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Saturday, March 24, 2018

संतकबीरनगर में बच्चों के जूते-मोजे में भी कमीशनखोरी, पांच घंटे की जांच में पांच करोड़ का खेल उजागर

संतकबीर नगर: डीएम मार्कण्डेय शाही की जांच में बीएसए कार्यालय की एक नहीं अपितु कई खामियां उजागर हुई हैं। कमीशनखोरी के चक्कर में कस्तूरबा विद्यालयों के बच्चों के दूध-फल का भी भुगतान जानबूझ कर कई माह से लटकाए रखने की बात सामने आई। इसके अलावा कर्मियों के मानदेय भुगतान में भी हीलाहवाली करने की बात प्रकाश में आई। जांच से यह तथ्य उजागर हुआ है कि हर मद के भुगतान के लिए कमीशन लिया जाता रहा। पांच घंटे की जांच में लगभग पांच करोड़ का भुगतान लटका हुआ मिला। कमीशन के लिए भुगतान रोकने का खेल चल रहा था।मान्यता दिलाने की फाइलों की समय से जांच कर निपटाना चाहिए था लेकिन जांच में मान्यता से संबंधित काफी अधिक संख्या में फाइलें लंबित मिली हैं। इसके अलावा दो रिसोर्स टीचर व 15 आइटी टीचर का फरवरी का मानदेय लंबित मिला। 16 आइटी के मार्च-2017 से अगस्त-2017 तक मानदेय भुगतान लंबित पाया गया। एक फिजियोथेरेपिस्ट टीचर के फरवरी का मानदेय भुगतान व एरियर मार्च 2017 से अगस्त 2017 तक का भुगतान लंबित मिला। इसके अलावा दो साल का टीए बिल का भुगतान भी लंबित पाया गया। कस्तूरबा विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के खाद्यान्न, दूध, फल, सब्जी आदि का भुगतान जो प्रत्येक माह किया जाना चाहिए, इसे भी कमीशन के चक्कर में कई माह से लटका कर रखा गया। डीएम की जांच में यह बात भी सामने आई कि प्रसूता अवकाश, बाल्यकाल देखभाल अवकाश, सीसीएल के प्रकरण भी काफी अधिक संख्या में लंबित पाए गए। इसके इतर प्रधानाध्यापकों, सहायक अध्यापकों के वेतन भुगतान भी काफी समय से लंबित मिले हैं। कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय हैंसर बाजार व नाथनगर के कर्मियों का जनवरी व फरवरी-2018 का मानदेय अभी तक नहीं दिया जाना पाया गया। जबकि सहायक वित्त एवं लेखाधिकारी द्वारा 17 मार्च 2018 को ही बीएसए के समक्ष बिल हस्ताक्षर के लिए पेश किया गया था। इसके इतर कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय बघौली व सांथा के कर्मचारियों का जनवरी व फरवरी-2018 के मानदेय का भुगतान नहीं किया गया। वहीं कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय मेहदावल के जनवरी व फरवरी के मानदेय का भुगतान नहीं किया जाना पाया गया, जबकि सहायक वित्त एवं लेखाधिकारी ने सात मार्च 2018 को ही बिल बीएसए के सामने पेश कर दिया था। कमीशन के चक्कर में बीएसए द्वारा यह सब भुगतान जानबूझ कर लटका कर रखा जाना पाया गया। डीएम ने इन ¨बदुओं पर करीब पांच घंटे से अधिक समय तक बीएसए कार्यालय में बीएसए से पूछताछ की लेकिन बीएसए माया सिंह इन सवालों का संतोषजनक जवाब नहीं दे सकीं। संतकबीरनगर डीएम मार्कण्डेय शाही ने कहा कि प्राचार्य डायट व जिला विद्यालय निरीक्षक को इन सभी ¨बदुओं की जांच के लिए जांच अधिकारी नामित किया गया है। बीएसए से सभी अभिलेख प्राप्त कर ये इसकी जांच करेंगे। एक सप्ताह के अंदर अपनी जांच रिपोर्ट देंगे। जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे आवश्यक कार्रवाईे की जाएगी।
गड़बड़झाला

जागरण संवाददाता, संतकबीर नगर : कई बार दी गई चेतावनी के बाद कोई असर न होने पर आखिरकार शुक्रवार जिलाधिकारी मार्कण्डेय शाही बेसिक शिक्षा विभाग के कार्यालय पहुंचे। यहां जब उन्होंने अभिलेखों की जांच शुरू की तो धन उगाही की परत दर परत खुलने लगी। जूता-मोजा, मान्यता दिलाने, प्रसूता अवकाश की स्वीकृति, फर्नीचर डेस्क-बेंच सहित कोई ऐसा मद नहीं, जिसमें धन उगाही न की जा रही हो। सबसे अधिक अनियमितता मान्यता दिलाने में पाई गई। यही नहीं बीएसए माया सिंह के आवास से भी मान्यता की फाइलें भी मिलीं। फिलहाल डीएम ने कड़े तेवर अपनाते हुए दो सदस्यीय टीम का गठन कर दिया है, जिसमें डायट प्राचार्य प्रताप सिंह बघेल और जिला विद्यालय निरीक्षक शिव कुमार ओझा शामिल हैं।

गुरुवार शाम शुरू हुई जांच शुक्रवार दोपहर तक चली। डीएम बीएसए कार्यालय में शुक्रवार को सुबह करीब दस बजे पहुंचे, यहां पर करीब दोपहर के एक बजे तक अभिलेखों की जांच की। दोबारा दोपहर के दो बजे पहुंचे। जिलाधिकारी ने बताया कि परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को दिए जाने वाले मुफ्त जूता-मोजा का 2,32,17,805 रुपये, उच्च प्राथमिक विद्यालयों में फर्नीचर-डेस्क-बेंच का 54,53,500 रुपये, कक्षा एक से पांच तक के बच्चों के लिए मुफ्त पाठ्य-पुस्तकों का 30,74,722 रुपये, कक्षा छह से आठ तक के बच्चों के लिए मुफ्त पाठ्य-पुस्तक का 32,23,798 रुपये, गैर वेतन अनुरक्षण मद का 7,00,400 रुपया, निरीक्षण मानक मद का 22,500 रुपये यानी कुल 3,56,92,725 रुपये का भुगतान कमीशन के चक्कर में कई माह से लटका कर रखे जाने की बात सामने आई। इसके अलावा लगभग दो करोड़ का अन्य मद का भुगतान भी लंबित है।

जागरण ने प्रकाशित की थी खबर, 20 मार्च को जारी किया था पत्र: डीएम मार्कण्डेय शाही ने 20 मार्च 2018 को बीएसए माया सिंह को पत्र जारी करते हुए लिखा है कि निजी विद्यालयों को मान्यता दिलाने के नाम पर 80 हजार से 85 हजार रुपये वसूला जा रहा है। इसमें उमाशंकर पाण्डेय, बजरंगी, भूपेंद्र सिंह, जलालुद्दीन आदि लोगों की संलिप्तता है। इसके अलावा प्रसूता अवकाश के लिए 10 हजार से 12 हजार रुपये प्रति शिक्षिका की दर से वसूला जाता है। जो पैसा देती हैं, उन्हीं का प्रसूता अवकाश स्वीकृत होता है, वहीं जो यह रकम नहीं दे पाती, उन्हें यह अवकाश लाभ नहीं मिल पाता है। इसके इतर कैजुअल लीव( सीएल) सहित अन्य अतिरिक्त अवकाश के लिए भी धनउगाही की जाती है।बीएसए कार्यालय में अभिलेखों की जांच के दौरान पूछताछ करते जिलाधिकारी मार्कण्डेय शाहीजागरण में प्रकाशित खबर ’ जागरणंसीडीओ के नेतृत्व में गठित की गई थी कमेटी

जिलाधिकारी ने 20 मार्च को सीडीओ हाकिम सिंह को बेसिक शिक्षा विभाग से संबंधित मिल रही शिकायतों की जांच सौंपी थी। सीडीओ बीसीए कार्यालय से जूता-मोजा संबंधित फाइल भी मंगवाई थी। सीडीओ का कहना है कि गुरुवार को बीएसए माया सिंह ने फाइल अपने पास मंगवा लीं, जिसकी उन्हें जानकारी नहीं मिली। भ्रष्टाचार किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं जनपद में किसी भी कीमत पर भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं है। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी ताकि योजनाओं का लाभ लोगों को मिल सके। मार्कण्डेय शाही, जिलाधिकारीबीएसए आफिस, किस्से भी, कहानियां भी

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