शिक्षा के क्षेत्र में कमाल हैं ‘जमाल’
ऋतु ने अपने अभिनव प्रयोगों से तोड़ी सरकारी स्कूलों के बारे में प्रचलित धारणा, उसरू के छात्र आज फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं 1

संसू, फैजाबाद : ऋतु जमाल। पेशे से शिक्षक हैं। दायित्व, प्राथमिक विद्यालय उसरू में प्रधानाध्यापक का है। सीमित संसाधन, ग्रामीण परिवेश और तमाम दुश्वारियों के बीच भी वे सरकारी विद्यालयों की प्रचलित धारणा से उसरू के प्राथमिक स्कूल को उबार चुकी हैं। ऋतु जमाल के तप से कांवेंट स्कूलों के मुकाबले खड़ा हो रहा है। वर्ष 1996 में गेट की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद भी उन्होंने सरकारी स्कूलों की स्थापित मान्यता को तोड़ने की चुनौती स्वीकारी। अपने अभिनव प्रयोगों से उन्होंने स्कूल को राज्य स्तर पर ख्याति दिलाई और विद्यालय को अंग्रेजी माध्यम से चला कर अपना हुनर भी साबित किया। अब प्राथमिक विद्यालय उसरू के छात्र फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं और सामान्य बातचीत भी अंग्रेजी में ही करते मिलते हैं। 1अपने इन्हीं प्रयोगों की वजह से उन्हें वर्ष 2015 में एससीइआरटी से अवार्ड ऑफ टीचर इनोवेटर का पुरस्कार मिला। अंतरराष्ट्रीय संस्था रोटरी क्लब की प्रतिष्ठित पॉल हेरिस फेलोशिप भी मिल चुकी है। इसके साथ ही बेसिक शिक्षा विभाग उन्हें जिला व मंडल स्तर पर सर्टिफिकेट ऑफ एक्सीलेंस के पुरस्कार से भी नवाज चुका है। विभिन्न संस्थाओं से पुरस्कृत ऋतु जमाल बायोकमेस्ट्री से एमएससी हैं। वर्ष 1993 में वे एलटी टॉपर भी रह चुकी हैं। लखनऊ के नामचीन निजी कॉलेज में शिक्षक रहीं ऋतु जमाल वर्ष 2006 में बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक के पद पर चयनित हुईं। 1उसरू से पहले प्राथमिक विद्यालय चकनथा, गंजा आदि में उन्होंने अपनी लगन की छाप छोड़ी। प्राथमिक विद्यालय उसरू का प्रधानाध्यापक बनने के बाद चंद वर्षों में ही उन्होंने विद्यालय की दशा-दिशा बद
ऋतु ने अपने अभिनव प्रयोगों से तोड़ी सरकारी स्कूलों के बारे में प्रचलित धारणा, उसरू के छात्र आज फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं 1

संसू, फैजाबाद : ऋतु जमाल। पेशे से शिक्षक हैं। दायित्व, प्राथमिक विद्यालय उसरू में प्रधानाध्यापक का है। सीमित संसाधन, ग्रामीण परिवेश और तमाम दुश्वारियों के बीच भी वे सरकारी विद्यालयों की प्रचलित धारणा से उसरू के प्राथमिक स्कूल को उबार चुकी हैं। ऋतु जमाल के तप से कांवेंट स्कूलों के मुकाबले खड़ा हो रहा है। वर्ष 1996 में गेट की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद भी उन्होंने सरकारी स्कूलों की स्थापित मान्यता को तोड़ने की चुनौती स्वीकारी। अपने अभिनव प्रयोगों से उन्होंने स्कूल को राज्य स्तर पर ख्याति दिलाई और विद्यालय को अंग्रेजी माध्यम से चला कर अपना हुनर भी साबित किया। अब प्राथमिक विद्यालय उसरू के छात्र फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं और सामान्य बातचीत भी अंग्रेजी में ही करते मिलते हैं। 1अपने इन्हीं प्रयोगों की वजह से उन्हें वर्ष 2015 में एससीइआरटी से अवार्ड ऑफ टीचर इनोवेटर का पुरस्कार मिला। अंतरराष्ट्रीय संस्था रोटरी क्लब की प्रतिष्ठित पॉल हेरिस फेलोशिप भी मिल चुकी है। इसके साथ ही बेसिक शिक्षा विभाग उन्हें जिला व मंडल स्तर पर सर्टिफिकेट ऑफ एक्सीलेंस के पुरस्कार से भी नवाज चुका है। विभिन्न संस्थाओं से पुरस्कृत ऋतु जमाल बायोकमेस्ट्री से एमएससी हैं। वर्ष 1993 में वे एलटी टॉपर भी रह चुकी हैं। लखनऊ के नामचीन निजी कॉलेज में शिक्षक रहीं ऋतु जमाल वर्ष 2006 में बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक के पद पर चयनित हुईं। 1उसरू से पहले प्राथमिक विद्यालय चकनथा, गंजा आदि में उन्होंने अपनी लगन की छाप छोड़ी। प्राथमिक विद्यालय उसरू का प्रधानाध्यापक बनने के बाद चंद वर्षों में ही उन्होंने विद्यालय की दशा-दिशा बद
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