योगी राज में जिलाधिकारी राम विशाल मिश्र ने दिशा निर्देश देने की कागजी कोरम पूरा करने की कार्रवाई तेज कर दी है। शिक्षकों के निलंबन पर बीएसए की कार्रवाई पर सवाल उठाने और मनरेगा रोजगार सेवकों के मानदेय भुगतान के लिए सीडीओ को पत्र जारी करना। यह सिद्ध भी कर रहा है।
परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों की गैरहाजिर रहने की प्रथा वर्षो से चली आ रही है। समय से स्कूल न पहुंचना शिक्षकों की आदत बन चुकी है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी रमेश यादव द्वारा स्कूलों का औचक निरीक्षण स्वयं व खंड शिक्षाधिकारियों से कराया जाता है। इसमें अनुपस्थित मिलने वाले शिक्षकों के खिलाफ बीएसए द्वारा निलंबन की कार्रवाई की जाती है। यह प्रक्रिया करीब नौ माह से चल रही है। निरीक्षण में अनुपस्थित मिलने वाले शिक्षकों को बीएसए धड़ाधड़ निलंबित करके बहाल करते हैं। इस क्रम में 50 से अधिक शिक्षकों का निलंबन भी किया गया। निलंबन की कार्रवाई के बाद भी गुरूजी लोगों की कार्यप्रणाली नहीं सुधरती। बल्कि शिक्षक संघ ने निलंबन न करने की फरियाद लगाई। इसी को आधार बनाकर जिलाधिकारी राम विशाल मिश्र ने बीएसए के निलंबन पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि अध्यापकों को निलंबित करके बाद में उन्हें बहाल भी कर दिया जाता है। इससे बगैर अध्यापन कार्य किए उन्हें वेतन दिया जा रहा है। उनको अपमानित भी किया जा रहा है। इससे शिक्षा व्यवस्था पर कुप्रभाव पड़ रहा है। जबकि शासनादेश है कि निलंबित तभी किया जाए, जब उस कर्मचारी पर इतने गंभीर आरोप हों कि उसकी सेवा समाप्त हो सके। निलंबित होने से कार्य प्रभावित होता है। अध्यापकों को अनावश्यक निलंबित न करें तथा शिक्षण कार्य में व्यवधान न डालें। त्रुटियां मिलती हैं तो उनको चेतावनी, प्रतिकूल प्रविष्ट व गंभीर दशा में आरोप पत्र जारी करें। दूसरा निर्देश पत्र जिलाधिकारी ने मुख्य विकास अधिकारी, उपायुक्त मनरेगा सहित सभी खंड विकास अधिकारियों को जारी किए है। इसमें ग्राम रोजगार सेवक संघ के मांग पत्र का हवाला देते हुए रोजगार सेवकों का मानदेय प्रत्येक गांव का कितना देय है
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