उच्च और तकनीकी शिक्षा संसाधनों के अभाव में स्पुतनिक और टाइटेनिक बना सकने वाले दिमाग बेरोजगारी और बेगारी का दंश ङोलने को विवश है। जिले की बेसिक शिक्षा की गाड़ी भी बेपटरी है। ऐसे में आर्थिक या फिर अन्य कारणों से महानगरों को न जा सकने वाले युवा छात्र बीच में ही अपनी पढ़ाई छोड़ने को विवश हो जाते हैं। जिसके चलते यह जिला क्षेत्र उच्च शिक्षा, चिकित्सा, शोध एवं सामाजिक जागरुकता के क्षेत्र में लगातार पिछड़ता जा रहा है।
शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए न तो कभी जन प्रतिनिधियों ने कभी ठोस पहल की और न ही जिम्मेदार अध् िाकारियों ने कभी इस समस्या को गंभीरता से लिया। यही वजह है कि लंबे अरसे तक चले साक्षरता अभियान और सर्वशिक्षा अभियान के बाद भी जिले में कई ऐसे स्कूलों का संचालन किया जा रहा है, जहां पर ड्राप आउट बच्चों को शिक्षित किया जाता है। यह स्कूल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए जिले में संचालित होने वाले अभियानों की कलई खोलने को पर्याप्त हैं। बीते डेढ़ दशक से मिश्रिख तहसील मुख्यालय पर महिला समाख्या द्वारा भी एक ऐसे ही स्कूल महिला शिक्षण केंद्र का संचालन किया जाता रहा है, जहां किशोरियों को शिक्षा दी जाती रही है। हालांकि इस शैक्षणिक सत्र से इस शिक्षण केंद्र का संचालन बंद हो गया है।
इसके अलावा महिला समाख्या द्वारा बिसवां, परसेंडी, मछरेहटा, पिसावां और मिश्रिख विकास खंडों के विभिन्न गांवों में साक्षरता केंद्रों का संचालन भी किया जाता रहा है। इन केंद्रों पर महिलाओं और किशोरियों को साक्षर बनाया जाता रहा है, लेकिन अब इन केंद्रों का भी संचालन ठप हो गया है। इस बाबत जानकारी देते हुए महिला समाख्या की जिला कार्यक्रम समंवयक अनुपम लता ने बताया कि जिस योजना के तहत महिला शिक्षण केंद्र एवं साक्षरता केंद्रों का संचालन किया जा रहा था, वह बंद हो गई है
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