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Friday, December 1, 2017

रामपुर : बेसिक शिक्षा में बदलाव की जरूरत, शिक्षकों ने निजी धन से बदली सरकारी विद्यालयों की तस्वीर

बेसिक शिक्षा में बदलाव की जरूरत

जागरण संवाददाता, रामपुर : बदलते दौर में बेसिक शिक्षामें भी बदलाव की जरूरत है। सरकारी स्कूलों में शिक्षक तो योग्य हैं, लेकिन संसाधनों की कमी बनी है। शिक्षकों का कहना है कि सरकार को भी इस दिशा में प्रयास करने चाहिए।1आज आर्थिक स्थिति में तेजी से बदलाव आया है, जिसके चलते लोग मोटी फीस देकर न सिर्फ निजी स्कूलों में पढ़ाना चाहते हैं, बल्कि निजी स्कूलों में पढ़ाना अपनी शान समझते हैं। निजी स्कूलों के शिक्षक योग्य नहीं हैं और न ही शिक्षण कार्य के लिए प्रशिक्षण ही उन्होंने प्राप्त किया है। स्कूल प्रबंधन ने काफी धन खर्च कर विद्यालय का भवन आकर्षक बना लिया है, जबकि सरकारी स्कूलों के हिस्से में वह बच्चे आते हैं, जिनकी सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक पृष्ठभूमि निम्न होती है। कई बार तो देखा गया है कि मानसिक रूप से भी पिछड़े हुए होते हैं। ऐसे बच्चों को पढ़ाना शिक्षक के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। बावजूद इसके बेसिक स्कूलों में तैनात शिक्षक इस चुनौती को स्वीकार अपने कर्तव्य का पालन कर रहे हैं। इसमें कोई दोराय नहीं कि वर्तमान में बेसिक स्कूलों में जो शिक्षक तैनात हो रहे हैं। उनमें योग्यता की कमी नहीं है। इनकी इस योग्यता, कर्मठता और कर्तव्य निष्ठा का नतीजा है कि जिले के अधिकतर विद्यालय चमचमा रहे हैं। शिक्षक अपने निज प्रयास से विद्यालयों को आकर्षक बना रहे हैं। पढ़ाने के तरीके बदल रहे हैं। बच्चों को खेल-खेल में शिक्षा दी जाने लगी है। शिक्षण में नित नए नवाचारों को अपनाया जा रहा है। शैक्षिक गतिविधयां विद्यालयों में खूब कराई जा रही हैं। विद्यालय बच्चों के लिए आकर्षण का केंद्र बन रहे हैं। मिलक के शिक्षक रवेंद्र गंगवार का कहना है कि शिक्षक यदि अपने जिम्मेदारियों को ठीक से निभाए, इससे भी काफी सुधार होगा। जनपद में ऐसे शिक्षकों की कमी नहीं है, जिन्होंने अपने निजी प्रयास से स्कूलों को चमका दिया है। शिक्षकों का कहना है कि सरकार को बेसिक स्कूलों में निजी स्कूलों की तरह संसाधन मुहैया कराने चाहिए। जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष राजवीर सिंह का कहना है कि शिक्षक को चाहिए कि वह समय से स्कूल पहुंचे और पूरे समय स्कूल में पढ़ाए। इससे शिक्षा में सुधार होगा।डॉक्टर सरफराज का कहना कि शिक्षकों को गैर शैक्षिक कार्य में नहीं लगाया जाना चाहिए। शिक्षा में गिरावट आने की यह भी एक वजह है।दढ़ियाल बीआरसी की विज्ञान सह-समंवयक निर्देशलता का कहना है कि शिक्षण प्रक्रिया में शिक्षक की भूमिका अहम है। वह चाहे तो विद्यालय को ऊचाइयों पर ले जा सकता है। बच्चों के लिए वह आदर्श होता है।जालपुर जूनियर हाईस्कूल के शिक्षक मोहम्मद तनवीर का कहना है कि शिक्षक के पास एक बच्चे के जीवन को संवारने की जिम्मेदारी होती है। यहीं से भविष्य की नींव पड़ती है। इसलिए नींव जितनी मजबूत होगी उतना ही भविष्य उज्जवल होगा। प्राथमिक शिक्षक संघ बिलासपुर पूर्व ब्लाकाध्यक्ष सुरेश सक्सेना का कहना है कि शिक्षकों के निज प्रयासों से बेसिक शिक्षा के पंख लग गए हैं। इसके चलते विद्यालयों के परिवेश में तेजी से सुधार हो रहा है। शिक्षण की परिपाटियां बदल रही हैं। पूर्व माध्यमिक विद्यालय नारायणपुर की शिक्षिका वर्षा गर्ग का कहना है कि बेसिक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए शिक्षकों को आगे आना होगा।







साभार : दैनिक जागरण



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