बच्चों का रिपोर्ट कार्ड अभिभावक का विजिटिंग कार्ड नहीं, परीक्षा पे चर्चा में पीएम मोदी की नसीहत
परीक्षा पे चर्चा : पीएम ने परीक्षा का तनाव घटाने व तैयारी मजबूत रखने के लिए विद्यार्थियों के साथ-साथ माता-पिता व शिक्षकों को भी दिए मंत्र
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि माता-पिता को बच्चों के रिपोर्ट कार्ड को अपना विजिटिंग कार्ड बनाने से बचना चाहिए। ऐसा करना बच्चों के भविष्य के लिए सही नहीं होगा। अपने सालाना लोकप्रिय कार्यक्रम परीक्षा पे चर्चा के सातवें संस्करण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को विद्यार्थियों के साथ अभिभावकों और शिक्षकों को भी संबोधित किया। इस साल भारत मंडपम में हुए कार्यक्रम में शामिल होने के लिए 2.26 करोड़ विद्यार्थियों ने पंजीकरण कराया था।
अगले दो महीनों में अहम परीक्षाएं देने जा रहे विद्यार्थियों से चर्चा के बीच पीएम ने कहा, कुछ अभिभावक, जो अपने जीवन में बहुत सफल नहीं रहे, वे बच्चों के रिपोर्ट कार्ड को ही अपना विजिटिंग कार्ड बना लेते हैं। किसी से मिलते हैं, तो बच्चों की कहानी सुनाने लगते हैं। उन्हें एक बच्चे की तुलना दूसरे से नहीं करनी चाहिए। यह 'रनिंग कमेंट्री' बच्चों के भविष्य को नुकसान पहुंचा सकती है। इसके बजाय उन्हें बच्चों को दबाव के सामने न झुकने में सक्षम बनाना चाहिए।
Pariksha Pe Charcha 2024
परीक्षा पे चर्चा 2024 : प्रधानमंत्री मोदी ने की छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों से बात, कहा दूसरे से नहीं खुद से करें कंपटीशन
✅ टिप्स
🔴 दोस्ती बहुत जरूरी
🔵 टीचर से ज्यादा देस्त की जरूरत, पीएम ने दिए टिप्स
🔴 परीक्षा में तनाव से मुक्ति, पेरेंट्स को भी सुझाव
🔵 PM ने बताया कैसे करें परीक्षा की शुरुआत
🔴 अगल-बगल पर भरोसा न करें
🔵 कंफ्यूजन सब खराब कर देता है
🔴 बच्चे के रिपोर्ट कार्ड को विजिटिंग कार्ड न मानें
प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने 29 जनवरी को परीक्षा पे चर्चा के 7वें संस्करण में नई दिल्ली के भारत मंडपम में छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के साथ बातचीत की। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि बच्चों के तनाव को कम करने में शिक्षक की अहम भूमिका होती है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को अपने काम को केवल नौकरी के रूप में नहीं लेना चाहिए बल्कि उन्हें इसे छात्रों के जीवन को सशक्त बनाने के साधन के रूप में लेना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कुछ माता-पिता अपने बच्चे के रिपोर्ट कार्ड को अपना विजिटिंग कार्ड मानते हैं, यह अच्छा नहीं है। उन्होंने साफ कहा कि आपको एक बच्चे की तुलना दूसरे से नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह उनके भविष्य के लिए हानिकारक हो सकता है। उन्होंने छात्रों से यह भी कहा कि दूसरों से नहीं, खुद से प्रतिस्पर्धा करें। उन्होंने कहा कि हमें किसी भी प्रेशर को झेलने के लिए खुद को सामर्थ्यवान बनाना चाहिए। दबाव को हमें अपने मन की स्थिति से जीतना जरूरी है। किसी भी प्रकार की बात हो, हमें परिवार में भी चर्चा करनी चाहिए। इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए लगभग 2.26 करोड़ रजिस्ट्रेशन कराए गए थे।
PPC 2024 with PM Modi: प्रधानमंत्री मोदी ने अभिभावकों एवं शिक्षकों को सुझाव देते हुए कहा, ‘‘आपको एक बच्चे की तुलना दूसरे से नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह उनके भविष्य के लिए हानिकारक हो सकता है. कुछ माता-पिता अपने बच्चों के रिपोर्ट कार्ड को अपना विजिटिंग कार्ड समझते हैं, यह अच्छा नहीं है.’’
नई दिल्ली: Pariksha Pe Charcha 2024: बोर्ड परीक्षा के तनाव को कम करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को नई दिल्ली के बारत मंडपम में परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम में भाग लिया है. कार्यक्रम के दौरान उन्होंने अभिभावकों को सलाह दी कि वे अपने बच्चे के रिपोर्ट कार्ड को अपना विजिटिंग कार्ड न मानें. साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि छात्रों को खुद से प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए, दूसरों से नहीं.
प्रधानमंत्री ने परीक्षा पे चर्चा 2024 के सातवें संस्करण में कहा कि प्रतिस्पर्धा और चुनौतियां जीवन में प्रेरणा का काम करती हैं लेकिन प्रतिस्पर्धा स्वस्थ होनी चाहिए. उन्होंने अभिभावकों एवं शिक्षकों को सुझाव देते हुए कहा, ‘‘आपको एक बच्चे की तुलना दूसरे से नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह उनके भविष्य के लिए हानिकारक हो सकता है. कुछ माता-पिता अपने बच्चों के रिपोर्ट कार्ड को अपना विजिटिंग कार्ड समझते हैं, यह अच्छा नहीं है.''
प्रधानमंत्री ने बताया कि छात्रों पर तनाव तीन प्रकार का होता है. उन्होंने कहा कि यह कभी साथियों के दबाव से प्रेरित होता है तो कभी माता-पिता द्वारा और कभी स्वयं से भी प्रेरित होता है. उन्होंने कहा कि माता-पिता, शिक्षकों या रिश्तेदारों की 'रनिंग कमेंट्री' और हर बार नकारात्मक तुलना एक छात्र की मानसिक भलाई के लिए हानिकारक है.
उन्होंने कहा, ‘‘ यह भलाई के बजाय नुकसान ज्यादा करता है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि शत्रुतापूर्ण तुलनाओं और वार्ताओं के माध्यम से छात्रों के मनोबल और आत्मविश्वास को कम करने के बजाय उनके साथ उचित और सौहार्द्रपूर्ण बातचीत के माध्यम से इस मुद्दे का समाधान किया जाए.'' उन्होंने कहा कि दबाव इतना नहीं होना चाहिए कि यह किसी की क्षमताओं को प्रभावित करें.
उन्होंने कहा, ‘‘कई बार बच्चे खुद पर दबाव बनाते हैं कि वे उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं। मेरा सुझाव है कि आपको तैयारी के दौरान छोटे लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए और धीरे-धीरे अपने प्रदर्शन में सुधार करना चाहिए. इस तरह आप परीक्षा से पहले पूरी तरह से तैयार हो जाएंगे.''प्रधानमंत्री ने शिक्षकों और छात्रों के बीच संबंधों पर चर्चा करते हुए कहा कि यह संबंध ऐसा होना चाहिए कि छात्रों को शिक्षक के साथ 'विषय से संबंधित बंधन' से परे कुछ महसूस हो.
उन्होंने कहा, ‘‘यह बंधन गहरा होना चाहिए! यह रिश्ता ऐसा होना चाहिए कि छात्र अपने तनाव, समस्याओं और असुरक्षा के बारे में अपने शिक्षकों से खुलकर चर्चा कर सकें.'' उन्होंने कहा कि जब शिक्षक अपने छात्रों को अच्छी तरह से सुनेंगे और उनके मुद्दों को पूरी ईमानदारी से संबोधित करेंगे, तभी छात्र बेहतर करेंगे. प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि शिक्षक का काम सिर्फ नौकरी करना या उसे बदलना नहीं है बल्कि उसका काम जिंदगी को संवारना है तथा जिंदगी को सामर्थ्य देना है. उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे ही शिक्षक परिवर्तन लाते हैं.''
छात्रों को भारत के भविष्य को आकार देने वाला बताते हुए मोदी ने कहा कि ‘परीक्षा पे चर्चा' कार्यक्रम उनके लिए भी एक परीक्षा की तरह है. परीक्षाओं से पहले छात्रों के साथ अपने संपर्क कार्यक्रम की सातवीं कड़ी में उन्होंने कहा कि छात्र पहले से कहीं अधिक नवाचारी हो गए हैं. मोदी ने कहा, ‘‘हमारे छात्र हमारे भविष्य को आकार देंगे.''
शिक्षा मंत्रालय द्वारा पिछल छह साल से परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. यह कार्यक्रम का सातवां संस्करण हैं. कोरोना महामारी के कारण चौथा संस्करण ऑनलाइन आयोजित किया गया था जबकि पांचवां और छठा संस्करण टाउन-हॉल में हुआ था.