प्रदेश के शैक्षणिक संस्थानों में छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति में होने वाली धांधली पर अंकुश लगाने के लिए राज्य सरकार इसकी नियमावली में बदलाव करने जा रही है। समाज कल्याण विभाग ने लगभग एक माह पहले इसके लिए प्रस्ताव बनाकर भेजा था जिसे अब शासन से हरी झंडी मिल गई है। अब पूरी योजना को विचारार्थ मुख्यमंत्री को भेजा गया है। उनकी सहमति मिलते ही इसे कैबिनेट में रखा जाएगा। छात्रवृत्ति में आय सीमा बढ़ाने की घोषणा सरकार पहले ही कर चुकी है।
समाज कल्याण विभाग मंत्री रमापति शास्त्री ने अपनी पहली समीक्षा बैठक में ही छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति को पूरी तरह पारदर्शी किए जाने पर जोर दिया था। इसके बाद ही नियमावली में बदलाव का खाका तैयार किया गया। इसमें सबसे अधिक जोर छात्रों की उपस्थिति सुनिश्चित करने पर होगा। इसके साथ ही छात्रों को आधार कार्ड से कनेक्ट करने पर विचार किया गया है। इसके अलावा मास्टर डाटा की खामियों को क्रास चेक करने की भी है।
निदेशालय की ओर से तैयार प्रस्ताव के दो बिंदुओं पर शासन ने आख्या मांगी थी। इस पर संशोधित प्रस्ताव भी भेजा गया है। सूत्रों के अनुसार, नई नियमावली में हर सत्र के लिए स्थायी कैलेंडर का प्रावधान भी किया जा सकता है ताकि किसी किस्म का भ्रम न हो और नियत तारीखों पर आवेदन की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाए। गौरतलब है कि इस बार शासन ने कैलेंडर जारी कर दिया है, जिसमें संशोधन करते हुए आवेदन की त्रुटियों को ठीक करने का अवसर भी दिया गया है।’>>शासन की सहमति के बाद मुख्यमंत्री को भेजा गया प्रस्ताव
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