लखनऊ : राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) के तहत दो साल पहले मंजूर होने के बाद भी उच्चीकृत होने से वंचित प्रदेश के 225 परिषदीय जूनियर हाईस्कूलों के राजकीय हाईस्कूल में तब्दील होने का रास्ता साफ हो गया है। धनाभाव के कारण इन विद्यालयों को सरेंडर करने की राज्य सरकार की पेशकश पर केंद्र ने इन स्कूलों के उच्चीकरण के लिए मांगी गई ज्यादा धनराशि देने पर सहमति जतायी है।
आरएमएसए के तहत वर्ष 2013-14 में केंद्र सरकार ने प्रदेश में 225 परिषदीय जूनियर हाईस्कूलों को हाईस्कूल में उच्चीकृत करने का राज्य सरकार का प्रस्ताव मंजूर किया था। प्रत्येक जूनियर हाईस्कूल को हाईस्कूल में उच्चीकृत करने के लिए केंद्र ने 58.12 लाख रुपये की धनराशि स्वीकृत की थी। यह निर्माण लागत वर्ष 2011-12 की दरों पर आधारित थी। 2011-12 से 2013-14 के दरम्यान निर्माण लागत बढ़ने की वजह से कोई भी कार्यदायी संस्था केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत दरों पर काम करने के लिए तैयार नहीं थी। इस वजह से जूनियर हाईस्कूलों का उच्चीकरण पिछले दो वर्षों के दौरान नहीं हो पा रहा था। इस बीच निर्माण लागत में और इजाफा हो गया।
बीते बुधवार को नई दिल्ली में मानव संसाधन विकास मंत्रलय के स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के सचिव एससी खुंटिया की अध्यक्षता में हुई आरएमएसए के प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड की बैठक हुई थी। बैठक में राज्य सरकार की ओर से साफ तौर पर कहा गया कि इन स्कूलों को सरेंडर कर लिया जाए या फिर वर्तमान दरों पर उनकी पुनरीक्षित इकाई लागत 75.65 लाख रुपये स्वीकृत की जाए। केंद्र को राज्य सरकार की ओर से यह भी दलील दी गई कि 2013-14 में मंजूर किये गए हाईस्कूलों में 2015-16 में कक्षा नौ में छात्रों का नामांकन भी कराया जा चुका है। यदि स्कूल सरेंडर हुए तो इन छात्रों का क्या होगा।
पीएबी बैठक में राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा जितेंद्र कुमार ने बताया कि पूरे प्रकरण पर विचार करने के बाद केंद्र सरकार ने इन 225 जूनियर हाईस्कूलों को हाईस्कूल में उच्चीकृत करने के लिए वर्तमान दरों पर चालू वित्तीय वर्ष की स्वीकृतियों में शामिल करने पर सहमति जता दी है।
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