वीं प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 30.10.2024 है।


    नवोदय प्रवेश 2025: चयन प्रक्रिया
    कक्षा 9वीं में प्रवेश के लिए चयन परीक्षा शनिवार को 08.02.2025 को संबंधित जिले के जवाहर नवोदय विद्यालय या एनवीएस द्वारा आवंटित केंद्र में आयोजित की जाएगी।

    चयन परीक्षा में चयन के लिए उम्मीदवार को सभी संबंधित प्रमाण पत्र जैसे- जन्म प्रमाण पत्र, अंक पत्र के साथ 8वीं कक्षा का उत्तीर्ण प्रमाण पत्र, एससी/एसटी प्रमाण पत्र(यदि कोई है) आदि जमा किया जाएगा। जन्म तिथि - 01.05.2010 से 30.07.2012 (दोनों तिथियां शामिल हैं)



    JNVST 2025 Admission: जवाहर नवोदय विद्यालय कक्षा 9 और 11 में एडमिशन के लिए cbseitms.nic.in पर रजिस्ट्रेशन शुरू, 30 अक्टूबर तक मौका


    JNVST 2025 Admission: नवोदय विद्यालय में कक्षा नौवीं और ग्यारहवीं एडमिशन लेने के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू हो गयी है। रजिस्ट्रेशन करने के लिए cbseitms.nic.in पर जाना होगा।


    JNV Class 9th and 11th admission 2025: नवोदय विद्यालय समिति (NVS) ने कक्षा नौवीं और ग्यारहवीं लेटरल एंट्री सिलेक्शन टेस्ट 2025 के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू कर दी है। इच्छुक और योग्य कैंडिडेट कक्षा नौवीं और ग्यारहवीं JNVST एडमिशन 2025 के लिए रजिस्ट्रेशन ऑफिशियल वेबसाइट cbseitms.nic.in पर जाकर कर सकते हैं। ऑफिशियल नोटिफिकेशन के अनुसार, JNVST एडमिशन 2025 के लिए रजिस्ट्रेशन करने की आखिरी तारीख 30 अक्टूबर 2024 है।


    कक्षा नौवीं और ग्यारहवीं के लिए JNVST एडमिशन 2025 के लिए सिलेक्शन टेस्ट का आयोजन 8 फरवरी 2024 को किया जाएगा। परीक्षा का समय 11 बजे से 1:30 बजे तक होगा। कक्षा नौवीं और ग्यारहवीं रजिस्ट्रेशन करते समय कैंडिडेट को कुछ जरूरी डॉक्यूमेंट जैसे वैलिड फोटो आईडी, फोटोग्राफ, सिग्नेचर, अभिभावक के सिग्नेचर और अकैडमिक मार्कशीट आदि अपलोड करने होंगे।





    JNVST कक्षा नौवीं और ग्यारहवीं परीक्षा पैटर्न-
    जेएनवीएसटी प्रवेश 2025 कक्षा 9 और 11 चयन परीक्षा के लिए परीक्षा पैटर्न जारी कर दिया गया है। एनवीएस प्रवेश परीक्षा 2025 की अवधि दो घंटे तीस मिनट की होगी, जिसमें दिव्यांग छात्रों को अतिरिक्त 50 मिनट दिए जाएंगे। परीक्षा में 100 वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्न होंगे।

    जेएनवीएसटी प्रवेश 2025 कक्षा 9 चयन परीक्षा के लिए परीक्षा पैटर्न में कुल 100 अंकों के लिए अंग्रेजी (15 प्रश्न), हिंदी (15 प्रश्न), गणित (35 प्रश्न) और सामान्य विज्ञान (35 प्रश्न) जैसे विषय शामिल हैं।

    इसी तरह, जेएनवीएसटी प्रवेश 2025 कक्षा 11 चयन परीक्षा के लिए पैटर्न में मानसिक क्षमता (मेंटल एबिलिटी), अंग्रेजी, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और गणित शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक में 20 प्रश्न और 20 अंक शामिल हैं, जिसमें कुल परीक्षा दो घंटे तीस मिनट तक चलती है।


    बिना छात्र संख्या वाले विद्यालयों की मान्यता छीनेगा यूपी बोर्ड

    बिना छात्र संख्या वाले विद्यालयों की मान्यता छीनेगा यूपी बोर्ड


    प्रयागराज : उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) ने ऐसे मान्यता प्राप्त वित्तविहीन विद्यालयों के विरुद्ध कार्रवाई की तैयारी की है, जिनमें पिछले दो वर्ष में किसी छात्र छात्रा ने प्रवेश नहीं लिया है। 


    वर्ष - 2025 की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा के लिए केंद्र निर्धारण की प्रक्रिया के बीच कई ऐसे वित्तविहीन विद्यालय सामने आए, जिनमें छात्र संख्या शून्य थी। ऐसे विद्यालयों का यूपी बोर्ड सचिव भगवती सिंह परीक्षण करा रहे हैं। अब तक सौ से अधिक ऐसे विद्यालय मिले हैं। यह - संख्या अभी और बढ़‌नी तय है। ऐसे  विद्यालयों के मान्यता प्रत्याहरण के लिए नोटिस जारी की जाएगी। 

    अब तक के परीक्षण में 100 से अधिक वित्तविहीन विद्यालय मिले जवाब के आधार पर मान्यता प्रत्याहरण की कार्यवाही की जाएगी। यूपी बोर्ड की परीक्षा के लिए केंद्र बनाने की प्रक्रिया चल रही है। 


    विद्यालयों की आधारभूत सूचनाओं का भौतिक सत्यापन यूपी बोर्ड सचिव ने तहसील स्तरीय समिति के परीक्षण के बाद अपने क्षेत्रीय कार्यालयों के अपर सचिवों, उप सचिवों एवं सहायक सचिवों के माध्यम से कराया। 


    केंद्र निर्धारण के पहले विद्यालयों में छात्र संख्या पर विशेष फोकस किया जा रहा है, ताकि केंद्र निर्धारित करते समय उस विद्यालय में उसकी धारण क्षमता से अधिक छात्र-छात्राओं का केंद्र न बन सके।

    Thursday, November 7, 2024

    यूपी बोर्ड : इंटरमीडिएट में 75 से 80 अंकों की ही होगी परीक्षा 11वीं-12वीं में भी लागू होगा आंतरिक मूल्यांकन

    यूपी बोर्ड : इंटरमीडिएट में 75 से 80 अंकों की ही होगी परीक्षा 11वीं-12वीं में भी लागू होगा आंतरिक मूल्यांकन



    प्रयागराज । यूपी बोर्ड कक्षा नौ और दस की तरह कक्षा 11 और 12 में भी आंतरिक मूल्यांकन की व्यवस्था लागू करेगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचया की परेखा ( 2023 की सिफारिशों के अनुरूप से 25 प्रतिशत का आंतरिक मूल्यांकन की अनुमति के बाद यह तय होगा कि आंतरिक मूल्यांकन 20 अंकों का हो या 25 का। बोर्ड की ओर सीमैट एलनगंज में आयोजित दो दिनी कार्यशाला के समापन पर कक्षा 11 और 12 में बदलाव पर चर्चा हुई।


    बोर्ड ने 2011-12 शैक्षणिक से ही कक्षा नौ व 10 में 30 अंकों आंतरिक मूल्यांकन लागू किया था। अगले सत्र से कक्षा 11 और उसके अगले सत्र से 12वीं में यह बदलाव करने की तैयारी है। ऐसा होने पर 2027 की इंटरमीडिएट बोर्ड परीक्षा में प्रत्येक विषय का 80 या 75 नंबर का प्रश्नपत्र होगा। इसके अलावा कक्षा 11 व 12 में भी हाईस्कूल की तरह ग्रेडिंग व्यवस्था लागू करने पर चर्चा हुई। यूपी बोर्ड वर्तमान में हाईस्कूल के परीक्षार्थियों का परिणाम (पास या फेल) देता है डिविजन नहीं।


    उसी व्यवस्था को इंटर में लागू करने पर सहमति बनी है। बोर्ड परीक्षा की उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन के लिए निर्धारित गाइडलाइन के क्रियान्वयन पर भी विमर्श हुआ। जैसे एक परीक्षक को एक दिन में इंटर की 50 कॉपियां ही दी जाएं ताकि गुणवत्तापूर्ण मूल्यांकन या जा सके। । कार्यशाला सुनिश्चित किया जा में सीबीएसई के पूर्व अध्यक्ष अशोक गांगुली, यूपी बोर्ड के पूर्व सचिव पवनेश कुमार, वर्तमान सचिव भगवती सिंह, अपर सचिव पाठ्यपुस्तक सत्येन्द्र सिंह, अपर सचिव प्रशासन सरदार सिंह आदि मौजूद रहे।

    PCS जैसी कई प्रतियोगी परीक्षाओं संग खेल में भी कस्तूरबा की छात्राओं का दमदार प्रदर्शन

    PCS जैसी कई प्रतियोगी परीक्षाओं संग खेल में भी कस्तूरबा की छात्राओं का दमदार प्रदर्शन


    लखनऊ: कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) की छात्राएं खेल के साथ प्रतियोगी परीक्षाओं में भी कमाल दिखा रही हैं। शैक्षणिक रूप से पिछड़े जिलों में इन विद्यालयों के जरिये अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग व अल्पसंख्यक श्रेणी की बालिकाओं को पढ़ाई की निश्शुल्क आवासीय सुविधा दी जा रही है। छात्राओं को पढ़ाई के साथ खेल की भी अच्छी सुविधाएं दी जा रही हैं। यह बालिकाएं खेल प्रतियोगिताओं व विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में श्रेष्ठ प्रदर्शन कर यूपी का नाम रोशन कर रही हैं।


    केजीबीवी में पढ़ रहीं छात्राओं को पढ़ाई की बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ खेलों में भी तराशा जा रहा है। अमरोहा में केजीबीवी की छात्रा रहीं निधि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की पीसीएस परीक्षा में 39वीं रैंक हासिल कर एसडीएम के पद पर चयनित हुई हैं। 


    वहीं महोबा में केजीबीवी की छात्रा रहीं निदा खातून ने नीट परीक्षा में सफलता हासिल की है। उन्नाव के केजीबीवी की छात्रा अर्चना देवी ने अंडर-19 महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व कर प्रदेश का गौरव बढ़ाया। वर्ष 2024-25 की राज्य स्तरीय खेल प्रतियोगिताओं में भी केजीबीवी की छात्राओं ने अच्छा प्रदर्शन किया है। 


    अंडर-14 फुटबाल प्रतियोगिता में उप विजेता रहीं। राष्ट्रीय फुटबाल टीम में अंडर-14 और अंडर-17 वर्ग की टीम में केजीबीवी की चार- चार बालिकाओं का चयन हुआ है। मार्शल आर्ट प्रतियोगिता में दो रजत पदक व दो कांस्य पदक, जूडो व कुश्ती प्रतियोगिता में एक-एक रजत पदक और एक कांस्य पदक जीता है। 


    थांगता मार्शल आर्ट में दो स्वर्ण पदक जीतकर केजीबीवी की बालिकाओं ने राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में अपना स्थान बनाया है। अभी तक कुल 749 केजीबीवी में से 680 केजीबीवी को इंटरमीडिएट तक उच्चीकृत किया जा चुका है।

    महाविद्यालयों के शिक्षकों की अब समर्थ पोर्टल से होगी पदोन्नति, उच्च शिक्षा निदेशालय ने विस्तृत समय-सारिणी जारी की

    महाविद्यालयों के शिक्षकों की अब समर्थ पोर्टल से होगी पदोन्नति, उच्च शिक्षा निदेशालय ने विस्तृत समय-सारिणी जारी ji

    उच्च शिक्षा निदेशक ने जारी की समय-सारिणी, आवेदन 25 से


    लखनऊ। प्रदेश में राजकीय व अनुदानित कॉलेजों के शिक्षकों की कॅरियर एडवांसमेंट स्कीम (कैस) के तहत पदोन्नति की प्रक्रिया अब समर्थ पोर्टल के माध्यम से होगी। इससे पहले महाविद्यालयों के प्राचार्य व शिक्षकों की लॉग इन आईडी तैयार कराकर उनका प्रशिक्षण कराया जाएगा। उच्च शिक्षा निदेशालय ने विस्तृत समय-सारिणी जारी कर दी है।


    शिक्षा मंत्रालय की ओर से दिल्ली विश्वविद्यालय के सहयोग से समर्थ पोर्टल का विकास किया गया है। इस पर प्रदेश के सभी राज्य विश्वविद्यालयों का डाटा अपलोड करने व आवश्यक सेवाओं को लाने की कवायद चल रही है। महाविद्यालयों के प्राचार्यों की लॉग इन आईडी आठ नवंबर तक बन जाएगी।


     10 तक शिक्षक व शिक्षणेतर कर्मचारियों का डाटा तैयार होगा। 12 से 16 नवंबर तक ऑनलाइन ट्रेनिंग, 17 को महाविद्यालय के प्राचार्य, शिक्षक व शिक्षणेतर कर्मचारियों की लॉगइन आईडी देंगे। 22 नवंबर तक पूरा डाटा पोर्टल पर होगा। उच्च शिक्षा निदेशक ने सभी क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया है कि 24 नवंबर तक विश्वविद्यालय विषय विशेषज्ञ व कुलपति के नामित का नाम अपलोड करेंगे। डाटा सत्यापन प्राचार्य करेंगे। 25 से कैस के लिए आवेदन शुरू होंगे। 


    बता दें कि प्रदेश के 176 राजकीय महाविद्यालयों में लगभग पांच हजार और 331 अनुदानित महाविद्यालयों में लगभग 10 हजार शिक्षक कार्यरत हैं। प्रोफेसर को छोड़कर अन्य शिक्षक इससे प्रभावित होंगे। लखनऊ विश्वविद्यालय सहयुक्त महाविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. मनोज पांडेय ने कहा कि यह व्यवस्था बेहतर है। 

    CBSE का डमी स्कूलों पर चला चाबुक, छीनी 21 स्कूलों की संबद्धता, छह का घटाया दर्जा

    CBSE का डमी स्कूलों पर चला चाबुक,  छीनी 21 स्कूलों की संबद्धता, छह का घटाया दर्जा


    नई दिल्ली: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने छात्रों का डमी दाखिला करने वाले स्कूलों पर कार्रवाई की है। इसके तहत 21 स्कूलों की संबद्धता छीन ली है, जिनमें 16 स्कूल दिल्ली और पांच राजस्थान के हैं। दिल्ली के छह वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों का दर्जा घटाकर माध्यमिक किया गया है। जिन स्कूलों की संबद्धता वापस ली गई है, उनमें पढ़ने वाले छात्र अपना वर्तमान सत्र पूरा कर सकेंगे। अगले सत्र से स्कूलों पर कार्रवाई लागू होगी।


    सीबीएसई के मुताबिक, कार्रवाई के दायरे में आए स्कूलों में नौवीं से 12वीं तक के विद्यार्थी बड़ी संख्या में अनुपस्थित थे। अभ्यर्थियों और अभिलेखों का रखरखाव भी ठीक नहीं था। स्कूलों की संबद्धता और परीक्षा उपनियमों के अनुसार, छात्रों की नियमित उपस्थिति के मानदंडों की जांच के लिए सितंबर में राजस्थान और दिल्ली में स्कूलों का औचक निरीक्षण किया गया था। सीबीएसई के सचिव ने बताया कि सभी 27 डमी स्कूलों को कारण बताओ नोटिस जारी - करते हुए 30 दिन में जवाब मांगा गया है।

    ऐडेड जूनियर हाइस्कूलों में सहायक अध्यापक और प्रधानाध्यापकों की भर्ती का है प्रस्ताव पर आरक्षण मसला अटका

    ऐडेड जूनियर हाइस्कूलों में सहायक अध्यापक और प्रधानाध्यापकों की भर्ती का है प्रस्ताव पर आरक्षण मसला अटका

    ■ 1894 पदों पर एडेड जूनियर हाईस्कूलों में भर्ती का मामला

    ■ शासनादेश में जिला स्तर पर आरक्षण देने का है प्रावधान

    ■ प्रबंधकों ने स्कूलस्तर पर आरक्षण का भेजा था अधियाचन


    प्रयागराज । प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों में सहायक अध्यापक और प्रधानाध्यापकों के 1894 पदों पर भर्ती का प्रस्ताव शिक्षा निदेशालय से शासन को भेज दिया गया है। हालांकि आरक्षण का मसला अब तक हल नहीं हो सका है। शासनादेश में विद्यमान व्यवस्था यानि जिलेस्तर पर आरक्षण लागू करने की बात कही गई है, जबकि प्रबंधक ने स्कूलस्तर पर आरक्षण मानते हुए पदों को भेजा है। अब यह शासन को निर्णय लेना है कि आरक्षण किस स्तर पर लागू होगा। वैसे सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में स्कूलस्तर पर ही आरक्षण का प्रावधान है।


    इस भर्ती को पूरी करने के लिए शासन ने महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा से अक्तूबर में तीन बार रिपोर्ट मांगी थी। 1894 पदों पर शिक्षक भर्ती की विज्ञप्ति 2021 में जारी हुई और लिखित परीक्षा 17 अक्तूबर 2021 को कराई गई। परीक्षा का परिणाम 15 नवंबर 2021 को घोषित हुआ। हालांकि घोषित परिणाम के खिलाफ कुछ अभ्यर्थियों ने उच्च न्यायालय में याचिकाएं कर दीं। उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप पर पुनः संशोधित परिणाम 6 सितंबर 2022 को जारी किया गया।


    फिर से कुछ अभ्यर्थियों ने संशोधित परिणाम को उच्च न्यायालय में चुनौती दी। अंततः उच्च न्यायालय ने 15 फरवरी 2024 को सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए भर्ती प्रक्रिया को पूर्ण कराने के आदेश दिए थे।

    मेधावियों की अब नहीं रुकेगी पढ़ाई, मिलेगा 10 लाख तक का लोन, प्रधानमंत्री विद्यालक्ष्मी योजना के तहत बिना किसी गारंटी और गिरवी के मिलेगा यह कर्ज

    पीएम-विद्यालक्ष्मी योजना का पोर्टल व दिशा-निर्देश दो हफ्ते में होंगे तैयार, सिर्फ दो दस्तावेज डिजिटल मोड से भरने होंगे 


    शिक्षा मंत्रालय सभी बैंकों के साथ मिलकर तैयार करेगा मसौदा, 

    नई दिल्ली। पीएम-विद्यालक्ष्मी योजना का पोर्टल और दिशा-निर्देश दो हफ्ते में तैयार हो जाएंगे। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने कैबिनेट मंजूरी मिलते ही मेधावी छात्रों के लिए पीएम-विद्यालक्ष्मी योजना का मसौदा बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पहले सभी बैंकों के साथ मिलकर दिशानिर्देश तैयार किए जाएंगे। सारा काम डिजिटल होगा। पीएम-विद्यालक्ष्मी योजना के लिए अलग से पोर्टल बनाया जाएगा।


    इसी पोर्टल के जरिये छात्र को ऑनलाइन आवेदन, सभी दस्तावेजों की जांच से लेकर ऑनलाइन ही उसके खाते में पैसे हस्तांतरित होंगे। उच्च शिक्षण संस्थान भी ऑनलाइन ही छात्र का सत्यापन करेंगे। छात्रों को योजना का लाभ लेने के लिए सिर्फ दो ही दस्तावेज भरने होंगे। इससे आवेदन में तेजी और समय की बचत होगी।


    योजना में सभी आईआईटी, आईआईएम, एनआईटी, आईआई 3 ईटी, एम्स समेत सरकार के डीम्ड या फंड लेने वाले संस्थान भी शामिल हैं। साथ ही शीर्ष 200 एनआईआरएफ में शामिल राज्यों के उच्च शिक्षण संस्थान भी जुड़ेंगे।


    यह योजना शिक्षा को सुलभ बनाने की दिशा में बड़ा कदम : मोदी
    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पोएम-विद्यालक्ष्मी योजना को शिक्षा को और अधिक सुलभ बनाने की दिशा में बड़ा कदम करार दिया। उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि कैचिनेट ने गुणवत्तापूर्ण शिक्ष प्रदान कर युवाओं का सामर्थन करने के लिए पोएम- विद्यालक्ष्मी योजना को मंजूरी दी है। यह युवा शक्ति को सशक्त बनाने और हमारे राष्ट्र के लिए उज्ज्वल भविष्य के निर्माण की दिशा में एक अहम कदम है।


    पीएम मोदी ने सुनिश्चित किया, कोई छात्र शिक्षा से वंचित न रहे शाह.
    केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि पीएम-विद्यालक्ष्मी योजना को मंजूरी दिए जाने से युवाओं की सफलता की राह में आने वाली एक बड़ी बाधा दूर हो गई है। गारंटी मुक्त और जमानत मुक्त शिक्षा ऋण योजना की कल्पत कर पीएम मोदी ने यह सुनिश्चित किया है कि कोई भी छात्र अपनी अर्थिक स्थिति के कारण अपनी शिक्षा से वंचित न रहे।



    मेधावियों की अब नहीं रुकेगी पढ़ाई, मिलेगा 10 लाख तक का लोन, प्रधानमंत्री विद्यालक्ष्मी योजना के तहत बिना किसी गारंटी और गिरवी के मिलेगा यह कर्ज

    देश के शीर्ष 850 उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले 22 लाख छात्र ले सकेंगे इसका लाभ

    8 लाख तक सालाना पारिवारिक आय वाले एक लाख छात्रों को तीन प्रतिशत की सब्सिडी भी मिलेगी

    7 लाख से अधिक के शिक्षा ऋण पर अभी तक देनी होती थी गारंटी और गिरवी


    नई दिल्ली: पैसों की कमी के चलते देश के होनहार छात्रों की पढ़ाई अब रुकने नहीं पाएगी। उन्हें उच्च शिक्षा के लिए अब 10 लाख रुपये तक का ऋण बगैर किसी गारंटी और गिरवी के ही मिलेगा। इसका लाभ देश के शीर्ष 850 उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले 22 लाख से अधिक छात्र ले सकेंगे। वहीं आठ लाख तक की सालाना आय वाले परिवारों के एक लाख छात्रों के लिए सस्ते ऋण की भी व्यवस्था की गई है। उन्हें उच्च शिक्षा के लिए 10 लाख के ऋण पर तीन प्रतिशत की सब्सिडी दी जाएगी।


    पीएम मोदी की अध्यक्षता में - बुधवार को कैबिनेट की बैठक में पीएम विद्यालक्ष्मी योजना को विस्तार दिया गया है। सूचना व प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि उच्च शिक्षा की राह में अब पैसे की कमी आड़े नहीं आएगी। छात्रों को बैंक आसानी से ऋण मुहैया कराएंगे। इसकी अदायगी भी बहुत आसान तरीके से की जाएगी। इसका लाभ उन्हीं संस्थानों में पढ़ने वाले छात्रों को मिलेगा, जो नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क यानी एनआइआरएफ की ओवरआल श्रेणी में शीर्ष सौ संस्थानों में शामिल होंगे। या फिर केंद्र और राज्य सरकारों की फंडिंग से चलने वाले ऐसे उच्च शिक्षण संस्थान होंगे, जो एनआइआरएफ रैंकिंग में शीर्ष 101 से 200 में होंगे। मौजूदा समय में इस रैंकिंग फ्रेमवर्क में देश के करीब 850 उच्च शिक्षण संस्थान आते हैं।


    शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि इस योजना पर अगले सात वर्षों में यानी 2024-25 से 2030-31 के बीच कुल 36 सौ करोड़ रुपये खर्च होंगे। साथ ही इन सात सालों में सात लाख नए छात्रों को ऋण में सब्सिडी का भी लाभ मिलेगा। पैसों की कमी के चलते या फिर ऋण के लिए गारंटी जैसे नियमों के चलते बड़ी संख्या में छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए ऋण नहीं मिल पाता था । इस योजना से अब सभी को राहत मिलेगी। इस स्कीम के तहत साढ़े सात लाख रुपये तक के ऋण पर 75 प्रतिशत तक की क्रेडिट गांरटी शिक्षा मंत्रालय की ओर से दी जाएगी। अभी तक उच्च शिक्षा के लिए सात लाख से अधिक के ऋण पर गारंटी और गिरवी दोनों देनी होती है।


    मदरसों के 37000 विद्यार्थियों के भविष्य पर अनिश्चितता के बादल, सुप्रीम कोर्ट कामिल व फाजिल की डिग्रियों को बता चुका है असांविधानिक

    मदरसों के 37000 विद्यार्थियों के भविष्य पर अनिश्चितता के बादलसुप्रीम कोर्ट कामिल व फाजिल की डिग्रियों को बता चुका है असांविधानिक


    लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट से मदरसा शिक्षा परिषद की कामिल (स्नातक) और फाजिल (परास्नातक) की डिग्री असांविधानिक घोषित होने के बाद मदरसों के करीब 37000 विद्यार्थियों के भविष्य पर अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं। इनका प्रवेश निरस्त होगा या फिर पढ़ाई जारी रहेगी, इसका जवाब फिलहाल किसी के पास नही है।


    उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद से करीब 16460 मदरसे मान्यता प्राप्त हैं। इनमें 560 मदरसे सरकार से आर्थिक सहायता प्राप्त हैं। इनमें मुंशी मौलवी हाई स्कूल समकक्ष, आलिम इंटर समकक्ष, कामिल स्नातक और फाजिल परास्नातक के समकक्ष पढ़ाई होती है। कामिल और फाजिल को यूजीसी से मान्यता नही है लेकिन मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त मदरसों में शिक्षक की नियुक्ति के लिये दोनों डिग्रियों को मान्यता दी जाती है।


     मौजूदा समय में कामिल में प्रथम, द्वितीय और तृतीय वर्ष में करीब 28000 छात्र-छात्राएं और फाजिल के प्रथम व द्वितीय वर्ष में 9000 विद्यार्थी हैं। बोर्ड के रजिस्ट्रार आरपी सिंह का कहना है कि शासन से निर्देश के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।



    सुप्रीम कोर्ट के फैसले से संबंधित प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। इसके अलावा न्याय विभाग से भी सलाह ली जाएगी। - जे रीभा, निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण


    भाषा विश्वविद्यालय से संबद्धता का शासन में लटका मामला : मदरसा बोर्ड की कामिल और फाजिल की डिग्री को ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विवि से संबद्धता कराने का मामला शासन में करीब बाई से लटका हुआ है। यह मामला 19 फरवरी 2022 में उच्च शिक्षा अनुभाग-1 के संयुक्त सचिव को भेजा गया था।

    उत्‍तर प्रदेश के एडेड माध्यमिक विद्यालयों में नियुक्त लगभग 1200 तदर्थ शिक्षकों के नियमितीकरण का रास्ता साफ, देखें आदेश

    उत्‍तर प्रदेश के एडेड माध्यमिक विद्यालयों में नियुक्त लगभग 1200 तदर्थ शिक्षकों के नियमितीकरण का रास्ता साफ

    यूपी के इन स्‍कूलों में 1200 एडहॉक शिक्षकों के परमानेंट होने का रास्‍ता साफ, पुरानी पेंशन-GPF भी


    इस आदेश से 30 दिसंबर 2000 से पहले नियुक्त तदर्थ शिक्षकों की पुरानी पेंशन और लगभग 25-30 वर्षों से जमा GPF भी लैप्स होने से बच जाएगा। 2000 तक चयनित तदर्थ शिक्षकों को लम्बे संघर्ष के बाद विनियमित करने के लिए मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक को तय समय के अंदर निर्णय लेने का पत्र जारी हो गया है।


    Regulation of ad-hoc teachers: उत्‍तर प्रदेश के सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में 30 दिसंबर 2000 से पूर्व नियुक्त लगभग 1200 तदर्थ शिक्षकों के नियमितीकरण का रास्ता साफ हो गया है। शिक्षा निदेशालय में उप शिक्षा निदेशक (माध्यमिक-3) रामचेत की ओर से चार नवंबर को सभी मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों को इस संबंध में आदेश जारी हुए हैं। इस आदेश से 30 दिसम्‍बर 2000 से पहले नियुक्त किए गए शिक्षकों की पुरानी पेंशन और 25-30 सालों से जमा उनका जीपीएफ भी लैप्‍स होने से बच जाएगा।


    संजय सिंह के मामले में सरकार की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल शपथपत्र में 30 दिसंबर 2000 तक सभी तदर्थ शिक्षक को विनियमित करने की बात कही गई थी लेकिन 2016 के विनियमितीकरण आदेश की अनदेखी करते हुए अधिकारियों ने नौ नवंबर 2023 को इनकी सेवा समाप्ति का आदेश जारी कर दिया था। उसके खिलाफ विनोद श्रीवास्तव और राघवेंद्र पांडेय की याचिका में हाईकोर्ट ने नौ नवंबर 2023 के आदेश को अवैध मानते हुए सात फरवरी को निरस्त कर दिया था। साथ ही 20 दिसंबर 2000 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को सेवा में मानते हुए वेतन और एरियर के साथ बहाल करने का निर्णय दिया था। मुख्यमंत्री के संज्ञान में मामला आने पर लगभग 1200 शिक्षकों को विनियमित करने का आदेश जारी हो गया।


    पुरानी पेंशन, जीपीएफ भी बच जाएगा
    विनियमितीकरण के आदेश से 30 दिसंबर 2000 से पूर्व नियुक्त तदर्थ शिक्षकों की पुरानी पेंशन और लगभग 25-30 वर्षों से जमा जीपीएफ भी लैप्स होने से बच जाएगा। संजय सिंह मामले में 2000 तक चयनित तदर्थ शिक्षकों को लम्बे संघर्ष के बाद विनियमित करने के लिए मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक को तय समय के अंदर निर्णय लेने का पत्र जारी हो गया है।







    Wednesday, November 6, 2024

    NOC की शर्त अब भी ऐडेड डिग्री शिक्षकों के तबादले की बड़ी बाधा

    NOC की शर्त अब भी ऐडेड डिग्री शिक्षकों के तबादले की बड़ी बाधा


    नई नियमावली लागू होने के बाद इंतजार कर रहे एडेड डिग्री कॉलेजों के सभी इच्छुक शिक्षक अब ट्रांसफर के लिए पात्र हो जाएंगे। वजह यह है कि तीन साल से कोई भर्ती नहीं हुई है। ऐसे में लगभग सभी शिक्षक तीन साल की सेवा पूरी कर चुके हैं। नई नियमावली के अनुसार तीन साल पूरा कर चुके शिक्षक ट्रांसफर के लिए पात्र होंगे। हालांकि, प्रबंधतंत्र से अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) की अनिवार्यता ट्रांसफर की एक बड़ी बाधा है। शिक्षक संगठनों का कहना है कि इसे समाप्त करवाने की मुहिम जल्द तेज की जाएगी।


    शिक्षक सरकार के सेवा अवधि शर्त घटाने के फैसले से खुश हैं, लेकिन उनका कहना है कि प्रबंधतंत्रों से NOC की बाध्याता समाप्त कर देनी चाहिए। अभी जो नियम है उसके अनुसार जिस कॉलेज में शिक्षक को जाना है, वहां पद खाली होना चाहिए। साथ ही जिस कॉलेज से जाना है और जहां जाना है, दोनों के प्रबंधतंत्र से NOC लेना जरूरी है। यह NOC लेना ही सबसे मुश्किल काम है। लुआक्टा के अध्यक्ष डॉ. मनोज पांडेय कहते हैं कि संगठन लगातार यह मांग कर रहा है कि NOC की बाध्यता समाप्त की जाए। तबादले भी ऑनलाइन किए जाएं।


    रोस्टर के अनुसार तबादले
    तीन साल पहले सरकार ने रोस्टर सिस्टम भी लागू कर दिया है। लुआक्टा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. मौलीन्दु बताते हैं कि तबादलों के लिए जरूरी शर्त यह है कि जिस कॉलेज से जाना है और जहां जाना है, दोनों में एक ही कैटेगरी का पद खाली होना चाहिए। अगर दोनों जगह सामान्य का है या फिर दोनों जगह एससी या फिर दोनों जगह ओबीसी का पद खाली है, तभी तबादला होगा। दूसरी कैटेगरी का पद खाली होने पर तबादला नहीं हो सकता। डॉ. मौलीन्दु कहते हैं कि यह अच्छा हुआ कि तबादलों का रास्ता खुल गया। शिक्षक तबादले के लिए आवेदन कभी भी कर सकते हैं। तबादला जून में किया जाएगा।


    दो साल से ट्रांसफर नहीं
    शिक्षक इस बात से खुश हैं कि अब तबादले हो सकेंगे। दो साल से शिक्षकों के तबादले ही नहीं हुए थे। वजह यह है कि पहले उच्च और माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड और उच्च शिक्षा सेवा चयन आयोग अलग-अलग थे। वहीं, बेसिक शिक्षकों का तबादला बेसिक शिक्षा परिषद से होता है। तीनों को मिलाकर एक आयोग बन जाने से डिग्री कॉलेजों के तबादले बंद थे, क्योंकि उच्च शिक्षा सेवा चयन आयोग भंग हो गया था और नया आयोग बना नहीं था।


    ऐसे कम होती गई अवधि
    प्रदेश में 331 एडेड डिग्री कॉलेज हैं। इनमें कुल लगभग 10,500 शिक्षक हैं। तबादला नीति 2005 के अनुसार पहले यह शर्त थी कि 10 साल की सेवा पूरी करने के बाद ही शिक्षक का तबादला हो सकता है। इसके बाद 2012 में संशोधन हुआ और अधिकतम सेवा की शर्त पांच साल कर दी गई और मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में सेवा शर्त घटाकर तीन साल कर दी गई है।



    सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के शिक्षकों को अब तीन साल में ही तबादले का मौका, कैबिनेट ने नियमावली 2024 को दी मंजूरी, शिक्षक पूरे सेवा काल में एक बार ले सकेंगे लाभ


    लखनऊ। प्रदेश सरकार ने सहायता प्राप्त (एडेड) डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों को बड़ी राहत दी है। प्रदेश के 331 एडेड कॉलेजों में कार्यरत शिक्षकों को पांच साल की न्यूनतम सेवा की जगह सिर्फ 3 साल की सेवा के बाद तबादले का अवसर मिलेगा। इसके लिए कैबिनेट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश सहायता प्राप्त महाविद्यालय अध्यापक स्थानांतरण नियमावली 2024 को मंजूरी दी है। प्रदेश में कार्यरत 10 हजार शिक्षक लंबे समय से तबादला नीति में संशोधन की मांग कर रहे थे। उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने बताया कि नई उच्चतर सेवा नियमावली 2024 के अनुसार प्रदेश के सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों के स्थायी शिक्षक अब केवल तीन साल की सेवा के बाद अपने तबादले का आवेदन कर सकेंगे। नई नियमावली में यह प्रावधान किया गया है कि शिक्षक अपने पूरे सेवाकाल में सिर्फ एक बार तबादले के हकदार होंगे।

    उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग अधिनियम-2023 को हाल ही में लागू किया है। इस अधिनियम के तहत उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग अधिनियम 1980 को निरस्त कर दिया गया है। इससे 1980 के अधिनियम के तहत जारी तबादले के नियम स्वतः समाप्त हो गए हैं। इसके बाद 2005 में जारी नियमावली भी निरस्त कर दी गई है। अब नई नियमावली प्रभावी होगी। इसके तहत शिक्षक अपने कॉलेज के प्रबंधतंत्र और विश्वविद्यालय के अनुमोदन के साथ तबादले का आवेदन कर सकेंगे। इसे निदेशक उच्च शिक्षा को देना होगा।


    अभी 5 साल में मिलता था मौका... नए नियम से घर से दूर सेवा दे रहे शिक्षकों को राहत

     नई नियमावली से शिक्षकों को उनके घर के पास क्षेत्रों में तबादले का विकल्प मिलेगा। इससे शिक्षण कार्य में अधिक समर्पण और प्रतिबद्धता आएगी। इस निर्णय से घर से दूर सेवा दे रही महिला व अन्य शिक्षकों को काफी राहत मिलेगी।



    बीएसए व बीईओ कार्यालय में आरटीई अंतर्गत प्रवेश में मदद के लिए बनेगीं बनेगी हेल्पडेस्क

    बीएसए व बीईओ कार्यालय में आरटीई अंतर्गत प्रवेश में मदद के लिए बनेगीं बनेगी हेल्पडेस्क


    निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम (आरटीई) का इस बार व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाएगा। बस व रेलवे स्टेशन सहित सार्वजनिक स्थानों पर होर्डिंग लगवाए जाएंगे। पंफलेट बांटकर जानकारी दी जाएगी।


    RTE के तहत मुफ्त दाखिले की सभी सीटें भरने को पांच गुणा आवेदन पर जोर

    5.45 लाख सीटों के मुकाबले 3.36 लाख आए थे फार्म

    अगले सत्र में प्रवेश के लिए दिसंबर से शुरू होगी प्रक्रिया


    लखनऊ : शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत निजी स्कूलों में गरीब परिवारों के बच्चों के लिए निर्धारित सभी सीटों को भरने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे में सीटों के मुकाबले पांच गुणा अधिक आवेदन फार्म भरवाए जाने के निर्देश दिए गए हैं। अभी 5.45 लाख सीटों के मुकाबले 3.36 लाख बच्चों के ही आवेदन आए थे और 1.02 लाख सीटों पर प्रवेश हो सके थे। ऐसे में अब अगले सत्र 2025-26 में प्रवेश के लिए अधिक से अधिक आवेदन हो सकें, इसके लिए दिसंबर से ही प्रक्रिया शुरू की जा रही है।


    स्कूल शिक्षा महानिदेशालय की ओर से सभी जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों (बीएसए) को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने जिलों में आरटीई के लिए उपलब्ध सीटों के मुकाबले कम से कम पांच गुणा आवेदन फार्म भरवाएं। इसके लिए रेल और बस स्टेशनों सहित विभिन्न सार्वजनिक स्थलों पर होर्डिंग व पोस्टर इत्यादि लगाए जाएंगे। 


    गरीब परिवारों के बच्चों को मुफ्त दाखिला दिलाने के लिए उनके अभिभावकों को आनलाइन आवेदन फार्म भरवाने में भी मदद की जाएगी। सभी खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) व बीएसए कार्यालय में इसके लिए हेल्प डेस्क बनाई जाएगी।


     ऐसे अभिभावक जिन्हें फार्म भरने में कठिनाई होगी उन्हें यहां फार्म भरवाया जाएगा। प्रदेश के 58 हजार निजी स्कूलों की मैपिंग की जा चुकी है। सभी विद्यालयों का ब्योरा आरटीई पोर्टल पर उपलब्ध कराया जा रहा है। स्कूलवार सीटों का विवरण उस पर अपलोड किया जा रहा है।

    Supreme Court Decision On Madarsa Act यूपी के मदरसा ऐक्‍ट को सुप्रीम कोर्ट ने दी मान्‍यता, हाईकोर्ट के फैसले को किया खारिज, 17 लाख छात्रों को मिली बड़ी राहत

    उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड एक्ट वैध, लेकिन कामिल और फाजिल डिग्री असंवैधानिक

    सुप्रीम कोर्ट ने एक्ट को असंवैधानिक बताने वाला हाई कोर्ट का फैसला किया खारिज

    • मदरसों में पढ़ने वाले लाखों बच्चों को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से राहत
    • कहा- राज्य की विधायिका को ऐसा कानून बनाने का है अधिकार 
    • हाई कोर्ट ने बताया था पंथनिपेक्षता के सिद्धांत व समानता के विरुद्ध स्नातक के समकक्ष था कामिल और पीजी के बराबर फाजिल
    • वर्ष 2004 में तत्कालीन मुलायम सरकार ने पारित किया था कानून


    नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश में मदरसों में पढ़ने वाले लाखों बच्चों के लिए राहत की खबर आई है। सुप्रीम कोर्ट ने उप्र मदरसा एजुकेशन बोर्ड एक्ट, 2004 को संवैधानिक ठहराया है, लेकिन मदरसों से कामिल-फाजिल की डिग्री को यूजीसी एक्ट के विरुद्ध बताते हुए असंवैधानिक करार दिया है। कामिल-फाजिल क्रमशः स्नातक और परास्नातक के समकक्ष होते हैं।


    सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट का 22 मार्च, 2024 का फैसला खारिज कर दिया है जिसमें हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश मदरसा एजुकेशन बोर्ड एक्ट, 2004 को असंवैधानिक ठहराया था। हाई कोर्ट ने कहा था कि यह कानून पंथनिपेक्षता के सिद्धांत और समानता व शिक्षा के अधिकार के विरुद्ध है। हाई कोर्ट ने मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को नियमित स्कूल में स्थानांतरित करने का भी आदेश दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर शुरुआती सुनवाई में ही हाई कोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी जिससे मदरसों में पढ़ाई जारी थी। 2004 में मुलायम सिंह यादव सरकार ने मदरसा एजुकेशन बोर्ड एक्ट पारित किया था।


    मदरसा शिक्षा पर यह अहम फैसला प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पार्टीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने सुनाया। कोर्ट ने कहा कि मदरसा एक्ट बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त मदरसों में मिलने वाली शिक्षा के स्तर को रेगुलेट करता है। मदरसा कानून मान्यता प्राप्त मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए एक स्तरीय शिक्षा सुनिश्चित करने के प्रदेश सरकार के दायित्व से मेल खाता है ताकि वे बच्चे समाज में प्रभावी ढंग से भाग ले सकें और अपनी रोजी रोटी कमा सकें। 


    कोर्ट ने कहा कि शिक्षा के अधिकार कानून और यह अधिकार देने वाले संविधान के अनुच्छेद 21-ए को धार्मिक व भाषाई अल्पसंख्यकों के अधिकारों के साथ मिलाकर पढ़ा जाना चाहिए जिनमें उन्हें अपनी पसंद के शिक्षण संस्थान स्थापित करने और उनका प्रशासन करने का अधिकार प्राप्त है। बोर्ड राज्य सरकार की मंजूरी से धार्मिक अल्पसंख्यक संस्थानों का अल्पसंख्यक चरित्र नष्ट किए बगैर वहां जरूरी स्तर की पंथनिरपेक्ष शिक्षा दिए जाने के लिए नियम बना सकता है। 


    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य की विधायिका ऐसा कानून बनाने में सक्षम है और उसे संविधान की तीसरी सूची की 25वीं प्रविष्टि में ऐसा करने का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले में दी गई इस बात को खारिज कर दिया कि पूरा मदरसा एक्ट पंथनिरपेक्षता के सिद्धांत के विरुद्ध है। 


    शीर्ष अदालत ने कहा कि मदरसा एक्ट के सिर्फ वही प्रविधान गलत हैं जो उच्च शिक्षा जैसे फाजिल और कामिल से संबंधित हैं और इन प्रविधानों को मदरसा एक्ट के बाकी प्रविधानों से अलग किया जा सकता है। यूजीसी एक्ट उच्च शिक्षा के मानकों को नियंत्रित करता है और राज्य का कोई कानून यूजीसी एक्ट के प्रविधानों का उल्लंघन करते हुए उच्च शिक्षा को रेगुलेट नहीं कर सकता। 



    Supreme Court Decision On Madarsa Act
     यूपी के मदरसा ऐक्‍ट को सुप्रीम कोर्ट ने दी मान्‍यता, हाईकोर्ट के फैसले को किया खारिज, 17 लाख छात्रों को मिली बड़ी राहत


    यूपी सरकार ने उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम-2004 लागू किया था। इस साल मार्च में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस एक्‍ट को असंवैधानिक करार दिया था। हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। शीर्ष अदालत के फैसले से 17 लाख मदरसा छात्रों को बड़ी राहत मिल गई है।


    🔴 यूपी के मदरसा ऐक्‍ट को सुप्रीम कोर्ट ने मान्‍यता दे दी है
    🔴 इलाहाबाद हाई कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया था
    🔴 सुप्रीम कोर्ट के फैसले से 17 लाख मदरसा छात्रों को राहत


    लखनऊ: यूपी के मदरसों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। शीर्ष अदालत ने मंगलवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला खारिज करते हुए मदरसों को संवैधानिक मान्‍यता प्रदान कर दी है। हाई कोर्ट ने मदरसों पर 2004 में बने यूपी सरकार के कानून को असंवैधानिक करार दिया था। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने यह फैसला सुनाया है।


    अंजुम कादरी की मुख्य याचिका सहित आठ याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला गत 22 अक्टूबर को सुरक्षित रख लिया था। हाई कोर्ट ने इस साल 22 मार्च को ‘उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम-2004’ को धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन करने वाला बताते हुए उसे 'असंवैधानिक' करार दिया था।


    हाई कोर्ट ने यूपी सरकार को दिया था ये आदेश
    हाई कोर्ट ने यूपी सरकार को राज्य के अलग-अलग मदरसों में पढ़ रहे छात्र-छात्राओं को औपचारिक शिक्षा प्रणाली में शामिल करने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने ‘उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम-2004’ को रद्द करने के हाई कोर्ट के आदेश पर पांच अप्रैल को अंतरिम रोक लगाकर करीब 17 लाख मदरसा छात्रों को राहत दी थी।


    यूपी में 25 हजार से मदरसे चल रहे
    उत्‍तर प्रदेश में करीब 25 हजार मदरसे चल रहे हैं। इनमें से लगभग 16,500 मदरसों ने राज्य मदरसा शिक्षा परिषद से मान्यता ली हुई है। इनमें से 560 मदरसों को सरकारी अनुदान मिलता है। वहीं, करीब 8500 मदरसे गैर मान्यता प्राप्त हैं।



    यूपी के 17 लाख छात्रों को राहत मिली

    लखनऊ । उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2004 पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से यूपी के 17 लाख छात्रों को राहत मिली है। मदरसा संचालक, उलेमा और मदरसा शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर खुशी जाहिर की। मदरसों में मिठाइयां भी बांटी गई।

    हाईकोर्ट के 22 मार्च 2024 को यूपी मदरसा ऐक्ट को अंसवैधानिक करार दिए जाने के बाद से 16 हजार से अधिक मदरसों में पढ़ने वाले 17 लाख बच्चों का भविष्य दांव पर था। यूपी शासन की ओर से पत्र जारी कर मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों को सरकारी विद्यालयों में प्रवेश कराने की तैयारी की जा रही थी। यदि सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट के निर्णय को बरकरार रखता तो मदरसा शिक्षा पूरी तरह खत्म हो जाती। शीर्ष कोर्ट के यूपी मदरसा ऐक्ट की संवैधानिकता बरकरार रखने के आदेश ने 17 लाख बच्चों को सीधे तौर पर राहत दी है। वहीं, अनुदानित मदरसों के 8558 शिक्षको एवं अन्य स्टाफ को राहत मिली है। मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा, कामिल और फाजिल की डिग्री के विषय पर हम वकीलों के साथ मंथन करेंगे और उसके बाद कोई निर्णय लेंगे।


    2004 में अस्तित्व में आया यूपी मदरसा ऐक्ट

    यूपी में 2004 में मुलायम सिंह की सरकार के दौरान अहम शिक्षा संबंधी कानून पारित किया गया। इसके तहत यूपी मदरसा शिक्षा बोर्ड की स्थापना की गई। इसका मकसद मदरसा शिक्षा को सुव्यवस्थित करना था। इसमें अरबी, उर्दू, फारसी, इस्लामिक स्टडीज, जैसी शिक्षा की व्यवस्था दी गई। इसका पहला मकसद मदरसों में एक संरचित और सुसंगत पाठ्यक्रम सुनिश्चित करना है।

    क्या है मामला?


    हाईकोर्ट ने यूपी मदरसा बोर्ड को असंवैधानिक बताया

    2023 में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के वकील अंशुमान सिंह राठौर ने मदरसा बोर्ड के खिलाफ रिट दायर की। मार्च 2024 में हाईकोर्ट ने मदरसा बोर्ड को असंवैधानिक बताते हुए मदरसे के बच्चों का प्रवेश सामान्य स्कूलों में कराने का आदेश दिए।


    क्या थी आपत्ति?

    रिट में कहा गया कि मदरसा बोर्ड सेक्युलर नहीं है, सभी पदाधिकारी और सदस्य मुस्लिम होते हैं। इसके साथ ही मदरसा बोर्ड जो कामिल और फाजिल की डिग्री देता है, यह यूजीसी के मानकों का उल्लंघन है।


    मदरसों की दो श्रेणियां

    देश में मदरसों की दो श्रेणियां हैं। पहला मदरसा दरसे निजामी। यह लोगों के चंदे से चलते हैं। यह स्कूली शिक्षा पाठ्यक्रम से नहीं चलते। दूसरा मदरसा दरसे आलिया है। यह राज्य के मदरसा शिक्षा बोर्ड से मान्यता प्राप्त होते हैं।


    ■ मदारिसे अरबिया और अन्य ने उच्चतम न्यायालय में दी चुनौती
    ■ आदेश को टीचर्स एसोसिएशन मदारिसे अरबिया ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। शीर्ष कोर्ट ने रोक लगाई
    ■ पांच नवंबर को मदरसा ऐक्ट को संवैधानिक करार देने का आदेश दिया। पांच अप्रैल को हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगी 
    ■ पांच नवंबर को मदरसा ऐक्ट को संवैधानिक करार देने का आदेश दिया गया


    उप्र सरकार की दलील

    उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि वह हाई कोर्ट के आदेश को स्वीकार करती है और उसने फैसले को लागू करने के लिए कदम उठाए हैं, हालांकि सुप्रीम कोर्ट जो फैसला देगा उसका पालन होगा। सरकार ने कहा था कि एक्ट के कुछ प्रविधान असंवैधानिक हो सकते हैं। उन्हें रद किया जा सकता है, लेकिन हाई कोर्ट का पूरे मदरसा एक्ट को रद करना ठीक नहीं था।

    उप्र मदरसा बोर्ड के कोर्स

    • तहतानिया (पांचवीं) 
    • फौकानिया (आठवीं) 
    • मुंशी-मौलवी (दसवीं) 
    • आलिम (बारहवीं)
    • कामिल (स्नातक)
    • फाजिल (परास्नातक)