शिक्षा के नाम पर औपचारिकताएं निभाना माध्यमिक व बेसिक शिक्षा के शिक्षकों को महंगा पड़ेगा। शिक्षाधिकारी औचक मुआयने में छात्र-छात्रओं से राष्ट्रगान सुनेंगे। सुना दिया तो ठीक नहीं तो हिन्दी और संस्कृत के शिक्षकों के वेतन में कटौती के साथ विभागीय कार्रवाई की जाएगी। व्यवस्था को सख्ती से लागू किए जाने की तैयारी शासन स्तर की गई है।
माध्यमिक और बेसिक शिक्षा की कमजोर कड़ी को कसने की कवायद शासन स्तर पर शुरू हो चुकी है। छात्रों को शिक्षा के प्रति रुझान पैदा करने के लिए स्थानीय तौर पर भी कवायद तेज है। जिले में माध्यमिक के 327 तो बेसिक में प्राथमिक स्कूलों की संख्या 2307 और जूनियर 6037 के करीब है। शहरी क्षेत्रों के मुकाबले ग्रामीण अंचलों में बेसिक स्कूलों की संख्या अधिक है। शिक्षकों के शिक्षण कार्यों को जांचने के लिए अब छात्र-छात्रओं से राष्ट्रगान सुना जाएगा। वह नहीं सुना पाए तो हिन्दी और संस्कृत विषय के शिक्षकों की जवाबदेही तय होगी। शिक्षा विभाग के अधिकारी उनसे भी राष्ट्रगान सुनेंगे। अभी तक मुआयना पर विषय से जुड़े सवाल-जवाब छात्र-छात्रओं या फिर शिक्षकों से होते हैं। इसमें कोर्स पूरा करने या अवकाश के दिनों में पढ़ाई न होने का बहाना कर दिया जाता है।’
शिक्षा का स्तर सुधारने को शासन द्वारा शिक्षा विभाग के अधिकारियों के लिए एडवाइजरी जारी
>हंिदूी और संस्कृत शिक्षकों पर होगी कार्रवाई‘श्रीमद्भागवत रहस्य’ पर प्रतियोगिता शिक्षा में सुधार के साथ छात्र-छात्रओं को साहित्य व पुराणों का भी पाठन कराया जाएगा। डीआइओएस राकेश कुमार द्वारा स्कूलों को निर्देशित कर दिया गया है। आदेश हुए कि लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक द्वारा लिखित गीता ‘श्रीमद्भागवत रहस्य’ पर आधारित गायन प्रतियोगिता होगी। इसमें 10-10 गायक मंडली स्कूल स्तर पर बनाई जाएगी। मंडलीय व राज्यस्तरीय प्रतियोगिताओं में प्रतिभागियों को प्रतिभाग करने का मौका मिलेगा।
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