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Friday, July 28, 2017

महराजगंज : शिक्षामित्रों के आंदोलन से विद्यालयों में पढ़ाई की व्यवस्था चरमराई, बीएसए कार्यालय में पुलिस फोर्स तैनात, गोरखपुर जा रहे शिक्षामित्रों को रोकने में पुलिस को छूटे पसीने

महराजगंज : समायोजन रद्द किए जाने के फैसले के बाद अब शिक्षामित्र अपनी नौकरी के लिए शांतिपूर्ण ढंग से लड़ाई का मन बना चुके हैं। शिक्षामित्रों ने अपने तैनाती स्कूलों पर जाना बंद कर दिया है। शिक्षामित्रों के स्कूल न जाने से स्कूलों में कक्षाओं के संचालन में समस्या आ रही है। स्थिति यह है कि स्कूल पर तैनात प्रधानाध्यापक व सहायक अध्यापक को एक साथ कई कक्षाओं के बच्चों को एक क्लास में ही बैठा कर पढ़ाना मजबूरी बन गई है। उन स्कूलों की व्यवस्था अत्यंत खराब हो गई है जहां पर समायोजित शिक्षक ही प्रधानाध्यापक के पद पर तैनात रहे।
          जिले में प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था को संचालित करने में विभिन्न प्राथमिक विद्यालयों पर तैनात 2187 शिक्षामित्रों का अहम योगदान था। समायोजन के मुताबिक शिक्षामित्र कुछ जगह प्रधानाध्यापक पद पर तैनात थे, तो ज्यादातर जगहों पर सहायक अध्यापक पद पर। समायोजन रद्द होने के बाद वैसे तो सभी प्राथमिक विद्यालय प्रभावित हुए हैं। मगर सर्वाधिक समस्या उन विद्यालयों में उत्पन्न हुई है, जहां पर शिक्षकों की संख्या कम थी या फिर तैनात शिक्षकों में ज्यादातर शिक्षामित्र पद से समायोजित हुए थे। ऐसे स्कूलों पर पढ़ाई नहीं हो पा रही है। उन विद्यालयों की हालत और भी खराब हो गई है जहां पर शिक्षामित्र से समायोजित हुए शिक्षक के पास प्रधानाध्यापक का प्रभार था। फैसले के बाद उनके स्कूल न आने से कुछ जगहों पर बच्चों को शिक्षा के साथ मध्यान्ह भोजन भी नहीं मिल सका। इस सबके बीच सुदूरवर्ती व एकल विद्यालय पर ताला लटका मिला। ज्यादातर स्कूलों पर सीधी भर्ती व प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती से आए शिक्षक एक क्लास में दो-दो कक्षाओं के बच्चों को किसी तरह पढ़ाने का कार्य कर रहे हैं।

बीएसए कार्यालय पर फोर्स तैनात :

फैसला आने के बाद संतकबीर नगर जिले में बीएसए कार्यालय में आग लगाए जाने की घटना को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने बीएसए कार्यालय के मेन गेट पर एक एसआई व दो आरक्षी तथा परिसर के गेट पर वज्र वाहन के साथ दर्जन भर पुलिसकर्मियों को तैनात किया है। बीएसए कार्यालय परिसर गेट पर तैनात वज्र वाहन के जवान उसे ही अंदर जाने दे रहे हैं जिसे विभागीय कर्मी चिन्हित कर रहे हैं। अंदर जाने के बाद लोगों को रजिस्टर पर हस्ताक्षर बनाकर पूरा विवरण उपलब्ध कराना पड़ रहा है।

       जिले के 2187 शिक्षामित्रों को सरकार से राहत की उम्मीद :

शिक्षामित्रों ने प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था को उस दौर में संभाला था जब स्कूलों में शिक्षकों की काफी कमीं हो गई थी। अपेक्षाकृत कम मानदेय में उन्होंने इस सोच के साथ व्यवस्था संभाली कि कभी तो उनके दिन बहुरेंगे। अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली पूर्ववती सपा सरकार ने शिक्षामित्रों की सुधि ली तथा दो बैच में जिले के 1975 शिक्षामित्रों को शिक्षक के पद पर समायोजित कर दिया। तीसरे बैच में बचे 212 शिक्षामित्रों को समायोजन का इंतजार था। 25 जुलाई 2017 को फैसला आने के बाद शिक्षामित्रों को शासन से राहत की उम्मीद है। संघ ने उम्मीद जताई है कि प्रदेश सरकार स्थिति को समझते हुए ऐसा निर्णय लेगी जिससे शिक्षामित्रों व उनके आश्रितों की मुश्किलें कम होंगी।

शिक्षामित्रों को गोरखपुर जाने से रोकने में पुलिस को छूटे पसीने :

सुप्रीम कोर्ट द्वारा समायोजन रद्द होने के फैसले के बाद उग्र शिक्षा मित्रों को काबू में करने में पुलिस-प्रशासन को पसीने छूट गए। सोनौली हाइवे व जीएम मार्ग पर अधिकारियों के नेतृत्व में पुलिस कर्मियों ने दो दर्जन बसों को रास्ते में रोका और गोरखपुर जा रहे करीब 300 शिक्षा मित्रों को नीचे उतार दिया गया। इसकी जानकारी होने पर शिक्षा मित्रों ने पैंतरा बदला और पुलिस को छकाते हुए दो पहिया वाहनों से गोरखपुर पहुंचने में कामयाब हो गए।  मुख्यमंत्री व उप मुख्य मंत्री के गुरुवार को गोरखपुर आने की खबर मिलने के बाद प्रदेश नेतृत्व के आह्वान पर जिले के शिक्षा मित्रों ने गोरखपुर पहुंच कर विरोध प्रदर्शन का निर्णय लिया। इसमें से करीब 20 फीसद शिक्षा मित्र बुधवार की शाम को ही गोरखपुर के लिए रवाना हो गए। शेष बचे शिक्षा मित्रों ने गुरुवार को सुबह जाने का निर्णय लिया। भोर होते ही शिक्षा मित्र सड़क पर आ गाए और रोडवेज बसों व डग्गामार वाहनों से गोरखपुर के लिए रवाना हो गए। आठ बजे से पहले रवाना होने वाले शिक्षा मित्र गोरखपुर पहुंच गए पर इसके बाद वाहन पकड़ने वाले शिक्षा मित्र पुलिस-प्रशासन के संजाल में आ गए। अधिकारियों ने प्राइवेट व डग्गामार वाहनों के गोरखपुर जाने पर प्रतिबंध लगा दिया जो नहीं माने उन्हें पकड़ कर समीपवर्ती थाने पर पहुंचा दिया। सोनौली, नौतनवा, कोल्हुई, पुरंदरपुर, बरगदवा, फरेंदा, निचलौल, मिठौरा, महराजगंज, शिकारपुर, भिटोली, छपिया, परतावल व श्यामदेउरवा में रोडवेज बस व प्राइवेट वाहनों को रोक कर शिक्षा मित्रों की धर-पकड़ शुरू हो गई। सभी स्थानों पर पुलिस कर्मी बस में सवार यात्रियों को नीचे उतार कर मोबाइल से फोटो खींचते। इसके बाद पूछते कि इनमें से कोई शिक्षा मित्र तो नहीं। आम यात्रियों को छोड़ कर शिक्षा मित्रों को रोक लेते और घर लौटने को मजबूर करते। आम यात्रियों को भी धमकाते कि फोटो खींच ली गई है। इस फोटो की मिलान गोरखपुर में प्रदर्शन कर रहे लोगों में मिलने पर आगे कार्रवाई की जाएगी। बसों व डग्गामार वाहनों को रोक कर शिक्षा मित्रों को उतारने की जानकारी होने पर आंदोलनकारी सतर्क हो गए और दो पहिया वाहनों से आंदोलन को गति देने के लिए गोरखपुर जाने में कामयाब हो गए।

शिक्षामित्रों के समर्थन में खड़े हुए कांग्रेसी :

शिक्षामित्रों को न्याय देने की मांग को लेकर कांग्रेस सेवा दल के प्रदेश संगठन मंत्री गोपाल शाही के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री व राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा है। प्रदेश संगठन मंत्री शाही ने कहा कि उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षामित्रों को प्राथमिक विद्यालय में अध्यापक हेतु विगत दशकों पूर्व पूर्ववती सरकारों द्वारा व्यवस्था प्रदान करते हुए रखा गया था, जिसमें बीटीसी (दूरस्थ विधि) प्रशिक्षण दिलाकर सहायक अध्यापक पद पर समायोजित किया गया। मात्र केवल टीईटी की योग्यता न होने के कारण अयोग्यता की श्रेणी में आ रहे हैं। सैद्धांतिक रूप से टीईटी का पाठ्यक्रम निर्धारित करके समयबद्ध ढंग से समायोजित सहायक अध्यापकों (शिक्षामित्रों) एवं शेष शिक्षामित्रों को प्रशिक्षण देकर सेवा का अवसर प्रदान कराया जाए।


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