इलाहाबाद : शहर के डीएवी इंटर कॉलेज मीरापुर में 120 छात्र पंजीकृत हैं। कक्षा 11 व 12 में चार-चार सेक्शन बने हैं तो कक्षा छह से 10 तक के बच्चों को दो-दो सेक्शन में बांटा गया है। राधारमण इंटर कॉलेज दारागंज में कक्षा छह से 12 तक की एक भी कक्षा में 60 छात्र नहीं है लेकिन, हर कक्षा में दो-दो सेक्शन चल रहे हैं। प्रदेश के अधिकांश अशासकीय माध्यमिक कॉलेजों की लगभग ऐसी ही तस्वीर है। छात्र कॉलेजों से दूर हो रहे हैं लेकिन, वहां सेक्शन ज्यों के त्यों हैं। यदि पीरियड के आधार पर शिक्षकों का समायोजन हुआ तो सरकार का दांव उल्टा पड़ जाएगा।
प्रदेश के सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों में हाईस्कूल स्तर के 4556 व इंटरमीडिएट के 4025 विद्यालय हैं। इन कॉलेजों में अतिरिक्त अध्यापकों को चयनित करने का आदेश हुआ है। इसके लिए पीरियड और छात्र संख्या देखी जा रही है। पहले एक सेक्शन में 40 छात्र होते थे बाद में इसे बढ़ाकर 65 कर दिया गया। एलटी ग्रेड शिक्षकों के लिए 65 छात्र-छात्रओं तक एक शिक्षक और संख्या 90 तक पहुंचने पर दो शिक्षक नियुक्त करने का आदेश है। ऐसे ही प्रवक्ता का भी पद सृजन है। दोनों में अंतर सिर्फ इतना है कि यदि किसी स्कूल में किसी विषय में पांच या उससे कम संख्या छात्र-छात्रओं की है तो वहां प्रवक्ता का पद खत्म हो जाएगा।
इसके अलावा माध्यमिक कॉलेजों को यह निर्देश है कि एक एलटी ग्रेड शिक्षक सप्ताह में कम से कम 36 पीरियड जरूर पढ़ाए। यदि किसी स्कूल में एक ही विषय के दो एलटी ग्रेड शिक्षक हैं और उनके 36 पीरियड सप्ताह में पूरे नहीं होते हैं तो वहां एक शिक्षक के हटने का कारण बनेगा। ऐसे ही प्रवक्ता को सप्ताह में 24 पीरियड पढ़ाना है यदि वह यह संख्या पूरी नहीं करता है तो प्रवक्ता अतिरिक्त शिक्षक की श्रेणी में आएगा लेकिन, प्रदेश के अधिकांश कॉलेजों में छात्र संख्या भले ही गिनी-चुनी हो लेकिन, शिक्षकों के पीरियड में कमी नहीं है। कई कॉलेजों ने तो 30-30 छात्रों के कई-कई सेक्शन बना रखे हैं। कॉलेजों में हो रहे पठन-पाठन से साफ है कि शासन के निर्देशों के अनुरूप तय मानक पर सेक्शन बने ही नहीं है, बल्कि प्रबंधन व प्रधानाचार्य की मर्जी पर सेक्शन बनाए गए हैं।
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