जागरण संवाददाता, सहारनपुर: सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत खुलवाए गए संयुक्त चालू खाते से 68 लाख रुपये निकालने का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। दिल्ली रोड स्थित पंजाब नेशनल बैंक से 20 दिन में 18 बार ट्रांजेक्शन हुआ और इतनी रकम तीन अन्य खातों में ट्रांसफर हुई। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने इस बाबत कोतवाली सदर बाजार में रिपोर्ट दर्ज करवा दी है।
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी बुद्ध प्रिय सिंह ने बताया कि अन्य जनपदों की तरह यहां भी सर्व शिक्षा अभियान के तहत चालू खाता खोला गया है। पंजाब नेशनल बैंक की दिल्ली रोड स्थित शाखा में एनपीईजीईएल नाम से संयुक्त खाता नंबर 0478000100616522 है, जिससे रुपये निकालने के लिए बाकायदा चेक बुक भी जारी हुई है। नियमानुसार यदि चेक के माध्यम से रुपये निकलवाए जाएंगे तो मौजूदा बीएसए व लेखाधिकारी का हस्ताक्षर होना जरूरी है। बीएसए बुद्ध प्रिय सिंह ने बताया कि मगर बैंक कर्मचारियों से सांठगांठ कर इस खाते से 16 मार्च से छह अप्रैल तक 18 ट्रांजेक्शन कर 67 लाख 90 हजार रुपये निकाल लिए गए। इतना ही नहीं शाखा में जाकर जांच की गई तो पता लगा कि जिन चेक नंबरों पर ये ट्रांजेक्शन हुआ है, उनका चेक नंबर उनको जारी चेक बुक के हुबहू हैं लेकिन, उक्त चेक चालू खाते के नहीं बल्कि बचत खाते के हैं। उन्होंने बताया कि तीन बैंक खातों में ये पूरी रकम ट्रांसफर हुई है। इंस्पेक्टर जितेंद्र कुमार कालरा ने बताया कि बीएसए की तहरीर पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया गया है। पंजाब नेशनल बैंक दिल्ली रोड के वरिष्ठ प्रबंधक क्रांति शर्मा ने बताया कि यह मामला बीएसए कार्यालय से संबंधित है। बैंक का इसमें कोई दोष नहीं है। यदि इस मामले में विवेचना अधिकारी को कोई सहयोग की आवश्यकता होगी तो सहयोग किया जाएगा।
रिपोर्ट लिखवाने पहुंचे बीएसए बुद्ध प्रिय सिंह ’सहारनपुर:
सरकार के 68 लाख रुपयों को जिस तरीके से धोखाधड़ी कर निकाला गया, वह अपने आप में बहुत ही चौंकाने वाली घटना है। शुरुआती जांच में इस फर्जीवाड़े में बैंककर्मियों की मिलीभगत ही सीधे तौर पर सामने आ रही है। लेकिन, असल ठग जो भी है, उसकी भी शिक्षा विभाग के दफ्तर में अच्छी खासी पैठ है। दिल्ली रोड स्थित पंजाब नेशनल बैंक की शाखा में एनपीईजीईएल नाम से शिक्षा विभाग का संयुक्त खाता नंबर 0478000100616522 है। इसके लिए बाकायदा 92551 से चेक बुक भी जारी हुई है। ये चेक बुक बीएसए दफ्तर में लेखाधिकारी धर्मेंद्र सिंह के पास रहती है। यदि रुपयों की जरूरत पड़ती है तो बीएसए व लेखाधिकारी के संयुक्त हस्ताक्षर के बाद ही उक्त खाते से रुपये निकाले जा सकते हैं। लेकिन विभाग के उक्त खाते की फर्जी चेक बुक छपवाने वाले को इसकी जानकारी अच्छी तरह से थी कि किस नंबर से किस नंबर तक की चेकबुक उक्त खाताधारक के लिए जारी हुई है। इसलिए फर्जी चेकबुक छपी मगर उसमें चालू खाता के बजाए चेक पर बचत खाता छपवा दिया, मगर चेक नंबर असली वाले ही रहे। चौंकाने वाली बात ये है कि दीपक सैनी, नेहा तथा अनुज केबल नेटवर्क के नाम के खातों में ट्रांसफर हुई 68 लाख की रकम सिर्फ बीएसए बुद्ध प्रिय सिंह के फर्जी हस्ताक्षर के बाद ही जारी कर दी गई। सीओ अब्दुल कादिर ने बताया कि पता लगाने की कोशिश की जारही है कि जिन खातों में रुपये ट्रांसफर हुए, वो रुपये उक्त खातों में हैं, या निकाल लिए गए।
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