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Tuesday, August 22, 2119

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    Friday, December 1, 2023

    अटेवा की मांग, न्यू पेंशन स्कीम घोटाले की जांच हो

    अटेवा की मांग, न्यू पेंशन स्कीम घोटाले की जांच हो


    लखनऊ। अटेवा-पेंशन बचाओ मंच की ओर से न्यू पेंशन स्कीम की जांच कराने और पुरानी पेंशन बहाली की मांग प्रदेश सरकार से की गई है।


    मंच के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने कहा कि न्यू पेंशन स्कीम के पैसों को मनमाने ढंग से निजी कंपनियों में लगाने की उच्चस्तरीय जांच कराने और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग को लेकर सीएम, वित्त मंत्री और मुख्य सचिव को पत्र भेजा है। इसमें न्यू पेंशन स्कीम में बड़े घोटाले की आंशका अटेवा ने जताई है। साथ ही मांग की है कि न्यू पेंशन स्कीम को समाप्त कर पुरानी पेंशन बहाल करें।


    अटेवा के प्रदेश महामंत्री डॉ. नीरजपति त्रिपाठी और प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि पुरानी पेंशन शिक्षकों व कर्मचारियों के बुढ़ापे की लाठी है। इसलिए पुरानी पेंशन बहाल करनी चाहिए।

    निजी संस्थानों में एससी-एसटी छात्रों को जीरो फीस पर दाखिले अगले साल से, सरकार गंभीरता से कर रही विचार

    निजी संस्थानों में एससी-एसटी छात्रों को जीरो फीस पर दाखिले अगले साल से, सरकार गंभीरता से कर रही विचार 


    लखनऊ : प्रदेश के उच्च शिक्षण संस्थानों में अनुसूचित जाति/जनजाति के छात्र-छात्राओं के दाखिले जीरो फीस पर दाखिले की व्यवस्था अगले साल निजी शिक्षण संस्थानों में भी लागू हो सकती है। सरकार इस पर गंभीरता से विचार कर रही है। अगले साल निजी शिक्षण संस्थानों में भी इस व्यवस्था को लागू करने के बारे में तय किया जाएगा। मंत्री के इस जवाब से असंतुष्ट होकर सपा सदस्यों ने प्रदेश सरकार पर दलित विरोधी होने के आरोप लगाते हुए सदन से बर्हिगमन किया। सपा सदस्यों का कहना था कि जीरो फीस पर दाखिला नहीं हो पा रहा है।


    अयोध्या की सोहावल विधान सभा सीट से सपा के वरिष्ठ विधायक अवधेश प्रसाद, लालजी वर्मा और डा.रागिनी सोनकर ने मुद्दा उठाते हुए कहा कि प्रदेश में अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्र-छात्राएं उच्च शिक्षा से वंचित हो रहे हैं क्योंकि उन्हें जीरो फीस पर दाखिल नहीं मिल पा रहे हैं।


    चर्चा का जवाब देते हुए समाज कल्याण राज्य मंत्री असीम अरुण ने कहा कि पहले जीरो फीस पर दाखिले होते थे, छात्रवृत्ति और फीस प्रतिपूर्ति से फीस की भरपाई होती थी मगर बाद में यह व्यवस्था बंद कर दी गयी। इसके बाद केन्द्र सरकार ने एक नयी व्यवस्था फ्रीशिप कार्ड की शुरू की। इसके तहत जो छात्र-छात्राएं जीरो फीस पर दाखिला चाहते हैं वह समाज कल्याण के पोर्टल पर विवरण दर्ज करवाएंगे, उसके बाद उन्हें फ्रीशिप कार्ड मिलेगा।

    राज्य अध्यापक पुरस्कार के आवेदन 01 से 15 दिसंबर तक करें, माध्यमिक स्कूलों के शिक्षकों से मांगे आवेदन

    राज्य अध्यापक पुरस्कार के आवेदन 01 से 15 दिसंबर तक करें


    ● माध्यमिक स्कूलों के शिक्षकों से मांगे आवेदन

    ● शिक्षक ऑनलाइन कर सकते हैं आवेदन


    लखनऊ : शासन ने माध्यमिक स्कूलों के शिक्षकों से राज्य अध्यापक पुरस्कार और मुख्यमंत्री अध्यापक पुरस्कार के लिए आवेदन मांगे हैं। इन स्कूलों के प्रधानाचार्य, प्रधानाध्यापक और शिक्षकों को एक दिसम्बर से 15 दिसम्बर बीच ऑनलाइन आवेदन करना है।


    school.upmsp.edu.in पर आवेदन करने हैं। डीआईओएस राकेश कुमार ने बताया कि राजकीय व अशासकीय सहायता प्राप्त एवं संस्कृत माध्यमिक स्कूलों के शिक्षक राज्य अध्यापक पुरस्कार और स्ववित्त पोषित स्कूलों के शिक्षक मुख्यमंत्री अध्यापक पुरस्कार के लिए आवेदन कर सकते हैं। जिला स्तरीय समिति को आवेदनों का परीक्षण एवं सत्यापन 16 से 25 दिसम्बर तक करना है।

    मानव संपदा पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन नहीं तो रुकेगा शिक्षकों-कर्मचारियों का वेतन

    मानव संपदा पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन नहीं तो रुकेगा शिक्षकों-कर्मचारियों का वेतन


    लखनऊ। प्रदेश में राजकीय व एडेड माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों-कर्मचारियों के वेतन का भुगतान मानव संपदा पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन होने पर ही किया जाएगा। यानी रजिस्ट्रेशन नहीं होने पर उनका वेतन रोक दिया जाएगा।


    महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक, उप शिक्षा निदेशक व जिला विद्यालय निरीक्षक को इससे संबंधित विस्तृत निर्देश दिए हैं।


     उन्होंने कहा कि मानव संपदा पोर्टल के माध्यम से वेतन भुगतान, बकाया भुगतान आदि से संबंधित कार्यवाही की जा रही है। शिक्षकों-कर्मचारियों का मानव संपदा पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन न होने पर वेतन भुगतान बाधित होगा। इसकी जिम्मेदारी डीआईओएस की होगी। वहीं, इससे संबंधित प्रक्रिया पूरी करने के लिए संबंधित वेतन प्रभारी व मानव संपदा पोर्टल प्रभारी को शुक्रवार को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। 

    Thursday, November 30, 2023

    शिक्षा की बेहतरी के लिए अनुपूरक बजट में 1551 करोड़ रुपये का प्रावधान

    शिक्षा की बेहतरी के लिए अनुपूरक बजट में 1551 करोड़ रुपये का प्रावधान 


    प्रदेश सरकार ने अपने अनुपूरक बजट में भी प्राथमिक से लेकर उच्च व तकनीकी शिक्षा की बेहतरी व सुधार के लिए लगभग 1551 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया है। इसमें निजी स्कूलों में कक्षा एक से आठ के बच्चों को निःशुल्क व अनिवार्य शिक्षा के लिए बजट प्रतिपूर्ति को 268 करोड़ के बजट का अतिरिक्त प्रावधान किया गया है।


    प्रदेश में संस्कृत विद्यालयों के पुनरुद्धार व विकास में जुटी सरकार ने अनुपूरक बजट में इसके लिए भी व्यवस्था कर दी है। पांच धार्मिक शहरों में आवासीय समेत 11 अन्य (कुल 16) राजकीय संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों की स्थापना हो सकेगी।


    शासन ने पांच धार्मिक शहरों नैमिषारण्य (सीतापुर), प्रयागराज, अयोध्या, मथुरा व चित्रकूट में नए आवासीय राजकीय संस्कृत विद्यालय खोलने का निर्णय लिया था। यहां पर विद्यालय के साथ-साथ 100-100 बेड के छात्रावास की भी व्यवस्था होगी, ताकि यहां पढ़ने वाले विद्यार्थियों को आवासीय सुविधा के लिए भटकना न पड़े। खास यह कि यहां से पढ़कर निकलने वाले विद्यार्थी अपने शहर में ही रोजगार भी पा सकेंगे।


    इसी तरह 11 शहरों वाराणसी, रायबरेली, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, शामली, जालौन, अमेठी, मुरादाबाद, एटा, हरदोई में भी नए राजकीय संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों की स्थापना की जानी है। उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद की ओर से इन विद्यालयों के लिए जमीन भी चिह्नित कर ली गई है। शासन की ओर से पांच करोड़ रुपये का बजट प्रावधान होने के बाद इन विद्यालयों के निर्माण कार्य को गति मिलेगी।


    बजट जारी होने के बाद शासन निर्माण एजेंसी तय करेगा और निर्माण कार्य शुरू होंगे। आगे आवश्यकतानुसार बजट में और वृद्धि की जाएगी। परिषद की ओर से इन 16 विद्यालयों में कक्षा छह से 12 (प्रथमा से उत्तर मध्यमा) तक की पढ़ाई होगी। इन विद्यालयों में लगभग पांच-पांच बच्चों की प्रवेश क्षमता होगी।

      
    प्रदेश सरकार ने अपने अनुपूरक बजट में भी प्राथमिक से लेकर उच्च व तकनीकी शिक्षा की बेहतरी व सुधार के लिए लगभग 1551 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया है। इसमें निजी स्कूलों में कक्षा एक से आठ के बच्चों को निःशुल्क व अनिवार्य शिक्षा के लिए बजट प्रतिपूर्ति को 268 करोड़ के बजट का अतिरिक्त प्रावधान किया गया है।


    शासन के अनुसार इस राशि से इस साल के शुल्क के स्कूलों की प्रतिपूर्ति कर दी जाएगी। इससे पहले अप्रैल में भी शासन ने 174 करोड़ रुपये जारी किए थे। जो चार-पांच साल से स्कूलों का बकाया था। प्रदेश भर में लगभग तीन लाख बच्चे आरटीई के तहत निजी स्कूलों में इसके तहत पढ़ाई कर रहे हैं। इसी तरह माध्यमिक शिक्षा विभाग के लिए 490 करोड़ के बजट का अतिरिक्त प्रावधान किया गया है।


    वहीं प्रधानमंत्री स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया (पीएमश्री) योजना के तहत प्रदेश में केंद्र के सहयोग से अपग्रेड हो रहे 928 स्कूलों के लिए राज्यांश के रूप में 161 करोड़ रुपये के बजट का अतिरिक्त प्रावधान किया गया है। इससे इन प्राथमिक स्कूलों में अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ-साथ हर मूलभूत सुविधाएं भी बेहतर की जाएंगी। वहीं समग्र शिक्षा के लिए 233 करोड़ और पीएम पोषण योजना के तहत रसोइयों को मानदेय के लिए 36 करोड़ का अतिरिक्त प्रावधान किया गया है।


    पीएम ऊषा योजना समेत राज्य विवि के लिए 222 करोड़
     प्रदेश में उच्च शिक्षण संस्थानों में मूलभूत सुविधाओं समेत अन्य कामों के लिए प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान (पीएम ऊषा) योजना के तहत सरकार ने 20 करोड़ समेत राज्य विश्वविद्यालयों के कुल 222 करोड़ का प्रावधान किया है। इसमें प्रो. राजेंद्र सिंह (रज्जू भैय्या) विश्वविद्यालय, प्रयागराज की स्थापना के लिए 157 करोड़ का अतिरिक्त प्रावधान किया गया है।


    ये हुए प्रावधान
    - सहारनपुर में बन रहे मां शाकुंभरी देवी राज्य विश्वविद्यालय के लिए फर्नीचर व उपकरणों के लिए पांच करोड़
    - महंत अवैद्यनाथ राजकीय महाविद्यालय जंगल कौड़िया, गोरखपुर में निर्माण कार्य के लिए छह करोड़ 34 लाख
    - पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय महाविद्यालय सहजनवा, गोरखपुर में निर्माण कार्य के लिए सात करोड़ 65 लाख
    - इंद्रासन सिंह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राजकीय महाविद्यालय पचवस, बस्ती के लिए छह करोड़ 91 लाख
    - संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के भवनों के जीणोऱ्द्धार के लिए दस करोड़
    - महाराजा सुहेलदेव राज्य विश्वविद्यालय, आजमगढ़ के लिए फर्नीचर व उपकरण खरीद के लिए पांच करोड़
    - राजा महेंद्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय, अलीगढ़ के लिए फर्नीचर व उपकरण खरीदने के लिए के लिए पांच करोड़

    उच्च शिक्षा निदेशक पद के योग्य नहीं – पेंशन व ग्रेच्युटी के मामले में आदेश का पालन न कर फाइल दबाए रखने की प्रवृत्ति पर हाईकोर्ट की तल्ख़ टिप्पणी

    उच्च शिक्षा निदेशक पद के योग्य नहीं – पेंशन व ग्रेच्युटी के मामले में आदेश का पालन न कर फाइल दबाए रखने की प्रवृत्ति पर हाईकोर्ट की तल्ख़ टिप्पणी 


    न्यायालय को हल्के में लेने वाले अफसरों का हल निकालें वरिष्ठ अधिकारी

    प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश का पालन न कर महीनों तक फाइल दबाए रखने की प्रवृत्ति को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से कहा है कि ऐसे अफसर की कार्यप्रणाली पर पुनर्विचार कर इसका हल निकालें। कोर्ट ने अवमानना के मामले में तलब उच्च शिक्षा निदेशक ब्रह्मदेव की कार्यप्रणाली पर टिप्पणी करते हुए कहा कि प्रथमदृष्टया यह अधिकारी अपने पद के योग्य प्रतीत नहीं होते। 


    यह टिप्पणी न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने अजय कुमार मुद्गल की अवमानना याचिका पर उसके अधिवक्ता कमल कुमार केसरवानी और उच्च शिक्षा निदेशक को सुनकर की। याची की पत्नी मेरठ कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर के तौर पर कार्यरत थीं। उनकी सेवाकाल में मृत्यु हो गई।


    याची ने पारिवारिक पेंशन व ग्रेच्युटी के भुगतान के लिए आवेदन किया लेकिन उसे भुगतान यह करते हुए नहीं दिया गया कि कर्मचारी ने अपने जीवन काल में ग्रेच्युटी के विकल्प का चयन नहीं किया था। इस पर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल के गई। पूर्व के कई न्यायिक निर्णय के आधार पर हाईकोर्ट ने उच्च शिक्षा निदेशालय को याची के प्रकरण पर दो माह में निर्णय लेने का निर्देश दिया। इसके बावजूद कोई निर्णय नहीं लिया गया तो अवमानना याचिका दाखिल की गई।

    यूपी सरकार ने विधान परिषद में फिर कहा, राज्य में पुरानी पेंशन योजना लागू करना संभव नहीं

    यूपी सरकार ने विधान परिषद में फिर कहा, राज्य में पुरानी पेंशन योजना लागू करना संभव नहीं



    लखनऊ । राज्य सरकार ने बुधवार को विधान परिषद में एक बार फिर से कहा कि पुरानी पेंशन योजना लागू किया जाना सम्भव नहीं है। राज्य सरकार ने पहली अप्रैल 2005 में नई पेनशन स्कीम लागू कर दिया है जो सभी सरकारी संस्थानों में लागू है।


    दरअसल शिक्षक दल के नेता ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने कार्य स्थगन के तहत पुरानी पेंशन का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि देश भर में शिक्षक और कर्मचारी पुरानी पेंशन की मांग कर रहे हैं। प्रदेश में भी पुरानी पेंशन योजना से वंचित शिक्षकों व कर्मचारियों द्वारा पुरानी पेंशन की मांगों के समर्थन में लगातार धरना-प्रदर्शन व अन्य आन्दोलन किया जा रहा है लेकिन सरकार संवेदनहीन और उदासीन बनी हुई है।


    उन्होंने कहा कि अब यह चुनावी मुद्दा भी बन रहा है। कई राज्यों में पार्टियां घोषणा पत्र में पुरानी पेंशन का ऐलान कर रही हैं। इस मुद्दे पर सरकारें बन रही हैं। उन्होंने कहा कि यूपी में भी 2022 में कई सीटें भाजपा नेताओं ने कई सीटें इसी वजह से हारीं। उन्होंने कहा कि शिक्षकों और कर्मचारियों के साथ-साथ उनकी भी मांग है कि पुरानी पेंशन लागू की जाए। जवाब में माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गुलाब देवी ने कहा कि कहा कि केन्द्र सरकार ने 2004 में नई पेंशन लागू की। उसे राज्य सरकार ने पहली अप्रैल 2005 में लागू किया। उसी के तहत प्रदेश में नई पेंशन लागू है।

    यूपी में आठ साल से एक भी नए मदरसा को मान्यता नहीं

    यूपी में आठ साल से एक भी नए मदरसा को मान्यता नहीं

    ■ गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को मान्यता की अपील 
    ■ बिना मान्यता संचालित होते मिले 8449 मदरसे


    लखनऊ । उत्तर प्रदेश में नए मदरसों को मान्यता पिछले आठ वर्षों से नहीं मिली है। बिना मान्यता के संचालित मदरसा संचालकों का इंतजार बढ़ता जा रहा है। मान्यता नहीं होने से प्रदेश में साढ़े सात लाख से अधिक बच्चों को भविष्य दांव पर है। 


    प्रदेश में 16513 मान्यता प्राप्त मदरसे संचालित हो रहे हैं। वहीं पिछले वर्ष नवम्बर माह में हुए सर्वे में 8449 मदरसे ऐसे मिले थे जो मान्यता प्राप्त नहीं थे। 


    मान्यता को लेकर ऑल इंडिया टीचर्स एसोसिएशन मदारिसे अरबिया ने मदरसा बोर्ड को पत्र लिखा था। पत्र का संज्ञान लेते हुए मदरसा बोर्ड के चेयरमैन डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने मुख्यमंत्री योगी को पत्र लिखकर गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को मान्यता की अपील की है।



    गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को मान्यता देने पर एक राय नहीं


    लखनऊ। उत्तर प्रदेश का अल्पसंख्यक कल्याण विभाग यूपी मदरसा बोर्ड द्वारा लगातार गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को मान्यता देने संबंधी उठाई जा रही मांग से सहमत नहीं है। विभाग के अफसरों का कहना है कि जब राज्य के मदरसों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की तादाद लगातार हर साल घटती जा रही है, मदरसे बंद होते जा रहे हैं तो ऐसे में नए मदरसों को मान्यता देने का क्या औचित्य है ?


    पिछले साल प्रदेश सरकार ने प्रदेश में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की जांच के लिए एक सर्वे करवाया था, जिसमें करीब साढ़े आठ हजार ऐसे मदरसे सामने आए, जिनके पास सरकारी मान्यता नहीं है। यूपी मदरसा बोर्ड मदरसों को मान्यता दिये जाने की मांग लगातार उठा रहा है। 


    प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने शिक्षण संस्थाओं में पंजीकृत छात्र- छात्राओं के ब्यौरे से संबंधित पोर्टल यूडीआईएसई प्लस पर उपलब्ध आंकड़ों के हवाले से तर्क दिया कि वर्ष 2021-22 में प्रदेश में कुल 15,105 मान्यता प्राप्त मदरसे थे जो कि वर्ष 2022-23 में घटकर 13490 रह गये। मदरसों में पढ़ने वाले छात्र- छात्राओं की तादाद सात लाख 59 हजार 168 घटी। 


    क्या सरकारी स्कूलों में विद्यार्थी  नहीं घटे ? मदरसों में पढने वालों की तादाद घट रही है तो इसकी सजा उन्हें क्यों दी जा रही, जिन मदरसों के पास बरसों से मान्यता नहीं है। -डा. इफ्तेखार अहमद जावेद, चेयरमैन, यूपी मदरसा बोर्ड


    बोर्ड के चेयरमैन की मांग राज्य के उन 560 मदरसों के पाठ्यक्रमों को ही मान्यता नहीं मिल सकी है। इस वजह से यहां की उपाधियां महत्वहीन हैं। - क़मर अली, सदस्य, यूपी मदरसा बोर्ड

    Wednesday, November 29, 2023

    CTET January 2024: सीटेट परीक्षा के लिए आवेदन की आखिरी तारीख बढ़ी, 01 दिसंबर तक ctet.nic.in पर कर सकते हैं रजिस्ट्रेशन

    CTET January 2024: सीटेट परीक्षा के लिए आवेदन की आखिरी तारीख बढ़ी, 01 दिसंबर तक ctet.nic.in पर कर सकते हैं रजिस्ट्रेशन


    29 नवंबर 2023 🆕

    CTET January 2024: उम्मीदवारों के लिए खुश खबरी,  सीबीएसई बोर्ड ने सीटीईटी 2024 परीक्षा के लिए ऑनलाइन आवेदन करने की अंतिम तिथि 01 दिसंबर 2023 तक बढ़ा दी है। जिन उम्मीदवारों ने अभी तक आवेदन नहीं किया है, वे आधिकारिक वेबसाइट ctet.nic.in पर आवेदन कर सकते हैं। 


    CTET परीक्षा का आयोजन 21 जनवरी 2024 को किया जाएगा। इस बार बोर्ड 135 शहरों और 20 भाषाओं में CTET 2024 परीक्षा आयोजित करेगा। 




    CTET 2024 Last Date Extended: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (CTET) 2024 के लिए पंजीकरण की अंतिम तिथि बढ़ा दी है। परीक्षा के लिए आवेदन करने की नई अंतिम तिथि 27 नवंबर, 2023 है। CTET 2024 उन लोगों के लिए एक अनिवार्य परीक्षा है जो कक्षा एक से कक्षा आठवीं तक सरकारी और निजी स्कूलों में पढ़ाना चाहते हैं।


    सीबीएसई ने पहले घोषणा की थी कि सीटीईटी 2024 के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 23 नवंबर, 2023 थी। हालांकि, बोर्ड ने उम्मीदवारों के अनुरोधों के जवाब में अंतिम तिथि बढ़ा दी है। अब नए नोटिस के अनुसार, अभ्यर्थी 27 नवंबर 2023 तक सीटेट जनवरी 2024 परीक्षा के लिए अप्लाई कर सकते हैं।


    उम्मीदवार सीटीईटी 2024 के लिए सीबीएसई की आधिकारिक वेबसाइट ctet.nic.in पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। परीक्षा के लिए आवेदन शुल्क सामान्य के लिए 1,500  रुपयेऔर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) उम्मीदवारों के लिए 750 रुपये है।


    केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने सीटीईटी अधिसूचना 2024 जारी की और 03 नवंबर को ऑनलाइन आवेदन पत्र शुरू किया। सीटीईटी आवेदन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 27 नवंबर है। जो उम्मीदवार निर्धारित आयु वर्ग के भीतर आते हैं और शैक्षणिक योग्यता रखते हैं, वे आवेदन कर सकते हैं डायरेक्ट लिंक नीचे दिया गया है। सीटीईटी पंजीकरण की अंतिम तिथि के बाद, अधिकारी अपने पोर्टल पर आवेदन सुधार विंडो खोलेंगे।


    CTET January 2024 Application Form: सीटेट जनवरी 2024 आवेदन पत्र के लिए आवश्यक दस्तावेज

    कुछ ऐसे दस्तावेज़ हैं जिन्हें उम्मीदवारों को CTET 2024 जनवरी आवेदन पत्र भरते समय अपने पास रखना चाहिए। आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार, यहां उन दस्तावेजों की सूची दी गई है जिनकी सीटीईटी जनवरी 2024 के लिए आवेदन करते समय आवश्यकता होगी।

    • पासपोर्ट के आकार की तस्वीर
    • उम्मीदवार के हस्ताक्षर
    • शैक्षणिक योग्यता प्रमाण पत्र
    • जाति प्रमाण पत्र (यदि लागू हो)
    • PWD प्रमाणपत्र (यदि लागू हो)
    • वैध ईमेल आईडी और फ़ोन नंबर

    CTET 2024 Exam Date: सीटीईटी परीक्षा कब होगी?

    जनवरी सत्र के लिए सीटीईटी 2024 परीक्षा की तारीख रविवार, 21 जनवरी, 2024 है। परीक्षा देश भर में 135 नामित केंद्रों पर दो पालियों में आयोजित की जाएगी। सीटीईटी जनवरी 2024 परीक्षा के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 23 नवंबर, 2023 है।


    CTET January 2024:  सीटेट एग्जाम शिफ्ट टाइमिंग

    सीटीईटी 2024 जनवरी सत्र के लिए परीक्षा दो पालियों में  ऑनलाइन मोड यानि कंप्यूटर आधारित परीक्षण (सीबीटी) मोड में आयोजित की जाएगी। प्रत्येक पाली का समय 2.5 घंटा होगा। पहली पाली सुबह 9:30 बजे शुरू होगी और दोपहर 12 बजे खत्म होगी। जबकि दूसरी पाली दोपहर 2:30 बजे से शाम 5 बजे तक आयोजित की जाएगी।


    CTET 2024 जनवरी सत्र के लिए आवेदन कैसे करें?

    केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटीईटी) जनवरी 2024 के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया 3 नवंबर, 2023 से 27 नवंबर, 2023 तक खुली रहेगी। सीबीएसई सीटीईटी पंजीकरण 2024 के लिए आवेदन कैसे करें, इस पर चरण-दर-चरण यहां दिए गए है:

    • सीबीएसई सीटीईटी की आधिकारिक वेबसाइट ctet.nic.in पर जाएं।
    • मुखपेज पर, "नया पंजीकरण" पढ़ने वाले लिंक पर क्लिक करें। नया खाता बनाने के लिए अपना नाम, ईमेल पता, मोबाइल नंबर और पासवर्ड दर्ज करें।
    • एक बार खाता बनाने के बाद, अपना पंजीकृत ईमेल पता और पासवर्ड दर्ज करके लॉग इन करें।
    • इसके "आवेदन पत्र भरें" टैब पर क्लिक करें। निर्देशों को ध्यान से पढ़ें और सटीक और पूरी जानकारी के साथ आवेदन पत्र भरें।
    • आवश्यक दस्तावेज़ों, जैसे शैक्षिक प्रमाण पत्र, आयु प्रमाण और पहचान प्रमाण की स्कैन की गई प्रतियां अपलोड करें।
    • उचित भुगतान विधि का चयन करें और आवेदन शुल्क का भुगतान करें। सामान्य और ओबीसी उम्मीदवारों के लिए आवेदन शुल्क ₹1,000 है, और एससी/एसटी/पीडब्ल्यूबीडी उम्मीदवारों के लिए यह ₹500 है।
    • एक बार जब आप सभी चरण पूरे कर लें, तो अपने आवेदन पत्र की अच्छी तरह से समीक्षा करें और "सबमिट" बटन पर क्लिक करें।
    • अपने रिकॉर्ड के लिए पुष्टिकरण पृष्ठ डाउनलोड करें और प्रिंट करें।

    केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) के बारे में

    केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) भारत में सार्वजनिक और निजी स्कूलों के लिए शिक्षा का एक राष्ट्रीय बोर्ड है, जिसका नियंत्रण और प्रबंधन भारत की केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है। सीबीएसई भारत के सभी प्रमुख विश्वविद्यालयों से संबद्ध है।

    गलत आदेश पर कार्य नहीं करने देने पर भी शिक्षिका संपूर्ण वेतन की हकदार – हाईकोर्ट

    गलत आदेश पर कार्य नहीं करने देने पर भी शिक्षिका संपूर्ण वेतन की हकदार – हाईकोर्ट 


    प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि बीएसए की ओर से जारी गलत आदेश के कारण सहायक अध्यापिका को कार्य न करने दिया गया हो तो वह संपूर्ण वेतन की हकदार होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ल ने झांसी में तैनात सहायक अध्यापिका नेहा पटेल की याचिका पर अधिवक्ता रजत ऐरन, राजकुमार सिंह एवं ऋषि श्रीवास्तव को सुनकर दिया है।


    याची के अधिवक्ताओं ने कोर्ट को बताया कि याची ने चित्रकूट से झांसी अंतर्जनपदीय स्थानांतरण का आवेदन किया था। याची ने अपने पति की असाध्य बीमारी से पीड़ित होने के साथ उनके सहायता प्राप्त प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक होने के भारांक का लाभ भी लिया था। झांसी में ज्वाइनिंग के बाद एक माह से अधिक कार्य लेने के बावजूद बेसिक शिक्षा अधिकारी, झांसी ने याची के अंतर्जनपदीय स्थानांतरण को निरस्त करते हुए वापस चित्रकूट ज्वाइन करने के लिए कार्यमुक्त कर दिया।

    बेसिक शिक्षा विभाग की अजब-गजब कार्यप्रणाली, दस दिन में डिजिटल हाजिरी; सवा साल में नहीं हो पाया समायोजन, सोशल मीडिया पर शिक्षक चला रहे – "हाजिरी डिजिटल, रास्ते क्रिटिकल" अभियान

    सोशल  मीडिया पर शिक्षक चला रहे – "हाजिरी डिजिटल, रास्ते क्रिटिकल" अभियान

    ‘हाजिरी डिजिटल, रास्ते क्रिटिकल’ टैग से अभियान
    डिजिटल हाजिरी की व्यवस्था लागू होने के बाद से परिषदीय शिक्षकों में बेचैनी है। फेसबुक पर उपस्थिति हो जाएगी डिजिटल, रास्ते वही क्रिटिकल नाम से अभियान चलाकर रास्तों की दुश्वारियां साझा कर रहे हैं।



    बेसिक शिक्षा विभाग की अजब-गजब कार्यप्रणाली, दस दिन में डिजिटल हाजिरी; सवा साल में नहीं हो पाया समायोजन  


    Primary Teachers Transfer: बेसिक शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली भी अजब-गजब है। टैबलेट से शिक्षकों की डिजिटल हाजिरी तो मात्र दस दिन में लागू हो गई, लेकिन जिले के अंदर तबादले और समायोजन का आदेश सवा साल बाद भी नहीं हो सका है।


    महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने दस नवंबर को डिजिटल हाजिरी का आदेश जारी किया था। 20 नवंबर से पायलट प्रोजेक्ट के रूप में बाराबंकी, हरदोई, लखीमपुर खीरी, रायबरेली, सीतापुर, उन्नाव व श्रावस्ती में डिजिटल उपस्थिति पंजिका पर हाजिरी लगने लगी। एक दिसंबर से यह व्यवस्था पूरे प्रदेश के 1.50 लाख से अधिक स्कूलों में लागू हो जाएगी। 


    डिजिटल हाजिरी की व्यवस्था लागू होने के बाद पांच मिनट की देरी पर भी जवाबदेही तय होगी। इस बीच परिषदीय स्कूल के शिक्षकों का जिले के अंदर सवा साल बाद भी स्थानान्तरण और समायोजन न होने से नाराजगी बढ़ने लगी है। पिछले साल 27 जुलाई 2022 को जब स्थानान्तरण और समायोजन के लिए शासनादेश जारी हुआ था तो शिक्षकों को उम्मीद जगी कि रोजाना 70-80 किलोमीटर दूरी के चक्कर लगाने से थोड़ी राहत मिलेगी।


    शासनादेश के अनुसार जिलों में सरप्लस शिक्षकों को चिह्नित करते हुए आरटीई के अनुसार आवश्यकता वाले स्कूलों में भेजना था। इसके लिए दस दिन में पोर्टल खुलना था, लेकिन बार-बार शासनादेश में परिवर्तन और शिक्षकों के डेटा संशोधन के नाम पर प्रक्रिया सवा साल से लटकी हुई है। जबकि अध्यापक तैनाती नियमावली के अनुसार जिले के अंदर पिछड़े ब्लॉक में तैनाती के पांच वर्ष पूरा करने वाले पुरुष व दो वर्ष पूरे करने वाली शिक्षिकाओं का तबादला होना चाहिए।


    ‘हाजिरी डिजिटल, रास्ते क्रिटिकल’ टैग से अभियान
    डिजिटल हाजिरी की व्यवस्था लागू होने के बाद से परिषदीय शिक्षकों में बेचैनी है। फेसबुक पर उपस्थिति हो जाएगी डिजिटल, रास्ते वही क्रिटिकल नाम से अभियान चलाकर रास्तों की दुश्वारियां साझा कर रहे हैं।


    क्‍या बोले शिक्षक
    गणित/ विज्ञान के शिक्षक अनिल राजभर ने कहा कि जिले के अंदर शिक्षकों के 2017 से लंबित ओपन ट्रांसफर को जल्द शुरू करना चाहिए। ऑनलाइन हाजिरी के पूर्व सरकार को शिक्षकों के गृह ब्लॉक या उसके आसपास तैनाती देनी चाहिए। नियमावली के अनुसार पति-पत्नी यानी दंपति शिक्षक को एक ब्लॉक में तैनात करना चाहिए।

    आंगनबाड़ी से दिव्यांग बच्चों की देखभाल के लिए एक राष्ट्रीय प्रोटोकॉल लॉन्च

    आंगनबाड़ी से दिव्यांग बच्चों की देखभाल के लिए एक राष्ट्रीय प्रोटोकॉल लॉन्च


    नई दिल्ली । केंद्र सरकार ने मंगलवार को दिव्यांग बच्चों पर नजर रखने और उनकी मदद करने के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देने के लिए एक राष्ट्रीय प्रोटोकॉल लॉन्च किया। महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि यह पहली बार है कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता इस मुद्दे पर जागरूकता का फैलाएंगी।


    दिव्यांग बच्चों के लिए आंगनवाड़ी प्रोटोकॉल के शुभारंभ के बाद ईरानी ने कहा, अगर हम इसे सामुदायिक नजरिए से देखें, तो यह हमारे समुदाय में एक मूक क्रांति है। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा, पहली बार, आंगनबाड़ियों की बहनें जागरूकता फैलाएंगी कि दिव्यांगता समाज के लिए एक चुनौती नहीं है, बल्कि समाज के लिए एक बच्चे की मदद करने का एक अवसर है। 


    उन्होंने कहा मानसिकता को बदलने की जरूरत है। सरकार का यह कदम इसी दिशा में प्रयास है। स्मृति ईरानी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 दिव्यांग छात्रों को मुख्यधारा के स्कूलों में शामिल करने को प्राथमिकता देने पर जोर देती है। उन्होंने कहा कि दिव्यांग बच्चों के बारे में जमीनी स्तर का डेटा आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से उपलब्ध हो जाएगा, और पोषण ट्रैकर के माध्यम से बच्चों को आगे ट्रैक किया जा सकता है।



    बच्चों की बेहतरी पहली प्राथमिकता

    आंगनबाड़ी केंद्रों में दिव्यांग बच्चों की जरूरत के हिसाब से आधारभूत ढाँचे का निर्माण भी होगा। इस प्रोटोकॉल का मुख्य उद्देश्य यह है कि जोखिम वाले या दिव्यांगता या देरी से विकास करने वाले शिशुओं और छोटे बच्चों के लिए प्रारंभिक हस्तक्षेप, विशेष सहायता और सेवाओं के माध्यम से बच्चों की सेहत और अन्य जरूरतों में समग्र सुधार हेतु कदम उठाये जायें।

     महिला बाल विकास मंत्रालय का कहना है कि परिवार और सामुदायिक जीवन में दिव्यांग बच्चों की भागीदारी को बढ़ाने के लिए परिवारों और समुदायों को शिक्षित करने और इस काम में उनकी मदद करने की आवश्यकता है। प्रोटोकॉल इस लक्ष्य को पूरा करने में मदद करेगा।

    माध्यमिक शिक्षा में बीमा-पेंशन की पुरानी नियमावली होगी संशोधित

    माध्यमिक शिक्षा में बीमा-पेंशन की पुरानी नियमावली होगी संशोधित


    लखनऊ। कैबिनेट ने प्रदेश में राज्य सहायता प्राप्त माध्यमिक शिक्षा संस्थानों के कर्मचारियों के लिए लाभत्रयी के संशोधन पर सहमति दे दी है। 


    विभाग के अनुसार पूर्व में इन संस्थान के कर्मचारियों के लिए बीमा, सीपीएफ, पेंशन देने संबंधित निर्णय लागू किए गए थे। न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) लागू होने के बाद यह व्यवस्था अप्रासंगिक हो गई हैं। इसे देखते हुए पुरानी योजना को संशोधित/ विलोपित किए जाने का प्रस्ताव कैबिनेट में रखा गया था। इस पर सहमति दी गई है। 

    प्रदेश के 5 कृषि विवि में शिक्षकों के 1261 में से 707 पद खाली, कर्मचारियों के भी 2214 में से 668 पद रिक्त

    प्रदेश के 5 कृषि विवि में शिक्षकों के 1261 में से 707 पद खाली

    कृषि मंत्री ने कहा कि जारी है पदों को भरे जाने की प्रक्रिया, कर्मचारियों के भी 2214 में से 668 पद रिक्त


    लखनऊ। प्रदेश के 5 कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के कुल 1261 पदों में से 707 पद खाली हैं। जबकि गैर शैक्षणिक संवर्ग के 2214 पदों में से 668 पद खाली हैं। कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि रिक्त पदों को भरे जाने की प्रक्रिया जारी है। इस पर सभापति कुंवर मानवेंद्र सिंह ने कहा कि पदों को भरने के लिए सरकार जो आदेश करती है, उसका पालन करानी की जिम्मेदारी भी सरकार की है।


    विधान परिषद सदस्य ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने कृषि विश्वविद्यालयों में सृजित और रिक्त पदों का ब्योरा मांगा था। इस पर कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि, कानपुर में शैक्षणिक संवर्ग के कुल 224 पद सृजित व 194 पद रिक्त हैं। 


    आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विवि अयोध्या में 396 पद सृजित और 204 पद रिक्त हैं। सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि मेरठ में 396 पद सृजित व 255 पद रिक्त हैं। बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विवि, बांदा में शैक्षणिक संवर्ग के कुल 126 पद सृजित व 37 पद रिक्त हैं। सैम हिग्गिनबॉटम कृषि, प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान विवि प्रयागराज में शैक्षणिक संवर्ग के 119 पद सृजित एवं 17 पद रिक्त हैं।  इसी तरह से गैर शैक्षणिक पदों के सृजित व रिक्त पदों का ब्यौरा रखा। 

    बाल व संप्रेक्षण गृहों के सभी बच्चे अब स्कूलों में करेंगे पढ़ाई, हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी के वाद सभी बच्चों का स्कूलों में पंजीकरण कराने के निर्देश

    बाल व संप्रेक्षण गृहों के सभी बच्चे अब स्कूलों में करेंगे पढ़ाई, हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी के वाद सभी बच्चों का स्कूलों में पंजीकरण कराने के निर्देश


    लखनऊ : प्रदेश सरकार राजकीय एवं स्वैच्छिक संगठनों द्वारा संचालित बाल गृह, संप्रेक्षण गृह व दत्तक ग्रहण इकाइयों में रहने वाले बच्चों का स्कूलों में दाखिला कराकर पढ़ाई करवाने जा रही है। यहां के शत-प्रतिशत बच्चों को हर हाल में शिक्षित करवाने के लिए कहा गया है।


     मंडलायुक्त, डीएम, मंडलीय उप मुख्य परिवीक्षा अधिकारियों को उनके यहां के सभी गृहों की जांच कर वहां की व्यवस्थाएं देखने के निर्देश दिए गए हैं। लापरवाही मिलने पर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।


    दरअसल, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 19 अक्टूबर को एक जनहित याचिका में दिए गए गए आदेश में प्रदेश में संचालित बाल देखरेख संस्थाओं में व्याप्त कमियों को लेकर गंभीर टिप्पणी की थी। इसी के बाद महिला कल्याण विभाग की प्रमुख सचिव वीना कुमारी ने सभी मंडलायुक्त, जिलाधिकारियों व मंडलीय उप मुख्य परिवीक्षा अधिकारियों को सरकारी व स्वैच्छिक संस्थाओं द्वारा संचालित सभी गृहों की जांच करने के निर्देश दिए हैं। 


    यहां बच्चों को मिल रहीं सुविधाएं, उनके विकास के लिए अनुकूल माहौल मिल रहा है या नहीं, इसे देखने के लिए कहा गया है। शासनादेश में यह भी कहा गया है कि जांच के दौरान यह भी देखा जाए कि इन गृहों में कितने बच्चे अभी शिक्षा से वंचित हैं और ये किस आयु वर्ग के हैं। सभी बच्चों का शत-प्रतिशत स्कूलों में नामांकन कराया जाए।

    NPS घोटाले की होगी समयबद्ध SIT जांच

    NPS घोटाले की होगी समयबद्ध SIT जांच



    लखनऊ । शिक्षा विभाग में एनपीएस घोटाले की समयबद्ध एसआईटी जांच होगी। विधान परिषद में मंगलवार को नेता सदन केशव प्रसाद मौर्य ने विपक्ष को आश्वस्त करते हुए यह जानकारी दी कि इस मामले में सरकार गंभीर है। निष्पक्ष जांच होगी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी। महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने एसआईटी जांच के आदेश कर दिए हैं। 


    न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) के तहत एडेड माध्यमिक शिक्षकों की धनराशि कटौती का पैसा उनकी जानकारी के बिना निजी कंपनियों में निवेश करने का मुद्दा शिक्षक दल के नेता ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने विधान परिषद में उठाया। उन्होंने कहा कि दो दर्जन से ज्यादा जिलों में ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। शिक्षक समुदाय अपनी गाढ़ी कमाई से हुई कटौती की खुली लूट से बेबस है। शिक्षा विभाग में आजादी के बाद इससे बड़ा घोटाला नहीं हो सकता।

    Tuesday, November 28, 2023

    पहले बेसिक शिक्षकों के म्यूचुअल तबादले, सर्दी की छुट्टियों में होगी जॉइनिग, फिर होगा प्रमोशन

    पहले बेसिक शिक्षकों के म्यूचुअल तबादलेसर्दी की छुट्टियों में होगी जॉइनिग,  फिर होगा प्रमोशन


    लखनऊ ।  बेसिक शिक्षकों के प्रमोशन hat pi पहले म्यूचुअल तबादले होंगे। ये तबादले शासनादेश में तय व्यवस्था के तहत इस साल सदी की छुट्टियों में होगे। अधिकारियों से शिक्षकों को हुई वार्ता के बाद इस पर सहमति बनी है। प्रमोशन इसके बाद किए जाएंगे।



    बेसिक शिक्षकों के अंतरजनपदीय और अंतर्जनपदीय म्यूचुअल तबादलों के साथ प्रमोसन की प्रक्रिया भी इस साल फरवरी से चल रही है। म्युचुअल तबादलों के लिए जोड़े भी चन चुके है और प्रक्रिया अंतिम चरण में थी। तभी इसे रोक कर प्रमोशन की प्रक्रिया तेज कर दो गई। इस पर शिक्षकों ने आपत्ति जताई थी कि पहले प्रमोशन हो जाएंगे तो फिर म्यूचुअल तबादलों के लिए बने जोड़े बिगड़ जाएंगे। 


    शिक्षक संगठनों के साथ इस मुद्दे पर अधिकारियों की वार्ता भी हुई। अब यह सहमति बन गई है कि फिलहाल म्यूचुअल तबादले पहले किए जाएंगे। अधिकारियों का यह भी कहना है कि शासनादेश के अनुसार तबादले गमों या सदी की छुट्टियों में ही हो सकते हैं। ऐसे में इस बार सदी की छुट्टियों में तबादले किए जाएंगे। ऐसे में प्रमोशन के लिए तम्बा इंतजार करना होगा।



    शिक्षकों की ही मांग थी कि पहले म्यूचुअल तबादले किए जाएं। इसकी प्रक्रिया पूरी भी हो चुकी है। सिर्फ रिलीविंग और जॉइनिंग के आदेश होने हैं, लेकिन शासनादेश का पालन करना होगा। ऐसे में सर्दी की छुट्टियों में ही तबादले हो सकेंगे।
    - विजय किरन आनंद, महानिदेशक-स्कूल शिक्षा

    शिक्षक एक दिसंबर को सभी बीआरसी पर धरना देंगे, जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ का आह्वान

    शिक्षक एक दिसंबर को सभी बीआरसी पर धरना देंगे, जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ का आह्वान


    लखनऊ। उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल (पूर्व माध्यमिक) शिक्षक संघ ने महानिदेशक स्कूल शिक्षा पर नियम विपरीत आदेश जारी करने का आरोप लगाया है। इसके खिलाफ संघ की ओर से एक दिसंबर को सभी ब्लॉक संसाधन केंद्र (बीआरसी) पर धरना दिया जाएगा। इस दौरान मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन भी खंड शिक्षा अधिकारियों को दिया जाएगा।


    संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेश त्यागी ने कहा कि कोई भी नियम बनाने, बदलने व संशोधन करने अथवा लागू करने के लिए प्रस्ताव बेसिक शिक्षा परिषद में लाकर व बैठक कर पारित किया जाना चाहिए। किंतु पिछले पांच वर्षों से परिषद को अस्तित्वहीन कर दिया गया है। इन्हीं मुद्दों को लेकर धरना देंगे। अधिकारी धरातल पर जाकर योजनाओं की व्यावहारिक कठिनाइयों को नहीं देख-समझ रहे हैं और आदेश जारी कर दे रहे हैं। ऑनलाइन उपस्थिति भी उसी में से एक है।


    संघ के प्रांतीय महामंत्री व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नरेश कुमार कौशिक ने कहा है कि वर्ष 2013 के बाद से जिले के अंदर तबादले और वर्ष 2015 से शिक्षकों की पदोन्नति नहीं हुई। वेतन विसंगति 15 वर्षों से नहीं दूर की गई। वहीं, शिक्षकों से लगातार कई गैर शैक्षणिक कार्य लगातार लिए जा रहे हैं। प्रदर्शन के माध्यम से इन मुद्दों को उठाया जाएगा। 

    ऑनलाइन हाजिरी मामले में शिक्षक संगठन हो रहे लामबंद

    ऑनलाइन हाजिरी मामले में शिक्षक संगठन हो रहे लामबंद

    बेसिक-माध्यमिक शिक्षक संघ के गुटों ने भी दी चेतावनी


    लखनऊ । ऑनलाइन हाजिरी मामले में शिक्षकों पर किसी भी प्रकार की कार्रवाई के विरुद्ध शिक्षक संगठनों ने चेतावनी दी है। साथ ही मधकी दी है कि अगर विभाग या सरकार ने बिना शिक्षक संगठनों से विचार-विमर्श किये कोई भी एकतरफा कार्यवाही की तो विरोध में शिक्षक भी प्रदेशव्यापी आन्दोलन करने को बाध्य होंगे।


    उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ इस बारे में पहले ही धमकी दे चुका है कि सि मामले में कोई भी एकतराफ कार्यवाही अव्यवहारिक होगी। संगठन के महामंत्री अरुणेंद्र कुमार वर्मा ने ऑनलाइन उपस्थिति में खामियां ही खामियां हैं। ऐसे में शिक्षकों के विरुद्ध किसी प्रकार की भी कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा कम उपस्थिति बताकर शिक्षकों के वेतन को भी अवरुद्ध ना किया जाए।

    डीएलएड : 1.34 करोड़ फीस दी पर नहीं लिया दाखिला, प्रत्येक छात्र से पांच हजार अलॉटमेंट फीस ली गई थी

    डीएलएड : 1.34 करोड़ फीस दी पर नहीं लिया दाखिला, प्रत्येक छात्र से पांच हजार अलॉटमेंट फीस ली गई थी

    ● प्रवेश नहीं लेने के कारण जब्त हो गए पांच हजार रुपये

    प्रयागराज : प्राथमिक स्कूलों की शिक्षक भर्ती में बीएड को अमान्य करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद डिप्लोमा इन एलीमेंटरी एजुकेशन (डीएलएड) प्रशिक्षण 2023 सत्र की 70,100 सीटें खाली रह गईं। 2684 अभ्यर्थियों ने पांच-पांच हजार रुपये फीस देकर कॉलेज तो तो आवंटित कराया, लेकिन दाखिला नहीं लिया। अभ्यर्थियों की इस बेरुखी से सरकार को 1.34 करोड़ की आमदनी हो गई।



    प्रदेश के 67 जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) की 10600 व 2974 निजी कॉलेजों की 2,22,750 कुल 2,33,350 सीटों पर प्रवेश के लिए 3,36,187 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। 11 अगस्त के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पिछले पांच साल में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में आवेदन मिले थे। इसे लेकर निजी डीएलएड कॉलेजों में खासा उत्साह था। हालांकि निर्धारित अंतिम तिथि 20 नवंबर तक 1,63,250 अभ्यर्थियों ने ही प्रवेश लिया है। उत्तर प्रदेश में पांच साल से प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक भर्ती शुरू नहीं होना कम प्रवेश का प्रमुख कारण बताया जा रहा है।


    इस साल बदला था अलॉटमेंट का नियम

    परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय ने इस साल कॉलेज अलॉटमेंट के नियम में परिवर्तन किया था। पहले कॉलेज में सीधे दस हजार रुपये अलॉटमेंट फीस जमा होती थी। इस साल परीक्षा नियामक ने प्रत्येक अभ्यर्थी से पांच हजार रुपये अलॉटमेंट फीस के रूप में सीधे लिए थे। शर्त थी कि प्रवेश नहीं लेने पर फीस वापस नहीं होगी। कॉलेज आवंटन 1,65,934 अभ्यर्थियों का हुआ था लेकिन 1,63,250 ने ही प्रवेश लिया। प्रवेश न लेने वाले 2684 अभ्यर्थियों के पांच-पांच हजार रुपये के हिसाब से 1,34,20,000 रुपये की आमदनी सरकार को हो गई।


    कई कॉलेजों ने ही जमा कर दिए थे रुपये

    कई निजी कॉलेज के प्रबंधकों ने पांच-पांच हजार रुपये जमा करके अपने कॉलेज के नाम सीट आवंटित करा ली थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उन्हें उम्मीद थी कि बाद में अभ्यर्थियों के मिलने पर कमाई हो जाएगी। लेकिन इसके उलट तमाम कॉलेजों में सीटें खाली रह गईं।


    डीएलएड प्रशिक्षण 2023 में प्रवेश पूरा, 1,63,250 ने लिया दाखिला, बढ़े क्रेज के बावजूद 70 हजार सीटें रह गई खाली 


    प्रयागराज । डीएलएड प्रशिक्षण 2023 में  दाखिले के लिए चल रही प्रक्रिया मंगलवार को पूरी हो गई। प्रदेश के 67 जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के 10600 और निजी 2974 कॉलेजों की 2,22,750 यानी कुल 2,33,350 सीटों के मुकाबले 1,63,250 सीटों पर अभ्यर्थियों ने दाखिला लिया। 


    इस बार भी 70 हजार से अधिक सीटें खाली रह गई हैं। कॉलेज आवंटन के बाद इस बार 2684 अभ्यर्थियों ने प्रवेश नहीं लिया। परीक्षा नियामक प्राधिकारी की तरफ से डीएलएड प्रशिक्षण 2023 की समय सारिणी के मुताबिक अब प्रशिक्षण की शुरुआत होगी। 

    पदोन्नति में मानदेय सेवा का कार्यकाल जोड़ने की तैयारी, एडेड कॉलेजों के शिक्षकों के लिए शासन ने मांगी जानकारी

    पदोन्नति में मानदेय सेवा का कार्यकाल जोड़ने की तैयारी, एडेड कॉलेजों के शिक्षकों के लिए शासन ने मांगी जानकारी

    प्राचार्य से इस पर आने वाले व्ययभार की मांगी जानकारी




    लखनऊ। प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) महाविद्यालयों के मानदेय सेवा से नियमित हुए शिक्षकों को शासन जल्द बड़ा तोहफा दे सकता है। शिक्षकों की मांग के अनुसार उनके मानदेय सेवा का कार्यकाल पदोन्नति में जोड़ने की तैयारी शुरू की गई है।


    एडेड कॉलेजों में पूर्व में मानदेय के पद पर प्रवक्ताओं ने लंबी सेवा पूरी की। वर्ष 2017-18 में काफी शिक्षकों को नियमित किया गया। इसी क्रम में शिक्षक कैरियर एडवांसमेंट स्कीम (कैश) के अंतर्गत पदोन्नति, सीनियर स्केल, सेलेक्शन ग्रेड देने के लिए अपनी मानदेय सेवाओं की गणना करने की मांग कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश विश्वविद्यालय महाविद्यालय शिक्षक महासंघ (फुफुक्टा) ने भी इसका समर्थन किया है।


    अब शासन ने उच्च शिक्षा निदेशालय से इसकी जानकारी मांगी है। इसी क्रम में उच्च शिक्षा निदेशालय के संयुक्त सचिव डॉ. केसी वर्मा ने सभी क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों से भी जानकारी मांगी है। उन्होंने कहा है कि एडेड कॉलेज के मानदेय प्रवक्ताओं को इसका लाभ देने के तहत वित्तीय व्ययभार की गणना कर संस्तुति के साथ शासन को आख्या उपलब्ध कराएं। इसी क्रम में अब क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों ने सभी प्राचार्यों को पत्र भेजकर यह जानकारी मांगी है।


    फुफुक्टा के कार्यालय सचिव डॉ. मनीष श्रीवास्तव ने कहा कि शिक्षक वरिष्ठता व एरियर की मांग शासन से नहीं कर रहे हैं। अगर उनकी पूर्व की सेवा जुड़ जाती है तो आगे उनको पदोन्नति व उच्च ग्रेड पाने में आसानी होगी। शासन को यह मांग जल्द पूरी करनी चाहिए। 


    Monday, November 27, 2023

    यूपी में अब बिना नेट और पीएचडी के बन सकेंगे प्रोफेसर, जल्द लागू होगी नई योजना

    यूपी में अब बिना नेट और पीएचडी के बन सकेंगे प्रोफेसर, जल्द लागू होगी नई योजना


    अगर आपने नेट या पीएचडी नहीं की है तो भी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर बन सकते हैं. ये जानकर आपको थोड़ी हैरानी हो सकती है लेकिन यूपी में जल्द ही ये योजना लागू हो सकती है. यूजीसी ने नई शिक्षा नीति के तहत प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस योजना के लिए गंभीरता से पहल करते हुए यूपी के राज्य विश्वविद्यालयों को प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस के पद पर नियुक्ति के लिए प्रोत्साहित किया है. इसके साथ ही इस मामले पर प्रगति की जानकारी देने को कहा है. 


    मई महीने में ही यूजीसी ने प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस पोर्टल पर पंजीकरण शुरू किया था. इस पोर्टल में अलग-अलग विषयों और क्षेत्रों में जानकारी रखने वाले अनुभवी प्रोफेशनल प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस पद के लिए अपना पंजीकरण करा सकते हैं. इस योजना के तहत इस पोर्टल पर अबतक देशभर की यूनिवर्सिटी और हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूशन में प्रोफसर बनने के लिए 10,0062 अभ्यार्थियों ने पंजीकरण कराया है. पोर्टल पर पंजीकरण करने वाले अभ्यार्थी अलग-अलग क्षेत्रों की विस्तृत जानकारी और अनुभव रखते हैं. इनमें सभी विषयों के साथ इंडस्ट्रीज, वाणिज्य, इंजीनियरिंग, साइंस, कला समेत तमाम क्षेत्र के जानकार शामिल हैं. 


    बिना नेट और पीएचडी के बन सकते हैं प्रोफेसर

    दरअसल यूजीसी के नियमों के मुताबिक प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस पद पर अधिकतम चार साल के लिए नियुक्ति की जा सकती है. इसके लिए सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को नियमों में जरूरी बदलाव के दिशा निर्देश भी जारी किए गए थे. इस योजना के तहत वो लोग भी अब प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस पद पर भर्ती हो सकते हैं जो प्रोफेशनल रूप से टीचर नहीं है और न हीं उनके पास नेट या पीएचडी की शैक्षणिक योग्यता हैं. लेकिन वो अपने क्षेत्र में विस्तृत जानकारी रखते हैं. 


    छात्रों को भी फायदा होगा

    इस योजना से ऐसे लोगों को भी यूनिवर्सिटी में छात्रों को पढ़ाने का मौका मिलेगा जो काबिल तो हैं. लेकिन उनके पास नेट या पीएचडी की क्वालिफिकेशन नहीं थी. इससे छात्रों को भी फायदा होगा. यूजीसी ने अब यूपी के राज्य विश्वविद्यालयों को इस योजना पर काम करने के लिए प्रोत्साहित भी किया है, जिसके बाद माना जा रहा है कि जल्द ही यूपी में प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस पद पर भर्ती हो सकती है. 


    यूपी में प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस योजना जल्द, 
    पीएचडी या यूजीसी नेट की अनिवार्यता नहीं होगी


    लखनऊ। नई शिक्षा नीति के तहत देश के उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए शुरू की गई प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस योजना को लेकर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने गंभीर पहल की है। यूजीसी ने यूपी के राज्य विश्वविद्यालयों को प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस के पद पर नियुक्ति के लिए प्रोत्साहित किया है। साथ ही इस मामले में प्रगति के बारे में जानकारी भी मांगी है। 


    योजना के तहत देश भर के विश्वविद्यालयों समेत 323 उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रोफेसर आफ प्रैक्टिस के रूप में छात्रों को पढ़ाने के लिए अब तक विभिन्न क्षेत्रों के 10062 विशेषज्ञों ने पंजीकरण कराया है। इनमें उद्योग, वाणिज्य, इंजीनियरिंग, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, उद्यमिता, सामाजिक विज्ञान, मीडिया, साहित्य व कला के क्षेत्र के विशेषज्ञ शामिल हैं। 


    यूजीसी ने पिछले मई माह में प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस पंजीकरण पोर्टल शुरू किया था। इस पर अपने-अपने कार्य क्षेत्र में महारत रखने वाले अनुभवी प्रोफेशनल शिक्षण के लिए पंजीकृत करा सकते हैं। यूजीसी ने पहले ही उच्च शिक्षण संस्थानों को नियुक्ति के संबंध में अपने नियमों व अध्यादेशों में आवश्यक परिवर्तन करने का सुझाव दिया था। इनकी नियुक्ति अधिकतम चार साल के लिए की जा सकती है। 


    हाल ही में यूजीसी के चेयरमैन एम. जगदीश कुमार ने सभी विश्वविद्यालयों के अनुसार वर्चुअल संवाद करके इस योजना के बारे में प्रगति के बारे में जानकारी ली थी। इसमें बताया गया कि आईआईटी दिल्ली ने प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस के पद पर नियुक्त की है।


    पीएचडी या यूजीसी नेट की अनिवार्यता नहीं होगी

    प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस वह लोग हो सकते हैं, जो अपने मूल व्यवसाय से शिक्षक नहीं हैं और न ही उनके पास विश्वविद्यालय में शिक्षण कार्य के लिए पीएचडी या यूजीसी नेट जैसी निर्धारित योग्यता है। विश्वविद्यालय उनके व्यापक प्रोफेशनल अनुभव के आधार पर छात्रों को पढ़ाने के लिए नियुक्त कर सकते हैं। प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस छात्रों को ऐसे विषय पढ़ाएंगे, जिसमें उनका लंबा प्रोफेशनल अनुभव है।


    यूजीसी के दिशा-निर्देशों के अनुसार प्रोफेसर कऑफ प्रैक्टिस के पद पर नियुक्ति से संबंधित फैसला लेने के लिए राज्य विश्वविद्यालय स्वयं सक्षम हैं।
    - एमपी अग्रवाल, प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा -

    नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल पर सत्यापन नहीं होने के कारण हजारों मेधावियों की छात्रवृत्ति फंसी, राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति का मामला

    नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल पर सत्यापन नहीं होने के कारण हजारों मेधावियों की छात्रवृत्ति फंसी 

    ● राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति का मामला

    ● नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल पर आवेदन नहीं कर पा रहे मेधावी


    प्रयागराज : नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल पर सत्यापन नहीं होने के कारण हजारों मेधावियों की छात्रवृत्ति फंसी हुई है। छात्रवृत्ति के लिए आवेदन से वंचित राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति परीक्षा 2022 में सफल 14090 छात्र-छात्राएं परेशान हैं।


    शिक्षा मंत्रालय ने इस साल से बायो आंथेटिकेशन का निर्णय लिया है। जिला स्तर पर डिस्ट्रिक्ट नोडल ऑफिसर (जिला विद्यालय निरीक्षक) और स्कूल स्तर पर इंस्टीट्यूट नोडल ऑफिसर (प्रिंसिपल) का बायो आंथेटिकेशन होना है। इसके लिए डीआईओएस और प्रिंसिपल का आधार नंबर अपलोड करने के साथ ही उनके फिंगरप्रिंट की मैचिंग कराई जानी है। इससे पहले सिर्फ आधार नंबर और ओटीपी से सत्यापन हो जाता था। अब चूंकि आवेदन की अंतिम तिथि 30 नवंबर में सप्ताहभर का समय भी नहीं बचा है, पोर्टल पर सत्यापन की प्रक्रिया शुरू न होने से परीक्षा में सफल मेधावी छात्र-छात्राएं परेशान हैं।


     छात्रवृत्ति परीक्षा के आयोजन की जिम्मेदारी उठाने वाले मनोविज्ञानशाला में प्रतिदिन दर्जनों छात्र-छात्राएं फोन पर और व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर पूछताछ कर रहे हैं। लेकिन पोर्टल पर सत्यापन शुरू न होने और शिक्षा मंत्रालय से कोई गाइडलाइन न मिलने के कारण मनोविज्ञानशाला के जिम्मेदार लोग भी कुछ बताने की स्थिति में नहीं हैं। इस समस्या को देखते हुए माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव ने 24 नवंबर को सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को पत्र लिखकर पोर्टल पर केवाईसी कराने और छात्रों के ऑनलाइन फॉर्म भरवाने में सहायता कराने के निर्देश दिए हैं।


    19 अप्रैल को परिणाम, अब तक परेशान

    2022 की राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति परीक्षा का परिणाम 19 अप्रैल को घोषित हुआ था। परीक्षा में सम्मिलित 1,45,702 छात्र-छात्राओं में से 14090 का चयन हुआ था। सालाना 3.5 लाख से कम आय वाले परिवारों के इन बच्चों को कक्षा नौ से 12 तक प्रतिमाह एक हजार या प्रतिवर्ष 12 हजार रुपये छात्रवृत्ति मिलनी है।

    Sunday, November 26, 2023

    नियुक्ति दो का नारा लगा भाजपा दफ्तर में घुसे शिक्षक भर्ती अभ्यर्थी, 69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों की पुलिस से तीखी झड़प, उकसाने के आरोप में पूर्व एमएलसी पर केस

    नियुक्ति दो का नारा लगा भाजपा दफ्तर में घुसे शिक्षक भर्ती अभ्यर्थी, 69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों की पुलिस से तीखी झड़प, उकसाने के आरोप में पूर्व एमएलसी पर केस


    लखनऊ । नियुक्ति दो.. नारे के साथ 69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों ने भाजपा कार्यालय में घुसकर प्रदर्शन किया। लगभग दो दर्जन अभ्यर्थी शनिवार को बैनर और पोस्टर के साथ हजरतगंज स्थित भाजपा कार्यालय के अन्दर लॉन पर धरने पर बैठ गए। अभ्यर्थियों ने नारेबाजी शुरू कर दी। इस पर पहुंची पुलिस ने अभ्यर्थियों को घसीटकर कार्यालय से निकाला और बसों में भरकर ईको गार्डन भेजा। इससे पहले पुलिस और अभ्यर्थियों के बीच धक्का-मुक्की भी हुई।


    शिक्षा भर्ती में आरक्षण घोटाले का आरोप लगा रहे अभ्यर्थियों ने कहा कि 69000 शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में सरकार ने 6800 अभ्यर्थियों के भविष्य से खिलवाड़ किया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद भी सरकार नियुक्ति नहीं दे रही है। अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि चुनाव के समय मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया था कि किसी भी अभ्यर्थियों के साथ अन्य नहीं होने देंगे, लेकिन चुनाव बीते डेढ़ साल से अधिक हो गया है। मुख्यमंत्री ने अभी तक वादा नहीं निभाया है। 


    जानकारी के अनुसार बता दें कि अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि भाजपा के पिछड़े ओर दलित जाति के नेता वोट लेने के लिए हमारी मांगों को पूरा करने का आश्वासन देते हैं। लेकिन जब न्याय दिलाने की मांग की जाती है तो पीछे हट जाते हैं। अभ्यर्थियों ने बताया कि इससे उनके बीच खासी नाराजगी है। शिक्षक भर्ती अभ्यर्थियों ने शनिवार को भाजपा कार्यालय में घुसकर प्रदर्शन किया, इस दौरान उनकी पुलिस से झड़प भी हुई।


    उकसाने के आरोप में पूर्व सपा एमएलसी पर केस

    लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती में पिछले वर्ग के 6800 अभ्यर्थियों को उग्र प्रदर्शन और तोड़फोड़ करने के लिये उकसाने के आरोप में सपा के पूर्व एमएलसी राजपाल कश्यप, सपा कार्यकत्री नेहा यादव व अन्य के खिलाफ आलमबाग कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया है। 

    इको गार्डन चौकी प्रभारी संजय कुमार की ओर से दर्ज एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि ये अभ्यर्थी आलमबाग स्थित इको गार्डन में कई दिनों से धरना दे रहे हैं। बताया गया कि इन्हें मंत्रियों के आवास, प्रमुख संस्थानों व सड़क पर जाम और तोड़फोड़ करने के लिये हरदोई निवासी डॉ. राजपाल कश्यप, बरेली निवासी नेहा यादव व अन्य राजनैतिक व्यक्तियों के द्वारा उकसाया जा रहा है। ये भी बताया गया कि ये लोग आगे कभी भी इस तरह का काम कर सकते हैं। इसलिए इस तरह की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।

    प्रयागराज : बीएसए और SRG और ARP बने शिक्षकों के बीच सुलह, मामले के तूल पकड़ने के बाद बैकफुट में दोनो पक्ष, बेसिक शिक्षा निदेशक ने मांगी रिपोर्ट

    प्रयागराज : बीएसए और SRG और ARP बने शिक्षकों के बीच सुलह, मामले के तूल पकड़ने के बाद बैकफुट में दोनो पक्ष, बेसिक शिक्षा निदेशक ने मांगी रिपोर्ट


    प्रयागराज । जिलेभर के तीनों स्टेट रिसोर्स ग्रुप (एसआरजी) सदस्यों और 100 एकेडमिक रिसोर्स पर्सन (एआरपी) में से 90 से अधिक के पद से इस्तीफा देने के मामले में शनिवार को दोनों पक्ष बैकफुट पर आ गए। 


    मामले के तूल पकड़ने के बाद डायट प्राचार्य राजेन्द्र प्रताप की मौजूदगी में बीएसए प्रवीण तिवारी और सभी एसआरजी- एआरपी की मम्फोर्डगंज स्थित समग्र शिक्षा अभियान कार्यालय में बैठक हुई। वार्ता के बाद प्राथमिकता का कार्य बाधित न हो इसलिए अफसरों के आश्वासन पर भ्रम की स्थिति समाप्त किए जाने का निर्णय लिया गया। 


    पूरी एसआरजी- एआरपी टीम ने बीएसए के नेतृत्व में निपुण मिशन के तहत प्रयागराज को निपुण जनपद बनाने के लिए पूरी निष्ठा और ऊर्जा के साथ काम करने का संकल्प दोहराया। 


    बेसिक शिक्षा निदेशक ने मांगी जांच रिपोर्ट

    समाचार पत्रों में एसआरजी- एआरपी के इस्तीफे की खबर प्रकाशित होने के बाद बेसिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव ने डायट प्राचार्य राजेन्द्र प्रताप से मामले की जांच रिपोर्ट तलब कर ली। डायट प्राचार्य ने दोनों पों के बीच हुई वार्ता के सहमति पत्र के साथ अपनी रिपोर्ट भेजी है।



    प्रयागराज के तीनों SRG और 90 से अधिक ARP ने खोला मोर्चा, बीएसए से नाराज होकर दिया इस्तीफा, व्हाट्सएप ग्रुपों में त्यागपत्र और बीएसए का ऑडियो वायरल 

    प्रयागराज । बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रवीण कुमार तिवारी के व्यवहार से दुःखी जिलेभर के तीनों स्टेट रिसोर्स ग्रुप (एसआरजी) सदस्य और 100 एकेडमिक रिसोर्स पर्सन (एआरपी) में से 90 से अधिक ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। बीएसए को संबोधित पत्र व्हाट्सएप ग्रुपों पर वायरल है। साथ ही बीएसए का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें वह शिक्षकों से वेतन के रूप में चार साल में लिए गए 40 लाख रुपये रिकवरी की बात कर रहे हैं।


    परिषदीय प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूलों में पठन-पाठन में सुधार करने और बच्चों को निपुण बनाने के उद्देश्य से जिलों में कार्यरत चुनिंदा शिक्षकों की एसआरजी और एआरपी के रूप में तैनाती की गई है। सामूहिक त्यागपत्र में इन शिक्षकों का कहना है कि एसआरजी व एआरपी के रूप में विभाग के निर्देशों का सदैव निष्ठापूर्वक पालन किया है जिसका प्रतिफल है कि बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकतर पैरामीटर में प्रयागराज पूरे प्रदेश में टॉप टेन में रहा है। लेकिन बीएसए के स्तर से ऑनलाइन व ऑफलाइन बैठकों में कभी पूरी एआरपी टीम को, कभी किसी को व्यक्तिगत तो कभी सामूहिक रूप से अपशब्दों का प्रयोग करते हुए शिक्षकों की मान-मर्यादा को धूमिल किया जा रहा है। इसके अलावा अभी तक प्राप्त वेतन की रिकवरी, पिछले चार साल की स्थाई वेतनवृद्धि रोकने जैसी दंडात्मक कार्रवाई की धमकी भी दी जा रही है। इस व्यवहार से एसआरजी और एआरपी को अपने पदीय दायित्वों के निर्वहन में असुविधा हो रही है।


    मुझे एसआरजी और  एआरपी का इस्तीफा नहीं  मिला है। पूरी टीम गुरुवार की शाम को बैठक में मौजूद थी और शुक्रवार को डायट में प्रशिक्षण के दौरान भी उपस्थित थे । - प्रवीण कुमार तिवारी, बीएसए



    बीएसए से खफा 103 शिक्षकों ने दायित्वों से दिया सामूहिक इस्तीफा

    बीएसए पर वेतन वृद्धि रोकने और रिकवरी कराने की धमकी देने का लगाया आरोप


    प्रयागराज। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) प्रवीण कुमार तिवारी पर अभद्रता करने के आरोप लगाते हुए सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन से जुड़े सभी 103 शिक्षकों (एसआरजी व एआरपी) ने दायित्वों से सामूहिक इस्तीफा दे दिया है। इनसे वायरल हुई बातचीत में बीएसए कह रहे हैं कि 40 लाख रुपये की रिकवरी किए बगैर इन्हें एआरपी से नहीं छोड़ेंगे। वहीं, बीएसए का कहना है कि उन्हें अभी किसी का इस्तीफा नहीं मिला है।


    बीएसए को भेजे सामूहिक त्यागपत्र में एसआरजी और एआरपी ने कहा है कि उनके ही प्रयासों की बदौलत प्रदेश में टॉप 10 जिलों में प्रयागराज शामिल हुआ है। बावजूद इसके बीएसए प्रवीण कुमार तिवारी ऑनलाइन और ऑफलाइन बैठकों में कभी पूरी एआरजी टीम को तो कभी व्यक्तिगत रूप से अपशब्दों का प्रयोग करते हैं। इससे शिक्षकों की मान मर्यादा धूमिल होती है। वेतन की रिकवरी कराने और बीते चार वर्षों की स्थायी वेतन वृद्धि रोकने जैसी दंडात्मक कार्रवाई की भी धमकी दे रहे हैं।


    उन्होंने आरोप लगाया कि बीएसए के व्यवहार से सभी का मनोबल क्षीण होता जा रहा है। इससे पूरी एआरपी टीम की क्षमता प्रभावित हो रही है। इसे देखते हुए पूरी टीम त्यागपत्र दे रही है। साथ ही सभी एआरजी सदस्य अपने मोबाइल फोन से प्रेरणा सपोर्टिव सुपरविजन एप भी लॉगआउट हो रहे हैं।



    योजनाओं का संचालन करते हैं एसआरजी-एआरपी

    सरकार की योजनाओं का संचालन कराने के लिए शिक्षकों को ही एसआरजी (स्टेट रिसोर्स ग्रुप मेंबर) और एआरपी (एकेडमिक रिसोर्स पर्सन) बनाया गया है। यही शिक्षकों को नवाचार का प्रशिक्षण देते हैं। एप के जरिए योजनाओं की मॉनिटरिंग भी करते हैं। इसके लिए उन्हें अतिरिक्त वेतन भी दिया जाता है। इनके इस्तीफे से योजनाओं का संचालन लड़खड़ा सकता है।


    बीएसए की वार्ता का ऑडियो वायरल

    सामूहिक इस्तीफे के बाद बीएसए प्रवीण कुमार तिवारी का एक ऑडियो भी वायरल हो गया, जिसमें बीएसए यह कहते हुए सुनाई दे रहे है कि वह सरकारी काम को लेकर रात में तीन बजे सोते हैं। सुबह नौ बजे फिर कार्यालय पहुंच जाते हैं। अगर सामूहिक त्यागपत्र देकर यह लोग विद्यालयों में चले जाएंगे तो यह नहीं होने देंगे। जब तक इनसे 40 लाख रुपये की रिकवरी नहीं कर लेते, इन्हें एआरपी से नहीं छोंड़ेगे। इसके लिए विधि सम्मत आदेश जारी होगा। इन सभी को चाय-नाश्ता से लेकर पार्टी तक अपने वेतन से दी है लेकिन इन लोगों ने हमारे साथ विश्वासघात किया है।



    अभी तक हमारे पास कोई त्यागपत्र नहीं आया है। कुछ लोगों से बात हुई है, जिन्होंने इस प्रकरण में शामिल होने से इन्कार किया है। इस्तीफा सिर्फ वाट्सएप पर ही वायरल किया जा रहा है। बातचीत का वायरल वीडियो मेरा ही है। - प्रवीण कुमार तिवारी, बीएसए


    सर्विस बुक में दर्ज जन्मतिथि संशोधित नहीं की जा सकती', देखें हाईकोर्ट ऑर्डर

    सर्विस बुक में दर्ज जन्मतिथि संशोधित नहीं की जा सकती', देखें हाईकोर्ट ऑर्डर 

    झांसी में कार्यरत शिक्षिका की याचिका खारिज की, वर्ष 2006 में औरैया में बतौर सहायक अध्यापिका हुई थी नियुक्ति


    इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि कर्मचारी की सर्विस बुक में प्रथम बार दर्ज जन्मतिथि संशोधित नहीं की जा सकती। भले ही बोर्ड में जन्मतिथि को संशोधित कर दिया हो। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला ने झांसी जिले में सेवारत अध्यापिका कविता कुरील की याचिका खारिज करते हुए दिया है। अध्यापिका ने बेसिक शिक्षा अधिकारी झांसी के 19 अप्रैल 2023 के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें जन्मतिथि को संशोधित करने से मना कर दिया गया था। 


    याची के अधिवक्ता का कहना था कि हाईस्कूल के प्रमाणपत्र के अनुसार जन्मतिथि तीन नवंबर 1967 है। माध्यमिक शिक्षा परिषद ने ठीक भी कर दिया है। ऐसी स्थिति में हाईस्कूल प्रमाणपत्र के आधार पर उक्त नियमावली के तहत याची अध्यापिका की सर्विस बुक में जन्मतिथि तीन नवंबर 1960 की जगह तीन नवंबर 1967 दर्ज की जाए। याची की नियुक्ति बतौर सहायक अध्यापिका वर्ष 2006 में औरैया में हुई थी।



    बदली नहीं जा सकती सर्विस रिकॉर्ड की जन्मतिथि–हाईकोर्ट, सहायक अध्यापिका की जन्मतिथि में संशोधन की मांग खारिज 

    प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि सरकारी सेवक द्वारा सेवा में आने के समय दर्ज कराई गई जन्मतिथि ही सभी उद्देश्यों के लिए अंतिम रूप से मान्य होगी। इसे बाद में किसी भी कारण से संशोधित नहीं किया जा सकता। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ल ने दिया है। इसी के साथ कोर्ट ने सहायक अध्यापिका कविता कुरील की जन्मतिथि में संशोधन की मांग में दाखिल याचिका खारिज कर दी है।


    याची का कहना था कि उसकी वास्तविक जन्मतिथि तीन नवंबर 1967 है, जो उसने अपनी हाईस्कूल परीक्षा में पंजीकरण के समय दर्ज कराई थी। बाद में माध्यमिक शिक्षा परिषद की गलती से उसकी जन्मतिथि तीन नवंबर 1960 दर्ज हो गई। जिसमें संशोधन के लिए उसने माध्यमिक शिक्षा परिषद में प्रार्थना पत्र दिया था। उसका प्रार्थना पत्र लंबे समय तक परिषद के पास लंबित रहा और उस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया। 


    इस दौरान वर्ष 2006 में याची की नियुक्ति सहायक अध्यापिका पद पर हो गई और सेवा पुस्तिका में उसकी उस समय हाईस्कूल में दर्ज जन्मतिथि तीन नवंबर 1960 ही दर्ज की गई। याची ने जन्मतिथि में संशोधन को लेकर अपनी लड़ाई जारी रखी और अंतत माध्यमिक शिक्षा परिषद ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए वर्ष 2021 में उसकी मार्कशीट और हाईस्कूल के प्रमाण पत्र में जन्मतिथि को संशोधित करते हुए तीन नवंबर 1967 कर दिया।


    इसके बाद याची ने बेसिक शिक्षा अधिकारी झांसी को प्रार्थना पत्र देकर पूरे प्रकरण से अवगत कराया और अपनी सेवा पुस्तिका में जन्मतिथि संशोधित करने की मांग की। बेसिक शिक्षा अधिकारी ने उसकी मार्कशीट का माध्यमिक शिक्षा परिषद से सत्यापन करने के बाद उसकी जन्मतिथि में संशोधन का आदेश दे दिया। बाद में बीएसए ने अपना उक्त आदेश वापस ले लिया। 


    बीएसए ने आदेश वापस लेते समय उत्तर प्रदेश सेवायोजन (जन्मतिथि निर्धारण) नियमावली 1974 के नियम दो का हवाला दिया, जिसके अनुसार सेवा में आने के समय दर्ज कराई गई जन्मतिथि ही सभी उद्देश्यों के लिए अंतिम जन्मतिथि मानी जाएगी और उसमें किसी प्रकार का संशोधन नहीं किया जा सकता है।


    याची के अधिवक्ता की दलील थी कि याची को नियम दो का लाभ मिलना चाहिए क्योंकि इसके अनुसार यदि कर्मचारी सेवा में आने के समय हाईस्कूल उत्तीर्ण है तो उसकी हाईस्कूल के प्रमाण पत्र में दर्ज जन्मतिथि मानी जाएगी और यदि हाईस्कूल नहीं उत्तीर्ण है तो जो जन्मतिथि सेवा में आने के समय दर्ज कराई गई, वही अंतिम मानी जाएगी। याची सेवा में आने के समय हाईस्कूल उत्तीर्ण थी इसलिए उसके हाईस्कूल प्रमाण पत्र की सही जन्मतिथि को ही स्वीकार किया जाए।