परिषदीय विद्यालयों में नि:शुल्क वितरित की जाने वाली पुस्तकों को एक निजी विद्यालय में बेचा जा रहा था। यह खुलासा बीएसए पन्ना राम की छापेमारी के दौरान बुधवार को हुआ। प्रधानाचार्या की मेज व बच्चों के बस्तों से सरकारी पुस्तकें बरामद हुईं। छात्रों ने विद्यालय से पुस्तकें खरीदना स्वीकार किया है। बेसिक शिक्षा अधिकारी ने विद्यालय प्रबंधक के विरुद्ध केस दर्ज कराकर बीईओ को जांच दिए जाने की बात कही है।
महोली कस्बे में स्थित राम प्रताप बाल विद्या मंदिर में बुधवार को बीएसए ने सूचना के आधार पर छापा मारा। यहां कार्यवाह प्रधानाचार्या अनामिका गुप्ता बच्चों को पुस्तकें वितरित करती मिलीं। मेज पर कक्षा आठ की मंजरी, वर्तिका, रेनबो, महान व्यक्तित्व, आओ सीखें विज्ञान की 17 किताबें मिलीं। निरीक्षण के दौरान सातवीं और नौ के पास से पांच सरकारी पुस्तकें मिलीं। इसके अलावा कक्षा एक और पांचवीं की छात्र के पास से भी तमाम पुस्तकें मिली हैं।
विद्यालय के प्रबंधक उमेश चंद्र मिश्र पिसावां के राष्ट्रीय माध्यमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक हैं। बीएसए ने पुस्तकों को अपने कब्जे में ले लिया है। बीएसए ने विद्यालय प्रबंधक से भी स्पष्टीकरण मांगा है। दरअसल, बीएसए की जांच रिपोर्ट में बीईओ की मिलीभगत होने का भी अंदेशा जताया गया है।
दरअसल, पुस्तकों के वितरण के बाद बीएसए ने सभी खंड शिक्षा अधिकारियों से बची पुस्तकों की भी जानकारी मांगी गई थी। इस संबंध में 13 अप्रैल को महोली के बीईओ ने सिर्फ 15 पुस्तकें ही बचने की बात बीएसए को भेजी रिपोर्ट में कही थी। इसके बाद इतनी संख्या में पुस्तकें मान्यता प्राप्त स्कूल में कैसे पहुंची, यह भी बड़ा सवाल है।
बेसिक शिक्षा अधिकारी की छापेमारी में हुआ राजफाश पुस्तकें बरामद, प्रबंधक पर दर्ज होगा मुकदमा
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