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Tuesday, October 22, 2024

शास्त्री के छात्रों को ₹2400 और आचार्य वालों को ₹3000 की संस्कृत छात्रवृत्ति

शास्त्री के छात्रों को ₹2400 और आचार्य वालों को ₹3000 की संस्कृत छात्रवृत्ति

संस्कृत विद्यार्थी योजना के तहत मिलेगा शास्त्री और आचार्य के विद्यार्थियों को लाभ


वाराणसी। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय और संबद्ध महाविद्यालय के शास्त्री व आचार्य के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति मिलेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर शासन ने विश्वविद्यालय प्रशासन को आदेश जारी कर दिया है।

कुलसचिव राकेश कुमार ने बताया कि शासन के पत्र के सापेक्ष छात्र-छात्राओं को संस्कृत विद्यार्थी योजना के तहत छात्रवृत्ति दी पाएगी। शास्त्री के विद्यार्थियों को दो सौ रुपये प्रतिमाह और आचार्य के विद्यार्थियों को 250 रुपये छात्रवृत्ति दी जाएगी।


शासन के आदेश पर लागू योजना के अंतर्गत प्रदेश में संचालित संस्कृत महाविद्यालयों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं के अलावा संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के शास्त्री एवं आचार्य के छात्र-छात्राओं को भी लाभ मिलेगा। शास्त्री के विद्यार्थियों को 2400 रुपये सालाना और आचार्य के विद्यार्थियों को तीन हजार रुपये मिलेंगे।


 छात्रवृत्ति के लिए यथाशीघ्र आवेदन का निर्देश दिया गया है। छात्रवृत्ति करने के लिए छात्र-छात्राएं अपने- अपने विभाग से आवेदन प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही विभाग में यथाशीघ्र जमा कर सकते हैं। आवश्यक दिशा-निर्देश विभाग दिए जाएंगे। कुलसचिव ने बताया कि यह योजना संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। उम्मीद है कि इससे विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं को लाभ होगा।

मदरसों को मिलती रहेगी फंडिंग, सुप्रीम कोर्ट ने NCPCR की सिफारिश पर लगाई रोक

मदरसों को मिलती रहेगी फंडिंग, सुप्रीम कोर्ट ने NCPCR की सिफारिश पर लगाई रोक 

■ 7 जून को आयोग ने जारी किए थे निर्देश 
■ कोर्ट ने आयोग के निर्देश पर रोक लगाई

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के निर्देश पर रोक लगा दी। आयोग ने आरटीई 2009 का पालन नहीं करने वाले मदरसों की मान्यता वापस लेने, उनमें पढ़ने वाले बच्चों को सरकारी स्कूलों में समायोजित करने और फंडिंग रोकने की सात जून को सिफारिश की थी। शीर्ष अदालत ने एनसीपीसीआर के निर्देशों पर केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा की जा रही कार्रवाई पर भी रोक लगा दी है। 

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से एनसीपीसीआर के निर्देशों को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करते हुए यह अंतरिम आदेश पारित किया है।

 याचिका में एनसीपीसीआर के निर्देशों और इसके बाद केंद्र व राज्यों द्वारा की जा रही कार्रवाई को संविधान के अनुच्छेद-30 के तहत धार्मिक अल्पसंख्यकों को शिक्षा प्रदान करने के अधिकार का उल्लंघन बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की गई है। कोर्ट ने एनसीपीसीआर और इसके बाद केंद्र और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा की गई या जा रही कार्रवाई पर रोक लगा दी है। पीठ ने मामले में केंद्र, एनसीपीसीआर व सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है।


Supreme Court on Madarsa: NCPCR  को सुप्रीम कोर्ट से झटका, मदरसों के छात्रों को सरकारी स्कूल में भेजने के निर्देश पर लगी रोक


उत्तर प्रदेश सरकार का आदेश राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की रिपोर्ट पर आधारित था। इसमें राइट टू एजुकेशन एक्ट 2009 का पालन नहीं करने वाले मदरसों की मान्यता रद्द करने को कहा गया था।


सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बड़ा फैसला लिया। उसने गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के सभी छात्रों को सरकारी स्कूलों में ट्रांसफर करने और मदरसों से गैर मुस्लिम छात्रों को हटाने के फैसले पर रोक लगा दी है। 


किसने दायर की थी याचिका
उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा सरकार के इस आदेश के खिलाफ जमीयत उलमा-ए-हिंद ने याचिका दायर की थी। उत्तर प्रदेश सरकार का यह आदेश राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की रिपोर्ट पर आधारित था। इसमें राइट टू एजुकेशन एक्ट 2009 का पालन नहीं करने वाले मदरसों की मान्यता रद्द करने और सभी मदरसों की जांच करने को कहा गया था। 


प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता के इस कथन का संज्ञान लिया कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के संचार और कुछ राज्यों की कार्रवाइयों पर रोक लगाने की जरूरत है।


यूपी सरकार ने यह दिया था आदेश
अदालत ने उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा सरकार के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों और सरकारी सहायता प्राप्त मदरसों में पढ़ने वाले गैर-मुस्लिम छात्रों को सरकारी स्कूलों में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया गया था। शिक्षा के अधिकार अधिनियम का पालन न करने के कारण सरकारी अनुदान प्राप्त/सहायता प्राप्त मदरसों को बंद करने की एनसीपीसीआर की सिफारिश और केंद्र तथा राज्यों द्वारा की गई कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। 


शीर्ष अदालत ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि एनसीपीसीआर द्वारा सात जून और 25 जून को जारी किए गए 27 जून तक के संचार पर रोक लगाई जाती है और इसके बाद उठाए गए सभी कदमों पर रोक लगाई जाती है। पीठ ने यह भी कहा कि राज्यों के परिणामी आदेशों पर भी रोक रहेगी।

न्यायालय ने मुस्लिम संगठन को उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा के अलावा अन्य राज्यों को अपनी याचिका में पक्षकार बनाने की भी अनुमति दे दी।


एनसीपीसीआर की रिपोर्ट में यह था
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने हाल ही में अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि जब तक मदरसे शिक्षा के अधिकार अधिनियम का अनुपालन नहीं करते, तब तक उन्हें  दिया जाने वाला फंड बंद कर देना चाहिए।


विपक्ष ने किया था जोरदार विरोध
इस रिपोर्ट पर विपक्ष ने बीजेपी सरकार पर जमकर निशाना साधा था। इस दौरान सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भाजपा पर अल्पसंख्यक संस्थानों को चुनिंदा तरीके से निशाना बनाने का आरोप लगाया था। इसके बाद  एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा था कि उन्होंने कभी भी ऐसे मदरसों को बंद करने की मांग नहीं की थी, बल्कि उन्होंने सिफारिश की थी कि इन संस्थानों को दी जाने वाली सरकारी फंडिंग बंद कर दी जानी चाहिए, क्योंकि ये गरीब मुस्लिम बच्चों को शिक्षा से वंचित कर रहे हैं।

Monday, October 21, 2024

CBSE Exam 2025: 10वीं 12वीं बोर्ड परीक्षा में बैठने के लिए 75 फीसदी अटेंडेंस अनिवार्य, सीबीएसई ने जारी कीं गाइडलाइंस

सीबीएसई सख्त, 75 फीसदी उपस्थिति नहीं तो परीक्षा से वंचित होंगे विद्यार्थी 

औचक निरीक्षण करेगी बोर्ड टीम, स्कूल की ओर से धांधली मिली तो रद्द होगी मान्यता

21 अक्टूबर 2024
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने छात्रों की उपस्थिति पर सख्ती दिखाई है। बोर्ड की टीम  सीबीएसई बोर्ड के स्कूलों का औचक निरीक्षण करेगी। इस दौरान वह छात्रों की उपस्थिति की जांच करेगी। 75 फीसदी से कम उपस्थिति वाले विद्यार्थियों का डेटा बोर्ड ने विद्यालयों से मांगा है। साथ की कहा कि स्कूल की ओर से धांधली मिली तो उनकी मान्यता रद्द की जा सकती है। 

 बोर्ड की टीम ने दिल्ली और राजस्थान के कई स्कूलों में निरीक्षण किया है। उन्होंने बताया कि परीक्षा में शामिल होने के लिए 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य है। चिकित्सा, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों में प्रतिभाग करने पर ही 25 प्रतिशत की छूट प्रदान की जाएगी।

बोर्ड के आदेश ने विद्यालयों की चिंता बढ़ा दी है। दरअसल, अधिकांश विद्यालयों में विद्यार्थियों की अनुपस्थिति के बावजूद हाजिरी लगाई जाती है। इंटर में पढ़ने वाले विद्यार्थी विद्यालय न आकर जेईई और नीट परीक्षा की तैयारी के लिए दूसरे शहरों में रह रहे हैं। इससे बोर्ड का रिजल्ट साल दर साल खराब होता जा रहा है।

इसके बाद से ही बोर्ड सख्त हुआ है। कहा कि निरीक्षण में अनुपस्थिति अधिक मिलने पर विद्यार्थियों को परीक्षा से वंचित किया जा सकता है। वहीं, विद्यालय की ओर से किसी भी प्रकार की धांधली उजागर होने पर मान्यता भी रद्द की जा सकती है।



CBSE Exam 2025: 10वीं 12वीं बोर्ड परीक्षा में बैठने के लिए 75 फीसदी अटेंडेंस अनिवार्य, सीबीएसई ने जारी कीं गाइडलाइंस

13 अक्टूबर 2024
सीबीएसई परीक्षा 2025 से पहले बोर्ड ने अपने संबंद्ध स्कूलों को एक बार याद दिलाया है कि बोर्ड एग्जाम में बैठने के लिए छात्र की 75 फीसदी अटेंडेंस होना अनिवार्य है।

सीबीएसई 10वीं 12वीं परीक्षा 2025 से पहले केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने अपने संबंद्ध स्कूलों को एक बार याद दिलाया है कि बोर्ड एग्जाम में बैठने के लिए छात्र की 75 फीसदी अटेंडेंस होना अनिवार्य है। अगर किसी छात्र की अटेंडेंस स्कूल में 75 फीसदी से कम होती है तो वह बोर्ड परीक्षा में बैठने के लिए अयोग्य होगा। 

सीबीएसई ने अपनी गाइडलाइंस में कहा है कि बोर्ड कुछ मामलों में 25 फीसदी की छूट दे सकता है जैसे मेडिकल इमरजेंसी, राष्ट्रीय खेलों में हिस्सेदारी या फिर अन्य कोई गंभीर वजह वगैरह। इस राहत को पाने के लिए छात्र को संबंधित डॉक्यूमेंट दिखाने होंगे।

बोर्ड ने स्कूलों को छात्रों को इस बारे में जानकारी देने का निर्देश दिया है। आधिकारिक नोटिस में कहा गया है, 'स्कूलों को नियमित रूप से अटेंडेंस रिकॉर्ड की निगरानी करनी चाहिए और उसे सही रखना चाहिए। अटेंडेंस रजिस्टर को रोजाना अपडेट किया जाना चाहिए। इस पर क्लास टीचर और स्कूल के सक्षम अधिकारी के साइन होने चाहिए। यह कभी भी सीबीएसई के निरीक्षण के लिए आसानी से उपलब्ध होना चाहिए।'

केंद्रीय बोर्ड ने ऐसे समय पर अपनी गाइडलाइंस दोहराईं हैं जब वह डमी स्कूलों के खिलाफ बेहद सख्त है। डमी स्कूल वे स्कूल हैं जहां स्टूडेंट्स के बिना आए ही उनकी हाजिरी लगा दी जाती है। यह सीबीएसई के नियमों के खिलाफ है। 

हाल ही में सीबीएसई ने दिल्ली व राजस्थान के कई स्कूलों में औचक निरीक्षण कर गड़बड़ी मिलने पर उन्हें नोटिस भी जारी किया था। दरअसल'डमी स्कूल' आम स्कूलों की तरह होते हैं बस यहां ऐसे छात्रों को नियमित कक्षाओं के लिये आने की जरूरत नहीं होती जो जेईई मेन, जेईई एडवांस, नीट परीक्षा आदि की तैयारी कर रहे होते हैं। इन्हें नॉन-अटेंडिंग स्कूल भी कहा जाता है। 

इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं ( जेईई मेन व नीट जैसी प्रवेश परीक्षाएं ) की तैयारी करने वाले बड़ी संख्या में छात्र 'डमी स्कूलों' में दाखिला लेना पसंद करते हैं, ताकि वे केवल प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी पर ध्यान केंद्रित कर सकें। वे कक्षाओं में उपस्थित नहीं होते और सीधे बोर्ड परीक्षा में शामिल हो जाते हैं। अब सीबीएसई इस प्रथा पर रोक लगाने के लिए हरकत में आ गया है।

इसके अलावा सीबीएसई ने नोटिस में यह भी बताया गया है कि बोर्ड छात्रों की अटेंडेंस के रिकॉर्ड की जांच करने के लिए औचक निरीक्षण भी कर सकता है। ऐसे निरीक्षणों के दौरान यदि यह पाया जाता है कि रिकॉर्ड अधूरे हैं या यह पता चलता है कि छात्र नियमित रूप से स्कूल नहीं आ रहे हैं, तो स्कूल को कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। स्कूल की मान्यता रद्द भी हो सकती है। छात्रों को बोर्ड परीक्षा में बैठने से अयोग्य ठहराया जा सकता है।

नए ARP चयन में पूर्व से कार्यरत रहे एआरपी को पुनः आवेदन का अवसर प्रदान करने की मांग हेतु ज्ञापन

नए ARP चयन में पूर्व से कार्यरत रहे  एआरपी को पुनः आवेदन का अवसर प्रदान करने की मांग हेतु ज्ञापन


लखनऊ, 18 अक्टूबर 2024: उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग के एकेडमिक रिसोर्स पर्सन (ए०आर०पी०) के नवीन चयन प्रक्रिया के संदर्भ में विवाद गहराता जा रहा है। ए०आर०पी० के अध्यक्ष, दिलीप सिंह पटेल, के नेतृत्व में विभाग के कई सदस्यों ने महानिदेशक, स्कूल शिक्षा, उत्तर प्रदेश, को ज्ञापन प्रस्तुत किया। इस ज्ञापन में मांग की गई है कि तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा कर चुके ए०आर०पी० कर्मियों को आगामी चयन प्रक्रिया में आवेदन करने का अवसर दिया जाए।


ज्ञापन में विशेष रूप से दिनांक 10 अक्टूबर 2024 को जारी शासनादेश के बिंदु संख्या-03 का उल्लेख किया गया है, जिसमें कहा गया है कि तीन वर्ष की सेवा पूरी करने के बाद कोई भी ए०आर०पी० पुनः इस पद के लिए आवेदन करने का अधिकारी नहीं होगा। ए०आर०पी० कर्मियों का मानना है कि यह निर्देश नैसर्गिक न्याय के विपरीत है, क्योंकि उन्होंने निपुण भारत मिशन और अन्य सरकारी योजनाओं के तहत कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं और उनके अनुभव को दरकिनार करना उचित नहीं है।


मुख्य मांगें:

- ज्ञापन में पूर्व से कार्यरत ए०आर०पी० कर्मियों को भी नवीन चयन प्रक्रिया में शामिल होने का अधिकार दिए जाने की अपील की गई है।

- कर्मियों का दावा है कि निपुण भारत मिशन के तहत वे पहले ही आवश्यक प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं, और उनके अनुभव को अनदेखा करना अन्यायपूर्ण होगा।


आगे की रणनीति:

यदि विभाग की ओर से इस ज्ञापन पर सकारात्मक निर्णय नहीं लिया जाता, तो ए०आर०पी० कर्मी भविष्य में इस मुद्दे को लेकर और बड़े स्तर पर विरोध की योजना बना सकते हैं या उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं।


Sunday, October 20, 2024

स्कूलों में नए सत्र से मिडिल तक NCERT की नई पाठ्यपुस्तकों से होगी पढ़ाई

स्कूलों में नए सत्र से मिडिल तक NCERT की नई पाठ्यपुस्तकों से होगी पढ़ाई 


नई दिल्लीः नए शैक्षणिक सत्र से स्कूलों में कई बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। इनमें सबसे अहम है कि मिडिल यानी आठवीं तक पढ़ाई अब नई पाठ्यपुस्तकों से होगी। अगले कुछ महीनों में चार और कक्षाओं यानी चौथी, पांचवीं, सातवीं और आठवीं कक्षाओं की नई पाठ्यपुस्तकें भी तैयार होकर बाजार में आ जाएंगी। 


राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) - ने इन सभी पाठ्यपुस्तकों को समय -से उपलब्ध कराने को लेकर तैयारी तेज कर दी है। ये पाठ्यपुस्तकें नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) की सिफारिशों के अनुरूप तैयार की जा रही हैं।

एनसीईआरटी इससे पहले प्री- प्राइमरी, पहली, दूसरी, तीसरी और छठी कक्षाओं की नई पाठ्यपुस्तकें एनईपी के अनुरूप तैयार कर चुकी है। इसे चालू सत्र से ही केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय सहित कई राज्यों में लागू भी कर दी गई है। मिडिल स्तर की बाकी चार कक्षाओं की पाठ्यपुस्तकें भी लगभग तैयार हैं।

आधिकारिक वेबसाइट वर्तमान में रखरखाव के अधीन होने के कारण कक्षा 9 एवं 11 में प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन हेतु NVS ने नए लिंक जारी किए

आधिकारिक वेबसाइट वर्तमान में रखरखाव के अधीन होने के कारण कक्षा 9 एवं 11 में प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन हेतु NVS ने नए लिंक जारी किए


नई दिल्ली, 17 अक्टूबर 2024 – शिक्षा मंत्रालय (स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग) के अधीनस्थ नवोदय विद्यालय समिति (NVS) ने कक्षा 9 और 11 में पार्श्व प्रवेश चयन परीक्षा 2025 (LEST) के माध्यम से प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की है। 

नवोदय विद्यालय समिति की आधिकारिक वेबसाइट वर्तमान में रखरखाव के अधीन होने के कारण, इच्छुक उम्मीदवारों को आवेदन करने में कठिनाई हो रही थी। इसे ध्यान में रखते हुए एनवीएस ने नए लिंक जारी किए हैं, जिनके माध्यम से छात्र बिना किसी शुल्क के आवेदन कर सकते हैं।


कक्षा 9 एवं 11 के लिए आवेदन लिंक

🔴 कक्षा 9 LEST 2025 के लिए

🔴 कक्षा 11 LEST 2025 के लिए 


महत्वपूर्ण जानकारी 
नवोदय विद्यालय समिति ने यह कदम छात्रों की सुविधा के लिए उठाया है, ताकि उन्हें आवेदन करने में कोई कठिनाई न हो। पार्श्व प्रवेश के माध्यम से कक्षा 9 और 11 में चयन परीक्षा आयोजित की जाती है, जिसका उद्देश्य मेधावी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है। 

इस परीक्षा में सफल छात्रों को देशभर के नवोदय विद्यालयों में प्रवेश मिलेगा, जहाँ उन्हें निःशुल्क आवासीय शिक्षा की सुविधा दी जाती है। नवोदय विद्यालय समिति के स्कूलों में पढ़ाई का स्तर उच्च है और यहां प्रवेश पाना विद्यार्थियों के लिए एक स्वर्णिम अवसर माना जाता है।


समिति का निर्देश
समिति ने सभी उम्मीदवारों से अनुरोध किया है कि वे दिए गए लिंक का उपयोग कर समय पर अपने आवेदन जमा करें, ताकि किसी प्रकार की असुविधा से बचा जा सके। आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि और परीक्षा की तिथि जल्द ही समिति की आधिकारिक वेबसाइट पर अपडेट की जाएगी।

अतः, इच्छुक छात्र और उनके अभिभावक तुरंत आवेदन प्रक्रिया को पूरा करने के लिए नवोदय विद्यालय समिति द्वारा जारी किए गए लिंक का उपयोग करें।




नवोदय विद्यालय में 9वीं और 11वीं की प्रवेश के लिए आवेदन शुरू, 30 अक्तूबर आवेदन की अंतिम तिथि

जवाहर नवोदय विद्यालय में शैक्षिक सत्र 2025-26 में नौवीं और 11वीं में प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन शुरू हो गए हैं। 30 अक्तूबर तक आवेदन की अंतिम तिथि है। प्रवेश परीक्षा आठ फरवरी 2025 में होगी। इसके लिए आवेदन लिए जा रहे हैं। इच्छुक छात्र-छात्राओं के अभिभावक एनवीएस की आधिकारिक वेबसाइट https://navodaya.gov.in पर जाकर सात अक्तूबर तक ऑनलाइन आवेदन कर फॉर्म भर सकते हैं। उन्होंने बताया कि छठवीं की प्रवेश परीक्षा के लिए सात अक्तूबर तक अंतिम तिथि तय की गई थी। 




नवोदय में कक्षा नौ व 11 में प्रवेश के लिए पंजीकरण शुरू

30 अक्तूबर तक होगा पंजीकरण, फरवरी 2025 में हो सकती है परीक्षा

जवाहर नवोदय विद्यालय में कक्षा नौ और 11 में भी मेधावी अब प्रवेश ले सकेंगें। इसके लिए पंजीकरण शुरू हो गया है। पंजीकरण की प्रक्रिया 30 अक्तूबर तक चलेगी। परीक्षा फरवरी 2025 में कराई जाएगी।

पंजीकरण के समय वैलिड फोटो आईडी, फोटोग्राफ, सिग्नेचर, अभिभावक के दस्तखत और एकेडमिक मार्कशीट आदि अपलोड करने होंगे। प्रवेश परीक्षा का पैटर्न भी जारी कर दिया गया है।

परीक्षा की अवधि दो घंटे 30 मिनट की होगी। दिव्यांग छात्रों को अतिरिक्त 50 मिनट दिए जाएंगे। परीक्षा में 100 वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्न होंगे।

कक्षा नौ की चयन परीक्षा में कुल 100 अंकों के लिए अंग्रेजी के 15 प्रश्न, हिंदी के 15, गणित के 35 और सामान्य विज्ञान के 35 प्रश्न हैं। जबकि कक्षा 11 की चयन परीक्षा के लिए पैटर्न में मानसिक क्षमता, अंग्रेजी, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और गणित शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक में 20 प्रश्न व 20 अंक शामिल हैं।



जवाहर नवोदय विद्यालय में कक्षा 9वीं और 11वीं में प्रवेश प्रक्रिया शुरू, देखें जारी विज्ञप्ति 


नवोदय विद्यालय समिति या एनवीएस ने शैक्षणिक वर्ष 2025-26 के लिए अपनी कक्षा 9वीं और 11वीं की रिक्त सीटों पर प्रवेश के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। बता दें कि 27 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों में फैले 653 कार्यात्मक जवाहर नवोदय विद्यालयों में नवोदय प्रवेश किया जाएगा ।


जवाहर नवोदय विद्यालय प्रवेश 2025-26: आवेदन कैसे करें

ऑनलाइन आवेदन 01.10.2024 से जमा किए जा रहे हैं। कक्षा 9वीं प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 30.10.2024 है।


नवोदय प्रवेश 2025: चयन प्रक्रिया
कक्षा 9वीं में प्रवेश के लिए चयन परीक्षा शनिवार को 08.02.2025 को संबंधित जिले के जवाहर नवोदय विद्यालय या एनवीएस द्वारा आवंटित केंद्र में आयोजित की जाएगी।

चयन परीक्षा में चयन के लिए उम्मीदवार को सभी संबंधित प्रमाण पत्र जैसे- जन्म प्रमाण पत्र, अंक पत्र के साथ 8वीं कक्षा का उत्तीर्ण प्रमाण पत्र, एससी/एसटी प्रमाण पत्र(यदि कोई है) आदि जमा किया जाएगा। जन्म तिथि - 01.05.2010 से 30.07.2012 (दोनों तिथियां शामिल हैं)



JNVST 2025 Admission: जवाहर नवोदय विद्यालय कक्षा 9 और 11 में एडमिशन के लिए cbseitms.nic.in पर रजिस्ट्रेशन शुरू, 30 अक्टूबर तक मौका


JNVST 2025 Admission: नवोदय विद्यालय में कक्षा नौवीं और ग्यारहवीं एडमिशन लेने के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू हो गयी है। रजिस्ट्रेशन करने के लिए cbseitms.nic.in पर जाना होगा।


JNV Class 9th and 11th admission 2025: नवोदय विद्यालय समिति (NVS) ने कक्षा नौवीं और ग्यारहवीं लेटरल एंट्री सिलेक्शन टेस्ट 2025 के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू कर दी है। इच्छुक और योग्य कैंडिडेट कक्षा नौवीं और ग्यारहवीं JNVST एडमिशन 2025 के लिए रजिस्ट्रेशन ऑफिशियल वेबसाइट cbseitms.nic.in पर जाकर कर सकते हैं। ऑफिशियल नोटिफिकेशन के अनुसार, JNVST एडमिशन 2025 के लिए रजिस्ट्रेशन करने की आखिरी तारीख 30 अक्टूबर 2024 है।


कक्षा नौवीं और ग्यारहवीं के लिए JNVST एडमिशन 2025 के लिए सिलेक्शन टेस्ट का आयोजन 8 फरवरी 2024 को किया जाएगा। परीक्षा का समय 11 बजे से 1:30 बजे तक होगा। कक्षा नौवीं और ग्यारहवीं रजिस्ट्रेशन करते समय कैंडिडेट को कुछ जरूरी डॉक्यूमेंट जैसे वैलिड फोटो आईडी, फोटोग्राफ, सिग्नेचर, अभिभावक के सिग्नेचर और अकैडमिक मार्कशीट आदि अपलोड करने होंगे।





JNVST कक्षा नौवीं और ग्यारहवीं परीक्षा पैटर्न-
जेएनवीएसटी प्रवेश 2025 कक्षा 9 और 11 चयन परीक्षा के लिए परीक्षा पैटर्न जारी कर दिया गया है। एनवीएस प्रवेश परीक्षा 2025 की अवधि दो घंटे तीस मिनट की होगी, जिसमें दिव्यांग छात्रों को अतिरिक्त 50 मिनट दिए जाएंगे। परीक्षा में 100 वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्न होंगे।

जेएनवीएसटी प्रवेश 2025 कक्षा 9 चयन परीक्षा के लिए परीक्षा पैटर्न में कुल 100 अंकों के लिए अंग्रेजी (15 प्रश्न), हिंदी (15 प्रश्न), गणित (35 प्रश्न) और सामान्य विज्ञान (35 प्रश्न) जैसे विषय शामिल हैं।

इसी तरह, जेएनवीएसटी प्रवेश 2025 कक्षा 11 चयन परीक्षा के लिए पैटर्न में मानसिक क्षमता (मेंटल एबिलिटी), अंग्रेजी, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और गणित शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक में 20 प्रश्न और 20 अंक शामिल हैं, जिसमें कुल परीक्षा दो घंटे तीस मिनट तक चलती है।


राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति परीक्षा के नए (फ्रेश) और नवीनीकरण के 14,756 मेधावियों के छात्रवृत्ति आवेदन फंसे

राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति परीक्षा के नए (फ्रेश) और नवीनीकरण के  14,756 मेधावियों के छात्रवृत्ति आवेदन फंसे


प्रयागराज । राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति परीक्षा के नए (फ्रेश) और नवीनीकरण के 14756 आवेदन स्कूल स्तर पर इंस्टीट्यूट नोडल ऑफिसर (प्रिंसिपल) और डिस्ट्रिक्ट नोडल ऑफिसर (जिला विद्यालय निरीक्षक) स्तर पर फंसे हैं। 


शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की ओर से 16 अक्तूबर को भेजे गए पत्र में नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल (एनएसपी) पर लंबित आवेदन पत्रों को 31 अक्तूबर तक पूरा करवाने के निर्देश दिए गए हैं। मनोविज्ञानशाला की निदेशक ऊषा चन्द्रा ने 18 अक्तूबर को सभी डीआईओएस को इस संबंध में पत्र लिखा है। 

सत्र 2024-25 की परीक्षा में उत्तर प्रदेश के लिए निर्धारित 15143 सीटों के सापेक्ष 14896 मेधावियों को सफलता मिली थी। इनमें से 10607 मेधावियों के आवेदन पत्रों पर वर्तमान में कार्रवाई चल रही है। 4271 आवेदन पत्र तो सत्यापित हो चुके हैं लेकिन स्कूल स्तर से 1740 और डीआईओएस स्तर से 4564 कुल 6,304 सत्यापित होना शेष हैं। इसी प्रकार 2023-24, 2022-23 और 2021-22 में सफल और नवीनीकरण के 14406 आवेदन पत्रों पर वर्तमान में कार्रवाई चल रही है।


इनमें से 4471 का तो सत्यापन हो चुका है लेकिन स्कूल स्तर पर 2429 और डीआईओएस स्तर पर 6023 कुल 8,452 सत्यापित होना बाकी है। गौरतलब है कि शिक्षा मंत्रालय ने पिछले साल से बायो आंथेटिकेशन से सत्यापन शुरू किया है। कक्षा नौ से 12 तक प्रतिमाह एक हजार या प्रतिवर्ष 12 हजार रुपये पढ़ाई के लिए मिलते हैं।

राष्ट्रीय जनसंख्या शिक्षा परियोजना की मध्यावधि बैठक में किशोरों की बेहतर शिक्षा व स्वास्थ्य पर हुई चर्चा

राष्ट्रीय जनसंख्या शिक्षा परियोजना की मध्यावधि बैठक में किशोरों की बेहतर शिक्षा व स्वास्थ्य पर हुई चर्चा

🔴 विभिन्न राज्यों के 70 प्रतिनिधि शामिल


लखनऊ। देश में 10 से 19 साल के किशोरों में न सिर्फ व्यावहारिक, बल्कि शारीरिक व स्वास्थ्य से जुड़े बदलाव होते हैं। किशोरों को बेहतर शिक्षा व स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी देने के लिए कार्ययोजना बनेगी। किशोरों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा के लिए शनिवार से एनसीईआरटी की तीन दिनी बैठक हुई।


राजधानी स्थित एक होटल में राष्ट्रीय जनसंख्या शिक्षा परियोजना की मध्यावधि समीक्षा बैठक में एनसीईआरटी की प्रो. गौरी श्रीवास्तव ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति और स्कूली शिक्षा पाठ्यक्रम के तहत किशोरों के स्वास्थ्य और उनके सर्वांगीण विकास पर जोर दिया। कहा, सभी एससीईआरटी इस पर फोकस होकर काम करें।

एससीईआरटी लखनऊ के निदेशक गणेश कुमार ने टीम वर्क, मूल्य संवर्धन और भारतीय ज्ञान परंपरा के महत्व को बताया। संयुक्त निदेशक डॉ. पवन सचान ने किशोरावस्था के दौरान होने वाले शारीरिक और मानसिक परिवर्तनों पर सकारात्मक दृष्टिकोण रखने पर जोर दिया। 

बैठक में ड्रग्स और इंटरनेट की लत के खतरों की भी चर्चा हुई। इस बैठक में 34 राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, पांच क्षेत्रीय शिक्षा संस्थानों के 70 प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। 




1140 माध्यमिक विद्यालयों के 60 हजार विद्यार्थी होंगे प्रवीण, कौशल विकास मिशन की ओर से दिया जाएगा प्रशिक्षण, विद्यार्थियों को दी जाएगी 200 से 300 घंटे की ट्रेनिंग

1140 माध्यमिक विद्यालयों के 60 हजार विद्यार्थी होंगे प्रवीण, कौशल विकास मिशन की ओर से दिया जाएगा प्रशिक्षण, विद्यार्थियों को दी जाएगी 200 से 300 घंटे की ट्रेनिंग


लखनऊ। प्रदेश में कक्षा 9 और 11 के विद्यार्थियों को रोजगार के लिए तैयार करने के उद्देश्य से कौशल विकास मिशन की ओर से दिए जा रहे प्रशिक्षण प्रवीण का नए सत्र में विस्तार किया गया है। पिछले साल की अपेक्षा तीन गुणा ज्यादा विद्यालयों के विद्यार्थियों को कुशल बनाया जाएगा। जिससे वे चाहें तो हाईस्कूल या इंटर करने के बाद खुद का रोजगार शुरू कर सकें।

पिछले साल प्रोजेक्ट प्रवीण में 315 विद्यालय शामिल किए गए थे। इस बार 1140 माध्यमिक विद्यालयों के 60 हजार से अधिक विद्यार्थियों को ट्रेनिंग दी जाएगी। योजना के तहत प्रति विद्यालय कम से कम 40 छात्रों को योजना का लाभ मिलेगा। इसमें छात्राओं के चयन को प्राथमिकता दी जाएगी। खास यह कि इस प्रशिक्षण के बाद कौशल विकास मिशन की ओर से इन विद्यार्थियों को सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा। ताकि ये विद्यार्थी कहीं जॉब के लिए जाते हैं तो इसका प्रयोग भी कर सकेंगे।

योजना के तहत विद्यार्थियों को किसी भी दो जॉब रोल में 200 से 300 घंटे का प्रशिक्षण दिया जाएगा। माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार जल्द ही इसके लिए दोनों विभागों के बीच अनुबंध किया जाएगा।


इन क्षेत्रों में दिया जाएगा प्रशिक्षण

ब्यूटीशियन, सिलाई और कढ़ाई, आईटी एंड इलेक्ट्रानिक्स, अपेरल (टेक्सटाइल डिजाइनिंग), सिक्योरिटी, रिटेल मैनेजमेंट, कंप्यूटर ऑपरेटर, डिजिटल मार्केटिंग आदि।



प्रोजेक्ट प्रवीण अंर्तगत प्रशिक्षण के जरिये एक लाख छात्र-छात्राएं बनेंगे दक्ष,  चयनित माध्यमिक विद्यालयों में चलेगा अभियान

कक्षा 9 से 12 के छात्रों को प्रतिदिन 90 मिनट का देंगे कौशल प्रशिक्षण


लखनऊ। छात्रों के कौशल विकास को निखारने और युवाओं को भविष्य के लिए तैयार करने के लिए प्रोजेक्ट प्रवीण के तहत इस साल एक लाख विद्यार्थियों को प्रशिक्षण देने का लक्ष्य तय किया गया है। सत्र 2024-25 में इसका विस्तार करते हुए इसे प्रदेशभर के चयनित माध्यमिक विद्यालयों में लागू किया जाएगा। मकसद है युवाओं का कौशल विकास कर उन्हें रोजगार के लिए तैयार करना।

व्यावसायिक शिक्षा, कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कपिल देव अग्रवाल ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की संकल्पना के अनुरूप कौशल प्रशिक्षण को औपचारिक शिक्षा से जोड़ने के लिए प्रोजेक्ट प्रवीण की शुरुआत की गई है। इसके अंतर्गत राजकीय माध्यमिक विद्यालयों के छात्रों व कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों की छात्राओं को नियमित पढ़ाई के साथ निशुल्क कौशल प्रशिक्षण दिया जा रहा है।


अब तक 63 हजार को किया प्रशिक्षित

उन्होंने बताया कि अब तक 315 राजकीय विद्यालयों के 63 हजार से अधिक छात्र-छात्राओं को कौशल प्रशिक्षण दिया गया है। इसके अंतर्गत कक्षा 9 से 12 के विद्यार्थियों को प्रतिदिन 90 मिनट का कौशल प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसका उद्देश्य विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर बनाना है। माध्यमिक शिक्षा विभाग के सहयोग से प्रदेश के विभिन्न जिलों के चयनित विद्यालयों में यह कार्यक्रम चलाया जाएगा। इसके लिए सभी जिलों के समन्वयकों को दिशा-निर्देश दिए गए हैं। जिन सेक्टरों में रोजगार की अधिक संभावनाएं हैं और विद्यार्थियों की रुचि है, उन्हें प्राथमिकता दी जाए। मंत्री ने बताया कि योजना में अधिक से अधिक बालिकाओं को जोड़ने के लिए बालिका विद्यालयों का चयन प्राथमिकता पर किया जाएगा।

Saturday, October 19, 2024

503 अशासकीय और राजकीय महाविद्यालयों के शिक्षकों की पदोन्नति ऑनलाइन होगी

503 अशासकीय और राजकीय महाविद्यालयों के शिक्षकों की पदोन्नति ऑनलाइन होगी

503 अशासकीय और राजकीय पीजी कॉलेज में लागू


प्रयागराज । प्रदेश के 331 अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों और 172 राजकीय महाविद्यालयों के शिक्षकों और पुस्तकालय अध्यक्षों की कॅरियर एडवांसमेंट स्कीम (कैस) के तहत प्रोन्नति समर्थ पोर्टल के माध्यम से होगी। प्रमुख सचिव शासन एमपी अग्रवाल ने 16 अक्तूबर को शिक्षकों की ऑनलाइन पदोन्नति के आदेश जारी करने के साथ ही राज्य विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों को समयसीमा अधारित गाइडलाइन भी भेजी है।


कई बार कॉलेज प्रबंधकों और अधिकारियों की उदासीनता के कारण अर्हता पूरी करने के बावजूद सालों शिक्षकों की प्रोन्नति नहीं हो पाती थी। प्रमुख सचिव ने साफ किया है कि एक अक्तूबर 2024 के बाद प्रोन्नति की अर्हता पूरा करने वाले शिक्षकों की पदोन्नति केवल समर्थ पोर्टल के माध्यम से ही होगी।

स्थानांतरण के खिलाफ याचिका खारिज, हाईकोर्ट ने कहा–अपनी पसंद के स्थल पर तैनाती का अधिकार नहीं है, स्थानांतरण सेवा का हिस्सा

स्थानांतरण के खिलाफ याचिका खारिज, हाईकोर्ट ने कहा–अपनी पसंद के स्थल पर तैनाती का अधिकार नहीं है, स्थानांतरण सेवा का हिस्सा 


प्रयागराज : एक महत्वपूर्ण टिप्पणी में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की अनुपस्थिति से प्राथमिक शिक्षा की जड़ खोखली हो रही है। ऐसे शिक्षकों के खिलाफ सक्षम अधिकारियों को सख्त कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए। कोर्ट ने कहा, 'किसी कर्मचारी को अपनी पसंद के स्थल पर तैनाती का अधिकार नहीं है। स्थानांतरण सेवा का हिस्सा है। अदालत को विशेष स्थिति में ही सीमित दायरे में हस्तक्षेप का अधिकार है।' कोर्ट ने टिप्पणी के साथ स्थानांतरण आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने सहायक अध्यापिका पूनम रानी की याचिका पर दिया है।


बुलंदशहर की याची को पूर्व माध्यमिक विद्यालय, अनहेड़ा में सहायक शिक्षक के रूप में नियुक्ति मिली। इसके बाद उच्च प्राथमिक विद्यालय सैमाली से संबद्ध कर दिया गया। आक्षेपित आदेश से याची की संबद्धता वापस ले ली गई, उसे जूनियर हाईस्कूल अनहेड़ा में तैनात कर दिया गया है। याची ने इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी। हाई कोर्ट ने कहा, यह कानून है कि स्थानांतरण सेवा का हिस्सा है। स्थानांतरण के संबंध में न्यायिक समीक्षा का दायरा सीमित है। दुर्भावना से प्रेरित होकर या वैधानिक प्रविधानों के उल्लंघन में पारित स्थानांतरण आदेश में सीमित आधार पर हस्तक्षेप किया जा सकता है। 


अध्यापिका के खिलाफ समय से पहले स्कूल छोड़ने की विभागीय जांच का निर्देश

किसी भी कर्मचारी को स्थान विशेष पर अनिश्चितकाल तक बने रहने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में कोई दर्भावना या किसी वैधानिक प्रविधान का उल्लघन नहीं हुआ है। याची। समय से पहले स्कूल छोड़ रही है और अपने काम में ईमानदार नहीं है। ग्रामीणों की तरफ से इस आशय की कई शिकायतें की गई हैं। कोर्ट ने विभागीय जांच का आदेश देते हुए कहा कि याचिका तीन साल की देरी के बाद दायर की गई है। याची ने देरी के लिए कोई संतोषजनक स्पष्टीकरण भी नहीं दिया है।

शिक्षा के प्रति जागरूकता और सामुदायिक सहभागिता बढ़ाने के उद्देश्य से एमश्री विद्यालयों में विशेष अभियान की शुरुआत, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक, इंस्टाग्राम और एक्स पर अपनी चमक बिखेरेंगे पीएमश्री विद्यालय

शिक्षा के प्रति जागरूकता और सामुदायिक सहभागिता बढ़ाने के उद्देश्य से एमश्री विद्यालयों में विशेष अभियान की शुरुआत 


लखनऊ। प्रधानमंत्री स्कूल्स फॉर राइजिंग इंडिया (पीएमश्री) योजना के तहत प्रदेश में शिक्षा के प्रति जागरूकता और सामुदायिक सहभागिता बढ़ाने  के उद्देश्य से एक विशेष अभियान की शुरुआत की गई है। इसके तहत सभी 724 पीएमश्री विद्यालयों के शिक्षक, स्कूल प्रबंध समिति (एसएमसी) के सदस्य, ग्राम प्रधानों और स्थानीय लोगों के साथ बैठकें कर रहे हैं। 

इनके माध्यम से अभिभावकों को शिक्षा के महत्व के प्रति जागरूक किया जा रहा है। साथ ही उनके बच्चों की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करना है। इनमें अभिभावकों को उनके बच्चों की पढ़ाई में आने वाली समस्याओं और उनके समाधान पर चर्चा की जा रही है। बैठकों में स्कूल छोड़ने वाले बच्चों के अभिभावक से संपर्क कर स्कूल वापस लाने की रणनीति भी बनाई जा रही है।



सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक, इंस्टाग्राम और एक्स पर  अपनी चमक बिखेरेंगे पीएमश्री विद्यालय 

● सभी स्कूलों के एकाउंट सोशल मीडिया पर खोले जाएंगे


प्रयागराज । पीएमश्री विद्यालय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम और एक्स पर भी अपनी चमक बिखेरेंगे। प्रदेशभर में समग्र शिक्षा अभियान के जिला समन्वयक (निर्माण) को निर्देशित किया गया है कि हर जिले से न्यूनतम एक सफलता की कहानी को (प्रधानाध्यापक, सहायक अध्यापक, विद्यार्थी, समुदाय द्वारा पीएमश्री विद्यालयों में सराहनीय योगदान) भी सोशल मीडिया पर साझा किया जाए। 


30 सितंबर और एक अक्तूबर को होने वाली समीक्षा बैठक में पीएमश्री योजना के तहत जिलों में निर्माण कार्यों के लिए आवंटित धनराशि के सापेक्ष उपभोग की स्थिति की रिपोर्ट भी मांग गई है।

पीएमश्री विद्यालयों को हरित ऊर्जा से समृद्ध किया जाएगा। रेन वाटर हार्वेस्टिंग, सौर ऊर्जा, ठोस एवं द्रव्य अपशिष्ट, जैविक खेती, प्लास्टिक मुक्त आदि अवधारणाएं होंगी। इनमें बच्चों को उनकी दक्षताओं के अनुरूप चाइल्ड पैडागॉजी आधारित पाठ्यक्रम से शिक्षण होगा। अपने क्षेत्र के अन्य विद्यालयों के लिए इन्हें आदर्श विद्यालय के रूप में विकसित किया जा रहा है। 

कम्प्यूटर, साइंस व गणित लैब और लाइब्रेरी के साथ ही कौशल विकास, खेल, जिज्ञासा और चर्चा आधारित शिक्षा, लर्निंग आउटकम पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश में दो चरणों में पीएमश्री योजना के तहत चयनित 1753 सरकारी स्कूलों में सर्वाधिक प्रयागराज व गोरखपुर के 47-47 स्कूल हैं।

विस्तारित सीमा के शिक्षकों को ग्रामीण से नगर क्षेत्र का विकल्प प्रस्तुत करने एवं सचिव परिषद को उक्त पर नियमानुसार निर्णय लेने हेतु हाईकोर्ट का आदेश

विस्तारित सीमा के शिक्षकों को ग्रामीण से नगर क्षेत्र का विकल्प प्रस्तुत करने एवं सचिव परिषद को उक्त पर नियमानुसार निर्णय लेने हेतु हाईकोर्ट का आदेश

शिक्षकों की स्थानांतरण संबंधी याचिका पर ग्रामीण या शहरी दोनों विकल्प देने का आदेश



लखनऊ। शिक्षकों के स्थानांतरण से संबंधित याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने बेसिक शिक्षा परिषद, प्रयागराज के सचिव को स्थानांतरण के लिए शिक्षकों को विकल्प देने का आदेश दिया है। ग्रामीण संवर्ग में सहायक शिक्षक के लिए भर्ती हुए याची ने स्थानांतरण में विकल्प की मांग को लेकर अदालत में याचिका दाखिल की थी।

न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की एकल पीठ ने यह आदेश गुरुवार को सहायक शिक्षिका रश्मि पांडेय और अन्य की याचिका पर दिया। अदालत ने सभी पक्षों की सुनवाई के बाद कहा कि प्रदेश सरकार के 27 फरवरी 2000 के आदेश के अनुसार ग्रामीण संवर्ग में भर्ती शिक्षकों को शहरी संवर्ग में भर्ती का विकल्प दिया जाएगा।

ऐसे में यह विकल्प याची व अन्य को भी दिया जाए। साथ ही बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव को आदेश दिया कि शहरी संवर्ग का विकल्प तीन दिन के भीतर चुनने के बाद शिक्षकों के प्रार्थनापत्र पर नियमानुसार कार्रवाई की जाए। कहा विकल्प चुनने के बाद प्रार्थनापत्र पर एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।


HIGH COURT OF JUDICATURE AT ALLAHABAD, LUCKNOW BENCH
Neutral Citation No. - 2024:AHC-LKO:69964
Court No. - 5
Case :- WRIT - A No. - 6551 of 2024

Petitioner :- Rashmi Dixit @ Rashmi Pandey And Another

Respondent :- State Of U.P. Thru. Addl. Chief Secy. Basic Edu. Lko And 3 Others

Counsel for Petitioner :- Amrendra Nath Tripathi,Durga Prasad Shukla

Counsel for Respondent :- C.S.C.,Pradeep Tiwari,Ran Vijay Singh

Hon'ble Abdul Moin,J.

1. Heard Sri Amrendra Nath Tripathi, learned counsel for the petitioners, learned Standing Counsel appearing for respondents no.1 and 2, Sri Ran Vijay Singh, learned counsel appearing for respondents no.3, and Sri Pradeep Tiwari, learned counsel appearing for respondent no.4.

2. With the consent of learned counsels for the contesting parties, the matter is being finally decided.

3. Despite detailed contentious arguments having been advanced by the learned counsels for the contesting parties, a consensus has emerged amongst the parties that the petitioners who were initially appointed in the rural local area as Assistant Teachers which as per Rule 4(1) of the U.P. Basic Education (Teachers) Service Rules, 1981, would be considered to be a separate cadre vis-a-vis urban local area and have a legitimate expectation of giving an option opting for separate cadre once the school has come under the Nagar Nigam Lucknow in the year 2022 i.e. urban local area more particularly when earlier the State Government had issued a Government Order dated 27.02.2000, a copy of which is Annexure-4 to the writ petition, in similar circumstances, wherein the teachers working in 'rural local area' had been given an option to change their cadre to the 'urban local area' and as such the petitioners be also given an option to opt for change of cadre.

4. Sri Ran Vijay Singh, learned counsel for respondent no.3, on the basis of instructions, states that the Government Order dated 27.02.2000 still continues to operate.

5. Considering the aforesaid, the writ petition is disposed of leaving it open to the petitioners to give an option in terms of the Government Order dated 27.02.2000 to respondent no.3 opting for urban area within three days from today. In case such an option is made along with certified copy of this order then the competent authority who is said to be the Secretary, U.P. Basic Education Board, Prayagraj i.e. respondent no.3 shall proceed to consider the said option in accordance with law and relevant rules and shall pass a suitable order within a period of one week after the said option is received.

6. Let a certified copy of this order be issued to the parties concerned within 24 hours on payment of usual charges.

Order Date :- 17.10.2024

मानव सम्पदा पोर्टल पर अधिकारियों/कर्मचारियों के सेवा सम्बन्धित समस्त विवरण शत-प्रतिशत पूर्ण कराने व त्रुटि रहित कराने के सम्बन्ध में

मानव सम्पदा पोर्टल पर अधिकारियों/कर्मचारियों के सेवा सम्बन्धित समस्त विवरण शत-प्रतिशत पूर्ण कराने व त्रुटि रहित कराने के सम्बन्ध में

Friday, October 18, 2024

इंस्पायर अवार्ड के लिए यूपी से सर्वाधिक 2,10,347 नामांकन, सबसे ज्यादा नामांकन वाले 50 जिलों में से यूपी के 12 जिले

इंस्पायर अवार्ड के लिए यूपी से सर्वाधिक 2,10,347 नामांकन, सबसे ज्यादा नामांकन वाले 50 जिलों में से यूपी के 12 जिले

बीते साल सिर्फ 50 हजार ने कराया था नामांकन, बढ़ी रुचि


लखनऊ : इंस्पायर अवार्ड मानक योजना के लिए उत्तर प्रदेश से सर्वाधिक 2,10,347 विद्यार्थियों ने नामांकन कराया है। देश भर में सर्वाधिक नामांकन वाले 50 जिलों में से प्रदेश के 12 जिले हैं। कक्षा छह से 10 तक के विद्यार्थियों में नवाचार व रचनात्मक सोच की संस्कृति को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से यह योजना चलाई जा रही है। देश में दूसरे नंबर पर राजस्थान है जहां 1,55,415 छात्रों ने नामांकन कराया और तीसरे नंबर पर कर्नाटक में 1,05,613 विद्यार्थियों ने नामांकन कराया है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर इस बार विद्यालयों में विद्यार्थियों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया गया। बीते साल यूपी में सिर्फ 50,329 छात्रों ने ही नामांकन कराया था। इस बार अभियान का असर यह रहा कि इसमें 1,60,001 की अभूतपूर्व बढ़ोतरी हुई है। 

माध्यमिक स्कूलों के साथ-साथ इस बार परिषदीय उच्च प्राथमिक स्कूलों, कंपोजिट विद्यालयों, कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों और संस्कृत विद्यालयों के छात्रों ने भी बढ़-चढ़कर नामांकन किया है। राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान व विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से यह इंस्पायर अवार्ड योजना चलाई जा रही है।

देश में सर्वाधिक नामांकन वाले शीर्ष 50 जिलों में यूपी के जो 12 जिले हैं। इनमें लखनऊ, प्रयागराज, हरदोई, आजमगढ़, कानपुर देहात, बरेली, आगरा, बुलंदशहर, लखीमपुर खीरी, अलीगढ़, बाराबंकी और बिजनौर शामिल हैं। आम लोगों की समस्याओं व पर्यावरण संरक्षण के लिए किये गए मौलिक नव प्रयोग को प्रोत्साहित किया जाता है।

 प्रतियोगिता के लिए नामांकन करने वाले कुल विद्यार्थियों में से 10 प्रतिशत छात्रों को उनके प्रोजेक्ट के लिए 10-10 हजार रुपये की धनराशि केंद्र सरकार देती है। माध्यमिक शिक्षा विभाग के उप शिक्षा निदेशक (शिविर) विवेक नौटियाल ने बताया कि यह यूपी का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। बीती एक जुलाई से लेकर 15 अक्टूबर तक आनलाइन नामांकन किया गया।



इन्स्पायर अवार्ड मानक योजना में आवेदन में उत्तर प्रदेश अव्वल, 02 लाख से ज्यादा नामांकन कराकर पहला स्थान प्राप्त किया

छठी से लेकर दसवीं कक्षा तक के छात्रों को प्रोत्साहित करने की योजना


लखनऊ । यूपी ने इन्स्पायर अवार्ड मानक योजना के तहत एक और कीर्तिमान स्थापित करने में सफलता प्राप्त की है। देश में सर्वाधिक 2.10 लाख नामांकन कराकर यूपी ने पहला स्थान प्राप्त किया है। केंद्र सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा संचालित इस योजना का उद्देश्य कक्षा छह से 10 के छात्रों में नवाचार और रचनात्मक सोच को प्रोत्साहित करना है। इस वर्ष का ऑनलाइन नामांकन पहली जुलाई से 15 अक्टूबर तक चलाया गया था।

यूपी ने पिछले वर्ष इस योजना के तहत 50329 नामांकन किए थे, जो इस वर्ष 160018 की रिकॉर्ड वृद्धि के साथ 210347 तक पहुंच गया है। यह योजना  की शुरुआत से अब तक की सर्वाधिक नामांकन संख्या है। 

आंकड़े बताते हैं कि इस वर्ष यूपी के सभी 75 जिलों ने पिछले वर्ष की तुलना में अधिक नामांकन किया है। प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा विभाग के स्कूलों के साथ-साथ बेसिक शिक्षा परिषद के जूनियर हाई स्कूलों, कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों, कम्पोजिट और संस्कृत विद्यालयों के छात्रों ने भी अपनी मौलिक और नवाचारी विचारों का ऑनलाइन नामांकन किया है। 

यूपी ने अन्य राज्यों को पीछे छोड़ते हुए राजस्थान (155415 नामांकन) और कर्नाटक (105613 नामांकन) को क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर पीछे छोड़ दिया है।


देश के 50 जिलों में यूपी के 12 जनपद शामिल

देश में सर्वाधिक नामांकन कराने वाले 50 जिलों में यूपी के यूपी के जिले प्रमुख हैं। इनमें लखनऊ (6086), प्रयागराज (5555), हरदोई (4811), आजमगढ़ (4728), कानपुर देहात (4726), बरेली (4690), आगरा (4684), बुलंदशहर (4617), लखीमपुर खीरी (4439), अलीगढ़ (4424), बाराबंकी (4098) और बिजनौर (4057) शामिल हैं

यूपी बोर्ड : 19 अक्टूबर तक आवेदनों में करें सुधार, सुधार के लिए फिर से करेक्शन विंडो खोली गई

यूपी बोर्ड : 19 अक्टूबर तक आवेदनों में करें सुधार, सुधार के लिए फिर से करेक्शन विंडो खोली गई
 

लखनऊ/प्रयागराज। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट 2025 के परीक्षार्थियों के आवेदन पत्र में सुधार के लिए फिर से सुधार विंडो खोल दिया है।

बोर्ड सचिव भगवती सिंह ने गुरुवार को सभी डीआईओएस को पत्र जारी कर कहा है कि 19 अक्तूबर तक प्रत्येक दशा में प्रधानाचार्य आवेदनों में जो भी त्रुटि हो उसे संशोधित करा लें। 

सूत्रों की माने तो हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के तकरीबन पांच हजार ऐसे विद्यार्थी हैं जिन्होंने अपने आवेदन में गलती की है। इसके सुधार के लिए बोर्ड छात्रों को एक मौका और दिया है।



यूपी बोर्ड के परीक्षार्थियों को मिलेगा नाम संशोधन का मौका

प्रयागराज। यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा के लिए आवेदन कर चुके विद्यार्थियों के नाम, पिता या माता के नाम में कोई त्रुटि रह गई है तो उसे संशोधित करने का मौका मिलेगा। यूपी बोर्ड इसी माह संशोधन का मौका देगा। यह संशोधन डीआईओएस के स्तर से किया जाएगा। 


बोर्ड परीक्षा का फार्म भरते समय अक्सर नाम की स्पेलिंग में त्रुटि रह जाती है। परिणाम निकलने के बाद उसे संशोधित करवाने के लिए विद्यार्थियों को बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। ऐसी समस्या न आए, इसलिए पिछले वर्ष फार्म भरवाने के बाद नामों की स्पेलिंग में सुधार करवाया गया था। उसका असर दिखा और बाद में विद्यार्थियों को इसके लिए बोर्ड के चक्कर नहीं लगाने पड़े। पिछले वर्ष यह संशोधन प्रधानाचार्य के स्तर से हो गया था। इस बार में उसमें मामूली बदलाव किया गया है। 

Thursday, October 17, 2024

Bihar School Media Ban : बिहार के सरकारी स्कूलों में मीडिया की एंट्री पर बैन! अब प्रवेश के पहले प्रधानाध्यापक से लेना होगा परमिशन

Bihar School Media Ban : बिहार के सरकारी स्कूलों में मीडिया की एंट्री पर बैन! अब प्रवेश के पहले प्रधानाध्यापक से लेना होगा परमिशन


Bihar Government School: बिहार के सरकारी विद्यालयों में अब मीडिया एंट्री पर रोक लग गई है. शिक्षा विभाग ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी को पत्र लिखा है और कहा है कि विद्यालय की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विद्यालय में केवल प्रधानाध्यापक ही प्रेस ब्रीफिंग के लिए अधिकृत होंगे. अन्य कोई शिक्षक प्रेस ब्रीफ नहीं करेंगे. 


Bihar School News: बिहार के सरकारी विद्यालयों में अब मीडिया एंट्री पर रोक लग गई है. शिक्षा विभाग ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी को पत्र लिखा है और कहा है कि विद्यालय की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विद्यालय में केवल प्रधानाध्यापक ही प्रेस ब्रीफिंग के लिए अधिकृत होंगे. अन्य कोई शिक्षक प्रेस ब्रीफ नहीं करेंगे. 
विगत दिनों में यह देखा गया है कि विभागीय आदेश के बिना कई संस्था के प्रतिनिधि/व्यक्ति विभिन्न उद्देश्यों और विभिन्न उपकरण जैसे माइक, कैमरा के साथ विद्यालय परिसर में जाकर वहां के शैक्षणिक कार्य में व्यवधान उत्पन्न करते हैं.

आरक्षण तय नहीं और कर ली 1894 पदों पर शिक्षकों की भर्ती, अब नियुक्ति फंसी, जूनियर एडेड विद्यालयों में रिक्त पदों पर होना है चयन

आरक्षण तय नहीं और कर ली 1894 पदों पर शिक्षकों की भर्ती, अब नियुक्ति फंसी, 

जूनियर एडेड विद्यालयों में रिक्त पदों पर होना है चयन, 43,610 अभ्यर्थी उत्तीर्ण

विधानसभा चुनाव से पहले आई भर्ती, आनन-फानन जारी किया था परिणाम

प्रयागराज। शिक्षा विभाग के  अफसरों की लापरवाही से शिक्षकों  की एक और भर्ती फंस गई है। जूनियर एडेड विद्यालयों में प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों के 1894 पदों पर भर्ती की परीक्षा प्रक्रिया विधानसभा चुनाव 2022  से पहले आनन-फानन में पूरी करवा ली गई।

उसके बाद नियुक्ति देने में आरक्षण का पेंच फंस गया। अब  इसके अभ्यर्थी नियुक्ति के लिए शिक्षा निदेशालय के चक्कर काट कर रहे हैं। जूनियर एडेड विद्यालयों में करीब डेढ़ दशक से भर्ती नहीं हुई थी। उससे पहले इन विद्यालयों के प्रबंधक भर्ती करते थे।


प्रबंधकों के जरिये भर्ती प्रक्रिया विवादित होने के कारण उस पर रोक लगी थी। वर्षों तक भर्ती न होने से तमाम विद्यालय शिक्षक विहीन हो गए। विधानसभा चुनाव 2022 से पहले प्रधानाचार्यों और शिक्षकों के 1894 पदों पर भर्ती करने के लिए 25 फरवरी 2021 को विज्ञापन जारी हुआ।

परीक्षा नियामक प्राधिकारी के वेबसाइट पर तीन से 17 मार्च 2021 तक ऑनलाइन आवेदन लिया गया। आवेदन के लिए सिर्फ 15 दिन का समय दिया गया। अमूमन किसी भी भर्ती में आवेदन के लिए कम से कम एक महीने का समय दिया जाता है, लेकिन इसमें जल्दबाजी की गई। महीनेभर बाद ही 18 अप्रैल 2021 को परीक्षा कराई गई।

सात महीने बाद विधानसभा चुनाव से पहले 15 नवंबर 2021 को परिणाम घोषित कर दिया गया। शिक्षक के लिए 150 में से 97 अंक और प्रधानाध्यापक के लिए 200 में से 130 अंक पाने वालों को सफल घोषित कर दिया। इस मानक अनुसार रिक्त 1894 पदों के 23 गुना 43,610 अभ्यर्थी सफल हो गए। परिणाम जारी होते ही गड़बड़ियों के आरोप लगे और मामला हाईकोर्ट गया। हाईकोर्ट ने परिणाम संशोधित करने का आदेश दिया।

 पीएनपी ने संशोधित परिणाम छह सितंबर 2022 को जारी कर दिया था। उसके खिलाफ भी कुछ अभ्यर्थी हाईकोर्ट गए। हाईकोर्ट ने 15 फरवरी 2024 को सभी याचिकाएं खारिज कर दीं और संशोधित परिणाम के आधार पर चयन करने को कहा। उसके बाद से मामला शासन में लंबित है। नियुक्ति देने के लिए मेरिट के अनुसार काउंसलिंग होनी है। इस भर्ती का विज्ञापन जारी करने से पहले आरक्षण निर्धारित नहीं किया गया था। अब तक तय नहीं है कि आरक्षण स्कूल स्तर, जिला स्तर या राज्य स्तर पर लागू किया जाए आरक्षण का निर्धारण शासन से होना है।

आरक्षण के चलते हजारों शिक्षकों की भर्ती पहले से विवादित है। इसलिए इस भर्ती को पूरी करने के लिए विभागीय अधिकारी पहल नहीं कर रहे हैं। मामले को शासन पर टाल रहे हैं। वहीं, परीक्षा उत्तीर्ण करके अभ्यर्थी शिक्षा निदेशालय के बाहर धरने पर बैठे हैं।

शिक्षामित्रों को मिल सकता है मानदेय वृद्धि संग मूल जिले में वापसी का उपहार, सीएम योगी ने मांगें जल्दी पूरी करने का दिया आश्वासन

शिक्षामित्रों को मिल सकता है मानदेय वृद्धि संग मूल जिले में वापसी का उपहार, सीएम योगी ने मांगें जल्दी पूरी करने का दिया आश्वासन 

• भाजपा विप सदस्यों संग मुख्यमंत्री से मिले शिक्षामित्र संघ के पदाधिकारी


लखनऊ : परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में कार्यरत 1.48 लाख शिक्षामित्रों की मांगें पूरी करने के बारे में सरकार गंभीर है। बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के पदाधिकारियों को आश्वासन दिया कि वह जल्द उनकी समस्याओं का समाधान करेंगे। अपने सरकारी आवास पर योगी ने शिक्षामित्र संघ के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर भाजपा के विधान परिषद सदस्यों श्रीचंद शर्मा, धर्मेन्द्र भारद्वाज और सुरेन्द्र चौधरी के साथ उनकी मांगों पर चर्चा की। शिक्षामित्रों को मानदेय बढ़ोतरी के साथ मूल जिले में वापसी का उपहार मिल सकता है।


योगी ने कहा कि वह इस विषय पर जल्द बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह और विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के प्रदेश अध्यक्ष शिव कुमार शुक्ला और महामंत्री सुशील यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री शिक्षामित्रों की समस्याओं के निराकरण को लेकर पूरी तरह गंभीर हैं। 

अभी शिक्षामित्रों को 10 हजार रुपये प्रति महीने मासिक मानदेय दिया जा रहा है और अब इसमें बढ़ोतरी का प्रस्ताव है। वहीं वर्ष 2014 में जिन शिक्षामित्रों को शिक्षक बनाया गया था और 2017 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उन्हें शिक्षामित्र के पद पर वापस कर दिया गया, वे अब अपने मूल जिले में वापसी की मांग कर रहे हैं। 

ऐसी महिला शिक्षामित्र, जो शादी के बाद ससुराल से मायके वाले जिले के प्राइमरी स्कूल में नौकरी करने आती हैं, वे भी मूल जिले में वापसी की मांग कर रही हैं। शिक्षामित्र आकस्मिक अवकाश को 11 से बढ़ाकर 14 करने और मेडिकल की सुविधा की मांग भी कर रहे हैं। 

उप्र प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के पदाधिकारियों ने लोकभवन में प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री संजय प्रसाद से भी मुलाकात की। विधानसभा उपचुनाव के बाद शिक्षामित्रों की मांगें पूरी हो सकती हैं।

Wednesday, October 16, 2024

यूपी बोर्ड के अंक पत्रों में होगा बदलाव, अंकों के अलावा ग्रेडिंग और क्रेडिट का भी होगा उल्लेख, 28 और 29 अक्तूबर को होगी कार्यशाला

यूपी बोर्ड के अंक पत्रों में होगा बदलाव, अंकों के अलावा ग्रेडिंग और क्रेडिट का भी होगा उल्लेख, 28 और 29 अक्तूबर को होगी कार्यशाला


प्रयागराज। नई शिक्षा नीति के अंतर्गत यूपी बोर्ड के पाठ्यक्रमों में कई बदलाव की तैयारी चल रही है। विषयों की संख्या बढ़ने के साथ ही मूल्यांकन के तरीकों में भी बदलाव किया जाएगा। इसके अलावा अंक पत्रों में भी बदलाव होगा। पाठ्यक्रम बदलने के बाद जो अंक पत्र मिलेगा, उसमें ग्रेडिंग और क्रेडिट का भी उल्लेख होगा। 

नई शिक्षा नीति-2020 तैयार है, लेकिन किसी भी राज्य में अब तक इसे लागू नहीं किया गया है। हर राज्य में लागू करने के लिए मंथन चल रहा है। उसी क्रम में यूपी बोर्ड भी मंथन कर रहा है। इसके लिए 13 और 14 अगस्त को यूपी बोर्ड की एक कार्यशाला हो चुकी है। इसमें हाईस्कूल में 10 और इंटरमीडिएट में सात विषय पढ़ाने को लेकर चर्चा हुई थी। इसके अलावा व्यावसायिक कोर्स पढ़ाने पर जोर दिया गया था। व्यावसायिक शिक्षा से रोजगार की संभावना बढ़ेगी। इसलिए इसे छठवीं से पढ़ाने की तैयारी है।

पाठ्यक्रम के बाद कॉपियों के मूल्यांकन और अंक पत्र में बदलाव को लेकर 17 से 19 अक्तूबर तक कार्यशाला होनी थी, जो अब 28 और 29 अक्तूबर को होगी। 


अब 28 और 29 अक्तूबर को होगी कार्यशाला

पाठ्यक्रम में बदलाव को लेकर 17 से 19 अक्तूबर तक होने वाली कार्यशाला में सीबीएसई के पूर्व चेयरमैन अशोक गांगुली और पूर्व परीक्षा नियंत्रक पवनेश कुमार को आना था। किसी कारणवश वह इन तिथियों पर नहीं आ पाएंगे, इसलिए अगली तिथि निर्धारित की गई है। यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने बताया कि अब यह कार्यशाला 28 और 29 अक्तूबर को होगी। सीमैट के सभागार में यह कार्यशाला होगी। इसमें मूल्यांकन प्रणाली और अंक निर्धारण पर चर्चा की जाएगी।



यूपी बोर्ड हाईस्कूल परीक्षा में 30 अंक के आंतरिक मूल्यांकन का बदलेगा मानक, एकरूपता लाने का निर्णय 

हाईस्कूल परीक्षा के आंतरिक मूल्यांकन का बदलेगा मानक 

यूपी बोर्ड ने एकरूपता को मानक निर्धारित कर तैयार किया प्रारूप 

निर्धारित 30 अंक को कुछ श्रेणी में बांट बनेगी मूल्यांकन व्यवस्था

प्रयागराज : यूपी बोर्ड की हाईस्कूल परीक्षा के लिए छात्र-छात्राओं के विषयवार आंतरिक मूल्यांकन में विद्यालय व शिक्षकवार अलग- अलग व्यवस्था नहीं चलेगी। शैक्षिक सत्र 2025-2026 से विषयवार परीक्षार्थियों के आंतरिक मूल्यांकन का मानक बदल जाएगा। इसके लिए यूपी बोर्ड ने प्रारंभिक तौर पर एक प्रारूप तैयार किया है। इसे विशेषज्ञों के परामर्श से अंतिम रूप दिया जाएगा। इसी माह कार्यशाला भी होगी। उसके बाद परीक्षार्थियों के विषयवार आंतरिक मूल्यांकन के लिए गाइडलाइन जारी की जाएगी। उसी अनुरूप शिक्षकों को आंतरिक मूल्यांकन करना होगा।


आंतरिक मूल्यांकन 30 अंक का होता है, जिसके अंक विषयों की बोर्ड की लिखित परीक्षा में जुड़ते हैं। वर्तमान में शिक्षक छात्र-छात्राओं से उनके विषय एवं प्रोजेक्ट वर्क से जुड़े कुछ प्रश्न पूछकर तथा छमाही लिखित परीक्षा के अंकों के आधार पर आंतरिक मूल्यांकन के अंक देते हैं। इससे एक ही विद्यालय तक में अलग-अलग सेक्शन के छात्र छात्राओं के आंतरिक मूल्यांकन के तरीके में एकरूपता नहीं रहती। इस कारण किसी को पूरे 30 अंक तक तो किसी को इकाई तक में ही अंक मिलते हैं। ऐसे में यूपी बोर्ड ने आंतरिक मूल्यांकन में एकरूपता लाने का निर्णय लिया है। 


बोर्ड सचिव भगवती सिंह के निर्देशन में अपर सचिव (पाठ्यपुस्तक) सत्येंद्र सिंह ने शोध सहायकों के सहयोग से एक प्रारूप तैयार किया है। प्रारूप को बोर्ड अधिकारियों, विषय विशेषज्ञों, कुछ प्रधानाचार्यों एवं प्रवक्ताओं की 17 अक्टूबर से 19 अक्टूबर तक आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला में विमर्श के बाद अंतिम रूप दिया जाएगा। कार्यशाला में यूपी बोर्ड के पूर्व सचिव पवनेश कुमार, सीबीएसई बोर्ड के पूर्व चेयरमैन अशोक गांगुली विशेष रूप से आएंगे।


नए ड्राफ्ट में आंतरिक मूल्यांकन के 30 अंक को अलग-अलग श्रेणी के प्रश्नों के लिए बांटा गया है। उदाहरण के तौर पर मौखिक परीक्षा (वायवा) के लिए पूर्णांक पांच या कुछ और अंक तय किया गया है। इसी तरह प्रोजेक्ट कार्य का पूर्णांक भी पांच या कुछ और अंक है। कुछ पूर्णांक भाषा वाचन पर है तो कुछ पूर्णांक गणित के सूत्र व विज्ञान के नियम पर है। इन श्रेणियों में पूर्णांक ऐसे निर्धारित किए गए हैं कि सभी का पूर्णांक योग 30 है। इस तरह परीक्षक को हर श्रेणी के पूर्णांक के क्रम में आंतरिक मूल्यांकन के समय अंक प्रदान करना होगा।

एजुकेटर भर्ती रद्द करने और शासकीय कर्मचारी का दर्जा देने की मांग को लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का जोरदार प्रदर्शन

एजुकेटर भर्ती रद्द करने और शासकीय कर्मचारी का दर्जा देने की मांग को लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का जोरदार प्रदर्शन


लखनऊ। राजधानी लखनऊ में मंगलवार को आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने जोरदार प्रदर्शन करते हुए शासकीय कर्मचारी का दर्जा और एजुकेटर भर्ती को रद्द करने की मांग की। प्रदेश भर से हजारों की संख्या में कार्यकर्ता ईको गार्डेन में जुटीं, जहां आंगनबाड़ी अधिकार संयुक्त मोर्चा के बैनर तले यह विरोध प्रदर्शन किया गया। कार्यकर्ताओं की प्रमुख मांग थी कि उन्हें शासकीय कर्मचारी का दर्जा दिया जाए, और तब तक आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को 18,000 रुपये व सहायिकाओं को 9,000 रुपये प्रति माह मानदेय सुनिश्चित किया जाए।


प्रदर्शन की अध्यक्षता मोर्चा की संयोजक सरिता सिंह और सह संयोजक प्रभावती देवी ने की। उन्होंने आक्रामक स्वर में एजुकेटर भर्ती को तत्काल प्रभाव से रद्द करने की मांग की, यह तर्क देते हुए कि आंगनबाड़ी केंद्रों पर एजुकेटर की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पहले से ही बच्चों को शिक्षित करने का काम कर रही हैं। 

सरिता सिंह ने कहा, "सरकार की नीतियों में यह विरोधाभास स्पष्ट है कि जब आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बच्चों की शिक्षा के साथ-साथ पोषण और स्वास्थ्य संबंधी जिम्मेदारियों को निभा रही हैं, तो अलग से एजुकेटर की भर्ती क्यों की जा रही है?" उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यह भर्ती रद्द नहीं की गई, तो कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन और अधिक उग्र हो सकता है। 


सरकार पर दबाव बढ़ा
वहीं, प्रदर्शनकारियों का कहना था कि एजुकेटर की नियुक्ति आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भूमिका को कमजोर करने की साजिश है। कार्यकर्ताओं ने स्पष्ट किया कि वे किसी भी हालत में इस भर्ती को स्वीकार नहीं करेंगी, और अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे आगे व्यापक स्तर पर आंदोलन करने के लिए तैयार हैं। 

प्रदर्शन के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने "एजुकेटर भर्ती बंद करो", "हम भी शिक्षक हैं, हमें हमारा हक दो" जैसे नारे लगाए, और जोर दिया कि शासकीय कर्मचारी का दर्जा उनके अधिकारों को सुनिश्चित करने का सबसे उचित समाधान है।

69000 शिक्षक भर्ती: सुप्रीम कोर्ट में नहीं हुई सुनवाई, अभ्यर्थी हुए निराश, अब मिली है ये तारीख

69000 शिक्षक भर्ती: सुप्रीम कोर्ट में नहीं हुई सुनवाई, अभ्यर्थी हुए निराश, अब मिली है ये तारीख

69000 teacher recruitment: 69000 शिक्षक भर्ती का मामला लटकता ही जा रहा है। मंगलवार को भी सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई नहीं हो सकी है। अब इसकी नई तारीख मिली है। 
 
 69000 शिक्षक भर्ती मामले में मंगलवार को भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी। इससे आरक्षित व अनारक्षित दोनों वर्ग के अभ्यर्थी निराश हैं। वहीं अब इस मामले में सुनवाई के लिए दिवाली के बाद 11 नवंबर की तिथि लगी है। अभ्यर्थियों ने उम्मीद जताई कि नई तिथि को उनको न्याय मिलेगा।

आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने बताया कि आज 40वें नंबर पर हमारा केस लगा था। अधिवक्ताओं ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) को केस के संबंध में अवगत कराया, तो उन्होंने अगली डेट पर मामले को सुने जाने को कहा है। वहीं सुनवाई नहीं होने से आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी हताश और निराश है।

बता दें की मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में लखनऊ हाईकोर्ट के डबल बेंच के 13 अगस्त के आदेश पर नाै सितंबर को सुनवाई के बाद रोक लगा दी थी। 23 सितंबर को सुनवाई की डेट लगी थी लेकिन सुनवाई नहीं हो सकी। इसके बाद मामले में अगली तारीख 15 अक्तूबर लगी थी। इससे पहले 13 अगस्त को लखनऊ हाईकोर्ट डबल बेंच के फैसले को अनारक्षित वर्ग के कुछ अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनाैती दी थी।

वहीं अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की लड़ाई लड़ रहे विनय पांडेय ने बताया कि आज सुनवाई नहीं हो पाई है। अगली तिथि 11 नवंबर लगी है। फिलहाल 69000 शिक्षक भर्ती से जुड़ी प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। आज सुनवाई न होने से थोड़ी निराशा है। हालांकि अभी भी दोनों पक्षों को सुप्रीम कोर्ट से न्याय की पूरी उम्मीद है। बता दें कि 69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी काफी समय से धरना, विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं।




69000 शिक्षक भर्ती मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज

15 अक्टूबर 2024
लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती मामले में मंगलवार 15 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई प्रस्तावित है। इसको लेकर चयनित व अन्य अभ्यर्थियों की निगाह सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हुई है। साथ ही दोनों पक्ष के लोग सुनवाई के लिए दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं।


इस मामले में अब तक एक बार नौ सितंबर को सुनवाई हुई है। जबकि 23 सितंबर को होने वाली सुनवाई अपरिहार्य कारणों से नहीं हो सकी। ऐसे में अभ्यर्थियों व चयनितों के साथ-साथ बेसिक शिक्षा विभाग की निगाह भी मंगलवार को होने वाली सुनवाई पर लगी हुई है। 

Bihar Teacher Transfer Policy : 10 बिंदुओं में सीधे समझें जारी हुई बिहार शिक्षक ट्रांसफर पॉलिसी के बारे में


Bihar Teacher Transfer Policy : 10 बिंदुओं में सीधे समझें जारी हुई बिहार शिक्षक ट्रांसफर पॉलिसी के बारे men 


Bihar Teacher Transfer Policy: बिहार सरकार ने लगभग 5 से 6 लाख शिक्षकों को ध्यान में रखकर यह नीति बनाई गई है. जल्द ही ऑनलाइन आवेदन लेने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी और दिसंबर से ट्रांसफर-पोस्टिंग शुरू हो जाएगी. तबादले के लिए 10 ऑप्शन दिए जाएंगे.


पटना . बीते दिनों, शिक्षा विभाग की तरफ से बिहार में शिक्षकों की ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर नई नियमावली जारी हो गई है. शिक्षकों को इसका लंबे समय से इंतजार था. सरकार का दावा है कि इस नीति के तहत अब BPSC से नियुक्त शिक्षक, पुराने शिक्षक और सक्षमता पास शिक्षकों को अब अपने जिले में रहने का मौका मिलेगा. सरकार के इस निर्णय से लगभग 5 से 6 लाख शिक्षकों को ध्यान में रखकर यह नीति बनाई गई है. जल्द ही ऑनलाइन आवेदन लेने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी और दिसंबर से ट्रांसफर-पोस्टिंग शुरू हो जाएगी. तबादले के लिए 10 ऑप्शन दिए जाएंगे.


🔵 Bihar Teacher Transfer Policy  को 10 प्वाइंट में सीधे समझें

1. बिहार विद्यालय अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम ने इस पूरे नियमावली को आसान शब्दों में शिक्षकों को समझाया. इस नियमावली में शिक्षकों को अलग-अलग कैटेगरी में बांटा गया है जैसे, असाध्य रोग से ग्रसित, गंभीर रोग से ग्रसित, दिव्यांग, सेवाकाल के दौरान दिव्यांगत से ग्रसित, विधवा और परित्यक्त, महिलाएं, जिनके पति सेवा में हैं, पुरुष शिक्षक सबके लिए अलग-अलग प्रावधान किया गया है.

2. गंभीर रोगी, दिव्यांग, विधवा, तलाकशुदा महिला शिक्षक का गृह पंचायत, गृह नगर निकाय, पति के गृह पंचायत, पति के नगर निकाय, वर्तमान पदस्थापना वाली पंचायत और नगर निकाय को छोड़ कर किसी भी पंचायत, नगर निकाय, प्रखंड, अनुमंडल का विकल्प दे सकते हैं. पुरुष शिक्षक विकल्प के रूप में गृह अनुमंडल छोड़ कर जिले की किसी भी पंचायत, नगर निकाय का चुनाव कर सकते हैं. यानी पुरुष शिक्षकों की पोस्टिंग गृह अनुमंडल में नहीं होगा.

3. किसी भी स्कूल में नियमित शिक्षक 10%, स्थानीय निकाय द्वारा नियुक्त शिक्षक 30%, सक्षमता परीक्षा पास शिक्षक 30% और बीपीएससी द्वारा नियुक्त शिक्षक 30% होंगे. उदाहरण के तौर पर समझे तो, अगर किसी विद्यालय में 10 रिक्तियां हैं तो उसमें एक सीट पर पुराने नियमित शिक्षक, 3 सीटों पर पर विशिष्ट शिक्षकों, 03 सीटों पर बीपीएससी शिक्षकों और 03 सीटों पर नियोजित शिक्षकों की पोस्टिंग होगी.

4. ट्रांसफर पोस्टिंग में सबसे वरीय पुराने नियमित शिक्षक माने जाएंगे. उसके बाद सक्षमता परीक्षा पास शिक्षक और फिर बीपीएससी शिक्षकों का वरीयता क्रम होगा. नियोजित शिक्षकों का ट्रांसफर नहीं होना है. च्वाइस पोस्टिंग में सबसे पहले नियमित शिक्षक, फिर सक्षमता और टीआरई पास शिक्षकों को प्राथमिकता दी जाएगी.

5. जिले के दस विद्यालयों के विकल्प देना होगा. इन्हीं दस विद्यालयों में पोस्टिंग होगी. अगर इनमें से कोई विद्यालय नहीं मिला तो निकटवर्ती अनुमंडल या जिले के किसी स्कूल में पोस्टिंग होगी.

6. बिहार के बाहरी जगहों के शिक्षकों के ऊपर कोई भी बाध्यता लागू नहीं होती है.

7. हर पांच साल पर ट्रांसफर को अनिवार्य किया गया है.

8. एक स्कूल में अधिकतम 70 फीसदी महिला शिक्षकों की पोस्टिंग होगी.

9. ट्रांसफर के लिए तीन समितियों के हुआ गठन: जिला में ट्रांसफर के लिए डीएम, प्रमंडल के अंदर एक जिले से दूसरे जिले के ट्रांसफर के लिए प्रमंडलीय आयुक्त वाली कमेटी और एक प्रमंडल से दूसरे प्रमंडल में ट्रांसफर करने का निर्णय शिक्षा सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी लेगी.

10. सॉफ्टवेयर बेस्ड ऑटो-जेनरेटेड फॉर्मेट से च्वाइस पोस्टिंग की जाएगी. जिला के अंदर विसंगतियों को डीएम निपटाएंगे.


🔴 बिहार शिक्षक स्थानांतरण नियमावली गजट प्रकाशन 



Tuesday, October 15, 2024

हेडमास्टर की आत्महत्या के मामले में बीएसए अमरोहा को हटाने की संस्तुति, परिजनों ने की बीएसए और आरोपी शिक्षक दंपत्ति की गिरफ्तारी की मांग

हेडमास्टर की आत्महत्या के मामले में बीएसए अमरोहा को हटाने की संस्तुति, परिजनों ने की बीएसए और आरोपी शिक्षक दंपत्ति की गिरफ्तारी की मांग

15 अक्टूबर 2024
अमरोहा। गजरौला के सुल्तानठेर के संविलियन स्कूल में आत्महत्या करने वाले प्रधानाध्यापक के परिजनों ने एसपी कार्यालय पहुंचकर आरोपी शिक्षक दंपती और बीएसए को गिरफ्तार करने की मांग की है। उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए जेल भेजने को कहा। आरोप है कि अगर वह बाहर रहेंगे तो केस के संबंधित सबूतों के साथ छेड़खानी और गवाहों को भ्रमित कर सकते हैं। उधर, इस मामले को संज्ञान में लेते हुए सोमवार को डीएम ने बीएसए को जिले से हटाने की संस्तुति कर शासन को पत्र भेजा है।

सोमवार को आत्महत्या करने वाले प्रधानाध्यापक संजीव कुमार के बेटे अनुज कुमार कई लोगों के साथ एसपी ऑफिस पहुंचे। यहां एसपी कुंवर अनुपम सिंह को शिकायती पत्र देकर बताया कि वर्ष 2011 से संजीव कुमार सुल्तानठेर के परिषदीय विद्यालय में सहायक अध्यापक के पद पर तैनात थे। 2019 में यह स्कूल कंपोजिट विद्यालय हो गया। इसके बाद वह इसी विद्यालय में प्रधानाध्यापक बन गए थे।

एक अक्तूबर को संजीव कुमार ने स्कूल में अपने ही कक्ष में मेज पर खड़े होकर छत में लगे कुंदे में प्लास्टिक की रस्सी के सहारे फंदे पर लटक कर आत्महत्या कर ली थी। उनके के पास से दो पेज का सुसाइड नोट मिला था। जिसमें उन्होंने स्कूल में ही सहायक अध्यापक राघवेंद्र सिंह व उनकी सरिता सिंह और बीएसए से दुखी होकर आत्महत्या करने की बात लिखी थी।

 इस मामले में सहायक अध्यापक राघवेंद्र सिंह, सरिता सिंह और बीएसए मोनिका के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई लेकिन अभी तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हो सकी। उन्होंने मांग की कि आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए जेल भेजा जाए। जिससे केस से संबंधित सबूतों के साथ छेड़खानी और गवाहों को भ्रमित न किया जा सके। साथ ही डीएम के द्वारा गठित की गई जांच कमेटी जल्द अपनी रिपोर्ट सौंपे। इस दौरान प्रशांत कुमार, कर्मवीर सिंह, बुद्ध सिंह, राजीव सिंह, हर्ष चौधरी, विशेष चौधरी, हर्षित चौधरी आदि मौजूद रहे।

बीएसए को जिले से हटाने की संस्तुति करते हुए शासन को पत्र भेज दिया गया है। जबकि, पुलिस शिक्षक दंपती की गिरफ्तारी के लिए लगातार दबिश दे रही है। -निधि गुप्ता वत्स, जिलाधिकारी


सुसाइड नोट में लिखा बीएसए भी करती थीं प्रताड़ित

अमरोहा। गजरौला के सुल्तानपुर प्रधानाध्यापक संजीव की आत्महत्या के मामले में बीएसए भी फंसती नजर आ रही हैं। लगातार उठ रही कार्रवाई की मांग के बीच आखिरकार डीएम ने उन्हें हटाने की संस्तुति कर दी है। इसके लिए डीएम ने शासन को पत्र भेज दिया है। बता दें कि एक अक्तूबर को गजरौला के सुल्तानपुर ठेर संविलियन विद्यालय के प्रधानाध्यापक संजीव कुमार ने अपने ही कक्ष में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। उन्होंने सुसाइड नोट छोड़ा था। जिसमें सहायक अध्यापक राघवेंद्र सिंह व उसकी शिक्षक पत्नी सरिता और बीएसए डॉ. मोनिका पर उन्हें प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था। आत्महत्या के लिए तीनों को जिम्मेदार ठहराया था। 

शिक्षक दंपती की गिरफ्तारी को दबिश

अमरोहा। मामले में पुलिस ने मृतक प्रधानाध्यापक के पुत्र की तहरीर पर शिक्षक दंपती व बीएसए के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया था। मामले में जहां पुलिस लगातार शिक्षक दंपती की गिरफ्तारी को दबिश दे रही है, वहीं बीएसए पर भी कार्रवाई की मांग की जा रही है। अब इस मामले में बीएसए डॉ. मोनिका भी कार्रवाई की जद में आ गई हैं। 



मरने से पहले हर पत्र पर लिखा- मेरी मौत की जिम्मेदार बीएसए होंगी, आरोपित शिक्षक दंपति संग बीएसए की बढ़ी मुश्किले, प्रतिकूल प्रविष्टि के बाद वेतन वृद्धि रुकने से शिक्षक थे तनाव में 

पढ़ने के बाद जांच टीम भी आ गई सकते में, जांच टीम अभी इस प्रकरण को लेकर कुछ भी बताने को तैयार नहीं है

05 अक्टूबर 2024
अमरोहा। स्कूल कक्ष में प्रधानाध्यापक की आत्महत्या की वजहों से परदा उठने लगा है। इसी के साथ आरोपित शिक्षक दंपति संग बीएसए की मुश्किलें भी बढ़ गई हैं। उत्पीड़न से त्रस्त प्रधानाध्यापक ने बीएसए को तीन-चार पत्र लिखे थे। उन्हाेंने उसके पत्रों का संज्ञान नहीं लिया। इन पत्रों की छायाप्रति पर आत्महत्या से पहले प्रधानाध्यापक ने पेन से लिखा था- मेरी मौत की जिम्मेदार बीएसए होंगी।


बीएसए को भेजे गए थे पत्र 
जिलाधिकारी निधि गुप्ता की ओर से गठित चार सदस्यीय टीम ने सुल्तानठेर संविलियन विद्यालय में मंगलवार को प्रधानाध्यापक संजीव की आत्महत्या के प्रकरण की जांच शुरू कर दी है। गुरुवार को प्रधानाध्यापक का कमरा खोला गया तो कई सनसनीखेज राज बाहर आ गए। स्कूल की अलमारी में संजीव चार-पांच पत्रों की छायाप्रति मिली है। ये पत्र बीएसए को भेजे गए थे।

डीएम निधि गुप्ता वत्स ने मामले की जांच के लिए एडीएम न्यायिक माया शंकर यादव के नेतृत्व में चार सदस्यीय टीम बनाई थी। बृहस्पतिवार को टीम ने स्कूल पहुंचकर जरूरी पत्र व अन्य दस्तावेज कब्जे में लिए थे। वहीं, संजीव के घर जाकर परिजनों से भी वार्ता की थी।

 प्रधानाध्यापक संजीव के बेटे अनुज ने बताया कि दिसंबर-2023 में विद्यालय में तैनात शिक्षिका नीशू ने गले में सांप डालकर वीडियो बनाई थी। मामले में शिक्षिका निलंबित करने के साथ उनके पिता को प्रतिकूल प्रविष्टि जारी कर दी थी। जिसके बाद उनकी वेतन वृद्धि रुक गई थी। बताया कि उसके बाद से लगातार चार से पांच बार वह पत्र भेजकर बीएसए से वेतन वृद्धि लागू करने की मांग कर चुके थे , लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई थी। जिसे लेकर वह तनाव में थे। वहीं, बताया जा रहा है कि जांच के दौरान टीम के समक्ष यह बात भी सामने आई है।

बृहस्पतिवार को जांच टीम ने स्कूल से जरूरी दस्तावेज कब्जे में लिए गए। वहीं, स्टाफ के बयान भी दर्ज किए गए। पूछताछ में यह भी सामने आया है कि वह प्रतिकूल प्रविष्टि के बाद से तनाव में थे। परिजनों ने भी वेतन वृद्धि रुकने की बात बताई है। इसे तथ्य पर भी जांच कराई जा रही है। 18 पन्नों के रजिस्टर को लेकर भी जांच की जा रही है। - माया शंकर यादव, एडीएम




18 पेज खोलेंगे प्रधानाध्यापक के उत्पीड़न का चिट्ठा, पुलिस की जांच के साथ चार सदस्यीय कमेटी भी करेगी जांच 

02 अक्टूबर 2024
गजरौला । प्रधानाध्यापक संजीव कुमार के उत्पीड़न का चि‌ट्ठा रजिस्टर में कैद 18 पेज खोलेंगे। इसके लिए डीएम ने चार सदस्य कमेटी गठित की है। इस रजिस्टर का जिक्र संजीव कुमार ने घटनास्थल से मिले दो पेज के सुसाइड नोट में किया है।

गजरौला क्षेत्र के सुल्तानठेर स्थित कंपोजिट विद्यालय के प्रधानाध्यापक संजीव कुमार ने मंगलवार सुबह अपने ही कक्ष में फंदे पर लटक कर जान दे दी। घटनास्थल पर दो पेज का सुसाइड नोट मिला है। जिसमें रजिस्टर में 18 पेज का सुसाइड नोट भी लिखा होने का दावा किया है। इसमें लिखा है कि पूरी दास्तान सुसाइड रजिस्टर में लिखी है, जो 18 पेज का है। पुलिस ने इस रजिस्टर को भी कब्जे में ले लिया है। 

उधर, डीएम निधि गुप्ता ने एडीएम न्यायिक मायाशंकर की अध्यक्षता में चार सदस्य कमेटी गठित की है। जिसमें डीआईओएस विष्णु प्रताप सिंह, सीडीओ अश्वनी कुमार मिश्रा और एएसपी राजीव कुमार सिंह को सदस्य बनाया गया है। ये टीम प्रधानाध्यापक संजीव कुमार की मौत की जांच करेगी। जबकि, पुलिस की जांच अलग चल रही है। चर्चा है कि रजिस्टर में कैद सुसाइड नोट ही शिक्षक संजीव कुमार की आत्महत्या के पीछे का राज खुलेगी। अब जांच कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार है

घटनास्थल पर नहीं पहुंचीं बीएसए, शिक्षक दंपती भी गायब
कंपोजिट विद्यालय में प्रधानाध्यापक संजीव कुमार की मौत की जानकारी मिलने के बाद बीएसए घटनास्थल पर नहीं पहुंचीं। क्योंकि सुसाइड नोट में उनका नाम शामिल है। जबकि, सहायक अध्यापक राघवेंद्र सिंह व सरिता सिंह स्कूल तो आए थे, लेकिन जब उन्हें सुसाइड नोट में उनके नाम होने की बात सामने आई तो दोनों ही वहां से भाग निकले। इसके बाद से दोनों लापता हैं। हालांकि बीएससी के निर्देश पर ऑफिस के कर्मचारी मौके पर पहुंचे थे। उन्होंने पूरे मामले की जानकारी ली।


सफाई की वीडियो वायरल होने के बाद से तनाव में थे संजीव
गजरौला। सुल्तानठेर के परिषदीय विद्यालय में बारिश के पानी के साथ कीचड़ जमा हो गया था। इससे बच्चों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। 23 सितंबर की सुबह विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाओं और छात्र-छात्राओं ने स्कूल में सफाई अभियान चलाया। फावड़े और खुरपे से कीचड़ को साफ किया। स्कूल में सफाई का प्रदर्शन करते हुए सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल किया। सामने आया था कि यह वीडियो राघवेंद्र सिंह ने वायरल किया था। मामला चर्चाओं में आने के बाद प्रधानाध्यापक भी जांच के घेरे में आ गए थे। इस मामले में बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष अतुलेश भारद्वाज और खंड शिक्षा अधिकारी आरती गुप्ता ने विद्यालय को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा था। परिजनों के मुताबिक वह इस बात से भी तनाव में चल रहे थे।


कंपोजिट विद्यालय के प्रधानाध्यापक बनने से असंतुष्ट था राघवेंद्र
गजरौला। प्रधानाध्यापक की आत्महत्या के बाद से कुछ कुछ साथी शिक्षक सवालों के कटघरे में खड़े हो गए हैं। जबकि, सहायक राघवेंद्र द्वारा उनसे रंजिश रखने की बात सामने आ रही है। प्रधानाध्यापक के बेटे ने भी राघवेंद्र पर उनसे रंजिश रखने और साजिश करने के आरोप लगाए। बेटे अनुज ने बताया कि पापा 2015 में जूनियर विद्यालय के प्रधानाध्यापक बने थे। गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में राघवेंद्र सिंह प्रधानाध्यापक था।

2019 में दोनों विद्यालयों का विलय कर कंपोजिट विद्यालय बनाया गया था। जिसका प्रधानाध्यापक मेरे पापा को बनाया गया था। तभी से राघवेंद्र नाराज था और वह पापा से विवाद करता रहता था। राघवेंद्र के बीएसए मोनिका सिंह से अच्छे संबंध है। इसलिए वह पापा पर दबाव बनाता था। उत्पीड़न से परेशान होकर पापा ट्रांसफर के लिए कई बार लेटर लिख चुके थे। लेकिन, कोई सुनवाई नहीं हुई।


01 अक्टूबर 2024
18 पेज का सुसाइड नोट लिखकर हेडमास्टर ने स्कूल में लगा ली फांसी, बीएसए और दो शिक्षकों को बताया जिम्मेदार, एफआईआर दर्ज 

आरोपी शिक्षकों और बीएसए के खिलाफ एफआईआर दर्ज


अमरोहाः उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में एक जूनियर हाईस्कूल में प्रधानाचार्य संजीव कुमार (50) ने मंगलवार सुबह स्कूल के क्लास रूम में फंदे पर लटककर आत्महत्या कर ली। पुलिस को मौके से 18 पेज का सुसाइड नोट मिला है, जिसमें बेसिक शिक्षा अधिकारी और स्कूल के 2 टीचरों (पति-पत्नी) को आत्महत्या के लिए जिम्मेदार ठहराया है।

पुलिस को जांच में पता चला है कि मंगलवार सुबह संजीव कुमार स्कूल जल्दी आ गए थे। उन्होंने दफ्तर में फांसी लगाई। इसका पता सुबह 9 बजे बाकी शिक्षकों के स्कूल पहुंचने पर लगा। सूचना पर पुलिस और प्रशासनिक अफसर मौके पर पहुंचे। फरेंसिक टीम से कमरे की जांच कराई गई। पुलिस ने कमरे को सील कर दिया है। पुलिस के मुताबिक संजीव कुमार अमरोहा के गजरौला इलाके के सुल्तान ठेर गांव में आदर्श जूनियर हाईस्कूल में प्रधानाचार्य थे। मूल रूप से बछरायूं इलाके के जमानाबाद गांव के निवासी थे।


मौके से मिले सुसाइड नोट में संजीव कुमार ने लिखा है कि मैं राघवेंद्र सिंह, सरिता सिंह और बेसिक शिक्षा अधिकारी मैडम से दुखी होकर आत्महत्या कर रहा हूं। राघवेंद्र और सरिता (पति-पत्नी) गाली-गलौज करते हैं। उनकी यातनाओं से तो मरना अच्छा है। मैं इनकी दबंगई 2 अप्रैल 2019 से झेल रहा हूं। मैं इनकी जांच CBI से करवाना चाहता हूं। आगे लिखा है कि मेरी सभी अधिकारियों से हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि जांचकर्ता मुरादाबाद मंडल का न हो क्योंकि इनकी दबंगई पूरे मंडल में चलती है। प्रताड़ना की सारी दास्तान सुसाइड रजिस्टर में लिखी है, जो 18 पेज का है।

नोट में आगे लिखा है कि जब तक डीएम साहिबा और बीएसए मैडम न आएं तब तक मेरी बॉडी को छूना नहीं। मेरे पास स्कूल का कोई सामान नहीं है। दोनों टैबलेट नई वाली सेफ में रखे हैं। परिमा शर्मा को स्कूल का इंचार्ज बनाना है। वही, सबसे सीनियर टीचर हैं।


बेटे का आरोप- स्कूल टीचर पिता को प्रताड़ित कर रहे थे
संजीव के बेटे अनुज सिंह का कहना है कि स्कूल के पति-पत्नी शिक्षक पिता को प्रताड़ित करते थे। हर रोज उनसे लड़ाई करते थे। मंगलवार सुबह 7 बजे पिताजी घर से 7 बजे निकले थे। पिता ने वॉट्सऐप पर मुझे मैसेज भी भेजा था, लेकिन मेरे देखने से पहले डिलीट कर दिया था। वह सोमवार रात से कुछ परेशान दिख रहे थे। पूछने पर भी कुछ नहीं बताया था। थाना पुलिस का कहना है कि जांच कर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

आत्मरक्षा के लिए 32 लाख बालिकाओं को जूडो-कराटे व ताइक्वांडो का प्रशिक्षण देने का लक्ष्य, अब तक 4.9 लाख छात्राएं विद्यालयों में ले चुकीं हैं ट्रेनिंग

आत्मरक्षा के लिए 32 लाख बालिकाओं को जूडो-कराटे व ताइक्वांडो का प्रशिक्षण देने का लक्ष्य,  अब तक 4.9 लाख छात्राएं विद्यालयों में ले चुकीं हैं ट्रेनिंग

स्वयं की सुरक्षा के साथ दे रहे कानून की भी जानकारी


लखनऊ : परिषदीय प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों की छात्राओं को मिशन शक्ति के तहत आत्मरक्षा के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। वर्ष 2024-25 में कुल 32 लाख बालिकाओं को स्वयं की सुरक्षा के लिए ट्रेनिंग देने के साथ बचाव के लिए कानून और वूमेन हेल्पलाइन नंबर 1090 इत्यादि के बारे में भी जागरूक किया जा रहा है। इस वर्ष अब तक 4.9 लाख छात्राओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है।


मिशन शक्ति के पांचवें चरण के तहत बीती तीन अक्टूबर से छात्राओं को प्रशिक्षण का विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इन छात्राओं को स्वयं की रक्षा के लिए जूडो कराटे व ताइक्वांडो का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

छात्राओं को बाल विवाह, यौन हिंसा और छेड़खानी से अपना बचाव करने के बारे भी जागरूक किया जा रहा है। विशेषज्ञ उन्हें बाल अधिकारों के बारे में जानकारी दे रहे हैं। अपनी सुरक्षा के लिए वे क्या-क्या उपाय करें और किस तरह मुसीबत से बचें, प्रशिक्षण कार्यक्रमों में उन्हें इसकी जानकारी दी जा रही है। कोई भी ब छात्रा सुरक्षा के कारणों से अपनी पढ़ाई न छोड़े, इस पर विशेष जोर म दिया जा रहा है।

बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह की ओर से निर्देश दिए गए हैं कि सभी स्कूल अपने यहां पढ़ रहीं बालिकाओं को यह प्रशिक्षण अनिवार्य रूप से स दिलाएं। जिन 32 लाख छात्राओं ने के इस बार ट्रेनिंग के लिए पंजीकरण कराया है, उन सभी को आत्मरक्षा नि के लिए दक्ष बनाया जाए। पिछले साल 16 लाख छात्राओं को म आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिया गया था।  इस बार यह लक्ष्य दोगुणा कर दिया गया है।

143 स्कूलों में शिक्षक ही नहीं बचे, तीन साल से फंसी है एडेड जूनियर की शिक्षक भर्ती

143 स्कूलों में शिक्षक ही नहीं बचे, तीन साल से फंसी है एडेड जूनियर की शिक्षक भर्ती

15 अक्टूबर 2024
प्रयागराज। सूबे के अशासकीय सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों में सहायक अध्यापकों के 1504 और प्रधानाध्यापकों के 390 पदों पर तीन साल बाद भी भर्ती नहीं होने के कारण इन स्कूलों में ताला पड़ने की नौबत आ गई है। शिक्षा निदेशालय की ओर से शासन को भेजी गई सूचना के मुताबिक प्रदेश के 3049 एडेड जूनियर हाईस्कूलों में 143 स्कूलों में न तो कोई शिक्षक बचा है और न प्रधानाध्यापक ही है। यदि चयन प्रक्रिया जल्द पूरी नहीं हुई तो कई अन्य स्कूलों पर ताला पड़ जाएगा।


 हाईकोर्ट से भर्ती का रास्ता फरवरी में ही साफ हो चुका है लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग के अफसर अब तक नियुक्ति प्रक्रिया शुरू नहीं कर सके हैं। भर्ती में देरी को लेकर कुछ स्कूलों के प्रबंधकों ने हाईकोर्ट में याचिकाएं भी की हैं कि यदि सरकार भर्ती पूरी नहीं कर पा रही है तो चयन का अधिकार एक बार फिर से प्रबंधकों को दे दिया जाए। सूत्रों के अनुसार मामले में शासन स्तर पर एक उच्च स्तरीय बैठक जल्द होने वाली है।


संशोधित परिणाम में 3369 अभ्यर्थी हुए थे फेल

परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय ने दो साल पहले छह सितंबर 2022 को संशोधित परिणाम जारी किया था जिसमें पूर्व में सफल 3369 अभ्यर्थी फेल हो गए थे। संशोधित परिणाम में सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए परीक्षा में सम्मिलित 2,71,071 अभ्यर्थियों में से 42,066 जबकि प्रधानाध्यापकों की भर्ती के लिए 14,931 अभ्यर्थियों में से 1544 को सफल घोषित किया गया था। जबकि उससे पहले 15 नवंबर 2021 को घोषित परिणाम में सहायक अध्यापकों के लिए 45,257 और प्रधानाध्यापकों के लिए 1,722 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया था।



शिक्षक भर्ती : जूनियर एडेड विद्यालयों में रिक्त 1894 पदों पर होना है चयन, 2022 में आया था परिणाम, परीक्षा पास कर भटक रहे 43,610 अभ्यर्थी

11 अक्टूबर 2024
प्रयागराज। जूनियर एडेड विद्यालयों में शिक्षक भर्ती की परीक्षा उत्तीर्ण कर 43,610 अभ्यर्थी दो वर्ष से नौकरी के लिए भटक रहे हैं। वह शिक्षा निदेशक से लेकर लखनऊ तक के चक्कर लगा रहे हैं और कई बार प्रदर्शन भी कर चुके हैं।

परीक्षा नियामक प्राधिकारी (पीएनपी) ने 2021 में जूनियर एडेड विद्यालयों में शिक्षक और प्रधानाचार्य के 1894 पदों पर भर्ती का विज्ञापन निकाला था।


इसके लिए प्रदेश से लाखों आवेदन आए थे। इसकी परीक्षा 17 अक्तूबर-2021 को कराई गई। 150 अंकों की परीक्षा में 90 से अधिक अंक पाने वालों को सफल घोषित किया गया। इसका परिणाम 15 नवंबर-2021 को घोषित कर दिया। परिणाम आया तो कुछ अभ्यर्थियों ने उसको हाईकोर्ट में चुनौती दी। उनका आरोप था कि परिणाम में गड़बड़ी हुई है। 

हाईकोर्ट के आदेश पर परिणाम संशोधित किया गया। पीएनपी ने संशोधित परिणाम छह सितंबर-2022 को जारी कर दिया। इसके खिलाफ भी कुछ अभ्यर्थी हाईकोर्ट गए। हाईकोर्ट ने 15 फरवरी 2024 को सभी याचिकाएं खारिज कर दीं। आदेश दिया कि संशोधित परिणाम के आधार पर चयन हो।

हाईकोर्ट के आदेश के बाद चयन प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए थी। नियमानुसार रिक्त 1894 पदों के सापेक्ष काउंसलिंग होगी। सफल अभ्यर्थियों की मेरिट बनेगी और रिक्त पदों के अनुसार चयन होगा। यह मामला बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल के पास लंबित है। पिछले दिनों कई अभ्यर्थी लखनऊ में निदेशक से मिले लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ।

इससे सफल अभ्यर्थियों में आक्रोश है। अभ्यर्थी ज्ञानवेंद्र सिंह ने बताया कि चयन प्रक्रिया न होने से उनका भविष्य अधर में अटका है। वह इसके लिए निदेशालय में आंदोलन करेंगे।