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Thursday, March 31, 2022

नेट के बाद पीएचडी करने पर 10 हजार की फेलोशिप, रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय का प्रयास

नेट के बाद पीएचडी करने पर 10 हजार की फेलोशिप,  रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय का प्रयास


कानपुर : छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय  अब नेट क्वालीफाई करने वाले शोधार्थियों को पीएचडी करने पर 10 हजार रुपये की फेलोशिप देगा। इस व्यवस्था को लागू करने वाला सीएसजेएमयू प्रदेश का पहला विश्वविद्यालय होगा। इसके लिए विवि प्रशासन ने प्रस्ताव तैयार कर लिया है। इसी सत्र से पीएचडी में दाखिला लेने वाले नेट क्वालीफायर को फेलोशिप की सौगात मिलेगी।


कुलपति प्रो. विनय पाठक रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए ऐसे प्रयास शुरू किए हैं। पहले शिक्षकों को रिसर्च प्रोजेक्ट लाने का लक्ष्य दिया तो अब पीएचडी में क्वालिटी रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए विशेष फेलोशिप शुरू कर दी। सेंट्रल यूनिवर्सिटी में नेट क्वालीफाई कर जो शोधार्थी पीएचडी करते हैं, उन्हें सरकार की ओर से आठ हजार रुपये की फेलोशिप दी जाती है। जबकि सीएसजेएमयू प्रशासन इससे भी अधिक फेलोशिप प्रदान करेगा।


जेआरएफ को मिलती है फेलोशिप: नेट जेआरएफ क्वालीफाई करने वाले अभ्यर्थियों को पीएचडी करने पर फेलोशिप मिलती है। सिर्फ नेट क्वालीफाई करने वाले शोधार्थियों को किसी भी राज्य विश्वविद्यालय में अब तक फेलोशिप नहीं मिलती है।

ज्यादातर जिलों में परिषदीय स्कूलों के बच्चों को आज रिपोर्ट कार्ड मिलने की संभावना नहीं, परीक्षाफल आज जारी होगा - रिपोर्ट कार्ड अगले दो दिनों में होंगे वितरित

ज्यादातर जिलों में परिषदीय स्कूलों के बच्चों को आज रिपोर्ट कार्ड मिलने की संभावना नहीं,  परीक्षाफल आज जारी होगा - रिपोर्ट कार्ड अगले दो दिनों में होंगे वितरित



आज बच्चों को रिजल्ट बांटने का दावा हवाई साबित हुआ। रिजल्ट कार्ड बांटना तो दूर अभी तक स्कूलों में भी रिजल्ट कार्ड नहीं पहुंचें हैं। बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों का दावा था कि 31 मार्च को स्कूलोें में नौनिहालों को रिजल्ट कार्ड का वितरण करा दिया जाएगा। जानकर ताज्जुब होगा कि रिजल्ट देना तो दूर अभी तक स्कूलों में रिजल्ट भी नहीं पहुंचें हैं। अध्यापक दिनभर रिजल्ट का इंतजार करते रहे।




बेसिक शिक्षा परिषदीय स्कूलों में दो साल बाद कक्षा एक से आठवीं तक की परीक्षा तो जैसे-तैसे निपट गई, लेकिन परीक्षाफल रिपोर्ट कार्ड के बजट में देरी और छपाई न हो पाने के कारण और कई विद्यालयों में यूपी बोर्ड परीक्षा के चलते शिक्षकों के अभाव के कारण आज बच्चों को रिपोर्ट कार्ड वितरित नहीं हो सकेंगे।


 परीक्षा कार्यक्रम के अनुसार 31 मार्च को रिपोर्ट कार्ड वितरित किए जाने थे। मार्च महीने के चलते लगातार शिक्षकों को अनेकानेक प्रशिक्षणों में भी थोक के भाव बुलाए जाने से भी व्यवधान पैदा हुआ है।


बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों के बच्चों की वार्षिक परीक्षा हुई। कक्षा एक के बच्चों की मौखिक परीक्षा 22 व 23 मार्च को हुई। 22 से 26 मार्च तक कक्षा दो से आठवीं तक के  विद्यार्थियों की लिखित परीक्षा हुई।  इस परीक्षा में यूपी बोर्ड परीक्षा में मनमानी ड्यूटी के कारण शिक्षकों की कमी भी खूब खली। 


 अब आज रिपोर्ट कार्डों का वितरण न होकर आगे आने वाले एक दो दिनों में रिपोर्ट कार्ड वितरित किए जाएंगे। हालांकि परीक्षाफल तो आज जारी हो जाएगा। 

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दिनांक 01 अप्रैल, 2022 को विद्यार्थियों से "परीक्षा पर चर्चा 2022" कार्यक्रम में प्रतिभाग करने के सम्बंध में माध्यमिक शिक्षा अनुभाग द्वारा आदेश जारी।

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दिनांक 01 अप्रैल, 2022 को विद्यार्थियों से "परीक्षा पर चर्चा 2022" कार्यक्रम में प्रतिभाग करने के सम्बंध में माध्यमिक शिक्षा अनुभाग द्वारा आदेश जारी।






ऑपरेशन कायाकल्प : बुनियादी सुविधाओं से लैस होंगे सभी परिषदीय स्कूल

ऑपरेशन कायाकल्प : बुनियादी सुविधाओं से लैस होंगे सभी परिषदीय स्कूल
 

लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ श्रावस्ती से स्कूल चलो अभियान की शुरुआत करेंगे।


मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया था कि जिन जिलों की साक्षरता दर कम है, उन जिलों पर विशेष ध्यान दिया जाए। स्कूल चलो अभियान की शुरुआत श्रावस्ती से की जा रही है, वहां की साक्षरता दर प्रदेश में सबसे कम है। इसके बाद बहराइच, बलरामपुर, बदायूं और रामपुर हैं।


 मुख्यमंत्री ने ये भी निर्देश दिए कि ऑपरेशन कायाकल्प से बेसिक शिक्षा परिषद के सारे विद्यालयों को आच्छादित किया जाए। प्रत्येक प्राथमिक विद्यालय को सभी बुनियादी सुविधाओं से लैस किया जाए। इसके लिए निजी संस्थाओं, स्कूल के पुराने विद्यार्थियों को अभियान चलाकर जोड़ा जाए।


 स्कूलों के कायाकल्प के लिए सीएसआर की मदद ली जाए। बच्चों की यूनिफॉर्म और जूते मोजे की भी व्यवस्था का आदेश है। शिक्षकों की तैनाती से लेकर बुनियादी सुविधाओं का समयबद्ध अभियान चलाया जाएगा।


हर बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में शिक्षकों की तैनाती होगी।


स्कूल चलो अभियान 04 अप्रैल से, सीएम योगी श्रावस्ती में करेंगे शुभारंभ, घर-घर जाकर किया जाएगा सर्वे, दो करोड़ बच्चों का स्कूलों में नामांकन होगा


लखनऊ : मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने चार अप्रैल से शुरू हो रहे स्कूल चलो अभियान में दो करोड़ से अधिक बच्चों का नामांकन कराने का निर्देश दिया है। अभियान के तहत अध्यापकों द्वारा घर घर जाकर हाउस होल्ड सर्वे करने और बच्चों का विद्यालय में नामांकन कराने के लिए अभिभावकों को तैयार कराने को कहा है। अभियान का शुभारंभ हर जिले में जन प्रतिनिधियों तथा नोडल अधिकारियों की उपस्थिति में होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ श्रावस्ती जिले से अभियान का शुभारंभ करेंगे।


नामांकन में अच्छा प्रदर्शन करने वाले प्रधानाध्यापक सम्मानित होंगे: मुख्य सचिव ने शनिवार को लोकभवन से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से स्कूल चलो अभियान-2022 की तैयारियों के संबंध में अधिकारियों को संबोधित किया। बेसिक शिक्षा के अधीन संचालित कक्षा 01 से 08 तक के विद्यालयों में छात्र-छात्राओं के अधिकाधिक नामांकन को प्रोत्साहन दिए जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि बच्चों के नामांकन में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले प्रधानाध्यापकों को सम्मानित किया जाएगा। शैक्षिक सत्र 2021-22 में आोयजित परीक्षा में सर्वोत्तम प्रदर्शन करने वाले छात्र-छात्राओं और उनके अभिभावकों को भी सम्मानित किए जाने की बात कही।


सौ फीसदी लक्ष्य को प्राप्त किया जाए: मुख्य सचिव ने कहा कि ऑपरेशन कायाकल्प के तहत जिन विद्यालयों ने अवस्थापना सुविधाओं के लक्ष्य को शत-प्रतिशत नहीं प्राप्त किया गया है उसे जल्द प्राप्त किया जाए। नामाकंन की संख्या को दो करोड़ के पार पहुंचाने के लिए डोर-टू-डोर हाउस होल्ड सर्वे किया जाए।



30 अप्रैल तक अभियान
बैठक से जुड़े मंडलायुक्तों तथा जिलाधिकारियों को उन्होंने निर्देश दिए कि जिले के समस्त परिषदीय विद्यालयों, ब्लॉक संसाधन केन्द्रों तथा जनपद कार्यालयों पर मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के सजीव प्रसारण की व्यवस्था की जाए। ‘स्कूल चलो अभियान’ कार्यक्रम 04 अप्रैल से प्रारंभ होकर 30 अप्रैल 2022 तक संचालित किया जाएगा। अभियान के दौरान शिक्षा से प्रेरित सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित कराए जाएं।



4 अप्रैल से स्कूल चलो अभियान: मुख्यमंत्री योगी का निर्देश, गांव के एक-एक स्कूल को गोद लें विधायक


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अफसरों को चार अप्रैल से शुरू होने वाले स्कूल चलो अभियान के संबंध में सभी तैयारियां तय समय पर पूरी करने का निर्देश दिया है।

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के विधायकों को एक-एक विद्यालय गोद लेने का निर्देश देते हुए कहा है कि प्रदेश में चार अप्रैल से श्रावस्ती जिले से स्कूल चलो अभियान की शुरुआत होगी। ऐसे में इसको लेकर विभाग सभी तैयारी कर लें। हर बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में शिक्षकों की तैनाती हो।


उन्होंने अपने निर्देशों में कहा कि बेसिक शिक्षा से जुड़े हर विद्यालय में पेयजल, टॉयलेट, स्मार्ट क्लास और फर्नीचर की व्यवस्था सुनिश्चित करें। इसके साथ ही बच्चों की यूनिफॉर्म और जूते-मोजे की व्यवस्था हो। उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास होगा कि प्रत्येक प्राथमिक विद्यालय को सभी बुनियादी सुविधाओं से लैस किया जाए।

उन्होंने निर्देश दिया कि इसके लिए निजी संस्थाओं, स्कूल के पुराने विद्यार्थियों को अभियान चलाकर जोड़ा जाए। सभी जनपदों में जहां साक्षरता की दर कम है, वहां के विद्यालयों में वृहद स्तर पर अभियान चलाया जाए। शिक्षकों की तैनाती से लेकर बुनियादी सुविधाओं के लिए समयबद्ध तरीके से अभियान चलाया जाए। ऑपरेशन कायाकल्प से बेसिक शिक्षा परिषद के सारे विद्यालयों को आच्छादित किया जाए। सभी अध्यापक उन बच्चों के घर जाकर उनके परिजनों से मिलकर उन्हें स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करें। मुख्यमंत्री गुरुवार को अफसरों के प्रदेश में कोविड की स्थिति की समीक्षा कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा दो अप्रैल को सिद्धार्थ नगर से संचारी रोग नियंत्रण अभियान की शुरुआत की जा रही है। इसको लेकर विभाग सभी प्रकार की तैयारियों को समय से पूरा कर लें। प्रदेश में आमजन के बेहतर स्वास्थ के लिए इस अभियान के माध्यम से जागरूकता, इलाज और सुविधाओ के उच्चीकरण के साथ साथ स्टाफ की तैनाती को एक अभियान चलाकर गति दी जाए। प्रदेश के सभी जिलों में मरीजों को किसी प्रकार की कोई समस्या न आए। चिकित्सा विभाग इस बात को सुनिश्चित करें। कोई भी मरीज इलाज के बिना अस्पताल से वापस ना जाए। अस्पतालों में फुल ओपीडी की व्यवस्था को सुनिश्चित करें।


सीएम का विधायकों को बड़ा आदेश, जानें स्कूलों को लेकर क्या बोले योगी आदित्यनाथ

लगातार दूसरी बार सत्ता में आए सीएम योगी आदित्यनाथ इन दिनों एक्शन में दिखाई दे रहे हैं। शपथ लेने के तुरंत बाद योगी ने मंत्रियों और अफसरों संग महत्वपूर्ण बैठक करके जरूरी आदेश दे चुके हैं।


लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चार अप्रैल को श्रावस्ती से स्कूल चलो अभियान की शुरुआत करेंगे। उन्होंने गुरुवार को एक बैठक में सभी विधायकों व अधिकारियों को स्कूलों को गोद लेने के निर्देश दिए। वहीं स्कूलों की दशा सुधारने के लिए पुराने विद्यार्थियों, सीएसआर की मदद भी ली जाएगी। अगले पांच साल में एक करोड़ नए छात्रों के पंजीकरण का लक्ष्य रखा गया है।

स्कूल चलो अभियान में कम साक्षरता वाले जिलों पर फोकस रहेगा। वहां के स्कूलों के लिए अभियान में अलग रणनीति तय की जाएगी। श्रावस्ती की साक्षरता दर प्रदेश में सबसे कम है। इसके बाद बहराइच, बलरामपुर, बदायूं और रामपुर हैं। मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सभी 1.58 लाख प्राइमरी स्कूलों को स्मार्ट सुविधाओं से लैस करने के निर्देश भी दिए। स्कूल चलो अभियान में शिक्षक घर-घर जाकर  बच्चों को स्कूल आने के लिए प्रेरित करेंगे। इस अभियान से सभी जनप्रतिनिधियों व स्थानीय लोगों को भी जोड़ा जाएगा। 

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि ऑपरेशन कायाकल्प से बेसिक शिक्षा परिषद के सभी 1.58 लाख स्कूलों में सुविधाएं दी जाएं।  इसके लिए निजी संस्थाओं, स्कूल के पुराने विद्यार्थियों को अभियान चलाकर जोड़ा जाए। स्कूलों के कायाकल्प के लिए सीएसआर (कारपोरेट सोशल रिपांस्बिलिटी) की मदद ली जाए। स्कूलों में पेयजल, टॉयलेट, स्मार्ट क्लास और फर्नीचर की व्यवस्था सुनिश्चित करें। इसके साथ ही बच्चों की यूनिफॉर्म और जूते मोजे की व्यवस्था हो। 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से स्कूलों में छात्रसंख्या बढ़ी है। वर्ष 2016-17 में जहां सरकारी स्कूलों में 1.56 करोड़ विद्यार्थी पंजीकृत थे, वहीं अब ये संख्या बढ़ कर 1.70 करोड़ हो चुकी है। वहीं सरकार यूनिफार्म समेत कई सुविधाएं सहायताप्राप्त स्कूलों में भी देती है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि शिक्षकों की तैनाती से लेकर बुनियादी सुविधाओं का समयबद्ध अभियान चलाया जाए। हर बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में शिक्षकों की तैनाती हो। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ संभवता पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो स्कूल चलो अभियान की शुरुआत करते आए हैं। वर्ष 2017 में लखनऊ तो 2018 में सिद्धार्थनगर से बड़े उत्सव के रूप में अभियान शुरू किया गया।



यूपी : सीएम ने कहा, एक भी बच्चा स्कूल से वंचित न रहे, परिषदीय स्कूलों में चलेगा स्कूल चलो अभियान


🔵 बड़े स्तर पर चलेगा ‘स्कूल चलो अभियान’


नए शैक्षिक सत्र की शुरुआत में सरकार ‘स्कूल चलो अभियान’ भी बड़े स्तर पर चलाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना के कारण पिछले दो शैक्षिक सत्र प्रभावित रहे हैं। भौतिक पठन-पाठन नहीं हो सका। अत: आगामी सत्र की शुरुआत से पहले ‘स्कूल चलो अभियान’ को वृहद स्वरूप दिया जाना आवश्यक है। विभागीय मंत्री के परामर्श से अभियान के संबंध में विस्तृत कार्ययोजना तैयार कर ली जाए। एक भी बच्चा स्कूल से वंचित न रहे। साथ ही सुनिश्चित किया जाए कि बच्चे निर्धारित यूनिफार्म में ही स्कूल आएं।



मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को शासन की उच्च स्तरीय बैठक में विभागीय मंत्री संदीप सिंह और अधिकारियों से विचार कर अभियान को क्रियान्वित करने के निर्देश दिए हैं। 


प्रदेश में 4 से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में ‘स्कूल चलो अभियान’ शुरू होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को शासन की उच्च स्तरीय बैठक में विभागीय मंत्री संदीप सिंह और अधिकारियों से विचार कर अभियान को क्रियान्वित करने के निर्देश दिए हैं। 



कोरोना संक्रमण के चलते बीते दो वर्ष से स्कूलों में भौतिक पठन-पाठन प्रभावित रहा है। परिषदीय स्कूलों में एक अप्रैल से शैक्षिक सत्र 2022-23 शुरू हो रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चों व अभिभावकों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए स्कूल चलो अभियान शुरू किया जाए। शासन ने परिषदीय विद्यालयों को स्कूल यूनिफार्म, जूता-मोजा, स्वेटर, स्कूल बैग की राशि उनके अभिभावकों के बैंक खाते में भेजना प्रारंभ कर दिया है। बीते सत्र में अभिभावकों के खाते में भेजी गई राशि के अच्छे परिणाम सामने आए है। मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षक यह ध्यान रखें कि विद्यार्थी यूनिफार्म में ही स्कूल आएं।

स्कूली शिक्षा में एकरूपता लाने के लिए केन्द्र सरकार का अहम कदम, पहली कक्षा में दाखिले की न्यूनतम उम्र होगी छह साल, राज्यों में भी लागू कराने की तैयारी

स्कूली शिक्षा में एकरूपता लाने के लिए केन्द्र सरकार का अहम कदम, पहली कक्षा में दाखिले की न्यूनतम उम्र होगी छह साल, राज्यों में भी लागू कराने की तैयारी



स्कूली शिक्षा में एकरूपता लाने को लेकर सरकार ने एक और अहम कदम उठाया है। देशभर के स्कूलों में पहली कक्षा में दाखिले की न्यूनतम उम्र छह साल होगी। केंद्रीय विद्यालयों में इसे लागू करने के बाद शिक्षा मंत्रालय अब इसे राज्यों में भी लागू कराने की तैयारी में है।


नई दिल्ली। स्कूली शिक्षा में एकरूपता लाने को लेकर सरकार ने एक और अहम कदम उठाया है। इसके तहत देशभर के स्कूलों में पहली कक्षा में दाखिले की न्यूनतम उम्र छह साल होगी। केंद्रीय स्तर पर स्कूली शिक्षा के सबसे बड़े संगठन केंद्रीय विद्यालयों में इसे लागू करने के बाद शिक्षा मंत्रालय अब इसे राज्यों में भी लागू कराने की तैयारी में है। सभी राज्यों को इसे लेकर जरूरी दिशा-निर्देश दे दिए गए हैं। साथ ही कहा है कि वे इसे अगले दो से तीन साल में अमल में ला सकते हैं।


अभी 22 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में लागू है प्रवेश की यह उम्र 

शिक्षा मंत्रालय ने यह कदम नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में सिफारिश के बाद उठाया है, जिसमें स्कूली ढांचे को पूरी तरह से बदल दिया गया है। इसमें पहली कक्षा में दाखिले की उम्र की छह साल तय की गई है। हालांकि अभी भी बिहार, उत्तर प्रदेश सहित करीब 22 ऐसे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश हैं, जहां पहली कक्षा में दाखिले की न्यूनतम उम्र छह साल ही रखी गई है। वहीं गुजरात, दिल्ली और केरल जैसे करीब 14 ऐसे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश भी हैं, जहां मौजूदा समय में पहली कक्षा में दाखिले की न्यूनतम उम्र पांच साल या साढ़े पांच साल है।


केंद्रीय विद्यालयों के बाद राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में भी अमल की तैयारी

मंत्रालय का मानना है कि स्कूली शिक्षा की यह बड़ी विसंगति है जिसका खामियाजा छात्रों को एक राज्य से दूसरे राज्य में शिफ्ट होने या प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने के दौरान उठाना पड़ता है। वहीं, सभी राज्यों में पहली कक्षा में दाखिले की अलग-अलग उम्र होने से आयुवर्ग के आधार पर नामांकन के जुटाए जाने वाले ब्योरे में भी गलती बनी रहती है। इससे राज्यों और राष्ट्रीय स्तर पर शुद्ध नामांकन अनुपात भी प्रभावित होता है।


इन राज्यों में छह साल है दाखिले की उम्र

बिहार, उत्तर प्रदेश, बंगाल, त्रिपुरा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, तमिलनाडु, सिक्किम, मिजोरम, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, ओडिशा, नगालैंड, चंडीगढ़, लक्षद्वीप, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, दादरा और नगर हवेली।

Wednesday, March 30, 2022

यूपी बोर्ड : कल होगी अंग्रेजी की निरस्त परीक्षा, देखें विज्ञप्ति

यूपी बोर्ड : कल होगी अंग्रेजी की निरस्त परीक्षा, देखें विज्ञप्ति


🆕 Update @ 12 अप्रैल 2022



सख्ती : यूपी बोर्ड इंटर के अंग्रेजी का पेपर लीक मामले में 10 और गिरफ्तार,  अब तक कुल 34 गिरफ्तारियां


 यूपी बोर्ड इंटर के अंग्रेजी का परचा लीक होने के मामले में पुलिस ने शुक्रवार को मास्टमाइंड समेत दस और लोगों को गिरफ्तार कर लिया। इस प्रकरण में अब तक डीआईओएस समेत 34 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।


जांच कर रही एसटीएफ और जिला पुलिस की टीम ने सुबह भीमपुरा क्षेत्र के कलवारी निवासी आनंद चौहान उर्फ मुलायम (मास्टर माइंड), उसके भाई बृजेश, चचेरे भाई मनीष, नरहीं क्षेत्र के भरौली निवासी दो सगे भाई प्रशांत राय और विकास राय तथा सिकरिया के आजाद पांडेय उर्फ गोलू को गिरफ्तार किया।


इसके अलावा सिकंदरपुर पुलिस ने मोहल्ला मिल्की के शाहिद अंसारी व अनिल गोंड, दुबौली के अरविंद तथा पकड़ी क्षेत्र के अनूप यादव को गिरफ्त में ले लिया है। बताया जा रहा है कि अबतक नगरा पुलिस ने 21, नगर कोतवाली पुलिस ने दो तथा सिकंदरपुर पुलिस ने 11 लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस के अनुसार अंग्रेजी विषय का जो पेपर आउट हुआ, वह भीमपुरा इलाके के एक परीक्षा केंद्र का था।

फिलहाल उस स्कूल के साथ ही एक अन्य विद्यालय के प्रबंधक को हिरासत में लेकर पुलिस पूछताछ कर रही है। भीमपुरा के स्कूल के कुछ परीक्षार्थियों की कॉपी कसेसर में स्थित एक ऐसे स्कूल में लिखी जा रही थी जो परीक्षा केंद्र नहीं है।


भीमपुरा के प्रबंधक से साठगांठ कर कलवारी निवासी आनंद चौहान उर्फ मुलायम कॉपियों को अपने चचेरे भाई मनीष चौहान व बृजेश चौहान से हल कराता था। सूत्रों की मानें तो जिस विषय का पेपर एक दिन बाद होने वाला होता था, उसके कॉपी-पेपर एक दिन पहले ही मास्टर माइंड मुलायम तक पहुंच जाते थे। पुलिस के अनुसार बुधवार दोपहर दो बजे से होने वाले अंग्रेजी विषय का प्रश्न पत्र भी एक दिन पहले यानी मंगलवार रात को ही मुलायम तक पहुंच गया था।


मोबाइल पर भेजा गया था पर्चा

अंग्रेजी के पेपर को भीमपुरा निवासी आजाद पांडेय उर्फ गोलू के मोबाइल पर भेज दिया गया था। इसके बाद प्रश्न पत्र विकास, राकेश, सुनील, जनार्दन, बृजभान, वरुण, मनोज, दिग्विजय, अजीत से होते हुए जिला विद्यालय निरीक्षक ब्रजेश मिश्र तक पहुंचा था।


पेपर लीक प्रकरण में तीन थाना क्षेत्रों सिकंदरपुर, नगरा व कोतवाली में मुकदमे पंजीकृत हुए हैं। अब तक 34 लोगों की गिरफ्तारी की जा चुकी है। विवेचना जारी है। - राज करन नय्यर, पुलिस अधीक्षक




यूपी बोर्ड पेपर लीक मामले में पांच और पर मुकदमा, अब तक 22 लोग गिरफ्तार


बलिया। यूपी बोर्ड परीक्षा के अंग्रेजी विषय के प्रश्न पत्र लीक किए जाने के मामले में स्पेशल टास्क फोर्स और बलिया पुलिस का शिकंजा कसता जा रहा है। ताबड़तोड़ गिरफ्तारियां की जा रही है। गुरुवार को पांच और आरोपितों के नाम जुड़ गए। बुधवार की शाम तक कुल 17 गुरुवार सुबह तक 22 लोग गिरफ्तार हो चुके थे। गुरुवार को पांच लोगों को हिरासत में लिया गया है। इनके खिलाफ उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा अधिनियम 1998 और धारा 66 बी आइटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। इस तरह हाईप्रोफाइल प्रकरण में कुल 22 लोगों पर शिकंजा कस गया है। मामले में डीआइओएस डा. ब्रजेश मिश्र व पत्रकार जेल भेजे जा चुके हैं। जबकि कई और लोगों के खिलाफ कार्रवाई तेज हो गई है।



दो दिन पहले वायरल हो गया था पेपर : जिस अंग्रेजी विषय के वायरल पेपर को लेकर डीआइओएस विभाग कठघरे में खड़ा है, दरअसल वह मंगलवार को ही इंटरनेट मीडिया पर सुर्खियां बटोर रहा था। मामले में कई और जिम्मेदारों की तलाश चल रही है। प्रकरण में पुलिस ने अलग-अलग थाना क्षेत्रों में कार्रवाई चल रही है। बलिया शहर, सिकंदरपुर और नगरा थाने में गिरफ्तार किए गए आरोपितों में तीन पत्रकार हैं। इसके अलावा कई लोग शिक्षण संस्थान से ताल्ल्कु रखते हैं। मामला मंगलवार को वायरल हुआ था। प्रशासन को इस मामले की भनक बुधवार को लगी। दोपहर में अचानक अंग्रेजी विषय की परीक्षा निरस्त करने के आदेश हुए और पुलिस ने गिरफ्तारियां शुरू कीं।


बुधवार को इनकी हुई थी गिरफ्तारी : शहर कोतवाली पुलिस ने डीआइओएस डा. ब्रजेश मिश्र व अजीत ओझा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इसी तरह नगरा पुलिस ने बृजभान यादव, जय प्रकाश यादव, जनार्दन यादव, सुनील कुमार, राकेश यादव, अनमोल, अनूप चौहान, अभिषेक यादव, दिग्विजय सिंह व मनोज गुप्ता को हिरासत में लिया जबकि सिकंदरपुर से शुभेन्द्र यादव, अहमद रजा, ओम प्रकाश वर्मा, सुधीर कुमार यादव व सुजीत वर्मा की गिरफ्तारी हुई थी।


नगरा थाना में इन पांच नए लोगों पर मुकदमा


वरूण सिंह पुत्र राजेन्द्र प्रसाद सिंह निवासी मालीपुर थाना उभांव
जय प्रकाश पांडेय पुत्र अवध बिहारी निवासी देवरिया परसिया थाना नगरा
अमित यादव पुत्र हंशनाथ निवासी लौहरईया थाना नगरा
विशाल यादव पुत्र राम प्रवेश निवासी लौहरईया थाना नगरा
रजनीकांत यादव पुत्र विजयशंकर निवासी नसीराबाद थाना कमरूद्दीनपुर, गाजीपुर





यूपी बोर्ड : 12वीं अंग्रेजी पेपर लीक केस में बलिया DIOS और पत्रकार समेत 17 गिरफ्तार, शासन की सख्ती - दोषियों पर लगेगा रासुका


उत्तर प्रदेश में नकल कराने के लिए कुख्यात रहे बलिया जिले ने यूपी बोर्ड की परीक्षाओं को फिर कलंकित कर दिया। बुधवार अपरान्ह दो बजे से होने वाला इंटरमीडिएट अंग्रेजी का प्रश्नपत्र परीक्षा से पहले ही इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो गया। जांच में वायरल प्रश्नपत्र सही मिलने पर 24 जिलों की इंटर की अंग्रेजी की परीक्षा निरस्त कर दी गई।


यूपी बोर्ड 12वीं अंग्रेजी पेपर लीक केस में बलिया के जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआइओएस) बृजेश कुमार मिश्र को निलंबित करके गिरफ्तार कर लिया गया है। सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर एसटीएफ ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है। बलिया पुलिस ने देर रात तक इस प्रकरण में डीआइओएस व एक स्थानीय पत्रकार समेत 17 लोगों को गिरफ्तार किया था। डीआइओएस और पत्रकार को जेल भेज दिया गया था जिन्हें रिमांड पर लेकर एसटीएफ पूछताछ कर रही थी।

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा 24 मार्च से चल रही हैं। नकल पर अंकुश लगाने के लिए शासन और माध्यमिक शिक्षा विभाग ने बड़े पैमाने पर इंतजाम भी किए लेकिन, परीक्षा शुरू होने के छठे दिन ही इंटर अंग्रेजी का प्रश्नपत्र इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो गया।

अफसरों के अनुसार बुधवार सुबह करीब दस बजे बलिया के जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक को द्वितीय पाली में होने वाले इंटर अंग्रेजी विषय सीरीज 316 ईडी व 316 ईआइ के प्रश्नपत्र मिले। उन्होंने शासन को अवगत कराकर वायरल प्रश्नपत्र जांच के लिए यूपी बोर्ड मुख्यालय पर भेजा। प्रश्नपत्रों के मिलान में वायरल पेपर सही निकले।

अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा आराधना शुक्ला ने बताया कि इंटर अंग्रेजी के उक्त दोनों सीरीज के प्रश्नपत्रों से बलिया सहित 24 जिलों में दो बजे से इम्तिहान होना था। परीक्षा शुरू होने से करीब एक घंटे पहले ही इन जिलों के सभी परीक्षा केंद्रों की इंटर अंग्रेजी की परीक्षा निरस्त कर दी गई। शेष 51 जिलों में विधिवत परीक्षा कराई गई।

अपर मुख्य सचिव शुक्ला ने बताया कि मुख्यमंत्री ने इस घटना को गंभीरता से लिया है। बलिया के जिला विद्यालय निरीक्षक बृजेश कुमार मिश्र को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। एसटीएफ को प्रकरण की जांच के आदेश दिए गए हैं। इसमें जो भी दोषी पाया जाएगा उसके विरुद्ध रासुका तक की कार्रवाई होगी।

उधर, बलिया पुलिस ने बताया कि इस मामले में डीआइओएस ब्रजेश मिश्र के साथ ही एक स्थानीय पत्रकार अजीत कुमार ओझा व 15 अन्य लोगों को अलग-अलग थानों से गिरफ्तार किया गया है।

अपर मुख्य सचिव ने बताया कि यह भी निर्देश हैं कि किसी भी परीक्षार्थी को परेशानी का सामना न करना पड़े, सभी से अपील की गई है कि वे संयम बनाए रखें। सभी 24 जिलों में अंग्रेजी की परीक्षा देने बड़ी संख्या में परीक्षार्थी पहुंच गए थे। कुछ देर बाद उन्हें निराश होकर लौटना पड़ा।

इन जिलों की परीक्षा निरस्त : बलिया, एटा, बागपत, बदायूं, सीतापुर, कानपुर देहात, ललितपुर, चित्रकूट, प्रतापगढ़, गोंडा, आजमगढ़, आगरा, वाराणसी, मैनपुरी, मथुरा, अलीगढ़, गाजियाबाद, शामली, शाहजहांपुर, उन्नाव, जालौन, महोबा, आंबेडकरनगर व गोरखपुर।


हेल्पलाइन नंबर भी जारी : अपर मुख्य सचिव ने बताया कि निरस्त की गई परीक्षा के संबंध में परीक्षार्थियों में किसी प्रकार की जिज्ञासा हो तो विभाग की ओर से जारी हेल्पलाइन नंबर का उपयोग करें, जहां उनकी समस्या का समाधान किया जाएगा।



वाट्सएप नंबर - 8840850347
हेल्पलाइन नंबर - प्रयागराज - 18001805310, 18001805312
लखनऊ - 18001806607, 18001806608
फैक्स नंबर - 0522 2237607

आपात बैठक में सख्त कार्रवाई का निर्णय : माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी बुधवार को माध्यमिक शिक्षा निदेशालय पहुंची। वहां राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम का निरीक्षण करने के बाद पेपर लीक प्रकरण पर अफसरों के साथ आपात बैठक की। नवनियुक्त मंत्री ने कहा कि जांच के बाद पेपर लीक कराने वालों पर कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि इमरजेंसी मीटिंग की गई है, दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।



यूपी बोर्ड इंग्लिश पेपर लीक मामले से जुड़ी बड़ी खबर,  निरस्त हुआ पेपर की परीक्षा 13 अप्रैल को, दोषियों पर सख्त कार्यवाही की तैयारी, बलिया DIOS निलंबित


➡ प्रदेश के 24 जिलों में रद्द हुआ था पेपर।

➡ पेपर लीक मामले पर सीएम ने बुलाई मीटिंग

➡ पेपर लीक मामले में सीएम लेंगे कड़ा फैसला 

➡ माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी का बयान

➡ दोषियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई होगी-गुलाब देवी।

➡ वाराणसी की STF यूनिट जांच के लिए बलिया निकली

➡ बलिया जिले के DIOS को सस्पेंड किया गया

➡ दोषियों पर सीएम ने NSA लगाने के निर्देश दिए

➡ ACS गृह ने 24 जिलों के DM-SP से रिपोर्ट मांगी

➡ एसटीएफ ने कई लोगों को हिरासत में लिया-सूत्र

➡ बलिया DIOS को हिरासत में लिया गया




UP Board 12th Paper Leak : यूपी बोर्ड 12वीं का अंग्रेजी का पेपर हुआ लीक, 24 जिलों में परीक्षा स्थगित

UP Board 12th English Paper Leak Latest hindi news : यूपी बोर्ड परीक्षा में आज दूसरी पाली में 12वीं का अंग्रेजी का पेपर होना था। बल‍िया और देवर‍िया में पेपर लीक होने के बाद 24 ज‍िलों में आज दूसरी पाली में होने वाली अंंग्रेजी की परीक्षा स्‍थगित कर दी गई है।


लखनऊ : उत्तर प्रदेश बोर्ड की परीक्षा में पेपर लीक का मामला सामने आया है। बुधवार को दोपहर दो बजे से इंटरमीडिएट की अंग्रेजी विषय की परीक्षा होनी थी। इससे पहले ही पेपर लीक होने की वजह से प्रदेश के 24 जिलों में परीक्षा रद्द कर दी गई है। सच‍िव आराधना शुक्‍ला ने अंग्रेजी का प्रश्‍न पत्र लीक होने की जानकारी दी।

उत्‍तर प्रदेश के बल‍िया और देवर‍िया में बुधवार को दूसरी पाली में इंटरमीड‍िएट की बोर्ड परीक्षा में अंग्रेजी का पेपर लीक होने के बाद 24 ज‍िलों में परीक्षा स्थगित कर दी गई है। इन 24 ज‍िलों को छोड़कर अन्‍य ज‍िलों में अंग्रेजी की परीक्षा होगी। बता दें क‍ि प्रश्‍न पत्र लीक होने के बाद 316 EH सीरीज का पेपर भी वायरल हो रहा है। 

इन ज‍िलो में परीक्षा हुई स्थगित

बल‍िया, एटा, देवर‍िया, बागपत, बदायूं, सीतापुर, कानपुर देहात, ललितपुर, चित्रकूट, प्रतापगढ़, गोंडा, आजमगढ़, आगरा, वाराणसी, मैनपुरी, मथुरा, अलीगढ़, गाज‍ियाबाद, शामली, शाहजहांपुर, उन्‍नाव, जालौन, महोबा, अम्‍बेडकर नगर, गोरखपुर ज‍िले में परीक्षा स्‍थगित कर दी गई है। यहां यूपी बोर्ड की ओर से परीक्षा की नई तारीख जारी की जाएगी।

यूपी बोर्ड पेपर लीक में बड़ी कार्रवाई, बलिया के DIOS के खिलाफ भी केस, पुलिस ने हिरासत में लिया

बलिया में यूपी बोर्ड इंटरमीडिएट अंग्रेजी की परीक्षा का पर्चा आउट होने के मामले में जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) ब्रजेश मिश्रा पर भी शिकंजा कस गया है।

डीआईओएस को निलंबित करने के बाद उनके खिलाफ केस भी दर्ज कर लिया गया है। पेपर लीक मामले की जांच में जुटी पुलिस ने डीआईओएस को हिरासत में भी ले लिया है। उनसे पूछताछ हो रही है। कई अन्य लोगों को भी हिरासत में लिया गया है।

पेपर आउट होने के बाद शासन ने बलिया, आजमगढ़ समेत 24 जिलों में अंग्रेजी की परीक्षा निरस्त कर दी है। पेपर लीक होने की खबर मिलते ही शासन ने डीएम से इसकी रिपोर्ट तलब की। डीएम की रिपोर्ट पर सबसे पहले डीआईओएस को सस्पेंड कर दिया गया। इसके बाद मामले की जांच एसटीएफ को सौंप दी गई। वाराणसी से एसटीएफ की टीम बलिया पहुंच गई है। 

बलिया में लगातार दो दिन में दो विषयों का पेपर आउट होने से खलबली मच गई है। मंगलवार को हाईस्कूल संस्कृत की परीक्षा का पर्चा आउट हो गया था। वहीं बुधवार को इंटर अंग्रेजी का पेपर आउट हो गया। जिले के नगरा व भीमपुरा आदि इलाकों में मंगलवार देर रात और बुधवार सुबह से ही अंग्रेजी प्रश्न पत्रों की हल कापी बाजार में मिलने लगी थी। वहीं दोपहर 12 बजे तक सोशल मीडिया पर भी पेपर वायरल होने लगे। 

संदेह के घेरे में नगरा इलाके के विद्यालय
पर्चा आउट होने के मामले में नगरा इलाके के कई विद्यालय संदेह के घेरे में आ गए हैं। बुधवार सुबह से ही डीएम और एसपी नगरा इलाके में चक्रमण करते रहे। साथ ही परीक्षा केंद्रों के आसपास के दुकानों के सीसीटीवी फुटेज भी खंगाले जा रहे हैं। मंगलवार को भी इसी इलाके से संस्कृत का पर्चा आउट होने का संदेह है।  
संस्कृत का पर्चा आउट होने के मामले में केस दर्ज
बलिया में मंगलवार को हाईस्कूल संस्कृत का पर्चा आउट हो गया था। इस मामले में देर रात पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज कर लिया। इस मामले में पुलिस कुछ स्कूल प्रबंधकों, शिक्षकों व अन्य संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है। 

मंगलवार को सुबह की पाली में 10वीं के संस्कृत विषय का इम्तिहान था। परीक्षा शुरू होने से कुछ घंटे पहले ही संस्कृत का पर्चा आउट हो गया।  डीआईओएस ब्रजेश मिश्र की तहरीर पर मंगलवार देर रात उभांव थाने में अज्ञात के खिलाफ धारा 420 आईपीसी, परीक्षा अधिनियम 1988 की धारा 5 व 10 तथा सूचना प्रद्योगिकी (संशोधन) 2008 के तहत पुलिस ने केस दर्ज कर लिया था।

सूत्रों के अनुसार पुलिस की प्रारंभिक जांच में पता चला है कि नगरा इलाके में स्थिति एक स्कूल के प्रबंधक व शिक्षकों की भूमिका संदिग्ध है। पुलिस मामले की जांच में जुटी हुई है।

इंजीनियरिंग में दाखिले के लिए पीसीएम फिर जरूरी, एआईसीटीई ने वापस लिया अपना पुराना आदेश

इंजीनियरिंग में दाखिले के लिए पीसीएम फिर जरूरी, एआईसीटीई ने वापस लिया अपना पुराना आदेश

नई दिल्ली : अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए 12वीं में भौतिकी, रसायनशास्त्र व गणित (पीसीएम) विषय अनिवार्य न होने संबंधित अपना फैसला वापस ले लिया है। अब सिर्फ तीन पाठ्यक्रमों आर्किटेक्चर, फैशन प्रौद्योगिकी और पैकेजिंग प्रौद्योगिकी के लिए पीसीएम अनिवार्य नहीं होगा। एआईसीटीई ने वर्ष 2022-23 के लिए जो अनुमोदन प्रक्रिया जारी की है, उसमें नए फैसले की जानकारी दी है। एआईसीटीई ने पिछले साल निर्णय किया था कि इंजीनियरिंग व तकनीकी पाठ्यक्रमों के लिए 12वीं में पीसीएम अनिवार्य नहीं होगा।


आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के आधार पर परिषद ने अपना फैसला बदला है। अब बीआर्क, फैशन प्रौद्योगिकी और पैकेजिंग प्रौद्योगिकी में दाखिला लेने के लिए पीसीएम के अलावा, कंप्यूटर साइंस, इलेक्ट्रॉनिक्स, आईटी, बायोलॉजी, इंफॉर्मेटिक्स प्रैक्टिसेज, बायोटेक्नोलॉजी, टेक्निकल वोकेशनल विषय, कृषि, इंजीनियरिंग ग्राफिक्स, बिजनेस स्टडीज और आंत्रप्रेन्योरशिप के छात्र भी पात्र होंगे।

दो साल और नहीं खुलेंगे नए इंजीनियरिंग कॉलेज

देश में नए इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने पर रोक दो साल और जारी रहेगी। एआईसीटीई के अध्यक्ष अनिल सहस्रबुद्धे ने बताया कि केंद्र सरकार की समिति के सुझाव के बाद कुछ अपवादों के साथ प्रतिबंध जारी रखने का फैसला किया है। वर्ष 2020 से नए इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने पर रोक है।

अपवादों में राज्य सरकार के प्रस्ताव  नए पॉलिटेक्निक पीपीपी मोड में शुरू किए जा सकते हैं। तीन साल में न्यूनतम 5000 करोड़ के सालाना टर्नओवर वाले उद्योग भी कॉलेज खोल सकेंगे।  पर उद्योग का ट्रस्ट, सोसायटी या  कंपनी कानून 2013 की धारा 8 के  तहत स्थापित कंपनी होना जरूरी है। 

25 साल से अधिक समय से  स्थापित परोपकारी संगठन भी इंजीनियरिंग कॉलेज खोल सकेंगे। न्यूनतम 10 हजार विद्यार्थियों वाले शिक्षण संस्थान व एनआईआरएफ रैकिंग 100 के भीतर होने पर भी कॉलेज खोला जा सकता है।

फतेहपुर : वार्षिक परीक्षाएं होने के बाद अब हो रहा है कापियों का मूल्यांकन, कल कैसे बंटेगा रिजल्ट नहीं मिले मुद्रित कार्ड।

फतेहपुर : वार्षिक परीक्षाएं होने के बाद अब हो रहा है कापियों का मूल्यांकन, कल कैसे बंटेगा रिजल्ट नहीं मिले मुद्रित कार्ड।


● 31 मार्च को बच्चों को बांटा जाना है रिजल्ट
● 29 मार्च तक स्कूलों में नहीं पहुंचे थे मुद्रित कार्ड


फतेहपुर :  परिषदीय स्कूलों के बच्चों को कल प्रगति रिपोर्ट का वितरण होना है लेकिन बिडंबना यह है कि अब तक मुद्रित रिजल्ट कार्ड ही स्कूलों तक नहीं पहुंचे हैं। इस स्थिति में शिक्षक कब और कैसे रिजल्ट तैयार कर बच्चों को वितरित करेंगे, यह लाख टके का सवाल है। इन दिनों बोर्ड परीक्षा में ड्यूटी के अलावा बीआरसी पर एक के बाद एक हो रहे प्रशिक्षण कार्यक्रमों से भी स्कूली व्यवस्थाएं बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं।


बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा तय की गई तिथि पर बच्चों को रिजल्ट कार्ड मिलना संभव नजर नहीं आ रहा है। 29 मार्च तक स्कूलों में मुद्रित रिजल्ट कार्ड न पहुंचने के कारण शिक्षक असमंजस में हैं। कापियों का मूल्यांकन तो कर लिया गया लेकिन रिजल्ट कार्ड कैसे तैयार किए जाएं, इस पर सवाल पूछे जा रहे हैं लेकिन जवाब देने के लिए कोई सामने नहीं आ रहा है। शिक्षकों के बीच लिखित परीक्षा के अलावा अन्य मौखिक परीक्षा के पूर्णांक व महायोग से सम्बन्धित सवाल भी हैं लेकिन इसका जवाब मुद्रित रिजल्ट देखने के बाद ही मिल सकता है। रिजल्ट कार्ड के इंतजार में शिक्षक बैठे हुए हैं।

अध्यापिकाओं की तैनाती में मनमानी, हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षा निदेशक को जवाब दाखिल करने के लिए दो हफ्ते का दिया समय

अध्यापिकाओं की तैनाती में मनमानी, हाईकोर्ट  ने बेसिक शिक्षा निदेशक को जवाब दाखिल करने के लिए दो हफ्ते का दिया समय


प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सहायक अध्यापक भर्ती में चयनित शिक्षिकाओं की तैनाती में मनमानी पर सख्त रूख अपनाया है। पीठ ने कहा कि सहायक अध्यापक भर्ती में पिछड़ा वर्ग महिला कोटे में निर्धारित क्वालिटी प्वाइंट अंक से कम अंक होने के आधार पर याची को अलीगढ़ में तैनात करने से इन्कार कर दिया तथा याची से कम अंक पाने वाली कई महिलाओं को अलीगढ़ में ही तैनाती दी गई है। 





याची को कासगंज आवंटित किया गया है। कोर्ट ने इसे प्रथम ²ष्टया गलत करार दिया है। साथ ही शिक्षा निदेशक बेसिक उत्तर प्रदेश लखनऊ डा. सर्वेंद्र विक्रम बहादुर सिंह को दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने अथवा स्वयं हाजिर होकर सफाई देने का निर्देश दिया है। प्रकरण में अगली सुनवाई 12 अप्रैल को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने अंजू सिंह की याचिका पर दिया है। 

Tuesday, March 29, 2022

CUCET : केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा से सभी बोर्ड के छात्रों को समान अवसर मिलेगा: यूजीसी अध्यक्ष जगदीश कुमार

CUCET : केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा से सभी बोर्ड के छात्रों को समान अवसर मिलेगा: यूजीसी अध्यक्ष जगदीश कुमार

UGC अध्यक्ष ने कहा, CUET साल में दो बार कराने पर विचार करेगा NTA , 11वीं कक्षा से नहीं आएगा कोई प्रश्न, खबर पढ़ें सबसे नीचे

CUCET 2022 : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष जगदीश कुमार ने मंगलवार को कहा कि साझा विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी) से न तो बोर्ड परीक्षाओं की प्रासंगिकता समाप्त होगी और ना ही इससे ''कोचिंग की संस्कृति'' को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि स्नातक पाठ्यक्रम दाखिला प्रक्रिया में राज्य बोर्ड के छात्रों को नुकसान नहीं होगा, बल्कि सभी छात्रों को इससे समान अवसर मिलेगा। कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) अगले सत्र से एक साल में दो बार सीयूईटी का आयोजन करने पर विचार करेगी। सीयूईटी का आयोजन कराने की जिम्मेदारी एनटीए की है। कुमार ने 'पीटीआई-भाषा' को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि सीयूईटी का काम केवल केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले तक ही सीमित नहीं होगा, क्योंकि कई प्रतिष्ठित निजी विश्वविद्यालयों ने संकेत दिया है कि वे स्नातक पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा के अंकों का इस्तेमाल करने के इच्छुक हैं। 


उन्होंने कहा, ''शुरुआत में इस साल सीयूईटी का एक बार आयोजन किया जाएगा, लेकिन एनटीए आगामी सत्र से साल में कम से कम दो बार परीक्षा आयोजित करने पर विचार करेगी। प्रवेश परीक्षा केवल केंद्रीय विश्वविद्यालयों तक सीमित नहीं होगी, बल्कि निजी विश्वविद्यालय भी इसका इस्तेमाल करेंगे। कई प्रतिष्ठित निजी विश्वविद्यालयों ने संकेत दिया है कि वे भी इससे जुड़ना चाहते हैं और सीयूईटी के जरिए छात्रों का दाखिला करने के इच्छुक हैं।'' कुमार ने कहा, ''टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान(टीआईएसएस) और जामिया हमदर्द सहित आठ डीम्ड-टू-बी (मानद) विश्वविद्यालयों ने भी स्नातक पाठ्यक्रम में छात्रों को प्रवेश देने के लिए सीयूईटी अंकों का उपयोग करने की इच्छा व्यक्त की है। मैंने यूजीसी से रख रखाव के लिए अनुदान प्राप्त करने वाले इन आठ मानद विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और निदेशकों के साथ कल एक बैठक की थी।'' 

बहरहाल, उन्होंने सीयूईटी को अपनाने में रुचि दिखाने वाले निजी विश्वविद्यालयों का नाम नहीं बताया। कुमार ने पिछले सप्ताह घोषणा की थी कि 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए 12वीं कक्षा के अंक नहीं, बल्कि सीयूईटी के अंकों का उपयोग अनिवार्य होगा और केंद्रीय विश्वविद्यालय अपना न्यूनतम पात्रता मापदंड तय कर सकते हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या इस परीक्षा से स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए ''कोचिंग संस्कृति'' को बढ़ावा मिलेगा, कुमार ने कहा, ''परीक्षा के लिए किसी कोचिंग की आवश्यकता नहीं होगी, इसलिए इससे कोचिंग संस्कृति को बढ़ावा मिलने का सवाल ही पैदा नहीं होता। परीक्षा पूरी तरह 12वीं के पाठ्यक्रम पर आधारित होगी। कई छात्रों को इस बात की चिंता है कि क्या परीक्षा में 11वीं कक्षा के पाठ्यक्रम के भी सवाल पूछे जाएंगे, तो इसका स्पष्ट जवाब है 'नहीं' ।'' कुमार ने कहा, ''राज्य बोर्ड के छात्रों को कोई नुकसान नहीं होगा और परीक्षा सभी बोर्ड के छात्रों को समान अवसर मुहैया कराएगी। विभिन्न आर्थिक पृष्ठभूमियों, देश के विभिन्न स्थानों से संबंध रखने वाले और क्षेत्रीय भाषाओं में परीक्षा देने वाले ग्रामीण पृष्ठभूमि के छात्रों, सभी को समान अवसर मिलेगा।'' 

उन्होंने कहा, ''विश्वविद्यालय बोर्ड परीक्षाओं का उपयोग योग्यता मानदंड के रूप में अब भी करेंगे। कुछ विश्वविद्यालय 60 प्रतिशत और कुछ विश्वविद्यालय 70 प्रतिशत की अनिवार्यता का विकल्प चुन सकते हैं, इसलिए बोर्ड परीक्षाओं के अप्रासंगिक हो जाने का सवाल पैदा नहीं होता। बहरहाल, 100 प्रतिशत अंक प्राप्त करने पर जोर देने की प्रवृत्ति निश्चित ही कम होगी। किसी छात्र के 98 प्रतिशत अंक प्राप्त करने के बाद भी किसी अच्छे कॉलेज में दाखिला नहीं मिलने के मामले इसके बाद निश्चित ही कम होंगे।'' एनटीए ने घोषणा की है कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए सीयूईटी के लिए आवेदन प्रक्रिया दो अप्रैल से शुरू होगी। एजेंसी ने कहा कि सीयूईटी देश भर के किसी भी केंद्रीय विश्वविद्यालय में प्रवेश पाने वाले छात्रों को एकल खिड़की अवसर प्रदान करेगा। उसने कहा कि सीयूईटी (यूजी) -2022 एक कंप्यूटर आधारित परीक्षा (सीबीटी) प्रारूप में आयोजित की जाएगी।


UGC अध्यक्ष ने कहा, CUET साल में दो बार कराने पर विचार करेगा NTA , 11वीं कक्षा से नहीं आएगा कोई प्रश्न

CUET : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) प्रमुख जगदीश कुमार ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) 2023 से साल में दो बार कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) आयोजित करने पर विचार करेगा। न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि राज्य बोर्ड के छात्रों को सीयूईटी से नुकसान नहीं होगा। यह प्रवेश परीक्षा सभी छात्रों को समान अवसर देगी। 

यूजीसी अध्यक्ष ने कहा कि सीयूईटी पूरी तरह से 12वीं कक्षा के पाठ्यक्रम पर आधारित होगा। 11वीं कक्षा के पाठ्यक्रम से कोई प्रश्न नहीं पूछा जाएगा। 

यूजीसी प्रमुख ने कहा कि शीर्ष निजी विश्वविद्यालयों की स्नातक पाठ्यक्रमों में छात्रों के प्रवेश के लिए सीयूईटी का उपयोग करने में दिलचस्पी है। ऐसा भी नहीं है कि इस प्रवेश परीक्षा से बोर्ड परीक्षा बिल्कुल निरर्थक हो जाएगी। इससे कोचिंग कल्चर को बढ़ावा नहीं मिलेगा।

UPTET : सरकार गठन और मंत्रियों के विभागों का बंटवारा होने के बाद अब यूपीटीईटी परिणाम पर निगाह

UPTET : सरकार गठन और मंत्रियों के विभागों का बंटवारा होने के बाद अब यूपीटीईटी परिणाम पर निगाह



प्रयागराज : उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपीटीईटी) का परिणाम प्रदेश विधानसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण तय तिथि से एक माह लटक गया। शासन की अनुमति न मिलने से परिणाम घोषित नहीं किया जा सका। अब सरकार गठित हो जाने के बाद 21,65,179 परीक्षार्थियों का ध्यान शासन की ओर है। 


परीक्षा कार्यक्रम जारी किए जाते समय 23 जनवरी को परीक्षा कराने और 25 फरवरी को परिणाम घोषित करने की तिथि निर्धारित की गई थी। जब परीक्षा कार्यक्रम घोषित किया गया, तब विधानसभा चुनाव की घोषणा नहीं हुई थी। इसके बाद निर्वाचन आयोग ने विधानसभा चुनाव की घोषणा कर दी। 


आचार संहिता लागू हो जाने के बावजूद तय तिथि 23 जनवरी को परीक्षा कराई गई। ऐसे में उम्मीद की जा रही थी पात्रता परीक्षा होने के कारण परिणाम जारी किए जाने में अड़चन नहीं आएगी। मूल्यांकन कार्य कराए जाने के साथ उत्तर प्रदेश परीक्षा नियामक प्राधिकारी (पीएनपी) सचिव ने शासन को प्रस्ताव भेजकर परीक्षा कार्यक्रम के मुताबिक 25 फरवरी को परिणाम जारी करने की अनुमति मांगी। इस पर शासन ने विशेषज्ञ समिति से परामर्श लेने के बाद परिणाम जारी करने पर रोक लगा दी। अब प्रदेश में नई सरकार गठित हो गई है।


 ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि शपथ ले चुके मंत्रियों के विभागों का बंटवारा होने के बाद परिणाम जारी किया जा सकेगा। पीएनपी सचिव अनिल भूषण चतुर्वेदी ने बताया कि परिणाम घोषित करने के संबंध में अभी शासन से कोई निर्देश नहीं मिले हैं। शासन से अनुमति मिलते ही परिणाम घोषित कर दिया जाएगा।

कोविड में माता-पिता को खोने वाले बच्चों के सुरक्षित हों संपत्ति के अधिकार, बच्चों की पढ़ाई और स्कूल जाना सुनिश्चित होने के बारे में भी होगी सुनवाई

कोविड में माता-पिता को खोने वाले बच्चों के सुरक्षित हों संपत्ति के अधिकार, बच्चों की पढ़ाई और स्कूल जाना सुनिश्चित होने के बारे में भी होगी सुनवाई



राष्ट्रीय बाल आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि कोविड महामारी में माता-पिता खोने वाले बच्चों की संपत्तियों पर देनदारियों का निवारण किया जाए और संपत्ति पर उनके अधिकार सुरक्षित किए जाएं। बाल आयोग ने यह बात सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कही है। सुनवाई के दौरान न्यायमित्र ने भी अपने दाखिल नोट में बाल आयोग की ओर से उठाए गए इस मुद्दे को उद्धत करते हुए कोर्ट से उचित आदेश देने की संस्तुति की। 


कोर्ट इस मामले पर चार अप्रैल को विचार करेगा। इन बच्चों की पढ़ाई और स्कूल जाना सुनिश्चित होने के बारे में भी उसी दिन सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट कोविड में माता-पिता खोने वाले बच्चों के पुनर्वास और शिक्षा आदि पर सुनवाई कर रहा है।


 इस बारे में कोर्ट ने सभी राज्यों को निर्देश दिया था कि वे ऐसे बच्चों की पहचान कर उनका ब्योरा राष्ट्रीय बाल आयोग के पोर्टल बाल स्वराज पर डालें। इसके अलावा कोर्ट स्ट्रीट चिल्ड्रन के पुर्नवास के मुद्दे पर भी सुनवाई कर रहा है। 


सोमवार को मामला जस्टिस एल. नागेश्वर राव और बीआर गवई की पीठ के समक्ष लगा था। न्यायमित्र गौरव अग्रवाल ने कोर्ट में दाखिल अपने नोट में बाल आयोग के हलफनामे में कोविड में अनाथ हुए बच्चों की संपत्ति के बारे में जताई गई चिंता का मुद्दा उठाया। 



साथ ही ऐसे बच्चों की पढ़ाई का मुद्दा उठाते हुए कहा कि अब स्कूल खुल गए हैं, कोर्ट राज्यों को निर्देश दे कि वे इस बात की जांच करें कि ऐसे सभी बच्चे स्कूल जा रहे हैं या नहीं। कोर्ट ने कहा कि मामला महत्वपूर्ण है और वह इस पर अगले सोमवार को विचार करेगा। साथ ही कोर्ट को बताया गया कि बाल आयोग की स्ट्रीट चिल्ड्रन के पुनर्वास की नीति पर छत्तीसगढ़ को छोड़कर किसी भी राज्य ने जवाब नहीं दिया है। कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। बाल आयोग ने दाखिल हलफनामे में कहा है कि ऐसे बच्चों की संपत्तियों का पूरा ब्योरा बाल स्वराज पोर्टल पर अपलोड किया जाना चाहिए। जिसमें संपत्तियों पर लिया गया कर्ज, बीमा आदि सभी तरह का ब्योरा होना चाहिए। डीएम और जिला कलेक्टर ऐसे बच्चों की संपत्तियों की वित्तीय देनदारियों, संपत्ति के बंधक होने या बीमा प्रीमियम आदि पर ध्यान दें।


’कहा, ऐसे बच्चों की संपत्तियों पर देनदारियों का किया जाए निवारण ’शीर्ष कोर्ट दोनों ही मुद्दों पर चार अप्रैल को करेगा विचार

IGNOU : बीएड पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए आवेदन 17 अप्रैल तक, विश्वविद्यालय ने जारी किए निर्देश

IGNOU :  बीएड पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए आवेदन 17 अप्रैल तक, विश्वविद्यालय ने जारी किए निर्देश


लखनऊ। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) ने शैक्षिक सत्र 2022-23 में बीएड पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए आनलाइन आवेदन का कार्यक्रम वेबसाइट www.ignou.ac.in सोमवार को जारी कर दिया। आनलाइन आवेदन 17 अप्रैल तक भरे जा सकेंगे। इसमें स्नातक या परास्नातक में 50 फीसद अंक वाले अभ्यर्थी आवेदन कर सकते हैं। इंजीनियरिंग में स्नातक डिग्री वाले अभ्यर्थियों के लिए कम से कम 55 फीसद अंक होना जरूरी है।


इग्नू क्षेत्रीय केंद्र लखनऊ की वरिष्ठ निदेशिका डा. मनोरमा सिंह ने बताया कि वे शिक्षक जिन्होंने रेगुलर मोड से एनसीटीई द्वारा मान्यता प्राप्त डिप्लोमा प्रारंभिक अध्यापिक शिक्षा में किया है तथा स्नातक व परास्नताक न्यूनतम 50 फीसद अंकों के साथ उत्तीर्ण किया हो, वह भी आवेदन कर सकते हैं।


आरक्षित श्रेणी के विद्यार्थियों को न्यूनतम प्रतिशत में पांच फीसद अंकों की छूट रहेगी। उन्होंने बताया कि सभी बीएड पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए इच्छुक अभ्यर्थी इग्नू की वेबसाइट के माध्यम से आवेदन सकते हैं। बीएड प्रवेश परीक्षा के लिए 1000 रुपए शुल्क देना होगा। फीस का भुगतान क्रेडिट कार्ड या नेट बैंकिंग के माध्यम से किया जा सकता है। प्रवेश परीक्षा 24 अप्रैल को कराने की तैयारी है। जल्द ही विस्तृत कार्यक्रम शेड्यूल वेबसाइट पर जारी कर दिया जाएगा।


प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए हल करें प्रश्न पत्र : सहायक क्षेत्रीय निदेशक डा. रीना कुमारी ने बताया कि क्षेत्रीय केंद्र लखनऊ के अंतर्गत बीएड कार्यक्रम श्री जय नारायण मिश्र पीजी कालेज में संचालित है। अभ्यर्थी इग्नू बीएड प्रवेश परीक्षा का पैटर्न जानने के लिए वेबसाइट पर जाकर पूर्व वर्षों के प्रश्न पत्र हल करें। यह प्रश्न पत्र वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं। इससे प्रश्न पत्र का पैटर्न समझ में आ जाएगा और तैयारी करने में मदद मिलेगी।


बीएससी नर्सिंग में भी 17 तक आवेदन : इग्नू ने बीएससी नर्सिंग (पोस्ट बेसिक) जनवरी-2022 में आवेदन के लिए 17 अप्रैल तक तय की है। अभ्यर्थी वेबसाइट के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। इसकी प्रवेश परीक्षा जल्‍द ही आयोजित की जाएगी।

Monday, March 28, 2022

UGC की सख्ती : उच्च संस्थानों में मनमाना कोर्स नहीं, अलग नामों और अलग अवधि से संचालित कोर्स होंगे अमान्य

UGC की सख्ती : उच्च संस्थानों में मनमाना कोर्स नहीं, अलग नामों और अलग अवधि से संचालित कोर्स होंगे अमान्य


अलग नामों और अलग अवधि से संचालित कोर्स होंगे अमान्य


किसी भी कोर्स को शुरू करने से पूर्व उसे अधिसूचित करता है यूजीसी


नई दिल्ली: स्नातक कक्षाओं के लिए प्रवेश प्रक्रिया शुरू होने से पहले विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने उच्च शिक्षण संस्थानों को सख्त चेतावनी दी है। यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों से कहा है कि अपने डिग्री और कोर्सों की नए सिरे से समीक्षा करें और यह सुनिश्चित करें उनकी डिग्रियां और उनके नाम यूजीसी की अधिसूचना के मुताबिक ही हों। यदि ऐसा नहीं है तो वे तुरंत इसे ठीक करें अन्यथा ऐसी डिग्री और कोर्स अमान्य होंगे।


विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने यह चेतावनी इसलिए जारी की है, क्योंकि एक ही डिग्री या कोर्स को देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों व संस्थानों में अलग-अलग नामों से संचालित किया जा रहा है। इन कोर्सों की अवधि भी यूजीसी की ओर से निर्धारित अवधि से अलग रखी गई है। यूजीसी के मुताबिक किसी भी डिग्री या कोर्स को शुरू करने से पहले उसकी तरफ से उसे अधिसूचित किया जाता है। इस दौरान डिग्री या कोर्स का नाम, उसकी अवधि, उनमें प्रवेश पाने के लिए निर्धारित योग्यता आदि निर्धारित की जाती है।


यूजीसी ने संस्थानों के प्रमुखों को लिखा पत्र: यूजीसी ने सभी उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रमुखों को इस संबंध में लिखे पत्र में कहा है कि वह अधिसूचित कोर्सों के नामों और अवधि का ध्यान रखें। सतर्क रहें। जहां भी गड़बड़ी है, उसे यूजीसी की अधिसूचना के मुताबिक तुरंत ठीक करें।


एमसीए का कोर्स अब भी कई जगह तीन साल का: यूजीसी के मुताबिक एमसीए (मास्टर आफ कंप्यूटर एप्लीकेशन) कोर्स की अवधि में पिछले दिनों ही बदलाव किया गया है। इसे अब तीन साल की जगह दो साल कर दिया गया है, लेकिन अब भी कुछ संस्थान इस अवधि को तीन साल ही रखे हुए हैं। इसी तरह फैशन टेक्नोलाजी से जुड़े अंडर ग्रेजुएट और पीजी कोर्सो के साथ मेडिकल से जुड़े कोर्सों को भी नए सिरे से अधिसूचित किया गया है, लेकिन कई संस्थानों में उन्हें अब भी पुराने स्वरूप में रखा गया है।


छात्रों को हो सकता है नुकसान

यूजीसी से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक अलग-अलग नामों और अवधि से संचालित होने वाले इन कोर्सों से छात्रों को नुकसान हो सकता है। इनके नामों में भिन्नता होने से नौकरी या फिर किसी दूसरे संस्थान में दाखिले के दौरान दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। यूजीसी ने विश्वविद्यालयों के लिए डिग्री व कोर्स को लेकर जारी की गई अधिसूचना का लिंक भी जारी किया।

अटल आवासीय विद्यालयों में सृजित होंगे 1026 पद, नवोदय विद्यालय समिति से शिक्षक भर्ती कराने की तैयारी

अटल आवासीय विद्यालयों में सृजित होंगे 1026 पद, नवोदय विद्यालय समिति से शिक्षक भर्ती कराने की तैयारी



लखनऊ। प्रदेश में मंडल स्तर पर संचालित होने वाले अटल आवासीय विद्यालयों की मानक संचालन प्रक्रिया पर सहमति बन गई है। इन विद्यालयों में शिक्षक व शिक्षेणेत्तर कर्मियों के 1026 पद सृजित होंगे। इनमें 288 पद प्रवक्ता (पीजीटी) और 486 पद सहायक अध्यापक (टीजीटी) के शामिल हैं। 


ये विद्यालय केंद्र सरकार के नवोदय विद्यालय की तर्ज पर संचालित करने की योजना है। ऐसे में इन विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता के लिए सभी भर्तियां नवोदय विद्यालय समिति से कराने पर सहमति बनी है।


प्रदेश सरकार ने प्रत्येक मंडल में एक अटल आवासीय विद्यालय स्थापित करने का एलान किया है। इनमें पंजीकृत निर्माण श्रमिकों के बच्चे व अनाथ बच्चे पढ़ेंगे। प्रत्येक विद्यालय की क्षमता 1000 विद्यार्थियों की होगी। इन विद्यालयों का निर्माण तेजी से चल रहा है, जिनके अगस्त-सितंबर तक बनकर तैयार होने की संभावना है। 


इन विद्यालयों के तैयार होते ही संचालन के लिए मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र की अध्यक्षता में मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) पर विस्तृत चर्चा हुई। शासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मुख्य सचिव ने प्रत्येक विद्यालय में कार्मिकों की आवश्यक संख्या, प्रधानाचार्य शिक्षक व शिक्षणेत्तर कर्मियों के चयन तथा शिक्षकों व स्टाफ प्रशिक्षण आदि के संबंधित प्रस्तावों पर आवश्यक निर्देश के साथ सहमति दे दी है।

राहत : मेडिकल कोर्स के बीच फीस बढ़ोतरी नहीं, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग का अहम फैसला, नए सत्र से लागू होगा

राहत : मेडिकल कोर्स के बीच फीस बढ़ोतरी नहीं, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग का अहम फैसला, नए सत्र से लागू होगा


नई दिल्ली : मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्रों के लिए राहत भरी खबर है। सरकार ने मेडिकल कोर्स के बीच में फीस बढ़ाने पर रोक लगाने का फैसला किया है। यानी जिस फीस पर छात्र ने दाखिला लिया है, कोर्स के पूरा होने तक वही फीस लागू रहेगी। अगले सत्र से सभी कॉलेजों के लिए इन्हें लागू करना अनिवार्य कर दिया गया है। अभी तक मेडिकल कॉलेज बीच सत्र में फीस बढ़ा देते थे जिससे पढ़ाई कर रहे छात्रों को मुश्किल होती थी।



राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने हाल में फीस नियमन को लेकर जारी नियमों में कई नए प्रावधान जोड़े हैं। इसमें यह बात भी जोड़ी गई है कि मेडिकल कॉलेज कोर्स के बीच में छात्रों की फीस नहीं बढ़ाएंगे।


पहले वर्ष में दाखिला लेने वालों के लिए ही बढ़ी फीस :मेडिकल कॉलेजों से कहा गया है कि वह उपभोक्ता सूचकांक के आधार पर साल में एक बार या तीन साल में एक बार पांच फीसदी तक ही फीस बढ़ा सकते हैं। लेकिन यह बढ़ोतरी नए प्रवेश लेने वाले छात्रों के लिए होगी। यानी उस वर्ष जो छात्र पहले वर्ष में प्रवेश लेंगे, उन्हें बढ़ी हुई फीस देनी होगी लेकिन पहले से पढ़ रहे छात्रों के लिए पुरानी फीस ही लागू रहेगी। आदेश में कहा गया है कि फीस का निर्धारण वास्तविक लागत के आधार पर बिना किसी लाभ या हानि के किया जाना चाहिए।


मनमानी पर लगाम : देश में 595 मेडिकल कॉलेज हैं जिनमें से तकरीबन आधे निजी क्षेत्र के हैं। इनमें फीस को लेकर मनमानी बढ़ोतरी की जाती है और उसे अनुचित तरीके से लागू किया जाता है।


इसे देखते हुए सरकार ने व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। सरकार के इस फैसले से हजारों छात्रों को राहत मिलने की उम्मीद है। मेडिकल छात्र इस संबंध में पिछले काफी समय से मांग उठा रहे थे।

UP Scholarship : इस बार ओबीसी में सात लाख व एस.सी. में पांच लाख बढ़े लाभार्थी

UP Scholarship : इस बार ओबीसी में सात लाख व एस.सी. में पांच लाख बढ़े लाभार्थी

UP Scholarship : उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा शैक्षिक सत्र 2021-22 में समाज कल्याण और अल्पसंख्यक कल्याण निदेशालय द्वारा गरीब व जरूरतमंद छात्र-छात्राओं के लिए चलाई जा रही छात्रवृत्ति व फीस भरपाई की योजना में बड़ी तादाद में लाभार्थी बढ़े हैं।


समाज कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक पी.के.त्रिपाठी ने बताया कि इस शैक्षिक सत्र में कक्षा दस से ऊपर की कक्षाओं और व्यासायिक पाठ्यक्रमों में अध्ययनरत पिछड़े वर्ग के 20 लाख , अनुसूचित जाति के करीब 12 लाख छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति और फीस भरपाई की सुविधा दी गयी जबकि सामान्य वर्ग के करीब पौने छह लाख छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति व फीस भरपाई दी गयी।

पिछले शैक्षिक सत्र में अनुसूचित जाति के करीब सात लाख और सामान्य वर्ग के तीन लाख छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति व फीस भरपाई दी गयी है। उन्होंने बताया कि अनुसूचित जाति के छात्र-छात्राओं के आवेदनों पर स्वीकृत कुल छात्रवृत्ति व फीस भरपाई की राशि का चालीस प्रतिशत प्रदेश सरकार द्वारा उपलब्ध करवाये गये बजट से आवेदकों के बैक खातों में सीधे भेजी जा रही है जबकि शेष साठ प्रतिशत राशि के बात ऐसे सभी लाभार्थी छात्र-छात्राओं का ब्यौरा केन्द्र सरकार को भेजा जा रहा है और वहां से भी धनराशि लाभार्थी के बैंक खातों में आ रही है।

उन्होंने बताया कि इस बार केन्द्र सरकार के निर्देश पर सिंगल नोडल एकाउंट खोला गया है इसका लाभ यह होगा कि अगर किसी लाभार्थी छात्र-छात्रा का ट्रांजेक्शन फेल हो जाएग तो उसकी छात्रवृत्ति व फीस भरपाई की राशि वापस सिंगल नोडल एकाउंट में आ जाएगी और फिर दोबारा उस लाभार्थी छात्र-छात्रा को दी जा सकेगी।

पिछड़ा वर्ग कल्याण निदेशालय के छात्रवृत्ति प्रभारी अजीत प्रताप सिंह ने बताया कि इस बार कक्षा दस से ऊपर की कक्षाओं व व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में पढ़ रहे ओबीसी छात्र-छात्राओं में से इस बार करीब 20 लाख आवेदकों को छात्रवृत्ति और फीस भरपाई की राशि दी जा रही है पिछले साल यह संख्या करीब 13 लाख थी।

केंद्रीय विश्वविद्यालय ग्रेजुएट कोर्स में प्रवेश देने के लिए CUET के अंकों का उपयोग करें : UGC

केंद्रीय विश्वविद्यालय ग्रेजुएट कोर्स में प्रवेश देने के लिए CUET के अंकों का उपयोग करें : UGC

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के कुलपतियों को पत्र लिखकर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में छात्रों को प्रवेश देने के लिए केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (CUET) के अंकों का उपयोग करने के लिए कहा है।


यूजीसी अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार ने सोमवार को कहा कि 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए कक्षा 12 के अंक नहीं, बल्कि सीयूईटी के 'स्कोर' अनिवार्य होंगे। केंद्रीय विश्वविद्यालय अपनी न्यूनतम पात्रता मानदंड तय कर सकते हैं।

कुमार ने रविवार को ट्वीट किया कि  आज हमने सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के कुलपतियों, निदेशकों और प्राचार्यों को अपने स्नातक कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए सीयूईटी स्कोर का उपयोग करने के संबंध में पत्र लिखा है क्योंकि नयी व्यवस्था में छात्रों को कई प्रवेश परीक्षा देने की चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है।

कुमार ने सोमवार को कहा था कि राज्य विश्वविद्यालय, निजी विश्वविद्यालय और डीम्ड-टू-बी यूनिवर्सिटी भी स्नातक और स्नात्कोत्तर प्रवेश के लिए सीयूईटी स्कोर का उपयोग कर सकते हैं।

    राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) ने घोषणा की है कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए सीयूईटी के लिए आवेदन प्रक्रिया 2 अप्रैल से शुरू होगी।
    एजेंसी ने शनिवार को जारी एक सार्वजनिक नोटिस में कहा कि सीयूईटी देश भर के किसी भी केंद्रीय विश्वविद्यालय में प्रवेश पाने वाले छात्रों को एकल खिड़की अवसर प्रदान करेगा। उसने कहा कि सीयूईटी (यूजी) -2022 एक कंप्यूटर आधारित परीक्षा (सीबीटी) प्रारूप में आयोजित किया जाएगा।

Sunday, March 27, 2022

IGNOU : इग्नू के 2022 सत्र में दाखिले के लिए अब 31 मार्च तक करें आवेदन

IGNOU : इग्नू के 2022 सत्र में दाखिले के लिए अब 31 मार्च तक करें आवेदन।

स्नातक, स्नातकोत्तर, डिप्लोमा, सर्टिफिकेट प्रोग्राम में करें पढ़ाई।


नई दिल्ली। इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू) में शैक्षणिक सत्र 2022-23 के तहत जनवरी सत्र में दाखिले के लिए 31 मार्च तक आवेदन कर सकते हैं। 


कई छात्र ऑनलाइन आवेदन पत्र नहीं भर पाए थे। इसीलिए अब विश्वविद्यालय प्रशासन ने ऑनलाइन दाखिला आवेदन पत्र भरने की तारीख आगे बढ़ा दी है। छात्र ऑनलाइन डिग्री प्रोग्राम और ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग मोड में से किसी में भी दाखिले का विकल्प चुन सकते हैं। 


विश्वविद्यालय प्रशासन के मुताबिक, जनवरी सत्र में छात्रों को अब ऑनलाइन डिग्री प्रोग्राम में पढ़ाई का विकल्प भी मिल रहा है। नौकरीपेशा, युवा मार्केट डिमांड और रोजगार से जुड़े नए डिग्री प्रोग्राम कोर्स में दाखिला लेकर अपनी डिग्री पूरी कर सकते हैं। इसके अलावा ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग मोड का विकल्प तो पहले से उपलब्ध है। इसमें स्नातक, स्नातकोत्तर, एडवांस डिप्लोमा, डिप्लोमा, सर्टिफिकेट कोर्स आदि है। दाखिले के लिए छात्रों को इग्नू के ऑनलाइन पोटर्ल https://onlinerr.ignou.ac.in पर लॉगइन करके अकाउंट बनाना होगा।


पुराने छात्र अगले सेमेस्टर में करें रजिस्ट्रेशन

इग्नू में स्नातक और स्नातकोत्तर प्रोग्राम के विभिन्न डिग्री प्रोग्राम में पढ़ाई कर रहे छात्रों को भी अगले सेमेस्टर में दाखिले के दोबारा से रजिस्ट्रेशन करना होगा। यदि कोई छात्र रजिस्ट्रेशन नहीं करता है तो अगले सेमेस्टर में जाने से रोक दिया जाएगा। इसलिए पुराने छात्रों को भी 31 मार्च तक दोबारा रजिस्ट्रेशन करना होगा।

UP Board Exam : बोर्ड परीक्षाएं स्थगित होने की अफवाह फैलाने वालों पर प्रयागराज में मुकदमा, बोर्ड सचिव ने कराई एफआईआर

UP Board Exam : बोर्ड परीक्षाएं स्थगित होने की अफवाह फैलाने वालों पर प्रयागराज में मुकदमा, बोर्ड सचिव ने कराई एफआईआर


26 मार्च को वाट्सएप पर माध्यमिक शिक्षा परिषद की 24 मार्च के बाद की परीक्षाओं को स्थगित किए जाने के संबंध में खबर वायरल की गई। इसका खंडन भी कार्यालय की ओर से किया जा चुका है। भ्रामक वायरल सूचना से प्रदेश के लाखों परीक्षार्थी भ्रमित हो सकते हैं।


प्रयागराज :  उप्र माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) की परीक्षा स्थगित किए जाने के संबंध में फर्जी सूचना व अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हो गई है। यूपी बोर्ड के सचिव दिव्यकांत शुक्ल की तहरीर पर सिविल लाइंस थाने की पुलिस ने अज्ञात के विरुद्ध धोखाधड़ी व आइटी एक्ट के तहत मुकदमा कायम किया है। साथ ही प्रकरण की जांच साइबर सेल की मदद से शुरू कर दी है। पता किया जा रहा है कि ऐसी अफवाह फैलाने वाले कौन हैं। उम्मीद है कि जल्द ही आरोपितों को गिरफ्तार किया जाएगा।


सचिव की ओर से दर्ज कराई गई एफआइआर में कहा गया है कि माध्यमिक शिक्षा परिषद, प्रयागराज की वर्ष 2022 की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षाएं निर्धारित परीक्षा कार्यक्रम अनुसार 24 मार्च से प्रारंभ हो चुकी हैं। परीक्षा 12 अप्रैल को समाप्त होगी, जिसमें 51 लाख परीक्षार्थी शामिल हो रहे हैं। 26 मार्च को वाट्सएप पर माध्यमिक शिक्षा परिषद की 24 मार्च के बाद की परीक्षाओं को स्थगित किए जाने के संबंध में खबर वायरल की गई, जो नितांत भ्रामक एवं फर्जी है। इसका खंडन भी कार्यालय की ओर से किया जा चुका है।

भ्रामक वायरल सूचना से प्रदेश के लाखों परीक्षार्थी भ्रमित हो सकते हैं, जिससे उनकी परीक्षाएं प्रभावित हो सकती है। यह अतिसंवेदनशील व गंभीर घटना है। फिलहाल इंस्पेक्टर सिविल लाइंस वीरेंद्र यादव का कहना है कि मुकदमा कायम कर विवेचना की जा रही है। जल्द ही अफवाह फैलाने वाले के बारे में पता लगाकर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।


नहीं रद्द हो रहीं यूपी बोर्ड परीक्षाएं - भ्रम में न पड़ें, शरारती तत्व फैला रहे अफवाह, यूपी बोर्ड सचिव के फर्जी हस्ताक्षर से जारी की विज्ञप्ति, स्पष्टीकरण जारी।

सचिव ने साइबर क्राइम थाने में दी तहरीर, भ्रम में न पड़ें, पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार होगी परीक्षाएं


प्रयागराज अराजकतत्वों ने माध्यमिक शिक्षा परिषद सचिव के फर्जी से हस्ताक्षर से विज्ञप्ति वायरल कर यूपी बोर्ड परीक्षा निरस्त होने का भ्रम फैला रहे हैं। इस बात की जानकारी होने पर यूपी बोर्ड में खलबली मच गई। यूपी बोर्ड सचिव ने आनन-फानन में साइबर क्राइम थाने में मामले की तहरीर दी है। सचिव का कहना है यूपी बोर्ड परीक्षा 2022 अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनसार संपन्न होंगी। शिक्षक, प्रधानाचार्य, अभिभावक और विद्यार्थी ऐसी भ्रामक सूचनाओं के फेर में न पड़ें।


उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की बोर्ड परीक्षा 24 मार्च से शुरू हैं। यह परीक्षाएं 12 अप्रैल तक चलेंगी। इसी बीच अराजकतत्वों ने यूपी बोर्ड सचिव के फर्जी हस्ताक्षर से एक विज्ञप्ति वायरल कर हिंदी विषय के बाद की परीक्षा निरस्त होने का भ्रम फैला रहे। 



सोशल मीडिया पर फर्जी हस्ताक्षर वाली विज्ञप्ति वायरल होने लगी। विज्ञप्ति में शातिरों ने एक टोल फ्री नंबर भी दिया है, ताकि लोग अपनी जिज्ञासा शांत कर सकें। यह विज्ञप्ति वायरल होते हुए शिक्षकों, प्रधानाचार्यों, परीक्षार्थियों और उनके अभिभावकों के बीच पहुंची तो वह सन्न रह गए। प्रधानाचार्यों ने यूपी बोर्ड के अफसरों से संपर्क किया तब उन्हें पता चला कि वायरल हो रही विज्ञप्ति फर्जी है। विज्ञप्ति पर सचिव का फर्जी हस्ताक्षर है। साथ ही विज्ञप्ति में दिया गया टोल फ्री नंबर भी माध्यमिक शिक्षा परिषद का नहीं है। 



जानकारी होने पर यूपी बोर्ड सचिव ने साइबर क्राइम थाने में मामले की तहरीर दी है। यूपी बोर्ड सचिव डॉ. दिव्यकांत शुक्ल ने बताया कि अराजकतत्वों पर कार्रवाई के लिए फर्जी हस्ताक्षर वाली विज्ञप्ति वायरल करने के मामले की तहरीर साइबर क्राइम थाने में दी गई है। यूपी बोर्ड परीक्षा 2022 अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार संपन्न होंगी। प्रधानाचार्यो, परीक्षार्थियों और अभिभावकों से अपील है कि वह ऐसी किसी भ्रामक सूचनाओं के चक्कर में न पड़े। 

UPMSP UP Board Exam 2022 : यूपी बोर्ड की परीक्षा छोड़ने वालों के कारणों का पता लगाएगा माध्यमिक शिक्षा विभाग

UPMSP UP Board Exam 2022 : यूपी बोर्ड की परीक्षा छोड़ने वालों के कारणों का पता लगाएगा माध्यमिक शिक्षा विभाग

UPMSP UP Board Exam 2022: यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षाएं छोड़ने वाले परीक्षार्थियों की संख्या बढ़ती जा रही है। शनिवार को 70,207 विद्यार्थियों ने परीक्षा छेाड़ दी। माध्यमिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव आराधना शुक्ला ने यूपी बोर्ड के सचिव को निर्देश दिए हैं कि एक कमेटी का गठन कर जिला विद्यालय निरीक्षकों से परीक्षण करवाएं कि ऐसा किन परिस्थितियों में हुआ कि परीक्षार्थी बोर्ड परीक्षा फार्म भरने के बाद भी परीक्षा में शामिल क्यों नहीं हो रहे हैं।


अभी तक लगभग पांच लाख परीक्षार्थियों ने परीक्षा छोड़ी है। यूपी बोर्ड की परीक्षा 24 मार्च से शुरू हुई है। श्रीमती शुक्ला ने कहा कि बोर्ड द्वारा गठित समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में कारणों का पता चलने के बाद विशेषज्ञों की समिति द्वारा उन कारणों को दूर करने का प्रयास करेगी, जिससे परीक्षार्थी भयमुक्त वातावरण में परीक्षा दे सकेंगे।

24 मार्च को परीक्षा के पहले दिन 4,18,507 परीक्षार्थियों ने परीक्षा छेाड़ी। 25 मार्च को 4449 और 26 को 70207 परीक्षार्थियों ने परीक्षा छोड़ी। यूपी बोर्ड में 51,92,689 परीक्षार्थियों ने पंजीकरण करवाया था। शनिवार को हुई परीक्षा में तीन बालिकाएं नकल करती हुई पकड़ी गईं। अभी तक कुल 31 परीक्षार्थी नकल करते हुए पकड़े गए हैं।

KVS Admission : दाखिले के लिए न्यूनतम उम्र छह साल किए जाने के अपने फैसले को केंद्रीय विद्यालय संगठन ने उच्च न्यायालय में ठहराया सही

KVS Admission : दाखिले के लिए न्यूनतम उम्र छह साल किए जाने के अपने फैसले को केंद्रीय विद्यालय संगठन ने उच्च न्यायालय में ठहराया सही



केंद्रीय विद्यालयों में पहली कक्षा में दाखिले के लिए न्यूनतम उम्र पांच से बढ़ाकर छह साल किए जाने के अपने फैसले को केंद्रीय विद्यालय संगठन ने उच्च न्यायालय में सही ठहराया है। केवीएस ने न्यायालय में हलफनामा दाखिल करते हुए कहा कि पहली कक्षा में दाखिले के लिए न्यूनतम उम्र 6 साल करने का फैसला राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 और शिक्षा के अधिकार कानून (आरटीई) के प्रावधानों के अनुरूप किया है।


जस्टिस रेखा पल्ली के समक्ष दाखिल हलफनामे में केवीएस ने कहा है कि ‘शिक्षा के अधिकार कानून के तहत छह से 14 साल तक के बच्चों को अनिवार्य एवं निशुल्क शिक्षा देने का प्रावधान किया गया है। साथ ही कहा है कि केंद्र सरकार ने इस मसले पर गहन विचार विमर्श के के बाद एनईपी 2020 को अधिसूचित किया है, जिसमें शैक्षणिक और पाठ्यचर्या पुनर्गठन की एक नई योजना लागू करने का प्रस्ताव किया गया है। 


इसके अलावा केंद्र सरकार द्वारा मार्च, 2021 में सभी राज्यों को लिखे गए पत्र का हवाला दिया है जिसमें अगले 2 से तीन साल में एनईपी को लागू करने का रोड मैप तैयार करने को कहा गया है। साथ ही सरकार द्वारा केवीएस को लिखे गए पत्र भी हवाला दिया है। केवीएस ने न्यायालय में यह हलफनामा पहली कक्षा में दाखिले के लिए न्यूनतम उम्र पांच से बढ़ाकर छह साल किए जाने के खिलाफ दाखिल याचिका के जवाब में दिया है। केवीएस ने बच्ची की आोर से उम्रसीमा बढ़ाने के आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका को खारिज करने की मांग की है।


केंद्रीय विद्यालय में पहली कक्षा में दाखिले का इंतजार कर रही बच्ची आरिन की ओर से अधिवक्ता अशोक अग्रवाल और कुमार उत्कर्ष ने केवीएस द्वारा पहली कक्षा में दाखिले के लिए न्यूनतम उम्रसीमा पांच साल से बढ़ाकर छह साल किए जाने को चुनौती दी है। उन्होंने याचिका में अचानक लिए गए केवीएस के इस निर्णय को मनमाना, अतार्किक और अनुचित बताते हुए रद्द करने की मांग की है। याचिका में कहा है कि याचिकाकर्ता की उम्र 5 साल नौ माह 28 दिन की है और वह अभी यूकेजी में पढ़ रही है और इस साल पहली कक्षा में दाखिला लेने का इंतजार कर रही है।


याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने बताया कि केवीएस सरकार द्वारा महज पत्र भेजे जाने के आधार पर दाखिले की उम्र नहीं बढ़ा सकती। उन्होंने कहा है कि जबतक केंद्र या राज्य सरकार कानून में दाखिले की उम्र तय नहीं कर देती तब तक केवीएस को उम्र नहीं बढ़ाना चाहिए। अग्रवाल ने कहा कि केवीएस अपने हलफनामे में कह रहा है कि आरटीई एक्ट में दाखिले की उम्र छह साल है, जबकि अब तक 5 साल या इससे अधिक उम्र के बच्चों को इस कानून के तहत दाखिला मिला है। मामले की अगली सुनवाई 5 अप्रैल को होगी।

Old Pension Scheme : झारखंड सरकार का बड़ा एलान, बहुत जल्द लागू करेंगे पुरानी पेंशन योजना

Old Pension Scheme : झारखंड सरकार का बड़ा एलान, बहुत जल्द लागू करेंगे पुरानी पेंशन योजना


Old Pension Scheme पुरानी पेंशन पर सरकार ने बड़ा एलान किया है। झारखंड विधानसभा में मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड में बहुत जल्द पुरानी पेंशन योजना लागू करेंगे। जबकि अन्य राज्य अभी सोच ही रहे हैं। सीएम ने इस क्रम में जनहित से जुड़ी अहम घोषणाएं की।



रांची । Hemant Soren, Old Pension Scheme झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झारखंड विधानसभा में जनहित से जुड़ी कई अहम घोषणाएं कीं। उन्‍होंने कहा कि झारखंड में बहुत जल्द पुरानी पेंशन योजना लागू करेंगे। अन्य राज्य अभी सोच ही रहे हैं।



 उन्‍होंने यह भी कहा कि झारखंड के पारा शिक्षकों की तरह अन्य अनुबंध कर्मियों की समस्याओं का भी समाधान जल्‍द होगा। कहा, पिछली सरकार पारा शिक्षकों को कोढ़ समझती थी। वर्तमान सरकार ने 60 साल तक सेवा स्थायी की। सहायक अध्यापक का नाम दिया। विधायक फंड की राशि बढ़ाकर चार करोड़ से पांच करोड़ की जाएगी।

Saturday, March 26, 2022

घूस मांगने पर BEO निलंबित, कम्पोजिट ग्रांट की धनराशि में 10 प्रतिशत कमीशन मांगने और सेवानिवृत्त होने वाली शिक्षिका से 50 हजार रुपये की मांग का आरोप

घूस मांगने पर BEO निलंबित,  कम्पोजिट ग्रांट की धनराशि में 10 प्रतिशत कमीशन मांगने और सेवानिवृत्त होने वाली शिक्षिका से 50 हजार रुपये की मांग का आरोप



प्रयागराज। परिषदीय स्कूलों में खेलकूद सामग्री की केन्द्रीयकृत खरीदारी व कम्पोजिट ग्रांट की धनराशि में 10 प्रतिशत कमीशन मांगने और सेवानिवृत्त होने वाली शिक्षिका से 50 हजार रुपये घूस मांगने के मामले में गाजीपुर जिले के करंडा विकास खंड के खंड शिक्षाधिकारी रमेश कुमार श्रीवास्तव को गुरुवार को निलंबित कर दिया गया। 


अपर शिक्षा निदेशक (बेसिक) ललिता प्रदीप की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि निलबंन अवधि के दौरान रमेश कुमार श्रीवास्तव जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान जौनपुर से संबद्ध रहेंगे। प्रकरण की जांच मंडलीय सहायक बेसिक शिक्षा निदेशक वाराणसी को दी गई है।



गाजीपुर : रिश्वतखोरी में खण्ड शिक्षा अधिकारी रमेश श्रीवास्तव और उसके दो सहयोगी अध्यापक हुए निलम्बित


गाजीपुर। बेसिक शिक्षा अधिकारी ने बुधवार को दो अध्यापकों को पैसा मांगने को लेकर वायरल ऑडियो का संज्ञान लेते हुए। दोनो अध्यापकों को निलंबित कर दिया है। प्राथमिक विद्यालय बड़सरा के अध्यापक राजेश सिंह का करन्डा के खंड शिक्षा अधिकारी रमेश श्रीवास्तव का नाम लेकर लेन-देन की बातचीत का ऑडियो वायरल हुआ था। जिसका संज्ञान लेते हुए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने संबंधित खंड शिक्षा अधिकारी सहित शिक्षकों से  स्पष्टीकरण मांगी थी। 


ये मामला करन्डा विकास खंड के सोकनी कम्पोजिट विद्यालय की शिक्षिका ललिता देवी का 31 मार्च 2022 को रिटायरमेंट से संबंधित है।शिक्षिका का आरोप है कि खंड शिक्षा अधिकारी  ने रिकार्ड सही करने के एवज में 50 हजार रुपये की डिमांड की थी।  इस मामले में  अध्यापक राजेश सिंह फोन करके दबाव  बना रहे थे। बताया गया कि शिक्षिका के बेटे ने ऑडियो  वीडियो बना लिया। अभी यह मामला शांत भी नहीं हुआ था कि करन्डा ब्लॉक के शिक्षकों ने सामूहिक रुप से शिकायत पत्र  जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को देकर खंड शिक्षा अधिकारी रमेश श्रीवास्तव पर आरोप लगाया कि विद्यालय निरीक्षण के दौरान कम्पोजिट ग्रांट का 10% रिश्वत की मांग की जाती है।


 सूत्र बताते हैं कि खंड शिक्षा अधिकारी रमेश श्रीवास्तव और उनकी रिश्वतखोर टीम मे कई शिक्षक शिक्षिका के नाम जल्द ही उजागर होंगे। शासन द्वारा विद्यालय पर भेजे गए कम्पोजिट ग्रांट मे मनोज सिंह का भी रिश्वत के रूप में पैसे मांगने का ऑडियो वायरल हो गया। बेसिक शिक्षा अधिकारी हेमंत राव ने मीडिया को बताया कि खण्ड शिक्षा अधिकारी करण्डा रमेश श्रीवास्तव, अध्यापक राजेश सिंह और मनोज सिंह को निलंबित कर दिया गया है। जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।



गाजीपुर: कमीशनखोरी के मामले में खंड शिक्षाधिकारी व दो शिक्षक निलंबित


गाजीपुर। बेसिक शिक्षा निदेशक ने शिक्षिका से 50 हजार और कंपोजिट स्कूलों को शासन से जारी ग्रांट से दस प्रतिशत कमीशन मांगने पर खंड शिक्षा अधिकारी करंडा (बीईओ) रमेश कुमार श्रीवास्तव को निलंबित कर दिया है। उन्हें जिला शिक्षा व प्रशिक्षण संस्थान जौनपुर से अटैच कर दिया है। साथ ही इस प्रकरण की जांच मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक (बेसिक) वाराणसी को सौंपी गई है। उधर, उक्त दोनों प्रकरण में संलिप्त बीईओ के खास दोनों शिक्षकों को बेसिक शिक्षा अधिकारी ने निलंबित कर दिया। इससे अन्य ब्लाकों में भी वसूली करने वाले खंड शिक्षा अधिकारियों में खलबली मची है। 


अपर शिक्षा निदेशक (बेसिक) ललिता प्रदीप ने निलंबन आदेश जारी कर कहा है बीईओ के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत की बेसिक शिक्षा अधिकारी से जांच कराई गई। बीएसए ने जांच कर अवगत कराया है कि करंडा ब्लाक के सोकनी कंपोजिट विद्यालय की सहायक अध्यापक/प्रभारी प्रधानाध्यापक ललिता देवी से 50 हजार रुपये की मांग का आडियो-वीडियो उपलब्ध कराने के बाद भी बीईओ ने प्राथमिक विद्यालय बड़सरा के शिक्षक राजेश सिंह के खिलाफ दंडनात्मक कार्रवाई नहीं की, जो प्रथमदृष्टया इनकी प्रशासनिक अक्षमता व संलिप्तता का द्योतक है। साथ ही बेसिकि ब्लाक के कंपोजिट विद्यालयों के लिए शासन से जारी ग्रांट में दस फीसद कमीशन मांगने की भी शिकायतें मिली है। 


उक्त दोनों प्रकरण में निलंबन की कार्रवाई की गई है। बीईओ के निलंबन आदेश से पहले बीएसए ने करंडा ब्लाक के सोकनी कंपोजिट विद्यालय की सहायक अध्यापक/प्रभारी प्रधानाध्यापक ललिता देवी का 31 मार्च को सेवानिवृत्ति देयकों के प्रपत्र अग्रसारित करने के नाम पर 50 हजार रुपये मांगने के मामले में संलिप्त सहायक अध्यापक राजेश सिंह को निलंबित कर दिया है। वहीं कंपोजिट विद्यालय के लिए जारी ग्रांट से कमीशन देने का दबाव बनाने वाले बीआरसी पर स्थित विद्यालय के सहायक अध्यापक मनोज कुमार सिंह को भी सस्पेंड कर दिया है। 


करंडा बीईओ ने मांगा था दस फीसद कमीशन
 बीईओ करंडा के भ्रष्टाचार की परतें खुलने लगी हैं। पहले शिक्षिका की पेंशन पत्रावली अग्रसारित करने के नाम पर 50 हजार रुपये की मांग के बाद कंपोजिट स्कूलों के लिए जारी ग्रांट में कमीशन मांगने का मामला सामने आ गया। पूर्व माध्यमिक विद्यालय महाबलपुर के प्रधानाध्यापक यदुनाथ और कन्या विद्यालय गजाधरपुर के सहायक अध्यापक अनिल कुमार सहित 20 अन्य प्रधानाध्यापकों ने 22 मार्च को बीएसए को शिकायती पत्र देकर अवगत कराया कि शासन से कंपोजिट विद्यालयों के लिए जारी ग्रांट में खंड शिक्षा अधिकारी करंडा रमेश कुमार श्रीवास्तव के लिए 10 प्रतिशत कमीशन मांगा जा रहा है। 


बीआरसी पर स्थित विद्यालय के सहायक अध्यापक मनोज कुमार सिंह प्रधानाध्यापकों को फोन कर जल्द से जल्द कमीशन का पैसा जमा करने का दबाव बना रहे हैं। शिक्षकों ने वाट्सएप चैट व रिकार्डिंग भी सौंपा। मामले को गंभीरता से लेते हुए बीएसए ने दोनों प्रकरण में बीईओ के खिलाफ 23 मार्च को पूरे प्रकरण की रिपोर्ट निदेशालय को भेज दी। जिस पर निदेशालय ने कार्रवाई की।

माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद की परीक्षाएं आज से

माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद की परीक्षाएं आज से



प्रयागराज : उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद की वार्षिक परीक्षाएं शनिवार से शुरू हो रही हैं। यह 21 अप्रैल तक चलेंगी। 


पहले दिन पहली पाली में सुबह आठ से 11:15 बजे तक प्रथमा में संस्कृत प्रथम, पूर्व मध्यमा में अनिवार्य संस्कृत प्रथम, मानविकी वर्ग में अनिवार्य संस्कृत प्रथम, विज्ञान वर्ग में अनिवार्य संस्कृत प्रथम, वाणिज्य वर्ग में अनिवार्य संस्कृत प्रथम की परीक्षा होगी। 



दूसरी पाली में दो बजे से 5:15 बजे तक पूर्व मध्यमा प्रथम में अनिवार्य संस्कृत प्रथम, मानविकी वर्ग में अनिवार्य संस्कृत प्रथम, विज्ञान वर्ग में अनिवार्य संस्कृत प्रथम तथा वाणिज्य वर्ग में अनिवार्य संस्कृत प्रथम की परीक्षा होगी।

68500 भर्ती : एक प्रश्न का अंक नहीं देने पर हाईकोर्ट हुआ सख्त, PNP सचिव को तलब कर पूछा - आदेश का पालन क्यों नहीं?

68500 भर्ती :  एक प्रश्न का अंक नहीं देने पर हाईकोर्ट हुआ सख्त, PNP सचिव को तलब कर पूछा - आदेश का पालन क्यों नहीं?



प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 68500 सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा में आए एक प्रश्न का अंक अभ्यर्थियों को नहीं देने पर सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी अनिल भूषण चतुर्वेदी को तलब कर लिया है। कोर्ट ने उनसे जानना चाहा है कि न्यायालय के आदेश का पालन क्यों नहीं किया गया।




यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने कार्तिकेश कुमार व 17 अन्य की याचिका पर अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी को सुनकर दिया है। एडवोकेट अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी का कहना था कि हाईकोर्ट ने विशेष अपील पर सुनवाई करते हुए याचियों को प्रश्न संख्या 60 के लिए एक अंक देने का निर्देश दिया था क्योंकि परीक्षा के बाद जारी उत्तर कुंजी में इस प्रश्न का जो उत्तर चयनित किया गया था, वह गलत था। 



कोर्ट के इस आदेश के बावजूद अभ्यर्थियों को अब तक एक अंक आवंटित नहीं किया गया जिससे उनके चयन का अधिकार प्रभावित हो रहा है। इस पर कोर्ट ने सचिव को तलब कर उनसे स्पष्टीकरण मांगा है

Friday, March 25, 2022

यूपी बोर्ड परीक्षा में अब परीक्षार्थियों के नहीं उतवाए जाएंगे जूते-मोजे, देखें केंद्र व्यवस्थापकों को दिए गए कई निर्देश

यूपी बोर्ड परीक्षा में अब परीक्षार्थियों के नहीं उतवाए जाएंगे जूते-मोजे, देखें केंद्र व्यवस्थापकों को दिए गए कई निर्देश



उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) की वर्ष 2022 की हाईस्कूल और इंटमीडिएट की परीक्षा में तलाशी के दौरान हो रही असुविधाओं को देखते हुए थोड़ी राहत दी गई है। अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा आराधना शुक्ला ने केंद्र व्यवस्थापकों को कड़े निर्देश दिए हैं कि परीक्षा अवधि में परीक्षार्थियों के जूते-मोजे कदापि न उतरवाएं।


आराधना शुक्ला ने केंद्रों पर शुद्ध पेयजल की व्यवस्था रहे, टायलेट की नियमित साफ-सफाई हो, जिससे बच्चे प्रसन्नचित होकर परीक्षा के उत्सव में प्रतिभाग कर सकें। उन्होंने यह भी कहा कि सभी कक्ष निरीक्षक अपने आवंटित परीक्षा केंद्र में तत्काल उपस्थिति दें, अन्यथा उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी।


यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा गुरुवार को शुरू हुई। अपर मुख्य सचिव शुक्ला ने लखनऊ में बोर्ड परीक्षा की व्यवस्था देखने के लिए परीक्षा केंद्रों का निरीक्षण किया। वे परीक्षा प्रारंभ होने से पहले राजकीय जुबली इंटर कालेज पहुंचीं। वहां उन्होंने परीक्षा देने जा रहे छात्र-छात्राओं को पुष्प, टाफी व बोर्ड परीक्षा का लोगो 'लक्ष्य-सफलता' का बैज पहनाया।


परीक्षार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि सभी बच्चे भयमुक्त होकर स्वस्थ वातावरण में प्रसन्नचित होकर परीक्षा के उत्सव में प्रतिभाग करें। अमीनाबाद इंटर कालेज व सुन्नी इंटर कालेज व द्वितीय पाली में राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम और कुंवर आसिफ अली इंटर कालेज, मलिहाबाद का निरीक्षण किया। उन्होंने केंद्र व्यवस्थापकों से यह भी कहा कि परीक्षा अवधि में केंद्र व्यवस्थापक व स्टेटिक मजिस्ट्रेट के अतिरिक्त किसी को भी मोबाइल व इलेक्ट्रानिक डिवाइस ले जाना प्रतिबंधित रहेगा।


उधर, शासन की ओर से नामित नोडल अधिकारी हर जिले में उपस्थित थे और लगातार भ्रमणशील रहते हुए परीक्षा केंद्रों का निरीक्षण किया। विशेष सचिव, शंभु कुमार, शिक्षा निदेशक विनय कुमार पांडेय, संयुक्त सचिव विमल कुमार, उप सचिव राकेश श्रीवास्तव, उप सचिव अतुल कुमार मिश्र सहित तमाम अधिकारी दोनों पालियों में भ्रमणशील रहकर परीक्षा केंद्रों का निरीक्षण किया। प्रथम दिवस की बोर्ड परीक्षाएं शांतिपूर्वक हुई