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Friday, April 21, 2017

यूपी बोर्ड के विकास में वित्त विभाग का रोड़ा, माध्यमिक शिक्षा परिषद सचिव का खाता खोलने की अनुमति न मिलने से लाखों छात्र-छात्रओं का करोड़ों रुपया कालेजों में एक साल से डंप

⚫ कक्षा 9 व 11 के 66 लाख 71 हजार छात्र-छात्रओं से वसूला धन


इलाहाबाद : यूपी बोर्ड के विकास में छात्र-छात्रओं ने पूरा योगदान दिया है, लेकिन वित्त विभाग रियायत देने को अब भी तैयार नहीं है। माध्यमिक शिक्षा परिषद सचिव का खाता खोलने की अनुमति न मिलने से लाखों छात्र-छात्रओं का करोड़ों रुपया कालेजों में एक साल से डंप पड़ा है। इस धन का क्या किया जाए इसको लेकर अभी असमंजस बना है। 




माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटर परीक्षा हर साल लाखों परीक्षार्थी उत्तीर्ण करते हैं। उनके रिकॉर्ड को डिजिटाइज कराने के साथ बोर्ड में अन्य लंबित कार्यो को गति देने के लिए शासन ने इसी शैक्षिक सत्र से परीक्षा शुल्क में बड़ी बढ़ोतरी की है। यह धन सरकार के राजकोष में जमा हुआ, वहीं कक्षा 9 व 11 का पंजीकरण शुल्क भी ढाई गुना बढ़ा है। पहले पंजीकरण शुल्क 20 रुपये मात्र था। इसे बढ़ाकर 50 रुपये किया गया है। इस धन में से 20 रुपये परिषद सचिव के खाते में जमा कराने की तैयारी थी, ताकि उससे मुख्यालय व चारों क्षेत्रीय कार्यालयों में शैक्षिक अभिलेखों को संरक्षित किया जा सके। साथ ही अन्य कार्य भी हो सके। 





प्रदेश के राजकीय, अशासकीय व वित्तविहीन हाईस्कूल व इंटरमीडिएट कालेजों में इस साल कक्षा 9 व 11 में 66 लाख 71 हजार से अधिक छात्र-छात्रओं का पंजीकरण हुआ है। सभी से नई दरों पर शुल्क लिया गया है। एकत्र हुई धनराशि 13 करोड़ 34 लाख रुपये प्रधानाचार्यो के पास इस उम्मीद में रखी है कि वित्त विभाग देर-सबेर परिषद को खाता खोलने की अनुमति दे देगा, लेकिन माध्यमिक शिक्षा के बड़े अफसरों को हाल ही में जिस तरह से वित्त विभाग ने जवाब दिया गया है उससे उम्मीदें धूमिल हो गई हैं। वहीं वित्तविहीन स्कूलों में फंसे धन की हेराफेरी भी संभव है। 





कालेज विकास पर एतराज नहीं

माध्यमिक शिक्षा परिषद ने पंजीकरण शुल्क बढ़ाने में सिर्फ अपना ही नहीं सभी कालेजों के विकास के लिए धन का प्रबंध किया है। यही वजह है कि 50 रुपये में से एक हिस्सा संबंधित कालेज के प्रधानाचार्य के पास रहेगा, ताकि वह अपने हिसाब से विकास करा सके। वित्त विभाग ने पंजीकरण शुल्क बढ़ाने व कालेजों को मिलने वाले धन पर अंगुली नहीं उठाई है, केवल परिषद सचिव के खाता संचालन ही रोका है। 




भेजा रिमाइंडर, 26 अप्रैल की बैठक में होगा फैसला 

प्रदेश भर के छात्र-छात्रओं से वसूला गया पंजीकरण शुल्क का करोड़ों रुपया फंसा है। उसे सचिव के खाते में जमा करने से वित्त विभाग रोक रहा है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं कर रहा है कि इस धन का क्या किया जाए। बोर्ड सचिव शैल यादव ने बताया कि इस संबंध में कई बार वह मार्गदर्शन मांग चुकी हैं। अब फिर अनुस्मारक भेज रहे हैं। यदि वाजिब जवाब नहीं मिलता है तो 26 अप्रैल को होने वाली यूपी बोर्ड की बैठक में इस धन के संबंध में भी निर्णय लिया जाएगा, आखिर अब इसका क्या किया जाए। उम्मीद है कि इसे ट्रेजरी में जमा करा दिया जाएगा।

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