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Friday, June 30, 2023

एनिमेटेड वीडियो से प्राइमरी के बच्चे सीखेंगे संस्कृत, संस्कृत भाषा के प्रति रुचि बढ़ाने की तैयारी

एनिमेटेड वीडियो से प्राइमरी के बच्चे सीखेंगे संस्कृत, संस्कृत भाषा के प्रति रुचि बढ़ाने की तैयारी 


बच्चों में संस्कृत भाषा के प्रति रुचि बढ़ाने के उद्देश्य से यूपी राज्य शिक्षा संस्थान की तरफ से प्राथमिक स्तर पर 12 एनिमेटेड राइम्स संस्कृत वीडियो का निर्माण पांच दिनों में 10 फेरों में पूरा किया जाना है। पहले फेरे में कविता लेखन का कार्य विशेषज्ञों की ओर से कराया जाएगा।


संस्कृत के एनिमेटेड वीडियो से अब प्राइमरी के बच्चे आसानी से संस्कृत भाषा सीख सकेंगे। बच्चों में संस्कृत भाषा के प्रति रुचि बढ़ाने और इसके उच्चारण की क्षमता विकसित करने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य शिक्षा संस्थान एनिमेटेड संस्कृत वीडियो बनवाने की तैयारी में जुट गया है। ऐसे में अगर आने वाले दिनों में प्राथमिक स्तर पर बच्चों को संस्कृत का उच्चारण करते देखें तो हैरान नहीं हों।


बच्चों में संस्कृत भाषा के प्रति रुचि बढ़ाने के उद्देश्य से यूपी राज्य शिक्षा संस्थान की तरफ से प्राथमिक स्तर पर 12 एनिमेटेड राइम्स संस्कृत वीडियो का निर्माण पांच दिनों में 10 फेरों में पूरा किया जाना है। पहले फेरे में कविता लेखन का कार्य विशेषज्ञों की ओर से कराया जाएगा। इसके बाद दो फेरों में कविताओं की ऑडियो रिकॉर्डिंग होगी। रिकॉर्डिंग के दौरान ही एनीमेटेर विशेषज्ञों की तरफ से एनिमेशन का निर्माण, स्पेशल इफेक्ट, कंपाइलेशन आदि का कार्य कराया जाएगा।


यह वीडियो प्रत्येक शनिवार को प्राथमिक विद्यालयों में बैगलेस डे के अवसर पर बच्चों को सुनाया और दिखाया जाएगा। राज्य शिक्षा संस्थान के विशेषज्ञों का कहना है कि इससे बच्चों में धारा प्रवाह तरीके से उच्चारण और पठन की आदत विकसित होगी। बच्चे संस्कृत भाषा से जुड़ाव महसूस कर सकेेंगे। उनमें विषय, भाषा के संबद्ध ज्ञान, आदत, प्रतिभा, रचनात्मकता, तार्किकता, स्वतंत्र चिंतन की प्रवृति और नवाचारों की समझ भी विकसित होगी।


शैक्षिक सत्र 2023-24 की कार्ययोजना में इसको शामिल किया गया है। अगले सत्र 2024-25 से इसे स्कूलों में लागू करने की तैयारी है। - नवल किशोर, प्राचार्य, उत्तर प्रदेश राज्य शिक्षा संस्थान



यूपी के अनुदानित मदरसों में लागू हुई म्यूचल ट्रांसफर पॉलिसी, 10 हजार मदरसा शिक्षकों को लाभ लेने का मौका

यूपी के अनुदानित मदरसों में लागू हुई म्यूचल ट्रांसफर पॉलिसी, 10 हजार मदरसा शिक्षकों को लाभ लेने का मौका


यूपी के अनुदानित मदरसों में लागू हुई म्यूचल ट्रांसफर नीति, 10 हजार शिक्षक ले सकेंगे लाभउत्तर प्रदेश के राज्यानुदानित मदरसों के शिक्षक को अब म्यूचल ट्रांसफर मिल सकेगा। बोर्ड ने इस सम्बंध में तैयारी कर ली और इस सम्बंध मदरसा के शिक्षकों का विवरण भी तैयार किया जा रहा है।


उत्तर प्रदेश के राज्यानुदानित मदरसों के शिक्षक को अब म्यूचल ट्रांसफर मिल सकेगा। बोर्ड ने इस सम्बंध में तैयारी कर ली और इस सम्बंध मदरसा के शिक्षकों का विवरण भी तैयार किया जा रहा है। प्रदेश में 558 अनुदानित मदरसे हैं। जिनमें दस हजार शिक्षक हैं। 


अभी तक अनदुानित मदरसों में जिन शिक्षको की जिस मदसरे में नियुक्ति होती थी वहीं से सेवानिवृत्त हो जाते थे। मदसरों में सामान्य स्थानांतरण नीति अभी लागू नहीं हुई है लेकिन म्यूचल ट्रांसफर नीति को मंजूरी दे दी गई है। हालांकि इसकी तैयारी पिछले वर्ष ही कर ली गई थी लेकिन इसका क्रियान्वयन नहीं हो सका था। अब दिशा में कदम उठाया गया है।


 इस सम्बंध में मदरसा बोर्ड रजिस्ट्रार का पत्र सभी जिलों के अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को भेज कर बताया गया है कि  वर्तमान में मदरसों में पारस्परिक स्थानांतरण (म्यूचल ट्रांसफर ) की प्रक्रिया व्यवस्था प्रभावी हो गई है। जिसके अंतर्गत स्थानान्तरित कर्मचारियों का डेटा भी ट्रांसफर किया जाना है।


 जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को निर्देशित करते हुए उन्होंने कहा कि मानव सम्पदा पोर्टल पर प्रत्येक राज्यानुदानित मदरसों के प्रबंधक, प्रधानाचार्यो से कार्यरत समस्त शिक्षक, शिक्षणेत्तर कर्मचारियों (मदरसा मिनी आईटीआई व आधुनिकीकरण योजना से आच्छादित शिक्षकों को छोड़कर) का पूरा विवरण फीड व अपडेट करवाएं और प्रधानाचार्य से  प्रमाण पत्र हासिल कर लें कि किसी भी कार्मिक का सेवा विवरण अंकित करने अथवा अपडेट करने से छूटा नहीं है। साथ ही मदरसा पोर्टल पर कर्मचारियों का विवरण दर्ज किए जाने वाले प्रपत्र पर संबंधित कर्मचारी का ईएचआरएमएस कोड भी अनिवार्य रूप से अंकित करते हुए उप्र मदरसा शिक्षा परिषद को भेजें। 


-क्या है पारस्परिक ट्रांसफर
मदरसा बोर्ड के चेयरमैन डा. इफ्तेखार जावेद ने कहा कि अनुदानित मदरसों में पारस्परिक स्थानांतरण प्रक्रिया प्रभावी है। इसके अन्तर्गत यदि अलग अलग अनुदानित मदरसों के शिक्षक आपसी सहमति से एक दूसरे के मदरसे में स्थानांतरण चाहते हैं तो इसके लिए दोनो ही मदरसों के प्रबंधकों केा लिखित देना होगा कि इस पारस्परिक स्थानांतरण से उन्हे कोई समस्या नहीं है। इसके बाद ये आवेदन बोर्ड आएगा और उसका अनुमोदन किया जाएगा।

Thursday, June 29, 2023

900 एडेड माध्यमिक संस्कृत विद्यालयों की 100 करोड़ रुपये से बदलेगी सूरत, 50 साल से पुराने अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक संस्कृत विद्यालयों का होगा कायाकल्प

900 एडेड माध्यमिक संस्कृत विद्यालयों की 100 करोड़ रुपये से बदलेगी सूरत

50 साल से पुराने अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक संस्कृत विद्यालयों का होगा कायाकल्प

छत, फर्श, छात्र - छात्राओं के लिए अलग शौचालय व मल्टीपरपज हाल का निर्माण शामिल


लखनऊ। योगी कैबिनेट ने 100 करोड़ रुपये से 900 एडेड माध्यमिक संस्कृत विद्यालयों की दशा सुधारने के लिए मंजूरी दे दी है। इन विद्यालयों में जीर्णोद्धार, मरम्मत, पुनर्निर्माण, व अवस्थापना सुविधाओं के लिए 50- 50 के स्थान पर अब  95 फीसदी राशि शासन व पांच फीसदी प्रबंध तंत्र को देना होगा।


पहले चरण में 50 साल से पहले के स्थापित अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक संस्कृत विद्यालयों में मरम्मत व आवश्यक अवस्थापना सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इसमें छत, फर्श, छात्र - छात्राओं के लिए अलग शौचालय, उनकी  मरम्मत, निर्माण व मल्टीपरपज हाल का निर्माण शामिल है।


कार्य योजना के अनुसार प्रबंधन समिति पहले अपनी बैठक कर कार्यदायी संस्था, संबंधित संस्था या शासकीय निर्माण इकाई का चयन करेगी। शिक्षा निदेशक माध्यमिक चरणबद्ध तरीके से बजट जारी करेंगे। राष्ट्रीयकृत बैंक में डीआईओएस, वित्त एवं लेखाधिकारी व प्रबंधक के नाम से स्वतंत्र खाता खोला जाएगा। निर्माण कार्य की गुणवत्ता की चार स्तर पर थर्ड पार्टी जांच कराई जाएगी।


सरकारी अधिकारियों के बीच फैले हैं शिक्षा माफिया, कार्रवाई करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी — हाईकोर्ट की टिप्पणी, जानिए पूरा मामला

सरकारी अधिकारियों के बीच फैले हैं शिक्षा माफिया, कार्रवाई करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी — हाईकोर्ट की टिप्पणी, जानिए पूरा मामला



लखनऊ । हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा है कि एक सरकारी अधिकारी द्वारा अवैध तरीके से कमाए गए धन का पता लगाना और उसके खिलाफ कार्रवाई करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि शिक्षा माफिया सरकारी अधिकारियों के बीच ही हैं, उन पर लगाम लगाने की जरूरत है। न्यायालय ने आदेश की प्रति प्रमुख सचिव गृह को भेजने का आदेश देते हुए, उचित कार्रवाई का भी निर्देश दिया है।


यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने अयोध्या मंडल के ज्वाइंट डायरेक्टर एजुकेशन अरविंद कुमार पांडेय के निलंबन को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए पारित किया। याची ने अपने खिलाफ पारित 15 अप्रैल 2023 के निलंबन आदेश को चुनौती दी थी। याचिका का विरोध करते हुए राज्य सरकार के अधिवक्ता का तर्क था कि याची ने पहले तो प्रबंधकीय कालेजों के प्रबंधन से मिलीभगत करके 122 शिक्षकों का विनियमितीकरण किया, इसके बाद 34 शिक्षकों के विनियमतीकरण को गलत तरीके से रद्द किया ताकि उन्हें कोर्ट से राहत मिल जाए।


कहा गया कि शिकायतें मिलने पर प्रथम दृष्टया जांच में दोषी मिलने पर याची को निलंबित कर कार्यवाही की जा रही है। यह भी कहा गया कि याची ने ज्ञात स्त्रत्तेतों से अधिक सम्पत्ति भी कमा रखी है जिसकी ओपन विजिलेंस जांच चल रही है, ऐसे में याची को कोई राहत नहीं दी जानी चाहिए।


कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि सरकारी तंत्र में भी माफिया घुसे हैं जिनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए, इनकी वजह से स्कूल व कॉलेज लाभ कमाने के संस्थान बनाकर रह गए हैं।


NRF : नेशनल रिसर्च फाउंडेशन बिल 2023 को मिली केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी

NRF : नेशनल रिसर्च फाउंडेशन बिल 2023 को मिली केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में नेशनल रिसर्च फाउंडेशन बिल 2023 को मंजूरी दे दी गई है। इसे सरकार जल्द संसद में पेश करेगी। सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि इसके साथ ही साइंस एंड इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड एक्ट 2008 को रद्द किया जाएगा।


नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एनआरफ) की स्थापना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वकांक्षी योजनाओं में शामिल है। साल 2020 के स्वतंत्रता दिवस के अपने उद्बोधन में पीएम मोदी ने एनआरएफ की स्थापना का ऐलान किया था, जबकि इसे 2019-20 के केंद्रीय बजट में प्रस्तावित किया गया था, जिसके बाद ही सरकार ने इस दिशा में प्रयास शुरू कर दिए थे।


नई शिक्षा नीति के तहत शोध को बढ़ावा नई शिक्षा नीति के तहत परिकल्पित स्वायत्त निकाय एनआरएफ का गठन किया जाना है। इस फाउंडेशन का कार्य भारत में उपयोगी शोध और अनुसंधान को बढ़ावा देना, नए क्षेत्रों में रिसर्च, ‘अनुसंधान की गुणवत्ता’ फंडिंग और उपयोगी रिसर्च को उद्योगों से जोड़ने में मदद करना होगा। नेशनल रिसर्च फाउंडेशन का उद्देश्य भारत में रिसर्चर को फंड उपलब्ध कराना है।


50 हजार करोड़ खर्च होंगे विधेयक को संसद से मंजूरी मिलने के बाद पांच वर्षों (2023-28) में 50 हजार करोड़ रुपये खर्च करने की योजना है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिशों के अनुसार, देश में वैज्ञानिक अनुसंधान की उच्चस्तरीय रणनीतिक दिशा प्रदान करने के लिए एक शीर्ष निकाय एनआरएफ की स्थापना करेगा।


प्रधानमंत्री इसके बोर्ड के पदेन अध्यक्ष होंगे और केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री व केंद्रीय शिक्षा मंत्री पदेन उपाध्यक्ष होंगे। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) एनआरएफ का प्रशासनिक विभाग होगा जो एक गवर्निंग बोर्ड द्वारा शासित होगा। इसमें विभिन्न विषयों के प्रख्यात शोधकर्ता और पेशेवर शामिल होंगे।


केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन विधेयक, 2023 संसद में पेश करने का निर्णय स्वागत योग्य है। इससे उच्च शिक्षा संस्थानों द्वारा अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ाने के लिए किए गए प्रयासों को गति मिलेगी। - एम जगदीश कुमार, चेयरमैन, यूजीसी

प्रमोशन के सालभर बाद शिक्षकों की होगी तैनाती, प्रक्रिया शुरू

प्रमोशन के सालभर बाद शिक्षकों की होगी तैनाती, प्रक्रिया शुरू

प्रयागराज : राजकीय शिक्षकों के प्रमोशन के सालभर बाद उनकी तैनाती की प्रक्रिया शुरू हुई है। 21 मई 2022 को हुई विभागीय पदोन्नति कमेटी (डीपीसी) की बैठक में 239 पुरुष शिक्षकों को अधीनस्थ राजपत्रित पर पदोन्नति दी गई थी। उसके बाद इन्हें राजकीय हाईस्कूलों में प्रधानाध्यापक, राजकीय इंटर कॉलेजों में उप प्रधानाचार्य समेत अन्य पदों पर तैनाती मिलनी चाहिए थी लेकिन इनमें से 84 को ही तैनाती मिल सकी थी।


16 शिक्षक सेवानिवृत्त हो गए जबकि 138 सालभर से अधिक समय बीतने के बावजूद तैनाती का इंतजार कर रहे थे। इन 138 शिक्षकों (प्रवक्ता कोटे के 72 व एलटी ग्रेड के 66) के पदस्थापन के लिए अपर निदेशक राजकीय केके गुप्ता ने बुधवार को सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को पत्र भेजकर तीन दिन में सेवा विवरण का मिलान कराने और त्रुटियों के निवारण के निर्देश दिए हैं। गौरतलब है कि 30 जून तक तैनाती न होने पर प्रमोशन निरस्त हो जाता।

Wednesday, June 28, 2023

पुरानी पेंशन के लिए केंद्रीय व राज्य कर्मचारियों और शिक्षकाें ने राजधानी में भरी हुंकार

पुरानी पेंशन बहाली लोकसभा चुनाव में बनेगा राजनीतिक मुद्दा

पूरे प्रदेश से राजधानी में जुटे कर्मचारियों ने सरकार को चेताया

कहा- मांगों की अनदेखी कर कर्मचारियों को हड़ताल के लिए किया जा रहा बाध्य


लखनऊकर्मचारी संगठनों ने एलान किया है कि पुरानी पेंशन बहाली की शर्त पर ही सरकार से बात की जाएगी। चारबाग रेलवे स्टेडियम में मंगलवार को पुरानी पेंशन योजना बहाली संयुक्त मंच की ओर से हुई हुंकार महारैली में यह घोषणा की गई। वक्ताओं ने कहा कि कर्मचारियों को लोकसभा चुनाव में पुरानी पेंशन बहाली को राजनीतिक मुद्दे के तौर पर देखना चाहिए। कर्मचारी उस पार्टी को वोट दें, जो पुरानी पेंशन बहाली की बात करे। महारैली में पूरे प्रदेश से हजारों कर्मचारी शामिल हुए।



पुरानी पेंशन के लिए केंद्रीय व राज्य कर्मचारियों और शिक्षकाें ने राजधानी में भरी हुंकार


लखनऊ । पुरानी पेंशन योजना बहाली संयुक्त मंच के आह्वान पर पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) के समर्थन में प्रदेश भर से हजारों केंद्रीय व राज्य कर्मचारी चारबाग रेलवे स्टेडियम में जुटे । भीषण गर्मी में निर्धारित पंडाल के बाहर तक पूरे मैदान में धूप में कर्मचारी पूरे जोश से न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) का पुरजोर विरोध जताते रहे। हजारों कर्मचारियों के एक साथ चारबाग पहुंचने पर आसपास का इलाका जाम से जूझता रहा। लोगों के वाहन घंटों रेंगते रहे।


 हुंकार रैली में मुख्य वक्ता संयुक्त मंच के राष्ट्रीय संयोजक का. शिव गोपाल मिश्रा ने कहा कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर ओपीएस की मांग को सरकार को एक राजनैतिक मुद्दे के रूप में देखना चाहिए। कर्मचारी बहुत नाराज है। चारबाग रेलवे स्टेडियम में विशाल मंच और पंडाल में जुटे हजारों कर्मचारी ओपीएस के समर्थन में जोरदार नारेबाजी करते रहे। हुंकार रैली में केंद्रीय व राज्य कर्मचारियों में रेलवे, डाक, प्रतिरक्षा, आयकर, शिक्षक समेत राज्य सरकार के कर्मचारियों ने पूरी ताकत के साथ शिरकत की। 


रैली को पुरानी पेंशन योजना बहाली संयुक्त मंच के राष्ट्रीय संयोजक व ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के महामंत्री शिव गोपाल मिश्रा, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी, प्रांतीय संयोजक आरके पांडेय, कन्फिडरेशन के राष्ट्रीय सचिव एसबी यादव, परिषद के महासचिव शिवबरन सिंह यादव, प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष सुशील पांडेय, जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के अध्यक्ष योगेश त्यागी, एमएलसी राज बहादुर सिंह चंदेल, डॉ. आकाश अग्रवाल व विभिन्न कर्मचारी संघों के वरिष्ठ नेताओं ने संबोधित किया।


केंद्र सरकार ने समय रहते फैसला न लिया तो हड़ताल

रैली की अध्यक्षता कर रहे हरि किशोर तिवारी ने कहा कि पूर्व में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत 56 सांसदों ने ओपीएस बहाली के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा था। इस संबंध में यदि समय रहते केंद्र सरकार निर्णय नहीं लेती है तो सरकारी कर्मचारी हड़ताल करेंगे।


उसी का साथ देंगे जो ओपीएस लागू करेगा

हुंकार रैली में मुख्य वक्ता शिव गोपाल मिश्रा शिव गोपाल मिश्रा ने कहा कि ओपीएस न मिलने पर कर्मचारी चुनाव परिणाम को बदलने की ताकत रखते हैं। कर्मचारी उसी का साथ देगा, जो ओपीएस व उनकी मांगों को पूरा करेगा। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों ने विभिन्न आंदोलनों के क्रम में केंद्र सरकार द्वारा नई पेंशन स्कीम की समीक्षा के लिए चार सदस्यीय कमेटी की घोषणा । वित्त मंत्री ने 23 मार्च 2023 को की थी। इसकी एक बैठक भी नौ जून 2023 को हुई, जिसमें जेसीएम स्टाफ साइड की ओर से उन्होंने ओपीएस बहाली से कम किसी शर्त पर चर्चा करने से इनकार कर दिया।


छह राज्यों में लागू हो चुकी है पुरानी पेंशन

कन्फेडेरेशन के राष्ट्रीय सचिव एसवी यादव ने कहा कि विभिन्न राज्यों में हुए आंदोलनों के चलते छह राज्यों में पुरानी पेंशन बहाली हो चुकी है। अगर केन्द्र सरकार समय रहते कर्मचारियों की मांग को स्वीकार नहीं करती है तो अगले लोकसभा चुनाव में अंजाम भुगतना होगा। शिक्षक नेता सुशील पांडेय ने कहा कि पेंशन हमारा अधिकार है, इसे हर हाल में हासिल करेंगे।




पुरानी पेंशन बहाली को लेकर आज हुंकार भरेंगे कर्मचारी, पुरानी पेंशन योजना बहाली संयुक्त मंच के नेतृत्व में महारैली



लखनऊ। पुरानी पेंशन योजना बहाली संयुक्त मंच के नेतृत्व में मंगलवार को चारबाग रेलवे स्टेडियम में होने वाली हुंकार महारैली में कर्मचारी फिर पेंशन बहाली के लिए आवाज बुलंद करेंगे।


चारबाग स्टेशन पर नार्दर्न रेलवे मेंस यूनियन कार्यालय में सोमवार को हुई प्रेसवार्ता में संयुक्त मंच के पदाधिकारियों ने बताया कि केंद्र सरकार पर पेंशन बहाली को लेकर दबाव बनाया जाएगा। इस रैली में बड़ी संख्या में रेल कर्मचारी शामिल होंगे।


 मंच के राष्ट्रीय संयोजक व ऑल इंडिया रेलवे फेडरेशन के महामंत्री शिव गोपाल मिश्रा ने बताया कि जनवरी 2004 के बाद सरकारी सेवा में आए कर्मचारियों के लिए न्यू पेंशन स्कीम एक छलावा है, जो कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं, उनके साथ अन्याय हो रहा है। वर्तमान सरकार आर्थिक बोझ के नाम पर इससे बचना चाह रही हैं। 23 मार्च को वित्त मंत्री ने न्यू पेंशन स्कीम की समीक्षा के लिए समिति गठित करने की घोषणा भी थी। इसकी बैठक 9 जून को हो चुकी है, जिसमें न्यू पेंशन स्कीम को किसी भी स्थिति में स्वीकार करने से इनकार कर गारंटीड पेंशन की मांग की गई है।


उन्होंने कहा कि अब तक आठ राज्यों में पुरानी पेंशन की बहाली हो चुकी है। चार और राज्य जल्द बहाल करने की तैयारी में हैं। हिमाचल और कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के बाद सरकार को लगने लगा है कि पुरानी पेंशन स्कीम बहाल करना ही विकल्प है। ऐसे में पूरी उम्मीद है कि सभी राज्यों में पुरानी पेंशन स्कीम बहाल हो जाएगी। अगर सरकार इसे लागू नहीं करती है तो रेल कर्मचारी 1974 के बाद रेल हड़ताल करने को भी तैयार होंगे। इस मौके पर राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरि किशोर तिवारी ने कहा कि राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद व उससे जुड़ी यूनियन एवं एसोसिएशन यूपी के 35 जिलों में पेंशन रथयात्रा निकाल चुके हैं।




पुरानी पेंशन बहाली को लेकर 27 जून को हुंकार भरेगा केंद्रीय और राज्य कर्मचारियों, शिक्षकों और पेंशनरों का संयुक्त मंच 



लखनऊ : पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर केंद्रीय और राज्य कर्मचारियों, शिक्षकों और पेंशनरों का संयुक्त मंच मंगलवार को लखनऊ में एक बड़ी हुंकार रैली का आयोजन करेगा। पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाली संयुक्त मंच की यह रैली चारबाग रेलवे स्टेडियम में होगी। इस रैली को प्रमुख कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधि संबोधित करेंगे। इससे पहले मंच ने वाहन रैली भी निकाली थी।


रैली में हिस्सा लेने के लिए प्रदेश भर से कर्मचारी आ रहे हैं। रैली की व्यवस्थाओं की समीक्षा केंद्रीय और राज्य कर्मचारी संगठन तीन स्तर पर कर रहे है। रैली के दौरान दिल्ली में एक बड़े आंदोलन की घोषणा भी की जा सकती है।


हुंकार रैली को आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के केंद्रीय महामंत्री शिव गोपाल मिश्र, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी, एनआरएमयू के मंडल मंत्री आरके पांडेय, उप्र प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष सुशील पांडेय, उत्तर प्रदेश जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के अध्यक्ष योगेश त्यागी आदि संबोधित करेंगे।

मनमानी तबादला नीति के चलते शहर के करीब स्कूलों में ‘बाहरी’ और अपने घर में बेगाने

शहर के करीब स्कूलों में ‘बाहरी’, अपने घर में बेगाने गुरुजी

● गैर जिले के शिक्षकों को मिले शहर के करीब के स्कूल

● परिषदीय शिक्षकों का पद जिले कैडर का होता है।

● 2017 से 2023 तक तीन बार शिक्षकों को अंतरजनपदीय तबादले का मिला मौका 

● आखिरी बार 2016 में शिक्षकों के जिले के अंदर हुए थे ट्रांसफर 


प्रयागराज : तबादले की मनमानी नीति के कारण परिषदीय शिक्षक अपने ही जिले में बेगाने बैठे हैं। 2017 से 2023 तक तीन बार शिक्षकों का अंतरजनपदीय तबादला हो चुका है।


2017 और 2019 में गैर जिले से स्थानांतरित होकर आए शिक्षकों को शहरी सीमा के आसपास तैनाती भी मिल गई, लेकिन मूलरूप से जिले में चयनित शिक्षक पिछले सात साल से एक से दूसरे विकासखंड में ओपन ट्रांसफर के लिए तरस रहे हैं। जिसका नतीजा है कि सैकड़ों शिक्षक 70 से 100 किलोमीटर दूर तक के स्कूल रोज अप-डाउन कर रहे हैं। आखिरी बार 2016 में शिक्षकों के जिले के अंदर ओपन ट्रांसफर हुए थे। बड़ी संख्या में शिक्षक परेशान हैं। यह स्थिति तब है जबकि परिषदीय शिक्षक का पद जिले कैडर का है।



प्रमुख सचिव दीपक कुमार ने 27 जुलाई 2022 को समायोजन /स्थानांतरण का आदेश जारी किया था। 14 फरवरी 2023 को जारी आदेश में प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में क्रमश आठ व छह से अधिक शिक्षक होने पर समायोजन/स्थानांतरण का विकल्प खोला गया है।


अध्यापक तैनाती नियमावली 2010 के अनुसार जिले में ग्रामीण कैडर में पिछड़े और अगड़े ब्लॉक हैं, जिसमें पिछड़े ब्लॉक में पुरुष शिक्षकों को सेवा के प्रथम पांच वर्ष की तैनाती दी जानी अनिवार्य है। लेकिन इसके विपरीत नवनियुक्त और अंतर्जनपदीय शिक्षकों को अगड़े ब्लॉक में सीधे तैनात किया गया है।


शिक्षा का अधिकार अधिनियम में प्रावधान है कि हर साल 31 जुलाई तक शिक्षकों का समायोजन हो जाना चाहिए। शिक्षक व छात्र का अनुपात और शिक्षकों के रिक्त पदों की जानकारी जिले की एनआईसी वेबसाइट पर सार्वजनिक होनी चाहिए। लेकिन प्रयागराज में 2018 के बाद से ऐसा कोई भी डाटा जिले की एनआईसी वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं है।


प्रदेशभर में हजारों दिव्यांग, महिला, एकल अभिभावक, गंभीर बीमारी से ग्रसित, दंपति शिक्षकों को भी उनके घर अथवा पति/पत्नी के विद्यालय से सैकड़ों किलोमीटर दूर स्थित स्कूलों में नियुक्ति देने के बाद विभाग और सरकार भूल चुकी है। -अनिल राजभर, शिक्षक

जिले के अंदर ओपन ट्रांसफर के लिए शासनादेश जारी हो चुका है। पोर्टल भी तैयार है। प्रमोशन पूरे होने के बाद पारस्परिक तबादले के अलावा ओपन ट्रांसफर भी होंगे। -विजय किरन आनंद, महानिदेशक स्कूल शिक्षा

अनुदानित मदरसों के बच्चों को चार साल बाद यूनिफार्म, निशुल्क पाठ्य पुस्तकें पहले ही उपलब्ध कराई जा चुकी

अनुदानित मदरसों के बच्चों को चार साल बाद यूनिफार्म


■ निशुल्क पाठ्य पुस्तकें पहले ही उपलब्ध कराई जा चुकी हैं

■ मदरसों के पिछले वर्ष कराए गए सर्वे पर अब तक नहीं हो सका फैसला


लखनऊ  । प्रदेश के 560 अनुदानित मदरसों के कक्षा एक से कक्षा आठ तक के बच्चों को जुलाई में निःशुल्क यूनिफार्म दिये जाने की तैयारी है। मदरसों के इन बच्चों को चार साल बाद यूनिफार्म मिलेगी। यह जानकारी उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के चेयरमैन डा. इफ्तेखार अहमद जावेद ने दी।


उन्होंने बताया कि जो यूनिफार्म बेसिक शिक्षा परिषद के कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को निःशुल्क दी जा रही है। वही यूनिफार्म मदरसों के बच्चों को भी मिलेगी। उन्होंने बताया कि अनुदानित मदरसों के कक्षा एक से कक्षा आठ तक के बच्चों को बेसिक शिक्षा परिषद की पाठ्य पुस्तकें निःशुल्क उपलब्ध करवाई जा चुकी हैं। 


पिछले साल अक्तूबर में प्रदेश के सभी जिलों में मदरसों का 12 बिन्दुओं पर सर्वे करवाया गया था, जिसमें 7500 गैर मान्यता प्राप्त मदरसे मिले थे। 15 नवम्बर तक जिलाधिकारियों ने अपने- अपने जिलों के मदरसा सर्वे की रिपोर्ट शासन को सौंप दी थी, मगर उसके बाद से अब तक इस रिपोर्ट पर कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है। मदरसा शिक्षा परिषद के चेयरमैन ने इस बारे में पूछने पर बताया कि शासन स्तर पर रिपोर्ट की समीक्षा की जा रही है।

Tuesday, June 27, 2023

यूपी बोर्ड: अब 22 जुलाई को होगी इम्प्रूवमेंट परीक्षा

यूपी बोर्ड: अब 22 जुलाई को होगी इम्प्रूवमेंट परीक्षा


🆕 Update 
प्रयागराज। यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट इम्प्रूवमेंट-कम्पार्टमेंट परीक्षा अब 22 जुलाई को होगी। पहले 15 जुलाई की तारीख तय की गई थी लेकिन उस दौरान अन्य परीक्षाओं को देखते हुए जिला विद्यालय निरीक्षकों के अनुरोध पर बोर्ड सचिव दिब्यकांत शुक्ल ने परीक्षा तिथि में परिवर्तन कर दिया। है। 


अब 22 जुलाई को प्रदेश के 96 केंद्रों पर परीक्षा कराई जाएगी। हाईस्कूल इम्प्रूवमेंट-कम्पार्टमेंट के लिए 18400 जबकि इंटरमीडिएट कम्पार्टमेंट परीक्षा के 26269 कुल 44669 छात्र-छात्राओं ने पंजीकरण कराया है।


सचिव ने जिला विद्यालय निरीक्षकों को निर्देशित किया है कि परीक्षा के दौरान केंद्र में किसी बाह्य व्यक्ति का प्रवेश न हो। प्रवेश द्वार पर अनावश्यक भीड़ एकत्रित न हो और परीक्षा अवधि में कक्षाओं की वॉयस रिकॉर्डरयुक्त सीसीटीवी से निगरानी कराई जाए। प्रश्नपत्र मुख्य परीक्षा की तरह ही स्ट्रांगरूम में डबल लॉक वाली आलमारी में रखे जाएंगे।



यूपी बोर्ड कम्पार्टमेन्ट परीक्षा संबंधी विज्ञप्ति जारी 




यूपीबोर्ड : इस बार 44669 विद्यार्थी देंगे इंप्रूवमेंट/कंपार्टमेंट परीक्षा, परीक्षा के लिए प्रवेश पत्र ऑफिशियल वेबसाइट से करें डाउनलोड


प्रयागराज : यूपी बोर्ड की 10वीं और 12वीं की इंप्रूवमेंट/कंपार्टमेंट परीक्षा 15 जुलाई को होगी। बोर्ड सचिव ने गुरुवार को तिथि की घोषणा कर दी है। इंप्रूवमेंट/कंपार्टमेंट परीक्षा के लिए 44669 विद्यार्थी पंजीकृत हैं। इसमें हाईस्कूल में इंप्रूवमेंट के लिए 18400 और इंटरमीडिएट में कंपार्टमेंट परीक्षा के लिए 26296 विद्यार्थी पंजीकृत हैं। बोर्ड की ओर से जारी सूचना के अनुसार हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की इंप्रूवमेंट/कंपार्टमेंट परीक्षा दो शिफ्ट में होगी। पहली शिफ्ट में परीक्षा सुबह 8 से 11.15 बजे तक होगी। इसमें 10वीं की इंप्रूवमेंट परीक्षा होगी। जबकि दूसरी शिफ्ट दोपहर दो से शाम 5.15 बजे तक होगी। इसमें 12वीं की कंपार्टमेंट परीक्षा होगी। परीक्षा सूबे के 75 जनपदों के मुख्यालय पर आयोजित की जाएगी। यूपी बोर्ड की इंप्रूवमेंट/कंपार्टमेंट परीक्षा के लिए सात जून तक आवेदन लिए गए थे।


यूपी बोर्ड के सचिव दिव्यकांत शुक्ल के अनुसार परीक्षा जिला मुख्यालयों पर डीआईओएस द्वारा निर्धारित परीक्षा केंद्रों पर होगी। बताया कि परीक्षा को लेकर गाइडलाइन जारी की जा चुकी है। इंप्रूवमेंट परीक्षा के लिए एडमिट कार्ड ऑफिशियल वेबसाइट ४स्रे२स्र्र. ी४ि. ल्ल पर जाकर डाउनलोड कर सकेंगे या पंजीकृत विद्यालय के प्रधानाचार्य से संपर्क कर हासिल कर सकेंगे। परीक्षा कक्ष के भीतर मोबाइल या किसी भी प्रकार के अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण ले जाना वर्जित रहेगा। छात्रों को परीक्षा शुरू होने से कम से कम 45 मिनट पहले केंद्र पर पहुंच जाना है। परीक्षा कक्ष में वाइस रिकॉर्डर युक्त सीसीटीवी कैमरे और राउटर पूरी तरह एक्टिव रहेंगे। प्रश्नपत्रों को स्ट्रांग रूम में डबल लॉकयुक्त आलमारी में ही रखा जाएगा। स्ट्रांग रूम वायस रिकॉर्डर युक्त सीसीटीवी कैमरों से लैस रहेंगे।



इंप्रूवमेंट व कंपार्टमेंट परीक्षा 15 जुलाई को, यूपी बोर्ड ने घोषित की तिथि, 44669 विद्यार्थी पंजीकृत

प्रयागराज : यूपी बोर्ड 2023 की दसवीं और 12वीं की इंप्रूवमेंट / कंपार्टमेंट परीक्षा 15 जुलाई को आयोजित होगी। बृहस्पतिवार को परीक्षा की तिथि घोषित कर दी गई। परीक्षा के लिए प्रदेश में कुल 44669 विद्यार्थी पंजीकृत हैं। हाईस्कूल में इंप्रूवमेंट के लिए 18400 और इंटरमीडिएट में कंपार्टमेंट परीक्षा के लिए 26296 विद्यार्थी पंजीकृत हैं।

यूपी बोर्ड की ओर से जारी सूचना के अनुसार परीक्षा 15 जुलाई को दो पालियों में होगी। 10वीं इंप्रूवमेंट की परीक्षा पहली पाली में सुबह 8 से 11.15 बजे तक होगी। वहीं दूसरी पाली में इंटरमीडिएट की कंपार्टमेंट की परीक्षा दोपहर दो बजे से शाम 5.15 बजे तक होगी। परीक्षा प्रदेश के सभी 75 जिलों के जनपद मुख्यालय में बनाए गए केंद्र पर होगी। परीक्षाओं के लिए बोर्ड की तरफ से सात जून तक आवेदन लिए गए थे।

बोर्ड सचिव दिव्यकांत शुक्ल ने बताया कि परीक्षा को लेकर गाइडलाइन जारी हो गई है। इंप्रूवमेंट परीक्षा के लिए एडमिट कार्ड ऑफिशियल वेबसाइट upmsp.edu.in पर जाकर डाउनलोड कर किया जा सकेगा। पंजीकृत विद्यालय के प्रधानाचार्य से भी परीक्षार्थी संपर्क करके एडमिट कार्ड हासिल कर सकेंगे।

परीक्षा कक्ष के भीतर परीक्षार्थियों को मोबाइल, पेजर, या किसी भी अन्य प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण लाना वर्जित रहेगा। परीक्षार्थियों को परीक्षा शुरू होने के 45 मिनट पहले केंद्र पर पहुंचना होगा।

अन्तर्जनपदीय तबादला सूची जारी होने पर शिक्षक खुश, अब दूसरी सूची पर बेसिक शिक्षकों की लगी निगाह

अन्तर्जनपदीय तबादला सूची जारी होने पर शिक्षक खुश, अब दूसरी सूची पर बेसिक शिक्षकों की लगी निगाह



लखनऊ । बेसिक शिक्षकों के अन्तर्जनपदीय स्थानान्तरण सूची जारी होने पर शिक्षकों ने मिली जुली प्रतिक्रिया दी है। ज्यादातर शिक्षकों का कहना था कि अंतर्जनपदीय स्थानान्तरण में  अधिकांश आवेदकों ने उन ज़िलों का भी विकल्प दे रखा है, जहाँ वो स्थानांतरण होने के बाद भी नहीं जाएंगे और उनका ऐसे जनपदों में ही विभाग ने तबादला कर दिया है। 


ऐसे में विभाग को चाहिए कि  पहली सूची की कार्यमुक्ति के बाद  रिक्त पदों के सापेक्ष  दूसरी ट्रांसफर लिस्ट भी अनिवार्य रुप से जारी की जाए, जिससे निर्धारित सभी पदों पर ट्रांसफर का लाभ बेसिक शिक्षकों को हो सके। 



देखने वाली बात है कि अभी सूची में हुए 16614 शिक्षकों के आदेश  के सापेक्ष कितने शिक्षक कार्यमुक्त  होते है?  ऐसी स्थिति में दूसरी सूची की मांग पर सरकार और बेसिक शिक्षा विभाग का रुख अभी साफ नहीं है।

अंतर्जनपदीय तबादलों में पुरुष शिक्षकों की उम्मीद को इस बार भी लगा झटका, एक तिहाई ही पुरुष शिक्षकों को मिल सका लाभ

अंतर्जनपदीय तबादलों में पुरुष शिक्षकों की उम्मीद को इस बार भी लगा झटका, एक तिहाई ही पुरुष शिक्षकों को मिल सका लाभ 


लखनऊ। बेसिक शिक्षा विभाग ने लंबे समय से इंतजार कर रहे 16,614 शिक्षकों का तबादला किया है। लेकिन पिछली बार की तरह इस बार भी पुरुष शिक्षकों की उम्मीदों को झटका लगा है। कुल तबादलों का एक तिहाई लाभ ही पुरुष शिक्षकों को मिल सका है।


विभाग ने तबादले की प्रक्रिया शुरू करने के साथ ही इसके लिए भारांक भी तय किए गए थे। इसमें पिछली बार की अपेक्षा महिला शिक्षिकाओं का भारांक पांच अंक से बढ़ाकर 10 कर दिया गया था। वहीं, जिले में नियमित सेवावधि शिक्षिका के लिए दो साल और पुरुष शिक्षक के लिए पांच साल होना अनिवार्य था। 


जिले में कार्यरत कुल शिक्षकों की तबादले की अधिकतम सीमा 15 से घटाकर 10 फीसदी कर दी गई थी। यही वजह रही कि भारांक जारी होने के बाद से पुरुष शिक्षकों को डर था कि इस बार भी उनको इसका लाभ नहीं मिल पाएगा।


 इन भारांक के आधार पर कुल 16,614 में से 12,267 महिला शिक्षकों को और मात्र 4,347 पुरुष शिक्षकों को लाभ मिला है। गौरतलब है कि वर्ष 2019-20 में भी कुल 21 हजार तबादलों में से 16 हजार महिलाएं और पांच हजार पुरुष शिक्षकों को इसका लाभ मिला था। 

इस सत्र में खुलेंगे 587 स्कूल, शासन ने मान्यता को दी हरी झंडी

इस सत्र में खुलेंगे 587 स्कूल, शासन ने मान्यता को दी हरी झंडी


प्रयागराज। प्रदेशभर में 587 प्राइवेट स्कूलों को यूपी बोर्ड से मान्यता मिली है। शासन ने दो चरणों में दस मई को 381 और 21 जून को 206 स्कूलों के मान्यता आवेदनों को मंजूरी दी है। इनमें कुछ स्कूलों को कक्षा छह से 12 तक की सीधे मान्यता दी गई है, जबकि कुछ स्कूलों ने अतिरिक्त वर्ग और विषय की मान्यता ली है। 

प्रयागराज क्षेत्रीय कार्यालय के अधीन जिलों में 168, मेरठ 134, वाराणसी 106, गोरखपुर के 87 जबकि बरेली क्षेत्रीय कार्यालय के अधीन 92 स्कूलों को मंजूरी मिली है।


शासन के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने दस मई को 381 स्कूलों की मान्यता को मंजूरी का आदेश जारी किया था जिनमें प्रयागराज के 89, मेरठ के 89, गोरखपुर के 66, बरेली के 67 व वाराणसी के 70 स्कूल शामिल हैं। 


वहीं विशेष सचिव डॉ. रुपेश कुमार की ओर से 21 जून को जारी आदेश में 206 को मंजूरी दी गई है। इनमें प्रयागराज के 79, मेरठ के 45, गोरखपुर के 21, बरेली के 25 व वाराणसी के 36 स्कूल शामिल हैं।


इन सभी स्कूलों को पुरानी शर्तों से मान्यता जारी की गई है। इस साल से नियम बदल गया है। 31 मई तक आवेदन करने वाले स्कूलों को नवीन शर्तों के मुताबिक पहली बार में तीन साल के लिए मान्यता दी जाएगी। तीन साल की अवधि पूरी होने पर विद्यालयों को मान्यता का नवीनीकरण कराना होगा जो कि पांच साल के लिए होगा।


पहले देते थे ऑनलाइन मान्यता पत्र

दो साल पहले तक जिन स्कूलों को नवीन मान्यता मिलती थी उनके मान्यता पत्र वेबसाइट पर जारी किए जाते थे। इसका मकसद मान्यता की व्यवस्था को पारदर्शी बनाना था। क्योंकि मान्यता में ही सर्वाधिक लेनदेन की शिकायतें सुनने में आती थीं। वेबसाइट पर मान्यता पत्र जारी नहीं होते।


बेसिक शिक्षकों के पारस्परिक अंतर्जनपदीय तबादले का अभी भी इंतजार

परस्पर अंतर्जनपदीय तबादलों का अभी भी इंतजार


बेसिक शिक्षा विभाग ने एक से दूसरे जिले के साथ-साथ जिले के अंदर परस्पर तबादले के लिए भी आवेदन लिए थे लेकिन अभी तक यह प्रक्रिया नहीं शुरू हुई है। बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव प्रताप सिंह बघेल ने कहा कि जल्द ही इसकी प्रक्रिया शुरू की जाएगी।



बेसिक शिक्षकों के पारस्परिक अंतर्जनपदीय तबादले का अभी भी इंतजार


प्रयागराज। अंतरजनपदीय स्थानांतरण की कार्यवाही लगभग पूरी होने को है, लेकिन शिक्षकों के अंतर जनपदीय पारस्परिक स्थानान्तरण के लिए आवेदन भी शुरू नहीं हो सके हैं। दो जून को अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा दीपक कुमार की ओर से जारी शासनादेश की शेष शर्तें पूर्ववत रहेंगी। पुरुष शिक्षकों के लिए पांच और महिलाओं के लिए न्यूनतम दो वर्ष सेवा की बाध्यता में कोई शिथिलता नहीं दी गई है।


दो जून के शासनादेश में अंतर जनपदीय एवं पारस्परिक स्थानांतरण की प्रक्रिया समानान्तर रूप से चलाने की बात लिखी थी। साथ ही यह भी प्रावधान था कि पारस्परिक एवं अंतर जनपदीय स्थानांतरण दोनों का लाभ प्राप्त करने वाले शिक्षक-शिक्षिका को केवल पारस्परिक स्थानांतरण का लाभ ही अनुमन्य किया जाएगा।


इस मसले पर शिक्षकों ने हाईकोर्ट में याचिका भी की थी। जिस पर कोर्ट ने 16 जून को परिषदीय शिक्षकों के अंतर जनपदीय पारस्परिक तबादले के लिए ऑनलाइन आवेदन छह सप्ताह के अंदर शुरू करने के आदेश दिए थे।

Monday, June 26, 2023

क्या है ABC पोर्टल? जानें कैसे करें पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन?

UGC ABC Registration: एबीसी पोर्टल पर 1 करोड़ से अधिक स्टूडेंट्स हुए रजिस्टर्ड, जानें क्या होगा फायदा

क्या है ABC पोर्टल? जानें कैसे करें पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन?


 UGC ABC Registration 2023: यूजीसी की ओर से शुरू किए गए एबीसी पोर्टल पर 1 करोड़ से अधिक स्टूडेंट्स ने रजिस्ट्रेशन किया है. इस पोर्टल की शुरुआत यूजीसी की ओर से नई शिक्षा नीति के तहत की गई है.

UGC ABC Registration 2023: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, यूजीसी ने साझा किया कि 1 करोड़ से अधिक स्टूडेंट्स ने एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स (ABC) के साथ पंजीकरण कराया है. यूजीसी अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने कहा है कि एबीसी में छात्र पंजीकरण भारत में एक अनुकूल और लचीली क्रेडिट प्रणाली की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.


उन्होंने कहा कि हमने 1 करोड़ से अधिक रजिस्ट्रेशन के साथ एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है. अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (ABC) को यूजीसी की ओर से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के साथ लॉन्च किया गया था. एबीसी छात्रों के लिए एक वर्चुअल/डिजिटल स्टोरहाउस के रूप में कार्य करेगा, जहां उनकी उच्च शिक्षा के दौरान उनके सभी क्रेडिट संग्रहीत किए जाएंगे.


दिसंबर 2022 से यूजीसी ने सभी संबद्ध विश्वविद्यालयों और कॉलेजों से संपर्क किया है और उनसे यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि छात्र अपने यूजी पाठ्यक्रम शुरू करने से पहले एबीसी के साथ ऑनलाइन पंजीकृत हो. अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट छात्रों को क्रेडिट सत्यापन, क्रेडिट संचय, क्रेडिट रिडेम्पशन और अकादमिक पुरस्कारों के प्रमाणीकरण प्रदान करेगा.


क्या है एबीसी पोर्टल?

एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (एबीसी) एक वर्चुअल/डिजिटल स्टोरहाउस है, जिसमें प्रत्येक स्टूडेंट्स द्वारा उसकी सीखने की यात्रा के दौरान अर्जित किए गए क्रेडिट की जानकारी होती है. एबीसी पोर्टल एक राष्ट्रीय स्तर की सुविधा है, जिसका उपयोग उचित “क्रेडिट ट्रांसफर” के साथ भारतीय उच्च शिक्षण संस्थानों (एचईएलएस) में छात्रों के पाठ्यक्रम ढांचे के लचीलेपन और शैक्षणिक गतिशीलता को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है.


ऐसे करें पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन
  • एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (एबीसी) पोर्टल abc.gov.in पर जाएं.
  • होम पेज पर दिए गए my account विकल्प के लिंक पर क्लिक करें और स्टूडेंट्स विकल्प चुनें.
  • अब विवरण दर्ज कर रजिस्ट्रेशन करें.
  • आवश्यकतानुसार डाक्यूमेंट्स को अपलोड करें.

योगी सरकार का दावा : बेसिक शिक्षा में स्थापित किये नये आयाम, प्रदेश के 1.39 लाख परिषदीय विद्यालयों में बढ़ी मूलभूत सुविधाएं

योगी सरकार का दावा : बेसिक शिक्षा में स्थापित किये नये आयाम, प्रदेश के 1.39 लाख परिषदीय विद्यालयों में बढ़ी मूलभूत सुविधाएं



🔵 प्राइवेट स्कूलों को मात दे रहे परिषदीय विद्यालय
🔵 आपरेशन कायाकल्प से विद्यालयों की बदली सूरत
🔵 स्मार्ट हो रहे प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय



Sunday, June 25, 2023

National Internship Portal: जानिए क्या है राष्ट्रीय इंटर्नशिप पोर्टल, जहां गूगल जैसी बड़ी कंपनियां देती हैं इंटर्नशिप के अवसर

सामाजिक न्याय के मॉडल के रूप में अटल आवासीय विद्यालयों को पेश करेगी यूपी सरकार, जुलाई में भव्य उद्घाटन की तैयारी

यूपी का ब्रांड बनेंगे अटल आवासीय स्कूल, भव्य होगा जुलाई में होने वाला उद्घाटन समारोह


-सामाजिक न्याय के मॉडल के रूप में पेश करेगी सरकार

-छह साल में मजदूरों के 18 हजार बच्चे इन स्कूलों से निकलेंगे


लखनऊ। ओडीओपी (वन डिस्ट्रिक्ट-वन प्रोडक्ट) की तर्ज पर अटल आवासीय विद्यालय भी देश में ब्रांड बनेंगे। प्रदेश सरकार उन्हें सामाजिक न्याय के मॉडल के रूप में पेश करेगी। यूपी पहला ऐसा राज्य है, जिसने मजदूरों के बच्चों को मुफ्त गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने का प्रबंध किया है। वो भी आलीशान स्कूल भवनों में जहां पढ़ाई के साथ ही उनके शारीरिक व मानसिक विकास का इंतजाम होगा। इन स्कूलों के उद्घाटन समारोह को भी बहुत भव्य करने की तैयारी की जा रही है।


अटल आवासीय विद्यालय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट है। निर्माण श्रमिकों के बच्चे इन स्कूलों में छठवीं से 12वीं तक की मुफ्त शिक्षा लेंगे। प्रदेश के 18 मंडल मुख्यालयों पर बनाए गए इन स्कूलों में से प्रत्येक में 1000 बच्चे पढ़ेंगे। स्कूलों के भवन भी निजी स्कूलों की तर्ज पर शानदार बनाए गए हैं। फर्नीचर, स्कूल ड्रेस सहित हर चीज की गुणवत्ता पर उच्च स्तर से नजर रखी जा रही है। प्रधानाचार्यों की नियुक्ति पहले ही हो चुकी है, इन दिनों हर स्कूल में 11 शिक्षक रखे जा रहे हैं। जुलाई से 18 में से 16 स्कूल शुरू हो जाएंगे। मुरादाबाद और बरेली के स्कूलों के बच्चे नये सत्र में फिलहाल बुलंदशहर और लखनऊ के अटल स्कूलों में पढ़ेंगे। अगले चरण में जिलों में भी पीपीपी मोड पर खोलने की योजना है।


पलायन करने वालों के थमेंगे कदम

अगले छह साल में मजदूरों के 18 हजार बच्चे इन स्कूलों से पढ़कर निकलेंगे। श्रम विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह बच्चे यूपी की प्रगति में भागीदारी निभाएंगे। प्रदेश सरकार की इस पहल से पलायन पर भी रोक लगेगी। यही कारण है कि यूपी अब इन स्कूलों को देश के सामने एक नजीर के रूप में पेश करेगा। मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र ने श्रम विभाग के अधिकारियों और मंडलायुक्तों को इन अटल आवासीय स्कूलों से जुड़े हर काम में गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि ओडीओपी की तरह यह स्कूल भी यूपी के ब्रांड बनेंगे। उसी तरह इनकी ब्रांडिंग की जाए। जुलाई में सीएम योगी इन स्कूलों का उद्घाटन करेंगे। इस उद्घाटन समारोह को भव्य बनाने को कहा गया है।


अटल आवासीय विद्यालय : हर विद्यालय में 11 अध्यापक, जुलाई में भव्य शुभारंभ की तैयारी


लखनऊ। प्रदेश के सभी 18 मंडलों में प्रधानाचार्य तो नियुक्त कर दिए गए हैं पर अब भी तक शिक्षकों की तैनाती नहीं हो पाई है। इसके लिए सेवानिवृत्त शिक्षकों का सहारा लिया जा रहा है। उनकी भर्ती की जा रही है जिसके लिए इंटरव्यू शुरू हो गए हैं।


अटल आवासीय विद्यालयों की 1440 सीटों के लिए 8169 बच्चे प्रवेश परीक्षा दे रहे हैं। प्रत्येक विद्यालय में 80 सीटे हैं जिनमें 40 छात्र और 40 छात्राओं के लिए रखी गई हैं। मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा ने बैठक लेकर कहा कि विद्यालयों में सत्र शुभारंभ की भव्य तैयारियां करें।


सीएम जुलाई में किसी भी दिन इसका शुभारंभ कर सकते हैं। दरअसल इन विद्यालयों में अन्य विद्यालयों से प्रधानाचार्यों को भेजकर तैनाती कर दी गई है पर अभी तक शिक्षक तैनात नहीं हुए हैं। उप श्रमायुक्त शमीम अख्तर के मुताबिक सभी में फिलहाल सेवानिवृत्त शिक्षकों को तैनात किया जा रहा है। 


उधर मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र ने कहा है कि जिन विद्यालयों में अभी काम पूरा नहीं हुआ है वहां तेजी से काम पूरा करें। बरेली और मुरादाबाद में विद्यालय का निर्माण पूरा नहीं हुआ है। ऐसे में बरेली के छात्रों को निर्माण पूरा होने तक लखनऊ तथा मुरादाबाद के छात्रों को मेरठ के बुलंदशहर के विद्यालय में शिफ्ट किया जाएगा।

राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय : बीएड एवं स्पेशल बीएड में विलंब शुल्क के साथ आवेदन तिथि 30 जून तक बढ़ी

राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय : बीएड एवं स्पेशल बीएड में विलंब शुल्क के साथ आवेदन तिथि 30 जून तक बढ़ी

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प्रयागराज। उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय ने सत्र 2023 -24 की बीएड एवं बीएड विशिष्ट शिक्षा प्रवेश परीक्षा के लिए विलंब शुल्क के साथ आवेदन तिथि को बढ़ा दिया है। अब अभ्यर्थी 30 जून तक ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे।


कुलपति प्रो. सीमा सिंह ने कई आवेदकों की मांग के बाद शनिवार को यह निर्णय लिया है। बीएड एवं बीएड विशिष्ट शिक्षा प्रवेश परीक्षा समिति के समन्वयक प्रो. पीके पांडेय ने बताया कि अब विलंब शुल्क सहित ऑनलाइन पंजीकरण, आवेदन एवं शुल्क भुगतान की तिथि 30 जून तक बढ़ा दी गई है। 


इसके साथ ही नई व्यवस्था के अनुसार ऑनलाइन आवेदन में त्रुटि संशोधन अवधि एक जुलाई से 10 जुलाई तक निर्धारित की गई है। प्रवेश पत्र 22 जुलाई से डाउनलोड किए जा सकेंगे। प्रवेश परीक्षा की संभावित तिथि पांच अगस्त निर्धारित की गई है। परीक्षाफल के परिणाम 12 अगस्त को विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर जारी होगा।




उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के बीएड और बीएड (विशिष्ट शिक्षा) में आवेदन 15 जून तक


प्रयागराज। उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के प्रवेश सत्र 2023-24 में बीएड के साथ ही बीएड विशिष्ट शिक्षा में भी प्रवेश लिए जाएंगे। 


बीएड एवं बीएड विशिष्ट शिक्षा में प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन और शुल्क जमा करने की अंतिम तिथि 15 जून है। विलंब शुल्क सहित 24 जून तक आवेदन होंगे। प्रवेश पत्र आठ जुलाई से डाउनलोड किए जा सकेंगे। परीक्षा 22 जुलाई को संभावित है।


 प्रवेश परीक्षा आयोजन एवं संचालन समिति के समन्वयक प्रो. प्रदीप कुमार पांडेय ने बताया कि बीएड विशिष्ट शिक्षा में कुल 550 सीटें हैं।


U.P. Rajarshi Tandon Open University, Prayagraj

ऑनलाइन पंजीकरण, आवेदन एवं शुल्क भुगतान की अंतिम तिथि। (15 June 2023) विलम्ब शुल्क सहित ऑनलाइन पंजीकरण, आवेदन एवं शुल्क भुगतान की अंतिम तिथि। (24 June 2023) ऑनलाईन आवेदन विवरण में त्रुटि संशोधन अवधि (25-30 June 2023) प्रवेश परीक्षा प्रवेश पत्र डाउनलोड करने की आरम्भ तिथि (08 July 2023) प्रवेश परीक्षा की तिथि (22 July 2023) विश्वविद्यालय वेबसाइट पर प्रवेश परीक्षा परिणाम प्रकाशन। (31 July 2023) प्रवेश परामर्श का प्रारम्भ। (माह अगस्त, 2023 द्वितीय सप्ताह)






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DGSE के निर्देश पर समस्याओं के निदान हेतु कोई कार्यवाही न होने से RSM खफा, अब तक की प्रगति से अवगत कराने की रखी मांग

DGSE के निर्देश पर समस्याओं के निदान हेतु कोई कार्यवाही न होने से RSM खफा, अब तक की प्रगति से अवगत कराने की रखी मांग 


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मांगों के न पूरे होने पर राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ द्वारा  चरणबद्ध आंदोलन की घोषणा के बाद DGSE ने बेसिक शिक्षा निदेशक और सचिव परिषद को एक सप्ताह में कार्यवाही का दिया निर्देश





DGSE द्वारा दिए गए ज्ञापनों, अनुस्मारको पर समय सीमा के अंदर कोई कार्यवाही न करने तथा संगठन को अनौपचारिक रूप से अवगत न करने के कारण RSM आगबबूला, की चरणबद्ध आंदोलन की घोषणा।






राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश ( प्राथमिक संवर्ग ) द्वारा किए जाने वाले आंदोलन की उद्घोषणा के संबंध में



RSM उत्तर प्रदेश ( प्राथमिक संवर्ग) द्वारा समय-समय पर दिए गए ज्ञापनों /अनुस्मारकों के निराकरण हेतु अनुरोध

Saturday, June 24, 2023

दिनांक 09 जून 2014 के आदेश में संशोधन करते हुये शिक्षकों को संशोधित विकल्प की सुविधा प्रदान किये जाने की जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ की वित्त सचिव से मांग

छठे वेतन आयोग के आदेश में पदोन्नति तिथि का लाभ पाने को दिया ज्ञापन


पदोन्नति की तिथि से छठे वेतन का लाभ लेने के विकल्प चयन करने की सुविधा शिक्षकों को सरकार ने नौ जून 2014 के आदेश में दी थी। लेकिन अधिकारियों द्वारा अधूरी व्याख्या कर यह सुविधा एक जनवरी 2006 से एक दिसंबर 2008 के मध्य पदोन्नति प्राप्त अध्यापकों को ही उपलब्ध कराई गई। जबकि, यह सुविधा एक जनवरी 2006 के पूर्व नियुक्त व एक दिसंबर 2008 के बाद पदोन्नत अध्यापकों के लिए भी उपलब्ध थी । 


ऐसे में एक दिसंबर 2008 के बाद पदोन्नति प्राप्त अध्यापकों को भी विकल्प की सुविधा दिलाने के लिए जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ ने  शासन तक कमर कसी है। 


परिषदीय शिक्षकों को छठे वेतनमान में किसी भी पद पर पदोन्नति के बाद ग्रेड पे पर पदोन्नति प्राप्त शिक्षकों का मूल वेतन के अनुसार तनख्वाह जा रही है। लेकिन 2012 में वित्त नियंत्रक बेसिक शिक्षा परिषद एवं विभाग के अधिकारियों ने प्रस्तर 11 की त्रुटिपूर्ण व्याख्या कर  न्यायालय में प्रकरण को उलझा कर पदोन्नति के पद पर ग्रेड पे 4600 के अनुसार निर्धारित न्यूनतम मूल वेतन रुपए 12540 यानी 17140 रुपये के अनुसार निर्धारित वेतन को हटा दिया गया। 


जबकि, एक जनवरी 2006 के पूर्व शिक्षकों को न्यूनतम मूल्य वेतन ग्रेड पे के अनुसार दिया जा रहा है। कालांतर में बेसिक शिक्षा विभाग में विज्ञान गणित की सीधी भर्ती के बाद वित्त नियंत्रक के बेसिक शिक्षा परिषद के शासनादेश 20 अप्रैल 2016 के द्वारा ग्रेड पे के अनुसार न्यूनतम मूल वेतन देने का पत्र निर्गत किया गया। 


15 सितंबर 2015 तक प्रदेश के हजारों शिक्षकों को ग्रेड पे 4600 न्यूनतम वेतन 12540 अर्थात 17140 से वंचित कर दिया गया। उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल (पूर्व माध्यमिक) शिक्षक संघ, उप्र के प्रांतीय उपाध्यक्ष विनोद कुमार, प्रांतीय कोषाध्यक्ष संजय कुमार कनौजिया एवं जिलाध्यक्ष सुरेश जायसवाल ने 18 जून 2023 को प्रमुख सचिव वित्त विभाग उत्तर प्रदेश शासन दीपक कुमार से मिलकर 17140 के विकल्प के आदेश में संशोधन को ज्ञापन सौंपा है।



दिनांक 09 जून 2014 के आदेश में संशोधन करते हुये शिक्षकों को संशोधित विकल्प की सुविधा प्रदान किये जाने की जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ की वित्त सचिव से मांग



राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में तबादले के लिए आवेदन शुरू, 25 जून तक इस साइट के जरिए कर सकेंगे आवेदन

तबादले के लिए आवेदन शुरू, 25 जून तक इस साइट के जरिए कर सकेंगे आवेदन




प्रयागराज । प्रदेश के 2300 से अधिक राजकीय विद्यालयों के कार्यरत प्रधानाचार्य, प्रधानाध्यापक, उप प्रधानाचार्य, प्रवक्ता और सहायक अध्यापकों (एलटी ग्रेड) के ऑनलाइन स्थानान्तरण के लिए आवेदन शुक्रवार दोपहर बाद शुरू हो गए। हालांकि वेबसाइट पर लोड बहुत अधिक होने के कारण बीच में एरर कनेक्शन दिखाने लग रहा था। इसे लेकर काफी शिक्षक परेशान भी रहे।

माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव के अनुसार 2023-24 सत्र में स्थानान्तरण के लिए एनआईसी की ओर से विकसित वेबसाइट upsecgtt.upsdc.gov.in पर ऑनलाइन आवेदन 25 जून को चार बजे तक लिए जाएंगे।



राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में भी होंगे ऑनलाइन तबादले 



राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में भी अब ऑनलाइन स्थानांतरण होंगे। माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव ने बताया कि राजकीय माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्य, उप प्रधानाचार्य, प्रवक्ता, सहायक अध्यापक (पुरुष/महिला) के स्थानान्तरण सत्र 2023-24 में एनआईसी द्वारा विकसित वेबसाइट upsecgtt.upsdc.gov.in के माध्यम से ऑनलाइन पारदर्शी प्रक्रिया द्वारा स्थानान्तरण का निर्णय लिया गया है। स्थानान्तरण के लिए ऑनलाइन आवेदन 23 जून के अपराह्न से प्रारम्भ होकर 25 जून की सायं 04.00 बजे तक किये जा सकेंगे।


उन्होंने बताया कि आवेदकों को आवेदन करते समय स्वयं के मोबाइल नम्बर एवं ई-मेल आईडी का प्रयोग करना होगा। विस्तृत जानकारी के लिए वेबसाइट upsecgtt.upsdc.gov.in पर उपलब्ध दिशा निर्देशों का भी अध्ययन अवश्य कर लें। शिक्षकों की जिज्ञासाओं के समाधान के लिए हेल्पलाइन नंबर-8317054632 पर कॉल या व्हाट्सएप्प तथा ई-मेल onlineteachertransfer2023@gmail.com के माध्यम से सम्पर्क किया जा सकता है।

यूपी बोर्ड : फिलहाल वेबसाइट से पढ़ेंगे 50 महापुरुषों की जीवनगाथा

यूपी बोर्ड : फिलहाल वेबसाइट से पढ़ेंगे 50 महापुरुषों की जीवनगाथा 


प्रयागराज : यूपी बोर्ड ने कक्षा नौ से 12 तक की नैतिक, योग, खेल एवं शारीरिक शिक्षा की किताब में 50 महापुरुषों की जीवनगाथा को इसी सत्र से शामिल किया है। बोर्ड के 27 हजार से अधिक स्कूलों में पढ़ने वाले एक करोड़ से अधिक छात्र-छात्राओं को फिलहाल इन महापुरुषों की जीवनगाथा बोर्ड की वेबसाइट पर पाठ्यक्रम से ही पढ़नी होगी। क्योंकि इस विषय की किताब के प्रकाशन का टेंडर बोर्ड के स्तर से नहीं होता।


निजी प्रकाशक ही मनमाने दाम पर किताब छापकर बाजार में बेचते हैं। चूंकि संशोधित पाठ्यक्रम गुरुवार को ही वेबसाइट पर जारी किया गया है। ऐसे में इसकी किताब बाजार में आने में समय लगेगा। जबकि स्कूलों में गर्मी की छुट्टी के बाद एक जुलाई से पढ़ाई शुरू होगी। लिहाजा किताब उपलब्ध होने तक बच्चों को ऑनलाइन उपलब्ध सामग्री से ही काम चलाना होगा।


11 व 12 में 50 प्रतिशत अंक लाना अनिवार्य

कक्षा नौ से 12 तक के छात्र-छात्राओं के लिए नैतिक, योग, खेल एवं शारीरिक शिक्षा विषय लेना अनिवार्य है। इसमें स्कूल स्तर पर 50 अंकों की लिखित और 50 अंकों की प्रायोगिक परीक्षा होती है। कक्षा नौ व दस में मूल्यांकन के आधार पर छात्रों को ए, बी व सी श्रेणी दी जाती है और अंकपत्र पर भी जिक्र होता है। जबकि कक्षा 11 व 12 में 50 प्रतिशत अंक लाना अनिवार्य है। हालांकि इसमें मिले अंकों का योग विद्यार्थी की श्रेणी निर्धारण में नहीं किया जाता।


सावरकर को भी पढ़ेंगे यूपी बोर्ड के छात्र-छात्राएं, नाम शामिल करने को लेकर लंबे समय से चल रही थी कवायद


प्रयागराज : यूपी बोर्ड ने पाठ्यक्रम में महत्वपूर्ण बदलाव किया है। बोर्ड के छात्र-छात्राओं को विनायक दामोदर सावरकर समेत 50 महापुरुषों की जीवन गाथा पढ़ाई जाएगी। इसमें सावरकर के अलावा पं. दीन दयाल उपाध्याय, महावीर जैन, भारत रत्न महामना मदन मोहन मालवीय, अरविंद घोष, राजा राम मोहन राय, सरोजनी नायडू, नाना साहब के नाम शामिल हैं। नैतिक, योग, खेल एवं शारीरिक शिक्षा विषय में शामिल इन महापुरुषों की जीवन गाथा जुलाई में स्कूल खुलने के बाद से पढ़ाई जाएगी। यह विषय सभी विद्यार्थियों के लिए अनिवार्य हैं और इसमें पास होना आवश्यक है। हालांकि इसके अंक हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के अंकपत्र में शामिल नहीं होते।


इन महापुरुषों के नामों को लेकर यूपी बोर्ड में लंबे समय से कवायद चल रही थी। बोर्ड के विशेषज्ञों की ओर से महापुरुषों के नाम की सूची शासन को पहले ही भेजी जा चुकी थी, जिस पर अब मुहर लगी है। बोर्ड की वेबसाइट पर पाठ्यक्रम में इन महापुरुषों के नाम शामिल करते हुए उसे जारी कर दिया गया है। बोर्ड के 27 हजार से अधिक राजकीय, सहायता प्राप्त और वित्तविहीन स्कूलों में कक्षा नौ से 12 तक के एक करोड़ से अधिक छात्र-छात्राएं इन महापुरुषों की जीवनगाथा पढ़ेंगे।


कक्षा 9

चंद्रशेखर आजाद, बिरसा मुंडा, बेगम हजरत महल, वीर कुंवर सिंह, ईश्वरचंद्र विद्यासागर, गौतम बुद्ध, ज्योतिबा फूले, छत्रपति शिवाजी, विनायक दामोदर सावरकर, विनोबा भावे, श्रीनिवास रामानुजन और जगदीश चंद्र बोस।

कक्षा 10

मंगल पांडेय, रोशन सिंह, सुखदेव, लोकमान्य तिलक, गोपाल कृष्ण गोखले, महात्मा गांधी, खुदी राम बोस, स्वामी विवेकानंद।

कक्षा 11

राम प्रसाद बिस्मल, भगत सिंह, डॉ. भीमराव अंबेडकर, सरदार वल्लभ भाई पटेल, पं. दीन दयाल उपाध्याय, महाबीर जैन, महामना मदन मोहन मालवीय, अरविंद घोष, राजा राम मोहन राय, सरोजन नायडू, नाना साहब, महर्षि पतंजलि, शल्य चिकित्सक सुश्रुत और डॉ. होमी जहांगीर भाभा।

12वीं -

रामकृष्ण परमहंस, गणेश शंकर विद्यार्थी, राजगुरू, रवींद्रनाथ टैगोर, लाल बहादुर शास्त्रत्त्ी, रानी लक्ष्मी बाई, महाराणा प्रताप, बंकिम चंद्र चटर्जी, आदि शंकराचार्य, गुरु नानक देव, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, रामानुजाचार्य, पाणिनी, आर्यभट्ट और सीवी रामन।


यूपी बोर्ड के पाठ्यक्रम में वीर सावरकर की जीवनी शामिल

● वेगम हजरत महल और नाना साहब सहित 50 महापुरुष भी शामिल 

● इसी सत्र से कक्षा नौ से 12 तक में पढ़ाई जाएगी जीवनगाथा

प्रयागराज : यूपी बोर्ड ने विनायक दामोदर सावरकर, चंद्रशेखर आजाद, अरविंद घोष, नाना साहब, सीवी रमन और बेगम हजरत महल सहित 50 महापुरुषों और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की जीवनगाथा को पाठ्यक्रम में शामिल किया है। 2023-24 के सत्र से नैतिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में इन महापुरुषों के बारे में कक्षा नौ से 12 तक के छात्र - छात्राएं पढ़ेंगे। कक्षा वार महापुरुषों के नाम परिषद की वेबसाइट upmsp.edu.in पर अपलोड कर दिए गए हैं।

भाजपा ने विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान जारी लोक कल्याण संकल्प पत्र में 50 महापुरुषों स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की जीवनगाथा को नैतिक शिक्षा के तहत पाठ्यक्रम में शामिल करने का वादा किया था। सरकार बनने के बाद शासन के निर्देश पर यूपी बोर्ड की पाठ्यक्रम समिति ने 50 महापुरुषों / स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का नाम शामिल करने का प्रस्ताव शासन को भेजा था। प्रस्ताव को पूर्व में मंजूरी मिल गई थी। माध्यमिक शिक्षा परिषद की वेबसाइट पर नैतिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में इसे जोड़ा गया है।

परिषद की वेबसाइट खोलने पर बाईं ओर पाठ्यक्रम 23-24 विंडो दिखेगी । इस पर क्लिक करने पर कक्षावार सिलेबस का चार्ट दिखाई देगा। इसमें सभी विषय और उसके कोड लिखे हुए हैं। मारल स्पोर्ट्स एवं फिजिकल एजुकेशन विषय के सामने डाउनलोड आप्शन पर क्लिक करने पर नैतिक शिक्षा पाठ्यक्रम के पेज पर सबसे नीचे महापुरुषों की जीवनगाथा का अध्ययन दिखेगा।

आजाद से लेकर परमहंस तक की जीवनी पढ़ेंगे छात्र

◆ 12वीं तक के नैतिक शिक्षा विषय में 50 महापुरुषों की जीवन गाथा शामिल

◆ एक जुलाई से स्कूल खुलने के बाद इसी सत्र से जीवन गाथा का छात्र कर सकेंगे अध्ययन

प्रयागराज : यूपी बोर्ड ने अपने नौवीं से 12वीं तक के पाठ्यक्रम में 50 महापुरुषों की जीवन गाथा शामिल की है। नैतिक शिक्षा विषय में शामिल इन महापुरुषों में अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद से लेकर रामकृष्ण परमहंस समेत अन्य महापुरुषों की जीवन गाथा पढ़ाई जाएगी। विद्यार्थी इन महापुरुषों की जीवन गाथा इसी सत्र से जुलाई में स्कूल खुलने के बाद पढ़ सकेंगे।

भारतीय जनता पार्टी ने 2022 के विधान सभा चुनाव के लिए जारी लोक कल्याण संकल्प पत्र में महापुरुषों और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की जीवन गाथा शैक्षिक पाठ्यक्रम में शामिल करने का वादा किया था। इन महापुरुषों के नामों को लेकर यूपी बोर्ड में लंबे समय से मंथन चल रहा था।

आखिरकार यूपी बोर्ड में महापुरुषों के नामों को लेकर सहमति बन गई है। बोर्ड की तरफ से वेबसाइट पर पाठ्यक्रम में इन महापुरुषों के नाम शामिल करते हुए उसे जारी कर दिया है। अब विद्यार्थी इसी सत्र से महापुरुषों की जीवन गाथा पढ़ सकेंगे। महापुरुषों की जीवनगाथा पढ़ने के लिए बोर्ड के 27 हजार से अधिक राजकीय, सहायता प्राप्त और वित्तविहीन स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा नौ से 12 तक के एक करोड़ से अधिक छात्र-छात्राओं इंतजार आखिरकार खत्म हो गया।

नौवीं कक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल महापुरुष चंद्रशेखर आजाद, बिरसा मुंडा, बेगम हजरत महल, वीर कुंवर सिंह, ईश्वरचंद्र विद्यासागर, गौतम बुद्ध, ज्योतिबा फूले, छत्रपति शिवाजी, विनायक दामोदर सावरकर, विनोबा भावे, श्रीनिवास रामानुजन और जगदीश चंद्र बोस ।

10वीं कक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल महापुरुष : मंगल पांडेय, ठाकुर रोशन सिंह, सुखदेव लोकमान्य तिलक, गोपाल कृष्ण गोखले, महात्मा गांधी, खुदी राम बोस, स्वामी विवेकानंद ।

11वीं कक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल महापुरुष राम प्रसाद विस्मल, शहीद-ए-आजम भगत सिंह, डॉ. भीमराव अंबेडकर, सरदार वल्लभ भाई पटेल, पं. दीन दयाल उपाध्याय, महावीर जैन, महामना मदन मोहन मालवीय, अरविंद घोष, राजा राम मोहन राय, सरोजनी नायडू, नाना साहब, महर्षि पतंजलि, शल्य चिकित्सक सुश्रुत और डॉ. होमी जहांगीर भाभा

12वीं कक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल महापुरुष रामकृष्ण परमहंस, अमर शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी, राजगुरु, रवींद्रनाथ टैगोर, लाल बहादुर शास्त्री, रानी लक्ष्मी बाई, महाराणा प्रताप, बंकिम चंद्र चटर्जी, आदि शंकराचार्य, गुरु नानक देव, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, रामानुजाचार्य, पाणिनी, आर्यभट्ट और सीवी रमन ।

Friday, June 23, 2023

देवबंद के छात्र-छात्राओं के अंग्रेजी पढने पर प्रतिबंध नहीं, प्रबंधन ने माना कि लिपिकीय त्रुटि से फैला भ्रम

देवबंद के छात्र-छात्राओं के अंग्रेजी पढने पर प्रतिबंध नहीं, प्रबंधन ने माना कि लिपिकीय त्रुटि से फैला भ्रम


राज्य अल्पसंख्यक आयोग ने देववंद प्रबंधन से मांगा था स्पष्टीकरण


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लखनऊ : दारुल उलूम देवबंद के छात्र-छात्राओं पर अंग्रेजी के पठन-पाठन पर कोई प्रतिबंध नहीं है। खुद दारुल उलूम देवबंद प्रबंधन ने स्वीकार किया कि 13 जून को उनके यहां जारी आदेश में लिपिकीय त्रुटि की वजह से यह भ्रम फैल गया था । दारुल उलूम में किसी भी भाषा जैसे अंग्रेजी आदि के सीखने पर कोई प्रतिबंध कभी नहीं लगाया गया।


प्रबंधन ने यह भी साफ किया कि यहां पढ़ने वाले छात्र संस्था में अध्ययनरत रहते हुए किसी अन्य संस्था में दूसरी डिग्री लेने के लिए प्रवेश नहीं लेंगे क्योंकि दो संस्थाओं में प्रवेश लेने से उनकी पढ़ाई पर असर पड़ेगा। कानूनन भी कोई छात्र एक समय में दो संस्थाओं में प्रवेश लेकर दो डिग्रियां एक साथ नहीं ले सकता है।


दरअसल, दारुल उलूम देवबंद से 13 जून को एक आदेश जारी हुआ था, जिसके कारण इस मामले तूल पकड़ा था। इंटरनेट मीडिया पर समाचार प्रसारित होने के बाद उत्तर प्रदेश राज्य अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन अशरफ सैफी ने इसका संज्ञान लेकर देवबंद प्रबंधन तथा सहारनपुर के जिला प्रशासन से स्पष्टीकरण मांगा था।


इस पर दारुल उलूम देवबंद के नाजिम मजलिस तालीम ने आयोग को लिखित तौर पर सूचित किया कि उनके यहां अंग्रेजी, हिंदी, गणित, कंप्यूटर, विज्ञान आदि विषयों की शिक्षा पहले से दी जा रही है। 13 जून के पत्र में लिपिकीय त्रुटि से पूरे प्रकरण को समझने में भ्रम पैदा हुआ।


राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि दारुल उलूम देवबंद एक विश्वविख्यात शिक्षण संस्था है, इसलिए उनके प्रबंधन से अपेक्षा की जाती है कि उनके बनाए नियमों के अधीन रहते हुए छात्रों को अंग्रेजी और अन्य विषयों की शिक्षा ग्रहण करने से न रोका जाए।


उन्होंने बताया कि इस मामले की जांच जिलाधिकारी ने उपजिलाधिकारी देवबंद से कराई थी, उसमें भी पाया गया कि देवबंद में अंग्रेजी प्रतिबंधित करने के संबंध में कोई नोटिस जारी नहीं किया गया है। यहां पहले से अंग्रेजी विभाग संचालित





छात्रों के अंग्रेजी पढ़ने पर पाबंदी पर दारूल उलूम को अल्पसंख्यक आयोग का नोटिस, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी कार्यवाई के दिए निर्देश 


सहारनपुर: फतवों की नगरी एवं विश्वविख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम में छात्रों के अंग्रेजी पढ़ने पर लगी पाबंदी का मामला बढ़ता जा रहा है. संस्था में धार्मिक तालीम के साथ अंग्रेजी एवं आधुनिक विषयों की पढ़ाई नहीं करने के मामले में यूपी अल्पसंख्यक आयोग ने दारुल उलूम को न सिर्फ नोटिस जारी किया है बल्कि 21 जून तक जवाब मांगा है. 


इतना ही नहीं राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने भी जिलाधिकारी सहारनपुर को पत्र भेजकर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. साथ ही राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने जिलाधिकारी के जरिए संस्था से जवाब भी तलब किया है. 


यूपी अल्पसंख्यक आयोग ने दारुल उलूम देवबंद से स्पष्टीकरण देने को कहा है, जिसके बाद दारुल उलूम प्रबंधन में हड़कंप है. हालांकि, जमीयत अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी इस मामले में पहले ही सफाई दे चुके हैं.


बता दें कि दारुल उलूम देवबंद में मुस्लिम छात्रों को केवल इस्लाम धर्म की पढ़ाई कराई जाती है. यहां दुनिया भर के मुस्लिम देशों के छात्र धार्मिक तालीम लेने आते हैं. 14 जून को दारुल उलूम प्रबंधन ने मदरसे के छात्रों के लिए नोटिस जारी कर दारुल उलूम की पढ़ाई के साथ अंग्रेजी और दूसरे विषयों की पढ़ाई न करने का फरमान सुनाया था. दारुल उलूम देवबंद का यह फरमान मीडिया की सुर्खियां बना तो जमीयत अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने मामले पर सफाई पेश की. फरमान में कहा गया कि दारूल उलूम के छात्र अंग्रेज़ी कतई नही पढ़ेंगे और अगर ऐसा करते पाए गए तो उनका निष्कासन कर दिया जाएगा.


मौलाना मदनी ने दी थी ये सफाई.

मौलाना अरशद मदनी के मुताबिक दारुल उलूम में तालीम का निज़ाम बहुत सख्त है, जो छात्र मदरसे की पढ़ाई के साथ अंग्रेजी की ओर ध्यान देते हैं यानि ऐसे छात्र जो दो नाव की की सवारी करते हैं, वे न सिर्फ हमारे तालीमी निज़ाम को नुकसान पहुंचाते हैं बल्कि खुद के भविष्य को भी बिगाड़ रहे हैं.


मौलाना अरशद मदनी ने कहा था कि भारत भर में बहुत से गुरुकुल भी चलाए जा रहे हैं जहां पर उनको धार्मिक शिक्षा दी जाती है और वहां पर वही छात्र एडमिशन लेते हैं जिनको धर्म की जानकारी और धार्मिक शिक्षा चाहिए. बावजूद इसके मदरसे और उनके छात्रों को ही टारगेट क्यों बनाया जाता है. गुरुकुल की तरह मदरसे में जो छात्र एडमिशन लेते हैं वो वहां धार्मिक शिक्षा, अरबी शिक्षा और मौलवी आलिम मुफ़्ती बनने के लिए ही आते हैं.


आयोग ने लिया मामले का संज्ञान

14 जून को दारुल उलूम द्वारा अंग्रेजी पढ़ने पर पाबंदी लगाने के फरमान का संज्ञान न सिर्फ यूपी अल्पसंख्यक आयोग ने लिया है बल्कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी सख्ती दिखाई है. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के चेयरमैन प्रियांक कानूनगो ने इसको छात्रों के उत्पीड़न का मामला बताते हुए जिलाधिकारी को पत्र भेजकर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. बाल संरक्षण आयोग ने कहा कि यह छात्रों के अधिकार के हनन के साथ छात्रों का उत्पीड़न भी हुआ है, जिसके चलते दारुल उलूम प्रबंधन के खिलाफ कार्यवाई होनी चाहिए.


अल्पसंख्यक आयोग ने जारी किया नोटिस

वहीं, इस मामले में यूपी अल्पसंख्यक आयोग ने दारुल उलूम के इस फरमान पर नाराजगी जताई है. अल्पसंख्यक आयोग ने दारुल उलूम देवबंद के शिक्षा विभाग को नोटिस जारी किया है. आयोग ने विश्वविख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्थान से 21 जून तक जवाब तलब किया है. अल्पसंख्यक आयोग के सख्त रवैये के बाद दारुल उलूम के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने जिला प्रशासन को लिखित स्पष्टीकरण दिया है. 

स्पष्टीकरण में कहा है कि दारुल उलूम देवबंद किसी भी भाषा का विरोध नहीं करता. उन्होंने कहा कि दारुल उलूम में अलग से अंग्रेजी और कंप्यूटर विभाग स्थापित किया हुआ है. संस्था के छात्रावास में रहकर छात्रों द्वारा बाहर कोचिंग और कारोबारी गतिविधियों में शामिल होने पर रोक लगाई है जिससे छात्र अपना पूरा समय संस्था के पाठ्यक्रम में ही लगा सकें. इदारे का प्राइमरी सेक्शन छात्रों को अंग्रेजी, गणित और विज्ञान की शिक्षा देता है.

जिलाधिकारी डॉ.दिनेश चंद्र का कहना है कि राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिकार आयोग (NCPCR) का पत्र मिलने के बाद एसडीएम देवबंद को दारुल उलूम भेजा गया था, जहां दारुल उलूम की ओर से मोहतमिम ने अपना पक्ष रखा है. उन्होंने कहा कि संस्था के नोटिस और संस्था के बयान को गलत तरीके से पेश किया गया है. अंग्रेजी और आधुनिक विषयो पर पाबंदी का उद्देश्य केवल इतना था कि संस्था का पाठ्यक्रम प्रभावित न हो. इस संबंध में संस्था का शिक्षा विभाग लिखित में जवाब प्रस्तुत करेगा.



अंग्रेजी की पढाई करने वाले छात्र दारुल उलूम से होंगे निष्कासित, दारुल उलूम के शिक्षा विभाग के प्रभारी का फरमान


देवबंद / लखनऊ। इस्लामी तालीम के प्रमुख केंद्र दारुल उलूम में कोई भी छात्र शिक्षा ग्रहण करने के दौरान अंग्रेजी या किसी दूसरी भाषा का ज्ञान अर्जित नहीं कर सकेगा। आदेश न मानने वाले छात्रों यह संस्थान निष्कासित करेगा।


दारुल उलूम के शिक्षा विभाग के प्रभारी मौलाना हुसैन हरिद्वारी की ओर से जारी आदेश में कहा गया कि इस संस्थान में तालीम हासिल करने के दौरान छात्र को अंग्रेजी आदि सीखने की इजाजत नहीं होगी। अगर कोई छात्र गुप्त रूप से इसमें संलिप्त मिलता है तो उसे संस्था से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। 


प्रबंधन के इस फरमान से उन छात्रों में बेचैनी पैदा हो गई है जो बेहतर भविष्य के लिए दारुल उलूम में शिक्षा ग्रहण करने के साथ अंग्रेजी या कंप्यूटर आदि के कोर्स करते हैं।



पहले आलिम बाद में बनें डॉक्टर, इंजीनियर : मदनी 
दरअसल दो दिन पहले दारुल उलूम के सदर मुदर्रिस व जमीयत उलमा-ए- हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने छात्रों को नसीहत दी थी। कहा था कि मदरसा हमारा दीन है, हमारी दुनिया नहीं। इसलिए पहले अच्छे आलिम-ए-दीन बने और उसके बाद डॉक्टर, इंजीनियर या वकील बनें।



नदवा में अंग्रेजी के साथ संस्कृत भी

इस्लामिक शिक्षा के लिए दुनिया में अपनी अलग पहचान रखने वाले लखनऊ के मशहूर संस्थान दारुल उलूम नदवातुल उलमा (नदवा) में छात्रों को कुरान, हदीस, इस्लामिक स्टडीज, फारसी के अलावा निसानियात यानी भाषा एवं पत्रकारिता विभाग में अरबी, उर्दू, अंग्रेजी के अलावा हिंदी की शिक्षा दी जाती है। बीते दिनों तुलवा के लिए इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स शुरू किया गया। प्रबंधन संस्कृत में डिप्लोमा कोर्स की भी तैयारी कर रहा है।