राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत अब हर सरकारी स्कूल में मेडिकल कैंप लगाकर 18 साल तक के बालक बालिकाओं की 38 तरह की मुफ्त जांचे करनी हैं। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत होने वाले इस कार्य में अफसर व कर्मचारी कागजी कार्यवाही कर बड़े अफसरों की आंखों में धूल झोंक रहे हैं। तैयार माइक्रोप्लान के तहत परिषदीय स्कूलों में न तो टीमें पहुंच रही और न ही बच्चों को सेहत सुविधाओं का लाभ मिल पा रहा है। 1स्कूलों में लगने वाले कैंप में बच्चों की लंबाई, वजन, नेत्र दोष, दिव्यांगता समेत कुपोषण की जांचे मुफ्त करके उन्हें उपचार भी मुहैया कराने के लिए हर ब्लाक की मेडिकल टीम में एक डॉक्टर, एक नेत्र सहायक और स्टाफ नर्स को रखा गया है। लेकिन असल में यह संविदा आधारित नौकरी के कर्मचारी है जो अपने तैनाती क्षेत्रों में महीनों जाते ही नही। सेहत महकमे ने माइक्रोप्लान तैयार कर 13 ब्लाकों के सभी स्कूलों व आंगनबाडी केंद्रों में कैंप लगाने की तिथिवार सूची तैयार की है। लेकिन अब तक इस सूची के आधार पर एक भी स्कूल में कैंप नहीं लगाया गया। सीएमओ डा. विनय कुमार पांडेय का मामले पर कहना है कि माइक्रो प्लान के आधार पर काम न करने वाले कर्मचारी दंडित किए जाएंगे। हम उन स्कूलों के प्रधानाचार्य से कैंप की पुष्टि कराएंगे जहां कैंप लगाने का टीम ने दावा किया है।
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