लखनऊ : शिक्षा के अधिकार के तहत दुर्बल आय वर्ग के बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला दिलाने की व्यवस्था में राजधानी सबसे फिसड्डी रहा। जहां अन्य जिलों में 20 मई को ही दूसरी सूची जारी कर दी गई, वहीं राजधानी के बेसिक शिक्षा कार्यालय द्वारा 15 जून तक भी सूची नहीं जारी की जा सकी। विभागीय हीलाहवाली का नतीजा है कि अभिभावकों को रोजाना दफ्तर के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश के बाद भी शिक्षा के अधिकार के तहत गरीब बच्चों के दाखिले को लेकर शिक्षा विभाग संजीदा नहीं है। स्कूल खुलने में महज एक पखवाड़ा बाकी है। बावजूद इसके न तो पहली सूची में रही गड़बड़ी में सुधार किया गया न ही दूसरी सूची जारी की जा सकी।
29 को आरटीई की दूसरी और तीसरी सूची की लाटरी होनी चाहिए : विभागीय अधिकारियों के अनुसार आरटीई की दूसरी और तीसरी सूची 29 जून को जारी होनी है। इससे पहले 20 जून तक बीएसए को आवेदनों का वेरीफिकेशन करना होगा। 29 को लाटरी के बाद डीएम से अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा। मगर अभी तक के हालात को देखते हुए 29 जून को सूची जारी होने में संदेह जताया जा रहा।
13 हजार बच्चों का दाखिला गले की हड्डी : राजधानी लखनऊ में आरटीई के तहत कुल 13 हजार आवेदन प्राप्त हुए हैं। पहली सूची में करीब 2600 बच्चों के नाम जारी किए गए। जिसमें 600 नामों में गड़बड़ी मिली। गंभीर बात रही कि जारी सूची में शामिल बच्चों में से भी एक भी बच्चे का दाखिला अभी नहीं हो सका। ऐसे में जुलाई के पहले सप्ताह में स्कूल खुलते ही 13 हजार बच्चों का दाखिला एक साथ कराने में बेसिक शिक्षा विभाग को परेशानी होगी।
सूची ऑनलाइन करना जरूरी : आरटीई एक्टीविस्ट समीना बानो मानती हैं कि सबसे बड़ी समस्या तब आती है जब सूची जारी होने के बाद स्कूलों तक सूचना नहीं पहुंचती। कई बार सूचना पहुंचने के बाद भी स्कूल दाखिले से बचने के लिए सूचना प्राप्त न होने का बहाना करते हैं। इससे बचने के लिए यदि सूची को ऑनलाइन पोर्टल पर सूची उपलब्ध करा दिया जाए तो इस समस्या से बचा जा सकता है। स्कूल उसी पोर्टल से खुद का स्कूल एलॉट हुए बच्चों को कॉल कर लेगा।
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