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Tuesday, August 22, 2119

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    Thursday, December 5, 2024

    मांग : 6 दिसम्बर को गुरु तेग बहादुर शहीदी दिवस का अवकाश घोषित करने के संबंध में RSM का ज्ञापन

    मांग :  6 दिसम्बर को गुरु तेग बहादुर शहीदी दिवस का अवकाश घोषित करने के संबंध में RSM का ज्ञापन


    छह को अवकाश घोषित करने की मांग

    लखनऊ। उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजकर छह दिसंबर को अवकाश घोषित करने की मांग की है। 

    संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल कुमार यादव ने कहा है कि गुरु तेग बहादुर शहीदी दिवस का अवकाश परिषदीय विद्यालयों की छुट्टियों की सूची में 24 नवंबर (रविवार) को दर्ज है। जबकि सिख कैलेंडर के अनुसार शहीदी दिवस 06 दिसम्बर (शुक्रवार) को है। 

    इसके अनुसार पंजाब व चंडीगढ़ आदि प्रदेशों में अवकाश छह दिसंबर को घोषित किया गया है। ऐसे में प्रदेश के बेसिक विद्यालयों मे छह दिसंबर को अवकाश घोषित करें। 

    शिक्षकों पर गैर-शैक्षणिक कार्यों का लगातार बढ़ता बोझ, डाटा फीडिंग के बोझ तले दबते जा रहे शिक्षक, अब अपार आईडी की फीडिंग में बर्बाद हो रहा पढ़ाई का समय

    शिक्षकों पर गैर-शैक्षणिक कार्यों का लगातार बढ़ता बोझ, डाटा फीडिंग के बोझ तले दबते जा रहे शिक्षक, अब अपार आईडी की फीडिंग में बर्बाद हो रहा पढ़ाई का समय
     

    लखनऊ । उत्तर प्रदेश के सरकारी और मान्यता प्राप्त स्कूलों के शिक्षक इन दिनों पढ़ाई छोड़कर अपार (ऑटोमेटेड परमानेंट अकादमिक अकाउंट रजिस्ट्री) आईडी बनाने में व्यस्त हैं। शिक्षकों को इस प्रक्रिया के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है, जिसमें छात्रों के व्यक्तिगत और शैक्षणिक डेटा को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर फीड करना शामिल है। इससे उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी, यानी बच्चों को पढ़ाना, बुरी तरह प्रभावित हो रही है।  


    "हमें पढ़ाई के समय इस तरह के प्रशासनिक काम में उलझाया जा रहा है। शिक्षण कार्य पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, हम डेटा एंट्री ऑपरेटर बन गए हैं," एक शिक्षक ने नाराजगी जताई।  


    गैर-शैक्षणिक कार्यों और योजनाओं से पढ़ाई हो रही बाधित  

    यह पहली बार नहीं है जब शिक्षकों को पढ़ाई छोड़कर गैर-शैक्षणिक कार्यों में लगाया गया है। इससे न केवल बच्चों की शिक्षा बाधित हो रही है, बल्कि शिक्षकों में मानसिक तनाव भी बढ़ रहा है। शिक्षकों का कहना है कि सरकार की कई योजनाएं, जैसे मिड-डे मील की रिपोर्टिंग और अब अपार आईडी फीडिंग, सीधे कक्षाओं के समय को कम कर रही हैं।  

    "अगर हमारा समय डेटा फीडिंग में ही लग जाएगा, तो बच्चों को पढ़ाएगा कौन? पढ़ाई के समय में इस तरह की गतिविधियां बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हैं," एक अन्य शिक्षक ने बताया।  


    प्रशासनिक कार्यों के लिए अलग स्टाफ क्यों नहीं? 

    शिक्षकों का सवाल है कि सरकार इस तरह के कार्यों के लिए अलग से स्टाफ क्यों नहीं नियुक्त करती। क्या शिक्षकों की भूमिका केवल पढ़ाना है, या हर योजना का कार्यान्वयन भी उनकी जिम्मेदारी है? शिक्षकों को जबरन इस तरह के कार्यों में शामिल करने से न केवल उनका समय बर्बाद हो रहा है, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता भी गिर रही है।  

    "ऐसे कार्यों के लिए डाटा एंट्री ऑपरेटर और अन्य तकनीकी स्टाफ नियुक्त होना चाहिए। शिक्षक बच्चों को पढ़ाने के लिए होते हैं, न कि प्रशासनिक कार्यों के लिए," शिक्षकों के संगठन ने अपनी नाराजगी जाहिर की।  


    बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा सीधा असर

    बच्चों की शिक्षा पर इसका सीधा असर पड़ रहा है। पढ़ाई का समय लगातार घट रहा है, जिससे बच्चों का शैक्षणिक स्तर प्रभावित हो रहा है। कई शिक्षक शिकायत करते हैं कि वे न तो पूरे समय पढ़ा पा रहे हैं, और न ही बच्चों की पढ़ाई में सुधार के लिए कोई नई योजना लागू कर पा रहे हैं।  

    "हम बच्चों के साथ समय बिताने के बजाय कागजों और कंप्यूटर पर डेटा भरने में व्यस्त हैं। यह बच्चों के साथ अन्याय है," एक शिक्षक ने बताया।  


    क्या हो सकता है समाधान? 

    शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि शिक्षकों पर गैर-शैक्षणिक कार्यों का बोझ कम करना जरूरी है।  

    1. डेटा फीडिंग और अन्य प्रशासनिक कार्यों के लिए अलग से स्टाफ नियुक्त किया जाए।  
    2. शिक्षकों को केवल शिक्षण और शैक्षणिक विकास के कार्यों तक सीमित रखा जाए।  
    3. सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि शैक्षणिक गुणवत्ता में कोई कमी न हो।  


    "बच्चों का भविष्य बनाने वाले शिक्षकों को उनके मूल कार्य से अलग करना न केवल शिक्षा व्यवस्था के लिए हानिकारक है, बल्कि यह पूरी शिक्षा नीति पर सवाल खड़ा करता है।"  

    सरकार को इस दिशा में जल्द कदम उठाने की जरूरत है, ताकि शिक्षकों की ऊर्जा बच्चों की पढ़ाई में लगे और शिक्षा का स्तर बेहतर हो सके।

    प्रदेश में छात्रों की ऑनलाइन उपस्थिति न भेजने पर एक बार फिर सख्ती शुरू, शिक्षकों का कहीं रोका गया वेतन तो कहीं दी गई कारण बताओ नोटिस

    प्रदेश में छात्रों की ऑनलाइन उपस्थिति न भेजने पर एक बार फिर सख्ती शुरू, शिक्षकों का कहीं रोका गया वेतन तो कहीं दी गई कारण बताओ नोटिस
     

    बाराबंकी समेत कई जिलों में बेसिक शिक्षा विभाग ने शुरू की कार्रवाई

    लखनऊ। प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में डिजिटल पंजिकाओं को लेकर एक बार फिर सख्ती शुरू हुई है। शिक्षकों की ऑनलाइन डिजिटल अटेंडेंस पर भले ही रोक लग गई हो, लेकिन छात्रों की उपस्थिति ऑनलाइन (रियल टाइम) पर व मिड-डे-मील की सूचना न भेजने वाले शिक्षकों का वेतन रोकने की कार्यवाही शुरू कर दी गई है। बाराबंकी में 170 विद्यालय के शिक्षकों का वेतन रोकने की संस्तुति की गई है।


    प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों के एक दर्जन रजिस्टर को डिजिटल करने की कवायद पिछले दिनों शुरू की गई थी। इसके तहत शिक्षकों की डिजिटल अटेंडेंस भी लगनी थी। किंतु शिक्षकों के विरोध के कारण इसे वापस लेना पड़ा था। वहीं दूसरी तरफ एक बार फिर छात्रों की उपस्थिति व मिड-डे- मील से जुड़ी सूचनाएं रियल टाइम पर प्रेरणा पोर्टल पर न अपलोड करने पर बेसिक शिक्षा विभाग ने सख्ती शुरू कर दी है।


    इसके तहत जहां बाराबंकी में त्रिवेदीगंज ब्लॉक के विद्यालयों के शिक्षकों का वेतन रोक दिया गया है। वहीं बरेली, बुलंदशहर, मेरठ आदि में भी शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया जा रहा है। इसमें कहा गया है कि विद्यालय से जुड़ी सूचनाएं प्रधानाध्यापक व उनके द्वारा नामित शिक्षक की ओर से अपडेट करनी है। ऐसा न करने पर संबंधित शिक्षकों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।


    वहीं इस प्रकरण पर उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ की ओर से महानिदेशक स्कूल शिक्षा को पत्र भेजकर नाराजगी व्यक्त की गई है। संघ के प्रांतीय महामंत्री अरुणेंद्र कुमार वर्मा ने कहा कि मुख्य सचिव के साथ हुई वार्ता में डिजिटल अटेंडेंस को स्थगित रखने व एक विशेषज्ञ समिति के गठन की बात कही गई थी।

    किंतु कुछ जिलों में बीएसए द्वारा ऑनलाइन उपस्थिति व पंजिकाओं के डिजिटलाइजेशन न करने पर शिक्षकों का वेतन रोका जा रहा है। यह मुख्य सचिव के निर्देशों की अवहेलना है। इस मामले में यथास्थिति बनाई रखी जाए। 

    मदरसा अधिनियम में संशोधन करेगी प्रदेश सरकार, अधिनियम के दायरे से बाहर की जाएंगी कामिल और फाजिल की डिग्रियां

    मदरसा अधिनियम में संशोधन करेगी प्रदेश सरकार, अधिनियम के दायरे से बाहर की जाएंगी कामिल और फाजिल की डिग्रियां

    मदरसा अधिनियम और नियमावली सिर्फ बारहवीं कक्षा तक ही सीमित रहेगी, शासन स्तर पर तैयार किया जा रहा प्रस्ताव


    लखनऊ। प्रदेश सरकार उप्र मदरसा शिक्षा परिषद अधिनियम - 2004 में संशोधन करेगी। इस अधिनियम के दायरे से कामिल (स्नातक) और फाजिल (स्नातकोत्तर) डिग्रियां बाहर की जाएंगी। इसके लिए शासन स्तर पर प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।


    सुप्रीम कोर्ट के हाल ही में दिए गए फैसले में मदरसा शिक्षा परिषद अधिनियम की सांविधानिक वैधता को बरकरार रखा गया है। उससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मदरसा अधिनियम को असांविधानिक करार दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए कहा था कि यूपी मदरसा अधिनियम के सभी प्रावधान संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं करते हैं।


    साथ ही अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि बारहवीं कक्षा से आगे कामिल और फाजिल का प्रमाणपत्र देने वाले मदरसों को मान्यता नहीं दी जा सकती। क्योंकि, उच्च शिक्षा यूजीसी अधिनियम के तहत संचालित होती है। वहीं, उप्र मदरसा शिक्षा परिषद अधिनियम-2004 में परिषद की शक्तियां बताई गई हैं। इसमें कहा गया है कि मदरसा बोर्ड मुंशी, मौलवी, आलिम, कामिल और फाजिल पाठ्यक्रमों की परीक्षाओं का संचालन करेगा।


    इस एक्ट के आधार पर ही उत्तर प्रदेश अशासकीय अरबी और फारसी मदरसा मान्यता, प्रशासन और सेवा  विनियमावली, 2016 तैयार की गई थी। अब शासन सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए मदरसा अधिनियम और नियमावली में से कामिल और फाजिल पाठ्यक्रमों के बारे में दिए गए सभी प्रावधान हटाएगा। यह अधिनियम और नियमावली सिर्फ बारहवीं कक्षा तक ही सीमित रहेगी।

    69000 शिक्षक भर्ती में नहीं हो सकी सुनवाई, 17 दिसंबर मिली अगली तारीख

    69000 शिक्षक भर्ती में नहीं हो सकी सुनवाई, 17 दिसंबर मिली अगली तारीख 


    05 दिसंबर 2024
    लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों के मामले की बुधवार को भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी। इससे अभ्यर्थियों में निराशा है। सुनवाई की अगली तिथि 17 दिसंबर संभावित है। वहीं अभ्यर्थियों ने इस मामले में जल्द से जल्द सुनवाई कर उनको न्याय देने की मांग की है।

    लखनऊ हाईकोर्ट की डबल बेंच द्वारा 13 अगस्त को इस मामले में दिए गए आदेश पर नौ सितंबर को सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई थी। इसके बाद इस मामले में सुनवाई के लिए 15 अक्तूबर, 12 नवंबर, 20 नवंबर, 27 नवंबर और फिर चार दिसंबर की डेट मिली। किंतु इन तिथियों पर सुनवाई नहीं हो सकी।

    आरक्षण प्रभावित अभ्यर्थियों का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने कहा कि आज भी हमारे मामले में सुनवाई का नंबर नहीं आया। हमें उम्मीद है कि जल्द से जल्द इस मामले की सुनवाई कर सुप्रीम कोर्ट हमें न्याय देगा। वहीं अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का पक्ष रख रहे विनय पांडेय ने कहा कि आज कुछ कारण से सुनवाई नहीं हो सकी। 



    69000 शिक्षक भर्ती की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई अब चार दिसम्बर को

    02 दिसंबर 2024
    लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती में सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 10 दिसंबर की जगह अब चार दिसंबर को होगी। इस मामले की सुनवाई अब जस्टिस दीपांकर दत्ता व जस्टिस संजय करोल करेंगे। 
    आरक्षण प्रभावित अभ्यर्थियों का नेतृत्व कर रहे भास्कर सिंह व सुशील कश्यप ने कहा कि आरक्षण के मुद्दे पर वह सुप्रीम कोर्ट से निश्चित तौर पर जीतेंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने 69000 शिक्षक भर्ती में बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 तथा आरक्षण नियमावली 1994 का उल्लंघन किया है।

    यही वजह है कि लखनऊ हाईकोर्ट डबल बेंच ने 13 अगस्त को 69000 शिक्षक भर्ती की पूरी लिस्ट को रद्द करके नई सूची बनाने के निर्देश दिए हैं। 



    69000 शिक्षक भर्ती में नहीं हो पाई सुनवाई, अगली डेट 10 दिसम्बर को सुनवाई संभावित 

    28 नवंबर 2024
    लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी। इस पर अभ्यर्थियों ने निराशा जताई है। अभी अगली सुनवाई की प्रस्तावित तिथि 10 दिसंबर है, हालांकि इससे पहले भी सुनवाई संभावित है। अभ्यर्थियों ने एक बार फिर से प्रदेश सरकार से इस मामले में पहल करने की मांग की है।

    आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने बताया कि आज प्रस्तावित सुनवाई अपरिहार्य कारणों से नहीं हो सकी। उन्होंने कहा कि अभ्यर्थियों का न्याय की उम्मीद बढ़ती जा रही है। वहीं भास्कर सिंह व सुशील कश्यप ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट में सिर्फ 2000 आरक्षण प्रभावित अभ्यर्थी ही याची बने हैं। ऐसे में प्रदेश सरकार को चाहिए कि वह 10 दिसंबर को होने वाली सुनवाई में याची लाभ का प्रस्ताव प्रस्तुत करे। ताकि इस मामले का निस्तारण हो सके।

    उन्होंने कहा कि वह एक से तीन दिसंबर तक ई-मेल भेजकर राष्ट्रपति, मुख्य न्यायाधीश आदि से जल्द से जल्द इस मामले की सुनवाई की अपील करेंगे। दूसरी तरफ अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की लड़ाई लड़ रहे विनय पांडेय ने कहा कि जल्द ही इस मामले में सुनवाई होने की उम्मीद है। 



    69000 शिक्षक भर्ती की सुप्रीम कोर्ट में नहीं हो सकी सुनवाई, अब 27 नवंबर को होगी अगली सुनवाई 

    21 नवंबर 2024
    लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती मामले की बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी थी। किंतु कतिपय कारणों से यह सुनवाई नहीं हो सकी। इससे अभ्यर्थियों में निराशा है। सुनवाई की अगली तिथि 27 नवंबर लगी है। 69000 शिक्षक भर्ती मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने 13 अगस्त को पुरानी सभी सूची को निरस्त करते हुए आरक्षण नियमों के अनुसार नई सूची बनाने के निर्देश दिए थे। इसके बाद चयनित अभ्यर्थी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट चले गए। 


    69000 शिक्षक भर्ती की सुप्रीम कोर्ट में अब 27 नवंबर को होगी सुनवाई

    लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती मामले की बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं हो पाई। इससे अभ्यर्थियों में निराशा है। अब 27 नवंबर सुनवाई होगी। इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने 13 अगस्त को पुरानी सभी सूची को निरस्त करते हुए आरक्षण नियमों के अनुसार नई सूची बनाने के निर्देश दिए थे। 
    इसके बाद चयनित अभ्यर्थी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट चले गए। जहां मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने हाईकोर्ट की डबल बेंच के आदेश पर नौ सितंबर को सुनवाई के बाद रोक लगा दी थी। आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने कहा कि 23 सितंबर के बाद से लगातार डेट मिल रही है। इससे अभ्यर्थियों में निराशा है।

    चयनित वर्ग के अभ्यर्थियों का नेतृत्व कर रहे विनय पांडेय ने कहा कि अब 27 नवंबर को होने वाली सुनवाई में न्याय की उम्मीद है। 




    69000 शिक्षक भर्ती की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज,  सुनवाई पर टिकी अभ्यर्थियों की उम्मीद 

    20 नवम्बर 2024
    लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती मामले की बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। इससे अभ्यर्थियों को उम्मीद है कि उनके मामले में निर्णय होगा और उन्हें जल्द न्याय मिलेगा। पिछले कई तारीखों पर सुनवाई नहीं हो सकी है, इससे प्रभावित अभ्यर्थी निराश हैं। पहले सुनवाई की प्रस्तावित तिथि 19 नवंबर थी जो अब बदलकर 20 नवंबर को हो गई है।

    69000 शिक्षक भर्ती मामले में 13 अगस्त को लखनऊ हाईकोर्ट की डबल बेंच ने नई सूची बनाकर आरक्षण नियमों का पालन करते हुए नई सूची जारी करने का निर्देश दिया था। इसे अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थीयों के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

    वहीं आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी सरकार से इसका पालन किए जाने के लिए मांग कर रहे थे। किंतु इस पर निर्णय नहीं हो सका और अब इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है।

    आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने बताया कि मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने लखनऊ हाईकोर्ट के डबल बेंच के आदेश पर नौ सितंबर को सुनवाई के बाद रोक लगा दी थी। साथ ही 23 सितंबर को अगली सुनवाई की तिथि तय की थी। लेकिन इस तिथि को सुनवाई नहीं हो सकी। फिर 15 अक्तूबर और 12 नवंबर की तिथि लगी। किंतु इस दिन भी सुनवाई नहीं हो सकी। इसको लेकर अभ्यर्थी निराश हैं।



    कल नहीं हो सकी सुनवाई, 69000 शिक्षक भर्ती मामले में अब 19 नवंबर को होगी सुनवाई

    13 नवंबर 2024
    लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी। न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ में यह सुनवाई होनी थी। लेकिन, समयाभाव के कारण केस की सुनवाई नहीं हो सकी। वहीं अगली तिथि 19 नवंबर प्रस्तावित की गई है।


    69000 शिक्षक भर्ती : आज भी नहीं हो सकी सुनवाई

    लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी। न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच में आज इस मामले पर सुनवाई होनी थी। अगली तिथि 19 नवंबर प्रस्तावित की गई है। आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी इस भर्ती में आरक्षण में गड़बड़ी के आरोप लगा रहे हैं। इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के पक्ष में निर्णय देते हुए पुरानी सभी सूची निरस्त करते हुए नई सूची जारी करने के निर्देश दिए थे। इसे लेकर चयनित वर्ग के अभ्यर्थी सुप्रीम कोर्ट चले गए हैं।



    69000 शिक्षक भर्ती की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज

    11 नवम्बर 2024
    लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई मंगलवार 12 नवंबर को होगी। यह सुनवाई 15 नवंबर को प्रस्तावित थी। सुनवाई पहले होने के कारण आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने सोमवार को बैठक कर आगे की रणनीति बनाई। साथ ही उम्मीद जताई कि उन्हें जल्द ही न्याय मिलेगा।

    सुप्रीम कोर्ट में यह मामला अक्तूबर से चल रहा है। सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने इस मामले की एक सुनवाई हुई है। इसके बाद से इस पर डेट लग रही है। दिवाली से पहले इस मामले में अगली तिथि 15 नवंबर को प्रस्तावित हुई थी। किंतु अब यह 12 नवंबर को ही लग गई है।

     पिछड़ा दलित संयुक्त मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कश्यप व प्रदेश संरक्षक भास्कर सिंह ने बैठक में कहा कि वह 2020 से इस मामले की लड़ाई लड़ रहे हैं। 

    Wednesday, December 4, 2024

    तदर्थ शिक्षकों का नियमितीकरण व बकाया एरियर का होगा भुगतान, मिले आश्वासन के बाद माध्यमिक शिक्षक संघ का आंदोलन स्थगित

    तदर्थ शिक्षकों का नियमितीकरण व बकाया एरियर का होगा भुगतान, मिले आश्वासन के बाद  माध्यमिक शिक्षक संघ का आंदोलन स्थगित

    ■ शिक्षकों ने विधान भवन घेराव का ऐलान किया था 

    ■ माध्यमिक शिक्षक संघ की 18 सूत्री मांगों पर हुई वार्ता


    लखनऊ । माध्यमिक शिक्षक संघ ने बुधवार को विधान भवन घेराव का अपना प्रस्तावित आन्दोलन स्थगित कर दिया है। मंगलवार को अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा, दीपक कुमार के साथ हुई वार्ता के बाद शिक्षक नेताओं ने आंदोलन स्थगित करने की घोषणा की। एक दिन पूर्व सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ भी शिक्षक नेताओं की वार्ता हुई थी और मुख्यमंत्री ने शिक्षक नेताओं की समस्याएं सुनने के बाद अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा को शिक्षक नेताओं से वार्ता कर समस्याओं के निपटारे के निर्देश दिए थे।

     इसी परिप्रेक्ष्य में मंगलवार को शिक्षक नेता एवं एमएलसी राजबहादुर सिंह चंदेल, पूर्व एमएलसी चेतनारायण सिंह, लवकुश मिश्रा, महेश चन्द्र शर्मा तथा माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश मंत्री संजय द्विवेदी के साथ वार्ता हुई और शिक्षा सेवा आयोग मे धारा 21 जैसी व्यवस्था न होना, प्रोन्नति, वेतन समेत संगठन की 18 सूत्री मांगों पर विस्तार से विचार किया गया। प्रमुख मांगों पर सकारात्मक आश्वासन के बाद संगठन ने बुधवार को प्रस्तावित विधान भवन घेराव आंदोलन को स्थगित कर दिया।


    लखनऊ। उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ (चंदेल गुट) का धरना मंगलवार को विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार से वार्ता के बाद स्थगित हो गया। वार्ता में अपर मुख्य सचिव ने आश्वासन दिया कि वर्ष 2000 तक के तदर्थ शिक्षकों को विनियमित करने की प्रक्रिया कर रहे हैं। यह देख रहे हैं कि कहां कौन शिक्षक छूट गए हैं। इससे पहले के शिक्षकों के बारे में स्थिति स्पष्ट नहीं है।

    वहीं पुरानी पेंशन बहाली पर उन्होंने इसे केंद्र का मामला बताया। प्रदेश अध्यक्ष चेत नारायण सिंह ने बताया कि अपर मुख्य सचिव ने शिक्षकों के बकाया एरियर की समीक्षा करके भुगतान करने की बात कही है। वहीं शिक्षकों के अकारण निलंबन के मामले में धारा 21 और धारा 18 को शिक्षा सेवा चयन आयोग में शामिल कराने व जीपीएफ का पैसा जमा नहीं होने का कारण जानने की बात कही।

    प्रतिनिधिमंडल में एमएलसी राजबहादुर चंदेल, प्रदेश महामंत्री अनिरूद्ध त्रिपाठी शामिल थे। इससे पहले आज भी लखनऊ, इलाहाबाद, बरेली मंडल, कानपुर, चित्रकूट मंडल के शिक्षक रॉयल होटल परिसर में एकत्र हुए और धरना दिया। 

    यूपी बोर्ड परीक्षा के लिए प्रदेश भर में बने 8142 केंद्र, 485 नए केंद्र बने, सरकारी व एडेड घटे निजी परीक्षा केंद्र बढ़े

    यूपी बोर्ड परीक्षा के लिए प्रदेश भर में बने 8142 केंद्र, 485 नए केंद्र बने,  सरकारी व एडेड घटे निजी परीक्षा केंद्र बढ़े


    प्रयागराज। यूपी बोर्ड की दसवीं व बारहवीं की परीक्षा प्रदेश भर के 8142 केंद्रों में आयोजित की जाएगी। परीक्षा केंद्रों की सूची पर आईं आपत्तियों के निस्तारण के बाद परीक्षा केंद्रों की लिस्ट में 485 नए केंद्र शामिल किए गए हैं। इन पर फिर से आपत्तियां मांगी गईं हैं। अंतिम लिस्ट सात दिसंबर को जारी होगी। हालांकि, केंद्रों की संख्या में अब किसी तरह के फेरबदल की उम्मीद नहीं है। हालांकि, पिछले साल के मुकाबले इस बार 123 केंद्र कम हैं, क्योंकि हाईस्कूल में परीक्षार्थियों की संख्या भी कम हुई है। 


    इस बार हाईस्कूल में 25,6490 परीक्षार्थी घटे हैं, जबकि इंटरमीडिएट में 16,3667 परीक्षार्थी बढ़े हैं। कुल परीक्षार्थियों की बात करें तो 92,823 परीक्षार्थी कम हुए हैं। यूपी बोर्ड परीक्षा-2024 में कुल 55,25,342 परीक्षार्थी थे, जबकि 2025 की परीक्षा के लिए 54,32,519 परीक्षार्थी पंजीकृत हैं। यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने बताया कि परीक्षा केंद्रों की लिस्ट पर छह दिसंबर तक आपत्तियां मांगी गई हैं। 


    बोर्ड सात दिसंबर को केंद्रों की अंतिम लिस्ट जारी करने की तैयारी में है। इससे पूर्व यूपी बोर्ड ने ऑनलाइन माध्यम से 7657 केंद्रों का चयन करते हुए लिस्ट जारी कर आपत्तियां मांगी थीं। सभी जिलों के डीईओएस के माध्यम से आपत्तियां के निस्तारण के बाद बोर्ड परीक्षा-2025 के लिए अब 8142 केंद्र निर्धारित किए गए हैं। 


    पिछली बार भी आपत्तियों के बाद बढ़े थे 401 केंद्र यूपी बोर्ड परीक्षा-2024 में भी आपत्तियों के निस्तारण के बाद 401 केंद्र बढ़ गए थे और अंतिम लिस्ट में सरकारी व एडेड विद्यालयों की संख्या घटी और निजी विद्यालयों की संख्या बढ़ी थी। 


    पिछली बार परीक्षा में सॉफ्टवेयर के माध्यम से यूपी बोर्ड ने 7864 केंद्र निर्धारित किए थे। इनमें 1017 सरकारी, 3537 एडेड व 3310 निजी विद्यालय शामिल थे। आपत्तियों के निस्तारण के बाद जनपद समिति के अनुमोदन पर फाइनल लिस्ट में केंद्रों की संख्या बढ़कर 8265 हो गई थी। इनमें 566 सरकारी, 3479 एडेड व 4120 निजी विद्यालय शामिल थे।


    सरकारी व एडेड घटे निजी परीक्षा केंद्र बढ़े

    आपत्तियों के निस्तारण से पूर्व यूपी बोर्ड ने ऑनलाइन माध्यम से जिन 7657 परीक्षा केंद्रों का चयन करते हुए लिस्ट जारी की थी, उनमें 940 सरकारी विद्यालयों, 3515 अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) विद्यालयों व 3205 वित्त विहीन निजी विद्यालयों को परीक्षा केंद्र बनाया गया था। आपत्तियों के निस्तारण के बाद यूपी बोर्ड ने जो लिस्ट जारी की है, उसमें सरकारी व एडेड विद्यालयों की संख्या कम हो गई है जबकि निजी विद्यालयों की संख्या बढ़ गई है। परीक्षा के लिए निर्धारित 8142 केंद्रों में 576 सरकारी, 3447 एडेड व 4119 निजी विद्यालय शामिल हैं। ऐसे में परीक्षा केंद्रों की लिस्ट से 364 सरकारी व 65 एडेड विद्यालयों को बाहर करते हुए 914 निजी विद्यालयों को शामिल किया गया है।

    नौवीं व दसवीं में गणित की तर्ज पर साइंस व सोशल साइंस में दो विकल्प (स्टैंडर्ड व एडवांस) देने की CBSE की तैयारी

    नौवीं व दसवीं में गणित की तर्ज पर साइंस व सोशल साइंस में दो विकल्प (स्टैंडर्ड व एडवांस) देने की CBSE की तैयारी

    सीबीएसई की नौवीं व दसवीं में दोनों विषयों में स्टैंडर्ड और एडवांस स्तर का विकल्प देने की योजना


    नई दिल्ली। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड गणित की तर्ज पर छात्रों को सोशल साइंस व साइंस में दो विकल्प (स्टैंडर्ड व एडवांस) देने की तैयारी कर रहा है। बोर्ड ने शैक्षणिक सत्र 2026-27 से नौवीं व दसवीं कक्षा के इन दोनों विषयों के दो स्तर (स्टैंडर्ड व एडवांस) को पढ़ाने की योजना बनाई है। बीते दिनों सीबीएसई करिकुलम कमेटी में इस प्रस्ताव को रखा गया। अब बोर्ड की प्रबंध समिति की बैठक से मंजूरी मिलने के बाद ही इसे लागू किया जा सकेगा।


    वर्तमान में दसवीं कक्षा में छात्रों को गणित विषय में बेसिक व स्टैंडर्ड स्तर ऑफर किया जाता है। इसे वर्ष 2020 में लागू किया गया था। इसमें दोनों स्तर के लिए पेपर व कठिनता का स्तर अलग- अलग होता है। इसी तरह से अब बोर्ड साइंस व सोशल साइंस में दो विकल्प देने की योजना पर काम कर रहा है। इसे बोर्ड की प्रबंध समिति की बैठक में रखा जाएगा, जहां से मंजूरी मिलने के बाद ही इस योजना को शैक्षणिक सत्र 2026- 27 से लागू किया जाएगा। दोनों विषयों के लिए दो विकल्प मिलने पर परीक्षा अलग से होगी या पाठ्य सामग्री अलग होगी इस पर अभी फैसला होना बाकी है।


    एनसीईआरटी की किताबों की प्रतीक्षा कर रहा बोर्ड

    बोर्ड अगले साल आने वाली एनसीईआरटी की किताबों की प्रतीक्षा कर रहा है। उन किताबों को नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क के आधार पर तैयार किया जा रहा है। एनसीईआरटी ने बीते साल पहली व दूसरी और इस साल तीसरी व छठी कक्षा के लिए पुस्तकें तैयार की हैं। अब अगले साल कुछ और पुस्तकें नए तरीके की आनी है। बेसिक व स्टैंडर्ड को कैसे लागू किया जाएगा इसकी रुपरेखा एनसीईआरटी की पुस्तकों के आधार पर ही तैयार की जाएगी।

    देश भर के 782 जिलों के 88 हजार स्कूलों तीसरी, छठीं और नौवीं कक्षा के 23 लाख छात्र आज देंगे "परख" परीक्षा

    देश भर के 782 जिलों के 88 हजार स्कूलों तीसरी, छठीं और नौवीं कक्षा के 23 लाख छात्र आज देंगे "परख" परीक्षा



    नई दिल्ली। तीसरी, छठीं और नौवीं कक्षा के 23 लाख छात्र बुधवार को "परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण-2024" में शामिल होंगे। यह परीक्षा 782 जिलों में तीन साल बाद आयोजित की जा रही है। इसमें भाषा, गणित, हमारे आस-पास की दुनिया, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान विषयों में छात्र का समग्र विकास का आकलन होगा। इसमें उम्र व कक्षा के आधार पर सीखने की जरूरत और कितना सीखा आदि का मूल्यांकन किया जाएगा।


    यह परीक्षा केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के लिए राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की सिफारिशों के तहत आयोजित हो रहा है। यह छात्रों के आधारभूत, प्रारंभिक और मध्य चरणों (यानी, वर्तमान में तीसरी, छठी और नौवीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्र) के अंत में विकसित क्षमताओं का आकलन करने और उपचारात्मक उपाय करने में मदद करेगा।


    यह स्कूलों के पूरे स्पेक्ट्रम को कवर करेगा, यानी देश भर के सरकारी स्कूल (केंद्र सरकार और राज्य सरकार), सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल और निजी स्कूलों के छात्र इसमें शामिल होंगे। 


    23 भाषा में आयोजित होगी परीक्षा

    परीक्षा 23 भाषाओं में आयोजित की जाएगी, जिसमें असमिया, बंगाली, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कोंकणी, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, संथाली, सिंधी, तमिल, तेलुगु, उर्दू, बोडो, अंग्रेजी, मिजो, गारो और खासी शामिल है।


    75,565 पर्यवेक्षक नियुक्त

    सर्वेक्षण को सुचारू और निष्पक्ष संचालन के लिए 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 94878 फील्ड इन्वेस्टिगेटर, 75,565 पर्यवेक्षक, 3128 जिला स्तरीय अधिकारी और 180 राज्य नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। साथ ही, सर्वेक्षण के समग्र कामकाज की निगरानी और निष्पक्ष संचालन सुनिश्चित करने के लिए जिलों में 38 राष्ट्रीय स्तर के पर्यवेक्षकों के साथ 782 बोर्ड प्रतिनिधियों को नियुक्त किया गया है। सभी कर्मियों को उनकी जिम्मेदारियों के बारे में प्रशिक्षण दिया गया है।

    Tuesday, December 3, 2024

    अफसरों की मनमानी और खामियाजा शिक्षक भुगत रहे, आदेशों के बाद भी सवा साल से तदर्थ शिक्षकों को वेतन-भत्ता नहीं, शासन ने मांगा स्पष्टीकरण

    अफसरों की मनमानी और खामियाजा शिक्षक भुगत रहे, आदेशों के बाद भी सवा साल से तदर्थ शिक्षकों को वेतन-भत्ता नहीं, शासन ने मांगा स्पष्टीकरण

    माध्यमिक शिक्षा विभाग के अफसरों की लापरवाही, अधिकारियों से एक सप्ताह में स्पष्टीकरण तलब

    02 हजार तदर्थ शिक्षकों वेतन का भुगतान नहीं कराया


    लखनऊ । कोर्ट और शासन के स्पष्ट आदेशों के बाद भी माध्यमिक शिक्षा विभाग के अफसरों ने प्रदेश के दो हजार तदर्थ शिक्षकों के वेतन का भुगतान नहीं कराया। शासन ने संबंधित अफसरों से एक सप्ताह में स्पष्टीकरण मांगा है। जयाच संतोषजनक नहीं मिलने पर कार्रवाई की भी चेतावनी दी गई है।


    वर्ष 2000 के पूर्व के दो हजार तदर्थ शिक्षकों को पिछले सवा साल से वेतन और भत्ते का भुगतान नहीं हो रहा है। यह स्थिति तब है जब इन शिक्षकों के वेतन-भत्ते के भुगतान के लिए कोर्ट के बाद शासन ने भी स्पष्ट आदेश किया हैं। विभागीय अधिकारियों ने तकनीकी कारण बताकर इन तदर्थ शिक्षकों के मामले लटका रखे हैं। 


    उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के वरिष्ठ शिक्षक नेता ओम प्रकाश त्रिपाठी की माने तो यह अधिकारियों का दुस्साहस है कि उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में जारी राजाज्ञा के बावजूद भी अभी तक पिछले सवा साल से रुके वेतन का भुगतान शुरू नहीं हो सका है। 


    दूसरी तरफ शिक्षा अधिकारियों के इस उपेक्षा पूर्ण रवैये पर उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (पांडेय गुट) ने अत्यंत गहरी नाराजगी जाहिर की है और शासन का इस ओर ध्यान आकर्षित किया है।


    अफसरों की मनमानी, खामियाजा शिक्षक भुगत रहे'

    सगठन के वरिष्ठ शिक्षक नेता ओम प्रकाश त्रिपाठी ने बयान जारी कर कहा है कि संगठन लगातार इस मामले की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करता चला आ रहा है। सारे आदेश के बाद भी शिक्षा अधिकारियों की उदासीनता के बलते पिछले सितंबर 2023 से अधिकारियों की मनमानी के कारण वर्ष 2000 तक कार्यरत दो हजार से अधिक तदर्थ शिक्षक भुखमरी के कगार पर है। हर स्तर पर आदेश भी जारी है लेकिन शिक्षक अधिकारियों की गलतियों एवं हठधरमिता का खामियाजा भुगतने पर विवश है।


     शिक्षक नेताओं ने बताया कि कोर्ट और विभागीय आदेश के तहत इन सभी तदर्थ शिक्षकों को बिना किसी व्यवधान के एरियर सहित नियमित वेतन भुगतान करने के स्पष्ट आदेश जारी होने पर भी वेतन का भुगतान नहीं होने से शिक्षकों नाराजगी है।

    यूपी के बच्चे अब दिन में भी तारे देख सकेंगे, सभी 18 मंडलों में बनेंगे तारामंडल

    यूपी के बच्चे अब दिन में भी तारे देख सकेंगे, सभी 18 मंडलों में बनेंगे तारामंडल


    लखनऊ । प्रदेश के सभी 18 मंडल के बच्चों को जल्द ही एक सौगात मिलने वाली है जहां वो सचमुच दिन में तारे देख सकेंगे। अति- आधुनिक टेलीस्कोप के जरिए ग्रह नक्षत्रों की दुनिया में डूब सकेंगे। एस्ट्रो- फोटोग्राफी के जरिए लाखों मील दूर सूरज, चांद, सितारों, ग्रहों और उपग्रहों की तस्वीरें ले सकेंगे। साथ ही स्पेस साइंस और एस्ट्रोनामी से संबंधित श्री- डी फिल्में और शो देख सकेंगे। विज्ञान की दुनिया की और तमाम बातों से रूबरू हो सकेंगे।


    दरअसल, प्रदेश सरकार जल्द ही स्थापना करने जा रही है। इन तारामंडलों के भीतर नक्षत्रशाला के साथ ही साइंस पार्क भी होंगे। यह जानकारी सोमवार को उत्तर प्रदेश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अनिल कुमार ने लखनऊ स्थित इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान दी। सोमवार को वह इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला के आधुनिकीकरण कार्यों की समीक्षा के लिए वहां मौजूद थे। 


    उन्होंने बताया कि गोरखपुर में नक्षत्रशाला का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। वहीं आगरा, वाराणसी, बरेली और बांदा में तारामंडल व साइंस पार्क के लिए जमीनें मिल चुकी हैं। हमारी कोशिश है कि सरकार के इस कार्यकाल में हम सभी 18 मंडलों में तारामंडल व साइंस पार्क बनाने का काम पूरा कर सकें। गाजियाबाद में पहले से ही मिनी साइंस पार्क का संचालन किया जा रहा है।


    सभी 18 मंडलों में तारामंडल की मुख्यमंत्री के विजन पर काम करते हुए कोशिश है कि प्रदेश के बच्चों में वैज्ञानिक सोच विकसित हो। वो कल्पनाशील, स्वप्नदर्शी व सक्षम बनें। इस सोच के साथ हम प्रदेश के सभी 18 मंडल में साइंस पार्क व तारामंडल स्थापित करने की दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं।
    - अनिल कुमार, मंत्री, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, उप्र।


    घर बैठे बुक कर सकेंगे टिकट

    बच्चों के लिए इन नक्षत्रशालाओं के टिकट में खास छूट होगी। यही नहीं टिकटों की बुकिंग बुक माई शो, पेटीएम, अमेजॉन जैसे विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए घर बैठे कर सकेंगे। टिकटों की ऑनलाइन बुकिंग की शुरुआत सबसे पहले लखनऊ स्थित इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला से की जाएगी।

    हाईकोर्ट ने मांगा स्कूलों में सुरक्षा उपायों पर प्रगति का ब्योरा

    हाईकोर्ट ने मांगा स्कूलों में सुरक्षा उपायों पर प्रगति का ब्योरा


    03 दिसंबर 2024
    लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने प्रदेश के 1,41000 स्कूलों की सुरक्षा का मुआयना कराने के मामले में सुप्रीमकोर्ट के दिशानिर्देशों को लागू करने के मामले में राज्य सरकार और न्यायमित्र अधिवक्ता से प्रगति का ब्योरा पेश करने का आदेश दिया है। 


    मामले की अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी। इसके पहले आठ नवंबर की सुनवाई में हाईकोर्ट ने सुप्रीमकोर्ट द्वारा अविनाश मेहरोत्रा के मामले में दिए गए सुरक्षा संबंधी दिशा निर्देशों को लागू करने का आदेश दिया था। न्यायमूर्ति आलोक माथुर और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश गोमती रिवर बैंक रेजिडेंट्स की और से वर्ष 2020 में दाखिल जनहित याचिका पर दिया। इसमें शहर के आवासीय क्षेत्रों में मानकों का उल्लंघन कर चल रहे स्कूलों का मुद्दा उठाया गया है। 


    मामले में कोर्ट ने प्रदेश के स्कूलों की सेफ्टी ऑडिट रिपोर्ट तलब की थी। राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता कुलदीप पति त्रिपाठी ने कोर्ट को बताया कि स्कूलों का मुआयना किया जाना है।


    लखनऊ में छोटे बच्चों को स्कूल परिसर से लाने-ले जाने के मामले में मांगी प्रगति रिपोर्ट : हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के आदेश पर लखनऊ में कक्षा 5 तक के छोटे बच्चों की स्कूल परिसर से लाने-ले जाने के मामले में स्कूलों से बातचीत जारी है। हाईकोर्ट ने इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता से प्रगति का ब्योरा तलब किया है। वरिष्ठ अधिवक्ता जय दीप नारायण माथुर ने कोर्ट को बताया कि वह कई स्कूलों के संपर्क में हैं और इनके प्राधिकारियों से सकारात्मक बातचीत हो रही है। शैक्षणिक परिसरों के बाहर व भीतर विद्यार्थियों की यातायात समेत सुरक्षा व्यवस्था सुधारने को कदम उठाए जा रहे हैं। कोर्ट ने अगली सुनवाई पर 16 दिसंबर को उनसे प्रगति का ब्योरा पेश करने को कहा है। 




    सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 2009 में दिए गए दिशा-निर्देशों के बावजूद स्कूलों में 14 वर्षों से सुरक्षा मानकों का निरीक्षण नहीं होने पर हाईकोर्ट खफा

    09। नवंबर 2024
    लखनऊ । स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर चल रहे एक मामले की सुनवाई के दौरान, हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पाया है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 2009 में दिए गए दिशा-निर्देशों के बावजूद प्रदेश में स्कूलों का पिछले 14 वर्षों से निरीक्षण नहीं किया गया है। न्यायालय ने इस पर अप्रसन्नता जाहिर करते हुए, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के पिछले दो वर्षों के 'मिनट्स ऑफ मीटिंग्स' को तलब कर लिया है। 


    न्यायालय ने कहा कि यदि हम पाते हैं कि आपदा प्राधिकरण ने शीर्ष अदालत के आदेश के बावजूद, इस सम्बंध में कुछ भी नहीं किया है तो यथोचित आदेश पारित किया जाएगा। मामले की अगली सुनवायी 11 नवंबर को होगी।


    यह आदेश न्यायमूर्ति आलोक माथुर व न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने गोमती रिवर बैंक रेजीडेंट्स की ओर से वर्ष 2020 में दाखिल की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया है।


    उक्त याचिका में शहर के आवासीय क्षेत्रों में चल रहे स्कूलों का मुद्दा खास तौर पर उठाया गया है। सुनवायी के दौरान न्यायालय ने अविनाश मेहरोत्रा मामले में शीर्ष अदालत द्वारा वर्ष 2009 में दिए गए दिशानिर्देशों को लागू करने पर जोर दिया है। पिछली सुनवाई में पारित आदेश के अनुपालन में राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि प्रदेश में कुल लगभग 1.41 लाख स्कूल हैं, जिनका निरीक्षण करने में लगभग आठ माह का समय लग जाएगा।


    सिर्फ तीन स्कूलों ने दी पिक-ड्रॉप की सुविधा

    इसी मामले की पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने हजरतगंज व राजभवन के पास के स्कूलों को कक्षा 5 तक के बच्चों को स्कूल परिसर में ही पिक- ड्रॉप की सुविधा देने का आदेश दिया था। इस बार उपस्थित रहे, डीसीपी यातायात प्रबल प्रताप सिंह ने कोर्ट को बताया कि तीन स्कूलों ने इस आदेश का पालन किया है। इस पर न्यायालय ने मामले में न्यायमित्र नियुक्त अधिवक्ता जेएन माथुर को बाकी के स्कूल प्रबंधन से बात करने का जिम्मा दिया है।

    संविदा व अतिथि शिक्षकों के लिए वेतन मानकीकरण का प्रस्ताव नहीं, केंद्र सरकार ने लोकसभा में दिया जवाब

    संविदा व अतिथि शिक्षकों के लिए वेतन मानकीकरण का प्रस्ताव नहीं, केंद्र सरकार ने लोकसभा में दिया जवाब


    नई दिल्ली। शिक्षा मंत्रालय ने संविदा और अतिथि शिक्षकों के लिए अनुबंध और वेतन के मानकीकरण के लिए राष्ट्रीय ढांचे की किसी भी योजना से इन्कार कर दिया। केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने लोकसभा में सोमवार को एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी।


    कांग्रेस सांसद धर्मवीर गांधी ने पूछा कि क्या सरकार के पास संविदा या अतिथि शिक्षकों के लिए अनुबंध और वेतन के मानकीकरण के लिए राष्ट्रीय ढांचा स्थापित करने की कोई योजना है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उनके किए गए काम के लिए उन्हें समान मुआवजा दिया जाए। 


    केंद्रीय मंत्री मजूमदार ने ऐसे किसी भी प्रस्ताव से इन्कार करते हुए बताया कि उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण (एआईएसएचई) 2022-23 के अनुसार, सार्वजनिक शिक्षा संस्थानों में 2.43 लाख से अधिक संविदा संकाय सदस्य और निजी संस्थानों में 10 हजार से अधिक संविदा संकाय सदस्य कार्यरत हैं। 

    चार वर्षीय स्नातक डिग्री वाले विद्यार्थियों के लिए एक साल का बीएड डिग्री पाठ्यक्रम फिर होगा शुरू

    चार वर्षीय स्नातक डिग्री वाले विद्यार्थियों के लिए एक साल का बीएड डिग्री पाठ्यक्रम फिर होगा शुरू


    नई दिल्ली। शैक्षणिक सत्र 2026- 27 से बीएड का प्रारूप बदलने जा रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 के तहत दस साल बाद अब बीएड फिर एक वर्षीय हो जाएगा। बीएड कॉलेजों के लिए वर्ष 2025 से बदलाव की अधिसूचना जारी होगी। इसमें चार वर्षीय स्नातक डिग्री वाले विद्यार्थियों का दाखिला होगा।


    शिक्षक पात्रता परीक्षा यानी टीईटी के नियमों व मापदंड में बदलाव भी 2027 में चार वर्षीय इंटीग्रेटेड डिग्री पाने वाले बैच के निकलने से पहले हो जाएगा। राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के अध्यक्ष प्रो. पंकज अरोड़ा ने बताया कि स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार एवं फर्जी व डमी कॉलेजों पर नकेल की तैयारी तेज हो गई है। शिक्षा नीति के तहत चार भागों फाउंडेशन, प्रीपेटरी, मिडिल व सेकंडरी स्तर के अनुरूप ही शिक्षक तैयार किए जाएंगे। स्नातक पाठ्यक्रम में बदलाव के कारण अलग-अलग बीएड कार्यक्रम शुरू किए जा रहे हैं।


    ऐसे मिलेगी बीएड डिग्री

    ■ एक साल में बीएड : इसमें चार वर्षीय स्नातक व स्नातकोत्तर का पाठ्यक्रम पूरा कर चुके विद्यार्थी दाखिला ले सकेंगे।

    ■ दो साल में बीएड : तीन वर्षीय स्नातक करने वाले विद्यार्थियों को दाखिला मिलेगा। स्नातक के बाद शिक्षक बनने के इच्छुक अभ्यर्थियों को फायदा मिलेगा।

    ■ एमएड डिग्री : चार वर्षीय इंटीग्रेटेड बीएड व दो साल बीएड की पढ़ाई वाले विद्यार्थी इसमें दाखिला ले सकेंगे।


    इन पाठ्यक्रमों का होगा विस्तार

    ■ चार वर्षीय इंटीग्रेटेड बीएड : 2023 में बीए-बीएड, बीएससी-बीएड और बीकॉम- बीएड का पहला बैच शुरू हुआ है। 2025 से इसमें चार नए विशेषज्ञता कोर्स शारीरिक शिक्षा, कला शिक्षा, योग शिक्षा व संस्कृत शिक्षा जुड़ेंगे। जो छात्र 12वीं के बाद शिक्षक बनना चाहेंगे, वे इसमें दाखिला ले सकेंगे।

    ■ पुराना दो वर्षीय बीएड: अभी 750 कॉलेजों में चल रहे इस पाठ्यक्रम का भी विस्तार किया जाएगा।



    फर्जी कॉलेजों पर नकेल

    ■ देशभर के साढ़े 15 हजार बीएड कॉलेजों को शिक्षकों के पैन नंबर, उनकी वेतन खाते से पंजीकृत करने के निर्देश दिए गए हैं। इससे वे एक से ज्यादा कॉलेजों में सेवाएं नहीं दे सकेंगे।

    ■ डमी व फर्जी कॉलेजों को पकड़ने के लिए जियो कोऑर्डिनेट के तहत शिक्षकों व छात्रों की लाइव फोटो अपलोड करनी होगी।

    ■ कॉलेजों को वर्ष 2021-22 और 2022-23 की परफोर्मेस अप्रेजल रिपोर्ट (पीएआर) 10 दिसंबर तक अनिवार्य तौर पर अपलोड करने के निर्देश हैं। इसमें शिक्षकों व छात्रों की संख्या, छात्र-शिक्षक अनुपात, पाठ्यक्रम, मूल्यांकन, परिणाम, पास प्रतिशत जैसी अहम जानकारियां देनी है। इससे पढ़ाई की गुणवत्ता में सुधार होगा।

    Monday, December 2, 2024

    मांग : बेसिक शिक्षकों का जिले के अंदर और बाहर परस्पर तबादला जल्द शुरू हो, शिक्षामित्रों पर भी निर्णय लेने की रखी मांग

    मांग : बेसिक शिक्षकों का जिले के अंदर और बाहर परस्पर तबादला जल्द शुरू हो, शिक्षामित्रों पर भी निर्णय लेने की रखी maang


    लखनऊ। उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ ने परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों की जिले के अंदर और जिले के बाहर परस्पर तबादला प्रक्रिया जल्द शुरू करने की मांग की है। दारुलसफा में संघ कार्यालय पर रविवार को हुई प्रांतीय बैठक में यह मांग उठाई गई।


    बैठक में प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि शिक्षकों का परस्पर तबादला हर साल सर्दियों और गर्मियों की छुट्टी में करने का आदेश प्रमुख सचिव ने जारी किया है। लेकिन इस साल जनवरी से अब तक आवेदन लेने के लिए बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा कोई आदेश जारी नहीं किया गया। एक साल से प्रदेश के हजारों शिक्षक इसके इंतजार में हैं।  उन्होंने कहा कि अगर 15 दिसंबर तक आवेदन के लिए पोर्टल नहीं खोला गया तो संघ आंदोलन के लिए बाध्य होगा। जल्द ही इस मामले में संघ का एक प्रतिनिधिमंडल सीएम से भी मिलेगा।


    प्रदेश महामंत्री संदीप दत्त व प्रदेश उपाध्यक्ष धर्मेंद्र यादव ने कहा कि शिक्षामित्रों की आर्थिक हालत बहुत खराब है। प्रदेश सरकार ने पिछले महीने संघ के साथ हुई बैठक के बाद समस्याओं का स्थायी हल निकलने की बात कही थी। किंतु आज तक कुछ नहीं हुआ। इससे शिक्षामित्र नाराज हैं। सरकार इस पर भी जल्द ठोस निर्णय ले ताकि उनका आक्रोश शांत किया जा सके। अन्यथा शिक्षामित्र भी आंदोलन की तैयारी में हैं। 

    18 सूत्रीय मांगों को लेकर जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ की सीएम योगी को ज्ञापन, बेसिक शिक्षकों, सरकार, शासन और विभाग के मध्य उत्पन्न संवादहीनता को वार्ता के माध्यम से समाप्त करने की मांग

    18 सूत्रीय मांगों को लेकर जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ की सीएम योगी को ज्ञापन,  बेसिक शिक्षकों, सरकार, शासन और विभाग के मध्य उत्पन्न संवादहीनता को वार्ता के माध्यम से समाप्त करने की maang


    यूनिफॉर्म में परिषदीय बच्चों की उपस्थिति सुनिश्चित करने की नई पहल: बेसिक शिक्षकों की मांग हर जिले में लागू हो शाहजहांपुर का मॉडल

    यूनिफॉर्म में परिषदीय बच्चों की उपस्थिति सुनिश्चित करने की नई पहल: बेसिक शिक्षकों की मांग हर जिले में लागू हो शाहजहांपुर का मॉडल  


    शाहजहांपुर । उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में परिषदीय स्कूलों के बच्चों को यूनिफॉर्म में स्कूल भेजने के लिए प्रशासन ने एक प्रेरक और सख्त कदम उठाया है। जिलाधिकारी के निर्देश पर मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) डॉ. अपराजिता सिंह ने साफ किया है कि यूनिफॉर्म में न आने वाले बच्चों के अभिभावकों को राशन वितरण में रोक लगाई जाएगी। यह कदम शिक्षा और बच्चों की बेहतरी के लिए उठाया गया है।  


    यूनिफॉर्म का उद्देश्य
    सरकार ने बच्चों के लिए यूनिफॉर्म, स्वेटर, जूते और मोजे खरीदने हेतु 1200 रुपये सीधे डीबीटी के माध्यम से अभिभावकों के खातों में भेजे हैं। यूनिफॉर्म का उद्देश्य न केवल बच्चों को सर्दी से बचाना है, बल्कि उनकी पहचान और अनुशासन को भी बढ़ावा देना है। इसके बावजूद, सर्दी में बच्चों को बिना उचित यूनिफॉर्म के स्कूल आने की शिकायतें मिल रही थीं।  


    कैसे काम करेगा यह मॉडल?
    सीडीओ डॉ. अपराजिता सिंह ने निर्देश दिया है कि यदि एक सप्ताह के भीतर बच्चे पूरी यूनिफॉर्म में स्कूल नहीं आते, तो संबंधित अभिभावकों की सूची बनाकर कोटेदारों को दी जाएगी। इसके बाद इन परिवारों को मुफ्त राशन का लाभ नहीं मिलेगा। यह निर्णय स्कूल निरीक्षण और अभिभावकों को जागरूक करने के बाद लिया गया है।  


    शिक्षा और जिम्मेदारी का संदेश
    यह पहल शिक्षा के महत्व और अभिभावकों की जिम्मेदारी को रेखांकित करती है। सरकार द्वारा प्रदान किए गए धन का उपयोग बच्चों की मूलभूत आवश्यकताओं पर होना चाहिए। यूनिफॉर्म के अभाव में बच्चे न केवल ठंड का सामना करते हैं, बल्कि आत्मविश्वास में भी कमी महसूस करते हैं।  


    हर जिले के लिए प्रेरणा
    शाहजहांपुर की यह पहल अन्य जिलों के लिए एक प्रेरणा बन सकती है। अगर हर जिले में इस मॉडल को अपनाया जाए तो:  

    - बच्चों की उपस्थिति में सुधार होगा।  

    - यूनिफॉर्म पहनने से बच्चों में अनुशासन और समानता का भाव बढ़ेगा।  

    - अभिभावक सरकारी सहायता का सही उपयोग करेंगे।  

    - सरकारी योजनाओं के उद्देश्य को सही दिशा मिलेगी।  


    प्रशासन और शिक्षकों की भूमिका
    इस पहल को सफल बनाने के लिए प्रशासन और शिक्षकों को सक्रिय भूमिका निभानी होगी।  

    - अभिभावकों को लगातार जागरूक करें।  

    - यूनिफॉर्म के महत्व और बच्चों के स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव को समझाएं।  

    - स्कूल निरीक्षण को नियमित करें।  


    सीडीओ का संदेश 
    सीडीओ डॉ. अपराजिता सिंह ने कहा, "यूनिफॉर्म बच्चों के लिए केवल कपड़ा नहीं, बल्कि उनकी शिक्षा और स्वास्थ्य की सुरक्षा का प्रतीक है। यह पहल बच्चों को ठंड से बचाने और उनके आत्मसम्मान को बढ़ाने के लिए है। अभिभावकों को अपने बच्चों की जिम्मेदारी को समझना होगा।"

      
    शाहजहांपुर का यह कदम न केवल बच्चों के लिए बेहतर वातावरण सुनिश्चित करेगा, बल्कि अभिभावकों में भी जिम्मेदारी का भाव जगाएगा। अन्य जिलों को भी इस पहल को अपनाना चाहिए, जिससे शिक्षा और बच्चों की बेहतरी के लिए सरकार की योजनाएं पूरी तरह सफल हो सकें। यूनिफॉर्म में बच्चे, शिक्षित और आत्मविश्वास से भरे बच्चे।

    साइबर हैकर्स के निशाने पर उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षक, जानिए कैसे हो रहा है फ्राड और कैसे करें बचाव?

    साइबर हैकर्स के निशाने पर उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षक, जानिए कैसे हो रहा है फ्राड और कैसे करें बचाव? 


    लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षक इन दिनों साइबर हैकर्स के निशाने पर हैं। हाल ही में फिरोजाबाद में 12 शिक्षकों के मोबाइल एपीके फाइल के जरिए हैक किए जाने की खबर ने सभी को चौंका दिया है। अब राज्यभर के शिक्षक मुख्यमंत्री हेल्पलाइन नंबर 1076 से आने वाली संदिग्ध कॉल्स को लेकर असमंजस में हैं। इन कॉल्स में विभागीय फीडबैक के नाम पर एप डाउनलोड करने और आधार कार्ड समेत निजी जानकारी अपलोड करने के लिए कहा जा रहा है।  


    कैसे हो रहा है फ्रॉड?
    शिक्षकों को 1076 नंबर से कॉल कर यह विश्वास दिलाया जा रहा है कि यह मुख्यमंत्री हेल्पलाइन है। पहले उनसे विभागीय कार्यों और फीडबैक से जुड़े सवाल किए जाते हैं। इसके बाद एक लिंक भेजा जाता है, जिसमें आधार कार्ड और अन्य निजी जानकारी भरने या फोटो अपलोड करने की मांग की जाती है। कुछ शिक्षकों ने लिंक पर क्लिक किया, जिससे उनके मोबाइल हैक हो गए।  


    शिक्षामित्र धर्मेंद्र कुमार बताते हैं, "मेरे पास भी 1076 से कॉल आई। इसे मुख्यमंत्री हेल्पलाइन समझकर रिसीव कर लिया था। लेकिन सतर्कता बरतने के कारण ठगी से बच गया।" वहीं, शिक्षक अरुण गुप्ता ने बताया, "कॉल के बाद भेजे गए लिंक पर क्लिक करने से मैंने परहेज किया।"  


    शिक्षकों के बीच बढ़ रही चिंता
    तीन दिनों में प्रदेशभर में 200 से अधिक शिक्षकों को ऐसी कॉल्स आ चुकी हैं। इस घटना ने शिक्षकों में चिंता बढ़ा दी है। शिक्षकों का कहना है कि इस मामले में विभागीय अधिकारियों की तरफ से कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी जा रही है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी फिरोजाबाद, आशीष पांडेय ने कहा, "यह फ्रॉड कॉल्स हो सकती हैं। शिक्षकों को किसी भी संदिग्ध कॉल का जवाब देने से पहले अधिकारियों से परामर्श लेना चाहिए।"  


    सतर्कता के उपाय
    उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षकों को साइबर फ्रॉड से बचाने के लिए निम्नलिखित सतर्कता उपाय सुझाए गए हैं:  

    1. संदिग्ध कॉल से बचें: 1076 या अन्य अज्ञात नंबर से आने वाली कॉल्स को तुरंत न उठाएं।  

    2. लिंक पर क्लिक न करें: किसी भी अज्ञात लिंक पर क्लिक न करें।  

    3. निजी जानकारी साझा न करें: आधार कार्ड, पासवर्ड या अन्य संवेदनशील जानकारी किसी को न दें।  

    4. फीडबैक सत्यापित करें: अगर फीडबैक के लिए कॉल आती है, तो पहले संबंधित अधिकारी से सत्यापन करें।  

    5. साइबर क्राइम सेल से संपर्क करें: किसी भी फ्रॉड का संदेह हो तो तुरंत पुलिस की साइबर क्राइम सेल को सूचित करें।  

    6. अन्य शिक्षकों को सतर्क करें: अपने साथी शिक्षकों को ऐसी घटनाओं से अवगत कराएं।  


    साइबर अपराधी नए-नए तरीके अपनाकर शिक्षकों को निशाना बना रहे हैं। ऐसे में शिक्षकों को जागरूक और सतर्क रहना आवश्यक है। किसी भी संदिग्ध कॉल या लिंक पर भरोसा न करें और विभागीय और पुलिस अधिकारियों से परामर्श लेना न भूलें। सतर्कता ही इस साइबर जाल से बचने का सबसे बड़ा हथियार है।

    Sunday, December 1, 2024

    15 जनवरी तक होंगे दशमोत्तर छात्रवृत्ति के आवेदन, शासन ने जारी की संशोधित समय सारिणी

    15 जनवरी तक होंगे दशमोत्तर छात्रवृत्ति के आवेदन, शासन ने जारी की संशोधित समय सारिणी


    लखनऊ । शैक्षिक सत्र 2024-25 में दशमोत्तर छात्रवृत्ति आवेदन से वंचित विद्यार्थियों को अंतिम मौका दिया गया है। बड़ी संख्या में विद्यार्थियों के योजना से वंचित होने की सूचना पर शासन ने संशोधित समय सारिणी जारी की है। जारी संशोधित समय सारिणी के अनुसार 15 जनवरी तक आवेदन और 23 जनवरी तक कॉलेजों को सत्यापित कर अग्रसारित करना होगा।


    शैक्षिक सत्र 2024-24 में उपसचिव रजनीकांत पांडेय ने दशमोत्तर कक्षाओं में अध्ययनरत बच्चों को छात्रवृत्ति योजना से लाभान्वित करने के लिए संशोधित आवेदन की समय सारिणी जारी की है। जिसके अनुसार 31 दिसंबर तक कॉलेजों को सॉफ्टवेयर पर मास्टर डेटा अपलोड करना होगा। छह जनवरी तक डीआईओएस व 10 जनवरी तक समाज कल्याण विभाग को फीस सहित अन्य डेटा को सत्यापित करना अनिवार्य होगा।


    इसी तरह दशमोत्तर कक्षाओं (कक्षा 11 व 12 संग स्नातक, परास्नातक व तकनीकी शिक्षा) में अध्ययनरत विद्यार्थी 15 जनवरी तक ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। आवेदन के बाद तीन दिन तक त्रुटियों में सुधार का मौका देते हुए 17 जनवरी तक आवेदन की हार्ड कॉपी स्कूल में जमा करनी होगी। 23 जनवरी तक कॉलेज आवेदित फार्म व अपलोड डेटा का सत्यापन करने के बाद फार्म निरस्त या अग्रसारण की कार्रवाई पूरी करेंगे।


    आवेदन के बाद जांच पूरी करते हुए समाज कल्याण विभाग बच्चों के खाते में प्रतिपूर्ति राशि का अंतरण करेगा। सचिव का पत्र मिलने के बाद समाज कल्याण विभाग ने डीआईओएस के माध्यम से सभी प्रधानाचार्यों को संशोधित आवेदन समय सारिणी भेजते हुए निर्धारित समयावधि में दशमोत्तर छात्रवृत्ति आवेदन प्रक्रिया पूरी कराने का निर्देश दिया है।


    संशोधित दशमोत्तर छात्रवृत्ति आवेदन समय सारिणी प्रधानाचार्यों को भेजी गई है। आवेदन नहीं करने की दशा में विद्यार्थी की तो समय से जांच कर फॉर्म अग्रसारित नहीं करने पर कॉलेज प्रधानाचार्य की जिम्मेदारी होगी।

    यूपी बोर्ड प्रश्नपत्रों की नए सिरे से बनेगी रूपरेखा, 15 दिसंबर से पहले दो दिवसीय कार्यशाला में होगा मंथन, 2026 की यूपी बोर्ड परीक्षा से लागू हो सकता है नया प्रारूप

    यूपी बोर्ड प्रश्नपत्रों की नए सिरे से बनेगी रूपरेखा, 15 दिसंबर से पहले दो दिवसीय कार्यशाला में होगा मंथन, 2026 की यूपी बोर्ड परीक्षा से लागू हो सकता है नया प्रारूप

    ■ कक्षा नौ से 12 तक के प्रश्नपत्रों के प्रारूप पर विचार

    ■ हाई ऑर्डर थिंकिंग स्किल पर होगा गंभीर मंथन


    प्रयागराज । यूपी बोर्ड के हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा के प्रश्नपत्रों की रूपरेखा नए सिरे से तय की जाएगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के परिप्रेक्ष्य में कक्षा नौ से 12 तक की परीक्षाओं के प्रश्नपत्र का प्रारूप फिर से निर्धारित करने के लिए बोर्ड 15 दिसंबर से पहले दो दिनी कार्यशाला आयोजित करने जा रहा है।


    प्रश्नपत्रों में हाई ऑर्डर थिंकिंग स्किल (हॉट्स) समेत अन्य प्रकार के प्रश्नों को कितने अनुपात में शामिल करना है और प्रश्नपत्र में सरल, सामान्य और कठिन प्रश्नों की संख्या कितनी होनी चाहिए आदि बिन्दुओं पर विशेषज्ञ मंथन करेंगे।


    वैचारिक समझ बढ़ेगीः प्रश्नपत्रों में बदलाव का मकसद छात्र-छात्राओं में रटने और परीक्षा के लिए सीखने की बजाए वैचारिक समझ बढ़ाने पर जोर होगा। नया प्रारूप तैयार करने के बाद शासन को भेजा जाएगा जिसकी मंजूरी मिलने के बाद 2026 की परीक्षा से लागू हो सकता है। सचिव भगवती सिंह के अनुसार प्रश्नपत्रों के प्रारूप पर कार्यशाला से यूपी बोर्ड के विषय विशेषज्ञों की समझ भी बेहतर होगी।


    क्षमताओं और योग्यताओं का करेंगे परीक्षण

    बोर्ड परीक्षा और प्रवेश परीक्षा सहित माध्यमिक विद्यालय परीक्षाओं की वर्तमान प्रकृति और आज की कोचिंग संस्कृति विशेष रूप से माध्यमिक विद्यालय स्तर पर बहुत नुकसान पहुंचा रही है। इससे वास्तव में सीखने की बजाए विद्यार्थी अपना मूल्यवान समय परीक्षा, कोचिंग और तैयारी में दे रहा है। ये परीक्षाएं छात्रों को एक ही स्ट्रीम में बहुत ही सीमित सामग्री सीखने के लिए मजबूर करती हैं। बोर्ड परीक्षाओं को इस तरह बनाया जाएगा कि वे महीनों की कोचिंग और याद करने की बजाय मुख्य रूप से विद्यार्थियों की मूल क्षमताओं और योग्यताओं का परीक्षण कर सकें।

    बीएसए की पहल पर कबाड़ी को किताबें बेचने के मामले में बीईओ की गिरफ्तारी को जिलाधिकारी ने बताया नियम विरुद्ध, सीओ और एसओ के खिलाफ कार्यवाही हेतु एसपी को लिखा पत्र

    बीएसए की पहल पर कबाड़ी को किताबें बेचने के मामले में बीईओ की गिरफ्तारी को जिलाधिकारी ने बताया नियम विरुद्ध, सीओ और एसओ के खिलाफ कार्यवाही हेतु एसपी को लिखा पत्र


    बांसी। जिलाधिकारी डॉ. राजा गणपति आर ने परिषदीय विद्यालय की किताबें कबाड़ी को बेचने के मामले में शुक्रवार को हुई बीईओ बांसी की गिरफ्तारी को नियम विरुद्ध बताते हुए प्रभारी निरीक्षक और सीओ बांसी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए एसपी को पत्र लिखा है। इस मामले को संज्ञान में लाने के लिए बीएसए ने जिलाधिकारी को पत्र लिखा था।


    बीएसए ने डीएम लिखे पत्र में कहा था कि पुस्तकें कबाड़ी को बेचने के आरोप में बीईओ कार्यालय के अनुचर सहाबुद्दीन और रामजस के विरुद्ध पुलिस ने बिना विभागीय जांच प्राथमिकी दर्ज की थी। इस प्राथमिकी में बीईओ अखिलेश कुमार सिंह का नाम नहीं था। सिर्फ अनुचरों के बयान को आधार बनाकर अखिलेश कुमार सिंह के नाम को प्रकाश में लाकर गिरफ्तारी की गई है। उन्होंने मुख्य सचिव के शासनादेश का हवाला देते हुए कहा है कि यदि किसी अधिकारी और कर्मचारी द्वारा बरती अनियमितता प्रकाश में आती है तो उसके विरुद्ध जांच के बाद अनुशासनिक विभागीय कार्रवाई की जानी चाहिए।


    बीएसए ने कहा है कि विभागीय अनुशासनिक कार्रवाई में यदि यह पाया जाता है कि उसकी कोई आपराधिक भूमिका है तो उसके विरुद्ध पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराए जाने पर विचार किया जाता है। अन्यथा विभागीय कार्रवाई में जांच अधिकारी की रिपोर्ट पर दंड दिए जाते हैं। बीएसए ने कहा है कि प्रभारी निरीक्षक और सीओ बांसी ने शासनादेश का पालन नहीं किया। उन्होंने डीएम से प्रभारी निरीक्षक और सीओ बांसी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की। बीएसए की शिकायत के आधार पर डीएम ने एसपी को पत्र लिखा है।


    बीईओ की गिरफ्तारी के मामले में शासनादेश का उल्लंघन किया गया है। किसी आपराधिक मामले में विभागीय जांच में दोष साबित होने पर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। इस मामले में बांसी के सीओ और कोतवाल के खिलाफ कार्रवाई के लिए एसपी को पत्र लिखा गया है। ~ डॉ0 राजा गणपति आर, जिलाधिकारी




    BEO Arrested: कबाड़ी के यहां किताब की बिक्री मामले में बीईओ गिरफ्तार

    30 नवंबर 2024
    सिद्धार्थनगर। बांसी कोतवाली की पुलिस ने परिषदीय विद्यालय की पुस्तकों को कबाड़ी से बेचने के मामले शुक्रवार को पांचवें आरोपी खंड शिक्षा अधिकारी बांसी अखिलेश सिंह को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद उन्हें जेल भेज दिया है।


    बताते चलें कि 15 अक्तूबर परिषदीय विद्यालय की पुस्तक बेचने के मामले में कोतवाली पुलिस ने दो कबाड़ी और दो खंड शिक्षा अधिकारी बांसी के कार्यालय सहायक कुल चार लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। 


    बच्चों को पढ़ने के लिए निशुल्क पुस्तकें उपलब्ध कराई गई कक्षा एक से आठ तक की पुस्तक खंड शिक्षा अधिकारी बांसी के कार्यालय में पड़ी थी। जिसे विद्यालयों में न भेजकर अतिरिक्त आमदनी के लिए कबाड़ी के हाथ बेच दिया था। 15 अक्तूबर को मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने एक पिकअप से कक्षा एक से आठ तक की 8 क्विंटल किताबों को ले जाते समय कबाड़ी को पकड़ा था।


    पकड़े गए कबाड़ी कस्बे के शास्त्रीनगर वार्ड निवासी अंकित कसेरा व प्रतीक कसेरा उर्फ गोपाल और खंड शिक्षा अधिकारी बांसी कार्यालय सहायक शहाबुद्दीन पुत्र मो इस्लाम निवासी नेउरी थाना मिश्रौलिया व अनुचर रामजस निवासी प्रतापनगर कस्बा बांसी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। 


    इसमें पांचवें आरोपी के रूप में बीईओ थे। पुलिस उनकी गिरफ्तारी के लिए लगी थी। शुक्रवार को मौके पर पहुंचकर दबोच लिया। इस संबंध में कोतवाल बांसी राम कृपाल शुक्ल ने बताया कि पांचवें आरोपी खंड शिक्षा अधिकारी बांसी अखिलेश सिंह को गिरफ्तार कर न्यायालय भेज दिया गया है।

    Saturday, November 30, 2024

    ऑस्ट्रेलिया ने 16 साल से कम उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर लगाया बैन

    ऑस्ट्रेलिया ने 16 साल से कम उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर लगाया बैन


    ऑस्ट्रेलिया सोलह साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध लगाने वाला पहला देश बन गया है. ऑस्ट्रेलियाई संसद द्वारा पारित इस क़ानून का उद्देश्य युवाओं को ऑनलाइन गतिविधियों से मानसिक स्वास्थ्य को होने वाले संभावित नुकसान से बचाना है.


    नई दिल्ली: ऑस्ट्रेलिया 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया मंच पर राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध लगाने वाला पहला देश बन गया है. ऑस्ट्रेलियाई संसद द्वारा पारित इस ऐतिहासिक कानून का उद्देश्य युवाओं को ऑनलाइन गतिविधियों से मानसिक स्वास्थ्य को होने वाले संभावित नुकसान से बचाना है.


    टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, आस्ट्रेलियाई सीनेट ने गुरुवार (28 नवंबर) को इस विधेयक को 19 के मुकाबले 34 मतों से पारित कर दिया. इससे पहले प्रतिनिधि सभा ने बुधवार (27 नवंबर) को 13 के मुकाबले 102 मतों से इस कानून को मंजूरी दे दी थी.


    इस संबंध में प्रधान मंत्री एंथनी अल्बानीज़ ने कहा कि ये कानून ऑनलाइन गतिविधियों से होने वाले नुकसान से चिंतितअभिभावकों का समर्थन करता है.


    अल्बानीज़ ने संवाददाताओं से आगे कहा, ‘अब ऐसे मंचों पर यह सुनिश्चित करने की सामाजिक ज़िम्मेदारी है कि हमारे बच्चों की सुरक्षा उनकी प्राथमिकता है.’


    ऑस्ट्रेलिया के सोशल मीडिया कानून के प्रमुख प्रावधान:

    आयु सत्यापन: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कम उम्र के यूजर्स को उनकी सेवाओं तक पहुंचने से रोकने के लिए जिम्मेदार होंगे.

    सख्त दंड: जो कंपनियां आयु सत्यापन जरूरतों का पालन करने में असफल रहती हैं, उन्हें 50 मिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर तक के भारी जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है.

    छूट: मैसेजिंग ऐप्स, ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म और शैक्षणिक सेवाओं को इस प्रतिबंध से छूट दी जाएगी.


    फेसबुक, टिकटॉक अन्य ने कार्यान्वयन पर चिंता जताई

    मालूम हो कि इस कानून में नियमों का उल्लंघन करने वाले युवाओं या अभिभावकों के लिए कोई दंड नहीं है. सोशल मीडिया कंपनियां भी यूजर्स को उनकी उम्र का आकलन करने के लिए डिजिटल आईडी सहित सरकारी पहचान प्रदान करने के लिए बाध्य नहीं कर सकेंगी.

    सोशल मीडिया मंचों के पास इस बात पर विचार करने के लिए एक साल का समय है कि वे प्रतिबंध को कैसे लागू कर सकते हैं.

    मेटा प्लेटफ़ॉर्म, जो फेसबुक और इंस्टाग्राम का मालिक है, ने कहा कि इस कानून को ‘जल्दबाजी’ में लाया गया है.

    ज्ञात हो कि इस कानून को लेकर कई सोशल मीडिया मंचों ने शिकायत की थी कि ये अव्यवहारिक होगा. मेटा ने सीनेट से कम से कम जून 2025 तक इंतज़ार करने का आग्रह किया था, जब सरकार द्वारा आयु आकलन टेक्नोलॉजी का मूल्यांकन यह साफ़ करेगा कि छोटे बच्चों को कैसे बाहर रखा जा सकता है.

    मेटा ने कहा,  ‘स्वाभाविक रूप से हम ऑस्ट्रेलियाई संसद द्वारा तय किए गए कानूनों का सम्मान करते हैं. हालांकि, हम उस प्रक्रिया के बारे में चिंतित हैं, जिसने सबूतों पर उचित विचार किए बिना कानून को जल्दबाजी में पारित कर दिया.’

    वहीं, स्नैपचैट ने एक बयान में कहा, ‘हालांकि, इस कानून को व्यवहार में कैसे लागू किया जाएगा, इसके बारे में कई सवाल हैं, जिनका जवाब नहीं हैं, हम गोपनीयता को संतुलित करने वाले दृष्टिकोण को विकसित करने में मदद करने के लिए 12 महीने की कार्यान्वयन अवधि के दौरान सरकार और ईसेफ्टी कमिश्नर के साथ मिलकर काम करेंगे. सुरक्षा और व्यावहारिकता के साथ हमेशा की तरह स्नैप ऑस्ट्रेलिया में सभी लागू कानूनों और विनियमों का अनुपालन करेगा.’

    कार्यवाहक प्रधानाचार्य को वेतन देने से इंकार करने के हतप्रभ करने वाले कन्नौज DIOS के आदेश पर हाईकोर्ट की रोक

    कार्यवाहक प्रधानाचार्य को वेतन देने से इंकार करने के हतप्रभ करने वाले कन्नौज DIOS के आदेश पर हाईकोर्ट की रोक


    ■ पुराना शिक्षा कानून समाप्त, नया प्रभावी नहीं 
    ■ वेतन सरकार देगी, बोर्ड आयोग से सरोकार नहीं


    प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि उप्र माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड अधिनियम समाप्त हो चुका है और नए शिक्षा चयन बोर्ड का अभी क्रियान्वयन नहीं हो सका है, इसलिए कार्यकारी प्रधानाचार्य को वेतन से इनकार करने का जिला विद्यालय निरीक्षक कन्नौज का आदेश हतप्रभ करने वाला है।


    कोर्ट ने कहा कि याची को वेतन भुगतान सरकार को करना है। इससे शिक्षा बोर्ड या आयोग से कोई सरोकार नहीं है। इसी के साथ कोर्ट ने जिला विद्यालय निरीक्षक का गत 26 सितंबर का आदेश विधि विरुद्ध करार देते हुए निरस्त कर दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने आदर्श शिक्षा सदन इंटर कॉलेज अलीपुर सौरिख के कार्यकारी प्रधानाचार्य विनोद कुमार यादव की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।


    याची के अधिवक्ता अनुराग शुक्ल का कहना था कि याची वरिष्ठतम अध्यापक है। नियमानुसार प्रधानाचार्य का पद रिक्त होने पर उसे चार्ज सौंपा गया। बाद में डीआईओएस हस्ताक्षर प्रमाणित किया और वह कार्यरत है। याची ने कार्यकारी प्रधानाचार्य के पद का वेतन भुगतान करने की अर्जी दी। डीआईओएस ने अर्जी को यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि पुराना कानून समाप्त हो गया है।

    बेसिक शिक्षा विभाग के वरिष्ठ सहायक 40 हजार की घूस लेते गिरफ्तार, इटावा में विजिलेंस ने रंगे हाथ पकड़ा, सीसीटीवी फुटेज जारी कर बीएसए ने बताया निर्दोष


    बेसिक शिक्षा विभाग के वरिष्ठ सहायक 40 हजार की घूस लेते गिरफ्तार, इटावा में विजिलेंस ने रंगे हाथ पकड़ा, सीसीटीवी फुटेज जारी कर बीएसए ने बताया निर्दोष


    इटावा के बेसिक शिक्षा कार्यालय के वरिष्ठ सहायक को विजिलेंस टीम ने रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा। विजिलेंस टीम बाबू को लेकर कार्यालय से रवाना हो गई। आरोपी बाबू को लेकर विजिलेंस टीम शहर के थानों को छोड़कर ग्रामीण क्षेत्र के थाना बकेवर पहुंची है।


    हालांकि इस मामले पर बेसिक शिक्षा अधिकारी आरोपी बाबू का पक्ष लेते हुए नजर आए। शिक्षक द्वारा करीब 40 हजार रुपए की रिश्वत देने की बात बताई जा रही है। बता दें कि इन्स्पेक्टर सीमा सिंह अपनी 12 सदस्यीय विजिलेंस टीम के साथ कानपुर से आई थी। 40 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए पकड़ा है।

     
    जानकारी के मुताबिक इटावा बेसिक शिक्षा विभाग के वरिष्ठ सहायक शिवकुमार को आज एक मामले में 40 हजार रूपए का रिश्वत लेते हुए विजिलेंस की टीम ने रंगे हाथ धर दबोचा। विजिलेंस टीम की इस कार्रवाई से विभाग में हड़कंप मच गया है।


    BSA ने सीसीटीवी फुटेज जारी कर बताया निर्दोष

    बताया जा रहा है कि जसवंतनगर के बनकटी में तैनात शिक्षक विनय कुमार त्रिपाठी की शिकायत पर विजिलेंस टीम ने वरिष्ठ सहायक को रिश्वत लेते हुए पकड़ा है। बेसिक शिक्षा अधिकारी राजेश कुमार ने कार्यालय के अंदर का सीसीटीवी वीडियो जारी करते हुए वरिष्ठ सहायक रिश्वत के आरोपी शिवकुमार को निर्दोष बता रहे हैं। इस मामले को लेकर डीएम से मिलने पहुंचे हैं।


    कार्यालय में मौजूद सस्पेंड प्रधानाध्यापक उदय नारायण तिवारी ने बताया कि जिस वरिष्ठ सहायक को आज टीम के द्वारा पकड़ा गया है। वह बेहद भ्रष्ट व्यक्ति हैं। बिना रिश्वत के कोई भी कार्य नहीं करते हैं।


    BSA बोले-जांच के कारण रची साजिश

    बेसिक शिक्षा अधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि शिक्षक विनय कुमार त्रिपाठी ने विजिलेंस टीम को शिकायत की है। उसके खिलाफ वरिष्ठ सहायक शिव कुमार जांच कर रहे थे। जिसके चलते यह साजिश रची गई। हालांकि सीसीटीवी में बाबू को रिश्वत देने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन उन्होंने रुपए फेंक दिए यह दिखाई दे रहा हैं।


    नौकरियों के लिए मानक डिग्री के बराबर होंगी एडीपी-ईडीपी, मेधावी छात्र चार वर्षीय स्नातक डिग्री अधिकतम दो सेमेस्टर पहले कर सकेंगे हासिल


    नौकरियों के लिए मानक डिग्री के बराबर होंगी एडीपी-ईडीपीमेधावी छात्र चार वर्षीय स्नातक डिग्री अधिकतम दो सेमेस्टर पहले कर सकेंगे हासिल

    छात्र स्नातक की अवधि घटा-बढ़ा सकेंगे, यूजीसी का बड़ा ऐलान 


    नई दिल्ली । उच्च शिक्षण संस्थानों में स्नातक की पढ़ाई कर रहे छात्रों के लिए यूजीसी ने गुरुवार को बड़ा ऐलान किया। जल्द ही छात्रों को डिग्री प्रोग्राम की मानक अवधि की बजाय पढ़ाई की अवधि कम करने या बढ़ाने का विकल्प मिलेगा।


    यूजीसी ने इसी हफ्ते एक बैठक में त्वरित डिग्री प्रोग्राम (एडीपी) और विस्तारित डिग्री कार्यक्रम (ईडीपी) की पेशकश के लिए एसओपी को मंजूरी दी। मसौदा मानदंडों को अब हितधारकों की प्रतिक्रिया के लिए सार्वजनिक पटल पर रखा जाएगा।


    सिर्फ कार्यक्रम की अवधि में हो सकेगा परिवर्तन जगदीश कुमार ने कहा कि परिवर्तन कार्यक्रम की अवधि में होगा। छात्रों के पास पहले सेमेस्टर या दूसरे सेमेस्टर के अंत में एडीपी चुनने का विकल्प होगा, आगे नहीं। एडीपी वाले छात्र सेमेस्टर शुरू होने पर अतिरिक्त क्रेडिट लेंगे। पहले सेमेस्टर के बाद शामिल होते हैं, तो दूसरे सेमेस्टर से अतिरिक्त क्रेडिट लेंगे। तीन-वर्षीय या चार-वर्षीय स्नातक में अवधि अधिकतम दो सेमेस्टर तक बढ़ेगी। इसके अनुसार, छात्र हर सेमेस्टर में कम क्रेडिट अर्जित कर सकते हैं।


    यूजीसी अध्यक्ष जगदीश कुमार ने बताया कि डिग्रियों में एक स्व-निहित नोट का उल्लेख होगा कि एक मानक अवधि में जरूरी एकेडमिक जरूरतों को छोटी या विस्तारित अवधि में पूरा किया गया है। साथ ही इसे शैक्षणिक, भर्ती उद्देश्यों के लिए मानक अवधि की डिग्री के बराबर माना जाएगा।


    उन्होंने कहा, एडीपी के तहत छात्रों को प्रति सेमेस्टर अतिरिक्त क्रेडिट अर्जित करके तीन साल या चार साल का पाठ्यक्रम कम समय में पूरा करने का विकल्प मिलेगा, जबकि ईडीपी में प्रति सेमेस्टर कम क्रेडिट अर्जित करके पाठ्यक्रम की अवधि बढ़ाने का विकल्प मिलेगा।


    नौकरियों के लिए मानक डिग्री के बराबर होंगी एडीपी-ईडीपी

    नई दिल्ली। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नए नियम के अनुसार त्वरित डिग्री कार्यक्रम (एडीपी) व विस्तारित डिग्री कार्यक्रम (ईडीपी) के तहत मिलने वाली डिग्री नौकरियों के लिए मानक डिग्री के बराबर होगी। सरकारी विभागों, निजी संस्थानों के अलावा यूपीएससी, एसएससी भी एडीपी और ईडीपी को सामान्य डिग्री की तरह मान्य मानेंगे, ताकि किसी भी छात्र को आवेदन के समय पात्रता मापदंड में दिक्कत न हो।

    यूजीसी अध्यक्ष के मुताबिक, एडीपी मेधावी छात्रों को प्रति सेमेस्टर अतिरिक्त क्रेडिट प्राप्त कर 3-4 साल की डिग्री कम समय में पूरी करने का मौका देता है। एडीपी का विकल्प चुनने वाले छात्र पहले सेमेस्टर या फिर दूसरे सेमेस्टर की समाप्ति पर डिग्री पूरी करने की अवधि में बदलाव का चयन कर सकते हैं। इसके बाद अनुमति नहीं मिलेगी। जो एडीपी चुनेंगे, उनको एडिशन क्रेडिट मिलेंगे। 


    डिग्री इस तरह मिलेगी : मेधावी छात्रों को डिग्री के लिए दीक्षांत समारोह में डिग्री अवार्ड का इंतजार नहीं करना होगा। उनको पहले डिग्री दे दी जाएगी।


    ■ जल्दी या धीमी गति से कोर्स पूरा करने वाले छात्रों की डिग्री पर एक स्पेशल नोट लिखा होगा। इसमें इस बात का जिक्र होगा कि छात्र ने डिग्री कितने समय में पूरी की है। जैसे चार वर्षीय डिग्री प्रोग्राम में लिखा होगा कि छात्र ने छह या सात सेमेस्टर में कोर्स पूरा किया है, वैसे यह आठ सेमेस्टर में पूरी होती है। ऐसे ही तीन साल वाले में पांच सेमेस्टर में पूरा किया है। जबकि कुल छह सेमेस्टर होते हैं।

    Friday, November 29, 2024

    राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की पहल पर ढाई साल में 12,021 छात्रों ने किया यूपी के राजभवन का शैक्षिक भ्रमण

    राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की पहल पर ढाई साल में 12,021 छात्रों ने किया यूपी के राजभवन का शैक्षिक भ्रमण


    लखनऊ: बीते ढाई वर्षों में राजभवन का शैक्षिक भ्रमण 12,021 विद्यार्थी कर चुके हैं। 71 स्कूलों के ये छात्र यहां सांस्कृतिक धरोहरों और इतिहास के बारे में जानकारी ले चुके हैं। कोई भी विद्यालय पूर्व में सूचना देकर सप्ताह में किसी भी दिन राजभवन का शैक्षिक भ्रमण अपने विद्यार्थियों को करा सकता है। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की पहल पर अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर 21 जून 2022 को इसकी शुरुआत की गई थी। तभी से सुबह नियमित योगाभ्यास भी यहां लोगों को कराया जा रहा है।


    राजभवन में शैक्षिक भ्रमण के दौरान छात्रों को ऐतिहासिक व सांस्कृतिक महत्व वाले कई स्थानों के अवलोकन का अवसर प्राप्त हुआ। राज्यपाल की इस अभिनव पहल से बच्चों को न केवल शैक्षिक अनुभव प्राप्त हो रहा है बल्कि उन्हें समृद्ध शैक्षिक अनुभव भी प्राप्त हो रहा है। इन छात्रों के साथ-साथ डेढ़ लाख लोग हर वर्ष राजभवन का भ्रमण कर यहां की प्राकृतिक सुंदरता व स्वच्छ वातावरण का आनंद ले रहे हैं।

    मदरसों से एनसीईआरटी की किताबें गायब, ढाई महीने से जवाब न मिलने पर मंत्री जी खफा

    मदरसों से एनसीईआरटी की किताबें गायब, ढाई महीने से जवाब न मिलने पर मंत्री जी खफा


    लखनऊ । प्रदेश के मदरसों में एनसीईआरटी की किताबों का वितरण अचानक रोक दिया गया। इसकी जानकारी मिलने पर अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ओपी राजभर ने नाराजगी जताते हुए 9 सितंबर 2024 को अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इसकी रिपोर्ट तलब की, लेकिन करीब ढाई माह से अधिक समय बीतने के बाद भी जवाब नहीं दिया गया है।


    प्रदेश में वर्ष 2017 में भाजपा सरकार बनने के बाद गठित प्रगतिवादी मदरसा बोर्ड ने 15 मई 2018 को मदरसों में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू करने का आदेश दिया था। इसका शासनादेश 30 मई 2018 को जारी हुआ। 


    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी सभी मान्यताप्राप्त व अनुदानित मदरसों में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू करने का आदेश दिया था। इस पर अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने तीन साल तक एनसीईआरटी किताबें वितरित कीं, लेकिन वर्ष 2023 में बिना उच्चस्तरीय अनुमोदन लिए इसे रोक दिया गया।


    दबाव में पीछे किए कदम : मदरसा शिक्षा परिषद के अध्यक्ष डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद की अध्यक्षता में 18 जनवरी 2023 को हुई बैठक में बेसिक शिक्षा विभाग की तरह एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू करने पर सहमति बनी थी।


    मदरसों में एनसीईआरटी की किताबों का वितरण रोक दिया गया है। इस पर जवाब मांगा है। - ओमप्रकाश राजभर, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री

    निदेशक तक पहुंचा प्राचार्यों और प्रबंधकों में बढ़ी तनातनी का मामला, 2019 के विज्ञापन के तहत 290 प्राचार्यों को मिली थी नियुक्ति, अब तक 100 का इस्तीफा

    निदेशक तक पहुंचा प्राचार्यों और प्रबंधकों में बढ़ी तनातनी का मामला, 2019 के विज्ञापन के तहत 290 प्राचार्यों को मिली थी नियुक्ति,  अब तक 100 का इस्तीफा



    प्रयागराज। अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में प्रबंधकों व प्राचार्यों के बीच तनातनी बढ़ गई है। इस मसले पर प्रदेशभर के 70 प्रचार्यों ने बृहस्पतिवार को उत्तर प्रदेश प्राचार्य परिषद के बैनर तले उच्च शिक्षा निदेशक से मिलकर अपनी शिकायत दर्ज कराई और ज्ञापन सौंपा।


    प्राचार्यों ने उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. अमित भारद्वाज को बताया कि वर्ष 2019 के विज्ञापन संख्या-49 के तहत अशासकीय महाविद्यालयों में प्राचार्यों के 290 पदों पर भर्ती की गई थी। तीन साल पहले सभी प्राचार्यों को नियुक्ति भी मिल गई। लेकिन, इस दौरान प्रचार्यों को प्रबंधन की मनमानी के कारण काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।


    प्राचार्य परिषद की ओर से कई बार उचित फोरम पर समस्याओं को रखा गया। लेकिन, अभी तक समाधान की बात सामने नहीं आई। उत्तर प्रदेश के विभिन्न महाविद्यालयों में प्रबंध तंत्र द्वारा अनेकों प्राचार्यों को अवैध तरीके से नोटिस देकर निलंबित व बर्खास्त कर दिया गया। प्राचार्यों को इस्तीफे के लिए मजबूर किया गया। अब तक 100 प्राचार्य प्रबंधन की मनमानी के कारण इस्तीफा देकर अपने मूल पद पर वापस जा चुके हैं।


    हाल ही में गाजियाबाद, ललितपुर एवं कानपुर के प्रतिष्ठित महाविद्यालयों के प्राचायों को प्रबंधन ने मनमानी करते हुए निलंबित कर दिया। गाजियाबाद के एक कॉलेज के मामले में उच्च शिक्षा निदेशक व कुलपति के हस्तक्षेप के बाद भी कॉलेज प्रबंधन मनमानी पर अड़ा है। जबकि, कुलपति ने कॉलेज प्रबंधन को निर्देश दिए हैं कि प्राचार्य का निलंबन वापस लिया जाए और उन्हें पद की जिम्मेदारी सौंपी जाए।


    प्राचार्यों ने कहा कि प्रबंधन उन्हें शासन की मंशा के अनुरूप काम करने से रोक रहा है। निदेशक से मांग की गई कि प्राचार्यों के निलंबन को रोकने के लिए विश्वविद्यालय अधिनियम/परिनियम को संशोधित किया जाए और निलंबन पर कुलपति की संस्तुति मिलने पर ही उसे प्रभावी माना जाए। निदेशक के सामने कुछ अन्य मांगें भी रखी गई। जो प्राचार्य मातृ संस्था से अवकाश लेकर प्राचार्य पद पर आए हैं, उन्हें पांच वर्ष के लिए असाधारण अवकाश दिया जाए।


    राजकीय की जगह अशासकीय कॉलेजों में भी कर्मचारियों को आउटसोर्सिंग पर रखने के लिए बजट आवंटित किया जाए। निदेशक डॉ. अमित भारद्वाज ने प्राचार्यों की मांग पर त्वरित कार्यवाही का आश्वासन दिया। प्राचार्यों ने कहा कि मांगें पूरी नहीं हुई तो अब राज्यपाल से मिलेंगे।


    इस मौके पर प्रो. विवेक द्विवेदी, प्रो. ब्रजेंद्र सिंह, प्रो. मुकेश, प्रो. रणंजय, प्रो. अनूप, प्रो. निवेदिता मलिक, प्रो.अलका रानी, प्रो. प्रदीप पांडेय, प्रो. ब्रजेश जायसवाल रहे।

    शिक्षा विभाग करेगा अटल जी की प्रेरणा को छात्रों तक पहुंचाने का प्रयास, व्याख्यान और काव्य गोष्ठियों के जरिए बच्चों को दी जाएगी प्रेरणा

    उत्तर प्रदेश में अटल बिहारी बाजपेई की जन्म शताब्दी वर्ष मनाने की व्यापक तैयारी, शिक्षण संस्थाओं में होगा अटल जी के आदर्शों का प्रचार-प्रसार 

    शिक्षा विभाग करेगा अटल जी की प्रेरणा को छात्रों तक पहुंचाने का प्रयास, व्याख्यान और काव्य गोष्ठियों के जरिए बच्चों को दी जाएगी prerana 


    भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के शताब्दी वर्ष (25 दिसंबर 2024 से 25 दिसंबर 2025) के आयोजन को लेकर राज्य के सभी शिक्षा विभागों में तैयारियां शुरू हो गई हैं। इस वर्ष के दौरान अटल जी की जन्मशती के उपलक्ष्य में विविध गतिविधियों का आयोजन होगा। विशेष रूप से बेसिक शिक्षा विभाग ने छात्रों में उनकी प्रेरणादायक जीवनगाथा और आदर्शों का प्रचार-प्रसार करने के लिए कई कार्यक्रमों की योजना बनाई है।  



    बेसिक शिक्षा विभाग की योजनाएं: 
    बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित किए जाने वाले मुख्य कार्यक्रमों में निम्नलिखित शामिल हैं:  

    1. व्याख्यान और काव्य गोष्ठियां
       - अटल जी के जीवन और कृतित्व पर केंद्रित प्रेरणादायक व्याख्यान और कविताओं का आयोजन किया जाएगा।  

    2. निबंध और पोस्टर प्रतियोगिताएं
       - अटल जी के आदर्शों और उपलब्धियों पर आधारित निबंध और पोस्टर प्रतियोगिताओं में छात्र अपनी रचनात्मकता प्रदर्शित करेंगे।  

    3. क्विज और संवाद
       - छात्रों के बीच अटल जी के व्यक्तित्व और राजनीति से संबंधित क्विज और संवाद सत्र आयोजित किए जाएंगे।  

    4. रैलियां और नाट्य मंचन
       - विद्यालयों में जागरूकता फैलाने के लिए रैलियों और नाटकों का आयोजन होगा।  

    5. पोस्टर और बैनर प्रदर्शन
       - सभी विद्यालयों में अटल जी के जीवन पर आधारित पोस्टर और बैनर प्रदर्शित किए जाएंगे।  




    उच्च शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा विभाग के निर्देश: 
    उच्च और माध्यमिक शिक्षा विभाग भी इसी तर्ज पर व्याख्यान, काव्य गोष्ठी, निबंध प्रतियोगिता, रैली, क्विज, वाद-विवाद, संवाद, पोस्टर प्रतियोगिता, और नाट्य मंचन जैसे कार्यक्रम आयोजित करेंगे।  

    प्राविधिक शिक्षा विभाग का योगदान:
    प्राविधिक शिक्षा विभाग के तहत तकनीकी शिक्षण संस्थानों में छात्रों के बीच अटल जी के जीवन से जुड़ी गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा।  

    संवेदनशीलता और शिक्षा का समन्वय 
    बेसिक शिक्षा विभाग ने प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में इन कार्यक्रमों को विशेष प्राथमिकता देते हुए छात्रों और शिक्षकों के लिए आकर्षक और शिक्षाप्रद बनाने पर जोर दिया है।  

    इस प्रकार, सभी शिक्षा विभागों का प्रयास होगा कि श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के प्रेरणादायक व्यक्तित्व से नई पीढ़ी को परिचित कराकर उनके आदर्शों को आत्मसात किया जाए।