प्रदेश सरकार रोमियो के खिलाफ अभियान चला रही है। पुलिसिया सख्ती के चलते कई जिलों में भाई बहन तक को परेशान होना पड़ा। यहां तस्वीर थोड़ी विपरीत है। पुलिस की लिस्ट में यहां मजनुओं की संख्या न के बराबर है और उनकी गुंडई का आलम यह है कि दो अध्यापिकाओं ने स्कूल छोड़ दिया है। जिले की कोई भी महिला अध्यापक उस विद्यालय पर जाने को तैयार नहीं है और पुलिस इसे झूठ बता रही है। शिक्षिकाओं ने घटना का विरोध किया तो मनचलों ने चाकू निकाल लिया। फिलहाल यहां न सिर्फ पुलिस कटघरे में है, बल्कि विभाग भी कम दोषी नहीं। अध्यापिकाएं माह भर से त्रस्त हैं तो सवाल यह कि विभाग क्या कर रहा था।मामला बांसी विकास खंड के प्राथमिक विद्यालय अतरमू से जुड़ा हुआ है। विद्यालय पर तैनात अध्यापिकाएं माह भर से छेड़खानी से परेशान हैं। गांव के छह-सात मनचलों द्वारा अध्यापिकाओं के साथ छेड़खानी की जाती रही। वह विभाग के उच्चाधिकारियों से इसकी शिकायत भी कर चुकी हैं। मनचलों ने 19 अप्रैल को स्कूल के अंदर घुस कर शिक्षिकाओं के साथ बदसलूकी की। अध्यापिकाओं ने इसका विरोध किया तो एक युवक ने चाकू निकाल लिया। किसी तरह से वह स्कूल से भागीं। दूसरे दिन जिला मुख्यालय पहुंचकर बीएसए से आपबीती सुनाई। उन्होंने मौखिक रूप से दोनों को बीआरसी बांसी पर रहने आदेश दे दिया। जूनियर के दो शिक्षिकों को मौखिक ही प्राथमिक विद्यालय अतरमू अटैच कर दिया। इस आदेश के बाद एक शिक्षक की स्थिति खराब हो गई। वह तभी से मेडिकल पर हैं। इसके बाद विभाग ने इसकी सूचना 21 अप्रैल को सीओ इटवा को देकर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लिया है। आश्चर्य की बात है कि अभी तक आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। अपनी गलती छिपाने में विभाग कर रहा नियमों का उल्लंघन:
बांसी- बेसिक शिक्षा अधिकारी अपनी कमी छिपाने के लिए इस मामले में अब नियमो का उलंघन करने पर आमादा है। प्राथमिक विद्यालय की अध्यापिकाओं की शिकायत पर विभागीय अधिकारी कोई कार्रवाई तो करवा नहीं सके ऊपर से स्कूल बंद न हो इसके लिए नियम कानून की अनदेखी करते हुए जूनियर के दो अध्यापकों को यहां मौखिक आदेश के तहत तैनात कर दिया।इसमें से अतरमू जूनियर विद्यालय पर तैनात सहायक अध्यापक रणंजय मिश्र बीमार हो गए और वर्तमान में मेडिकल पर ही हैं। जबकि दूसरे अध्यापक के रूप में शिव कुमार राय बीआरसी पर बतौर समन्वयक तैनात हैं। सवाल उठता है कि जूनियर के अध्यापकों को प्राथमिक विद्यालय पर तैनात करना किस आदेश के तहत है।
जबकि जूनियर के अध्यापकों की प्राथमिक विद्यालयों में तैनाती न किए जाने का शासनादेश है। ऐसे में पिछले तीन दिन से विद्यालय पर ताला लटक रहा है।घटना के बाद से बंद पड़ा प्राथमिक विद्यालय’घटना को झूठा बता रही स्थानीय पुलिस
मनचलों के चाकू घोंपने तक की शिकायतविद्यालय परिसर में 18 अप्रैल को कुछ युवकों द्वारा हुड़दंग किए जाने पर मैं गांव गया था और ग्रामीणों से वार्ता कर युवकों को समझा बुझा दिया गया था। 19 अप्रैल को घटना जब हुई तो मैंने इससे बीएसए साहब को अवगत करा दिया था। जूनियर के अध्यापकों की तैनाती प्राथमिक में किए जाने का आदेश बीएसए का है। जबकि वहां पर तैनात दोनों अध्यापिकाएं बीआरसी पर आकर डयूटी कर रही हैं।
शिव कुमार, बीईओ, बांसीसब गलत है ऐसा कुछ नही है। दो दिन पूर्व अतरमू गांव के एक दिव्यांग के खिलाफ आंगनवाड़ी कार्यकत्र की शिकायत आई थी। जिसमें उसे 151 व 107 / 116 के तहत जेल भेजकर बाकी लोगों को डांट डपटकर समझा दिया था। इसके बाद से इस तरह की कोई सूचना नही मिली है।
रामसमुझ प्रभाकर, थानाध्यक्ष गोल्हौरामामला माह भर पुराना नहीं, बल्कि 5-6 दिन पुराना है। इस प्रकरण में शायद बीईओ ने तहसीलदार से वार्ता की थी। थाने पर प्रार्थना पत्र दिया गया था, पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। सीओ को प्रार्थना पत्र भेजा जा चुका है। पुलिस अधीक्षक से अभी इस संबंध में वार्ता नहीं हो सकी है। अब उनसे भी बातचीत करूंगा और उन्हें इसके लिए पत्र भी लिखुंगा।
अर¨वद कुमार पाठक, जिला बेसिक शिक्षाधिकारी
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