जागरण संवाददाता, हापुड़: मतगणना करनी है तो शिक्षक, मतदाता सूची बनवानी तब भी शिक्षक। बच्चों के पेट में कीड़े की दवा खिलानी है तो भी शिक्षक, लेकिन बढ़ा वेतन देना है तो शिक्षक सबसे अंत में याद आते हैं। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के चार माह बाद भी जिले के करीब तीन हजार शिक्षकों को बढ़ा हुआ वेतन नहीं मिला है। अन्य विभागों के कर्मचारी जहां बढ़े वेतन का लाभ उठा रहे हैं, शिक्षक पुराने वेतन का भी अभी तक इंतजार कर रहे हैं।
केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों को पिछले साल लागू कर दिया था। कर्मचारी व पेंशनर तो सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप बढ़ा हुआ वेतन व पेंशन पा रहे हैं, किन्तु शिक्षक उससे वंचित हैं। सरकारी प्राइमरी व जूनियर हाई स्कूलों के करीब तीन हजार से अधिक शिक्षकों बढ़े वेतन का लाभ नहीं मिला है। इस बाबत सरकारी आदेश जारी होने के चार माह बाद भी बढ़ा हुआ वेतन न मिलने से शिक्षकों में निराशा है। उनका कहना है कि प्राइमरी के शिक्षकों को साल भर पढ़ाई से ज्यादा बीएलओ, जनगणना सहित तमाम तरह की ड्यूटी में आगे रखा जाता है। इसके विपरीत वेतन बढ़ने की बात आती है तो वे पीछे रह जाते हैं। यह स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे भी ज्यादा दुखद स्थिति यह है कि शिक्षकों को अप्रैल माह का वेतन अभी तक नहीं मिला है ।
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